Shri Modi addresses BJP Karyakarta Sammelan in Kolkata

Published By : Admin | April 9, 2013 | 16:44 IST

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और जुस्से से भरे हुए कार्यकर्ता भाइयों और बहनों..! ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे उस एतिहासिक भवन में आकर के आपके बीच बातचीत करने का अवसर मिला है, जिस भवन की स्मृतियाँ गुरूदेव के साथ, सुभाष बाबू के साथ जुड़ी हुई हैं और उसके कारण एक अलग प्रकार के वाइब्रेशन की अनुभूति होती है, जब इन महापुरूषों का स्मरण करते हैं। ऐसे अनेक महापुरूष जिन्होंने देश के लिए जीवन खपा दिया और बंगाल ने त्याग और तपस्या के क्षेत्र में एक बहुत ऊंची मिसाल कायम की है। रामकृष्ण परमहंस की धरती, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की धरती, स्वामी विवेकानंद जी की धरती, अनेक तपस्वी, तेजस्वी महापुरूषों की धरती... इस धरती को मैं नमन करता हूँ..! 15 अप्रैल को आप नववर्ष मनाने जा रहे हैं। आपके नववर्ष के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! और इस नववर्ष से आने वाले नववर्ष तक आपको इतनी ताकत मिले, आपको इतना जन समर्थन मिले, आपके शब्दों का इतना सामर्थ्य बढ़े, आपके परिश्रम की इतनी पराकाष्ठा हो कि शासक कोई भी क्यों ना हो, आपकी बात सुनने के लिए मजबूर हो। ये सामर्थ्य आपको प्राप्त हो, ऐसी मैं आप सबको शुभकामना देता हूँ..!

भाइयों-बहनों, आप जानते हैं कि मैं वर्षों तक संगठन के कार्य से जुड़ा था। संगठन के कार्य हेतु अनेक बार पश्चिम बंगाल का भी प्रवास किया था। कार्यकर्ताओं के साथ घंटों तक बातें करने का मुझे अवसर मिलता था। देश भर में संगठन के कार्य के लिए भ्रमण करने का सौभाग्य मिला था। अब दायित्व बदल गया और उसके कारण मैं गुजरात में अपनी शक्ति और समय लगा रहा हूँ। लेकिन जब भी मैं गुजरात के कार्यकर्ताओं से बात करता हूँ, तो मैं हमेशा उन प्रदेशों के कार्यकर्ताओं का जिक्र करता हूँ जिन प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को इतने कष्ट झेलने पड़ते हैं। राजनैतिक प्रतिस्पर्धी दुश्मन की तरह उनके साथ व्यवहार करते हैं। लोकतंत्र के नियमों का कोई पालन ना करते हुए, विपक्ष को खत्म कैसे करना है उसी का षडयंत्र करते रहते हैं। और उसके बावजूद भी सीने पर अनेक वार झेलते हुए, भारत माता का जयकार करते हुए, सालों से कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन खपा दिए। उनके अपने परिवारों को खपा दिया है। और उन कार्यकर्ताओं की श्रेणी में चाहे केरल हो, चाहे नार्थ ईस्ट के प्रदेश हों, चाहे कश्मीर की धरती हो, या फिर चाहे वो मेरा बंगाल हो... ये सब कार्यकर्ता देशभर के कार्यकर्ताओं की प्रेरणा होते हैं..! आपको लगता होगा कि गुजरात में तीन बार विजयी हो गए तो नरेन्द्र मोदी कुछ बन गए। मित्रों, हम गुजरात के कार्यकर्ता आज भी आपके तप और तपस्या का स्मरण करके दौड़ने की ताकत पाते हैं। आपसे हमें प्रेरणा मिलती है क्योंकि आपके सामने कई वर्षों तक दूर-दूर तक सत्ता नजर नहीं आई है। जमानत बच जाए तो भी बहुत है, ये पता होने के बाद भी एक विचार के लिए, एक आदर्श के लिए, माँ भारती के कल्याण के इस यज्ञ में कुछ आहूति देने के लिए दो-दो चार-चार पीढ़ी खप गई..! आपका ये त्याग और तपश्चर्या, मेरे बंगाल के कार्यकर्ताओं का ये पसीना कभी ना कभी तो रंग लाएगा..! मुझे विश्वास है मित्रों, एक ऐसा समय आएगा, जब चारों तरफ से निराश हुआ बंगाल का नागरिक आपको सीने से लगाएगा, आपको सिर-आंखों पर बैठाएगा। ये बंगाल की भूमि है, जो बराबर तराशती है और एक बार तराशने का मार्ग स्वीकार किया तो लंबे अर्से तक आपको अवसर भी देती है। इस भूमि की ये विशेषता है।

भाइयों-बहनों, राजनीति का रूप बदल चुका है। आज से दस साल पहले राजनीति जिस ढंग से चल रही थी, अब उस ढंग से राजनीति करना किसी के बस का रोग नहीं है। आज हिन्दुस्तान में कोई भी नेता हो, कोई भी दल हो, कोई भी विचार हो, किसी भी प्रकार के आचार हो लेकिन सबको, चाहते हुए या ना चाहते हुए, विकास की बात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जनता जर्नादन के सामने जा कर के विकास के मुद्दों पर विश्वास पैदा करने की कोशिश करनी पड़ती है। और भाइयों-बहनों, मैं आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में एक बड़े संतोष के साथ अपने साथियों के सामने सिर झुकाकर कहना चाहता हूँ कि हिन्दूस्तान की राजनीति में ये मूलभूत परिवर्तन लाने का यश अगर किसी को जाता है, तो वो गुजरात की धरती को जाता है। विकास के मुद्दे पर राजनीति हो सकती है। सामान्य मानवी शासन क्यों बनाता है, सरकार किसके लिए होती है..? कोई अमीर बीमार हो जाए तो उसको सरकारी अस्पताल की जरूरत होती है क्या? उसके घर तो दुनिया भर के डॉक्टर आकर के कतार में खड़े हो जाते हैं। अस्पताल की जरूरत होती है गरीब आदमी को। किसी अमीर के बेटे को पढ़ना है तो सैकड़ों शिक्षक आकर के घर के दरवाजे पर खड़े हो जाएंगे। सरकार का काम होता है गरीब बच्चों को शिक्षा देना। जो रूपयों से खेलते हैं उनको कठिनाइयों का पता नहीं होता है, लेकिन जो नौजवान अपनी विधवा माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रात-रात भर फुटपाथ की लाइट के नीचे बैठ कर के पढ़ाई करता है, उस बच्चे को अपनी माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रोजगार चाहिए, और ये रोजगार की चिंता करना सरकार का काम है। इन मूलभूत विषयों पर देश के शासकों को आने के लिए हमने मजबूर किया है और इसके कारण भारत सरकार को हर पल अपने किये हुए कामों का हिसाब देना पड़ता है। मित्रों, क्या कारण है कि इतने कम समय में दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति इतनी नफरत पैदा हो गई..! मीडिया के मित्रों ने दिल्ली की सरकार को कोई कम मदद नहीं की है। जितना बचा सकते हैं बचाया, जितनी मदद कर सकते हैं कर रहे हैं..! इस देश के अंदर हमेशा शासन के साथ जुड़ जाने वाला एक वेस्टेड इन्ट्रेस्ट ग्रुप है। उन्होंने क्या कुछ नहीं किया इस सरकार की इज्जत बचाने के लिए। ढेर सारी कोशिशें की, लेकिन उसके बावजूद भी हिन्दुस्तान के चप्पे-चप्पे में, हिन्दुस्तान के जन-जन के मन में ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति नफरत क्यों हैं, इतना आक्रोश क्यों है..? मित्रों, मैं राजनीति में तो बड़ी देर से आया, लेकिन सालों तक जिंदगी सांस्कृतिक और सामाजिक कामों में लगाई थी। राजनीति में नहीं था, लेकिन अभ्यास करने का स्वभाव था, देखता था। मित्रों, मैं अनुभव के आधार पर कहता हूँ और एक राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में कहता हूँ कि इस दिल्ली के तख्त पर आजादी के बाद शायद ये पहली सरकार ऐसी है जिसके प्रति इतनी भयंकर घृणा और नफरत का माहौल है। मित्रों, कभी शासन के प्रति राजी-नाराजी होना एक बात है। कभी किसी एक छोटी सी घटना पर गुस्सा होना स्वाभाविक है। लेकिन नफरत, घृणा, अविश्वास की स्थिति इस देश में पहले कभी नहीं आई थी, जो आज आई है। और इसके लिए संपूर्ण रूप से कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है। कांग्रेस पार्टी इस हद तक अपने स्वार्थ को लेकर के आगे बढ़ रही है कि कुछ भी बुरा हो जाए, और मान लीजिए वो बुरा नॉन यू.पी.ए. स्टेट में होता है तो उछल-उछल कर के उस राज्य को बदनाम करने में पूरी शक्ति लगा देते हैं और अगर यू.पी.ए. स्टेट में कहीं होता है या सेंट्रल गवर्नमेंट में होता है तो बेशर्मी के साथ सारे पाप अपने साथी पक्षों के सिर पर डाल देते हैं। बड़ी चतुराई है उनकी, जैसे उनका तो कोई गुनाह ही नहीं है, उनकी तो कोई जिम्मेवारी ही नहीं है, उनका तो कोई दायित्व ही नहीं है..! भाइयों-बहनों, क्या हम लोगों के रहते हुए ऐसी कांग्रेस पार्टी इस देश में रहनी चाहिए..? सत्ता के गलियारों में उसको प्रवेश मिलना चाहिए..? देश का शासन करने का अवसर मिलना चाहिए..? क्या उसको धरती पर से उखाड़ फैंकना हमारा कर्तव्य नहीं है..? भाइयों-बहनों, पूरे देश के अंदर कौन सत्ता में आए कौन ना आए इसके लिए नहीं, लेकिन देश को बर्बादी से बचाने के लिए कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान बनाने का हमारा सपना होना चाहिए..!

भाइयों-बहनों, क्या कारण है कि जब भी विकास की चर्चा होती है, तो गुजरात का जिक्र होता है..! क्या कारण है? जो लोग गुजरात को प्रेम करते हैं, जिनके दिल में गुजरात के प्रति नाराजगी नहीं है, वे क्या कहते हैं? देखो, गुजरात में ऐसा हुआ..! देखो, गुजरात ने क्या किया..! और जिनको गुजरात पंसद नहीं है, वे क्या कहते हैं..? वे कहतें हैं कि देखिए, इसमें हम गुजरात से भी आगे हैं..! यानि पंसद हो तो भी और पसंद ना हो तो भी, पैरामीटर गुजरात है। अच्छा किया तो कहना पड़ता है गुजरात से अच्छा किया, बुरा किया तो हिसाब लगता है कि भाई, गुजरात तक हम क्यों पहुंच नहीं पाए हैं..! ये स्थिति क्यों पैदा हुई..? मैं देश के पॉलिटिकल पंडितों को निमंत्रण देता हूँ। बंगाल की धरती तो विद्घान लोगों की धरती है, सच्चाई और ईमानदारी के साथ रहने का साहस रखने वाले लोग आज भी बंगाल की धरती पर हैं। क्या समय की मांग नहीं है, स्थितियों का तकाजा नहीं है कि हम इस देश की राजनैतिक गतिविधियों के मॉडल का अध्ययन करें? अब कोई चीज छिपी हुई नहीं है। इस देश ने करीब-करीब 50 साल तक कांग्रेस पार्टी का शासन देख लिया है। इस देश ने केरल, बंगाल और त्रिपुरा में कम्युनिस्टों का शासन देख लिया है। इस देश ने परिवारवाद वाली पार्टीओं का शासन देख लिया है। इस देश ने प्रादेशिक पक्षों के द्वारा चल रही सरकारें देख लीं है। इस देश ने भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भी देख लीं है। एक प्रकार से पिछले साठ वर्षों में पाँच अलग-अलग प्रकार की सरकारों के मॉडल इस देश में कार्यरत रहे हैं। उन सभी सरकारों का उत्तम से उत्तम समय उठा लिया जाए, पचास-सौ पैरामीटर तय किये जाएं और किस सरकार ने अपने पाँच साल के कार्यकाल में क्या काम किया, जनता की भलाई के लिए क्या काम किया, विकास के लिए क्या काम किया, शुचिता की दृष्टि से क्या काम किया, समाज का विश्वास पाने की दिशा में क्या काम किया..! अलग-अलग मापदंड लेकर के इसको तय किया जाए और फिर लेखा-जोखा लिया जाए, तो सच्चे अर्थ में देश की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं, सामान्य मानवी की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं इसका लेखा-जोखा हो जाएगा..! और मित्रों, मैं बिल्कुल विश्वास से कहता हूँ कि जिस दिन इन पाँच प्रकार की सरकारों के मॉडल का इवेल्यूशन होगा, भारतीय जनता पार्टी उत्तम से उत्तम पर्फॉर्मर के रूप में देश के सामने आएगी..!

