Youth of the country must always be prepared to play a bigger role for the development of the nation and the society: PM
Words one speak may or may not be impressive but it should definitely be inspiring: PM Modi
Youth have the advantage of freshness and new ideas, enabling them to face new challenges more effectively: PM Modi

बड़ी संख्‍या में आए मेरे युवा साथियो। मेरे सामने न्‍यू इंडिया की नई तस्‍वीर मैं देख रहा हूं। देश के कोने-कोने से भाषा-भूषा की विविधता लिए रंग-बिरंगी माला रूपी मां भारती के आप सभी मनकों का मैं अभिवादन करता हूं।

तकनीक के माध्‍यम से हमारे साथ देशभर से जुड़े एनसीसी, एनएसएस और नेहरू युवा केन्‍द्र के साथियों का भी मैं स्‍वागत करता हूं।

साथियो, आप जैसे ऊर्जावान और जोश से भरे साथियों से मैं जब भी मिलता हूं, चर्चा करता हूं तो आपकी ये ऊर्जा, आपका ये जोश मेरे भीतर भी मैं अनुभव करता हूं। आप बीते दो दिन से यहां पर देश और समाज से जुड़े महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। चर्चा की यही भावना, संवाद की यही प्रक्रिया देश के जनतंत्र को सशक्‍त करती है।

साथियो, देश के वर्तमान और भविष्‍य को लेकर आपकी सार्थक चर्चा के लिए अनेक सा‍थियों को यहां पुरस्‍कृत करने का मुझे अवसर भी मिला है। जिनको पुरस्‍कृत करने का मुझे अवसर मिला है वो बधाई के पात्र हैं ही, बाकी साथियों को भी मैं बधाई दूंगा, क्‍योंकि आपकी भागीदारी भी एक बहुत बड़ा पुरस्‍कार है।

साथियो, इन विचारों को लोकतंत्र, देश और समाज के विमर्श से जोड़ने की हमेशा मेरी कोशिश रही है। National Youth Parliament इसी कोशिश का एक हिस्‍सा है। मैंन एक बार मन की बात कार्यक्रम में बात करते समय इसी प्रकार की भावना को मैंने प्रकट किया था और मुझे खुशी है कि इसको सफलता के साथ मूर्तरूप दिया गया है। लेकिन मेरा इसमें आग्रह रहेगा ये पहला प्रयोग था, थोड़ा बड़ा प्रयोग था, अगर अच्‍छा होगा कि आप लोग इस पूरे कार्यक्रम की रचना- उसमें क्‍या कमी रही, और अच्‍छा कैसे हो सकता था? विषय अच्‍छे कौन से हो सकते थे? प्रादेशिक भाषाओं का महातम्‍य कैसे मिल सकता था?- अगर सुझाव, और मैं चाहूंगा कि डिपार्टमेंट इसके लिए कोई ऑनलाइन व्‍यवस्‍था करे और सभी participant इस कार्यक्रम की रचना के संबंध में सुझाव देकर अगर इसको और मजबूती देते हैं, और नयापन innovation, innovative ideas देते हैं तो ये अपने-आप में एक institution बन जाएगा। और भविष्‍य में भी जो पार्लियामेंट जाना चाहता है, वो पहले सोचेगा कि इस पार्लियामेंट से गुजरे। वो भी अपने प्रोफाइल में लिखेगा कि मैं उस पार्लियामेंट में इतनी बार हिस्‍सा लिया, इतनी बार मुझे बोलने का मौका मिला, इतने विषय पर बोला, इतनी बार इनाम जीत करके आया, इतनी बार पिट करके आया।

तो एक तो मेरा आग्रह है कि क्‍योंकि इसको हम एक... और वैसे भी जो लोग मुझे, क्‍योंकि आप लोग इस प्रकार की स्‍पर्धा में भाग ले रहे हैं, इसका मतलब कि आप अपने सिलेबस के बाहर भी कुछ पढ़ते हैं, सिलेबस के बाहर कुछ सोचते हैं। जो सिलेबस में बंधे हुए हों वो तो यहां नहीं आते, वो वहीं टिके रहते हैं; और इसके कारण शायद आप मेरा भी अध्‍ययन करते होंगे। और मुझे भरोसा है कि आप वो चीज नहीं लेते होंगे जो आपको परोसी जाती होगी, आप ढूंढ करके निकालते होंगे कि सही क्‍या है; वरना परोसा हुआ माल जरा गड़बड़ होता है।

आपने देखा होगा कि मैं स्‍वभाव से टो‍कनिज्‍म में मुझे यानी मेरा विश्‍वास ही नहीं है। कोई एक लम्‍बी सोच के साथ एक के बाद एक interlink व्‍यवस्‍थाएं विकसित करना ही मेरी कार्यशैली का हिस्‍सा है। सब चीजें पहले नहीं बताता हूं, progressive un-format होता है, धीरे-धीरे खोलता हूं। मेरे मन में एक बहुत बड़ा सपना है उसी का एक छोटा सा हिस्‍सा यहां शुरू हो रहा है और इसको अगर आप और आपकी भागीदारी से अगर ये व्‍यवस्‍था विकसित होती है, और मैं तो चाहूंगा कि हो सके इतना जल्‍दी इसको सरकार से बाहर निकाल दिया जाए। या तो इसको सरकार से बाहर निकाल दें या इसमें से सरकार को बाहर निकाल दें।

विनोबा भावे कहा करते थे कि अ-सरकारी-असरकारी, समझ आया- अ-सरकारी-असरकारी। इसका रूप क्‍या हो सकता है, अगर मान लीजिए पूरे देश में सरकार कैटेलिक एजेंट हो, सरकार उद्दीपक का काम करे, सरकार बाउन्‍ड्री तय करे; ये सब कुछ करे, infrastructure provide करे, लेकिन पूरा imitative हर डिस्ट्रिक में इस प्रकार के एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केन्‍द्र, ये सब मिल करके यूनिवर्सिटीज के जो चुनाव जीत करके आए हुए लीडर हैं, ये सब मिलकर ये लगातार डिस्ट्रिक में साल में तीन-तीन, चार-चार विषयों पर बड़ी व्‍यापक debate करें और एक माहौल बने। यानी ये डिबेट फिर बड़े-बड़े स्‍टेडियम में करनी पड़े डिबेट। 25-25, 50 हजार लोग सुनने आ जाएं, और देखें हमारे बच्‍चे क्‍या बोल रहे हैं, क्‍या सोच रहे हैं। ये हो सकता है, हो सकता है कि नहीं हो सकता? लेकिन आप कहेंगे, करेगा कौन? और इसलिए क्‍या हम इसको उस दिशा में ले जा सकते हैं क्‍या? ताकि ये व्‍यवस्‍था ज्‍यादा विकसित हो, उसको लाभ मिले।

