'Ajay Bharat, Atal Bhajpa' is a source of inspiration for all of us, says PM Modi

Published By : Admin | September 13, 2018 | 13:08 IST
Instead of a VIP, we are focusing to promote EPI or "Every Person is Important" culture: PM Modi
'Ajay Bharat, Atal Bharat' is a source of inspiration for all of us, says PM Modi
Sabka Saath, Sabka Vikas is not just a slogan but our motto is clear - we want everyone to progress irrespective of caste or religion: PM Modi
I sometimes feel sorry for some the Congress party workers. Their hardwork was overshadowed by one family: PM Modi
We will continue to fight against forces that are trying to divide the society: PM Modi
BJP is the only party where a simple worker can rise up the ladder within the organisation to reach at the top: PM Modi

नमस्कार। गाजियाबाद, नवादा, हजारीबाग, जयपुर (देहात) और एकदम पूरब में अरुणाचल के आप सभी सांसदों, कार्यकर्ताओं को मेरा नमस्कार। वहाँ कुछ विधायक महोदय भी दिख रहे हैं। इस योजना की शुरुआत आज गणेश जी का नाम लेकर के, गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर उन्हें नमन करके ही करते हैं। और वैसे संगठन का मतलब होता है लोक-संग्रह करना और लोक संग्राहक के रूप में सबसे बड़ी प्रेरणामूर्ति का कोई व्यक्तित्व है तो गणेश जी हैं। सबको जोड़ना, सबको साथ रखना, सबको संभालना, ये गणेश जी के व्यक्तित्व की विशेषता थी। उनके व्यक्तित्व की एक और भी विशेषता थी- सुनते बहुत थे क्यूंकि कान बहुत बड़े थे लेकिन उसमें फिल्टर रखा हुआ था और जितनी बुरी चीजें होती थीं वो अपने पेट में समा देते थे भले पेट बड़ा हो जाए और अच्छी-अच्छी चीजों को ही आगे जाने देते थे। यही तो संगठन का और कार्यकर्ता का स्वभाव होना चाहिए। और इसलिए, आज गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर आप सब से मुझे मिलने का अवसर मिला है। मैं आपको भी, आपके माध्यम से देशवासियों को गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।

पांच राज्यों, अनेक विविधताओं, राजस्थान तो रेगिस्तान और पूर्वांचल, नॉर्थ ईस्ट यानि हरा-भरा, पानी ही पानी, हरियाली ही हरियाली और उगते सूरज की धरती तो इधर ढलते सूरज की धरती, अनेकों बोलियाँ, करोड़ों भारतीय और एक तरफ से दूसरी तरफ कुल मिला के करीब-करीब 3,000 किलोमीटर में बसे 5 संसदीय क्षेत्रों में रहने वाले मेरे अपने सभी साथियों के साथ, आप जैसे मेरे जिगर-जान दोस्तों के साथ, आपके साथ कुछ नागरिक, कुछ समर्थक, कुछ स्वजन भी बैठे होंगे, उन सब का दर्शन करने का, मिलने का आज मुझे सौभाग्य मिला है। भौगोलिक, सांस्कृतिक, बोल-चाल की विविधताएँ तो हैं, साथ ही साथ, अनेक कारणों से अपेक्षाओं और आकांक्षाओं की विविधता भी यहाँ के नागरिकों की है। और, यही विविधता, इस संवाद को एक स्पेशल बना देता है, विशेष बना देता है।

साथियो, कुछ दिन पहले दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। बहुत ही सफल बैठक हुई, आत्मविश्वास से भरी हुई बैठक हुई। मैं हैरान था। कार्यकर्ताओं का जो उमंग था, उत्साह था, विश्वास था, सपने थे, संकल्प था, परिश्रम करने का जो इरादा था, वो अपने-आप में...यानि एक प्रकार से मैं कहूंगा राष्ट्रीय कार्य समिति से मैं स्वयं प्रेरणा लेकर आया हूँ। और उसके बाद, आप सभी से पहली बार आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से मुझे जुड़ने का अवसर मिला है। कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी की नीति और रणनीति को लेकर के अनेक बातें हुईं, सरकार की योजनाओं को लेकर भी विस्तार से बातचीत हुई। इस बैठक में पार्टी ने फैसला किया और मैं मानता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता को, संगठन को आगे बढ़ाने को… आखिरकार हमारा सपना तो एक ही है भारत माता की जय। और इसलिए, अजेय भारत अटल भाजपा, ये हम सब की प्रेरणा का बिन्दु है और आज से नहीं है। जब से भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ है, जब से जनसंघ का जन्म हुआ है, इसी भाव को लेकर के हम आगे बढ़ रहे हैं। यानि, बुलंदी की तरफ देश की यात्रा जारी रहेगी और अपने सिद्धान्त और आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए भाजपा इस संकल्प को निरंतर आगे बढ़ाएगी।

साथियो, लोकतन्त्र में, हमारी राजनीतिक व्यवस्था में संवाद बहुत ही महत्वपूर्ण है। आप कल्पना कर सकते हैं साथियो, दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र और इतनी छोटी उमर की पार्टी...विश्व के राजनीतिक दलों का इतिहास अगर देखें तो इतनी छोटी पार्टी उम्र में, भारतीय जनता पार्टी। लेकिन आज हिंदुस्तान के हर कोने-कोने  में देशवासियों ने भारतीय जनता पार्टी को इसका अवसर दिया। ये स्थिति सामान्य नहीं है, ये छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं ने जो पुरुषार्थ किया है उसी का परिणाम है। भगवान राम की लंका विजय, उन वानर सेना के पुरुषार्थ का भी परिणाम था। भगवान श्री कृष्ण का...वो छोटे-छोटे ग्वाले, उन्हीं का पुरुषार्थ था कि गोवर्धन उठाया था। छत्रपति शिवाजी महाराज की विजय भी तो उन छोटे-छोटे मावलों के कारण हुई थी। और इसलिए, आज भारतीय जनता पार्टी जहां है, इतने कम समय में इतनी विजय की यात्रा, इतिहास में, विश्व में, कहीं पर भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा। और ये काम, मेरे सभी साथियो, आपके कारण हुआ है। आपके संकल्प, आपका पुरुषार्थ, आपका परिश्रम और टीम वर्क। आदर्शों से भटके बिना काम करते रहना, जय, पराजय की परवाह किए बिना काम करते रहना, उपेक्षा, आलोचना की परवाह किए बिना काम करते रहना; एक मात्र इरादा माँ भारती की जय, देश महान बने, देश मुसीबतों से मुक्त हो, देश संकटों से मुक्त हो, यही सपना। और आज ये संवाद जितना जमीनी स्तर तक होता है, ये बात छोटे से छोटे कार्यकर्ता के साथ होती है तो उसका लाभ होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए आज मुझे आप सब से मिलने का मौका मिला है। और, मेरा संदेश साफ है। अब तक की विजय यात्रा ने सिद्ध कर दिया है।

दुनिया में बड़े-बड़े पंडित भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक विजय गाथा का विश्लेषण बहुत करते होंगे, कोई नेता को क्रेडिट देता होगा, कोई मोदी को क्रेडिट देता होगा, कोई किसी अखबार की किसी खबर को क्रेडिट देता होगा। हकीकत में इस विजय के मूल की सबसे बड़ी ताकत है और वही हमारी ताकत है, वो है- मेरा बूथ सबसे मजबूत। मेरा बूथ सबसे मजबूत। और आज मुझे मेरा बूथ सबसे मजबूत, ये संवाद करने का मौका मिला है। मुझे वाकई एक असीम आनंद की अनुभूति हो रही है, क्यूंकि कहते हैं ना कि जड़ जितनी मजबूत होती है, पेड़ उतना ही ताकतवर और फलदायी होता है। मेरे लिए ये सौभाग्य का विषय है कि आज भारतीय जनता पार्टी की जड़ को सींचकर उसे एक घने वृक्षरूपी पार्टी बनाने में योगदान देने वाले, जिन्होंने अपने पसीने से सींचा है, ऐसे आप सब कार्यकर्ताओं से बातचीत का मौका मिला है। आप सबने अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से पार्टी को जिस मुकाम तक पहुंचाया है, उसके लिए मैं अपने हृदय की गहराइयों से आप सभी का बहुत-बहुत, बहुत-बहुत साधुवाद करता हूँ। आज आपके साथ संवाद में मुझे आपके विचार, आपके अनुभव, आपकी बातें, रोजमर्रा की जिंदगी की बातें, गाँव, गरीब, किसान, झुग्गी-झोपड़ी, शहर, सब जगह की बातें सुनने का मौका मिलेगा। और मुझे बताया गया है कि हम सूरज जैसे उगता है वैसे ही आज अलग-अलग राज्यों से जब मिल रहे हैं तब शायद सबसे पहले हम जा रहे हैं गाजियाबाद। आइए, चलते हैं गाजियाबाद।

गाजियाबाद के कार्यकर्ताओं को नमस्कार।

नमस्कार सर। नमस्कार सर। (दो कार्यकर्ता एक साथ बोलते हुए।)

अभिनव जैन- माननीय प्रधानमंत्री जी, नमस्कार। मैं अभिनव जैन गाजियाबाद से, साहिबाबाद से जो कि देश की सबसे बड़ी संवैधानिक कांस्टीच्यून्सी है। मैं अपनी तरफ से, अपने महानगर अध्यक्ष की तरफ से और विधायकों की तरफ से आपको प्रणाम करता हूँ। प्रधानमंत्री जी, आज 13 सितंबर है। आपको याद होगा कि आज ही के दिन भाजपा ने आपके नेतृत्व में आगे बढ्ने के लिए पहला कदम बढ़ाया था। भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते हमें इसपे गर्व है। भाजपा ने जमीन से उठे हुए कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जिससे देश को लाभ भी हो रहा है। कार्यकर्ता की शक्ति को आप देश और दल के लिए कितना अहम मानते हैं?

पीएम मोदी- अभिनव जी, सबसे पहले तो अपने ही मुझे आश्चर्य में डाल दिया कि आज 13 सितंबर को ही भारतीय जनता पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने नेतृत्व की जिम्मेवारी मेरे सर पे रखी थी। और, एक कार्यकर्ता के नाते जब भी जो जिम्मेवारी मिले उसको पूरा करना हम सभी कार्यकर्ताओं का दायित्व है, मैं भी एक कार्यकर्ता हूँ। और ये जिम्मेदारी मुझे नहीं दी गई थी लेकिन मैं समझता हूँ मैं तो निमित्त था, ये ज़िम्मेदारी कोटि-कोटि कार्यकर्ताओं को दी गई थी। मेरा काम तो बस वो एक धागे का था, धागे का जो आप जैसे करोड़ों मोतियों को पिरोने में योगदान कर सके और उस भव्य माला को माँ भारती पर अलंकृत करे। इसलिए मेरा काम तो सिर्फ धागे का था। ये जो चमकता हुआ भारत माता का चेहरा नजर आ रहा है, वो आप जैसे मोतियों के कारण है। वो धागे के कारण नहीं है। और इसलिए, ये सिर्फ भाजपा में ही हो सकता है कि जमीन से जुड़ा कार्यकर्ता देश की सेवा हर स्तर पर कर सकता है।

भाजपा में नाम से नहीं, काम से नेतृत्व तय होता है। बूथ स्तर के कार्यकर्ता को संगठन में शीर्ष पर नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपने का काम सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ही कर सकती है। चाहे वो पार्टी का अध्यक्ष हो, दूसरे पदाधिकारी हों, कैबिनेट के मेरे तमाम सहयोगी हों या फिर अलग-अलग राज्यों में हमारे मुख्यमंत्री हों, ये सभी सामान्य परिवार से आए हैं। संघर्ष करते हुए पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम करते-करते आगे बढ़े हैं। इन सभी ने बूथ स्तर से काम करना शुरू किया है। यहाँ कोई व्यक्ति स्थायी नहीं है। आज जहां मैं हूँ, कल कोई और होगा। कल मैं जहां था, वहाँ आज कोई और है। यह भारतीय जनता पार्टी की, लोकतन्त्र की और बीजेपी की रगों में जो लोकतन्त्र है ना, उसी के कारण है। और, हम लोग तो सालों से सुनते आए हैं...पदभार ये व्यवस्था है, कार्यभार ये जिम्मेवारी है। पदभार बदल सकता है, पदभार से मुक्ति हो सकती है लेकिन माँ भारती को समर्पित हम कार्यकर्ताओं को कार्यभार से कभी मुक्ति नहीं मिल सकती है। जब तक जीवन में प्राण है, कार्यभार और कार्यप्रवृत्ति और कार्य के प्रति समर्पण, ये बना रहता है। देश के किसी भी कोने के स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र या किसी शक्ति केंद्र में काम करने वाला कार्यकर्ता भी आज यहाँ पहुँच सकता है।

और, दूसरे दलों का हाल देखिए, वहाँ क्या हाल है। कई बार तो मुझे कांग्रेस के अनेक पुराने कार्यकर्ताओं पर, जिन्होंने संघर्ष किया, जमीन पर काम किया…कभी-कभी उनके प्रति बड़ी दया आती है, संवेदना का भाव आता है। उनका संघर्ष, उनका सामर्थ्य, सिर्फ एक परिवार के काम ही आ रहा है और अगर उस परिवार के काम नहीं आया तो बाहर। एक से एक समर्थ लोग परिवार के विकास की भेंट चढ़ गए।

गाजियाबाद से शायद कोई और भी बात करना चाहता है। आवाज आ रही है।

अमित रंजन- सर नमस्कार।

पीएम मोदी- नमस्ते।

अमित रंजन- सर, मैं अमित रंजन....  

पीएम मोदी- वहाँ की आवाज कम कीजिए तो मुझे आपकी आवाज स्पष्ट सुनाई दे। आपकी आवाज मुझे...नहीं, कार्यकर्ताओं की नहीं, जो आप टीवी देख रहे हैं ना उसकी आवाज थोड़ी कम कीजिए एक बार। आपका सवाल पूरा होने के बाद फिर आवाज कर देना।

अमित रंजन- सर, नमस्कार। मैं अमित रंजन...

पीएम मोदी (सेल्फी लेते एक कार्यकर्ता को देखकर) - अच्छा, यहां भी सेल्फी ले रहे हैं?

अमित रंजन- सर, नमस्कार। मैं अमित रंजन गाजियाबाद से। मैं मुराद नगर क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र है महानगर का, मैं उससे आता हूँ और बूथ नंबर 171 पर बूथ अध्यक्ष हूँ। मेरे साथ हमारे क्षेत्र के युवा विधायक अजीत पाल जी भी हैं, नमस्कार कर रहे हैं सर आपको। सर मेरा सवाल आपसे ये है कि हमारी सरकार ने सबका साथ सबका विकास का नारा दिया और इसे साबित भी किया और देश के हर नागरिक और हर क्षेत्र में सरकार पर सबका विश्वास भी बढ़ा है लेकिन हमारे विरोधियों को ये बात पच नहीं रही है। इस गलत प्रचार से निबटने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

 

पीएम मोदी- देखिए, आपने अपने सवाल में ही जवाब दे दिया है। हमने सिर्फ सबका साथ सबका विकास का नारा नहीं दिया, हमने कहा कि हमने पूरी तन्मयता से इसको लागू किया है। अब मुझे बताइए, आप अगर लागू करोगे… अगर किसी इलाके में कोई अच्छा पुलिस वाला अच्छे ढंग से काम करेगा, लोगों की भलाई के लिए काम करेगा, तो वहाँ जो बुरे एलिमेंट होंगे, सालों से जमे पड़े होंगे वो उसका विरोध करेंगे कि नहीं करेंगे। वो उसको उखाड़ फेंकने की कोशिश करेंगे कि नहीं करेंगे। उनकी रोजी-रोटी बचाने के लिए, उनके गोरखधंधे बचाने के लिए काम करेंगे कि नहीं करेंगे। ये सिर्फ मेरे साथ हो रहा है, ऐसा नहीं है। ये भारतीय जनता पार्टी के साथ हो रहा है, ऐसा भी नहीं है। हर युग में, कृष्ण के जमाने से लेकर आज तक, हर युग में ऐसे लोग रहते ही रहते हैं जिनको अपने स्वार्थ के सिवाए किसी चीज की परवाह नहीं होती है और वो अच्छे कामों से डरते हैं। उनको अँधियारा इतना अच्छा लगता है कि वो उजाले को दोष देने लग जाते हैं। और इसलिए, उनके डर के पीछे तो कारण साफ है।

भाजपा सरकार सिर्फ नारे नहीं गढ़ती है, उन्हें धरातल की वास्तविकता तक ले जाती है। सबका साथ सबका विकास, ये हमारे लिए सिर्फ और सिर्फ नारा कभी नहीं था, नहीं है, ये हमारा प्रेरणा मंत्र है। समाज का हर वर्ग, देश का हर कोना, समाज का हर तबका, ये हमारा अपना है। और इसलिए, हमारा मानना है कि देश का विकास तभी हो सकता है जब सबका साथ हो, सबका विकास हो। जब हम सबकी बात करते हैं तो ये व्यक्ति भी है और इलाका भी है, क्षेत्र भी है। और, इसकी एक विशेषता है। किसी राजनीतिक दल में हिम्मत नहीं है ये कहने की जो हमारे में है। बाकी राजनीतिक दलों ने वोट बैंक की राजनीति की। इसलिए, हम तुम्हारे लिए ये करेंगे, हम तुम्हारे लिए ये करेंगे, ऐसे ही गप्पें मारते रहे, किया कुछ नहीं। आँख में धूल झोंकी, चुनाव निकाल दिए, चल पड़े। हमने हिम्मत से कहा, सबका साथ। इस बात को हमने हमेशा कहा, पहला काम सबका साथ। और साथ मतलब, सिर्फ पोलिंग बूथ में बटन दबाने के लिए नहीं, देश को आगे ले जाने में सवा सौ करोड़ का साथ। और सवा सौ करोड़ का साथ, तो गारंटी क्या? सबका विकास। सबका साथ सबका विकास। और इसलिए, ये हिम्मत हमारे में है कि पहले हम कहते हैं आप हमें साथ दो। आप आओ चलो, हम चलते हैं। जैसे, स्वच्छता अभियान....हमने क्या कहा? हमने ये नहीं कहा हम देश साफ कर देंगे, हमने ये कहा, सफाई करने में आप हमारा साथ दो। और देखिए, देश ने दिया, यानि, सबका साथ। आप वोट बैंक की राजनीति करने वालों में तो हिम्मत ही नहीं है ऐसा बोलने की। हमारे में है क्यूंकि जनता का हम पर भरोसा है, जनता में हमारा विश्वास है। हमें जनता की ताकत पर भरोसा है, इसलिए हम बार-बार सबका साथ, सबका साथ, सबका साथ बोलते हैं और फिर कहते हैं सबका विकास।

संसाधनों पर सभी का समान हक है। न किसी का अधिक, न किसी का कम। अब देखिए, सौभाग्य योजना से बिजली रामेश्वर के घर में भी पहुंची, वहाँ पर भी पहुँच रही है तो सौभाग्य योजना अंधेरे में गुजारा कर रहे रहमान के घर में भी उजाला करती है, रतिंदर के घर में भी उजाला करती है और रॉबर्ट के घर में भी उजाला करके अंधेरे को छटा रही है। उज्ज्वला के तहत जो 5 करोड़ से अधिक गरीब बहनों को मुफ्त में गैस कनेक्शन मिला है, वो मुफ्त का गैस पाने वाली कोई मेरी बहन सरिता भी है तो कोई मेरी बहन सबीना भी है, तो कोई मेरी बहन सोफिया भी है। मुद्रा योजना के तहत 13 करोड़ से अधिक लोन पाने वाले हर भाई-बहन हर जाति से है, हर पंथ से है, हर इलाके से है, हर संप्रदाय से है। देश के नए बन रहे आधुनिक एक्सप्रेस वे, साफ-सुथरे, स्वच्छ रेलवे स्टेशन, अनेक शहरों में बन रही मेट्रो लाइन...कोई जाति पूछ के दौरा होता है क्या, अगड़ा-पिछड़ा पूछ कर के होता है क्या। देश के जिन 50 करोड़ गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलेगा, वो जाति-पंथ से नहीं बल्कि गरीबी की स्थिति से तय किए गए हैं।

आज देश के उन 115 जिलों में भी विकास को नई गति दी जा रही है, ऐस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, आकांक्षी जिले, देश भर में से खोज के निकाला कि लंबे अरसे से पीछे रह गए कौन हैं जरा ढूंढ़ो भाई। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के माध्यम से ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सरकार की जो योजनाएँ हैं वो उन तक पहुंचे जिनके लिए वो बनाई गई हैं। विकास ही हमारा रास्ता है और विकास ही हमारा लक्ष्य है। वोट के लिए देश को जाति, संप्रदाय, क्षेत्र, पंथ, इसमें टुकड़े-टुकड़े में बांटने का काम देश की भलाई की इच्छा वाले, भारत माता की जय बोलने वालों के लिए कभी भी वो रास्ता मंजूर नहीं है। कितनी ही मुसीबतें आएं, कितने ही लोभ-लालच के रास्ते लोग लेकर के चल पड़ें, हम देश हित में ‘सबका साथ सबका विकास’, इसी मंत्र से चलना चाहते हैं ताकि देश को इसमें सच्चे अर्थ में सामाजिक न्याय हो, सच्चे अर्थ में सबको न्याय हो, सच्चे अर्थ में सबको विकास का अवसर हो, सच्चे अर्थ में हर कोई को मौका मिले। सिर्फ यही नहीं बल्कि जो भी इस प्रकार के प्रयास देश में कर रहे हैं उनके सामने भाजपा के कार्यकर्ता ऐसी सारी विरोधी ताकतों के खिलाफ, देश को तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ, समाज को तोड़ने वाली ताकतों के खिलाफ, माँ के दूध में दरार करने वाली ताकतों के खिलाफ हम लड़ेंगे। और मैं देख रहा हूँ कि इसी लड़ाई में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं की पिछले 3-4 साल में शहादत हुई है। उनको मौत के घाट उतार दिया गया है क्यूंकि वो सबकी बात करते हैं, किसी एक टोले या टुकड़े की बात नहीं करते।

आइए, हम झारखंड चलते हैं, हजारीबाग।

सर्वेन्द्र मिश्रा- सर, नमस्कार। मैं सर्वेन्द्र मिश्रा, हजारीबाग संसदीय क्षेत्र, माननीय जयंत सिन्हा के क्षेत्र से आपको जोहार करता हूँ। श्रीमान, मैं पूछना चाहता हूँ…

पीएम मोदी- हाँ, सर्वेन्द्र बोलिए।

सर्वेन्द्र मिश्रा- श्रीमान, मैं पूछना चाहता हूँ कि विगत 4 वर्षों में हमारी सरकार ने विकास के अनेकों कार्य किए। चाहे वो रोड का मामला हो, सिंचाई का मामला हो या गरीब के घर में उज्ज्वला योजना पहुंचाने का मामला हो, शौचालय बनवाने का मामला हो परंतु विपक्ष इस विकास को पचा क्यूँ नहीं पा रहा है, वो एक अनर्थकारी रणनीति अपना कर इसको बदनाम करने के लिए जो साजिशें रच रहा है दिन-प्रतिदिन, उससे कैसे निपटा जाए?

पीएम मोदी- अरे सर्वेन्द्र, कमाल हो यार। आप मुझे बताइए, जिनकी बेचारों की 2014 में देश की जनता ने इतना बुरा हाल कर दिया, इतना बुरा हाल कर दिया, मुंह दिखाने लायक नहीं रखा, वो मुझपे गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे, झूठ बोलेंगे कि नहीं बोलेंगे, कुप्रचार करेंगे कि नहीं करेंगे। इसके सिवा कर क्या सकते हैं जी? ये जो कर रहे हैं उसका मतलब है कि वो अब अपनी सार्वजनिक रूप से विफलता को स्वीकार करते हैं। उनके लिए यही चारा है। अगर वो समझदार होते, सत्य को स्वीकारने की हिम्मत होती और उस पराजय से उबर करके निकले होते तो शायद ऐसा हल्का रास्ता नहीं अपनाते। और, आप तो जानते हैं हमारे यहाँ एक पुरानी कहावत है कि जो जानबूझ कर सोने का दिखावा कर रहा हो उसको जगाना बहुत मुश्किल होता है।

इस वक्त हमारे देश की जनता जाग चुकी है लेकिन विपक्ष जागने के लिए तैयार नहीं है क्यूंकि उनको मालूम है कि अगर आंख खोल दी और ये बदलाव नजर आया तो फिर जाएंगे कहां। इसलिए, वो आँख बंद करके बड़बड़ाहट करते रहते हैं। करने दो। अरे बीते 4 वर्षों ने काँग्रेस और उसके कुछ सहयोगियों की पोल खोल दी है। पहले जनता ने उन्हें गवर्नेंस में असफल बना दिया, फैसले लेने की अक्षमता, भ्रष्टाचार के कारण बाहर का रास्ता दिखाया और जब विपक्ष की भूमिका निभाने की बारी आई तो उसमें भी वो फेल हो गए। अगर वो पिछले 4 साल में एकता कर-कर के देश के सामने मुद्दे लाए होते, तो देश को कम से कम इतना तो विश्वास पैदा होता कि बेचारे चार-साढ़े चार साल से, 2014 से मेहनत कर रहे हैं, मिलकर के कर रहे हैं, कोई अच्छी बातें कर रहे हैं। लेकिन 4 साल तक सूझा नहीं। अब जब छूटने का फिर से डर लग रहा है, भय पैदा हुआ है कि ये 2013-14 से भी ज्यादा तेज आँधी आई हुई है। तो जब इतनी बड़ी आँधी आई है तो क्या करें भाई, एक-दूसरे का हाथ पकड़ो वरना इस आँधी में उड़ जाएंगे। इसलिए, बेचारे खोज रहे हैं कौन किसको पकड़े, कौन किसको सहारा बना ले, डूबता हुआ तिनका ढूंढ़ रहा है ना, वैसा चल रहा है।

आज हालत ये है कि आचार और विचार, हर प्रकार के संकट से ये घिरे हुए हैं। इन्हें खुद पर विश्वास है? और इसलिए, देश में विश्वास का संकट खड़ा करने की कोशिश वो कर रहे हैं। आत्मविश्वास की भारी कमी के चलते ये ना देश हित की नीतियों की तारीफ कर सकते हैं, देश के लोगों के पराक्रम के बारे में...आप कल्पना कर सकते हैं...हमारे देश के वैज्ञानिक 104 सैटेलाइट छोड़ दें, दुनिया आपकी प्रशंसा करे लेकिन इनको मुंह खोलने में घंटों लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में उन्होंने एक सरल रास्ता अपनाया है...मारो और भाग जाओ, थूको और चले जाओ, झूठ बोलो, झूठे मुद्दे गढ़ो, कमरे में बैठ करके ये कल्पना करो ये तर्क देंगे तो अच्छा होगा, ये सोच के बोलेंगे, ये शब्द लाएंगे तो अच्छा होगा। पूरी टोली दिमाग खपा रही है कि कल कौन सा लांछन लगाएंगे, सुबह लांछन लगाया हुआ नहीं चला तो दोपहर को दूसरा लगाएंगे, दोपहर वाला नहीं चला तो शाम को ट्वीट कर के लगाएंगे। ये दिन-रात, दिन-रात बेचारे इसी में लगे हुए हैं। और झूठ के इस चक्कर में खुद भी, खुद भी अपना बना-बनाया झूठ को सच मानने लग गए। मैं समझता हूँ ऐसा बौद्धिक दारिद्र्य, ऐसी सामर्थ्यहीनता, देश का राजनीतिक दल जो इतने सालों तक सत्ता में रहा हो इतने नीचे गिर गया हो, ऐसा शायद कभी दुनिया में नहीं होता है लेकिन हुआ है।

साथियो, आज पूरी दुनिया, दुनिया की नामी संस्थाएं गाजे-बाजे के साथ कह रही हैं कि भारत बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आपने भी पढ़ा होगा कि बीते क्वार्टर में, तिमाही में हमारी विकास दर 8 प्रतिशत से भी ज्यादा रही जो दुनिया कि बड़ी-बड़ी इकॉनोमी से भी, बड़े-बड़े देशों से भी तेज गति से आगे बढ्ने वाली है। 4 वर्ष पहले, मोदी जब सरकार में आया ना उसके पहले की मैं बात कर रहा हूँ। 4 वर्ष पहले भारत दुनिया में 10वें नंबर की अर्थव्यवस्था था। 4 साल के भीतर-भीतर हम 10वें से ऊपर जाते-जाते अब छठे नंबर पर पहुँच गए हैं, दुनिया में छठा नंबर। सारी दुनिया इसको नोट कर रही है। ये परिवर्तन अगर आया है तो उसके पीछे...  हमने एक के बाद एक फैसले लिए हैं, जिम्मेवारियाँ ली हैं, कड़े से कड़े निर्णय किए हैं। इन फैसलों से भारत में निवेश करना, व्यापार करना सरल हुआ है। देश में बिजली की व्यवस्था सुधरी है और कोल और टेलीकॉम जैसे सेक्टर को भ्रष्टाचार से बाहर निकाल कर पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। टेलीकॉम तो आज देश में सबसे तेजी से बढ़ते हुए सेक्टर में आ गया है। वरना 5-7 साल पहले वहाँ सिवाए भ्रष्टाचार के कुछ सुनने को नहीं मिलता था, वही बू आती थी और लाइसेंस कैंसिल होने की ही खबरें मिलती रहती थीं।

साथियो, पहले भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना दिया था, सिस्टम का हिस्सा मान लिया जाता था। अब ये विश्वास पूरी तरह जगा है कि यहाँ काम...भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में काम पारदर्शिता के साथ होगा। पहले पूछा जाता था कि घोटालों में जनता ने कितने पैसे गंवाए, आज पूछा जाता है कि भारत के खजाने में घोटालेबाजों से कितना वापस आया। पहले, इस बात पर माथापच्ची होती थी कि कितने गैस कनेक्शन,एलपीजी कनेक्शन दिए गए; आज ढूंढ़ा जा रहा है कि देखो भाई कौन रह गया है, वो योजना में छूट तो नहीं गया। पहले, इस बात पे चर्चा होती थी कि देश के कितने गांवों में बिजली नहीं पहुंची है; अब ये खोजा जा रहा है कि देखो यार, किसी कोने में कोई गांव तो रह गया होगा जहां बिजली पहुंचना अभी बाकी रह गया होगा, जरा ढूंढ़ के लाओ। पहले, कितने घरों में बिजली कनेक्शन पहुंचना बाकी है, इसको लेकर के कोई गंभीरता नहीं थी; अब पूछा जाता है कि बताओ भाई, इस गांव में कोई एक, दो, तीन घर भी तो नहीं रह गए हैं, बिजली कनेक्शन पहुंचा कि नहीं पहुंचा।

पहले, गरीब के पास बैंक का खाता हो इस बारे में कोई सोचता तक नहीं था। अरे, गरीब तो बैंक के दरवाजे तक नहीं जा सकता था। अब आज पूछा जाता है कि ऐसा कौन सा घर है जिसमें एक भी बैंक का खाता नहीं है, ढूंढ़ा जाता है। पहले, किसी को परवाह नहीं थी कि देश के हर गरीब के पास छत है या नहीं है; आज पूछा जा रहा है कि कितने गरीबों के घर अभी छत के बिना हैं, छत बनाना बाकी है। पहले ये तक नहीं सोचा था कि देश में स्वच्छता होनी चाहिए, शौचालय बनाए जाने चाहिए? ये गरीब की बीमारी का कारण गंदगी है और गरीब बड़ी मात्रा में बीमार बन जाता है तो उस गांव में रहने वाला मध्यम वर्ग का व्यक्ति भी बच नहीं पता है। शहर में भी बीमारी का दौर चलता है तो मध्यम वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग के लोगों को भी बिस्तर पर सोने की मजबूरी आती है। क्यूँ? गंदगी, गंदगी से गरीबी की बीमारी, गरीबों की बीमारी से अमीरों तक पहुंचता था और सारा समाज बीमार हो जाता था। हमने मूल पर घाव किया है, हमने गंदगी पर घाव किया है, गरीबों को बचाया है। और सिर्फ गरीब नहीं बचे हैं, गंदगी गई, गरीबी की बीमारी गई, गरीबों की बीमारी गई। तो मध्यम वर्ग को भी बीमारी से बचाने का काम हुआ है। अब दूर-दराज वाले इलाकों में भी खोज-खोज कर और बड़ी मेहनत कर रहे हैं हम ये सोचने के लिए कि बताओ भई, शौचालय बना है कि नहीं बना है, बना है तो उपयोग हो रहा है कि नहीं हो रहा है। छोटे-छोटे बच्चे, मैंने देखा है एक बच्चा जो दिव्यांग है, बोल नहीं पाता है, वो व्हिसल लेकर के गांव में दौड़ता है और लोगों को समझाता है कि शौचालय का उपयोग करो।

पहले सरकार का कोई जोर नहीं था कि देश का हर गांव सड़क से जुड़ जाए। अटल जी के समय शुरू हुई योजना कछुए की रफ्तार से चल रही थी, बाद में 10 साल ऐसे गए। आज पूछा जाता है कि बताओ भई जिले में कितने गांव अब रह गए हैं, बताइए कब तक पूरा करेंगे, समय से पहले कैसे पूरा करेंगे? और, मैं मानता हूँ कि हर काम को नीचे पहुंचाने का ये जो प्रयास है इसी ने इनको अब झूठे रास्ते अपनाने के लिए अब मजबूर कर दिया। अगर हमारी सरकार में कुछ कमी होती तो ये मुद्दों की लड़ाई लड़ते, झूठ की लड़ाई लड़ने की उनको मुसीबत नहीं झेलनी पड़ती, मजबूरी नहीं होती।

आइए, शायद कुछ आवाज आ रही है, हजारीबाग से भी कुछ कार्यकर्ता हाथ ऊपर कर रहे हैं, बता रहे हैं... बताइए।

मरियम टुड्डु- माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं मरियम टुड्डु, हजारीबागवासियों की तरफ से जोहार।    

पीएम मोदी - मरियम जी, नमस्ते।

मरियम टुड्डु- नमस्ते। सर, आपसे जनसंवाद करना हजारीबाग वासियों का एक सौभाग्य है। आजादी के इतने वर्ष हो गए सर। इतने वर्षों तक लोकतन्त्र का सही लाभ सिर्फ वीआईपी और ओहदेदार लोगों और गिने-चुने लोगों तक ही पहुंचता रहा। लेकिन आज जब से आपकी सरकार बनी, इन 4 वर्षों में जनसाधारण तक लोकतन्त्र का सही लाभ पहुँच रहा है, जिसमें हम कार्यकर्तागण और हमारे सांसद साफ नीयत और सही विकास के साथ में जनसाधारण तक लोकतन्त्र को सही मायने में पहुंचाने में प्रयासरत हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी...  

पीएम मोदी- मरियम जी, मैं आपकी भावनाओं को समझता हूँ...हमारे देश का गरीब आदमी, गरीबी है, हो सकता है अशिक्षा भी हो लेकिन उसके संस्कार बहुत ऊंचे होते हैं। वो नियमों का पालन करने की कोशिश करता है और जब नियमों के बाहर कुछ भी होता है, उसकी पीड़ा उसको बहुत होती है। एकाध लाभ मिलने में वो वंचित रह जाए, उसको तो वो झेल लेता है लेकिन अपने वीआईपी कल्चर के कारण अगर वो फायदा उठा लें तो उसकी पीड़ा उसको ज्यादा होती है। कहीं पर टिकट के लिए खड़े हैं, 50 लोग कतार में खड़े हैं और एक बड़े बाबू आ जाएं, उनको सब लोग कहेंगे आइए-आइए आगे और वो टिकट लेंगे और 50 लोग ऐसे ही खड़े रह जाएं, उसको पीड़ा होती है। किसी अस्पताल में भर्ती होने के लिए 30 लोग कतार में हैं और कोई बड़े वीआईपी आ जाएं, उनके लिए तुरंत जगह हो जाए, तो उसका दर्द अनेक गुना बढ़ जाता है।

ये जो देश में ये बीमारी फैलाई गई है, ये हमारे देश में ऐसी बीमारी नहीं थी जी। ये आजादी के बाद, ये नए जो राजा-महाराजा पैदा हो गए लोकतन्त्र के नाम पर उन्होंने ये पाप किया है। और इसलिए, हमने वीआईपी की जगह ईपीआई यानि कि Every person is important, हर सामान्य मानवी भी महत्वपूर्ण है की भावना को हम बल दे रहे हैं, बढ़ावा दे रहे हैं। और, यही कारण है कि गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का फैसला सरकार ने लिया। वीआईपी कल्चर के जो सिंबल हैं, उनको पहले खत्म किया जा रहा है और धीरे-धीरे वो मानसिकता भी दिमाग से निकल जाएगी। और आज तो मैंने देखा है, गरीब के हाथ में भी मोबाइल फोन है, कहीं कुछ ऐसा देखता है तो वीडियो उतार कर के अपलोड कर देता है। तो जिसने ऐसी गलती की है न वो शर्मिंदा हो कर 10 दिन तक घर के बाहर निकलता नहीं, डरता है वो। आज गरीब को हमने ताकत दे दी है। जो वीआईपी, वीआईपी चलता था, सब अभी डिब्बे में बंद हो रहा है। टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक अवसरों की समानता खड़ी की जा रही है। आज साधन सम्पन्न को भी तेज इंटरनेट उपलब्ध है और बहुत ही सस्ते दाम पर गरीब से गरीब व्यक्ति को भी 4जी इंटरनेट से लाभ मिल रहा है। जिस कंटेंट तक, जिस किताब तक दिल्ली, मुंबई जैसे शहर के अमीरों के बच्चों की पहुँच है, आज दूर-दराज के आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के लिए भी वो उपलब्ध कराया जा रहा है।

सरकार तक, सरकारी सुविधाओं तक हर व्यक्ति की सीधी पहुंच हो, इसको किसी का सहारा ना लेना पड़े ये तकनीक के माध्यम से सुनिश्चित किया जा रहा है। हर वो सुविधा जो पहले साधन सम्पन्न व्यक्ति अपने संपर्कों के माध्यम से या फिर धन-बल के जरिए हासिल करता था, वो अब गरीब, मध्यम वर्ग का भाई-बहन बड़ी आसानी से अपने हक के नाते प्राप्त कर रहा है। अब गरीब से गरीब का भी काम कम से कम समय में हो रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं, 1 रुपया महीना और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर आज मेरे गरीब का बीमा हो रहा है। पहले तो गरीब ने ये सोचा... बीमा, बीमा तो अमीरों का होता है, ये तो सारी व्यवस्था अमीरों के लिए होती है। आज मेरे श्रमिक भाई-बहन को भी बहुत ही कम अंशदान पर नियमित पेंशन सुनिश्चित हुई है। हमने हृदय, दिल की बीमारी, उसमें जो स्टेंट इस्तेमाल होता है, उसकी कीमत को भी जो डेढ़-डेढ़, दो-दो लाख रुपये होता था, उसको 25-30 हजार रुपए पर लाकर करके खड़ा कर दिया है। आज घुटने बदलने की बीमारी बढ़ती चली जा रही है, अब वो इतना महंगा होता था कि कोई कर नहीं पाता था, वो भी डेढ़-डेढ़, दो-दो लाख रुपये होता था। आज उसकी कीमत भी तीन गुना, वन थर्ड कर दी गई है। सरकार द्वारा दी जा रही मुफ्त डायलिसिस, शायद गरीब तो सोचता ही नहीं था कि मैं डायलिसिस करवा सकता हूँ, वो बेचारा अपनी जिंदगी कम करके हमारे बीच से चला जाता था। आज जिले-जिले के अंदर गरीबों के लिए मुफ्त में डायलिसिस का काम हमने शुरू कर दिया।

हमारा प्रयास है कि व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाया जाए, उसको छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए किसी के पास जाना न पड़े। साहूकारों से मुक्ति के लिए, गरीब के लिए हमने बैंकों के दरवाजे खोल दिए। 32 करोड़ से अधिक जन धन खाते खुल चुके हैं। अब तो ये भी फैसला लिया गया है कि आगे जो खाते खुलेंगे उनमें ओवरड्राफ्ट की सुविधा 5,000 से बढ़ाकर के 10,000 कर दी गई है। यानि, 10,000 रुपये तक का कर्ज कोई भी गरीब का जन धन अकाउंट होगा तो वो बैंक से 10,000 रुपया ले सकता है। इसमें भी 2,000 रुपया तक का ऋण जो है, उसके लिए ज्यादा कोई पूछताछ नहीं होगी, प्राथमिक जानकारियों से दे दिया जाएगा। और इसके कारण…आप जानते हैं कि गरीब की एक सबसे बड़ी मुसीबत होती है ब्याज से पैसा, साहूकारों से पैसा, वो बेचारा लुट जाता है। उससे उसको मुक्ति मिल जाती है। इतना ही नहीं, अब डाकिए के जरिए बैंकों को गाँव और गरीब के घर तक पहुंचा दिया है। अब घर बैठे ही डिजिटल लेनदेन किया जा सकेगा। और इसलिए, ये सारी योजनाएँ, समाज की जो नींव है, ग्रासरूट लेवेल की जो ताकत है, उसको मजबूत बना रही हैं। ये मजबूत इमारत ही विश्व के अंदर एक ताकत बन के खड़ी रहने वाली है। ये आप विश्वास से मानिए।

आइए, मरुभूमि राजस्थान चलते हैं। जयपुर के ग्रामीण इलाके में चलते हैं, वहाँ बात करते हैं।

अंजलि गौतम- नमस्कार। सर, मैं अंजलि गौतम ....मंडा से, महिला मोर्चा अध्यक्ष हूँ। सर, सर्वप्रथम मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूँ। सर, आप हम सभी युवाओं के लिए मॉरल यूथ आइकॉन हैं। धन्यवाद सर इस चीज के लिए। मेरा प्रश्न सर आपसे यही है कि जिस तरह से आपने विस्तार से अपनी योजनाओं के बारे में, हमारे कार्यों के बारे में बताया, तो हम जैसी कार्यकर्ता लोगों के बीच में हमारी बातों को उस प्रकार से नहीं ले जा पाते। तो मेरा प्रश्न यही है कि हम किस प्रकार आपकी योजनाओं को, आपके कार्यों को जनता के बीच में, लोगों के बीच में पहुंचाएँ? धन्यवाद सर।

पीएम मोदी- देखिए अंजलि जी, मेरी तरह समझाने की कोई जरूरत नहीं है। मेरी तरह बोलने की कोई जरूरत नहीं है। आप एक छोटा काम कीजिए और मैं चाहूंगा अंजलि आप कर के दिखाएं। आपके पास मोबाइल फोन है? अंजलि, आपके पास मोबाइल फोन है?

अंजलि गौतम- जी सर।

पीएम मोदी- आप डेली जिन गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन मिला है, ऐसी 10 बहनों का वीडियो रिकॉर्डिंग करिए। उसको गैस मिला है, उसका क्या फायदा हुआ है, बुलवाइए और वो 5,000 लोगों को आगे पहुंचाइए। दूसरे दिन, जिनका टॉयलेट बना, उनका इंटरव्यू करो। जीवन में नियम बनाओ कि एक साल तक हर रोज 10 मोबाइल फोन पर एक वीडियो फिल्म बनाओगी किसी न किसी पर जिसको लाभ मिला है। मुझे बताइए, आपको भाषण देना पड़ेगा क्या? जो भी वो वीडियो देखेगा उसको समझाना पड़ेगा कि क्या-क्या फायदा होता है? देखिए, मेरा मत है एक तो हमें सामान्य व्यक्तियों की भाषा में बोलना चाहिए, लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े हुए उदाहरण देकर के समझाना चाहिए। और, इसके लिए कोई स्कूल नहीं होता है, उनके बीच में रहता है तो आ जाता है, उनके बीच में बैठते हैं, उठते हैं तो आ जाता है। और मैं ये हमेशा कहता हूँ, मेरा बूथ सबसे मजबूत। मेरा बूथ सबसे मजबूत, यही मंत्र है और यही शक्ति है। भाजपा इसी शक्ति पर विश्वास करने वाली पार्टी है। आप सभी को बूथ स्तर पर सक्रियता के साथ कार्य में जुटाने और दोगुनी मेहनत से कार्यक्रम तेज करने की आवश्यकता है।

पार्टी की बूथ स्तर के लिए एक विस्तृत रणनीति है। जैसे हम जिस नमो ऐप से अभी जुड़े हैं, इसको अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है। हमारे पोलिंग बूथ में कम से कम 100 परिवार ऐसे क्यूँ ना हों, एक पोलिंग बूथ में, जो नमो ऐप डाउनलोड न किया हो, जो डेली 5 मिनट नमो ऐप देखते न हों। 17 सितंबर को नमो ऐप का एक नया वर्जन आने वाला है, अभी 3 दिन के बाद और उसमें कार्यकर्ता क्या काम कर सकता है, उसका एक नया वॉलंटियर सेक्शन उसमें आ रहा है। मैं चाहूंगा कि आप इसका अध्ययन करिए और सबको आगे करिए कि बताओ भाई, इसमें आगे आप क्या करेंगे? इस विभाग में लोगों को कैसे जोड़ना है, उनको समझाने के लिए लिटरेचर है, छोटे-छोटे वीडियो हैं, इन्फोग्राफिक्स है, ये इनसे आसानी से उपलब्ध हो गए। मेरा आग्रह है कि देश का हर भाजपा कार्यकर्ता इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करे और लोगों तक सरकार की उपलब्धियां पहुंचाए।

साथियो, लोगों के साथ संवाद का क्रम निरंतर जारी रहना चाहिए। कोशिश करिए कि हर बूथ पर 20 नए लोग भाजपा से जुड़ें, हर पोलिंग बूथ में 20 नए परिवारों को जोड़ेंगे हम। तय कीजिए, आप देखिए दुनिया बदल जाएगी। हमें हर वर्ग से, हर समाज के सदस्यों को पार्टी से जोड़ना है। युवा हमारी शक्ति हैं, इसलिए युवाओं को जोड़ने पर भी बल देना होगा। और, इसके लिए युवाओं की कार्यक्रमों में सहभागिता जितनी बढ़े उतनी बढ़ानी चाहिए। डिजिटल लिटरेसी, स्वच्छ भारत मिशन, ऐसे अनेक कार्यक्रम से उन्हें जोड़ना होगा। समाज का कोई व्यक्ति नहीं छूटना चाहिए। सभी से संपर्क सुनिश्चित होना चाहिए। केंद्र सरकार की जो योजनाएं हैं, गरीब-मध्यम वर्ग से जुड़ी जो योजनाएं हैं, उनके बारे में अच्छी और विस्तार से जानकारी उनको होनी चाहिए। कभी-कभी लोगों को मालूम ही नहीं होता है कि गरीब को 2 रुपये गेहूं, 3 रुपये किलो चावल मिलता है, उसके पीछे भारत सरकार के खजाने से अरबों-खरबों रुपये दिए जाते हैं। बाजार में जो 30 रुपये में चीज मिलती है, वो 2 रुपये में ऐसे नहीं मिलती है। बाजार में 40 रुपये में मिलने वाली चीज, 3 रुपये में ऐसे नहीं मिलती है। भारत सरकार, गरीब भूखा न रहे इसके लिए इतना खर्च करती है। लेकिन उसको मालूम नहीं है। कोई तो बताओ। और इसलिए, मेरी सलाह है कि आपको कम से कम 15-20 योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, बारीक से बारीक जानकारी। आप तय कर लीजिए कि कौन सी 15 योजनाएं आपको पसंद हैं, 20 योजनाएं पसंद हैं, 25 योजनाएं पसंद हैं, उसकी हर बारीकी पता होनी चाहिए और उसमें जो भी नया होता जाए आपके दिमाग में जुड़ते जाना चाहिए। और, इसे आप A B C D फारमैट में भी याद कर सकते हैं। आप उसको A में ये योजना, B में इतनी योजना, C में इतनी योजना, D में इतनी योजना, आप एक खाका बना देंगे तो आपको सैकड़ों योजनाएं याद हो जाएंगी। आप धम-धम-धम-धम बोलेंगे तो लोग चौंक जाएंगे। और इसलिए, मोदी से भी  अच्छा भाषण आप कर सकते हैं। सिर्फ सौ, सवा सौ योजनाएं ABCD के हिसाब से कर लीजिए, मैं कहता हूँ अंजलि आपको सुनने के लिए आपके इलाके की भीड़ इतनी बड़ी इकट्ठी हो जाएगी और लोग ताली बजा करके कहेंगे कि वो ABCD वाला बोलो, ABCD वाला बोलो, ऐसा हो जाएगा। और इसलिए, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप काम तो करें लेकिन योजना से करें, निश्चित टारगेट लेकर के करें और हिसाब-किताब लगाएं कि जो कर रहे हैं उससे साकार परिणाम हो रहे हैं या उसमें सुधार करने की जरूरत है। ऐसे आँख बंद करके मेहनत करते नहीं रहना चाहिए, एक-एक चीज का हिसाब करते रहना चाहिए। और आपकी मेहनत रंग लाएगी, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। मेहनत को जनता तक पहुंचाने का काम आप सबका है और हम सब करेंगे।

कोई और भी है क्या जो बात करना चाहते हैं? हाँ, बताइए। हाँ, बताइए। जयपुर से कोई बात कर रहे हैं? बताइए।

सूबेदार मेजर सुवालाल यादव- (हाथ जोड़ कर अभिवादन)  

पीएम मोदी- नमस्ते।

सूबेदार मेजर सुवालाल यादव- आदरणीय प्रधानमंत्री जी श्री नरेन्द्र मोदी जी, मैं एक्स सूबेदार मेजर सुवालाल यादव, सैनिक लीग अध्यक्ष, भांसू, शाहपुरा, जयपुर (ग्रामीण) से बोल रहा हूँ। आपका तहेदिल से हार्दिक अभिनंदन। नमस्कार।

पीएम मोदी- नमस्ते।

सूबेदार मेजर सुवालाल यादव- सबसे पहले, मैं आपको और आपकी सरकार को बहुत-बहुत, कोटि-कोटि धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने बहुत सालों से एक मुद्दा वन रैंक वन पेंशन को सुलझाया। सुलझाया ही नहीं, आपने उसको तुरंत से लागू किया। बहुत-बहुत धन्यवाद।

पीएम मोदी- धन्यवाद।

सूबेदार मेजर सुवालाल यादव- मान्यवर, मेरा सवाल ये है कि दो साल पहले हमारे वीर सैनिकों ने एक बहुत गौरवपूर्ण काम किया था। हमारे सेक्टर में, उरी सेक्टर और पठानकोट में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने जो कार्य किया उसका हमलोगों ने 29 सेप्टेम्बर 2016 को उनके ही घर में घुस कर जो सुलूक किया, जो बदला लिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मान्यवर महोदय, हम चाहते हैं कि हम सब उन वीर बहादुर सैनिकों के लिए, जो सर्जिकल स्ट्राइक में हिस्सा लिए थे, क्या कर सकते हैं?

 

पीएम मोदी- सुवालाल जी, आप तो स्वयं फौजी हैं और इसलिए आपकी भावनाओं को मैं समझ सकता हूँ और आपने सही मुद्दा उठाया। 29 सितंबर देश के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। सर्जिकल स्ट्राइक हमारी सेना के साहस और सामर्थ्य का उत्तम प्रतीक है। सर्जिकल स्ट्राइक हमारी सेना के युद्ध कौशल को तो दिखाता ही है, साथ ही, हमें गौरव करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी देता है। रातों-रात, किसी को खबर तक न लगे और सेना के जवान सर्जिकल स्ट्राइक करके देश की सीमा में आ जाते हैं। ये भारत के इतिहास का एक गौरवमयी क्षण है। साथियो, देश का हर व्यक्ति अपनी सेना पर गर्व महसूस करता है। कठिन से कठिन और दुर्गम से दुर्गम परिस्थितियों में भी अगर हमारे लिए कोई दिन-रात एक करके तपता है, अपनी जवानी भी खपा देता है, अपनी जान भी हाथ पर लेकर के खड़ा है तो वो है हमारी सेना का जवान।

दो साल पहले, जो हमारे वीरों ने किया उसके लिए वे हर प्रकार के सम्मान के हकदार हैं और पूरी सेना सम्मान की हकदार है। पूर्व सैनिक भी सम्मान के हकदार हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी इस साहस को, इस शौर्य को याद कर सकें, इसके लिए पार्टी के स्तर पर देश के अलग-अलग हिस्सों में भव्य कार्यक्रम होने चाहिए, वीरतापूर्ण कार्यक्रम होने चाहिए। भाजपा के कार्यकर्ता सैनिकों के सम्मान, शहीदों के परिजनों का सम्मान, शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण का कार्यक्रम, ये हम आयोजित करें। हर स्कूल के अंदर इस विषय पर सुबह आधा घंटा बातचीत की जाए, सर्जिकल स्ट्राइक पर स्कूल के बच्चों को सिखाया जाए कि क्या हुआ, कैसे हुआ, हमारी सेना ने कैसे पराक्रम किया। सेना हमारे लिए जितना करती है, उसका ऋण तो हम नहीं चुका सकते लेकिन सैनिकों का सम्मान करके हम अपने देश के प्रति अपना नागरिक कर्तव्य जरूर निभा सकते हैं। लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि मोदी विरोध करते-करते, भाजपा विरोध करते-करते हमारे कुछ राजनेता आपा खो बैठे हैं। जिस प्रकार से उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का मजाक उड़ाया था, जिस प्रकार से उन्होंने देश के सेनाध्यक्ष को ऐसे गंदे शब्दों में नवाजा था, जिस प्रकार से रोज हमारी सैन्य शक्ति के अंदर कुछ न कुछ परेशानियां पैदा कर रहे हैं और ऐसे नेता जिनको हिंदुस्तान की बात पर भरोसा नहीं लेकिन किसी विदेशी की बात पर भरोसा हो जाता है, ऐसा देश का दुर्भाग्य पहले कभी नहीं आया। और इसलिए, जब देश की सेना को बदनाम करने का प्रयास होता हो, देश के वीर जवानों के कामों को बदनाम होने का प्रयास होता है और सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीति के लिए। ऐसे समय हमें बढ़-चढ़ के देश की सेना का मान बढ़ाना होगा, सम्मान बढ़ाना होगा। उसके लिए हमें लगातार प्रयास करना होगा। और, वन रैंक वन पेंशन क्या छोटा निर्णय था? 40 साल तक जो नहीं कर पाए वो आज हमें सीखा रहे हैं। और इसलिए मैं कहता हूँ कि हम जाएं, हिम्मत के साथ जाएं, कहें।

आइए, हम बिहार की तरफ चलते हैं।

गुलशन कुमार- आदरणीय प्रधानमंत्री जी, सादर प्रणाम नवादावासियों की तरफ से। मैं गुलशन कुमार, नवादा जिले का रहने वाला हूँ। मैं एक बैडमिंटन खिलाड़ी के साथ-साथ भाजपा का कार्यकर्ता हूँ। महोदय, मैं आपसे बात करके अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ कि मैं भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री से बात कर रहा हूँ जिनका मेरे कहने से Modi means Man of developing India. महोदय, मैं आपका और स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह जी का धन्यवाद प्रकट करता हूँ जिनके अथक प्रयास से नवादा जिले के आजादी के लगभग 70 साल बाद यहाँ केंद्रीय विद्यालय शिक्षा के जगत में, चाहे बात रेलवे की हो, डबलिंग की हो, इलेक्ट्रिफिकेशन की हो, चाहे बात फोर लेन की हो, चाहे बात यहाँ एक खनवा गांव है महोदय जहां सोलर चरखा के जरिए माननीय मंत्री जी के अथक प्रयास से महिला लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। कुछ दिन पहले यहां खनवा में वाईफाई इनेबल किया गया है। मैं आपका और आपके मंत्री एवं हमारे मंत्री सांसद महोदय श्री गिरिराज सिंह जी का बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूँ। महोदय, मेरा प्रश्न है कि आज भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, आज हम करोड़ों कार्यकर्ता हैं, आप हम सभी कार्यकर्ता के लिए आदर्श एवं प्रेरणा हैं। कृपया आप हमें बताएं कि भाजपा के कार्यकर्ता का आचरण कैसा होना चाहिए जिससे कि हम पार्टी के साथ-साथ देश को सशक्त बना सकें। धन्यवाद महोदय।

 

पीएम मोदी- देखिए गुलशन जी और जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि भारतीय जनता पार्टी, ये कार्यकर्ताओं की पार्टी है। हमारा दल उन लाखों दिलों से बना हुआ है, लाखों दिलों से जुड़ा हुआ है। कार्यकर्ता की भूमिका बदलती है, उसका काम वही रहता है। अब जो काम आप कर रहे हैं, वही काम मैं कर रहा हूँ। और आपने देखा होगा कि मैं देश में आप सभी से, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करता हूँ। ये इसलिए होता है कि जो काम हम कर रहे हैं वो सही से हो। सिर्फ योजना बनाई, ऐलान किया और फिर भूल गए, ऐसे काम नहीं चलता। आज भाजपा करोड़ों समर्पित कार्यकर्ताओं की देशव्यापी पार्टी है। केंद्र के साथ-साथ देश भर में अनेक राज्यों में भाजपा की सरकार है। भाजपा के विजन, उसकी विश्वसनीयता को, उसके राष्ट्र के प्रति समर्पण को देश ने अभूतपूर्व समर्थन दिया है। संगठन की शक्ति परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना निरंतर पुरुषार्थ, निरंतर संघर्ष का रास्ता और राष्ट्र निर्माण के प्रति समर्पण, भविष्य के हमारा यही उत्तम से उत्तम मार्ग है।

हमारी सक्रियता स्वप्रेरणा से आनी चाहिए, कोई पद हमको न कहीं काम करने के लिए प्रेरित करे। मैं ये करूंगा तो ये मिलेगा, मैं ये करूंगा तो ये मिलेगा, जी नहीं। मैं ये करूंगा तो मेरा देश आगे बढ़ेगा, मैं ये करूंगा तो किसी की जिंदगी बदलेगी। इससे जो संतोष मिलता है वो बहुत ज्यादा होता है। अब हमारा संघर्ष जनता से प्रभावी संवाद का है, जन-जन की समस्याओं के लिए काम करने का है। अपनी गलतियों से, अपनी कमियों से सीख लेकर आगे बढ़ने का है। हमारा कार्यकर्ता जनता और सरकार के बीच की कड़ी है, हमारी ताकत है। हमारा कार्यकर्ता नीचे से ऊपर सही जानकारी भेजता है और फिर ऊपर से नीचे सही नीतियां, सही मार्गदर्शन पहुंचता है। मेरा आपसे आग्रह है कि जागरूक रहें, सच्चाई को सामने रखें, तर्कों के साथ अपनी बातें रखें। गोल-मोल बातें करने का असर नहीं होता; आंकड़े याद रहने चाहिए, स्कीम का नाम याद रहना चाहिए। जितना हम स्पष्टता के साथ जनता के साथ जुड़ेंगे, उतनी ही साफ राय हमारे प्रति, पार्टी के प्रति बनेगी। विपक्ष का झूठ, हमारी सच्चाई। हमारे तथ्यों के सामने उनका झूठ कभी नहीं टिक पाएगा। जनता के सामने वोट डालते समय कोई भ्रम नहीं रहेगा। सामने सिर्फ कमल का फूल ही दिखेगा और हमें ये कहने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी कि कमल के फूल पर बटन दबाना पड़ेगा।

नवादा के और कोई कार्यकर्ता जो बात करना चाहेंगे तो मैं जरूर सुनूंगा लेकिन मैं आप सभी से कहना चाहूंगा, जब आप कहते हैं कार्यकर्ता का आचरण... आप सबने स्वर्गस्थ कैलाशपति मिश्र जी का नाम सुना होगा। कार्यकर्ता कैसा होना चाहिए, कभी कैलाशपति मिश्र को याद कीजिए, आप ही के बिहार के थे। एक कार्यकर्ता के रूप में उत्तम जिंदगी कैसे जी कर के गए और कितने सालों तक, सात-सात दशक तक जिंदगी खपाते रहे। मैं समझता हूँ कार्यकर्ताओं का आचरण कैसा हो, सीखना है, उन्हीं से सीखते हैं। दूसरा, हमने देखा है कितना ही अच्छा काम होता हो, अच्छे काम की चर्चा हो, हमारे विरोधी इसकी चर्चा थोड़े ही करेंगे। वे तो वो चीजें चर्चा करेंगे जिससे देश में विवाद हो, आग लग जाए, विघटन हो जाए और कभी-कभी हम भी गलती में, गुस्से में आकर के कुछ न कुछ बोल देते हैं। उनकी यही इच्छा होती है कि आप कुछ बोलो ताकि वो चर्चा फैले। हमें ऐसे लोगों में टाइम खराब करने की जरूरत नहीं है, मुंह खोलने की जरूरत नहीं है। हमें कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।

आइए, आपके यहाँ नवादा से कुछ और भी बात करना चाहते हैं।  

वर्षा रानी- माननीय प्रधानमंत्री जी, प्रणाम।

पीएम मोदी- प्रणाम, प्रणाम।

वर्षा रानी- प्रणाम, प्रणाम सर। बहुत सौभाग्य की बात है कि आज आपसे बात करने का अवसर प्राप्त हुआ है सर। मैं वर्षा रानी बीजेपी कार्यकर्ता के साथ-साथ सोलर चरखा में नवादा केंदुआ गाँव में प्रशिक्षण देने का काम करती हूँ। ये मेरे लिए खुशी की बात है।

पीएम मोदी- क्या शुभ नाम बताया आपका?

वर्षा रानी- जी, वर्षा रानी।

पीएम मोदी- वर्षा रानी जी। हाँ, बताइए।

वर्षा रानी- जी, ये मेरे लिए बहुत खुशी की बात है कि हम महिलाओं के लिए काम करते हैं। हमसे ज्यादा खुशी है कि गाँव की महिला आज 5 से 10 हजार रुपया घर बैठे कमा रही है। ये नवादा जिला के लिए सौभाग्य की बात है। सबसे ज्यादा सौभाग्य की बात ये है सर कि ये आपका और सांसद महोदय का बहुत बड़ा योगदान है नवादा जिला के लिए। मेरा प्रश्न है सर कि माननीय प्रधानमंत्री जी आपका 17 सितंबर को जन्मदिन है तो उस दिन को आप कैसे मनाइएगा और हम सभी कार्यकर्ता किस तरह आपका जन्मदिन मनाएंगे सर?

पीएम मोदी- देखिए वर्षा रानी जी, जब तक मैं मुख्यमंत्री नहीं बना था तब तक मुझे पता ही नहीं था कि मेरा जन्मदिन कब आता है, कब जाता है और ना ही मैं ऐसे परिवार में पैदा हुआ जहां जन्मदिन मनाए जाते हों। और इसलिए, कभी भी आदत ही नहीं रही जन्मदिन को याद करने की, जन्मदिन को मनाने की। लेकिन अब दुनिया का रिवाज ऐसा है कि इस पद पर पहुँच गए तो इसकी जरा चर्चा भी हो जाती है। लेकिन मैं स्वयं इससे दूर रहने का भरपूर प्रयास करता हूँ, मैं उससे जुड़ता नहीं हूँ। लेकिन आप सचमुच में जन्मदिन मनाना चाहती हैं क्या वर्षा जी, आप सब कार्यकर्ता मनाना चाहते हैं? सब कार्यकर्ता, आज जितने मुझे सुन रहे हैं?

वर्षा रानी- जी सर। सभी कार्यकर्ता, महिलाएं...

पीएम मोदी- तो एक काम कीजिए, एक काम कीजिये। करेंगे? एक काम करेंगे?

जी सर (सभी कार्यकर्ता सम्मिलित रूप से बोलते हुए)

पीएम मोदी- उस दिन आपके गाँव में, 17 सितंबर को जिस बच्चा या बच्ची का जन्म हो, इस 17 सितंबर को, आप स्पेशली उस परिवार को मिलने जाएं, अस्पताल जाएं, एक पुष्प, गुलाब का फूल दें और उनको शुभकामनाएँ दें कि देखिए आपका 17 सितंबर को जन्मदिन है और देश के प्रधानमंत्री का भी आज जन्मदिन है। उस गरीब माँ को अपना बेटा 17 सितंबर को जन्मा है और ये प्रधानमंत्री की जन्मतारीख है, उस माँ को जीवन भर याद रहेगा कि मुझे मेरे बच्चे को बड़ा बनाना है। ये कर सकते हैं? दूसरा काम कर सकते हैं...आपके गाँव में सैकड़ों लोग होंगे जिनका किसी न किसी का 17 सितंबर को जन्म हुआ होगा। क्या ढूंढ़ करके जिनका जन्म 17 सितंबर को जन्म हुआ है…ऐसे लोगों को ढूंढ़ करके...स्कूल में जा करके अगर आप जाकर के पुराने रिकॉर्ड ढूंढ़ोगे तो आपको जन्मतारीख मिल जाएगी। जितने 17 तारीख को जन्मे हुए लोग हैं, कोई 80 साल का हो गया, कोई 50 साल का होगा, कोई 40 साल का होगा... 17 सितंबर को जन्मे हुए सबको इकट्ठा करो और सबका अभिनंदन करो, वो ही मेरा अभिनंदन है। करेंगे?

देखिए, हमें ये वीआईपी कल्चर खत्म करना है। 17 सितंबर को जन्मे हुए सबका जन्मदिन मनाएं, बस वही जन्मदिन हो गया। करेंगे आप लोग? लेकिन इस बार एक सौभाग्य है। देखिए, 16 सितंबर को वाजपेयी जी की पुण्य तिथि को 1 महीना हो रहा है। ये प्रथम मासिक पुण्य तिथि है और वाजपेयी जी ने जो कविताएं कहीं हैं, लिखीं हैं वह हमारे देश को आज भी प्रेरणा देने वाली हैं। इसलिए 16 सितंबर को वाजपेयी जी की कविताओं का पठन, उनकी ही आवाज में वीडियो उपलब्ध है यू ट्यूब पर देखोगे तो। बहुत बड़ी जनसंख्या इकट्ठी कर-कर के अटल जी को काव्यांजलि देनी चाहिए। और, 17 सितंबर से 25 सितंबर, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन है 25 सितंबर। इस पूरा सप्ताह हम अटल जी को कार्यांजलि देंगे। 16 तारीख को काव्यांजलि, 17 से 25 कार्यांजलि और सेवा सप्ताह के रूप में मनाएंगे। 17 तारीख से 25 तारीख तक हम लगातार सेवा के काम करें और उसमें भी विशेष करके मेडिकल चेक अप के कैंप लगाएं, हेल्थ चेक अप के कैंप लगाएं, लोगों का बीमा उतारने का काम करें, जनसुरक्षा योजनाओं का लाभ उठाएं, गैस कनेक्शन दिलवाने का काम करें, लोगों की भलाई का काम करें और अटल जी को हम कार्यांजलि दें। और उसी दिन आयुष्मान भारत का भी प्रचार करें, आयुष्मान भारत की योजना भी लोगों को समझाएं। बताइए कितना बड़ा काम हो जाएगा देश के लिए और मुझे विश्वास है कि आप जरूर इस काम को करेंगे। इसको आगे बढ़ाइए। बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।

आइए, अरुणाचल प्रदेश चलते हैं। अरुणाचल वालों को बहुत इंतजार करना पड़ा।

सोरांग किओकाम- नमस्ते।

पीएम मोदी- नमस्ते।

सोरांग किओकाम- मैं सोरांग किओकाम, बीजेपी कार्यकर्ता, अरुणाचल प्रदेश बोल रहा हूँ। ..... यहाँ रेलवे पहुंची है, हमलोगों को काफी खुशी है। तो मैं आपसे एक सवाल पूछ रहा हूँ। नॉर्थ ईस्ट के लिए आने वाला समय में क्या प्लान है?

पीएम मोदी- देखिए सोरांग जी, आपने सही कहा नॉर्थ ईस्ट भारत का सबसे समृद्ध क्षेत्र है, स्ट्रैटेजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। और, हम देश के कण-कण, जन-जन के लिए समर्पित कार्यकर्ता हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने ऐसी आबादी को, ऐसे क्षेत्रों को राजधानी के साथ जोड़ा है जिनके प्रति इतने वर्षों तक उपेक्षा का भाव रखा गया। केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट के भाई-बहनों के साथ निरंतर संवाद किया। जब अटल जी की सरकार थी, अलग डोनर मंत्रालय बनाया गया। ये विजन अटल जी का था। और, मैं खुद इन 4 वर्षों में लगभग 30 बार नॉर्थ ईस्ट में आप सभी के बीच आ चुका हूँ। शायद हिंदुस्तान के सभी प्रधानमंत्री मिल करके इतनी बार आए होंगे कि नहीं आए होंगे, मुझे मालूम नहीं। कुछ दिन बाद 23 सितंबर को एक बार फिर मैं नॉर्थ ईस्ट में सिक्किम आ रहा हूँ। संभवतः, उस दिन सिक्किम में भाई-बहनों के बीच में रहूँगा, उनसे बात करूंगा। आप सभी नॉर्थ ईस्ट के कार्यकर्ता, हमारे सभी साथी, आप भलीभाँति जानते हैं कि आज वहाँ किस प्रकार का माहौल है।

अब तो अरुणाचल के पासी घाट में कमर्शियल फ्लाइट भी शुरू हो चुकी है। आप सभी को मैं इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस अगस्त से अरुणाचल में शुरू हुए मेडिकल कॉलेज में भी पढ़ाई शुरू हो गई है। नॉर्थ ईस्ट में आज बहुत से काम पहली बार हो रहे हैं। अनेक जगहों पर पहली बार हवाई जहाज पहुँच रहे हैं, पहली बार रेल पहुँच रही है, पहली बार बिजली पहुँच रही है। जिन 18000 गांवों में हम बिजली पहुंचाने में हम सफल रहे, उनमें 5000 तो नॉर्थ ईस्ट के हैं। पहले क्या होता था...पूर्वोत्तर के नाम पर योजनाएं बनाई जाती थीं, उन्हें फिर भुला दिया जाता था।  जबकि हम पूर्वोत्तर और दिल्ली की दूरी निरंतर कम कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि पूर्वोत्तर दिल्ली के दिल में दिखाई देना चाहिए। आज पूर्वोत्तर हमारी Act East Policy का गेटवे बनता जा रहा है। पूर्वी एशिया के साथ हमारे सम्बन्धों और व्यापार का सेंटर नॉर्थ ईस्ट बनता जा रहा है। हम म्यांमार, थाइलैंड से जुड़ी अनेक परियोजनाओं पर पूर्वोत्तर के भरोसे ही काम कर रहे हैं।

पूर्वोत्तर को स्पोर्ट्स का हब बनाने का प्रयास हो रहा है। जो काम बीते 4 वर्षों में सरकार ने नॉर्थ ईस्ट में किया, भाजपा ने जो विश्वास जगाया उसका परिणाम आज सामने नजर आ रहा है। आज नॉर्थ ईस्ट के अधिकतर राज्यों में भाजपा और हमारे सहयोगियों की सरकार है। हमें इस विश्वास को अपने कार्यों से और मजबूत करना है।

आइए, कोई और भी कुछ कहना चाहते हैं तो...

तादार हांगी- नमस्ते जी सर।

पीएम मोदी- नमस्ते जी नमस्ते।

तादार हांगी- सर, मैं अरुणाचल की महिलाओं की तरफ से, सारा अरुणाचल की तरफ से नमस्ते करती हूँ। मेरा प्रश्न है कि 2019 में इंडिया के विपक्षी लोग एक साथ हो गए हैं तो 2019 इलेक्शन  में हमलोगों को क्या करना है? सर, आपकी क्या सलाह है?

पीएम मोदी- देखिए तादार जी, आप बिलकुल चिंतामुक्त हो जाइए। देखिए, बात सारे विपक्ष के एकजुट होने की नहीं है। इसमें कुछ ही दल हैं जिनके नाम की ब्रांडिंग महागठबंधन के तौर पर करने की कोशिश हो रही है। लेकिन महागठबंधन भी गांठों का बंधन नहीं है, ये अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए कुछ अवसरवादी लोगों का गठजोड़ है। और, जब सवा सौ करोड़ देशवासियों ने इनको अपने दिलों से निकाल दिया तो वो दलों को जोड़ करके जाना चाहते हैं। वो दलों को जोड़ रहे हैं, हम सवा सौ करोड़ दिलों को जोड़ रहे हैं। ये फर्क है। उनके लिए दलों को जोड़ना मजबूरी है, हमारे लिए दिलों को जोड़ना हमारा राजनैतिक, राष्ट्रीय कर्तव्य है। इस गठजोड़ में नेतृत्व पर भ्रम है, नीति अस्पष्ट है, नीयत भ्रष्ट है। इनका एक ही संकल्प है- मोदी हटाओ, मोदी हटाओ, मोदी हटाओ। हमारा संकल्प एक ही है कि देश को आगे बढ़ाओ, आगे बढ़ाओ, आगे बढ़ाओ। महागठबंधन का जो विचार है वो एक संगठन के तौर पर भाजपा और भाजपा कार्यकर्ताओं की शक्ति का परिचय देता है। आप मुझे बताइए, कुछ वर्ष पहले कांग्रेस का मध्य प्रदेश के अंदर एक बड़ा अधिवेशन हुआ था, उसमें उन्होंने लिखित प्रस्ताव किया है कि हम कभी भी किसी दल के साथ सम्झौता करके नहीं चलेंगे। आज क्या कारण है कि जो दल जो मांगे वो देकर के कहते हैं कि हमें साथ रखो, हमें साथ रखो, हमें साथ रखो, हमें बचा लो।

देखिए, जब कोई पेशेंट आईसीयू में पड़ा होता है ना तो उसको भांति-भांति की चीजें लगते हैं, इधर लगाएंगे, उधर लगाएंगे, मुंह पे लगाएंगे, सपोर्ट सिस्टम लगाते हैं ताकि पेशेंट बच जाए। ये कांग्रेस, ये सपोर्ट सिस्टम लगा रही है अपने आप पर, अलग-अलग दलों से ताकि कांग्रेस बच जाए, कांग्रेस जिंदा रह जाए। तो उनके लिए ये सारे दल सिर्फ सपोर्ट सिस्टम है जो कांग्रेस को आईसीयू से बचा ले। और दूसरा, मान लीजिए भाजपा सरकारों ने गलतियाँ की होतीं तो इनको इतना गठबंधन करना पड़ता क्या? क्या भाजपा की लोकप्रियता कम हुई होती तो उनको गठबंधन करना पड़ता क्या? क्या भाजपा के प्रधानमंत्री ने कुछ गलत किया होता तो उनको गठबंधन करना पड़ता क्या? अरे, वो हिम्मत के साथ देश के सामने जाते और बातें बताते और देश स्वीकार करता। लेकिन जब ऐसा कुछ नहीं है तो सहारा ढूंढ़ रहे हैं और इसलिए खेल कर रहे हैं। विपक्ष के तमाम दल भाजपा के कार्यकर्ता के परिश्रम पर इतना भरोसा करते हैं, उससे इतना डरे हुए हैं कि उन्हें लगता है कि वो भाजपा का अकेला मुकाबला कभी नहीं कर सकते, टिक ही नहीं सकते हैं। और इसलिए, ये मिलना, मेल-मिलाप का सारा खेल जो टीवी पर दिखाने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं, ये सिर्फ आईसीयू में बचने के, सपोर्ट सिस्टम के सारे औजार हैं और कुछ नहीं हैं।

और रही बात मुद्दों की, अब बताइए इसका कोई मेल है क्या। वे नामदार हैं, हम कामदार हैं। उनका लक्ष्य परिवार कल्याण है, हमारा लक्ष्य राष्ट्र कल्याण है। इसी मुद्दे पर देश चुनाव के अंदर इनको परखने वाला है। भाजपा के कार्यकर्ता होने के नाते हमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि हमारे विरुद्ध कौन खड़ा है, किसके सहारे खड़ा है, किसका हाथ पकड़ के खड़ा है, किसके एक हाथ में हाथ और दूसरे हाथ में छुरा है, ये सब देश की जनता जानती है। हम विरोधी की कमजोरी के बल पर नहीं, सवा सौ करोड़ देशवासियों की हमने पूरे मनोयोग से, किसी भी प्रकार के स्वार्थ के बिना दिन-रात मेहनत करके जो सेवा की है, उस सेवा के भरोसे हम जनता के बीच जाएंगे। विषम परिस्थितियों से निकलकर देश आज नई ऊर्जा और आशा से भरा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी को देश की जनता ने बीते 4 वर्षों में असीम स्नेह दिया है और इस भरोसे को हमें कायम रखना है। आप सभी के पास सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए बहुत कुछ है। और इसलिए… सभी साथियों से काफी लंबे अरसे से हमारी बातचीत हो रही है। इन 5 लोकसभा क्षेत्रों के सिवाय भी शायद देश के कार्यकर्ता इसे देखते होंगे और मैं उम्मीद करता हूँ कि आज के आयोजन से सभी कार्यकर्ता एक नए विश्वास के साथ और आज आपको कई नई जानकारियाँ भी मिली होंगी…आप नई ऊर्जा, नई शक्ति के साथ कार्य करें, जनता की सेवा करें, जी-जान से जुटे रहें, विजय के विश्वास के साथ चल पड़ें और राष्ट्र कल्याण का एक ही सपना, एक ही संकल्प, एक ही मंत्र, वही हमारा आराध्य है सवा सौ करोड़ देशवासी यही हमारा हाई कमांड है। सवा सौ करोड़ देशवासियों का कल्याण, यही हमारा कर्तव्य है। यही हमारा संकल्प है, इसको लेकर के हम आगे चलें।

आने वाले दिनों में, कुछ नए साथी होंगे, कुछ नई जगहें होंगी और फिर ऐसे ही अपना बूथ सबसे मजबूत बूथ, मेरा बूथ सबसे मजबूत बूथ, मेरे बूथ से मेरे प्रधानमंत्री का संवाद, इस सपने को लेकर के आप आगे आइए। मैं आपके बीच आकर के नई ऊर्जा प्राप्त करता हूँ, नई उमंग प्राप्त करता हूँ, नया विश्वास प्राप्त करता हूँ। आप देश की अमानत हैं, देश के भविष्य की अमानत हैं। मेरे लिए सौभाग्य है कि ऐसे कार्यकर्ताओं की टोली के साथ हमें, इस पीढ़ी के नेताओं को काम करने का मौका मिला है।

मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ, बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।                



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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!