Lays foundation stone and dedicates to nation projects worth around Rs. 17,000 crores
Inaugurates integrated eGramSwaraj and GeM portal for public procurement at Panchayat level
Hands over around 35 lakh SVAMITVA Property Cards
Participates in ‘Griha Pravesh’ of more than 4 lakh beneficiaries under PMAY–G
Lays foundation stone and dedicates to nation various railway projects worth around Rs 2300 crores
Lays foundation stone of projects worth about Rs 7,000 crore under the Jal Jeevan Mission
“Panchayati Raj institutions fulfill the development aspirations of our citizens while promoting the spirit of democracy”
“In Amrit Kaal, we have dreamed of a developed India and are working day and night to accomplish it”
“Since 2014, the country has taken up the cause of empowerment of its panchayats and the results are visible today”
“In this era of digital revolution, Panchayats are also being made smart”
“Every panchayat, every institution, every representative, every citizen of the country will have to unite for a developed India”
“Our panchayats should conduct public awareness campaign regarding natural farming”

भारत माता की – जय,

भारत माता की – जय,

मध्य प्रदेश के गवर्नर श्री मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगीगण, पंचायती राज मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे भाई गिरिराज जी, विधायकगण, सांसदगण, अन्य सभी महानुभाव, और बड़ी संख्या में यहां पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

रीवा की इस ऐतिहासिक धरती से मैं मां विंध्यवासिनी को प्रणाम करता हूं। ये धरती शूरवीरों की है, देश के लिए मर-मिटने वालों की है। मैं अनगिनत बार रीवा आया हूं, आपके बीच आया हूं। और हमेशा मुझे आपका भरपूर प्यार और स्नेह मिलता रहा है। आज भी इतनी बड़ी संख्या में आप सभी लोग हमें आशीर्वाद देने आए हैं। मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। आप सभी को, देश की ढाई लाख से अधिक पंचायतों को, राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज आपके साथ ही 30 लाख से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधि भी हमारे साथ वर्चुअली जुड़े हुए हैं। ये निश्चित रूप से भारत के लोकतंत्र की बहुत ही सशक्त तस्वीर है। हम सभी जनता के प्रतिनिधि हैं। हम सभी इस देश के लिए, इस लोकतंत्र के लिए समर्पित हैं। काम के दायरे भले ही अलग-अलग हों, लेकिन लक्ष्य एक ही है- जनसेवा से राष्ट्रसेवा। मुझे खुशी है कि गांव-गरीब का जीवन आसान बनाने के लिए जो भी योजनाएं केंद्र सरकार ने बनाई हैं, उन्हें हमारी पंचायतें पूरी निष्ठा से ज़मीन पर उतार रही हैं।

भाइयों और बहनों,

आज यहां ई-ग्राम स्वराज और GeM पोर्टल को मिलाकर जो नई व्यवस्था लॉन्च की गई है, उससे आपका काम और आसान होने वाला है। पीएम स्वामित्व योजना के तहत भी देश के 35 लाख ग्रामीण परिवारों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए हैं। आज मध्य प्रदेश के विकास से जुड़ी 17 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी हुआ है। इसमें रेलवे के प्रोजेक्ट्स हैं, गरीबों को पक्के घर के प्रोजेक्ट्स हैं, पानी से जुड़ी परियोजनाएं हैं। गांव-गरीब का जीवन आसान बनाने वाले, रोज़गार का निर्माण करने वाले इन प्रोजेक्ट्स के लिए भी मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आजादी के इस अमृतकाल में, हम सभी देशवासियों ने विकसित भारत का सपना देखा है और उसे पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत के गांवों की सामाजिक व्यवस्था को विकसित करना जरूरी है। भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत के गांवों की आर्थिक व्यवस्था को विकसित करना जरूरी है। भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत के गांवों की पंचायती व्यवस्था को भी विकसित करना जरूरी है। इसी सोच के साथ हमारी सरकार, देश की पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। पहले की सरकारों ने कैसे पंचायतों से भेदभाव किया और उनसे उल्टा कैसे हम उन्हें सशक्त कर रहे हैं, पंचायतों में सुविधाएं बढ़ा रहे हैं, ये आज गांव वाले भी देख रहे हैं, देश भर के लोग भी देख रहे हैं। 2014 के पहले पंचायतों के लिए वित्त आयोग का अनुदान 70 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। आंकड़ा याद रखोगे आप? आंकड़ा याद रखोगे? कुछ आप बताओगे तो मुझे पता चलेगा याद रखोगे? 2014 से पहले 70 हजार करोड़ से कम क्या इतनी कम राशि से इतना बड़ा देश इतनी सारी पंचायतें कैसे अपना काम कर पातीं? 2014 में हमारी सरकार आने के बाद पंचायतों को मिलने वाला ये अनुदान 70 हजार से बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। आप बताएंगे मैंने कितना बताया पहले कितना था? अब कितना हुआ? अब आप अंदाजा लगा सकते हैं काम कैसे करते हैं। मैं आपको दो और उदाहरण देता हूं। 2014 से पहले के 10 वर्षों में, मैं उन दस साल की बात करता हूं। केंद्र सरकार की मदद से 6 हजार के आसपास ही पंचायत भवन बनवाए गए थे। पूरे देश में करीब-करीब 6 हजार पंचायत घर बने थे। हमारी सरकार ने 8 साल के अंदर-अंदर 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवनों का निर्माण करवा चुकी है। अब ये आंकड़ा भी बताएगा कि हम गांवों के लिए कितने समर्पित हैं। पहले की सरकार ने ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाने की योजना भी शुरू की थी। लेकिन उस योजना के तहत देश की 70 से भी कम 100 भी नहीं, 70 से भी कम ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया था। वो भी शहर के बाहर जो नजदीक में पंचायत पड़ती थी वहां पर गए थे। ये हमारी सरकार है, जो देश की दो लाख से ज्यादा पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर को ले गई है। फर्क साफ है दोस्तों। आजादी के बाद की सरकारों ने कैसे भारत की पंचायती राज व्यवस्था को ध्वस्त किया, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता। जो व्यवस्था आजादी के भी सैकड़ों वर्ष, हजारों वर्षों पहले से थी, उसी पंचायती राज व्यवस्था पर आजादी के बाद भरोसा ही नहीं किया गया। पूज्य बापू कहते थे, भारत की आत्मा गांवों में बसती है। लेकिन कांग्रेस ने गांधी के विचारों को भी अनसुना कर दिया। नब्बे के दशक में पंचायती राज के नाम पर खानापूर्ति जरूर की गई, लेकिन फिर भी पंचायतों की तरफ वो ध्यान नहीं दिया गया, जिसकी जरूरत थी।

साथियों,

2014 के बाद से, देश ने अपनी पंचायतों के सशक्तिकरण का बीड़ा उठाया है। और आज इसके परिणाम नजर आ रहे हैं। आज भारत की पंचायतें, गांवों के विकास की प्राणवायु बनकर उभर रही हैं। ग्राम पंचायतें, गांव की आवश्यकता के अनुसार गांव का विकास करें इसके लिए ग्राम पंचायत विकास योजना बनाकर काम किया जा रहा है।

साथियों,

हम पंचायतों की मदद से गांवों और शहरों के बीच की खाई को भी लगातार कम कर रहे हैं। डिजिटल क्रांति के इस दौर में अब पंचायतों को भी स्मार्ट बनाया जा रहा है। आज पंचायत स्तर पर योजनाएं बनाने से लेकर उन्हें लागू करने तक में टेक्नोल़ॉजी का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है। जैसे आप लोग अमृत सरोवर पर इतना काम कर रहे हैं। इन अमृत सरोवरों के लिए जगह चुनने में, काम पूरा करने में हर स्तर पर टेक्नोलाजी का खूब इस्तेमाल हुआ है। आज यहां, ई-ग्राम स्‍वराज – GeM इंटीग्रेटेड पोर्टल का शुभारंभ भी किया गया है। इससे पंचायतों के माध्‍यम से होने वाली खरीद की प्रक्रिया, सरल और पारदर्शी बनेगी। इससे अब पंचायतों को कम कीमत में सामान मिलेगा और स्‍थानीय छोटे उद्योगों को भी अपना सामान बेचने का एक सशक्त माध्यम मिल जाएगा। दिव्‍यांगों के लिए ट्राइसिकल हो या बच्‍चों की पढ़ाई से जुड़ी चीजें, पंचायतों को ये सब सामान, इस पोर्टल पर आसानी से मिलेगा।

भाइयों और बहनों,

आधुनिक टेक्नॉलॉजी का एक और लाभ, हम पीएम स्वामित्व योजना में भी देख रहे हैं। हमारे यहां गांव के घरों के प्रॉपर्टी के कागजों को लेकर बहुत उलझनें रही हैं। इसके चलते भांति-भांति के वाद विवाद होते हैं, अवैध कब्ज़ों की आशंका होती है। पीएम स्वामित्व योजना से अब ये सारी स्थितियां बदल रही हैं। आज गांव-गांव में ड्रोन टेक्नॉलॉजी से सर्वे हो रहा है, मैप बन रहे हैं। इसके आधार पर बिना किसी भेदभाव के कानूनी दस्तावेज़ लोगों के हाथ में सौंपे जा रहे हैं। अभी तक देशभर में 75 हजार गांवों में प्रॉपर्टी कार्ड देने का कार्य पूरा हो चुका है। और मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश की सरकार इसमें बहुत बेहतरीन काम कर रही है।

साथियों,

मैं कई बार सोचता हूं कि छिंदवाड़ा के जिन लोगों पर, आपने लंबे समय तक भरोसा किया, वो आपके विकास को लेकर, इस क्षेत्र के विकास को लेकर इतना उदासीन क्यों रहे? इसका जवाब, कुछ राजनीतिक दलों की सोच में है। आजादी के बाद जिस दल ने सबसे ज्यादा समय तक सरकार चलाई, उसने ही हमारे गांवों का भरोसा तोड़ दिया। गांव में रहने वाले लोग, गांव के स्कूल, गांव की सड़कें, गांव की बिजली, गांव में भंडारण के स्थान, गांव की अर्थव्यवस्था, कांग्रेस शासन के दौरान सबको सरकारी प्राथमिकताओं में सबसे निचले पायदान पर रखा गया।

भाइयों और बहनों,

देश की आधी से ज्यादा आबादी जिन गांवों में रहती है, उन गांवों के साथ इस तरह सौतेला व्यवहार करके देश आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए 2014 के बाद, जब आपने हमें सेवा का अवसर दिया, तो हम गांव की अर्थव्यवस्था को, गांव में सुविधाओं को, गांव के लोगों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता में ले आए हैं। उज्ज्वला योजना के तहत जो 10 करोड़ गैस कनेक्शन मिले, वो गांव के लोगों को ही तो मिले हैं। हमारी सरकार में गरीबों के जो देशभर में पौने चार करोड़ से भी अधिक घर बने हैं, उसमें से तीन करोड़ से अधिक घर गांव में ही तो बने हैं। और इसमें भी बड़ी बात ये है कि इन ज्यादातर घरों में मालिकाना हक, हमारी बहनों-बेटियों, माताओं का भी है। हमारे यहां एक ऐसी ट्रेडिशन चली, घर हो तो पुरुष के नाम पर, दुकान हो पुरुष के नाम पर, गाड़ी हो पुरुष के नाम पर, खेत हो पुरुष के नाम पर, महिलाओं के नाम पर कुछ होता ही नहीं था। हमने ये रिवाज बदला है और मालिकाना हक हमारी माताएं, बहनें, बेटियां बने।

साथियों,

भाजपा की सरकार ने देश की करोड़ों महिलाओं को घर की मालकिन बनाया है। और आप जानते हैं आज के समय में पीएम आवास का हर घर लाख रुपए से भी ज्यादा कीमत का होता है। यानि भाजपा ने देश में करोड़ों दीदी को लखपति दीदी बनाया है। मैं इन सभी लखपति दीदीयों को प्रणाम करता हूं आप आशीर्वाद दीजिए कि देश में और कोटि-कोटि दीदी भी लखपति बनें इसके लए हम काम करते रहें। आज ही यहां चार लाख लोगों का उनके अपने पक्के घर में गृह प्रवेश हुआ है। इसमें भी बहुत बड़ी संख्या में लखपति दीदी बन गई हैं। मैं सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

पीएम सौभाग्य योजना के तहत जिन ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंची, उनमें से ज्यादातर गांव के ही घर हैं। गांव के रहने वाले मेरे भाई-बहन हैं। गांव के लोगों के लिए हमारी सरकार ने हर घर जल योजना भी शुरू की है। सिर्फ तीन-चार साल में इस योजना की वजह से देश के 9 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को घर में नल से जल मिलने लगा है। यहां एमपी में भी गांव में रहने वाले सिर्फ 13 लाख परिवारों तक नल से जल पहुंचता था। पहले की बात करता हूं। आज एमपी के गांवों में करीब-करीब 60 लाख घरों तक नल से जल पहुंचने लगा है। और आपका ये जिला तो शत प्रतिशत हो गया है।

साथियों,

हमारे गांव के लोगों का पहले देश के बैंकों पर अधिकार ही नहीं माना जाता था, भूला दिया गया था। गांव के ज्यादातर लोगों के पास ना बैंक खाते होते थे और ना ही उन्हें बैंकों से सुविधा मिलती थीं। बैंक खाता ना होने की वजह से, सरकार जो पैसा गरीबों के लिए भेजती थी, वो भी बीच में ही लूट जाता था। हमारी सरकार ने इसे भी पूरी तरह बदल दिया है। हमने जनधन योजना चलाकर गांव के 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खुलवाए। हमने India Post Payments Bank के माध्यम से पोस्ट ऑफिस का उपयोग करके गांवों तक बैंकों की पहुंच बढ़ाई। हमने लाखों बैंक मित्र बनाए, बैंक सखियों को प्रशिक्षित किया। आज इसका प्रभाव देश के हर गांव में नजर आ रहा है। देश के गाँवों को जब बैंकों की ताकत मिली है, तो खेती-किसानी से लेकर व्यापार कारोबार तक, सब में गांव के लोगों की मदद हो रही है।

साथियों,

पहले की सरकारों ने भारत के गांवों के साथ एक और बड़ा अन्याय किया था। पहले की सरकारें गांव के लिए पैसे खर्च करने से बचती थीं। गांव अपने आप में कोई वोटबैंक तो था ही नहीं, इसलिए उन्हें नजर-अंदाज किया जाता था। गांव के लोगों को बांटकर कई राजनीतिक दल अपनी दुकान चला रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने गांवों के साथ हो रहे इस अन्नाय को भी समाप्त कर दिया है। हमारी सरकार ने गांवों के विकास के लिए भी तिजोरी खोल दी। आप देखिए, हर घर जल योजना पर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जा रहा हैं। पीएम आवास योजना पर भी लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। दशकों से अधूरी पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पीएम ग्रामीण सड़क योजना पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत भी सरकार ने करीब-करीब ढाई लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजे हैं। यहां एमपी के लगभग 90 लाख किसानों को भी साढ़े 18 हजार करोड़ रुपए इस योजना के तहत मिले हैं। इस निधि से रीवा के किसानों को भी करीब-करीब 500 करोड़ रुपए मिले हैं। हमारी सरकार ने जो MSP बढ़ाई है, उससे भी गांवों में हजारों करोड़ रुपए अतिरिक्त पहुंचे हैं। कोरोना के इस काल में पिछले तीन साल से हमारी सरकार गांव में रहने वाले गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है। गरीब कल्याण की इस योजना पर भी 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं।

साथियों,

जब गांव में विकास के इतने काम होते हैं, जब इतना सारा पैसा खर्च होता है, तो गांव में रोजगार के अवसर भी बनते हैं। गांवों में रोजगार-स्वरोजगार को गति देने के लिए, गांव के लोगों को गांव में ही काम देने के लिए केंद्र सरकार मुद्रा योजना भी चला रही है। मुद्रा योजना के तहत लोगों को बीते वर्षों में 24 लाख करोड़ रुपए की मदद दी गई है। इससे गांवों में भी करोड़ों लोगों ने अपना रोजगार शुरु किया है। मुद्रा योजना की बहुत बड़ी लाभार्थी भी हमारी बहनें हैं, बेटियां हैं, माताएं हैं। हमारी सरकार की योजनाएं किस तरह गांव में महिला शक्तिकरण कर रही हैं, गांव में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त कर रही हैं, उसकी चर्चा आज हर तरफ है। बीते 9 साल में 9 करोड़ महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप में शामिल हुई हैं। यहां मध्य प्रदेश में भी 50 लाख से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। हमारी सरकार में हर स्वयं सहायता समूह को बिना बैंक गारंटी 20 लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है। कितने ही लघु उद्योगों की कमान अब महिलाएं ही संभाल रही हैं। यहां तो राज्य सरकार ने हर जिले में दीदी कैफे भी बनाया है। पिछले पंचायत चुनावों में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी करीब 17 हजार बहनें पंचायत प्रतिनिधी के तौर पर चुनी गयी हैं। ये अपने आप में बड़े गर्व की बात है। मैं मध्य प्रदेश की नारीशक्ति को इसके लिए फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज यहां आजादी के अमृत महोत्सव में समावेशी विकास का अभियान भी शुरू हुआ है। ये विकसित भारत के निर्माण के लिए सबका प्रयास के भाव को सशक्त करने वाला है। विकसित भारत के लिए देश की हर पंचायत, हर संस्था का प्रतिनिधि, हर नागरिक हम सबको को जुटना होगा। ये तभी संभव है जब हर मूल सुविधा तेज़ी से शत-प्रतिशत लाभार्थी तक पहुंचे, बिना किसी भेदभाव के पहुंचे। इसमें आप सभी पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका बहुत बड़ी है।

भाइयों और बहनों,

पंचायतों द्वारा खेती से जुड़ी नई व्यवस्थाओं को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत है। प्राकृतिक खेती को लेकर आज देश में बहुत व्यापक स्तर पर काम चल रहा है। यहां भी केमिकल खेती के नुकसान के बारे में चर्चा हुई है। हमने देखा कि कैसे हमारी बेटियों ने धरती मां की तकलीफ के बारे में हम सभी को बताया। नाट्य प्रयोग करके धरती मां की वेदना हम तक पहुंचाई है। केमिकल वाली खेती से धरती मां का जो नुकसान हो रहा है, बहुत ही आसान तरीके से हमारी इन बेटियों ने सबको समझाया है। धरती की ये पुकार हम सभी को समझनी होगी। हमें हमारी मां को मारने का हक नहीं है। ये धरती हमारी मां है। उस मां को मारने का हमें अधिकार नहीं है। मेरा आग्रह है कि हमारी पंचायतें, प्राकृतिक खेती को लेकर जनजागरण अभियान चलाएं। छोटे किसान हों, पशुपालक हों, मछुआरे भाई-बहन हों, इनकी मदद के लिए जो अभियान केंद्र सरकार चला रही है, उसमें भी पंचायतों की बड़ी भागीदारी है। जब आप विकास से जुड़ी हर गतिविधि से जुड़ेंगे, तो राष्ट्र के सामूहिक प्रयासों को बल मिलेगा। यही अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बनेगी।

साथियों,

आज पंचायती राज दिवस पर, मध्य प्रदेश के विकास को नई गति देने वाली कई और परियोजनाओं का शिलान्यास औऱ लोकार्पण हुआ है। छिन्दवाड़ा-नैनपुर-मंडला फोर्ट रेल लाइन के बिजलीकरण से इस क्षेत्र के लोगों की दिल्ली-चेन्नई और हावड़ा-मुंबई तक कनेक्टिविटी और आसान हो जाएगी। इसका बड़ा लाभ हमारे आदिवासी भाई-बहनों को भी होगा। आज छिन्दवाड़ा-नैनपुर के लिए नई ट्रेनें भी शुरू हुई हैं। इन नई ट्रेनों के चलने से कई कस्बे और गांव, अपने जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा, सिवनी से सीधे जुड़ जाएंगे। इन ट्रेनों की मदद से नागपुर और जबलपुर जाना भी आसान हो जाएगा। आज जो रीवा-इतवारी-छिंदवाड़ा नई ट्रेन चली है, उससे भी अब सिवनी और छिन्दवाड़ा, सीधे नागपुर से जुड़ जायेंगे। ये पूरा क्षेत्र तो अपने वन्य जीवों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां की बढ़ती हुई कनेक्टिविटी, यहां पर्यटन भी बढ़ाएगी और रोजगार के नए अवसर भी बनाएगी। इसका बड़ा लाभ यहां के किसानों को होगा, विद्यार्थियों को होगा, रेलवे के डेली पैसेंजर्स को होगा, छोटे कारोबारियों और दुकानदारों को होगा। यानि डबल इंजन की सरकार ने आज आपकी खुशियां भी डबल कर दी हैं।

साथियों,

आज मैं आपका एक और बात के लिए आभार व्यक्त करना चाहता हूं। अभी शिवराज जी ने बड़े विस्तार से वर्णन किया कि इस रविवार, मन की बात के सौ एपिसोड पूरे हो रहे हैं। आप सभी के आशीर्वाद, आप सभी के स्नेह और आपके योगदान की वजह से ही मन की बात, आज इस मुकाम तक पहुंचा है। मध्य प्रदेश के अनेकों लोगों की उपलब्धियों का जिक्र मैंने मन की बात में किया है। यहां के लोगों की लाखों चिट्ठियां और संदेश भी मुझे मिलते रहे हैं। इस बार रविवार को, मन की बात में, फिर आपसे मिलने के लिए मैं भी बहुत इंतजार कर रहा हूं। क्योंकि सेंचुरी है ना। और हमारे यहां तो सेंचुरी का जरा महत्व ज्यादा ही होता है। आप हर बार की तरह रविवार को अवश्य मेरे साथ जुड़िएगा। इसी आग्रह के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। एक बार फिर आप सभी को पंचायती राज दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

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