नमस्कार।
कर्नाटक की महिला मोर्चा की सभी महिला कार्यकर्ताओं को नमस्कार।
एक बहुत ही दुखद समाचार रात को ही हमें मिले। हमारे जयानगर के यशस्वी और सेवाभावी एमएलए विजय कुमार जी का आकस्मिक निधन हो गया। मैं देशभर के कार्यकर्ताओं की ओर से, मेरी तरफ की ओर से मृत आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूं। इस दुख की घड़ी में हम सब इस परिवार के साथ हैं।
कर्नाटक में महिलाओं के योगदान और महिला नेतृत्व का एक समृद्ध इतिहास रहा है। कर्नाटक ने अपने गौरवशाली इतिहास में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महान और साहसी महिलाओं को जन्म दिया है। मैं कित्तूर की वीरांगना कित्तूर रानी चेनम्मा को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। केड़दी चेनम्मा, बेलवाड़ी मलम्मा, रानी अब्बक देवी, चित्रदूत की विरांगना ओमके ओवेके ओवाक को कौन भूल सकता है।
मैं हमारे समय सबसे महान संगीतकारों एक स्वर्गीय डॉ. गंगू बाई हंगल को, आज भी वो संगीत कानों में गूंज रहा है। मैं स्वर्गीय आर कल्याणम को आज पुण्य स्मरण करना चाहूंगा। जो परोपकारी व्यक्तित्व है जिन्होंने बैंगलुरू शहर में खेल के मैदान को विकसित करने के लिए जमीन का एक बृहद बड़ा हिस्सा दान में दिया। और जिसे आज मक्कलकुटा कहा जाता है।
मैं मंगलायान के प्रक्षेपण के लिए इसरो सेंटर की यात्रा के दौरान सैकड़ों महिलाओं से मिलकर अत्यधिक रोमांचित था। और जब मुझे पता चला कि समर्पित महिलाओं की ये टीम इस सफलता का प्रमुख हिस्सा थी। तब इतना आनंदित हुआ, इतना अभिभूत हो गया था।
आज देश वुमन डवलपमेंट से आगे वुमन लीड डवलपमेंट की ओर बढ़ रहा है। आज हम महिला विकास से आगे महिला के नेतृत्व में विकास की बात कर रहे हैं। जब देश के विकास के लिए हमारा ऐसा मंत्र है, तो हमारी पार्टी भी इसी मंत्र में विश्वास रखती है। पार्टी के लिए भी महिला शक्ति उतनी ही महत्वपूर्ण है। हमारे लिए संगठन हो, सरकार हो, कार्यक्रमों की रचना हो वुमन फर्स्ट है। यदि आप कैबिनेट पर नजर डालेंगे को दिखेगा कि सक्षम महिलाओं को इंपोर्टेंट पोर्टफोलियो दिए गए हैं। हाल के दिनों में हम सबने देखा दो फोटो आपको याद होंगे। जो सोशल मीडिया पर बहुत प्रचलित हो गए थे। ये फोटो चीन के एससीओ सम्मेलन की थी। दोनों फोटो में सारे पुरुष के बीच एक-एक महिला नजर आती है। बाकी सब पुरुष है। ये फोटो कई देशों के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्रियों की थी। उनमें एक फोटो में सुषमा स्वराज जी एक मात्र महिला विदेश मंत्री थी और दूसरे में हमारे कर्नाटक से ही पार्लियामेंट में आई हुईं निर्मला सीतारमण जी और दोनों का कर्नाटक के साथ बहुत गहरा नाता रहा है।
आज के परिपेक्ष्य में अगर हम देखें तो भाजपा की महिला कार्यकर्ताओं ने पार्टी में उनके स्थान, सम्मान और योगदान ने पॉलिटिक्स में महिलाओं की भागीदारी की तरफ देखने का नजरिया ही बदल दिया है।
मैं हमेशा से कहता हूं। हमें राज्य का चुनाव जीतना है। और जीतेंगे। हमें असेंबली सीट जीतना है। हम जीतेंगे। चुनाव भी जीतेंगे। लेकिन कार्यकर्ताओँ के पास मेरा हमेशा आग्रह रहता है। और मेरे लिए वो सबसे महत्वपूर्ण बात है। वो पोलिंग बूथ जीतना। अगर हम पोलिंग बूथ जीतते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें विधानसभा में हरा नहीं सकती। दुनिया में कोई ताकत हमें विधानसभाओं के चुनावों में हमें पराजित नहीं कर सकती है। और इसलिए विजय कहां है। विजय पोलिंग बूथ में है। बाकी सब उसकी असरें हैं, उसका प्रभाव है। जीतना पोलिंग बूथ है। और जब लड़ाई बूथ पर लड़नी हो ...।