आप मुझे बताईए मित्रों, इतने सालों तक कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में राज किया। पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही दल का शासन था। विरोध पक्ष तो था ही नहीं। पाँच-पन्द्रह लोग आपस में मिलकर मुश्किल से जीतकर आते थे। वो दिन थे जब मीडिया इतना वाइब्रेंट नहीं था, वो दिन थे जब ज्यूडिशियल एक्टिविज्म नहीं था, वो दिन थे जब एन.जी.ओ. की भरमार नहीं थी, वो दिन थे जब कोर्ट में पी.आई.एल. करके तुफान खड़ा करने की परंपरा नहीं थी। तीन दशक पूरी तरह ऐसे गए हैं कि जिसमें कांग्रेस को कोई पूछने वाला नहीं था। वो जो करें वो आखिरी, ऐसा माहौल था। इतना अच्छा अवसर मिलने के बाद भी, इतनी सुविधा रहने के बाद भी, रूकावटों का नामोंनिशान ना होने के बादजूद भी, क्या कारण था कि कांग्रेस पार्टी इस देश को कुछ नहीं दे पाई..! आज हम लोग अगर सत्ता में हैं तो कभी सी.बी.आई. आकर के धमकती है, कोई हफ्ता ऐसा नहीं गया कि कोई पी.आई.एल. सुप्रीम कोर्ट में ना की गई हो, मीडिया के मित्रों के माध्यम से कोई हमला ना हुआ हो, एन.जी.ओं. ने कोई तूफान ना खड़ा किया हो, विपक्ष काम को रोकने के लिए पूरी ताकत से लगा हुआ हो... इतने विरोध-अवरोध के बीच चाहे डॉ. रमन सिंह जी की छत्तीसगढ़ की सरकार हो, चाहे शिवराज सिंह जी की मध्य प्रदेश की सरकार हो, चाहे हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल जी की सरकार हो, चाहे राजस्थान में वसुंधरा राजे जी की सरकार हो, चाहे कर्नाटक में शेट्टर की सरकार हो, चाहे गोवा में मनोहर पारिकर जी की सरकार हो... जहाँ-जहाँ भारतीय जनता पार्टी को सरकारें चलाने का अवसर मिला है, एक भी सरकार पर भ्रष्टाचार के कोई गंभीर आरोप नहीं लगे हैं। उन सरकारों के कार्यकाल को देखा जाए। जनता की भलाई के उत्तम से उत्तम निर्णय किये हैं और उत्तम से उत्तम प्रकार से उन्होंने डिलीवरी देकर के दिखाया है।

कम्युनिस्टों ने बंगाल में सरकार चलाई, बताने की जरूरत नहीं है, क्या हालत कर दी है..? तबाह कर दिया इस प्रदेश को, बर्बाद कर दिया..! केरल को क्या दिया उन्होंने..? चुनाव जीतने के नए-नए तौर तरीके खोजने में ही वो पाँच साल लगे रहते हैं। पूरी शक्ति, सरकारी अधिकारियों की अपॉइंटमेंट तक, चुनाव जीतने के लिए काम कौन आएगा, उसी को लेकर के चलते रहे हैं। अपने विरोधियों को प्रताड़ित करना, उनको परेशान करना, उनको जिंदगी से हाथ धोने पड़े, सार्वजनिक जीवन छोड़ना पड़े... यहाँ तक उन पर जुल्म करना, यही काम इन लोगों ने किए हैं..! और उसके बावजूद भी जनता की आशा-आकांक्षा को पूर्ण करने वाले कोई परिणाम नजर नहीं आते हैं। मित्रों, मजदूरों की भलाई का नाम लेकर सरकार चलाने वाले ये लोग हैं, मैं उनको पूछना चाहता हूँ। अभी-अभी भारत सरकार का एक रिपोर्ट आया है। वो रिपोर्ट ये कह रहा है कि पूरे हिन्दुस्तान में कम से कम नौजवान बेरोजगार कहीं हैं, तो वो राज्य का नाम गुजरात है। और जहाँ ये यू.पी.ए. वाली सरकारें हैं, जहाँ ये कम्यूनिस्टों की सरकारें हैं वहाँ सबसे अधिक नौजवान बेरोजगार हैं। क्या दिया आपने..? और इसलिए भाइयो-बहनों, अध्ययन करके, बारिकियों की जानकारियों के साथ, देश की युवा पीढ़ी को, देश के नागरिकों को प्रशिक्षित करना हमारा दायित्व है कि भले ही हम छोटे होंगे, भले आज कगार में हमारी उपस्थिति कम होगी, लेकिन हमने जो रास्ता चुना है उस रास्ते ने कई राज्यों का भला किया है और बंगाल का भी भला हम कर सकते हैं, जनता में इस बात का विश्वास हम पैदा कर सकते हैं।

मित्रों, कांग्रेस पार्टी में एक विवाद चल रहा है कि एक ‘पावर सेंटर’ हो कि दो ‘पावर सेंटर’ हो..! मुझे समझ नहीं आता है कि इस विवाद से हम क्या समझें..! आप मुझे बताइए मित्रों, कि ये पावर सेंटर बाद की बात है, कहीं पावर नजर आ रहा है..? पावर हो तो फिर कितने पावर सेंटर हो ये बाद में चर्चा करें, अभी तो पावर ही नजर नहीं आ रहा है..! और सिर्फ बैटरी बदलने से गाड़ी चलने वाली नहीं है। मित्रों, आप यहीं बंगाल में कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं को मिलिए। मैं ये पत्रकार मित्रों से एक छोटी सी प्रार्थना करके जाना चाहता हूँ। और मुझे विश्वास है कि बंगाल के पत्रकार मेरे प्रति बहुत ही प्रेम रखते हैं, वो जरूर ये मेरा काम करेंगे..! आप कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं का सहज रूप में एक इंटरव्यू लीजिए। छोटा-मोटा कोई भी हो, एक सवाल पूछिए। उसको पूछिए, देश का नेता कौन है..? मैं कांग्रेस के लोगों का इन्टरव्यू करने के लिए कह रहा हूँ। मित्रों, आप देखना सौ में से एक भी व्यक्ति डॉ. मनमोहन सिंह जी का नाम नहीं बोलेगा..! जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को नेता मानने को तैयार ना हो, जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को देश का नेता मानने को तैयार ना हो, पार्टी का नेता मानने को तैयार ना हो, वो प्रधानमंत्री देश का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं..? उनकी अपनी पार्टी उनको स्वीकार नहीं कर रही है..! आप पूछ लीजिए, मुझे बंगाल के पत्रकारों की ईमानदारी पर विश्वास है कि वो जरूर जाएंगे, पूछ कर के आएंगे और कल अखबार में छापेंगे भी..! क्या हालत करके रखी है, दोस्तों..! कोई भी ऐसा क्षेत्र है, जहाँ पर कांग्रेस के मित्र विश्वास से कह सके कि हमने ये काम किया..? एक नेता तो जहाँ भी जाते हैं तो ये कहते हैं कि हमने मोबाइल दिया..! आपमें से सबके पास मोबाइल है ना... आपको किसी ने गिफ्ट में दिया है..? सीधा बैंक में ट्रान्सफर हो करके आया था..? अपनी जेब के पैसों से लाए हो ना..? फिर भी बताइए, ये कितना बड़ा झूठ बोलते हैं कि मोबाइल फोन हमने दिया..! आप इनकी हिम्मत देखिए और ये देश देखिए कि उनको सवाल नहीं पूछ रहा है कि भाई, तुम ये कैसे कह रहे हो कि ये मोबाइल फोन हमने दिया है..? एक बार मेरे यहाँ चुनाव में उनके एक नेता आए थे और उन्होंने एक भाषण दिया कि देखिए, आपकी जेब में जो मोबाइल फोन है वो हमने दिया है..! तो उसके बाद मेरा भी एक जगह पर भाषण था। मैंने कहा, मोबाइल दिया या ना दिया ये तो भगवान जाने, लेकिन चार्जर का क्या? बिजली तो है नहीं, वो चार्ज कहाँ करवाएगा? पहले बिजली तो दो..!

मित्रों, ये कैसे देश चला रहे हैं..? उनको लगता है कि तिजोरी लुटा देने का मतलब है आर्थिक प्रगति की ओर जाना..! यहाँ बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति, आपके पास अगर पाँच हजार रूपया है तो पाँच हजार रूपये में तीन दिन में बढ़िया -बढ़िया मिष्टी दही ले आए, रसगुल्ले ले आए, संदेश ले आए, और पाँच हजार रूपया उड़ा दिया..! आप मुझे बताइए कि आपके पाँच हजार रूपये का ये सही मैनेजमेंट है क्या..? पेट भरा, मीठा लगा, अच्छा भी लगा लेकिन ये सही मैनेजमेंट है क्या? लेकिन कोई और व्यक्ति अगर पाँच हजार में से सात हजार कैसे हो, दस हजार कैसे हो, फिर दस हजार में से दो हजार किसी अच्छे काम में खर्च करें, फिर पाँच हजार के आठ हजार हो, फिर उसमें से तीन हजार खर्च करें... इसको आयोजन कहते हैं की नहीं कहते? मित्रों, दिल्ली की सरकार उड़ाने में लगी हुई है और रूपये आपके जा रहे हैं..! ये लोग जनता जर्नादन के पैसे को उड़ा रहे हैं और जनता कब तक चुप रहेगी..? अपने राजनैतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए हिन्दुस्तान की जनता ने दिन-रात मेहनत करके जो टैक्स चुकाए हैं, उन टैक्स के पैसों को राष्ट्र के विकास में उपयोग करने के बजाए अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए खर्च किया जा रहा है, और ये देश के साथ सबसे बड़ा धोखा है। कभी-कभी क्या कहते हैं कि हमने आर.टी.आई. का कानून दिया। अभी चार दिन पहले मैंने पढ़ा कि भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय में किसी नागरिक ने चिट्ठी लिख कर कुछ जानकारी माँगी और देश के प्रधानमंत्री के कार्यालय से उस जानकारी देने से मना कर दिया गया..! अगर आप मना करते हो तो आर.टी.आई. के नाम पर गीत गाने का अधिकार आपको किसने दिया..? आप जानकारी तो देते नहीं हैं और अगर आप जानकारी देते नहीं हो तो जानकारी देने के कानून के नाम पर आप रोजी-रोटी कमाने निकले हो..? भाइयों-बहनों, आज देश की हालत ऐसी है, मैं कल दिल्ली में एक सेमिनार में था, ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’। तो मैंने काफी देर तक अपना भाषण सुनाया और बोलते-बोलते मुझे विचार आया कि दिल्ली में ये सब बोलने से क्या मतलब है..? मैंने कहा भाई, विषय तो है ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’, लेकिन आज तो देश में ‘नो गवर्नमेंट, नो गवर्नेंस’, तो उसका क्या करें..? सरकार की अनुभूति ही नहीं हो रही है, मित्रों। ना कोई अच्छी खबर आती है, ना कोई सुनवाई की व्यवस्था है। मैं कभी-कभी कांग्रेस के मित्रों को पूछता हूँ कि हटाओ यार, बाकी सब छोड़ो, पिछले एक साल में देश के लिए दस अच्छे काम किये हों तो जरा बता दो मुझे..! अच्छे से कांग्रेसी मित्र बता नहीं पाते हैं..! ज्यादा से ज्यादा तिजोरी हमने कैसे लुटाई इसकी गिनती करते हैं..! भाइयों-बहनों, अगर ये ही स्थिति रही तो क्या होगा..!

मित्रों, आप देखिए, कॉमनवैल्थ गेम्स का कौभांड हुआ। दुनिया की सबसे ताकतवर सरकार कोई थी तो दिल्ली में थी। सबसे बड़ी सरकार थी तो दिल्ली में थी। ऊपर-नीचे जितनी सरकारों के लेयर हैं, सारी की सारी उनकी सरकारें थी। सब कुछ उनका होने के बाद भी सारी दुनिया में हमारी नाक कट गई और कॉमनवेल्थ गेम्स के अंदर अरबों-खरबों रूपये का भ्रष्टाचार हो गया। और उसके बावजूद भी उनका तो कोई दायित्व ही नहीं..! जैसे रेनकोट पहन कर के बाथरूम में नहा रहे हो..! मैं हैरान हूँ, मित्रों..! और देश से पहली दफा मैं पूछ रहा हूँ कि इनको कैसे माफ किया जा सकता है..! कैसे इनके पापों को स्वीकार किया जा सकता है..!

मित्रों, इस देश के अंदर इन दिनों एक चर्चा चल रही है कि ग्रोथ रेट डाउन हो गया है, ग्रोथ रेट डाउन हो गया है..! क्यों हो गया, भाई..? आपको यदि विकास दर चाहिए तो आपको आर्थिक गतिविधि चाहिए। कृषि में काम होना चाहिएम, मैन्यूफैक्चरिंग में काम होना चाहिए, सर्विस सेक्टर में काम होना चाहिए..! लेकिन कारखाने कैसे चलेंगे यहाँ..? अगर बिजली नहीं है तो कारखाने कैसे चलेंगे? कारखाने नहीं चलेंगे तो नौजवानों को रोजगार कहाँ से मिलेगा..? कारखाने नहीं चलेंगे तो इकोनॉमी कैसे मोबालाइज होगी..? मोमेंटम कहाँ से आएगा..? और कारखाने चल क्यों नहीं रहे हैं, तो कहेंगे कि बिजली नहीं है। बिजली क्यों नहीं है..? क्या बिजली के कारखाने नहीं है..? बिजली के कारखाने हैं, अरबों-खरबों रूपए लग चुके हैं। कारखाने खड़े पड़े हैं, लेकिन बिजली पैदा नहीं करते। बिजली पैदा क्यों नहीं करते..? क्योंकि कोयल नहीं है..! कोयला क्यों नहीं है, क्योंकि कोयला खदान में है। कोयला खदान में क्यों है..? क्योंकि अभी हमने पॉलिसी तैयार नहीं की है..! कितने साल हो गए? तीन साल हो गए..! कब करोगे, 2014 तक तो रहने वाले नहीं हो..! आप मुझे ये बताईए मित्रों, ये सारी जिम्मेवारियाँ उनकी है कि नहीं..? आज देश में एक तरफ अंधेरा है, लोगों को बिजली नहीं मिल रही, बिजली नहीं मिलने के कारण कारखाने बंद हो रहे हैं और दूसरी तरफ 30,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले कारखाने फ्यूल के अभाव में बंद पड़े हुए हैं। कौन जिम्मेदार..? जितना पैसा लगना था लग गए, कारखाने खड़े हो गए... कोयला नहीं है। ये कोयला नहीं होने के कारण ये हालत हो गई है। और मित्रों, हिन्दुस्तान की सरकार की हालत देखिए..! हमारे अड़ौस-पड़ौस के छोटे-छोटे देश जहाँ पर कोयले की खदान है, जब हिन्दुस्तान में कोयला आना बंद हो गया और कोयले की कोई परमिशन नहीं मिल रही है, तो व्यापारियों ने तय किया कि भाई, चलो इंडोनेशिया से या ऑस्ट्रेलिया से, अलग छोटे-मोटे देशों से कोयला लाएंगे, अफ्रिकन कंट्री से कोयला लाएंगे..! भारत सरकार की इस पॉलिसी पैरालिसिस के कारण उन देशों को पता चल गया कि हिन्दुस्तान में बिजली के कारखाने बंद पड़े हैं, उन्हें कोयले की जरूरत है और हिन्दुस्तान की सरकार कोयला दे नहीं पाएगी, तो रातोंरात उन्होंने दाम बढ़ा दिए। और ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार छोटे-छोटे देशों पर भी दबाव नहीं पैदा कर सकती कि आपने जो दाम पर सौदा किया था उस दाम से आपको कोयला देना पड़ेगा और हिन्दुस्तान को कोयला देने से आप मुकर नहीं सकते, इतना कहने की ताकत ये दिल्ली की सरकार में नहीं है। हर छोटा मोटा देश दबा देता है, मैं हैरान हूँ..! और ऐसा होता क्यों है..? क्या उनके जो साथी दल है उनके कारण हो रहा है..? कांग्रेस जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है। ये इसलिए हो रहा है, दुनिया आपको इसलिए सुनती नहीं है क्योंकि खुद कांग्रेस का विदेश मंत्री यू.एन.ओ. के अंदर जब भाषण करने के लिए खड़ा होता है और किसी दूसरे देश का कागज पढ़ने लग जाता है, तो पूरे विश्व को लगता है कि यार, सच में ये तो गए बीते लोग हैं, ये सब गॉन केस है, फ़ाइल कर दो..! मित्रों, विश्व के नक्शे पर हिन्दुस्तान की ऐसी बेइज्जती कभी नहीं हुई, जितनी बेइज्जती इस सरकार के कारण हुई है..! सारी दुनिया में अपना नाम खराब होता चला जा रहा है। विश्व में कोई हम पर विश्वास नहीं करता। आपका अच्छा व्यापार हो, अच्छी प्रोडक्ट हो तो भी विदेशों के बायर आपके साथ व्यापार करने से डर रहे हैं। आप स्वतंत्र होने के बावजूद डर रहे हैं, क्यों..? क्योंकि उनको भरोसा नहीं है कि भारत सरकार की नीति कब बदल जाएगी और बायर ने जो सौदा किया है वो फुलफिल नहीं होगा, तो हमारे पैसे डूब जाएंगे..! भाइयो-बहनों, ये स्थिति है..!

मित्रों, बिच में हमने देखा, गरीबों को अन्न नहीं मिल रहा है। राशन कार्ड है, गेहूँ नहीं मिल रहे हैं, चावल नहीं मिल रहे हैं, केरोसीन नहीं मिल रहा है और दूसरी तरफ अखबारों में और टी.वी. पर खबरें आ रही हैं कि बोरियाँ की बोरियाँ पानी में भीग रही हैं, सड़ रही हैं..! देश के किसान ने परिश्रम से पैदा किया हुआ अन्न सड़ रहा है। किसी ने पी.आई.एल. कर दी, तो सुप्रीम कोर्ट ने डंडा चलाया कि सारे अनाज के जो भंडार भरे पड़े हैं, अगर उसको संभाल नहीं सकते हो तो गरीबों को बाँट दो। ये दिल्ली की सरकार ने गरीबों को नहीं बाँटा। दिन-रात कहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट जो कहती है वो करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पचासों बार कहा लेकिन उन्होंने नहीं किया। और किया तो क्या किया..? भाइयों-बहनों, सुप्रीम कोर्ट संवेदना के साथ ये कहती है कि ये अन्न गरीबों को बाँटो, मगर दिल्ली में बैठी ये सरकार कहती है कि हम गरीबों में नहीं बाँटेंगे..! और किया तो क्या किया..? शराब बनाने वाले जो ठेकेदार थे, उन शराब के ठेकेदारों को 65 पैसे के दाम से ये अन्न दे दिया गया..! आप कहो, क्या इन पर भरोसा कर सकते हैं..? और इसलिए भाइयो-बहनों, समय का तकाजा है, समय की माँग है कि हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देश के सामान्य मानवी के आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, आजादी के लिए शहीद होने वाले महापुरूषों ने जो सपने संजोए थे उन सपनों को पूरा करने के लिए, स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती जब देश मना रहा है तब विवेकानंद जी के उन सपनों को पूरा करने के लिए, भारतीय जनता पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता को इस देश में से कांग्रेस पार्टी का उखाड़ फैंकने का संकल्प करके आगे बढ़ना चाहिए..! इस देश को तोड़ने वाली, इस देश को कठिनाइयों में डालने वाली सारी शक्तियों को परास्त करने का संकल्प करना होगा। और मित्रों, मैं विश्वास से कहता हूँ, वक्त बहुत तेजी से बदल रहा है। कांग्रेस पार्टी के मित्रों को पता तक नहीं है, हमेशा कांग्रेस पार्टी का झंडा ले कर घूमने वालों को पता नहीं है, वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप को पता नहीं है कि कितनी तेजी से कांग्रेस पार्टी का डिटीरीओरेशन हो रहा है..! राजी-नाराजी के तराजू से हिन्दुस्तान की राजनीति का विश्लेषण करने का वक्त चला गया है। अब तक हिन्दुस्तान में जो पॉलिटिकल एनालिसिस हुए हैं वो सरकार या पक्ष या नेता के सामने राजी-नाराजी का माहौल कैसा है उसके आधार पर हुए हैं, पहली बार हिन्दुस्तान की राजनीति में नफरत और घृणा के मापदंड पर ये कांग्रेस पार्टी को तोला जाएगा..! ऐसी नफरत, ऐसी घृणा, ऐसा गुस्सा आज देश के कोने-कोने में है। कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसको सुलझाने कि दिशा में उन्होंने कोई प्रमाणिक प्रयास किया हो, दो कदम भी चले हो..!

और इसलिए भाइयो-बहनों, माँ भारती की सेवा करने में लगे हुए भारतीय जनता पार्टी के लक्षावधी कार्यकर्ता अपने सामर्थ्य से, अपनी शक्ति से आने वाली हर चुनौती का सामना करते हुए, विजय का विश्वास लेकर के, गाँव-गाँव, गली-गली कमल खिलाने का सपना ले कर के, जिस धरती पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ, जिन्होंने सपने संजोए हैं ऐसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को पूरा करने के लिए आओ, हम अपनी पूरी ताकत से काम करें, हम कोई कमी ना रखें..! और जो लोग अपने आपको बड़े शहंशाह मानते हैं, उन सभी से मेरा आग्रह पूर्वक निवेदन है, ये मान कर चलिए कि ‘यावत चंद्र दिवाकरो’ आपका राज चलने वाला नहीं है..! जो बंगाल में मेरे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं उस सरकार के मुलाजिमों से भी मैं कहना चाहता हूँ कि लोकतंत्र में हर एक नागरिक का अधिकार होता है, उसको दबाने की कोशिश करने से कभी कोई सफलता किसीको दिला नहीं सकते..! भारतीय जनता पार्टी, बंगाल का कार्यकर्ता खूंखार से खूंखार ताकतों के खिलाफ लड़ कर के आज भी आगे बढ़ सकता है। रुकना, थकना, झुकना ये हमारा चरित्र नहीं है, ये हमारे संस्कार नहीं हैं। हम भाजपा के कार्यकर्ता मौत को मुट्ठी में लेकर निकले हुए लोग हैं। माँ भारती के कल्याण के लिए निकले हुए लोग हैं। हमें कोई चुनौती ना दें..! और अगर ये कोशिशें होती रहेंगी तो भारतीय जनता पार्टी और अधिक ताकत से आगे बढ़ेगी..!

आज कल मैं देख रहा हूँ कि मेरा कहीं पर भी कोई भाषण होता है, तो यहाँ मेरा भाषण पूरा हो जाए उससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से ट्वीट करके उसके जवाब दिए जाते हैं..! ये प्रधानमंत्री कार्यालय से होता है और तुरंत, यानि अभी तो मेरा भाषण पूरा हुआ नहीं और मैं मंच से वहाँ बैठने जाऊँगा तब तक तो दो-तीन चीजें छोड़ देते हैं वहाँ..! और सरासर झूठ, सरासर झूठ... कौन पूछने वाला है? ये ही चल रहा है..! मेरे कांग्रेस के मित्रों, देश की जनता की समझदारी पर शक मत किया करो। ये देश की जनता को पूरी समझ है कि सच क्या है..? दूध का दूध और पानी का पानी कैसे होता है, ये देश की जनता भली-भांति जानती है। कांग्रेस की कोशिशों से कुछ निकलने वाला नहीं है और सत्य सीना तान कर के प्रकट हो कर के रहेगा इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ें..! मित्रों, आपने मेरा सम्मान किया, प्यार दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ..!

