India gave the message of good governance, non violence & Satyagraha: PM

Published By : Admin | April 29, 2017 | 13:13 IST
QuoteIndia’s history is not only about defeat, poverty or colonialism: PM
QuoteIndia gave the message of good governance, non-violence and Satyagraha: PM
QuoteMuslim community shouldn’t look at “triple talag” issue through a political lens: PM
QuoteFruits of development such as housing, electricity and roads should reach one and all, without distinction: PM

आप सभी को भगवान बसेश्वर की जयंती पर अनेक अनेक शुभ कामनाएं। बासवा समिति भी अपने 50 वर्ष पूरे कर एक उत्तम कार्य के द्वारा भगवान बसेश्वर के वचनों का प्रसार करने में एक अहम भूमिका निभाई है। मैं हृदय से उनका अभिनन्दन करता हूं।

मैं हमारे पूर्व उपराष्ट्रपति श्रीमान जती साहब को भी इस समय आदर पूर्वक स्मरण करना चाहूंगा। उन्होंने इस पवित्र कार्य को आरंभ किया आगे बढ़ाया। मैं आज विशेष रूप से इसके मुख्य संपादक रहे और आज हमारे बीच नहीं हैं। ऐसे कलबुर्गी जी को भी नमन करता हूं। जिन्होंने इस कार्य के लिये अपने आपको खपा दिया था। आज वो जहां होंगे उनको सबसे ज्यादा संतोष होता होगा। जिस काम को उन्होंने किया था। वो आज पूर्णता पर पहुंच चुका है। हम सब लोग राजनीति से आए दलदल में डूबे हुए लोग हैं। कुर्सी के इर्द-गिर्द हमारी दुनिया चलती है। और अक्सर हमनें देखा है कि जब कोई राजनेता जब कोई रापुरुष उनका स्वर्गवास होता है बिदाई लेता है, तो बड़ी गंभीर चेहरे के साथ उनके परिवारजन जनता जनार्दन के सामने कहते हैं कि मैं अपने पिताजी के अधूरे काम पूरा करूंगा। अब आप भी जानते हैं मैं भी जानता हूं जब राजनेता का बेटा कहता है कि उनके अधूरा काम पूरा करूंगा मतलब क्या करूंगा। राजनीतिक दल के लोग भी जानते हैं कि इसने जब कह दिया कि अधूरा काम पूरा करूंगा, तो इसका मतलब क्या होता है। लेकिन मैं अरविंद जी को बधाई देता हूं की सच्चे अर्थ में ऐस काम कैसे पूरे किये जाते हैं। इस देश के उपराष्ट्रपति पद पर गौर्वपूर्ण जिसने जीवन बिताया, देश जिनको याद करता है। उनका बेटा पिता के अधूरे काम पूरा करने का मतलब होता है। भगवान बसवाराज की बात को जन जन तक पहुंचाना। हिन्दुस्तान के कोने कोने तक पहुंचाना। आने वाली पीढ़ियों के पास पहुंचाना। जति साहब स्वयं तो हमारे सामने बहुत आदर्श की बातें रख कर गए हैं। लेकिन भाई अरविंद भी अपने इस उत्तम कार्य के द्वारा खासकर के राजनीतिक परिवारों के लिये। एक उत्तम आदर्श प्रस्तुत किया है। मैं इसके लिये उनका अभिनन्दन करता हूं।

समिति के 50 वर्ष पूरे होने पर इस काम में दो दो पीढ़ी खप गई होगी। अनेक लोगों ने अपना समय दिया होगा। शक्ति लगाई होगी। 50 साल दरमियान जिन जिन लोगों ने जो जो योगदान दिया है। उन सबका भी मैं आज हृदय से अभिनन्दन करना चाहता हूं। उनको बधाई देना चाहता हूं।

मेरे प्यारे भाइयों बहनों भारत का इतिहास सिर्फ हार का इतिहास नहीं है प्राजय का इतिहास नहीं है। सिर्फ गुलामी का इतिहास नहीं है। सिर्फ जुल्म अत्याचार झेलने वालों का इतिहास नहीं है। सिर्फ गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा और सांप और नेवले की लड़ाई का इतिहास नहीं भी नहीं है। समय के साथ अलग अलग कालखंडों में देश में कुछ चुनौतियां आती हैं। कुछ यहीं पैर जमा कर बैठ भी गईं। लेकिन ये समस्याएं ये कमियां ये बुराइयां ये हमारी पहचान नहीं हैं। हमारी पहचान है इन समस्याओं से निपटने का हमारा तरीका हमारा Approach भारत वो देश है, जिसने पूरे विश्व को मनवता का, लोकतंत्र का, Good Governance का, अहिंसा का, सत्याग्रह का संदेश दिया है। अलग अलग समय पर हमारे देश में ऐसी महान आत्माएं अवतरित होती रहीं, जिन्होंने सम्पूर्ण मानवता को, अपने विचारों से अपने जीवन से दिशा दिखाई। जब दुनिया के बड़े बड़े देशों ने पश्चिम के बड़े बड़े जानकारों ने लोकतंत्र को, सबको बराबरी के अधिकार को एक नए नजरिये के तौर पर देखना शुरू किया उससे भी सदियों पहले और कोई भी हिन्दुस्तानी इस बात को गर्व के साथ कह सकता है। उससे भी सदियों पहले भारत ने इन मूल्यों का न सिर्फ आत्मसार किया बल्कि अपनी शासन पद्धति में शामिल भी किया था। 11वीं शताब्दि में भगवान बसेश्वसर ने भी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का सृजन किया। उन्होंने अनुभव मंडप नाम की एक ऐसी व्यवस्था विकसित की जिनमें हर तरह के लोग गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो वहां आकर के सबके सामने अपने विचार रख सकते हैं। ये तो लोकतंत्र कि कितनी बड़ी अद्भुत शक्ति थी। एक तरह से यह देश की पहली संसद थी। यहां हर कोई बराबर के थे। कोई ऊंच नहीं भेदभाव नहीं मेरा तेरा कुछ नहीं। भगवान बसवेश्वर का वचन। वो कहते थे, जब विचारों का आदान प्रदान न हो, जब तर्क के साथ बहस न हो, तब अनुभव गोष्टी भी प्रासंगिक नहीं रह जाती और जहां ऐसा होता है, वहां ईश्वर का वास भी नहीं होता है। यानी उन्होंने विचारों के इस मंथन को ईश्वर की तरह शक्तिशाली और ईश्वर की तरह ही आवश्यक बताया था। इससे बड़े ज्ञान की कल्पना कोई कर सकता है। यानी सैकड़ों साल पहले विचार का सामर्थ ज्ञान का सामर्थ ईश्वर की बराबरी का है। ये कल्पना आज शायद दुनिया के लिये अजूबा है। अनुभव मंडप में अपने विचारों के साथ महिलाओं को खुल कर के बोलने की स्वतंत्रता थी। आज जब ये दुनिया हमें woman empowerment के लिये पाठ पढ़ाती है। भारत को नीचा दिखाने के लिये ऐसी ऐसी कल्पना विश्व में प्रचारित की जाती है। लेकिन ये सैंकड़ों साल पुराना इतिहास हमारे सामने मौजूद है कि भगवान बसवेश्वर ने woman empowerment equal partnership कितनी उत्तम व्यवस्था साकार की सिर्फ कहा नहीं व्यवस्था साकार की। समाज के हर वर्ग से आई महिलाएँ अपने विचार व्यक्त करती थीं। कई महिलाएं ऐसी भी होती थीं जिन्हें सामान्य समाज की बुराइयों के तहत तृस्कृत समझा जाता था। जिनसे अपेक्षा नहीं जाती थी। जो उस समय के तथाकथित सभ्य समाज बीच में आए। कुछ बुराइयां थी हमारे यहां। वैसी महिलाओं को भी आकर के अनुभव मंडप में अपनी बात रखने का पूरा पूरा अधिकार था। महिला सशक्तिकरण को लेकर उस दौर में कितना बड़ा प्रयास था, कितना बड़ा आंदोलन था हम अंदाजा लगा सकते हैं। और हमारे देश की विशेषता रही है। हजारों साल पुराना हमारी परम्परा है, तो बुराइयां आई हैं। नहीं आनी चाहिए। आई, लेकिन उन बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का माददा भी हमारे भीतर ही पैदा हुआ है। जिस समय राजाराम मोहन राय ने विध्वा विवाह की बात रखी होगी। उस समय के समाज ने कितना उनकी आलोचना की होगी। कितनी कठिनाइयां आई होगी। लेकिन वो अड़े रहे। माताओं बहनों के साथ ये घोर अन्याय है। अपराध है समाज का ये जाना चाहिए। कर के दिखाया।

और इसलिये मैं कभी कभी सोचता हूं। तीन तलाक को लेकर के आज इतनी बड़ी बहस चल रही है। मैं भारत की महान परम्परा को देखते हुए। मेरे भीतर एक आशा का संचार हो रहा है। मेरे मन में एक आशा जगती है कि इस देश में समाज के भीतर से ही ताकतवर लोग निकलते हैं। जो कानबाह्य परम्पराओं को तोड़ते हैं। नष्ट करते हैं। आधुनिक व्यवस्थाओं को विकसित करते हैं। मुसलमान समाज में से भी ऐसे प्रबुद्ध लोग पैदा होंगे। आगे आएंगे और मुस्लिम बेटियों को उनके साथ जो गुजर रही है जो बीत रही है। उसके खिलाफ वो खुद लड़ाई लड़ेंगे और कभी न कबी रास्ता निकालेंगे। और हिन्दुस्तान के ही प्रबुद्ध मुसलमान निकलेंगे जो दुनिया के मुसलमानों को रास्ता दिखाने की ताकत रखते हैं। इस धरती की ये ताकत है। और तभी तो उस कालखंड में ऊंच नीच, छूत अछूत चलता होगा। तब भी भगवान बसवेश्वर कहते थे नहीं उस अनुभव मंडप में आकर के उस महिला को भी अपनी बात कहने का हक है। सदियों पहले ये भारत की मिट्टी की ताकत है कि तीन तलाक के संकट से गुजर रहे हमारी माता बहनों को भी बचाने के लिये उसी समाज से लोग आएंगे। और मैं मुसलमान समाज के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि इस मसले को राजनीति के दायरे में मत जाने दीजिये। आप आगे आइये इस समस्या का समाधान कीजिए। और वो समाधान का आनन्द कुछ और होगा आने वाले पीढ़ियां तक उससे ताकत लेगी।

साथियों भगवान बसवेश्वर के वचनों से उनकी सिक्षाओं से बने सात सिद्धांत इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह आज भी इस जगह को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़े हुए है। आस्था किसी के भी प्रति हो किसी की भी हो हर किसी का सम्मान हो। जाती प्रथा, छू अछूत जैसी बुराइयां न हों सबको बराबरी का अधिकार मिले इसका वे पुरजोर समर्थन करते रहते थे। उन्होंने हर मानव में भगवान को देखा था। उन्होंने कहा था। देह वे एकल, अर्थात ये शरीर एक मंदिर है। जिसमें आत्मा ही भगवान है। समाज में ऊंच नीच का भेद भाव खत्म हो। सब का सम्मान हो। तर्क और वैज्ञानिक आधार पर समाज की सोच विकसित की जाए। और ये हर व्यक्ति का सशक्तिकरण हो। ये सिद्धांत किसी भी लोकतंत्र किसी भी समाज के लिये एक मजबूत Foundation की तरह है मजबूत नीव की तरह है। वो कहते हैं ये मत पूछो कि आदमी किस जात मत का है इब या रब ये कहो कि यूं नमव। ये आदमी हमारा है। हम सभी के बीच में से एक है। इसी नीव पर एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण हो रहा है। यही सिद्धांत एक राष्ट्र के लिये नीति निर्देशन का काम करते हैं। हमारे लिये ये बहुत ही गौरव का विषय है की भारत की धरती पर 800 वर्ष पहले इन विचारों को भगवान बसवेश्वर ने जन भावना और जनतंत्र का आधार बनाया था। सभी को साथ लेकर चलने की उनके वचनों ने वही प्रतिध्वनि है जो इस सरकार के सबका साथ सबका विकास का मंत्र है। बिना भेद भाव कोई भेद भाव नहीं बिना भेद भाव इस देस के हर व्यक्ति को अपना घर होना चाहिए। भेदभाव नहीं होना चाहिए। बिना भेद भाव हर किसी को 24 घंटे बिजली मिलनी चाहीए। बिना भेद भाव हर गांव में गांव तक सड़क होना चाहिए। बिना भेद भाव हर किसान को सींचाई को लिये पानी मिलना चाहिए। खाद मिलना चाहिए, फसल का बीमा मिलना चाहिए। यही तो है सबका साथ सबका विकास। सबको सात लेकर और ये देश में बहुत आवश्यक है। सबको सात लेकर के सब के प्रयास से सबके प्रयत्न से सबका विकास किया जा सकता है।

|

आप सबने भारत सरकार की मुद्रा योजना के बारे में सुना होगा। यह योजना देश के नौजवानों को बिना भेदभाव बिना बैंक गारंटी अपने पैरों पर खड़े होने के लिये अपने रोजगार के लिये कर्ज देने के लिये शुरु की गई है। without guaranty, अब तक, अब तक देश के साढ़े तीन करोड़ो लोगों को इस योजना के तहत तीन लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज दिया जा चुका है। आप ये जानकर के हैरान हो जाएंगे कि इस योजना के तहत कर्ज लेने वालों में और आज 800 साल के बाद भगवान बसवेश्वर को खुशी होती होगी कि ये कर्ज लेने वालों में 76% महिलाएं हैं। सच कहूं तो जब ये योजना शुरू की गई थी, तो हम सबको भी ये उम्मीद नहीं थी कि महिलाएं इतनी बड़ी संख्या में आगे आएंगी इससे जुड़ेंगी। और स्वयं entrepreneur बनने की दिशा में काम करेंगी। आज ये योजना महिला सशक्तिकरण में एक बहुत अहम भूमिका निभा रही है। गांव में, गलियों में छोटे छोटे कस्बों में मुद्रा योजना महिला उद्यमियों का एक प्रकार से बड़ा तांता लग रहा है। भाइयों बहनों भगवान बसवेशर का वचन सिर्फ जीवन का ही सत्य नहीं है। ये सुशासन, गवर्नेन्स, राजकर्ताओं के लिये भी ये उतने ही उपयोगी है। वो कहते थे कि ज्ञान के बल से अज्ञान का नाश है। ज्योति के बल से अंधकार का नाश है। सत्य के बल से असत्य का नाश है। पारस के बल से लोहत्व का नाश है। व्यवस्था से असत्य को ही दूर करना है तो सुशासन होता है वही तो गुड गवर्नेन्स है। जब गरीब व्यक्ति को मूल्य वाली सब्सिडी सही हाथों में जाती है, जब गरीब व्यक्ति का राशन उसी के पास पहुंचता है, जब नियुक्तियों में सिफारिशें बंद होती हैं। जब गरीब व्यक्ति को भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्ति के प्रयास किये जाते हैं, तो व्यवस्था में सत्यता का ही मार्ग बढ़ता है और वही तो भगवान बसवेश्वर ने बताया है। जो झूठा ह गलत है, उसे हटाना पारदर्शिता लाना Transparency वही तो good governance है।

भगवान बसवेश्वर कहते थे, मनुष्य जीवन निस्वार्थ कर्म योग से ही प्रकाशित होता है। निस्वार्थ कर्मयोग। शिक्षामंत्री जी। वे मानते थे समाज में निस्वार्थ कर्मयोग जितना बढ़ेगा उतना समाज से भ्रष्ट आचरण भी कम होगा। भ्रष्ट आचरण एक ऐसा दीमक है, जो हमारे लोकतंत्र को हमारी सामाजिक व्यवस्था को भीतर से खोखला कर रहा है। ये मनुष्य से बराबरी का अधिकार छीन लेता है। एक व्यक्ति जो मेहनत करके ईमानदारी से कमा रहा है, जब वो देखता है कि भ्रष्टाचार करके कम मेहनत से दूसरे ने अपने लिये जिन्दगी आसान कर ली है। तो एक पल के लिये एक पल ही क्यों न हो लेकिन वो ठिठक कर सोचता जरूर है शायद वो रास्ता तो सही नहीं है। सच्चाई का मार्ग छोड़ने के लिये कभी कभी मजबूर हो जाता है। गैर बराबरी के इस एहसास को मिटाना हम सभी का कर्तव्य है। और इसलिये अब सरकार की नीतियों को निर्णयों को भली भांति देख सकते हैं कि निस्वार्थ कर्मयोग को ही हमारी यहां प्राथमिकता है और निस्वार्थ पाएंगे। हर पल अनुभव करेंगे। आज बसवाचार्यजी के ये वचन उनके विचारों का प्रवाह कर्नाटक की सीमाओं से बाहर लंदन की Thames नदी तक दिखाई दे रहा है।



मेरा सौभाग्य है कि मुझे लंदन में बसवाचार्य जी की प्रतिमा का अनावर्ण करने का अवसर मिला जिस देश के बारे में कहा जाता था कि इसमें कभी सूर्यास्त नहीं होता। वहां की संसद के सामने लोकतंत्र को संकल्पित करने वाली बसवाचार्यजी की प्रतिमा किसी तीर्थस्थल से कम नहीं है। मुझे आज भी याद है। उस समय कितनी बारिश हो रही था और जब बसवाचार्य जी की प्रतिमा लगाई जा रही थी, तो स्वयं मेघराजा भी अमृत बरसा रहे थे। और ठंड भी थी। लेकिन उसके बाद भी इतने मनोयोग से लोग भगवान बसवेश्वर के बारे में सुन रहे थे उनको कौतुक हो रहा था कि सदियों पहले हमारे देश में लोकतंत्र, woman empowerment, equality इसके विषय में कितनी चर्चा थी। मैं समझता हूं उनके लिये बड़ा अजूबा था। साथियों अब ये हमारी शिक्षा व्यवस्था की खामियां मानिये या फिर अपने ही इतिहास को भुला देने की कमजोरी मानिये। लेकिन आज भी हमारे देश में लाखों करोड़ों युवाओं को इस बारे में पता नहीं होगा कि 800 – 900 साल पहले हजार साल पहले हमारे देश में सामाजिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिये जन जागरती का कैसा दौर चला था। कैसा आंदोलन चला था हिन्दुस्तान के हर कोने में कैसे चला था। समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने के लिये उस काल खंड में 800 हजार साल पहले की बात कर रहा हूं। गुलामी के वो दिन थे। हमारे ऋषियों ने संत आत्माओं ने जन आंदोलन की नीव रखी थी । उन्होंने जन आंदोलन को भक्ति से जोड़ा था। भक्ति ईश्वर के प्रति और भक्ति समाज के प्रति दक्षिण से शूरू होकर भक्ति आंदोलन का विस्तार महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए उत्तर भारत तक हो गया। इस दौरान अलग अलग भाषाओं में अलग वर्गों के लोगों ने समाज में चेतना जगाने का प्रयास किया। इन्होंने समाज के लिये एक आईने की तरह काम किया। जो अच्छाइयां थी जो बुराइयां थी वो न सिर्फ शीशे की तरह लोगों के सामने रखीं बल्कि बुराइयों से भक्ति का रास्ता भी दिखाया। मुक्ति के मार्ग में भक्ति का मार्ग अपनाया। कितने ही नाम हम सुनते हैं। रामानुजा कार्य, मधवाचार्य, निम्बकाचार्य, संत तुका राम, मीरा बाई, नरसिंह मेहता, कबीरा, कबीर दास, संत रैय दास, गुरुनानक देव, चैतन्य महाप्रभु अनेक अनेक महान व्यक्तियों के समागम से। भक्ति आंदोलन मजबूत हुआ। इन्हीं के प्रभाव से देश एक लंबे कालखंड में अपनी चेतना को स्थिर रखता है। अपनी आत्मा को बचा पाया। सारी विपत्तियां गुलामी के कालखंड के बीच में हम अपने आप को बचा पाए थे, बढ़ पाए थे। एक बात और आप ध्यान देंगे, तो आप पाएंगे कि सभी ने बहुत ही सरल सहज भाषा में समाज तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया। भक्ति आंदोलन के दौरान धर्म, दर्शन, साहित्य की ऐसी त्रिवेणी स्थापित हुई जौ आज भी हम सभी को प्रेरणा देती है। उनके दोहे उनके वचन उनकी चौपई उनकी कविताएं, उनके गीत, आज भी हमारे समाज के लिये उतने ही मूल्यवान है। उनका दर्शन उनकी फ्लोशॉफी, किसी भी समय की कसौटी पर पूरी तरह फिट बैठती है। 800 साल पहले बसवेश्वर जी ने जो कहा, आज भी सही लगता है कि नहीं लगता है।

साथियों आज भक्ति आंदोलन के उस भाव को उस दर्शन को पूरे विश्व में प्रचारित किये जाने की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि 23 भाषाओं में भगवान बसवेश्वर के वचनों का कार्य आज पूरा किया गया है। अनुवाद के कार्य में जुटे सभी लोगों का मैं अभिनन्दन करता हूं। आपके प्रयास से भगवान बसवेश्वर के वचन अब घर-घर पहुंचेंगे। आज इस अवसर पर मैं बसवा समिति से भी कुछ आग्रह करूंगा। करुं न, लोकतंत्र में जनता को पूछ कर के करना अच्छा रहता है। एक काम हम कर सकते हैं क्या इन वचनों के आधार पर एक quiz bank बनाई जाए। questions और सारे वचन डिजीटली ऑनलाइन हो और हर वर्ष अलग अलग आयु के लोग इस quiz कॉम्पीटीशन में ऑनलाइन हिस्सा लें। तहसील पर डिस्टिक लेवल पे स्टेट इन्टरस्टेट, इन्टरनेशनल लेवल पर एक कॉम्पीटीशन साल भर चलता रहे। कोशिश करें पचास लाख एक करोड़ लोग आएं। quiz competition में भाग लें। उसके लिये उसको वचनामृत का एक स्टूडेंट की तरह अध्ययन करना पड़ेगा। quiz competition में हिस्सा लेना पड़ेगा। और मैं मानता हूं अरविंद जी, इस काम को आप अवश्य कर सकते हैं। वरना क्या होगा इन चीजों को हम भूल जाएंगे। मैं जिस दिन पार्लियामेंट में मेरी मुलाकात हुई। जैसा उन्होंने कहा कि उन दिनों नोट बंदी को लेकर चर्चा थी। लोग जेब में हाथ लगाकर घूम रहे थे। जो पहले दूसरों के जेब में हाथ डालते थे, उस दिन अपने जेब में हाथ डालकर। और उस समय अरविंदजी ने मुझे बसवाचार्य जी का एक कोटेशन मुझे सुनाया था। इतना परफेक्ट था। अगर वो मुझे 7 तारीख को मिल गया होता तो मेरे आठ तारीख को जो बोला जरूर उसका उल्लेख करता। और फिर कर्नाटक में क्या क्या कुछ बाहर आता आप अंदाजा लगा सकते हैं। और इसलिये मैं चाहूंगा कि इस काम को आगे बढ़ाया जाए। इसे यहां रोका ना जाए। और आज जो नई जनरेशन है जो इनका तो गूगल गुरू है। तो उनके लिये रास्ता सही है उनको, बहुत बड़ी मात्रा में इसको, दूसरा ये भी कर सकते हैं कि इस वचन अमृत और आज के विचार दोनों के सार्थकता के quiz competition हो सकता है। तो लोगों को लगेगा कि विश्व के किसी भी बड़े महापुरुषों के वाक्य के बराबरी से भी ज्यादा शार्पनेश 800-900 पहले हमारी धरती के संतान में थी। हम इस पर सोच सकते हैं। और एक काम मैं यहां सदन में जो लोग हैं वो जो देश दुनिया में जो भी इस कार्यक्रम को देख रहे हैं वो भी। 2022 हमारे देश की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। 75 साल जैसे बीत गए क्या वैसे ही उस वर्ष को भी बिता देना है। एक और साल एक और समारोह ऐसा ही करना है क्या। जी नहीं, आज से ही हम तय करेंगे। 2022 तक कहां पहुंचना है। व्यक्ति हो संस्था हो, परिवार हो, अपना गांव हो, नगर हो, शहर हो, हर किसी का संकल्प होना चाहिए। देश की आजादी के लिये जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी, जेलों में अपनी जिन्दगी बिता दी देश के लिये अर्पित कर दी। उनके सपने अधूरे हैं उन्हें पूरा करना हम सबका दायित्व बनता है अगर सवा सौ करोड़ देश वासी 2022 को देश को यहां ले जाना है मेरे अपने प्रयत्न से ले जाना है। वरना सलाह देने वाले तो बहुत मिलेंगे। हां सरकार को ये करना चाहिए सरकार को ये नहीं करना चाहिए। जी नहीं सवा सौ करोड़ देशवासी क्या करेगा। और तय करे और तय करके चल पड़े कौन कहता है दुनिया में बसवाचार्य जी का सपने वाला जो देश है , दुनिया है वो बनाने में हम कम रह सकते हैं, वो ताकत लेकर के हम साथ चलें। और इसलिये मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं कि आप इस समिति के द्वारा जिन्होंने इन विचारों को लेकर काम बहुत उत्तम किया है आज मुझे उन सभी सरस्वती के पुत्रों से भी मिलने का दर्शन करने का सौभाग्य मिला। जिन्होंने इसको पूर्ण करने में उन्होंने रात दिन खपाई हैं। कनड भाषा सीखी होगी उसमें से किसी ने गुजराती किया होगा, किसी ने सनिया किया होगा, उर्दू किया होगा, उन सबको मुझे आज मिलने का अवसर मिला मैं उन सबका भी हृदय से बहुत बहुत अभिनन्दन करता हूं। इस काम को उन्होंने परिपूर्ण करने के लिये अपना समय दिया, शक्ति दिया, अपना ज्ञान का अर्चन उस काम के लिये किया। मैं फिर एक बार इस पवित्र समारोह में आपके बीच आने का मुझे सौभाग्य मिला। उन महान वचनों को सुनने का अवसर मिला और इस बहाने मुझे इसकी ओर जाने का मौका मिला। मैं भी धन्य हो गया, मुझे मिलने का सौभाग्य मिला मैं फिर आप सबका एक बार धन्यवाद करता हूं बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

Explore More
ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟଙ୍କ ରକ୍ତ ତାତିଛି  : 'ମନ କୀ ବାତ' ରେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ମୋଦୀ

ଲୋକପ୍ରିୟ ଅଭିଭାଷଣ

ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟଙ୍କ ରକ୍ତ ତାତିଛି : 'ମନ କୀ ବାତ' ରେ ପ୍ରଧାନମନ୍ତ୍ରୀ ମୋଦୀ
'Operation Sindoor on, if they fire, we fire': India's big message to Pakistan

Media Coverage

'Operation Sindoor on, if they fire, we fire': India's big message to Pakistan
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM Modi's address to the nation
May 12, 2025
QuoteToday, every terrorist knows the consequences of wiping Sindoor from the foreheads of our sisters and daughters: PM
QuoteOperation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
QuoteTerrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
QuotePakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
QuoteOperation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
QuoteThis is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
QuoteZero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
QuoteAny talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀ,

ନମସ୍କାର

ଆମେ ସମସ୍ତେ ଗତ କିଛିଦିନ ହେବ ଦେଶର ଶକ୍ତି ଏବଂ ସଂଯମ ଉଭୟକୁ ଦେଖିଛୁ। ସର୍ବପ୍ରଥମେ, ମୁଁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟଙ୍କ ତରଫରୁ ଭାରତର ପରାକ୍ରମୀ ସେନାବାହିନୀ, ସଶସ୍ତ୍ର ବଳ, ଆମର ଗୁଇନ୍ଦା ସଂସ୍ଥା, ଆମର ବୈଜ୍ଞାନିକମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଣାମ କରୁଛି। ‘ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୁର’ର ଲକ୍ଷ୍ୟ ହାସଲ କରିବା ପାଇଁ ଆମର ସାହସୀ ସୈନିକମାନେ ଅପାର ବୀରତ୍ୱ ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିଥିଲେ। ମୁଁ ସେମାନଙ୍କର ବୀରତ୍ୱ, ସାହସ ଏବଂ ପରାକ୍ରମକୁ ଆଜି ଆମ ଦେଶର ପ୍ରତ୍ୟେକ ମା’, ଦେଶର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭଉଣୀ ଏବଂ ଦେଶର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଝିଅଙ୍କୁ ସମର୍ପିତ କରୁଛି । ମୁଁ ଏହି ପରାକ୍ରମକୁ ସମର୍ପଣ କରୁଛି ।

ସାଥୀଗଣ,

ଏପ୍ରିଲ ୨୨ ତାରିଖରେ ପହଲଗାମରେ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନେ ଯେଉଁ ବର୍ବରତା ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିଥିଲେ, ତାହା ଦେଶ ତଥା ବିଶ୍ୱକୁ ବ୍ୟଥିତ କରିଦେଇଥିଲା। ଛୁଟି ପାଳନ କରୁଥିବା ନିର୍ଦ୍ଦୋଷ ନାଗରିକମାନଙ୍କୁ, ସେମାନଙ୍କ ପରିବାର ସମ୍ମୁଖରେ, ସେମାନଙ୍କ ପିଲାମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ, ସେମାନଙ୍କ ଧର୍ମ ପଚାରି ନିର୍ମମ ହତ୍ୟା, ଆତଙ୍କବାଦର ଏକ ଅତ୍ୟନ୍ତ ବିଭତ୍ସ ଚେହେରା ଥିଲା, କ୍ରୁରତା ଥଲା। ଏହା ମଧ୍ୟ ଦେଶର ସୌହାର୍ଦ୍ଦ୍ୟକୁ ଭାଙ୍ଗିବାର ଏକ ନିନ୍ଦନୀୟ ପ୍ରୟାସ ଥିଲା। ବ୍ୟକ୍ତିଗତ ଭାବେ ମୋ ପାଇଁ ଏହି ଯନ୍ତ୍ରଣା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଅସହ୍ୟ ଥିଲା। ଏହି ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ପରେ ସମଗ୍ର ଦେଶ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ନାଗରିକ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ସମାଜ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ବର୍ଗ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ରାଜନୈତିକ ଦଳ, ଏକ ସ୍ୱରରେ ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଦୃଢ଼ କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନ ପାଇଁ ଛିଡ଼ା ହୋଇଥିଲେ। ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କୁ ଦମନ କରିବା ପାଇଁ ଆମେ ଭାରତୀୟ ସେନାକୁ ସ୍ୱାଧୀନତା ଦେଇଥିଲୁ। ଆଉ ଆଜି ପ୍ରତ୍ୟେକ ଆତଙ୍କବାଦୀ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଆତଙ୍କୀ ସଙ୍ଗଠନ ଭଲ ଭାବେ ଜାଣିପାରିଛନ୍ତି ଯେ ଆମ ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅମାନଙ୍କ ମଥାରୁ ସିନ୍ଦୁର ପୋଛିବାର ପରିଣାମ କ’ଣ ହୋଇପାରେ।

ସାଥୀଗଣ,

‘ଅପରେସନ୍‌ ସିନ୍ଦୁର’ କେବଳ ଗୋଟିଏ ନାମ ନୁହେଁ, ଏହା ଦେଶର କୋଟି କୋଟି ଲୋକଙ୍କ ଭାବନାର ପ୍ରତିଫଳନ। ‘ଅପରେସନ୍‌ ସିନ୍ଦୁର’ ନ୍ୟାୟର ଅଖଣ୍ଡ ପ୍ରତିଜ୍ଞା ଅଟେ। ୬ ମଇ ବିଳମ୍ବିତ ରାତ୍ରୀରେ, ୭ ମଇ ସକାଳେ ସାରା ଦୁନିଆ ଏହି ପ୍ରତିଜ୍ଞାକୁ ପରିଣାମରେ ବଦଳୁଥିବା ଦେଖିଛି । ଭାରତର ସେନାବାହିନୀ ପାକିସ୍ତାନରେ ଥିବା ଆତଙ୍କୀ ଆଡ୍ଡା ଉପରେ, ସେମାନଙ୍କ ଟ୍ରେନିଂ ସେଣ୍ଟର୍‌ ଉପରେ ସଠିକ୍‌ ପ୍ରହାର କରିଥିଲା। ଆତଙ୍କବାଦୀମାନେ ସ୍ୱପ୍ନରେ ସୁଦ୍ଧା ଭାବିପାରିନଥିଲେ ଯେ ଭାରତ ଏତେ ବଡ଼ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନେଇପାରିବ। କିନ୍ତୁ ଯେତେବେଳେ ଦେଶ ଏକଜୁଟ ହୋଇଥାଏ, ରାଷ୍ଟ୍ର ପ୍ରଥମ ଭାବନାରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥାଏ, ରାଷ୍ଟ୍ର ସର୍ବୋପରି ହୋଇଥାଏ, ସେତେବେଳେ ଦୁଃସାହିକ ନିଷ୍ପତ୍ତି ଗ୍ରହଣ କରାଯାଏ, ପରିଣାମ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ପ୍ରଦର୍ଶିତ କରାଯାଏ।

ଯେତେବେଳେ ପାକିସ୍ତାନରେ ଥିବା ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କ ଆଡ୍ଡା ଉପରେ ଭାରତ କ୍ଷେପଣାସ୍ତ୍ର ମାଡ଼ କଲା, ଭାରତର ଡ୍ରୋନ ମାଡ଼ ହେଲା, ସେତେବେଳେ କେବଳ ଆତଙ୍କବାଦୀ ସଙ୍ଗଠନଗୁଡ଼ିକର ଅଟ୍ଟାଳିକା ନୁହେଁ, ବରଂ ସେମାନଙ୍କର ମନୋବଳ ମଧ୍ୟ ଭାଙ୍ଗି ଚୁରମାର୍‌ ହୋଇଥିଲା। ବାହାବଲପୁର ଏବଂ ମୁରୀଦକେ ଭଳି ଆତଙ୍କବାଦୀ କେନ୍ଦ୍ରଗୁଡ଼ିକ ଏକ ପ୍ରକାରରେ ବିଶ୍ୱ ଆତଙ୍କବାଦର ବିଶ୍ୱବିଦ୍ୟାଳୟ ହୋଇ ରହିଆସିଥିଲା। ବିଶ୍ୱର ଯେକୌଣସି ସ୍ଥାନରେ ବଡ଼ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହେଉ, ତାହା ୯/୧୧ ହେଉ, ଲଣ୍ଡନ ଟ୍ୟୁବ୍ ବୋମା ବିସ୍ଫୋରଣ ହେଉ, କିମ୍ବା ଦଶନ୍ଧି ଦଶନ୍ଧି ଧରି ଭାରତରେ ହୋଇଥିବା ବଡ଼ ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହେଉ, କେଉଁଠି ନା କେଉଁଠି ଏହି ଆତଙ୍କବାଦର ଆଡ୍ଡା ସହିତ ଜଡିତ ହୋଇଛି। ଆତଙ୍କବାଦୀମାନେ ଆମ ଭଉଣୀମାନଙ୍କ ସିନ୍ଦୁରକୁ ଉଜାଡ଼ି ଦେଇଥିଲେ, ତେଣୁ ଭାରତ ଆତଙ୍କବାଦର ଏହି ମୁଖ୍ୟାଳୟଗୁଡ଼ିକୁ ଧ୍ୱଂସ କରିଦେଇଥିଲା। ଭାରତ ଦ୍ୱାରା ହୋଇଥିବା ଏହି ଆକ୍ରମଣରେ ୧୦୦ରୁ ଅଧିକ କୁଖ୍ୟାତ ଆତଙ୍କବାଦୀ ନିହତ ହୋଇଛନ୍ତି। ଗତ ଅଢେଇରୁ ତିନି ଦଶନ୍ଧି ଧରି ପାକିସ୍ତାନରେ ଖୋଲାଖୋଲି ଭାବେ ବୁଲୁଥିବା, ଭାରତ ବିରୋଧରେ ଷଡ଼ଯନ୍ତ୍ର କରୁଥିବା, ଅନେକ ପ୍ରମୁଖ ଆତଙ୍କବାଦୀଙ୍କୁ ଭାରତ ଗୋଟିଏ ଆଘାତରେ ନିପାତ କରିଦେଇଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଭାରତର ଏହି କାର୍ଯ୍ୟ ଦ୍ୱାରା ପାକିସ୍ତାନ ଗଭୀର ଭାବେ ନିରାଶ, ହତାଶ ଏବଂ କ୍ରୋଧିତ ହୋଇଥିଲା, ଏବଂ ଏହି ହତାଶାରେ ସେ ଆଉ ଏକ ଦୁଃସାହସ କରିଥିଲା। ଆତଙ୍କବାଦ ଉପରେ ଭାରତର କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନକୁ ସମର୍ଥନ କରିବା ପରିବର୍ତ୍ତେ ପାକିସ୍ତାନ ଭାରତ ଉପରେ ହିଁ ଆକ୍ରମଣ କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଥିଲା। ପାକିସ୍ତାନ ଆମର ବିଦ୍ୟାଳୟ, କଲେଜ, ଗୁରୁଦ୍ୱାର, ମନ୍ଦିର, ସାଧାରଣ ନାଗରିକଙ୍କ ଘରକୁ ଟାର୍ଗେଟ କରିଛି, ପାକିସ୍ତାନ ଆମର ସାମରିକ ପ୍ରତିଷ୍ଠାନକୁ ଟାର୍ଗେଟ କରିଛି, କିନ୍ତୁ ଏଥିରେ ମଧ୍ୟ ପାକିସ୍ତାନର ମୁଖା ଖୋଲି ଯାଇଛି।

ପାକିସ୍ତାନର ଡ୍ରୋନ୍ ଏବଂ ପାକିସ୍ତାନର କ୍ଷେପଣାସ୍ତ୍ର ଭାରତ ସାମ୍ନାରେ ଧୂଳିସାତ ହୋଇଥିଲା ତାହା ସାରା ଦୁନିଆ ଦେଖିଛି । ଭାରତର ଶକ୍ତିଶାଳୀ ବାୟୁ ପ୍ରତିରକ୍ଷା ବ୍ୟବସ୍ଥା ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଆକାଶରେ ଧ୍ୱଂସ କରିଦେଇଥିଲା। ପାକିସ୍ତାନର ପ୍ରସ୍ତୁତି ଥିଲା ସୀମାରେ ଆକ୍ରମଣ କରିବା, କିନ୍ତୁ ଭାରତ ପାକିସ୍ତାନକୁ ଛାତିରେ ଆଘାତ କରିଥିଲା। ଭାରତର ଡ୍ରୋନ୍, ଭାରତର କ୍ଷେପଣାସ୍ତ୍ରଗୁଡ଼ିକ ପୂର୍ଣ୍ଣ ସଠିକତାର ସହ ଆଘାତ କରିଥିଲା। ପାକିସ୍ତାନ ବାୟୁସେନାର ସେହି ବିମାନ ଘାଟି କ୍ଷତିଗ୍ରସ୍ତ ହୋଇଥିଲା, ଯାହାକୁ ନେଇ ପାକିସ୍ତାନ ଗର୍ବ କରୁଥିଲା। ଭାରତ ପ୍ରଥମ ତିନି ଦିନ ମଧ୍ୟରେ ପାକିସ୍ତାନରେ ଏପରି ଧ୍ୱଂସଲୀଳ କରିଥିଲା, ଯାହା ପାକିସ୍ତାନ କେବେ କଳ୍ପନା ମଧ୍ୟ କରିପାରିନଥିଲା।

ସେଥିପାଇଁ ଭାରତର ଆକ୍ରମଣାତ୍ମକ କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନ ପରେ, ପାକିସ୍ତାନ ପଳାୟନ ମାର୍ଗ ଖୋଜିବା ଆରମ୍ଭ କରିଥିଲା। ପାକିସ୍ତାନ ସାରା ବିଶ୍ୱରେ ଉତ୍ତେଜନା ହ୍ରାସ ପାଇଁ ନିବେଦନ କରିଥିଲା। ଆଉ ଏତେ ମାତ୍ରାରେ ଆଘାତ ସହିବା ପରେ ପାକିସ୍ତାନ ସେନା ବାଧ୍ୟ ହୋଇ ମଇ ୧୦ ତାରିଖ ଅପରାହ୍ଣରେ, ଆମର ଡିଜିଏମଓଙ୍କୁ ଯୋଗାଯୋଗ କରିଥିଲା। ସେତେବେଳକୁ, ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦର ଭିତ୍ତିଭୂମିକୁ ବ୍ୟାପକ ଭାବେ ଧ୍ୱଂସ କରିଦେଇଥିଲୁ, ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କୁ ନିପାତ କରାଯାଇଥିଲା, ପାକିସ୍ତାନର ଛାତିରେ ଥିବା ଆତଙ୍କବାଦୀ ଘାଟିଗୁଡ଼ିକ ଧ୍ୱଂସ ହୋଇଯାଇଥିଲା, ତେଣୁ ଯେତେବେଳେ ପାକିସ୍ତାନ ନିବେଦନ କଲା, ସେତେବେଳେ ପାକିସ୍ତାନ କହିଲା ଯେ ତା’ ତରଫରୁ ଆଉ କୌଣସି ଆତଙ୍କବାଦୀ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ ଏବଂ ସାମରିକ ଦୁଃସାହସ ହେବ ନାହିଁ। ତେଣୁ ଭାରତ ମଧ୍ୟ ଏହା ଉପରେ ବିଚାର କରିଥିଲା। ଆହୁରି, ମୁଁ ଦୋହରାଇବାକୁ ଚାହେଁ, ଆମେ ପାକିସ୍ତାନର ଆତଙ୍କବାଦୀ ଏବଂ ସାମରିକ ଘାଟିଗୁଡ଼ିକ ବିରୋଧରେ ଆମର ପ୍ରତିଶୋଧମୂଳକ କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନକୁ ସ୍ଥଗିତ ରଖିଛୁ। ଆଗାମୀ ଦିନରେ, ଆମେ ପାକିସ୍ତାନର ପ୍ରତ୍ୟେକ ପଦକ୍ଷେପକୁ ତା’ର ଆଭିମୁଖ୍ୟ ଦ୍ୱାରା ବିଚାର କରିବୁ।

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଭାରତର ତିନି ସେନା, ଆମର ବାୟୁସେନା, ଆମର ସେନା, ଆମର ନୌସେନା, ଆମର ସୀମା ସୁରକ୍ଷା ବଳ-ବିଏସଏଫ, ଭାରତର ଅର୍ଦ୍ଧସାମରିକ ବାହିନୀ, ସବୁବେଳେ ସତର୍କ ରହିଛନ୍ତି। ସର୍ଜିକାଲ୍ ଷ୍ଟ୍ରାଇକ୍ ଏବଂ ଏୟାର ଷ୍ଟ୍ରାଇକ୍ ପରେ ଏବେ ‘ଅପରେସନ ସିନ୍ଦୁର’ ହେଉଛି ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଭାରତର ନୀତି। ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଲଢ଼େଇରେ ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୁର ଏକ ନୂତନ ଲକ୍ଷ୍ମଣରେଖା ଟାଣିଛି, ଏକ ନୂତନ ମାନଦଣ୍ଡ, ଏକ ନୂତନ ବାସ୍ତବିକତା ପ୍ରତିଷ୍ଠା କରିଛି।

ପ୍ରଥମତଃ, ଯଦି ଭାରତ ଉପରେ କୌଣସି ଆତଙ୍କବାଦୀ ଆକ୍ରମଣ ହୁଏ, ତା’ହେଲେ ଉପଯୁକ୍ତ ଜବାବ ଦିଆଯିବ। ଆମେ ନିଜ ଶୈଳୀରେ, ନିଜ ସର୍ତ୍ତରେ ଜବାବ ଦେବା ଜାରି ରଖିବୁ। ଯେଉଁଠାରୁ ଆତଙ୍କବାଦର ଉତ୍ପତ୍ତି ହୋଇଛି, ସେହି ପ୍ରତ୍ୟେକ ସ୍ଥାନକୁ ଯାଇ କଠୋର କାର୍ଯ୍ୟାନୁଷ୍ଠାନ ଗ୍ରହଣ କରାଯିବ। ଦ୍ୱିତୀୟତଃ, ଭାରତ କୌଣସି ପରମାଣୁ ଯୁଦ୍ଧ ବ୍ଲାକମେଲକୁ ବରଦାସ୍ତ କରିବ ନାହିଁ। ପରମାଣୁ ବ୍ଲାକମେଲର ଛଦ୍ମବେଶରେ ବିକଶିତ ହେଉଥିବା ଆତଙ୍କବାଦୀ ଘାଟିଗୁଡ଼ିକ ଉପରେ ଭାରତ ସଠିକ୍ ଏବଂ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ଭାବରେ ଆକ୍ରମଣ କରିବ।

ତୃତୀୟତଃ, ଆମେ ଆତଙ୍କବାଦକୁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ଦେଉଥିବା ସରକାର ଏବଂ ଆତଙ୍କବାଦୀ ସଂଗଠନର ମୁଖିଆମାନଙ୍କୁ ଅଲଗା କରି ଦେଖିବୁ ନାହିଁ। ଅପରେସନ ସିନ୍ଦୁର ସମୟରେ, ବିଶ୍ୱ ପୁଣିଥରେ ପାକିସ୍ତାନର କୁତ୍ସିତ ବାସ୍ତବତା ଦେଖିଲା ଯେତେବେଳେ ପାକିସ୍ତାନ ସେନାର ବରିଷ୍ଠ ଅଧିକାରୀମାନେ ନିହତ ଆତଙ୍କବାଦୀମାନଙ୍କୁ ଅନ୍ତିମ ବିଦାୟ ଦେବାକୁ ବାହାରିଥିଲେ। ଏହା ରାଷ୍ଟ୍ର-ପ୍ରାୟୋଜିତ ଆତଙ୍କବାଦର ଏକ ବଡ଼ ପ୍ରମାଣ। ଭାରତ ଏବଂ ଆମର ନାଗରିକମାନଙ୍କୁ ଯେକୌଣସି ବିପଦରୁ ରକ୍ଷା କରିବା ପାଇଁ ଆମେ ନିର୍ଣ୍ଣାୟକ ପଦକ୍ଷେପ ନେବା ଜାରି ରଖିବୁ।

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଆମେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଥର ଯୁଦ୍ଧକ୍ଷେତ୍ରରେ ପାକିସ୍ତାନକୁ ଧୂଳି ଚଟେଇଛୁ। ଆଉ ଏଥର ଅପରେସନ୍ ସିନ୍ଦୁର ଏକ ନୂଆ ଦିଗ ଯୋଡ଼ିଛି। ଆମେ ମରୁଭୂମି ଏବଂ ପର୍ବତଗୁଡ଼ିକରେ ନିଜର ସାମର୍ଥ୍ୟର ଚମତ୍କାର ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିଛୁ, ଏବଂ ଠିକ୍‌ ଏହି ସମୟରେ, ନୂତନ ଯୁଗର ଯୁଦ୍ଧରେ ନିଜର ଶ୍ରେଷ୍ଠତାକୁ ପ୍ରମାଣିତ କରିଛୁ। ଏହି ଅପରେସନ୍ ସମୟରେ, ଆମର ମେଡ ଇନ୍ ଇଣ୍ଡିଆ ଅସ୍ତ୍ରଶସ୍ତ୍ରର କ୍ଷମତା ପ୍ରମାଣିତ ହୋଇଥିଲା। ଆଜି ବିଶ୍ୱ ଦେଖୁଛି, ଏକବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀର ଯୁଦ୍ଧରେ ଭାରତରେ ନିର୍ମିତ ପ୍ରତିରକ୍ଷା ଉପକରଣର ସମୟ ଆସିଛି।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ପ୍ରକାରର ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଏକଜୁଟ ରହିବା ହେଉଛି ଆମର ସବୁଠାରୁ ବଡ଼ ଶକ୍ତି। ନିଶ୍ଚିତ ଭାବେ ଏହା ଯୁଦ୍ଧର ଯୁଗ ନୁହେଁ, କିନ୍ତୁ ଏହା ମଧ୍ୟ ଆତଙ୍କବାଦର ଯୁଗ ନୁହେଁ। ଆତଙ୍କବାଦ ବିରୋଧରେ ଶୂନ୍ୟ ସହନଶୀଳତା ହେଉଛି ଏକ ଉନ୍ନତ ବିଶ୍ୱର ଗ୍ୟାରେଣ୍ଟି।

ବନ୍ଧୁଗଣ,

ଯେଭଳି ଭାବେ ପାକିସ୍ତାନ ସେନା ଏବଂ ପାକିସ୍ତାନ ସରକାର ଆତଙ୍କବାଦକୁ ପୋଷଣ ଦେଉଛନ୍ତି, ଦିନେ ନା ଦିନେ ଏହା ପାକିସ୍ତାନକୁ ଶେଷ କରିଦେବ। ଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ବଞ୍ଚିବାକୁ ଚାହେଁ, ତା’ହେଲେ ତାର ଆତଙ୍କବାଦୀ ଭିତ୍ତିଭୂମିକୁ ଧ୍ୱଂସ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ। ଶାନ୍ତି ପାଇଁ ଅନ୍ୟ କୌଣସି ରାସ୍ତା ନାହିଁ। ଭାରତର ସ୍ଥିତି ଅତ୍ୟନ୍ତ ସ୍ପଷ୍ଟ: ଆତଙ୍କବାଦ ଏବଂ ଆଲୋଚନା, ଏକାଠି କରାଯାଇପାରିବ ନାହିଁ, ଆତଙ୍କବାଦ ଏବଂ ବ୍ୟବସାୟ ଏକାଠି ଯାଇପାରିବ ନାହିଁ। ଏହା ବ୍ୟତୀତ, ପାଣି ଏବଂ ରକ୍ତ ଏକାଠି ପ୍ରବାହିତ ହୋଇପାରିବ ନାହିଁ। ମୁଁ ଆଜି ବିଶ୍ୱ ସମୁଦାୟକୁ ମଧ୍ୟ କହିବି, ଆମର ଘୋଷିତ ନୀତି ହେଉଛି, ଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ସହିତ ଆଲୋଚନା ହୁଏ, ତେବେ ତାହା ଆତଙ୍କବାଦ ଉପରେ ହେବ, ଯଦି ପାକିସ୍ତାନ ସହିତ ଆଲୋଚନା ହୁଏ, ତେବେ ପାକିସ୍ତାନ ଅଧିକୃତ କାଶ୍ମୀର, ପିଓକେ ଉପରେ ଆଧାରିତ ହେବ।

ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀ,

ଆଜି ବୁଦ୍ଦ ପୂର୍ଣ୍ଣିମା। ଭଗବାନ ବୁଦ୍ଧ ଆମକୁ ଶାନ୍ତିର ମାର୍ଗ ଦେଖାଇଛନ୍ତି। ଶାନ୍ତିର ମାର୍ଗ ମଧ୍ୟ ଶକ୍ତିର ମାର୍ଗ ହୋଇଯାଇଥାଏ। ମାନବତା, ଶାନ୍ତି ଏବଂ ସମୃଦ୍ଧି ଦିଗରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ୁ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟ ଶାନ୍ତିରେ ରୁହନ୍ତୁ, ବିକଶିତ ଭାରତର ସ୍ୱପ୍ନକୁ ପୂରଣ କରନ୍ତୁ, ସେଥିପାଇଁ ଭାରତ ଶକ୍ତିଶାଳୀ ହେବ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଜରୁରୀ। ଆବଶ୍ୟକତା ପଡ଼ିଲେ ଏହି ଶକ୍ତିର ଉପଯୋଗ କରିବା ମଧ୍ୟ ଜରୁରୀ। ଆଉ ବିଗତ କିଛି ଦିନ ମଧ୍ୟରେ ଭାରତ ଏହା କରି ଦେଖାଇଛି ।

ମୁଁ ପୁଣିଥରେ ଭାରତୀୟ ସେନା ଏବଂ ସଶସ୍ତ୍ର ବଳକୁ ଅଭିବାଦନ ଜଣାଉଛି। ଆମେ ଭାରତବାସୀଙ୍କ ସାହସକୁ ପ୍ରଣାମ କରୁଛି। ଭାରତବାସୀଙ୍କ ଏକତାର ଶପଥ, ସଂକଳ୍ପକୁ ମୁଁ ପ୍ରଣାମ କରୁଛି।

ବହୁତ - ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ।

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ!!!

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ!!!

ଭାରତ ମାତା କୀ ଜୟ!!!