For us, good governance, development and national building is conviction, to do the right things and break the status quo: PM Modi
India has become an important part of the global economy: PM Modi
People who keep talking of justice won't hesitate to denigrate the apex court if one verdict goes against their expectations: PM Modi

ग्लोबल बिजनेस समिट के इस मंच पर, दुनिया भर से आए एक्सपर्ट्स के बीच, The Economic Times ने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया है।आज सुबह से,आप जब से यहाँ बैठें हैं , यहां अनेक विषयों पर चर्चा हुई है, बिजनेस वर्ल्ड की प्रोमिनेंट लोगो ने अपने Ideas दिए हैं। और विचारों के इस प्रवाह में जो कॉमन Thread है, वो है - Collaborate To Create.Sustainable Growth के लिए Collaborate To Create का ये विजन, आज की आवश्यकता भी है और भविष्य का आधार भी।और हम सब जानते हैं ये विजन अचानक बीते कुछ वर्षों के विचारों से निकलकर आया हो, ऐसा भी नहीं है।विघटन से क्या-क्या नुकसान होता है, इसका दुनिया को अनुभव है।जब साथ चले तो संभल गए। जब आमने-सामने हुए तो बिखर गए।

Collaborate To Create का विचार जितना पुराना है, उतना ही प्रासंगिक भी है।हर युग में नए-नए challenges सामने आते हैं - हमारी Collaborate To Create की spirit को test करने के लिए उसे और मज़बूत करने के लिए।

जैसे आज “करोंना वाइरस” के रूप में एक बहुत बड़ा चैलेंज दुनिया के सामने है।Financial Institutions ने इसे आर्थिक जगत के लिए भी बहुत बड़ा challenge माना है। आज हम सब को मिल कर इस चुनौती का सामना करना है। Collaborate To Create की संकल्प शक्ति से हमें विजयी होना है।

Friends,

Fractured World की फिलॉसफी पर भी आप यहाँ मंथन करनेवालेहैं। Real Fractures, Over-Imagined Fractures और इसके जिम्मेदार कारकों पर भी चर्चा होगी।

साथियों,एक दौर ऐसा था जब एक खास वर्ग के Predictions के अनुसार ही चीजें चला करती थीं।जो राय उसने दे दी, वही फाइनल समझा जाता था। लेकिन Technology के विकास से और Discourse के ‘डेमो-क्रेटाइ-जेशन’ से, अब आज समाज के हर वर्ग के लोगों की Opinion Matter करती है। आज सामान्य जनता अपनी Opinion को बहुत मजबूती के साथ, जमे-जमाए So Called Wisdom के विपरीत, बड़ी ताकत के साथ रजिस्टर करवा रही है।पहले इसी सामान्य जनता की आशाओं-अपेक्षाओं पर, इस खास वर्ग के तर्क और Theories हावी हो जाती थी।ये एक बहुत बड़ी वजह थी कि जब हम.. आप लोगो ने हमें सेवा करने का अवसर दिया… 2014 में पहली बार इस कार्य को संभाला तो देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा, टॉयलेट्स, इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन, गैस कनेक्शन, अपना घर, इन जैसी Basic Amenities के लिए तरस रहा था।

साथियों, हमारे सामने मार्ग था कि पहले से जो चलता आ रहा है, उसी मार्ग पर चलें या फिर अपना नया रास्ता बनाएं, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ें।हमने बहुत सोच विचार करके तय किया… हमने नया मार्ग बनाया, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े और इसमें सबसे बड़ी प्राथमिकता दी- लोगों के Aspirations को।

इस दौरान देश में चुनाव भी हुआ, हमारे कार्यों पर मुहर भी लगी लेकिन एक और दिलचस्प बात सामने आई।आज ग्लोबल बिजनेस समिट में, मैं आपके सामने इसे भी साझा करना चाहता हूं।यहां इस हॉल में बैठे साथी, ज़रूर मेरी इस बात पे ध्यान देंगे!!!

Friends,

जिस वर्ग की बात मैं आपसे कर रहा था उसकी एक बहुत बड़ी पहचान है- ‘Talking The Right Things’. यानि हमेशा सही बात बोलना। सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं।लेकिन इस वर्ग को ऐसे लोगों से नफरत है, चिढ़ है, जो ‘Doing The Right Things’ पर चलते हैं। इसलिए जब Status Quo में बदलाव आता है, तो ऐसे लोगों को कुछ खास तरह के Disruptions दिखाई देने लगते हैं।आप गौर करिए,जो लोग खुद को Gender Justice का मसीहा बताते हैं, वो तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने के हमारे फैसले का विरोध करते हैं।जो लोग दुनिया भर को शरणार्थी अधिकारों के लिए ज्ञान देते हैं, वो शरणार्थियों के लिए जब CAA का कानून बन रहा है विरोध करते हैं।जो लोग दिन रात संविधान की दुहाई देते हैं, वो आर्टिकल 370 जैसी अस्थाई व्यवस्था हटाकर, जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह संविधान को लागू करने का विरोध करते हैं।जो लोग न्याय की बात करते हैं, वो सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला उनके खिलाफ जाने पर देश की सर्वोच्च अदालत की नीयत पर ही सवाल खड़े कर देते हैं।

साथियों,आप में से कुछ ने रामचरित मानस की ये चौपाई जरूर सुनी होगी-

Friends,

अलग-अलग सेक्टरों पर, अलग-अलग क्षेत्रों में इसके परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। 6 साल पहले देश में Highways Construction की Speed, करीब 12 किलोमीटर Per Day थी। आज ये 30 किलोमीटर के आसपास है।6 साल पहले स्थिति ये थी कि एक साल में 600 किलोमीटर रेलवे लाइन का Electrification हो रहा था। पिछले साल हमने 5300 किलोमीटर रेलवे रूट का बिजलीकरण किया है।6 साल पहले, हमारे एयरपोर्ट्स करीब 17 करोड़ पैसेन्जर्स को हैंडल कर रहे थे। अब 34 करोड़ से ज्यादा को हैंडल कर रहे हैं।

6 साल पहले, हमारे Major Ports पर कार्गो हैंडलिंग करीब 550 मिलियन टन के आसपास थी। अब ये बढ़कर 700 मिलियन टन के पास पहुंच गई है। और एक महत्वपूर्ण चीज हुई है, जिसकी तरफ भी आपका ध्यान देना जरूरी है।ये है Major Ports पर Turn Around Time.6 साल पहले Ports पर Turn Around Time करीब-करीब 100 घंटे के आसपास होता था। अब ये घटकर 60 घंटे पर आ चुका है। इसे और कम करने के लिए निरंतर काम हो रहा है।

साथियों, ये 5-6 उदाहरण Connectivity से जुड़े हुए हैं। यहां इस हॉल में बैठे प्रत्येक व्यक्ति को मालूम है कि connecticivty, infrastructure, governance.. इसका Economic Activities परकितना प्रभाव पड़ता है। क्या इतना बड़ा परिवर्तन ऐसे ही हो गया?नहीं।हमने सरकार के विभागों में Silos को ख़तम करने के लिए प्रयास किया, systematic efforts किए और Collaboration पर बल दिया। बिल्कुल ग्राउंड लेवल पर जाकर चीजों को ठीक किया। आज जो एयरपोर्ट्स पर काम हो रहा है, रेलवे स्टेशनों पर काम हो रहा है, वो आप भी देख रहे हैं।हमारे देश के लोग क्या डिजर्व करते हैं और उन्हें क्या मिला था, इसका फर्क समझना भी बहुत जरूरी है।

साथियों, कुछ साल पहले आए दिन रेलवे क्रॉसिंग्स पर हादसों की खबर आती थी।क्यों?क्योंकि 2014 से पहले देश में ब्रॉडगेज लाइन पर करीब-करीब 9 हजार Unmanned Level Crossings थीं। 2014 के बाद हमने अभियान चलाकर ब्रॉडगेज रेलवे लाइन को Unmanned Level Crossings से मुक्त कर दिया है।कुछ ऐसा ही हाल बायो-टॉयलेट्स का भी था।पहले की सरकार के समय, तीन साल में 9 हजार 500 बायो-टॉयलेट्स बने थे।हमारी सरकार ने पिछले 6 वर्षों में रेलवे कोचेज में सवा दो लाख से भी ज्यादा बायो-टॉयलेट्स लगवाए हैं।कहाँ 9 हजार और कहाँ सवा दो लाख..

Friends, कोई कल्पना नहीं कर सकता था… कि भारत में ट्रेन लेट होना…शायद यह खबरों के दायरों से बहार निकल गया…यह तो होता ही है.. ट्रेन तो लेट होती ही है।इस देश में पहली बार उस कल्चर को लाया गया है जहाँ पर ट्रेन लेट होने पर पैसेन्जर्स को रीफंड दिया जा रहा है…शुरुवात की है।तमाम एयरलाइन्स भी लेट होने पर रीफंड नहीं देतीं, लेकिन आज ट्रेन लेट होने पर पैसेन्जर्स को रीफंड दिया जा रहा है।तेजस ट्रेन से चलने वालों को हमने ये सुविधा दी है।हमें पता है हमने ये कितना रिस्की काम किया है।तुरंत RTI वाले आज रात को ही RTI डालेंगे… पत्रकार भी निकल पड़ेंगे…पूछेंगे कि कितना रीफंड किया,… लेकिन हमें संतोष है कि इतना कॉन्फिडेंस है कि देश को उस दिशा में ले जा सकते हैं…जिसमे अगर ट्रेन लोटे होगी तो सरकार जिम्मेदार होगी ।

साथियों,

Economic हो या सोशल, आज देश परिवर्तन के एक बड़े दौर से गुजर रहा है।

बीते कुछ वर्षों में भारत Global Economy System का और भी मजबूत अंग बना है।लेकिन अलग-अलग कारणों से अंतर्राष्ट्रीय स्थितियां ऐसी हैं कि Global Economy कमजोर और कठिन हालत में है। फिर भी, इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम से कम कैसे हो.. इसपे जितने हम initiatives लेसकतेहैं…जितने प्रोएक्टिव एक्शन्स ले सकते हैं.. हम लेते रहे हैं.. और उसका लाभ भी मिला है।हमारी नीतियां स्पष्ट हैं, हमारे फंडामेंटल्स मजबूत हैं।अभी हाल ही में भारत विश्व की 5th largest economy बना है।जब 2014 में हम आये थे तब हम 11 पेथे.. अब पांच पे पहुंचे हैं

Friends, भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करे, इसके लिए हमारी सरकार चार अलग-अलग स्तरों पर काम कर रही है।

पहला- प्राइवेट सेक्टर के साथ Collaboration

दूसरा- Fair Competition

तीसरा- Wealth Creation

और चौथा- आर्किक लॉज का डिलिशन

साथियों, हमने Infrastructure के क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश का रोडमैप तैयार किया है।हमने PPP से PPP को बल देने का मार्ग चुना है।Public-Private Partnership से देश के विकास को Powerful Progressive Push !!!

ये भी एक अनुभव रहा है जिस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को Compete करने की छूट दी जाती है, वो तेजी से आगे बढ़ता है।इसलिए हमारी सरकार अर्थव्यवस्था के ज्यादा से ज्यादा सेक्टर्स को Private Sector के लिए खोल रही है।

साथियों,

ईमानदारी के साथ जो आगे बढ़ रहा है, कंपटीशन दे रहा है, Wealth Create कर रहा है, सरकार उसके साथ मज़बूती से खड़ी है। उसके लिए कानून को निरंतर सरल किया जा रहा है, पुराने कानूनों को समाप्त किया जा रहा है।Fair Competition को बढ़ाने के लिए, हम Corruption और क्रोनिज्म, दोनों से सख्ती से निपट रहे हैं। बैंकिंग हो, FDI पॉलिसीज हों, या फिर Natural Resources का Allotment, क्रोनिज्म को हर जगह से हटाया जा रहा है। हमने ध्यान दिया है – Simplification पर, Rationalization पर, Transparency पर।टैक्स विवादों को सुलझाने के लिए अब हम इसबजटमें“विवाद से विश्वास” नाम की नई योजना लेकर आए हैं।लेबर रीफॉर्म की दिशा में भी हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अभी परसों ही, सरकार ने कंपनी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए, कई प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज कर दिया है।

साथियों, आज भारत दुनिया के उन प्रमुख देशों में है, जहां Corporate Tax सबसे कम है।Ease of Doing Business की रैंकिंग में सिर्फ 5 साल में रिकॉर्ड 77 रैंक का सुधार करने वाला देश भी भारत ही है।सरकार के इन प्रयासों के बीच, विदेशी निवेशकों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा लगातार बढ़ रहा है।कुछ देर पहले ही यहाँ पर आपने ब्लैकस्टोन के ceo को सुना।वह कह रहे थे भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा return देता है और वह अपना इन्वेस्टमेंट डबल करने की प्लानिंग कर रहे हैं।

साथियों, 2019 में देश में करीब 48 Billion Dollar का Foreign Direct Investment आया। ये ग्रोथ रही 16 परसेंट से ज्यादा।इसी तरह भारत में पिछले साल 19 Billion Dollars का Private Equity And Venture Capital Investment आया। इसमें भी ग्रोथ रही 53 परसेंट से ज्यादा।देश Foreign Portfolio Investors भी अब निवेश बढ़ा रहे हैं। पिछले साल ये निवेश करीब 19 Billion Dollars का था। साफ है कि, नए विकल्प तलाश रहे निवेशक भी अब भारत की तरफ बढ़ रहे हैं।

साथियों,

हमारी सरकार सारे स्टेकहोल्डर्स के साथ निरंतर संपर्क में है, लगातार फीडबैक लेते हुए, हर स्तर पर बड़े फैसले ले रही है। Status Quo से देश को मुक्ति दिलाते हुए, हम राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी Collaboration से Creation की तरफ बढ़ रहे हैं।आपको याद होगा, जब संयुक्त राष्ट्र में इंटनेशनल योगा डे का प्रस्ताव आया था तो भारत को करीब करीब पूरी दुनिया का समर्थन मिला था।और शायद UN के इतिहास में किसी एक resolution को दुनिया के इतने देशों का समर्थन मिला हो यह पहली बार हुआ।और योग का प्रभाव यह है की शायद पहली बार आप की समिट में किसी ने मैडिटेशन करवाया होगा।

Friends,

आज भारत Peace Keeping Forces में सर्वाधिक भागीदारी करने वालों देश में से एक बन गया… दूसरे देशों के नागरिकों की रक्षा के लिए भी सबसे पहले आगे आ रहा है।इतना ही नहीं, आज भारत, अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के निर्माण में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।International Solar Alliance हो या फिर Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, भविष्य को दिशा देने वाले ऐसे संस्थान भारत की पहल पर ही शुरु हुए हैं और आज पूरी दुनिया इसके साथ जुड़ने लगी है।लेकिन Friends, Status Quo का समर्थन करने वाली, बदलावों का विरोध करने वाली जैसी ताकतें हमारे देश में हैं, वैसी ही शक्तियां अब Global Level पर भी मजबूती से एकजुट हो रही हैं।

साथियों,इतिहास में एक Time-Period ऐसा था, जिसमें हर कोई संघर्ष के रास्ते पर ही चल पड़ा था। तब कहा जाता था- Might is Right.फिर एक ऐसा Era आया, जिसमें ये सोच हावी रही कि हम इस गुट के साथ रहेंगे, तभी टिक पाएंगे।वह समय भी गया।फिर एक ऐसा समय भी आया - लोगों ने गुट-निरपेक्षता का भी प्रयास किया।फिर ऐसा भी एक युग आया जिसमें उपयोगिता के आधार पर संबंधों को विकसित करने की सोच हावी हो गई।

अब आज का युग देखिए।टेक्नोलॉजी के इस युग में आज दुनिया Inter-Connected है, Inter-Related है और Inter-Dependent भी है।यह इसी एक शताब्दी के बदलाव हैं…. वैश्विक स्तर के आये हुए बदलाव हैं।

लेकिन फिर भी, एक Global एजेंडा के लिए, किसी वैश्विक लक्ष्य के लिए,एक बहुत बड़ा संकल्प - विश्व की गरीबी को दूर कैसे करें, आतंकवाद को कैसे ख़तम करें , climate change issues कोकैसे handle करें.. आज भी दुनिया एक मंच पर नहीं आ पा रही।आज पूरे विश्व को इसकी प्रतीक्षा है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

साथियों,

21वीं सदी अपने आप में बहुत सी संभावनाओं से भरी हुई है।इन संभावनाओं के बीच, आज एक Common Global Voice की कमी महसूस हो रही है।एक ऐसी Voice, जिसमें स्वर भले अलग-अलग हों, लेकिन ये मिलकर एक सुर का निर्माण करें, एक सुर में अपनी आवाज उठाएं।आज पूरे विश्व के सामने ये सवाल है कि बदलती हुई परिस्थितियों में किसी तरह एडजस्ट होकर गुजारा करे या फिर नए तरीके से नए मार्ग का विकास करे।

साथियों,

बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियों के बीच, भारत ने भी बहुत व्यापक बदलाव किए हैं।एक कालखंड था, जब भारत तटस्थ था, हम तटस्थ थे, लेकिन देशों से समान दूरी बनी रही।बदलाव कैसे आया है --- आज भी भारत तटस्थ है, हम तटस्थ हैं, लेकिन दूरी के आधार पे नहीं,दोस्ती के आधार पे।हम Saudi Arabia के साथ भी दोस्ती करते हैं…. Iran के साथ भी दोस्ती करते हैं।हम America के साथ भी दोस्ती करते हैं…. Russia के साथ भी दोस्ती करते हैं।फिर भी हम तटस्थ हैं… एक समय था जब लोग समान दूरी बनाकर तटस्थ थे, हम समान दोस्ती करके तटस्थ हैं।उस कालखंड में दूरी रखकर, बचने की कोशिश की गई।आज हम दोस्ती रखकर, साथ चलने की कोशिश कर रहे हैं।ये भारत की आज की विदेश नीति, भारत की आज की अर्थ नीति का बहुत बड़ा सार है।

साथियों,मैं महात्मा गांधी जी की एक बात के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं।गांधी जी कहते थे कि “मैं भारत का उत्थान इसलिए चाहता हूं कि सारी दुनिया उसका लाभ उठा सके”। इस एक पंक्ति में Globalisation की भारतीय सोच भी है और आगे के लिए Collaboration का मंत्र भी है।

मैं फिर एक बार इतने महत्वपूर्ण विषय पर आपने मंथन की जो योजना बनायीं है,उसके लिए मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। और मुझे आपके बीच आने का अवसर मिला इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ। आप सभी को ह्रदय से धन्यवाद करते हुए मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ। thankyou!!!

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