दीवाली यानी रौशनी का त्यौहार। पूरा देश इस समय जहां खुशी के रंग में सराबोर है, वहां हमारे जवान विपरित परिस्थियों से जूझते हुए भी देश की सेवा में लगे रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे मौके पर भी विशेष तौर पर सवा सौ करोड़ भारतवासियों के प्रधान सेवक होने के नाते सेना के साथ अपनी खुशी को साझा करना नहीं भूलते। प्रधानमंत्री के तौर पर श्री मोदी की ये तीसरी दीवाली हैं। इससे पहले दो साल प्रधानमंत्री ने सैनिकों के बीच रहकर दीवाली मनाई थी। इस बार प्रधानमंत्री ने हमारे वीर जवानों के लिए #Sandesh2Soldiers मुहिम शुरू की। प्रधानमंत्री की इस मुहिम को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। हर क्षेत्र के करोड़ो लोगों ने ग्रिटिंग्स के माध्यम से सैनिकों को अपना प्रेम भेजा।
प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री मोदी 2014 में अपनी पहली दीवाली पर अचानक सियाचिन पहुंच गए थे, जिसने पूरे देश के साथ सैनिकों को भी अचंभित कर दिया था। सियाचिन में सैनिकों को संबोधित करते हुए श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था “देश के लोग आनंद और उत्साह के साथ दिवाली मना सकें, इसलिए आप यहां परिवार से दूर इन बर्फीली पहाडि़यों के बीच, श्वेत चादर के बीच, जहां न कोई दीया जलाने की संभावना है, ऐसी दुर्गम परिस्थिति में अपनी जिंदगी देशवासियों की खुशी के लिए न्यौछावर कर रहे हैं।“
वहीं साल 2015 में अपनी दूसरी दीवाली भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सैनिकों के साथ मनाई। प्रधानमंत्री ने 1965 के भारत-पाक युद्ध से जुड़े सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा किया था। उन्होंने अमृतसर के डोगराई युद्ध स्मारक और परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि 1965 की लड़ाई में अब्दुल हमीद की बहादुरी को भुलाया नही जा सकता।