घर-घर जाकर कांग्रेस सरकार के झूठे वादे, झूठी बातें, झूठे कारनामे उसका पर्दाफाश करना होगा। हर एक से भारत की विकास यात्रा में जुड़ने के लिए अपील करनी है। और हमारी महिला मोर्चा की कार्यकर्ता, मैं अनुभव से कह सकता हूं कि इन बातों में सबसे प्रभावी होती है। और महिलाएं जब इस काम को करती हैं। घर-घर जाती हैं, बैठकरके बातें करती हैं। तो उसका डबल इफैक्ट होता है। पहला जब कोई महिला किसी को कंविन्स करती है तो अपने घरेलू तर्कों से करती है, सामान्य भाषा में समझाती है। बड़े-बड़े ओजस्वी बातें नहीं करती हैं। सरलता से समझा देती हैं। वो विश्वास जीत लेती हैं। विश्वसनीयता बहुत बड़ी ताकत होती है। और आपने देखा होगा कि परिवार में अगर महिला कन्विंस हो गई तो पूरा परिवार कन्विंस हो जाता है। हमारा शुरू से प्रयास रहा है कि सामाजिक, आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित हो। और हमने इसी दिशा में काम किया किया है।
अब आप देखिए। हमारे यहां उज्ज्वला योजना की जो लाभार्थी बहनें हैं। आप उनको मिलाकरके रोज एक जुलूस क्यों नहीं निकालते। पोलिंग बूथ में ही, उज्ज्वला की लाभार्थी बहनें ..., 25 मिनट, आधा घंटा, रोज एक जुलूस निकालें, अलग-अलग इलाके में। लोगों को पता चलेगा। इन गरीब महिलाओं की जिंदगी में इतना बड़ा बदलाव आया।
और इसलिए मैं चाहूंगा। हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया जिसके परिणाम स्वरूप सेक्स रेशियों बहुत बेहतर हुआ है। 161 जिलों में इसके सफल क्रियानव्यन के बाद अब देश के 640 जिलों में इस योजना का विस्तार किया गया है।
इसी प्रकार से हमने बैंक सुविधा से वंचित लोगों के लिए जन धन योजना शुरू किए। और आज करीब-करीब 16.5 करोड़ महिलाओँ को इसका लाभ मिल रहा है। इसी तरह महिला सशक्त बनें, आत्मनिर्भर बनें। इसके लिए हमने कई योजनाएं शुरू किए। अब सरकार की तरफ से महिलाओं को मकान मिलता है, परिवार को मिलता है। लेकिन अब हमने तय किया है कि वो मकान महिला के नाम पर होगा। उसको सुरक्षा मिलेगी।
स्टैंड अप इंडिया के तहत 8000 करोड़ से अधिक का लोन महिलाओँ को दिया गया है।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को दी जाने वाली राशि उसका ऋण करीब-करीब 2014-15 से लेकर 2017-18 तक आते-आते करीब-करीब 175 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
हमने मुद्रा योजना शुरू की। अभी तक 9 करोड़ महिलाओं को मुद्रा योजना का लाभ मिला है। 9 करोड़ महिलाओं यानि 9 करोड़ परिवार।
वर्क प्लेस पर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मैटरनिटी लीव जो पहले 12 हफ्ते थी। अब उसको बढ़ा करके 26 हफ्ते कर दिया है। मतलब आधा वर्ष, छह महीने।
दुनिया के समृद्ध देशों को भी जब इतना बड़ा पता चलता है कि डवलपिंग कंट्री ने इतना बड़ा महिलाओं के लिए निर्णय लिया है तो उनको बड़ा अजूबा लगता है। उनको अचरज होता है।
50 से अधिक कर्मचारी वाले कार्यालय में बच्चों के लिए, माताओं के लिए, बहनों के लिए क्रेच की सुविधाओं का प्रावधान बनाया है।
बेटियों के सुरक्षित भविष्य के लिए सुकन्या समृद्धि योजना। इसे शुरू की। इसके तहत देशभर में बेटियों के नाम करीब-करीब सवा करोड़ बैंक खाते खुले हैं। जिनमें 19000 करोड से अधिक रकम जमा हुए। कर्नाटक में भी करीब 10 लाख से अधिक बेटियों के नाम इस योजना में खाते खुले हैं।
सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत कर्नाटक में 4 लाख फ्री हेल्थ चेकअप सफलतापूर्वक हुए।
मिशन इंद्रधनुष के तहत सिर्फ कर्नाटक में 10 लाख माताओं और बच्चों का टीकाकरण किया गया है।
हमने महिलाओँ के जीवन को धुआं मुक्त बनाने के लिए उज्ज्वला योजना शुरू की। देशभर में करोड़ों महिलाओँ को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा रहे हैं। सिर्फ कर्नाटक में करीब-करीब 9.5 लाख महिलाओं को यानि साढ़े 9 लाख गरीब परिवारों में, निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों में मुफ्त एलपीजी कनेक्शन, गैस का कनेक्शन, गैस का चूल्हा पहुंच चुका है।