धन्यवाद..!

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ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣ, ନମସ୍କାର । ୨୦୨୫ ବର୍ଷ ଆମ ଦ୍ୱାରଦେଶରେ ଉପନୀତ । ୨୬ ଜାନୁଆରୀ ୨୦୨୫ ଦିନ ଆମ ସମ୍ବିଧାନ କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ ହେବାର ୭୫ ବର୍ଷ ପୂରଣ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଆମ ସମସ୍ତଙ୍କ ପାଇଁ ଏହା ଏକ ଗୌରବର କଥା । ଆମ ସମ୍ବିଧାନ ନିର୍ମାତାଗଣ ଆମକୁ ଯେଉଁ ସମ୍ବିଧାନ ଅର୍ପଣ କରିଯାଇଛନ୍ତି, ତାହା ସବୁ ପରିସ୍ଥିତିରେ ଠିକ୍ ପ୍ରମାଣିତ ହୋଇଛି । ସମ୍ବିଧାନ ଆମକୁ ପଥ ପ୍ରଦର୍ଶିତ କରୁଥିବା ଆଲୋକ ପୁଞ୍ଜ, ଏହା ଆମ ମାର୍ଗଦର୍ଶକ । ଭାରତର ସମ୍ବିଧାନ ଯୋଗୁଁ ହିଁ ଆଜି ମୁଁ ଏଠାରେ ଉପସ୍ଥିତ ହୋଇ ଆପଣଙ୍କ ସହ ଭାବ ବିନିମୟ କରିପାରୁଛି । ଏ ବର୍ଷ ନଭେମ୍ବର ୨୬ ତାରିଖ ସମ୍ବିଧାନ ଦିବସଠାରୁ ଏକବର୍ଷ ବ୍ୟାପୀ ଅନେକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି । ଦେଶର ନାଗରିକମାନଙ୍କୁ ସମ୍ବିଧାନର ଐତିହ୍ୟ ସହ ସଂଯୋଜିତ କରିବା ପାଇଁ constitution75.com ନାମରେ ଏକ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର ୱେବସାଇଟ୍ ମଧ୍ୟ ସୃଷ୍ଟି କରାଯାଇଛି । ଏଥିରେ ଆପଣ ସମ୍ବିଧାନର ମୁଖବନ୍ଧ ପାଠ କରି ନିଜ ଭିଡିଓ ଅପଲୋଡ୍ କରିପାରିବେ । ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ଭାଷାରେ ସମ୍ବିଧାନ ପଢ଼ି ପାରିବେ । ସମ୍ବିଧାନ ବିଷୟରେ ପ୍ରଶ୍ନ ମଧ୍ୟ ପଚାରି ପାରିବେ । ଏହି ୱେବସାଇଟ୍ ପରିଦର୍ଶନ କରି ଏଥିରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିବା ପାଇଁ ମୁଁ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ର ଶ୍ରୋତା, ବିଦ୍ୟାଳୟରେ ପଢ଼ୁଥିବା ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀ, କଲେଜରେ ପଢ଼ୁଥିବା ଯୁବବର୍ଗ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ କରୁଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଆସନ୍ତା ମାସ ୧୩ ତାରିଖ ଠାରୁ ପ୍ରୟାଗରାଜରେ ମହାକୁମ୍ଭ ମଧ୍ୟ ଅନୁଷ୍ଠିତ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଏବେ ସେଠାରେ ସଙ୍ଗମକୁଳରେ ଜୋରଦାର୍ ପ୍ରସ୍ତୁତି ଚାଲିଛି । ମୋର ମନେ ଅଛି, ଏଇ କିଛି ଦିନ ତଳେ ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ପ୍ରୟାଗରାଜ୍ ଯାଇଥିଲି, ସେତେବେଳେ ହେଲିକପ୍ଟରରୁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ କୁମ୍ଭ କ୍ଷେତ୍ର ଦେଖି ମନ ଆନନ୍ଦିତ ହୋଇଯାଇଥିଲା । ଏତେ ବିଶାଳ ! ଏତେ ସୁନ୍ଦର ! ଏତେ ଭବ୍ୟ !

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମହାକୁମ୍ଭର ବିଶେଷତ୍ୱ କେବଳ ଏହାର ବିଶାଳତା ନୁହେଁ । କୁମ୍ଭର ବିଶେଷତ୍ୱ ଏହାର ବିବିଧତାରେ ମଧ୍ୟ ରହିଛି । ଏହି ଆୟୋଜନରେ କୋଟି କୋଟି ଲୋକ ଏକତ୍ରିତ ହୁଅନ୍ତି । ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ସାଧୁ ସନ୍ଥ, ହଜାର ହଜାର ପରମ୍ପରା, ଶହ ଶହ ସମ୍ପ୍ରଦାୟ, ଅନେକ ଆଖଡ଼ା, ସମସ୍ତେ ଏହି ଆୟୋଜନରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି । ଏହି କୁମ୍ଭମେଳାରେ କେବେ କୌଣସି ଭେଦଭାବ ନ ଥାଏ । ନା ଏଠି କେହି ବଡ଼, ନା କେହି ସାନ । ବିବିଧତା ମଧ୍ୟରେ ଏକତାର ଏଭଳି ଦୃଶ୍ୟ ବିଶ୍ୱରେ ଆଉ କେଉଁଠି ବି ଦେଖିବାକୁ ମିଳେନାହିଁ । ତେଣୁ ଆମ କୁମ୍ଭ ଏକତାର ମହାକୁମ୍ଭ ମଧ୍ୟ ହୋଇଥାଏ । ଏଥରର ମହାକୁମ୍ଭ ମଧ୍ୟ ଏକତାର ମହାକୁମ୍ଭର ମନ୍ତ୍ରକୁ ସଶକ୍ତ କରିବ । କୁମ୍ଭରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିବା ସହ ଏକତାର ଏହି ସଂକଳ୍ପକୁ ମଧ୍ୟ ନିଜ ସହ ନେଇ ଫେରିବା ପାଇଁ ମୋର ଆପଣ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ । ଆମେ ସମାଜରେ ବିଭାଜନ ଓ ବିଦ୍ୱେଷର ଭାବନାକୁ ନଷ୍ଟ କରିବାର ସଂକଳ୍ପ ମଧ୍ୟ ଗ୍ରହଣ କରିବା । ସଂକ୍ଷେପରେ କହିବାକୁ ହେଲେ ମୁଁ ଏତିକି କହିବି . . .

ମହାକୁମ୍ଭର ଏଇ ସନ୍ଦେଶ, ଏକ୍ ହେଉ ସାରା ଦେଶ ।

ମହାକୁମ୍ଭର ଏଇ ସନ୍ଦେଶ, ଏକ୍ ହେଉ ସାରା ଦେଶ ।

ଆଉ ଅନ୍ୟ ଭାଷାରେ କହିବାକୁ ଗଲେ, କହିବି . . .

ଗଙ୍ଗାର ଧାରା ବହୁ ନିରନ୍ତର, ବିଭାଜିତ ନ ହେଉ ସମାଜ ଆମର ।

ଗଙ୍ଗାର ଧାରା ବହୁ ନିରନ୍ତର, ବିଭାଜିତ ନ ହେଉ ସମାଜ ଆମର ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏଥର ପ୍ରୟାଗରାଜରେ ଦେଶ ବିଦେଶର ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁ ଡିଜିଟାଲ୍ ମହାକୁମ୍ଭର ମଧ୍ୟ ସାକ୍ଷୀ ହେବେ । ଡିଜିଟାଲ୍ ନେଭିଗେସନ୍ ସାହାର୍ଯ୍ୟରେ ଆପଣମାନେ ବିଭିନ୍ନ ଘାଟ, ମନ୍ଦିର, ସାଧୁସନ୍ଥଙ୍କ ଆଖଡ଼ା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପହଂଚିବାର ରାସ୍ତା ପାଇପାରିବେ । ଏହି ନେଭିଗେସନ୍ ସିଷ୍ଟମ୍ ଆପଣଙ୍କୁ ପାର୍କିଂ ସ୍ଥଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପହଂଚିବା ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ସାହାର୍ଯ୍ୟ କରିବ । କୁମ୍ଭ ଆୟୋଜନରେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ଏ.ଆଇ. ଚାଟବୋଟର ବ୍ୟବହାର ହେବ । ଏ.ଆଇ. ଚାଟବୋଟ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ୧୧ଟି ଭାରତୀୟ ଭାଷାରେ କୁମ୍ଭ ସମ୍ପର୍କିତ ସୂଚନା ପ୍ରାପ୍ତ କରାଯାଇପାରିବ । ଏହି ଚାଟବୋଟରେ text ଟାଇପ୍ କରି କିମ୍ବା ନିଜେ କହି ଯେକୌଣସି ପ୍ରକାର ସାହାଯ୍ୟ ପାଇଁ ଅନୁରୋଧ କରିପାରିବେ । ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ମେଳା କ୍ଷେତ୍ରଟି ଏ.ଆଇ. ଶକ୍ତିଯୁକ୍ତ କ୍ୟାମେରାର ନଜରରେ ରହିବ । କୁମ୍ଭରେ ଯଦି କେହି ନିଜ ପ୍ରିୟପରିଜନଙ୍କ ଠାରୁ ନିଖୋଜ ହୋଇଥାଆନ୍ତି, ତାହେଲେ ଏହି କ୍ୟାମେରା ଗୁଡ଼ିକ ସାହାର୍ଯ୍ୟରେ ସେମାନଙ୍କୁ ଠାବ କରିବାରେ ମଧ୍ୟ ସାହାଯ୍ୟ ମିଳିବ । ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁମାନେ ଡିଜିଟାଲ୍ ଲଷ୍ଟ ଆଣ୍ଡ ଫାଉଣ୍ଡ ସେଂଟରର ସୁବିଧା ମଧ୍ୟ ପାଇପାରିବେ । ଶ୍ରଦ୍ଧାଳୁମାନଙ୍କୁ ମୋବାଇଲ ମାଧ୍ୟମରେ ହିଁ ସରକାରଙ୍କ ସ୍ୱୀକୃତିପ୍ରାପ୍ତ ଟୁର୍ ପ୍ୟାକେଜ୍, ରହିବା ସୁବିଧା ଏବଂ ହୋମଷ୍ଟେ ବିଷୟରେ ସୂଚନା ପ୍ରଦାନ କରାଯିବ । ମହାକୁମ୍ଭ ଯାତ୍ରା କଲେ ଆପଣମାନେ ମଧ୍ୟ ଏହି ସୁବିଧା ଗୁଡ଼ିକର ଲାଭ ଉଠାଇ ପାରିବେ । ଆଉ ହଁ, #ଏକତା କା ମହାକୁମ୍ଭ ରେ ନିଜର ସେଲ୍ଫି ନିଶ୍ଚୟ ଅପଲୋଡ୍ କରିବେ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମନ୍ କି ବାତ୍ ଅର୍ଥାତ୍ ଏମକେବିରେ ଏଥର କେଟିବି କଥା । ଅଧିକାଂଶ ବୟସ୍କ ଲୋକେ କେଟିବି ବିଷୟରେ ଜାଣିନଥିବେ । କିନ୍ତୁ, ପିଲାମାନଙ୍କୁ ଥରେ ପଚାରନ୍ତୁ, କେଟିବି ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସୁପରହିଟ୍ । କେଟିବି ମାନେ କ୍ରିଷ, ତ୍ରିଶ୍ ଆଉ ବାଲ୍ଟିବୟ । ହୁଏତ ଆପଣ ଜାଣିଥିବେ, ଏହା ପିଲାମାନଙ୍କ ମନପସନ୍ଦର ଆନିମେଶନ୍ ସିରିଜ୍ ଏବଂ ଏହାର ନାଁ କେଟିବି-ଭାରତ ହେଁ ହମ୍ । ଏବେ ଏହାର ଦ୍ୱିତୀୟ ସିଜିନ୍ ମଧ୍ୟ ଆସିଗଲାଣି । ଏହି ତିନୋଟି ଆନିମେଶନ୍ କ୍ୟାରେକ୍ଟର ଆମକୁ ଭାରତର ସ୍ୱାଧୀନତା ସଂଗ୍ରାମର ସେହି ନାୟକ-ନାୟିକାମାନଙ୍କ ବିଷୟରେ ଜଣାଉଛନ୍ତି, ଯେଉଁମାନଙ୍କ ସମ୍ପର୍କରେ ଅଧିକ ଆଲୋଚନା ହୁଏ ନାହିଁ । ନିକଟ ଅତୀତରେ ଏହାର ସିଜିନ-ଟୁ ଏକ ନିଆରା ଢଙ୍ଗରେ ଗୋଆରେ ଭାରତୀୟ ଆନ୍ତର୍ଜାତିକ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ମହୋତ୍ସବରେ ଉଦଘାଟିତ ହେଲା । ସବୁଠାରୁ ସୁନ୍ଦର କଥା ହେଉଛି, ଏହି ସିରିଜ୍ କେବଳ ଅନେକ ଭାରତୀୟ ଭାଷାରେ ନୁହେଁ, ବରଂ ବିଦେଶୀ ଭାଷାରେ ମଧ୍ୟ ପ୍ରସାରିତ ହେଉଛି । ଏହାକୁ ଦୂରଦର୍ଶନ ସହ ଅନ୍ୟ ଓଟିଟି ପ୍ଲାଟଫର୍ମରେ ମଧ୍ୟ ଦେଖାଯାଇପାରିବ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଆମ ଆନିମେଶନ୍ ଫିଲ୍ମ, ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର, ଟେଲିଭିଜନ ସିରିଆଲ ଗୁଡ଼ିକର ଲୋକପ୍ରିୟତା ଏହା ଦର୍ଶାଉଛି ଯେ, ଭାରତର କ୍ରିଏଟିଭ୍ ଇଣ୍ଡଷ୍ଟ୍ରି ବା ସୃଜନାତ୍ମକ ଶିଳ୍ପରେ କେତେ କ୍ଷମତା ଭରିରହିଛି ! ଏହି ଶିଳ୍ପର କେବଳ ଦେଶର ଉନ୍ନତିରେ ଏକ ବଡ଼ ଯୋଗଦାନ ରହିଛି ତାହା ନୁହେଁ ବରଂ ଆମ ଅର୍ଥନୀତିକୁ ମଧ୍ୟ ଏହା ନୂତନ ଶିଖରକୁ ନେଇଯାଉଛି । ଆମ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଏବଂ ମନୋରଞ୍ଜନ ଶିଳ୍ପ ବହୁତ ବିଶାଳ । ଦେଶର ଅନେକ ଭାଷାରେ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ନିର୍ମାଣ ଚାଲିଛି, କ୍ରିଏଟିଭ୍ କଂଟେଟ୍ ମଧ୍ୟ ସୃଷ୍ଟି କରାଯାଉଛି । ମୁଁ ଆମ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଏବଂ ମନୋରଞ୍ଜନ ଶିଳ୍ପ ଜଗତକୁ ଏଥିପାଇଁ ଅଭିନନ୍ଦନ ଜଣାଉଛି, କାରଣ, ଏହା ଏକ ଭାରତ- ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଭାରତର ଭାବନାକୁ ସଶକ୍ତ କରିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ୨୦୨୪ରେ ଆମେ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଦୁନିଆର ଅନେକ ମହାନ ବ୍ୟକ୍ତିତ୍ୱମାନଙ୍କର ୧୦୦ତମ ଜୟନ୍ତୀ ପାଳନ କରୁଛୁ । ଏହି ମହାନ କଳାକାରମାନେ ଭାରତୀୟ ସିନେମାକୁ ବିଶ୍ୱସ୍ତରରେ ପରିଚିତ କରାଇଲେ । ରାଜକାପୁରଜୀ ନିଜ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ମାଧ୍ୟମରେ ବିଶ୍ୱକୁ ଭାରତର Soft Power ସହ ପରିଚିତ କରାଇଲେ । ରଫି ସାହେବଙ୍କ ସ୍ୱରରେ ଏଭଳି କୁହୁକ ଭରି ରହିଥିଲା, ଯାହା ପ୍ରତ୍ୟେକ ହୃଦୟକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରୁଥିଲା । ତାଙ୍କ ସ୍ୱର ଅତି ଚମତ୍କାର ଥିଲା । ଭକ୍ତି ଗୀତ ହେଉ, ରୋମାଣ୍ଟିକ୍ ଗୀତ କିମ୍ବା ଦୁଃଖଭରା ଗୀତ - ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାବାବେଗକୁ ସେ ନିଜ ସ୍ୱରରେ ଜୀବନ୍ତ କରିଦେଉଥିଲେ । ଜଣେ କଳାକାର ରୂପରେ ତାଙ୍କର ମହନୀୟତାର ଅନୁମାନ ଏହି କଥାରୁ କରିହେବ ଯେ, ଆଜିର ଯୁବପିଢ଼ି ମଧ୍ୟ ତାଙ୍କ ଗୀତଗୁଡ଼ିକୁ ସେତିକି ମନଧ୍ୟାନ ଦେଇ ଶୁଣୁଛନ୍ତି । ଏହାହିଁ ତ ହେଉଛି କାଳାତୀତ କଳାର ପରିଚୟ । ଅକ୍କିନେନୀ ନାଗେଶ୍ୱର ରାଓ ଗାରୁ ତେଲୁଗୁ ସିନେମାକୁ ନୂତନ ଶିଖରରେ ପହଞ୍ଚାଇଛନ୍ତି । ତାଙ୍କ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଗୁଡ଼ିକ ଭାରତୀୟ ପରମ୍ପରା ଏବଂ ମୂଲ୍ୟବୋଧକୁ ଖୁବ ଭଲଭାବେ ପ୍ରତିଫଳିତ କରୁଛି । ତପନ ସିହ୍ନାଙ୍କ କଥାଚିତ୍ର ଗୁଡ଼ିକ ସମାଜକୁ ଏକ ନୂତନ ଦୃଷ୍ଟିକୋଣ ପ୍ରଦାନ କରିଛି । ତାଙ୍କ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଗୁଡ଼ିକରେ ସାମାଜିକ ଚେତନା ଏବଂ ରାଷ୍ଟ୍ରୀୟ ଏକତାର ବାର୍ତ୍ତା ରହୁଥିଲା । ଏହି ମନିଷୀମାନଙ୍କ ଜୀବନ ଆମର ସମଗ୍ର ଚଳଚ୍ଚିତ୍ର ଜଗତ ପାଇଁ ପ୍ରେରଣାର ଉତ୍ସ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମୁଁ ଆପଣମାନଙ୍କୁ ଆଉ ଗୋଟିଏ ଖୁସି ଖବର ଦେବାକୁ ଚାହୁଁଛି । ଭାରତର ସୃଜନାତ୍ମକ ପ୍ରତିଭା ବା କ୍ରିଏଟିଭ୍ ଟାଲେଣ୍ଟ ବିଶ୍ୱ ଆଗରେ ଉପସ୍ଥାପିତ କରିବାର ଗୋଟିଏ ବଡ଼ ସୁଯୋଗ ଆସୁଛି । ଆସନ୍ତା ବର୍ଷ ଆମ ଦେଶରେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ୱାର୍ଲଡ୍ ଅଡିଓ ଭିଜୁଆଲ୍ ଏଂଟରଟେନମେଣ୍ଟ ସମିଟ୍ ଅର୍ଥାତ୍ ୱେଭସ ସମିଟର ଆୟୋଜନ ହେବାକୁ ଯାଉଛି । ଆପଣମାନେ ଦାଭୋସ୍ ବିଷୟରେ ଶୁଣିଥିବେ, ଯେଉଁଠାରେ ବିଶ୍ୱର ଆର୍ଥିକ ଜଗତର ମହାରଥିମାନେ ଏକତ୍ରିତ ହୋଇଥାଆନ୍ତି । ସେହିଭଳି ୱେଭସ ସମିଟରେ ସାରା ବିଶ୍ୱର ଗଣମାଧ୍ୟମ ଏବଂ ମନୋରଞ୍ଜନ ଶିଳ୍ପର ମହାରଥି, ସୃଜନ ଜଗତର ବ୍ୟକ୍ତିବିଶେଷ ଭାରତକୁ ଆସିବେ । ଏହି ସମ୍ମିଳନୀ ଭାରତକୁ ଗ୍ଲୋବାଲ୍ କଣ୍ଟେଟ୍ କ୍ରିଏଶନର ହବ୍ କରିବା ଦିଗରେ ଗୋଟିଏ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ପଦକ୍ଷେପ । ଏହି ସୂଚନା ଦେବାରେ ମୁଁ ଗର୍ବ ଅନୁଭବ କରୁଛି ଯେ, ଏହି ସମ୍ମିଳନୀ ପାଇଁ ପ୍ରସ୍ତୁତିରେ ଆମ ଦେଶର ୟଙ୍ଗ୍ କ୍ରିଏଟର୍ସ ବା ନୂତନ ସୃଜନଶୀଳ ପ୍ରତିଭାମାନେ ଖୁବ ଉତ୍ସାହର ସହିତ ଲାଗି ପଡ଼ିଛନ୍ତି । ଆମେ ୫ ଟ୍ରିଲିଅନ୍ ଡଲାର୍ ଇକୋନମୀ ଦିଗକୁ ଅଗ୍ରସର ହେଉଥିବା ସମୟରେ ଆମ କ୍ରିଏଟର୍ ଇକୋନମୀ ଏକ ନୂତନ ଶକ୍ତି ପ୍ରଦାନ କରୁଛି । ମୁଁ ଭାରତର ସମଗ୍ର ମନୋରଞ୍ଜନ ଏବଂ ସୃଜନାତ୍ମକ ଶିଳ୍ପକୁ ଅନୁରୋଧ କରୁଛି - ଆପଣ ଯୁବ-ପ୍ରତିଭା ହୁଅନ୍ତୁ କିମ୍ବା ପ୍ରତିଷ୍ଠିତ କଳାକାର, ବଲିଉଡ୍ ସହ ଜଡ଼ିତ ହୋଇଥାଆନ୍ତୁ କିମ୍ବା ଆଞ୍ଚଳିକ ସିନେମା ଜଗତ ସହ, ଟେଲିଭିଜନ ଶିଳ୍ପର ପେଶାଗତ ବ୍ୟକ୍ତି ହୋଇଥାଆନ୍ତୁ କିମ୍ବା ଆନିମେଶନ୍ ବିଶେଷଜ୍ଞ, ଗେମିଂ ସହ ଜଡ଼ିତ ଥାଆନ୍ତୁ ବା ଏଂଟରଟେନମେଣ୍ଟ ଟେକ୍ନୋଲଜିର ଇନ୍ନୋଭେଟର୍ ହେଇଥାଆନ୍ତୁ - ଆପଣ ସମସ୍ତେ ୱେଭସ ସମ୍ମିଳନୀରେ ଭାଗ ନିଅନ୍ତୁ ।

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣ, ଆପଣ ସମସ୍ତେ ଜାଣନ୍ତି ଯେ ଭାରତୀୟ ସଂସ୍କୃତିର ଆଲୋକ ଆଜି କିଭଳି ପୃଥିବୀର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ବିଛାଡ଼ି ହୋଇ ପଡ଼ୁଛି । ଆଜି ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ତିନି ମହାଦ୍ୱୀପରୁ ଏଭଳି ପ୍ରୟାସଗୁଡ଼ିକ ବିଷୟରେ କହିବି, ଯାହା ଆମ ସାଂସ୍କୃତିକ ଐତିହ୍ୟର ବୈଶ୍ୱିକ ବିସ୍ତୃତିର ସାକ୍ଷୀ । ସେମାନେ ପରସ୍ପରଠାରୁ ବହୁତ ଦୂରରେ, କିନ୍ତୁ ଭାରତକୁ ଜାଣିବାରେ ଓ ଆମ ସଂସ୍କୃତିରୁ ଶିଖିବା କ୍ଷେତ୍ରରେ ସେମାନଙ୍କ ଆଗ୍ରହ ଉଦ୍ଦୀପନା ସମାନ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ପେଣ୍ଟିଙ୍ଗ୍‌ସ ଯେତେ ବେଶୀ ରଙ୍ଗୀନ ହୋଇଥାଏ ସେତିକି ସୁନ୍ଦର ଦେଖାଯାଇଥାଏ । ଆପଣଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଯେଉଁମାନେ ଟିଭି ମାଧ୍ୟମରେ ‘ମନ୍‌ କୀ ବାତ୍‌’ ସହ ଯୋଡ଼ି ହୋଇଛନ୍ତି, ସେମାନେ ଏବେ କିଛି ପେଣ୍ଟିଙ୍ଗ୍‌ସକୁ ଟିଭିରେ ଦେଖି ମଧ୍ୟ ପାରିବେ । ଏସବୁ ପେଣ୍ଟିଙ୍ଗ୍ସରେ ଆମର ଦେବାଦେବୀ, ନୃତ୍ୟକଳା ଓ ମହାପୁରୁଷମାନଙ୍କୁ ଦେଖି ଆପଣଙ୍କୁ ବହୁତ ଭଲ ଲାଗିବ । ଏଥିରେ ଆପଣଙ୍କୁ ଭାରତରେ ଦେଖାଯାଉଥିବା ଜୀବଜନ୍ତୁଙ୍କଠାରୁ ଆରମ୍ଭ କରି ଆଉ ବହୁତ କିଛି ଦେଖିବାକୁ ମିଳିବ । ଏଥିରେ ତାଜମହଲର ଏକ ସୁନ୍ଦର ଚିତ୍ର ମଧ୍ୟ ସାମିଲ୍‌ ହୋଇଛି, ଯାହାକୁ ୧୩ ବର୍ଷର ଝିଅଟିଏ ଆଙ୍କିଛି । ଆପଣଙ୍କୁ ଏହା ଜାଣି ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ଲାଗିବ ଯେ ଏହି ଦିବ୍ୟାଙ୍ଗ ଝିଅଟି ନିଜ ପାଟିରେ ଏହି ଚିତ୍ରଟିକୁ ତିଆରି କରିଛି । ସବୁଠୁ ବଡ଼କଥା ହେଲା ଯେ ଏହାର ଚିତ୍ରଶିଳ୍ପୀ ଜଣକ ଭାରତର ନୁହନ୍ତି, ସେ ଇଜିପ୍ଟର ଜଣେ ବିଦ୍ୟାର୍ଥୀ । କିଛି ସପ୍ତାହ ତଳେ ଇଜିପ୍ଟର ପ୍ରାୟ ୨୩ ହଜାର ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀ ଏକ ପେଣ୍ଟିଂ ପ୍ରତିଯୋଗିତାରେ ଭାଗ ନେଇଥିଲେ । ସେଠାରେ ସେମାନଙ୍କୁ ଭାରତର ସଂସ୍କୃତି ଓ ଦୁଇ ଦେଶର ଐତିହାସିକ ସମ୍ପର୍କକୁ ବର୍ଣ୍ଣନା କରୁଥିବା ପେଣ୍ଟିଂ କରିବାର ଥିଲା । ମୁଁ ଏହି ପ୍ରତିଯୋଗିତାରେ ଭାଗ ନେଇଥିବା ସମସ୍ତ ଯୁବକଯୁବତୀଙ୍କୁ ପ୍ରଶଂସା କରୁଛି । ସେମାନଙ୍କ ସୃଜନଶୀଳତାର ଯେତେ ପ୍ରଶଂସା କଲେ ମଧ୍ୟ ତାହା କମ୍‌ ହେବ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଦକ୍ଷିଣ ଆମେରିକାର ଏକ ଦେଶ ହେଉଛି ପାରାଗୁଏ । ସେଠାରେ ରହୁଥିବା ଭାରତୀୟଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ହଜାରେରୁ ବେଶି ହେବନାହିଁ । ପାରାଗୁଏରେ ଏକ ଚମତ୍କାର ପ୍ରୟାସ ହେଉଛି । ସେଠାକାର ଭାରତୀୟ ଦୂତାବାସରେ ଏରିକା ହ୍ୟୁବର ମାଗଣା ଆୟୁର୍ବେଦ ପରାମର୍ଶ ଦିଅନ୍ତି । ଆୟୁର୍ବେଦ ପରାମର୍ଶ ନେବାପାଇଁ ଏବେ ତାଙ୍କ ନିକଟକୁ ବହୁ ସ୍ଥାନୀୟ ଲୋକ ଆସୁଛନ୍ତି । ଏରିକା ହ୍ୟୁବର୍ ଇଂଜିନିୟରିଂ ପଢ଼ିଛନ୍ତି ସତ, କିନ୍ତୁ ତାଙ୍କର ମନ ଆୟୁର୍ବେଦରେ ରହିଛି । ସେ ଆୟୁର୍ବେଦ ସହ ସଂପୃକ୍ତ ପାଠ୍ୟକ୍ରମ ପଢ଼ିଥିଲେ ଓ ସମୟକ୍ରମେ ସେ ସେଥିରେ ପାରଙ୍ଗମ ହୋଇପାରିଲେ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏହା ଆମ ପାଇଁ ବହୁତ ଗର୍ବର କଥା ଯେ ପୃଥିବୀର ସବୁଠୁ ପ୍ରାଚୀନ ଭାଷା ତାମିଲ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଭାରତୀୟ ଏଥିପାଇଁ ଗର୍ବିତ । ବିଶ୍ୱର ବହୁ ଦେଶରେ ଏହାକୁ ଶିଖୁଥିବା ଲୋକଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା କ୍ରମାଗତ ବଢ଼ିଚାଲିଛି । ଗତ ମାସର ଶେଷରୁ ଫିଜିରେ ଭାରତ ସରକାରଙ୍କ ସହଯୋଗରେ ତାମିଲ୍‌ ଶିକ୍ଷା କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି । ଗତ ୮୦ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ଫିଜିରେ ତାଲିମପ୍ରାପ୍ତ ଶିକ୍ଷକ ତାମିଲ୍‌ ଶିଖାଉଛନ୍ତି । ଆଜି ଫିଜିର ଛାତ୍ରଛାତ୍ରୀମାନେ ତାମିଲ ଭାଷା ଓ ସଂସ୍କୃତିକୁ ଶିଖିବା ପାଇଁ ଆଗ୍ରହୀ ଥିବା ଜାଣି ମୋତେ ବହୁତ ଖୁସି ଲାଗିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏ କଥା, ଏ ଘଟଣା କେବଳ ସଫଳତାର କାହାଣୀ ନୁହେଁ । ଏହା ଆମ ସାଂସ୍କୃତିକ ଐତିହ୍ୟର ଗାଥା ମଧ୍ୟ । ଏହି ଉଦାହରଣ ଆମକୁ ବହୁତ ଗର୍ବିତ କରିଥାଏ । କଳାରୁ ଆୟୁର୍ବେଦ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଓ ଭାଷାରୁ ସଂଗୀତ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଭାରତରେ ଏତେ ବିଷୟ ଅଛି, ଯାହା ପୃଥିବୀ ସାରା ବ୍ୟାପି ଚାଲିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଏ ଶୀତ ଋତୁରେ ସମଗ୍ର ଦେଶରେ ବିଭିନ୍ନ କ୍ରୀଡ଼ା ଓ ଫିଟ୍‌ନେସ୍‌କୁ ନେଇ ବିଭିନ୍ନ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ଆୟୋଜିତ ହେଉଛି । ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ଲୋକେ ଫିଟ୍‌ନେସ୍‌କୁ ନିଜ ଦିନଚର୍ଯ୍ୟାରେ ସାମିଲ୍‌ କରୁଛନ୍ତି । କାଶ୍ମୀରରେ ସ୍କିଙ୍ଗ୍ ଠାରୁ ଗୁଜରାଟର ଗୁଡ଼ିଉଡ଼ା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ, ସବୁ ସ୍ଥାନରେ ଖେଳର ଉତ୍ସାହ ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି । #SundayOnCycle I #CyclingTuesday ଭଳି ଅଭିଯାନ ଦ୍ୱାରା ସାଇକଲ ଚାଳନାକୁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ମିଳୁଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଏଭଳି ଏକ ନିଆରା କଥା କହିବାକୁ ଚାହୁଁଛି ଯାହା ଆମ ଦେଶରେ ଆସିଥିବା ପରିବର୍ତ୍ତନ ଓ ଯୁବବନ୍ଧୁମାନଙ୍କର ଉତ୍ସାହ ଉଦ୍ଦୀପନାର ପ୍ରତୀକ । ଆପଣ ଜାଣନ୍ତି କି ଆମର ବସ୍ତରରେ ଏକ ଅନନ୍ୟ ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି ! ଆଜ୍ଞା ହଁ, ପ୍ରଥମ ଥର ଆୟୋଜିତ ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ଦ୍ୱାରା ବସ୍ତରରେ ଏକ ନୂଆ ବିପ୍ଳବ ଜନ୍ମ ନେଉଛି । ମୋ ପାଇଁ ବହୁତ ଖୁସିର କଥା ଯେ ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକର ସ୍ୱପ୍ନ ସାକାର ହୋଇଛି । ଆପଣଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଜାଣିବା ପରେ ବହୁତ ଖୁସି ଲାଗିବ ଯେ ଏହା ଏଭଳି ଏକ ଅଞ୍ଚଳରେ ହେଉଛି, ଯାହା ଏକଦା ମାଓବାଦୀ ହିଂସାଗ୍ରସ୍ତ ଅଞ୍ଚଳ ଥିଲା । ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକର ମାସ୍କଟ୍‌ ହେଉଛି ‘ବଣ ମଇଁଷି’ ଓ ‘ପାହାଡ଼ୀ ମଇନା’ । ଏଥିରେ ବସ୍ତରର ସମୃଦ୍ଧ ସଂସ୍କୃତିର ଝଲକ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥାଏ । ଏହି ବସ୍ତର କ୍ରୀଡ଼ା ମହାକୁମ୍ଭର ମୂଳ ମନ୍ତ୍ର ହେଉଛି-

‘କର୍‌ସାୟ ତା ବସ୍ତର୍ ବରସାଏ ତା ବସ୍ତର୍’ ଅର୍ଥାତ ‘ଖେଳିବ ବସ୍ତର୍-ଜିତିବ ବସ୍ତର୍’ ।

ପ୍ରଥମ ଥର ହିଁ ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ରେ ୭ଟି ଜିଲାର ଏକ ଲକ୍ଷ ୬୫ ହଜାର ଖେଳାଳି ଭାଗ ନେଇଛନ୍ତି । ଏହା କେବଳ ଏକ ପରିସଂଖ୍ୟାନ ନୁହେଁ- ଏହା ଆମ ଯୁବକଯୁବତୀଙ୍କର ସଂକଳ୍ପର ଗୌରବ ଗାଥା ବହନ କରେ । ଆଥ୍‌ଲେଟିକ୍ସ, ତୀରଚାଳନା, ବ୍ୟାଡ଼ମିଣ୍ଟନ, ଫୁଟବଲ, ହକି, ଭାରୋତ୍ତୋଳନ, କରାଟେ, କବାଡ଼ି, ଖୋ ଖୋ ଓ ଭଲିବଲ୍‌- ପ୍ରତ୍ୟେକ ଖେଳରେ ଆମର ଯୁବପିଢ଼ି ନିଜ ପ୍ରତିଭାର ପତାକା ଉଡ଼ାଇଛନ୍ତି । କାରୀ କଶ୍ୟପ୍ ଜୀଙ୍କ କାହାଣୀ ମୋତେ ଖୁବ୍‌ ପ୍ରେରଣା ଦେଇଥାଏ । ଏକ ଛୋଟିଆ ଗାଁରୁ ଆସିଥିବା କାରୀ ଜୀ ତୀରଚାଳନାରେ ରୌପ୍ୟପଦକ ଜିତିଛନ୍ତି । ସେ କହନ୍ତି, “ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ମୋତେ କେବଳ ଖେଳ ପଡ଼ିଆ ଦେଇନାହିଁ, ଜୀବନରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଇଛି ।” ସୁକ୍‌ମା-ର ପାୟଲ୍‌ କୱାସି ଜୀଙ୍କ କଥା ବେଶ୍ ପ୍ରେରଣାଦାୟକ । ଜାଭଲିନ୍‌ ଥ୍ରୋରେ ସ୍ୱର୍ଣ୍ଣପଦକ ହାସଲ କରିଥିବା ପାୟଲ୍‌ ଜୀ କହନ୍ତି “ଅନୁଶାସନ ଓ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଦ୍ୱାରା ଯେ କୌଣସି ଲକ୍ଷ୍ୟ ହାସଲ କରିବା ସମ୍ଭବ” । ସୁକମା-ର ଦୋରନାପାଲ୍‌-ର ପୁନେମ୍ ସନ୍ନା ଜୀଙ୍କ କଥା ତ ନୂଆ ଭାରତର ପ୍ରେରଣାଦାୟକ କାହାଣୀ । ଏକଦା ନକ୍ସଲଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ପ୍ରଭାବିତ ପୁନେମ୍ ଜୀ ଆଜି ହ୍ୱିଲ୍‌ଚେୟାରରେ ଦୌଡ଼ି ପଦକ ଜିତୁଛନ୍ତି । ତାଙ୍କର ସାହସ ଓ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ସଭିଙ୍କ ପାଇଁ ବଡ଼ ପ୍ରେରଣା । କୋଡ଼ାଗାଓଁର ତୀରନ୍ଦାଜ ରଂଜୁ ସୋରୀ ଜୀଙ୍କୁ ‘ବସ୍ତର ୟୁଥ୍‌ ଆଇକନ’ ଭାବେ ବଛାଯାଇଛି । ତାଙ୍କର କହିବା କଥା ହେଲା- ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ ଉପାନ୍ତ ଅଞ୍ଚଳର ଯୁବକଯୁବତୀଙ୍କୁ ଜାତୀୟ ମଞ୍ଚ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପହଞ୍ଚିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଉଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ବସ୍ତର ଅଲିମ୍ପିକ୍‌ କେବଳ ଏକ କ୍ରୀଡ଼ା ଆୟୋଜନ ନୁହେଁ । ଏହା ଏଭଳି ଏକ ମଞ୍ଚ, ଯେଉଁଠି ବିକାଶ ଓ କ୍ରୀଡ଼ାର ସଂଗମ ହେଉଛି; ଯେଉଁଠି ଆମର ଯୁବପିଢ଼ି ନିଜ ପ୍ରତିଭାକୁ ଆହୁରି ଚମକାଉଛନ୍ତି ଓ ଏକ ନୂଆ ଭାରତର ନିର୍ମାଣ କରୁଛନ୍ତି । ମୁଁ ଆପଣମାନଙ୍କୁ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ନିବେଦନ କରୁଛି ଯେ

-ନିଜ ଅଞ୍ଚଳରେ ଏଭଳି କ୍ରୀଡ଼ା ଆୟୋଜନ ପାଇଁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ଦିଅନ୍ତୁ

- #ଖେଲେଗା ଭାରତ୍-ଜିତେଗା ଭାରତ୍ ଜରିଆରେ ନିଜ ଅଞ୍ଚଳର କ୍ରୀଡ଼ା ପ୍ରତିଭାଙ୍କ କାହାଣୀକୁ ଅନ୍ୟମାନଙ୍କ ସହ ବାଣ୍ଟନ୍ତୁ

-ସ୍ଥାନୀୟ କ୍ରୀଡ଼ା ପ୍ରତିଭାମାନଙ୍କୁ ଆଗକୁ ବଢ଼ିବାର ସୁଯୋଗ ଦିଅନ୍ତୁ

ମନେ ରଖନ୍ତୁ, କ୍ରୀଡ଼ା ଦ୍ୱାରା କେବଳ ଶାରୀରିକ ବିକାଶ ହୁଏ ନାହିଁ, ବରଂ ଏହି ସ୍ପୋର୍ଟସ୍‌ମେନ୍‌ ସ୍ପିରିଟ୍‌ ସମାଜକୁ ଯୋଡ଼ିବାର ମଧ୍ୟ ଏକ ସଶକ୍ତ ମାଧ୍ୟମ । ତେଣୁ ବହୁତ ଖେଳନ୍ତୁ-ଖୁସି ରୁହନ୍ତୁ ।

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣ, ଭାରତର ଦୁଇଟି ବଡ଼ ଉପଲବ୍ଧି ଆଜି ବିଶ୍ୱର ଧ୍ୟାନ ଆକର୍ଷଣ କରୁଛି । ଏହାକୁ ଶୁଣି ଆପଣ ମଧ୍ୟ ନିଜକୁ ଗର୍ବିତ ଅନୁଭବ କରିବେ । ଏହି ଦୁଇଟି ସଫଳତା ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ କ୍ଷେତ୍ରରେ ମିଳିଛି । ପ୍ରଥମ ଉପଲବ୍ଧି ମିଳିଛି ମେଲେରିଆ ବିରୋଧରେ ଲଢ଼େଇରେ । ମେଲେରିଆ ରୋଗ ଚାରି ହଜାର ବର୍ଷ ଧରି ମଣିଷ ପାଇଁ ଏକ ବଡ଼ ସମସ୍ୟା ହୋଇ ରହିଆସିଛି । ସ୍ୱାଧୀନତା ସମୟରେ ବି ଏହା ସବୁଠୁ ବଡ଼ ସମସ୍ୟା ମଧ୍ୟରୁ ଥିଲା ଅନ୍ୟତମ । ମାସକରୁ ପାଞ୍ଚ ବର୍ଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଶିଶୁଙ୍କର ଜୀବନ ନେଉଥିବା ସମସ୍ତ ସଂକ୍ରାମକ ରୋଗ ମଧ୍ୟରେ ମେଲେରିଆର ସ୍ଥାନ ତୃତୀୟ । ଆଜି ମୁଁ ସନ୍ତୋଷର ସହ କହିପାରିବି ଯେ ଦେଶବାସୀ ମିଳିମିଶି ଏହି ସମସ୍ୟାର ଦୃଢ଼ ମୁକାବିଲା କରିଛନ୍ତି । ବିଶ୍ୱ ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ସଙ୍ଗଠନ - WHOର ରିପୋର୍ଟ କହେ ଯେ ଭାରତରେ ୨୦୧୫ରୁ ୨୦୨୩ ମଧ୍ୟରେ ମେଲେରିଆ ଏବଂ ଏହାଦ୍ୱାରା ହୋଇଥିବା ମୃତ୍ୟୁ ଶତକଡ଼ା ୮୦ ଭାଗ କମିଯାଇଛି । ଏହା କୌଣସି ଛୋଟ ଉପଲବଧି ନୁହେଁ । ସବୁଠାରୁ ବଡ଼କଥା ହେଲା ଏହି ସଫଳତା ଜନସାଧାରଣଙ୍କ ସହଯୋଗ ଯୋଗୁଁ ମିଳିଛି । ଭାରତର କୋଣ ଅନୁକୋଣରୁ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଜିଲ୍ଲାରୁ କେହି ନା କେହି ଏହି ଅଭିଯାନରେ ଅଂଶଗ୍ରହଣ କରିଛନ୍ତି । ଏହି ଚାରିବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ଆସାମର ଜୋରହଟ୍ ଜିଲ୍ଲାର ଚା’ବଗିଚାମାନଙ୍କରେ ମେଲେରିଆ ଲୋକମାନଙ୍କର ଦୁଃଶ୍ଚିନ୍ତାର ଏକ ବଡ଼ କାରଣ ହୋଇଥିଲା । କିନ୍ତୁ ଏବେ ଏହାର ମୂଳୋତ୍ପାଟନ ପାଇଁ ଚା’ବଗିଚାରେ ରହୁଥିବା ଲୋକମାନେ ଏକଜୁଟ୍ ହେଲେ, ଫଳରେ ଏଥିରେ ବହୁ ପରିମାଣରେ ସଫଳତା ମିଳିବାକୁ ଲାଗିଲା । ତାଙ୍କର ଏହି ପ୍ରୟାସରେ ସେମାନେ ଟେକ୍ନୋଲୋଜି ସହିତ ସାମାଜିକ ଗଣମାଧ୍ୟମର ମଧ୍ୟ ବହୁଳ ବ୍ୟବହାର କଲେ । ସେହିପରି ହରିଆନାର କୁରୁକ୍ଷେତ୍ର ଜିଲ୍ଲା ମେଲେରିଆ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ ଦିଗରେ ଏକ ଆଦର୍ଶ ପ୍ରଦର୍ଶନ କଲା । ଏଠାରେ ମେଲେରିଆର ମନିଟରିଂ ପାଇଁ ଜନଭାଗିଦାରୀ ଅତ୍ୟନ୍ତ ସଫଳ ହେଲା । ପଥପ୍ରାନ୍ତ ନାଟକ ତଥା ରେଡ଼ିଓ ମାଧ୍ୟମରେ ଏହିଭଳି ସନ୍ଦେଶ ଉପରେ ଜୋର୍ ଦିଆଗଲା । ଯାହା ଫଳରେ ମଶାମାନଙ୍କର ପ୍ରଜନନ କମ୍ କରିବାରେ ଖୁବ୍ ସହାୟତା ମିଳିଲା । ସାରା ଦେଶରେ ଏହିଭଳି ପ୍ରୟାସ କରିବା ଦ୍ୱାରା ଆମେ ମେଲେରିଆ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଲଢ଼େଇକୁ ତୀବ୍ର କରିପାରିଛୁ ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ନିଜର ସଚେତନତା ଏବଂ ସଂକଳ୍ପଶକ୍ତି ଦ୍ୱାରା ଆମେ କ’ଣ କ’ଣ ହାସଲ କରିପାରିବା ତା’ର ଦ୍ୱିତୀୟ ଉଦାହରଣ ହେଲା କ୍ୟାନସର ସହିତ ଲଢ଼େଇ । ଦୁନିଆର ପ୍ରସିଦ୍ଧ ମେଡ଼ିକାଲ ପତ୍ରିକା ‘LANCET’ର ଅଧ୍ୟୟନ ବାସ୍ତବରେ ଆମ ଭିତରେ ବହୁତ ଆଶା ଜାଗ୍ରତ କରେ । ଏହି ପତ୍ରିକା ଅନୁସାରେ ଏବେ ଭାରତରେ ଠିକ୍ ସମୟରେ କ୍ୟାନସରର ଚିକିତ୍ସାର ସମ୍ଭାବନା ଖୁବ୍ ବଢ଼ିଯାଇଛି । ଠିକ୍ ସମୟରେ ଚିକିତ୍ସାର ଅର୍ଥ କ୍ୟାନସର ରୋଗୀର ଚିକିତ୍ସା ୩୦ ଦିନ ଭିତରେ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଯିବା ଦରକାର । ଏ ଦିଗରେ ‘ଆୟୁଷ୍ମାନ୍ ଭାରତ ଯୋଜନା’ ଅତି ମହତ୍ତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଭୂମିକା ଗ୍ରହଣ କରିଛି । ଏହି ଯୋଜନା ଯୋଗୁଁ ଶତକଡ଼ା ୯୦ ଭାଗ କ୍ୟାନସର ରୋଗୀ ଠିକ୍ ସମୟରେ ନିଜର ଚିକିତ୍ସା ଆରମ୍ଭ କରିପାରିଛନ୍ତି । ଏହା ସମ୍ଭବ ହେବାର କାରଣ ପ୍ରଥମେ ପଇସା ଅଭାବରେ ଗରିବ ରୋଗୀ କ୍ୟାନସରର ପରୀକ୍ଷା ଏବଂ ତା’ର ଚିକିତ୍ସା ପାଇଁ ପଛଘୁଞ୍ଚା ଦେଉଥିଲେ । ଏବେ ଆୟୁଷ୍ମାନ ଭାରତ ଯୋଜନା ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ବଡ଼ ସମ୍ବଳ ହୋଇଛି । ଏବେ ସେମାନେ ନିଜର ଚିକିତ୍ସା ପାଇଁ ଆଗେଇ ଆସୁଛନ୍ତି । ‘ଆୟୁଷ୍ମାନ ଭାରତ ଯୋଜନା’ କ୍ୟାନସର ଚିକିତ୍ସା କ୍ଷେତ୍ରରେ ଥିବା ଆର୍ଥିକ ଅସୁବିଧାକୁ ବହୁ ପରିମାଣରେ କମ୍ କରିପାରିଛି । ଆହୁରି ଭଲ କଥା ହେଲା ଆଜିକାଲି ଲୋକମାନେ ଠିକ ସମୟରେ କ୍ୟାନସର ଚିକିତ୍ସା ପାଇଁ ବେଶ୍ ସଚେତନ । ଏହି ସଫଳତା ପାଇଁ ଆମର ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟସେବା ପ୍ରଣାଳୀ, ଡାକ୍ତର, ନର୍ସ ତଥା ଟେକ୍ନିକାଲ କର୍ମଚାରୀମାନଙ୍କର ଯେତିକି ଭୂମିକା ରହିଛି ମୋ ନାଗରିକ ଭାଇଭଉଣୀମାନଙ୍କର ମଧ୍ୟ ସେତିକି ମହତ୍ତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଭୂମିକା ରହିଛି । ସମସ୍ତଙ୍କ ପ୍ରୟାସ ଦ୍ୱାରା କ୍ୟାନସରକୁ ହରାଇବାର ସଂକଳ୍ପ ଅଧିକ ଦୃଢ଼ ହୋଇଛି । ଯେଉଁମାନେ ସଚେତନତା ସୃଷ୍ଟି କରିବାରେ ବିଶେଷ ଯୋଗଦାନ ଦେଇଛନ୍ତି, ଏହି ସଫଳତାର ଶ୍ରେୟ ସେମାନଙ୍କର । କ୍ୟାନସରକୁ ମୁକାବିଲା କରିବାର ଗୋଟିଏ ମନ୍ତ୍ର ହେଲା Awareness, Action ଏବଂ Assurance । Awareness ଅର୍ଥାତ୍ କ୍ୟାନସର୍ ଲକ୍ଷଣ ପ୍ରତି ସଚେତନତା, Action ଅର୍ଥାତ୍ ଠିକ୍ ସମୟରେ ପରୀକ୍ଷା ଏବଂ ଚିକିତ୍ସା, Assurance ଅର୍ଥାତ୍ ରୋଗୀମାନଙ୍କ ପାଇଁ ସମସ୍ତ ସହାୟତା ଉପଲବ୍ଧ କରାଇବାର ବିଶ୍ୱାସ । ଆସନ୍ତୁ ଆମେ ସମସ୍ତେ ମିଶି କ୍ୟାନସର ବିରୁଦ୍ଧରେ ଏହି ଲଢ଼େଇକୁ ଦ୍ରୁତଗତିରେ ଆଗେଇନେବା ଏବଂ ଅଧିକରୁ ଅଧିକ ରୋଗୀଙ୍କୁ ସାହାଯ୍ୟ କରିବା ।

ମୋର ପ୍ରିୟ ଦେଶବାସୀଗଣଆଜି ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଓଡ଼ିଶାର କଳାହାଣ୍ଡି ଜିଲ୍ଲାର ଏକ ଏଭଳି ପ୍ରୟାସ ବିଷୟରେ କହିବାକୁ ଚାହୁଁଛିଯାହା କମ୍ ପାଣି ଏବଂ କମ୍ ସଂସାଧନ ସତ୍ତ୍ୱେ ସଫଳତାର ନୂତନ କାହାଣୀ ଲେଖୁଛି  ଏହା ହେଉଛି କଳାହାଣ୍ଡିର ‘ସବଜି କ୍ରାନ୍ତି’ ବା ପରିବା ବିପ୍ଳବ  ସମୟ ଥିଲା ଯେଉଁଠି କୃଷକ ପଳାୟନ କରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ହେଉଥିଲା ଆଜି ସେଇଠି କଳାହାଣ୍ଡିର ଗୋଲମୁଣ୍ଡା ବ୍ଲକ୍ ଏକ ପରିବା ଭଣ୍ଡାରରେ ପରିଣତ ହୋଇଛି   ପରିବର୍ତ୍ତନ କିପରି ଆସିଲା ଏହାର ଆରମ୍ଭ ମାତ୍ର ୧୦ ଜଣ କୃଷକଙ୍କ ଗୋଟିଏ ଛୋଟିଆ ସମୂହ ଦ୍ୱାରା ହୋଇଥିଲା  ସେମାନେ ମିଳିମିଶି ଗୋଟିଏ FPO ବା କିଷାନ୍ ଉତ୍ପାଦକ ସଂଗଠନ ସ୍ଥାପନ କଲେଚାଷରେ ଆଧୁନିକ କୌଶଳ ପ୍ରୟୋଗ କରିବା ଆରମ୍ଭ କଲେ ଏବଂ ଆଜି ସେମାନଙ୍କର ଏହି FPO କୋଟି କୋଟି ଟଙ୍କାର କାରବାର କରୁଛି  ଆଜି ୨୦୦ରୁ ଅଧିକ କୃଷକ ଏହି FPO ସହ ଯୋଡ଼ି ହୋଇଛନ୍ତିଯେଉଁମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ୪୫ ଜଣ ମହିଳା ଚାଷୀ ମଧ୍ୟ ଅଛନ୍ତି  ଏହି ଲୋକମାନେ ମିଶି ୨୦୦ ଏକର ଜମିରେ ବିଲାତି ବାଇଗଣ ଚାଷ କରୁଛନ୍ତି ଏବଂ ୧୫୦ ଏକର ଜମିରେ କଲରା ଉତ୍ପାଦନ କରୁଛନ୍ତି  ଏବେ ଏହି FPOର ବାର୍ଷିକ କାରବାର ରାଶି ଦେଢ଼ କୋଟିରୁ ଅଧିକ ହୋଇଗଲାଣି  ଆଜି କଳାହାଣ୍ଡିର ପରିବା ଖାଲି ଓଡ଼ିଶାରେ ନୁହେଁବରଂ ଅନ୍ୟ ରାଜ୍ୟମାନଙ୍କରେ ମଧ୍ୟ ପହଞ୍ଚୁଛି ଏବଂ ସେଠିକାର କୃଷକମାନେ ଏବେ ଆଳୁ ଏବଂ ପିଆଜ ଚାଷର ନୂତନ ପ୍ରଣାଳୀ ଶିଖୁଛନ୍ତି 

ବନ୍ଧୁଗଣକଳାହାଣ୍ଡିର ଏହି ସଫଳତା ଆମକୁ ଶିଖଉଛି ଯେ ସଂକଳ୍ପଶକ୍ତି ଏବଂ ସାମୂହିକ ପ୍ରଚେଷ୍ଟା ଦ୍ୱାରା  କରାଯାଇ  ପାରେ । ମୁଁ ଆପଣ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଅନୁରୋଧ କରୁଛି :-

- ନିଜ ଅଞ୍ଚଳରେ FPO ଗଠନକୁ ଉତ୍ସାହିତ କରନ୍ତୁ ।

- କୃଷକ ଉତ୍ପାଦକ ସଂଗଠନଗୁଡ଼ିକ ସହିତ ଯୋଡ଼ିହୁଅନ୍ତୁ ଏବଂ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ମଜଭୁତ୍ କରନ୍ତୁ ।

ମନେରଖନ୍ତୁ – ଛୋଟିଆ ପ୍ରୟାସରୁ ମଧ୍ୟ ବଡ଼ ପରିବର୍ତ୍ତନ ସମ୍ଭବ ହୁଏ । ଖାଲି ଆମର ଦୃଢ଼ ସଂକଳ୍ପ ଏବଂ ସାମୂହିକ ଭାବନାର ଆବଶ୍ୟକତା ରହିଛି ।

ବନ୍ଧୁଗଣ, ଆଜିର ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ରେ ଆମେ ଶୁଣିଲେ, କେମିତି ଆମ ଭାରତ ବିବିଧତାରେ ଏକତା ସହ ଆଗକୁ ବଢ଼ୁଛି । ସେ ଖେଳପଡ଼ିଆ ହେଉ ବା ବିଜ୍ଞାନ, ସ୍ୱାସ୍ଥ୍ୟ ହେଉ ଅବା ଶିକ୍ଷା - ପ୍ରତ୍ୟେକ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଭାରତ ନୂତନ ଶିଖରକୁ ଛୁଇଁ ଚାଲିଛି । ଆମେମାନେ ଗୋଟିଏ ପରିବାର ଭଳି ମିଳିମିଶି ପ୍ରତ୍ୟେକ ଆହ୍ୱାନର ସାମ୍ନା କଲେ ଏବଂ ସଫଳ ହେଲେ । ୨୦୧୪ରୁ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଥିବା ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ର ୧୧୬ତମ ଅଧ୍ୟାୟରେ ମୁଁ ଦେଖିଛି ଯେ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ ଦେଶର ସାମୂହିକ ଶକ୍ତିର ଗୋଟିଏ ଜୀବନ୍ତ ଦସ୍ତାବିଜ ହୋଇଯାଇଛି । ଆପଣମାନେ ସମସ୍ତେ ଏହି କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମକୁ ଆପଣାର କରିଛନ୍ତି । ପ୍ରତିମାସରେ ଆପଣମାନେ ନିଜର ବିଚାର ଏବଂ ପ୍ରୟାସ ସମ୍ବନ୍ଧରେ ମୋତେ ଜଣାଇଛନ୍ତି । କେତେବେଳେ କେଉଁ Young Innovatorର ଚିନ୍ତାଧାରା ପ୍ରଭାବିତ କରିଛି ତ କେତେବେଳେ କୌଣସି ଝିଅର ସଫଳତା ଆମକୁ ଗୌରବାନ୍ୱିତ କରିଛି । ଏହା ଆପଣ ସମସ୍ତଙ୍କର ସହଭାଗିତା ଯାହା ଦେଶର କୋଣ ଅନୁକୋଣରୁ ସକରାତ୍ମକ ଶକ୍ତିକୁ ଏକାଠି କରିଛି । ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ ଏହି ସକରାତ୍ମକ ଶକ୍ତିର ବିସ୍ତାରର ମଞ୍ଚ ହୋଇପାରିଛି । ଏବେ ୨୦୨୫ ପାଖେଇ ଆସିଲାଣି । ଆସନ୍ତା ବର୍ଷ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ ମାଧ୍ୟମରେ ଆମେ ଆହୁରି ପ୍ରେରଣାଦାୟୀ ପ୍ରୟାସଗୁଡ଼ିକୁ ସାମିଲ୍ କରିବା । ମୋର ବିଶ୍ୱାସ ଯେ ଦେଶବାସୀଙ୍କ ସକାରାତ୍ମକ ଭାବନା ଏବଂ ନୂତନ ଚିନ୍ତାଧାରା ଦ୍ୱାରା ଭାରତ ଏକ ନୂତନ ଶିଖରକୁ ଛୁଇଁପାରିବ । ଆପଣ ନିଜ ଆଖପାଖର ନିଆରା ପ୍ରୟାସ ଗୁଡ଼ିକୁ #Mannkibaatରେ ପଠାନ୍ତୁ । ମୁଁ ଜାଣିଛି ଯେ ଆସନ୍ତା ବର୍ଷର ପ୍ରତ୍ୟେକ ‘ମନ୍ କି ବାତ୍’ରେ ଆମ ପାଖରେ ପରସ୍ପରକୁ ଜଣେଇବା ପାଇଁ ବହୁତ କିଛି ଥିବ । ଆପଣମାନଙ୍କୁ ୨୦୨୫ର ବହୁତ ବହୁତ ଶୁଭକାମନା । ସୁସ୍ଥ ରୁହନ୍ତୁ ଖୁସି ରୁହନ୍ତୁ, Fit India Movementରେ ଆପଣ ମଧ୍ୟ ଯୋଗଦିଅନ୍ତୁ ଏବଂ ନିଜକୁ ସୁସ୍ଥ ରଖନ୍ତୁ । ଜୀବନରେ ପ୍ରଗତି କରନ୍ତୁ । ବହୁତ ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ ।