The nerve centre of India's development lies in eastern India: PM Modi

Published By : Admin | March 12, 2016 | 15:52 IST
PM Modi lays foundation stone of additional bridge at Hajipur, Bihar
PM Modi lays stress on development of eastern India for all round progress of the country
The nerve centre of India's development lies in Eastern India: PM
Infrastructure, roads & railways sow seeds of development for the country: PM Modi

मंच पर विराजमान सभी महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए प्‍यारे भाइयो और बहनों, 

ये आपका उत्‍साह देख करके मैं अंदाज लगा सकता हूं कि इस bridge के प्रति आप लोगों के मन में कितना महात्‍मय है, इस bridge के कारण न सिर्फ यातायात लेकिन यहां के आर्थिक जीवन में भी कितना बड़ा बदलाव आ सकता है इसका भली-भांति अंदाज आप सबके उत्‍साह के कारण मैं अनुमान लगा सकता हूं।

मां गंगा उत्‍तरी बिहार और दक्षिणी बिहार, दोनों को जोड़ती है लेकिन नागरिकों को जुड़ने के लिए व्‍यवस्‍थाएं आवश्‍यक होती हैं। अब आप कल्‍पना कर सकते हैं जब नीतीश जी रेल संभालते थे, अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब का ये सपना इतने सालों के बाद आज पूरा हो रहा है। अगर पिछले दस साल में इसको अगर neglect न किया गया होता, routine budget के हिस्‍से से भी अगर काम किया होता तो भी शायद पांच-सात साल पहले ये काम पूरा हो गया होता। 600 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला प्रोजेक्‍ट विलंब होने के कारण 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ये पैसे जनता-जनार्दन के हैं लेकिन कोई न कोई ऐसे कारण आते हैं कि हमारे देश में विकास की प्रक्रिया अलग हो जाती है और बाकी प्रक्रियाएं उभर करके आ जाती हैं। पिछले 18 महीनों में इसका सबसे ज्‍यादा काम इतने कम समय में, 18 महीनों में हुआ। करीब 34 प्रतिशत काम जो अधूरा पड़ा था इसको पूरा किया गया और हम मानते हैं कि अगर भारत का sustainable development करना है, अगर भारत को आने वाले 25 साल, 30 साल तक लगातार विकास के नए-नए आंक पार  करते जाना है वो तब तक संभव नहीं होगा जब तक हमारा पूर्वी हिंदुस्‍तान develop नहीं होगा। चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, चाहे पश्चिम बंगाल हो, असम हो, नार्थ-ईस्‍ट हो, उड़ीसा हो, ये सारे क्षेत्र जितने तेजी से develop होंगे हिंदुस्‍तान उतनी ही तेजी से आगे बढ़ने वाला है। अब भारत के विकास की जो Nerve centre है वो Nerve centre Eastern India में है और अगर हम पूर्वी भारत को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो हम यह shortcut के रास्‍ते से नहीं कर पाएंगे।

अब तक हम तत्‍कालीन समस्‍याओं को स्‍पर्श करते गए। लोगों की तत्‍कालीन आवश्‍यकताओं को address करते गए लेकिन अब समय की मांग है कि हम लोगों की तत्‍कालीन आवश्‍यकताओं को तो जरूर address करें लेकिन इस पूरे क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है तो लंबे अरसे की व्‍यवस्‍थाओं को भी विकसित करना अनिवार्य है।

Rail और road, infrastructure, उसके अंदर इतनी ताकत होती है कि वह विकास की न सिर्फ नींव रख देते हैं बल्‍कि विकास को गति भी दे देते हैं और इसलिए पिछली सरकार ने पांच साल में रेलवे के पीछे बिहार में जितना खर्चा किया, उससे करीब-करीब ढाई गुना ज्‍यादा पिछले डेढ़ साल में वर्तमान सरकार ने किया है। यह इसलिए किया है कि बिल्‍कुल मेरा यह conviction है कि भारत का भाग्‍य बदलना है तो हमें बिहार का भाग्‍य पहले बदलना होगा। बिहार को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना होगा। केन्‍द्र और राज्‍य मिलकर के, कंधे से कंधा मिलाकर के इस काम को करेंगे, यह मेरा पूरा विश्‍वास है और इसलिए infrastructure मुख्‍यतः , रेलवे और road आज उत्‍तर बिहार-दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले तीन प्रोजेक्‍ट का एक साथ लोकार्पण एवं शिलान्‍यास हो रहा है।

अब आप देखिए, एक काम तो मैं आज वो कर रहा हूं कि जहां पर पहले मोकामा दोनों तरफ डबल लाइन थी लेकिन बीच में bridge ऐसा था कि वहां डबल लाइन नहीं थी और उसके कारण वो दोनों तरफ की डबल लाइन का जो खर्चा है उसका कोई उपयोग ही नहीं है क्‍योंकि वो आकर के bottleneck बन जाता था। अब इस बात को हमने हाथ में लिया है और मुझे विश्‍वास है कि हम समय की सीमा में इसको पूरा करके देंगे और उस इलाके के विकास के लिए भी एक बहुत बड़ी गति आ जाएगी।

मेरे बिहार के नौजवानों, आपकों एक बहुत बड़ा तोहफा इन दिनों मिला है। दो locomotives, इसके बहुत बड़े कारखाने बिहार के धरती पर लग रहे हैं। 2006-07 से यह कागज पर मसला चल रहा है, भाषणों में काम आ रहा है लेकिन धरती पर कुछ हो नहीं पा रहा है। कोई टेंडर के लिए तैयार नहीं होता था। हमने कुछ innovative चीजें कीं टेंडर में। हमने export का लक्ष्‍य तय किया, हमने भारत की requirement का हिसाब लगाकर के order place का निर्णय किया और वह एक ऐसी रचना थी कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को लगा कि अब हम इसके अंदर टेंडर लेकर के जा सकते हैं और अगर मिल गया तो काम हो सकता है। उस प्रक्रिया ने रंग लाया। दुनिया की बहुत बड़ी कंपनियां आईं। 40 हजार करोड़ रुपयों का Foreign direct investment इन दो जगहों पर, बिहार की धरती पर आने वाला है, वो हिन्‍दुस्‍तान के अंदर सबसे बड़ा माना जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कम समय में यह सरकार बनने के बाद, 18 महीने मिले है हमें दिल्‍ली में लेकिन 18 महीनों में बिहार हमारी प्राथमिकता है क्‍योंकि भारत का विकास करने के लिए बिहार का विकास अनिवार्य है, यह हम मानते हैं। इसलिए इस काम को भी अंजाम दिया गया है और उसका परिणाम भी आने वाले दिनों में मिलने वाला है।

भाइयो-बहनों, आज के युग में गैस पाइपलाइन भी उतना ही महत्‍व रखती है। अगर हम गैस कनेक्‍टिविटी करते हैं, पाइपलाइन का खर्चा बहुत होता है लेकिन उसके बावजूद भी बिहार को गैस कनेक्‍टिविटी से जोड़ने की दिशा में हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं जो आने वाले दिनों में यहां के जीवन में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।

मेरे बिहार के प्‍यारे भाइयो-बहनों, आपने इस बजट में देखा होगा कि हमने गरीब परिवारों को गैस कनेक्‍शन देने का बीड़ा उठाया है। मैं जानता हूं काम कठिन है। गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले पांच करोड़ परिवारों को आने वाले तीन वर्ष के अंदर-अंदर चूल्‍हे की जगह पर गैस का सिलेंडर मिल जाए और उन माताओं-बहनों को धुएं से बचा लिया जाए, उनके आरोग्‍य की चिन्‍ता की जाए, इसके लिए एक अहम जिम्‍मेवारी सिर पर उठाई है। वैज्ञानिक कहते हैं कि चूल्‍हा जलाकर के, लकड़ी जलाकर के, कोयला जलाकर के जो मॉं खाना पकाती है तो खाना पकाते-पकाते जितना धुंआ उसके शरीर में जाता है वो 400 सिगरेट के बराबर होता है। एक दिन में 400 सिगरेट का धुंआ अगर हमारी माताओं के शरीर में जाए तो उनके शरीर का क्‍या हाल होगा, उनके बच्‍चों का क्‍या हाल होगा। यह मानवता का काम है इसलिए हमने सरकार की तिजोरी से जितना खर्चा लगे लेकिन बीड़ा उठाया है कि गरीब परिवारों को अब यह चूल्‍हा, यह कोयला, उसका धुंआ, उससे मुक्‍ति दिलानी है।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमारे देश में आजादी के इतने साल हो गए। अब भी गांवों में बिजली नहीं पहुंची है और बिजली पहुंचाना, यह कोई लक्‍ज़री नहीं है। बिजली अब जीवन का हिस्‍सा बन गई है। वो कोई रईसों का खेल नहीं है, गरीबों के लिए जरूरी है। मैंने एक दिन review लिया कि भई क्‍या हाल है? मैं हैरान था आजादी के 70 साल होने आए, 18 हजार गांव ऐसे थे जहां अभी बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा। मैंने अफसरों को कहा, मुझे एक हजार दिन में काम पूरा करना है। जो 70 साल में नहीं हुआ वो एक हजार दिन में पूरा करना है। बीड़ा उठाया। अभी तो हजार दिन पूरा होने में देर है, बहुत दिन बाकी है लेकिन मुझे आज पता चला कि 6,000 से अधिक गांवों का काम पूरा होगा, बिजली पहुंच गई है और उसका सबसे ज्‍यादा लाभ उत्‍तर प्रदेश और बिहार के गांवों को मिला है। मैं नीतीश जी का आभारी हूं कि इस काम को गति देने में उनकी राज्‍य सरकार की तरफ से भी पूरा सहयोग मिलता रहा है और उसके कारण यह काम भारत सरकार गति से कर रही है। मुझे तो विश्‍वास है अगर एक बार भारत सरकार और बिहार सरकार तय कर ले तो पूरे हिन्‍दुस्‍तान में ये जो 18,000 गांवों का काम बाकी है, उसमें से बिहार को सबसे पहले हम पूरा करके एक गौरावान्‍वित बिहार बना सकते हैं और जिस तरह काम चला है, मेरा विश्‍वास है कि हो जाएगा, यह काम हो जाएगा।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, चाहे बिजली हो, सड़क हो, पानी हो, रेल हो, इन चीजों को सामान्‍य मानिवकी की आवश्‍यकताएं हैं और उन आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास है। बिहार से बहुत बड़ी मात्रा में हमारे नौजवान हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में आते-जाते रहते हैं। पढ़ने के लिए जाते हैं, रोजी-रोटी कमाने के लिए जाते हैं लेकिन रेलवे में अगर जाना है तो उसका दम उखड़ जाता है। लंबी सफर की ट्रेनों में आरक्षण की सीमा रहती है। इस बार हमारे रेल मंत्री श्रीमान सुरेश प्रभु जी ने एक बड़ा अहम कदम उठाया है और मैं मानता हूं उस अहम कदम का अगर सबसे ज्‍यादा कोई फायदा उठाएगा तो बिहार का नौजवान उठाएगा। वो अहम कदम यह उठाया है कि लंबी सफर की जो ट्रेन है उसमें दो या चार डिब्‍बे ऐसे लगेंगे, दीन-दयाल डिब्‍बे, जिसमें आप last moment भी चढ़ जाना है तो चढ़ जाओ और जहां जाना है पहुंच जाओ। ये इसलिए किया कि गरीब व्‍यक्ति, उसको अगर दूर जाना है, बेटा अगर बिहार से बाहर कहीं काम कर रहा है, अचानक मां‍बीमार पड़ गई और उसको पहुंचना है तो reservation तो संभव नहीं होता है। ये एक ऐसी व्‍यवस्‍था रहेगी कि जिसके कारण ऐसे लोग परेशानी न भुगतें, और समय पर पहुंच सकें। 

विषयों को ऐसे लिया गया है कि जिसके कारण आज हमारे देश में एक neo middle class, middle class उसका bulk भी बहुत बढ़ रहा है। बहुत बड़ी मात्रा में middle class का bulk बढ़ रहा है। वो पहले से थोड़ी plus सुविधा चाहता है। और इसलिए हमने एक हमसफर ट्रेन शुरू करना तय किया है जिसमें तृतीय श्रेणी की air-condition train रहेगी जो सामान्‍य middle class, lower middle class के लोग आर्थिक रूप से उनको ये सुविधा रहेगी और वे अच्‍छी स्‍पीड से चल पाएगी। 

हमारे देश में रेल बहुत पुरानी है। लेकिन रेलवे को हम अब पुरानी रहने देंगे तो रेल बोझ बन जाएगी। जिस रेल ने हिंदुस्‍तान को गति दी, वह रेल अगर वैसे ही पुराने हालात में रही तो वो ही बोझ बनते देर नहीं लगेगी इसलिए रेल का पूरी तरह नवीनीकरण होना चाहिए। उस दिशा में सुरेश जी हमारे बड़े innovative हैं, नए-नए ideas लाते हैं, दुनिया के लोगों से माथापच्‍ची करते रहते हैं। विदेशों से धन भी लाते हैं और मैं विश्‍वास से कहता हूं कि बहुत ही कम समय में पूरी रेल का कायाकल्‍प हो जाएगा, रेल का नवीनीकरण हो जाएगा। चाहे वो infrastructure का मसला हो, चाहे गति का मामला हो, चाहे पैसेंजरों की qualitative सेवा का मसला हो, चाहे रेलवे स्‍टेशनों की सुविधा का मसला हो, चाहे passenger की complaint का मुद्दा हो, चाहे digital technology के द्वारा मोबाइल फोन से रेलवे की सेवाएं लेने की बात हो, अनेक पहलुओं पर एक बहुत ही comprehensive way में रेलवे के नवीनीकरण का काम चल रहा है।

एक बीड़ा उठाया है, तेजस नाम की ट्रेन। ये तेजस ट्रेन 130 की स्‍पीड से चलाने का इरादा है। आज हमारी ट्रेन बहुत कम स्‍पीड से चलती है। इतना बड़ा देश वो अब छुक-छुक गाड़ी से नहीं चल सकता है, उसको गति देने की आवश्‍यकता है इसलिए एक नया concept प्रायोगिक रूप में , तेजस के द्वारा तेज गति से चलाने का इरादा ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं।

मैं ये सारी बातों से आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं, मैं देशवासियों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि रेल ये सिर्फ यातायात या आवागमन का साधन नहीं है, रेल भारत के अर्थतंत्र को गति देने वाला एक गतिशील माध्‍यम है और उसको गति देने की दिशा में हम स्‍वयं सरकार को गतिशील बनाये हैं और ये ही आने वाले दिनों में परिणाम देने वाला है। 

आज ये जो तीनों प्रोजेक्‍ट प्रारंभ हुए हैं, मैं मानता हूं पटना के लिए एक बहुत बड़ा वरदान है। आज already ट्रेनें चलनी शुरू हो गई हैं। चाहे मुंगेर हो, चाहे मोकामा हो, ये तीनों पूरे बिहार को एक प्रकार से अपने-आप में समाहित कर लेते हैं। इसका कितना बड़ा प्रभाव पैदा होने वाला है, इसका बिहार के हर व्‍यक्ति को पता है। 

मैं आज बिहार को लाख-लाख शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं और Railway ministry को भी बहुत बधाई देता हूं। धन्यवाद ।

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!