Text of PM's remarks on National Panchayati Raj Day

Published By : Admin | April 24, 2015 | 13:46 IST

मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, देश के अलग-अलग भागों से आए हुए पंचायत राज व्‍यवस्‍था के सभी प्रेरक महानुभाव,

जिन राज्‍यों को आज मुझे सम्‍मानित करने का सौभाग्‍य मिला है उन सभी राज्‍यों को मैं हृदय से बधाई देता हूं। आज जिला परिषदों को भी और ग्राम पंचायतों का भी सम्‍मान होने वाला है। उन सबको भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। पंचायत राज दिवस पर मैं देशभर में पंचायत राज व्‍यवस्‍था से जुड़े हुए सक्रिय सभी महानुभावों को आज शुभकामनाएं देता हूं।

महात्‍मा गांधी हमेशा कहते थे कि भारत गांवों में बसता है। उन गांवों के विकास की तरफ हम कैसे आगे बढ़े दूर-सुदूर छोटे-छोटे गांवों के भी अब सपने बहुत बड़े हैं। और मुझे विश्‍वास है कि आप सब के नेतृत्‍व में गांव की चहुं दिशा में प्रगति होगी। मैं नहीं मानता हूं कि अब.. जैसे अभी हमारे चौधरी साहब बता रहे थे कि पहले से तीन गुना बजट होने वाला है आपका और तुरंत तालियां बज गई। कभी-कभी मुझे लगता है कि हम जो पंचायत में चुन करके आए हैं, कभी सोचा है कि हम 5 साल के कार्यकाल में हम हमारे गांव को क्‍या दें करके जाना चाहते है? कभी ये सोचा है कि हमारे 5 साल के बाद हमारा गांव हमें कैसे याद करेगा? जब तक हमारे मन में गांव के लिए कुछ कर गुजरना है - ये spirit पैदा नहीं होता है तो सिर्फ बजट के कारण स्थितियां बदलती नहीं हैं।

पिछले 60 साल में जितने रुपए आए होगे उसका सारा total लगा दिया जाए, और फिर देखा जाए कि भई गांव में क्‍या हुआ तो लगेगा कि इतने सारे रुपए गए तो परिणाम क्‍यों नहीं आया? और इसलिए कभी न कभी पंचायत level पर सोचना चाहिए। कुछ राज्‍य ऐसे हैं हमारे देश में जहां पर पंचायतें अपना five year plan बनाती हैं, पंचवर्षीय योजना बनाती हैं। 5 साल में इतने काम हम करेंगे और वो गांव के पंचायत के उसमें वो board पर लिख करके रखते हैं और उसके कारण एक निश्चित दिशा में काम होता है और गांव कुछ समस्‍याओं से बाहर आ जाता है। हम भी आदत डालें कि भई हम 5 साल में हमारे गांव में ये करके जाएंगे। अगर ये हम करते है तो आप देखिए कि बदलाव आना शुरू होगा।

बजट और leadership दोनों का combination कैसे परिणाम लाता है? हम जानते है कि गांव में CC road बनाना ये जैसे एक बहुत बड़ा काम है और बहुत महत्‍वपूर्ण काम है इस प्रकार की मानसिकता बनी हुई है। इसके पीछे कारण क्‍या है वो आप भी जानते है, मैं भी जानता हूं। लेकिन कुछ सरपंच ऐसे होते हैं जो CC road तो बना देते है, CC road तो बना देते है, लेकिन पहले से प्‍लान करके दोनों किनारों पर बढि़यां पेड़ लगा देते है। वृक्षारोपण करते है और जैसे ही गांव में entry करता तो ऐसा हरा-भरा गांव लगता है। तो बजट से तो CC road बनता है लेकिन उनकी leadership quality है कि गांव को जोड़ करके रोड़ बनते ही पौधे लगा देते हैं और वो वृक्ष बन जाते हैं और एकदम से गांव में कोई आता है तो बिल्‍कुल नजरिया ही बदल जाता है। कुछ दूसरे प्रकार के होते हैं सरपंच जो क्‍या करते हैं और गांव में से कोई धनी व्‍यक्ति कहीं कमाने गया तो उसको कहते है कि ऐसा करो भाई तुम गांव को gate लगा दो। तो बड़ा पत्‍थर का 2, 5, 10 लाख का gate लगवा देते हैं। उसको लगता है कि मैंने gate बनवा दिया तो बस गांव का काम हो गया। लेकिन दूसरे को लगता है कि मैं पेड़ लगाऊंगा। आप भी सोचिएं बैठे-बैठे कि सचमुच में जन-भागीदारी से जिसने पेड़ लगाएं हैं, CC road, enter होते ही आधे कि.मी., एक कि.मी. हरे-भरे वृक्षों की घटा के बीच से गांव जाता है तो वो दृश्‍य कैसा होता होगा? ये है leadership की quality कि हम किन चीजों को प्रधानता देते है। इस पर इस काम का प्रभाव होता है.. जिसमें आपको बजट का खर्च नहीं करना है, आपको बजट की चिंता नहीं करनी है। जो मिलने वाला है.. जैसे बताया गया कम से कम 15 लाख और ज्‍यादा से ज्‍यादा 1 करोड़ से भी ज्‍यादा।

लेकिन इसके अतिरिक्‍त बहुत पैसा गांव में आता है। आंगनवाड़ी चलती है, प्राथमिक स्‍कूल चलता है, PHC centre चलता है, बहुत सी चीजें चलती है, जिसका खर्चा तो सरकारी राह से अपनी व्‍यवस्‍था से आता है। इसमें आपको कोई लेना-देना नहीं होता है। क्‍या कभी एक सरपंच के नाते, गांव की पंचायत के नाते हमने इन चीजों पर ध्‍यान केन्द्रित किया है क्‍या? कि भई, मेरे गांव में एक भी बच्‍चा ऐसा नहीं होगा कि जो टीकाकरण में वंचित रह जाए। हम पंचायत के लोग जी-जान से जुटेंगे, गांव को जगाएंगे कि भई टीकाकरण है, सभी बच्‍चों का हुआ है कि नहीं हुआ, चलो देखो! अब इसमें कोई पैसे लगते है है क्‍या? बजट नहीं लगता है, leadership लगती है। एक समाज के प्रति कुछ कार्य करने के दायित्व का भाव लगता है।

हमारे गांव में स्‍कूल तो है, teacher है, सरकार बजट खर्च कर रही है, हमने कभी देखा क्‍या - कि भई हमारे teacher आते है कि नहीं? बच्‍चे स्‍कूल जाते है कि नहीं? समय पर स्‍कूल चलता है कि नहीं चलता? बच्‍चे खेलकूद में हिस्‍सा लेते है कि नहीं लेते? बच्‍चे library का उपयोग करते है कि नहीं करते? Computer दिया है तो चलता है कि नहीं चलता? ये हम एक पंचायत के नाते.. हमारे गांव के बच्‍चे पढ़-लिख करके आगे बढ़ें, आपको बजट खर्च नहीं करना है, न ही बजट की चिंता करनी है सिर्फ आपको गांव की चिंता करनी है, आने वाली पीढ़ी की चिंता करनी है।

हमारे यहां आशा worker हैं, आशा worker को कभी पूछा है कि आपका काम कैसा चल रहा है, कोई कठिनाई है क्या? हर गांव में भी सरकार है लेकिन वो बिखरा पड़ा हुआ है। क्‍या हम एक प्रयास कर सकते है क्‍या कि सप्‍ताह में एक दिन, एक घंटे के लिए, जितने भी सरकारी व्‍यक्ति हैं गांव में, उनको बिठाएंगे एक साथ और बैठ करके अपना गांव, अपना विकास.. उसके लिए क्‍या कर सकते हैं। बैठ करके चर्चा करेंगे तो शिक्षक कहेंगा कि मुझे ये करना है लेकिन हो नहीं रहा है, तो आंगनवाड़ी worker कहेगी कि हां-हां चलो मैं मदद कर देती हूं, आशा worker कहेंगी कि अच्‍छा कोई बात नहीं, मैं कल आपके लिए 2 घंटे लगा दूंगी.. अगर गांव में हम leadership ले करके team बना लें, सरकार के इतने लोग हमारे यहां होते है लेकिन हमें भी पता नहीं होता। सरकार के इतने लोग हमारे यहां रहते हैं लेकिन हमें भी पता नहीं होता है। Even बस का driver, conductor भी रहता होगा और बस चलाता होगा, वो भी तो एक सरकार का मुलाजिम है। Constable होता होगा, वो भी एक मुलाजिम है। पटवारी है, वो भी एक मुलाजिम है।

क्या कभी हमने ये सोचा है, सप्ताह में एक घंटा कम से कम हम सरकार के रूप में एक साथ बैठेंगे? सामूहिक रूप से अपने पंचायत के विकास की चर्चा करेंगे। आप देखिए, देखते ही देखते बदलाव शुरू हो जाएगा, Team बनना शुरू हो जाएगा। और मैं वो बातें नहीं बता रहूं जिसमें बजट एक समस्या है। लेकिन वरना हमारे देश में एक ऐसा माहौल बना दिया गया है कि क्यों नहीं होता है, बजट नहीं है.. हकीकत वो नहीं है। बजट है लेकिन जो काम परिणाम नहीं देते हैं उसकी चिंता हमें ज्यादा करने की आवश्यकता है। हमारे गांव में कोई drop out होता है बच्चा, क्या हमें पीड़ा होती है क्या, हमारा खुद का बच्चा अगर स्कूल छोड़ दे तो हमें दुख होता है। अगर हम पंचायत के प्रधान हैं तो गांव का भी कोई बच्चा स्कूल छोड़ दे, हमें उतनी ही पीड़ा होनी चाहिए, पूरी पंचायत को दर्द होना चाहिए। अगर ये हम करते हैं, अगर ये हम करते हैं, मैं नहीं मानता हूं कि हमारे गांव में कोई अशिक्षित रहेगा। और कोई सरंपच ये तय करके कि मेरे कार्यकाल में पांच साल में एक भी बच्चा drop out नहीं होगा। अगर इतना भी कर ले तो मैं कहता हूं, उस सरपंच ने एक पीढ़ी की सेवा कर-करके जा रहा है। ऐसा मैं मानता हूं।

नरेगा का काम हर गांव में चलता है। क्या हम उसमें पानी के लिए प्राथमिकता दें? जितनी ताकत लगानी है, लगाएं लेकिन पानी का प्रबंधन करने के लिए ही नरेगा का उपयोग करें, तो क्या कभी पानी का संकट आएगा क्या? हम व्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं। आवश्यकता ये है कि मिलकर के नेतृत्व दें। हमारे गांव में कुछ लोग तो होंगे जो सरकार में कभी न कभी मुलाजिम रहे हों। Teacher रहे हों, पटवारी रहे हों और retired हो गए हों। यानी सरकार का पेंशन लेते हों। सरकारी मुलाजिम होने के नाते, निवृत्त होने के बाद पेंशन लेते हों। किसी गांव में तीन होंगे, पांच होंगे, दस होंगे, पंद्रह होंगे। क्या महीने में एक बार इन retired लोगों की मिटिंग कर सकते हैं? उनका अनुभव क्योंकि वो खाली हैं, समय हैं उनके पास, अगर मान लीजिए गांव में 5 retired teacher हैं। उनको कहें कि देखिए भई अपने गांव में चार बच्चे ऐसे हैं, बहुत बेचारे पीछे रह गए, थोड़ा सा समय दीजिए, थोड़ा सा इन बेचारों को पढाइए ना। अगर वो retired हुआ होगा न तो भी उसके DNA में teaching पड़ा हुआ होगा। उसको कहोगे हां-हां चलिए मैं समझ लेता हूं। इन चार गरीब बच्चों को मैं पढ़ा दूंगा, मैं उनकी चिंता करूंगा। हम थोड़ा motivate करें लोगों को, हम नेतृत्व करें आप देखिए गांव हमारा ऐसा नहीं हो सकता क्‍या? अपना गांव.. और मैंने देखा जी, देश में मैंने कई गांव ऐसे देखे हैं कि जहां उस सरपंच की सक्रियता के कारण गांव में परिवर्तन आया है।

मैं जब मुख्यमंत्री था, एक घटना ने मुझे बहुत.. यानी मेरे मन को बहुत आंदोलित किया था। खेड़ा district में, जहां सरदार पटेल साहब का जन्म हुआ था। एक गांव के अंदर पंचायत प्रधान के नीचे women reservation था। Women reservation था तो गांव वालों ने तय किया कि प्रधान अगर women है तो सभी member women क्यों न बनाई जाए? और गांव ने तय किया कि कोई पुरुष चुनाव नहीं लड़ेगा। सब के सब पंचायत के member भी महिलाएं बनेंगी। Reservation तो one-third था लेकिन सबने तय किया गांव वालों ने। एक दिन उन्होंने मेरे से समय मांगा पंचायत की सभी महिला सदस्यों ने और पंचायत के प्रधान ने। मेरे लिए बड़ा surprise था कि ये गांव बड़ा कमाल है भाई, सारे पुरुषों ने अपने आप withdraw को कर लिया और महिलाओं के हाथ में कारोबार दे दिया। तो मेरा भी मन कर लिया कि चलो मिलूं तो वो सब मुझे कोई 17 member का वो पंचायत थी। तो वो मिलने आईं। और ये बात कोई 2005 या 2006 की है। तो उसमें सबसे ज्यादा जो पढ़ी-लिखी महिला थी प्रधान थी, वो पांचवी कक्षा तक पढ़ी हुई थी। यानी इतना पिछड़ा हुआ गांव था कोई ज्यादा पढ़े-लिखे हुए लोग नहीं थे। तो ऐसे ही मेरा मन कर गया, मैंने पूछा उनको, मैंने कहा अब पंचायत सभी महिलाओं के हाथ में है, आपको गांव का कारोबार चलाना है तो क्या करना है, आपकी योजना क्या है करनी की? उन्होंने जो जवाब दिया, मैं नहीं मानता हूं हिंदुस्तान की सरकार में कभी इस रूप में सोचा गया होगा। कम से कम मैं मुख्यमंत्री था, मैंने इस रूप में नहीं सोचा था। उस जवाब ने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। ठेठ गांव की सामान्य महिलाएं थी।

मैंने उनसे पूछा कि अब पांच साल आपको कारोबार चलाना है तो क्या आपके मन में है? उस प्रधान ने जो कि पढ़ी-लिखी नहीं थी, उसने मुझे जवाब दिया। उसने मुझे कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे गांव में कोई गरीब न रहे।“ अब देखिए क्या कल्पना है ये, क्या कभी हमारे देश में पंचायत ने, नगरपालिका ने, महानगरपालिका ने, मिल-बैठकर के तय किया कि हम हमारे गांव में उस प्रकार की योजनाएं चलाएंगे कि गरीब गांव में कोई न रहे। एक बार इतने बड़े level पर काम शुरू हो जाए, कितना बड़ा फर्क पड़ता है! क्या हम कभी पंचायत के प्रधान के नाते विचार कर सकते हैं कि भई कम से कम 5 परिवार, ज्यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5 परिवार पंचायत की रचना में कुछ काम ऐसा निकालेंगे, उनको फलों का पेड़ बोने के लिए दे देंगे, कुछ करेंगे लेकिन 5 को तो गरीबी से बाहर लाएंगे।

अगर हिंदुस्तान में एक गांव साल में 5 लोगों को गरीबी से बाहर लाता है, पूरे हिंदुस्तान में कितना बड़ा फर्क पड़ता है जी? क्या कुछ नहीं कर सकते, आप कभी अंदाज लगाइए। और ये सारी बातें मैं बताता हूं कि बजट के constraint वाले काम नहीं हैं - हमारी संकल्प शक्ति, हमारी कल्पकता, इसके ऊपर जुड़े हुए हैं। अगर इस पर हम बल दें तो हम सच्‍चे अर्थ में इस व्यवस्था को अपने गांव के विकास के लिए परिवर्तित कर सकते हैं।

हम तब तक गांव का विकास नहीं कर पाएंगे जब तक हम गांव के प्रति गौरव और सम्मान का भाव पैदा नहीं करते हैं। उस गांव में पैदा हुए, मतलब सम्मान होना चाहिए। आप देखिए जिस गांव में महात्मा गांधी का जन्म हुआ होगा, उस गांव का व्यक्ति कभी कहीं मिलेगा तो कहेगा, मैं उस गांव से हूं जहां महात्मा गांधी पैदा हुए थे। कहेगा कि नहीं कहेगा? हर किसी को रहता है, कि कोई ऐसी बात होती है, गांव का गर्व होता है उसको। क्या हमने कभी हमारे गांव में,के प्रति एक लगाव पैदा हो, गांव के प्रति गर्व पैदा हो, ऐसी कोई चीज करते हैं क्या? नहीं करते हैं। क्या गांव का जन्मदिन मनाया जा सकता है क्या? हो सकता है कि record पर नहीं होगा तो गांव तय करे कि किस दिन को जन्मदिन मनाया जाएगा। उस दिन गांव इकट्ठा हो और गांव के बाहर जो लोग रहने गए हो, शहरों में रोजी-रोटी कमाने के लिए, किसी ने बड़ी प्रगति की हो, कोई पढ़-लिख करके डॉक्टर बना हो, उस दिन सबको बुलाया जाए। एक दिन सब लोग, नए-पुराने सब साथ रहें। कुछ बालकों के कार्यक्रम हो जाएं, कुछ बड़ों के कार्यक्रम हो जाएं, senior citizen के कुछ कार्यक्रम हो जाएं, गांव में सबसे बड़ी उम्र वाले व्यक्ति का सम्मान हो जाए। और एक अपनेपन का भाव! जो गांव से बाहर गए होंगे, उनको भी लगेगा उस दिन कि चलो भई अब तो हम रोजी-रोटी कमा रहे हैं, बड़े शहर में रहे रहे हैं चलिए अगले साल इतना हमारी तरफ से गांव के लिए दान दे देंगे, हमारे गांव में ये विकास कर दो। आप देखिए जन-भागीदारी का ऐसा माहौल बनेगा, गांव का रूप-रंग बदल जाएगा।

कभी आपने सोचा है, हमारी आने वाली पीढ़ी को तैयार करना है तो.. मैं कई बार गांव को पूछता हूं, भई आपके गांव में सबसे वृद्ध-oldest, oldest tree कौन सा है, कौन सा वृक्ष है जो सबसे बूढ़ा होगा? गांव को पता नहीं है, क्यों? ध्यान ही नहीं है! क्या हम पंचायत के लोग तय कर सकते हैं कि चलो भई ये सबसे बड़ी आयु का वृक्ष कौन सा दिखता है, ये सबसे बड़ा है, स्कूल के बच्चों को ले जाइए कि देखो भई अपने गांव की सबसे बड़ी आयु का वृक्ष ये है, ये है सबसे बड़ा वो, 200 साल उम्र होगी उसकी, 100 साल होगी उसकी, 80 साल होगी उसकी, जो भी होगा। चलो भई उसका भी सम्मान करे, उसका भी गौरव करें। यही तो है जो गांव के विकास का सबसे बड़ा साक्ष्य है। He is a witness! हम किस प्रकार से अपने गांव के गौरव को जोड़ें, गांव के साथ अपने आप कैसे लगाव लोगों का पैदा करें? आप देखिए अपने आप बदलाव आना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि आप नेतृत्व दीजिए, अनेक नई कल्पकताओं के साथ नेतृत्व दीजिए।

हमारे देश ने बहुत बड़ा निर्णय किया है। कभी-कभी पश्चिम के देशों से बातें होती हैं और जब कहते हैं कि भारत में महिलाओं के लिए पंचायती व्यवस्था में reservation है तो कईयों आश्चर्य होता है। हिंदुस्तान में political process में decision making process में महिलाओं को इतना बड़ा अधिकार दिया गया है कि विश्व के बहुत बड़े-बड़े देशों के लिए surprise होता है। लेकिन कभी-कभी हमारे यहां क्या होता है।.. एक पहले तो मैं सरकार से जुड़ा हुआ नहीं था, संगठन के काम में लगा रहता था तो देशभर में मेरा भ्रमण होता था। तो लोगों से मिलता था। मिलता था तो थोड़ा परिचय भी करता था, एक बार परिचय देकर मैंने कहा, आप कौन हैं? तो उसने कहा मैं so and so SP हूं। तो मैंने कहा SP हैं! और political meeting में कैसे आ गए? क्योंकि मैं... SP यानी Superintendent of Police.. ये ही मेरे दिमाग में था। क्योंकि SP यानी पुलिस – पुलिसवाला हो के ये meeting में कैसे आ गए? तो मैंने कहा SP... तो बोले नहीं-नहीं मैं सरकारी नहीं हूं तो मैंने बोला क्या हैं? तो बोले “मैं सरपंच पति हूं।“

अब कानून ने तो empower कर दिया लेकिन जो SP कारोबार चला रहे हैं भई... है ना? हकीकत है ना? अब कानून ने महिलाओं को अधिकार दिया है तो उनको मौका भी देना चाहिए। और मैं कहता हूं जी, वो बहुत अच्‍छा काम करेंगी आप विश्‍वास कीजिए, बहुत अच्‍छा काम करेंगी। सच्‍चे अर्थों में गांव में परिवर्तन होंगे। अभी आपने छत्‍तीसगढ़ का भाषण सुना। बिना हाथ में कागज़ लिए गांव में क्या काम किया है, उन्‍होंने बताया कि नहीं बताया? और पता है उनको कि सरपंच के नाते अपने गांव में कितने काम हैं, किन-किन कामों पर ध्‍यान देना चाहिए, सब चीज का पता है। ये सामर्थ्‍य है हमारी माताओं-बहनों में। इसलिए ये SP वाला जो culture है वो बंद होना चाहिए। उनको अवसर देना चाहिए, उनको काम करने के लिए प्रोत्‍साहित करना चाहिए। और हम अवसर देंगे तो वे परिणाम भी दिखाएंगे।

तो मैं आज पंचायती राज दिवस पर आप सबको हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। जो award winner हैं, उनसे आप बात करेंगे तो पता चलेगा कि उन्‍होंने अपने-अपने यहां बहुत नए-नए प्रयोग किए होंगे, जो आपको भी काम आ सकते हैं। लेकिन अगर गांव तय करे तो दुनिया देखने के लिए आए, ऐसा गांव बन सकता है जी। ये ताकत होती है गांव की, एक परिवार होता है, अपनापन होता है, सुख-दु:ख के साथी होते हैं।

उस भाव को फिर से हम जगाएं और गांवों को बहुत आगे बढ़ाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्‍यवाद।

Explore More
୭୮ତମ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦିବସ ଅବସରରେ ଲାଲକିଲ୍ଲାରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣ

ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଭିଭାଷଣ

୭୮ତମ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦିବସ ଅବସରରେ ଲାଲକିଲ୍ଲାରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣ
When PM Modi Fulfilled A Special Request From 101-Year-Old IFS Officer’s Kin In Kuwait

Media Coverage

When PM Modi Fulfilled A Special Request From 101-Year-Old IFS Officer’s Kin In Kuwait
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The relationship between India and Kuwait is one of civilizations, seas and commerce: PM Modi
December 21, 2024
The warmth and affection of the Indian diaspora in Kuwait is extraordinary: PM
After 43 years, an Indian Prime Minister is visiting Kuwait: PM
The relationship between India and Kuwait is one of civilizations, seas and commerce: PM
India and Kuwait have consistently stood by each other:PM
India is well-equipped to meet the world's demand for skilled talent: PM
In India, smart digital systems are no longer a luxury, but have become an integral part of the everyday life of the common man: PM
The India of the future will be the hub of global development, the growth engine of the world: PM
India, as a Vishwa Mitra, is moving forward with a vision for the greater good of the world: PM

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।