दूसरा, वक्‍तत्‍व, ये सिर्फ शब्‍दों का श्रृंगार नहीं होता है, पानी का आरोह-अवरोह नहीं होता है। हमोर मुंह से निकला हुआ शब्‍द सही जगह पर तीर की जगह जाना चाहिए। हमारी वाणी impressive हो न हो inspiring जरूर होनी चाहिए। महात्‍मा गांधी से शायद बड़ा communicator पिछली शताब्‍दी में तो मुश्किल है मिलना, वो कोई वक्‍तत्‍व शैली के धनी नहीं थे और न ही कहीं उनके पहनावे में कोई impression करने का कोई प्रयास था, न ही उनके शरीर की रचना में भी कुछ ऐसी चीज थी। आप कल्‍पना कर सकते हैं, न oratory है, न उस प्रकार का प्रभावशाली व्‍यक्तित्‍व है, लेकिन वो कौन सी तपस्‍या होगी कि उनका एक शब्‍द- और उस जमाने में what app नहीं था, दुनिया के कोने-कोने में पहुंच जाता था। ये जो communication है oratory that one thing communications are differences, उस communication skill को हम कैसे develop करें। और अगर हमारे देश में, गांव में, शहर में, कस्‍बों में अगर ऐसी युवा पीढ़ी तैयार होती है जो समाज के मुद्दों पर सही तरीके से सोच करके समाज को अपनी बात बताते हैं तो समाज का मन बनाने में बहुत बड़ा रोल कर सकते हैं और इसलिए ये अपने-आप में ये प्रयोग grass root level पर एक सशक्‍त संरचना खड़ी करने की दिशा में हमारा नम्र प्रयास है और मुझे लगता है वो दिन दूर नहीं होगा कि आप लोगों की तरफ से मांग आएगी कि तीन प्राइज देते हो तो कम से कम एक पुरुषों के लिए रिजर्वेशन दिया जाए। इन बेटियों को लाख-लाख बधाई। तीनों बेटियों ने मैदान मार लिया।

आपने देश से जुड़े हुए कई विषयों पर चर्चा की है यहां। दो दिन में स्‍वच्‍छता का विषय हो, समावेशी समाज हो, financial inclusion हो, किसानों की आय की बात हो, environment हो, खेल हो, ऐसे कई विषयों पर आप लोगों ने अपने-अपने इस चर्चा के अंदर विचार रखे हैं। इस कार्यक्रम में कुछ ऐसे सुझाव आए हैं, जिनको विस्‍तार देकर देश में चल रही अनेक योजनाओं को और मजबूत किया जा सकता है और इसके लिए मेरा एक दूसरा सुझाव डिपार्टमेंट को है कि जिन लोगों ने इसमें हिस्‍सा लिया है, उनसे उनकी स्‍पीच writing में मांगी जाए, ऑनलाइन वो करें। और उसमें उनको भी कहा जाए कि आपने जो बोला था, जो लिखा है, उसमें से एक उत्‍तम वाक्‍य इसमें से ढूंढकर निकालो, आप खुद भी, खुद ही अपना examiner, और online booklet प्रसिद्ध की जाएं कि इस विषय पर देश में 400 बच्‍चे बोलें, इस प्रकार की बातें बोली, उन चार से महत्‍वपूर्ण वाक्‍य उनके ये थे। अगर ऑनलाइन बुक निकले तो ये लोग भी तो उस बुक को देखेंगे और 400 को पढ़ेंगे, सुनेंगे। यानी ये autopilot व्‍यवस्‍था हो जाएगी।

अब मुझे बताइए सर, ये करने में सरकार की जरूरत पड़ेगी क्‍या? बिना सरकार हो जाएगा कि नहीं हो जाएगा? वो infrastructure provide करेगी और हर राज्‍य के जो टॉप-3 हैं उनका ऑनलाइन वीडियो भी इस पर उपलब्‍ध हो ताकि किसी को उनकी स्‍पीच को देखना है, सुनना है तो देख लेंगे। एक ऐसी व्‍यवस्‍था विकसित की जाए जो अपने-आप में youth का आकर्षण बने और हो सकता है फिर आप जब पार्लियामेंट का एजेंडा निकले, तो आप भी अपने इलाके के एमपी को mail कर सकते हो कि देखिए- इस विषय पर इन बच्‍चों ने ऐसे कहा है, अगर आपको काम आता है तो ले लो। और मैं सच बताता हूं कभी-कभी एकाध कोने में से एकाध छोटे व्‍यक्ति की बात मुझ जैसे लोगों को भी इतनी काम आती है जिसकी आप कल्‍पना नहीं कर सकते जी। ये पड़ा है खजाना हमारे यहां। तो मेरा दूसरा एक आग्रह रहेगा कि हम इसको एक ऐसा व्‍यवस्‍था के अंदर बनाएं ताकि आगे चल करके ये अपने-आप में ये उपयोगी हो, इसका लाभ होगा। ये ऐसा मंच है जो आप सभी की raw energy को एक shape देगा, एक दिशा देगा। यहां से जो ideas, जो सीख आप लेकर जाएंगे, उनसे ही कुछ नया सृजित होगा जो नए भारत की आत्‍मा, नए भारत के नए संस्‍कारों का निर्माण करेगा।

साथियो, पार्लियामेंट जितना productive होगा, देश उतना progressive होगा। और इसलिए मैं जब youth parliament में आया हूं, हम क्‍या कर रहे हैं इसका जरा हिसाब भी देना चाहता हूं। और देश को पता होना चाहिए जिन MP’s को आप जिता करके भेजते हो, वो कर क्‍या रहा है। पार्लियामेंट क्‍या कर रही है, पूछना चाहिए, नौजवानों को पूछना चाहिए।

देखिए, सोलहवीं लोकसभा का उदाहरण देता हूं। Average productivity 85%, करीब-करीब 205 बिल पास किए गए और 15वीं लोकसभा की तुलना में 16वीं लोकसभा ने 20 प्रतिशत काम ज्‍यादा किया; लेकिन मैं इससे संतुष्‍ट नहीं हूं। अगर मोदी है तो फिर 20 से नहीं चलता है, 200 होना चाहिए। अब ये लोकसभा देश की जनता ने 30 साल के बाद एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुन करके भेजा। उसका नतीजा है कि ये 20 पर्सेंट भी productivity बढ़ा पाए। देश के taxpayer के पैसों का सही उपयोग हुआ, और समय रहते हुए देश के लिए जरूरी वहां नीति निर्धारण हुआ। लेकिन राज्‍यसभा में क्‍या हुआ- अब राज्‍यसभा तो elders का house है। तपस्‍वी, तेजस्‍वी, वयोवृद्ध, तपोवृद्ध; वो बहुत ठंडे दिमाग से, अच्‍छे ढंग से; ये सुनकर आए हुए लोग जो हैं-हैं करते हैं, तो जरा उनको समझाएं। राज्‍यसभा का performance अभी जो लास्‍ट सत्र गया, सिर्फ 8 पर्सेंट, eight percent. अगर productivity eight percent, यानी कितनी बड़ी चिंता का विषय है।

आप एक काम करिए, अपने यहां जा करके district में या दो चार district मिला करके राज्‍य का एक बड़ा सा युवा इवेंट कीजिए। और आपके राज्‍य से जो राज्‍यसभा में गए हैं, ये उनकी जिम्‍मेदारी है आपके राज्‍य के हितों को ले करके राज्‍यसभा में अपनी भूमिका अदा करना उनका दायित्‍व है; उनको बुलाइए, चीफ गेस्‍ट के रूप में बुलाइए, बढ़िया माला-वाला पहनाइए, अच्‍छे से अच्‍छी शॉल ओढ़ाइए, बढ़िया से बढ़िया चेयर रखिए। फिर उनको request कीजिए, थोड़ा question-answer करेंगे और फिर पूछिए क्‍या किया, जवाब मांगिए। तभी जा करके देश में दबाव पैदा होगा। और ये भी लोकतंत्र है, ये अलोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था मैं नहीं बताता हूं। और मैं ये भी नहीं कहता हूं एक पार्टी के, किसी भी पार्टी के क्‍यों न हों, राज्‍यसभा के सबको बुलाओ, अपने राज्‍य के लोगों कि भई क्‍या किया। यानी देखिए एक में से कैसे दूसरी शक्ति तैयार होगी। और इसलिए मैं चाहता हूं कि इसका हम अधिक लाभ करें।

सा‍थियो, युवा मन आकांक्षी होता है, महत्‍वाकांक्षी होता है और होना भी चाहिए। और इसकी अभिव्‍यक्ति करते हुए, वैसे मुझे ये बच्चियां जो बढ़िया-बढ़िया कविता सुना रहीं थीं, मुझे ज्‍यादा वो आता नहीं है, लेकिन कभी हमने पढ़ा था तो ऐसे टूटा-फूटा जो याद रहता है। किसी शायर ने कहा था कि-

उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है,

मुझे यकीं है कि ये आसमां कुछ कम है।

और इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि युवा सपनों को, आकांक्षाओं को रोकना नहीं चाहिए। उन्‍हें वो उन्‍मुक्‍त गगन में उड़ने देना चाहिए क्‍योंकि युवा नए आइडियाज से, freshness से भरा हुआ होता है, ऊर्जा होती है, तेजस्विता होती है, sharpness होती है, उस पर अतीत का बोझ नहीं होता। ऐसे में चुनौतियों और समस्‍याओं से निपटने में वो अधिक सक्षम होता है।

साथियो, देश की, समाज की समस्‍याओं को सुलझाने के लिए आपकी जो approach है वो न्‍यू इंडिया को और मजबूत करने वाली है। जैसे आज का समय तेजी से बदल रहा है, वैसे ही आज की generation भी पहले की अपेक्षा कई गुना तेजी से सोचती है, काम कर रही है। ये तो आपने भी अनुभव किया होगा। आपके ही परिवार में तीन साल-चार साल का भतीजा होगा तो उसका जो दिमाग चलता होगा- आप सोचोगे मैं तो जब इतना छोटा तो मुझे समझ में नहीं आता था, इसको सब समझ में आता है। यानी आपमें और आपके भतीजे में ज्‍यादा अंतर नहीं है, लेकिन फिर भी आप अंतर महसूस करते हैं; बदलाव है।

कुछ लोग कहते हैं कि आज का नौजवान सवाल बहुत पूछता है। घर में भी आपको परेशानी रहती है वैसे- चुप बैठ, जा पढ़ाई कर- ऐसा ही होता होगा। और कुछ लोग ये भी कहते हैं कि आज के युवा में धैर्य नहीं, passions नहीं है, बड़ी हड़बड़ी में है। कुछ लोग ये कहते हैं कि आज का युवा monotones work नहीं चाहता, उनको हर बार नया चाहिए। हर चीज में नयापन चाहिए। और लोग कुछ भी बोले- लेकिन मैं मानता हूं कि सारी बातें, लोग कुछ भी कहें- युवा है तो ये सब जरूरी है, ये ingredients हैं युवा के। वरना उम्र बड़ी हो, दिमाग नहीं चलते- लोग तो देखे हैं हमने। और यही बातें तो आपको innovative बनाती हैं, नए-नए आइडिया लाती हैं। आज का युवा multi tasking के लिए पहले से ही तैयार है और इसलिए कई काम एक साथ करता है। वो ambition से भरा हुआ है क्‍योंकि वो बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहता है और यही तो न्‍यू इंडिया का आधार है।

साथियो, हमारी सरकार ने देश के युवाओं के सपनों को साकार करने के लिए युवाओं में आत्‍मविश्‍वास बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया। हमारा ये स्‍पष्‍ट मानना है कि युवाओं को अवसर मिलने चाहिए। अवसरों को समानता मिलनी चाहिए, सामर्थ्‍य तो उसमें भरपूर है ही। यही कारण है कि शिक्षा और सरकारी सेवाओं में सामान्‍य वर्ग के गरीब युवा साथियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का ऐतिहासिक फैसला हमारी सरकार ने लिया है। दूसरे वर्ग के अधिकार में छेड़छाड़ किए बिना ये काम किया गया। इतना ही नहीं, सरकार शैक्षिक संस्‍थानों की सीटों में 25 प्रतिशत की वृद्धि भी कर रही है।

साथियो, अवसरों की समानता तभी सुनिश्चित हो जाती है जब सिस्‍टम से परिवारवाद, भाई-भतीजवाद, अपना-पराया, भ्रष्‍टाचार सब दूर हो। और इसके लिए भी एक के बाद एक कई निर्णय लगातार किए जा रहे हैं। चाहे वो sports के क्षेत्र में, training और selection में पारदर्शिता लाने की बात हो, या फिर startup के माध्‍यम से युवाओं के ideas को देश की ताकत बनाने की बात हो; हम एक सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। और इसका पूरा लाभ उठाने और भविष्‍य में इन कार्यों का नेतृत्‍व करने की जिम्‍मेदारी भी आप जैसे नौजवानों की है।

चौथी औद्योगिक क्रांति के इन शुरूआती वर्षों में भारत तेजी के साथ आगे बढ़े, startup की दुनिया में, innovation की दुनिया में गरीबी को समाप्‍त करने के प्रयासों में पूरे विश्‍व में मिसाल कायम करें, इसके लिए प्रयत्‍न हम सभी को मिल करके करना है। याद रखिए, मैं जिस पीढ़ी से रहा, आप जिस पीढ़ी से हैं- हम वो लोग हैं जिन्‍हें स्‍वतंत्रता के लिए मर-मिटने का मौका नहीं मिला, लड़ने का मौका नहीं मिला। यानी हम वो लोग हैं जिन्‍हें देश के लिए जीने का अवसर मिला है। और इसलिए हमें अपनी ऊर्जा, अपनी प्रतिभा देश के लिए जीने पर, देश के लिए निर्माण पर लगानी है। और इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कुछ और भी सुझाव हैं मेरे मन में। अच्‍छा हुआ मैं टीचर नहीं हुआ वरना मैं होमवर्क ज्‍यादा देता।

आप लोग यहां आए हैं, देश के हर जिले से आए हैं। मुझे मालूम नहीं है logistic व्‍यवस्‍था क्‍या है, लेकिन समय निकाल करके देश के सैनिकों को सवा सौ करोड़ देशवासियों ने जो नेशनल वार मेमोरियल समर्पित किया है दो दिन पहले, और आजादी के इतने सालों के बाद पहली बार हुआ है, आप समय निकाल कर जरूर वहां हो आइए, जरूरी हो आइए। वैसा ही दूसरा पुलिस मेमोरियल बना है। वो भी आजादी के इतने सालों के बाद पहली बार बना है, उसे भी देखिए। अपना श्रद्धाभाव व्‍यक्‍त करिए। जब आप अपने घर में वापिस जाएंगे तो और कुछ काम आए न आए, ये दो दिन यहां बिताए, उसमें से कुछ काम आए न आए, इन दो जगह पर होकर जाएंगे, मुझे विश्‍वास है आप ऊर्जा से भर करके घर लौटेंगे। प्रेरणा से भरते हुए आप लौटेंगे, मेरा पूरा विश्‍वास है जी। और इसलिए साथियो, मैं आपका- मुझे बताया गया है कि शायद कुछ सवाल-जवाब भी होने वाला है आपके साथ। तो ज्‍यादा समय मुझे लेना नहीं चाहिए। लेकिन मैं एक द्वारिका प्रसाद द्विवेदी की उन्‍होंने जो दो पंक्तियां कहीं थी, वो भी मैं आपको कहते हुए अपनी बात समाप्‍त करूंगा। उसी में आपके लिए संदेश हैं। मेरा पूरा भाषण याद नहीं रखोगे तो चलेगा-

इतने ऊंचे उठो कि जितना उठा गगन है।

इतने मौलिक बनो कि जितना स्‍वयं सृजन है।

दोस्‍तों, मेरी इन सारे सपनों के लिए आपको शुभकामनाएं हैं और मुझे बताया गया है कि कुछ लोग पूछने वाले हैं- एंकर - माननीय पूरे देश भर से युवा यहां पर आए हुए हैं और बहुत सारे सवाल हमारे पास इनकी तरफ से आए भी हुए हैं। इनमें से माननीय कुछ सवाल हम ले रहे हैं यहां पर दिल्‍ली से शंशाक गुप्‍ता हैं जो कुछ पूछना चाह रहे हैं.... शंशाक... खड़े हो जाएं।

शंशाक – नमस्‍कार प्रधानमंत्री जी, मेरा नाम शंशाक गुप्‍ता है मैं दिल्‍ली का निवासी हूं, प्रधानमंत्री जी मुझे और मेरे युवाओं को ये जानकर बहुत बुरा ज्‍यादा feel होता है कि हमारे देश की ताकत की तारीफ पूरा देश कर रहा है इसी संदर्भ में मैं आपसे एक प्रश्‍न पूछना चाह रहा हूं। कि हमारा देश हर एक सेक्‍टर के अंदर काफी सारी योजनाएं हैं जैसे Education के अंदर हमारे पास Skill India है प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना हैं, हमारे पास Digital India है Make In India है हमारे पास even research के लिए Prime Minister Research Fellowship scheme है even हमें diplomacy सीखने के लिए student engagement MEA program है इसी विषय में सर मैं ये जानना चाहता हूं कि इन सभी का हमें कैसे हर एक जिले में, हर एक नार्थ ईस्‍ट से लेकर गुजरात तक, जम्‍मू-कश्‍मीर से लेकर तमिलनाडू तक कैसे हर एक युवा को कैसे इसका लाभ मिलेगा.... कैसे उस चीज को वो प्राप्‍त कर सकते हैं? यही मेरा Question है धन्‍यवाद।

 प्रधानमंत्री – आपकी बात सही कि कभी-कभी योजनाएं तो होती हैं ऐसा तो नहीं है कि पहले की सरकारें कोई... कुछ करती ही नहीं होगी। योजना तो उन्‍होंने ही बनाई होगी। कुछ योजनाएं Idea तक सीमित रहती होंगी, कुछ योजनाएं कागज पर जाती होंगी, कुछ योजनाएं फाइल के आगे निकलती होगी और फिर समय उसी में बीत जाता होगा। हकीकत में अगर हम last mile delivery करते हैं execution करते हैं तब योजनाओं का लाभ है। अब आपको मालूम है कि देश ने बैंकों का राष्‍ट्रीकरण किया था। जब आप लोग पैदा भी नहीं हुए थे तब हुआ था। और इसलिए किया गया था कि बैंकों में गरीबों का हक मिलना चाहिए। उस समय हमारे देश में फैशन थी गरीबों के नाम पर .....खेल खेलने की। अब बैंकों का राष्‍ट्रीकरण होकर के 40-45 साल हो गए हैं। लेकिन देश के गरीबों का बैंक अकाउंट खुला नहीं। अब कोई बैंक ने बैंक अकाउंट खोला नहीं है ये तो कहा नहीं था लेकिन last mile delivery पर ये किसी ने ध्‍यान नहीं दिया। हमनें ध्‍यान दिया और देश के हर व्‍यक्ति का बैंक खाता होना चाहिए.. ये हमनें तय किया। अब शुरू में हमारी जो बैंक वालों से थोड़ी परेशानी भी रही, हमनें ये कहा कि zero amount से बैंक खाता खुला है अब कोई बैंक वाला क्‍यों शुरू होगा भई.... zero amount से, कठिन काम होता है ये करना पड़ता है। और zero balance से बैंक अकाउंट खोले गए और आप देखिए हमारे देश के गरीबों की अमीरी देखिए... अमीरों की गरीबी तो बहुत देखी है। लोग भाग जाते हैं और गरीबों की अमीरी देखिए... zero balance से बैंक अकाउंट खोलना था लेकिन इन गरीब परिवारों ने बैंक के अकाउंट का उपयोग करते हुए सेविंग की दिशा में गए और आज करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपया उन्‍होंने सेविंग किया है बैंक अकाउंट में। ये गरीबों की अमीरी है और देश गरीबों की अमीरी से ही आगे बढ़ने वाला है।


अब ये क्‍यों हुआ तो last mile delivery से हुआ अब मान लीजिए... मुझे बराबर याद है कि दादा धर्मादीकारी करके गांधेन विचारक थे, कभी आपको भी मौका मिले तो दादा धर्मादीकारी जी जैसी किताबें पढ़नी चाहिए...छोटी-छोटी चीजें लिखते थे वो। आचार्य विनोबा जी के प्रभाव में रहते थे उन्‍होंने एक जगह पर लिखा है कि मेरे बड़े परिचित परिवार से किसी ने भेजा कि भई बच्‍चा ब़ड़ा हो गया है, अब तो ग्रेजुएट भी हो गया है लेकिन कहीं रोजी रोटी नहीं मिलती है कुछ व्‍यवस्‍था कीजिए। तो मेरे पास वो आया तो मैंने पूछा कि तुझे क्‍या आता है उन्‍होंने कहा कि मैं ग्रेजुएट हूं.... बोले.... कि हां ग्रेजुएट हो लेकिन आता क्‍या है तुझे..... वो बोला ग्रेजुएट हूं... हां भई ग्रेजुएट हो लेकिन आता क्‍या है तुझे..... कहने लगा कि मैं ग्रेजुएट हूं, मैं तीन साल कालेज रह कर आया। अरे वो बोले तुझे ड्राइविंग आता है क्‍या....वो बोले नहीं आता है। खाना बनाना आता है क्‍या..... बोले नहीं आता है। टाइपिंग करना आता है क्‍या.... बोले नहीं आता है। तो तुझे आता क्‍या है..... दादा धर्मादीकारी जी ने बड़े सटीक ढंग से इस बात का वर्णन किया है।


हमारा जो कौशल विकास का प्रयास उसके पीछे है कि परमात्‍मा ने हमें हाथ दिए हैं... हुनर की जरूरत होती है... स्‍कील की जरूरत होती है और जो Skill development mission है उसकी एक ताकत है कि इंसान कभी भूखा नहीं मर सकता जी, वो अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है आत्‍मविश्‍वास उसका बढ़ जाता है। तो हम देश भर में इस नेटवर्क को खड़ा कर रहे हैं। अब आपने देखा होगा कि स्‍टार्टअप्‍स.... पहले एक जमाना था कि बड़े बाबू के बेटों को मिलो तो वो कहेगा कि मैं.... मैं भी बाबू बनना चाहता हूं। आजकल मैं देखता हूं कि मेरे जो अफसर हैं उनको मैं पूछता हूं कि बेटा क्‍या करता है... बोले वो तो सरकार में आना नहीं चाहता है वो तो स्‍टार्टअपस करना चाहता है। यानी स्‍टार्टअप्‍स एक इनोवेशन... कुछ नया करना... और सरकार ने मुद्रा योजना बनाई है... इस मुद्रा योजना से बिना बैंक गारंटी देश का कोई भी व्‍यक्ति बैंक से पैसा ले सकता है। और इस सरकार ने लाखों करोड़ों रुपया ऐसे नौजवानों पर भरोसा करके दिया है। और चार करोड़ लोग ऐसे हैं जो पहली बार बैंक से पैसा लिया है। उन्‍होंने अपने पैरों पर खड़ा होना तय कर लिया और खुद तो हुए ही है साथ में एक दो और लोगों को रोजगार दे रहा है।

कहने का तात्‍पर्य है कि ये जो हम योजनाएं बना रहे हैं last mile delivery पर बल देकर कर रहे हैं और मुझे विश्‍वास है कि योजनाओं की तरफ... अब आप common service centre में जाएंगे जो गरीबी देश में ढाई लाख गांवों में है वहां पर सरकार की चार सौ से ज्‍यादा योजनाओं का लाभ आप ऑनलाइन जानकारी लेकर के उसका फायदा उठा सकते हैं। आप नौजवान भी अपने इलाके में बता सकते हैं कि देखो भई common service centre में application form है कहां जाना... क्‍या जाना ये सारा guidance है और digital available है उसको हमनें समझा दिया कि ... उसको पहुंच सकता है। कभी सबसे बड़ी बात क्‍या हुई। हमने देशवासियों पर भरोसा करना तय किया है। एक सोच थी सबको चोर मानना है... क्‍योंकि खुद में अंदर चोर बैठा था। और ये सबको चोर मानना है। मैंने कहा ... ऐसा नहीं है जी कुछ लोग होंगे गलत रास्‍ते पर लेकिन अघिकतर लोग ईमानदार होते हैं ईमानदारी के रास्‍ते पर चलने के लिए जीते हैं ऐसे लोग होते हैं अब आप मुझे बताइए पहले... आपको अगर कहीं application करनी होती थी तो आपकी सर्टिफिकेट का जीरोक्‍स नहीं चलता था। आपको किसी municipal के किसी चुने हुए मेम्‍बर के पास से उसको certify करवाना पड़ता था। ये था न पहले... आपको दो-दो घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ता था। और वो भी बड़ी धोंस जमाता था कल आना, परसों आना... कितनी बार आओगे, सब एकसाथ लेकर आओगे, ऐसा कैसा लाए... ऐसा होता था न.... हमनें कहा क्‍या जरूरत है भई ...वो एक कारपोर्टर या तहसील पंचायत अधिकारी, एक एमएलए, एक एमपी वो कौन होता है ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने वाला.... अरे खुद ही दे दो कि मैं ईमानदारी से देता हूं और कर दिया मैंने....

