उद्योग जगत के सभी वरिष्‍ठ महानुभाव

मैं जेट्रो का आभारी हूं, निक्‍केइ का आभारी हूं, कि मुझे आज आप सबके साथ बातचीत करने का सौभाग्‍य मिला है। मैं जब यहां आ रहा था तो, ये सभी वरिष्‍ठ महानुभाव मुझे बता रहे थे और बड़े आश्‍चर्य के साथ बता रहे थे कि हमारे इतने सालों में इतना बड़ा गैदरिंग पहली बार हुआ है। मुझे कह रहे थे कि 4000 लोगों ने अप्‍लाई किया था, लेकिन हमारे पास एकोमोडेशन पूरी नहीं होने के कारण आधे लोगों को निराश करना पड़ा है। ये इस बात का संकेत है कि अब जैसे भारत ‘लुक ईस्‍ट’ पालिसी लेकर चल रहा है, वैसे जापान ‘लुक एट इंडिया’ इस मूड में आगे बढ़ रहा है।

जब वाजपेयी जी भारत के प्रधानमंत्री थे और एक्‍सीलेंसी मोरी जी यहां प्रधानमंत्री थे, तब से यह रिश्‍ता बड़ा सघन बना। मेरा भी सौभाग्‍य रहा, मैं पहले भी आया। मैंने हर बार देखा कि जापान जिस प्रकार की कार्य संस्‍कृति का आदी है, जापान जिस प्रकार के गवर्नेंस का आदी है, जापान ने जिस प्रकार से इफीशिएंसी और डिसीप्लिन को आत्‍मसात किया है, अगर उस इन्‍वायरमेंट को प्रोवाइड करते हैं तो जापान को भारत में भी अपनापन महसूस होगा।

तब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था, 2007 में, मैं यहां आया। जो बातें आप से सीखीं ,समझी, देखी, उसको मैंने भली-भांति वहां लागू किया था। 2012 में आया, मैंने दुबारा उसको और बारीकी से देखा फिर उसको लागू किया। आज परिणाम यह हुआ कि जब मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच आया हूं, तब मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं, कि आपको जापान के बाहर कहीं नजर डालनी है तो, मुझे नहीं लगता है कि अब आपको इधर-उधर देखने की जरूरत है।

अब एक ऐसी जगह है, जो आपकी चिर-परिचत है। सांस्‍कृतिक रूप से तो चिर-परिचित है, लेकिन अब अपने आप के विस्‍तार के लिए, अपने आप को ग्रो करने के लिए, आप जिस जगह की तलाश में हैं, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं आपको निमंत्रण देता हूं, शायद भारत से बढ़कर के आप के अनुकूल कोई जगह नहीं है। ये मैं विश्‍वास दिलाने आया हूं।

मुझे अभी सरकार में सिर्फ 100 दिन हुए हैं। एक्‍सीलेंसी मोरी जी के साथ भी मेरा संबंध बहुत पुराना है और प्रधानमंत्री आबे जी के साथ भी बहुत पुराना संबंध है। पिछले तीन दिनों में मैंने देखा है कि जापान का भारत के साथ जुड़कर के अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए बहुत सारी संभावनाएं हैं। उसमें हमारा विश्‍वास पक्‍का हो गया है। कल का हमारा ज्‍वाइंट स्‍टेटमेंट आपने देखा है। मैं समझता हूं, किसी भी जापान के उद्योगकार के लिए भारत में आकर के कार्य प्रारंभ करना, इससे बड़ा स्‍ट्रांग मैसेज कोई नहीं हो सकता है। मेरी सरकार बनने के बाद मैने एक विजन के रूप में लोगों के सामने रखा है, ‘मेक इन इंडिया’।

