ଆର୍ଥିକ ବ୍ୟାପାର ସଂକ୍ରାନ୍ତ କ୍ୟାବିନେଟ ସମିତି (ସିସିଇଏ) ଏକ କେନ୍ଦ୍ରୀୟ କ୍ଷେତ୍ରର ଯୋଜନା ଭାବେ ‘ପ୍ରସାରଣ ଭିତ୍ତିଭୂମି ଓ ନେଟୱର୍କ ବିକାଶ (ବ୍ରଡକାଷ୍ଟିଂ ଇନଫ୍ରାଷ୍ଟ୍ରକ୍ଚର ଏଣ୍ଡ ଟେନୱର୍କ ଡେଭଲପମେଣ୍ଟ-ବିଆଇଏନଡି)’କୁ ଅନୁମୋଦନ କରିଛି। ଏ ସଂକ୍ରାନ୍ତରେ ସୂଚନା ଓ ପ୍ରସାରଣ ମନ୍ତ୍ରଣାଳୟ ପକ୍ଷରୁ ଦିଆଯାଇଥିବା ପ୍ରସ୍ତାବକୁ ମଞ୍ଜୁର କରାଯାଇଛି। ଏହି ଯୋଜନା ମାଧ୍ୟମରେ ପ୍ରସାର ଭାରତୀ- ଅର୍ଥାତ୍‌ ଅଲ ଇଣ୍ଡିଆ ରେଡିଓ (ଏଆଇଆର) ଏବଂ ଦୂରଦର୍ଶନ (ଡିଡି) ପାଇଁ ଭିତ୍ତିଭୂମି ବିକାଶ କରାଯିବ। ଯୋଜନାରେ ମୋଟ୍‌ ୨୫୩୯.୬୧ କୋଟି ଟଙ୍କା ଖର୍ଚ୍ଚ ହେବ।  ପ୍ରସାର ଭାରତୀର ପ୍ରସାରଣ ଭିତ୍ତିଭୂମି ସମ୍ପ୍ରସାରଣ ଓ ଉନ୍ନତିକରଣ, ବିଷୟବସ୍ତୁ ବିକାଶ ଓ ସଂଗଠନର ସିଭିଲ କାର୍ଯ୍ୟ ଆଦି ପାଇଁ ଆର୍ଥିକ ସହାୟତା ଯୋଗାଇ ଦେବା ଲାଗି ମନ୍ତ୍ରଣାଳୟ ଦ୍ବାରା ବ୍ରଡକାଷ୍ଟିଂ ଇନଫ୍ରାଷ୍ଟ୍ରକ୍ଚର ଏଣ୍ଡ ଟେନୱର୍କ ଡେଭଲପମେଣ୍ଟ (ବିଆଇଏନଡି) ଯୋଜନାର ପରିକଳ୍ପନା କରାଯାଇଛି।

 

ପ୍ରସାର ଭାରତୀ ହେଉଛି ଦେଶର ସାର୍ବଜନୀନ ବା ଲୋକ ସେବା ପ୍ରସାରଣକାରୀ ସଂଗଠନ। ଏହି ସଂଗଠନ ଦୂରଦର୍ଶନ ଓ ଆକାଶବାଣୀ ମାଧ୍ୟମରେ ଦେଶର ଦୂର ସୁଦୂରବର୍ତ୍ତୀ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଶିକ୍ଷା, ସୂଚନା, ମନୋରଞ୍ଜନ ଓ ସହଭାଗିତାର ସବୁଠୁ ବଡ଼ ସାଧନ ଯୋଗାଇ ଦେଉଛି। ପ୍ରସାର ଭାରତୀ କୋଭିଡ ମହାମାରୀ ସମୟରେ ସାର୍ବଜନୀନ ସ୍ବାସ୍ଥ୍ୟ ବାର୍ତ୍ତାର ପ୍ରସାରଣ ଓ ଜନସାଧାରଣଙ୍କୁ ସଚେତନ କରିବା ଦିଗରେ ମହତ୍ବପୂର୍ଣ୍ଣ ଭୂମିକା ନିର୍ବାହ କରିଥିଲା।

ବିଆଇଏନଡି ଯୋଜନା ଏହି ସାର୍ବଜନୀନ ପ୍ରସାରଣକାରୀ ସଂଗଠନକୁ ଉନ୍ନତ ମୌଳିକ ଭିତ୍ତିଭୂମି ସହିତ ନିଜସ୍ବ ସୁବିଧାକୁ ବ୍ୟାପକ ଭାବେ ଉନ୍ନତିକରଣ କରିବା ଲାଗି ସକ୍ଷମ କରିବ। ଫଳରେ ବାମପନ୍ଥୀ ଉଗ୍ରବାଦ ପ୍ରଭାବିତ କ୍ଷେତ୍ର, ସୀମାବର୍ତ୍ତୀ ଓ ରଣନୈତିକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଏହାର ପ୍ରସାରଣ ବୃଦ୍ଧି ପାଇବ। ଶ୍ରୋତା ଓ ଦର୍ଶକମାନେ ଉଚ୍ଚ ଗୁଣବତ୍ତାଯୁକ୍ତ କଣ୍ଟେଣ୍ଟ ବା ବିଷୟବସ୍ତୁ ପାଇପାରିବେ। ଏହି ଯୋଜନାର ଆଉ ଏକ ପ୍ରାଥମିକତା ଆଧାରିତ କ୍ଷେତ୍ର ହେଉଛି - ଘରୋଇ ଓ ଅନ୍ତର୍ଜାତୀୟ ଉଭୟ ଦର୍ଶକଙ୍କ ପାଇଁ ଉଚ୍ଚ ଗୁଣବତ୍ତାଯୁକ୍ତ କଣ୍ଟେଣ୍ଟ ବିକଶିତ କରିବା ଏବଂ ଅଧିକ ଘରୋଇ ଚ୍ୟାନେଲକୁ ସାମିଲ କରିବା ଲାଗି ଡିଟିଏଚ ପ୍ଲାଟଫର୍ମର କ୍ଷମତା ବିକାଶ। ଏହାଦ୍ବାରା ଦର୍ଶକଙ୍କ ପାଇଁ ବିବିଧ ବିଷୟବସ୍ତୁ ଓ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମର ଉପଲବ୍ଧତା ସୁନିଶ୍ଚିତ ହୋଇପାରିବ। ଓଭି ଭ୍ୟାନ୍‌ କ୍ରୟ ଏବଂ ଡିଡି ଓ ଆକାଶବାଣୀ ଷ୍ଟୁଡିଓକୁ ଏଚଡି ସ୍ତରରେ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିବା ଲାଗି ଡିଜିଟାଲ ଉନ୍ନତିକରଣକୁ ମଧ୍ୟ ଏହି ପରିଯୋଜନାର ଅଂଶବିଶେଷ ଭାବେ ସାମିଲ କରାଯିବ।

ବର୍ତ୍ତମାନ, ଦୂରଦର୍ଶନ ୨୮ଟି ଆଞ୍ଚଳିକ ଚାନେଲ ସହିତ ୩୬ଟି ଟିଭି ଚାନେଲ ପରିଚାଳନା କରୁଛି ଏବଂ ଅଲ ଇଣ୍ଡିଆ ରେଡିଓ ୫୦୦ରୁ ଅଧିକ ପ୍ରସାରଣ କେନ୍ଦ୍ର ପରିଚାଳନା କରିଥାଏ। ଏହି ଯୋଜନା ଦେଶରେ ଏଆଇଆର ଏଫଏମ ଟ୍ରାନ୍ସମିଟର କଭରେଜକୁ ଭୌଗଳିକ କ୍ଷେତ୍ର ଅନୁସାରେ ୫୯ ପ୍ରତିଶତରୁ ବଢ଼ାଇ ୬୬ ପ୍ରତିଶତ ଏବଂ ଜନସଂଖ୍ୟା ହିସାବରେ ୬୮ ପ୍ରତିଶତରୁ ବଢ଼ାଇ ୮୦ ପ୍ରତିଶତ କରି ଦେବ। ଏହି ଯୋଜନାରେ ଦୂରବର୍ତ୍ତୀ, ଜନଜାତୀୟ, ବାମପନ୍ଥୀ ଉଗ୍ରବାଦ (ଏଲଡବ୍ଲୁଇ) ପ୍ରଭାବିତ, ସୀମାବର୍ତ୍ତୀ କ୍ଷେତ୍ର ଓ ଆକାଂକ୍ଷୀ ଜିଲ୍ଲାରେ ରହୁଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କୁ ୮ ଲକ୍ଷ ଡିଡି ଫ୍ରି ଡିଶ ଡିଟିଏଚ ସେଟଅପ ବକ୍ସ (ଡିଟିବି) ନିଃଶୁଳ୍କ ବିତରଣ କରାଯିବାକୁ ପରିକଳ୍ପନା କରାଯାଇଛି।

ସାର୍ବଜନୀନ ପ୍ରସାରଣ ପରିଧିକୁ ବଢ଼ାଇବା ବ୍ୟତୀତ, ପ୍ରସାରଣ ଉପକରଣ ଯୋଗାଣ ଓ ପ୍ରତିଷ୍ଠା ସହ ଜଡ଼ିତ ନିର୍ମାଣ ଓ ସେବା ମାଧ୍ୟମରେ ପରୋକ୍ଷ ରୋଜଗାର ସୃଷ୍ଟି ହେବାର ସମ୍ଭାବନା ରହିଛି। ଟିଭି/ରେଡିଓ ପ୍ରଯୋଜନା, ଟ୍ରାନ୍ସମିଶନ ଓ ଆନୁସଙ୍ଗିକ ମିଡିଆ ସହ ଜଡ଼ିତ ସେବା ସମେତ ବିଭିନ୍ନ ବିଷୟବସ୍ତୁ ଓ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ପ୍ରସ୍ତୁତି କ୍ଷେତ୍ରରେ ଅଭିଜ୍ଞ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କ ନିମନ୍ତେ ପରୋକ୍ଷ ରୋଜଗାର ସୃଷ୍ଟି ହେବାର ଯଥେଷ୍ଟ ସମ୍ଭାବନା ରହିଛି। ଏହାବ୍ୟତୀତ, ଡିଡି ଫ୍ରି ଡିଶର ପ୍ରସାର ବିସ୍ତାର ପ୍ରକଳ୍ପ ଜରିଆରେ ଡିଡି ଫ୍ରି’ ଡିଶ ଡିଟିଏଚ ବକ୍ସ ନିର୍ମାଣରେ ମଧ୍ୟ ରୋଜଗାର ସୁଯୋଗ ସୃଷ୍ଟି ହେବ ବୋଲି ଆଶା କରାଯାଉଛି।

ଭାରତ ସରକାର ଦୂରଦର୍ଶନ ଓ ଆକାଶବାଣୀ (ପ୍ରସାରଣ ଭାରତୀ)ର ମୌଳିକ ଭିତ୍ତିଭୂମି ଓ ସେବାର ବିକାଶ, ଆଧୁନିକୀକରଣ ଓ ଦୃଢ଼ତା ପ୍ରତି ନିଜର ପ୍ରତିବଦ୍ଧତାକୁ ଦୋହରାଉଛନ୍ତି ଏବଂ ଏହା ଏକ ନିରନ୍ତର ପ୍ରକ୍ରିୟା ଅଟେ।

 

  • Prof Sanjib Goswami February 16, 2025

    While surfing the net, my eyes fell on a Jan 2023 news. Never in history of Bharat has a ministry reshuffle taken place in parliament recess, yet media made a news. That's their credibility. ❌️
  • Gireesh Kumar Upadhyay February 25, 2024

    bjp
  • Gireesh Kumar Upadhyay February 25, 2024

    bjp
  • Gireesh Kumar Upadhyay February 25, 2024

    modi
  • Gireesh Kumar Upadhyay February 25, 2024

    .
  • Pt Deepak Rajauriya jila updhyachchh bjp fzd December 23, 2023

    जय हिन्द
  • Bhaikan arandhara January 17, 2023

    সুন্দৰ পদক্ষেপ
  • A. Sakthikumar January 10, 2023

    எல்லைகள் விரியட்டும் எல்லோருக்கும் தர்ஷன் கிடைக்கட்டும்
  • CHANDRA KUMAR January 07, 2023

    Double Spirals Cone Economy (द्वि चक्रीय शंकु अर्थव्यवस्था) वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को नई आकृति प्रदान करने की जरूरत है। अभी भारतीय अर्थव्यवस्था वृत्ताकार हो गया है, भारतीय किसान और मजदूर प्राथमिक वस्तु का उत्पादन करता है, जिसका कीमत बहुत कम मिलता है। फिर उसे विश्व से महंगी वस्तु खरीदना पड़ता है, जिसका कीमत अधिक होता है। इस चक्रीय अर्थव्यवस्था में प्राथमिक सस्ता उत्पाद विदेश जाता है और महंगा तृतीयक उत्पाद विदेश से भारत आता है। यह व्यापार घाटा को जन्म देता है। विदेशी मुद्रा को कमी पैदा करता है। अब थोड़ा अर्थव्यवस्था को आकृति बदलकर देखिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था का आकृति बदलना आसान है। लेकिन भारत सरकार अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ाने के प्रयास में लगा है, वह भी विदेशी निवेश से, यह दूरदर्शिता नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था में दो तरह की मुद्रा का प्रचलन शुरू करना चाहिए, 80% मुद्रा डिजिटल करेंसी के रूप में और 20% मुद्रा वास्तविक मुद्रा के रूप में। 1. इसके लिए, भारत सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन के रूप में 80% वेतन डिजिटल करेंसी में और 20% वेतन भारतीय रुपए में दिया जाए। 2. अनुदान तथा ऋण भी 80% डिजिटल करेंसी के रूप में और 20% भारतीय रुपए के रूप में दिया जाए। 3. इसका फायदा यह होगा कि भारतीय मुद्रा दो भागों में बंट जायेगा। 80% डिजिटल करेंसी से केवल भारत में निर्मित स्वदेशी सामान ही खरीदा और बेचा जा सकेगा। 4. इससे स्वदेशी वस्तुओं का उपभोग बढ़ेगा, व्यापार घाटा कम होगा। 5. महंगे विदेशी सामान को डिजिटल करेंसी से नहीं खरीदा जा सकेगा। 6. वर्तमान समय में सरकारी कर्मचारी अपने धन का 70 से 80% का उपयोग केवल विदेशी ब्रांडेड सामान खरीदने में खर्च होता है। इससे घरेलू अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और सरकार का अधिकतम धन विदेशी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करता है। इसीलिए भारत सरकार को चाहिए की जो वेतन सरकारी कर्मचारियों को दिया जा रहा है उसका उपयोग घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जाना चाहिए। 7. भारत के उद्योगपति और अत्यधिक संपन्न व्यक्ति अपने धन का उपयोग स्वदेशी वस्तुओं को खरीदने में करे। व्यर्थ का सम्मान पाने के लिए विदेशी ब्रांड पर पैसा खर्च न करे। इसके लिए भी, यह अनिवार्य कर दिया जाए कि यदि किसी व्यक्ति को 20% से अधिक का लाभ प्राप्त होता है तो उसके लाभ का धन दो भागों में बदल दिया जायेगा, 80% भाग डिजिटल करेंसी में और 20% भाग वास्तविक रुपए में। 8. वर्तमान समय में जब वैश्विक मंदी दस्तक देने वाला है, ऐसी समय में भारतीयों को ब्रांडेड वस्तुओं को तरफ आकर्षित होने के बजाय, घरेलू अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए, स्वदेशी वस्तुओं का खरीद करना चाहिए। इससे रोजगार सृजन होगा। अब थोड़ा समझते हैं, द्वि चक्रीय शंकु अर्थव्यवस्था को। 1. इसमें दो शंकु है, एक शंकु विदेशी अर्थव्यवस्था को दर्शाता है, और दूसरा शंकु घरेलू अर्थव्यवस्था को दर्शाता है। 2. दोनों शंकु के मध्य में भारत सरकार है, जिसे दोनों अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना चाहिए। यदि आप नाव को नियंत्रित नहीं करेंगे, तब वह नाव दिशाहीन होकर समुद्र में खो जायेगा, इसका फायदा समुद्री डाकू उठायेगा। 3. भारत सरकार को चाहिए की वह दोनों शंकु को इस तरह संतुलित करे की , धन का प्रवाह विदेश अर्थव्यवस्था की तरफ नकारात्मक और घरेलू अर्थव्यवस्था की तरफ सकारात्मक हो। 4. इसके लिए, भारत सरकार को चाहिए की वह अपना बजट का 80% हिस्सा डिजिटल करेंसी के रूप में घरेलू अर्थव्यवस्था को दे, जबकि 20% छपाई के रुपए के रूप में विदेशी अर्थव्यवस्था हेतु उपलब्ध कराए। 5. घरेलू अर्थव्यवस्था को विदेशी अर्थव्यवस्था से अलग किया जाए। विदेशी वस्तुओं की बिक्री हेतु भारत में अलग स्टोर बनाने के लिए बाध्य किया जाए। विदेशी वस्तुओं को खरीदने के लिए अलग मुद्रा (छपाई के रुपए) का इस्तेमाल को ही स्वीकृति दिया जाए। 6. जब दूसरा देश दबाव डाले की हमें भारत में व्यापार करने में बढ़ा उत्पन्न किया जा रहा है, तब उन्हें स्पष्ट कहा जाना चाहिए की हम अपने देश में रोजगार सृजन करने , भुखमरी को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। 7. दूसरे देशों के राष्ट्रध्यक्ष को धोखा देने के लिए, उन्हें कहा जाए की अभिभ्रात में लोकसभा चुनाव है। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही भारतीय अर्थव्यवस्था आप सभी के लिए खोल देंगे, ताकि विदेशियों को भारत में व्यापार करना सुगम हो जाए। 8. अभी भारतीय श्रमिक और मजदूर स्पाइरल शंकु के सबसे नीचे है और एक बार हाथ से पैसा बाजार में खर्च हो गया तो अगले कई दिनों बाद अथवा अगले वर्ष ही पैसा हाथ में आता है। क्योंकि कृषि उत्पाद वर्ष में 2 बार हो बेचने का मौका मिलता है किसानों को। 9. spiral cone में पैसा जितनी तेजी से निम्न वर्ग से उच्च वर्ग को तरफ बढ़ता है, उतनी ही तेजी से निम्न वर्ग का गरीबी बढ़ता है, परिणाम स्वरूप स्वदेशी अर्थव्यवस्था का शंकु का शीर्ष छोटा होता जाता है और निम्न वर्ग का व्यास बढ़ता जाता है। 10. भारत सरकार को अब अनुदान देने के बजाय, निवेश कार्य में धन लगाना चाहिए। ताकि घरेलू अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो। 11. अभी भारत सरकार का पैसे जैसे ही भारतीय श्रमिक, भारतीय नौकरशाह को मिलता है। वैसे ही विदेशी कंपनियां, ब्रांडेड सामान का चमक दिखाकर( विज्ञापन द्वारा भ्रमित कर), उस धन को भारतीय घरेलू अर्थव्यवस्था से चूस लेता है और विदेश भेज देता है। 12. ऐसा होने से रोकने के लिए, भारतीयों को दो प्रकार से धन मुहैया कराया जाए। ताकि विदेशी ब्रांडेड सामान खरीद ही न पाए। जो भारतीय फिर भी अपने धन का बड़ा हिस्सा विदेशी सामान खरीदने का प्रयास करे उन्हें अलग अलग तरीके से हतोत्साहित करने का उपाय खोजा जाए। 13. भारत में किसी भी वस्तु के उत्पादन लागत का 30% से अधिक लाभ अर्जित करना, अपराध घोषित किया जाए। इससे भारतीय निम्न वर्ग कम धन में अधिक आवश्यक सामग्री खरीद सकेगा। 14. विदेश में कच्चा कृषि उत्पाद की जगह पैकेट बंद तृतियक उत्कृष्ट उत्पाद भेजा जाए। डोमिनोज पिज्जा की जगह देल्ही पिज्जा को ब्रांड बनाया जाए। 15. कच्चा धात्विक खनिज विदेश भेजने के बजाय, घरेलू उद्योग से उत्कृष्ट धात्वीक सामग्री बनाकर निर्यात किया जाए। 16. उद्योग में अकुशल मजदूर को बुलाकर ट्रेनिंग देकर कुशल श्रमिक बनाया जाए। 17. विदेशी अर्थव्यवस्था वाले से शंकु से धन चूसकर, घरेलू अर्थव्यवस्था वाले शंकु की तरफ प्रवाहित किया जाए। यह कार्य दोनों शंकु के मध्य बैठे भारत सरकार को करना ही होगा। 18. यदि भारत सरकार चीन को सरकार की तरह सक्रियता दिखाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वर्णिम दौर शुरू हो सकता है। 19. अभी तो भारतीय अर्थव्यवस्था से धन तेजी से विदेश को ओर जा रहा है, और निवेश एक तरह का हवा है जो मोटर से पानी निकालने के लिए भेजा जाता है। 20. बीजेपी को वोट भारतीय बेरोजगारों, श्रमिकों और किसानों से ही मांगना है तो एक वर्ष इन्हें ही क्यों न तृप्त किया जाए। फिर चुनाव जीतकर आएंगे, तब उद्योगपतियों और पूंजीपतियों के लिए चार वर्ष तक जी भरकर काम कीजिएगा।
  • पुरूषोत्तम कुमार महतो January 07, 2023

    मित्रों, एक विचार आया है कि अब जमीन खरीदने से अच्छा है, रेलवे का , एयर फोर्स का, एयर पोर्ट का , बस स्टैंड का जमीन हड़प लूं, सुप्रीम कोर्ट छूट तो दे देगी।
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