Our mantra is Sabka Sath, Sabka Vikas but SP, BSP & Congress believes in Kuch Ka Sath, Kuch Ka Hi Vikas: PM
We would continue to undertake measures that would fight corruption: PM Modi
Uttar Pradesh has so much potential but the present Samajwadi Government is not interested in development at all: PM
Our aim is to double farmers' income by 2022 when India celebrates her 75th year of independence: PM

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, मेरे पुराने साथी डॉ रमापति राम त्रिपाठी जी, संसद में मेरे साथी भाई पंकज चौधरी जी, महाराजगंज जिलाध्यक्ष श्रीमान अरुण शुक्ल जी। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और रैली के प्रभारी श्री त्रयंबक त्रिपाठी जी। क्षेत्रीय मंत्री डॉ धर्मेंद्र सिंह। जिला पंचायत के अध्यक्ष श्रीमान प्रभुदयाल चौहान जी। जिला महामंत्री श्रीमान ओमप्रकाश पटेल जी। राष्ट्रीय परिषद के सदस्य श्रीमान कृष्ण गोपाल जायसवाल जी। जिला महामंत्री श्रीमान परदेशी रविदास जी। पूर्व विधायक एवं लोकसभा के पालक चौधरी शिवेंद्र सिंह जी। जिला महामंत्री श्रीमान प्रमोद त्रिपाठी जी। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष श्रीमान जनार्दन गुप्ता जी, और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार पनियारा से श्रीमान ज्ञानेंद्र सिंह जी। नौतनवा से श्रीमान समीर त्रिपाठी जी। फरेंदा से श्रीमान बजरंग बहादुर सिंह जी। पिपरैत से श्रीमान महेंद्र पाल सिंह जी। सिसवा से श्रीमान प्रेम सागर जी पटेल। महाराजगंज से श्रीमान जयमंगल कनौजिया जी और विशाल संख्या में पधारे हुए महाराजगंज के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

भाइयों बहनों।

मैं महाराजगंज पहले भी आया था। आज फिर एक बार मुझे आपके बीच आपके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। आपने इतनी बड़ी तादाद में आकरके मुझे आशीर्वाद दिए, हमारे उम्मीदवारों को आशीर्वाद दिए। भारतीय जनता पार्टी को आशीर्वाद दिए... इसके लिए मैं हृदय से आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं। भाइयों बहनों चुनाव को पांच चरण पूरे हो चुके हैं। इन पांचों चरण में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने जिस उमंग के साथ जिस उत्साह के साथ लोकतंत्र के इस महापर्व को मनाया है, भारी मतदान किया है, शांतिपूर्ण मतदान किया है... इसलिए मैं उत्तर प्रदेश के इन पांच चरण में मतदान करने वाले सभी मतदाता भाइयों बहनों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

भाइयों बहनों।

पांचों चरण का हिसाब लोगों ने लगा लिया है। अब बचने की कोशिश उनके लिए बेकार है। उत्तर प्रदेश की जनता पंद्रह साल का गुस्सा निकाल रही है और इस चुनाव में जिन्होंने पंद्रह साल तक उत्तर प्रदेश पर जुल्म किया है, उत्तर प्रदेश को लूटा है इन सबको चुन-चुन करके साफ करने में लोग लगे हैं। भाइयों बहनों देश भर में मैं स्वच्छता अभियान चला रहा हूं, लेकिन उत्तर प्रदेश ने तो स्वच्छता अभियान को एक नया आयाम दे दिया है। सारी गंदगी राजनीति से हटाने का उत्तर प्रदेश ने फैसला कर लिया है, पांच चरण में करके दिखाया है। भाइयों बहनों इंद्रधनुष के सात रंग होते हैं। उत्तर प्रदेश के भी चुनाव के सात चरण हैं। और जब इंद्रधनुष के सात रंग देखते हैं तो मन पुलकित हो जाता है। एक नया और ओज और तेज का निर्माण हो जाता है, नई आशाएं बंध जाती है। इंद्रधनुष के सात रंग की तरह इस सप्तचरण के चुनाव का छठा और सातवां चरण आपके हाथों में है।

भाइयों बहनों।

हम सब्जी भी खरीदने जाते हैं न, गरीब व्यक्ति सब्जी देता होगा, खरीदने वाला भी गरीब होगा, खरीद करके ले लेता है। दूध बेचने वाला दूध बेचता है। और हम दूध लेने जाते हैं। बेचने वाला भी गरीब, लेने वाला भी गरीब। जब दूध दे देता है या सब्जी दे देता है। तो आखिर में वो मां कहती है कि अरे भाई जरा वो दो तीन मिर्ची विर्ची भी डाल दो... तो सब्जी बेचने वाला उसका हिसाब नहीं लगाता है... बोनस में थोड़ी सब्जी, थोड़ी और पत्तियां वगैरह गिफ्ट में दे देता है। दस रुपये की सब्जी खरीदी होगी तो भी... बोनस के रूप में थोड़ा बहुत दे देता है... दूध खरीदते हैं... पांच सौ ग्राम दूध लेंगे... और फिर कहेंगे भाई जरा थोड़ा और...  तो दो चम्मच और डाल देता है। करता है कि नहीं करता है ...। करता है कि नहीं करता है ...। हर कोई बोनस देता है कि नहीं देता है ...। गिफ्ट देता है कि नहीं देता है ...। पांच चरण के अंदर उत्तर प्रदेश की जनता ने बीजेपी को विजय दिला दिया है। छह और सात वालों ने बोनस देना है। गिफ्ट देनी है आपको। और ऐसा बोनस दीजिए, ऐसा बोनस दीजिए कि उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों तक जैसा बहुमत नहीं मिला है, ऐसा बहुमत भारतीय जनता पार्टी के कमल निशान को मिलना चाहिए भाइयों बहनों। मिलेगा ...। मिलेगा ...। ताकत से बोलिए ...। मिलेगा ...। पक्का ...। सपा, बसपा, कांग्रेस, सपा, बसपा, कांग्रेस ...।

भाइयों बहनों।

ये चुनाव गरीबों के हक का चुनाव है। ये चुनाव अपराध से मुक्ति का चनाव है। ये चुनाव शोषण से मुक्ति का चुनाव है। ये चुनाव भाई भतीजेवाद से मुक्ति का चुनाव है। ये चुनाव अपने परायों के बीच भेद से मुक्त करने का चुनाव है। ये चुनाव सबको समान अवसर मिले इसके लिए है। ये चुनाव ऊंच और नींच की भेद रेखाओं को तोड़ने वाला चुनाव है। और इसलिए भाइयों बहनों उत्तर प्रदेश को एक रस बनाना। उत्तर प्रदेश को एकता के रंग से रंग देना। शांति एकता सद्भावना घर घर पहुंचाना इस चुनाव के बाद एक नया उत्तर प्रदेश बनाना। इस सपने को लेकर हम आए हैं और इसको हमें पूरा करना है भाइयों बहनों।

भाइयों बहनों।

हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी श्रीमान अखिलेश जी, छह महीने से कह रहे हैं काम बोल रहा है। काम बोल रहा है। काम बोल रहा है कि कारनामे बोल रहा है। आप बताइये काम बोल रहा है कि कारनामे बोल रहा है ...। काम बोल रहा है कि कारनामे बोल रहा है ...। अखिलेश जी को बुरा लग जाता है कि मोदी जी ऐसा क्यों बोलते हैं। चलो भाई हमारी बात मत मानो, प्रधानमंत्री जी की बात मत मानो। मोदी की बात मत मानो। आपकी अपनी बात हमें माननी चाहिए कि नहीं माननी चाहिए ...। जो अखिलेश जी ने कहा है वो तो मानना चाहिए कि नहीं मानना चाहिए ...। भाइयों बहनों मैं जरा देख रहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार की जो वेबसाइट है। यूपी डॉट गॉव डॉट इन(up.gov.in)... ये यूपी सरकार खुद क्या कह रही है। उन्हीं का डॉक्यूमेंट। और आज सुबह का... पुराना नहीं। आज सुबह का। उनकी वेबसाइट कहती है और वो मेरी बात को पूरी-पूरी ताकत देती है, समर्थन देती है।

भाइयों बहनों।

अखिलेश जी कह रहे हैं कि काम बोल रहा है, उनकी वेबसाइट बोल रही है कारनामें बोल रहे हैं। यूपी सरकार की वेबसाइट क्या कह रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट में बताया गया है... उन्होंने ने लिखा है- 'life in uttar Pradesh is short and uncertain.' उत्तर प्रदेश में जिंदगी बहुत छोटी होती है और कब मर जाएं कोई भरोसा नहीं। ये मैं नहीं कह रहा हूं और न ही कोई यमराज की तरफ से चिट्ठी आई है। ये तो स्वयं अखिलेश जी की सरकार की उनकी सरकार की अधिकृत वेबसाइट कह रही है भाइयों बहनों।  आगे कहते हैं। in this respects Uttar pradesh resembles sahara Africa. उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश की हालत अफ्रीका में सहारा के रेगिस्तान जैसी है। बताइए भइया... अखिलेश जी। आप ये कहें, हम आपका भी न मानें क्या। अब आज मेरा भाषण पूरा होते ही अफसरों पर गाज गिरेगी। ये सच क्यों बोल दिया? मोदी ने पकड़ लिया। भाइयों बहनों, बहुत अहम है, मैं समय लेना नहीं चाहता हूं। लेकिन आज मैं पूरा उनका कच्चा चिट्ठा निकालकरके लाया हूं। उनकी अपनी वेबसाइट का है जी।

 

भाइयों बहनों।

जो लोग जनता जनार्दन को झूठे वादे करते हैं। झूठ फैलाते हैं। आपने देखा होगा कि हमारे विपक्ष के लोग किस प्रकार से बातें करते हैं। वे पहले कहते थे, एक साल पहले आपने सुना होगा। आर्थिक विकास चौपट हो गया है। देश तरक्की नहीं कर रहा है। जीडीपी नहीं हो रहा है। ऐसा ही कहते थे कि नहीं कहते थे, कहते थे कि नहीं कहते थे। जब मैंने आठ नवंबर को रात को आठ बजे टीवी पर आकरके ये कहा कि मेरे प्यारे देशवासियों... पूरा देश जग गया। पांच सौ और हजार के नोट गई। भाइयों बहनों तब उन्होंने क्या कहा, उन्होंने कहा कि मोदी जी हमें समझ नहीं आ रहा है कि देश तेज गति से आगे बढ़ रहा था, आर्थिक दृष्टि से छलांग लगाने को तैयार हो गया था, उसी समय नोट बंद करके आपने पैर क्यों काट लिए। चित भी मेरी पट भी मेरी। पहले कहते थे आर्थिक विकास हो नहीं रहा। नोटबंदी करना हो तो बोले चौपट कर दिया सब चल रहा था, अच्छा चल रहा था, आपने ब्रेक लगा दी। रोजगार चले गए। किसान बर्बाद हो गया। बुआई नहीं हुई। फर्टिलाइजर ले नहीं रहे हैं। फसल नहीं हो रही है। उद्योग बंद हो गए। कारखाने बंद हो गए। देश पूरी तरह पिछड़ गया। और बड़े बड़े विद्वान। कोई हार्वर्ड के कोई ऑक्सफोर्ड के... तीस तीस चालीस साल से देश के अर्थतंत्र में बड़ा मौके का स्थान निभाने वाले, बड़े अर्थशास्त्री, उन्होंने कह दिया... कोई कह रहा था, दो परसेंट जीडीपी कम हो जाएगा। कोई कह रहा था चार परसेंट जीडीपी कम हो जाएगा। देश ने देख लिया, हार्वर्ड वालों की सोच क्या होती है और हार्डवर्क वालों की सोच क्या होती है। ये देश ने देख लिया।

भाइयों बहनों।  

एक तरफ वो विद्वानों जमात है...  जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की बात करते हैं, और एक तरफ ये गरीब का बेटा हार्ड वर्क से देश की अर्थव्यवस्था बदलने में लगा है। हार्वर्ड आगे बढ़ेगा कि हार्ड वर्क, देश के किसानों ने दिखा दिया है। देश के मजदूरों ने दिखा दिया है। देश के इमानदारों ने दिखा दिया है। हार्वर्ड से ज्यादा दम होता है हार्ड वर्क में। भाइयों बहनों, हिंदुस्तान दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली इकोनॉमी में अपना नाम दर्ज करा दिया है। कल जीडीपी के आंकड़े आए कि उन्होंने फिर से सिद्ध कर दिया कि नोटबंदी के  बावजूद भी हिंदुस्तान के ईमानदार लोगों ने, हिंदुस्तान के मेहनतकश लोगों ने, हिंदुस्तान के गांव के लोगों ने, हिंदुस्तान के किसान ने, हिंदुस्तान के नौजवानों ने भारत की विकास यात्रा को कोई आंच नहीं आने दी भाइयों। कोई आंच नहीं आने दी। मैं देशवासियों का ईमानदार लोगों का, मेहनतकश लोगों का, किसान भाइयों बहनों का, मेरे देश के नौजवानों का, सर झुकाकरके नमन करना चाहता हूं। सर झुकाकर करके उनका अभिनंदन करना चाहता हूं कि विरोध के बीच, झूठी बातों के बीच देश पीछे चला जाए तो चला जाए। अपनी राजनीति का चूल्हा जलता रहे। ये खेल करने वालों को पूरी तरह परास्त करके... देश की जनता ने विकास दर को आगे बढ़ाया है। शत-शत नमन मेरे देश वासियों। आपको शत-शत नमन है। देश के प्रधानसेवक का आज आपको शत शत नमन है। आज आपने दुनिया में हिंदुस्तान में नाम रोशन कर दिया है। फिर  एक बार देशवासियों को शत-शत नमन है मेरे भाइयों।

भाइयों बहनों।

आप देखिए। पिछले दिनों कल जो आंकड़े आए हैं अब उनको परेशानी है। अब सच्चाई छुप नहीं सकती है साहब। सत्य बाहर आकरके रह गया तो अब क्या कह रहे हैं। आंकड़े कहां से आए। क्या पता ये आंकड़े सच है या झूठ है। सभी सरकारों में आंकड़े जहां से आते हैं हमारी सरकार में भी वहीं से आंकड़े आते हैं। जिन आंकड़ों के सहारे पिछले दस साल से आप देश को समझाते थे, वही आंकड़े खुद बोलते हैं। ये काम और कारनामे की कथा नहीं है, ये सवा सौ करोड़ देशवासियों के परिश्रम की कहानी है भाइयों, गर्व करने वाली कहानी है। खनन के उद्योग और मैं अवैधानिक रूप से गैर कानूनी तरीके से खनन वो कर रहा वो बात नहीं कर रहा हूं। आप तो अवैध खनन माफियाओं के लालन पालन को रोकने में सफल नहीं हुए हैं। खनन 7.5 प्रतिशत वृद्धि, बिजली-गैस 6.8 प्रतिशत वृद्धि, 2016-17 का खरीफ का अनुमान, खरीफ के उपज में 9.9 प्रतिशत वृद्धि, रबी में 6.3 प्रतिशत वृद्धि, मैन्यूफैक्चरिंग में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि और महंगाई पर लगाम। देश को यही अर्थनीति का मॉडल चाहिए। देश तेजी से आगे बढ़ रहा है, देश बदल रहा है। ये हमने करके दिखाया है।

भाइयों बहनों।

इस चुनाव में ये परेशान हैं, पहले कह रहे थे हम किसी से समझौता नहीं करेंगे। दूसरे कह रहे थे कि 27 साल यूपी बेहाल। एक तरफ वो लोग थे जो कह रहे थे यूपी बेहाल। दूसरी तरफ वो लोग थे जिन्होंने यूपी को किया बेहाल। और जब चुनाव का बिगुल बजा तो बेहाल कहने वाले, बेहाल करने वाले दोनों गले लग गए। भाइयों बहनों ये लोग और ज्यादा बेहाल करेंगे कि नहीं करेंगे। और ज्यादा बेहाल करेंगे कि नहीं करेंगे। और ज्यादा बर्बाद करेंगे कि नहीं करेंगे। एक की एक्सपरटाइज है देश को बर्बाद करने की। दूसरे की एक्सपरटाइज है उत्तर प्रदेश को बर्बाद करने की। ये दोनों बर्बाद करने वाले मिल जाएं तो कुछ बचेगा क्या ...। इनको कभी भी जीतने देना चाहिए ...।

भाइयों बहनों।

अगर हम तीन दिन भी गांव जाएं। शहर का बच्चा, दसवीं-बारहवीं का बच्चा, तीन दिन भी गांव चला जाए। किसानों से मिले खेत में जाकरके आए, बात करके आए। तो उसको खेत कैसा होता है। फसल कैसी होती है। पौधा किसका होता है। पैड किसका होता है। तुरंत समझ आ जाता है। आता है कि नहीं आता है भाइयों। उसके लिए कोई यूनिवर्सिटी में जाना पड़ता है क्या ...। कांग्रेस के एक ऐसा नेता है। बड़े कमाल का नेता। हम तो हमेशा भगवान से प्रार्थना करेंगे कि ईश्वर उनको बहुत लंबी आयु दें। दीर्घायु बनाएं।

भाइयों बहनों।

वो उत्तर प्रदेश में कहते हैं कि आलू की फैक्ट्री लगेगी। भई फैक्ट्री में आलू होता है क्या ...। आपको पता है भाई फैक्ट्री में आलू होता है क्या ...। आलू फैक्ट्री में होता है क्या ...। आलू फैक्ट्री में होता है क्या ...। उत्तर प्रदेश में लगाएंगे आलू की फैक्ट्री। आपको कौन बचाएगा भाइयों ...। इनसे आपको कौन बचाएगा बताइये ...। भाइयों बहनों समझ आ नहीं रहा है। आप देश के लिए क्या करना चाहते हैं ...। उत्तर प्रदेश के गरीबों की भलाई के लिए क्या करना चाहते हैं ...। जरा हिसाब तो दो। आजादी के पचास साठ साल तक आपके एक ही परिवार ने राज किया है। उत्तर प्रदेश में कभी बुआ तो कभी भतीजा। तो कभी भतीजे के पिता। यही चलाते रहे हैं। भाइयों बहनों आप मुझे बताइये। क्या इससे उत्तर प्रदेश का भला होगा क्या ...। कैसे सरकार चलाइये।

 

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश में करीब करीब तीस लाख परिवार ऐसे हैं। जिनके पास घर नहीं है। तीस लाख परिवार ऐसे हैं जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है। भारत सरकार ने  सपना संजोया है, संकल्प किया है, योजना बनाई है, रुपयों का आवंटन किया है कि 2022... पांच साल के बाद हमारी देश की आजादी के पचहत्तर साल होंगे। आजादी के पचहत्तर साल कैसे हों, भगत सिंह सुखदेव, राजगुरु, जिन महापुरुषों ने अपनी जिंदगी लगा दी। महात्मा गांधी, सरदार पटेल आजादी के लिए जूझते रहे। लच्छावदि लोग, एक दो नहीं मैं नाम सबका नहीं बोल सकता। लच्छावदि लोग, लाखों लोग। दशकों तक लड़ते रहे, जेलों में जिंदगी गुजारते रहे। फांसी की तख्त पर चढ़ते रहे। काला पानी की सजा भुगतते रहे। तब जाकरके आजादी मिली है। आजादी के जब पचहत्तर साल हों, क्या आजादी के पचहत्तर साल होने के बाद भी हिंदुस्तान के हर गरीब को उसका अपना घर होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। गरीब को भी छत मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। घर भी ऐसा हो, जिसमें शौचालय भी हो, घर ऐसा हो जिसमें बिजली भी आती हो, घर ऐसा हो जहां नलके में पानी भी आता हो, घर ऐसा हो जहां गैस का चूल्हा भी हो, घर ऐसा हो जहां बच्चों को बैठने के लिए पढ़ने के लिए बैठने की जगह भी हो, ऐसा घर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। मिलना चाहिए कि नहीं ...। भाइयों बहनों आज तक किसी सरकार ने हिम्मत नहीं की, हमारी सरकार ने हिम्मत की है कि हम 2022 में हिंदुस्तान के हर परिवार को रहने के लिए उसका घर देना चाहते हैं।

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश में तीस लाख परिवार हैं, एक परिवार के पांच लोग हम गिनें तो डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग हैं जिनको अपना घर नहीं है, रहने के लिए छत नहीं। भाइयों बहनों आप मुझे बताइये। जब भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार को चिट्ठी लिखती है कि तीस लाख कौन हैं, उसकी सूची भेजिए। हम आपको पैसे देना चाहते  हैं। हम मकानों का काम शुरू करना चाहते हैं। सरकार ने नाम भेजना चाहिए कि नहीं भेजना चाहिए। गरीबों के लिए काम करना चाहिए कि नहीं चाहिए। भाइयों गरीब का कोई धर्म संप्रदाय नहीं होता है। गरीब बेचारा गरीब होता है। उसे तो दो टाइम खाना मिले, रहने को घर मिले, बच्चों को पढ़ाई मिले, नौजवानों को रोजगार मिले। एक अच्छी सी जिंदगी गुजारने का सपना होता है। हम ये पूरा करना चाहते हैं। कोई भेदभाव के बिना। न धर्म का भेदभाव, न जाति का भेदभाव, न शहर और गांव का भेदभाव, गरीब यानी गरीब। एक ही तराजू से तौला जाएगा। गरीब यानी गरीब। भाइयों बहनों। मुझे दुख के साथ कहना पड़ेगा। काम बोलते हैं कि कारनामे बोलते हैं अखिलेश जी। हमारी सरकार ने आपको 13 चिट्ठियां लिखी 13, हमारे शहरी विकास मंत्री ने चिट्ठियां लिखी। उत्तर प्रदेश के शहरों में तीस लाख परिवारों को घर देने के लिए नाम की सूची दीजिए। भाइयों बहनों उत्तर प्रदेश की सरकार नहीं दे पाई। अब गरीब को घर मैं देना चाहता हूं। कैसे मिलेगा। गरीब को घर देने में रुकावट पैदा करने वाली ये सरकार जानी चाहिए कि नहीं जानी चाहिए ...। जानी चाहिए कि नहीं जानी चाहिए ...। गरीबों को घर दिला सके ऐसी सरकार लानी चाहिए कि नहीं लानी चाहिए ...। भाइयों बहनों और जब उन्होंने लिस्ट भेजा तो कितना भेजा। शहरों में तीस लाख परिवारों में से सिर्फ ग्यारह हजार का ही लिस्ट भेजा। अब आप अंदाज लगा सकते हैं कि ग्यारह हजार कौन होंगे। किसकी सूची बनाई होगी। कैसे पसंद किए होंगे। यही खेल खेले होंगे न। ये बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...।

भाइयों बहनों।

हमारी सरकार हर घर में बिजली देना चाहती है। चौबीस घंटे बिजली देना चाहती है। हमने उत्तर प्रदेश के लिए करीब अट्ठारह हजार करोड़ रुपया लगाना तय किया। ताकि हर घर में चौबीस घंटे बिजली मिले। आप हैरान होंगे। उत्तर प्रदेश की सरकार भारत सरकार के पैसों का भी खर्चा नहीं कर पाई। पैसे ऐसे के ऐसे सड़ रहे हैं और लोग अंधेरे में जी रहे हैं। भाइयों बहनों काम कैसे होना चाहिए उनको काम की परवाह नहीं है। मैं आज मेरे गरीब भाइयों बहनों को कहना चाहता हूं, कि जरा आप विचार कीजिए। राजनीति में वादे करने वाले दल चुनाव में आते  हैं। जाति जाति के भांति भांति के भाषण भी करते हैं। जब मैं लाल किले से प्रधानमंत्री बनने के बाद बोल रहा था, लोगों को मैंने कहा कि आप कमाते हैं पैसे हैं, घर में दो दो गाड़ियां हैं आप  गैस की सब्सिडी क्यों लेते हो। गैस की सब्सिडी छोड़ दो। मैं गरीब को गैस देना चाहता हूं। भाइयों बहनों मेरे देश के सवा करोड़ परिवारों ने गैस की सब्सिडी छोड़ दी और मैंने फैसला किया कि गरीब मां जो लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाती है। उसके शरीर में लकड़ी का चूल्हा जलाने के कारण खाना पकाते समय जो धुआं होता है गरीब मां के शरीर में एक दिन में एक दिन में चार सौ सिगरेट का धुआं उसके शरीर में जाता है। चार सौ सिगरेट का धुआं उस गरीब मां के शरीर में जाता है। जब मां खाना पकाती है, छोटे-छोटे बच्चे वहां खेलते हैं, ये धुआं उन छोटे-छोटे बालकों के शरीर में भी जाता है। आप मुझे बताइये जिस मां के  शरीर में चार सौ सिगरेट का धुआं जाता हो। जिस बच्चे के शरीर में इतना धुआं जाता हो, उनकी तबीयत कैसे अच्छी रहेगी। वो बीमार होगी कि नहीं होगी। उन गरीब मां को कौन बचाएगा। भाइयों बहनों आज दिल्ली में प्रधानमंत्री के पद पर एक गरीब मां का बेटा बैठा है। वो गरीब मां के दुख को भलि भांति समझता है। वो गरीब मां की पीड़ा समझता है। और हमने तय किया कि मैं गरीब माताओं को ये लकड़ी के चूल्हे से आने वाले धुएं से मैं बचाना चाहता हूं। सरकार खजाना खाली हो जाए तो हो जाए लेकिन मैं मेरे गरीब माताओं को बच्चों को बचाना चाहता हूं। भाइयों बहनों हमने सपना संजोया, संकल्प किया, धन आवंटन किया, तीन साल में तीन साल में पांच करोड़ हिंदुस्तान के गरीब परिवारों के घर में गैस का सिलेंडर पहुंच जाएगा, मुफ्त में गैस का कनेक्शन लगा दिया जाएगा। और गैस के चूल्हे से गरीब भी खाना पकाएगा भाइयों बहनों जैसे हिंदुस्तान के अमीर से अमीर के घर में भी चूल्हा जैसे जलता है, वैसा ही चूल्हा मेरे गरीब घर में भी जलेगा। ये मैंने काम शुरू किया है। और अभी तो एक साल नहीं हुआ है योजना को लागू किए। दस ग्यारह महीने हुए हैं लेकिन करीब करीब पौने दो करोड़ परिवारों में गैस का सिलेंडर पहुंच गया, गैस का कनेक्शन दे दिया गया। इन परिवारों को हमने बचा लिया, बाकी परिवारों को हम बचा लेंगे। महाराजगंज में अब तक नब्बे हजार महिलाओं को गैस का सिलेंडर दे दिया गया है। गैस का कनेक्शन दे दिया गया है। नब्बे हजार। सत्तर साल तक जो काम सरकार नहीं कर पाई वो हमने ग्यारह महीने में कर के दिखाया  है। कुशीनगर अब तक पौने दो लाख गैस कनेक्शन मिल चुका है। गोरखपुर में सवा लाख महिलाओं को मिला है। देवरिया में करीब एक लाख लोगों को, सिद्धार्थ नगर में बयासी हजार महिलाओं के घर में गैस का कनेक्शन पहुंच चुका है। काम कैसे होता है, जिस घर में जाएंगे। गैस के चूल्हे पर चाय बनाकरके गरीब मां पिलाएगी तब पता चलेगा कि काम का टेस्ट क्या होता है। उस चाय के टेस्ट में कैसे काम की महक आ रही है ये पता चल जाएगा भाइयों बहनों। उसके लिए टीवी में इश्तेहार नहीं देना पड़ता, चाय की चुस्की में ही पता चल जाता है कि काम कैसे होता है।

भाइयों बहनों।

हमारे देश में गरीब से गरीब भी बिजली का जो बल्ब उपयोग करता है। वो ज्यादा बिजली का बिल देता है। गरीब को कम बिजली का बिल आए ऐसा लट्टू चाहिए, ऐसा पंखा चाहिए। ताकि महीने-महीने भर में उसके सौ दो सौ रुपया बच जाए, बिजली का बिल कम हो जाए, तो उन पैसों से घर के छोटे बच्चों को वो दूध पिला सके। और इसलिए हमने बिजली की बचत करने वाले, बिजली के बल्ब को कम लाने वाले एक नए प्रकार के एलईडी बल्ब आते हैं। वो एलईडी बल्ब लगाने का अभियान चलाया। भाइयों बहनों पहले की सरकार थी तब भी एलईडी बल्ब था। लेकिन जब कांग्रेस की सरकार थी तो एलईडी बल्ब बिकता था, वो लट्टू बिकता था साढ़े तीन सौ, चार सौ रुपये में। हमने एलईडी बल्ब बनाने वालों को बुलाया। हमने कहां बताओ कितना खर्चा होता है। हमने कहा गरीब को लूटते हो। क्या समझते हो। हिसाब लेना शुरू किया जरा। पूछताछ शुरू की तो वो त त भ भ करने लग गए। मैंने कहा कि सही बताइये क्या हो रहा है, बताओ। साढ़े तीन सौ चार सौ रुपये कैसे मारते हो तुम लोगों से। भाइयों बहनों। मैं पीछे पड़ गया हिसाब पक्का कर लिया, जो एलईडी बल्ब चार सौ रुपये में बिकता था आज अस्सी रुपये में बिकना शुरू हो गया। सरकार गरीब के लिए काम कैसे करती है ये उसका जीता जाता उदाहरण है। और इसके कारण आज हिंदुस्तान में 21 करोड़ लट्टू, 21 करोड़ बल्ब एलईडी के लग चुके  हैं। भाइयों बहनों पूरे देश में हम इस काम के लिए लगे हुए हैं और जो 21 करोड़ एलईडी के बल्ब लगे हैं न, उजाला ज्यादा आया, बिजली का खर्चा कम आया, और ये लट्टू, पहले वाला लट्टू अगर एक साल तक चलता था तो ये ढाई तीन साल तक खराब नहीं होता है, ऐसा लट्टू ले आए। बताइये गरीब को फायदा हुआ कि नहीं हुआ। हुआ कि नहीं हुआ। देश में एलईडी के बल्ब लगाए हैं लोगों के जेब में पूरे देश में करीब ग्यारह हजार करोड़ रुपये की बचत हो रही है। ग्यारह हजार करोड़ रुपया बचना ये छोटा काम नहीं है भाइयों। क्योंकि ये गरीब के जेब से बचा है, गरीब के भलाई का काम हमने किया है। भाइयों बहनों हमारे महाराजगंज में एक लाख तेरह हजार एलईडी बल्ब लग चुके है। गोरखपुर में छह लाख तिहत्तर हजार बल्ब लग चुके हैं। देवरिया में दो लाख चालीस हजार बल्ब लग चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर समझाते हैं और लोग इसका फायदा ले रहे हैं। और इसका भाइयों बहनों लोगों को लाभ मिल रहा है।

भाइयों बहनों।

मेरे किसान भाइयों बहनों आप मुझे बताइए। पहले जब चाहिए तब यूरिया मिलता था क्या ...। जोर से बताइये। मिलता था क्या ...। जितना चाहिए उतना मिलता था क्या ...। अच्छा यूरिया दस दिन के बाद आए तो कोई फायदा है क्या ...। खेत में जब चाहिए तब मिलना चाहिए कि नहीं चाहिए ...। फसल  को जब जरूरत हो तब देना चाहिए कि नहीं चाहिए ...। लेकिन दिल्ली में ऐसी सरकार थी, जो आलू की फैक्ट्री लगाने की जिसकी समझ हो। उनको ये पता नहीं था कि यूरिया किसान के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है। मैं जब प्रधानमंत्री बना। पहले ही महीने मे ही ढेर सारी चिट्ठियां मुख्यमंत्रियों की आई... क्या आया। मोदी जी यूरिया दीजिए। यूरिया दीजिए। हमारे यहां यूरिया कम है। अब मैं तो नया नया था। एक महीने में करूंगा क्या। लेकिन बाद में दिमाग लगाया। काम शुरू किया। भाइयों बहनों मैंने देखा। नाम किसान का था। सब्सिडी किसान के नाम से कटती थी। लेकिन यूरिया खेत में नहीं जाता था। किसान के पास नहीं जाता था। खेती के काम नहीं आता था। फैक्ट्री से यूरिया निकलता था और उसकी चोरी होती थी। और चोरी होकरके वो यूरिया केमिकल के कारखानों में पहुंच जाता था। और वे उसमें से कुछ दूसरी चीज बना देते और केमिकल डालकर के। ...और अरबों रुपया कमाते थे। किसान का लूट लेते थे। हमने तय किया। हम यूरिया का नीम कोटिन करेंगे। जब नीम कोटिन बोलते हैं तो गरीब किसान को लगता है कि ये कौन सी नई बला आई। ये कौन सा विज्ञान है। भाइयों बहनों बड़ी सिंपल बात है। गरीब का बेटा हूं न... तो बात छोटी-छोटी समझ जाता हूं जी। कुछ नहीं किया छोटा सा काम किया। यूरिया के कारखाने लगे थे। वहां अगल बगल के गांवों की महिलाओं को कहा कि आपके यहां जो नीम के जो झाड़ है, उन नीम के झाड़ की जो फली है वो नीचे गिरती है उसको इकट्ठी कीजिए। कारखाने वाले उसको खरीद लेंगे। गरीब को फली का पैसा मिलने लगा। उस फली का तेल निकाला। तेल निकालकरके यूरिया में मिक्स कर दिया और किसानों को यूरिया देना शुरू कर दिया। ये हो गया नीम कोटिन यूरिया। कितना सिंपल है। लेकिन नीम कोटिन करने के बाद मुट्ठी भर यूरिया भी किसी केमिकल वाले के काम नहीं आएगा। अब वो नीम वाला यूरिया जमीन खाद का वही काम कर सकता है उसका और कोई उपयोग हो ही नहीं सकता है। बताइये चोरी गई कि नहीं गई ...। भ्रष्टाचार गया कि नहीं गया ...। बेइमानी गई कि नहीं गई ...। किसान को कालेबाजारी से यूरिया लेना बंद हुआ कि नहीं हुआ ...। समय पर यूरिया मिलने लगा कि नहीं मिला ...। यूरिया के लिए कतार खड़ी रहनी पड़ती थी बंद हुआ कि नहीं हुआ ...। यूरिया कालेबाजारी में लाना था बंद हुआ कि नहीं हुआ ...। यूरिया ले जाने वालों पर पुलिस डंडे मारती थी बंद हुआ कि नहीं हुआ ...। भाइयों बहनों आज हिंदुस्तान में एक भी मुख्यमंत्री यूरिया के लिए चिट्ठी नहीं लिखता है भाइयों। यूरिया समय पर पहुंचता है।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताओ भाइयों। चार सौ रुपये में एलईडी बल्ब बेचने वालों का 80 रुपया हो जाए तो वो मोदी पर नाराज होंगे कि नहीं होंगे ...। गुस्सा आएगा कि नहीं आएगा ...। मोदी को ठीक करने के लिए कुछ योजना बनाते होंगे कि नहीं बनाते होंगे ...। कुछ करने की सोचते होंगे कि नहीं सोचते होंगे ...। ये यूरिया चोरी-चोरी कर-करके अपने केमिकल में उपयोग करते थे उनकी दुकान बंद हो गई। ये धन्ना सेठ मोदी पर गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे ...। करेंगे कि नहीं करेंगे ...। उनकी तो मुफ्त की कमाई बंद हो गई तो गुस्सा आएगा कि नहीं आएगा ...। मोदी उनको आंख में चुभता होगा कि नहीं चुभता होगा ...। लेकिन ये किसके लिए कर रहा हूं। ये किसके लिए कर रहा हूं। ये गरीबों के लिए कर रहा हूं, मेरे किसान भाइयों के लिए कर रहा हूं। किसके लिए कर रहा हूं। किसके लिए कर रहा हूं।

भाइयों बहनों।

मैं गरीबों के लिए काम करने के लिए व्रत लेकरके निकला हुआ इंसान हूं। गरीबों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने के लिए तय करके निकला हुआ इंसान हूं। आप मुझे बताइये दवाइयां। गरीब से गरीब व्यक्ति भी, अगर परिवार में कोई बीमारी आ जाए, मध्यम वर्ग का परिवार हो शिक्षक हो। सरकारी बाबू हो, पुलिस वाला हो। भाइयों बहनों अगर मध्यम वर्ग के परिवार में भी अगर एकाध व्यक्ति भी बीमार हो जाए। एकाध व्यक्ति भी बीमार हो जाए। भाइयों बहनों तो सरकार का पूरा बजट बर्बाद हो जाता है कि नहीं हो जाता है। बेटी की शादी रूक जाती है कि नहीं रूक जाती है। अस्पताल का खर्चा महंगा पड़ता है कि नहीं पड़ता है ...। दवाई का खर्चा गरीब को और मार देता है कि नहीं मार देता है ...। हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, अब हृदय रोग की बीमारी थोड़े ही अमीरों रही है, अब गरीब के घर में भी आती है और जब गरीब को हृदय रोग की बीमारी आ जाए, कैंसर की बीमारी आ जाए, डायबिटीज आ जाए। दवाई लेने जाए तो पूरी कमाई दवाई में चली जाय। भाइयों बहनों कैंसर तीस तीस हजार की गोली, तीस हजार रुपये, आप विचार कीजिए महीने में एक गोली भी लेनी होगी, तो गरीब हो, मध्यम वर्ग का आदमी हो, शिक्षक हो, सरकारी बाबू हो, पुलिसवाला हो तीस हजार रुपये की गोली कहां से लाएगा भाइयों। वो मौत का इंतजार करेगा कि नहीं करेगा ...। मैंने इन दवाई बुलाने वालों को बुलाया। ये तीस हजार की गोली में क्या जादू है, बताओ तो जरा क्या डालते हो। इतनी गोली का तीस हजार कैसे लेते हो तुम, बताओ। हर चीज का हिसाब मांगा। क्या-क्या डालते हो, कितना खर्चा होता है, मेहनत कितनी लगती है, दफ्तर का पैकेजिंग का खर्चा लगाओ। भाइयों बहनों साल भर इसी में लगा रहा। और बाद में आठ सौ दवाइयों की मैंने सूची बनाई आठ सौ दवाइयां। और मैंने कहा ये आठ सौ दवाइयां जो किसी भी बीमार व्यक्ति को जरूरत पड़ती है ऐसी महंगी दवाई गरीब मध्यमवर्ग का व्यक्ति नहीं ले सकता है। दवाई के दाम पड़ेंगे कम, मुनाफा होगा कम। आपको सीधे चलना पड़ेगा। और भाइयों बहनों तीस हजार में जो गोली बिकती थी मैंने उसकी कीमत तीन हजार कर दी। अस्सी रुपये में जो दवाई बिकती थी वो दवाई 12 रुपये में बिकने के लिए मजबूर कर दिया भाइयों बहनों। आप मुझे बताइये गरीब और मध्यम वर्ग के व्यक्ति के घर में बीमारी आएगी तो उसका खर्चा बचेगा कि नहीं बचेगा ...। वो दवाई करवाएगा कि नहीं करवाएगा ...।