मैं छोटा था, तो कोई कहता था ‘मेड इन जापान’, तो हम लागों का मन करता था कि कुछ देखने की जरूरत नहीं है कि किस शहर में बना है, किस कंपनी में बना है। ले लो, ये प्रतिष्‍ठा थी। हम ‘मेक इन इंडिया’ कह रहे हैं, इसका मतलब यह है कि हम ऐसा इन्‍वायरमेंट आपको देना चाहते हैं, कि आपकी वैश्विक मांग है, जो आपके प्रोडक्‍ट की, उस वैश्विक मांग को अगर पूरा करना है तो आज जापान, जो कि हाई कॉंस्‍ट मैन्‍यूफैक्‍चरिंग की ओर चल पड़ा है, आपकी पूरी इकोनोमी हाई कॉस्‍ट एंड वाली बनती जा रही है। इसलिए आपके लिए बहुत अनिवार्य है कि लो कॉम्‍स्‍ट मैन्‍यूफैचरिंग की संभावनाएं हों। ‘ईज़ आफ बिजनेस’ का वातावरण हो। स्किल्‍ड क्‍वालिटी मैनपावर अवेलेबल हो।

तो मैं विश्‍वास से कहता, जो दस साल में मिरेकल आप जापान में रह कर के आपकी कंपनी का करते हैं, आप वो मिरेकल दो साल के भीतर-भीतर हिन्‍दुस्‍तान में कर सकते हैं। इतनी संभावनाओं का वो देश है आप विश्‍व में अपने प्रोडक्‍ट को अगर पहुंचाना चाहते हैं, और कंपीटिटिव भी मार्केट है। अगर विश्‍व में अगर प्रोडक्‍ट पहुंचाना चाहते हो तो, इट इज ए गॉड गिफ्टेड लोकेशन है, इंडिया का। हमारा बहुत ही वाइब्रेंट सी कोस्‍ट है, वहीं से आप वेस्‍टर्न पार्ट आफ दि वर्ल्‍ड, मिडिल ईस्‍ट से लेकर, आगे कहीं भी जाना है, मैं समझता हूं, इससे बढ़कर कोई सुविधा नहीं होती है।

जब सुजूकि, मारूति उद्योग के संबंध में लोग, मुझसे मिलने आते थे, तो मैंने उन्हे एक हिसाब समझाया था। मैंने कहा- आप गुड़गांवां में कार बनाते हैं और एक्‍सपोर्ट करते हैं, तो समुद्र तट पर जाने में आपकी कार को जाने में 9000 रुपए का खर्च लगता है। लेकिन समुद्र तट पर यदि आप गाड़ी बनाओगे तो हर कार पर आपका 9000 रुपए बच जाएगा। तो उन्‍होनें कहा कि मुझे तो यह व्‍यापारिक गुर किसी ने सिखाया ही नहीं और वह एक बात ऐसी थी कि उनको निर्णय करने में क्लिक कर गई।

पिछले दिनों में मैंने इतने वहां पर इतने महत्‍वपूर्ण निर्णय किये, जैसे – डिफेंस के सेक्‍टर में। एक समय था, मेरे यहां इतने सारे रिस्‍ट्रीक्‍शंस थे, डिफेंस इक्विपमेंट मैन्यूफैक्‍चरिंग में, यदि डिफेंस के लिए एक मुझे ट्रक चाहिए तो वो भी डिफेंस के रूल्‍स एवं रेगुलेशन के रिस्ट्रिक्‍शंस में पड़े हुए थे। हमने इन 100 दिन के अंदर-अंदर करीब-करीब 55 प्रतिशत ऐसी चीजों को उस सारी कानूनी व्‍यवस्‍था से बाहर निकाल दिया। हमने कहा कि आइए, ये सब आप जैसे सामान्यत: कोई भी चीज आप प्रोड्यूस करते हैं, आप कर सकते हैं और डिफेंस उसका परचेज करेगा। हमारा बहुत बड़ा मार्केट विदिन इंडिया है। डिफेंस मैन्‍यूफैक्‍चरिग सेक्‍टर में अगर आप आते हैं, तो मुझे विश्‍वास है कि आप न सिर्फ भारत की आवश्‍यकताएं, बल्कि विश्‍व के अनेक छोटे-छोटे देश हैं, जिनकी रिक्‍वायरमेंट को पूरा करने का, ऐसी मैन्‍यूफैक्‍चरिंग का काम आप हिंदुस्‍तान की धरती पर कर सकते हैं।

आपको जानकर के हैरानी होगी, भारत की पहचान साफ्टवेयर में है। हमारे टैलेंट, हमारे नौजवान साफ्टवेयर के क्षेत्र में बहुत बड़ी पहचान बनायी है। आपने हार्डवेयर में अपनी ताकत बनायी है। लेकिन साफ्टवेयर हार्डवेयर के बिना अधूरा है। हार्डवेयर साफ्टवेयर के बिना अधूरा है। भारत जापान के बिना अधूरा है, जापान भारत के बिना अधूरा है।

अगर हार्डवेयर इंडस्‍ट्री, भारत आपको निमंत्रण देता है। भारत के टैलेंट का साफ्टवेयर, आपकी बुद्धिमानी और मेहनत और बिजनेस एक्‍सीलेंस के कारण तैयार हुआ हार्डवेयर। अगर ये मेलजोल हो जाए, आप विश्‍व के अंदर बहुत बड़ा मिरेकल कर सकते हैं। मैंने देखा है कि स्‍मॉल स्‍केल इंडस्‍ट्रीज का एक बड़ा नेटवर्क ऐसा है, कि जो हार्डवेयर की दिशा में काम कर रहा है।

आज भारत का अपना इंपोर्ट इतना है। हमारा आज सबसे बड़ा इंपोर्ट पेट्रोलियम और आयल सेक्‍टर का है। हमारा एक अनुमान है कि 2020 में हमारा सबसे ज्‍यादा इंपोर्ट इलेक्‍ट्रानिक्‍स गुड्स का होने वाला है। आप कल्‍पना कर सकते हैं, कितना बड़ा मार्केट है। जापान का व्‍यापारी इंतजार करेगा क्‍य ? इतना बड़ा मार्केट आपका इंतजार कर रहा है। अगर आपका वहां लो कॉस्‍ट मैन्‍यूफैक्‍चरिंग होता है, आपको इफिशिएंट गवर्नेंस की अनुभूति होती है। मैं विश्‍वास से कहता हूं कि आपकी स्थिति बदल जाएगी।

आमतौर पर भारत की पहचान यह बन जाती है कि छोड़ो यार, वहां रेड टैप है। पता नहीं सरकारी कारोबार में कब गाड़ी चलेगी। मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं, आज भारत में रेड टैप नहीं, रेड कार्पेट है और रेड कार्पेट आपका इंतजार कर रही है।

हमने ईज़ आफ बिजनेस के लिए इतने सारे नए रेगुलेशन्‍स को लिबरल कर दिया है। शायद विश्‍व में इतनी तेज गति से लिबरलाइज मूड में, सारे हमारे पुराने रूल्‍स और रेगुलेशन्‍स में परिवर्तन लाने का किसी एक सरकार ने काम किया हो तो आज हिंदुस्‍तान की सरकार है। आखिरकार व्‍यापारी को, उद्योगकार को, इंवेस्‍टर को एक सिक्‍युरिटी चाहिए। उसको प्रोपरली ग्रो करने के लिए एक इन्‍वायरामेंट चाहिए।

आज भारत, किसी को भी आकर के ग्रो करने के लिए प्रोपर इन्‍वायरामेंट के लिए, बहुत तेज गति से आगे चल रहा है। जहां तक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का सवाल है, अब कभी, जो भी आज भारत में हमारे साथ काम करते हैं, और जिन्‍होंने गुजरात में मेरे साथ काम किया है, कई उद्योगकार हैं, जिन्‍होंने मेरे साथ काम किया है। जिस गति से हम इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को प्रोवाइड करने के लिए व्‍यवस्‍थाएं करते हैं, जिस गति से हम निर्णय करते हैं। मैं नहीं मानता हूं कि आज किसी भी उद्योगकार को उसके लिए कठिनाई हो सकती है।

आप कल्‍पना कर सकते हैं, हिंदुस्‍तान के आज 50 से अधिक छोटे शहर ऐसे हैं, जो मेट्रो रेल के लिए कतार में खड़े हैं। 50 शहरों में मेट्रो ट्रेन लगना, यानी इस फील्‍ड में काम करने वाले लोगों के लिए किसी एक देश में इतना बड़ा बिजनेस कभी सोचा है आपने ? इतना बड़ा बिजनेस अ‍बेलेबल है। आप कितना सारा काम वहां पर कर सकते हैं। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, और खास करके हम एस एम ईज को पोत्‍साहन देना चाहते हैं। स्‍मॉल स्‍केल इंडस्‍ट्रीज को हम इंवाइट करना चाहते हैं। ताकि जॉब क्रिएशन भी हो, मास स्‍केल पर प्रोडक्‍शन भी हो और एक ऐसी हेल्‍दी कंपीटिशन हो, जिसके कारण क्‍वालिटी प्रोडक्‍शन पर बल मिले। इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करने आया हूं कि आप आइए। और कल भी मैंने एक जगह कहा था, 21वीं सदी एशिया की सदी है। मतलब क्‍या है ? इसका मतलब ये है कि विश्‍व की आर्थिक गतिविधि का केंद्र ये बनने वाला है।

विश्‍व की आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनने वाला है तो कहां बनेगा ? मैं देख रहा हूं, आज विश्‍व के लोगों को तीन बातों के लिए शायद कोई एक जगह पर ऑपरच्‍युनिटी हो, वैसी विश्‍व में कोई जगह नहीं है। एक स्‍थान पर तीन ऑपरच्‍युनिटी, एक – डेमोक्रेसी, दूसरा – डेमोग्राफी, तीसरा – डिमांड। ये एक ही जगह ऐसी है, जहां डेमोक्रेसी है, जहां पर डिमांड है और जहां पर 65 प्रतिशत पोपुलेशन बिलो 35 एज ग्रुप की है, डेमोग्राफिक डिवीजन। तीनों जगह एक स्‍थान पर हो, वैसी विश्‍व में एक भी जगह नहीं नहीं है और डेमोक्रेसी सेफ्टी, सिक्‍योरिटी एंड जस्टिस की गारंटी देती है।

आखिरकर बाहर के व्‍यक्ति को ये चीजें चाहिए, जो हम प्रोवाइड करते हैं। उसी प्रकार से, किसी भी उद्योगकार को, मैन्‍यूफैचरर को यंग ब्रेन चाहिए, यंग माइंड चाहिए, यंग पोपुलेशन चाहिए। उत्‍साह-उमंग से भरी हुई जवानी, अगर उसके हाथ में स्किल हो तो मिरेकल कर देती है। भारत आज विश्‍व का सबसे युवा देश है। और डिमांड, आप कल्‍पना कर सकते हैं, सवा सौ करोड़ देशवासी कितना बड़ा मार्केट है। अकेले हिंदुस्‍तान के मार्केट को आप सर्व करें तो भी आज जहां है, वहां से अनेक गुना आपकी कंपनी ग्रो कर जाएगी। एक ऐसी सरकार आई है जो विकास के मुद्दे पर काम कर रही है। मैन्‍यूफैक्‍चरिंग सैक्‍टर को हम बढ़ावा देना चाहते हैं।

हमारे 100 दिन का रिकॉर्ड देखिए आप। सिर्फ 100 दिन में हमारा जो जीडीपी था, 4.4 - 4.5 - 4.6 पर लुढ़क रहा था। पिछले ढ़ाई-तीन साल में जो हमने अचीव नहीं किया था, वह 100 दिन में कर दिया और 5.7 प्रतिशत का जीडीपी अचीव कर लिया। यह बताता है कि हमारी जो निर्णय हैं, हमारी जो पालिसीज हैं, ‘ईज़ आफ बिजनेस’ की हमारी जो सोच है, उसके कारण ये परिणाम मिल रहे हैं। इसलिए मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि आप आइए, हम सब मिल करके एशिया की पीस और प्रोग्रेस की गारंटी के लिए, जापान और भारत को कंधे से कंधा मिला कर के जितना आगे बढ़ने की जरूरत है। उसी प्रकार से हमने एशिया की समृधि के लिए, भारत जैसे देश की समृधि की दिशा में मिलकर के प्रयास करने की आवश्‍यकता है।

मैं आप सबको निमंत्रण देता हूं। आप भारत आइए। अपना नसीब आजमाइए। अपना कौशल्‍य आजमाइए। भारत पूरी तरह आपका स्‍वागत करने के लिए तैयार है। मुझे दुबारा एक बार यहां आने का मौका मिला। बार-बार मैं जेट्रो में आता हूं। मैं जब गुजरात में था तो एक जेट्रो का आफिस भी मेरे यहां मैंने खोल दिया था और हमारे कुछ मित्र हैं जो अब गुजराती बोलना भी सीख गए हैं।

मैं बारीक-बारीक चीजों का केयर करने वाला इंसान हूं। मैं जानता हूं कि ‘ईज़ आफ बिजनेस’ के लिए जितनी छोटी-छोटी चीजें, अगर दो चीजें आप भी ध्‍यान में लाएंगे तो हम तुरंत उसको करने के पक्ष में रहते है। इसलिए मैं आपको निमंत्रण देने आया हूं। फिर से आपने मुझे बुलाया, इतनी बड़ी संख्‍या में आपका यहां आना, ये बताता है कि आपका हिंदुस्‍तान के प्रति कितना विश्‍वास बढ़ा है। आपकी हिंदुस्‍तान के प्रति कितनी रूचि बढ़ी है और हिंदुस्‍तान और जापान मिलकर के एक नया इतिहास आर्थिक विकास के क्षेत्र में निर्माण कर सकते हैं। इस पूरे विश्‍वास के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

थैंक यू,थैंक यू वैरीमच।

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PM Modi’s remarks during the BRICS session: Peace and Security
July 06, 2025

Friends,

Global peace and security are not just ideals, rather they are the foundation of our shared interests and future. Progress of humanity is possible only in a peaceful and secure environment. BRICS has a very important role in fulfilling this objective. It is time for us to come together, unite our efforts, and collectively address the challenges we all face. We must move forward together.

Friends,

Terrorism is the most serious challenge facing humanity today. India recently endured a brutal and cowardly terrorist attack. The terrorist attack in Pahalgam on 22nd April was a direct assault on the soul, identity, and dignity of India. This attack was not just a blow to India but to the entire humanity. In this hour of grief and sorrow, I express my heartfelt gratitude to the friendly countries who stood with us and expressed support and condolences.

Condemning terrorism must be a matter of principle, and not just of convenience. If our response depends on where or against whom the attack occurred, it shall be a betrayal of humanity itself.

Friends,

There must be no hesitation in imposing sanctions on terrorists. The victims and supporters of terrorism cannot be treated equally. For the sake of personal or political gain, giving silent consent to terrorism or supporting terrorists or terrorism, should never be acceptable under any circumstances. There should be no difference between our words and actions when it comes to terrorism. If we cannot do this, then the question naturally arises whether we are serious about fighting terrorism or not?

Friends,

Today, from West Asia to Europe, the whole world is surrounded by disputes and tensions. The humanitarian situation in Gaza is a cause of grave concern. India firmly believes that no matter how difficult the circumstances, the path of peace is the only option for the good of humanity.

India is the land of Lord Buddha and Mahatma Gandhi. We have no place for war and violence. India supports every effort that takes the world away from division and conflict and leads us towards dialogue, cooperation, and coordination; and increases solidarity and trust. In this direction, we are committed to cooperation and partnership with all friendly countries. Thank you.

Friends,

In conclusion, I warmly invite all of you to India next year for the BRICS Summit, which will be held under India’s chairmanship.

Thank you very much.