इस देश का कोई भी व्‍यक्ति अपने सर्टिफिकेट सेल्‍फ अटेस्‍ट करके दे सकता है और जब फाइनल देखना होगा तब ओरिजनल दिखा देना भई... बेकार में परेशान क्‍यों.... तो ये बदलाव जो है उस बदलाव से आप देखते होगे कि नीचे तक एक सकारात्‍मक good governess का प्रभाव और ultimately development plus good governess का भी transformation होता है। सिर्फ development scheme हो। एक गांव में बढि़या बस स्‍टेशन बना दें वहीं development पूरा नहीं होता है, development तब पूरा होता है। बढि़या बस स्‍टेशन हो बस स्‍टेशन की सफाई भी हो, बस समय पर आती हो, कनडेक्‍टर का व्‍यवहार ठीक रहता हो, ये सब पैकेज अच्‍छा हो तब जाकर के बस स्‍टाप का उपयोग है। तो हमारी कोशिश ये है कि interlink all out एक बदलाव महसूस हो। अब स्‍वच्‍छ भारत... अब मुझे बताइए कि टायलेट के कार्यक्रम पहले नहीं चलते थे क्‍या लेकिन आप आधा-अधूरा काम करोगे तो नहीं चलेगा हमनें तय कि एक बार इस समस्‍या से मुक्‍त होना है... निकल पड़ो। देश में नौ करोड़ टायलेट बन गए हैं।

हमारे देश में बच्चियां स्‍कूल इसलिए छोड़ देती थीं क्‍योंकि 3 साल, 5 साल की होते–होते महसूस कर रही थी कि बच्चियों के लिए अलग टायलेट नहीं है। और उसी एक मानसिक बोझ के कारण बच्‍ची पांच-छह साल की पढ़ाई के बाद, पांचवी कक्षा के बाद छोड़ देती थी। मैंने कहा कि भई कम से कम स्‍कूल में बच्चियों के लिए अलग टायलेट तो बनाओं... अब कोई कह सकता है ... अरे भारत के प्रधानमंत्री का ये काम है क्‍या टायलेट बनाना.... उसको तो बड़ी-बड़ी बाते करनी चाहिए...... बड़ी-बड़ी बाते करने वाले 13 चले गए मेरे पहले... हूं.... और कोई.... 

एंकर – माननीय महाराष्‍ट्र अमरावती से यहां पर आई हुई हैं आंकाक्षा असनारे, इनकी भी कुछ उत्‍सुकता है जानने की .... आंकाक्षा

आंकाक्षा – सर्वप्रथम सुप्रभात माननीय प्रधानमंत्री जी मैं आंकाक्षा हूं महाराष्‍ट्र से मेरा, प्रश्‍न पूछने की अनुमति चाहूंगी आपसे... मेरा प्रश्‍न ये है कि युवाओं ने जो अनुभव किया है पिछले साढ़े चार वर्षों में... युवाओं की स्थितियां काफी बेहतर हो चुकी है। और अब हम पर भरोसा भी किया जा रहा है तो आपसे मेरा प्रश्‍न ये है कि आपने इन स्थितियों को कैसे बदला?

प्रधानमंत्री – ये स्थितियों को मैंने नहीं बदला है, देशवासियों ने बदला है। देशवासियों के विश्‍वास ने बदला है। अब स्‍वच्‍छता पर मोदी झाडू लेकर निकला है क्‍या? देशवासियों ने तय किया देश को स्‍वच्‍छ बनाना है सब लोग लग पड़े। अब घर में भी छोटा बच्‍चा, आप कुछ डालते हैं तो कहता है नहीं नहीं उठा लो, दादू उठा लो....ये मोदी जी ने बोला है उठा लो... कहता है कि नहीं कहता है। देश बदलता है देशवासियों की शक्ति से, देशवासियों के संकल्‍प से, सरकार का काम है उन्‍हें अवसर देना, खुलापन देना, और वो काम करने की दिशा में हमारी सरकार निरंतर चल रही है। धन्‍यवाद।

एंकर – माननीय आपका ही संसदीय क्षेत्र वाराणसी यूपी है और वहां से एक सवाल हम लेना चाहते हैं खुशी श्रीवास्‍तव यहां पर आई हुई है। वहां से...खुशी... आप पूछिए क्‍या पूछना है।

खुशी श्रीवास्‍तव - नमस्‍कार, Respected Prime Minister Sir, मेरा question ये है कि corruption ये एक ऐसी problem थी India की कि जिसको सब लोग ऐसे ले रहे थे कि अब अगर जीना है India में तो corruption को मान कर चलो कि होना है या करना ही करना है but इससे लोग परेशान भी बहुत थे। पिछले चार सालों में ऐसा हुआ है कि जितने लोग पैसा ले रहे थे वो इतना डर चुके हैं.... यहां तक कि सिस्‍टम में लीकेज भी रूक गया है। गर्व तो होता है इस बात का पर आश्‍चर्य भी होता है इतने साल से छोटे से थे तब से देखते आ रहे हैं ये बड़ी प्रॉब्‍लम चार साल में कैसे सही हो गई। आपसे पूछना जरूर चाहेंगे?

प्रधानमंत्री – ये बात सही है कि हमारे देश, हमारे बाद भी जो देश आजाद हुए वो कहां से कहां पहुंच गए। हम अपने ही अंदर ऐसी बुराइयां पालते गए और एक के बाद नई बुराईयां लेते आते गए। जैसे शरीर में एक बार डायबिटिज आता है न तो सारी बीमारियों को वो निमंत्रित करता है ... राजरोग बोला जाता है। डायबिटिज अपने आप में बुरा दिखता नहीं है पता नहीं चलता है लेकिन एक बार डायबिटिज आ जाए तो हर एक बीमारी आ जाती है। ये corruption एक ऐसी दीमक है जो सारी बीमारियों को ले आती है। जब तक आप corruption रूपी दीमक को देश से मुक्‍त नहीं करते हैं तब तक आप और बीमारियों से भी मुक्‍त नहीं हो सकते। और इसलिए काम थोड़ा कठिन है। और हर कोई ये काम कर नहीं सकता है जी, जिसको खुद को कुछ लेना देना नहीं है, जिसको अपने लिए कुछ करना नहीं है वो जरूर इस काम को कर सकता है और इस देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं जो नियम और कानून से जीना चाहते हैं। हमनें उन्‍हीं को प्रोत्‍साहित किया, उसी का परिणाम है... अब आप देखिए... हमारे देश के युवा तय कर लें कि हम कहीं पर भी शोपिंग के लिए जाएंगे तो हम digital payment करेंगे, मोबाइल ऐप से ही पैसे देंगे। मुझे बताया है कि ये सब अकाउंट से चलना शुरू हो जाएगा। कोई गलत लेता है तो पकड़ा जाएगा कि नहीं पकड़ा जाएगा अगर वो व्‍यवस्‍था ठीक हो गई तो कुछ भी बुरा होगा क्‍या? यानी हम भी अगर Contribute करना शुरू करें... और आज हुआ है। आप पहले की तुलना में डबल संख्‍या..... 70 साल में इनकम टैक्‍स देने वालों की संख्‍या डबल हो गई...ये ईमानदारी का रास्‍ता नहीं है तो क्‍या है तो ये संभव है और आप लोगों के सहयोग से जरूर संभव होगा।