भाइयों बहनों।

इतना ही नहीं हृदय रोग की बीमारी हो जाए। बड़ी जबरदस्त पीड़ा हो, उठाकर रिश्तेदार को अस्पताल ले जाएं तो डॉक्टर कहेगा कि इनको दिल का दौरा पड़ा है, और जो हृदय में खून ले जाने वाली नली है न, वो चिपक गई है, इसलिए खून नहीं जाता है, इसको खोलना पड़ेगा। खोलने के लिए अंदर एक स्टैंट लगाना पड़ेगा, स्टैंट लगाना पड़ेगा। हमारे यहां उत्तर प्रदेश में इसको छल्ला बोलते हैं, छल्ला लगाना पड़ेगा। वो गरीब आदमी कर्ज लेकर भी कहता है, भई कैसा भी करो इसको बचा लो, ये घर का महत्वपूर्ण व्यक्ति है, इसकी जिंदगी बचा लो। तो डॉक्टर कहता है कि ये वाला छल्ला लगाना है, 45 हजार रुपया। ये वाला छल्ला लगाना है तो, सवा लाख रुपया। तो बीमार आदमी पूछता है कि 45 हजार का क्या होगा। वो कहता है 45 हजार वाला लगाओगे तो चार छह साल तो निकाल देगा, बाद में कह नहीं सकता। लेकिन ये सवा लाख वाला लगाओगे तो फिर चिंता करने की जरूरत नहीं जिंदगी भर वो चल जाएगा। गरीब आदमी भी सोचता है भाई, बच्चा जिंदा रहना चाहिए, पति जिंदा रहना चाहिए, पिता जिंदा रहना चाहिए, मां जिंदा रहना चाहिए। वो कहता है ऐसा करो भाई सवा लाख वाला लगा दो। अंदर क्या डाला कौन देखने जाता है। खोलकर देखते हैं कि क्या डाला, सही डाला गलत डाला।

भाइयों बहनों।

मैंने छल्ला बनाने वालों को बुलाया। मैंने कहा इतना महंगा कैसे गरीब आदमी लेगा। उसको भी हृदय रोग  की बीमारी होगी तो जाएगा कहां। इनको बुलाया। मैंने कहा जरा मुझे बताओ कितना खर्चा होता है, कैसे होता है। छल्ले में क्या क्या लगाते हो। कितना खर्चा होता है। सारा हिसाब लगाया भाइयों बहनों। और मैंने पंद्रह दिन पहले हुकुम कर दिया। 45 हजार का छल्ला 7 हजार में ही बेचना पड़ेगा। सवा लाख का छल्ला 25, 27 हजार रुपये में बेचना पड़ेगा। बताओ भाइयों बहनों ये गरीब के लिए करता हूं कि नहीं करता हूं। ये मध्यम वर्ग के लोगों के लिए करता हूं कि नहीं करता हूं। धन्ना सेठ मुझ पर कितने ही नाराज क्यों न हो जाएं, लेकिन ये सरकार गरीबों की है। लेकिन ये सरकार गरीबों के लिए है। ये सरकार गरीबों की मदद करने के लिए है। ये सरकार गरीब को ताकत देने के लिए है। इसलिए भाइयों बहनों गांव हो, गरीब हो, किसान हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो ये सारा मेरा परिवार है और उनका कल्याण करना यही मेरा मकसद है।

भाइयों बहनों।

उत्तर प्रदेश का विकास करना होगा... तो यहां शांति चाहिए, सुरक्षा चाहिए। आप मुझे बताइये उत्तर प्रदेश में बेटी सूरज ढलने के बाद अकेली घर के बाहर जा सकती है क्या। बताइये जरा... आप से पूछ रहा हूं, जा सकती है क्या ...। बेटी सलामत है क्या ...। कोई नागरिक सलामत है क्या ...। आपकी जमीन सुरक्षित है क्या ...। आपका घर सुरक्षित है क्या ...। कोई भी आकरके कब्जा कर लेता है कि नहीं कर लेता है ...। बेटियों पर बलात्कार होते हैं कि नहीं होते हैं ...। निर्दोषों को मौत के घाट उतारा जाता है कि नहीं उतारा जाता है ...। ये खेल बंद होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए ...। ये हत्याएं बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। ये मां बहनों की इज्जत लूटने का खेल बंद होना चाहिए कि नहीं चाहिए ...। भाइयों बहनों आज उत्तर प्रदेश में थाने को समाजवादियों का कार्यालय बना दिया गया है, समाजवादियों का दफ्तर बना दिया गया है। थाने में पुलिसवाला शिकायत दर्ज नहीं कर पाता जब तक समाजवादी की अनुमति न मिल जाए, पैसों का खेल न हो जाए। तब तक शिकायत तक दर्ज नहीं होती है भाइयों। ये बंद करना है।

इसलिए भाइयों बहनों शांति, एकता, सद्भावना, इस मंत्र को लेकरके उत्तर प्रदेश ऐसा होनहार बने, ऐसा सामर्थ्यवान बने, उत्तर प्रदेश का भविष्य बदल जाए, उत्तर प्रदेश हिंदुस्तान का भविष्य बदल देगा। उत्तर प्रदेश के नौजवान को अपने जनपद में रोजगार मिले, उसके लिए हम काम करना चाहते हैं। गुजरात से गोरखपुर तक ढाई हजार किलोमीटर से भी लंबी हम पाइप लाइन लगा रहे हैं। हजारों करोड़ रुपये की लागत से उसमें गैस आएगा। गैस के आधार पर बिजली लगेगी, गैस के आधार पर कारखाने लगेंगे। यहां के नौजवान को रोजगार मिलेगा भाइयों बहनों। और इसलिए उत्तर प्रदेश के मेरे भाइयों बहनों, महाराजगंज के मेरे भाइयों बहनों पांच चरण तेजस्वी रूप से आगे बढ़ चुके हैं। ये इंद्रधनुष छठवां रंग, केसरिया रंग आपके हाथ में है, पूरे इस इलाके में एक भी सीट एक भी सीट सपा, बसपा, कांग्रेस को जाने नहीं चाहिए। इस ताकत से विजय दिलाइये। पूरी तरह आइये। ऐसा भव्य विजय दिलाइये कि उत्तर प्रदेश एक नया उत्तर प्रदेश बनाने की दिशा खुल जाए। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!