मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि बहुत ही कम अवधि में मुझे दोबारा नेपाल की भूमि के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। इन दिनों विश्व के कई देशों में मेरा जाना हुआ है। कई वैश्विक स्तर की मीटिंगों में जाना हुआ है, लेकिन नेपाल के साथ मेरी जो स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं, नेपाल ने मुझे जो प्यार दिया है, अपनापन दिया है, वो मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। इसके लिए मैं नेपाल का बहुत बहुत आभारी हूं।

आज ये Trauma Center का लोकार्पण हो रहा है। एक प्रकार से ये जीवन रक्षा का अभियान है। First Golden Hour, आकस्मिक परिस्थियों में इंसान की जिदंगी बचाने का बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। उस First Golden Hour में अगर उपयुक्त सुविधा मिल जाए, proper treatment का सहारा मिल जाए, तो इंसान की जिंदगी बचाई जा सकती है। नेपाल और भारत की मैत्री का ये उत्तम नजराना है, जो एक प्रकार से जीवन की सौगात दे रहा है। जो नजराना जीवन की सौगात देता है, वो हमें जड़ों से जोड़ता है, हमें जीवन से जोड़ता है, हमें अरमान से जोड़ता है और हमें अरमान पूरे करने के लिए प्रयास करने की एक शक्ति भी देता है। इसलिए ये Trauma Center भारत और नेपाल के बीच एक जीवंत संबंध का उदाहरण बन रहा है।

आगे भी इस Trauma Center का upgradation करना होगा, technology support की आवश्यकता होगी, human resource development की आवश्यकता होगी। भारत भविष्य में भी इस काम में नेपाल के साथ रहेगा, पूरी सहायता करता रहेगा और हम चाहेंगे कि नेपाल अपने पैरों पर खड़े हो करके..इस Trauma Center को चलाने का उसमें सार्मथ्य आए। वहां तक जो भी मदद चाहिए, भारत खुले दिल से यहां के लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए सदा सर्वदा आपके साथ खड़ा है। और वो हमारे लिए सौभाग्य होगा। एक प्रकार से अपनों की सेवा करने का यह अवसर है और अपने यहाँ तो, सेवा परमोधर्म- ये शास्त्रों ने कहा है। और जिस शास्त्र ने हमें ‘सेवा परमोधर्म’ कहा है, उस शास्त्र से हम दोनों जुड़े हुए हैं। इसलिए एक सेवा का यह प्रकल्प है और मुझे गर्व है कि आज मुझे इस समारोह में लोकार्पण के काम में आने का अवसर मिला। भारत और नेपाल का एक अटूट नाता, एक जीवंत नाता, उसका एक जीवंत स्मारक हमारे सामने आज खड़ा हुआ है।

जब मैं पिछली बार आया था, तब भी मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि मैं उस समय तो जनकपुर, मुक्तिनाथ और लुम्बिनी नहीं जा पाया था, मैंने कहा था कि मैं अगली बार आउंगा तो जाउंगा। इस बार भी मेरा इरादा था कि मैं by-road जाउं। By-road जाने का मेरा इरादा इसलिए था कि मैं खुद अनुभव करना चाहता था कि नेपाल से वहां आने वाले लोगों को वहां क्या दिक्कतें होती हैं, क्या तकलीफ होती हैं। भारत से उस तरफ जाने वाले लोगों को क्या दिक्कतें होती हैं, क्या तकलीफ होती हैं। उसे मैं खुद experience करना चाहता था और फिर मैं उसको ठीक करना चाहता था। लेकिन, समयाभाव के कारण मैं इस बार उसको नहीं कर पाया हूं। मैं विषेश रूप से जनकपुर, लुम्बिनी और मुक्तिनाथ - वहां के नागरिकों को जो कष्ट हुआ है, जो निराशा हुई है, मैं भलीभांति उनकी पीड़ा को समझ सकता हूं। लेकिन, मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि निकट भविष्य में जब भी मुझे अवसर मिलेगा मैं आपके बीच आउंगा। आपके प्यार को मैं भली-भांति दूर बैठे-बैठे भी अनुभव कर रहा हूं। और इसलिए वहां के सभी नागरिकों को मैं विश्वास दिलाता हूं। नेपाल के हर नागरिक का भारत पर पूरा अधिकार, भारतीयों पर पूरा अधिकार है, सरकार पर अधिकार है और भारत के प्रधानसेवक पर प्रधान अधिकार है।

मैं जब पिछली बार आया था, और आज मैं आया हूं, सौ दिन भी नहीं हुए हैं। लेकिन जब विश्वास का इजिंन किसी काम को लग जाता है, तो काम कितनी तेजी से होता है, कितना अच्छा हो सकता है, इसका मैं आज अनुभव कर रहा हूं। आज नेपाल और भारत के बीच भरोसे का, विश्वास का एक बहुत बड़ा horse power वाला इजिंन लग गया है, जो विश्वास का इजिंन है, भरोसे का इजिंन है। उसी के कारण 100 दिन के अंदर जिस प्रकार से नेपाल और भारत ने एक के बाद एक निर्णय किए, काम शुरू किया, 25-25, 30-30 साल से रूके हुए काम - ये आज आगे बढ़े हैं। हमारे यहां कहावत है - एक हाथ से ताली नहीं बजती है। ये संभव इसलिए हुआ है कि नेपाल सरकार, नेपाल के सभी राजनीतिक दल, नेपाल के प्रशासनिक व्यवस्था में जुड़े हुए अधिकारी - उन सब ने मिल करके आगे बढ़ने की शुरूआत की। आगे बढ़ाया। छोटी-मोटी रूकावटें आईं तो उन रूकावटों को भी बहुत बुद्धिमत्ता पूर्ण तरीके से, उसका निराकरण करते हुए, चीज़ों को ठोस रूप देने का काम किया है। इसलिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी का, उनकी सरकार का, सभी राजनीतिक दलों का, प्रशासनिक अधिकारियों का भारत की तरफ से हृदय से अभिनदंन करता हूं, कि उन्होंने ये काम न किया होता तो आज 100 दिन के भीतर भीतर 25-25, 30-30 साल से लटके हुए काम, अटके हुए काम आज पूरे न होते।

मैं आज एक संतोश का भाव अनुभव कर रहा हूं कि मेरी पहली मुलाकात और दूसरी मुलाकात के बीच में तेज़ गति से एक के बाद एक फैसले हुए हैं। ये फैसले नेपाल के जीवन को तो ताकत देने वाले हैं, भारत को बहुत बड़ा संतोश देने वाले हैं। हमारे लिए नेपाल की खुशी, नेपाल का आनंद हमारी मुस्कुराहट का कारण बनता है। अगर नेपाल खुश नहीं तो हिंदूस्तान मुस्कुरा नहीं सकता है। इसलिए हमारे लिए नेपाल की खुशी, ये हमारे लिए संतोश की औषध है। वो संतोश की औषध हमें प्राप्त हुई है, उसके लिए नेपाल से संबंधित सभी जनों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

खासतौर पर Hydro Power. कितने समय से यह लटका हुआ था, कितने विवाद चल रहे थे, आशंकाओं के बादल हर बार छाए रहते थे। लेकिन, यहां के सभी राजनीतिक दलों ने जिस प्रकार की दूर दृष्टि का परिचय करवाया है, और उसका परिणाम यह हुआ है कि Power Trade Agreement, 900 Megawatt Upper Karnali Project, Pancheshwar Development Authority, 900 मेगावाट क्षमता वाले Arun III Project - यानि एक के बाद एक। शायद 10 साल में एक चीज़ हो जाए तो भी बड़ा आनंद हो जाता है। यहां तो 100 दिन में इतने सारे काम आगे बढ़ गए। तो आप कल्पना कर सकते हैं कि दो देश मिल करके क्या नहीं कर सकते हैं।

उसी प्रकार से हमने कहा था Transmission Line के संबंध में। हम चाहते थे कि नेपाल को बिजली मिले, ज्यादा बिजली मिले। Transmission Line मज़बूत बनाने के लिए बहुत ही कम समय में काम पूरा हो जाएगा। 125 मेगावाट बिजली और यहां आना शुरू हो जाएगा। इतना ही नहीं, एक नई लाइन तैयार हो रही है, जिसकी क्षमता 1000 मेगावाट की है। अब नेपाल जगमगा उठेगा, ये मेरा पूरा विश्वास है। हमने पिछली बाद कहा था कि एक बिलियन डॉलर - यानि कि 10 हज़ार करोड़ नेपाली रूपयों की कीमत जिसकी होती है - कम ब्याज़ पर और लंबे समय के लिए हम देंगे। आज हम मिल रहे हैं, उसका Final Agreement हो जाएगा। ये भी काम एक प्रकार से आज पूरा हो गया, मान लीजिए।

हम एक Motor Vehicle Agreement पर करार कर रहे हैं और मैं मानता हूं कि नेपाल और भारत को जोड़ने के लिए ये बहुत ही उत्तम व्यवस्था हो रही है। उसी के तहत आज ही काठमांडू से दिल्ली Regular Bus Service शुरू करने का भी हमें सौभाग्य मिल रहा है। काठमांडू से दिल्ली जब Regular Bus Service शुरू होती है तो यहां के सामान्य मानव के जीवन में वो कितनी बड़ी आर्थिक रूप से सहायता करने वाली सुविधाजनक होती है, उसका आप अंदाज़ लगा सकते हैं।

लेकिन नेपाल और भारत के बीच चलने वाली ये टूरिज्म की दृश्टि से चलने वाली बस में यात्री भी उसका फायदा उठाते हैं, international यात्री भी प्राकृतिक सौदंर्य का अनुभव करने के लिए बस से सफर करना पसंद करते हैं। हम चाहते हैं कि नेपाल का टूरिज़्म भी बढ़े। लेकिन टूरिज़्म बढ़ता है, उसके लिए कुछ सुविधाएं चाहिएं। उसमें एक महत्वपूर्ण सुविधा होती है- connectivity. मैंने मेरे अफसरों को कहा है कि क्या हम - ये जो दिल्ली काठमांडू के बीच बस सर्विस चलेगी - वो बस सेवा Wi-Fi के साथ हो सकती है क्या? अगर Wi-Fi के साथ वो बस सेवा होगी तो टूरिस्ट जरूर पसंद करेगा क्योंकि वो बस में जाता रहेगा, वो दूनिया से अपना connect होता रहेगा, अपना आनंद लेता रहेगा। हमारे अफसरों ने कहा कि “साब मालूम नहीं है, हम ज़रा देखेंगे कि कितना संभव है।“ मैंने कहा तो है, अब देखते हैं technological अगर support मिल गया तो ये काम भी हम करवा देंगे। हम चाहते हैं, व्यवस्थाएं हों, व्यवस्थाएं आधुनिक हों और सुविधाजनक हों।

मैंने एक चिंता जताई थी कि भारत में हमारे नेपाल के लोग बहुत बड़ी मात्रा में हैं। नेपाल और भारत की रिश्तेदारी भी बहुत है, व्यापारिक संबंध भी है और इसलिए, यहां के फोन कॉल बहुत महंगे होते हैं। मैंने कहा था कि अमरीका बात करना सस्ता जाता है लेकिन Nepal-India बात करना महंगा जाता है। मैंने कहा था कि ये सस्ता होना चाहिए। मैं भारत गया, मैंने पूछा, “भई! ये क्या कर रहे हो? क्या हम नहीं मदद कर सकते?” लेकिन जब जाना तो बहुत आश्चर्य हुआ मुझे। भारत में तो इसका रेट सिर्फ 40 पैसा है, लेकिन यहां पर वो रेट शायद 3.50 रूपया है, नेपाल में, नेपाल authority जो है। मैं हैरान हो गया कि “भई अब क्या करूं? मैंने तो कह दिया है।“

मैंने कहा कि “ठीक है, हम कम लेते है। न के बराबर लेते हैं तो भी कुछ कम करें।“ मैंने 35% कम करने का फैसला कर लिया। लेकिन, अब मैं चाहता हूं, नेपाल की जो टेलीफोन सेवा हैं, वो भी उसमें कुछ कम करें ताकि नेपाल के लोगों को, और नेपाल से जुड़े हुए भारत के संबंधों में ये टेलीफोन का खर्चा थोड़ा कम होना चाहिए। मेरी तरफ से जो कर सकता हूं, उतना ज़रूर कर दिया है। मैं चाहूंगा कि यहां उस दिशा में कुछ हो।

Border Infrastructure - खासतौर से road मार्ग से जब हम आते हैं - तो वहां पर कुछ प्रश्न थे, पिछली बार, मैंने उसे तेज़ गति से आगे बढ़ाने के लिए काम किया है। कुछ पुराने contract की भी समस्याएं थीं, उसको भी रद्द करने के लिए कह दिया है। मैं मानता हूं छः महीने के भीतर-भीतर आपको सही रूप में वहां पर प्रगति दिखाई देगी।

एक और बात है, नेपाल और भारत के संबंधों में। एक तो, बहुत बड़ी मात्रा में नेपाल के लोग जो भारत में काम करते हैं, वो यहां आते हैं, भारत के टूरिस्ट यहां आते हैं। एक कठिनाई थी- 500 और 1000 रूपए के नोट। वो प्रतिबंधित थे। हमने नेपाल सरकार को प्रार्थना की थी। और हमने मिल करके एक निर्णय किया है कि अब भारत से 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट 25 हज़ार की मर्यादा में, ये हम ला सकते हैं। इसके कारण, भारत में काम करने वाले जो लोग अपने घर वापस आते हैं, उनको साथ में पैसे लाने हों तो उनका सुविधा बनेगी। और जो टूरिस्ट आते हैं, टूरिस्ट के हाथ में भी पैसे रह पाएंगे। तो इस व्यवस्था को भी हमने निर्णय कर लिया है।

एक काम जिसका मेरा स्वयं का बहुत अच्छा अनुभव है। मैं जब गुजरात में काम करता था तो गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते एक महत्वपूर्ण initiative हमने लिया था। हिंदुस्तान में हमने सबसे पहले इस काम को किया था, और वो था soil testing। आमतौर पर हम developing countries में मनुष्य का भी health card नहीं होता है। लेकिन हमने कोशिश की थी कि soil health card बने। किसान के पास जो जमीन है, उस जमीन में क्या गुण हैं, क्या अवगुण हैं, क्या अच्छाईयां हैं, क्या बिमारियां हैं, वो ज़मीन किस crop के लिए उपयुक्त है, किस crop के लिए अनउपयुक्त है, किस ज़मीन पर कौन सी दवाई सूट करेगी, कौन सी दवाई सूट नहीं करेगी - ये सारी चीज़ें soil testing से संभव होती हैं। ये करने से औसत एक एकड़ भूमि में किसान फसल तो ज्यादा कर ही सकता है, लेकिन साथ-साथ, जो फालतू खर्चे होते हैं- गलत दवाईयां डाल देता है, गलत fertilizer डाल देता है, गलत crop डाल देता है, वो सब उसका बच जाता है और करीब-करीब एक एकड़ भूमि में 15-20 हज़ार तो सहज रूप से उसकी मदद हो जाती है। ये soil testing का काम नेपाल में भी हो, ये बात मैंने पिछली बार प्रधानमंत्री जी से मैं जब मिला तो कही थी कि आपको लाभ होगा। तो उन्होंने कहा कि देखेंगे और मुझे लगा कि मैं सुझाव देके चला हूं, वो शोभा नहीं देता है, मुझे कुछ करना चाहिए। तो आज हम एक Mobile soil test laboratory नेपाल को भेंट दे रहे हैं। उसकी पूरी technology दे रहे हैं। उससे पता चलेगा कि निश्चित एरिया में इस प्रकार की जांच हो गई। आप देखिए, उसको अगर बाद में आप चलाएंगे तो बहुत लाभ होगा, तो एक बहुत बड़ा काम।

हमने पिछली बार कहा था कि people-to-people contact. देश जुड़ते हैं, तब जब जन जुड़ता है। और जन भी तब जुड़ता है जब मन जुड़ता है। लेकिन मन जुड़ने की, जन जुड़ने की प्रक्रिया कुछ व्यवस्था के तहत होती है। और इसलिए हम चाहते थे कि जन-जन संपर्क बढ़ना चाहिए। इसीलिए हमने Youth Exchange की बात की थी। मुझे खुशी है कि Youth Exchange Programme में पहली बैच already हिंदुस्तान पहुंची हुई है। इन दिनों कलकत्ता युनिवर्सिटी में वे नौजवान, सारे नेपाल के - वहां का नजारा देख रहे हैं, अभ्यास कर रहे हैं, वहां के लोगों से मिल रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं।

तो एक एक चीज़ हम तेजी से कर रहे हैं।

दूसरा, मैंने कहा था - हम नेपाल को e-library देंगे। मुझे खुशी है कि नेपाल सरकार की तरफ से और नेपाल के कुछ प्रमुख लोगों की तरफ से, e-library उनको कैसी चाहिए, उसके बहुत अच्छे सुझाव आए। मैं मानता हूं कि हमारे लिए भी सीखने जैसे अच्छे सुझाव आए। मैं मानता हूं कि ये जो आपका सक्रिय योगदान था, तो e-library का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जैसी आपकी अपेक्षा है, उन आपके सुझावों को संकलित करते हुए, उस e-library को हम प्रारंभ करेंगे। मैं मानता हूं कि वक्त बदल चुका है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। जो ज्ञान के उपासक हैं, उनका ये युग आने वाला है। नेपाल और भारत की इस भूखंड की सांस्कृतिक ज्ञान की उपासना की संस्कृति रही है। नेपाल भी ज्ञान की उपासना वाली संस्कृति की विरासत को लेकर चल रहा है और इसलिए e-library उस ज्ञान वर्धन का एक बहुत बड़ा माध्यम बनेगी। ये युग ऐसा है कि जितनी highways की जरूरत है उतनी ही i-ways की जरूरत है। Highways भी चाहिए information-ways भी चाहिए। e-library एक प्रकार से i-ways का काम करेगी और जो हम नेपाल में प्रवेश करने वाले रास्ते ठीक करेंगे, वो highways का काम करेंगे। भारत आपकी highways की भी चिंता करेगा, i-ways की भी चिंता करेगा और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे।

हमारा सुरक्षा सहयोग भी.. बहुत ही एक विश्वास का वातावरण चाहिए। सुरक्षा का काम तब होता है, जब दो देश के बीच में अटूट विश्वास हो, भरोसा हो। और आज भारत और नेपाल के बीच में विश्वास का ताना बाना इतना मजबूत हुआ है कि जिसके कारण रक्षा के क्षेत्र में भी भारत और नेपाल मिल करके काम कर रहे हैं।

आज मेरे लिए खुशी की बात है कि हम एक ‘ध्रुव हेलीकॉप्टर’ जो सेना के काम आएगा, वो आज भारत की तरफ से नेपाल को हम समर्पित कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि नेपाल को एक अच्छा रक्षा कवच मिलेगा, वो एक नई ताकत बनेगा। यहां पर पुलिस एकेडेमी का काम भी, उसका foundation stone, उसकी चिंता भी हम करेंगे।

यानि अनगिनत चीज़ें, सौ दिन के भीतर-भीतर, अनगिनत चीज़ों का एक के बाद एक हो जाना, ये अपने आप में ही दो सरकारों के बीच विश्वास की ताकत कितनी बड़ी गति देती है, कितना बड़ा परिणाम देती है।

मेरा ये सौभाग्य रहा कि पिछली बार जब मैं आया, तब आपकी संविधान सभा को संबोधित करने का मुझे अवसर मिला था। Constituent Assembly को संबोधित करने का अवसर मिला था। एक प्रकार से नेपाल के सभी stake holdres कहिए, नेपाल की सभी क्रीम कहिए - उस सभी विशाल समूह के सामने मैं आया था। तब मैंने कहा था कि नेपाल जितना जल्द अपना सविंधान बनाएगा, उतना ही नेपाल के भविष्य के लिए वो एक नई ताकत मिलेगी। नेपाल के संविधान के निर्मिति में जितना विलंब होगा, वो विलंब नेपाल के लिए अच्छा नहीं होगा। संविधान आप बनाएं, आपके तरीके से बनाइए, आपके निर्णय होंगे, भारत का उसमें कोई दखल नहीं हो सकता, होना भी नहीं चाहिए। लेकिन, आपकी खुशी, हमें मुस्कुराहट देती है और इसलिए भी संविधान का जल्दी बनना बहुत ज़रूरी है। मेरा यह भी आग्रह था कि संविधान के अंदर एक ऐसा गुलदस्ता बने कि नेपाल के हर कोने में रहने वाले व्यक्ति को लगे कि मेरा भी फूल उस गुलदस्ते में है। मेरे फूल की महक भी उस गुलदस्ते में है। कभी मधेसी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? कहीं पहाड़ी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? माओवादी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? ये संविधान ऐसा होना चाहिए कि जिसमें हर किसी की आवाज़ हो, हर किसी के सपने हों, हर किसी के अरमान हों, हर किसी को काम करने का अवसर हो। इस काम में नेपाल की संविधान सभा बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ रही है, लेकिन समय बहुत जा रहा है।

इसलिए मैं आज सार्वजनिक रूप से आज नेपाल के सभी राजनीतिक नेताओं से आग्रह करूंगा कि सविंधान का निर्माण सहमति से ही करने से फायदा होगा। संख्या के बल पर संविधान का निर्माण कभी भी नेपाल का भला नहीं करेगा। सहमति से संविधान बने और आगे चलकर भी - आज भी, भारत का संविधान, इतने वर्ष हो गए, हर वर्ष हम कुछ न कुछ amendment करते ही जाते हैं। और वो amendment दो तिहाई से करते हैं। एक बार सविंधान सहमति से बने, बाद में संसद बने और संसद में दो चार चीज़े जोड़नी, कम करनी लगती हैं, तो आप दो तिहाई बहुमत से ज़रूर कर सकते हैं। लेकिन, पहला प्रारूप अगर सबको अपना नहीं लगता है तो नेपाल को बहुत बड़ी कठिनाई आएगी।

आपके एक मित्र देश के नाते, आपको दुख हो, आपको कठिनाई हो और हमें समझ हो, तो वो स्थिति हम देखना नहीं चाहते हैं। फिर एक बार, आज सार्वजनिक रूप से, जिस प्रकार से ज़िंदगी बचाने के लिए ये Trauma Center काम आ रहा है, उसी प्रकार से नेपाल के सपनों को संवारने के लिए संविधान एक अवसर बन करके आ रहा है। मैं चाहूंगा कि संविधान की पवित्रता, उसी पवित्र भाव से..और मैंने कहा था कि ऋषि-मन होगा तो संविधान बनेगा, संविधान सभा में बैठे हर व्यक्ति का ऋषि-मन होना चाहिए और ऋषि-मन को लेकर संविधान का निर्माण होगा, ये मैंने आग्रह से कहा था।

मैं आज फिर नेपाल की धरती पर आया हूं। मैं विश्वनाथ की धरती पर काम करता हूं, पशुपतिनाथ की धरती पर आया हूं। तो मेरा भी आपको प्रार्थना करने का हक बन जाता है। मैं प्रार्थना करने आया हूं। मैं उसी धरती से आया हूं। बोध गया से मैं आज एक पौधा ले करके आया हूं, जो हमारे एम्बेसेडर लुम्बिनी में जा करके उसको रोपित करने वाले हैं। एक ऐसा संदेश ले करके आया हूं जो हमें सांस्कृतिक प्राणशक्ति देता रहता है और उस भरोसे भी मैं कह सकता हूं कि मैं प्रार्थना करता हूं कि आप संविधान बनाने के काम में विलंब मत कीजिए। सहमति से बनाने का ही प्रयास कीजिए और सारे रास्ते नए संकटों को जन्म देंगे। मैं अयोध्या और जनकपुरी का नाता जानता हूं, इसलिए भी हम लोगों को आपसे प्रार्थना करने का हक बनता है कि आप सहमति से संविधान का निर्माण कीजिए, जल्द कीजिए। लोगों की आशाओं पर आप खरे उतरें।

आप देखिए कि आप लोगों का नेतृत्व नेपाल को कहां से कहां पहुंचाएगा और युग इस भूभाग के भविष्य का है। एशिया के भविष्य का समय है। नेपाल को ये मौका चूकना नहीं चाहिए। विश्व के अंदर एक ताकत बन करके नेपाल ने खड़े होना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था नेपाल को एक नई ताकत देगी, नई पहचान देगी, विश्व नेपाल को स्वीकार करने लग जाएगा। ये स्थिति आपके हाथों में है, मौका आपके पास है। 30-40 दिन का समय बचा है। मैं विश्वास करता हूं कि इस काम को आप आगे बढ़ाएंगे।

फिर एक बार, ये Trauma Center यहां के किसी भी पीड़ित को बचाने के काम आएगा, भारतवासियों को बहुत संतोश होगा। हमारे लिए एक प्रकार से ‘सेवा परमोधर्म’, जीव-दया का ये काम हुआ है, एक मन के संतोश के साथ, मुझे इस अवसर पर आने का अवसर मिला, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। प्रधानमंत्री जी का बहुत बहुत आभारी हूं। उनके परिवार में संकट होने के बाद भी, जिस उमंग और उत्साह के साथ इस पूरे सार्क समिट की आप चिंता कर रहे हैं। पूरा नेपाल अभिनंदन का अधिकारी है। मैं ऐयरपोर्ट से उतरा हूं, मैं देख रहा हूं, क्या उत्साह है, क्या उमंग है। आपने सार्क देशों के सभी नेताओं का दिल जीत लिया है। इन व्यवस्थाओं के लिए नेपाल ने जो ताकत दिखाई है, अपनापन दिखाया है, बहुत बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं। प्रधानमंत्री जी को और पूरे नेपाल को मैं हृदय से नमन करता हूं, बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद।

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December 17, 2024
PM inaugurates and lays the Foundation stone for 24 projects related to Energy, Road, Railways and Water worth over Rs 46,300 crores in Rajasthan
The Governments at the Center and State are becoming a symbol of Good Governance today: PM
In these 10 years we have given lot of emphasis in providing facilities to the people of the country, on reducing difficulties from their life: PM
We believe in cooperation, not opposition, in providing solutions: PM
I am seeing the day when there will be no shortage of water in Rajasthan, there will be enough water for development in Rajasthan: PM
Conserving water resources, utilizing every drop of water is not the responsibility of government alone, It is the responsibility of entire society: PM
There is immense potential for solar energy in Rajasthan, it can become the leading state of the country in this sector: PM

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ ।

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ ।

ଗୋବିନ୍ଦ ନଗରରେ ଗୋବିନ୍ଦ ଦେବ ଜୀଙ୍କୁ ମୋର କୋଟି-କୋଟି ପ୍ରଣାମ। ସମସ୍ତଙ୍କୁ  ମୋର ସମସ୍ତଙ୍କୁ ରାମ-ରାମ ଜଣାଉଛି !

ରାଜସ୍ଥାନର ରାଜ୍ୟପାଳ ଶ୍ରୀ ହରିଭାଉ ବାଗଡେ ଜୀ, ରାଜସ୍ଥାନର ଲୋକପ୍ରିୟ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ଭଜନ ଲାଲ ଶର୍ମା ଜୀ, ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶରୁ ବିଶେଷ ଭାବେ ଏଠାକୁ ଆସିଥିବା ଆମର ପ୍ରିୟ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ମୋହନ ଯାଦବ ଜୀ, ଯିଏ କେନ୍ଦ୍ରର ମନ୍ତ୍ରିମଣ୍ଡଳରେ ମୋର ସହକର୍ମୀ ଶ୍ରୀମାନ ସିଂ। ଆର ପାଟିଲ ଜୀ, ଭାଗୀରଥ ଚୌଧୁରୀ ଜୀ, ରାଜସ୍ଥାନର ଉପମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଦିୟା କୁମାରୀ ଜୀ, ପ୍ରେମ ଚାନ୍ଦ ଭୈରବଜୀ, ଅନ୍ୟ ମନ୍ତ୍ରୀଗଣ, ସାଂସଦଗଣ, ରାଜସ୍ଥାନର ବିଧାୟକ, ଅନ୍ୟ ମାନ୍ୟଗଣ୍ୟ ବ୍ୟକ୍ତି ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନର ମୋର ପ୍ରିୟ ଭାଇ ଭଉଣୀମାନେ। ଏବଂ ଭର୍ଚୁଆଲ ମାଧ୍ୟମରେ ଆମ ସହିତ ଯୋଡି ହୋଇଥିବା ଆମର ରାଜସ୍ଥାନର ହଜାର ହଜାର ପଞ୍ଚାୟତରେ ଏକାଠି ହୋଇଥିବା ମୋର ସମସ୍ତ ଭାଇ ଭଉଣୀ ମାନେ ଆମ ସହିତ ଭର୍ଚୁଆଲ ଭାବରେ ଯୋଡ଼ି ହୋଇଛନ୍ତି।

ମୁଁ ରାଜସ୍ଥାନବାସୀ, ରାଜସ୍ଥାନର ବିଜେପି ସରକାରକୁ ଏକ ବର୍ଷ ପୂର୍ତ୍ତି ପାଇଁ ବହୁତ-ବହୁତ ଅଭିନନ୍ଦନ ଜଣାଉଛି । ଆଉ ଏହି ଏକ ବର୍ଷର ଯାତ୍ରା ପରେ, ଯେତେବେଳେ ଆପଣମାନେ ମୋତେ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେବା ପାଇଁ ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ସଂଖ୍ୟାରେ ଏଠାକୁ ଆସିଛନ୍ତି, ଏବଂ ମୁଁ ସେହି ପାର୍ଶ୍ୱକୁ ଦେଖୁଥିଲି ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ଏକ ଖୋଲା ଜିପ୍ ରେ ଆସୁଥିଲି, ବୋଧହୁଏ ମଣ୍ଡପରେ ଥିବା ଲୋକଙ୍କ ସଂଖ୍ୟାର ତିନି ଗୁଣ ବାହାରେ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥିଲା । ଆପଣମାନେ ମୋତେ ଏତେ ସଂଖ୍ୟାରେ ଆଶୀର୍ବାଦ କରିବାକୁ ଆସିଛନ୍ତି ଏବଂ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଭାଗ୍ୟବାନ ଯେ ମୁଁ ଆଜି ଆପଣମାନଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦ ପାଇପାରିଲି | ଗତ ଏକ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ଭଜନ ଲାଲ ଜୀ ଏବଂ ତାଙ୍କ ପୂରା ଟିମ୍ ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶକୁ ଏକ ନୂତନ ଗତି ଏବଂ ଦିଗ ଦେବା ପାଇଁ ବହୁତ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ କରିଛନ୍ତି । ଏହି ପ୍ରଥମ ବର୍ଷ ଏକ ପ୍ରକାରରେ ଆଗାମୀ ଅନେକ ବର୍ଷ ପାଇଁ ଏକ ମଜଭୁତ ଭିତ୍ତିଭୂମି ସ୍ଥାପନ କରିଛି। ତେଣୁ ଆଜିର ପର୍ବ କେବଳ ସରକାରଙ୍କ ଏକ ବର୍ଷ ପୂର୍ତ୍ତି ରେ ସୀମିତ ନୁହେଁ, ଏହା ରାଜସ୍ଥାନର ପ୍ରସାର ଆଲୋକର ଉତ୍ସବ, ଏହା ମଧ୍ୟ ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶର ଏକ ଉତ୍ସବ ।

 

କିଛି ଦିନ ତଳେ ମୁଁ ନିବେଶ ସମ୍ମିଳନୀ ଯୋଗ ଦେବା ପାଇଁ ରାଜସ୍ଥାନ ଆସିଥିଲି। ଦେଶ ବିଦେଶରୁ ବଡ଼ ବଡ଼ ନିବେଶକ ଏଠାରେ ଏକାଠି ହୋଇଥିଲେ। ଏବେ ୪୫ରୁ ୫୦ ହଜାର କୋଟି ଟଙ୍କାର ପ୍ରକଳ୍ପର ଉଦଘାଟନ ଓ ଶିଳାନ୍ୟାସ କରାଯାଇଛି। ଏହି ପ୍ରକଳ୍ପଗୁଡ଼ିକ ରାଜସ୍ଥାନରେ ଜଳ ସଙ୍କଟର ସ୍ଥାୟୀ ସମାଧାନ ପ୍ରଦାନ କରିବ। ଏହି ପ୍ରକଳ୍ପଗୁଡ଼ିକ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦେଶର ଅନ୍ୟତମ ସଂଯୋଜିତ ରାଜ୍ୟ ରେ ପରିଣତ କରିବ । ଏହା ଦ୍ୱାରା ରାଜସ୍ଥାନରେ ପୁଞ୍ଜିନିବେଶ ବୃଦ୍ଧି ପାଇବ ଏବଂ ଅସଂଖ୍ୟ ନିଯୁକ୍ତିର ସୁଯୋଗ ସୃଷ୍ଟି ହେବ । ରାଜସ୍ଥାନର ପର୍ଯ୍ୟଟନ, ଏହାର କୃଷକ, ମୋର ଯୁବ ବନ୍ଧୁମାନେ ଏଥିରୁ ବହୁତ ଉପକୃତ ହେବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ବିଜେପିର ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନ ସରକାର ସୁଶାସନର ପ୍ରତୀକ ପାଲଟିଛି । ବିଜେପି ଯାହା ସଂକଳ୍ପ ନେଇଥାଏ, ତାକୁ ପୂରଣ କରିବାକୁ ଆନ୍ତରିକତାର ସହ ଚେଷ୍ଟା କରିଥାଏ । ଆଜି ଦେଶବାସୀ କହୁଛନ୍ତି ବିଜେପି ହିଁ ସୁଶାସନର ଗ୍ୟାରେଣ୍ଟି। ଆଉ ସେଥିପାଇଁ ଆଜି ଗୋଟିଏ ପରେ ଗୋଟିଏ ରାଜ୍ୟରେ ବିଜେପିକୁ ଏତେ ବିପୁଳ ଜନସମର୍ଥନ ମିଳୁଛି । ଲୋକସଭାରେ କ୍ରମାଗତ ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ , ଦେଶ ସେବା କରିବାକୁ ଦେଶ ବିଜେପିକୁ ସୁଯୋଗ ଦେଇଛି। ଗତ ୬୦ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ଭାରତରେ ଏହା ଘଟିନାହିଁ। ଦୀର୍ଘ ୬୦ ବର୍ଷ ପରେ କ୍ରମାଗତ ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ କେନ୍ଦ୍ରରେ ସରକାର ଗଠନ କରିଛନ୍ତି ଭାରତବାସୀ । ସେମାନେ ଆମକୁ ଦେଶବାସୀଙ୍କ ସେବା କରିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଇଛନ୍ତି ଏବଂ ଆମକୁ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଇଛନ୍ତି। କିଛି ଦିନ ତଳେ ମହାରାଷ୍ଟ୍ରରେ ବିଜେପି ଲଗାତାର ଦ୍ୱିତୀୟ ଥର ପାଇଁ ସରକାର ଗଠନ କରିଥିଲା। ଆଉ ନିର୍ବାଚନ ଫଳାଫଳ ଅନୁଯାୟୀ ଏହା କ୍ରମାଗତ ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ ସଂଖ୍ୟାଗରିଷ୍ଠତା ହାସଲ କରିଛି । ସେଠାରେ ମଧ୍ୟ ବିଜେପିକୁ ପୂର୍ବାପେକ୍ଷା ଅଧିକ ଆସନ ମିଳିଛି। ଏହା ପୂର୍ବରୁ ହରିୟାଣାରେ ଲଗାତାର ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ ବିଜେପି ସରକାର ଗଠନ ହୋଇଛି । ହରିୟାଣାରେ ମଧ୍ୟ ଜନତା ଆମକୁ ପୂର୍ବ ଅପେକ୍ଷା ଅଧିକ ସଂଖ୍ୟାଗରିଷ୍ଠତା ଦେଇଛନ୍ତି। ନିକଟରେ ରାଜସ୍ଥାନରେ ହୋଇଥିବା ଉପନିର୍ବାଚନରେ ଆମେ ଦେଖିଛୁ ଯେ ଲୋକମାନେ କିପରି ବିଜେପିକୁ ପ୍ରବଳ ସମର୍ଥନ କରିଛନ୍ତି। ଏଥିରୁ ଜଣାପଡୁଛି ଯେ ବିଜେପିର କାର୍ଯ୍ୟ ଏବଂ କର୍ମୀଙ୍କ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଉପରେ ଜନତାଙ୍କର କେତେ ବିଶ୍ୱାସ ରହିଛି ।

 