आज भी कर्नाटक की जनता ...। जब येदियुप्पा जी मुख्यमंत्री थे। येदुरप्पा जी के द्वारा जो योजनाएं शुरू की गई थी। उसे आज भी कर्नाटक की जनता याद करती है। आप सबको पता है - भाग्य लक्ष्मी योजना। ये भाग्य लक्ष्मी योजना। इस योजना के तहत गरीब परिवार में जन्मी लड़की के लिए 18 वर्ष के लिए 10 हजार रुपये का डिपोजिट कर दिया जाता था। जो राशि बाद में बेटी शादी और आगे की पढ़ाई के खर्च में काम आ सकती थी। पिछली भाजपा सरकार के दौरान लगभग 17 लाख महिलाओं को कर्नाटक में भाग्य लक्ष्मी स्कीम बांड दिए गए थे।
वैसे ही उनकी दूसरी योजना थी संजीवनी। येदुरप्पा जी की सरकार में बीपीएल परिवारों के लिए बच्चों की मृत्युदर कम करने के लिए स्वास्थ्य योजना बाल संजीवनी शुरू की गई थी। कर्नाटक में भाजपा की पिछली सरकार के दौरान हजारों कुपोषित बच्चों को इस योजना के तहत अच्छे से अच्छे अस्पतालों में इलाज करवाया गया था और उनको इस संकट से बाहर निकाला गया था। उसी प्रकार से ...। बच्चियां स्कूल जाएं। बच्चियों को पढ़ने की सुविधा बढ़े। येदुरप्पा जी ने अपने कार्यकाल में साइकिल वितरण का एक बहुत बड़ा अभियान चलाया था। हाईस्कूल की लड़कियों के लिए साइकिल वितरण के लिए फ्लैगशिप स्कीम शुरू की गई थी। मैं चाहूंगा कि वहां के कुछ कार्यकर्ताओं ने जो एक वीडियो बनाया था। आप भी देखें और जब आप लोगों से मिलने जाएं तो मोबाइल फोन से लोगों को दिखाएं इसको। मैं आशा करता हूं कि ये वीडियो जरूर घर-घर सबको पहुंचाएंगे।
कुछ हमारी बहनें हमसे कुछ सवाल पूछना चाहती हैं। आप जरूर शुरुआत कीजिए।
कर्नाटक महिला मोर्चा की राज्य उपाध्यक्ष रानी संयुक्ता - आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार।
पीएम मोदी - नमस्ते जी। नमस्ते रानी जी।
रानी संयुक्ता – सर मैं बीजेपी की महिला मोर्चा की राज्य उपाध्यक्ष हूं। मैं आपसे एक सवाल करना चाहती हूं। हम आजकल देखते हैं कि महिलाओं पर बहुत तरह के अपराध होते हैं। जब ऐसा होता है तो हम सभी को काफी दुख होता है। तो इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
पीएम मोदी – देखिए रानी जी। आपके सवाल में ही जवाब भी छिपा हुआ है। आपने कहा कि हम इसके लिए हम क्या कर सकते हैं। समाज में हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का इस तरह अहसास हो कि मैं क्या कर सकता हूं। इसी में इतनी बड़ी सामाजिक समस्या का समाधन का रास्ता नजर आएगा। और अगर महिलाओँ के प्रति हिंसा के प्रति समाज में जागृति आए, व्यक्ति में जिम्मेदारी की एक भावना पैदा हो। और ये पैदा होती है परिवार के संस्कार से। ये पैदा होती है बच्चों के अपने शुरुआती दिनों में, परिवार से क्या संस्कार मिल रहे हैं। स्कूल से क्या संस्कार मिल रहे हैं। इस पर काफी कुछ निर्भर करता है।
और इसलिए महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को रोकने का पहला चरण है, परिवार और समाज से मिलने वाले संस्कार। इसको ध्यान में रखते हुए आपको याद होगा कि 15 अगस्त को लाल किले पर से भाषण करते समय मैंने संबोधन में कहा था। हम बेटियों से पचासों सवाल पूछते हैं। बेटी किससे बात कर रही है। क्यों देर से आई है। क्या कर रही है। कौन आया है। लेकिन बेटियों से पूछने वाले हमलोग क्या कभी बेटों से पूछते हैं। कहां जाते हो, कौन तुम्हारे दोस्त हैं, किससे मिलते हो, किससे बात करते हो, रात को देर से क्यों आए, रात को कहां रूके थे, बाहर जा रहे तो किसके यहां ...। बेटों को पूछते ही नहीं है। और बेटों को जब अपने संस्कार अपने मर्यादा का ध्यान रहेगा तब समाज के नियमों का ध्यान रहेगा। वो ऐसी कोई हरकत नहीं करेगा जो समाज पसंद नही करता है, समाज विरोध करता है।
हमारे देश में पारिवारिक स्तर पर, सामाजिक स्तर पर, जीवन के शुरुआत के दिनों में ही ये वातावरण, ये संस्कार बच्चों को सिखाए जाते रहे हैं और सदियों से करते आए हैं। इसमें निश्चित तौर पर परिवार की, मां की, माताओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है। लेकिन फिर भी कुछ लोगों की प्रवृत्ति ऐसी हो जाती है कि उनके लिए नियम कायदे मायने ही नहीं रखते। ऐसे लोगों को कानून का डर दिखाना बहुत जरूरी होता है। और इसीलिए सरकार और प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आपने देखा होगा। अभी हाल ही में एक साथ कई कानूनों को सख्त करने का काम किया है। इंडियन पैनल कोड, सीआरपीसी, पाक्सो समेत कई कानूनों में बदलाव किया है। अब मासूमों से रेप करने वाले को फांसी तक की सजा हो सकती है। कुछ मामलों में न्यूनतम सजा को दस साल से बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है। सरकार इस पर भी ध्यान दे रही है कि दोषी को सजा भी मिले लेकिन जल्द से जल्द मिले। केस का ट्रायल तय समय के भीतर हो। नई फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाई जाए। इसकी कोशिश की जा रही है। इस दिशा में भी काम किया जा रहा है। परिवार का संस्कार, समाज की संस्कृति और न्याय प्रक्रिया की गति भी, इस अपराध पर नियंत्रण के लिए बहुत आवश्यक है। हमारे घर में, हमारे आस-पास जिस प्रकार की सोच को हम समाज के नाते बढ़ावा देते हैं। उसका एक बड़ा असर होता है। इसलिए परिवार से लेकर समाज में जिस भी तरह से संस्कारों को मजबूत करने का काम किया जा सकता है, पूरी संवेदनशीलता के साथ किया जाना चाहिए।
दूसरा कोई पूछना चाहता है।
पीएम मोदी - हां बताइए आशा जी।
महिला मोर्चा, बैंगलुरू की जिला महासचिव आशा राव – महिला मोर्चा की तरफ से और मेरी तरफ से आपको मेरा प्रणाम।
पीएम मोदी – नमस्ते।
आशा राव – मोदी जी मेरा प्रश्न ये है। हमारी केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए बहुत काम किया है लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार बहुत गलतफहमी फैला रही है। हम इसके बारे में लोगों अपना द्वारा किए गए काम कैसे बता सकते हैं।
पीएम मोदी – देखिए आशा जी। कांग्रेस अगर झूठ नहीं फैलाएगी तो उनकी गाड़ी कैसे चलेगी। उनके लिए यही एक धारा बचा है, यही एक सहारा बचा है। जहां जाओ, झूठ बोलो। और इसके कारण वो अपनी विश्वसनीयता तो खो ही रहे हैं लेकिन समाज को निराश करने का एक बहुत ही बुरा काम भी कर रहे हैं। खैर हमें अपना समय उसमें बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपका सवाल इतना महत्वपूर्ण है कि मुझे लगता है कि मुझे विस्तार से इस बात को समझाना चाहिए।
देखिए ये सही है कि अलग-अलग सरकारें अपने हिसाब से योजनाएं बनाती हैं और उसे लागू करती हैं।
लेकिन आपने देखा होगा कि अलग-अलग सरकारों के समय योजनाओं का एंड रिजल्ट बदल जाता है। ये एंड रिजल्ट बदलता है एप्रोच बदलने से। जब सही नियत होती है तो सही विकास होता है और जनता का विश्वास भी बढ़ता है।
चार दिशाओं में चार अलग-अलग तरह की योजनाएं वैसे नतीजे नहीं ला सकती है जैसी एक दिशा में एक लक्ष्य के साथ चारों योजनाओं को सामूहिक रूप से जुटाए जाएं तो एक नई शक्ति पैदा होती है।
महिला सशक्तीकरण के लिए पहले भी कई योजनाएं बनी लेकिन सभी की एक दिशा नहीं थी। वो महिलाओँ की छोटी-छोटी आवश्यकताओं से जुड़ी हुई नहीं थी।
इसलिए भारतीय जनता पार्टी सरकार ने एक नई एप्रोच के साथ काम करना शुरू किया। हमारी सरकार ने उस समय से लेकर जब महिला गर्भधारण करती है, फिर प्रसव, बच्चों का जन्म, उसकी पढ़ाई, उसका करियर, एक तरह से जन्म से लेकर मृत्यु तक यानी जीवन के हर पढ़ाव का ध्यान में रखते हुए सरकार उसे कहां उपयोगी हो सकती है, सरकार उसके कहां मददगार हो सकती है। उसकी गति को और आगे बढ़ाने में हम कैसे काम आ सकते हैं। हमने सारी योजनाओं को इस प्रकार से केंद्रित किया है।
जैसे पहला पढ़ाव – गर्भावस्था। अगर मैं जीवन के पहले पड़ाव गर्भावस्था से भी शुरू करूं तो हमारी सरकार ने हेल्थ से लेकर मेटरनिटी लीव तक कई योजनाएं शुरू की ताकि उसकी प्रेगनेंसी सेफ हो, प्रसव के बाद सभी आवश्यक सुविधाएं मिले। और उनका जीवन तनाव से मुक्त हो, तनाव रहित हो। इसमें भी सबसे पहली प्राथमिकता इस बात को दी कि गर्भधारण के बाद बेटी को गर्भ में ही न मार दिया जाए। ये समाज की विकृति है। हमने गर्भ में पल रही बेटी की रक्षा के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ बेटी बचाओ योजना शुरू की। इससे लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है। और इस तरह की सामाजिक बुराइयों को खत्म करने में मदद मिल रही है।
कई जेंडर सेंस्टिव जिलों में बेटी बचाओ आंदोलन के बाद जन्म के समय जो सेक्स रेशियो में उल्लेखनीय सुधार आज नजर आ रहा है। इस साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस योजना को कुछ जिलों से बढ़ाकरके पूरे देश के सभी जिलों में लागू कर दिया गया है।
इसी तरह, गर्भावस्था के दौरान महिला का स्वास्थ्य ठीक रहे, उसे पोषण युक्त भोजन मिले, दवाएं मिले, इसका भी ध्यान सरकार रख रही है। इसके लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना शुरू की गई। इसके तहत, पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मां को 6000 रुपये देने की व्यवस्था की गई है। इस योजना के माध्यम से सिर्फ इस साल 2000 करोड़ से अधिक की राशि जारी की गई है।
गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य जांच में इसके लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, ये कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत एक करोड़ से अधिक प्रेगनेंसी चेकअप किए गए हैं। सेफ प्रेगनेंसी सुनिश्चित करने के लिए लाखों टेस्ट किए गए हैं। इतना ही नहीं, दूरदराज इलाके में रहने वाली गर्भवती महिलाओँ को समय पर टीका लगे। इसे ध्यान में रखते हुए मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण अभियान भी चलाया गया। इसके माध्यम से देश में80 लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया।
हमारे देश में मैटरनिटी बेनिफिट से लकेर लीव तक व्यवस्था बनी है। वो विश्व के बड़े-बड़े समृद्ध देशों में भी नहीं पाई जाती है।
कुछ दिनों पहले ही सरकार द्वारा राष्ट्रीय पोषण मिशन लांच किया गया है। इसका भी बड़ा लाभ हमारी माताओं-बहनों को मिलेगा।
अब दूसरे पड़ाव की बातचीत करना चाहता हूं – शिक्षा।
गर्भावस्था से जुड़े तमाम विषयों के साथ ही हमारी सरकार ने बेटियों की शिक्षा पर ध्यान दिया। बेटी बचाओ बेटी पढाओ। इस योजना का लाभ इस चरण में भी मिला। इससे समाज में बेटियों को पढ़ाने को लेकर नई जागरूकता आई है। बेटा-बेटी एक समान ये भाव परिवार का मंत्र बनता जा रहा है। सरकार द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढाओं के तहत कई योजनाएं और छात्रवृत्तियां भी शुरू की गई है।
इसके साथ ही हमने स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्कूलों में लाखों शौचालय बनाए। विशेष रूप से ये सुनिश्चित करने के लिए कि अलग-अलग शौचालयों की कमी के कारण बेटियों को स्कूल जाने में समस्या न हो। बेटियों को आगे पढ़ने में दिक्कत न हो।
