People's support to BJP is a reflection of the aspirations of New India: PM Modi

Published By : Admin | December 8, 2022 | 18:45 IST
Despite trailing behind by 1%, BJP will remain 100% committed to the development of the state: PM Modi on Himachal Assembly Elections
People voted for the BJP because the BJP can take tough decisions in the interest of the country: PM Modi at BJP headquarters
By giving the biggest mandate in the history of Gujarat to the BJP, the people of Gujarat have created a new history: PM Modi on Gujarat Assembly elections
India's future will become bright not by increasing Fault Lines, but by demolishing Fault Lines: PM Modi on political parties creating hindrances in the development

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान जे.पी. नड्डा जी, हमारे वरिष्ठ साथी श्री राजनाथ जी, श्री अमित भाई, सभी प्यारे साथियो,
मैं सबसे पहले जनता-जनार्दन के सामने नतमस्तक हूं। जनता-जनार्दन का आशीर्वाद अभिभूत करने वाला है। श्रीमान जे.पी. नड्डा जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जो परिश्रम किया है, उसकी खुशबू आज हम चारों तरफ अनुभव कर रहे हैं। जहां भारतीय जनता पार्टी प्रत्यक्ष नहीं जीती, वहां भाजपा का वोट शेयर, भाजपा के प्रति स्नेह का साक्षी है। मैं गुजरात और हिमाचल और दिल्ली की जनता का बहुत विनम्र भाव से आभार व्यक्त करता हूं। भाजपा के प्रति ये स्नेह देश के अलग-अलग राज्यों के उपचुनावों में भी दिख रहा है। यूपी के रामपुर में भाजपा को जीत हासिल हुई है।बिहार के उपचुनावों में भाजपा का प्रदर्शन, आने वाले दिनों का स्पष्ट संकेत कर रहा है। मैं आज चुनाव आयोग का भी अभिनंदन करता हूं, उनका आभार व्यक्त करता हूं। और ये चुनाव के दरम्यान एक बहुत बड़ी बात, जिसकी चर्चा होनी चाहिए थी, जहां तक मेरी जानकारी है, एक भी पोलिंग बूथ में रीपोलिंग करवाने की नौबत नहीं आई है। मतलब की सुख और शांति पूर्ण रूप से लोकतंत्र की भावनाओं को पूरी तरह लेटर एंड स्पीरिट में स्वीकार करते हुए मतदाताओं ने लोकतंत्र के इस उत्सव को बहुत बड़ी ताकत दी है। और इसके लिए भी चुनाव आयोग अभिनंदन का अधिकारी है। इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले हर राजनीतिक कार्यकर्ता को, हर दल को भी मैं साधुवाद देता हूं।

साथियों,
आज मैं हिमाचल के हर मतदाता का भी बहुत-बहुत आभारी हूं। जैसे अभी नड्डा जी बता रहे थे, हिमाचल के चुनाव में 1 प्रतिशत से भी कम अंतर से यह हार-जीत का फैसला हुआ है। 1 परसेंट से भी कम। इतना कम अंतर से हिमाचल में कभी नतीजे नहीं आए हैं। हिमचाल में हर पांच वर्ष में सरकारें बदली हैं लेकिन हर में जब बदलाव हुआ है कभी 5 प्रतिशत, कभी 6 प्रतिशत कभी 7 प्रतिशत जीतने वाले और हारने वाले के बीच में अंतर रहा है। इस बार 1 प्रतिशत से भी कम, इसका मतलब है कि जनता ने भी भारतीय जनता पार्टी को विजय बनाने के लिए भरसक प्रयास किया है। मैं हिमाचल की जनता को आश्वस्त करता हूं कि भाजपा भले ही 1 प्रतिशत से पीछे रह गई, लेकिन विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता शत-प्रतिशत रहेगी। हिमाचल से जुड़े हर विषय को हम पूरी मज़बूती से उठाएंगे। और केंद्र सरकार के द्वारा हिमाचल की प्रगति, जो उसका हक है, उसमें भी हम कभी कमी नहीं आने देंगे। अभी जो मैंने दिल्ली का वर्णन सुना कि किस प्रकार से दिल्ली कार्पोरेशन को विफल करने के इरादे से जनता के साथ धोखा किया गया। ये काम हम नहीं करते हैं। हम हिमाचल की प्रगति के लिए भी भारत सरकार की प्रतिबद्धता वैसी ही बनी रहेगी।

साथियों,
बीजेपी को मिला जन समर्थन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये ऐसे समय में आया है जब भारत अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। ये दिखाता है कि आने वाले 25 साल सिर्फ और सिर्फ विकास की राजनीति के ही हैं। भाजपा को मिला जन- समर्थन, नए भारत की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। भाजपा को मिला जन-समर्थन, भारत के युवाओं की युवा सोच का प्रकटीकरण है। भाजपा को मिला जन-समर्थन, गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, शोषित, आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए है। लोगों ने भाजपा को वोट दिया क्योंकि भाजपा का हर सुविधा को प्रत्येक गरीब, मध्यमवर्गीय परिवार तक जल्द से जल्द पहुंचाना चाहती है। लोगों ने भाजपा को वोट दिया क्योंकि भाजपा देश के हित में बड़े से बड़े और कड़े से कड़े फैसले लेने का दम रखती है। भाजपा का बढ़ता जनसमर्थन ये दिखाता है कि परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआक्रोश लगातार बढ़ रहा है। और मैं इस बात को स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं।

साथियों,
इस बार वाकई गुजरात ने तो कमाल ही कर दिया है। मैं नड्डा जी सहित सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को बधाई देता हूं और विशेषरूप से मैं गुजरात की जनता को भी नमन करता हूं। चुनावों के दौरान मैंने गुजरात के भाइ-बहनों और युवाओं से कहा था कि इस बार नरेंद्र का रिकॉर्ड टूटना चाहिए। और मैंने वादा किया था कि भूपेंद्र नरेंद्र का रिकॉर्ड तोड़े, इसलिए नरेंद्र जी-जान से मेहनत करेगा। और गुजरात की जनता ने तो रिकॉर्ड तोड़ने में भी रिकॉर्ड कर दिया। उसने गुजरात की स्थापना से लेकर अब तक सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। गुजरात के इतिहास का सबसे प्रचंड जनादेश भाजपा को देकर गुजरात के लोगों ने नया इतिहास बना दिया है। ढाई दशक से निरंतर सरकार में रहने के बावजूद, इस प्रकार का प्यार, अभूतपूर्व है, अद्भुत है। लोगों ने जाति, वर्ग, समुदाय और हर तरह के विभाजन से ऊपर उठकर भाजपा को वोट दिया है। भारतीय जनता पार्टी गुजरात के हर घर का हिस्सा है, गुजरात के हर परिवार का हिस्सा है।

साथियों,
इस चुनाव में गुजरात में 1 करोड़ से भी ज्यादा ऐसे वोटर्स थे जिन्होंने मतदान किया, लेकिन ये वे मतदाता थे जिन्होंने कांग्रेस के कुशासन को, उसकी बुराइयों को देखा नहीं था, वे फ्रेश थे, उन्होंने सिर्फ भाजपा के ही सरकार को देखा था। और युवाओं की तो प्रकृति होती है कि वो हमेशा सवाल पूछते हैं, जांचते हैं, परखते हैं, उसके बाद किसी फैसले पर पहुंचते हैं। युवा सिर्फ इसलिए किसी पार्टी को वोट नहीं करते क्योंकि वो दशकों से सत्ता में रही या फिर उस पार्टी के नेता किसी बड़े परिवार के हैं। युवा तभी वोट देते हैं जब उन्हें भरोसा होता है, जब उन्हें सरकार का काम प्रत्यक्ष नजर आता है। और इसलिए,
आज युवाओं ने जब भाजपा को भारी संख्या में वोट दिया है, सीट से लेकर वोट तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, तो इसके पीछे का संदेश बहुत स्पष्ट है। इसका मतलब है कि युवाओं ने हमारे काम को जांचा, परखा और उस पर भरोसा किया है। इसका मतलब ये है कि युवा भाजपा की विकास वाली राजनीति चाहते हैं। इसका मतलब है कि युवा ना तो जातिवाद के बहकावे में आते हैं, ना परिवारवाद के। युवाओं का दिल सिर्फ विजन और विकास से जीत सकते हैं, और भाजपा में विजन भी है और विकास के प्रति प्रतिबद्धता भी है।

साथियों,
आज एक और बात याद करने वाली है। जब महामारी के घोर संकट के बीच बिहार में चुनाव हुए थे, तो जनता ने भाजपा को भरपूर आशीर्वाद दिया। जब महामारी के संकट से बाहर निकलते हुए असम, यूपी, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर एक के बाद एक चुनावों में जनता ने भारतीय जनता पार्टी को ही चुना। और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ रहा है, तो भी देश की जनता का भरोसा सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर है। मैं बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स को भी ये याद दिलाना चाहता हूं कि गुजरात के इस चुनाव में भाजपा का आह्वान था- विकसित गुजरात से विकसित भारत का निर्माण। गुजरात के नतीजों ने सिद्ध किया है कि सामान्य मानवी में विकसित भारत के लिए कितनी प्रबल आकांक्षा है। संदेश साफ है। जब देश के सामने कोई चुनौती होती है, तो देश की जनता का भरोसा भाजपा पर होता है। जब देश पर कोई संकट आता है, तो देश की जनता का भरोसा भाजपा पर होता है। जब देश बड़े लक्ष्य तय करता है, तो उनकी प्राप्ति के लिए देशवासियों का भरोसा, भाजपा पर होता है। जब देश की आकांक्षाएं चरम पर होती हैं, तो भी उनकी पूर्ति के लिए देश की जनता का भरोसा भाजपा पर ही होता है।

साथियों,
भाजपा के आज हम जहां पहुंचे हैं, राज्यों में हो, स्थानीय स्वराज्य के निकायों में हो या केंद्र में हो, ये ऐसे ही नहीं पहुंचे हैं। पांच-पांच पीढ़ियां जनसंघ के जमाने से तपस्या करते हुए, परिवार के परिवार खपते रहे, तब जाकर ये दल बना है। तब जाकर हम यहां पहुंचे हैं। भाजपा के लिए लाखों समर्पित कार्यकर्ताओं ने अपना जीवन खपा दिया है। व्यक्तिगत सुख, व्यक्तिगत आकांक्षाएं, व्यक्तिगत खुशी, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा, व्यक्तिगत सफलता, इन सबको तिलांजलि देकर भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता, समाज और देश की सेवा करने में, समाज और देश को सशक्त करने में जुटा रहता है। हम विचार पर भी बल देते हैं और व्यवस्था को भी सबल बनाते रहते हैं। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की अथाह संगठनशक्ति पर भरोसा करके ही अपनी रणनीति बनाती है और सफल भी होती है। उतार-चढ़ाव भाजपा के राजनीतिक जीवन में भी आए हैं लेकिन हमने आदर्शों और मूल्यों पर अडिग रहकर दिखाया है।

साथियों
पिछले 8 वर्षों में देश में एक और बहुत बड़ा बदलाव अनुभव किया गया है। ये बदलाव कार्य का भी है, कार्यशैली का भी है। भाजपा की सरकारें भी कार्य को छोटा नहीं समझती। हम मानते हैं, हर काम बड़े लक्ष्यों की प्राप्ति का माध्यम बनता है। इसलिए भाजपा की सरकारों ने गरीबों के लिए पक्के घर, शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, नल से जल, बैंक में खाते, मुफ्त इलाज, मुफ्त भोजन, इंटरनेट, ऐसी बेसिक सुविधाओं पर फोकस किया है। पहले की राजनीति में ये बहुत फैंसी विकास नहीं माना जाता था। पहले की राजनीति में इसे बड़े काम के तौर पर देखा भी नहीं जाता था। इसलिए आज जो भी सरकारी लाभ है वो हर व्यक्ति, हर क्षेत्र, हर वर्ग, जो उसका हकदार है, उस तक तेज़ी से पहुंचने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया जाता है। पूरा का पूरा पहुंचे इसके लिए टेक्नोलॉजी का भी भरपूर उपयोग किया जाता है। किस क्षेत्र, किस वर्ग, किस समुदाय में कितने वोट हैं, इस आधार पर न हम देश चलाते हैं, न राज चलाते हैं, न सरकारें चलाते हैं। और हमें आज इस बदली हुई राजनीति के सकारात्मक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं। आज बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भी ये कह रहे हैं कि भारत में गरीबी कम हो रही है।

साथियों,
देश ने पिछले आठ वर्षों में गरीब को सशक्त करने के साथ ही, गरीब तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के साथ ही, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस किया है। रोड हो, रेल हो, एयरपोर्ट हो, टनल्स हों, सोलर पावर प्लांट हो, स्टेडियम हो, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क हो, जो भी हो, सबसे उत्तम हो, सबसे श्रेष्ठ हो, ये आकांक्षा लेकर आज भारत चल रहा है। और साथियों, मैं एक और बात आपको याद दिलाना चाहूंगा। हम सिर्फ घोषणा करने के लिए घोषणा नहीं करते। हम राष्ट्र निर्माण के व्यापक मिशन के लिए निकले हुए लोग हैं।इसलिए सिर्फ 5 वर्ष के राजनीतिक नफा-नुकसान को देखते हुए हम कोई भी घोषणा नहीं करते। हमारी हर घोषणा के पीछे एक दूरगामी लक्ष्य होता है, एक रोडमैप होता है। ये बात स्पष्ट है कि देश आज शॉर्टकट नहीं चाहता। देश का मतदाता आज इतना जागरूक है कि क्या उसके हित में है, क्या उसके अहित में है, वो अच्छी तरह जानता है। देश का वोटर जानता है कि शॉर्टकट की राजनीति का कितना बड़ा नुकसान, देश को उठाना पड़ेगा। आज देश में कोई संशय नहीं कि अगर देश रहेगा, देश समृद्ध होगा, तो सबकी समृद्धि तय है। हमारे पूर्वजों के पास अनुभव का अगाध ज्ञान था। और अनुभव के निचोड़ से कहावतें बनती थी। और हमारे यहां, हमारे पूर्वजों ने विरासत में दी हुई एक कहावत है- आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपैय्या। अगर ये वाला हिसाब रहेगा तो क्या स्थिति होगी ये हम दुनिया में, हमारे अरोस-पड़ोस में आज भलीभांति देख रहे हैं। और इसलिए आज देश बहुत सतर्क है। देश के हर राजनीतिक दल को ये याद रखना होगा कि चुनावी हथकंडों से किसी का भला नहीं हो सकता।

साथियों,
आज के जनादेश में एक और संदेश है। समाज के बीच दूरियां बढ़ाकर, राष्ट्र के सामने नई चुनौतियां खड़ी करके जो राजनीतिक दल तात्कालिक लाभ लेने की फिराक में रहते हैं, उन्हें देश की जनता, देश की युवा पीढ़ी देख भी रही है और समझ भी रही है। भारत का भविष्य Fault Lines को बढ़ा करके नहीं, Fault Lines को गिराकर ही उज्ज्वल बनेगा। कभी भाषा की दीवार, कभी रहन-सहन, कभी क्षेत्र, कभी खान-पान, कभी ये वर्ग, कभी वो वर्ग, लड़ने के लिए तो सैकड़ों वजहें हो सकती हैं लेकिन जुड़ने के लिए एक वजह ही काफी है- ये मातृभूमि, ये धरती, ये देश, ये हमारा भारत। जीने के लिए और मरने के लिए इससे बड़ी वजह कोई और हो नहीं सकती। इसलिए हमें देश प्रथम, India First की भावना के साथ आगे बढ़ना है।

साथियों,
मुझे खुशी है कि आज भारत के गांव हो या शहर, गरीब हो या मिडिल क्लास, किसान हो या श्रमिक, सभी की पहली पसंद भाजपा है। भाजपा को गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों का भी अभूतपूर्व आशीर्वाद मिला है। और मुझे अभी जो जानकारी बताई गई। एससी-एसटी की गुजरात में करीब 40 सीटें आरक्षित है। 40 में 34 सीटें थंपिंग मेजोरिटी से भारतीय जनता पार्टी जीती है। आज आदिवासी भाजपा को अपनी आवाज मान रहे हैं, आज भाजपा को आदिवासी समुदाय का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। इस बदलाव को पूरे देश में महसूस किया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि दशकों तक जिन आदिवासियों की आकांक्षाओं को नजरअंदाज किया गया, वो अब देख रहे हैं कि भाजपा लगातार उनकी उम्मीदें पूरी करने में जुटी है। ये भाजपा ही है जिसके प्रयासों से देश को पहली आदिवासी राष्ट्रपति मिली है। ये भाजपा ही है जिसने आदिवासी कल्याण के लिए बजट बढ़ाया और आदिवासी क्षेत्रों में विकास को रफ्तार दी। भाजपा सरकार ने ऐसे अनेक कदम उठाए हैं जिससे आदिवासी समुदाय के लोगों को आर्थिक रुप से मजबूत बनाया जा रहा है। देशभर में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के म्यूजियम बनाकर भाजपा आजादी के उन वीर योद्धाओं को सम्मान दे रही है। भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को भाजपा सरकार में ही जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया गया है। हमारे इन प्रयासों ने आदिवासी युवाओं को, उनके स्वाभिमान को ऊंचा किया है। आज भाजपा आदिवासियों को सशक्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

साथियों,
आजकल हर चुनाव नतीजों के बाद ये चर्चा भी बहुत होती है कि देश की माताएं-बहनें-बेटियां, भाजपा पर इतना आशीर्वाद क्यों बरसाती हैं? अगर कोई ईमानदारी से आत्मचिंतन करे तो ये पाएगा कि आजादी के बाद से, पहली बार आज देश में एक ऐसी सरकार है, जो महिलाओं की समस्याएं, उनकी चुनौतियां, उनकी आवश्यकताएं, उनकी आकांक्षाएं उसे समझने का लगातार प्रयास कर रही है, और उसके अनुसार काम की योजना बनाती है। गांव देहात से लेकर शहर तक, घरेलू कार्य में व्यस्त महिला से लेकर स्वरोजगार करने वालीं या किसी रोजगार से जुड़ी महिलाओं के लिए जितना भाजपा सरकार ने किया है, उतना पहले किसी भी सरकार ने नहीं किया। महिलाओं के लिए पहले की सरकारों के 70 साल के कार्यों की तुलना में, भाजपा सरकार के 7-8 साल के कार्य कहीं ज्यादा रहे हैं। और इसलिए, आज जब भी चुनाव होते हैं तो देश की माताएं-बहनें बेटियां, कमल के निशान का सिर्फ बटन ही नहीं दबातीं, उनके हाथों में एक आशीष का भाव होता है, आशीर्वाद का भाव होता है। और जब वो ऊंगली कमल के बटन पर रखती हैं तो हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के सर पे विजय तिलक भी लगा देती है। महिलाओं के मुद्दे भाजपा के लिए चुनावी मुद्दे नहीं हैं बल्कि भाजपा की हर योजना का वो प्राणतत्व है। महिलाओं का जीवन आसान बनाना हो, महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के, स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराना हो, ये भाजपा का कमिटमेंट है। मैं इसे अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि हमें महिला सशक्तिकरण के लिए इतना कुछ करने का मौका देश की जनता ने दिया है।

साथियों,
आने वाला समय देश के लिए, हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, इस भावना पर आगे बढ़ते हुए हमें विकसित भारत के लिए काम करना है। हमें मिलकर एक दूसरे के साथ काम करना है। आइए, नागरिक के रूप में हम विकसित भारत के संकल्प के साथ जुड़ें, विकसित भारत के इस अभियान से जुड़ें। और मैं फिर एक बार देशभर के लाखों कार्यकर्ताओं को पांच-पांच पीढ़ी की तपस्या को आगे बढ़ाने के लिए हृदय से धन्यवाद करता हूं, अभिनंदन करता हूं। मैं जनता-जनार्दन को भी प्रणाम करता हूं, उनके निरंतर आर्शीवाद हमारे लिए नित्य नूतन ऊर्जा बन जाते हैं। ये निरंतर समर्थन हमें सात्विक भाव से, सेवा भाव से, समर्पण भाव से कार्य करने की शक्ति देता है। जब हमें जनता-जनार्दन का आर्शीवाद मिलता है तो हममें अधिक परिश्रम करने की प्रेरणा जगती है। अधिक पुरुषार्थ करने का संकल्प जगता है। और संकल्पों को सिद्ध करने के लिए जीवन खपा देकर सिद्धि तक पहुंचाने के लिए हम लगे रहते हैं। क्योंकि जनता-जनार्दन, इसे हम ईश्वर का रूप मानते हैं। और यही सामर्थ्य, यही शक्ति एक सेवक के भाव से, सेवा भाव से समर्पण की अप्रतिम राह को पकड़ते हुए चलते रहना-चलते रहना-चलते रहना। चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति। इसी मंत्र को लेकरके हम चल रहे हैं।


भाइयो-बहनो,
इस चुनाव में अब बहुत लोगों को जानने-पहचानने का भी अवसर मिल चुका है। पिछले कुछ चुनावों का एक बड़े कैनवस पर एनालिसिस करना चाहिए कि जो अपने आपको न्यूट्ल कहते हैं। जिनका न्यूट्रल होना जरूरी होता है, वो कहां खड़े होते हैं। कब कैसे रंग बदलते हैं और कैसे-कैसे खेल खेलते हैं। वो अब देश को जान लेना बहुत जरूरी है। बहुत जरूरी है। उत्तराखंड का इतना बड़ा चुनाव हुआ। कितनी जमानतें जब्त हुई, किसकी हुई, कोई चर्चा नहीं। हिमाचल में इतना बड़ा चुनाव हुआ, कितने लोगों की जमानत जब्त हुई, कितने लोगों का बुरा हाल हुआ, कोई चर्चा नहीं। भाइयो-बहनो, उन लोगों को भी जानना चाहिए, पहचानना चाहिए। कि ये भी ठेकेदार है। राजनीति में सेवा भाव से एक मूक सेवक की तरह काम करना…वो जैसे डिक्वालिफिकेशन माना जा रहा है। क्या नौबत आई है। ये कैसे नए मापदंड लगाए गए हैं। अब देखिए, मुझे खुशी हो रही है कि हमारे गुजरात के सीएम भूपेंद्र भाई पटेल करीब-करीब दो लाख से वोटों से जीते हैं। असेंबली सीट पे...लोकसभा में भी कोई दो लाख से जीते तो बड़ी बात मानी जाती है। असेंबली में करीब-करीब दो लाख वोटों से जीतना… लेकिन ठेकेदारों का…उनका तराजू कुछ और है। और इसीलिए भाइयो-बहनो, हमें निरंतर... विपरीत...इन जुल्मों के बीच में बढ़ना है। हमें अपनी सहनशक्ति को बढ़ाना है। हमें अपनी समझशक्ति को बढ़ाना है। और हमें हमारे सेवाभाव का विस्तार भी करना है और हमारे सेवाभाव की गहराई भी बढ़ानी है। और सेवा भाव से ही जीतना है। क्योंकि जो जहां बैठा है वह बदलने वाला नहीं है। उसका इरादा नेक नहीं है। और इसीलिए हमारी ये कसौटी है हर पल...हमारी कसौटी है...और मैं तो कभी-कभी मानता हूं....खास करके 2002 के बाद मैं विशेष रूप से मानता हूं। शायद मेरे जीवन का कोई पल ऐसा नहीं गया। कोई कदम ऐसा नहीं रहा, जिसकी धज्जियां न उड़ा दी गई हो। जिसकी आलोचना नहीं, धज्जियां उड़ा देना, बाल नोच लेना। लेकिन इसका मुझे बहुत फायदा हुआ। क्योंकि मैं हमेशा सतर्क रहा। हर इस तरह की बुरी प्रवृत्ति से कुछ न कुछ सकारात्मक खोजता रहा। खुद में बदलाव लाता रहा, सीखता गया, बढ़ता गया। और जिन लोगों को चारों तरफ से उछालने वाले लोग रहते हैं, कंधे पर बिठाकर नाचने वाले लोग रहते हैं। उनमें सुधरने की भी संभावना नहीं रहती है। वो तो जो है वहां से भी बिगड़ेंगे। और इसलिए आलोचनाओं ने भी हमें बहुत सिखाया है। हर आलोचना में से हमें काम की चीज खोजते रहना है। हमें अपनी शक्ति को बढ़ाते रहना है। और कठोर से कठोर झूठे आरोपों को सहने का सामर्थ्य भी बढ़ाना होगा साथियो। क्योंकि अब जुल्म बढ़ने वाला है। अब मानकर चलिए, मुझ पर भी बढ़ने वाला है, आप सब पर भी बढ़ने वाला है। क्योंकि ये सहन नहीं कर पाएंगे, ये पचा नहीं पाएंगे। और उसका जवाब...उसका जवाब यही है- हमें अपनी सहनशक्ति बढ़ाना है। हमें अपनी समझदारी का विस्तार करना है। हमें अधिक से अधिक लोगों को समावेश करने की दिशा में अपने हाथ चौड़ा करके लोगों को स्वीकारना है, स्वागत करना है। सकारात्मक रास्ता, सेवाभाव का रास्ता, समर्पण का रास्ता, यही मार्ग हमने चुना है। वही मार्ग हमको यहां पहुंचाया है। और आगे भी हमारे पुरुषार्थ से, परिश्रम से देश की आकांक्षाओं वाला ये देश भी बनेगा। 2047 जब हिंदुस्तान आजादी के 100 साल मनाएगा। विकसित भारत हमारे नौजवानों के हाथ में हम दे के जाएंगे दोस्तों।
बोलिए, भारत माता की, भारत माता की, भारत माता की। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!