Glad to be present at the Bhoomi Poojan of Baba Saheb Ambedkar's memorial in Mumbai on birth anniversary of JP: PM
A vibrant port sector is very important for a nation blessed with long coastlines: PM Modi
Coastal sector and space are crucial in this century. Be it space & sea, we need to be moving at a quick pace: PM
Babasaheb Ambedkar is an inspiration not just for one community but for the entire world: PM Modi
Dr. Babasaheb Ambedkar is a Maha Purush. He faced so many challenges but there was no bitterness in him: PM
26th November will be marked as Constitution Day. People must know about our constitution, how it was made: PM

मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

आज 11 अक्‍तूबर, जयप्रकाश नारायण जी की जन्‍म जयंती है और ये सुयोग है कि जयप्रकाश जी की जन्‍म जयंती के दिन मुझे आज मुंबई में, विशेषकर के बाबा साहेब आंबेडकर के भव्‍य स्‍मारक निर्माण का भूमि पूजन का सौभाग्‍य मिला है। ये सुयोग इसलिए है कि भारत के संविधान के जन्‍मदाता बाबा साहेब आंबेडकर और भारत के संविधान का दुरुपयोग करते हुए, भारत के लोकतंत्र पर खतरा पैदा करने का पाप जब इस देश में हुआ तो संविधान के spirit को बचाने के लिए, संविधान की भावनाओं को बचाने के लिए बाबा साहेब आंबेडकर ने जो हमें लोकतंत्र के अधिकार दिए थे, वो वापिस लाने के लिए जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल के खिलाफ जंग किया था और देश आपातकाल से मुक्‍त हुआ था और उस अर्थ में मैं इस सुयोग को बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण मानता हूं।

आज यहां कई योजनाओं का शुभारंभ करने का मुझे सुअवसर मिल रहा है। दुनिया के किसी भी समृद्ध देश, तो ये एक बात बहुत ध्‍यान में आती है, उस देश का Port sector कितना vibrant है। समुद्री तट का देश हो और port sector vibrant हो। आपने देखा होगा, उस देश की economy और port की vibrancy साथ-साथ चलती है। भारत को भी एक वैश्विक आर्थिक वातावरण में अपना स्थान बनाने के लिए अपने port sector को मजबूत करने की आवश्यकता है, उसका विस्तार करने की आवश्यकता है, उसका विकास करने की आवश्कता है, उसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता है और मैं आज गर्व के साथ कहता हूं कि हमारे नितिन जी ने पंद्रह महीने की छोटी अवधि में जो काम पिछले दस साल में नहीं हो पाए थे, ऐसे अनेक नए initiative लेकर के पूरे port sector को नई ताकत दी है, नई ऊर्जा दी है और नई गति दी है।

Foreign Direct Investment की चर्चा होती है। आज मैं देख रहा हूं कि सिंगापुर के साथ आठ हजार करोड़ रुपयों के पूंजी निवेश से मुंबई को और हिन्‍दुस्‍तान को port sector का ऐसा एक नजराना मिल रहा है जो सिर्फ यहां के लोगों को रोजगार ही देता है, ऐसा नहीं है। विश्‍व व्‍यापार में हमारी साख बढ़ेगी। मेक इन इंडिया की जब मैं बात करता हूं तो जो लोग इस देश में manufacturing के लिए आएंगे उनको विश्‍व भर में अपना माल बेचने के लिए अच्‍छे port sector की आवश्‍यकता होगी, अच्‍छे बंदरगाहों की आवश्‍यकता होती है। हम जिस तेजी से काम कर रहे है उसके कारण मेक इन इंडिया के तहत, जब देश में उत्‍पादन की परंपरा चलेगी और वो उत्‍पादित चीजें वैश्‍विक बाजार को पकड़ेगी तब हमारी ये port का development पीछे नहीं रहना चाहिए और इसलिए एक तरफ मेक इन इंडिया और दूसरी तरफ विश्‍व व्‍यापार के अंदर अपनी जगह बनाने के लिए हमारे port sector को vibrant बनाना है।

हमारे देश में बंदरगाहों का विकास कम अधिक मात्रा में हर कोई सोचता रहा है। लेकिन आज सिर्फ port development से काम चलने वाला नहीं है। आज आवश्‍यक है Port led development, और Port led development के आधार पर हमारे port के साथ maximum infrastructure की connectivity हो, रेल हो, road हो, एयरपोर्ट हो, cold storage का network हो, warehousing का network हो और इस काम के लिए हमारे देश के पूरे समुद्री तट को जोड़ने वाला एक सागरमाला project हम आगे बढ़ा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ये सागरमाला project की शुरूआत की थी। लेकिन वो सरकार चली गई, बाद में जो सरकार आई उसका एजेंडा कुछ और था और उसके कारण वो विचार वहीं का वहीं रह गया था। हमारी सरकार बनने के बाद अटल जी के उस विचार को हमने मूर्त रूप देने का प्रयास किया है जो coastal states है, उनकी भागीदारी से क्‍योंकि हम cooperative, competitive federalism इस पर बल दे रहे हैं। समुद्री तट के राज्‍यों का सहयोग हो, समुद्री तट के राज्‍यों के बीच स्‍पर्धा हो, कौन अच्‍छा port बनाए, कौन अच्‍छे port में आगे बढ़े। भारत सरकार और राज्‍य मिलकर के port sector को कैसे develop करे, उन काम की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं और आज जिस काम का शिलान्‍यास किया है। हमारी ताकत बहुत बड़ी मात्रा में एक ही जगह पर बढ़ जाएगी और उसके कारण जो wear and tear के खर्च होते हैं वो कम होते हैं, profit का level बढ़ता है, expansion का अवसर भी मिलता है। मजदूरों को सम्‍मानपूर्वक जीने के लिए सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जा सकती हैं। गरीब के कल्‍याण के लिए विकास का ये मार्ग प्रशस्‍त करने की दिशा में आज नितिन जी के नेतृत्‍व में हम पहुंच रहे हैं, हम विश्‍व में अपनी जगह बना रहे हैं।

भारत ईरान में Chabahar port के विकास के अंदर भागीदारी कर रहा है। क्‍योंकि हम मानते हैं कि आने वाले दिनों में दो क्षेत्र का प्रभाव रहने वाला है – एक सामुद्रिक और दूसरा space technology का। 21वीं सदी में ये दो क्षेत्र बहुत प्रभाव पैदा करने वाले हैं। और इसलिए space हो या sea हो भारत समय के साथ तेज गति से आगे बढ़ना चाहता है।

हमारे नितिन जी के पास road भी है। महाराष्‍ट्र ने उनके काम को पहले भी देखा हुआ है। वो speed में विश्‍वास करते हैं। पहले के समय पिछली सरकार में प्रति दिवस कितने किलोमीटर road बनते थे, आज मैं उसकी चर्चा नहीं करना चाहता हूं। इस विषय में जो रूचि रखते हैं, जानकार लोग हैं जरूर खोजकर के निकाले कि per day हमारे कितने किलोमीटर road बनते हैं। लेकिन आज मैं बड़े गर्व और संतोष के साथ कहता हूं कि नितिन जी ने जिस प्रकार से गति लाई है, औसत प्रति दिन 15 किलोमीटर से ज्‍यादा road आज देश में बन रहे हैं। और इसको और बढ़ाने का प्रयास है क्‍योंकि विकास करना है, तो infrastructure पर बल देना बहुत आवश्‍यक होता है। और रास्‍ते जब बनते है तो ऐसा नहीं है कि पैसे है इसलिए रास्‍ते बनते हैं। जब रास्‍ते बनते हैं तब पैसा बनना शुरू हो जाता है, ये रास्‍तों की ताकत होती है।

मैं श्रीमान देवेन्‍द्र जी को बधाई देना चाहता हूं। हमारे देश में कम से कम एक मेट्रो रेल type काम DPR बनाने हैं तो डेढ़-डेढ दो-दो साल चले जाते हैं। लेकिन उन्‍होंने चार महीने के भीतर-भीतर उसकी DPR तैयार कर दी और जो इस field को जानते हैं, उनको मालूम है कि चार महीने में इतना बड़ा काम कागज पर बनाना, ये हमारे देश के स्‍वभाव में नहीं है, हमारी व्‍यवस्‍था में ही नहीं है। और उसको कोई बुरा भी नहीं मानता। सब मानते हैं हां भाई, इतना तो समय लगता है। लेकिन उन सारी आदतों को छुड़वा करके देवेन्‍द्र जी ने जिस तेज गति से मेट्रो के इस काम को बल दिया है, ये बदलते हुए शहरों के जीवन की अनिवार्यता बन गया है। अगर हम environment friendly development का विचार करे तो mass transportation, ये इसका एक बहुत बड़ा पहलू है। जिस प्रकार से हमारे शहर बढ़ रहे हैं, उन बढ़ते हुए शहरों को कभी लोग संकट मानते थे। मैं बढ़ते हुए शहरों को अवसर मानता हूं। urban growth, ये बोझ नहीं हैं, ये opportunity हैं और इसलिए हमारी सारी योजनाएं उस opportunity को ध्‍यान में रखकर के होनी चाहिए।

आज देश में 50 शहरों में मेट्रो नेटवर्क बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने रेलवे में 100% Foreign Direct Investment, इसके दरवाजे खोल दिए है और उसका परिणाम यह आया है कि आज देशभर में से, दुनिया भर में से लोग भारत के रेलवे के अंदर अपनी पूंजी लगाने के लिए तैयार हो रहे हैं। 400 के करीब रेलवे स्‍टेशन जो heart of the city हैं, बहुत बड़ी मात्रा में जमीन है, लेकिन प्‍लेटफार्म के सिवा वहां कुछ नहीं है। ticket window है, rest room है, प्‍लेटफार्म है। ये इसको multi storey रेलवे स्‍टेशन नहीं हो सकते हैं क्‍या? आधुनिक से आधुनिक 100 मंजिला रेलवे स्‍टेशन नहीं हो सकता क्‍या? heart of the city कितनी मूल्‍यवान जमीन होती है, लेकिन कोई उपयोग नहीं हो रहा है। हमने दिशा उठाई है 400 रेलवे स्‍टेशन जो heart of the city है country में, वहां पर अनेक प्रकार का development। नीचे ट्रेन चलती रहेगी, ऊपर उस पर development होगा, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

ये जो मेट्रो का काम है, हजारों करोड़ रुपया लगते हैं लेकिन सुविधा बनती है। अब तो technology भी काफी, आधुनिक technology दिन पर दिन नई मिलती जा रही है। उसके कारण गति मिलने की संभावना भी बढ़ रही है और मैं इस काम के लिए श्रीमान देवेन्‍द्र जी को बधाई देता हूं।

हमारे सुरेश प्रभु जी ने रेलवे में भी सचमुच में उत्‍तम काम करके दिखाया है। पहले रेलवे का expansion, gaze conversion, डीजल इंजन से electricity इंजन की तरफ जाना। इन सारी बातों में एक उदासीनता थी। आज गति आई है और उसके परिणाम भी नजर आने लगे हैं। आने वाले दिनों में, और जब में रेलवे की बात करता हूं, तो बाबा साहेब आंबेडकर को भी याद करता हूं। बाबा साहेब आंबेडकर ने रेल नेटवर्क का सामाजिक मूल्‍यांकन किया और उन्‍होंने कहा था के समाज में जो छुआछूत का भाव है, ऊंच-नीच का भाव है, दूरी बनाने का जो स्‍वभाव है, इसको तोड़ने का काम रेलवे करेगी, ऐसा बाबा साहेब आंबेडकर ने रेलवे का एक analysis किया था।

मैं मानता हूं कि public transportation system बाबा साहेब आंबेडकर जिसमें सामाजिक एकता का अवसर देखते थे, उसको भी चरितार्थ करने का एक कारण बन सकता है। मुझे विशेष रूप से देवेन्‍द्र जी को इस बात के लिए भी बधाई देनी है।

हमारे देश में किसानों के लिए सिंचाई की जितनी व्‍यवस्‍था चाहिए वो नहीं हुई, वे बारिश पर निर्भर उसकी जिंदगी है, अगर वर्षा नहीं हुई तो किसान बेचारा तबाह हो जाता है और अकाल उसके लिए एक ऐसा काल बन करके आता है जो उसका जीना हराम कर देता है। अकाल के प्रति संवेदना करना, किसान के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करना, या तो दिल्‍ली में जा करके भारत सरकार के पास मांगे रखना, या राजनीतिक खेल खेलना, देवेन्‍द्र जी उससे बाहर निकल करके उन्‍होंने समस्‍या का समाधान खोजने का बहुत ही अभिनंदनीय प्रयास किया है। आज वो मुझे बता रहे थे कि करीब 6200 गांवों में जल संचय के एक लाख से ज्‍यादा छोटे-छोटे-छोटे प्रोजेक्‍ट किए हैं और उसके कारण पानी का संग्रह हुआ है। नीचे water level कहीं ऊपर आए हैं और उस इलाके के किसान रबी पांक ले सकें ऐसी आज परिस्थिति पैदा हुई है, और खर्चा ज्‍यादा नहीं हुआ। मुझे बताया गया कि करीब 1400 करोड़ रुपये में इतना बड़ा काम हो गया, अब मजा ये है कि 300 करोड़ रुपया लोगों ने जन-भागीदारी में दिया। मैं उन जन-भागीदारी करने वाले, उन गांव के लोगों को लाख-लाख अभिनंदन करता हूं, आपने देश को दिशा दिखाई।

जल संचय, संकटों से सामना करने का सबसे बड़ा शस्‍त्र होता है। मैं गुजरात में काम करता था, वहां तो रेगिस्‍तान है, वर्षा बहुत कम होती है, लेकिन जल संचय का अभियान चलाया हमने, दस साल लगातार चलाया, लाखों छोटे-छोटे check dam बनाए, और हमारा किसान संकटों से बचने में ताकतवर बना। लेकिन मैं दो और सुझाव देना चाहूंगा देवेन्‍द्र जी को, कुछ नयेपन से सोचने के लिए भी सोचें वो। एक हमारे यहां Marginal किसान हैं, बड़े किसान नहीं हैं छोटे किसान हैं लेकिन दो खेतों के बीच bifurcation के लिए division के लिए एक बहुत बड़ी बाड़ लगा दी। एक मीटर जमीन उसकी खराब होती है, एक मीटर जमीन इस वाले की खराब होती है, और ऐसे असीम लाखों एकड़ भूमि हमारी बाड़ बनाने में ही चली जाती है। इन इलाकों में जहां बाड़ है, वहां पेड़ लगा करके Timber की खेती, इस पर बल दिया जा सकता है और उस किसान को 15 साल, 20 साल के बाद जब पेड़ बड़े होते हैं, अगर उसको हर साल एक पेड़ काटने का भी अवसर दिया जाए तो भी उसको दो-पांच लाख रुपया Timber का वैसे ही मिल जाएगा। उसको कभी इधर-उधर देखना नहीं पड़ेगा। सिर्फ किनारे पर, अपनी बॉर्डर पे। दूसरा एक उपाय ये भी है कि दो पड़ौसी किसान मिल करके अगर Solar Panel लगा देते हैं, बिजली भी पैदा होगी, सरकार बिजली खरीद ले, किसान का खेत भी चलेगा, खेत में बिजली भी आएगी, किसान के काम आएगी। और एक काम है जिस पर हमारे महाराष्‍ट्र में, खास करके विदर्भ में ध्‍यान देने की आवश्‍यकता मुझे लगती है, और वो Honey Bee, शहद Honey, मधु।खेतों में किसानों को ट्रेनिंग देनी चाहिए। आज बहुत बड़ा Global Market है Honey का, और वो खराब नहीं होता है, कितने ही साल रहे खराब नहीं होता। उसकी Extra Income के लिए हमने उसको प्रेरित करना चाहिए। इसी प्रकार से Organic Farming। शहरों के नजदीक में, Earth Worm, महिलाओं की मंडलियां बना करके, छोटे-छोटे गड्ढे कर करके कूड़ा-कचरा शहर का उसमें डालते जाओ, Earth Worm रख दो, केंचुए, वो गंदगी भी साफ कर देते हैं, Organic Fertilizer तैयार कर देते हैं, किसान की जो जमीन Chemical, Fertilizer और दवाईयों के कारण बर्बाद होती है, उसको बचाने का काम होगा, हम Multiple Activity के द्वारा हमारे किसानों को मदद कर सकते हैं, और मैं देख रहा हूं कि देवेन्‍द्र जी जिस प्रकार से Innovative और सतत् कर्मशील व्‍यक्‍ति के रूप में इन चीजों का initiative ले रहे हैं, आने वाले दिनों में महाराष्‍ट्र के कृषि जगत में एक आमूल-चूल परिवर्तन ला करके पूरे देश को एक नई दिशा देंगे, ऐसा मेरा विश्‍वास है, और इन कामों के लिए मैं उनको ह्दय से अभिनंदन करता हूं।

आज एक महत्‍वपूर्ण कार्य करने का जो सौभाग्‍य मिला, एक प्रकार से मुझे लगता है, ये काम ऐसा है जिसका सौभाग्‍य शायद हम लोगों को ही मिला होगा, और किसी के नसीब में ये पवित्र कार्य लिखा हुआ ही नहीं है। ये इंदु मिल की जमीन मैं प्रधानमंत्री बना उसके बाद आई है क्‍या? पहले थी, लेकिन कोई पवित्र काम करने का सौभाग्‍य हमारे ही हाथ में लिखा हुआ है और इसलिए आज उस इंदु मिल की जमीन पर डॉक्‍टर बाबा साहेब आंबेडकर का, एक प्रेरणा स्‍थली बनने वाली है। ये चैत्‍य भूमि.. भारत में नई चेतना जगाने का एक कारण बनने वाली है। और आप देखिए पंच-तीर्थ का निर्माण, ये पंच-तीर्थ का निर्माण.. आने वाले दिनों में ये पंच-तीर्थ, जिनकी लोकतंत्र में आस्‍था है, जिनकी सामाजिक न्‍याय में आस्‍था है, जिसकी देश की अखंडता और एकता में आस्‍था है, उन लोगों के लिए ये तीर्थाटन के.. यात्रा के धाम बनने वाले हैं। ये पंच-तीर्थ, इसका सौभाग्‍य हमें मिला। आप देखिए मध्‍य प्रदेश में Mhow, इतनी सरकारें रहीं लेकिन उसकी तरफ किसी का ध्‍यान नहीं गया। जब मध्‍य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तब जा करके उस जगह पर बाबा साहेब का स्‍मारक बना, जीवंत स्‍मारक बना और आज बाबा साहेब के प्रति श्रद्धारखने वाले लोगों के लिए वो एक तीर्थ क्षेत्र बना हुआ है। उसी प्रकार से दिल्‍ली में, दिल्‍ली में जहां बाबा साहेब रहते थे, वो जगह अलीपुर रोड वाली, 25 साल तक ये विषय फाइलों में लटकता रहा। बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग इसके पीछे प्रयास करते रहे। अटल जी की सरकार ने उस को move किया। लेकिन सरकार गयी उसको फिर दबा दिया गया। हम आये, हमने उस बात को हाथ में लिया और कुछ महीने पहले मुझे अलीपुर रोड के बाबा साहेब आंबेडकर के उस मकान में एक भव्‍य स्‍मारक बनाने का Foundation, उसका शिलान्‍यास करने का सौभाग्‍य मिला, करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्‍य स्‍मारक वहां बन रहा है। दिल्‍ली में जो भी लोग आएंगे, और स्‍थानों पर जाते हैं, अब इस स्‍थान पर भी जाएंगे और बाबा साहेब आंबेडकर ने कितना बड़ा योगदान किया था ये उनके ध्‍यान में आएगा।

बाबा साहेब आंबेडकर के माता-पिता रत्‍नागिरी जिले के Ambavade गांव में रहते थे, हमारे एक सांसद ने उस आदर्श गांव के लिए strike किया और महाराष्‍ट्र सरकार भी उसमें मदद कर रही है, जहां बाबा साहेब आंबेडकर के माता-पिता रहे, वो भी एक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। और आज ये इंदु मिल में एक नए स्‍मारक का निर्माण और पांचवां लंदन में, जहां बाबा साहेब आंबेडकर रहते थे, वो भवन, अब हिंदुस्‍तान से कोई लंदन जाएगा, तो प्रेरणा का केंद्र बिंदु बनेगा, विश्‍व के लोग भारत के आर्थिक चिंतन को समझने के लिए लंदन में जो बाबा साहेब रहते थे, उस मकान के अंदर आ करके, अध्‍ययन करके, विश्‍व को, भारत के संबंध में समझ ले करके, अपनी बात बताने का उनको अवसर मिलेगा।

ये पंच-तीर्थ, ये पंच-तीर्थ निर्माण सिर्फ और सिर्फ हम भारतीय जनता पार्टी के समय में ही हुआ है और हम सब जानते हैं, मुझे राजनीति नहीं करनी है, लेकिन मेरे मन की पीड़ा मैं कहे बिना रह नहीं सकता हूं, क्‍या कारण है कि बाबा साहेब आंबेडकर की पार्लियामेंट में, जिस महापुरुष ने संविधान दिया, उस महापुरुष का तैल चित्र पार्लियामेंट में रखने के लिए वो सरकारें सहमत नहीं थीं। 90 में जब गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से बनी, तब जा करके बाबा साहेब आंबेडकर का तैल चित्र हिन्‍दुस्‍तान की पार्लियामेंट में लगा।

भारत रत्‍न, हम जानते हैं औरों को कब मिला, लेकिन बाबा साहेब आंबेडकर को भारत रत्‍न दिलाने के लिए नाकों दम आ गया और वो भी उन लोगों के द्वारा नहीं मिला। और इसलिए मैं कहता हूं कि देश में जिस प्रकार के एक सामंतशाही मानसिकता वाले लोग हैं, एक दलित के बेटे को स्‍वीकार करने के लिए कभी तैयार नहीं, और मैं, आज कई लोग यहां बैठे हैं, जिन्‍होंने अपना जीवन बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों के पीछे खपा दिया है, मैं उनको भी आज कहना चाहता हूं, मेरी बात शायद कड़वी लगेगी, लेकिन ये बात करने का मैं साहस करता हूं, अगर हम दीर्घ दृष्‍टि के अभाव में बाबा साहेब को, अगर सिर्फ दलितों का बाबा साहेब बना देंगे तो उससे बड़ा बाबा साहेब को कोई अपमान नहीं होगा, कोई अन्‍याय नहीं होगा। बाबा साहेब न सिर्फ भारत के, विश्‍व के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचितों की प्रेरणा का नाम बाबा साहेब आंबेडकर है। दुनिया मार्टिन लूथर किंग को तो जानती है, लेकिन दुनिया बाबा साहेब आंबेडकर को नहीं जानती है, ये हमारा दुर्भाग्‍य है और इसके लिए हम लोगों का दायित्‍व है, के विश्‍व बाबा साहेब आंबेडकर किस परिस्‍थिति में पैदा हुए, कैसे पले-बढ़े, और इतना जुल्‍म सहने के बाद, इतना अपमान सहने के बाद किसी भी व्‍यक्‍ति के मन में लबालब जहर भरा रहना, शायद कोई बुरा नहीं मानता। इतना अपमान झेलने के बाद कटुता होना, कोई बुरा नहीं मानता लेकिन ये बाबा साहेब आंबेडकर थे, जिंदगी के हर पल अपमान झेला, हर पल बाबा साहेब को संकटों से गुजरना पड़ा, लेकिन जब खुद को निर्णय करने के अवसर आए, कटुता का नामो-निशान नहीं था, बदले की भावना का नामो-निशान नहीं था, किसी को मैं बता दूंगा ये भाव नहीं था, इससे बड़ा महापुरुष कौन हो सकता है और इसलिए भाइयो-बहनों, मेरे जैसे लोग बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति वो श्रद्धा भाव से देखते हैं।

मैं तो खुद के लिए कभी सोचता था, कभी-कभी मेरे मन में विचार आता था के बाबा साहेब आंबेडकर न होते तो मोदी कहां होता? हम जैसे सामान्‍य लोगों को कौन पूछता? ये बाबा साहेब आंबेडकर हैं, जिसके कारण ये बातें संभव हुई हैं और इसलिए मैं कहता हूं हम जो कर रहे हैं, वो तो सिर्फ कर्ज चुकाने का एक प्रामाणिक प्रयास कर रहे हैं। इस महापुरुष ने जो किया है.. और इसलिए हम सबका दायित्‍व बनता है लेकिन बाबा साहेब ने जो हमें कहा है उससे हम अगर हटेंगे तो बाबा साहेब के साथ घोर अन्‍याय होगा। बाबा साहेब ने हमें कहा, शिक्षित बनो। दलित हो, शोषित हो, वंचित हो, गरीब हो, शिक्षा उसके जीवन का सबसे प्रमुख धर्म बनना चाहिए, जो बाबा साहेब ने हमें सिखाया। बाबा साहेब ने हमें सिखाया संगठित बनो।

आज मुझे खुशी है नितिन जी कह रहे थे कि दलित समाज के सभी, अलग-अलग दिशा में काम करने वाले आज सब लोग इकट्ठे हुए हैं। बाबा साहेब की इसलिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यही है कि हम संगठित बने, हम एक बने और अन्‍याय के खिलाफ जब संघर्ष की बात आए तो उसके लिए भी हम तैयार रहे। यही हम लोगों को बाबा साहेब ने संदेश दिया है और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों आज Indu mill में बाबा साहेब का जो स्‍मारक बन रहा है। मेरे मन में एक इच्‍छा है, मैंने अध्‍ययन तो नहीं किया है लेकिन जिस दिन मैंने जमीन दी थी उस दिन भी मैंने कहा था। आज architecture मिले तब भी मैंने कहा। मैंने कहा मुंबई या महाराष्‍ट्र में आया हुआ व्‍यक्‍ति जिन्‍दगी से तंग आया हो, परेशान हुआ हो तो यहां ऐसी जंद जगह बननी चाहिए कि वो घंटे भर वहां बैठे, एक शांति का अहसास लेकर के जाए, ऐसी जगह बननी चाहिए और इसलिए मैंने कहा जहां स्‍मारक बने वहां साथ-साथ, ये विशाल भूमि है, वहां एक घना जंगल बनाना चाहिए। इतने पेड़ लगाने चाहिए, इतनी हरियाली कर देनी चाहिए कि एक शांति की भूमि 60 फुट में बन जाए और ये बन सकता है। और मैं देवेन्‍द्र जी से आग्रह करूंगा कि ये स्‍मारक सिर्फ ईंट-माटी-पत्‍थर-चूने तक सीमित न रहे। वो तो भव्‍य होना ही चाहिए, दुनिया के लोगों के लिए अजूबा होना चाहिए। लेकिन इसको जन भागीदारी से जोड़ा जा सकता है क्‍या? महाराष्‍ट्र में 40 हजार गांव है। हर गांव से लोग आए और उनको जो बताया गया हो वो पौधा लेकर के आए और वहां पर हर गांव का एक पौधा लगे और वो गांव भी उसके लालन-पालन के लिए गांव समस्‍त की तरफ से एक रूपया, दो रुपया, पांच रुपया collect करके एक पेड़ लगाए और 11 हजार रुपया दान दे। आप देखिए कितनी बड़ी जन भागीदारी से काम हो सकता है। हर गांव को लगेगा कि चैत्‍य भूमि में, Indu mill के मैदान में जो स्‍मारक बना है, बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति हमारे गांव की भी श्रद्धा है, हमारा भी एक पेड़ उस गांव में लगा है।

दूसरा, हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों से एक पेड़ मंगाया जाए, वो पेड़ भी लगाया जाए और दुनिया के सभी देशों से हर देश से एक पेड़ मंगवाया जाए और ये विश्‍व महापुरुष थे, उनका भी एक पेड़ लगाया जाए दुनिया का और वहां लिखा जाए। सारा विश्‍व Indu mill के इस हरियाली के साथ कैसे जोड़ा जाए। अगर हम नई कल्पना के साथ, जन सामान्‍य को जोड़ने के विचार के साथ स्‍मारक को बनाएंगे, हिन्‍दुस्‍तान में शायद कभी किसी महापुरुष का ऐसा स्‍मारक नहीं बना हो जहां पर 40 हजार गांव सीधे-सीधे जुड़े हों। ऐसा कभी नहीं हुआ होगा। ये हो सकता है और महीने भर हर सप्‍ताह गांव के लोग आते चले, वहां रहे, चैत्‍य भूमि जाए, देखे Indu mill जाए, जहां डिजाइन हो वही पर पौधा लगाए। जो पौधे का sample तय किया हो, वही लगाए। आप देखिए क्‍या से क्‍या हो सकता है और इसलिए ये अपने आप में प्रेरणा स्‍थल बनना चाहिए और इसलिए मैंने कहा, हम पंचतीर्थ निर्माण कर रहे हैं। ये पंचतीर्थ लोकतंत्र पर आस्‍था रखने वालों के लिए, संविधान को स्‍वीकार करने वाले लोगों के लिए, सामाजिक एकता के लिए जीने वालों के लिए वे तीर्थ क्षेत्र बनेंगे।

भाइयों-बहनों कभी-कभी हम लोगों के खिलाफ झूठ फैलाना, अफवाहें फैलाना, लोगों में भ्रम पैदा करना इसके लिए टोली लगातार लगी रहती है, क्‍योंकि वो सहन नहीं कर पाते हैं कि ऐसे लोग कैसे आए गए। उन लोगों को मैं कहना चाहता हूं। आज हिन्‍दुस्‍तान में जिन राज्‍यों में सर्वाधिक दलित जनसंख्‍या है, जिन राज्‍यों में सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्‍या है, जिन राज्‍यों में सर्वाधिक OBC जनसंख्‍या है, उनमें से अधिकतर राज्‍य ऐसे हैं, जहां के नागरिकों ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार को चुना है। महाराष्‍ट्र हो, हरियाणा हो, पंजाब हो, सबसे ज्‍यादा आदिवासी जनसंख्‍या महाराष्‍ट्र हो, गुजरात हो, राजस्‍थान हो, छत्‍तीसगढ़ हो, उड़ीसा हो, उड़ीसा हमारा NDA का partner है, हमारा झारखंड हो। अधिकतम! इसका मतलब हुआ कि बाबा साहेब आंबेडकर के साथ तत्‍वत: जुडकर के काम करने वाले कोई लोग है, तो हम लोग हैं और समाज के ये दलित पीड़ित शोषित आज हमें स्‍वीकार करते हैं। इसका ये जीता-जागता सबूत है।

दूसरा, जब भी हम सत्‍ता में आते हैं, जब भी चुनाव आता है, जब भी सरकार बननी होती है एक झूठ प्रचारित किया जाता है – भाजपा वाले आएंगे आरक्षण खत्‍म कर देंगे। अटल बिहारी वाजपेयी की जब सरकार बनी थी ऐसा ही बवंडर खड़ा कर दिया गया था। अटल जी की सरकार में बैठे लोग कह कहकर के थक गए, लेकिन ये झूठ फैलाने वाली टोली मुंह बंद करने को तैयार ही नहीं थी। फिर एक बार जब हम राज्‍यों में चुनकर के आते हैं, तो राज्‍यों में चालू कर देते हैं - आरक्षण हटा देंगे, आरक्षण हटा देंगे, आरक्षण हटा देंगे। फिर हमारी दिल्‍ली में सरकार बनी, फिर तूफान खड़ा कर दिया। बाबा साहेब आंबेडकर ने जो हमें दिया है, उसी ने देश को एक ताकत दी है और उस ताकत को कोई रोक नहीं सकता है, मेरे भाइयों-बहनों कोई रोक नहीं सकता है। और इसलिए मैं ऐसा भ्रम फैलाने वाले लोग, आज तक कोई राजनीतिक फायदा ले नहीं पाए हैं लेकिन समाज में वही वैमनस्‍य पैदा करते हैं, झूठ फैलाते हैं, समाज को भ्रमित करते हैं। मैंने, मैंने गरीबी देखी है, मैं उस दर्द को जी चुका हूं और मुझे मालूम है समाज की इस अवस्‍था में जीने वालों के लिए अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है, बहुत कुछ करना बाकी है और ये देश दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब, इनको छोड़ करके आगे नहीं निकल सकता है। और मेरी सरकार, मुझे जब संसद के अंदर नेता के रूप में चुना गया, संसद के अंदर नेता के रूप में चुना गया, अभी प्रधानमंत्री बना नहीं था, उस दिन मेरा भाषण है कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है, गरीबों के कल्‍याण के लिए हम जीएंगे। देश में गरीबी को, गरीबी से मुक्‍ति चाहिए, गरीबी से मुक्‍ति के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं, हमारा मार्ग है, वो देश पूरी तरह जानता है और इसलिए भाइयो-बहनों ये अप्रचार बंद होना चाहिए, ये झूठ बंद होना चाहिए, समाज को आशंकित, भयभीत करने का खेल बंद होना चाहिए, इससे राजनीति नहीं होती। आइए, मिल-बैठ करके चलें। दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब, गांव का हो, उनको आगे बढ़ाए बिना देश कभी आगे बढ़ नहीं सकता। और इसलिए मेरे भाइयो-बहनों, इस मूलमंत्र को ले करके, समाज के सभी लोगों को साथ ले करके चलने का इरादा ले करके देश चल रहा है। राज्‍यों में जहां हमें सेवा करने का मौका मिला है, हम पूरे मनोयोग से काम कर रहे हैं। दिल्‍ली में हमें सेवा करने का मौका मिला है, जी-जान से जुटे हुए हैं और बदलाव ला करके रहेंगे, ये विश्‍वास में प्रकट करता हूं।

मेरे साथ बोलेंगे, मैं बोलूंगा, बाबा साहेब आंबेडकर, आप बोलेंगे अमर रहे, अमर रहे

बाबा साहेब आंबेडकर, अमर रहे, अमर रहे

बाबा साहेब आंबेडकर, अमर रहे, अमर रहे

बाबा साहेब आंबेडकर, अमर रहे, अमर रहे

26 नवम्‍बर भारत के संविधान का महत्‍वपूर्ण दिवस है। बाबा साहेब के जीवन का महत्‍वपूर्ण दिवस है और इसलिए भारत सरकार ने 26 नवम्‍बर को पूरे देश में संविधान दिवस के रूप में मनाना तय किया और हिन्‍दुस्‍तान के बच्‍चे-बच्‍चे को स्‍कूल-कॉलेज में ही संविधान क्‍या है? कैसे बना? क्‍यों बना? ये बात बताने का ये Regular व्‍यवस्‍था होनी चाहिए और इसलिए हमारी सरकार ने 26 नवम्‍बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का तय किया है।

मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
୭୮ତମ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦିବସ ଅବସରରେ ଲାଲକିଲ୍ଲାରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣ

ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଭିଭାଷଣ

୭୮ତମ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦିବସ ଅବସରରେ ଲାଲକିଲ୍ଲାରୁ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ନରେନ୍ଦ୍ର ମୋଦୀଙ୍କ ଅଭିଭାଷଣ
Cabinet extends One-Time Special Package for DAP fertilisers to farmers

Media Coverage

Cabinet extends One-Time Special Package for DAP fertilisers to farmers
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The Constitution is our guiding light: PM Modi
A special website named constitution75.com has been created to connect the citizens of the country with the legacy of the Constitution: PM
Mahakumbh Ka Sandesh, Ek Ho Poora Desh: PM Modi in Mann Ki Baat
Our film and entertainment industry has strengthened the sentiment of 'Ek Bharat - Shreshtha Bharat': PM
Raj Kapoor ji introduced the world to the soft power of India through films: PM Modi
Rafi Sahab’s voice had that magic which touched every heart: PM Modi remembers the legendary singer during Mann Ki Baat
There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣ, ନମସ୍କାର । ୨୦୨୫ ବର୍ଷ ଆମ ଦ୍ୱାରଦେଶରେ ଉପନୀତ । ୨୬ ଜାନୁଆରୀ ୨୦୨୫ ଦିନ ଆମ ସମ୍ବିଧାନ କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ ହେବାର ୭୫ ବର୍ଷ ପୂରଣ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଆମ ସମସ୍ତଙ୍କ ପାଇଁ ଏହା ଏକ ଗୌରବର କଥା । ଆମ ସମ୍ବିଧାନ ନିର୍ମାତାଗଣ ଆମକୁ ଯେଉଁ ସମ୍ବିଧାନ ଅର୍ପଣ କରିଯାଇଛନ୍ତି, ତାହା ସବୁ ପରିସ୍ଥିତିରେ ଠିକ୍ ପ୍ରମାଣିତ ହୋଇଛି । ସମ୍ବିଧାନ ଆମକୁ ପଥ ପ୍ରଦର୍ଶିତ କରୁଥିବା ଆଲୋକ ପୁଞ୍ଜ, ଏହା ଆମ ମାର୍ଗଦର୍ଶକ । ଭାରତର ସମ୍ବିଧାନ ଯୋଗୁଁ ହିଁ ଆଜି ମୁଁ ଏଠାରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୋଇ ଆପଣଙ୍କ ସହ ଭାବ ବିନିମୟ କରିପାରୁଛି । ଏ ବର୍ଷ ନଭେମ୍ବର ୨୬ ତାରିଖ ସମ୍ବିଧାନ ଦିବସଠାରୁ ଏକବର୍ଷ ବ୍ୟାପୀ ଅନେକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି । ଦେଶର ନାଗରିକମାନଙ୍କୁ ସମ୍ବିଧାନର ଐତିହ୍ୟ ସହ ସଂଯୋଜିତ କରିବା ପାଇଁ constitution75.com ନାମରେ ଏକ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର ୱେବସାଇଟ୍ ମଧ୍ୟ ସୃଷ୍ଟି କରାଯାଇଛି । ଏଥିରେ ଆପଣ ସମ୍ବିଧାନର ମୁଖବନ୍ଧ ପାଠ କରି ନିଜ ଭିଡିଓ ଅପଲୋଡ୍ କରିପାରିବେ । ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ଭାଷାରେ ସମ୍ବିଧାନ ପଢ଼ି ପାରିବେ । ସମ୍ବିଧାନ ବିଷୟରେ ପ୍ରଶ୍ନ ମଧ୍ୟ ପଚାରି ପାରିବେ । ଏହି ୱେବସାଇଟ୍ ପରିଦର୍ଶନ କରି ଏଥିରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିବା ପାଇଁ ମୁଁ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ର ଶ୍ରୋତା, ବିଦ୍ୟାଳୟରେ ପଢ଼ୁଥିବା ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀ, କଲେଜରେ ପଢ଼ୁଥିବା ଯୁବବର୍ଗ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ କରୁଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଆସନ୍ତା ମାସ ୧୩ ତାରିଖ ଠାରୁ ପ୍ରୟାଗରାଜରେ ମହାକୁମ୍ଭ ମଧ୍ୟ ଅନୁଷ୍ଠିତ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଏବେ ସେଠାରେ ସଙ୍ଗମକୁଳରେ ଜୋରଦାର୍ ପ୍ରସ୍ତୁତି ଚାଲିଛି । ମୋର ମନେ ଅଛି, ଏଇ କିଛି ଦିନ ତଳେ ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ପ୍ରୟାଗରାଜ୍ ଯାଇଥିଲି, ସେତେବେଳେ ହେଲିକପ୍ଟରରୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ କୁମ୍ଭ କ୍ଷେତ୍ର ଦେଖି ମନ ଆନନ୍ଦିତ ହୋଇଯାଇଥିଲା । ଏତେ ବିଶାଳ ! ଏତେ ସୁନ୍ଦର ! ଏତେ ଭବ୍ୟ !

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମହାକୁମ୍ଭର ବିଶେଷତ୍ୱ କେବଳ ଏହାର ବିଶାଳତା ନୁହେଁ । କୁମ୍ଭର ବିଶେଷତ୍ୱ ଏହାର ବିବିଧତାରେ ମଧ୍ୟ ରହିଛି । ଏହି ଆୟୋଜନରେ କୋଟି କୋଟି ଲୋକ ଏକତ୍ରିତ ହୁଅନ୍ତି । ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ସାଧୁ ସନ୍ଥ, ହଜାର ହଜାର ପରମ୍ପରା, ଶହ ଶହ ସମ୍ପ୍ରଦାୟ, ଅନେକ ଆଖଡ଼ା, ସମସ୍ତେ ଏହି ଆୟୋଜନରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି । ଏହି କୁମ୍ଭମେଳାରେ କେବେ କୌଣସି ଭେଦଭାବ ନ ଥାଏ । ନା ଏଠି କେହି ବଡ଼, ନା କେହି ସାନ । ବିବିଧତା ମଧ୍ୟରେ ଏକତାର ଏଭଳି ଦୃଶ୍ୟ ବିଶ୍ୱରେ ଆଉ କେଉଁଠି ବି ଦେଖିବାକୁ ମିଳେନାହିଁ । ତେଣୁ ଆମ କୁମ୍ଭ ଏକତାର ମହାକୁମ୍ଭ ମଧ୍ୟ ହୋଇଥାଏ । ଏଥରର ମହାକୁମ୍ଭ ମଧ୍ୟ ଏକତାର ମହାକୁମ୍ଭର ମନ୍ତ୍ରକୁ ସଶକ୍ତ କରିବ । କୁମ୍ଭରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିବା ସହ ଏକତାର ଏହି ସଂକଳ୍ପକୁ ମଧ୍ୟ ନିଜ ସହ ନେଇ ଫେରିବା ପାଇଁ ମୋର ଆପଣ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ । ଆମେ ସମାଜରେ ବିଭାଜନ ଓ ବିଦ୍ୱେଷର ଭାବନାକୁ ନଷ୍ଟ କରିବାର ସଂକଳ୍ପ ମଧ୍ୟ ଗ୍ରହଣ କରିବା । ସଂକ୍ଷେପରେ କହିବାକୁ ହେଲେ ମୁଁ ଏତିକି କହିବି . . .

ମହାକୁମ୍ଭର ଏଇ ସନ୍ଦେଶ, ଏକ୍ ହେଉ ସାରା ଦେଶ ।

ମହାକୁମ୍ଭର ଏଇ ସନ୍ଦେଶ, ଏକ୍ ହେଉ ସାରା ଦେଶ ।

ଆଉ ଅନ୍ୟ ଭାଷାରେ କହିବାକୁ ଗଲେ, କହିବି . . .

ଗଙ୍ଗାର ଧାରା ବହୁ ନିରନ୍ତର, ବିଭାଜିତ ନ ହେଉ ସମାଜ ଆମର ।

ଗଙ୍ଗାର ଧାରା ବହୁ ନିରନ୍ତର, ବିଭାଜିତ ନ ହେଉ ସମାଜ ଆମର ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏଥର ପ୍ରୟାଗରାଜରେ ଦେଶ ବିଦେଶର ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁ ଡିଜିଟାଲ୍ ମହାକୁମ୍ଭର ମଧ୍ୟ ସାକ୍ଷୀ ହେବେ । ଡିଜିଟାଲ୍ ନେଭିଗେସନ୍ ସାହାର୍ଯ୍ୟରେ ଆପଣମାନେ ବିଭିନ୍ନ ଘାଟ, ମନ୍ଦିର, ସାଧୁସନ୍ଥଙ୍କ ଆଖଡ଼ା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପହଂଚିବାର ରାସ୍ତା ପାଇପାରିବେ । ଏହି ନେଭିଗେସନ୍ ସିଷ୍ଟମ୍ ଆପଣଙ୍କୁ ପାର୍କିଂ ସ୍ଥଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପହଂଚିବା ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ସାହାର୍ଯ୍ୟ କରିବ । କୁମ୍ଭ ଆୟୋଜନରେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ଏ.ଆଇ. ଚାଟବୋଟର ବ୍ୟବହାର ହେବ । ଏ.ଆଇ. ଚାଟବୋଟ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ୧୧ଟି ଭାରତୀୟ ଭାଷାରେ କୁମ୍ଭ ସମ୍ପର୍କିତ ସୂଚନା ପ୍ରାପ୍ତ କରାଯାଇପାରିବ । ଏହି ଚାଟବୋଟରେ text ଟାଇପ୍ କରି କିମ୍ବା ନିଜେ କହି ଯେକୌଣସି ପ୍ରକାର ସାହାଯ୍ୟ ପାଇଁ ଅନୁରୋଧ କରିପାରିବେ । ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ମେଳା କ୍ଷେତ୍ରଟି ଏ.ଆଇ. ଶକ୍ତିଯୁକ୍ତ କ୍ୟାମେରାର ନଜରରେ ରହିବ । କୁମ୍ଭରେ ଯଦି କେହି ନିଜ ପ୍ରିୟପରିଜନଙ୍କ ଠାରୁ ନିଖୋଜ ହୋଇଥାଆନ୍ତି, ତାହେଲେ ଏହି କ୍ୟାମେରା ଗୁଡ଼ିକ ସାହାର୍ଯ୍ୟରେ ସେମାନଙ୍କୁ ଠାବ କରିବାରେ ମଧ୍ୟ ସାହାଯ୍ୟ ମିଳିବ । ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁମାନେ ଡିଜିଟାଲ୍ ଲଷ୍ଟ ଆଣ୍ଡ ଫାଉଣ୍ଡ ସେଂଟରର ସୁବିଧା ମଧ୍ୟ ପାଇପାରିବେ । ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁମାନଙ୍କୁ ମୋବାଇଲ ମାଧ୍ୟମରେ ହିଁ ସରକାରଙ୍କ ସ୍ୱୀକୃତିପ୍ରାପ୍ତ ଟୁର୍ ପ୍ୟାକେଜ୍, ରହିବା ସୁବିଧା ଏବଂ ହୋମଷ୍ଟେ ବିଷୟରେ ସୂଚନା ପ୍ରଦାନ କରାଯିବ । ମହାକୁମ୍ଭ ଯାତ୍ରା କଲେ ଆପଣମାନେ ମଧ୍ୟ ଏହି ସୁବିଧା ଗୁଡ଼ିକର ଲାଭ ଉଠାଇ ପାରିବେ । ଆଉ ହଁ, #ଏକତା କା ମହାକୁମ୍ଭ ରେ ନିଜର ସେଲ୍ଫି ନିଶ୍ଚୟ ଅପଲୋଡ୍ କରିବେ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମନ୍ କି ବାତ୍ ଅର୍ଥାତ୍ ଏମକେବିରେ ଏଥର କେଟିବି କଥା । ଅଧିକାଂଶ ବୟସ୍କ ଲୋକେ କେଟିବି ବିଷୟରେ ଜାଣିନଥିବେ । କିନ୍ତୁ, ପିଲାମାନଙ୍କୁ ଥରେ ପଚାରନ୍ତୁ, କେଟିବି ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସୁପରହିଟ୍ । କେଟିବି ମାନେ କ୍ରିଷ, ତ୍ରିଶ୍ ଆଉ ବାଲ୍ଟିବୟ । ହୁଏତ ଆପଣ ଜାଣିଥିବେ, ଏହା ପିଲାମାନଙ୍କ ମନପସନ୍ଦର ଆନିମେଶନ୍ ସିରିଜ୍ ଏବଂ ଏହାର ନାଁ କେଟିବି-ଭାରତ ହେଁ ହମ୍ । ଏବେ ଏହାର ଦ୍ୱିତୀୟ ସିଜିନ୍ ମଧ୍ୟ ଆସିଗଲାଣି । ଏହି ତିନୋଟି ଆନିମେଶନ୍ କ୍ୟାରେକ୍ଟର ଆମକୁ ଭାରତର ସ୍ୱାଧୀନତା ସଂଗ୍ରାମର ସେହି ନାୟକ-ନାୟିକାମାନଙ୍କ ବିଷୟରେ ଜଣାଉଛନ୍ତି, ଯେଉଁମାନଙ୍କ ସମ୍ପର୍କରେ ଅଧିକ ଆଲୋଚନା ହୁଏ ନାହିଁ । ନିକଟ ଅତୀତରେ ଏହାର ସିଜିନ-ଟୁ ଏକ ନିଆରା ଢଙ୍ଗରେ ଗୋଆରେ ଭାରତୀୟ ଆନ୍ତର୍ଜାତିକ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ମହୋତ୍ସବରେ ଉଦଘାଟିତ ହେଲା । ସବୁଠାରୁ ସୁନ୍ଦର କଥା ହେଉଛି, ଏହି ସିରିଜ୍ କେବଳ ଅନେକ ଭାରତୀୟ ଭାଷାରେ ନୁହେଁ, ବରଂ ବିଦେଶୀ ଭାଷାରେ ମଧ୍ୟ ପ୍ରସାରିତ ହେଉଛି । ଏହାକୁ ଦୂରଦର୍ଶନ ସହ ଅନ୍ୟ ଓଟିଟି ପ୍ଲାଟଫର୍ମରେ ମଧ୍ୟ ଦେଖାଯାଇପାରିବ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଆମ ଆନିମେଶନ୍ ଫିଲ୍ମ, ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର, ଟେଲିଭିଜନ ସିରିଆଲ ଗୁଡ଼ିକର ଲୋକପ୍ରିୟତା ଏହା ଦର୍ଶାଉଛି ଯେ, ଭାରତର କ୍ରିଏଟିଭ୍ ଇଣ୍ଡଷ୍ଟ୍ରି ବା ସୃଜନାତ୍ମକ ଶିଳ୍ପରେ କେତେ କ୍ଷମତା ଭରିରହିଛି ! ଏହି ଶିଳ୍ପର କେବଳ ଦେଶର ଉନ୍ନତିରେ ଏକ ବଡ଼ ଯୋଗଦାନ ରହିଛି ତାହା ନୁହେଁ ବରଂ ଆମ ଅର୍ଥନୀତିକୁ ମଧ୍ୟ ଏହା ନୂତନ ଶିଖରକୁ ନେଇଯାଉଛି । ଆମ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଏବଂ ମନୋରଞ୍ଜନ ଶିଳ୍ପ ବହୁତ ବିଶାଳ । ଦେଶର ଅନେକ ଭାଷାରେ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ନିର୍ମାଣ ଚାଲିଛି, କ୍ରିଏଟିଭ୍ କଂଟେଟ୍ ମଧ୍ୟ ସୃଷ୍ଟି କରାଯାଉଛି । ମୁଁ ଆମ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଏବଂ ମନୋରଞ୍ଜନ ଶିଳ୍ପ ଜଗତକୁ ଏଥିପାଇଁ ଅଭିନନ୍ଦନ ଜଣାଉଛି, କାରଣ, ଏହା ଏକ ଭାରତ- ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଭାରତର ଭାବନାକୁ ସଶକ୍ତ କରିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ୨୦୨୪ରେ ଆମେ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଦୁନିଆର ଅନେକ ମହାନ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ୱମାନଙ୍କର ୧୦୦ତମ ଜୟନ୍ତୀ ପାଳନ କରୁଛୁ । ଏହି ମହାନ କଳାକାରମାନେ ଭାରତୀୟ ସିନେମାକୁ ବିଶ୍ୱସ୍ତରରେ ପରିଚିତ କରାଇଲେ । ରାଜକାପୁରଜୀ ନିଜ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ମାଧ୍ୟମରେ ବିଶ୍ୱକୁ ଭାରତର Soft Power ସହ ପରିଚିତ କରାଇଲେ । ରଫି ସାହେବଙ୍କ ସ୍ୱରରେ ଏଭଳି କୁହୁକ ଭରି ରହିଥିଲା, ଯାହା ପ୍ରତ୍ୟେକ ହୃଦୟକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରୁଥିଲା । ତାଙ୍କ ସ୍ୱର ଅତି ଚମତ୍କାର ଥିଲା । ଭକ୍ତି ଗୀତ ହେଉ, ରୋମାଣ୍ଟିକ୍ ଗୀତ କିମ୍ବା ଦୁଃଖଭରା ଗୀତ - ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାବାବେଗକୁ ସେ ନିଜ ସ୍ୱରରେ ଜୀବନ୍ତ କରିଦେଉଥିଲେ । ଜଣେ କଳାକାର ରୂପରେ ତାଙ୍କର ମହନୀୟତାର ଅନୁମାନ ଏହି କଥାରୁ କରିହେବ ଯେ, ଆଜିର ଯୁବପିଢ଼ି ମଧ୍ୟ ତାଙ୍କ ଗୀତଗୁଡ଼ିକୁ ସେତିକି ମନଧ୍ୟାନ ଦେଇ ଶୁଣୁଛନ୍ତି । ଏହାହିଁ ତ ହେଉଛି କାଳାତୀତ କଳାର ପରିଚୟ । ଅକ୍କିନେନୀ ନାଗେଶ୍ୱର ରାଓ ଗାରୁ ତେଲୁଗୁ ସିନେମାକୁ ନୂତନ ଶିଖରରେ ପହଞ୍ଚାଇଛନ୍ତି । ତାଙ୍କ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଗୁଡ଼ିକ ଭାରତୀୟ ପରମ୍ପରା ଏବଂ ମୂଲ୍ୟବୋଧକୁ ଖୁବ ଭଲଭାବେ ପ୍ରତିଫଳିତ କରୁଛି । ତପନ ସିହ୍ନାଙ୍କ କଥାଚିତ୍ର ଗୁଡ଼ିକ ସମାଜକୁ ଏକ ନୂତନ ଦୃଷ୍ଟିକୋଣ ପ୍ରଦାନ କରିଛି । ତାଙ୍କ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଗୁଡ଼ିକରେ ସାମାଜିକ ଚେତନା ଏବଂ ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ଏକତାର ବାର୍ତ୍ତା ରହୁଥିଲା । ଏହି ମନିଷୀମାନଙ୍କ ଜୀବନ ଆମର ସମଗ୍ର ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଜଗତ ପାଇଁ ପ୍ରେରଣାର ଉତ୍ସ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମୁଁ ଆପଣମାନଙ୍କୁ ଆଉ ଗୋଟିଏ ଖୁସି ଖବର ଦେବାକୁ ଚାହୁଁଛି । ଭାରତର ସୃଜନାତ୍ମକ ପ୍ରତିଭା ବା କ୍ରିଏଟିଭ୍ ଟାଲେଣ୍ଟ ବିଶ୍ୱ ଆଗରେ ଉପସ୍ଥାପିତ କରିବାର ଗୋଟିଏ ବଡ଼ ସୁଯୋଗ ଆସୁଛି । ଆସନ୍ତା ବର୍ଷ ଆମ ଦେଶରେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ୱାର୍ଲଡ୍ ଅଡିଓ ଭିଜୁଆଲ୍ ଏଂଟରଟେନମେଣ୍ଟ ସମିଟ୍ ଅର୍ଥାତ୍ ୱେଭସ ସମିଟର ଆୟୋଜନ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଆପଣମାନେ ଦାଭୋସ୍ ବିଷୟରେ ଶୁଣିଥିବେ, ଯେଉଁଠାରେ ବିଶ୍ୱର ଆର୍ଥିକ ଜଗତର ମହାରଥିମାନେ ଏକତ୍ରିତ ହୋଇଥାଆନ୍ତି । ସେହିଭଳି ୱେଭସ ସମିଟରେ ସାରା ବିଶ୍ୱର ଗଣମାଧ୍ୟମ ଏବଂ ମନୋରଞ୍ଜନ ଶିଳ୍ପର ମହାରଥି, ସୃଜନ ଜଗତର ବ୍ୟକ୍ତିବିଶେଷ ଭାରତକୁ ଆସିବେ । ଏହି ସମ୍ମିଳନୀ ଭାରତକୁ ଗ୍ଲୋବାଲ୍ କଣ୍ଟେଟ୍ କ୍ରିଏଶନର ହବ୍ କରିବା ଦିଗରେ ଗୋଟିଏ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ପଦକ୍ଷେପ । ଏହି ସୂଚନା ଦେବାରେ ମୁଁ ଗର୍ବ ଅନୁଭବ କରୁଛି ଯେ, ଏହି ସମ୍ମିଳନୀ ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତିରେ ଆମ ଦେଶର ୟଙ୍ଗ୍ କ୍ରିଏଟର୍ସ ବା ନୂତନ ସୃଜନଶୀଳ ପ୍ରତିଭାମାନେ ଖୁବ ଉତ୍ସାହର ସହିତ ଲାଗି ପଡ଼ିଛନ୍ତି । ଆମେ ୫ ଟ୍ରିଲିଅନ୍ ଡଲାର୍ ଇକୋନମୀ ଦିଗକୁ ଅଗ୍ରସର ହେଉଥିବା ସମୟରେ ଆମ କ୍ରିଏଟର୍ ଇକୋନମୀ ଏକ ନୂତନ ଶକ୍ତି ପ୍ରଦାନ କରୁଛି । ମୁଁ ଭାରତର ସମଗ୍ର ମନୋରଞ୍ଜନ ଏବଂ ସୃଜନାତ୍ମକ ଶିଳ୍ପକୁ ଅନୁରୋଧ କରୁଛି - ଆପଣ ଯୁବ-ପ୍ରତିଭା ହୁଅନ୍ତୁ କିମ୍ବା ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ କଳାକାର, ବଲିଉଡ୍ ସହ ଜଡ଼ିତ ହୋଇଥାଆନ୍ତୁ କିମ୍ବା ଆଞ୍ଚଳିକ ସିନେମା ଜଗତ ସହ, ଟେଲିଭିଜନ ଶିଳ୍ପର ପେଶାଗତ ବ୍ୟକ୍ତି ହୋଇଥାଆନ୍ତୁ କିମ୍ବା ଆନିମେଶନ୍ ବିଶେଷଜ୍ଞ, ଗେମିଂ ସହ ଜଡ଼ିତ ଥାଆନ୍ତୁ ବା ଏଂଟରଟେନମେଣ୍ଟ ଟେକ୍ନୋଲଜିର ଇନ୍ନୋଭେଟର୍ ହେଇଥାଆନ୍ତୁ - ଆପଣ ସମସ୍ତେ ୱେଭସ ସମ୍ମିଳନୀରେ ଭାଗ ନିଅନ୍ତୁ ।

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣ, ଆପଣ ସମସ୍ତେ ଜାଣନ୍ତି ଯେ ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତିର ଆଲୋକ ଆଜି କିଭଳି ପୃଥିବୀର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ବିଛାଡ଼ି ହୋଇ ପଡ଼ୁଛି । ଆଜି ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ତିନି ମହାଦ୍ୱୀପରୁ ଏଭଳି ପ୍ରୟାସଗୁଡ଼ିକ ବିଷୟରେ କହିବି, ଯାହା ଆମ ସାଂସ୍କୃତିକ ଐତିହ୍ୟର ବୈଶ୍ୱିକ ବିସ୍ତୃତିର ସାକ୍ଷୀ । ସେମାନେ ପରସ୍ପରଠାରୁ ବହୁତ ଦୂରରେ, କିନ୍ତୁ ଭାରତକୁ ଜାଣିବାରେ ଓ ଆମ ସଂସ୍କୃତିରୁ ଶିଖିବା କ୍ଷେତ୍ରରେ ସେମାନଙ୍କ ଆଗ୍ରହ ଉଦ୍ଦୀପନା ସମାନ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ପେଣ୍ଟିଙ୍ଗ୍‌ସ ଯେତେ ବେଶୀ ରଙ୍ଗୀନ ହୋଇଥାଏ ସେତିକି ସୁନ୍ଦର ଦେଖାଯାଇଥାଏ । ଆପଣଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଯେଉଁମାନେ ଟିଭି ମାଧ୍ୟମରେ ‘ମନ୍‌ କୀ ବାତ୍‌’ ସହ ଯୋଡ଼ି ହୋଇଛନ୍ତି, ସେମାନେ ଏବେ କିଛି ପେଣ୍ଟିଙ୍ଗ୍‌ସକୁ ଟିଭିରେ ଦେଖି ମଧ୍ୟ ପାରିବେ । ଏସବୁ ପେଣ୍ଟିଙ୍ଗ୍ସରେ ଆମର ଦେବାଦେବୀ, ନୃତ୍ୟକଳା ଓ ମହାପୁରୁଷମାନଙ୍କୁ ଦେଖି ଆପଣଙ୍କୁ ବହୁତ ଭଲ ଲାଗିବ । ଏଥିରେ ଆପଣଙ୍କୁ ଭାରତରେ ଦେଖାଯାଉଥିବା ଜୀବଜନ୍ତୁଙ୍କଠାରୁ ଆରମ୍ଭ କରି ଆଉ ବହୁତ କିଛି ଦେଖିବାକୁ ମିଳିବ । ଏଥିରେ ତାଜମହଲର ଏକ ସୁନ୍ଦର ଚିତ୍ର ମଧ୍ୟ ସାମିଲ୍‌ ହୋଇଛି, ଯାହାକୁ ୧୩ ବର୍ଷର ଝିଅଟିଏ ଆଙ୍କିଛି । ଆପଣଙ୍କୁ ଏହା ଜାଣି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ଲାଗିବ ଯେ ଏହି ଦିବ୍ୟାଙ୍ଗ ଝିଅଟି ନିଜ ପାଟିରେ ଏହି ଚିତ୍ରଟିକୁ ତିଆରି କରିଛି । ସବୁଠୁ ବଡ଼କଥା ହେଲା ଯେ ଏହାର ଚିତ୍ରଶିଳ୍ପୀ ଜଣକ ଭାରତର ନୁହନ୍ତି, ସେ ଇଜିପ୍ଟର ଜଣେ ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀ । କିଛି ସପ୍ତାହ ତଳେ ଇଜିପ୍ଟର ପ୍ରାୟ ୨୩ ହଜାର ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀ ଏକ ପେଣ୍ଟିଂ ପ୍ରତିଯୋଗିତାରେ ଭାଗ ନେଇଥିଲେ । ସେଠାରେ ସେମାନଙ୍କୁ ଭାରତର ସଂସ୍କୃତି ଓ ଦୁଇ ଦେଶର ଐତିହାସିକ ସମ୍ପର୍କକୁ ବର୍ଣ୍ଣନା କରୁଥିବା ପେଣ୍ଟିଂ କରିବାର ଥିଲା । ମୁଁ ଏହି ପ୍ରତିଯୋଗିତାରେ ଭାଗ ନେଇଥିବା ସମସ୍ତ ଯୁବକଯୁବତୀଙ୍କୁ ପ୍ରଶଂସା କରୁଛି । ସେମାନଙ୍କ ସୃଜନଶୀଳତାର ଯେତେ ପ୍ରଶଂସା କଲେ ମଧ୍ୟ ତାହା କମ୍‌ ହେବ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଦକ୍ଷିଣ ଆମେରିକାର ଏକ ଦେଶ ହେଉଛି ପାରାଗୁଏ । ସେଠାରେ ରହୁଥିବା ଭାରତୀୟଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ହଜାରେରୁ ବେଶି ହେବନାହିଁ । ପାରାଗୁଏରେ ଏକ ଚମତ୍କାର ପ୍ରୟାସ ହେଉଛି । ସେଠାକାର ଭାରତୀୟ ଦୂତାବାସରେ ଏରିକା ହ୍ୟୁବର ମାଗଣା ଆୟୁର୍ବେଦ ପରାମର୍ଶ ଦିଅନ୍ତି । ଆୟୁର୍ବେଦ ପରାମର୍ଶ ନେବାପାଇଁ ଏବେ ତାଙ୍କ ନିକଟକୁ ବହୁ ସ୍ଥାନୀୟ ଲୋକ ଆସୁଛନ୍ତି । ଏରିକା ହ୍ୟୁବର୍ ଇଂଜିନିୟରିଂ ପଢ଼ିଛନ୍ତି ସତ, କିନ୍ତୁ ତାଙ୍କର ମନ ଆୟୁର୍ବେଦରେ ରହିଛି । ସେ ଆୟୁର୍ବେଦ ସହ ସଂପୃକ୍ତ ପାଠ୍ୟକ୍ରମ ପଢ଼ିଥିଲେ ଓ ସମୟକ୍ରମେ ସେ ସେଥିରେ ପାରଙ୍ଗମ ହୋଇପାରିଲେ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏହା ଆମ ପାଇଁ ବହୁତ ଗର୍ବର କଥା ଯେ ପୃଥିବୀର ସବୁଠୁ ପ୍ରାଚୀନ ଭାଷା ତାମିଲ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟ ଏଥିପାଇଁ ଗର୍ବିତ । ବିଶ୍ୱର ବହୁ ଦେଶରେ ଏହାକୁ ଶିଖୁଥିବା ଲୋକଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା କ୍ରମାଗତ ବଢ଼ିଚାଲିଛି । ଗତ ମାସର ଶେଷରୁ ଫିଜିରେ ଭାରତ ସରକାରଙ୍କ ସହଯୋଗରେ ତାମିଲ୍‌ ଶିକ୍ଷା କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି । ଗତ ୮୦ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ଫିଜିରେ ତାଲିମପ୍ରାପ୍ତ ଶିକ୍ଷକ ତାମିଲ୍‌ ଶିଖାଉଛନ୍ତି । ଆଜି ଫିଜିର ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀମାନେ ତାମିଲ ଭାଷା ଓ ସଂସ୍କୃତିକୁ ଶିଖିବା ପାଇଁ ଆଗ୍ରହୀ ଥିବା ଜାଣି ମୋତେ ବହୁତ ଖୁସି ଲାଗିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏ କଥା, ଏ ଘଟଣା କେବଳ ସଫଳତାର କାହାଣୀ ନୁହେଁ । ଏହା ଆମ ସାଂସ୍କୃତିକ ଐତିହ୍ୟର ଗାଥା ମଧ୍ୟ । ଏହି ଉଦାହରଣ ଆମକୁ ବହୁତ ଗର୍ବିତ କରିଥାଏ । କଳାରୁ ଆୟୁର୍ବେଦ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଓ ଭାଷାରୁ ସଂଗୀତ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଭାରତରେ ଏତେ ବିଷୟ ଅଛି, ଯାହା ପୃଥିବୀ ସାରା ବ୍ୟାପି ଚାଲିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏ ଶୀତ ଋତୁରେ ସମଗ୍ର ଦେଶରେ ବିଭିନ୍ନ କ୍ରୀଡ଼ା ଓ ଫିଟ୍‌ନେସ୍‌କୁ ନେଇ ବିଭିନ୍ନ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆୟୋଜିତ ହେଉଛି । ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ଲୋକେ ଫିଟ୍‌ନେସ୍‌କୁ ନିଜ ଦିନଚର୍ଯ୍ୟାରେ ସାମିଲ୍‌ କରୁଛନ୍ତି । କାଶ୍ମୀରରେ ସ୍କିଙ୍ଗ୍ ଠାରୁ ଗୁଜରାଟର ଗୁଡ଼ିଉଡ଼ା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ, ସବୁ ସ୍ଥାନରେ ଖେଳର ଉତ୍ସାହ ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି । #SundayOnCycle I #CyclingTuesday ଭଳି ଅଭିଯାନ ଦ୍ୱାରା ସାଇକଲ ଚାଳନାକୁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ମିଳୁଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଏଭଳି ଏକ ନିଆରା କଥା କହିବାକୁ ଚାହୁଁଛି ଯାହା ଆମ ଦେଶରେ ଆସିଥିବା ପରିବର୍ତ୍ତନ ଓ ଯୁବବନ୍ଧୁମାନଙ୍କର ଉତ୍ସାହ ଉଦ୍ଦୀପନାର ପ୍ରତୀକ । ଆପଣ ଜାଣନ୍ତି କି ଆମର ବସ୍ତରରେ ଏକ ଅନନ୍ୟ ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି ! ଆଜ୍ଞା ହଁ, ପ୍ରଥମ ଥର ଆୟୋଜିତ ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ଦ୍ୱାରା ବସ୍ତରରେ ଏକ ନୂଆ ବିପ୍ଳବ ଜନ୍ମ ନେଉଛି । ମୋ ପାଇଁ ବହୁତ ଖୁସିର କଥା ଯେ ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକର ସ୍ୱପ୍ନ ସାକାର ହୋଇଛି । ଆପଣଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଜାଣିବା ପରେ ବହୁତ ଖୁସି ଲାଗିବ ଯେ ଏହା ଏଭଳି ଏକ ଅଞ୍ଚଳରେ ହେଉଛି, ଯାହା ଏକଦା ମାଓବାଦୀ ହିଂସାଗ୍ରସ୍ତ ଅଞ୍ଚଳ ଥିଲା । ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକର ମାସ୍କଟ୍‌ ହେଉଛି ‘ବଣ ମଇଁଷି’ ଓ ‘ପାହାଡ଼ୀ ମଇନା’ । ଏଥିରେ ବସ୍ତରର ସମୃଦ୍ଧ ସଂସ୍କୃତିର ଝଲକ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥାଏ । ଏହି ବସ୍ତର କ୍ରୀଡ଼ା ମହାକୁମ୍ଭର ମୂଳ ମନ୍ତ୍ର ହେଉଛି-

‘କର୍‌ସାୟ ତା ବସ୍ତର୍ ବରସାଏ ତା ବସ୍ତର୍’ ଅର୍ଥାତ ‘ଖେଳିବ ବସ୍ତର୍-ଜିତିବ ବସ୍ତର୍’ ।

ପ୍ରଥମ ଥର ହିଁ ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ରେ ୭ଟି ଜିଲାର ଏକ ଲକ୍ଷ ୬୫ ହଜାର ଖେଳାଳି ଭାଗ ନେଇଛନ୍ତି । ଏହା କେବଳ ଏକ ପରିସଂଖ୍ୟାନ ନୁହେଁ- ଏହା ଆମ ଯୁବକଯୁବତୀଙ୍କର ସଂକଳ୍ପର ଗୌରବ ଗାଥା ବହନ କରେ । ଆଥ୍‌ଲେଟିକ୍ସ, ତୀରଚାଳନା, ବ୍ୟାଡ଼ମିଣ୍ଟନ, ଫୁଟବଲ, ହକି, ଭାରୋତ୍ତୋଳନ, କରାଟେ, କବାଡ଼ି, ଖୋ ଖୋ ଓ ଭଲିବଲ୍‌- ପ୍ରତ୍ୟେକ ଖେଳରେ ଆମର ଯୁବପିଢ଼ି ନିଜ ପ୍ରତିଭାର ପତାକା ଉଡ଼ାଇଛନ୍ତି । କାରୀ କଶ୍ୟପ୍ ଜୀଙ୍କ କାହାଣୀ ମୋତେ ଖୁବ୍‌ ପ୍ରେରଣା ଦେଇଥାଏ । ଏକ ଛୋଟିଆ ଗାଁରୁ ଆସିଥିବା କାରୀ ଜୀ ତୀରଚାଳନାରେ ରୌପ୍ୟପଦକ ଜିତିଛନ୍ତି । ସେ କହନ୍ତି, “ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ମୋତେ କେବଳ ଖେଳ ପଡ଼ିଆ ଦେଇନାହିଁ, ଜୀବନରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଇଛି ।” ସୁକ୍‌ମା-ର ପାୟଲ୍‌ କୱାସି ଜୀଙ୍କ କଥା ବେଶ୍ ପ୍ରେରଣାଦାୟକ । ଜାଭଲିନ୍‌ ଥ୍ରୋରେ ସ୍ୱର୍ଣ୍ଣପଦକ ହାସଲ କରିଥିବା ପାୟଲ୍‌ ଜୀ କହନ୍ତି “ଅନୁଶାସନ ଓ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଦ୍ୱାରା ଯେ କୌଣସି ଲକ୍ଷ୍ୟ ହାସଲ କରିବା ସମ୍ଭବ” । ସୁକମା-ର ଦୋରନାପାଲ୍‌-ର ପୁନେମ୍ ସନ୍ନା ଜୀଙ୍କ କଥା ତ ନୂଆ ଭାରତର ପ୍ରେରଣାଦାୟକ କାହାଣୀ । ଏକଦା ନକ୍ସଲଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ପ୍ରଭାବିତ ପୁନେମ୍ ଜୀ ଆଜି ହ୍ୱିଲ୍‌ଚେୟାରରେ ଦୌଡ଼ି ପଦକ ଜିତୁଛନ୍ତି । ତାଙ୍କର ସାହସ ଓ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ସଭିଙ୍କ ପାଇଁ ବଡ଼ ପ୍ରେରଣା । କୋଡ଼ାଗାଓଁର ତୀରନ୍ଦାଜ ରଂଜୁ ସୋରୀ ଜୀଙ୍କୁ ‘ବସ୍ତର ୟୁଥ୍‌ ଆଇକନ’ ଭାବେ ବଛାଯାଇଛି । ତାଙ୍କର କହିବା କଥା ହେଲା- ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ଉପାନ୍ତ ଅଞ୍ଚଳର ଯୁବକଯୁବତୀଙ୍କୁ ଜାତୀୟ ମଞ୍ଚ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପହଞ୍ଚିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଉଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ କେବଳ ଏକ କ୍ରୀଡ଼ା ଆୟୋଜନ ନୁହେଁ । ଏହା ଏଭଳି ଏକ ମଞ୍ଚ, ଯେଉଁଠି ବିକାଶ ଓ କ୍ରୀଡ଼ାର ସଂଗମ ହେଉଛି; ଯେଉଁଠି ଆମର ଯୁବପିଢ଼ି ନିଜ ପ୍ରତିଭାକୁ ଆହୁରି ଚମକାଉଛନ୍ତି ଓ ଏକ ନୂଆ ଭାରତର ନିର୍ମାଣ କରୁଛନ୍ତି । ମୁଁ ଆପଣମାନଙ୍କୁ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ନିବେଦନ କରୁଛି ଯେ

-ନିଜ ଅଞ୍ଚଳରେ ଏଭଳି କ୍ରୀଡ଼ା ଆୟୋଜନ ପାଇଁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ଦିଅନ୍ତୁ

- #ଖେଲେଗା ଭାରତ୍-ଜିତେଗା ଭାରତ୍ ଜରିଆରେ ନିଜ ଅଞ୍ଚଳର କ୍ରୀଡ଼ା ପ୍ରତିଭାଙ୍କ କାହାଣୀକୁ ଅନ୍ୟମାନଙ୍କ ସହ ବାଣ୍ଟନ୍ତୁ

-ସ୍ଥାନୀୟ କ୍ରୀଡ଼ା ପ୍ରତିଭାମାନଙ୍କୁ ଆଗକୁ ବଢ଼ିବାର ସୁଯୋଗ ଦିଅନ୍ତୁ

ମନେ ରଖନ୍ତୁ, କ୍ରୀଡ଼ା ଦ୍ୱାରା କେବଳ ଶାରୀରିକ ବିକାଶ ହୁଏ ନାହିଁ, ବରଂ ଏହି ସ୍ପୋର୍ଟସ୍‌ମେନ୍‌ ସ୍ପିରିଟ୍‌ ସମାଜକୁ ଯୋଡ଼ିବାର ମଧ୍ୟ ଏକ ସଶକ୍ତ ମାଧ୍ୟମ । ତେଣୁ ବହୁତ ଖେଳନ୍ତୁ-ଖୁସି ରୁହନ୍ତୁ ।

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣ, ଭାରତର ଦୁଇଟି ବଡ଼ ଉପଲବ୍ଧି ଆଜି ବିଶ୍ୱର ଧ୍ୟାନ ଆକର୍ଷଣ କରୁଛି । ଏହାକୁ ଶୁଣି ଆପଣ ମଧ୍ୟ ନିଜକୁ ଗର୍ବିତ ଅନୁଭବ କରିବେ । ଏହି ଦୁଇଟି ସଫଳତା ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ କ୍ଷେତ୍ରରେ ମିଳିଛି । ପ୍ରଥମ ଉପଲବ୍ଧି ମିଳିଛି ମେଲେରିଆ ବିରୋଧରେ ଲଢ଼େଇରେ । ମେଲେରିଆ ରୋଗ ଚାରି ହଜାର ବର୍ଷ ଧରି ମଣିଷ ପାଇଁ ଏକ ବଡ଼ ସମସ୍ୟା ହୋଇ ରହିଆସିଛି । ସ୍ୱାଧୀନତା ସମୟରେ ବି ଏହା ସବୁଠୁ ବଡ଼ ସମସ୍ୟା ମଧ୍ୟରୁ ଥିଲା ଅନ୍ୟତମ । ମାସକରୁ ପାଞ୍ଚ ବର୍ଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଶିଶୁଙ୍କର ଜୀବନ ନେଉଥିବା ସମସ୍ତ ସଂକ୍ରାମକ ରୋଗ ମଧ୍ୟରେ ମେଲେରିଆର ସ୍ଥାନ ତୃତୀୟ । ଆଜି ମୁଁ ସନ୍ତୋଷର ସହ କହିପାରିବି ଯେ ଦେଶବାସୀ ମିଳିମିଶି ଏହି ସମସ୍ୟାର ଦୃଢ଼ ମୁକାବିଲା କରିଛନ୍ତି । ବିଶ୍ୱ ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ସଙ୍ଗଠନ - WHOର ରିପୋର୍ଟ କହେ ଯେ ଭାରତରେ ୨୦୧୫ରୁ ୨୦୨୩ ମଧ୍ୟରେ ମେଲେରିଆ ଏବଂ ଏହାଦ୍ୱାରା ହୋଇଥିବା ମୃତ୍ୟୁ ଶତକଡ଼ା ୮୦ ଭାଗ କମିଯାଇଛି । ଏହା କୌଣସି ଛୋଟ ଉପଲବଧି ନୁହେଁ । ସବୁଠାରୁ ବଡ଼କଥା ହେଲା ଏହି ସଫଳତା ଜନସାଧାରଣଙ୍କ ସହଯୋଗ ଯୋଗୁଁ ମିଳିଛି । ଭାରତର କୋଣ ଅନୁକୋଣରୁ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଜିଲ୍ଲାରୁ କେହି ନା କେହି ଏହି ଅଭିଯାନରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିଛନ୍ତି । ଏହି ଚାରିବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ଆସାମର ଜୋରହଟ୍ ଜିଲ୍ଲାର ଚା’ବଗିଚାମାନଙ୍କରେ ମେଲେରିଆ ଲୋକମାନଙ୍କର ଦୁଃଶ୍ଚିନ୍ତାର ଏକ ବଡ଼ କାରଣ ହୋଇଥିଲା । କିନ୍ତୁ ଏବେ ଏହାର ମୂଳୋତ୍ପାଟନ ପାଇଁ ଚା’ବଗିଚାରେ ରହୁଥିବା ଲୋକମାନେ ଏକଜୁଟ୍ ହେଲେ, ଫଳରେ ଏଥିରେ ବହୁ ପରିମାଣରେ ସଫଳତା ମିଳିବାକୁ ଲାଗିଲା । ତାଙ୍କର ଏହି ପ୍ରୟାସରେ ସେମାନେ ଟେକ୍ନୋଲୋଜି ସହିତ ସାମାଜିକ ଗଣମାଧ୍ୟମର ମଧ୍ୟ ବହୁଳ ବ୍ୟବହାର କଲେ । ସେହିପରି ହରିଆନାର କୁରୁକ୍ଷେତ୍ର ଜିଲ୍ଲା ମେଲେରିଆ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ ଦିଗରେ ଏକ ଆଦର୍ଶ ପ୍ରଦର୍ଶନ କଲା । ଏଠାରେ ମେଲେରିଆର ମନିଟରିଂ ପାଇଁ ଜନଭାଗିଦାରୀ ଅତ୍ୟନ୍ତ ସଫଳ ହେଲା । ପଥପ୍ରାନ୍ତ ନାଟକ ତଥା ରେଡ଼ିଓ ମାଧ୍ୟମରେ ଏହିଭଳି ସନ୍ଦେଶ ଉପରେ ଜୋର୍ ଦିଆଗଲା । ଯାହା ଫଳରେ ମଶାମାନଙ୍କର ପ୍ରଜନନ କମ୍ କରିବାରେ ଖୁବ୍ ସହାୟତା ମିଳିଲା । ସାରା ଦେଶରେ ଏହିଭଳି ପ୍ରୟାସ କରିବା ଦ୍ୱାରା ଆମେ ମେଲେରିଆ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଲଢ଼େଇକୁ ତୀବ୍ର କରିପାରିଛୁ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ନିଜର ସଚେତନତା ଏବଂ ସଂକଳ୍ପଶକ୍ତି ଦ୍ୱାରା ଆମେ କ’ଣ କ’ଣ ହାସଲ କରିପାରିବା ତା’ର ଦ୍ୱିତୀୟ ଉଦାହରଣ ହେଲା କ୍ୟାନସର ସହିତ ଲଢ଼େଇ । ଦୁନିଆର ପ୍ରସିଦ୍ଧ ମେଡ଼ିକାଲ ପତ୍ରିକା ‘LANCET’ର ଅଧ୍ୟୟନ ବାସ୍ତବରେ ଆମ ଭିତରେ ବହୁତ ଆଶା ଜାଗ୍ରତ କରେ । ଏହି ପତ୍ରିକା ଅନୁସାରେ ଏବେ ଭାରତରେ ଠିକ୍ ସମୟରେ କ୍ୟାନସରର ଚିକିତ୍ସାର ସମ୍ଭାବନା ଖୁବ୍ ବଢ଼ିଯାଇଛି । ଠିକ୍ ସମୟରେ ଚିକିତ୍ସାର ଅର୍ଥ କ୍ୟାନସର ରୋଗୀର ଚିକିତ୍ସା ୩୦ ଦିନ ଭିତରେ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଯିବା ଦରକାର । ଏ ଦିଗରେ ‘ଆୟୁଷ୍ମାନ୍ ଭାରତ ଯୋଜନା’ ଅତି ମହତ୍ତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଭୂମିକା ଗ୍ରହଣ କରିଛି । ଏହି ଯୋଜନା ଯୋଗୁଁ ଶତକଡ଼ା ୯୦ ଭାଗ କ୍ୟାନସର ରୋଗୀ ଠିକ୍ ସମୟରେ ନିଜର ଚିକିତ୍ସା ଆରମ୍ଭ କରିପାରିଛନ୍ତି । ଏହା ସମ୍ଭବ ହେବାର କାରଣ ପ୍ରଥମେ ପଇସା ଅଭାବରେ ଗରିବ ରୋଗୀ କ୍ୟାନସରର ପରୀକ୍ଷା ଏବଂ ତା’ର ଚିକିତ୍ସା ପାଇଁ ପଛଘୁଞ୍ଚା ଦେଉଥିଲେ । ଏବେ ଆୟୁଷ୍ମାନ ଭାରତ ଯୋଜନା ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ବଡ଼ ସମ୍ବଳ ହୋଇଛି । ଏବେ ସେମାନେ ନିଜର ଚିକିତ୍ସା ପାଇଁ ଆଗେଇ ଆସୁଛନ୍ତି । ‘ଆୟୁଷ୍ମାନ ଭାରତ ଯୋଜନା’ କ୍ୟାନସର ଚିକିତ୍ସା କ୍ଷେତ୍ରରେ ଥିବା ଆର୍ଥିକ ଅସୁବିଧାକୁ ବହୁ ପରିମାଣରେ କମ୍ କରିପାରିଛି । ଆହୁରି ଭଲ କଥା ହେଲା ଆଜିକାଲି ଲୋକମାନେ ଠିକ ସମୟରେ କ୍ୟାନସର ଚିକିତ୍ସା ପାଇଁ ବେଶ୍ ସଚେତନ । ଏହି ସଫଳତା ପାଇଁ ଆମର ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟସେବା ପ୍ରଣାଳୀ, ଡାକ୍ତର, ନର୍ସ ତଥା ଟେକ୍ନିକାଲ କର୍ମଚାରୀମାନଙ୍କର ଯେତିକି ଭୂମିକା ରହିଛି ମୋ ନାଗରିକ ଭାଇଭଉଣୀମାନଙ୍କର ମଧ୍ୟ ସେତିକି ମହତ୍ତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଭୂମିକା ରହିଛି । ସମସ୍ତଙ୍କ ପ୍ରୟାସ ଦ୍ୱାରା କ୍ୟାନସରକୁ ହରାଇବାର ସଂକଳ୍ପ ଅଧିକ ଦୃଢ଼ ହୋଇଛି । ଯେଉଁମାନେ ସଚେତନତା ସୃଷ୍ଟି କରିବାରେ ବିଶେଷ ଯୋଗଦାନ ଦେଇଛନ୍ତି, ଏହି ସଫଳତାର ଶ୍ରେୟ ସେମାନଙ୍କର । କ୍ୟାନସରକୁ ମୁକାବିଲା କରିବାର ଗୋଟିଏ ମନ୍ତ୍ର ହେଲା Awareness, Action ଏବଂ Assurance । Awareness ଅର୍ଥାତ୍ କ୍ୟାନସର୍ ଲକ୍ଷଣ ପ୍ରତି ସଚେତନତା, Action ଅର୍ଥାତ୍ ଠିକ୍ ସମୟରେ ପରୀକ୍ଷା ଏବଂ ଚିକିତ୍ସା, Assurance ଅର୍ଥାତ୍ ରୋଗୀମାନଙ୍କ ପାଇଁ ସମସ୍ତ ସହାୟତା ଉପଲବ୍ଧ କରାଇବାର ବିଶ୍ୱାସ । ଆସନ୍ତୁ ଆମେ ସମସ୍ତେ ମିଶି କ୍ୟାନସର ବିରୁଦ୍ଧରେ ଏହି ଲଢ଼େଇକୁ ଦ୍ରୁତଗତିରେ ଆଗେଇନେବା ଏବଂ ଅଧିକରୁ ଅଧିକ ରୋଗୀଙ୍କୁ ସାହାଯ୍ୟ କରିବା ।

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣଆଜି ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଓଡ଼ିଶାର କଳାହାଣ୍ଡି ଜିଲ୍ଲାର ଏକ ଏଭଳି ପ୍ରୟାସ ବିଷୟରେ କହିବାକୁ ଚାହୁଁଛିଯାହା କମ୍ ପାଣି ଏବଂ କମ୍ ସଂସାଧନ ସତ୍ତ୍ୱେ ସଫଳତାର ନୂତନ କାହାଣୀ ଲେଖୁଛି  ଏହା ହେଉଛି କଳାହାଣ୍ଡିର ‘ସବଜି କ୍ରାନ୍ତି’ ବା ପରିବା ବିପ୍ଳବ  ସମୟ ଥିଲା ଯେଉଁଠି କୃଷକ ପଳାୟନ କରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଉଥିଲା ଆଜି ସେଇଠି କଳାହାଣ୍ଡିର ଗୋଲମୁଣ୍ଡା ବ୍ଲକ୍ ଏକ ପରିବା ଭଣ୍ଡାରରେ ପରିଣତ ହୋଇଛି   ପରିବର୍ତ୍ତନ କିପରି ଆସିଲା ଏହାର ଆରମ୍ଭ ମାତ୍ର ୧୦ ଜଣ କୃଷକଙ୍କ ଗୋଟିଏ ଛୋଟିଆ ସମୂହ ଦ୍ୱାରା ହୋଇଥିଲା  ସେମାନେ ମିଳିମିଶି ଗୋଟିଏ FPO ବା କିଷାନ୍ ଉତ୍ପାଦକ ସଂଗଠନ ସ୍ଥାପନ କଲେଚାଷରେ ଆଧୁନିକ କୌଶଳ ପ୍ରୟୋଗ କରିବା ଆରମ୍ଭ କଲେ ଏବଂ ଆଜି ସେମାନଙ୍କର ଏହି FPO କୋଟି କୋଟି ଟଙ୍କାର କାରବାର କରୁଛି  ଆଜି ୨୦୦ରୁ ଅଧିକ କୃଷକ ଏହି FPO ସହ ଯୋଡ଼ି ହୋଇଛନ୍ତିଯେଉଁମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ୪୫ ଜଣ ମହିଳା ଚାଷୀ ମଧ୍ୟ ଅଛନ୍ତି  ଏହି ଲୋକମାନେ ମିଶି ୨୦୦ ଏକର ଜମିରେ ବିଲାତି ବାଇଗଣ ଚାଷ କରୁଛନ୍ତି ଏବଂ ୧୫୦ ଏକର ଜମିରେ କଲରା ଉତ୍ପାଦନ କରୁଛନ୍ତି  ଏବେ ଏହି FPOର ବାର୍ଷିକ କାରବାର ରାଶି ଦେଢ଼ କୋଟିରୁ ଅଧିକ ହୋଇଗଲାଣି  ଆଜି କଳାହାଣ୍ଡିର ପରିବା ଖାଲି ଓଡ଼ିଶାରେ ନୁହେଁବରଂ ଅନ୍ୟ ରାଜ୍ୟମାନଙ୍କରେ ମଧ୍ୟ ପହଞ୍ଚୁଛି ଏବଂ ସେଠିକାର କୃଷକମାନେ ଏବେ ଆଳୁ ଏବଂ ପିଆଜ ଚାଷର ନୂତନ ପ୍ରଣାଳୀ ଶିଖୁଛନ୍ତି 

ବନ୍ଧୁଗଣକଳାହାଣ୍ଡିର ଏହି ସଫଳତା ଆମକୁ ଶିଖଉଛି ଯେ ସଂକଳ୍ପଶକ୍ତି ଏବଂ ସାମୂହିକ ପ୍ରଚେଷ୍ଟା ଦ୍ୱାରା  କରାଯାଇ  ପାରେ । ମୁଁ ଆପଣ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ କରୁଛି :-

- ନିଜ ଅଞ୍ଚଳରେ FPO ଗଠନକୁ ଉତ୍ସାହିତ କରନ୍ତୁ ।

- କୃଷକ ଉତ୍ପାଦକ ସଂଗଠନଗୁଡ଼ିକ ସହିତ ଯୋଡ଼ିହୁଅନ୍ତୁ ଏବଂ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ମଜଭୁତ୍ କରନ୍ତୁ ।

ମନେରଖନ୍ତୁ – ଛୋଟିଆ ପ୍ରୟାସରୁ ମଧ୍ୟ ବଡ଼ ପରିବର୍ତ୍ତନ ସମ୍ଭବ ହୁଏ । ଖାଲି ଆମର ଦୃଢ଼ ସଂକଳ୍ପ ଏବଂ ସାମୂହିକ ଭାବନାର ଆବଶ୍ୟକତା ରହିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଆଜିର ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ରେ ଆମେ ଶୁଣିଲେ, କେମିତି ଆମ ଭାରତ ବିବିଧତାରେ ଏକତା ସହ ଆଗକୁ ବଢ଼ୁଛି । ସେ ଖେଳପଡ଼ିଆ ହେଉ ବା ବିଜ୍ଞାନ, ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ହେଉ ଅବା ଶିକ୍ଷା - ପ୍ରତ୍ୟେକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଭାରତ ନୂତନ ଶିଖରକୁ ଛୁଇଁ ଚାଲିଛି । ଆମେମାନେ ଗୋଟିଏ ପରିବାର ଭଳି ମିଳିମିଶି ପ୍ରତ୍ୟେକ ଆହ୍ୱାନର ସାମ୍ନା କଲେ ଏବଂ ସଫଳ ହେଲେ । ୨୦୧୪ରୁ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଥିବା ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ର ୧୧୬ତମ ଅଧ୍ୟାୟରେ ମୁଁ ଦେଖିଛି ଯେ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ ଦେଶର ସାମୂହିକ ଶକ୍ତିର ଗୋଟିଏ ଜୀବନ୍ତ ଦସ୍ତାବିଜ ହୋଇଯାଇଛି । ଆପଣମାନେ ସମସ୍ତେ ଏହି କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମକୁ ଆପଣାର କରିଛନ୍ତି । ପ୍ରତିମାସରେ ଆପଣମାନେ ନିଜର ବିଚାର ଏବଂ ପ୍ରୟାସ ସମ୍ବନ୍ଧରେ ମୋତେ ଜଣାଇଛନ୍ତି । କେତେବେଳେ କେଉଁ Young Innovatorର ଚିନ୍ତାଧାରା ପ୍ରଭାବିତ କରିଛି ତ କେତେବେଳେ କୌଣସି ଝିଅର ସଫଳତା ଆମକୁ ଗୌରବାନ୍ୱିତ କରିଛି । ଏହା ଆପଣ ସମସ୍ତଙ୍କର ସହଭାଗିତା ଯାହା ଦେଶର କୋଣ ଅନୁକୋଣରୁ ସକରାତ୍ମକ ଶକ୍ତିକୁ ଏକାଠି କରିଛି । ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ ଏହି ସକରାତ୍ମକ ଶକ୍ତିର ବିସ୍ତାରର ମଞ୍ଚ ହୋଇପାରିଛି । ଏବେ ୨୦୨୫ ପାଖେଇ ଆସିଲାଣି । ଆସନ୍ତା ବର୍ଷ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ ମାଧ୍ୟମରେ ଆମେ ଆହୁରି ପ୍ରେରଣାଦାୟୀ ପ୍ରୟାସଗୁଡ଼ିକୁ ସାମିଲ୍ କରିବା । ମୋର ବିଶ୍ୱାସ ଯେ ଦେଶବାସୀଙ୍କ ସକାରାତ୍ମକ ଭାବନା ଏବଂ ନୂତନ ଚିନ୍ତାଧାରା ଦ୍ୱାରା ଭାରତ ଏକ ନୂତନ ଶିଖରକୁ ଛୁଇଁପାରିବ । ଆପଣ ନିଜ ଆଖପାଖର ନିଆରା ପ୍ରୟାସ ଗୁଡ଼ିକୁ #Mannkibaatରେ ପଠାନ୍ତୁ । ମୁଁ ଜାଣିଛି ଯେ ଆସନ୍ତା ବର୍ଷର ପ୍ରତ୍ୟେକ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ରେ ଆମ ପାଖରେ ପରସ୍ପରକୁ ଜଣେଇବା ପାଇଁ ବହୁତ କିଛି ଥିବ । ଆପଣମାନଙ୍କୁ ୨୦୨୫ର ବହୁତ ବହୁତ ଶୁଭକାମନା । ସୁସ୍ଥ ରୁହନ୍ତୁ ଖୁସି ରୁହନ୍ତୁ, Fit India Movementରେ ଆପଣ ମଧ୍ୟ ଯୋଗଦିଅନ୍ତୁ ଏବଂ ନିଜକୁ ସୁସ୍ଥ ରଖନ୍ତୁ । ଜୀବନରେ ପ୍ରଗତି କରନ୍ତୁ । ବହୁତ ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ ।