For decades, Congress stalled the development of Vidarbha & Marathwada: PM Modi
The land of Nanded reflects the purity of India's Sikh Gurus: PM Modi
The I.N.D.I alliance only believe in vote-bank politics: PM Modi

छत्रपति शिवाजी महाराज की जय,
श्री संत सेवालाल महाराज की जय,
हर हर महादेव

सर्वल्ला राम-राम
नांदेड आणि हिंगोलीकरांना माझा नमस्कार.
26 एप्रिलची तयारी झाली ना? खरैच।

मैं सबसे पहले मराठवाड़ा की महान धरती से हुजूर साहिब को, गुरुगोविंद सिंह जी को प्रणाम करता हूं। मैं रेणुका माता और दत्त भगवान के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं बाबासाहेब आंबेडकर और नानाजी देशमुख दोनों भारत रत्न जैसे राष्ट्रपुरुषों को नमन करता हूँ।

साथियों,

कल देश में पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ है। मैं वोटिंग करने वाले सभी लोगों को और विशेषकर हमारे फर्स्ट टाइम वोटर्स को बहुत-बहुत बधाई देता हूं और उनका आभार व्यक्त करता हूं। मतदान के बाद अलग-अलग लोगों ने बूथ लेबल तक का जो एनालिसिस किया। और जो जानकारियां मिल रही हैं, उससे ये विश्वास पक्का हो रहा है कि पहले चरण में NDA के पक्ष में एकतरफा मतदान हुआ है। लेकिन मैं देशवासियों से आग्रह करूंगा, एनडीए की जीत आप पक्की कर रहे हैं। मैं सर झुकाकर आपका आभार व्यक्त करता हूं। लेकिन जो लोग मतदान नहीं कर रहे पहले चरण में, लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत होता है। आप किसी को भी वोट दें। लेकिन वोट जरूर दें। हमें वोट में कभी भी उदासीनता नहीं करनी चाहिए। और ये बात सही है। गर्मी बहुत है। दिक्कतें भी हैं। शादियां भी हैं। कुछ इलाके हैं जहां किसान भी काम में हैं। फिर भी जब हम देश के जवान की तरफ देखते हैं, कोई भी मौसम हो सीमा पर कितनी ही ठंड हो, बर्फ गिरती हो, कितना ही गर्मी हो, वो डटा रहता है क्यों, देश के लिए। मैं मानता हूं कि मतदाताओं के मन में भी ये भाव होना चाहिए कि मैं मतदान किसी भी उपकार नहीं करता हूं। मैं मतदान करके मेरे देश का भविष्य पक्का करता हूं। मेरे देश के भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए मतदान करता हूं। और इसीलिए एनडीए के भव्य विजय की पहले चरण में साफ-साफ आपका सहयोग के बावजूद भी लोकतंत्र के लिए मैं फिर आग्रह करूंगा कि भारी मतदान होना चाहिए और मैं राजनीतिक क्षेत्र के सभी दल के कार्यकर्ताओं से कहूंगा। भले आपको लगता हो कि भई अब चुनाव हारने वाले हैं, क्यों मेहनत करें। मैं उनको भी कहता हूं। लोकतंत्र के लिए मेहनत कीजिए। अरे आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं तो नरसों, अरे कभी तो मौका आएगा। ऐसे निराश होकर क्या बैठ गए हो। और इसीलिए, इसलिए जिनकी हार सुनिश्चित है, उनके कार्यकर्ताओं का भी हौसला बुलंद करते हुए मैं कहना चाहता हूं कि आप मतदाताओं को जरूर मतदान करने के लिए प्रेरित कीजिए। क्योंकि दुनिया के लोगों को, दुनिया में वोटिंग परसेंटेज बहुत कम होता है। भारत में जब इतना सारा वोटिंग परसेंटेज होता है, उसका विश्व में प्रभाव होता है। भारत के लोकतंत्र की ताकत का एक मजबूत उदाहरण बनता है। दुनिया को भी भारत को समझने के लिए अधिकतम वोटिंग बहुत जरूरी होता है। और आने वाले 25 साल तो विश्व में भारत के महात्म्य के वर्ष है। और इसलिए अधिक मतदान हमारी लोकतंत्र की ताकत का परिचय देता है।