इसके लिए वित्तीय मदद के लिए हमने सुकन्या सम़ृद्धि योजना शुरू की। इस योजना के माध्यम से आप बेटियों के 18 वर्ष की उम्र तक बड़ी राशि जमा कर सकते हैं। इस योजना के तहत पूरे देश में सवा करोड़ से ज्यादा बेटियों के खाते खोले गए जिसमें करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपए की करीब राशि जमा है। ये राशि हमारी बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए है।
अब मैं तीसरे पड़ाव की बात करता हूं। बेटियों की पढ़ाई हो गई। अब बेटियों का करियर। हमारे देश की बेटियां अपना करियर खुद बना सकें। खुद अपने सपने पूरा कर सके। इसका भी ध्यान इस सरकार ने रखा है। मैं विशेषकर प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का जिक्र करना चाहता हूं। इस योजना के तहत 12 करोड़ लोन स्वीकृत कर चुकी है। बिना बैंक गारंटी लोगों को 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन दिया गया है। बहुत महत्वपूर्ण बात ये है कि मुद्रा योजना के माध्यम से आर्थिक मदद पाने वालों में से 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं और हमारी बेटियां हैं। गर्व होता है सुनकरके। इस योजना की सफलता ये भी साबित कर रही है कि हमारे देश में महिलाएं किस तरह पुरानी बेड़ियों को तोड़कर स्वरोजगार के लिए आगे आ रही है। अब इस बजट में सरकार ने मुद्रा योजनाओं के तहत 3 लाख करोड़ कर्ज देने का एक और नया लक्ष्य रखा है।
महिलाओं को जॉब क्रिएटर बनने का एक विकल्प स्टैंड अप इंडिया योजना में भी मिला है। ये लोन लेकर भी वो अपना खुद का बिजनस शुरू कर सकती हैं। इन योजनाओं के तहत महिलाओं को 50 हजार रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का कर्ज दिया जा रहा है। महिलाओं को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले, उनकी टेक होम सेलरी बढ़े। इसके लिए भी इस बजट में एक बहुत बड़ा फैसला किया गया है। एक बहुत बड़ा निर्णय किया गया है। अगर नई महिला कर्मचारियों की 3 वर्ष के लिए ईपीएफ योगदान 12 प्रतिशत से कम करके 8 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि इस अवधि में नियोक्ता का योगदान 12 प्रतिशत ही रहेगा।
आपको ये जानकर के खुशी होगी कि सरकार की स्किल डेवलपमेंट योजनाओँ का लाभ पाने वालों में 50 प्रतिशत से अधिक हमारी बेटियां है, हमारी महिलाएं हैं।
कामकाजी महिलाएं अपने नवजात बच्चे की शुरुआती और महत्वपूर्ण दिनों में उसकी बहुत अच्छे तरीके से देखभाल कर सके। इसके लिए भी हमारी सरकार ने कानून में बदलाव किया है। पहले जो छुट्टी 12 हफ्ते मिलती थी, उसे बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया है। करीब-करीब छह महीने। आपको ध्यान होगा कि कामकाजी महिलाओं को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने फैक्टरी एक्ट में बदलाव किया था। और राज्यों से कहा है कि महिलाओं को रात में भी काम करने की सुविधा मिलनी चाहिए।
चौथा पड़ाव - बढ़ती आयु के साथ अगर जीवन की मैं अगले पड़ाव की बात करूं तो बढ़ती आयु के समय सरकार प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के साथ महिलाओँ के साथ खड़ी है। इसके तहत सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपए महीने के प्रीमियम पर महिलाओं को भी सुरक्षा कवच दिया जा रहा है। सरकार ने अटल पेंशन योजना का भी विकल्प उपलब्ध कराया है। अगर आप इन सारे फैसलों और योजनाओं को एक बड़े दायरे में रखकर देखेंगे, एक बड़े कैनवास में देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे हमारी सरकार हमारी महिलाओं की, बेटियों की, बहनों की छोटी-छोटी आवश्यकताओं को समझकर, उनकी चिंताओं को समझकर जीवन के हर पड़ाव पर, जीवन के हर मोड़ पर बेटियों का साथ खड़ी है।
स्वच्छ भारत मिशन से भी महिलाओं को भी सुविधा मिली है। सम्मान मिला है, उनका हक मिला है। देश में ग्रामीण स्वच्छता का दायरा लगभग 40 प्रतिशत से बढ़कर अब 80 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया है। हमारी सरकार ने मिशन मोड में हर सरकारी स्कूल में लड़कियों के लिए भी अलग शौचालय बनाने का काम पूरा कर लिया है। इससे सुरक्षा तो बढ़ी है। इससे स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या में कमी आई है।
कर्नाटक के कुछ इलाकों में पानी की किल्ल्त को देखते हुए मैं एक और बात याद दिलाना चाहता हूं। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री निवास पर कुछ उज्ज्वला लाभार्थी महिलाओं से मिला था। वहां पर पता चला कि उज्ज्वला योजना पानी की भी बचत कर रही है। कोयले या लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने के दौरान जो बर्तन काले हो जाते थे। गंदे हो जाते थे, उन्हें साफ करने में समय और पानी दोनों ज्यादा लगते थे। इस समय का इस्तेमाल महिलाएं घर और बाहर के काम में कर रही है। अब कोई महिला चाहे वो होम मेकर बनना चाहे, जॉब सीकर बनना चाहे या जॉब क्रिएटर बनना चाहे, वो जो कुछ भी करना चाहती है। हमारी सरकार हर कदम पर उनके हर निर्णय में दृढ़ता के साथ महिलाओं के साथ, बेटियों के साथ खड़ी है। उनकी सफलता के लिए उन्हें सक्षम बना रही है। महिलाओं का सशक्तीकरण। मेरा आग्रह है कि आप कर्नाटक में अन्य महिलाओं के पास जाएं। उन्हें बताएं बीजेपी सरकार हर वक्त, हर कदम पर उनके साथ खड़ी है और उनके सपने पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
पीएम मोदी – हां पूछिए। हां बताइए।
पीएम मोदी – चित्रदुर्ग से क्या पूछ रहे हैं। हां बताइए। शायद रतनम्मा की आवाज नहीं सुनाई दे रही है लेकिन उन्होंने शायद मेरे यहां MyGov पर जो लिखा दिख रहा है कि भारत के भविष्य में महिला की क्या भूमिका है। इस पर आप क्या कहेंगे।
पीएम मोदी - महिलाएं हमारा भविष्य नहीं देश का वर्तमान भी सुधार रही है। हर क्षेत्र में उनका योगदान गर्व करने वाला है। चाहे वह ओलंपिक हो या कॉमनवेल्थ गेम्स हो, हमारी महिलाएं, हर जगह देश का नाम रोशन कर रही हैं। आपने देखा ही होगा कि अब आर्मी में भी महिलाएं कंट्रीब्यूट कर रही हैं जो उनकी प्रगति को दर्शाता है। आज महिलाएं इंटरपेन्योर्स बन रही है। हम महिलाओं को इंटरपेन्योरशिप में मजबूत बनाना चाहते हैं। हमारी सरकार ने मुद्रा योजना शुरू की। और महिलाओँ को रोजगार शुरू करने के लिए लोन दिया। उससे अब महिलाएं अपना रोजगार चला रही है और अपने बल पर आगे बढ़ रही है। कर्नाटक सरकार की साइट पर ...।
सितब्ब जोड़त्ती। हम सबके लिए मिसाल है। प्रेरणा का स्रोत हैं। महिला सशक्तीकरण की देवी ऐसे ही नहीं कहा गया है। पिछले तीन दशकों से बेड़बाड़ में इन्होंने अनगिनत महिलाओं का जीवन बदलने में महान योगदान दिया है। बचपन से ही जीवन संघर्ष से भरा रहा। फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी और आगे चलकर दलित महिलाओं के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन खपा दिया। ये महिला एवं बाल अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ कानूनी और आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराती है। इस साल हमारे लिए गर्व की बात है। इस साल हमारी सरकार ने सितब्ब जोड़ती जी की पद्मश्री दिया है। जब उनका नाम पद्मश्री के लिए आया तो सारे हिन्दुस्तान में आश्चर्य हुआ।
लेकिन ये हमारी सरकार की सोच है कि दूर-सुदूर कोने में भी कोई काम होता है तो हम चाहते हैं कि उनका सम्मान होना चाहिए।
मैं विशेष रूप से कर्नाटक की सुलगट्टी नरम्मा की बात अवश्य करना चाहूंगा। जीवन के 97 बसंत देखने के बाद भी सुलगट्टी नरसम्मा गरीब गर्भवती महिलाओं की जिस तरह से आज भी सेवा कर रही हैं। उसका दूसरा उदाहरण मिलना कठिन है। पेशे से तो खेतों में परिश्रम करती है लेकिन परंपरागत रूप से डिलीवरी कराने में इतनी महारत हासिल कर ली है कि उनके क्षेत्र की जरूरतमंद महिलाओं को आवश्यकता पड़ने पर मात्र उन्हीं का नाम याद आता है। लगभग 70 वर्षों से बिना आधुनिक मेडिकल सुविधाओँ के ही सेवाएं दे रही है। इसके लिए वो कोई पैसे भी नहीं लेती हैं। सुलगट्टी नरसम्मा ने अब तक 15 हजार से अधिक डिलीवरी सफलतापूर्वक संपन्न कराई है। गरीब महिलाओं के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए उन्हें भी इस वर्ष हमारी सरकार ने पद्मश्री सम्मान दिया है।
मैं आपको ये भी याद दिलाना चाहता हूं कि देश में पहली बार सेना में काम्बेट रोल में महिलाओं की नियुक्ति का फैसला भी हमारी ही सरकार के द्वारा लिया गया है। केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस फोर्स में महिलाओँ को 33 प्रतिशत आरक्षण का भी फैसला इसी सरकार द्वारा लिया गया है।
हमारी सरकार ने पासपोर्ट के नियमों में भी बदलाव किया है। अब महिलाओँ को पासपोर्ट बनवाने के लिए शादी या तलाक का सर्टिफिटेक देना अनिवार्य नहीं है।
हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में घर की रजिस्ट्री भी महिलाओं के नाम पर कराए जाने का ...। उसको प्राथमिकता दी है।
ये नारी शक्ति के प्रति हमारा कंप्लीट एंड कम्प्रेहेंसिव कमिटमेंट है। हम नारी शक्ति के जीवन में हर पड़ाव पर उनके साथ हैं। आज हमारी नारी शक्ति ने अपने कार्यों से, आत्मबल से, आत्म विश्वास का परिचय दिया है, स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने खुद को तो आगे बढ़ाया ही है। साथ ही देश और समाज को भी आगे बढ़ाने और एक नए मुकाम पर ले जाने का काम किया है।
जब देश में महिला का कंट्रीब्यूशन बढ़ता है, तब देश का विकास सुनिश्चित हो जाता है। आखिर हमारा न्यू इंडिया का सपना यही तो है। जहां नारी सशक्त हो, सबल हो और देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो।
और इसलिए मैं कर्नाकट की महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं से चुनाव के दिनों में ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। आपका भी अब राउंड तय हुआ होगा। आपको जाना होगा। घर-घर पहुंचना होगा। लोगों को कमल के निशान से परिचय कराना होगा। कमल के निशान के आगे कैसे बटन दबाना, वो सीखाना होगा। जलपान से पहले मतदान, ये लोगों के दिमाग में फिट करना होगा। परिवार में माताएं तय करें कि जब तक वोट करके नहीं आओगे तो सुबह की चाय नहीं मिलेगी, सुबह का खाना नहीं मिलेगा। देखिए कितना बड़ी रिवोल्यूशन होता है।
और क्या आप तय कर सकते हैं कि जिस पोलिंग बूथ में आप काम कर रहे हैं। पुरुषों से महिलाओं की वोटिंग आप ज्यादा करवाएंगी। अगर पुरुष 350 वोट डालने जाते हैं तो महिलाएं 400 वोट डालने वाली होगी। अगर पुरुष 500 वोट डालने जाते हैं तो महिलाएं साढ़े पांच सौ, 600 वोट डालने जाएगी। आप ये मन में ठान लीजिए। स्पर्धा का भाव बनाइए। महिलाओं को निर्णय करने दीजिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिलाओं को आगे लाने के लिए प्रेरित करिए।
यही एक भावना के साथ मैं पिछले कुछ दिनों से कर्नाटक में भ्रमण कर रहा हूं। कर्नाटक में अदभुत नजारा है, उमंग है। मैं माताओं बहनों की भागीदारी इतनी बड़ी देखता हूं तो बहुत मन को आनंद होता है। यही सक्रिय भागीदारी हमारे कर्नाटक का भविष्य उज्ज्वल बनाएगी। बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद।