BJP govt to protect Jharkhand’s ‘Jal’, ‘Jungle’, ‘Jameen’: PM Modi in Khunti
The double-engine growth of Jharkhand became possible because the party was in power both at Delhi and in Ranchi: PM Modi
Congress played politics over Ramjanmabhoomi: PM Modi in Jharkhand
When there is BJP government in both Centre and state, the pace of development becomes faster: PM Modi

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मैं आज बड़े गर्व के साथ कह सकता हूं कि जब मैं भारतीय जनता पार्टी में एक कार्यकर्ता के रूप में संगठन का दायित्व संभालता था तो मुझे इस बात को गर्व से कहना चाहिए कि करिया मुंडा जी की उंगली पकड़कर के संगठन शास्त्र को मैंने सीखा था। अनेक वर्षों तक उनके साथ काम करने का मुझे सौभाग्य मिला, हर परिस्थिति में प्रसन्नचित्त करिया मुंडा जा के साथ लोकसंग्रह कैसे किया जाता है, दूर-सुदूर गांवों की ओर देखने का दृष्टिकोण क्या हो सकता है। घंटों तक उनके साथ चर्चा विचार विमर्श करते-करते मुझे सीखने का सौभाग्य मिला और आज मुझे खुशी है कि उनके मार्गदर्शन में हम फिर एक बार झारखंड के भाग्य को संवारने के लिए पूरी ताकत के साथ मेहनत कर रहे हैं। मंच पर विराजमान केंद्र सरकार में मेरे साथी श्रीमान अर्जुन मुंडा जी का अद्भुत और प्रेरक भाषण सुनने के बाद मैं नहीं मानता हूं कि मेरे भाषण की कोई जरूरत है। जिस तर्क के साथ, जिस सहजता के साथ यहां की मिट्टी को गौरव दिलाने वाली भाषा के साथ उन्होंने आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के लिए आह्वाहन किया है, मुझे विश्वास है कि जिस धरती पर ऐसा नेतृत्व हो वहां कमल कभी मुरझा नहीं सकता है। कुछ दिन पहले ही देश ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती मनाई है। आज जब उनकी धरती पर मैं आप सभी के बीच आया हूं तो एक बार फिर भगवान बिरसा मुंडा को नमन करता हूं और मैं दूर-दूर देख रहा हूं टीना भगत परिवार के लोग भी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए हैं। महात्मा गांधी को आज भी, महात्मा गांधी के मार्गदर्शन को आज भी गांव, गली जंगलों के अंदर चैतन्य देने का काम टीना भगत परिवार कर रहा है, मैं उनको आदरपूर्वक नमन करता हूं।

जिस धरती ने भगवान बिरसा मुंडा के रूप में एक प्रेरणापुरुष देश को दिया, वहां पर ऐसा अभिभूत करने वाला स्नेह पाना, इतने आशीर्वाद प्राप्त करना, इतनी बड़ी तादाद में माताओं-बहनों का आना, मेरे लिए जीवन का इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। आज 3 दिसम्बर परमवीर चक्र अल्बर्ट एक्का को वीरगति को प्राप्त हुए, मैं इस धरती के वीर सपूत को नमन करता हूं। 

साथियो, आपने भाजपा के प्रति, हम सभी के प्रति अपने प्रेम में कभी कमी नहीं आने दी और इसलिए एक प्रधानमंत्री के तौर पर, उसके पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर और उसके पहले भाजपा के संगठन का काम करता था तब भी बार-बार झारखंड मुझे खींच कर ले आता था, बार-बार आने का मन करता था। ये आपका स्नेह, आपका आशीर्वाद ही है जिसके कारण ये भाव मेरे मन में हमेशा बना रहता है। यहां खूंटी में भी प्रधानमंत्री बनने के बाद ये मेरा दूसरा दौरा है। भाइयो-बहनो, पहले चरण में जिस प्रकार झारखंड के लोग वोट डालने मतदान केंद्र पर पहुंचे, भारी मात्रा में मतदान किया, उस प्रथम चरण के मतदान के लिए मैं झारखंड के उन मतदाताओं का भी अभिनंदन करता हूं उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। पहले चरण के मतदान से तीन बातें स्पष्ट हुई हैं। पहली, लोकतंत्र को मजबूत करने और राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान के प्रति झारखंड के लोगों की आस्था अभूतपूर्व है, दूसरी बात जिस प्रकार भाजपा सरकार ने नक्सलवाद की कमर तोड़ी है उसे बहुत ही छोटे इलाके तक समेट दिया है उससे डर का माहौल कम हुआ है, विकास का माहौल बना है हालांकि 30 नवंबर को निराशा में डूबे लोगों ने ऐसे लोगों ने जिन्हें झारखंड की जनता नकार चुकी है पहले चरण के मतदान के समय यहां माहौल खराब करने की बहुत कोशिश की, पूरे देश ने इसे देखा है लेकिन झारखंड के लोगों ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया, आप बधाई के पात्र हैं। भाइयो-बहनो, पहले चरण के मतदान के बाद तीसरी बाद यह भी स्पष्ट हुई है कि झारखंड के लोगों में भाजपा सरकार के प्रति, कमल के फूल के प्रति एक विश्वास की भावना है। ये भाव है कि झारखंड का विकास अगर कोई दल कर सकता है तो वह सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही कर सकती है यही भावना मुझे यहां खूंटी में भी दिखाई दे रही है। 

साथियो, आज झारखंड के लोग ये देख रहे हैं कि दिल्ली और रांची में डबल इंजन लगाने से विकास की गति तेज भी होती है और स्थायी भी होती है। अर्जुनमुंडा जी ने सही कहा कि दिल्ली ने राज्य तक, गांव तक विकास को पहुंचाया और रांची की भाजपा सरकार ने उसे घर-घर ले जाने के लिए पूरी जिम्मेवारी के साथ काम किया है। इसलिए यहां की जनता सहज रूप से कह रही है, सहज रूप से नारा बोला जा रहा है, झारखंड पुकारा भाजपा दोबारा। भाइयो-बहनो, झारखंड के विकास के लिए भाजपा की वापसी जरूरी है, आज झारखंड के हर व्यक्ति को केंद्र और राज्य सरकार की किसी ना किसी योजना का सीधा लाभ पहुंच रहा है बिना किसी वर्ग के भेदभाव के, बिना किसी जाति के भेदभाव के, बिना किसी पंथ के भेदभाव के हर झारखंडवासी के विकास के लिए समान भावना से हम काम कर रहे हैं सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास ही हमारा मूलमंत्र है। साथियो, आज उन क्षेत्रों में भी बिजली का तार पहुंचा है जिन गांवों तक पहुंचना मुश्किल है। आज वो क्षेत्र भी सड़क से जुड़ चुके हैं जहां कभी विरोधी दल के नेता झांकते भी नहीं थे। आज उन जनजातीय क्षेत्रों में भी पानी की पाइप पहुंच रही है जिनको कांग्रेस-जेएमएम की सरकार ने अपने हाल पर छोड़ दिया है। आज उन गरीब, पिछड़ों और आदिवासी परिवारों को भी अपना घर मिल पा रहा है जिनको कांग्रेस-जेएमएम की सरकारों ने झोपड़ियों में रहने को मजबूर कर रखा था।

साथियो, 2015 में जब मैं खूंटी आया, यहां सोलर पॉवर प्लांट का उद्घाटन करने का भी मुझे अवसर मिला था तब तक यहां सौर ऊर्जा से यहां बिजली का उत्पादन अजूबा लगता था सपने जैसी लगती थी वो बात लेकिन पांच वर्ष बाद आज झारखंड में करीब-करीब 40 मेगावॉट सौर ऊर्जा तैयार की जा रही है। इतना ही नहीं छतों पर सौर ऊर्जा के पैनल लगाकर भी सस्ती और अच्छी बिजली आज यहां उपलब्ध हो रही है। अब तो गेतलसूद और धुर्वा डैम पर देश का तैरता सबसे बड़ा सौर पॉवर प्लांट भी बनने जा रहा है। इससे यहां के गांव-गांव तक पर्याप्त और सस्ती बिजली पहुंचाने में मदद मिलेगी। साथियो, सौर ऊर्जा के साथ-साथ यहां खूंटी को उड़ीसा के पारादीप के पाइप लाइन सो जोड़ा गया है, यहां आईओसीअल का टर्मिनल भी तैयार हो चुका है अब दक्षिण झारखंड को यहीं से तेल की सप्लाई होती है। इसी तरह डिफेंस युनिवर्सिटि हो, नॉलेज सिटि हो ऐसे अनेक प्रोजेक्ट्स इस पूरे क्षेत्र में शिक्षा कौशल और रोजगार के नए अवसरों का निर्माण करने वाले हैं। भाइयो-बहनो, दिल्ली और रांची में भाजपा का डबल इंजन किसान और आदिवासियों का जीवन आसान बनाने का काम कर रहा है, यहां के सभी किसान और खेती से जुड़े आदिवासी परिवार के बैंक खाते में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत सीधी मदद जमा की जा रही है। इसके साथ-साथ छोटे किसानों के खाते में राज्य सरकार की तरफ से भी पांच हजार से पच्चीस हजार रुपए तक अतिरिक्त दिया जा रहा है वरना आपके पड़ोस में जहां भाजपा की सरकारें नहीं हैं वहां की स्थिति आप देख लीजिए। वहां किसानों के साथ, आदिवासियों के साथ, पिछड़ों के साथ झूठे वादे करके कांग्रेस और उसके साथी दलों ने सरकारें तो बना ली लेकिन अब वादा पूरा करने से दूर भाग रहे हैं उन राज्यों में झूठ बोलकर के कांग्रेस वाले बैठ गए लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं कर पा रहे हैं लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा है। 

साथियो, झारखंड ये भली-भांति जानता है कि कांग्रेस-जेएमएम की राजनीति छल और स्वार्थ की राजनीति है जबकि भाजपा कर्म और सेवाभाव से काम करती है। लोकसभा चुनाव के दौरान जब हम आपके बीच आए थे, यहां अर्जुनमुंडा जी आपके पास आए थे तो हमने आपके सामने कुछ संकल्प लिए थे। पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ सभी किसान परिवारों को देने का संकल्प था ये वादा हमने पूरा कर लिया। छोटे किसानों, खेत मजदूरों, छोटे दुकानदारों को 60 वर्ष की आयु के बाद पेंशन की सुविधा देने की बात कही थी ये वादा भी पूरा कर लिया गया बल्कि इन योजनाओं को भी यहीं झारखंड से ही लॉन्च किया गया था। पशुओं को मुंह और खुर की बीमारियों से बचाने के लिए मुफ्त टीकाकरण का अभियान भी शुरू हो चुका है। आदिवासी क्षेत्रों में एकलव्य मॉडल रेसिडेंसियल स्कूल खोलने का राष्ट्रीय अभियान भी यहीं झारखंड से शुरू किया गया है। नक्सली हमलों में शहीद होने वाले पुलीस और केंद्रीय बलों के जवानों के बच्चों को स्कॉलरशिप देने का अहम फैसला भी लिया जा चुका है। इसका लाभ झारखंड में शहीदों के परिवारों को भी मिलने लगा है। ऐसे अनेक मुद्दों के साथ-साथ दशकों से चल रही राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान का संकल्प भी सिद्ध हो रहा है। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 अब हट चुका है, अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को विकास और विश्वास के पथ पर ले जाने की जिम्मेदारी आदिवासी अंचल में ही जन्में, पले-बढ़े उपराज्यपाल जी के कंधों पर है। इसी तरह राम जन्मभूमि को लेकर जिस विवाद को कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों की सरकारों ने लगातार लटकाए रखा वो भी शांतिपूर्ण ढंग से हल हो गए और भगवान राम तो जब अयोध्या से निकले थे तब तो वो राजकुमार थे लेकिन जब अयोध्या वापस आए तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम बन गए थे। ये कैसे हुआ एक राजकुमार अयोध्या से निकलता है 14 साल वनवास में रहता है और जब वापस लौटता है तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम बन जाता है क्योंकि 14 साल राजकुमार राम ने आदिवासियों के बीच में बिताए थे, आदिवासियों ने उनको संस्कारित किया, ये देन है आदिवासियों की, ये योगदान है आदिवासियों का।

भाइयो-बहनो, इतने लंबे काल से अटकी हुई चीजें, जिसे अटकाने के लिए राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित लोगों ने अड़ंगे डाले लेकिन हमने देश में शांति, एकता, सद्भाव के लिए समस्याओं का समाधान खोजने का काम प्रारंभ किया और सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे अनेक वादे जो हमने आपसे किए थे वो आज जमीन पर उतर चुके हैं, यही कारण है कि आज झारखंड को भाजपा पर भरोसा है, कमल के फूल पर भरोसा है। भाइयो-बहनो, भाजपा की केंद्र की सरकार और झारखंड की सरकार ने यहां के गांवों में जनजातीय अंचलों में हमारी बहनों को सशक्त करने पर बल दिया है और इतनी बड़ी तादाद में माताएं-बहने आशीर्वाद देने के लिए आई हैं ये उसी का तो सुबूत है। अनेक बहनें यहां मौजूद हैं जो सखीमंडल से जुड़ी हैं या फिर जिनको मुद्रा योजना के तहत अपना व्यापार कारोबार करने में सहायता मिली है, किसी बहन को गाय खरीदने के लिए मदद मिली है, किसी को कपड़े सिलाने का कारोबार करने में मदद मिली है तो किसी को दूसरे हस्तशिल्प के लिए सहायता दी गई है। यहां खूंटी में विधानसभा में ही तीन हजार से अधिक सखी मंडल बनाए गए हैं जिनके तहत 40 हजार से अधिक परिवार जुड़े हैं। यहां की हजारों बहनें आज इसके माध्यम से आजीविका कमा रही हैं, आने वाले वर्षों में भाजपा सरकार की कोशिश है कि हर घर से एक महिला सदस्य इस आंदोलन का हिस्सा बने ताकी वो अपने परिवार के आय के साधन भी बढ़ा सके और देश के विकास में भी भागीदार बन सके। स्वच्छ भारत अभियान के तहत यहां घर-घर शौचालय तो बने ही हैं साथ ही यहां की बहनों ने रानी मिस्त्री के रूप में भी नाम कमाया है। और जब मैं रानी मिस्त्री की बात दुनिया में कहीं कहता हूं तो लोगों को बड़ा अचरज होता है, मुझे पूछते हैं आज पूरे देश में इसकी बड़ी चर्चा है।

साथियो, झारखंड देश के उन राज्यों में है जहां बहनों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ तेजी से भी मिला है और डबल लाभ भी मिला है। जैसे उज्ज्वला योजना के तहत बाकी देश में एक मुफ्त सिलेंडर मिला वहीं झारखंड में दो सिलेंडर दिए गए। यहां की भाजपा सरकार ने आपको डबल बेनिफिट दिया है इससे आपको धुएं से भी मुक्ति मिल रही है, आपका समय भी बच रहा है और आपका वातावरण भी प्रदूषण से बच रहा है। साथियो, भाजपा सरकार आदिवासी क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दे रही है क्योंकि आदिवासी हितों की रक्षा में भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। ये अटल जी की ही भाजपा सरकार थी जिसने जनजातीय समुदाय के लिए अलग झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन किया। भगवान बिरसा मुंडा को सच्ची श्रद्धांजलि 2000 में अटल बिहारी बाजपेयी जी ने झारखंड को जन्म देकर के झारखंड को नई सरकार देकर के बनाया है। ये अटल जी की ही भाजपा सरकार थी जिसने आजादी के बाद पहली बार जनजातीय समुदाय के लिए अलग से मंत्रालय बनाया और आज अर्जुनमुंडा उसके मंत्री हैं। भाइयो-बहनो, और अब झारखंड की उम्र 19 साल हो गई है। दुनिया के अंदर टीनेज की चर्चा होती है, अब जब घर में भी बच्चों की उम्र 19 साल हो जाती है ना तो मां-बाप जरा सजग हो जाते हैं और मां-बाप सोचते हैं कि अब महत्वपूर्ण समय जिंदगी का शुरू हुआ है। अब वो लड़कपन, हंसी-मजाक, खेलना सब हो गया, अब गंभीरतापूर्वक बेटे या बेटी को उनके भविष्य के लिए मां-बाप सोचने लगते हैं। झारखंड की जनता के लिए भी अब जब झारखंड 19 साल का हो चुका है तो अब झारखंड के नागरिकों की जिम्मेदारी जितनी है उतनी ही जिम्मेदारी मेरी भी है। आओ हम मिलकर के, हम दोनों मिलकर के, आप और मैं 19 साल का झारखंड जब 25 साल का हो जाएगा कि इतना ताकतवर बन जाए, इतना समृद्ध बन जाए, इतना सशक्त बन जाए कि कभी पीछे मुड़कर के देखना ना पड़े इसलिए ये पांच साल 19 साल की उम्र के झारखंड के लिए बड़े महत्वपूर्ण हैं। घर में 19 साल के बेटे-बेटी के लिए जो समय महत्वपूर्ण होता है वैसा ही महत्वपूर्ण समय 19 साल की उम्र के झारखंड का भी है, मौका मत गंवाइये, मैं आपके लिए हमेशा तैयार हूं बस आप मेरा साथ दीजिए। बीतें पांच वर्षों से ही भाजपा की ही सरकार ने आदिवासी समुदाय के विकास के लिए रिकॉर्ड बजट का प्रावधान किया।

साथियो, ये भाजपा की सरकार ने जिसने पहली बार आदिवासी क्षेत्रों में डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड की व्यवस्था की, जिसके तहत अब यहां से निकलने वाले खनिज का एक हिस्सा यहीं के विकास में लगाना पड़ता है। 70 साल में अधिकतर केंद्र में कांग्रेस की सरकारें रही हैं, जेएमएम सहयोगी के रूप में रही है लेकिन ऐसी व्यवस्था करने की याद उनको कभी नहीं आई। झारखंड को भी इस डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड के तहत करीब पांच हजार करोड़ रुपए मिले हैं। इस फंड से अब आप के बच्चों के लिए स्कूल, अस्पताल या फिर रोजगार निर्माण से जुड़ी दूसरी सुविधाएं तैयार करने में मदद मिल रही है, आदिवासी हितों के प्रति भाजपा की यही प्रतिबद्धता है जिसके आधार पर आज झारखंड को भरोसा मिला है कि जल, जंगल और जमीन के आपके अधिकारों पर कोई आंच नहीं आएगी और ना ही कोई आंच आने दी जाएगी। यहां की भाजपा सरकार ने 60 हजार से अधिक पट्टे दे दिए हैं बाकी के 30-40 हजार पर भी सरकार बनने के बाद तेजी से कार्रवाई की जाएगी। साथियो, भाजपा आदिवासी हितों की रक्षा करने, आदिवासी गौरव को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा ने भारत की आजादी में आदिवासियों के योगदान को पूरे देश में प्रसारित और प्रचारित करने का काम किया है। रांची में बिरसामुंडा संग्रहालय पर काम चल रहा है, पूरे देश में आदिवासी इतिहास, कला और संस्कृति को संजोने के लिए अनेक स्मारक और संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। भाजपा ने हर संभव प्रयास किया है कि झारखंड की सुंदरता, यहां के शांतिप्रिय और मेहनतकश लोगों के बारे में देश और दुनिया जाने, समझे। हम प्रयास कर रहे हैं कि यहां देश और दुनिया के लोग घूमने-फिरने आएं, यहां की कला-संस्कृति, यहां के हस्तशिल्प से परिचित हों, यहां का पर्यटन बढ़े, यहां उद्योग लगें, युवाओं को यहीं पर रोजगार के अवसर मिलें। इसलिए आप सभी को कांग्रेस और उसके साथियों से सावधान रहने की जरूरत है, उनका इतिहास आपको पता है, उनके कारनामे आपको याद हैं, उनकी नजर सिर्फ और सिर्फ यहां की प्राकृतिक संपदा पर है और अगर वो आए तो फिर से झारखंड को लूटना यही उनका एजेंडा है। ये लोग सत्ता में वापसी के लिए इतना छटपटा रहे हैं कि आपके बीच झूठ फैला रहे हैं, डर और भ्रम फैला रहे हैं। ये नहीं चाहते कि यहां उद्योग लगे, यहां पर्यटन समृद्ध हो, उनको पता है कि अगर ऐसा हुआ तो गरीबों के पास पैसा आने लगेगा, जिससे कांग्रेस-जेएमएम नेताओं की कोई पूछ और कीमत नहीं रहने वाली। मुझे विश्वास है कि आप सभी कांग्रेस के झूठ की सारी बातें यहां जा जाकर के लोगों तक पहुंचाएं। इतना ही नहीं आप मतदान के दिन भारी संख्या में मतदान केंद्र पर जाकर के मतदान करके इस कांग्रेस-जेएमएम का पर्दाफाश कर देंगे, उनके झूठ को बेनकाब कर देंगे और कमल के निशान पर बटन दबाकर के फिर एक बार 19 साल के झारखंड को नई ताकत देंगे ये मेरा विश्वास है। याद रखिएगा ये चुनाव झारखंड के विकास के लिए है, ये चुनाव दिल्ली और रांची में चल रहे विकास के डबल इंजन को बनाए रखने के लिए है। इसलिए सिर्फ और सिर्फ कमल निशान आपको याद रखना है। एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आप सभी आशीर्वाद देने के लिए आए, हमारे सभी साथियों को आशीर्वाद देने के लिए आए इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मेरे साथ हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!