एंकर – माननीय साऊथ से भी हम एक सवाल लेना चाहते हैं कर्नाटका के तुम्‍कुर से आए श्री रक्षित यहां मौजूद हैं, कुछ आपसे पूछना चाह रहे हैं।

रक्षित - प्रधानमंत्री जी पहले से प्रणाम कर रहा हूं मैं एक वचन समर्पित कर रहा हूं आपके लिए आचार्य हे स्‍वर अनाचार्य हे नर मतलब कि आचार तो स्‍वर कर रहा है अनाचार्य तो स्‍वर नहीं जा रहा है। इसलिए एक साल आप साबित कर दिया पूरे विश्‍व को, इसलिए मेरा प्रश्‍न है वो आपके साथ ये देश, हम बढ़ रहा है। ये हम यूथ क्‍या करना चाहिए, आप बताइए....

प्रधानमंत्री – मुझे बताना पड़ेगा क्‍या यूथ को करना चाहिए, देखिए छोटा सा विषय... आप देखिए कि हमारे देश में 800 मिलियन 35 से कम आयु के लोग हैं वे देश को बदल सकते हैं जी, कोई मुश्किल काम नहीं है। एक तो आप देखिए अभी चुनाव आने वाले हैं। क्‍या हमारा कोई नौजवान है कि जो वोटर लिस्‍ट में उसका नाम ही रजिस्‍टर नहीं हुआ है। करवाना चाहिए कि नहीं करवाना चाहिए। 21वीं सदी में जो पैदा हुए हैं। हिन्‍दुस्‍तान में उनको पहली बार इस लोकसभा में वोट देने का हक मिलने वाला है। और जैसे घर में बच्‍चा पहली बार जब स्‍कूल जाता है तो परिवार में बड़ा उत्‍सव होता है, बड़ा विदाई समारोह होती है सब लोग जाते हैं मिठाई बांटते हैं। गरीब से गरीब भी टीका करके जाते हैं। मेरा मत है कि जो पहली बार मतदाता बनता है न उसका उत्‍सव मनाना चाहिए। युवकों ने सबको कि भई पहली बार हम मतदाता बन गए। बड़े समारोह करने चाहिए क्‍योंकि वो देश के एक निर्णय पोजिशन पर आ गया है। वो देश के फैसला करने का हकदार बन गया है अगर हम ऐसी कुछ चीजों को करें। Digital India हम चारों तरफ लोगों को प्रेरित करें कि हम कैश करेंसी से बाहर निकर करके Digital द्वारा payment करने की आदत डालें। बहुत काम हो सकता है। तो सेवा करने के लिए समाज में बदलाव करने के लिए बहुत सी चीजें होती हैं मैं समझता हूं कि हमें करना चाहिए.... धन्‍यवाद।

एंकर – माननीय ये आखिरी सवाल था अपनी तरफ से आप कुछ प्रेरणा देना चाहते हैं हम सबको।

प्रधानमंत्री – हो गया। चलिए आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister Shri Narendra Modi participates in ‘Odisha Parba 2024’ celebrations
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

The Prime Minister Shri Narendra Modi participated in the ‘Odisha Parba 2024’ celebrations today at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. Addressing the gathering on the occasion, he greeted all the brothers and sisters of Odisha who were present at the event. He remarked that this year marked the centenary of the death anniversary of Swabhav Kavi Gangadhar Meher and paid tributes to him. He also paid tributes to Bhakta Dasia Bhauri, Bhakta Salabega and the writer of Oriya Bhagavatha, Shri Jagannath Das on the occasion.

“Odisha has always been the abode of Saints and Scholars”, said Shri Modi. He remarked that the saints and scholars have played a great role in nourishing the cultural richness by ensuring the great literature like Saral Mahabharat, Odiya Bhagawat have reached the common people at their doorsteps. He added that there is extensive literature related to Mahaprabhu Jagannath in Oriya language. Remembering a saga of Mahaprabhu Jagannatha, the Prime Minister said that Lord Jagannath led the war from the forefront and praised the Lord’s simplicity that he had partaken the curd from the hands of a devotee named Manika Gaudini while entering the battlefield. He added that there were a lot of lessons from the above saga, Shri Modi said one of the important lessons was that if we work with good intentions then God himself leads that work. He further added that God was always with us and we should never feel that we are alone in any dire situation.

Reciting a line of Odisha poet Bhim Bhoi that no matter how much pain one has to suffer, the world must be saved, the Prime Minister said that this has been the culture of Odisha. Shri Modi remarked that Puri Dham strengthened the feeling of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat'. He added that the brave sons of Odisha also showed direction to the country by taking part in the freedom struggle. He said that we can never repay the debt of the martyrs of Paika Kranti. Shri Modi remarked that it was the good fortune of the government that it had the opportunity to issue a commemorative postage stamp and coin on Paika Kranti.

Reiterating that the entire country was remembering the contribution of Utkal Kesari Hare Krishna Mehtab ji at this time, Shri Modi said that the Government was celebrating his 125th birth anniversary on a large scale. The Prime Minister also touched upon the able leadership Odisha has given to the country from the past till now. He added that Draupadi Murmu ji, hailing from a tribal community, was the President of India. And it was a matter of great pride for all of us. He further added that it was due to her inspiration, schemes worth thousands of crores of rupees for tribal welfare were implemented in India today and these schemes were benefiting the tribal society not only of Odisha but of the entire India.

Remarking that Odisha is the land of women power and its strength in the form of Mata Subhadra, the Prime Minister said that Odisha will progress only when the women of Odisha progress. He added that he had the great opportunity to launch the Subhadra Yojana for my mothers and sisters of Odisha a few days back which will benefit the women of Odisha.

Shri Modi highlighted the contribution of Odisha in giving a new dimension to India's maritime power. He noted that the Bali Jatra was concluded yesterday in Odisha, which was organised in a grand manner on the banks of the Mahanadi in Cuttack on the day of Kartik Purnima. Further, Shri Modi remarked that Bali Jatra was a symbol of India's maritime power. Lauding the courage of the sailors of the past, the Prime Minister said that they were brave enough to sail and cross the seas despite the absence of modern technology like today. He added that the traders used to travel by ships to places like Bali, Sumatra, Java in Indonesia, which helped promote trade and enhance the reach of culture to various places. Shri Modi emphasised that today Odisha's maritime power had an important role in the achievement of a developed India's resolve.

The Prime Minister underlined that today there is hope for a new future for Odisha after continuous efforts for 10 years to take Odisha to new heights. Thanking the people of Odisha for their unprecedented blessings, Shri Modi said that this had given new courage to this hope and the Government had big dreams and had set big goals. Noting that Odisha will be celebrating the centenary year of statehood in 2036, he said that the Government’s endeavour was to make Odisha one of the strong, prosperous and fast-growing states of the country.

Noting that there was a time when the eastern part of India including states like Odisha were considered backward, Shri Modi said that he considered the eastern part of India to be the growth engine of the country's development. Therefore, he added that the Government has made the development of eastern India a priority and today all the work related to connectivity, health, education in the entire eastern India had been expedited. Shri Modi highlighted that today Odisha was getting three times more budget than the central government used to give it 10 years ago. He added that this year, 30 percent more budget had been given for the development of Odisha as compared to last year. He assured that the Government was working at a fast pace in every sector for the holistic development of Odisha.

“Odisha has immense potential for port-based industrial development”, exclaimed the Prime Minister. Therefore, he added that trade will be promoted by developing ports at Dhamra, Gopalpur, Astaranga, Palur, and Subarnarekha. Remarking that Odisha was the mining and metal powerhouse of India, Shri Modi said that this strengthened Odisha's position in the steel, aluminium and energy sectors. He added that by focusing on these sectors, new avenues of prosperity can be opened in Odisha.

Noting that the production of cashew, jute, cotton, turmeric and oilseeds was in abundance in Odisha, Shri Modi said that the Government's effort was to ensure that these products reach the big markets and thereby benefit the farmers. He added that there was also a lot of scope for expansion in the sea-food processing industry of Odisha and Government’s effort was to make Odisha sea-food a brand that is in demand in the global market.

Emphasising that Government’s effort was to make Odisha a preferred destination for investors, the Prime Minister said that his government was committed to promoting ease of doing business in Odisha and investment was being promoted through Utkarsh Utkal. Shri Modi highlighted that as soon as the new government was formed in Odisha, an investment of Rs 45 thousand crore was approved within the first 100 days. He added that today Odisha had its own vision as well as a roadmap, which would promote investment and create new employment opportunities. He congratulated the Chief Minister Mohan Charan Manjhi ji and his team for their efforts.

Shri Modi remarked that by utilising the potential of Odisha in the right direction, it can be taken to new heights of development. Emphasising that Odisha can benefit from its strategic location, the Prime Minister said that access to domestic and international markets was easy from there. “Odisha was an important hub of trade for East and South-East Asia”, said Shri Modi and added that Odisha's importance in global value chains would further increase in the times to come. He further added that the government was also working on the goal of increasing exports from the state.

“Odisha has immense potential to promote urbanisation”, highlighted the Prime Minister and added that his Government was undertaking concrete steps in that direction. He further added that the Government was committed to build a large number of dynamic and well-connected cities. Shri Modi underscored that the Government was also creating new possibilities in the tier two cities of Odisha, especially in the districts of western Odisha where development of new infrastructure can lead to creation of new opportunities.

Touching upon the field of higher education, Shri Modi said that Odisha was a new hope for students across the country and there were many national and international institutes, which inspired the state to take the lead in the education sector. He added that these efforts were promoting the startup ecosystem in the state.

Highlighting that Odisha has always been special because of its cultural richness, Shri Modi said the art forms of Odisha fascinate everyone, be it the Odissi dance or the paintings of Odisha or the liveliness that is seen in the Pattachitras or the Saura paintings, a symbol of the tribal art. He added that one got to see the craftsmanship of Sambalpuri, Bomkai and Kotpad weavers in Odisha. The Prime Minister remarked that the more we spread and preserve the art and craftsmanship, the more the respect for Odia people would increase.

Touching upon the abundant heritage of architecture and science of Odisha, the Prime Minister remarked that the science, architecture and vastness of the ancient temples like Sun Temple of Konark, the Lingaraj and Mukteshwar amazed everyone with their exquisiteness and craftsmanship.

Noting that Odisha was a land of immense possibilities in terms of tourism, Shri Modi said there was a need to work across multiple dimensions to bring these possibilities to the ground. He added that today along with Odisha, the country also had a Government that respects Odisha's heritage and its identity. Underlining that one of the conferences of G-20 was held in Odisha last year, Shri Modi said that the Government presented the grand spectacle of the Sun Temple in front of the heads of states and diplomats of so many countries. The Prime Minister said he was pleased that all the four gates of the Mahaprabhu Jagannath Temple complex have been opened along with the Ratna Bhandar of the temple.

The Prime Minister emphasised that there was a need to undertake more innovative steps to tell the world about every identity of Odisha. He cited an example that Bali Jatra Day can be declared and celebrated to make Bali Jatra more popular and promote it on the international platform. He further added that celebrating Odissi Day for arts like Odissi dance could also be explored along with days to celebrate various tribal heritages. Shri Modi said that special events could be organised in schools and colleges, which would create awareness among people about the opportunities related to tourism and small scale industries. He added that Pravasi Bharatiya Sammelan was also going to be held in Bhubaneswar in the upcoming days and was a huge opportunity for Odisha.

Noting the rising trend of people forgetting their mother tongue and culture across the globe, Shri Modi was pleased that the Oriya community, wherever it lives, had always been very enthusiastic about its culture, its language and its festivals. He added that his recent visit to Guyana had reaffirmed how the power of mother tongue and culture kept one connected to their motherland. He added that about two hundred years ago, hundreds of labourers left India, but they took Ramcharit Manas with them and even today they are connected to the land of India. Shri Modi emphasised that by preserving our heritage, its benefits could reach everyone even when development and changes take place. He added that in the same way, Odisha can be propelled to new heights.

The Prime Minister underscored that in today's modern era, it was important to assimilate modern changes while strengthening our roots. He added that events like the Odisha Festival could become a medium for this. He further added that events like Odisha Parba should be expanded even more in the coming years and should not be limited to Delhi only. Shri Modi underlined that efforts must be undertaken to ensure that more and more people join it and the participation of schools and colleges also increases. He urged the people from other states in Delhi to participate and get to know Odisha more closely.

Concluding the address, Shri Modi expressed confidence that in the times to come, the colours of this festival would reach every nook and corner of Odisha as well as India by becoming an effective platform for public participation.

Union Minister for Railways, Information and Broadcasting, Electronics & IT, Shri Ashwini Vaishnaw and Union Minister for Education, Shri Dharmendra Pradhan, President of Odia Samaj, Shri Siddharth Pradhan were present on the occasion among others.

Background

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba was organised from 22nd to 24th November. It showcased the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains was conducted.