Text of PM’s interaction with students at Education City, Dantewada

Published By : Admin | May 9, 2015 | 19:23 IST

प्रश्न- आप को काम करने की प्रेरणा कहाँ से मिलती है?

प्रधानमंत्री जी:
बहुत बार खुद की घटनाओं से ज्‍यादा और की घटनाओं से प्रेरणा मिलती है। लेकिन उसके लिए हमें उस प्रकार का स्‍वभाव बनाना पड़ता है। कठिन से कठिन चीज में किस प्रकार से जीवन को जीया जा सकता है। आप लोगों में से पढ़ने का शौक किस-किस को है? वो मास्‍टर जी कह रहे हैं, वो किताबें नहीं उसके सिवाय किताबें पढ़ने का शौक.. ऐसे कितने हैं.. हैं ! आप लोग कभी एक किताब जरूर पढि़ए Pollyanna…..Pollyanna कर के एक किताब है। मैंने बचपन में पढ़ी थी वो किताब। हर करीब-करीब सभी भाषाओं में उसका भाषांतर हुआ है। 70-80 पन्‍नों की वो किताब है, और उस किताब में एक बच्‍ची का पात्र है, और उसके मन में विचार आता है, कि हर चीज में से अच्‍छी बात कैसे निकाली जा सकती है।

तो उसने घटना लिखी है, उसके घर के बगीचे में जो माली काम कर रहे थे, वो बूढ़े हो गये और शरीर ऐसा टेढ़ा हो गया, तो एक बार बच्‍ची ने जाके पूछा कि दादा कैसे हो? तो उन्‍होंने कहा कि नहीं-नहीं अब तो बूढ़ा हो गया, देखिए मैं बड़ा ऐसे ऊपर खड़ा भी नहीं हो सकता हूं, मेरी कमर ऐसी टेढ़ी हो गई है, बस मौत का इंतजार कर रहा हूं। तो बच्‍ची ने कहा नहीं-नहीं दादा ऐसा मत करो। देखिए भगवान आप पर कितना मेहरबान है। पहले आप खड़े होते थे और बगीचे में काम करने के लिए आपको ऐसे मुड़ना पड़ता था। अब भगवान ने ऐसी व्‍यवस्‍था कर दी आपको बार-बार मुड़ना नहीं पड़ता है और अब बगीचे के काम आप आसानी से कर सकते हैं। यानी एक घटना एक के लिए दुख का कारण भी दूसरे के लिए वो प्रेरणा का कारण थी और इसलिए मैं मानता हूं कि घटना कोई भी हो हमारा उसके तरफ देखने का दृष्टिकोण कैसा है, उसके आधार पर जीवन की प्रेरणा बनती है। तो मैं आप सबको कहूंगा और यहां की व्‍यवस्‍था को कहूंगा लाइब्रेरी में पांच-छह किताबें Pollyanna की रखें और बारी-बारी से सब बच्‍चे पढ़ लें। कभी एसेंबलिंग में मीटिंग हो तो उसमें भी पर कोई न कोई प्रसंग बताएं। ठीक है!

प्रश्‍न – आप कितने घंटे काम करते हैं, तनाव का सामना कैसे करते हैं?

प्रधानमंत्री जी: मैं कितने घंटे काम करता हूं, इसका हिसाब-किताब तो मैंने किया नहीं है, और इसका आनंद इसलिए आता है कि मैं गिनता ही नहीं हूं कि मैंने कितने घंटे काम किया जब हम गिनना शुरू कर देते हैं कि मैंने इतने घंटे काम किया, ये काम किया, वो काम किया, तो फिर लगता है यार बहुत हो गया। दूसरा आप लोगों ने देखा होगा अपने अनुभव में जब मास्‍टर जी ने आपको कोई Home work दिया हो और उस Home work जब मास्‍टर जी लिखवाते हैं तो ओ ओ! ये तो Saturday-Sunday खराब हो जाएगा! सब टीचर ने इतना लिखवा कर दिया है। लेकिन जब कमरे में जा करके लिखना शुरू कर देते हैं और Home work पूरा कर देते हैं तो आपने देखा होगा जैसे ही Home work पूरा हो जाता होगा, आपकी थकान उतर जाती है। आपने देखा है कि नहीं ऐसा, काम पूरा होते ही थकान उतर जाती है या नहीं उतर जाती है। जब तक काम बाकी है तब तक थकान लगती है कि नहीं लगती है। तो ये बात पक्‍की है कि काम की थकान कभी नहीं होती, काम न करने की थकान होती है, एक बार कर देते हैं, तो काम का आनंद होता है। संतोष होता है, और इसलिए जितना ज्‍यादा काम करते हैं, उतना ज्‍यादा आनंद मिलता है। जितना ज्‍यादा काम करते हैं ज्‍यादा संतुष्‍ट होता है।

दूसरा, एक पुरानी कथा है बहुत बढि़या कथा है, कोई एक स्‍वामी जी, पहाड़ पर किनारे बैठे थे और एक आठ साल की बच्‍ची अपने तीन साल के भाई को उठा करके पहाड़ चढ़ने जा रही थी, तो स्‍वामी जी ने पूछा अरे बेटी तुम्‍हें थकान नहीं लगती क्‍या ? तो उसने जवाब में नहीं ये तो मेरा भाई है, तो स्‍वामी जी ने बोला मैं ये नहीं पूछ रहा हूं कि तुम्‍हारे साथ कौन है, मैं ये पूछ रहा हूं कि तुम्‍हें थकान नहीं लगती इतना बड़ा पहाड़ चढ़ना है, तुम अपने छोटे भाई को ले करके चढ़ रही हो, तुम्‍हें थकान नहीं लगती। नहीं नहीं पंडत जी मेरा भाई है। तो स्‍वामी जी ने फिर से पूछा। अरे मैं तुम्‍हें नहीं पूछ रहा हूं कि कौन है, मैं तुमसे पूछ रहा हूं कि तुझे थकान नहीं लग रही है, तो उसे अरे नहीं स्‍वामी जी मैं आपको बता रही हूं न की मेरा भाई है। कहने का तात्‍पर्य ये था कि जो अपनो के लिए जीते हैं, तो थकान कभी नहीं लगती। समझे! मुझे सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे अपने लगते हैं। मेरे, मैं उन परिवार का सदस्‍य हूं सवा सौ करोड़ का देशवासियों का मेरा परिवार है। उनके लिए कुछ करने का आनंद आएगा या नहीं आएगा और मेहनत करने का मन करेगा या नहीं करेगा। अपनों के लिए जीने का मन करेगा या नहीं करेगा। फिर थकान लगेगी! बस यही है इसका कारण।

प्रश्‍न – जीवन की सबसे बड़ी सफलता किसे मानते हैं, श्रेय किसे देते हैं?

प्रधानमंत्री जी:
जीवन को सफलता और विफलता के तराजू से नहीं तौलना चाहिए, जिस दिन हम सफलता-विफलता, सफलता-विफलता इसी के हिसाब लगाते रहते हैं, तो फिर निराशा आ जाती है। हमारी कोशिश ये रहनी चाहिए कि एक ध्‍येय ले करके चलना चाहिए। कभी रूकावट आए, कभी कठिनाइयां आए, कभी दो कदम पीछे जाना पड़े, लेकिन अगर उस ध्‍येय को सामने रखते हैं तो फिर ये सारी बातें बेकार हो जाती हैं। तो एक तो सफलता और विफलता को जीवन के लक्ष्‍य को पाने के तराजू के रूप में कभी देखना नहीं चाहिए, लेकिन विफलता से बहुत कुछ सीखना चाहिए। ज्‍यादातर लोग सफल इसलिए नहीं होते है वो विफलता से कुछ सीखते नहीं है। हम विफलताओं से जितना ज्‍यादा सीख सकते हैं, शायद सफलता उतना हमें शिक्षा नहीं देती। मेरा जीवन ऐसा है जिसको हर कदम विफलताओं का ही सामना करना पड़ा और मैं सफलताओं का हिसाब लगाता नहीं हूं, न सफल होने के मकसद से काम करता हूं। एक लक्ष्‍य की प्राप्ति करनी है अपनी भारत मां की सेवा करना। सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा करना। विफलता-सफलता आती रहती है। लेकिन कोशिश करता हूं, विफलता से ज्‍यादा से ज्‍यादा सीखने का प्रयास करता हूं।

प्रश्‍न - आप राजनीति में नहीं होते तो क्‍या होते?

प्रधानमंत्री जी:
देखिए जीवन का सबसे बड़ा आनंद ये होता है, बालक रहने का.. बालक बने रहने का कितना आनंद होता है और जब बड़े हो जाते हैं तब पता चलता है कि बालकपन छूटने का कितना नुकसान होता है तो अगर ईश्‍वर मुझे पूछता कि क्‍या चाहते हो तो मैं कहता जिन्‍दगी भर बालक बना रहूं।

प्रश्‍न – कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता का राज।

प्रधानमंत्री जी:
मैं समझता हूं अभी मुझे ये सवाल पूछा ही गया है, करीब-करीब वैसा ही सवाल है। जीवन में किसी को भी अगर कोई भी क्षेत्र हो अगर सफल होना है तो हमें पता होना चाहिए कि मुझे कहा जाना है, हमें पता होना चाहिए कि किस रास्‍ते जाना तय है, हमें पता होना चाहिए, हमें पता होना चाहिए कैसे जाना है, हमें पता होना चाहिए कब तक जाना है। अगर इन बातों में हमारी सोच एकदम स्‍पष्‍ट होगी तो फिर विफलताएं आएंगी तो भी, रूकावटें आएंगी तो भी आपका लक्ष्‍य कभी ओझल नहीं होगा। ज्‍यादातर लोगों को क्‍या होता है अगर आज कोई अच्‍छी movie देख करके आ गए तो आप पूछोगे कि आप क्‍या चाहते हो तो शाम को कह देगा, मैं actor बनना चाहता हूं।

आज कहीं world cup देख करके आया किसी ने पूछ लिया कि क्‍या चाहते हो तो बोले मुझे cricketer बनना है। युद्ध चल रहा है सेना के जवान शहीद हो रहे है, तो खबरें आ रही है तो मन करता है नहीं-नहीं अब तो बस सेना में जाना है और देश के लिए मर-मिटना है। ये जो रोज नए-नए विचार करते हैं उनके जीवन में कभी भी सफलता नहीं आती और इसलिए हमारी मन की जो इच्‍छा है वो seal होनी चाहिए। आज एक इच्‍छा कल दूसरी इच्‍छा परसों तीसरी इच्‍छा, तो फिर लोग कहते हैं- ये तो बड़ा तरंगिया! ये कल तो ये सोचता था-ये सोचता था, ये तो बेकार है.. तो इच्‍छा seal होनी चाहिए और जब इच्‍छा seal हो जाती है, तो अपने आप में संकल्‍प बन जाती है और एक बार संकल्‍प बन गया फिर पीछे मुड़ करके देखना नहीं चाहिए। बाधाएं हो कठिनाईयां हो, तकलीफें हो हमें लगे रहना है। सफलता आपके कदम चूमती हुई चली आएंगी।

अच्‍छा आप में से.. यहां रहते हो, इतना बड़ा परिसर है, आपमें से कभी किसी को बहुत अच्‍छे खिलाड़ी बनने की इच्‍छा होती है? Sports man! है किसी को.. हरेक को पढ़-लिख करके बाबू बनना है। अभी मैं पूछूंगा पुलिस अफसर किस को बनना है, तो सब हाथ ऊपर करेंगे, डॉक्‍टर किसने बनना है, सब हाथ ऊपर करेंगे, ऐसा ही होता है न! अच्‍छा आपके मन में.. कुछ बनने के लिए कर रहे हो काम क्‍या? क्‍या बनने के लिए कर रहे हो? जो डॉक्‍टर बनने के लिए कर रहे हैं, वो जरा खड़े हो जाएं, जो डॉक्‍टर बनने के लिए मेहनत कर रहे हैं.. बैठिए। जो कलेक्‍टर बनने के लिए काम कर रहे हैं वो कौन-कौन हैं? .. अच्‍छा। जो लोग आईआईटी में जाना चाहते हैं, उसके लिए कर रहे हैं वो कौन-कौन हैं? एक बात बताऊं? अगर सपने देखने हैं तो बनने के सपने कम देखो करने के सपने ज्‍यादा देखो और एक बार करने के सपने देखोगे तो आपको उसे करने का आनंद और आएगा।

लेकिन मैं चाहूंगा.. इतना बढि़या परिसर है, अभी से तय करना चाहिए कि तीन खेल में, तीन खेल के अंदर... तो ये हमारी धरती, ये हमारी आदिवासियों की भूमि.. हम दुनिया में नाम कमा करके ले आएंगे और आप देखिए ला सकते हैं। आपने एक साल पहले देखा होगा, पड़ोस में, झारखंड में अपनी बालिकाएं.. कोई साधन नहीं था उनके पास लेकिन अंतर्राष्‍ट्रीय जगत में गए। बेचारों के पास वो कपड़े भी नहीं थे, कुछ नहीं था, विमान क्‍या होता है ये मालूम भी नहीं था लेकिन दुनिया में नाम कमा करके आ गए, खेल के अंदर। .. झारखंड की आदिवासी बालिकाएं थी। हमारे मन में इरादा रहना चाहिए कि सिर्फ खेलने के लिए नहीं, एक अच्‍छा खिलाड़ी बनने के लिए मैं एक माहौल बनाऊंगा। मैं खुद एक अच्‍छा खिलाड़ी बनूंगा। .. और जहां ये परिसर होता है वहां अच्‍छे खिलाड़ी तैयार करने की संभावना होती है, talent search करने की संभावना होती है और मैं चाहूंगा कि इस बढि़या परिसर में.. ।

दूसरा, आपमें से कितने लोग हैं जो बिल्‍कुल सप्‍ताह में एक दिन भी खेलने की बात आए तो कमरे के बाहर नहीं निकलते, शर्मा जाते हैं, घबरा जाते हैं, कितने हैं? .. हां बताएंगे नहीं आप लोग। देखिए जीवन में खेल-कूद होना चाहिए, कितना भी पढ़ना क्‍यों न हो। दिन में तीन-चार बार तो पसीना आना ही चाहिए, इतनी मेहनत करनी चाहिए, दौड़ना चाहिए, खेल-कूद करना चाहिए। उससे पढ़ाई को कोई नुकसान नहीं होता। sports है, तो sports man spirit आता है और sports man spirit आता है तो जीने का भी एक अलग आनंद आता है। तो करेंगे? करेंगे? दिन में चार बार पसीना छूट जाए, ऐसा करेंगे? तो क्‍या इसके लिए धूप में जाकर खड़े रहेंगे क्‍या? ऐसा तो नहीं करेंगे न।

धन्‍यवाद

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।