One mission, one direction, is our mantra: PM Modi
BJP’s ‘Sankalp Patra’ lays the strong foundation of an India when the country marks 100 years of independence in 2047: PM Modi
Our Sankalp Patra presents our vision of good governance, it highlights our focus on national security and nation’s prosperity: PM Modi

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, मंच पर विराजमान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और मीडिया के सभी साथी।

सबसे पहले तो हमारे पूर्व के वक्ताओं ने जो बातें रखी हैं उन सब के नीचे मैं अपना सिग्नेचर कर देता हूं और इसलिए रिपीट करने की जरूरत ना पड़े। मैं आज इस इतने बड़े मीडिया का समूह है तो आप का भी देशवासियों का गत पांच वर्ष में जो सहयोग मिला, समर्थन मिला और ये जन सहयोग का ही कारण है की हम इस कार्य को सफलतापूर्वक कर पाए और इसके लिए मैं देशवासियों का, आप सब का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। ये स्वाभाविक है की चुनाव के पहले हर दल अपनी बात लेकर के आती है लेकिन राजनाथ जी के नेतृत्व में हमारे अध्यक्ष जी ने कमेटी बनाई थी उसने पिछले 2-3 महीने लगातार मेहनत की और एक प्रकार से जन के मन की बात, उनकी आशा, अपेक्षा, आकांक्षाओं को सुनना, समझना और एक डॉक्यूमेंट में भले सब ना आ जाए लेकिन उसकी मूलभूत बातों को पकड़कर आगे चलने की ये जो मेहनत की है इस टीम ने, मैं इस टीम को बहुत-बहुत हृदय से बधाई देता हूं। शायद हिंदुस्तान में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में, सरकार किन बातों को लेकर आगे काम करे। जनता को इतनी बड़ी मात्रा में विचार-विमर्श हुआ है, ये हिंदुस्तान के इतिहास में पहली बार हुआ है और ये लोकतंत्र का सच्चा स्पीरिट है और इसको हमने आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। आपने देखा होगा की मेनिफेस्टो में 3 प्रमुख बातों का उल्लेख किया गया है और उसी के आस-पास हमारा ये पूरा डॉक्यूमेंट तैयार हुआ है। राष्ट्रवाद, ये हमारी प्रेरणा है, अन्त्योदय, ये हमारा दर्शन है और सुशासन ये हमारा मंत्र है। इस पूरी, जो रचना है उसमें एक, आमतौर पर ये मेनिफेस्टो 2024 के लिए है लेकिन जनता हमारा हिसाब ढंग से मांग सके इसलिए पहली बार हमने साहस किया है की इंट्रिम भी हमारा हिसाब लिया जाए और वो है 2022।

आजादी के 75 साल होंगे तब तक हमने, देश के महापुरुषों ने, जिन सपनों को लेकर आजादी की जंग की थी, आजादी के लिए बलिदान दिए थे। जब आजादी के 75 साल होंगे तब हम उनके सपनों का भारत समर्पित करने की दिशा में कुछ अहम काम कर लें, पूरा कर लें। इस उद्देश्य से 75 वर्ष, 75 लक्ष्य, 75 निश्चित कदम हमने तय किए हैं। ये अपने-आप में टाइम बाउंड, वेल डिफाइन, शायद ही कोई घोषणापत्र में या संकल्प पत्र में आप पहली बार देख पाते होंगे। उसी के साथ-साथ हम सब, जब इस मेनिफेस्टो को लेकर के आए हैं तो साफ है हमारे मन में वन मिशन-वन डॉयरेक्शन। हम देश को समृद्ध बनाने के लिए, सामान्य मानवी के सशक्तिकरण को लेकर के जन भागीदारी को बढ़ाते हुए, लोकतांत्रिक मूल्यों को महत्व देते हुए और सरकार की सबसे बड़ी कसौटी ये नहीं होती है की आपने क्या किया। सरकार की सबसे बड़ी कसौटी है लास्ट माइल डिलिवरी की और इसलिए वन मिशन-वन डॉयरेक्शन लेकर आगे बढ़ने का हमारा निर्धारित मंत्र है। उसी प्रकार से हमारे समाज में विविधताएं हैं। भाषा की भी विविधता है, जीवन की भी विविधता है, शिक्षा में भी विविधता है, जीवनशैली में भी विविधता है और इसलिए एक ही डंडे से सब को हांका नहीं जा सकता और इसलिए विकास को हमने मल्टीलेयर बनाने की दिशा में, इसमें हमने समाहित करने की पूरी कोशिश की है। गांव हो, शहर हो, अगड़ा हो, पिछड़ा हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, आदिवासी हो, पुरुष हो, महिला हो, जवान हो, सीनियर सिटिजन हो हर एक को एक प्रकार से मल्टीलेयर, हमने सब को एड्रेस करने की कोशिश की है। दूसरा हमने प्रयास किया है मल्टीडॉयमेंशनल, जैसी जहां व्यवस्था, वैसे हम वहां आगे बढ़ना चाहते हैं।

एक ही सांचे में, एक ही ढांचे में, एक ही खांचे में चीजों को समाहित करके हम परिणाम नहीं ला सकते। राजनीति चल सकती है लेकिन देश नीति चलाने के लिए, देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें मल्टीडॉयमेंशन लेवल पर काम करना होता है, उसको हमने इसमें लेने का पूरा प्रयास किया है। अब उदाहरण के लिए आने वाले दिनों में भारत के सामने जो कुछ कठिनाइयां नजर आ रही हैं, जैसे पानी, खासकर की आज जब मैं तमिलनाडु की गहराई में जाता हूं तो ध्यान में आता है की आने वाले दिन कितने संकट वाले जा सकते हैं। राजस्थान, गुजरात जैसे प्रदेश सदियों से पानी के अभाव में जिए हैं उन्होंने अपने रास्ते खोजे हैं लेकिन आज भी देश के कई प्रदेश हैं उनके लिए भारत सरकार ने गंभीरता से सोच कर के समस्याओं का समाधान करना होगा, एक लंबी योजना से करना होगा। इसलिए हमने सोचा है की देश में पहली बार…।

जल की बात करता हूं तो जल भी पी लेता हूं।

हम एक अलग जल-शक्ति मंत्रालय बनाएंगे, हमने इस बजट में मछुआरों के लिए और कोस्टल एरिया में ही मछुआरे भाई-बहन हैं, ऐसा नहीं है। हमारे देश की नदी तट की संस्कृति में मछुआरे एक बहुत बड़ी इकोनॉमिकल एक्टिविटी का साधन भी रहे हैं और इसलिए हमने इस बजट में मछुआरों के लिए एक अलग मंत्रालय की बात बजट में कही थी। हम आने वाले दिनों में जल-शक्ति, एक अलग मंत्रालय बनाएंगे। नदियों का ऑप्टिमम युटिलाइजेशन कैसे हो, कोई हैंडपम्प लगाए और चुनाव जीत जाते थे, वो एक जमाना था लेकिन अब माताओं-बहनों को पानी की दिक्कत से मुक्त करके नल से जल कैसे पहुंचाएं, इस पर हम काम करना चाहते हैं।

हम पानी के संबंध में एक स्पेशल टास्क फोर्स, एक मिशन मोड में रचना करके, उसको हम एक बहुत बड़ा बल देकर के काम करना चाहते हैं और खासकर की, मैं तो तमिलनाडु के लोगों से मिला था। ये विचार हमारे मन में कई छोटे-छोटे इलाकों से, दूर-सुदूर लोगों ने हमें जो मन की बात भेजी, इसमें आया है और उसको लेकर के हमने इसका महत्व समझा है और उसको हम आगे लेकर जाना चाहते हैं। हम लोगों ने 2014 से 2019, हमारे सारे कामों को देखेंगे, ये बात सही है कि कोई भी सरकार होती है बहुत लोगों को बुरा लगता है क्योंकि उससे कुछ लोगों के जो मूल एजेंडा हैं उसको तकलीफ होती है। लेकिन ये सही है कि गई हुई सरकार और हमारी सरकार का मूल्यांकन तथ्यों के आधार पर होना चाहिए और 2014 से 2019 अगर एक शब्द में कहना है तो हमारे सभी कार्यों की रचना के मूल में सामान्य मानवी की जो आवश्यकताएं हैं उसको एड्रेस करें। हमारे सारे कामों को, उसको हमने बल दिया लेकिन देश जिस उमंग, उत्साह, सपनों के साथ चल पड़ा है जो काम 50-55-60 के कालखंड में होना चाहिए था वो मुझे 2014 से 19 के बीच में करना पड़ा है। लेकिन उसके अनुभव के आधार पर, उस सफलता के आधार पर इस बार, हमने पहले आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर के शासन चलाया। अब सामान्य मानवी की आकांक्षाओं को लेकर के हम क्या कर सकते हैं, उसको घोषणापत्र में लेकर के आए हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति, अपने आप नई-नई आकांक्षाएं जगाती है।

आपने देखा होगा, हमने हिंदुस्तान का एक मैंपिंग किया, सब डिस्ट्रिक्ट का और देश में करीब 150 डिस्ट्रिक्ट ऐसे निकाले कि जहां मिनिमम कुछ चीजों पर और बल देने की आवश्यकता है। हमने एस्परेश्नल डिस्ट्रिक्ट स्ट्रैटिजी वर्कऑउट पर काम किया। हमने तय किया की पश्चिम भारत और पूर्वी भारत दोनों बराबरी कैसे करें, पूर्वी भारत को बल कैसे दें और उसमें हम काफी-कुछ आवश्यकताओं को एड्रेस कर पाए हैं, अब आकांक्षाओं को एड्रेस करने की दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। एक समग्रतय: भारत के विकास को लेकर के हम आगे बढ़ने के लिए चलते आए हैं। एक और विषय हमने लिया है, आजादी का आंदोलन देश में, सैकड़ों साल की गुलामी के दरमियान कोई वर्ष ऐसा नहीं रहा है, हिंदुस्तान का कोई ना कोई कोना आजादी के लिए लड़ाई लड़ता रहा है। सैकड़ों सालों तक हर वर्ष कहीं ना कहीं बलिदानियों की परंपरा रही है लेकिन आजादी को जब महात्मा गांधी ने जन आंदोलन बना दिया तो उसने बहुत बड़ी ताकत पाई।

जैसे आजादी पाने में जन आंदोलन एक बहुत बड़ा सशक्त माध्यम बना कोई सफाई करता है तो आजादी के लिए, कोई शिक्षक का काम करता है आजादी के लिए, कोई खादी कपड़े पहनता है तो आजादी के लिए, गांधी जी ने उसको बहुत बड़ा एक व्यापक रूप दे दिया था। भारत को भी विकास के लिए विकास को जन आंदोलन बनाना है और एक सफल प्रयोग आप देख सकते हैं स्वच्छता। हमारे देश में पहले हम गंदगी की चर्चा करते थे, गंदगी के विषय में हर बार खबरें भी आती थी, बातें भी आती थी, ये सब होता था लेकिन पिछले पांच साल से स्वच्छता की चर्चा हो रही है, इसका मतलब ये नहीं की गंदगी खत्म हो गई थी लेकिन स्वच्छता की चर्चा करते-करते हमने गंदगी को एड्रेस किया, यानी पॉजिटिव थिंकिग को बढ़ाते-बढ़ाते निगेटिविटी को खत्म किया और इसमें मुझे देश के सभी मीडिया हाउस की मदद मिली, मैं आज उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूं।

देश की युवा पीढ़ी की मदद मिली और वो एक जन आंदोलन बन गया। स्वच्छता के लिए कोई सरकार अपने खाते में सफलता का दावा नहीं कर सकती है। जब जन-आंदोलन बनता है तो इतनी बड़ी सफलता मिलती है और इसलिए हम विकास को जन-आंदोलन बनाने की दिशा में केंद्रित विचार लेकर चलना चाहते हैं। ये भी सही है कि आखिरकार गरीबी से लड़ना है तो पचास साल के सारे प्रयोगों ने बताया है कि दिल्ली के एयर कंडिशन में बैठे लोग गरीबी को परास्त नहीं कर सकते हैं। हम लोग भी एयर कंडिशन कमरों में बैठते हैं इसलिए मैं ये किसी और के लिए नहीं कह रहा हूं। गरीब ही गरीबी को परास्त कर सकता है, ये हमारा मंत्र है और इसलिए इंपॉवरमेंट ऑफ पुअर। अब जब हम गरीब को घर देते हैं तो उसकी आवश्यकता पूरी होती है, नए एस्पिरेशन जगते हैं और वो उसके लिए सोचता है। अब घर मिला है तो कर्टन के लिए थोड़े पैसे बचाओ, वो सोचता है मेहमान आएंगे तो दो चेयर के लिए पैसे बचाओ। उसका दिमाग बदलना शुरू हो जाता है, चीजें मैं छोटी बता रहा हूं लेकिन मैं धरती का इंसान हूं इसलिए बदलाव को बहुत बारीकी से देख पाता हूं और इसलिए इंपॉवरमेंट के लिए हमने बल दिया है। दूसरा, हमारे देश में सोच बना दी गई कि जनता को कुछ भी दो कम पड़ता है, ये मैं समझता हूं कि देशवासियों का अपमान है हमारा देश ऐसा नहीं है। एक बार लाल किले से मैंने कहा था की जो संभव हो अपनी गैस सब्सिडी क्यों नहीं छोड़ते और मेरा देश गर्व के साथ कह सकता है, सवा सौ करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी।

हमने रेलवे के रिजर्वेश के फार्म में लिखा था कि आप सीनियर सिटिजन हैं, आप रेलवे यात्रा में कुछ भी पाने के हकदार हैं, सब्सिडी पाने के हकदार हैं लेकिन अगर आपकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि आपको जरूरत नहीं है तो आप इसको छोड़ सकें तो अच्छा होगा, छोटा सा वाक्य उस रिजर्वेशन फार्म में लिखा है। आप हैरान रह जाएंगे, मेरे देश के 50 हजार से ज्यादा सीनियर सिटिजन ने सब्सिडी लेने से मना कर दिया और पूरी टिकट से ट्रैवलिंग किया। देश के अंदर ये जो ताकत है हम उसे एड्रेस करना चाहते हैं, हम इसको बल देना चाहते हैं, हम नागरिक पर भरोसा करना चाहते हैं। हम देश को ही बढ़ा नहीं बनाना चाहते हैं हिंदुस्तान के 130 करोड़ लोग भी देश को बड़ा बनाना चाहते हैं। इसलिए हमने हमारी सारी योजनाओं में नागरिकों की शक्ति के विकास का आधार मानने का इस पत्र में हमारे कार्यक्रमों के केंद्र बिन्दु में दिखेगा।

हमारे देश में भ्रष्टाचार की चर्चा बहुत हुई है, शासकीय व्यवस्था में हमने भ्रष्टाचार को कंट्रोल करने में हमने बहुत सफलता पाई है। गुड गवर्नेंस, ईजी गवर्नेंस, ट्रांसफर एण्ड गवर्नेंस, अकांउटेबल गवर्नेंस, रिस्पांसिबल गवर्नेंस इन सारी बातों पर बल देते हुए शासन व्यवस्था में हमने कई रिफार्म किए हैं। हमने कई अधिकार बहुत नीचे तक दे दिए हैं क्योंकि एकांउटेबिलिटी बढ़ रहा है लेकिन टेक्नोलॉजी ने बहुत बड़ी मदद की है ट्रांसपरेंसी में चाहे जन-धन आधार और हमारी जैम योजना हो या ई-मार्केटिंग का हमारा प्रयास हो, बहुत बड़ी सफलता मिली है। इन चीजों को हम नीचे तक सर्क्यूलेट करना चाहते हैं और उसको हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

किसान के लिए पेंशन की बात हो, खेत मजदूर के लिए पेंशन, इस एक बहुत बड़े कदम की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं ताकि वो एक अश्योर्ड जिंदगी जीने के लिए, अपने परिवार के साथ काम करने के लिए सफलता से आगे बढ़ेगा। ऐसे अनेक विषयों की चर्चा आज यहां पर हमारे साथियों ने की है लेकिन मैंने पहले ही कहा सभी क्षेत्रों में जब हम बात कर रहे हैं तब ये हमारा संकल्प पत्र, ये सुशासन पत्र भी है। ये हमारा संकल्प पत्र राष्ट्र की सुरक्षा का पत्र भी है। ये हमारा संकल्प पत्र राष्ट्र की समृद्धि का पत्र भी है। इन सारी बातों के साथ, आपको याद होगा कि हम 90 के दशक में बार-बार सुनते थे, इक्कीसवीं सदी आ रही है लेकिन देश को उसके लिए तैयार करने में हमने मौका गंवा दिया। 21वीं सदी एक नारा बन गया, चुनाव में बोला जाता था, चर्चा होती थी। 21वीं सदी में हम दो दशकों को पार कर के पहुंचे हैं। 2022 आजादी के 75 साल हैं और कुछ ऐसे ऐतिहासिक पल होते हैं जो प्रेरणा के लिए बहुत बड़ी ताकत रखते हैं। अगर गांधी 150 तो अपने आप में स्वच्छता का एक बड़ा कारण बन सकते हैं, आजादी के 75 साल प्रेरणा का कारण बन सकते हैं।

अब हम सुनते हैं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है, अगर 21वीं सदी एशिया की सदी है तो भारत उसको लीड करे या ना करे। करना चाहिए या नहीं करना चाहिए, कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं? हमारा संकल्प पत्र है हम संकल्प के साथ चलते है की जब हिंदुस्तान की आजादी के 100 साल होंगे, 2047। आजादी के 100 साल हों तब देश डेवलपिंग कंट्री से डेवलप्ड कंट्री की ऊंचाई को कैसे पार करे। ऐसी बहुत सी बातें कह सकते हैं हम लेकिन मैं 2047 की ओर नहीं ले जा रहा हूं आपको, लेकिन 2047 का जो मजबूत फाउंडेशन है 2019 से 2024 में रखना होगा। 2019-24 से मजबूत फाउंडेशन के आधार पर ही 2047 आजादी के सौ साल, वो हिंदुस्तान के हर नागरिक का सपना बने, मास मूवमेंट बने, हमें देश को वहां ले जाना है। और एक बार हम ये मिजाज पैदा कर देते हैं, हमने घोषणापत्र में इस बात का इशारा किया, विस्तार नहीं किया है, लेकिन हमने जो विस्तार किया है वो इन पांच सालों के लिए किया है। उसमें हमने 2022 देश की आजादी के 75 साल को देश के सामने, हमने खुद को कठघरे में खड़ा करके अकांउटेबिलिटी के लिए प्रस्तुत किया है। ये अपने आप में बहुत बड़ा हमारा निर्णय है। देश भ्रष्टाचार को सहने के लिए तैयार नहीं है।

कानून, नियम की व्यवस्थाएं हों, हमारा अप्रोच हो और हम ईमानदारी को बल देते हुए, ईमानदारी की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हुए, भ्रष्टाचार से मुक्ति की दिशा में जाना चाहते हैं। हमने देखा कि 19वीं शताब्दी में हमारे देश में जो सामाजिक बुराइयां आई थीं, बहुत बड़ी मात्रा में बुराइयों ने समाज को जकड़ लिया था। उस समय के नेतृत्व ने एक तरफ आजादी का जंग चल रहा था लेकिन 19वीं शताब्दी में ज्यादातर सामाजिक सुधार के अभियान हुए, बड़ी हिम्मत के साथ हमारे देश के अनेक महापुरुष निकले और उन्होंने किया। आज समय की मांग है की खासकर के हमारी राजनीतिक व्यवस्था में, शासकीय व्यवस्था में जो बुराइयां घर कर गई हैं। 19वीं शताब्दी में सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जिस प्रकार से एक जन-चेतना का आंदोलन चला, आने वाले दिनों में एक निश्चित फ्रेम वर्क की व्यवस्थाओं के भीतर इस प्रकार की जो बुराइयां घुस गई हैं उसके खिलाफ कदम भी लेने हैं, नीतियां भी बनानी हैं, निर्णय भी करने हैं लेकिन जन सामान्य का दबाव भी बढ़ाना है, एक जन आंदोलन भी करना है, सुधार के संकल्प की ओर जाना है। उस दिशा में भी एक सकारात्मक विचार को ले जा कर के हम देश को आगे ले जाने का प्रयास करते हैं।

गांव, गरीब, किसान हमारे इस केंद्र में हैं, देश के नौजवान, वो आने वाले पांच साल में 2047 का भविष्य तय करने वाले हैं और इसलिए देश के नौजवानों की उस प्रकार से परवरिश हो, देश के नौजवानों के लिए उस प्रकार के अवसर। जिसमें हम कहें, 100 लाख करोड़ रुपए का इनवेंस्टमेंट, एग्रीकल्चर में 25 लाख करोड़ का इनवेस्टमेंट, ये अपने आप में बहुत ऊंचे लक्ष्य लेकर के हम चल रहे हैं। जो पूरी व्यवस्था को, आर्थिक आधार को, एक नई ताकत देंगे और एक ऐसा परिवेश जो हिंदुस्तान को पांच साल में ऐसी परिस्थिति में ला देना है ताकि वो 2047 का आकांक्षाओं को अपना सपना बना ले और सपना बना कर के उस दिशा में सरकारें आगे बढ़ें। उस बात को लेकर के एक फाउंडेशन का काम भी हम इसके साथ-साथ करेंगे, आकांक्षाओं को पूरा करने का सपना लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं। मैं फिर एक बार संकल्प पत्र की रचना में जिस टीम ने काम किया है उनका अभिनंदन करता हूं। मैं बारीकी में, छोटे-छोटे प्रोग्राम की रचना में नहीं गया हूं। एक मूलत: राष्ट्र को आगे किस दिशा में जाना चाहिए, बैक ऑफ द माइंड मेरे मन में क्या विचार रहते हैं उसको मैंने अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। मैं फिर एक बार आप सबने जो कुछ भी सहयोग दिया है उसके लिए आपका धन्यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं, धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!