QuotePM Modi pays floral tribute to the 72-ft tall statue of Pandit Deendayal Upadhyaya Ji on his birth anniversary in Delhi
QuoteIt is our solemn responsibility to construct the golden future for India, a vision cherished by stalwarts like Deendayal Upadhyaya Ji: PM Modi
QuoteI consistently encourage our dedicated karyakartas to incorporate Deendayal Ji's seven sutras into their lives, says PM Modi
QuoteAfter Chandrayaan-3's success, people in foreign countries are congratulating the common Indians. After G20 too, the manner in which India was appreciated has increased the respect that every Indian get: PM

भारत माता की...

भारत माता की...

भारत माता की...

मैं कहूंगा दीनदयाल उपाध्याय, आप कहिए अमर रहे... अमर रहे...
दीनदयाल उपाध्याय... दीनदयाल उपाध्याय... दीनदयाल उपाध्याय...
कार्यक्रम में उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी हमारे वरिष्ठ नेता राजनाथ और पार्टी के अन्य सभी पदाधिकारीगण एवं साथियों!

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आज हम सबके प्रेरणास्रोत दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मजयंती का पावन अवसर एक प्रेरक अवसर हम सबके लिए प्राणशक्ति देता आया है। आज सुबह मुझे जयपुर में धानक्या रेलवे स्टेशन के पास जाने का सौभाग्य मिला। जब राजस्थान में भाजपा सरकार थी तो वहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण हुआ था। आज मैंने कुछ समय वहां बिताया, मेरा आप सबसे आग्रह है कि जब भी आपका जयपुर जाना हो कुछ समय निकालकर के वहां जरूर जाइए। बहुत ही अच्छे ढ़ंग से दीनदयाल जी के जीवन को समझने के लिए वहां पर कुछ प्रयास किया गया है। और हम जो उनकी प्रेरणा को लेकर के चल रहे हैं, हमारे मन में हमेशा रहना चाहिए। कम से कम दो स्थान मैं जरूर कहूंगा.. एक वो स्थान रेलवे की छोटी सी कुटीर में दीनदयाल जी का जन्म हुआ था, जहां आज म्यूजियम बना हुआ है और दूसरा जहां दीनदयाल जी ने अंतिम श्वास लिया, वो भी रेल की पटरी थी, वहां भी दीनदयाल जी का एक स्मारक, जो काशी से बहुत दूर नहीं है, जब भी हमें जाने का मौका मिले कुछ पल वहां जाकर बिताना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी जरूर इन दोनों स्थानों पर समय निकाल कर जाएंगे। और मुझे हमेशा एक बात का गर्व होता है कि जिस दीनदयाल के विचारों को लेकर के हम जी रहे हैं उनसे प्रेरणा पाकर जी रहे हैं, मेरे लिए वो बहुत महान व्यक्तित्व उनके चरणों में बैठने का सौभाग्य मिला ये अपने आप में बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी लगता है कि उनका जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ था, मेरा जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ रहा। सुबह उस पवित्र स्थान से आज यहां सीधा एयरपोर्ट से आपके बीच आया हूं। और ये शाम मुझे दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय पार्क में उनकी प्रतिमा के लोकार्पण का अवसर मिला है। और कितना अद्भुत और सुखद संयोग हम देख रहे हैं। एक ओर ये दीनदयाल उपाध्याय पार्क है, और सामने ही भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय है। उनके ही रोपे गए बीज से आज बीजेपी का विशाल वटवृक्ष बन चुकी है। ऐसे में, दीनदयाल जी की ये प्रतिमा हम सबके लिए ऊर्जा का स्रोत बनेगी। ये प्रतिमा ‘राष्ट्र प्रथम’ के प्रण का प्रतीक बनेगी। ये प्रतिमा दीन दयाल जी द्वारा दिए गए एकात्म-मानवदर्शन की प्रेरणा बनेगी। ये प्रतिमा हमें हमारे अंत्योदय के संकल्प की याद बार-बार दिलाती रहेगी। ये प्रतिमा इस बात की भी प्रतीक बनेगी कि हमें देश में राजनैतिक शुचिता को हमेशा जीवंत बनाए रखना है। मैं इस अवसर पर दीनदयाल जी के चरणों में नमन करता हूँ, उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हू

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मेरे परिवारजनों,
दीनदयाल जी की जयंती से ठीक पहले देश ने एक ऐसा काम भी पूरा किया है, जिसने इस अवसर का संतोष और बढ़ा दिया है। पिछले सप्ताह ही भाजपा के नेतृत्व से संसद में ‘नारीशक्ति वंदन अधिनियम’ पास हुआ है। दीनदयाल जी ने एकात्म मानवदर्शन का, integral humanism का, जो मंत्र राजनीति को दिया था, ये उसी विचार का विस्तार है। राजनीति में महिलाओं की उचित भागीदारी के बिना हम समावेशी समाज की, डेमोक्रेटिक इंटिग्रेशन की बात नहीं कर सकते। इसलिए, ये कदम न केवल हमारे लोकतन्त्र की जीत है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के तौर पर हमारी वैचारिक जीत भी है।

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मेरे परिवारजनों,
आज हमारे जैसे करोड़ों लोग दीनदयाल जी के मार्ग का अनुसरण करते हैं, उन्हें अपना आदर्श मानकर काम करते हैं। लेकिन, हम जो सामने देख रहे हैं, उसकी जड़ों में क्या है, ये जानना भी उतना ही जरूरी होता है। कैसे उन्होंने एक मिशन के लिए, एक संकल्प के लिए अपना पूरा जीवन खपाया, और तब आज उसका फल हमें मिल रहा है, देश को मिल रहा है। हम सब जब उन्हें याद करते हैं तो उनके लिखे पत्र भी बार-बार याद आते हैं। हम जानते हैं कि बचपन में ही माता-पिता की मृत्यु की वजह से दीनदयाल जी ज्यादातर समय अपने ननिहाल में ही रहे। एक बार दीनदयाल जी ने अपने मामा को एक पत्र लिखा था। और आप सबमें से सभी पुराने कार्यकर्ताओं ने वो पत्र जरूर पढ़ा होगा। उस समय उनका परिवार समस्याओं से घिरा हुआ था, उनके मामा जी शायद चाह रहे थे कि वो समाज कार्यों को छोड़कर घर वापस आ जाएं, कुछ पैसे कमाने के लिए कोई नौकरी ज्वाइन कर लें। तब दीनदयाल जी ने एक चिट्ठी लिखी थी और उस पत्र में उन्होंने लिखा था कि-“एक ओर भावना और मोह खींचते हैं, तो दूसरी ओर प्राचीन ऋषियों और हुतात्माओं की आत्माएं पुकारती हैं। उन्होंने व्यक्तिगत पारिवारिक जिम्मेदारियों की जगह राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का मार्ग चुना।

मेरे परिवारजनों,
दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमेशा समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की बात की थी। यही उनके अंत्योदय का संकल्प था। इसी संकल्प पर चलते हुए बीते 9 वर्षों में हमने अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का सामर्थ्य बढ़ाने, उसके जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। अब समय है कि हम शतप्रतिशत गरीबों वंचितों तक पहुँचकर समग्र विकास को सिद्ध करें। अंत्योदय का ये संकल्प हमारी योजनाओं में भी दिख रहा है, हमारे व्यक्तिगत प्रयासों में भी दिख रहा है। आज़ादी के अमृत काल में हमने सैचुरेशन यानि जनकल्याण की हर योजना को शतप्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। सैचुरेशन तक पहुंचने के इस अभियान का मतलब है, भेदभाव की सारी गुंजाइश को खत्म करना, तुष्टिकरण की आशंकाओं को समाप्त करना, स्वार्थ के आधार पर लाभ पहुंचाने की प्रवृत्ति को खत्म करना, और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक सरकारी लाभ पहुंचे, ये सुनिश्चित करना। यही तो है अंत्योदय। जब सरकारी मशीनरी खुद ये लक्ष्य बना ले कि उसे हर पात्र व्यक्तितक पहुंचना है, तो फिर पक्षपात, भेदभाव, टिक ही नहीं पाता। इसलिए हमारा ये सेवा अभियान, सोशल जस्टिस, सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा माध्यम है। और यही सच्ची पंथनिरपेक्षता है, सच्चा सेक्युलरिज़्म है।

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साथियों,
मैं हमेशा से ही कार्यकर्ताओं से दीनदयाल जी के सात सूत्रों को जीवन में उतारने का आग्रह करता हूं। आज फिर से इन सूत्रों को याद करने का दिन है। ये सूत्र हैं- सेवाभाव, संतुलन, संयम, समन्वय, सकारात्मक, संवेदना और संवाद। इस समय देश में हम कर्त्तव्य काल की राह पर चल पड़े हैं। इस समय तो ये सूत्र और भी सामयिक हो जाते हैं। आज देश में जितनी भी योजनाएं चल रही हैं उसमें हमारे कार्यकर्ताओं का सेवाभाव, समन्वय और संवेदना इनका प्रभाव और बढ़ा सकती हैं। सेवाभाव से अगर हमारे कार्यकर्ता लोगों के सुख-दुख से जुड़ेंगे तो योजनाओं के विस्तार को नई ताकत मिलेगी, हमारे हर कार्यकर्ता को संवेदना के साथ योजनाओं को समझना और उनको हर व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश करनी होगी। कार्यकर्ता को दो स्तर पर संवाद बनाकर रखना है। पहला सरकार के स्तर पर जिससे उन्हें योजनाओं के बारे में पता चल सके। आपको ये पता रहेगा कि आपके इलाके में किन योजनाओं की जरुरत है इसके लिए आपको नमो एप और mygov.in से मदद मिल जाएगी। दूसरा स्तर, जो ज्यादा महत्वपूर्ण है वो है जनता जनार्दन से संवाद बनाने का है। आप सामान्य मानवी से संवाद करें उन्हें बताएं कि आपके लिए इस तरह की योजना चल रही है। जितना अधिक संवाद करेंगे उतना ही योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में आसानी होगी। हमें इसी सकारात्मक सोच से आगे बढना है।

साथियों,
जब हम बड़े सपने देखते हैं, बड़े लक्ष्यों के लिए प्रयास करते हैं, और सबको साथ लेकर चलते हैं, तो हमारी सक्सेस का स्केल भी बहुत बड़ा हो जाता है। सार्वजनिक सफलता हमेशा व्यक्तिगत सफलता से कहीं ज्यादा गौरव की अनुभूति करवाती है। आप भी देख रहे हैं कि आज जब भारत ने अपने सामर्थ्य से अपनी छवि को बदला है, तो विदेशों में एक आम भारतीय को भी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। अभी हाल में ही, सोशल मीडिया पर आपने देखा होगा, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद विदेशों में लोग आम भारतीयों को बधाई दे रहे हैं। G-20 के बाद भी पूरी दुनिया में जिस तरह भारत की वाहवाही हुई है, उससे हर भारतवासी का सम्मान और बढ़ा है। और ये मुकाम हासिल करने के लिए भारत को अपनी पहचान, अपने मूल्य बदलने नहीं पड़े। बल्कि, हमने भारतीय संस्कृति को पूरे गौरव के साथ दुनिया के सामने रखा। यही दीनदयाल जी का वो सपना है, जिसे आज हम पूरा कर रहे हैं।

साथियों,
दशकों तक हमारे यहाँ सार्वजनिक संसाधनों और समाज का उपयोग निजी राजनीतिक स्वार्थ के लिए होता रहा। लेकिन आज हमें चाहिए कि, हम व्यक्तिगत संसाधनों का उपयोग भी इस तरह से करें कि उससे देश के विकास के लिए रास्ते खुलें। आज भारत, आत्मनिर्भर होने के जिस संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को बढ़ा रहा है, वो इसी विजन का विस्तार है। जब हम देश के भीतर अलग-अलग राज्यों में टूरिज्म के लिए जाते हैं, तो इससे फायदा देश के लोगों को होता है। जब हम स्थानीय उत्पाद खरीदते हैं तो इससे फायदा देश के लोगों का होता है। जब हम खादी खरीदते हैं, हैंडलूम खरीदते हैं, हैंडिक्राफ्ट खरीदते हैं, तो इन उत्पादों का बढ़ावा और इसके कारण हर घर में चलने वाले छोटे-छोटे उद्योग, गांव में चलने वाले छोटे उद्योग, गरीबों की मेहनत से पलते हुए उद्योग, उन्हें एक नई ताकत मिलती है उनको आर्थिक लाभ भी पहुंचता है। और इससे देश के लोगों का फायदा होता है। जब हम स्वच्छता को बढावा देते हैं, गंदगी नहीं फैलाते, तो इससे देश स्वच्छ बनता है।

भाइयों बहनों,
सदियों तक हमारा देश ऐसे ही मुश्किल हालातों में फंसा हुआ था, जहां राष्ट्रसेवा का कोई भी अनुष्ठान बिना बलिदान के पूरा नहीं होता था। आज़ादी के बाद भी, नए विचार, नए प्रयास के लिए रास्ते आसान नहीं थे। उस समय भी दीनदयाल जी जैसे महापुरुषों ने अपना सब कुछ देश पर न्योछावर कर दिया था। और मैं मानता हूं कि उगर उनकी अचानक और रहस्यमयी मृत्यु नहीं हुई होती, तो भारत का भाग्य बहुत दशक पहले ही बदलना शुरू हो जाता। जिस व्यक्ति के विचार, उनकी मृत्यु के बाद आज भी इतना प्रभावी हो, वो अगर कुछ समय और जीवित रहते, तो भारत में परिवर्तन की एक नई आंधी उठ खड़ी होती।

साथियों,
आज़ादी के अमृतकाल में हम अपने सपनों को बड़ा करते हुये देश को विकास की नई ऊंचाई पर लेकर जा रहे हैं। ये सुख हमें अतीत के बलिदानों की वजह से मिला है। अब हमारी ज़िम्मेदारी है कि अमृतकाल में हम प्रयासों को पराकाष्ठा तक लेकर जाएं। दीनये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम भारत के उस स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करें, जिसका सपना दीनदयाल जी जैसी विभूतियों ने देखा था।
इसी भावना के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद! और फिर एक बार दीनदयाल जी के श्रीचरणों में नमन करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।
नमस्कार।

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Cabinet approves two multitracking projects across Indian Railways covering various states
June 11, 2025
QuoteThese initiatives will improve travel convenience, reduce logistic cost, decrease oil imports and contribute to lower CO2 emissions, supporting sustainable and efficient rail operations
QuoteThe total estimated cost of the projects is Rs 6,405 crore
QuoteThe projects will generate direct employment for about 108 lakh human-days during construction

The Cabinet Committee on Economic Affairs, chaired by the Prime Minister Shri Narendra Modi, has approved Two projects of Ministry of Railways with total cost of Rs. 6,405 crore. These projects include:

1. Koderma – Barkakana Doubling (133 Kms) – The project section passes through a major coal producing area of Jharkhand. Furthermore, it serves as the shortest and more efficient rail link between Patna and Ranchi.

2. Ballari – Chikjajur Doubling (185 kms.) – The project line traverses through Ballari and Chitradurga districts of Karnataka and Anantapur district of Andhra Pradesh.

The increased line capacity will significantly enhance mobility, resulting in improved operational efficiency and service reliability for Indian Railways. These multi-tracking proposals are poised to streamline operations and alleviate congestion. The projects are in line with Prime Minister Shri Narendra Modiji’s Vision of a New India which will make people of the region “Atmanirbhar” by way of comprehensive development in the area which will enhance their employment/ self-employment opportunities.

The projects are result of PM-Gati Shakti National Master Plan for multi-modal connectivity which have been possible through integrated planning and will provide seamless connectivity for movement of people, goods and services.

The two projects covering seven Districts across the states of Jharkhand, Karnataka and Andhra Pradesh, will increase the existing network of Indian Railways by about 318 Kms.

The approved multi-tracking project will enhance connectivity to approx. 1,408 villages, which are having a population of about 28.19 lakh.

These are essential routes for transportation of commodities such as coal, iron ore, finished steel, cement, fertilizers, agriculture commodities, and Petroleum products etc. The capacity augmentation works will result in additional freight traffic of magnitude 49 MTPA (Million Tonnes Per Annum). The Railways being environment friendly and energy efficient mode of transportation, will help both in achieving climate goals and minimizing logistics cost of the country, reduce oil import (52 Crore Litres) and lower CO2 emissions (264 Crore Kg) which is equivalent to plantation of 11 Crore trees.