साथियों,

वोटर भी देख रहे हैं कि कैसे इंडी एलायंस के लोग अपने स्वार्थ में अपने भ्रष्टाचार को बचाने के लिए एक साथ आए हैं। और इसलिए खबरें यही है कि पहले चरण में वोटर्स ने इंडी एलायंस को पूरी तरह नकार दिया है, क्योंकि मतदाता जब मतदान करने जाता है, सोचता है भई, ये इंडी अलायंस वालों आखिर देश किसके हाथ में सौंपना है? कोई तो चेहरा बताओ। इतना बड़ा देश हम किसको सुपुर्द करे। कुछ तो बताओ। वो बता ही नहीं पा रहे। ये लोग दावे जो करें, लेकिन सच्चाई यही है कि चुनाव की घोषणा से पहले से ही कांग्रेस के नेता अपनी हार मान चुके हैं और इसलिए कुछ नेता जो लगातार लोकसभा में जीतकर के आते थे। इस बार आपने देखा है, वो लोकसभा का चुनाव छोड़ करके राज्यसभा के रास्ते से अंदर जाकर बैठ गए हैं। चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं रही है जी। हालात यह है इंडी अलायंस वालों को इस चुनाव में लड़ने के लिए उम्मीदवार तक नहीं मिल रहे हैं। ज्यादातर सीटों पर इनके नेता प्रचार ही नहीं करने जा रहे हैं। और आप जान कर के हैरान हो जाएंगे। इस देश की करीब-करीब 25 प्रतिशत सीटें ऐसी हैं, 25 प्रतिशत। जहां कि यह इंडी अलायंस के लोग अंदर-अंदर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अब वो किस प्रकार की बातें करते हैं जी। कोई कल्पना कर सकता है। चलो भई एकआध दो में गड़बड़ हो जाए, वो तो समझ सकते हैं। 25 परसेंट सीटें ऐसी हैं इस देश की लोकसभा की, जिसमें यह जो अपनेआप का गठबंधन का क्लेम करते हैं, वो आपस में चुनाव लड़ रहे हैं। आपस में वो एक-दूसरे को जेल में डालने की बातें कर रहे हैं। आपस में एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। क्या ऐसे लोगों पर भरोसा कर सकते हैं क्या? ऐसे लोगों पर भरोसा कर सकते हैं? जो अंदर-अंदर भरोसा नहीं कर सकते हैं, उस पर आप भरोसा कर सकते हैं क्या? देश भरोसा कर सकता है? जो आज साथ होने के बाद भी 25 प्रतिशत सीटों पर लड़ते हैं तो अगर उनको थोड़ी सीटें पार्लियामेंट में मिल गई तो अंदर भी वह तूफान करेंगे। और इसलिए इस चुनाव में इनको सबक सिखाना बहुत जरूरी है।

भाइयों,

और देखिए कांग्रेस के जो शहजादे हैं, उन्हें भी वायनाड में संकट दिख रहा है। शहजादे और उनकी टोली 26 अप्रैल को वायनाड में वोटिंग का इंतजार कर रही है। जैसे ही 26 को वायनाड में वोटिंग पूरा हो जाएगा, यह शहजादे के लिए एक और सुरक्षित सीट घोषित कर देंगे और कहीं और से फिर से लड़ाना पड़ेगा उनको। क्योंकि उनके अलायंस के साथी भी एक-दूसरे को गालियां दे रहे हैं। कल आपने उनके साथी केरल के मुख्यमंत्री ने जो शहजादे को सुनाई है, मैं भी कभी ऐसी भाषा नहीं बोलता हूं, ऐसी भाषा बोली है उन्होंने साथी को। यह हाल है उनका। अब जैसे इन्होंने अमेठी से भागना पड़ा। अमेठी छोड़ा, अब मान के चलिए वो वायनाड भी छोड़ेंगे। आप कांग्रेस का यह परिवार, आपको आश्चर्य होगा आजादी के पहली बार स्थिति ऐसी बन रही है कि कांग्रेस का परिवार इस चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं देगा। खुद, खुद कांग्रेस को वोट नहीं देगा। यह हाल है इनका, क्योंकि जहां वह रहते हैं वहां कांग्रेस का उम्मीदवार ही नहीं है। अब ये, ऐसी स्थिति कभी सोची है आपने कांग्रेस की, कि जिस परिवार के भरोसे कांग्रेस चलती है वो परिवार खुद कांग्रेस को वोट नहीं दे पाएगा।


साथियों

आप देखिएगा, 4 जून के बाद इंडी गठबंधन आज जो 25 परसेंट सीटों पर बिखरा है। लड़ाई अंदर-अंदर लड़ रहा है। चार जून के बाद वो शत-प्रतिशत एक-दूसरे के कपड़े फाड़ने वाले हैं। एक-दूसरे के बाल नोचने वाले हैं। इसलिए यह इंडी अगाड़ी के लिए, मुझे बताइए कोई भी समझदार नागरिक इनके लिए वोट बर्बाद करेगा क्या? कभी भी वोट बर्बाद करेगा क्या? और मैं तो मतदाताओं कहता हूं आइए, जी भर करके एनडीए को वोट दीजिए। पूरी ताकत से वोट दीजिए। एनडीए को वोट करना है, विकसित भारत के लिए वोट करना है। और इसलिए ही आज पूरा देश कह रहा है- फिर एक बार, मोदी सरकार। फिर एक बार, मोदी सरकार। फिर एक बार, मोदी सरकार।

साथियों,

काँग्रेस गरीब, दलित, वंचित, मजदूर, किसान के विकास के सामने हमेशा दीवार बनकर खड़ी है। आज भी NDA सरकार गरीब के लिए कोई काम करती है तो काँग्रेस उसका मजाक उड़ाती है। आजादी के 6 दशकों बाद पहली बार हमने करोड़ों गरीब महिलाओं को शौचालय देने का अभियान शुरू किया। तब काँग्रेस और इंडी अघाड़ी वाले लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे। मैंने 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के पहली बार बैंक खाते खुलवाए। तब ये लोग कहते थे कि गरीब बैंक खाते का क्या करेगा? हम देश में डिजिटल इंडिया और UPI जैसी टेक्नोलॉजी लेकर आए। तब काँग्रेस सरकार के एक बड़े मंत्री रहे हुए व्यक्ति कहते थे कि डिजिटल लेन-देन अनपढ़-गरीबों के बस की बात नहीं है। जिस काँग्रेस पार्टी की सोच ही ऐसी हो, जिसको देश की जनता पर भरोसा ही न हो, उससे आप देश के विकास की उम्मीद कभी कर सकते हैं क्या? उनपर भरोसा कर सकते हैं क्या? ये लोग महाराष्ट्र और मराठावाड़ा की समस्याओं का कभी भी समाधान कर सकते हैं क्या? आपकी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं क्या?

साथियों,

काँग्रेस ने दशकों तक महाराष्ट्र और खासकर विदर्भ और मराठावाड़ा के विकास का दम घोंटने का काम किया है। इस क्षेत्र में सूखे की स्थिति, पानी का संकट एक दिन में नहीं पैदा हुआ है! काँग्रेस के रवैये के कारण यहाँ किसान गरीब होते गए। यहाँ उद्योगों से जुड़ी संभावनाएं सूखती चली गईं। मराठावाड़ा के लाखों युवाओं को पलायन करना पड़ा। आपको इस स्थिति से निकालने के लिए NDA सरकार प्रतिबद्ध है। यहां एकनाथ शिंदे जी, देवेंद्र फडणवीस जी और अजीत पवार जी मिलकर किसानों के हित में काम कर रहे हैं। और अब तो इस क्षेत्र में और खुशी की बात है। अशोक जी भी हमारे साथ आ गए हैं। और मुझे याद है मैं जब राजनीति में भी नहीं था। और मुझे कभी लगता भी नहीं था कभी मैं राजनीति में जाऊंगा। उस समय ऊटपटी साईंबाबा ने मुझे उनके पिताजी से परिचय करवाया। साईंबाबा का मुझपर बहुत प्रेम रहता था। और मैं उनके पिताजी के साथ लंबे अरसे, वहां समय था तो काफी देर बैठा। इतने उच्च पदों पर रहने के बावजूद भी राजनीतिक जीवन में इतना लंबा सफल करियर रहने के बाद मैंने उनकी जो नम्रता, मैं तो बहुत छोटी आयु का था। सामान्य मेरे राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन जिस प्रकार से प्यार से उनसे बातें करने का सौभाग्य मुझे मिला, वो मैं कभी भी भूल नहीं सकता हूं। मैं हमेशा उनके व्यवहार में से आज भी कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करता हूं। और उनका पूरा परिवार आज हमारे साथ है।

साथियों,

अब नांदेड़ के 80 प्रतिशत से ज्यादा घरों में नल से जल आने लगा है। सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए अपर पैनगंगा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यहाँ के किसानों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत किसानों को प्रीमियम से 5 गुना ज्यादा क्लेम दिलवाया है। किसान सम्मान निधि के तहत अकेले नांदेड़ के किसानों को ही 1300 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले हैं। इस क्षेत्र में तो ज्वार-बाजरा बहुत होता है। हमारी सरकार ने इस मोटे अनाज को पूरे देश में एक पहचान दी है। उसके लिए पहचान दी है- श्रीअन्न। चाहे ज्वार हो, बाजरा हो, वो श्रीअन्न के साथ पहचाने जाएं। और जब से ये काम शुरू किया है, दुनिया भर में लोगों का ध्यान हमारे श्रीअन्न पर गया है। सुपर फूड के रूप में गया है। और न्यूट्रीशन की दृष्टि से बहुत बड़ा ताकतवर संदेश गया है। और इसका भी बड़ा लाभ नांदेड़ के किसानों को मिलना तय है।

साथियों,

काँग्रेस के दिये हर जख्म का इलाज करना, ये मोदी की गारंटी है। इस क्षेत्र को शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे और समृद्धि महामार्ग जैसी वर्ल्ड क्लास रोड्स मिली हैं। लातूर की रेल कोच फैक्ट्री का लोकार्पण करने का सौभाग्य मुझे ही मिला था। उड़ान योजना के तहत नांदेड़ एयरपोर्ट को भी फिर से शुरू कर दिया गया है। पीएम आवास योजना के तहत यहाँ हजारों गरीबों को पक्के घर भी मिले हैं। आयुष्मान योजना के जरिए 3 लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। लेकिन, इन 10 वर्षों में जो काम हुआ है, वो तो अभी केवल ट्रेलर है। अभी तो हमारा बहुत समय काँग्रेस के गड्ढों को भरने में गया है। अगले 5 वर्षों में हमें मराठावाड़ा और महाराष्ट्र को बहुत आगे लेकर जाना है।

साथियों,

नांदेड़ की ये धरती, सिख गुरुओं के चरणों से पवित्र हुई है। खालसा पंथ की गुरु परंपरा और गुरु गोबिंद सिंह की सीख हमेशा हमारी सरकार के लिए प्रेरणा रही है। बीते 10 वर्षों में हमने ‘सरबत दा भला’ के रास्ते को मानकर लोक कल्याण के लिए काम किया है। हमारी सरकार को गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाशोत्सव बनाने का... गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व मनाने का... गुरु गोविंद सिंह का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का सौभाग्य मिला। करतारपुर कॉरिडोर का काम पूरा होने के बाद लाखों श्रद्धालुओं को वहां के दर्शन में मदद मिल रही है। लंगर को टैक्स फ्री करने का निर्णय हो या हरमिंदर साहिब के लिए FCRA की अनुमति हो। हुजूर साहिब और हेमकुंड साहिब के दरबार तक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का इंतजाम करना हो। NDA सरकार ने सिख परंपरा से जुड़े हर तीर्थ के विकास के लिए पूरी शक्ति और पूरी भक्ति से काम किया है। ये हमारी ही सरकार है जो अफगानिस्तान से, वहां जब संकट आया। निर्दोष लोगों की हत्याएं होने लगीं। हमारे धर्म स्थानों पर हमले होने लगे। तब अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूपों को पूरी सुरक्षा और मान-मर्यादा के साथ हम अफगानिस्तान से भारत ले आए। ये हमारी ही सरकार है जो बंटवारे के पीड़ितों के लिए CAA लेकर आई। CAA ना होता तो हमारे सिख भाई-बहनों का क्या हुआ होता? जो अफगानिस्तान से आए हैं उनका क्या गुनाह है? लेकिन कांग्रेस इसका भी विरोध कर रही है। ऐसा लगता है कि 84 का बदला कांग्रेस सिखों से अब तक ले रही है।

साथियों,

हमारी सरकार जो कहती है, वो करके दिखाती है। मोदी की गारंटी यानी, गारंटी पूरी होने की गारंटी। मोदी ने गारंटी दी थी- कश्मीर को आर्टिकल-370 से मुक्ति मिलेगी। आर्टिकल-370 आज इतिहास बन चुका है। मोदी ने गारंटी दी थी- तीन तलाक खत्म होगा। आज मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से मुक्ति मिल चुकी है। मोदी ने गारंटी दी थी- देश की अर्थव्यवस्था को गड्ढे से निकालेंगे। आज भारत दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब मोदी की गारंटी है, भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। और आप सब देख रहे हैं-आज अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है। लेकिन ये इंडी अघाड़ी वाले क्या कर रहे हैं? लेकिन ये इंडी अघाड़ी वाले क्या कर रहे हैं? ये लोग सनातन को गाली दे रहे हैं। ये लोग राममंदिर प्राणप्रतिष्ठा का बहिष्कार करने को सही ठहरा रहे हैं। ये लोग राममंदिर में पूजा-अर्चना को पाखंड बताकर हमारी आस्था का अपमान कर रहे हैं। क्या ये माफ करने योग्य है क्या? ऐसे लोगों को माफ किया जा सकता है क्या?

साथियों,

मराठावाड़ा केवल एक इलाका नहीं, ये हमारे भारत का सुरक्षा कवच है। मुगल आए, अंग्रेज आए, लेकिन मराठा शौर्य ने ये सिद्ध किया कि भारत हमेशा रहने वाला है। आज एक बार फिर, विकसित महाराष्ट्र और विकसित भारत के लिए विकसित मराठावाड़ा के लिए हमें सबसे आगे खड़ा होना दिखता है। आने वाली 26 अप्रैल को आपको मराठावाड़ा के विकास के लिए नांदेड लोकसभा से प्रताप राव पाटिल और हिंगोली लोकसभा से बाबूराव कोहलीकर इनको रिकॉर्ड वोट से जिताकर मुझे मजबूती करनी है। ये दोनों उम्मीदवार आपके सांसद बनकर संसद में मोदी को ताकत देंगे। और इसके लिए आपको कुछ काम करना है। करेंगे। आपको कुछ काम करना है। करेंगे। एक, आपके बूथ में मतदान के पुराने सारे रिकॉर्ड टूटने चाहिए। ज्यादा से ज्यादा मतदान करना है। करेंगे। बूथ में ज्यादा से ज्यादा मतदान पक्का करेंगे। दूसरा, हमें पोलिंग बूथ जीतना है। पोलिंग बूथ जीतेंगे। पोलिंग बूथ जीतेंगे। हर पोलिंग बूथ जीतेंगे। सभी मतदाताओं से मेरा आग्रह है हर पोलिंग बूथ जीतना है। अच्छा मेरा एक और काम करना है, करेंगे। करेंगे। देखिए, महाराष्ट्र के घर-घर जाना। और हर परिवार में जाकर के मोदी का प्रणाम पहुंचाना। मेरे प्रणाम पहुंचाएंगे। हर घर में पहुंचाएंगे। बोलिए…
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बहुत बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!