ସାଥୀମାନେ

ରାଜସ୍ଥାନ ଏପରି ଏକ ରାଜ୍ୟ ଯାହାର ସେବା ଦୀର୍ଘ ଦିନ ଧରି ବିଜେପି କରିଆସୁଛି । ପ୍ରଥମେ ଭୈରବ ସିଂ ଶେଖାୱତଜୀ ରାଜସ୍ଥାନରେ ବିକାଶର ମଜଭୁତ ଭିତ୍ତିପ୍ରସ୍ତର ସ୍ଥାପନ କରିଥିଲେ । ବସୁନ୍ଧରା ରାଜେ ଜୀ ତାଙ୍କ ଠାରୁ ଦାୟିତ୍ୱ ଗ୍ରହଣ କରି ସୁଶାସନର ପରମ୍ପରାକୁ ଆଗକୁ ବଢ଼ାଇଥିଲେ ଏବଂ ବର୍ତ୍ତମାନ ଭଜନ ଲାଲଙ୍କ ସରକାର ସୁଶାସନର ଏହି ପରମ୍ପରାକୁ ଆହୁରି ସମୃଦ୍ଧ କରିବାରେ ଲାଗିପଡିଛନ୍ତି । ଗତ ବର୍ଷକ ମଧ୍ୟରେ ଏହାର ଛାପ ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି, ଏହାର ଚିତ୍ର ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି।

ସାଥୀମାନେ

ଗତ ଏକ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ କ'ଣ କରାଯାଇଛି ତାହା ଏଠାରେ ବିସ୍ତୃତ ଭାବେ କୁହାଯାଇଛି। ବିଶେଷ କରି ଗରିବ ପରିବାର, ମାଆ, ଭଉଣୀ, ଝିଅ, ଶ୍ରମିକ, ବିଶ୍ୱକର୍ମା ବନ୍ଧୁ ଓ ଯାଯାବର ପରିବାର ପାଇଁ ଅନେକ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନିଆଯାଇଛି। ପୂର୍ବ କଂଗ୍ରେସ ସରକାର ଏଠାକାର ଯୁବକମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଅନେକ ଅନ୍ୟାୟ କରିଥିଲେ। ପ୍ରଶ୍ନପତ୍ର ଲିକ୍ ଓ ନିଯୁକ୍ତି ଦୁର୍ନୀତି ରାଜସ୍ଥାନର ପରିଚୟ ପାଲଟିଥିଲା। ଏହା ଆସିବା ମାତ୍ରେ ବିଜେପି ସରକାର ଏହାର ତଦନ୍ତ ଆରମ୍ଭ କରିବା ସହ ଅନେକଙ୍କୁ ଗିରଫ ମଧ୍ୟ କରାଯାଇଛି। ଖାଲି ସେତିକି ନୁହେଁ, ବିଜେପି ସରକାର ବର୍ଷକୁ ହଜାର ହଜାର ଲୋକଙ୍କୁ ନିଯୁକ୍ତି ମଧ୍ୟ ଦେଇଛନ୍ତି। ଏଠାରେ ମଧ୍ୟ ପୂର୍ଣ୍ଣ ସ୍ୱଚ୍ଛତାର ସହ ପରୀକ୍ଷା ଅନୁଷ୍ଠିତ ହେଉଛି, ନିଯୁକ୍ତି ମଧ୍ୟ କରାଯାଉଛି। ପୂର୍ବ ସରକାର ସମୟରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଲୋକଙ୍କୁ ପେଟ୍ରୋଲ ଓ ଡିଜେଲ ଅନ୍ୟ ରାଜ୍ୟ ତୁଳନାରେ ମହଙ୍ଗାରେ କିଣିବାକୁ ପଡୁଥିଲା । ଏଠାରେ ବିଜେପି ସରକାର ଗଠନ ହେବା ମାତ୍ରେ ରାଜସ୍ଥାନର ମୋ ଭାଇ-ଭଉଣୀଙ୍କୁ ଆଶ୍ୱସ୍ତି ମିଳିଲା। ପିଏମ କିଷାନ ସମ୍ମାନ ନିଧି ଯୋଜନାରେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ସିଧାସଳଖ କୃଷକଙ୍କ ବ୍ୟାଙ୍କ ଆକାଉଣ୍ଟକୁ ଟଙ୍କା ପଠାଉଛନ୍ତି । ଏବେ ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନର ରାଜସ୍ଥାନ ବିଜେପି ସରକାର ଏଥିରେ ଅତିରିକ୍ତ ଟଙ୍କା ଯୋଡି କୃଷକଙ୍କୁ ସାହାଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି । ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନ ସରକାର ଏଠାରେ ଭିତ୍ତିଭୂମି ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ କାର୍ଯ୍ୟ ମଧ୍ୟ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ କରୁଛନ୍ତି। ବିଜେପି ଦେଇଥିବା ପ୍ରତିଶ୍ରୁତିକୁ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ ପୂରଣ କରୁଛି। ଆଜିର କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ମଧ୍ୟ ଏହାର ଏକ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଅଂଶ ।

ସାଥୀମାନେ

ରାଜସ୍ଥାନବାସୀଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦରେ ଗତ ୧୦ ବର୍ଷ ଧରି କେନ୍ଦ୍ରରେ ବିଜେପି ସରକାର ରହିଛି। ଏହି ୧୦ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ଆମେ ଦେଶର ଲୋକଙ୍କୁ ସୁବିଧା ଯୋଗାଇବା, ସେମାନଙ୍କ ଜୀବନରୁ ଅସୁବିଧା କୁ ହ୍ରାସ କରିବା ଉପରେ ଆମେ ବହୁତ ଗୁରୁତ୍ୱ ଦେଇଛୁ । ସ୍ୱାଧୀନତା ପରେ ୫-୬ ଦଶନ୍ଧି ମଧ୍ୟରେ କଂଗ୍ରେସ ଯେତିକି କାମ କରିଥିଲା, ଆମେ ତା'ଠାରୁ ୧୦ ବର୍ଷରେ ଅଧିକ କାମ କରିଛୁ। ରାଜସ୍ଥାନର ଉଦାହରଣ ନିଅନ୍ତୁ। ପାଣିର ମହତ୍ତ୍ୱ ରାଜସ୍ଥାନଠାରୁ ଭଲ କିଏ ବୁଝିପାରିବ? ଅନେକ ଅଞ୍ଚଳରେ ଏଭଳି ଭୟଙ୍କର ମରୁଡ଼ି ଦେଖାଦେଇଛି। ଅପରପକ୍ଷରେ କେତେକ ସ୍ଥାନରେ ଆମ ନଦୀର ପାଣି ବିନା ବ୍ୟବହାରରେ ସମୁଦ୍ରକୁ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଛି। ଆଉ ସେଥିପାଇଁ ଅଟଳ ବିହାରୀ ବାଜପେୟୀ କ୍ଷମତାରେ ଥିବା ବେଳେ ଅଟଳଜୀ ନଦୀକୁ ସଂଯୋଗ କରିବା ପାଇଁ ଏକ ଭିଜନ ରଖିଥିଲେ । ଏଥିପାଇଁ ସେ ଏକ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର କମିଟି ମଧ୍ୟ ଗଠନ କରିଥିଲେ। ଅଧିକ ପାଣି ଥିବା ଏବଂ ସମୁଦ୍ରକୁ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଥିବା ନଦୀଗୁଡ଼ିକୁ ମରୁଡ଼ି ପ୍ରବଣ ଅଞ୍ଚଳରେ ପହଞ୍ଚାଇବା ଏହାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଥିଲା। ଅନ୍ୟପଟେ ବନ୍ୟା ଓ ମରୁଡ଼ି ସମସ୍ୟା ଉଭୟ ସମାଧାନ ସମ୍ଭବ ହୋଇପାରିଥିଲା। ସୁପ୍ରିମ୍ କୋର୍ଟ ମଧ୍ୟ ଏହାକୁ ସମର୍ଥନ କରି ଅନେକ ଥର ମତ ରଖିଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ କଂଗ୍ରେସ କେବେ ବି ଆପଣଙ୍କ ଜୀବନରୁ ଜଳ ସମସ୍ୟାକୁ ହ୍ରାସ କରିବାକୁ ଚାହିଁ ନାହିଁ । ଆମ ନଦୀର ପାଣି ସୀମା ପାର ହେଉଥିଲା, କିନ୍ତୁ ଆମର କୃଷକମାନେ ଏହାର ଲାଭ ପାଉ ନ ଥିଲେ । କଂଗ୍ରେସ ସମାଧାନ ଖୋଜିବା ପରିବର୍ତ୍ତେ ରାଜ୍ୟଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ଜଳ ବିବାଦକୁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ଦେବା ଜାରି ରଖିଥିଲା । ରାଜସ୍ଥାନ ଏହି ଦୁର୍ନୀତି କାରଣରୁ ବହୁତ କିଛି କ୍ଷତି ସହିତ ଏଠିକାର ଏହି ଦୁଷ୍କର୍ମ ଯୋଗୁଁ ରାଜସ୍ଥାନ ବହୁତ କ୍ଷତି ସହିଛି, ଏଠିକାର ମା' ଭଉଣୀମାନେ ଦୁଃଖ ଭୋଗିଛନ୍ତି, ଏହାର କୃଷକମାନେ କ୍ଷତି ସହିଛନ୍ତି।

 

ମୋର ମନେ ଅଛି, ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ଗୁଜରାଟର ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଭାବରେ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଥିଲି ଓ ସେତେବେଳେ, ସେଠାରେ ସର୍ଦ୍ଦାର ସରୋବର ଡ୍ୟାମ୍ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥିଲା, ମା' ନର୍ମଦାର ଜଳକୁ ଗୁଜୁରାଟର ବିଭିନ୍ନ ସ୍ଥାନକୁ,  ପହଞ୍ଚାଇବା ପାଇଁ ଏକ ବଡ଼ ଅଭିଯାନ ଆରମ୍ଭ କରାଯାଇଥିଲ, କଚ୍ଛର ସୀମାକୁ  ପାଣି ଛଡ଼ାଯାଇଥିଲା କିନ୍ତୁ ଏହାକୁ ରୋକିବା ପାଇଁ କଂଗ୍ରେସ ଓ କିଛି ଏନଜିଓ ପକ୍ଷରୁ ବିଭିନ୍ନ କୌଶଳ ଅବଲମ୍ବନ କରାଯାଇଥିଲା। କିନ୍ତୁ ଆମେ ଜଳର ମହତ୍ତ୍ୱ ବୁଝିଥିଲୁ । ଏବଂ ମୋ ପାଇଁ ମୁଁ କହୁଛି ଯେ ଜଳ ଦିବ୍ୟ, ଯେପରି ପାରଦ ଲୁହାକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରେ ଏବଂ ଲୁହା ସୁନା ରେ ପରିଣତ ହୁଏ, ଯେଉଁଠାରେ ଜଳ ସ୍ପର୍ଶ କରେ, ଏହା ଏକ ନୂତନ ଶକ୍ତି ଏବଂ ଶକ୍ତିକୁ ଜନ୍ମ ଦିଏ |

ସାଥୀମାନେ

ମୁଁ ଏହି ଲକ୍ଷ୍ୟ ଦିଗରେ ନିରନ୍ତର ପରିଶ୍ରମ କରିଥିଲି, ବିରୋଧ, ସମାଲୋଚନାର ସମ୍ମୁଖୀନ ହୋଇଥିଲି, କିନ୍ତୁ ଜଳର ଗୁରୁତ୍ୱ ବୁଝିଥିଲି । କେବଳ ଗୁଜରାଟକୁ ନର୍ମଦା ପାଣିର ଲାଭ ମିଳିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ, ବରଂ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ମଧ୍ୟ ନର୍ମଦା ଜଳରୁ ଫାଇଦା ମିଳିବା ଦରକାର। ଏବଂ କୌଣସି ଉତ୍ତେଜନା ନାହିଁ, କୌଣସି ବାଧା ନାହିଁ, କୌଣସି ସ୍ମାରକପତ୍ର ନାହିଁ, କୌଣସି ଆନ୍ଦୋଳନ ନାହିଁ, ଡିଏଏମର କାର୍ଯ୍ୟ ଶେଷ ହେବା ମାତ୍ରେ ଏହା ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦିଆଯିବ, ଏହା ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦିଆଯିବ ନାହିଁ, ଏହା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦିଆଯିବ ନାହିଁ, ଆମେ ଏକା ସାଙ୍ଗରେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଜଳ ଯୋଗାଇବା ପାଇଁ ଏହି କାର୍ଯ୍ୟ ଆରମ୍ଭ କରିଛୁ । ଏବଂ ମୋର ମନେ ଅଛି, ଯେତେବେଳେ ନର୍ମଦା ଜୀଙ୍କ ଜଳ ରାଜସ୍ଥାନରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲା, ସେତେବେଳେ ରାଜସ୍ଥାନର ଜୀବନରେ ବହୁତ ଉତ୍ସାହ ଏବଂ ଉତ୍ସାହ ଥିଲା । ଆଉ ଏହାର କିଛି ଦିନ ପରେ ହଠାତ୍ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟରେ ମେସେଜ ଆସିଲା ଯେ ଭୈରବ ସିଂହ ଜୀ ଶେଖାୱତ ଏବଂ ଯଶବନ୍ତ ସିଂହ ଜୀ ଗୁଜୁରାଟ ଆସି ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ ଭେଟିବାକୁ ଚାହୁଁଛନ୍ତି । ଏବେ ସେମାନେ କ'ଣ ପାଇଁ ଆସିଛନ୍ତି, କେଉଁ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଆସିଛନ୍ତି ମୁଁ ଜାଣିପାରିଲି ନାହିଁ। କିନ୍ତୁ ସେ ମୋ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟକୁ ଆସିଲେ, ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ପଚାରିଲି   କେମିତି ଆସିବା ହେଲା,  କାହିଁକି...   ସେ କହିଲେ ନାଇଁ କିଛି  କାମ ନାହିଁ, ସେମିତି ଆପଣଙ୍କୁ ଭେଟିବାକୁ ଆସିଛୁ । ସେମାନେ ଦୁହେଁ ମୋର ବରିଷ୍ଠ ନେତା ଥିଲେ, ଆମେ ଭୈରବ ସିଂହଙ୍କ ଆଙ୍ଗୁଠି ଧରି ବଡ଼ ହୋଇଛୁ । ଆଉ ସେ ଆସି ମୋ ସାମ୍ନାରେ ବସୁ ନ ଥାନ୍ତି,, ସେ ମୋତେ ସମ୍ମାନ ଦେବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲେ, ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଟିକିଏ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଯାଇଥିଲି । କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ମୋତେ ସମ୍ମାନ କରୁଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ଦୁହେଁ ଏତେ ଭାବପ୍ରବଣ ଥିଲେ ଯେ ସେମାନଙ୍କ ଆଖି ଭାବୁକ ହୋଇ ପଡିଥିଲା । ଏବଂ ସେ କହିଥିଲେ, ମୋଦୀଜୀ, ଆପଣ ଜାଣନ୍ତି ପାଣି ଦେବାର ଅର୍ଥ କ'ଣ, ଆପଣ ଗୁଜୁରାଟ ନର୍ମଦା ଜଳ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଏତେ ସହଜରେ ଦେଇପାରିବେ । ଆଉ ସେଥିପାଇଁ ଆଜି ମୁଁ ରାଜସ୍ଥାନର କୋଟି କୋଟି ଲୋକଙ୍କ ଭାବନା କୁ ପ୍ରକାଶ କରିବା ପାଇଁ ଆପଣଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟକୁ ଆସିଛି ।

ସାଥୀମାନେ

ପାଣିରେ କେତେ ଶକ୍ତି ଅଛି ତାହାର ଅନୁଭୂତି ଥିଲା। ଏବଂ ମୁଁ ଖୁସି ଯେ  ମାତା ନର୍ମଦା ଆଜି  ଜାଲୋର, ବାଡମେର, ଚୁରୁ,  ଝୁଂଝୁନୁ, ଯୋଧପୁର, ନାଗୌର, ହନୁମାନଗଡ଼ ଭଳି ଏମିତି ଅନେକ ଜିଲ୍ଲାରେ ନର୍ମଦା ଜଳ ମିଳୁଛି ।

ସାଥୀମାନେ

ଆମ ଦେଶରେ କୁହାଯାଏ ଯେ ଯଦି ଆମେ ନର୍ମଦା ଜୀଙ୍କୁ ସ୍ନାନ କରିଥାଉ, ନର୍ମଦାଜୀଙ୍କୁ ପରିକ୍ରମା କରିଥାଉ, ତେବେ ଅନେକ ପିଢ଼ିର ପାପ ଧୋଇ ହୋଇ ଯାଇଥାଏ  । କିନ୍ତୁ ବିଜ୍ଞାନର ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟକୁ ଦେଖନ୍ତୁ, ଥରେ ଆମେ ମା' ନର୍ମଦାଙ୍କ ପରିକ୍ରମା କରିବାକୁ ଯାଉଥିଲୁ, ଆଜି ସ୍ଵୟ ମାତା ନର୍ମଦା ନିଜେ ପରିକ୍ରମା କରିବାକୁ ବାହାରି ହନୁମାନଗଡ଼ ଅଭିମୁଖେ ଯାଇଛନ୍ତି।

 

ସାଥୀମାନେ

ପୂର୍ବ ରାଜସ୍ଥାନ କେନାଲ ପ୍ରକଳ୍ପ... ଇଆରସିପିକୁ କଂଗ୍ରେସ କେତେ ମାତ୍ରାରେ ବିଳମ୍ବ କରିଛି ତାହା ମଧ୍ୟ କଂଗ୍ରେସର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟର ସିଧାସଳଖ ପ୍ରମାଣ। ସେମାନେ କୃଷକଙ୍କ ନାଁରେ ବଡ଼ ବଡ଼ କଥା କହୁଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ ସେମାନେ କୃଷକଙ୍କ ପାଇଁ କିଛି କରାଇ ଦିଅନ୍ତୁ ନାହିଁ , ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ କିମ୍ବା କରିବାକୁ ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ । ବିଜେପିର ନୀତି ବିବାଦ ପାଇଁ ନୁହେଁ, ବରଂ ଯୋଗାଯୋଗ ପାଇଁ । ଆମେ ବିରୋଧୀ ନୁହେଁ, ସହଯୋଗରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁ। ଆମେ ବ୍ୟବଧାନ ନୁହେଁ ସମାଧାନ ଉପରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁ, ବାଧାରେ ନୁହେଁ । ତେଣୁ ଆମ ସରକାର, ପୂର୍ବ ରାଜସ୍ଥାନ କେନାଲ ପ୍ରକଳ୍ପକୁ ଅନୁମୋଦନ ଓ ସମ୍ପ୍ରସାରଣ ମଧ୍ୟ କରିଛନ୍ତି। ଯେମିତି ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶ ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନରେ ବିଜେପି ସରକାର ଗଠନ ହେବା ମାତ୍ରେ ପାର୍ବତୀ-କାଲିସିନ୍ଧ-ଚମ୍ବଲ ପ୍ରକଳ୍ପ, ଏମପିକେସି ଲିଙ୍କ୍ ପ୍ରକଳ୍ପ କୁ ନେଇ ବୁଝାମଣା ହୋଇଥିଲା।

ଆପଣ ଯେଉଁ ଚିତ୍ର ଦେଖୁଥିଲେ, କେନ୍ଦ୍ରର ଜଳମନ୍ତ୍ରୀ ଏବଂ ଦୁଇ ରାଜ୍ୟର ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ, ଏହି ଚିତ୍ର ସାଧାରଣ ନୁହେଁ । ଆଗାମୀ ଦଶନ୍ଧି ଧରି ଏହି ଚିତ୍ର ଭାରତର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ଥିବା ରାଜନେତାମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶ୍ନ ପଚାରିବ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ରାଜ୍ୟକୁ ପଚରାଯିବ ଯେ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶ, ରାଜସ୍ଥାନ ମିଶି ଜଳର ସମସ୍ୟାକୁ, ନଦୀ ଜଳର ରାଜିନାମାକୁ ଆଗେଇ ନେଇପାରିବେ, ଆପଣ କେଉଁ ପ୍ରକାର ରାଜନୀତି କରୁଛନ୍ତି ଯେ ଯେତେବେଳେ ଜଳ ସମୁଦ୍ରରେ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଛି, ସେତେବେଳେ ଆପଣ ଏକ କାଗଜରେ ଦସ୍ତଖତ କରିପାରିବେ ନାହିଁ । ଏହି ଚିତ୍ରକୁ ଆଗାମୀ ଦଶନ୍ଧି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମଗ୍ର ଦେଶ ଦେଖିବାକୁ ଯାଉଛି । ଏପରିକି ସାଧାରଣ ଦୃଶ୍ୟ ମଧ୍ୟ ମୁଁ ଦେଖୁନାହିଁ। ଦେଶ ପାଇଁ ଭଲ କରିବା ପାଇଁ କାମ କରୁଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଯେତେବେଳେ ସେବା କରିବାର ସୁଯୋଗ ମିଳେ, ସେତେବେଳେ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶରୁ କେହି ପାଣି ଆଣିଥାଏ, କେହି ରାଜସ୍ଥାନରୁ ପାଣି ଆଣିଥାଏ, ସେହି ପାଣି ସଂଗ୍ରହ କରାଯାଏ ଏବଂ ମୋ ରାଜସ୍ଥାନ ସୁଜଲାମ -ସୁଫଲାମ କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରୟାସ କରିବାର ପରମ୍ପରା ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି । ଏହା ଅସାଧାରଣ ଲାଗୁଛି, ଏହା ଏକ ବର୍ଷବ୍ୟାପୀ ଉତ୍ସବ, କିନ୍ତୁ ଆଗାମୀ ଶତାବ୍ଦୀର ଭବିଷ୍ୟତ ଆଜି ଏହି ପ୍ଲାଟଫର୍ମରୁ ଲେଖାଯାଉଛି । ଏହି ପ୍ରକଳ୍ପ ଦ୍ୱାରା ଚମ୍ବଲ ଏବଂ ପାର୍ବତୀ, କାଲିସିନ୍ଧ, କୁନୋ, ବଣାସ, ବାଣଗଙ୍ଗା, ରୁପାରେଲ, ଗମ୍ଭୀରୀ ଏବଂ ମେଜ ଭଳି ଏହାର ଶାଖା ନଦୀଗୁଡିକର ଜଳକୁ ଉଭୟଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସଂଯୋଗ କରାଯିବ ।

ସାଥୀମାନେ

ନଦୀକୁ ସଂଯୋଗ କରିବାର ଶକ୍ତି କ'ଣ, ମୁଁ ଗୁଜୁରାଟରେ ତାହା କରିଛି । ନର୍ମଦା ନଦୀର ଜଳ ଗୁଜରାଟର ବିଭିନ୍ନ ନଦୀ ସହିତ ସଂଯୁକ୍ତ ଥିଲା । ଯେତେବେଳେ ବି ଆପଣ ଅହମ୍ମଦାବାଦକୁ ଯାଆନ୍ତି, ଆପଣ ସାବରମତୀ ନଦୀକୁ ଦେଖିଥାନ୍ତି । ୨୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ଯଦି କୌଣସି ପିଲାଙ୍କୁ ସାବରମତୀ ଉପରେ ଏକ ପ୍ରବନ୍ଧ ଲେଖିବାକୁ କୁହାଯାଉଥିଲା । ତେବେ ସେ ଲେଖୁଥିଲା ଯେ ସାବରମତୀରେ ସର୍କସ୍ ତମ୍ବୁ  ଲାଗିଥାଏ। ବହୁତ ଭଲ ସର୍କସ ସୋ ହେଉଥିଲା । ସାବରମତୀରେ କ୍ରିକେଟ୍ ଖେଳିବାର ମଜା ଆସୁଥିଲା।  ସାବରମତୀରେ ମାଟିର ବହୁତ ଭଲ ଧୂଳି ରହିଛି । କାରଣ ମୁଁ ସାବରମତୀରେ ପାଣି ଦେଖିନଥିଲି । ଆଜି ସାବରମତୀକୁ ନର୍ମଦା ଜଳ ଦ୍ୱାରା ପୁନରୁଦ୍ଧାର କରାଯାଇଛି ଏବଂ ଆପଣ ଅହମ୍ମଦାବାଦର ରିଭରଫ୍ରଣ୍ଟ ଦେଖିପାରିବେ । ଏହା ହେଉଛି ନଦୀଗୁଡିକୁ ସଂଯୋଗ କରିବାର ଶକ୍ତି ଏବଂ ମୁଁ ମୋ ଆଖିରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଏପରି ଏକ ସୁନ୍ଦର ଦୃଶ୍ୟ କଳ୍ପନା କରିପାରିବି ।

ସାଥୀମାନେ

ମୁଁ ସେହି ଦିନ ଦେଖୁଛି ଯେତେବେଳେ ରାଜସ୍ଥାନରେ ପାଣିର ଅଭାବ ରହିବ ନାହିଁ, ରାଜସ୍ଥାନରେ ବିକାଶ ପାଇଁ ପର୍ଯ୍ୟାପ୍ତ ଜଳ ରହିବ । ପାର୍ବତୀ-କାଲିସିନ୍ଧ-ଚମ୍ବଲ ପ୍ରକଳ୍ପ ଦ୍ୱାରା ରାଜସ୍ଥାନର ୨୧ଟି ଜିଲ୍ଲାକୁ ଜଳସେଚନ ଜଳ ପାଇଁ ଓ ପାନୀୟ ଜଳ ଯୋଗାଇ ଦିଆଯିବ। ଏହା ଦ୍ୱାରା ଉଭୟ ରାଜସ୍ଥାନ ଓ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶର ବିକାଶ ତ୍ୱରାନ୍ୱିତ ହେବ ।

 

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ହିସାରଦା ଲିଙ୍କ୍ ପ୍ରକଳ୍ପର ଶିଳାନ୍ୟାସ ମଧ୍ୟ କରାଯାଇଛି। ତାଜେୱାଲାରୁ ଶେଖାଓ୍ଵାଟିକୁ ପାଣି ଆଣିବା ପାଇଁ ଆଜି ଏକ ଚୁକ୍ତି ସ୍ୱାକ୍ଷରିତ ହୋଇଛି। ଏହି ଜଳ ସହିତ ଏହି ଚୁକ୍ତି ଦ୍ୱାରା ଉଭୟ ହରିୟାଣା ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନ ଉଭୟ ରାଜ୍ୟ ମଧ୍ୟ ଉପକୃତ ହେବେ । ମୋର ବିଶ୍ୱାସ ଯେ ରାଜସ୍ଥାନର ଶତ ପ୍ରତିଶତ ପରିବାରଖୁବ୍ ଶୀଘ୍ର ଟ୍ୟାପ୍ ପାଣି ପାଇବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆମର ସି ଆର ପାଟିଲଙ୍କ ନେତୃତ୍ୱରେ ଏକ ବହୁତ ବଡ ଅଭିଯାନ ଚାଲିଛି । ଏହାକୁ ନେଇ ଗଣମାଧ୍ୟମରେ ଚର୍ଚ୍ଚା ଅଧିକ ଓ ବାହାରେ କମ୍ ଚର୍ଚ୍ଚା ହେଉଛି। କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଏହାର ଶକ୍ତିକୁ ଭଲ ଭାବରେ ବୁଝିପାରୁଛି । ଜନସାଧାରଣଙ୍କ ଭାଗିଦାରୀରେ ଏହି ଅଭିଯାନ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି। ବର୍ଷା ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ ପାଇଁ କୂଅ ନିର୍ମାଣ କରାଯାଉଛି। ବୋଧହୁଏ ଆପଣ ମାନେ ମଧ୍ୟ ଏହା ବିଷୟରେ ଜାଣନ୍ତି ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ମୋତେ କୁହାଯାଇଛି ଯେ ଜନସାଧାରଣଙ୍କ ଭାଗିଦାରୀରେ ଆଜି ରାଜସ୍ଥାନରେ ଦୈନିକ ବର୍ଷା ଅମଳ ଢାଞ୍ଚା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରାଯାଉଛି । ଗତ କିଛି ମାସ ମଧ୍ୟରେ ଜଳ ସଂକଟର ସମ୍ମୁଖୀନ ହେଉଥିବା ରାଜ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ପାଖାପାଖି ୩ ଲକ୍ଷ ବର୍ଷା ଅମଳ ଢାଞ୍ଚା ନିର୍ମାଣ କରାଯାଇଛି। ମୁଁ ଦୃଢ଼ ଭାବରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁଛି ଯେ ବର୍ଷା ଜଳ ସଞ୍ଚୟ କରିବାର ଏହି ପ୍ରୟାସ ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଆମ ପୃଥିବୀ ମା'ର ତୃଷ୍ଣା ମେଣ୍ଟାଇବ । ଆଉ ଭାରତରେ ବସିଥିବା କୌଣସି ପୁଅ କିମ୍ବା ଝିଅ କେବେ ବି ନିଜ ପୃଥିବୀ ମା'ଙ୍କୁ କୁ ତୃଷାରେ ରଖିବାକୁ ଚାହିଁବେ ନାହିଁ । ଆମେ ଯେଉଁ ତୃଷା ପାଇଁ ଇଚ୍ଛା କରୁଛୁ, ଆମକୁ ବ୍ୟଥିତ କରୁଥିବା ତୃଷା, ଆମ ମାତା ପୃଥିବୀକୁ ବ୍ୟଥିତ କରୁଥିବା ତୃଷା । ତେଣୁ ଏହି ପୃଥିବୀର ସନ୍ତାନ ଭାବରେ ଆମ ସମସ୍ତଙ୍କ ଦାୟିତ୍ୱ ହେଉଛି ଆମ ମା' ପୃଥିବୀ ,ମା’ ର ତୃଷ୍ଣା ମେଣ୍ଟାଇବା । ପୃଥିବୀ ମାତାର ତୃଷା ମେଣ୍ଟାଇବା ପାଇଁ ବର୍ଷା ଜଳର ପ୍ରତ୍ୟେକ ବୁନ୍ଦା ବ୍ୟବହାର କରାଯାଉ । ଆଉ ଥରେ ପୃଥିବୀ ମାତାଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦ ପାଇବା ପରେ ଦୁନିଆର କୌଣସି ଶକ୍ତି ଆମକୁ ପଛରେ ରଖିପାରିବ ନାହିଁ ।

ମୋର ମନେ ଅଛି ଗୁଜରାଟରେ ଜଣେ ଜୈନ ମହାତ୍ମା ଥିଲେ । ପ୍ରାୟ ୧୦୦ ବର୍ଷ ତଳେ ସେ ଲେଖିଥିଲେ, ବୁଦ୍ଧି ସାଗର ଜୀ ମହାରାଜ ଥିଲେ, ସେ ଜଣେ ଜୈନ ମୁନି ଥିଲେ। ପ୍ରାୟ ୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ସେ ଏହା ଲେଖିଥିଲେ ଏବଂ ସେହି ସମୟରେ ବୋଧହୁଏ କେହି ତାଙ୍କ କଥାକୁ ବିଶ୍ୱାସ କରିନଥାନ୍ତେ । ସେ ଲେଖିଛନ୍ତି, "୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ – ଏମିତି ଏକ ଦିନ ଆସିବ ଯେତେବେଳେ ତେଜରାତି ଦୋକାନରେ ପାନୀୟ ଜଳ ବିକ୍ରି ହେବ। ୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ଲେଖାଯାଇଥିଲା ଯେ ଆଜି ଆମେ ବାଧ୍ୟ ହୋଇ ତେଜରାତି ଦୋକାନରୁ ବିସଲେରୀ ବୋତଲ କିଣି ପାଣି ପିଉଛୁ ବୋଲି ୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ କୁହାଯାଇଥିଲା।

 

ସାଥୀମାନେ

ଏହା ଏକ ଯନ୍ତ୍ରଣାଦାୟକ କାହାଣୀ । ଆମର ପୂର୍ବପୁରୁଷମାନେ ଆମଠାରୁ ଅନେକ କିଛି ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ ଭାବେ ପାଇଛନ୍ତି। ଏବେ ପାଣି ଅଭାବରୁ ଭବିଷ୍ୟତ ପିଢ଼ିକୁ ମରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ନ କରିବା ଆମର ଦାୟିତ୍ୱ। ଆସନ୍ତୁ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଆମ ପୃଥିବୀ ମାତାଙ୍କୁ, ଆମର ଭବିଷ୍ୟତ ପିଢ଼ିକୁ ହସ୍ତାନ୍ତର କରିବା । ଏବଂ ଆଜି ମୁଁ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶ ସରକାରଙ୍କୁ ସେହି ପବିତ୍ର କାର୍ଯ୍ୟ ପାଇଁ ଅଭିନନ୍ଦନ ଜଣାଉଛି । ମୁଁ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶବାସୀଙ୍କୁ ଶୁଭେଚ୍ଛା ଜଣାଉଛି। ମୁଁ ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନବାସୀଙ୍କୁ ଶୁଭକାମନା ଜଣାଉଛି । ଏବେ ଏହି କାମକୁ ବିନା ବାଧାରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ାଇବା ଆମର କାମ। ଆବଶ୍ୟକ ସ୍ଥଳେ ଯେଉଁ ଅଞ୍ଚଳରୁ ଏହି ଯୋଜନା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରାଯାଉଛି । ଲୋକମାନେ ସମ୍ମୁଖକୁ ଆସି ସମର୍ଥନ କରନ୍ତୁ । ତା'ହେଲେ ଯୋଜନାଗୁଡ଼ିକ ସମୟ ପୂର୍ବରୁ ଶେଷ ହୋଇପାରିବ ଏବଂ ଏହି ସମଗ୍ର ରାଜସ୍ଥାନର ଭାଗ୍ୟ ବଦଳିପାରିବ।

ସାଥୀମାନେ

ଏକବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀର ଭାରତ ପାଇଁ ମହିଳାମାନଙ୍କୁ ସଶକ୍ତ କରିବା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଜରୁରୀ । ଭାଇ ସେ କ୍ୟାମେରା, କ୍ୟାମେରାର ଏତେ ପସନ୍ଦ ଏତେ ପରିମାଣର ବାଢିଯାଇଛି କରାଯାଉଛି ଯେ ସେମାନଙ୍କ ଉତ୍ସାହ ବଢିଯାଇଛି । ଟିକେ ସେ କ୍ୟାମେରା ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ଅନ୍ୟ ପାର୍ଶ୍ୱକୁ ସ୍ଥାନାନ୍ତର କରନ୍ତୁ, ସେମାନେ ଥକିଯିବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆପଣଙ୍କ ଏହି ଭଲପାଇବାକୁନ ନେଇ ମୁଁ ଆପଣଙ୍କ ନିକଟରେ କୃତଜ୍ଞ । ଏହି  ଉତ୍ସାହ ଏବଂ ଉଦ୍ଦୀପନା ପାଇଁ ସାଥିମାନେ ମହିଳା ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ସମୂହରେ ଗୋଷ୍ଠୀ ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀ ର ଆନ୍ଦୋଳନରେ ନାରୀ ଶକ୍ତିର ଶକ୍ତି କ'ଣ ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ଆପଣଙ୍କ ନିକଟରେ କୃତଜ୍ଞ । ଗତ ଦଶନ୍ଧି ମଧ୍ୟରେ ଦେଶର ୧୦ କୋଟି ଭଉଣୀ ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀ ସହ ଜଡ଼ିତ ହୋଇଛନ୍ତି। ଏମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ଭଉଣୀ ମଧ୍ୟ ଅଛନ୍ତି। ଏହି ଗୋଷ୍ଠୀ ସହ ଜଡ଼ିତ ଭଉଣୀମାନଙ୍କୁ ସୁଦୃଢ଼ କରିବା ପାଇଁ ବିଜେପି ସରକାର ଦିନରାତି କାମ କରୁଛନ୍ତି। ଆମ ସରକାର ପ୍ରଥମେ ଏହି ଗୋଷ୍ଠୀଗୁଡ଼ିକୁ ବ୍ୟାଙ୍କ ସହ ସଂଯୋଗ କରିଥିଲେ, ତା'ପରେ ବ୍ୟାଙ୍କର ସହାୟତାକୁ ୧୦ ଲକ୍ଷରୁ ୨୦ ଲକ୍ଷକୁ ବୃଦ୍ଧି କରିଥିଲେ। ଆମେ ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରାୟ ୮ ଲକ୍ଷ କୋଟି ଟଙ୍କା ସହାୟତା ଆକାରରେ ଦେଇଛୁ। ଆମେ ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶିକ୍ଷଣ ଦେବାର ବ୍ୟବସ୍ଥା କରିଛୁ। ମହିଳା ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀ ସେଥିରେ ନିର୍ମିତ ସାମଗ୍ରୀ ପାଇଁ ନୂଆ ବଜାର ଯୋଗାଇ ଦେଇଛୁ ।

ଯାହାର ପରିଣାମ ଆଜି ଏହି ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀଗୁଡ଼ିକ ଗ୍ରାମୀଣ ଅର୍ଥନୀତିର ଏକ ପ୍ରମୁଖ ଶକ୍ତି ପାଲଟିଛନ୍ତି। ଏବଂ ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ମୁଁ ଏଠାକୁ ଆସୁଥିଲି, ସମସ୍ତ ବ୍ଲକରେ ମା' ଓ ଭଉଣୀମାନେ ଭର୍ତ୍ତି ଅଛନ୍ତି । ସେମାନେ କେତେ  ଉତ୍ସାହ, କେତେ ଉଦ୍ଦୀପନା । ଏବେ ଆମ ସରକାର ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀର ତିନି କୋଟି ଭଉଣୀଙ୍କୁ କୋଟିପତି କରିବା ପାଇଁ କାମ କରୁଛନ୍ତି । ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ପ୍ରାୟ ୧.୨୫ କୋଟି ଭଉଣୀ କୋଟିପତି ଦିଦି ହୋଇସାରିଛନ୍ତି । ଅର୍ଥାତ୍ ସେମାନେ ବର୍ଷକୁ ଏକ ଲକ୍ଷରୁ ଅଧିକ ଟଙ୍କା ରୋଜଗାର କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଛନ୍ତି।

 

ସାଥୀମାନେ

ନାରୀ ଶକ୍ତିକୁ ସୁଦୃଢ଼ କରିବା ପାଇଁ ଆମେ ଅନେକ ନୂଆ ଯୋଜନା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରୁଛୁ । ଏବେ ନମୋ ଡ୍ରୋନ୍ ଦିଦି ଯୋଜନା ରହିଛି। ଏହା ଅଧୀନରେ ହଜାର ହଜାର ଭଉଣୀଙ୍କୁ ଡ୍ରୋନ୍ ପାଇଲଟ୍ ଭାବେ ତାଲିମ ଦିଆଯାଉଛି। ହଜାର ହଜାର ଗୋଷ୍ଠୀଙ୍କୁ  ମିଳି  ମଧ୍ୟ ସାରିଲାଣି ।   ଭଉଣୀମାନେ ଡ୍ରୋନ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ଚାଷ କରୁଛନ୍ତି  ସେ ଏଥିରୁ ରୋଜଗାର ମଧ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି। ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର ମଧ୍ୟ ଏହି ଯୋଜନାକୁ ଆଗକୁ ନେବା ପାଇଁ ଅନେକ ପ୍ରୟାସ କରୁଛନ୍ତି ।

ସାଥୀମାନେ

ନିକଟରେ ଆମେ ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅଙ୍କ ପାଇଁ ଆଉ ଏକ ବଡ ଯୋଜନା ଆରମ୍ଭ କରିଛୁ । ଏହି ଯୋଜନା ହେଉଛି ବୀମା ସଖୀ ଯୋଜନା । ଏହା ଅଧୀନରେ ଗାଁର ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅମାନଙ୍କୁ ବୀମା କାର୍ଯ୍ୟ ସହିତ ଯୋଡ଼ାଯିବ, ସେମାନଙ୍କୁ ତାଲିମ ଦିଆଯିବ। ଏହା ଅଧୀନରେ ପ୍ରାରମ୍ଭିକ ବର୍ଷଗୁଡ଼ିକରେ ସେମାନଙ୍କ କାମ ବନ୍ଦ ନ’ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେମାନଙ୍କୁ ମାନଦଣ୍ଡ ଭାବରେ ଏକ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ରାଶି ପ୍ରଦାନ କରାଯିବ। ଏହା ଅଧୀନରେ ଭଉଣୀମାନଙ୍କୁ ଟଙ୍କା ମଧ୍ୟ ମିଳିବ ଏବଂ ଏହା ସହିତ ସେମାନଙ୍କୁ ଦେଶ ସେବା କରିବାର ସୁଯୋଗ ମଧ୍ୟ ମିଳିବ । ଆମେ ଦେଖିଛୁ ଯେ ଆମର ବ୍ୟାଙ୍କ ବନ୍ଧୁମାନେ କେତେ ଚମତ୍କାର କାର୍ଯ୍ୟ କରିଥିଲେ। ଆମ ବ୍ୟାଙ୍କ ସଖୀମାନେ ଦେଶର କୋଣ ଅନୁକୋଣକୁ ବ୍ୟାଙ୍କିଙ୍ଗ  ସେବା ପ୍ରଦାନ କରିଛନ୍ତି, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗାଁରେ ସେମାନେ ଆକାଉଣ୍ଟ ଖୋଲିଛନ୍ତି ଏବଂ ଲୋକଙ୍କୁ ଋଣ ସୁବିଧା ରେ ଯୋଡ଼ିଛନ୍ତି। ବର୍ତ୍ତମାନ ବୀମା ସଖୀ ମଧ୍ୟ ଭାରତର ପ୍ରତ୍ୟେକ ପରିବାରକୁ ବୀମା ସୁବିଧା ସହିତ ଯୋଡ଼ିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ । ଏହି କ୍ୟାମେରାମ୍ୟାନମାନଙ୍କୁ ମୋର ଅନୁରୋଧ ଯେ ଆପଣ ଆପଣଙ୍କ କ୍ୟାମେରାକୁ ଅନ୍ୟ ପାର୍ଶ୍ୱକୁ ଫେରାଇ ଦିଅନ୍ତୁ, ଦୟାକରି ଏହାକୁ ଏଠାରେ ଥିବା ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ଲୋକଙ୍କ ପାଖକୁ ନେଇ ଯାଆନ୍ତୁ ।

ସାଥୀମାନେ

ଗାଁର ଆର୍ଥିକ ସ୍ଥିତିରେ ଉନ୍ନତି ଆଣିବା ପାଇଁ ବିଜେପି ସରକାର ନିରନ୍ତର ପ୍ରୟାସ ଜାରି ରଖିଛନ୍ତି। ବିକଶିତ ଭାରତ ଗଠନ ପାଇଁ ଏହା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ । ସେଥିପାଇଁ ଗାଁରେ ରୋଜଗାର ଓ ରୋଜଗାରର ସବୁ ଉପାୟ ଉପରେ ଆମେ ଗୁରୁତ୍ୱ ଦେଉଛୁ । ବିଜେପି ସରକାର ରାଜସ୍ଥାନରେ ଶକ୍ତି କ୍ଷେତ୍ରରେ ଅନେକ ଚୁକ୍ତି କରିଛନ୍ତି। ଆମର କୃଷକମାନେ ଏଥିରୁ ଅଧିକ ଉପକୃତ ହେବାକୁ ଯାଉଛନ୍ତି । ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର କୃଷକମାନଙ୍କୁ ଦିନରେ ବିଜୁଳି ଯୋଗାଇଦେବାକୁ ଯୋଜନା କରିଛନ୍ତି। ଚାଷୀମାନଙ୍କୁ ରାତିରେ ଜଳସେଚନର ବାଧ୍ୟତାମୂଳକତାରୁ ମୁକ୍ତ କରିବା ଦିଗରେ ଏହା ଏକ ବଡ଼ ପଦକ୍ଷେପ।

 

ସାଥୀମାନେ

ରାଜସ୍ଥାନରେ ସୌର ଶକ୍ତିର ଯଥେଷ୍ଟ ସମ୍ଭାବନା ରହିଛି। ଏହି ମାମଲାରେ ରାଜସ୍ଥାନ ଦେଶର ଅଗ୍ରଣୀ ରାଜ୍ୟ ହୋଇପାରେ। ଆମ ସରକାର ସୌର ଶକ୍ତିକୁ ଏକ ମାଧ୍ୟମ କରି ଆପଣଙ୍କ ବିଦ୍ୟୁତ ୍ ବିଲ୍ କୁ ଶୂନକୁ ହ୍ରାସ କରିଛନ୍ତି। କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ପିଏମ ସୂର୍ଯ୍ୟଘର ମାଗଣା ବିଜୁଳି ଯୋଜନା ଚଳାଉଛନ୍ତି । ଏହା ଅଧୀନରେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ଘରଛାତରେ ସୋଲାର ପ୍ୟାନେଲ ଲଗାଇବା ପାଇଁ ପ୍ରାୟ ୭୫-୮୦ ହଜାର ଟଙ୍କାର ସହାୟତା ଦେଉଛନ୍ତି। ଯଦି ଆପଣ ଏଥିରୁ ଉତ୍ପନ୍ନ ହେବାକୁ ଥିବା ବିଦ୍ୟୁତବ୍ୟବହାର କରିବେ ଏବଂ ଏହା ଆପଣଙ୍କ ଆବଶ୍ୟକତାଠାରୁ ଅଧିକ, ତେବେ ଆପଣ ବିଜୁଳି ବିକ୍ରି କରିପାରିବେ ଏବଂ ସରକାର ସେହି ବିଜୁଳି ମଧ୍ୟ କିଣିବେ । ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ବର୍ତ୍ତମାନ ସୁଦ୍ଧା ଦେଶର ୧ କୋଟି ୪୦ ଲକ୍ଷରୁ ଅଧିକ ପରିବାର ଏହି ଯୋଜନା ପାଇଁ ପଞ୍ଜୀକରଣ କରିଛନ୍ତି । ଖୁବ୍ କମ୍ ସମୟ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରାୟ ୭ ଲକ୍ଷ ଲୋକଙ୍କ ଘରେ ସୋଲାର ପ୍ୟାନେଲ୍ ସିଷ୍ଟମ ଲଗାଯାଇଛି। ଏଥିରେ ରାଜସ୍ଥାନର ୨୦ ହଜାରରୁ ଅଧିକ ପରିବାର ସାମିଲ ଅଛନ୍ତି। ଏହି ସବୁ ଘରେ ସୌର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଉତ୍ପାଦନ ଆରମ୍ଭ ହେବା ସହ ଲୋକଙ୍କ ଟଙ୍କା ମଧ୍ୟ ସଞ୍ଚୟ ହେବାରେ ଲାଗିଛି।

ସାଥୀମାନେ

କେବଳ ଘର ଛାତ ଉପରେ ନୁହେଁ, କ୍ଷେତରେ ମଧ୍ୟ ସୌର ଶକ୍ତି ପ୍ଲାଣ୍ଟ ସ୍ଥାପନ କରିବାରେ ସରକାର ସାହାଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି। ପିଏମ କୁସୁମ ଯୋଜନା ଅଧୀନରେ ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଶହ ଶହ ନୂଆ ସୋଲାର ପ୍ଲାଣ୍ଟ ସ୍ଥାପନ କରିବାକୁ ଯାଉଛନ୍ତି । ଯେତେବେଳେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପରିବାର ଶକ୍ତି ଦାତା ହେବେ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଚାଷୀ ଶକ୍ତି ଦାତା ହେବେ, ସେତେବେଳେ ବିଜୁଳିରୁ ଆୟ ହେବ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପରିବାରର ଆୟ ମଧ୍ୟ ବୃଦ୍ଧି ପାଇବ ।

ସାଥୀମାନେ

ସଡ଼କ, ରେଳ ଓ ବିମାନ ଯାତ୍ରାକ୍ଷେତ୍ରରେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ସବୁଠାରୁ ସଂଯୁକ୍ତ ରାଜ୍ୟ ରେ ପରିଣତ କରିବା ଆମର ସଂକଳ୍ପ। ରାଜସ୍ଥାନ, ଦିଲ୍ଲୀ, ବଦୋଦରା ଏବଂ ମୁମ୍ବାଇ ଭଳି ବଡ଼ ଶିଳ୍ପ କେନ୍ଦ୍ରର ମଝିରେ  ଅବସ୍ଥିତ । ରାଜସ୍ଥାନବାସୀଙ୍କ ପାଇଁ, ଏଠିକାର ଏହି ରାଜ୍ୟର ଯୁବବର୍ଗଙ୍କ ପାଇଁ ଏହା ଏକ ବଡ଼ ସୁଯୋଗ। ଏହି ତିନୋଟି ସହରକୁ ରାଜସ୍ଥାନ ସହ ସଂଯୋଗ କରୁଥିବା ନୂତନ ଏକ୍ସପ୍ରେସ ୱେ ଦେଶର ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଏକ୍ସପ୍ରେସୱେ ମଧ୍ୟରୁ ଅନ୍ୟତମ । ମେଜ ନଦୀ ଉପରେ ଏକ ବୃହତ ପୋଲ ନିର୍ମାଣ ହେଲେ ସୱାଇ ମାଧୋପୁର, ବୁନ୍ଦି, ଟଙ୍କ ଏବଂ କୋଟା ଜିଲ୍ଲା ଉପକୃତ ହେବେ । ଦିଲ୍ଲୀ, ମୁମ୍ବାଇ ଏବଂ ଭଦୋଦରାର ବଡ଼ ମଣ୍ଡି ଏବଂ ବଡ଼ ବଜାରରେ ପହଞ୍ଚିବା ଏହି ଜିଲ୍ଲାଗୁଡ଼ିକର କୃଷକମାନଙ୍କ ପାଇଁ ସହଜ ହେବ । ଏହାଦ୍ୱାରା ପର୍ଯ୍ୟଟକମାନେ ଜୟପୁର ଓ ରଣଥମ୍ବୋର ବ୍ୟାଘ୍ର ଅଭୟାରଣ୍ୟରେ ପହଞ୍ଚିବା ସହଜ ହେବ। ଆମେ ସମସ୍ତେ ଜାଣୁ ଯେ ଆଜିର ସମୟରେ ସମୟ ବହୁତ ମୂଲ୍ୟବାନ ଅଟେ । ଲୋକଙ୍କ ସମୟ ବଞ୍ଚାଇବା ସହ ସେମାନଙ୍କ ସୁବିଧା କୁ ବଢ଼ାଇବା ଆମର ପ୍ରୟାସ ।

 

ସାଥୀମାନେ

ଜାମନଗର-ଅମୃତସର ଅର୍ଥନୈତିକ କରିଡର ଦିଲ୍ଲୀ-ଅମୃତସର-କଟରା ଏକ୍ସପ୍ରେସୱେ ସହିତ ସଂଯୁକ୍ତ ହେବା ପରେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ମା' ବୈଷ୍ଣୋ ଦେବୀ ଧାମ ସହିତ ସଂଯୋଗ କରିବ। ଏହା ଦ୍ୱାରା କାଣ୍ଡଲା ଓ ମୁନ୍ଦ୍ରା ବନ୍ଦର ସହ ଉତ୍ତର ଭାରତର ଶିଳ୍ପ ଜଗତ ସହ ସହ ସିଧାସଳଖ ଯୋଗାଯୋଗ ହୋଇପାରିବ । ଏହାଦ୍ୱାରା ରାଜସ୍ଥାନରେ ପରିବହନ କ୍ଷେତ୍ର ଉପକୃତ ହେବ, ଏଠାରେ ବଡ ବଡ ଗୋଦାମ ନିର୍ମାଣ ହେବ । ଏଥିରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଯୁବକ ଅଧିକ କାମ କରିବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଯୋଧପୁର ରିଙ୍ଗରୋଡରୁ ଜୟପୁର, ପାଲି, ବାରମେର, ଜୈସଲମେର, ନାଗୌର ଏବଂ ଅନ୍ତର୍ଜାତୀୟ ସୀମା କୁ ସଂଯୋଗ ରେ ସୁଧାର ଆସିବ । ଏହା ଦ୍ୱାରା ସହର ଅନାବଶ୍ୟକ ଜାମରୁ ମୁକ୍ତି ପାଇବ। ଏହା ଦ୍ୱାରା ଯୋଧପୁର କୁ ଆସୁଥିବା ପର୍ଯ୍ୟଟକ, ବେପାରୀ  ଓ ବ୍ୟବସାୟୀଙ୍କ ପାଇଁ ବହୁତ ଲାଭ ହେବ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ଏହି କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମରେ ହଜାର ହଜାର ବିଜେପି କର୍ମୀ ମଧ୍ୟ ମୋ ସାମ୍ନାରେ ଉପସ୍ଥିତ ଅଛନ୍ତି। ସେମାନଙ୍କ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଯୋଗୁଁ ଆଜି ଆମେ ଏହି ଦିନଟିକୁ ଦେଖୁଛୁ । ମୁଁ ମଧ୍ୟ ବିଜେପି କର୍ମୀମାନଙ୍କୁ କିଛି ଅନୁରୋଧ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଛି । ବିଜେପି କେବଳ ବିଶ୍ୱର ସର୍ବବୃହତ ରାଜନୈତିକ ଦଳ ନୁହେଁ, ବରଂ ଏହା ଏକ ବିରାଟ ସାମାଜିକ ଆନ୍ଦୋଳନ । ବିଜେପି ପାଇଁ ଦଳ ଠାରୁ ଦେଶ ବଡ । ବିଜେପିର ପ୍ରତ୍ୟେକ କର୍ମକର୍ତ୍ତା ସଚେତନତା ଓ ନିଷ୍ଠାର ସହ ଦେଶ ପାଇଁ କାମ କରୁଛନ୍ତି। ଜଣେ ବିଜେପି କର୍ମୀ କେବଳ ରାଜନୀତିରେ ଜଡିତ ନୁହଁନ୍ତି, ସେ ସାମାଜିକ ସମସ୍ୟାର ସମାଧାନ ରେ ମଧ୍ୟ ଜଡିତ । ଆଜି ଆମେ ଏପରି ଏକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମକୁ ଆସିଛୁ ଯାହା ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ ସହିତ ଗଭୀର ଭାବରେ ଜଡ଼ିତ । ଜଳ ସମ୍ପଦର ସଂରକ୍ଷଣ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟେକ ବୁନ୍ଦା ଜଳର ଅର୍ଥପୂର୍ଣ୍ଣ ଉପଯୋଗ ସରକାର, ପ୍ରତ୍ୟେକ ନାଗରିକଙ୍କ ସମେତ ସମଗ୍ର ସମାଜର ଦାୟିତ୍ୱ । ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ବିଜେପି କର୍ମୀ ଏବଂ ମୋ ବିଜେପିର ପ୍ରତ୍ୟେକ ସହକର୍ମୀଙ୍କୁ ସେମାନଙ୍କ ଦୈନନ୍ଦିନ ଦିନଚର୍ଯ୍ୟାରେ ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ କାର୍ଯ୍ୟରେ କିଛି ସମୟ ଦେବାକୁ ଏବଂ ଅତ୍ୟନ୍ତ ନିଷ୍ଠାର ସହ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବାକୁ କହିବାକୁ ଚାହେଁ । କ୍ଷୁଦ୍ର ଜଳସେଚନ, ଡ୍ରିପ୍ ଜଳସେଚନ ସହିତ ଜଡିତ, ଅମୃତ ସରୋବର ରକ୍ଷଣାବେକ୍ଷଣରେ ସାହାଯ୍ୟ କରିବା, ଜଳ ପରିଚାଳନାର ମାଧ୍ୟମ ସୃଷ୍ଟି କରିବା ଏବଂ ଜନସାଧାରଣଙ୍କୁ ସଚେତନ କରିବା। ପ୍ରାକୃତିକ ଚାଷ ପ୍ରତି ଚାଷୀଙ୍କୁ ସଚେତନ ମଧ୍ୟ କରିବା ଦରକାର।

ଆମେ ସମସ୍ତେ ଜାଣୁ ଯେ ଯେତେ ଅଧିକ ଗଛ ରହିବ, ଏହା ପୃଥିବୀକୁ ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ କରିବାରେ ସେତେ ଅଧିକ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ । ସେଥିପାଇଁ  ଏକ ପେଡ ମା’ କେ ନାମ ଅଭିଯାନ ବହୁତ ସାହାଯ୍ୟ କରିପାରିବ। ଏହା ଦ୍ଵାରା ଆମ ମା'ଙ୍କ ସମ୍ମାନ ବଢିବା ସହ ପୃଥିବୀ ମାତାଙ୍କ ସମ୍ମାନ ମଧ୍ୟ ବଢିବ । ପରିବେଶ ପାଇଁ ଅନେକ କାମ ହୋଇପାରେ। ଉଦାହରଣ ସ୍ୱରୂପ, ମୁଁ ପିଏମ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଘର ଅଭିଯାନ ବିଷୟରେ କହିସାରିଛି । ବିଜେପି କର୍ମୀମାନେ ସୌର ଶକ୍ତିର ବ୍ୟବହାର ବିଷୟରେ ଲୋକଙ୍କୁ ସଚେତନ କରିପାରିବେ, ଏହି ଯୋଜନା ଏବଂ ଏହାର ଫାଇଦା ବିଷୟରେ କହିପାରିବେ । ଆମ ଦେଶର ଲୋକମାନଙ୍କର ସ୍ୱଭାବ ରହିଛି। ଯେତେବେଳେ ଦେଶ ଦେଖିଥାଏ ଯେ କୌଣସି ଅଭିଯାନର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଠିକ୍, ତା'ର ନୀତି ଠିକ୍, ସେତେବେଳେ ଲୋକମାନେ ଏହାକୁ କାନ୍ଧରେ ବୋହି ନେଇଥାନ୍ତି, ଏହା ସହିତ ଜଡ଼ିତ ହୁଅନ୍ତି ଏବଂ ଏକ ମିଶନ କାର୍ଯ୍ୟ ସହିତ ନିଜକୁ ଯୋଡ଼ି ଦିଅନ୍ତି । ସ୍ୱଚ୍ଛ ଭାରତରେ ଆମେ ଏହା ଦେଖିଛୁ । ବେଟି ବଚାଓ ବେଟି ପଢ଼ାଓ ଅଭିଯାନରେ ଆମେ ଏହା ଦେଖିଛୁ। ମୋର ବିଶ୍ୱାସ ଯେ ପରିବେଶ ସଂରକ୍ଷଣ ତଥା ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ କ୍ଷେତ୍ରରେ ମଧ୍ୟ ଆମକୁ ସମାନ ସଫଳତା ମିଳିବ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ରାଜସ୍ଥାନରେ ଯେଉଁ ଆଧୁନିକ ଉନ୍ନୟନ ମୂଳକ କାର୍ଯ୍ୟ ହେଉଛି, ଯେଉଁ ଭିତ୍ତିଭୂମି ନିର୍ମାଣ କରାଯାଉଛି, ତାହା ବର୍ତ୍ତମାନ ଓ ଭବିଷ୍ୟତ ପିଢ଼ି ପାଇଁ ଉପଯୋଗୀ ହେବ। ଏହା ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଏକ ବିକଶିତ ରାଜସ୍ଥାନ ରେ ପରିଣତ କରିବାରେ ସହାୟକ ହେବ ଏବଂ ଯେତେବେଳେ ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶ ହେବ, ଭାରତ ମଧ୍ୟ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ ବିକଶିତ ହେବ । ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନ ସରକାର ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ କାମ କରିବ । ମୁଁ ଆଶ୍ୱାସନା ଦେଉଛି ଯେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶ ପାଇଁ କୌଣସି କସରତ ଛାଡ଼ିବେ ନାହିଁ । ପୁଣି ଥରେ ଆପଣମାନେ ଏତେ ସଂଖ୍ୟକ ସଂଖ୍ୟାରେ ଆପଣଙ୍କୁ, ବିଶେଷ କରି ମା' ଭଉଣୀମାନଙ୍କୁ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେବା ପାଇଁ ଆସିଛନ୍ତି, ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ମୁଣ୍ଡ ନୁଆଁଇ ଧନ୍ୟବାଦ ଜଣାଉଛି, ଏବଂ ଆଜିର ସୁଯୋଗ ଆପଣଙ୍କ ପାଇଁ ଏବଂ ଆଜିର ସୁଯୋଗ ଆପଣଙ୍କ ପାଇଁ । ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଶୁଭେଚ୍ଛା ଜଣାଉଛି । ତୁମର ପୂରା ଶକ୍ତି ସହିତ ଦୁଇ ହାତ ଉଠାନ୍ତୁ ଏବଂ ମୋ ସହିତ କଥା ହୁଅନ୍ତୁ -

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ!

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ!

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ!

ଆପଣଙ୍କୁ ବହୁତ ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ!