QuoteUjjwala Yojana aims to provide cooking gas connections to five crore below-poverty-line beneficiaries: PM Modi
QuoteThe aim of all workers across the world should be to unite the world: PM Modi
QuoteUnion Government’s primary focus is the welfare of the poor: PM
QuoteFruits of development must reach eastern part of India, for us to gain strength in the fight against poverty: PM
QuotePradhan Mantri Ujjwala Yojana will benefit the poor, especially the women: PM Modi
QuoteSchemes must be made for the welfare of the poor not keeping in mind considerations of the ballot box: PM

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

भृगु बाबा की धरती पर रउवा, सभन के प्रणाम। ‘ई धरती त साक्षात भृगु जी की भूमि रहल’ ब्रह्मा जी भी यही जमीन पर उतर रहल। रामजी यहीं से विश्वामित्र मुनी के साथे गइल। त सुन्दर धरती पर सभी के हाथ जोड़ के फिर से प्रणाम।

भाइयों – बहनों मैं पहले भी बलिया आया हूं। ये बलिया की धरती क्रांतिकारी धरती है। देश को आजादी दिलाने के लिए इसी धरती के मंगल पाण्डे और वहां से लेकर के चितु पाण्डे तक एक ऐसा सिलसिला हर पीढ़ी में, हर समय देश के लिए जीने-मरने वाले लोग इस बलिया की धरती ने दिये। ऐसी धरती को मैं नमन करता हूं। यही धरती है जहां भारत के प्रधानमंत्री श्रीमान चन्द्र शेखर जी का भी नाम जुड़ा हुआ है। यही धरती है, जिसका सीधा नाता बाबू जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ता है। और यही तो धरती है। उत्तर प्रदेश राम मनोहर लोहिया और दीनदयाल उपाध्याय के बिना अधूरा लगता है। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्गज, जिस धरती ने दिये उस धरती को मैं नमन करता हूं। आपके प्यार के लिए सत्, सत् नमन।

आप मुझे जितना प्यार देते हैं, मुझ पर आपका कर्ज चड़ता ही जाता है, चढ़ता ही जाता है, लेकिन मेरे प्यारे भाइयों -बहनों मैं इस कर्ज को इस प्यार वाले कर्ज को ब्याज समेत चुकाने का संकल्प लेकर के काम कर रहा हूं और ब्याज समेत मैं चुकाऊंगा, विकास करके चुकाऊंगा मेरे भाइयों बहनों, विकास कर के चुकाऊंगा।

आज पहली May है, एक मई, पूरा विश्व आज श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। और आज देश का ये ‘मजदूर नम्बर एक’ देश के सभी श्रमिकों को उनके पुरुषार्थ को, उनके परिश्रम को, राष्ट्र को आगे बढ़ाने में उनके अविरथ योगदान को कोटि-कोटि अभिनन्दन करता है। उस महान परम्परा को प्रणाम करता है।

भाइयों–बहनों दुनिया में एक नारा चलता था। जिस नारे में राजनीति की बू स्वाभाविक थी। और वो नारा चल रहा था। दुनिया के मजदूर एक था, दुनिया के मजदूर एक हो जाओ, और वर्ग संघर्ष के लिए मजदूरों को एक करने के आह्वान हुआ करते थे। भाइयों–बहनों जो लोग इस विचार को लेकर के चले थे, आज दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर धीरे-धीरे करके वो अपनी जगह खोते चले जा रहे हैं। 21वीं सदी में दुनिया के मजदूर एक हो जाओ इतनी बात से चलने वाला नहीं है। 21वीं सदी की आवश्यकताएं अलग हैं, 21वीं सदी की स्थितियां अलग है और इसलिये 21वीं सदी का मंत्र एक ही हो सकता है ‘विश्व के मजदूरों विश्व के श्रमिकों आओ हम दुनिया को एक करें दुनिया को जोड़ दें’ ये नारा 21वीं सदी का होना चाहिए।

वो एक वक्त था ‘Labourers of the World, Unite’, आज वक्त है ‘Labourers, Unite the World’ ये बदलाव इस मंत्र के साथ। आज दुनिया को जोड़ने की जरूरत है। और दुनिया को जोड़ने के लिए अगर सबसे बड़ा कोई chemical है, सबसे बड़ा ऊर्जावान कोई cementing force है, तो वो मजदूर का पसीना है। उस पसीने में एक ऐसी ताकत है, जो दुनिया को जोड़ सकता है।

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भाइयों–बहनों जब आप लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को भारी बहुमत से विजयी बनाया। तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। और NDA के सभी घटकों ने मुझे अपने नेता के रूप में चुना, तो उस दिन Parliament के Central Hall में मेरे प्रथम भाषण में मैंने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है। ये सरकार जो भी करेगी वो गरीबों की भलाई के लिये करेगी, गरीबों के कल्याण के लिये करेगी। भाइयों-बहनों हमने मजदूरों के लिए भी श्रम कानूनों में, श्रमिकों की सरकार के साथ संबंधों में, एक आमूलचूल परिवर्तन लाया है। अनेक बदलाव लाए हैं। मेरे प्यारे भाइयों-बहनों आपको जानकर के दुःख होगा, पीड़ा होगी, आश्चर्य भी होगा कि हमारे देश में सरकार से जिनको पैंशन मिलता था, इस देश में तीस लाख से ज्यादा श्रमिक ऐसे थे, जिसको पैंशन किसी को 15 रुपया महीने का, किसी को 100 रुपया, किसी को 50 रुपया इतना पैंशन मिलता था। आप मुझे बताइए कि पैंशन लेने के लिए वो गरीब वृद्ध व्यक्ति दफ्तर जाएगा, तो उसका बस का किराय का खर्चा हो जाएगा, ऑटो रिक्शा का खर्चा हो जाएगा। लेकिन सालों से मेरे देश के बनाने वाले श्रमिकों को 15 रुपया, 20 रुपया, 50 रुपया, 100 रुपया पैंशन मिलता था। हमने आकर के इन तीस लाख से ज्यादा मेरे श्रमिकों परिवारों को minimum 1000 रुपया पैंशन देने का निर्णय कर लिया, लागू कर दिया और उस गरीब परिवार को वो पैंशन मिलने लग गया।

भाइयों-बहनों हमारे यहां कभी कभार गरीबों के लिये योजनाओं की चर्चाएं बहुत होती हैं और उनकी भलाई के लिए काम करने की बातें भी बहुत होती हैं। हमने आने के बाद एक श्रम सुविधा पोर्टल चालू किया, जिसके तहत आठ महत्वपूर्ण श्रम कानूनों को एकत्र कर के उसका सरलीकरण करने का काम कर लिया। पहली बार देश के श्रमिकों को एक Labour Identity Number (LIN) ये नम्बर दिया गया, ताकि हमारे श्रमिक की पहचान बन जाए। इतना ही नहीं हमारे देश के श्रमिकों को पूरे देश में Opportunity प्राप्त हो। इसलिए NCSP इसकी हमने एक National Career Service Portal, इसकी शुरुआत की। ताकि जिसको रोजगार देना है और जिसको रोजगार लेना है दोनों के बीच एक सरलता से तालमेल हो सके।

भाइयों-बहनों बोनस का कानून हमारे देश में सालों से है। बोनस का कानून यह था कि 10 हजार रुपये से अगर कम आवक है और कंपनी बोनस देना चाहती है तो उसी को मिलेगा। आज के जमाने में 10 हजार रुपये की आय कुछ नहीं होती है। और उसके कारण अधिकतम श्रमिकों को बोनस नहीं मिलता था। हमने आकर के निर्णय किया कि minimum income 10 हजार से बढ़ाकर के 21 हजार रुपया कर दी जाए। इतना ही नहीं पहले बोनस सिर्फ साढ़े तीन हजार रुपया मिलता था। हमने निर्णय किया कि ये बोनस minimum सात हजार रुपया मिलेगा और उससे भी ज्यादा उसका पाने का हक़ बनता है तो वो भी उसको मिलेगा।

भाइयों-बहनों कभी हमारा श्रमिक एक जगह से दूसरी जगह पर नौकरी चला जाता था, तो उसके जो पीएफ वगैरह के पैसे कटते थे उसका कोई हिसाब ही नहीं रहता था। वो गरीब मजदूर बेचारा पुरानी जगह पर लेने के लिए वापस नहीं जाता था। सरकार के खजाने में करीब 27 हजार करोड़ रुपया इन मेरे गरीबों के पड़े हुए थे। कोई सरकार उसकी सूंघ लेने को तैयार नहीं था। हमने आकर के सभी मजदूरों को ऐसे कानून में बांध दिया कि मजदूर जहां जाएगा उसके साथ उसके ये Provident Fund के पैसे भी साथ-साथ चले जाएंगे। और उसको जब जरूरत पड़ेगी वो पैसे ले सकता है। आज वो 27 हजार करोड़ रुपयों का मालिक बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था हमने की है।

भाइयों-बहनों हमारे यहां Construction के काम में बहुत बड़ी मात्रा में मजदूर होते हैं। करीब चार करोड़ से ज्यादा मजदूर Construction के काम में हैं, इमारत बनाते हैं, मकान बनाते हैं, लेकिन उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं थी। श्रमिक कानूनों में परिवर्तन करके आज हमने इन Construction के श्रमिकों के लिए उनके आरोग्य के लिए, उनके insurance के लिए, उनके bank account के लिए, इनके पैंशन के लिए एक व्यापक योजना बना कर के हमारे Construction के मजदूरों को भी हमनें उसका फायदा दिया है।

भाइयों–बहनों हमारा उत्तर प्रदेश जिसने अनेक-अनेक प्रधानमंत्री दिये, लेकिन क्या कारण कि हमारी गरीबी बढ़ती ही गई बढ़ती ही गई। गरीबों की संख्या भी बढ़ती गई। हमारी नीतियों में ऐसी क्या कमी थी कि हम गरीबों को गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये तैयार नहीं कर पाए। ऐसा क्या कारण था कि हमने गरीबों को सिर्फ गरीबी के बीच जीना नहीं, लेकिन हमेशा सरकारों के पास हाथ फैलाने के लिए मजबूर कर के छोड़ दिया, उसके जमीर को हमने खत्म कर दिया। गरीबी के खिलाफ लड़ने का उसका हौसला हमने तबाह कर दिया। भाइयों–बहनों अभी धर्मेन्द्र जी बता रहे थे के गाजीपुर के सांसद नेहरू के जमाने में पूरे हिन्दुस्तान को हिला दिया था। जब उन्होंने संसद में कहा कि मेरे पूर्वी उत्तर प्रदेश के भाई-बहन ऐसी गरीबी में जी रहे हैं के उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं होता है। पशु के गोबर को धोते हैं और उस गोबर में से जो दाने निकलते हैं उन दानों से पेट भर के वे अपना गुजारा करते हैं। जब ये बात संसद में कही गई थी, पूरा हिन्दुस्तान हिल गया था और तब एक पटेल कमीशन बैठा था। यहां की स्थिति सुधारने के लिए। कई बातों का सुझाव आज से पचास साल पहले दिया गया था। लेकिन उन सुझाव पर क्या हुआ, वो तो भगवान जाने। लेकिन भाइयों–बहनों उसमें एक सुझाव था। उसमें एक सुझाव था ताड़ी घाट, गाजीपुर, और मऊ इसे रेल से जोड़ा जाए। पचास साल बीत गए, वो बात कागज पर ही रही। मैं भाई मनोज सिन्हा को हृदय से अभिनन्दन करता हूं, यहां के मेरे भारतीय जनता पार्टी के सभी सांसदों का अभिनन्दन करता हूं कि वे पचास साल पहले जिन बातों को भुला दिया गया था उसको लेकर के निकल पड़े, मुझ पर दबाव डालते रहे। बार-बार मिलते रहे, और आज मैं संतोष से कह सकता हूं उस रेल लाइन के लिए बजट आवंटन करने का निर्णय हमने कर लिया और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे। गंगा के ऊपर रेल और रोड का दोनों bridge बनेंगे। ताकि infrastructure होता है, जो विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलता है और उस दिशा में हम का कर रहे हैं।

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भाइयों-बहनों आज मैं बलिया की धरती पर से मेरे देश के उन एक करोड़ परिवारों को सर झुका कर के नमन करना चाहता हूं, उनका अभिनन्दन करना चाहता हूं। करीब एक करोड़ दस लाख से भी ज्यादा ऐसे परिवार हैं, जिनको मैंने कहा था कि अगर आप खर्च कर सकते हो तो रसोई गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। क्या आप पांच-दस हजार रुपया का बोझ नहीं उठा सकते साल का। क्या आप सब्सिडी Voluntarily छोड़ नहीं सकते। मैंने ऐसे ही एक कार्यक्रम में बोल दिया था। मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं था, न योजना बनाई थी, न follow-up करने की व्यवस्था की थी, यूहीं दिल से एक आवाज उठी और मैंने बोल दिया। आज एक साल के भीतर-भीतर मेरे देश के लोग कितने महान हैं। अगर कोई अच्छा काम हो तो सरकार से भी दो कदम आगे जाकर के चलने के लिए तैयार रहते हैं। इसका ये उदहारण है । आज के युग में, हम बस में जाते हों, बगल वाली सीट खाली हो और हमें लगे की चलो बगल में कोई पैसेंजर नहीं है तो जरा ठीक से बैठूंगा। आराम से प्रवास करूंगा। लेकिन अगर कोई पैसेंजर आ गया, बगल में बैठ गया, हम तो हमारी सीट पर बैठे हैं, तो भी थोड़ा मुंह बिगड़ जाता है। मन में होता है ये कहां से आ गया। जैसे मेरी सीट ले ली हो। ऐसा जमाना है। ऐसे समय एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार सिर्फ बातों–बातों में कहने पर प्रधानमंत्री की बात को गले लगा कर के सर आंखों पर चढ़ा के एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवार अपनी सब्सिडी छोड़ दें। इससे बड़ा क्या होगा। मैं आप सब से कहता हूं उन एक करोड़ दस लाख से ज्यादा परिवारों के लिये जोर से तारियां बजाइए। उनका सम्मान कीजिए। उनका गौरव कीजिए। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं मेरे भाइयों – बहनों। ये देश के लिए किया हुआ काम है। ये गरीबों के लिये किया हुआ काम है। इन लोगों का जितना गौरव करें उतना कम है। और हमारे देश में लेने वाले से ज्यादा देने वाले की इज्जत होती है। ये देने वाले लोग हैं। जहां भी बैठे होंगे ये तालियों की गूंज उन तक सुनाई देती होगी और वो गौरव महसूस करते होंगे।

भाइयों – बहनों हमने कहा था गरीबों के लिए जो सब्सिडी छोड़ेगा वो पैसे सरकार की तिजोरी में नहीं जाएगी। वो पैसे गरीबों के घर में जाएंगे। एक साल में ये इतिहासिक रिकॉर्ड है भाइयों 1955 से, रसोई गैस देने का काम चल रहा है। इतने सालों में 13 करोड़ परिवारों को रसोई गैस मिला। सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को करीब साठ साल में, मेरे भाइयों–बहनों हमने एक साल में तीन करोड़ से ज्यादा परिवारों को रसोई का गैस दे दिया। जिन लोगों ने सब्सिडी छोड़ी थी वो गैस सिलंडर गरीब के घर में पहुंच गया।

भाइयों-बहनों हम जानते हैं कि लोग कहते हैं कि मोदी जी बलिया में कार्यक्रम क्यों किया। हमारा देश का एक दुर्भाग्य है, कुछ लोग राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनको 24ओं घंटे राजनीति के सिवा कुछ दिखता ही नहीं है। किसी ने लिख दिया कि बलिया में मोदी जो आज कार्यक्रम कर रहे हैं वो चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। वे चुनाव का बिगुल बजा रहे हैं। अरे मेरे मेहरबानों हम कोई चुनाव का बिगुल बजाने नहीं आए हैं। ये बिगुल तो मतदाता बजाते हैं। हम बिगुल बजाने नहीं आए हैं।

भाइयों –बहनों अभी मैं पिछले हफ्ते झारखंड में एक योजना लागू करने के लिए गया था, झारखंड में कोई चुनाव नहीं है। मैं कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश में एक योजना लागू करने गया था, वहां पर कोई चुनाव नहीं है। मैंने ‘बेटी बचाओ’ अभियान हरियाणा से चालू किया था, वहां कोई चुनाव नहीं है। ये बलिया में ये रसोई गैस का कार्यक्रम इसलिए तय किया कि उत्तर प्रदेश में जो एवरेज हर जिले में जो रसोई गैस है, बलिया में कम से कम है, इसलिये मैं बलिया आया हूं। ये ऐसा इलाका है, जहां अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले 100 में से मुश्किल से आठ परिवारों के घर में रसोई गैस जाता है। और इसलिये भाइयों –बहनों बलिया जहां कम से कम परिवारों में रसोई गैस जाता है, इसलिए मैंने आज बलिया में आकर के देश के सामने इतनी बड़ी योजना लागू करने का निर्णय किया। मैंने हरियाणा में बेटी बचाओ इसलिये कार्यक्रम लिया था, क्योंकि हरियाणा में बालकों की संख्या की तुलना में बेटियों की संख्या बहुत कम थी। बड़ी चिंताजनक स्थिति थी। और इसलिए मैंने वहां जाकर के खड़ा हो गया और उस काम के लिए प्रेरित किया और आज हरियाणा ने बेटी बाचाने के काम में हिन्दुस्तान में नम्बर एक लाकर के खड़ा कर दिया। और इसलिए भाइयों–बहनों मैं इस पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया में इसलिये आया हूं, क्योंकि हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। अगर पूर्वी हिन्दुस्तान पश्चिमी हिन्दुस्तान की बराबरी भी कर ले तो इस देश में गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा, मेरा मानना है। मेरा पूर्वी उत्तर प्रदेश, मेरा बिहार, मेरा पश्चिम बंगाल, मेरा असम, मेरा नॉर्थ ईस्ट, मेरा ओड़िशा, ये ऐसे प्रदेश हैं कि अगर वहां विकास गरीबों के लिए पहुंच जाए, तो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में हम सफल हो जाएंगे भाइयों।

आप मुझे बताइए एक जमाना था, बहुत लोगों को ये रसोई गैस की ताकत क्या है अभी भी समझ नहीं आती। बहुत लोगों को ये रसोई गैस की राजनीति क्या थी ये भी भूल चुके हैं, बहुत लोग ये रसोई गैस कितना मूल्यवान माना जाता था वो भूल गए हैं। मैं आज जरा याद दिलाना चाहता हूं। मैं political पंडितों को याद दिलाना चाहता हूं। दिल्ली में बैठकर के air-conditioned कमरे में बढ़िया-बढ़िया सलाह देने वालों को मैं आज झकझोड़ना चाहता हूं। उनको मैं हिलाना चाहता हूं, मैं उनको समझाना चाहता हूं। वो दिन याद करो, वो दिन याद करो, जब सांसद Parliament का Member बनता था, तो उसको हर साल रसोई गैस की 25 कूपन दी जाती थी और वो अपने इलाके में 25 परिवारों को साल में रसोई गैस दिलवाता था। और वो इतना गर्व करता था कि मैंने मेरे इलाके में 25 परिवारों को एक साल में रसोई गैस का connection दिलवा दिया। ये बहुत दूर की बात नहीं कर रहा हूं। मैं अभी-अभी पिछले सालों की बात करता हूं। और अखबारों में खबरें आती थीं कि सांसद महोदय ने कालेबाजारी में रसोई गैस का टिकट बेच दिया। ऐसे भी लोग थे कि रसोई गैस का connection लेने के लिए दस-दस, 15-15 हजार रुपया वो टिकट खरीदने के लिए black में खर्च करते थे। वो दिन थे और आज ये सरकार देखिए। एक-एक सांसद के क्षेत्र में हिन्दुस्तान के एक-एक Parliament Member के क्षेत्र में किसी के यहां साल में दस हजार गैल सिलंडर पहुंच जाएंगे, किसी के यहां बीस हजार, किसी के यहां पचास हजार और तीन साल के भीतर –भीतर पांच करोड़ गरीब परिवारों में ये रसोई गैस पहुंचाने का मेरा इरादा है। पांच करोड़ परिवारों में, भाइयों–बहनों ये पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाना ये छोटा काम नहीं है। इतना बड़ा काम, इतना बड़ा काम आज मैं गरीब माताओं बहनों के लिए लेकर आया हूं। आपने देखा होगा, मैं इन माताओं को पूछ रहा था कि आपने कभी सोचा था कि आपके घर में कभी रसोई गैस आएगा, उन्होंने कहा नहीं हमने तो सोचा नहीं था कि हमारे बच्चों के नसीब में भी रसोई गैस आएगा, ये हमने सोचा नहीं था। मैंने पूछा रसोई में कितना टाइम जाता है वो कहते लकड़ी लेने जाना पड़ता है, लकड़ी जलाते हैं , बुझ जाती है, कभी आधी रोटी रह जाती है फिर लकड़ी लेने जाते हैं, बड़ी अपनी मुसीबत बता रही थी। भाइयों –बहनों ये रसोई गैस के कारण पांच करोड़ परिवार 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी। 2019 में जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती होगी तब गांव और गरीब के लिए पांच करोड़ गैस रसोई गैस पहुंच चुके होंगे भाइयों, समय सीमा में काम करने का हमने फैसला किया है।

एक गरीब मां जब लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो वैज्ञानिकों का कहना है कि गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है, तो एक दिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है, 400 सिगरेट का। बच्चे घर में होते हैं। और इसलिए उनको भी धुएं में ही गुजारा करना पड़ता है। खाना भी खाते हैं, तो धुआं ही धुआं होता है। आंख से पानी निकलता है और वो खाना खाता है। मैंने तो ये सारे हाल, बचपन में मैं जी चुका हूं। मैं जिस घर में पैदा हुआ, बहुत ही छोटा एक गलियारी जैसा मेरा घर था। कोई खिड़की नहीं थी। आने जाने का सिर्फ एक दरवाजा था। और मां लकड़ी का चूल्हा जला कर के खाना पकाती थी। कभी-कभी तो धुआं इतना होता था कि मां खाना परोस रही हो लेकिन हम मां को देख नहीं पाते थे। ऐसे बचपन में धुएं में खाना खाते थे। और इसलिए मैं उन माताओं की पीड़ा को, उन बच्चों की पीड़ा को, भलीभांति अनुभव कर के आया हूं उस पीड़ा को जी कर के आया हूं और इसलिये मुझे मेरी इन गरीब माताओं को इस कष्टदायक जिन्दगी से मुक्ति दिलानी है। और इसलिए पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस देने का हमने उपक्रम किया है।

भाइयों – बहनों आज लकड़ी के कारण जो खर्चा होता है । इस रसोई गैस से खर्चा भी कम होने वाला है। आज उसकी तबियत की बर्बादी होती है। उसकी तबियत भी ठीक रहेगी। लकड़ी लाना चूल्हा जलाना में time जाता है। उस गरीब मां का time भी बच जाएगा। उसको अगर मजदूरी करनी है सब्जी बेचनी है, तो वो आराम से कर सकती है।

भाइयों –बहनों हमारी कोशिश ये है और इतना ही नहीं ये जो गैस की सब्सिडी दी जाएगी वो भी उन महिलाओं के नाम दी जाएगी, उनका जो प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट है, उसी में सब्सिडी जमा होगी ताकि वो पैसे किसी ओर के हाथ न लग जाए, उस मां के हाथ में ही पैसे लग जाए ये भी व्यवस्था की। ये environment के लिये भी हमारा एक बहुत बड़ा initiative है। और इसलिए मेरे भाइयों- बहनों हजारों करोड़ रुपया का खर्चा सरकार को लगने वाला है। कहां MP की 25 रसोई गैस की टिकट और कहां पांच करोड़ परिवारों में रसोई गैस पहुंचाने का अभियान, ये फर्क होता है सरकार-सरकार में। काम करने वाली सरकार, गरीबों की भला करने वाली सरकार, गरीबों के लिए सामने जाकर के काम करने वाली सरकार कैसे काम करती है इसका ये उत्तम उदहारण आज ये पांच करोड़ परिवारों को रसोई गैस देने का कार्यक्रम है।

भाइयों–बहनों आज, पिछली किसी भी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जितना काम नहीं किया होगा, इतनी धनराशि आज भारत सरकार उत्तर प्रदेश में लगा रही है। क्योंकि हम चाहते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे जो गरीब राज्य हैं वो तेजी से तरक्की करें। और इसलिये हम काम में लगे हैं। गंगा सफाई का अभियान जनता की भागीदारी से सफल होगा। और इसलिये जन भागीदारी के साथ जन-जन संकल्प करें। ये मेरा बलिया तो मां गंगे और सरयू के तट पर है। दोनों की कृपा आप पर बरसी हुई है और हम सब अभी जहां बैठे हैं वो जगह भी एक बार मां गंगा की गोद ही तो है। और इसलिये जब मां गंगा की गोद में बैठ कर के मां गंगा की सफाई का संकल्प हर नागरिक को करना होगा। हम तय करें मैं कभी भी गंगा को गंदी नहीं करूंगा। मेरे से कभी गंगा में कोई गंदगी नहीं जाएगी। एक बार हम तय कर लें कि मैं गंगा को गंदी नहीं करूंगा। ये मेरी मां है। उस मां को गंदा करने का पाप मैं नहीं कर सकता। ये अगर हमने कर लिया, तो दुनिया की कोई ताकत ये मां गंगा को गंदा नहीं कर सकता है।

और इसलिए मेरे भाइयों–बहनों हम गरीब व्यक्ति की जिंदगी बदलना चाहते हैं। उसके जीवन में बदलाव लाने के लिये काम कर रहे हैं। और आज पहली मई जब मजदूरों का दिवस है। गरीबी में जीने वाला व्यक्ति मजदूरी से जूझता रहता है। भाइयों–बहनों गरीबी हटाने के लिए नारे तो बहुत दिये गए, वादे बहुत बताए गए, योजनाएं ढेर सारी आईं लेकिन हर योजना गरीब के घर को ध्यान में रख कर के नहीं बनी, हर योजना मत पेटी को ध्यान में रख कर के बनी। जब तक मत पेटियों को ध्यान में रख कर के गरीबों के लिए योजनाएं बनेगी, कभी भी गरीबी जाने वाली नहीं है। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब को गरीबी से लड़ने की ताकत मिलेगी। गरीबी तब जाएगी, जब गरीब फैसला कर लेगा कि अब मेरे हाथ में साधन है मैं गरीबी को प्रास्त कर के रहूंगा। अब मैं गरीब नहीं रहूंगा, अब मैं गरीबी से बाहर आऊंगा। और इसके लिए उसको शिक्षा मिले, रोजगार मिले, रहने को घर मिले, घर में शौचालय हो, पीने का पानी हो, बिजली हो, ये अगर हम करेंगे, तभी गरीबी से लड़ाई लड़ने के लिए मेरा गरीब ताकतवर हो जाएगा। और इसीलिये मेरे भाइयों-बहनों हम गरीबी के खिलाफ लड़ाइ लड़ने के लिए काम कर रहे हैं।

आजादी के इतने साल हो गये। आजादी के इतने सालों के बाद इस देश में 18 हजार गांव ऐसे जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है, बिजली का तार नहीं पहुंचा है। 18वीं शताब्दि में जैसी जिन्दगी वो गुजारते थे। 21वीं सदी में भी 18 हजार गांव ऐसी ही जिन्दगी जीने के लिए मजबूर हैं। मुझे बताओ मेरे प्यारे भाइयों–बहनों क्या किया किया इन गरीबी के नाम पर राजनीति करने वालों ने । उन 18 हजार गांव को बिजली क्यों नहीं पहुंचाई। मैंने बीड़ा उठाया है। लालकिले से 15 अगस्त को मैंने घोषणा की मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा दूंगा। रोज का हिसाब देता हूं, देशवासियों को और आज हमारे उत्तर प्रदेश में आर हैरान होंगे इतने प्रधानमंत्री हो गये उत्तर प्रदेश में । आज उत्तर प्रदेश मेरा कार्य क्षेत्र है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे स्वीकार किया है। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे आशिर्वाद दिये हैं। मुझे गर्व है, उत्तर प्रदेश ने मुझे अपना बनाया है। और इसलिये उत्तर प्रदेश में इतने प्रधानमंत्री आए भाइयों–बहनों बैठा 1529 गांव ऐसे थे, जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा था। अभी तो ढाई सौ दिन हुए हैं। मेरी योजना को ढाई सौ दिन हुए हैं। भाइयों–बहनों मैंने अब तक मैंने 1326 गांवों में, 1529 में से 1326 गांवों खंभा पहुंच गया, तार पहुंच गया, तार लग गया, बिजली चालू हो गई और लोगों ने बिजली का स्वागत भी कर दिया। और जिन गांवों में बाकी है। वहां भी तेजी से काम चल रहा है। आज औसत उत्तर प्रदेश में हम एक दिन में तीन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जो काम साठ साल तक नहीं हुआ वो हम एक दिन में तीन गांवों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं।

भाइयों–बहनों पूरे देश में आज जो ‘प्रधानमंत्री उज्जवला योजना’ इसका आरम्भ हो रहा है। मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी देश में करीब 25 कोरड़ परिवार है, उसमे से ये पांच करोड़ परिवारों के लिए योजना है। इससे बड़ी कोई योजना नहीं हो सकती। कभी एक योजना पांच करोड़ परिवारों को छूती हो, ऐसी एक योजना नहीं हो सकती। ऐसी योजना आज लागू हो रही है, बलिया की धरती पर हो रही है। राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, उनके आशिर्वाद से हो रही है, चन्द्र शेखर जी, बाबु जयप्रकाश जी ऐसे महापुरषों के आशीर्वाद से प्रारंभ हो रही है। और बलिया की धरती...अब बलिया- ‘बलिया’ बनना चाहिए, इस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार हमारे सासंद महोदय भाई भरत का बड़ा आभार व्यक्त करता हूँ, इतने उमंग के साथ इस कार्यक्रम की उन्होंने अर्जना की। मैं पूरे उत्तर प्रदेश का अभिनन्दन करता हूं। मैं श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान उसकी पूरी टीम का अभिनन्दन करता हूं। ये Petroleum sector कभी गरीबों के लिये माना नहीं गया था, हमने Petroleum sector को गरीबों का बना दिया। ये बहुत बड़ा बदलाव धर्मेन्द्र जी के नेतृत्व में आया है। मैं उनको बहुत–बहुत बधाई देता हूं। मेरी पूरी टीम को बधाई देता हूं। आप सबका बहुत – बहुत अभिनन्दन करता हूं। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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May 13, 2025
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Quote'ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ' କେବଳ ଏକ ସ୍ଲୋଗାନ ନୁହେଁ, ଏହା ପ୍ରତ୍ୟେକ ସୈନିକର ଶପଥ, ଯିଏ ନିଜ ଦେଶର ସମ୍ମାନ ଏବଂ ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପାଇଁ ନିଜ ଜୀବନକୁ ବାଜିରେ ଲଗାନ୍ତି: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଅପରେସନ ସିନ୍ଦୂର ହେଉଛି ଭାରତର ନୀତି, ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଏବଂ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଶକ୍ତିର ତ୍ରିମୂର୍ତ୍ତି: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଯେତେବେଳେ ଆମର ଭଉଣୀ ଏବଂ ଝିଅମାନଙ୍କ ମଥାର ସିନ୍ଦୁର ଲିଭାଇ ଦିଆଗଲା, ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କୁ ସେମାନଙ୍କ ଆଡ୍ଡାରେ ନିପାତ କଲୁ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଆତଙ୍କବାଦର ମାଷ୍ଟରମାଇଣ୍ଡମାନେ ଏବେ ଜାଣିଛନ୍ତି ଯେ ଭାରତକୁ ଆଖି ଦେଖାଇବା ଦ୍ୱାରା ବିନାଶ ବ୍ୟତୀତ ଆଉ କିଛି ହେବ ନାହିଁ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteପାକିସ୍ତାନରେ କେବଳ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆଡ୍ଡା ଏବଂ ବାୟୁସେନା ଧ୍ୱଂସ କରାଯାଇ ନାହିଁ, ବରଂ ସେମାନଙ୍କର ମନ୍ଦ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଏବଂ ଦୁଃସାହସ ମଧ୍ୟ ପରାସ୍ତ ହୋଇଛି: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଭାରତର ଲକ୍ଷ୍ମଣ ରେଖା ଏବେ ସ୍ପଷ୍ଟ, ଯଦି ଆଉ ଏକ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ, ତେବେ ଭାରତ ଜବାବ ଦେବ ଏବଂ ତାହା ଏକ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଜବାବ ହେବ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଅପରେସନ ସିନ୍ଦୂରର ପ୍ରତ୍ୟେକ ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଭାରତର ସଶସ୍ତ୍ର ବାହିନୀର ଶକ୍ତିର ପ୍ରମାଣ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ଆଉ କୌଣସି ଆତଙ୍କବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ
Quoteସେ ଘୋଷଣା କରିଥିଲେ ଯେ ଯେତେବେଳେ ଭାରତର ସେନା ପରମାଣୁ ବ୍ଲାକମେଲର ବିପଦକୁ ଦୂର କରିବେ, ସେତେବେଳେ ସ୍ବର୍ଗ ମର୍ତ୍ତ୍ୟ ପାତାଳରେ ଗୋଟିଏ ଧ୍ବନି ପ୍ରତିଧ୍ୱନିତ ହେବ - 'ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ'

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

 

ଏହି ଜୟଘୋଷର ଶକ୍ତିକୁ ଏବେ ଏବେ ସାରା ଦୁନିଆଁ ଦେଖୁଛି। ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ, ଏହା କେବଳ ଏକ ଘୋଷଣା ନୁହେଁ, ଏହା ଦେଶର ପ୍ରତିଟି ସେଇ ସୈନିକଙ୍କର ଶପଥ ଅଟେ, ଯିଏ ଦେଶମାତୃକାର ସମ୍ମାନ ଓ ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପାଇଁ ଜୀବନକୁ ବାଜି ଲଗାଇ ଥାଏ। ଏହା ଦେଶର ପ୍ରତିଟି ନାଗରିକଙ୍କର ସ୍ୱର, ଯିଏ ଦେଶ ପାଇଁ ବଂଚିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରନ୍ତି, ଯିଏ କିଛି କରିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରନ୍ତି।

 

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ, ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ରରେ ମଧ୍ୟ ଶୁଣାଯାଏ ଏବଂ ଅଭିଯାନରେ ମଧ୍ୟ ଶୁଣାଯାଏ। ଯେତେବେଳେ ଭାରତୀୟ ସେନା ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ ଉଚ୍ଚାରଣ କରନ୍ତି, ସେତେବେଳ, ଶତ୍ରୁଙ୍କର କଲିଜାରେ କମ୍ପନ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ। ଯେତେବେଳେ ଆମର ଡ୍ରୋନ୍ସ, ଶତ୍ରୁଙ୍କ ଦୁର୍ଗର ପ୍ରାଚୀରକୁ ଧ୍ୱଂସ କରେ, ଯେତେବେଳେ ଆମର ମିସାଇଲ୍‌ମାନ କ୍ଷୀପ୍ରଗତିରେ ଲକ୍ଷ୍ୟସ୍ଥଳରେ ପହଁଚିଥାଏ, ସେତେବେଳେ ଶତ୍ରୁକୁ ଶୁଣାଯାଏ ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ! ଯେତେବେଳେ ରାତିର ଅନ୍ଧକାର ମଧ୍ୟରେ ମଧ୍ୟ ଆମେ ସୂର୍ଯ୍ୟଙ୍କ ଉଦୟ କରିଥାଉ ସେତେବେଳେ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ଦେଖାଯାଏ ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ! ଯେତେବେଳେ ଆମର ସେନା ପରମାଣୁ ଧମକର ଜବାବ ଦିଏ, ସେତେବେଳେ ଆକାଶରୁ ପାତାଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଗୋଟିଏ କଥା ଶୁଭିଥାଏ! ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ!

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ବାସ୍ତବରେ, ଆପଣମାନେ ସମସ୍ତେ କୋଟି-କୋଟି ଭାରତୀୟଙ୍କର ଛାତି ପ୍ରଶସ୍ତ କରି ଦେଇଛନ୍ତି, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟଙ୍କ ମଥା ଗର୍ବରେ ଉଚ୍ଚା କରିଦେଇଛନ୍ତି। ଆପଣମାନେ ଇତିହାସ ସୃଷ୍ଟି କରିଛନ୍ତି ଏବଂ ମୁଁ ଆଜି ସକାଳେ ଆପଣମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟକୁ ଆସିଛି, ଆପଣଙ୍କୁ ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ। ଯେତେବେଳେ ବୀରଙ୍କ ପାଦ ଧରଣୀରେ ପଡ଼େ, ସେତେବେଳେ ଧରଣୀ ମା’ ଧନ୍ୟ ହୋଇଯାଏ। ଯେତେବେଳେ ବୀରଙ୍କର ଦର୍ଶନ କରିବାର ସୁଯୋଗ ମିଳେ, ସେତେବେଳେ ଜୀବନ ଧନ୍ୟ ହୋଇଥାଏ। ସେଥିପାଇଁ, ମୁଁ ଆଜି ସକାଳୁ ସକାଳୁ ଆପଣଙ୍କୁ ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ ଏଠାରେ ପହଁଚିଛି। ଆଜିଠାରୁ ବହୁ ଦଶକ ପରେ ମଧ୍ୟ ଯେତେବେଳେ ଭାରତର ଏହି ପରାକ୍ରମର ଚର୍ଚ୍ଚା ହେବ, ସେତେବେଳେ ସର୍ବପ୍ରଥମ ଆପଣ ଏବଂ ଆପଣମାନଙ୍କ ସାଥୀଙ୍କ ଚର୍ଚ୍ଚା ପ୍ରମୁଖ ବିଷୟବସ୍ତୁ ହେବ। ଆପଣମାନେ ବର୍ତ୍ତମାନ ସମୟ ସହିତ ଦେଶର ଆସନ୍ତା ପିଢି ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ନୂତନ ପ୍ରେରଣା ସୃଷ୍ଟି କରିପାରିଛନ୍ତି। ମୁଁ ଏହି ଭୂମିରୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ସବୁ ବାୟୁସେନା, ଜଳସେନା ଏବଂ ସ୍ଥଳସେନାର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଯୋଦ୍ଧାଙ୍କୁ ସାଲ୍ୟୁଟ୍ କରୁଛି। ଆପଣଙ୍କର ପରାକ୍ରମ ପାଇଁ ଆଜି ସାରା ଦେଶର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ଅପରେସନ ସିନ୍ଦୁରର ଗୁଞ୍ଜରଣ ଶୁଣାଯାଉଛି। ଏହି ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପରେ ପ୍ରତିଟି ଭାରତୀୟ ଆପଣଙ୍କ ସହିତ ଛିଡ଼ା ହୋଇଛନ୍ତି, ପ୍ରତିଟି ଭାରତୀୟଙ୍କର ପ୍ରାର୍ଥନା ଆପଣଙ୍କ ସହିତ ରହିଛି। ଆଜି ପ୍ରତିଟି ଦେଶବାସୀ ତାଙ୍କର ସୈନିକ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ପରିବାରଙ୍କ ପ୍ରତି କୃତଜ୍ଞତା ଜ୍ଞାପନ କରୁଛି, ସେମାନଙ୍କର ଋଣୀ ରହିଛି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୁର କୌଣସି ସାଧାରଣ ସେନା ଅଭିଯାନ ନୁହେଁ। ଏହା ଭାରତର ନୀତି, ପ୍ରଣାଳୀ ଏବଂ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଶକ୍ତିର ତ୍ରିବେଣୀ। ଭାରତ ବୁଦ୍ଧଙ୍କର ମଧ୍ୟ ଭୂମି ଏବଂ ଗୁରୁ ଗୋବିନ୍ଦ ସିଂହଙ୍କର ମଧ୍ୟ ଭୂମି। ଗୁରୁ ଗୋବିନ୍ଦ ସିଂହ କହିଥିଲେ- ‘’ସୱା ଲାକ୍ଷ ସେ ଏକ ଲଡ଼ାଓଁ, ଚିଡ଼ିଅନ୍ ତେ ମେଁ ବାଜ ତୁଡାଓଁ, ତବେ ଗୁରୁ ଗୋବିନ୍ଦ ସିଂହ ନାମ କହାଁଉଁ।” ଅଧର୍ମର ନାଶ ଓ ଧର୍ମର ସ୍ଥାପନା ପାଇଁ ଶସ୍ତ୍ର ଉଠେଇବା, ଏହା ଆମର ପରମ୍ପରା। ସେଥିପାଇଁ ଯେତେବେଳେ ଆମର ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅମାନଙ୍କ ସିନ୍ଦୂର ଛଡାଇ ନିଆଗଲା, ସେତେବେଳେ ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କର ଘରେ ପଶି ତାଙ୍କର ଫଣାକୁ ଦଳି ଦେଇଥିଲୁ। ସେମାନେ ଭୀରୁ କାପୁରୁଷ ପରି ଲୁଚି କି ଆସିଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ଭୁଲିଯାଇଥିଲେ, ସେମାନେ ଯାହାକୁ ଆହ୍ୱାନ ଦେଉଛନ୍ତି, ସେମାନେ ଭାରତୀୟ ସେନା ଅଟନ୍ତି ବୋଲି। ଆପଣମାନେ ସେମାନଙ୍କୁ ସାମ୍ନାରୁ ଆକ୍ରମଣ କରି ହତ୍ୟା କରିଛନ୍ତି, ଆପଣମାନେ ଆତଙ୍କର ସମସ୍ତ ବଡ଼ ଆଡ୍‌ଡାଗୁଡିକୁ ମାଟିରେ ମିଶାଇ ଦେଇଛନ୍ତି, ୯ଟି ଆତଙ୍କୀ ଆଡ୍ଡା ଧ୍ୱଂସ ପାଇଛି। ୧୦୦ରୁ ଅଧିକ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ହୋଇଛି, ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ସର୍ଦ୍ଦାରର ଏବେ ଜ୍ଞାନ ଉଦୟ ହୋଇଛି, ଭାରତ ଆଡେ ନଜର ଉଠାଇଲେ ଏହିପରି ଏକମାତ୍ର ପରିଣାମ ହେଉଛି ଧ୍ୱଂସ! ଭାରତରେ ନିର୍ଦ୍ଦୋଷ ଲୋକମାନଙ୍କର ରକ୍ତ ବୁହାଇଲେ ଏକମାତ୍ର ପରିଣାମ ହେବ ବିନାଶ ଓ ମହାବିନାଶ! ଯେଉଁ ପାକିସ୍ତାନୀ ସେନାର ସମର୍ଥନରେ ଏହି ଆତଙ୍କବାଦୀ ବସିଥିଲେ, ଭାରତର ସ୍ଥଳସେନା, ଭାରତର ବାୟୁ ସେନା ଓ ଭାରତର ଜଳସେନା, ସେହି ପାକିସ୍ତାନୀ ସେନାକୁ ଧୂଳିସାତ୍‌ କରିପାରିଛି। ଆପଣ ପାକିସ୍ତାନୀ ସେନାକୁ ମଧ୍ୟ ଜଣେଇ ଦେଇଛନ୍ତି ପାକିସ୍ତାନରେ ଏପରି କୌଣସି ସ୍ଥାନ ନାହିଁ, ଯେଉଁଠାରେ ବସି ଆତଙ୍କବାଦୀମାନେ ଆରାମରେ ନିଃଶ୍ୱାସ ନେଇପାରିବେ। ଆମେ ଘରେ ପଶି ମାରିବୁ ଏବଂ ବଂଚିବାର ଗୋଟିଏ ବି ସୁଯୋଗ ଦେବୁନାହିଁ। ଆମର ଡ୍ରୋନ୍, ଆମର ମିସାଇଲ୍, ବିଷୟରେ ଚିନ୍ତା କରି ପାକିସ୍ତାନକୁ କେତେ ଦିନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ନିଦ୍ରା ଆସିବ ନାହିଁ। ‘କୌଶଳ ଦିଖାୟା ଚାଲୋ ମେଁ ଉଡଗୟା ଭୟାନକ ଭାଲୋ ମେଁ’ । ନିର୍ଭୀକ ଗୟା ବହ ଢାଲୋ ମେଁ ସରପଟ ଦୌଡା କର ବାଲୋ ମେଁ ‘ । ଏହି ଉକ୍ତିଗୁଡିକ ମହାରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କର ଏକ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ଘୋଡା ଚେତକ ଉପରେ ଲିଖିତ। କିନ୍ତୁ ଏହି ଉକ୍ତିଗୁଡିକ ଆଜିର ଆଧୁନିକ ଭାରତୀୟ ଅସ୍ତ୍ରଶସ୍ତ୍ର ସହିତ ମେଳ ଖାଉଛି।

 

ମୋର ବୀର ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍‌ ସିନ୍ଦୂର ମାଧ୍ୟମରେ ଆପଣ ଦେଶର ଆତ୍ମବଳକୁ ବୃଦ୍ଧି କରିଛନ୍ତି, ଦେଶକୁ ଏକତାର ସୂତ୍ରରେ ବାନ୍ଧିଛନ୍ତି, ଏବଂ ଆପଣ ଭାରତର ସୀମାଗୁଡିକୁ ସୁରକ୍ଷିତ କରିଛନ୍ତି, ଭାରତର ସ୍ୱାଭିମାନକୁ ନୂତନ ଉଚ୍ଚତା ଦେଇଛନ୍ତି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆପଣ ସେହି କାମ କରିଛନ୍ତି, ଯାହା ଅଭୂତପୂର୍ବ, ଅକଳ୍ପନୀୟ, ଅଦ୍ଭୁତ। ଆମର ଏୟାରଫୋର୍ସ ପାକିସ୍ତାନରେ ଏତେ ଗଭୀର, ଆତଙ୍କୀ ଆଡ୍ଡାକୁ ଲକ୍ଷ୍ୟଧାର୍ଯ୍ୟ କରିଛି। କେବଳ ୨୦-୨୫ ମିନିଟ ମଧ୍ୟରେ, ସୀମା ପାର ଲକ୍ଷ୍ୟକୁ ଭେଦ କରିଛି। ଏହା ଏକ ଆଧୁନିକ ଜ୍ଞାନ କୌଶଳରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ଏକ ପ୍ରୋଫେସନାଲ୍ ଶକ୍ତି ହିଁ କରିପାରିବ। ଆପଣଙ୍କର ଗତି ଓ ସଠିକତା, ଏହି ସ୍ତରରେ ଥିଲା ଯେ ଯାହା ଫଳରେ ଶତ୍ରୁମାନେ ଆବା-କାବା ହୋଇଗଲେ। ତାଙ୍କୁ ଜଣାପଡିଲା ନାହିଁ କେତେବେଳେ ତାଙ୍କର ଛାତି ଚିରି ହୋଇଗଲା।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆମର ଲକ୍ଷ୍ୟ ଥିଲା ପାକିସ୍ତାନ ମଧ୍ୟରେ ଥିବା ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆଡ୍‌ଡାକୁ ଧ୍ୱଂସ କରବା। ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କୁ ଧ୍ୱଂସ କରିବା। କିନ୍ତୁ ପାକିସ୍ତାନ ତାଙ୍କର ଯାତ୍ରୀବାହୀ ବିମାନକୁ ଆଗରେ ରଖି ଯେଉଁ ଷଡଯନ୍ତ୍ର କରିଥିଲା ମୁଁ କଳ୍ପନା କରିପାରୁଛି ସେହି ସମୟ କେତେ କଠିନ ହୋଇଥିବ। ଯେତେବେଳେ ସିଭିଲିୟନ ଏୟାରକ୍ରାଫ୍ଟ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥିଲା। ମୋତେ ଗର୍ବ ହେଉଛି ଆପଣ ଖୁବ ସାବଧାନ, ଖୁବ ସତର୍କତାର ସହିତ ସିଭିଲିୟନ ଏୟାରକ୍ରାଫ୍ଟକୁ କୌଣସି କ୍ଷତି ନ କରି ଏହାକୁ ଧ୍ୱଂସ କରି ଦେଖାଇଛ। ତାହାର ଉତ୍ତର ତୁମେ ଦେଇଛ। ମୁଁ ଗର୍ବର ସହିତ କହିପାରିବି, ଯେ ତୁମେ ସମସ୍ତେ ନିଜ ନିଜର ସଠିକ୍‌ ଲକ୍ଷ୍ୟ ହାସଲ କରିପାରିଛ। ପାକିସ୍ତାନରେ କେବଳ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆଡ୍ଡା ଧ୍ୱଂସ ପାଇ ନଥିଲା ବରଂ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କ ଖରାପ ଚିନ୍ତାଧାରା ଏବଂ ତାଙ୍କର ଦୁଃସାହସ ଦୁଇଟି ଯାକର ପରାଜୟ ହୋଇଥିଲା।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ ସିନ୍ଦୂର ଅଭିଯାନ ଦ୍ୱାରା ଭୟଭୀତ ଶତ୍ରୁ ଏହି ଏୟାର ବେସ୍ ବ୍ୟତୀତ ଆମର ଆହୁରି ଅନେକ ଏୟାର ବେସ୍ ଉପରେ ଆକ୍ରମଣ କରିବାର ଅନେକ ଥର ଉଦ୍ୟମ କରିଛି। ବାରମ୍ବାର, ସେମାନେ ଆମକୁ ଲକ୍ଷ୍ୟ କରିଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ ପାକିସ୍ତାନର ନୀଚ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସବୁ ଥରକ ନିଷ୍ଫଳ ହୋଇଛି। ପାକିସ୍ତାନର ଡ୍ରୋନ, ତାଙ୍କର ୟୁଏଭି, ତାଙ୍କର ବିମାନ ଏବଂ ତାଙ୍କର ମିସାଇଲ, ଆମର ସଶକ୍ତ ଏୟାର ଡିଫେନ୍ସର ସାମ୍ନାରେ ହାର୍‌ ମାନିଛି। ମୁଁ ଦେଶର ସମସ୍ତ ଏୟାରବେସ୍ ସହିତ ଜଡିତ ନେତୃତ୍ୱକୁ, ଭାରତୀୟ ବାୟୁ ସେନାର ପ୍ରତିଟି ବୀର ବାୟୁ ଯୋଦ୍ଧାଙ୍କୁ ହୃଦୟରୁ ପ୍ରଶଂସା କରୁଛି, ଆପଣମାନେ ପ୍ରକୃତରେ ବହୁତ ଭଲ କାମ କରିଛନ୍ତି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଭାରତର ଲକ୍ଷ୍ମଣ ରେଖା ବର୍ତ୍ତମାନ ସ୍ପଷ୍ଟ ହୋଇଛି। ଏବେ ପୁନର୍ବାର ଯଦି କୌଣସି ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ ତେବେ ଭାରତ ଜବାବ ଦେବ, ନିଶ୍ଚୟ ଜବାବ ଦେବ। ଏହା ସଜିର୍କାଲ ଷ୍ଟ୍ରାଇକ ସମୟରେ ଦେଖିଛୁ, ଏବଂ ବର୍ତ୍ତମାନ ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୂର, ଭାରତଙ୍କ ନ୍ୟୁ ନର୍ମାଲ ଅଟେ। ଆଉ ଯେମିତି ମୁଁ କାଲି କହିଥିଲି, ଭାରତ ଏବେ ତିନି ସୂତ୍ରରେ ହସ୍ତକ୍ଷେପ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେଇଛି। ପ୍ରଥମରେ- ଭାରତ ଉପରେ ଯଦି ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ ତେବେ ଆମେ ଆମ ଉପାୟରେ, ଆମ ସର୍ତ୍ତରେ ଆମ ସମୟରେ ଜବାବ ଦେବୁ। ଦ୍ୱିତୀୟରେ- କୌଣସି ପ୍ରକାରର ନ୍ୟୁକ୍ଲିୟର୍ ବ୍ଲ୍ୟାକମେଲ୍ ଭାରତ ସହିବ ନାହିଁ। ତୃତୀୟରେ- ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କୁ ସମର୍ଥନ କରୁଥିବା ସରକାର ଏବଂ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ସର୍ଦ୍ଦାରକୁ ଭିନ୍ନ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଦେଖିବୁ ନାହିଁ। ବିଶ୍ୱ ମଧ୍ୟ ଭାରତର ଏହି ନୂତନ ରୂପକୁ, ଏହି ନୂତନ ବ୍ୟବସ୍ଥାକୁ ବୁଝି ଆଗକୁ ଅଗ୍ରସର ହେଉଛି।

 

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୂରର ପ୍ରତ୍ୟେକଟି କ୍ଷଣ ଭାରତର ସେନା ସାମର୍ଥ୍ୟର ସାକ୍ଷୀ ଦେଉଛି। ଏହି ସମୟରେ ଆମର ସେନାଙ୍କର ତାଳେମେଳ, ମୁଁ କହିବି ବାସ୍ତବରେ ଉତ୍କୃଷ୍ଟ ଥିଲା। ଆର୍ମୀ ହେଉ, ନେଭୀ ହେଉ କିମ୍ବା ଏୟାର ଫୋର୍ସ, ସମସ୍ତଙ୍କର ତାଲମେଳ ବହୁତ ଜବରଦସ୍ତ ଥିଲା। ନେଭୀ ସମୁଦ୍ରରେ ତାଙ୍କର ପରାକ୍ରମ ଦେଖାଇଥିଲା। ସେନା ସୀମାରେ ତା’ର ସୁଦୃଢତା ଜାହିର କଲା ଏବଂ, ଭାରତୀୟ ବାୟୁ ସେନା ଆକ୍ରମଣ କରିଛି ଏବଂ ରକ୍ଷା ମଧ୍ୟ କରିଛି। ବିଏସ୍‌ଏଫ ଏବଂ ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ଶକ୍ତିଗୁଡିକ ମଧ୍ୟ ଅଦ୍ଭୁତ କ୍ଷମତା ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିଛନ୍ତି। ଇଣ୍ଟିଗ୍ରେଟେଡ୍‌ ଏୟାର ଆଣ୍ଡ ଲ୍ୟାଣ୍ଡ କୋମ୍ବାଟ୍‌ ସିଷ୍ଟମ୍‌ ପ୍ରଶଂସନୀୟ କାମ କରିଛି। ଏହା ହେଉଛି, ଏକତା, ଏହା ଏବେ ଭାରତୀୟ ସେନା ସାମର୍ଥ୍ୟର ଏକ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ପରିଚୟ ସୃଷ୍ଟି କରିଛି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୂରରେ ଜନବଳ ସହ ମେଶିନ ସାମର୍ଥ୍ୟର ତାଳମେଳ ମଧ୍ୟ ଅଦ୍ଭୁତ ଥିଲା। ଭାରତର ପାରମ୍ପରିକ ଏୟାର୍ ଡିଫେନ୍ସ୍ ସିଷ୍ଟମ୍ ହେଉ, ଯାହା ବହୁତ ଲଢେଇ ଦେଖିଛି, କିମ୍ବା ଆକାଶ ପରି ଆମର ମେଡ ଇନ୍ ଇଣ୍ଡିଆ ପ୍ଲାଟଫର୍ମ ହେଉ, ଯାହାକୁ S-400 ଭଳି ଆଧୁନିକ ଓ ସଶକ୍ତ ଡିଫେନ୍ସ୍ ସିଷ୍ଟମ୍ ଅଭୂତପୂର୍ବ ମଜବୁତି ଦେଇଛି। ଏହି ମଜବୁତ ସୁରକ୍ଷା କବଚ ଭାରତର ପରିଚୟ ହୋଇପାରିଛି। ପାକିସ୍ତାନର ଲକ୍ଷେ ଚେଷ୍ଟା ପରେ ମଧ୍ୟ, ଆମର ଏୟାରବେସ୍ ହେଉ କିମ୍ବା ଆମର ଅନ୍ୟ ଡିଫେନ୍ସ୍ ଭିତ୍ତିଭୂମି, ଏହା ଉପରେ ଆଞ୍ଚ ମଧ୍ୟ ଆସିନାହିଁ। ଏହାର ସବୁ ଶ୍ରେୟ ଆପଣମାନଙ୍କୁ ଯାଉଛି, ମୋତେ ଗର୍ବ ଅନୁଭବ ହେଉଛି ଆପଣମାନଙ୍କ ଉପରେ, ସୀମାରେ ନିୟୋଜିତ ଥିବା ପ୍ରତ୍ୟେକ ସୈନିକ, ଏହି ଅପରେସନ୍‌ରେ ଜଡିତ ସମସ୍ତ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ଏହାର ଶ୍ରେୟ ଯାଉଛି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆଜି ଆମ ପାଖରେ ନୂତନ ଏବଂ cutting edge technology ର ଏମିତି ସାମର୍ଥ୍ୟ ଅଛି, ଯାହା ପାକିସ୍ତାନ ମୁକାବିଲା କରିପାରିବ ନାହିଁ। ବିଗତ ଦଶକରେ ଏୟାରଫୋର୍ସ ସହିତ, ଆମର ସମସ୍ତ ସେନାଙ୍କ ପାଖରେ, ବିଶ୍ୱର ଶ୍ରେଷ୍ଠ ବୈଷୟିକ ଜ୍ଞାନକୌଶଳ ପହଞ୍ଚିପାରିଛି। କିନ୍ତୁ ଆମେ ସମସ୍ତେ ଜାଣିଛୁ, ନୂତନ ଟେକ୍ନୋଲୋଜୀ ସହ ଗୁଡ଼ିଏ ସମସ୍ୟା ମଧ୍ୟ ଆସିଥାଏ। ଜଟିଳ ଏବଂ ସଂକୀର୍ଣ୍ଣ ପ୍ରଣାଳୀଗୁଡ଼ିକର ଭାରସାମ୍ୟ ରଖିବା, ସେଗୁଡିକର କାର୍ଯ୍ୟ କ୍ଷମତା ସହିତ ଉପଯୋଗ କରିବା ଏକ ବହୁତ ବଡ଼ କୌଶଳ। ଆପଣମାନେ ଟେକ୍ନୋଲୋଜୀକୁ କୌଶଳ ସହିତ ଯୋଡ଼ି ଦେଖାଇଛନ୍ତି। ଆପଣ ପ୍ରମାଣିତ କରିଛନ୍ତି ଯେ ଆପଣମାନେ ଏହି ଖେଳରେ, ଦୁନିଆରେ ସର୍ବୋତ୍ତମ ଅଟନ୍ତି। ଭାରତର ବାୟୁସେନା ବର୍ତ୍ତମାନ କେବଳ ଅସ୍ତ୍ରଗୁଡ଼ିକରୁ ନୁହେଁ, ତଥ୍ୟ ଏବଂ ଡ୍ରୋନ୍‌ଗୁଡ଼ିକ ମାଧ୍ୟମରେ ମଧ୍ୟ ଶତ୍ରୁ ପକ୍ଷକୁ ହରାଇବାରେ କୁଶଳୀ ହୋଇପାରିଛନ୍ତି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ପାକିସ୍ତାନର ନିବେଦନ ପରେ ଭାରତ କେବଳ ସୈନ୍ୟ କାର୍ଯ୍ୟକାଳାପକୁ ସ୍ଥଗିତ ରଖିଛି। ଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ପୁନର୍ବାର ଆତଙ୍କବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ କରେ କିମ୍ବା ସେନା ଦୁଃସାହସ ଦେଖାଏ, ତେବେ ଆମେ ତାହାର ଉଚିତ ଜବାବ ଦେବୁ। ଏହି ଜବାବ, ଆମର ସର୍ତ୍ତରେ, ଆମର ଢଙ୍ଗରେ ହେବ। ଏହି ନିର୍ଣ୍ଣୟର ମୂଳ ଆଧାର ହେଉଛି, ଏହା ପଛରେ ଲୁଚିଥିବା ବିଶ୍ୱାସ, ଆପଣଙ୍କର ସହନଶୀଳତା, ସାହସ, ଶୌର୍ଯ୍ୟ ଏବଂ ସତର୍କତା। ଆପଣଙ୍କୁ ଏହି ଦୃଢତା, ଏହି ଚେଷ୍ଟା, ଏହି ଉତ୍ସାହକୁ ଏମିତି ଭାବରେ ନିରନ୍ତର ଜାରି ରଖିବାକୁ ହେବ। ଆମକୁ ନିରନ୍ତର ସଜାଗ ରହିବାକୁ ହେବ, ଆମକୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ରହିବାକୁ ହେବ। ଆମେ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ଭୁଲାଇ ଦେବା ନାହିଁ ଯେ ଏହା ହେଉଛି ନୂତନ ଭାରତ। ଏହି ଭାରତ ଶାନ୍ତି ଚାହୁଛି, କିନ୍ତୁ ଯଦି ମାନବତା ବିରୁଦ୍ଧରେ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ, ତେବେ ଏହି ଭାରତ ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ରରେ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ମାଟିରେ ମିଶାଇବାର କ୍ଷମତା ଭଲ ଭାବରେ ଜାଣିଛି। ଏହି ସଂକଳ୍ପ ସହିତ ଆସନ୍ତୁ, ଆଉ ଥରେ କୁହନ୍ତୁ.......

 

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ ! ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବହୁତ-ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ।