देशभर से जुड़े भाजपा के कार्यकर्ता साथियों,

भाजपा की नीति और कार्यों का समर्थन करने वाले-निस्वार्थ भाव से जुड़े हुए Volunteers,

भाजपा के शुभचिंतक..
आप सभी को नमस्कार!

इस समय देश की भावनाएं एक अलग स्तर पर हैं। देश का वीर जवान सीमा पर और सीमा के पार भी अपना पराक्रम दिखा रहा है। पूरा देश आज एक है और हमारे जवानो के साथ खड़ा है। दुनिया हमारे Collective विल को देख रही है। हमारी सेनाओं के सामर्थ्य पर हमें भरोसा है इसलिए बहुत आवश्यक है कि कुछ भी ऐसा न हो जिससे उनके मनोबल पर आंच आए। या हमारे दुश्मनो को हमारे पर ऊँगली उठाने का मौक़ा मिल जाए।

साथियों,

जब दुश्मन भारत को अस्थिर करने की साजिश करता है,जब आतंकी हमला करते हैं, तो उनका एक मकसद ये भी होता है कि हमारी गति और प्रगति रुक जाए, हमारा देश थम जाए। उनके इस मकसद के सामने हर भारतीय को दीवार बनकर खड़ा होना है।

उन्हें दिखा देना है कि न ये देश रुकेगा, न देश की प्रगति थमेगी। देश की सुरक्षा और सामर्थ्य का संकल्प लेकर हमारा जवान सीमा पर डटा हुआ है। हम सब पराक्रमी भारत के नागरिक है इसलिए हम सबको भी सिपाही बनकर,देश की समृद्धि और सौहार्द के लिए दिन रात एक करना होगा। पराक्रमी कभी यह नहीं कहता है की चलो बहुत कुछ हो गया है अब सो जाओ। यह नहीं चल सकता।हमें जीवन के हर क्षेत्र में पराक्रमी होना है, विकास की नई ऊँचाइयो को छूना है, प्रगति के नए कीर्तिमान बनाने हैं।देश के भीतर और देश की सीमा पर दिन रात एक कर रहे एक-एक वीर बेटे और वीर बेटी के प्रति हम कृतज्ञ हैं। वो हैं, तभी हम हैं। इसलिए मेरा प्रत्येक देशवासी से आग्रह है कि राष्ट्रनिर्माण के इस महायज्ञ में वो जिस भी दायित्व के साथ जुटे हुए हैं, उसे पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाते चलें, देश को प्रगति पथ पर बढ़ाते चलें।

India will live as one,
India will work as one,
India will grows as one,
India will fight as one,
India will win as one.

हमारा देश नई नीति और नई रीति के साथ अपनी क्षमताओं का विस्तार करने में जुटा है। आज भारत आत्मविश्वास से भरा है। भारत का युवा आज उत्साह में है, ऊर्जा से परिपूर्ण है। युवाओं में कुछ कर गुज़रने का नया विश्वास पैदा हुआ है। देश के किसान से लेकर देश के जवान तक को ये विश्वास मिला है कि - नामुमकिन अब मुमकिन है ।

साथियों,

यही कारण है कि हर भारतीय, चाहे वो जिस भी क्षेत्र में काम कर रहा है वो अधिक से अधिक योगदान देने के लिए आगे आ रहा है। मैं देश के लिए और क्या करूं, इस प्रकार की भावना आज चरम पर है । एक राष्ट्र के नाते, हमारे लिए इससे सुखद स्थिति नहीं हो सकती। कुछ कर गुज़रने की चाह, खुद पर और सरकार पर अभूतपूर्व विश्वास, यही हमारी पूंजी है।

साथियों,
आज भारत एक ऐसे पड़ाव पर है, जहां से एक वैभवशाली, मज़बूत भारत हमें सामने दिख रहा है। इस वैभवशाली न्यू इंडिया के निर्माण के लिए यहां से एक नए प्रयास की आवश्यकता है और इसके लिए कोटि-कोटि जनों के विश्वास को मजबूत करने की आवश्यकता है। आप सभी बूथ के सिपाहियों का रोल यहीं से शुरु होता है। आपकी ही की ताकत से नए भारत का संकल्प सिद्ध होने वाला है। इसके लिए आप व्यापक स्तर पर संवाद कर रहे हैं, सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को जोड़ रहे है।

साथियों,
अब अपनी कोशिशों को और विस्तार देना होगा, क्योंकि अब हमारी परीक्षा की घड़ी आ गई है।स्टूडेंट चाहे कितना भी इंटेलिजेंट क्यों ना हो, सालभर उसने पढ़ाई भले ही कितनी भी की हो, परीक्षा के आखिरी दिनों में उसे पूरी शक्ति लगानी ही पड़ती है। आप भारतीय जनता पार्टी के लिए बूथ के नायक हैं। अगर अपना बूथ आपने जीत लिया, बूथ के लोगों का दिल जीत लिया, तो संकल्प से सिद्धि की हमारी यात्रा को तेज़ करने से हमें कोई नहीं रोक सकता।

अब चर्चा शुरु करते हैं-

आइए सबसे पहले अगरतला चलते हैं। मुझे बताया गया है कि हमारे मुख्य मंत्री बिप्लव देव जी यहां मौजूद हैं। कौन बात करेगा।अब जब चुनाव शुरू होने में दो महीने से भी कम समय रह गया है, तो हमारा उत्साह काफी बढ़ा हुआ है। ऐसे में हमें किन चीजों पर फोकस करना चाहिए? आपका ये प्रश्न वास्तव में पूरे भाजपा परिवार का उत्साह बढ़ाने वाला है। दरअसल आने वाले दो महीने में पूरे विश्व की नजर भारत की ओर लगी रहेगी। लोकतंत्र का महोत्सव - चुनाव अपने रंग में दिखेगा।

ऐसे में विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन होने के नाते भाजपा और इसके कार्यकर्ताओं का दायित्व भी कहीं अधिक बड़ा है । आप जानते हैं कि हमारी सरकार ने जन सामान्य को लाभ पहुंचाने वाले जितने फैसले लिए, उतने आज तक किसी ने नहीं लिए। अब हमारा प्रयास होना चाहिए कि विकास के इन कार्यों की जानकारी जनता तक ठीक से पहुंचाएं। एक कार्यकर्ता होने के नाते हमें उन लाभार्थियों से मिलना चाहिए, जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है। मैं अपने अनुभव से कहता हूँ - लाभार्थियो से मिलना - यह अपने आप में transformative है। आज कल में जहाँ भी कार्यक्रम के लिए जाता हूँ आयुष्यमान भारत के लाभार्थियो से मिलता हूँ, उनकी कहानी सुनता हूँ।

साथियों यह अनुभव मेरे लिए अभूतपूर्व है ।आप कर के देखिए- आप को गर्व होगा की कैसे अपनी सरकार लोगों के जीवन में बदलाव ला रही है,आपका देश पर विश्वास बढ़ेगा की, हाँ - नामुमकिन अब मुमकिन है,आपका काम करने की प्रेरणा और संकल्प मज़बूत होंगे की, हाँ -इस प्रगति की यात्रा को रुकने नहीं देना है।

आपको ये जानकर खुशी होगी कि ये सरकार के परिश्रम और आपकी सहभागिता का ही प्रतिफल है कि हम करोड़ों गरीबों, पीड़ितों, शोषितों और वंचितों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सफल रहे हैं। भाजपा परिवार ने इसे "कमल ज्योति संकल्प" अभियान के तहत एक उत्सव के रूप में मनाया।कार्यकर्ता लोगों की खुशी में शामिल हुए और घर घर कमल दीपक प्रज्वलित किए।
पार्टी इसके अलावा कई दूसरे कार्यक्रम भी चला रही है। कार्यकर्ता होने के नाते हमारी जिम्मेवारी है कि उसे जोर-शोर से जन-जन तक पहुंचाएं।

"भारत के मन की बात" के तहत प्रत्येक देशवासी अपने मन की बात सीधे मुझ तक पहुंचा सकता हैं। आप सुनिश्चित करे कि आप के बूथ में से ज़्यादा से ज़्यादा लोग अपने सुझाव दे। इससे हमारा 2019 का संकल्प पत्र सही माने में जनता का संकल्प पत्र बन जाएगा। इसके अलावा "मेरा परिवार भाजपा परिवार" के तहत भी आप अपने घर या दफ्तर में पार्टी का झंडा लगाएं।

घऱ-घर जाकर जनसंपर्क करें। भाजपा परिवार में शामिल होने के लिए प्रेरित करें। इसी प्रकार 2 मार्च को पार्टी "विजय संकल्प बाइक रैली" का भी आयोजन कर रही है। बाइक रैली का अपना एक अलग ही प्रभाव होता है। युवा साथियों को इसमें पूरे उत्साह से भाग लेना है। आज जब हम न्यू इंडिया और इक्कीसवीं सदी की बात कह रहे हैं तो इसमें फर्स्ट टाइम वोटर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसे में बूथ कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे अपने बूथ के सभी फर्स्ट टाइम वोटर से संपर्क करें।

साथियो,

लोकतंत्र का मूलमंत्र है सत्ता और विपक्ष के बीच स्वस्थ स्पर्धा। इससे लोकतंत्र मजबूत होता है। इसका पहला पाठ हम अपनी पार्टी के भीतर ही सीखते हैं। ऐसे में सभी बूथ और कार्यकर्ताओं के बीच भी एक स्वस्थ स्पर्धा होनी चाहिए। ये स्पर्धा होनी चाहिए कि कौन कितने युवा वोटर अपने साथ जोड़ सकता है?

कौन कितने महिला वोटर अपने बूथ तक ला सकता है। आज मैं हर बूथ कार्यकर्ता को एक जिम्मेदारी देता हूं। आप ये तय कर लें कि हम अपने साथ कम से कम 10 परिवारों को जोड़ेंगे।उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ेंगे, उन तक सरकार द्वारा किए गए कामकाज की सही और नियमित जानकारी पहुंचाएंगे। कार्यकर्ता संकल्प ले की मेरे बूथ में सबसे ज़्यादा लोग नमो ऐप पर active होंगे। नमो ऐप के माध्यम से वो Volunteering करेंगे, जनसम्पर्क करेंगे, Positive चीज़ों को रोज़ शेयर करेंगे, donation देंगे, सुझाव देंगे। आज जब हम इतना काम कर पा रहे हैं तो इसकी सबसे बड़ी वजह है सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद, जिनके समर्थन से 30 साल बाद देश में पूर्ण बहुमत की सरकार आई है।

कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते मजबूर सरकार चाहते हैं। ऐसे में बूथ कार्यकर्ताओं का ये कर्तव्य हो जाता है कि वो लोगों को समझाएं कि जब मजबूत सरकार होती है तो उससे क्या फर्क पड़ता है और उससे देश को क्या फायदा होता है। चलिए अब हापुर चलते हैं यहां लोग हमारा इंताजार कर रहे हैं। हापुर में कौन बात करना चाहेगा।

2014 में हमने जो वादा किया था। 2019 में हमने उसे पूरा किया है। लेकिन इस आधार पर, आप हमें यहां से किस दिशा में ले जाना चाहते हैं? इस सवाल के जवाब में मैं आपको आपके घर का एक किस्सा याद दिलाना चाहता हूं, क्या आपको याद है जब पहली बार आपके घर में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी खरीदी गई होगी। तब आपको अपने घर में टीवी देखने की कितनी बेचैनी रही होगी।

लेकिन जब समय बीतता गया तो फिर आपको कलर टीवी की आवश्यकता महसूस हुई होगी।  ठीक इसी प्रकार का अंतर 2014 और 2019 के कालखंड का है। 2014 से 2019 आवश्यकताओं को पूरा करने का समय था, जबकि 2019 से आगे आकांक्षाओं को पूरा करने का अवसर है। 2014 से 2019 बुनियादी जरूरतों को हर घर पहुँचाने का समय था, जबकि 2019 से आगे तेज उन्नति के लिए उड़ान भरने का अवसर है। 2014 से 2019 का समय फ्रेजाइल फाइव से बाहर निकलने का था, जबकि 2019 से आगे विश्व की टॉप फाइव अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने का अवसर है।

2014 से 2019 की ये यात्रा निराशा से आशा, आवश्यकता से आकांक्षा और संकल्प से सिद्धि की ओर ले जाने वाली है। 2014 से पहले भारत में एक ऐसी सरकार थी, जो भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी। देश में Policy Paralysis था। देश को भ्रष्टाचार मुक्त, मजबूत और निर्भीकता से निर्णय लेने वाली सरकार की आवश्यकता थी। हमने ऐसी सरकार दी है। 2014 से पहले देश का आम आदमी आसमान छूती महंगाई से परेशान था। हमने इससे निजात दिलाने का वादा किया और महंगाई को 2-3 प्रतिशत के आसपास ला दिया।

साथियो,

हमें इस बात की खुशी है कि 2014 से पहले देश जिन चीजों की आवश्यकताएं महसूस कर रहा था, हमने सवा सौ करोड़ देशवासियों की मदद से उन्हें पूरा करने का सामर्थ्य दिखाया है। इसलिए आज जब जन आकांक्षाओं को देखता हूं तो हमारे काम करने का उत्साह कई गुना बढ़ जाता है।

इसलिए मैं स्पष्ट कहता हूं कि 2014 का चुनाव देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनमत था और 2019 का चुनाव भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जनमत होगा !

बीते पांच वर्षों में देश में किस तरह का बदलाव आया है, वो हम सबके सामने है।

आज हर भारतीय बदलाव महसूस कर रहा है।

अब इन 5 सालों में ही जब इतना कुछ हुआ है, तो सोचिए अगली बार जब हमें देश की सेवा करने का फिर मौका मिलेगा, तो हम इस मजबूत इमारत को और कितना आलीशान, और कितना भव्य बनाएंगे।

साथियों

ये सब तब संभव है जब, आज जो विकास की दिशा और रफ्तार है उसको न केवल मेनटेन रखा जाए, बल्कि उसको गति दी जाए। आप सबको याद होगा कि, अटल जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने कई बड़े कार्य किए थे, लेकिन 2004 में वाजपेयी जी की सरकार गई तो कई काम अटक गए। भ्रष्टाचार जारी रह सके, इसलिए आधार को अटकाया गया।

कमीशनखोरी के लिए देश की सुरक्षा को दांव पर और डिफ़ेन्स modernisation को अटका दिया गया, राफेल डील को लटकाया गया। infrastructure निर्माण की जो गति भारत ने पकड़ी थी वो भी अटक गई। आर्थिक सुधार और मज़बूत अर्थव्यवस्था बनने की गति भी अटक गई। दूर जाने की जरूरत नहीं है।

हाल ही में जिन तीन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं बन पाई, वहां का हाल देख लीजिए। पहले से चल रहीं जन कल्याणकारी योजनाओं पर कैंची चलाई जा रही है। आयुष्मान भारत जैसी योजना को रोक दिया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, जिसके तहत छोटे किसानों को  6 हजार रुपये सालाना दिए जा रहे हैं, उसमें भी अड़ंगा लगाया जा रहा है।

कई कांग्रेस शासित राज्यों ने तो अभी तक लाभार्थी किसानों की सूची ही नहीं भेजी है। आज हमारी सरकार सिंचाई से जुड़ी 99 परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही है, ताकि अन्नदाताओं को पानी की कमी न हो।

कई योजनाएं पूरी होने वाली हैं। लेकिन अगर 2019 में कोई चूक रह गई तो ये सब चीजें अटक जाएंगी। हमारे आने से पहले भारत विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, बीते पांच वर्षों में सरकार की नीतियों से छठी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है।

हम भारत को जल्द से जल्द तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनाना चाहते हैं। लेकिन जरा सी चूक से विकास की ये तेज धारा रुक सकती है। हमने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में भारत को 142वें से 77वें स्थान पर पहुंचा दिया है।

जरा सी चूक से फिर से ईंज ऑफ करप्शन का बोलबाला हो जाएगा। आज डीबीटी के माध्यम से सरकारी पैसों की लूट बंद हुई है, देशवासियों के हजारों-लाखों करोड़ रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से बचे हैं।

जरा सी चूक हुई तो बिचौलियों की लूट फिर से शुरू हो जाएगी। जरा सी चूक भ्रष्टाचार के महायुग को वापस ला सकती है। कोयला घोटाला, 2-जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाले को देश अभी भूला नही है।

अब जमशेदपुर चलते हैं। कौन बात करना चाहेगा जमशेदपुर से। आप हमेशा कहते हैं कि कांग्रेस आती है तो लोकतंत्र को ही नुकसान पहुंचाती है और जातिवाद को बढ़ावा देती है कांग्रेस के ये दो लक्षण हैं। जबकि भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं के बल पर लड़ती है। ऐसे में मेरा सवाल ये है कि आखिर 2019 में लोकतंत्र कैसे जीतेगा?

आपका ये सवाल 2019 के चुनाव का मूलमंत्र है। ये चुनाव दो राजनीतिक संस्कृतियों के बीच का है। एक संस्कृति भाजपा की है, जहां हर काम लोकतांत्रिक तरीके से होता है। दूसरी संस्कृति कांग्रेस समेत कई दलों की है, जहां हर काम वंशवाद के आधार पर तय होता है।

भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ताओं की भूमिका कितनी विशिष्ट है, इसका अनुभव आप जैसे सभी कार्यकर्ता लगातार करते आ रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता की संस्कृति एकदम अलग होती है। विनम्रता, सादगी, सरलता औऱ सहजता उसकी पहचान है। यहां किसी भी फैसले का आधार कार्यकर्ताओं का फीडबैक होता है।

भाजपा कार्यकर्ता जनता जनार्दन के दुख में, सुख में, हर स्थिति में सहभागी होता है। हमारी पार्टी को असली बल अपने कार्यकर्ताओं से मिलता है यहां कार्यकर्ता ही सब कुछ तय करता है, इसलिए मेरे जैसा एक सामान्य कार्यकर्ता प्रधानमंत्री बन कर देश की सेवा करने का अवसर पा सकता है।

हमारी पार्टी में कोई भी निर्णय इस बात से नहीं होता कि एक व्यक्ति या एक परिवार क्या चाहता है। बल्कि हमारे यहां निर्णय इस बात से होते हैं कि कार्यकर्ता क्या चाहते हैं। लोकतंत्र हमारी पार्टी के डीएनए में है। यह एक कैडर बेस्ड पार्टी है, इसलिए पार्टी और सरकार दोनों के लिए कार्यकर्ताओं का फीडबैक बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके आधार पर सरकारी योजनाओं को जमीन पर साकार करना भी आसान होता है, जिसे मौजूदा कार्यकाल में हम लगातार देखते आए हैं।

लोग भी यह जानते हैं कि बीजेपी कार्यकर्ताओं को वे जो प्रतिक्रिया देते हैं, उन्हें वे शीर्ष नेतृत्व तक ले जाकर उसका समाधान निकालने की कोशिश करते हैं। अगर आपके पास पैसा है या आप किसी खास जाति के हैं या फिर किसी बड़े परिवार से संबंधित है तो इस बल पर भाजपा में आपके लिए दरवाजे नहीं खुलेंगे।

बल्कि इस पार्टी के दरवाजे आपकी मेहनत, आपके परिश्रम और आपकी लगन के बल पर खुलते हैं। भाजपा ने देश को दो प्रधानमंत्री दिए हैं जो किसी बड़े परिवार में पैदा नहीं हुए । उनके पास कोई बहुत ज्यादा संपत्ति नहीं थी। फिर भी उन्हें अपनी मेहनत, अपनी लगन के बल पर इतने बड़े पद पर बैठ कर सेवा करने का अवसर मिला।

आज अगर भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन बन सका है तो इसकी सबसे बड़ी वजह पार्टी के भीतर का लोकतंत्र है। और अपने कार्यकर्ताओं के इसी सामर्थ्य पर ही 2019 के लोकतंत्र का महापर्व भी हमारे नाम होगा। मेरा आप से आग्रह है भाजपा कि संस्कृति, भाजपा की कार्यपद्धति, भाजपा के संगठन का स्वरूप, कार्यकर्ता की भूमिका यह सब बातें भी लोगों तक पहुँचाए,
लोगों को भाजपा को क़रीब से देखने और काम करने का अवसर दे।

जब जनता, भाजपा और बाक़ी पार्टियों में अंतर समझेगी तो उनके लिए यह निर्णय आसान हो जाएगा की देश की सेवा का दायित्व किसे दे। चलिए अब जमशेदपुर से कोयमबटूर चलते हैं। कौन है यहां से जो बात करना चाहेगा। दक्षिण भारत में अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर आप कितने आश्वस्त हैं। हमेशा की तरह मीडिया भाजपा को दक्षिण भारत में कम आंक रहा है?

मीडिया के हमारे मित्रों की एक fixed cycle है - चुनाव से पहले मीडिया के हमारे मित्र कहते हैं कि भाजपा के लिए यह चुनौती है। लेकिन हमें भी मीडिया को कोसने से ज्यादा इसे चुनौती के रुप में स्वीकार करना है। मीडिया का एक वर्ग और विपक्ष में हमारे मित्र भाजपा के बारे में बहुत कुछ फैलाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा दक्षिण में कभी भी सरकार नहीं बना सकती है, लेकिन 2008 में हम कर्नाटक में सत्ता में आए और 2018 में भी हम राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे हैं। आज हमने पिछले 5 सालों में 130 करोड़ भारतीयों के लिए समान मेहनत की है।

चाहे उत्तर हो या दक्षिण हो, पूरब हो या पश्चिम हो, हमारी सरकार ने सबके लिए काम किया है और आज देश भर में ये दिख भी रहा है। और मेरा मानना है कि दक्षिण भारत में भी लोगों की विकास के प्रति चाहत उतनी ही है जितनी देश के दूसरे भाग में है और जहां विकास के लिए आकांक्षा होगी जाहिर सी बात है वहां भाजपा होगी।

और मैं आपको बताना चाहूंगा कि 1984 में जब हमारे केवल 2 सांसद जीते थे, तब उनमें से एक सांसद आंध्र प्रदेश से थे। और आगामी चुनावों में अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर हम आश्वस्त हैं।
कर्नाटक के लोग अब राज्य में चल रही अवसरवादी सरकार से तंग आ चुके हैं।

कांग्रेस और जेडीएस के पास शासन का जनादेश नहीं था। अब वे राज्य के कल्याण के लिए काम नहीं कर रहे हैं बल्कि उनके बीच में portfolios को लेकर लड़ाई चलती रहती है। वहां की सरकार किसानों को परेशान कर रही है। कर्नाटक के लोग, विशेषकर वहां के किसान 2008 से लेकर 2013 तक के हमारे कार्यकाल के दौरान सरकार द्वारा किए गए कार्यों को आज भी याद करते हैं।

तमिलनाडु में हमारा एक मजबूत संगठन बन चुका है। अब तो हमारा वहां बहुत ही सशक्त गठबंधन भी बन चुका है। लिहाज़ा तमिलनाडु में NDA को व्यापक सफलता मिलना तय है। केरल के लोग, विशेष रूप से वहां के शिक्षित युवा एलडीएफ और यूडीएफ से तंग आ चुके हैं। वे भाजपा को एकमात्र विकल्प के रूप में देख रहे हैं जो केरल की संस्कृति की रक्षा कर सकती है।

वहाँ समाज के कई प्रबुद्ध लोग भाजपा से जुड़े है। हमें तेलंगाना में भी अपने अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। आंध्र प्रदेश के मेरे भाईयों-बहनों में कांग्रेस और टीडीपी को लेकर बहुत गुस्सा हैं। एक ने राज्य को विभाजित किया और दूसरे ने इसे तबाह कर दिया। दोनों ही दल देश के विकास के बारे में न सोचकर अपने-अपने वंशों के विकास के बारे में सोच रहे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि आज चंद्रबाबू नायडू को उस कांग्रेस के साथ देख कर एनटीआर को कैसा महसूस हो रहा होगा, जिस कांग्रेस ने तेलुगु गौरव का अपमान किया था। तो आप इन बातों पर विश्वास न करें।

अपने काम पर ध्यान दें और हम पूरे देश की तरह South में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे! चलिए अब झारग्राम चलते हैं। कौन बात करेगा यहां से। क्या 2019 में देश भर में महागठबंधन का कोई असर होता दिख रहा है? महागठबंधन के प्रभाव के बारे में पूछने से पहले, आइए समझते हैं कि इस महागठबंधन को आगे क्यों किया जा रहा है। अपना अस्तित्व बचाने के लिए कांग्रेस छोटे दलों का लाभ उठा रही है।

ये गठबंधन कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए नहीं है बल्कि कांग्रेस का अस्तित्व बचाने के लिए है। कांग्रेस, जो एक समय हर पंचायत में थी, जिनकी संसद में 400 सीटें हुआ करती थीं आज उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है।

इसीलिए, वे अन्य दलों के नेताओं को एक साथ लाना चाहते हैं। क्या आप जानते हैं, 1998-1999 में पचमढ़ी में आयोजित कॉन्क्लेव में कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया था। और उस प्रस्ताव में उनका घमंड साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा थी कि हमें किसी सहयोगी की जरूरत नहीं है! हम अकेले ही ठीक हैं। एकला चालो रे से लेकर हम साथ साथ है, यह कांग्रेस की मजबूरी की कहानी है। लेकिन, देश की जनता समझदार है। यह महागठबंधन तेल और पानी का मेल है।

तेल और पानी के मेल से क्या होता है? इसके बाद न तो तेल किसी काम का रह जाता है और न ही पानी। यहाँ भी ऐसा ही है। साथ ही इस महागठबंधन का हिस्सा कौन हैं? वो जो कभी एक दूसरे से आंख से आंख नहीं मिलाते थे और आज वे एक साथ मंच साझा कर रहे हैं। याद करें कि सपा के लोगों ने मायावती जी के साथ कैसा व्यवहार किया था?

याद करें कि वामपंथियों ने ममता दीदी के साथ कैसा व्यवहार किया था और ममता दीदी ने वामपंथियों के साथ कैसा व्यवहार किया था। याद करें कि यूडीएफ और एलडीएफ में कितनी लड़ाईयां थीं। याद करें कैसे कांग्रेस ने देवेगौड़ा जी का अपमान किया था?

याद करें कि शरद राव पवार ने कांग्रेस क्यों छोड़ी थी? और आज भी जब भी मौक़ा मिलेगा यह दल फिर वही दोहराने वाले है, बस मौक़े का इंतज़ार है। आज इन दलो को लगता है कि वे एक साथ आएंगे और लोग यह सब भूल जाएंगे? देश की जनता मूर्ख नहीं हैं।

यह महागठबंधन, एक महा मिलावट है और आप जानते हैं कि मिलावटी चीज सेहत के लिए कितनी खराब होती है। और यह महामिलावट तो देश को ICU में डाल सकती है। इस महा मिलावट का टीवी स्क्रीन पर बड़ा प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन लोगों के दिलों में इसका कोई प्रभाव नहीं है, क्योंकि लोग जानते हैं कि यह गठबंधन अवसरवादी, वंशवादी और भ्रष्ट लोगों का गठबंधन है।

लोग जानते हैं कि ऐसे गठबंधन से न तो देश मजबूत रहता है और न ही देश में स्थिरता रहती है, जिसकी किसी भी देश की प्रगति में सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। चलिए अब मंगलदोई चलते हैं। कौन बात करना चाहेगा यहां से।

हम सभी जानते हैं कि 2014 के चुनाव में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई थी। तब हमें क्षेत्र में first-movers कहा जाता था और कहा जाता था कि हम क्षेत्र में आगे चल रहे हैं। 2019 में आप सोशल मीडिया की क्या भूमिका देखते हैं?

सोशल मीडिया एक डेमोक्रेटिक मीडिया है। इसमें हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अवसर मिलता है और उसका भी इतना ही महत्व है होता है जितना किसी बड़े आदमी का। सोशल मीडिया ने पिछले कुछ सालों में भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव लाने का काम किया है।

देश में जागरूकता आई है, accountability आई है, सवेदनशीलता आई है। आपने देखा कि सोशल मीडिया के माध्यम से हमारी सरकार ने लोगों की कैसे मदद की है चाहे वो ट्रेन हो या फिर चाहे हो वीजा से जुड़े मसले हो। और मेरा मानना है कि 2019 में भी सोशल मीडिया और हमारे सोशल मीडिया के वोलेंटियर्स का अहम योगदान रहेगा। और मैं हमारे सोशल मीडिया के लाखों वोलेंटियर्स से कहना चाहूंगा कि देश भर में हमारी सरकार की योजनाओं के करोड़ों लाभार्थी हैं। और क्या हम ऐसे करोड़ों लाभार्थियों की स्टोरी को सोशल मीडिया पर ला सकते हैं?

जब technology के उपयोग की बात आती है तो बीजेपी हमेशा से इसमें आगे रही है और सोशल मीडिया कोई अपवाद नहीं है। हम सालों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। मैं 2009 में सोशल मीडिया से जुड़ा था तब यह मुख्यधारा में भी नहीं था।

हमें सोशल मीडिया का उपयोग connect, communicate और correct करने के लिए करना चाहिए। यह भारत भर के लोगों के साथ जुड़ने, विभिन्न मुद्दों पर उनके विचार जानने, उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त करने का एक शानदार मंच है।

और अगर कोई झूठ फैला रहा है या गालियां दे रहा है तो उसे भी सबके सामने लाने का यह एक मंच है। जब सोशल मीडिया की बात आती है, तो बीजेपी कार्यकर्ताओं से मेरी अपील है कि वे 3 चीजों पर ध्यान दें -

सकारात्मकता,
ईमानदारी और
सटीकता।

जितना हो सके सकारात्मक बातें शेयर करें, सकारात्मक खबरें शेयर करें। विपक्ष आपको नकारात्मकता की दिशा में बहकाने की कोशिश करेगा लेकिन आप उनके इस बहकावे में न आएं। हमेशा सकारात्मक बातें ही करें। आखिरकार हमारे पास सकारात्मक बातें करने के लिए बहुत कुछ है। आप यह सुनिश्चित करें कि आप जो भी खबर शेयर कर रहे हैं वो fake news
न हो।

आजकल विपक्ष ने तो fake news के इस्तेमाल में महारत हासिल कर ली है और स्वाभाविक सी बात है  जिसका अपना खुद का कोई agenda न हो वो fake news को ही अपना agenda बनाएगा। सोशल मीडिया पर हमेशा सावधानी बरतें। नकारात्मकता को forward नहीं बल्कि delete करें, अपने mobile से भी और अपने mind से भी। आजकल दुश्मन देश भी fake news फैलाते हैं चाहे वो UN में हो या फिर कुछ और, हमें उसपर भी चौकन्ना रहना है। जब सकारात्मक रूप से सोशल मीडिया का उपयोग करने की बात आती है तो हम उस दिशा में हमेशा अग्रणी थे और हमेशा अग्रणी रहेंगे।

चलिए मंगलदोई के बाद पोरबंदर चले।

कौन बात करना चहेगा। प्रधानमंत्री जी, पहले नोटबंदी हुई, तब मध्यम वर्ग को डराया गया। फिर जीएसटी आया तो ये कहकर भड़काया गया कि मध्यम वर्ग पर मार पड़ रही है। पिछले कुछ समय से हम देख रहे हैं कि न केवल मध्यम वर्ग का उत्साह बढ़ रहा है,  बल्कि इसमें neo मिडिल क्लास का भी उत्साह जुड़ गया है। इसे आप कैसे देखते हैं?

मिडिल क्लास को उकसाने और भड़काने की इनकी पुरानी आदत रही है। लेकिन, आपने देखा होगा कि नोटबंदी के कुछ ही महीने बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए, जहां मिडिल क्लास समेत पूरी जनता का हमें भरपूर आशीर्वाद मिला। इसी प्रकार जीएसटी लागू होने के कुछ महीने बाद गुजरात में चुनाव हुए, वहां भी हमारी सरकार बनी।

व्यापारियों के गढ़ सूरत में हमें अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई।
निश्चित रूप से ये सफलताएं हमें मध्यम वर्ग और व्यापारियों के आशीर्वाद से मिलीं। मध्यम वर्ग देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाता है।

सही मायने में यह वर्ग देश की रीढ़ है। मध्यम वर्ग देश के लिए बहुत कुछ करता है, बदले में उसे बहुत कुछ नहीं चाहिए, लेकिन इसके बाद भी वो दशकों तक उपेक्षित रहा। परंतु हमने इस स्थिति को बदलने का निश्चय किया है।

हमने वैसे कदम उठाए हैं, जिससे मध्यम वर्ग को बल मिले, राहत मिले,  नए पंख मिले। क्या किसी ने सोचा था कि 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया जाएगा। वर्षों से यह मांग चली आ रही थी, लेकिन इसको पूरा करने का सौभाग्य हमारी सरकार को मिला।

हम सब जानते हैं कि मध्यम वर्ग का एक बड़ा सपना होता है कि उसका अपना घर हो। पहले घर खरीदना सपना ही रह जाता था। लेकिन सरकार के प्रयासों से न केवल होमलोन की ब्याज दरों में काफी कमी आई है।

बल्कि अंडर कंस्ट्रक्शन घरों पर लगने वाले टैक्स को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। यही नहीं अफोर्डेबल हाउसिंग में जीएसटी को
8 प्रतिशत से घटाकर सिर्फ 1 प्रतिशत कर दिया गया।

इसी तरह विद्यार्थियों के लिए Education लोन हो या फिर स्कॉलरशिप। हर प्रकार की बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास किया है। हमारी सरकार से पहले मध्यम वर्ग को अगर किसी ने सबसे ज्यादा रुलाया है तो वो महंगाई दर रही है। लेकिन देखिए जो महंगाई दर कभी डबल डिजिट में पहुंच गई थी, वो आज न सिर्फ काफी कम है, बल्कि नियंत्रण में है।

हर घर का हर महीने का ख़र्च कम हुआ है। इसी प्रकार दवा की कीमतों को कम करने का हमने गंभीर प्रयास किया है। जनऔषधि केंद्रों पर दवाइयों को 50 से 90% कम कीमत पर उपलब्ध कराई जा रही हैं, वहीं एक हजार से अधिक दवाइयों को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत लाया गया है। इसके अलावा स्टेंट की कीमतों में और घुटने इम्प्लांट्स पर होने वाले खर्च में 50-80% कमी आई है ।

इससे सीनियर सिटिजन्स को विशेष रूप से फायदा हो रहा है। उन्हें राहत देने के लिए हमने कई और भी इंतजाम किए हैं। सीनियर सिटिजन के प्रधान मंत्री वय वंदन योजना के तहत ब्याज को हमने 8 प्रतिशत तय कर दिया है।

जीएसटी से भी मध्यम वर्ग के लोगों की जिंदगी आसान हो रही है। 40 लाख के बिजनेस ट्रेडर को अब जीएसटी रजिस्ट्रेशन से मुक्ति मिल गई है। और डेढ़ करोड़ तक के टर्न ओवर वाले व्यापारियों को सिर्फ Composition Scheme में जुड़ना है। जाहिर है अपने कार्यकर्ताओं से मिलने वाले फीडबैक के आधार पर हमने मध्यम वर्ग से जुड़ी हर प्रकार की परेशानी को एड्रेस करने का काम किया है।

चलिए अब पुणे चले वहा भी लोग इंतजार कर रहे हैं।

कौन बात करेगा यहां से।

सर, हमारे लिए एक दिक्कत ये होती है कि सरकार ने इतने काम किए हैं कि हम भी भूल जाते हैं और कार्यकर्ता भी याद नहीं रख पाते की लोगों को कैसे समजाए। आपने पिछले दो महीनों में ही बहुत सारे काम किए है। आर्थिक आधार पर आरक्षण हो या प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, पांच लाख तक की आय को टैक्स फ्री करना हो या फिर अब पाकिस्तान में air स्ट्राइक जैसे ऐतिहासिक काम - इतना काम तो दूसरी सरकारें दो दशकों में भी नहीं कर पाईं। आप इतनी जल्दी यह सब कैसे कर सके? तो ऐसी स्थिति में हम क्या करें?

आपके इस सवाल से मैं खुश होऊं या दुखी - इस समय तो मैं यही सोच रहा हूं। खुश इसलिए कि हमारी सरकार ने इतना काम किया कि आपके लिए उन्हें याद रखना आसान नहीं रहा। दुखी इसलिए कि अगर आप ही योजनाओं को याद नहीं रखेंगे तो फिर हर-घर अभियान कौन पहुँचाएगा।

वैसे ये सवाल महत्वपूर्ण है। जब हमने इतना काम किया है तो उसे जनता तक सही तरीके से पहुंचाना भी हमारा दायित्व है। इसके लिए एक अच्छा उपाय ये हो सकता है कि हम अपनी उपलब्धियों और योजनाओं को अलग अलग तरह से क्लब करें और उन्हें इंटरेस्टिंग तरीके से बताएं। सबसे पहले आप सभी योजनाओं का चार्ट बना लें। फिर उसे कई प्रकार से बांट सकते हैं।

जैसे एक तरीका ये हो सकता है कि योजनाओं की 1 से लेकर 100 तक की लिस्ट बना लें। एक और तरीका ये हो सकता है कि A से Z तक की अल्फाबेट के हिसाब से योजनाओं की सूची बना लें।

जैसे A से आयुष्मान भारत, B से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से शुरू करते हुए योजनाओं का अल्फाबेटिकल चार्ट बना सकते हैं, ताकि उन्हें आसानी से बता सकें। यही नहीं, योजनाओं के नाम पर गीत या कविता की भी रचना कर सकते हैं। इसके अलावा किसानों-दलितों-आदिवासी भाई बहनों, महिलाओं की भलाई के लिए किए गए कामों की अलग-अलग लिस्ट भी बना सकते हैं।

मुझे लगता है कि लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का ये सबसे आसान, सहज और रोचक तरीका होगा। अगर आपने इन तरीकों को आजमाया तो आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। साथ ही जब आप जनता जनार्दन के बीच पहुंचेंगे तो आप उनकी परेशानियों को चुटकी में हल कर पाएंगे। आपने जो काम पिछले दो महीनो के गिनाए ये भले ही आपको लग रहा है कि ये सब 2 महीनों में हुआ है लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा कि ये सारी चीजो की नींव पिछले 5 सालों में रखी गई है। 5 वर्षों में हमने जो मेहनत की है उसका तो ये सिर्फ एक ट्रेलर है। ये ट्रेलर दर्शाता है कि हमारी मेहनत solid थी। हमारा परिश्रम सही दिशा में था और लोक कल्याण ही हमारे लिए सर्वोपरी था। 5 सालों के भीतर जब हम ये सब कर पाए हैं तो आप सोचिए जब हमें अगली बार सेवा करने का मौका मिलेगा तो हम देशवासियों के लिए और क्या क्या कर सकते हैं।

लेकिन, मैं अपनी बात एक कविता की कुछ पंक्तियों से पूरी करता हूं -

बरसों से था घना अँधेरा.
अब जा के भोर दिखी है

उन्नति की हवा चली है
उम्मीदों की धूप खिली है

देश चल पड़ा है प्रगति पथ पे
बस यूँ ही चलते रहना है

बहुत कुछ मजबूत किया है,
बहुत कुछ मजबूत करना है.

बहुत कुछ मजबूत किया है,
बहुत कुछ मजबूत करना है.

गली गली में पक्की सड़कें,
गाँव गाँव में बिजली है

घर घर में है गैस का चूल्हा,
और युवा अपने जोश में है

देश ने करवट बदली है

ये तो बस अंगड़ाई है
आगे और चढ़ाई है

प्रगति का दौर है,
ना़ रुकना है,
ना़ थकना है,

अभी हुई है
साफ़ सफाई,
अभी तो और गति बढ़ाना है

बहुत कुछ मजबूत किया है,
बहुत कुछ मजबूत करना है.

तो आओ अब ये ठान लें,
ये बात गाँठ बाँध लें

बड़ी मुश्किल से घूमा है
प्रगति का पहिया

प्रगति के इस पहिए को
अब रुकने नहीं देंगे.

बहुत कुछ मजबूत किया है,
बहुत कुछ मजबूत करना है.

चलिए अब शिमला चलते हैं। मुझे बताया गया है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी यहां मौजूद हैं।

कौन बात करना चाहेगा।आपको क्या लगता है कि आपकी और आपकी सरकार की क्या legacy होनी चाहिए?आपने दिल को छू लेने वाला सवाल पूछा है। मैं कभी नहीं चाहता कि मेरी कोई निजी विरासत या legacy हो। इस देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के घर में विकास का जो दीपक जला है, यही मेरी legacy है।

हमने अन्नदाताओं के कल्याण के लिए "बीज से बाजार तक" जो सबसे अधिक प्रयास किए, यही मेरी legacy है। हमने पूरी ईमानदारी के साथ सरकार को न केवल चलाया, बल्कि तेजी से विकास कार्य किए, यही मेरी legacy है। गांव गरीब, शोषित, वंचित, आदिवासी के उत्थान को हमने सर्वोपरि रखा,
यही मेरी legacy है। सत्तर साल बाद 18 हजार गांव रोशन हुए, यही मेरी legacy है। करोड़ों महिलाओं को धुएं भरी जिंदगी से मुक्त करने का काम किया, यही मेरी legacy है।

आजादी के बाद पहली बार देश बापू के स्वच्छता के सपने को साकार कर रहा है, यही मेरी legacy है। सेना को हमने न केवल सशक्त बनाया, बल्कि देश की रक्षा के लिए उन्हें खुली छूट दी, यही मेरी legacy है। भारत को मजबूत बनाकर विश्व के अग्रणी देशों में शामिल करने का जो पुरुषार्थ किया, यही मेरी legacy है।

आज भी नजर दौड़ाएं तो दिखता है कि स्कूल से लेकर स्टेडियम तक, एयरपोर्ट से लेकर अवॉर्ड तक - सब कुछ एक ही परिवार के नाम पर रखे गए। हम ऐसी legacy की कल्पना नहीं करते। बल्कि हम चाहते हैं कि ये देश उन संतों, महापुरुषों, वीरों, जवानों, किसानों और श्रमिकों को याद रखे, उनकी legacy को आगे ले जाए, जिनका त्याग और परिश्रम इस देश की सभ्यता, संस्कृति और परंपरा में रचा-बसा है।

चलिए अब रेवाड़ी चलते हैं।

मुझे बताया गया है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी भी यहां मौजूद हैं। कौन बात करना चहेगा। मैंने आज तक जीवन के काफी दशक देखे हैं। काफी सरकारें भी देखी हैं, आज भारत में जैसा कॉन्फिडेंस है, वो पहले देखने को नहीं मिला। आपको क्या लगता है कि ये कैसे हो रहा है। जब मन में इच्छा शक्ति हो, दृढ़ संकल्प हो, कुछ कर गुजरने का जज्बा हो,
तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

जब सरकार के लिए जन-जन का महत्त्व हो, जन सहभागिता को प्राथमिकता मिलती हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। आपका सवाल बहुत स्वाभाविक है कि पहले भी सरकारें होती थीं, कुछ ना कुछ योजनाएं होती थीं, लेकिन देश में कॉन्फिडेंस क्यों नहीं देखने को मिलता था। तो इस बारे में मैं यही कहना चाहूंगा कि जब सरकार का परिश्रम और
सवा सौ करोड़ देशवासियों का पुरुषार्थ मिलता है तब देश का कॉन्फिडेंस पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बन जाता है। आप देखिए कि लोग वही हैं, सिस्टम वही है, अफसर वही हैं, दफ्तर वही हैं, लेकिन आज देश विकास के पथ पर कई गुनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

आज भारत की एक सच्ची तस्वीर दुनिया के सामने निकल कर आई है। जब हमें खुद पर Confidence हैं तो दुनिया भी भारत को लेकर Confident हो रही है। पहले भारत का चित्रण एक गरीब देश के रूप में किया जाता था। अब भारत को निवेश के लिए सबसे अच्छे Destinations के रूप में जाना जाता है।

पहले भारत को सांप सपेरे का देश बताया जाता था, आज भारत साइंस, स्टार्ट-अप और सैटेलाइट के देश के रूप में जाना जाता है। पहले भारत का चित्रण देश की सड़कों पर फैले कचरे को दिखाने के लिए किया जाता था। आज भारत का चित्रण देश में स्वच्छता पर हो रही तरक्की को दिखाने के लिए किया जाता है। पहले भारत को अंधेरे के लिए जाना जाता था।अब भारत LED Revolution के लिए जाना जाता है।

पहले फिल्में बनती थीं कि भारत में कैसे Attacks हुए, अब फिल्में दिखाती हैं कि भारत ने कैसे उन Attacks का मुंहतोड़ जवाब दिया। पहले दुनिया भर में सिर्फ बैटमैन जैसे हीरो हुआ करते थे। अब दुनिया भर के लिए बाहुबली भी एक हीरो है। योग हो, चाहे मेक इन इंडिया हो, चाहे International Solar Alliance हो, भारत ने हर क्षेत्र में दुनिया को दिखाया है कि हम किसी से कम नहीं हैं।

दोस्तों आप सब से मिलकर, आप सबसे बात करके, आप सबका उत्साह देखके मुझे बहुत अच्छा लगा। आप सबका उत्साह, आपकी ऊर्जा मुझे और मेहनत करने की प्रेरणा देता है। आप सबको देखकर मुझे भी वो समय याद आता है जब मैं भी आप जैसा ही एक सामान्य कार्यकर्ता था।

आज आप सब जो मेरे साथ जुड़े है, चाहे वो हज़ारों स्थानो से हो या फिर अपने घर, अपने मोबाइल से जुड़े हो, आपके लिए नमो ऐप पर एक ख़ास व्यवस्था है। आप नमो ऐप पर जाइए और आपकी सेल्फ़ी मेरे साथ upload करिए और अपने परिवार और दोस्तों के साथ share करिए। इस तरह से इस महासमवाद को और यादगार बनाते है।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!