उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, और उज्‍बेकिस्‍तान में भारत की महान परम्‍परा, संस्‍कृति और उज्‍बेकिस्‍तान की महान संस्‍कृति और परम्‍परा के बीच आदान-प्रदान करना, एक सेतु बनाना इसका जो अविरल प्रयास चल रहा है उसके साथ जुड़े हुए आप सभी महानुभावों का मुझे आज दर्शन करने का अवसर मिला है।

यहां पर जो सांस्‍कृतिक कार्यक्रम प्रस्‍तुत किया गया है उज्‍बेक की बेटियों ने, और मैं देख रहा था कि उन्‍होंने सिर्फ practice नहीं की है, एक प्रकार से साधना की है और उत्‍तम प्रदर्शन सिर्फ उनके हाथ-पैर नहीं हिल रहे थे उनका मन-मंदिर भी जुड़ रहा था, ऐसा मैं अनुभव कर रहा था।

कल मेरी प्रधानमंत्रीजी और राष्‍ट्रपतिजी के साथ बहुत विस्‍तार से बातचीत हुई है। कल जब हम रात को खाना खा रहे थे, वहां संगीत की योजना की गई थी instrumental तो सारे western थे लेकिन बहुत अच्‍छी प्रयत्‍न करके भारतीय गीतों को प्रस्‍तुत करने का बहुत ही सफल प्रयास किया। मैंने राष्‍ट्रपति जी को बधाई दी और मुझे आश्‍चर्य हुआ कि राष्‍ट्रपति जी को राजधानी के विषय में मालूम था, कौन सा गीत बजाया जाएगा वो पहले से बताते थे, फिर उन्‍होंने मुझे गर्व से कहा - और प्रधानमंत्री जी ने भी कहा - कि हम हमारे यहां सभी गांवों में संगीत स्‍कूल का आग्रह करते हैं। कुछ मात्रा में हमने पिछले पांच साल में संगीत स्‍कूल खोले हैं और आगे भी इन स्‍कूलों को बढ़ाना चाहते हैं और यह भी बताया कि भारतीय संगीत के प्रति सभी की रूचि बहुत बढ़ रही है, और संगीत के माध्‍यम से संस्‍कार करने का हम एक प्रयास कर रहे हैं। अगर युद्ध से मुक्ति चाहिए तो संगीत व्‍यक्ति को कभी भी हिंसा की ओर जाने नहीं देता है। ये बातें कल मुझे राष्‍ट्रपति जी ने सुनकर के बहुत ही आनन्‍द आया।

व्यक्तित्‍व के विकास के लिए अनेक पहलुओं की चर्चा हुई। Personality development में इन बातों को सिखाया जाता है। लेकिन मैं मानता हूं कि Personality के development में भाषा की बहुत बड़ी ताकत है। आपको किसी और देश का व्‍यक्ति मिल जाए, और आपकी भाषा में पहला शब्‍द अगर वह बोल दें तो आप देखेगें बिना कोई पहचान, बिना कोई जानकारी आप एकदम स्‍तब्‍ध हो जाते हैं, खुल जाते हैं - ये ताकत होती है भाषा में। अगर कोई विदेशी व्‍यक्ति हम भारतीयों को मिले तो नमस्‍ते बोल देंगे ऐसा लगता है कि हमें कोई अपना मिल गया।

भाषा को जो बचाता है, भाषा को संभालता है, भाषा का जो संबोधन करता है, वह देश अपने भविष्‍य को तो ताकतवर बनाता ही है, लेकिन वह अपने भव्‍य भाल से उसका essence लगातार लेता रहता है। भाषा ऐसी खिड़की है कि उस भाषा को अगर जानें तो फिर उस भाषा में उपलब्‍ध ज्ञान के सागर में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है, आनन्‍द मिलता है।

हमारे यहां कहते हैं “पानी रे पानी, तेरा रंग कैसा?” पानी को जिसके साथ मिलाओ उसका रंग वैसा ही हो जाता है। भाषा को भी हर पल एक नया संगी-साथी मिल जाता है। भाषा को मित्र बना कर देखिए। भाषा उस हवा के झोंके जैसा होता है जो जिस बगीचे से गुजरे जिन फूलों को स्पर्श करके वो हवा चले, तो हमें उसी की महक आती है।

भाषा जहां-जहां से गुजरती है वहां की महक अपने साथ ले चलती है। जिस युग से गुजरती है, उस युग की महक लेकर जाती है, जिस इलाके से गुजरती है उस इलाके की महक साथ ले जाती है। जिस परपंरा से गुजरती है परंपरा की महक साथ ले जाती है और हर महक एक प्रकार से जीवन के ऐसे बगीचे को सुंगधित कर देती है यह भाषा, जहां पर हर प्रकार की महक हम महसूस करते हैं।

भाषा का आर्थिक स्थिति के साथ सीधा-सीधा नाता है। जिनकी आर्थिक समृद्धि होती है, उनकी भाषा के पंख बड़े तेज उड़ते हैं। दुनिया के सारे लोग उस भाषा को जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं क्‍योंकि आर्थिक व्यापार के लिए सुविधा होती है। आर्थिक अनुष्‍ठान बन जाती है भाषा, और मैं देखता हूं कि आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान की भाषाओं का महत्‍व बढ़ने वाला है क्‍योंकि भारत आर्थिक उन्‍नति पर जैसे-जैसे जाएगा दुनिया उससे जुड़ना चाहेगी।

भाषा अगर एक वस्तु होती, एक इकाई होती - और अगर मानो उसको डीएनए test किया जाता तो मैं यह मानता हूं कि ये सबसे बड़ी चीज हाथ लगती, कि भाषा का हृदय बड़ा विशाल होता है, उसके DNA से पता चलता। क्‍योंकि भाषा सबको अपने में समाहित कर लेती है। उसे कोई बंधन नहीं होता। न रंग का बंधन होता है, न काल का बंधन होता है, न क्षेत्र विशेष का बंधन होता है। इतना विशाल हृदय होता है भाषा का जो हर किसी को अपने में समाहित कर लेता है। Inclusive.

मैं एक बार रशिया के एक इलाके में गया था - अगर मैं “Tea” बोलूं तो उनको समझ में नहीं आता था, “चाय” बोलूं तो समझ आता था। “Door” बोलूं तो समझ नहीं आता था, “द्वार” बोलूं तो समझ आता था। इतने सारे... जैसे हमारे यहां तरबूज बोलते है, watermelon. वो भी तरबूज बोलते हैं। यानी की किस प्रकार से भाषा अपने आप में सबको समाविष्ट कर लेती है। आपके यहां भी अगर कोई “दुतार” बजाता है, तो हमारे यहाँ “सितार” बजाता है। आपके यहां कोई “तम्‍बूर” बजाता है, तो हमारे यहां “तानपूरा” बजाता है, आपके यहां कोई “नगारे” बजाता है तो हमारे यहां “नगाड़े” बजाता है। इतनी समानता है इसका कारण है कि भाषा का हृदय विशाल है, वो हर चीज को अपने में समाहित कर लेती है।

आप कितने ही बड़े विद्वान हो, कितने ही बड़े भाषा शास्त्री हों, लेकिन ईश्‍वर हमसे एक कदम आगे है। हम हर भाषा का post-mortem कर सकते हैं। उसकी रचना कैसी होती है, ग्रामर कैसा होता है, कौन-सा शब्‍द क्‍यों ऐसा दिखता है - सब कर सकते है। लेकिन मानव की मूल संपदा को प्रकट करने वाली दो चीजें हैं, जो ईश्‍वर ने दी है। दुनिया की किसी भी भूभाग, किसी भी रंग के व्‍यक्ति, किसी भी युग के व्‍यक्ति में, दो भाषाओं में समानता है। एक है “रोना”, दूसरा है “हँसना” - हर किसी की रोने की एक भाषा है, और हंसने की भी एक ही भाषा है। कोई फर्क नहीं है और अभी तक कोई पंडित उनका व्‍याकरण नहीं खोल पाया है।

आज के युग में दो राष्‍ट्रों के संबंध सिर्फ सरकारी व्‍यवस्‍थाओं के तहत सीमित नहीं है। दो राष्‍ट्रों के संबंधों की मजबूती के आधार people-to-people contact होता है। और people-to-people contact का आधार सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान, एक-दूसरे की परम्‍पराओं को, इतिहास को, संस्‍कृति को जानना, जीना ये बहुत बड़ी ताकत होता है। आपका ये प्रयास भारत और उज्‍बेकिस्‍तान के साथ people-to-people contact बढ़ाने का एक बहुत बड़ा platform है, बहुत बड़ा प्रयास है। ये संबंध बड़े गहरे होते है और बड़े लम्‍बे अरसे तक रहते है। सरकारें बदलें व्‍यवस्‍थाएं बदलें, नेता बदले लेकिन ये नाता कभी बदलता नहीं है। जो नाता आप जोड़ रहे है, आपके प्रयासों से इसको मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं।

Central Asia की पाँचों देशों की एक साथ यात्रा करने का सौभाग्‍य शायद ही... एक साथ यात्रा करने का सौभाग्‍य बहुत कम लोगों को मिलता होगा। मुझे वो सौभाग्‍य मिला है और Central Asia की करीब 5 देशों की यात्रा, पहली उज्‍बेकिस्‍तान की यात्रा से प्रारम्‍भ हुआ। ये मेरा सार्वजनिक रूप से इस यात्रा का अंतिम कार्यक्रम है। मैं बड़े संतोष और गर्व के साथ कहता हूं कि यह यात्रा बहुत ही सफल रही है। लंबे अर्से तक सुफल देने वाली यात्रा रही है, और आने वाले दिनों में भारत और उज्‍बेकिस्‍तान के आर्थिक-सामूहिक संबंध और गहरे होते जाएंगे, जो दोनों देशों को ताकत देंगे, इस region को ताकत देंगे, और इस region के साथ भारत मिल करके मानवजात के कल्‍याण के लिए सामान्‍य मानव के उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए उत्‍तम से उत्‍तम काम करते रहेंगे। इस विश्‍वास के साथ मैं फिर एक बार उजबेक्सितान के राष्‍ट्रपति जी का, प्रधानमंत्री जी का, यहां की जनता-जनार्दन का और इस समारोह में इतना उत्‍तम कार्यक्रम बनाने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं और जो शब्दकोष का निर्माण हुआ है वो शब्‍दकोष आने वाले दिनों में नई पीढि़यों को काम आएगा।

आज technology का युग है। Internet के द्वारा online हम language सीख सकते है। हम सुन करके भी language सीख करते है, audio से भी सीख सकते है। एक प्रकार से आज अपनी हथेली में विश्‍व को जानने, समझने, पहचानने का आधार बन गया है। मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में हमारे ये जो सारे प्रयास चल रहे है इसमें technology भी जुड़ेगी और technology के माध्‍यम से हम खुद audio system से भी अपनी भाषाओं को कैसे सीखें - Audio हो, Visual हो, written text हो एक साथ सभी चीजें हो गई तो pick up करने में बड़ी सुविधा रहती है। उसकी दिशा में भी आवश्‍यक जो भी मदद भारत को करनी होगी, भारत अवश्‍य मदद करेगा।

फिर एक बार मैं आप सबका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

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ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟଙ୍କ ରକ୍ତ ତାତିଛି  : 'ମନ କୀ ବାତ' ରେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ମୋଦୀ

ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଭିଭାଷଣ

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ଆଦମପୁର ଏୟାର ବେସ୍‌ରେ ବୀର ବାୟୁସେନା ଓ ସୈନିକଙ୍କ ସହିତ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ ବାର୍ତ୍ତାଳାପ
May 13, 2025
Quoteଆମ ଦେଶକୁ ସୁରକ୍ଷା ଦେବାରେ ବାୟୁବୀର ଏବଂ ସୈନିକଙ୍କ ସାହସ ପ୍ରଶଂସନୀୟ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quote'ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ' କେବଳ ଏକ ସ୍ଲୋଗାନ ନୁହେଁ, ଏହା ପ୍ରତ୍ୟେକ ସୈନିକର ଶପଥ, ଯିଏ ନିଜ ଦେଶର ସମ୍ମାନ ଏବଂ ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପାଇଁ ନିଜ ଜୀବନକୁ ବାଜିରେ ଲଗାନ୍ତି: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଅପରେସନ ସିନ୍ଦୂର ହେଉଛି ଭାରତର ନୀତି, ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଏବଂ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଶକ୍ତିର ତ୍ରିମୂର୍ତ୍ତି: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଯେତେବେଳେ ଆମର ଭଉଣୀ ଏବଂ ଝିଅମାନଙ୍କ ମଥାର ସିନ୍ଦୁର ଲିଭାଇ ଦିଆଗଲା, ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କୁ ସେମାନଙ୍କ ଆଡ୍ଡାରେ ନିପାତ କଲୁ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଆତଙ୍କବାଦର ମାଷ୍ଟରମାଇଣ୍ଡମାନେ ଏବେ ଜାଣିଛନ୍ତି ଯେ ଭାରତକୁ ଆଖି ଦେଖାଇବା ଦ୍ୱାରା ବିନାଶ ବ୍ୟତୀତ ଆଉ କିଛି ହେବ ନାହିଁ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteପାକିସ୍ତାନରେ କେବଳ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆଡ୍ଡା ଏବଂ ବାୟୁସେନା ଧ୍ୱଂସ କରାଯାଇ ନାହିଁ, ବରଂ ସେମାନଙ୍କର ମନ୍ଦ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଏବଂ ଦୁଃସାହସ ମଧ୍ୟ ପରାସ୍ତ ହୋଇଛି: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଭାରତର ଲକ୍ଷ୍ମଣ ରେଖା ଏବେ ସ୍ପଷ୍ଟ, ଯଦି ଆଉ ଏକ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ, ତେବେ ଭାରତ ଜବାବ ଦେବ ଏବଂ ତାହା ଏକ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଜବାବ ହେବ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଅପରେସନ ସିନ୍ଦୂରର ପ୍ରତ୍ୟେକ ମୁହୂର୍ତ୍ତ ଭାରତର ସଶସ୍ତ୍ର ବାହିନୀର ଶକ୍ତିର ପ୍ରମାଣ: ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ
Quoteଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ଆଉ କୌଣସି ଆତଙ୍କବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ
Quoteସେ ଘୋଷଣା କରିଥିଲେ ଯେ ଯେତେବେଳେ ଭାରତର ସେନା ପରମାଣୁ ବ୍ଲାକମେଲର ବିପଦକୁ ଦୂର କରିବେ, ସେତେବେଳେ ସ୍ବର୍ଗ ମର୍ତ୍ତ୍ୟ ପାତାଳରେ ଗୋଟିଏ ଧ୍ବନି ପ୍ରତିଧ୍ୱନିତ ହେବ - 'ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ'

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

 

ଏହି ଜୟଘୋଷର ଶକ୍ତିକୁ ଏବେ ଏବେ ସାରା ଦୁନିଆଁ ଦେଖୁଛି। ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ, ଏହା କେବଳ ଏକ ଘୋଷଣା ନୁହେଁ, ଏହା ଦେଶର ପ୍ରତିଟି ସେଇ ସୈନିକଙ୍କର ଶପଥ ଅଟେ, ଯିଏ ଦେଶମାତୃକାର ସମ୍ମାନ ଓ ମର୍ଯ୍ୟାଦା ପାଇଁ ଜୀବନକୁ ବାଜି ଲଗାଇ ଥାଏ। ଏହା ଦେଶର ପ୍ରତିଟି ନାଗରିକଙ୍କର ସ୍ୱର, ଯିଏ ଦେଶ ପାଇଁ ବଂଚିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରନ୍ତି, ଯିଏ କିଛି କରିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରନ୍ତି।

 

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ, ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ରରେ ମଧ୍ୟ ଶୁଣାଯାଏ ଏବଂ ଅଭିଯାନରେ ମଧ୍ୟ ଶୁଣାଯାଏ। ଯେତେବେଳେ ଭାରତୀୟ ସେନା ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ ଉଚ୍ଚାରଣ କରନ୍ତି, ସେତେବେଳ, ଶତ୍ରୁଙ୍କର କଲିଜାରେ କମ୍ପନ ସୃଷ୍ଟି ହୁଏ। ଯେତେବେଳେ ଆମର ଡ୍ରୋନ୍ସ, ଶତ୍ରୁଙ୍କ ଦୁର୍ଗର ପ୍ରାଚୀରକୁ ଧ୍ୱଂସ କରେ, ଯେତେବେଳେ ଆମର ମିସାଇଲ୍‌ମାନ କ୍ଷୀପ୍ରଗତିରେ ଲକ୍ଷ୍ୟସ୍ଥଳରେ ପହଁଚିଥାଏ, ସେତେବେଳେ ଶତ୍ରୁକୁ ଶୁଣାଯାଏ ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ! ଯେତେବେଳେ ରାତିର ଅନ୍ଧକାର ମଧ୍ୟରେ ମଧ୍ୟ ଆମେ ସୂର୍ଯ୍ୟଙ୍କ ଉଦୟ କରିଥାଉ ସେତେବେଳେ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ଦେଖାଯାଏ ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ! ଯେତେବେଳେ ଆମର ସେନା ପରମାଣୁ ଧମକର ଜବାବ ଦିଏ, ସେତେବେଳେ ଆକାଶରୁ ପାତାଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଗୋଟିଏ କଥା ଶୁଭିଥାଏ! ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ!

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ବାସ୍ତବରେ, ଆପଣମାନେ ସମସ୍ତେ କୋଟି-କୋଟି ଭାରତୀୟଙ୍କର ଛାତି ପ୍ରଶସ୍ତ କରି ଦେଇଛନ୍ତି, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟଙ୍କ ମଥା ଗର୍ବରେ ଉଚ୍ଚା କରିଦେଇଛନ୍ତି। ଆପଣମାନେ ଇତିହାସ ସୃଷ୍ଟି କରିଛନ୍ତି ଏବଂ ମୁଁ ଆଜି ସକାଳେ ଆପଣମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟକୁ ଆସିଛି, ଆପଣଙ୍କୁ ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ। ଯେତେବେଳେ ବୀରଙ୍କ ପାଦ ଧରଣୀରେ ପଡ଼େ, ସେତେବେଳେ ଧରଣୀ ମା’ ଧନ୍ୟ ହୋଇଯାଏ। ଯେତେବେଳେ ବୀରଙ୍କର ଦର୍ଶନ କରିବାର ସୁଯୋଗ ମିଳେ, ସେତେବେଳେ ଜୀବନ ଧନ୍ୟ ହୋଇଥାଏ। ସେଥିପାଇଁ, ମୁଁ ଆଜି ସକାଳୁ ସକାଳୁ ଆପଣଙ୍କୁ ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ ଏଠାରେ ପହଁଚିଛି। ଆଜିଠାରୁ ବହୁ ଦଶକ ପରେ ମଧ୍ୟ ଯେତେବେଳେ ଭାରତର ଏହି ପରାକ୍ରମର ଚର୍ଚ୍ଚା ହେବ, ସେତେବେଳେ ସର୍ବପ୍ରଥମ ଆପଣ ଏବଂ ଆପଣମାନଙ୍କ ସାଥୀଙ୍କ ଚର୍ଚ୍ଚା ପ୍ରମୁଖ ବିଷୟବସ୍ତୁ ହେବ। ଆପଣମାନେ ବର୍ତ୍ତମାନ ସମୟ ସହିତ ଦେଶର ଆସନ୍ତା ପିଢି ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ନୂତନ ପ୍ରେରଣା ସୃଷ୍ଟି କରିପାରିଛନ୍ତି। ମୁଁ ଏହି ଭୂମିରୁ ବର୍ତ୍ତମାନ ସବୁ ବାୟୁସେନା, ଜଳସେନା ଏବଂ ସ୍ଥଳସେନାର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଯୋଦ୍ଧାଙ୍କୁ ସାଲ୍ୟୁଟ୍ କରୁଛି। ଆପଣଙ୍କର ପରାକ୍ରମ ପାଇଁ ଆଜି ସାରା ଦେଶର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ଅପରେସନ ସିନ୍ଦୁରର ଗୁଞ୍ଜରଣ ଶୁଣାଯାଉଛି। ଏହି ସମସ୍ତ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପରେ ପ୍ରତିଟି ଭାରତୀୟ ଆପଣଙ୍କ ସହିତ ଛିଡ଼ା ହୋଇଛନ୍ତି, ପ୍ରତିଟି ଭାରତୀୟଙ୍କର ପ୍ରାର୍ଥନା ଆପଣଙ୍କ ସହିତ ରହିଛି। ଆଜି ପ୍ରତିଟି ଦେଶବାସୀ ତାଙ୍କର ସୈନିକ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ପରିବାରଙ୍କ ପ୍ରତି କୃତଜ୍ଞତା ଜ୍ଞାପନ କରୁଛି, ସେମାନଙ୍କର ଋଣୀ ରହିଛି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୁର କୌଣସି ସାଧାରଣ ସେନା ଅଭିଯାନ ନୁହେଁ। ଏହା ଭାରତର ନୀତି, ପ୍ରଣାଳୀ ଏବଂ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଶକ୍ତିର ତ୍ରିବେଣୀ। ଭାରତ ବୁଦ୍ଧଙ୍କର ମଧ୍ୟ ଭୂମି ଏବଂ ଗୁରୁ ଗୋବିନ୍ଦ ସିଂହଙ୍କର ମଧ୍ୟ ଭୂମି। ଗୁରୁ ଗୋବିନ୍ଦ ସିଂହ କହିଥିଲେ- ‘’ସୱା ଲାକ୍ଷ ସେ ଏକ ଲଡ଼ାଓଁ, ଚିଡ଼ିଅନ୍ ତେ ମେଁ ବାଜ ତୁଡାଓଁ, ତବେ ଗୁରୁ ଗୋବିନ୍ଦ ସିଂହ ନାମ କହାଁଉଁ।” ଅଧର୍ମର ନାଶ ଓ ଧର୍ମର ସ୍ଥାପନା ପାଇଁ ଶସ୍ତ୍ର ଉଠେଇବା, ଏହା ଆମର ପରମ୍ପରା। ସେଥିପାଇଁ ଯେତେବେଳେ ଆମର ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅମାନଙ୍କ ସିନ୍ଦୂର ଛଡାଇ ନିଆଗଲା, ସେତେବେଳେ ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କର ଘରେ ପଶି ତାଙ୍କର ଫଣାକୁ ଦଳି ଦେଇଥିଲୁ। ସେମାନେ ଭୀରୁ କାପୁରୁଷ ପରି ଲୁଚି କି ଆସିଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ଭୁଲିଯାଇଥିଲେ, ସେମାନେ ଯାହାକୁ ଆହ୍ୱାନ ଦେଉଛନ୍ତି, ସେମାନେ ଭାରତୀୟ ସେନା ଅଟନ୍ତି ବୋଲି। ଆପଣମାନେ ସେମାନଙ୍କୁ ସାମ୍ନାରୁ ଆକ୍ରମଣ କରି ହତ୍ୟା କରିଛନ୍ତି, ଆପଣମାନେ ଆତଙ୍କର ସମସ୍ତ ବଡ଼ ଆଡ୍‌ଡାଗୁଡିକୁ ମାଟିରେ ମିଶାଇ ଦେଇଛନ୍ତି, ୯ଟି ଆତଙ୍କୀ ଆଡ୍ଡା ଧ୍ୱଂସ ପାଇଛି। ୧୦୦ରୁ ଅଧିକ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ହୋଇଛି, ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ସର୍ଦ୍ଦାରର ଏବେ ଜ୍ଞାନ ଉଦୟ ହୋଇଛି, ଭାରତ ଆଡେ ନଜର ଉଠାଇଲେ ଏହିପରି ଏକମାତ୍ର ପରିଣାମ ହେଉଛି ଧ୍ୱଂସ! ଭାରତରେ ନିର୍ଦ୍ଦୋଷ ଲୋକମାନଙ୍କର ରକ୍ତ ବୁହାଇଲେ ଏକମାତ୍ର ପରିଣାମ ହେବ ବିନାଶ ଓ ମହାବିନାଶ! ଯେଉଁ ପାକିସ୍ତାନୀ ସେନାର ସମର୍ଥନରେ ଏହି ଆତଙ୍କବାଦୀ ବସିଥିଲେ, ଭାରତର ସ୍ଥଳସେନା, ଭାରତର ବାୟୁ ସେନା ଓ ଭାରତର ଜଳସେନା, ସେହି ପାକିସ୍ତାନୀ ସେନାକୁ ଧୂଳିସାତ୍‌ କରିପାରିଛି। ଆପଣ ପାକିସ୍ତାନୀ ସେନାକୁ ମଧ୍ୟ ଜଣେଇ ଦେଇଛନ୍ତି ପାକିସ୍ତାନରେ ଏପରି କୌଣସି ସ୍ଥାନ ନାହିଁ, ଯେଉଁଠାରେ ବସି ଆତଙ୍କବାଦୀମାନେ ଆରାମରେ ନିଃଶ୍ୱାସ ନେଇପାରିବେ। ଆମେ ଘରେ ପଶି ମାରିବୁ ଏବଂ ବଂଚିବାର ଗୋଟିଏ ବି ସୁଯୋଗ ଦେବୁନାହିଁ। ଆମର ଡ୍ରୋନ୍, ଆମର ମିସାଇଲ୍, ବିଷୟରେ ଚିନ୍ତା କରି ପାକିସ୍ତାନକୁ କେତେ ଦିନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ନିଦ୍ରା ଆସିବ ନାହିଁ। ‘କୌଶଳ ଦିଖାୟା ଚାଲୋ ମେଁ ଉଡଗୟା ଭୟାନକ ଭାଲୋ ମେଁ’ । ନିର୍ଭୀକ ଗୟା ବହ ଢାଲୋ ମେଁ ସରପଟ ଦୌଡା କର ବାଲୋ ମେଁ ‘ । ଏହି ଉକ୍ତିଗୁଡିକ ମହାରାଣା ପ୍ରତାପଙ୍କର ଏକ ପ୍ରସିଦ୍ଧ ଘୋଡା ଚେତକ ଉପରେ ଲିଖିତ। କିନ୍ତୁ ଏହି ଉକ୍ତିଗୁଡିକ ଆଜିର ଆଧୁନିକ ଭାରତୀୟ ଅସ୍ତ୍ରଶସ୍ତ୍ର ସହିତ ମେଳ ଖାଉଛି।

 

ମୋର ବୀର ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍‌ ସିନ୍ଦୂର ମାଧ୍ୟମରେ ଆପଣ ଦେଶର ଆତ୍ମବଳକୁ ବୃଦ୍ଧି କରିଛନ୍ତି, ଦେଶକୁ ଏକତାର ସୂତ୍ରରେ ବାନ୍ଧିଛନ୍ତି, ଏବଂ ଆପଣ ଭାରତର ସୀମାଗୁଡିକୁ ସୁରକ୍ଷିତ କରିଛନ୍ତି, ଭାରତର ସ୍ୱାଭିମାନକୁ ନୂତନ ଉଚ୍ଚତା ଦେଇଛନ୍ତି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆପଣ ସେହି କାମ କରିଛନ୍ତି, ଯାହା ଅଭୂତପୂର୍ବ, ଅକଳ୍ପନୀୟ, ଅଦ୍ଭୁତ। ଆମର ଏୟାରଫୋର୍ସ ପାକିସ୍ତାନରେ ଏତେ ଗଭୀର, ଆତଙ୍କୀ ଆଡ୍ଡାକୁ ଲକ୍ଷ୍ୟଧାର୍ଯ୍ୟ କରିଛି। କେବଳ ୨୦-୨୫ ମିନିଟ ମଧ୍ୟରେ, ସୀମା ପାର ଲକ୍ଷ୍ୟକୁ ଭେଦ କରିଛି। ଏହା ଏକ ଆଧୁନିକ ଜ୍ଞାନ କୌଶଳରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ଏକ ପ୍ରୋଫେସନାଲ୍ ଶକ୍ତି ହିଁ କରିପାରିବ। ଆପଣଙ୍କର ଗତି ଓ ସଠିକତା, ଏହି ସ୍ତରରେ ଥିଲା ଯେ ଯାହା ଫଳରେ ଶତ୍ରୁମାନେ ଆବା-କାବା ହୋଇଗଲେ। ତାଙ୍କୁ ଜଣାପଡିଲା ନାହିଁ କେତେବେଳେ ତାଙ୍କର ଛାତି ଚିରି ହୋଇଗଲା।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆମର ଲକ୍ଷ୍ୟ ଥିଲା ପାକିସ୍ତାନ ମଧ୍ୟରେ ଥିବା ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆଡ୍‌ଡାକୁ ଧ୍ୱଂସ କରବା। ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କୁ ଧ୍ୱଂସ କରିବା। କିନ୍ତୁ ପାକିସ୍ତାନ ତାଙ୍କର ଯାତ୍ରୀବାହୀ ବିମାନକୁ ଆଗରେ ରଖି ଯେଉଁ ଷଡଯନ୍ତ୍ର କରିଥିଲା ମୁଁ କଳ୍ପନା କରିପାରୁଛି ସେହି ସମୟ କେତେ କଠିନ ହୋଇଥିବ। ଯେତେବେଳେ ସିଭିଲିୟନ ଏୟାରକ୍ରାଫ୍ଟ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥିଲା। ମୋତେ ଗର୍ବ ହେଉଛି ଆପଣ ଖୁବ ସାବଧାନ, ଖୁବ ସତର୍କତାର ସହିତ ସିଭିଲିୟନ ଏୟାରକ୍ରାଫ୍ଟକୁ କୌଣସି କ୍ଷତି ନ କରି ଏହାକୁ ଧ୍ୱଂସ କରି ଦେଖାଇଛ। ତାହାର ଉତ୍ତର ତୁମେ ଦେଇଛ। ମୁଁ ଗର୍ବର ସହିତ କହିପାରିବି, ଯେ ତୁମେ ସମସ୍ତେ ନିଜ ନିଜର ସଠିକ୍‌ ଲକ୍ଷ୍ୟ ହାସଲ କରିପାରିଛ। ପାକିସ୍ତାନରେ କେବଳ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆଡ୍ଡା ଧ୍ୱଂସ ପାଇ ନଥିଲା ବରଂ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କ ଖରାପ ଚିନ୍ତାଧାରା ଏବଂ ତାଙ୍କର ଦୁଃସାହସ ଦୁଇଟି ଯାକର ପରାଜୟ ହୋଇଥିଲା।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ ସିନ୍ଦୂର ଅଭିଯାନ ଦ୍ୱାରା ଭୟଭୀତ ଶତ୍ରୁ ଏହି ଏୟାର ବେସ୍ ବ୍ୟତୀତ ଆମର ଆହୁରି ଅନେକ ଏୟାର ବେସ୍ ଉପରେ ଆକ୍ରମଣ କରିବାର ଅନେକ ଥର ଉଦ୍ୟମ କରିଛି। ବାରମ୍ବାର, ସେମାନେ ଆମକୁ ଲକ୍ଷ୍ୟ କରିଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ ପାକିସ୍ତାନର ନୀଚ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ସବୁ ଥରକ ନିଷ୍ଫଳ ହୋଇଛି। ପାକିସ୍ତାନର ଡ୍ରୋନ, ତାଙ୍କର ୟୁଏଭି, ତାଙ୍କର ବିମାନ ଏବଂ ତାଙ୍କର ମିସାଇଲ, ଆମର ସଶକ୍ତ ଏୟାର ଡିଫେନ୍ସର ସାମ୍ନାରେ ହାର୍‌ ମାନିଛି। ମୁଁ ଦେଶର ସମସ୍ତ ଏୟାରବେସ୍ ସହିତ ଜଡିତ ନେତୃତ୍ୱକୁ, ଭାରତୀୟ ବାୟୁ ସେନାର ପ୍ରତିଟି ବୀର ବାୟୁ ଯୋଦ୍ଧାଙ୍କୁ ହୃଦୟରୁ ପ୍ରଶଂସା କରୁଛି, ଆପଣମାନେ ପ୍ରକୃତରେ ବହୁତ ଭଲ କାମ କରିଛନ୍ତି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଭାରତର ଲକ୍ଷ୍ମଣ ରେଖା ବର୍ତ୍ତମାନ ସ୍ପଷ୍ଟ ହୋଇଛି। ଏବେ ପୁନର୍ବାର ଯଦି କୌଣସି ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ ତେବେ ଭାରତ ଜବାବ ଦେବ, ନିଶ୍ଚୟ ଜବାବ ଦେବ। ଏହା ସଜିର୍କାଲ ଷ୍ଟ୍ରାଇକ ସମୟରେ ଦେଖିଛୁ, ଏବଂ ବର୍ତ୍ତମାନ ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୂର, ଭାରତଙ୍କ ନ୍ୟୁ ନର୍ମାଲ ଅଟେ। ଆଉ ଯେମିତି ମୁଁ କାଲି କହିଥିଲି, ଭାରତ ଏବେ ତିନି ସୂତ୍ରରେ ହସ୍ତକ୍ଷେପ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେଇଛି। ପ୍ରଥମରେ- ଭାରତ ଉପରେ ଯଦି ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ ତେବେ ଆମେ ଆମ ଉପାୟରେ, ଆମ ସର୍ତ୍ତରେ ଆମ ସମୟରେ ଜବାବ ଦେବୁ। ଦ୍ୱିତୀୟରେ- କୌଣସି ପ୍ରକାରର ନ୍ୟୁକ୍ଲିୟର୍ ବ୍ଲ୍ୟାକମେଲ୍ ଭାରତ ସହିବ ନାହିଁ। ତୃତୀୟରେ- ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କୁ ସମର୍ଥନ କରୁଥିବା ସରକାର ଏବଂ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ସର୍ଦ୍ଦାରକୁ ଭିନ୍ନ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଦେଖିବୁ ନାହିଁ। ବିଶ୍ୱ ମଧ୍ୟ ଭାରତର ଏହି ନୂତନ ରୂପକୁ, ଏହି ନୂତନ ବ୍ୟବସ୍ଥାକୁ ବୁଝି ଆଗକୁ ଅଗ୍ରସର ହେଉଛି।

 

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୂରର ପ୍ରତ୍ୟେକଟି କ୍ଷଣ ଭାରତର ସେନା ସାମର୍ଥ୍ୟର ସାକ୍ଷୀ ଦେଉଛି। ଏହି ସମୟରେ ଆମର ସେନାଙ୍କର ତାଳେମେଳ, ମୁଁ କହିବି ବାସ୍ତବରେ ଉତ୍କୃଷ୍ଟ ଥିଲା। ଆର୍ମୀ ହେଉ, ନେଭୀ ହେଉ କିମ୍ବା ଏୟାର ଫୋର୍ସ, ସମସ୍ତଙ୍କର ତାଲମେଳ ବହୁତ ଜବରଦସ୍ତ ଥିଲା। ନେଭୀ ସମୁଦ୍ରରେ ତାଙ୍କର ପରାକ୍ରମ ଦେଖାଇଥିଲା। ସେନା ସୀମାରେ ତା’ର ସୁଦୃଢତା ଜାହିର କଲା ଏବଂ, ଭାରତୀୟ ବାୟୁ ସେନା ଆକ୍ରମଣ କରିଛି ଏବଂ ରକ୍ଷା ମଧ୍ୟ କରିଛି। ବିଏସ୍‌ଏଫ ଏବଂ ଅନ୍ୟାନ୍ୟ ଶକ୍ତିଗୁଡିକ ମଧ୍ୟ ଅଦ୍ଭୁତ କ୍ଷମତା ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିଛନ୍ତି। ଇଣ୍ଟିଗ୍ରେଟେଡ୍‌ ଏୟାର ଆଣ୍ଡ ଲ୍ୟାଣ୍ଡ କୋମ୍ବାଟ୍‌ ସିଷ୍ଟମ୍‌ ପ୍ରଶଂସନୀୟ କାମ କରିଛି। ଏହା ହେଉଛି, ଏକତା, ଏହା ଏବେ ଭାରତୀୟ ସେନା ସାମର୍ଥ୍ୟର ଏକ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ପରିଚୟ ସୃଷ୍ଟି କରିଛି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୂରରେ ଜନବଳ ସହ ମେଶିନ ସାମର୍ଥ୍ୟର ତାଳମେଳ ମଧ୍ୟ ଅଦ୍ଭୁତ ଥିଲା। ଭାରତର ପାରମ୍ପରିକ ଏୟାର୍ ଡିଫେନ୍ସ୍ ସିଷ୍ଟମ୍ ହେଉ, ଯାହା ବହୁତ ଲଢେଇ ଦେଖିଛି, କିମ୍ବା ଆକାଶ ପରି ଆମର ମେଡ ଇନ୍ ଇଣ୍ଡିଆ ପ୍ଲାଟଫର୍ମ ହେଉ, ଯାହାକୁ S-400 ଭଳି ଆଧୁନିକ ଓ ସଶକ୍ତ ଡିଫେନ୍ସ୍ ସିଷ୍ଟମ୍ ଅଭୂତପୂର୍ବ ମଜବୁତି ଦେଇଛି। ଏହି ମଜବୁତ ସୁରକ୍ଷା କବଚ ଭାରତର ପରିଚୟ ହୋଇପାରିଛି। ପାକିସ୍ତାନର ଲକ୍ଷେ ଚେଷ୍ଟା ପରେ ମଧ୍ୟ, ଆମର ଏୟାରବେସ୍ ହେଉ କିମ୍ବା ଆମର ଅନ୍ୟ ଡିଫେନ୍ସ୍ ଭିତ୍ତିଭୂମି, ଏହା ଉପରେ ଆଞ୍ଚ ମଧ୍ୟ ଆସିନାହିଁ। ଏହାର ସବୁ ଶ୍ରେୟ ଆପଣମାନଙ୍କୁ ଯାଉଛି, ମୋତେ ଗର୍ବ ଅନୁଭବ ହେଉଛି ଆପଣମାନଙ୍କ ଉପରେ, ସୀମାରେ ନିୟୋଜିତ ଥିବା ପ୍ରତ୍ୟେକ ସୈନିକ, ଏହି ଅପରେସନ୍‌ରେ ଜଡିତ ସମସ୍ତ ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ଏହାର ଶ୍ରେୟ ଯାଉଛି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆଜି ଆମ ପାଖରେ ନୂତନ ଏବଂ cutting edge technology ର ଏମିତି ସାମର୍ଥ୍ୟ ଅଛି, ଯାହା ପାକିସ୍ତାନ ମୁକାବିଲା କରିପାରିବ ନାହିଁ। ବିଗତ ଦଶକରେ ଏୟାରଫୋର୍ସ ସହିତ, ଆମର ସମସ୍ତ ସେନାଙ୍କ ପାଖରେ, ବିଶ୍ୱର ଶ୍ରେଷ୍ଠ ବୈଷୟିକ ଜ୍ଞାନକୌଶଳ ପହଞ୍ଚିପାରିଛି। କିନ୍ତୁ ଆମେ ସମସ୍ତେ ଜାଣିଛୁ, ନୂତନ ଟେକ୍ନୋଲୋଜୀ ସହ ଗୁଡ଼ିଏ ସମସ୍ୟା ମଧ୍ୟ ଆସିଥାଏ। ଜଟିଳ ଏବଂ ସଂକୀର୍ଣ୍ଣ ପ୍ରଣାଳୀଗୁଡ଼ିକର ଭାରସାମ୍ୟ ରଖିବା, ସେଗୁଡିକର କାର୍ଯ୍ୟ କ୍ଷମତା ସହିତ ଉପଯୋଗ କରିବା ଏକ ବହୁତ ବଡ଼ କୌଶଳ। ଆପଣମାନେ ଟେକ୍ନୋଲୋଜୀକୁ କୌଶଳ ସହିତ ଯୋଡ଼ି ଦେଖାଇଛନ୍ତି। ଆପଣ ପ୍ରମାଣିତ କରିଛନ୍ତି ଯେ ଆପଣମାନେ ଏହି ଖେଳରେ, ଦୁନିଆରେ ସର୍ବୋତ୍ତମ ଅଟନ୍ତି। ଭାରତର ବାୟୁସେନା ବର୍ତ୍ତମାନ କେବଳ ଅସ୍ତ୍ରଗୁଡ଼ିକରୁ ନୁହେଁ, ତଥ୍ୟ ଏବଂ ଡ୍ରୋନ୍‌ଗୁଡ଼ିକ ମାଧ୍ୟମରେ ମଧ୍ୟ ଶତ୍ରୁ ପକ୍ଷକୁ ହରାଇବାରେ କୁଶଳୀ ହୋଇପାରିଛନ୍ତି।

 

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ପାକିସ୍ତାନର ନିବେଦନ ପରେ ଭାରତ କେବଳ ସୈନ୍ୟ କାର୍ଯ୍ୟକାଳାପକୁ ସ୍ଥଗିତ ରଖିଛି। ଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ପୁନର୍ବାର ଆତଙ୍କବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ କରେ କିମ୍ବା ସେନା ଦୁଃସାହସ ଦେଖାଏ, ତେବେ ଆମେ ତାହାର ଉଚିତ ଜବାବ ଦେବୁ। ଏହି ଜବାବ, ଆମର ସର୍ତ୍ତରେ, ଆମର ଢଙ୍ଗରେ ହେବ। ଏହି ନିର୍ଣ୍ଣୟର ମୂଳ ଆଧାର ହେଉଛି, ଏହା ପଛରେ ଲୁଚିଥିବା ବିଶ୍ୱାସ, ଆପଣଙ୍କର ସହନଶୀଳତା, ସାହସ, ଶୌର୍ଯ୍ୟ ଏବଂ ସତର୍କତା। ଆପଣଙ୍କୁ ଏହି ଦୃଢତା, ଏହି ଚେଷ୍ଟା, ଏହି ଉତ୍ସାହକୁ ଏମିତି ଭାବରେ ନିରନ୍ତର ଜାରି ରଖିବାକୁ ହେବ। ଆମକୁ ନିରନ୍ତର ସଜାଗ ରହିବାକୁ ହେବ, ଆମକୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ରହିବାକୁ ହେବ। ଆମେ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ଭୁଲାଇ ଦେବା ନାହିଁ ଯେ ଏହା ହେଉଛି ନୂତନ ଭାରତ। ଏହି ଭାରତ ଶାନ୍ତି ଚାହୁଛି, କିନ୍ତୁ ଯଦି ମାନବତା ବିରୁଦ୍ଧରେ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ, ତେବେ ଏହି ଭାରତ ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ରରେ ଶତ୍ରୁଙ୍କୁ ମାଟିରେ ମିଶାଇବାର କ୍ଷମତା ଭଲ ଭାବରେ ଜାଣିଛି। ଏହି ସଂକଳ୍ପ ସହିତ ଆସନ୍ତୁ, ଆଉ ଥରେ କୁହନ୍ତୁ.......

 

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ ! ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ !

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍। ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବନ୍ଦେ ମାତରମ୍।

ବହୁତ-ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ।