एंकर- नमस्कार। आपके चहेते न्यूज नेशन नेटवर्क के इस खास शो में आपका स्वागत है। इस शो में हम बात करेंगे लोकसभा चुनाव 2024 की, भारत के बीते कल की और उभरते भारत की। इन तमाम सवालों पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं बहुत ही खास मेहमान देश के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी। सर बहुत-बहुत स्वागत है आपका न्यूज नेशन नेटवर्क पर।

पीएम मोदी- न्यूज नेशन के दर्शकों को भी मेरा नमस्कार।

एंकर- और सवालों के इस सिलसिले को आगे बढ़ाएंगे मेरे दो वरिष्ठ सहयोगी संजय कुलश्रेष्ठ सर साथ ही साथ मनोज गैरोला जी। सर अब तक भारतीय जनता पार्टी कह रही थी अबकी बार 400 पार। हमारे जो तमाम सहयोगी ग्राउंड पर गए हैं। बड़ी संख्या में वोटर भी ऐसे हैं जो कह रहे हैं जो लड़ जा रहे हैं वो कह रहे हैं कि नहीं अबकी बार 400 पार। देश का एक बड़ा तबका इस नारे के साथ उम्मीद कर रहा है कि तीसरी टर्म तय है। उम्मीदें बहुत ज्यादा है लोगों को। उन उम्मीदों के जवाब में आपको किस तरीके की उम्मीदें हैं सर।

पीएम मोदी - जहां तक इलेक्शन कैंपेन का सवाल है, जन समर्थन का सवाल है, मतदाताओं के उत्साह का सवाल है, एक अभूतपूर्व नजारा नजर दिखाई दे रहा है। और यह 400 पार का नारा प्रारंभ हुआ जनता से। आवाज हमारे कान पर पहले पड़ी जनता से और धीरे-धीरे वह गूंज बढ़ती गई। उसी प्रकार हमारे कश्मीर के एक साथी ने मुझे कहा कि धारा 370 गई है, आपको 370 का नारा देना चाहिए। तो उसमें से फिर यह बीजेपी 370 एंड एनडीए 400 पार, ये बात जन-जन में पहुंच गई।

एंकर- लेकिन सर इस चुनाव में मजेदार बात ये रही कि हार और जीत की बात कोई नहीं कर रहा। 400 से ज्यादा आएगा या 400 से कम।

पीएम मोदी- वैसे भी विपक्ष, इंडी अलायंस अगर आप देखें वो बन ही नहीं पाया। तीन-चार बार उनके फोटो हुए उसमें भी जो पहले में थे वो दूसरे में नहीं थे, दूसरे में थे वो तीसरे में नहीं थे। पहले कभी एक नंबर आते थे तो फिर तीसरे चौथे नंबर के लोग आने लगे। फिर उसमें कोई स्पिरिट भी नहीं था। चलिए मान लीजिए लोग नहीं जुड़े लेकिन एक कोलिशन का धर्म होता है उसका भी पालन हो। उनका एक सबसे बड़ा साथी लेफ्ट था और उन्होंने केरल में जाकर के सबसे पहले फेज के चुनाव में ही लेफ्ट के पीठ में छुरा भोंक दिया। लेफ्ट के खिलाफ लड़े। इतना ही नहीं सबसे ज्यादा कड़वी बातें, हल्की बातें, इस चुनाव में सबसे ज्यादा हुई तो केरल के फर्स्ट फेज के चुनाव में हुई और कांग्रेस और लेफ्ट के बीच में हुई तो फिर वो बिखर गया।

एंकर- सर आपके पिछले 10 साल के कार्यकाल में हमारा देश संसार की एक बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है। और हमारा आज पूरे संसार में पांचवा नंबर है। अब जब हम 400 के साथ आएंगे तो उस समय आपको क्या लगता है कि क्या बड़े डिसीजन होंगे, इकोनॉमिक रिफॉर्म्स होंगे, जो आप लेंगे और वो भी ये देखते हुए कि आपने एक टारगेट रखा है कि जल्द से जल्द भारत को एक विकसित देश बनाना है।

पीएम मोदी- एक तो आप जानते हैं कि मैं रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म इस मूल मंत्र को लेकरके गवर्नेंस में अपना बल देता हूं। और उसमें मेरी कोशिश यह होती है, देखिए विकास को हमने जन आंदोलन बनाना चाहिए। एक स्पिरिट पैदा होना चाहिए देश में। आप इंक्रीमेंटल कुछ भी करते जाएंगे तो परिणाम नहीं मिलता है। देखिए देश हजार साल तक गुलाम रहा। हिंदुस्तान का कोई कोई भूभाग हजार साल तक लड़ता रहा है आजादी के लिए। व्यक्तिगत रूप से कोई लड़ा है कोई सामूहिक रूप से लड़ा है लेकिन लड़ाई चलती रही। एक खत्म होता था तो दूसरा खड़ा होता था दूसरा खत्म तो तीसरा खड़ा होता था। महात्मा गांधी जी ने क्या किया। महात्मा गांधी जी ने आजादी को जन आंदोलन बना दिया। कोई झाड़ू लगाता है तो कहता है आजादी के लिए, कोई प्रौढ़ शिक्षा करता है तो बोले मैं आजादी के लिए। कोई लेप्रसी के पेशेंट की सेवा करता है तो बोले आजादी के लिए। उसको एक बहुत बड़ा व्यापक रूप दे दिया। कोई सिंपल खादी पहन ले बोले आजादी के लिए। और उसको कैसे लड़ना ये अंग्रेजों को आया नहीं। बड़ा मुश्किल था। और जन आंदोलन बना तो हर व्यक्ति को लगा आजादी आई, आजादी आई। विकास भी मैंने इतनी इंडस्ट्री की, मैंने इतना ये किया ये एक तरीका है। लेकिन जनसामान्य में जब विश्वास पैदा होता है। यस 2047 हमें क्या कारण है विकसित नहीं बन सकते। यह मिजाज पैदा करने का मेरा प्रयास है। भौतिक मात्रा में मुझे सफलता मिल रही है। और यह चुनाव जो है उस बात पर केंद्रित हुआ है कि हमें विकसित भारत बनाना चाहिए, पीछे नहीं रहना चाहिए। 10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड ने उसकी क्रेडिबिलिटी बढ़ा दी है। जब 11 नंबर की इकॉनमी पर आप देश में कार्यभार संभालते हैं और इतने कम समय में इकोनॉमी को पांच नंबर पर ले आते हैं। 11 से पांच तो लोगों को लगता है पांच से तीन पर जाना भी मुश्किल नहीं है। विकसित भारत होना भी मुश्किल नहीं है। और उसके कारण निर्णय आप जो भी करेंगे वो उसकी ओनरशिप जनता लेगी। और जब जनता ओनरशिप लेती है फिर गवर्नमेंट मशीनरी, पॉलिटिकल लीडरशिप बहुत ही एक कैटेलिक एजेंट का रोल रहता है। और मैं यह दृश्य देश का देख रहा हूं।

एंकर- आप जन आंदोलन की बात कर रहे हैं। आपकी हर चीज जन आंदोलन है। आपने सफाई की बात की, ऐसा बड़ा आपने जब पॉकेट में कूड़ा रखा. पूरा इंडिया पॉकेट में कूड़ा रखने लगा। आपने टूरिज्म की बात की, सब दौड़ पड़े पटेल की मूर्ति देखने के लिए। ये आंदोलन को बनाने के लिए दूसरों के दिमाग पर कब्जा करना बहुत जरूरी होता है। दूसरे दिमाग को पढ़ना, ये इतनी बड़ी जनसंख्या के दिमाग को पढ़ लेना और उसके तरीके से एक चीज फेंकी और आंदोलन बन गई, ये कैसे होता है।

पीएम मोदी- ऐसा कब्जा करने की कोशिश जो भी करेगा विफल जाएगा। कभी भी जनमन का कब्जा नहीं करना चाहिए। हमें जनमन को समझना चाहिए और जनमन और हमारी सोच के बीच में फासला कम कैसे हो, दूरी कैसे कम हो, खाई कैसे पटे ये हमारा प्रयास होना चाहिए। थोपने से कभी चीजें सफल नहीं होती। कभी नहीं होती। अब देखिए स्वच्छता का अभियान, खुद को जाना पड़ता है झाड़ू लगाना पड़ता है, उपदेश देने से होता नहीं है। लाल किले से इस प्रकार की बात बोलने की हिम्मत लगती है। और कुंभ के मेले में सफाई कर्मचारियों के पैर धोकर के गर्व अनुभव होना तब लोगों को लगता है कि हमारी इतनी सेवा करने वाले लोग हैं, हम उनको स्वीकार क्यों नहीं करते। और जब देश का प्रधानमंत्री कुंभ के मेले के... अब कुंभ का मेला हमारा दुनिया में स्वच्छता के लिए जाना गया। वरना हमारे त्योहार वगैरह फूल यहां पड़े हैं, प्रसाद यहां गिड़ा है। एक बड़ा पैराडाइम शिफ्ट था। और जब मैंने वहां के कुंभ मेले को जिन्होंने स्वच्छ रखा, उनका सम्मान करने का मेरा तरीका था। मैंने उनके पैर धोए, समाज के अंदर एक मैसेज जाता है कि भाई इस देश में हर व्यक्ति महान है, हर व्यक्ति मूल्यवान है, कोई नीचे नहीं है कोई ऊपर नहीं। देश का प्रधानमंत्री अगर जिसको कल तक आप नीचा कहते थे उसके पैर धोने में गर्व अनुभव करता है। आप एक बहुत बड़े शॉकिंग ट्रीटमेंट भी कभी अपने व्यवहार से देते हैं। उसी प्रकार से कंपटीशन का वातावरण बनाया मैंने कि बताओ भाई कौन सा शहर सबसे ज्यादा स्वच्छ होगा, कौन सा टूरिस्ट डेस्टिनेशन होगा। तो ये करना पड़ता है। जैसे टूरिज्म की आपने बात कही। इस देश में एकता के मंत्र को जीना चाहिए क्योंकि देश विविधताओं से भरा हुआ है। हमें विविधताओं को सेलिब्रेट करना चाहिए। लेकिन विविधता में एकता इस मंत्र को कभी भी ओझल नहीं होने देना चाहिए। तो मैंने क्या किया कि जब स्टेच्यू ऑफ यूनिटी मेरे मन में था सरदार पटेल साहब का बहुत बड़ा स्टेच्यू बनाना है। और मैं जब बड़ा सोचता हूं तो अब मान के चलिए दुनिया में सबसे बड़ा मैं सोचता हूं। मुझे कोई चीज यानि मेरी प्रकृति में है। मैं मानता हूं मेरा देश बड़ा तब होगा जब दुनिया में, अच्छा दुनिया में सबसे बड़ा यहां है, दुनिया में सबसे बड़ा ये है तो लोगों को उसका लगता है। तो देश की एकता में सबसे बड़ी भूमिका सरदार पटेल की थी। तो मैं स्टैच्यू का नाम कोई भी रख सकता था लेकिन मैंने नाम रखा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी। जब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी रखा तो ऐसे नहीं रखा मैंने क्या किया वो किसान नेता थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल किसान नेता थे और आजादी के आंदोलन में किसान नेतृत्व देने का काम सरदार बल्लभ भाई पटेल ने किया था। और मैंने क्या किया कि गांव-गांव से खेत में जो उपयोग में आया हुआ औजार है, वो लोहा में इकट्ठा करूंगा। हर गांव से मैंने छोटा सा लोहे का टुकड़ा मांगा। यानी देश की एकता फिर हर गांव से मिट्टी में ले ली। उस लोहे को हमने मेल्ट करके सरदार पटेल स्टैच्यू में उपयोग किया है। भारत के खेतों में उपयोग किया गया, किसानों के द्वारा उपयोग किया गया लोहा तो इसके पीछे जो काल्पनिक है उस कल्पकता में एकता एलिमेंट है, जन भागीदारी का प्रभाव है और उसका परिणाम मिलता है।

एंकर- आपको लगता है इसके पीछे की वजह प्रधानमंत्री जी एक यह भी है कि आप भारतीय राजनीति के संभवतः इकलौते ऐसे राजनेता हैं जिनको केंद्र में इतने लंबे वक्त के अनुभव के साथ-साथ राज्य में भी लीड करने का सबसे ज्यादा लंबा अनुभव है तो आप समझते हैं बेहतर तरीके से केंद्र और राज्य को फेडरल स्ट्रक्चर को।

पीएम मोदी- आपकी बात बिल्कुल सही है। हमारे देश में जितने प्रधानमंत्री हुए एक तो 90 परसेंट प्रधानमंत्री कांग्रेस गोत्र के हुए। वो किसी भी दल से आए हों लेकिन मूलतः कांग्रेस गोत्र के थे। इस देश में दो ही प्रधानमंत्री हैं जो कांग्रेस गोत्र के नहीं थे। एक अटल जी दूसरे नरेंद्र मोदी। लेकिन अटल जी को भी पूर्ण बहुमत से सेवा करने का मौका नहीं मिला। मोदी को पूर्ण बहुमत से देश ने पहली बार कांग्रेस गोत्र के बाहर की सरकार, तो लोगों को कंपैरिजन करने का अवसर मिला। दूसरा ये हुआ कि आजादी से अब तक जितने प्रधानमंत्री बने ज्यादातर दिल्ली की या सेंटर की राजनीति से निकले। बहुत कम लोग थे जो स्टेट में काम करके आए। लेकिन जो काम करके आए वो स्टेट में भी बहुत कम समय मिला था। मुझे ज्यादा से ज्यादा समय मिला और एक अच्छे प्रगतिशील राज्य में मिला। तो मैं एक राज्य की कठिनाइयां क्या होती है वो मुझे किसी मुख्यमंत्री से सुनना नहीं पड़ता। मैं समझ सकता हूं। मैं भले यहां बैठा हूं, लेकिन आंध्र में क्या तकलीफ होती होगी, बंगाल में क्या तकलीफ होती होगी, पंजाब की क्या जरूरत होती होगी, ये मैं भलीभांति समझ सकता हूं। अब जैसे कल बंगाल में साइक्लोन वाली घटना है। मैं दौरे पर था लेकिन मैंने आया रिव्यू मीटिंग ली, उनको जो मदद पहुंचानी थी एडवांस में मदद पहुंचा दी। सारी मशीनरी को गियरअप कर दिया। क्योंकि मैं एक राज्य को जी करके आया हूं। नेचुरल कैलेमिटीज में क्या होता है, उसका मुझे अंदाज है तो मैं तुरंत उसकी चिंता करता हूं। तो इसका मुझे बेनिफिट बहुत स्वाभाविक मिला है। दूसरा मेरी सरकार जो यहां है पहले की सरकार में सबसे बड़ा फर्क क्या है? सबसे बड़ा फर्क ये है लास्ट माइल डिलीवरी, ये मेरे सरकार की विशेषता है। सेंट्रल गवर्नमेंट में बैठे हुए अफसरों को भी ये लगता था कि हमारा काम है। एक फाइल पे सिग्नेचर करो, ऑर्डर निकालो, अगर कार्यक्रम ऐसा है तो प्रधानमंत्री को ले जाकरके फीता कटवाओ या दीपक जलाओ। और बाकी सब स्टेट को दे दो, स्टेट कर लेगा। ज्यादा से ज्यादा हम स्टेट को पैसे दे देंगे। मैं ऐसा नहीं करता। मैं उस लास्ट माइल तक का पक्का रोड बनाता हूं। कैसे जाएगा, कौन करेगा, अफसरों को मैं दौरा करवाता हूं। और दो दो हजार अफसरों को फील्ड में भेजता हूं यहां से। तब जाकर के चीजें नीचे पहुंचती हैं। तो एक पूरा नया वर्क कल्चर है।

एंकर- सर अभी जो आजकल जो सबसे बड़ी जो टर्नअराउंड स्टोरी है वो पीएसयू की है। सर पहले जब हम पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की बात करते थे तो हम पीएसयू को कैसे बेचें, उसी पे हमारा फोकस होता था। लेकिन आज आप देखिए तो पीएसयू का इतना टर्नअराउंड हो चुका है कि पीएसयू के शेयर्स आजकल आसमान में हैं और काफी सारी कंपनिया प्रॉफिट में हैं तो ये टर्नअराउंड आपने कैसे किया?

पीएम मोदी- मैं एक उदाहरण बताता हूं। मैं गुजरात में जब मुख्यमंत्री बना तो काफी लोग आते थे शुभकामनाएं देने के लिए। मुश्किल से 10 दिन हुए होंगे और बड़ौदा गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन से कोई 100-150 लोग आ गए माला-वाला लेके। तो जैसे हमारे नियम थे, इतने बजे समय जनता को दे देना। लेकिन वो आए माला क्या पहनाते, मालाएं टेबल पर रख दिया और रोने लगे। मैं उनके आंसू नहीं रोक पाता था, मैंने कहा- मुझे समझाइए क्या है। तो बताए, साहब हम 20 साल हमारी जिंदगी खपा दी, बच्चों बड़े हुए हैं, कंपनी बंद हो रही है, हम जाएंगे कहां, हम तो मर जाएंगे, हमारी नौकरी चली जाएगी, हमारे पास कुछ है ही नहीं, कुछ करिए हमारा। मुझे पता नहीं था कि गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कार्पोरेशन का ये हाल हो गया है। तब मैं बहुत बाहर रहता था। अचानक मैं मुख्यमंत्री बना। मैंने कहा देखो भाई मुझे इस विषय में पूरी डिटेल नहीं है। आपकी जो कागज है मुझे छोड़ के जाइए और मैंने 15 दिन का टाइम लिया। वो गए, मैंने अफसरों को बुलाया, मैंने कागज दिया जरा उसका पूरा प्रेजेंटेशन मुझे दीजिए, क्या मामला है। मैंने उनको दो चीजें कही, एक मैंने कहा मुझे गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन का उसको मैं कॉर्पोरेट कल्चर चाहता हूं। मैंने कहा ये सरकारी कल्चर से व्यापारी कंपनिया नहीं चलती हैं। दूसरा मैं उसका टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन चाहता हूं। तीसरा मैं ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन ऑफ ऑल द रिसोर्सेस इंक्लूडिंग ह्यूमन रिसोर्सेस। ये कुछ सिद्धांत मैंने उनके सामने रखे। ये मुझे बराबर इसलिए याद है कि आपको आनंद होगा जानकर के कि गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कंपनी के जन्म से लेकर के कभी भी जितना प्रॉफिट नहीं हुआ था, उतना प्रॉफिट उसको दो साल में हुआ। हाईएस्ट प्रॉफिट वाली कंपनी बन गई। तो मेरा यह काम करने का तरीका है। फिर मैंने उसमें पॉलिटिकल लोगों को कोई अपॉइंट्स नहीं किया, बिलकुल नहीं। मैंने कहा प्रोफेशनल लोग चाहिए। मैंने बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रोफेशनल लोगों बुलाया और लगाया। यहां जब आया तो आमतौर पर सरकारी कंपनी का मतलब ये होता है कि जिस दिन उसका उद्घाटन होता है तो उसके मरने की तारीख उसके साथ लिखी होती है। ऐसी एक छवि बनी हुई है। मैंने कहा ये नहीं चाहिए। जनता का पैसा है बर्बाद नहीं हो सकता है। मैंने पीएसयू कंपनी के शेयर आप देखिए शेर मार्केट बहुत बड़ा वैल्यू बढ़ गया है। इन्वेस्टमेंट के लिए पहले लोग भारत सरकार की कंपनियों को देखते थे। मार्केट वैल्यू बढ़ा है, नेट वर्थ बहुत बड़ी है इसका भी एक लाभ मिला है। अब एचएएल देखिए, पिछले चुनाव में 19 में इन्होंने जाकर के गेट के बाहर आंदोलन किया था। एचएएल बंद हो रहा है, एचएएल बंद हो रहा और देश में हवा फैला दी। और जब ऐसी हवा फैलती है तो जो इन्वेस्टर होता है वो भी तो मिसगाइड हो जाता है। इतना पाप किया था। इस साल की चौथी तिमाही में रिकॉर्ड प्रॉफिट एचएएल का हुआ है। मेरा अंदाज है 4000 करोड़ रुपए से ज्यादा प्रॉफिट उसका हाइएस्ट है अपनी एचएएल के लाइफ का। तो चीजें अगर आप प्रोफेशनली चलाते हैं। अच्छा पहले क्या था जी जो सीएजी की रिपोर्ट है वो तो बहुत ही खराब थी। इतनी कंपनियों को कैसे बर्बाद की बाबुओं ने, नेताओं ने उसका दुरुपयोग किया, ये भी चर्चा आती थी। टोटल मार्केट कैप करीब 225 परसेंट ये पीएसयू का बढ़ा है। तो जो मैंने पहले कहा रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म उसमें मैनेजमेंट का 60 वर्षों तक साब ये सारे जो हैं जिसको नवरत्न कहते हैं, कहने को रह गए थे। अगर कोई अफसर है, बोर्ड में है तो कंपनी की एक गाड़ी अफसर के घर रहती थी। मैं तो गुजरात में था तो मैंने कहा आपको एक ही फोन पसंद करना है बताओ कौन सा करोगे सब कंपनियों का नहीं, गाड़ी एक ही मिलेगी सब नहीं मिलेगी। सीएजी ने 20 मैनेजमेंट को लेकर कहा 68 कंपनियों के खिलाफ सीजी की रिपोर्ट थी। मैं स्वभाव से डिसिप्लिन मानता हूं। फाइनेंसियल डिसिप्लिन में बड़ा आग्रही, राजनीतिक दखलंदाजी बिल्कुल नहीं। मैं कभी-कभी लोग कहते हैं ये चीजें बर्बाद होती है पॉलिटिकल दखल से, मैं इससे सहमत नहीं हूं। मेरा कहना यह होता है कि पॉलिटिकल इंटरफेरेंस नहीं चाहिए। लेकिन पॉलिटिकल इंटरवेंशन जरूरी है। क्योंकि वो जनता से आता है, जनता के फर्ज को जानता है। इंटरफेरेंस अलाउड नहीं होना चाहिए, इंटरवेंशन इज मस्ट। और इसलिए डेमोक्रेसी तो इसी के लिए है तो राजनेताओं को जो गाली देने की फैशन है उससे भी मैं सहमत नहीं हूं। और मैं मानता हूं कि सेरेडॉन के लिए भी काम करने को मैंने कहा, जो कि भारत में लीगल हो गया है, जितनी प्रगति होगी फायदा ही होगा जी।

एंकर- हमने पिछले 10 सालों में एक बिल्कुल अलग तरह का प्रधानमंत्री देखा। जो हमने तो इससे पहले देखा नहीं। हमारा प्रधानमंत्री डिस्कवरी चैनल के मैन वर्सेस वाइल्ड में चला जाता है बेयर गिल्स के साथ। वो वो टास्क कर रहा है जो हम सोच नहीं सकते हैं। हमारा प्रधानमंत्री बेट द्वारिका में समुद्र तल के नीचे बैठ जाता है। हमें लगता है ट्रीटेड शॉट होंगे। हमारा प्रधानमंत्री केदारनाथ की भीषण ठंड में आराम से साधना कर रहा है। ये रूप हमने कभी पहले देखा नहीं। तो क्या आपका जो दुरूह परिस्थितियों में, विपरीत परिस्थितियों, चुनौतियों में अस्तित्व बनाए रखने की जो आपकी एक शक्ति, आपका एक स्वभाव है, ये उसका परिणाम है। और यह कैसे होता है।

पीएम मोदी- ऐसा है कि हमने कई वर्षों से प्रधानमंत्री मतलब ये ऐसा होगा, फ्रेम में फिट किया हुआ है। उसके बाद कुछ भी है तो हमको लगता है ऐसा। अब हर प्रधानमंत्री की अपनी एक दुनिया रही है। ऐसे भी प्रधानमंत्री रहे हैं कि जो नेवी के शिप लेकर गए, फैमिली टूर पर चले जाते थे। ऐसे भी प्रधानमंत्री देखे। इस देश ने ऐसे भी प्रधानमंत्री देखे कि जो संकट के समय तीन-तीन सप्ताह वेकेशन पर गए थे। तीन सप्ताह वेकेशन संकट के समय। कभी ये बाहर आएगा, रिसर्च करोगे तो मिल जाएगा। तो एक तो देश ने वैरायटीज ऑफ प्राइम मिनिस्टर देखे हैं। और हर प्रधानमंत्री की एक वैरायटी भी रही है। जहां तक मेरा सवाल है। मेरा अपना एक अलग बैकग्राउंड है जो परंपरागत जो पॉलिटिकल दुनिया है। मैं उस ब्रीड का नहीं रहा। मैं एक बहुत सामान्य परिवार से निकला। और जीवन में कुछ खोजने की बहुत बड़ी ख्वाहिश अभी भी है। बहुत छोटी आयु में घर छोड़ दिया। तो कुछ ना कुछ खोजना ढूंढना पाना ये मेरा बहुत लंबे समय रहा। दुनिया के लिए नया लग रहा है मैं आदि कैलाश चला जाऊं या मैं कैलाश मानसरोवर चला जाऊं या मैं केदारनाथ चला जाऊं या अमरनाथ चला जाऊं ये मेरे जीवन में... और आप अगर कई ट्राइबल इलाके में जाएंगे तो आपको ऐसे कई परिवार मिलेंगे जो बताएंगे कि पेड़ के नीचे मोदी सोते थे। उस नदी में खुद नहाने के लिए चले जाते थे। और बोले फिर हमारे घर में जो भी पड़ा रहता था खाकर के चले जाते थे। ऐसे कई लोग मिलेंगे आपको। मेरा जीवन ऐसा रहा। जहां तक अब, यहां क्या है कि लोगों की नजर और कैमरा रहता है, पता नहीं इसलिए लोगों को पता चलता है। मैं तो ऐसे ही रहा। हिंदुस्तान में बहुत मैंने भ्रमण किया है। मेरा यहां की मिट्टी के प्रति मेरा अगाथ प्यार है, पागलपन है, वो जिस रूप में हो मैं उसको जीना चाहता हूं। चाहे वह केदारनाथ की गुफाएं हो या कन्याकुमारी का समुद्री तट हो या मैं कभी आप हैरान हो जाएंगे। मैं कच्छ के रेगिस्तान में रात बिताने चला गया एक बार। तो वहां एक धोरो गांव में पाकिस्तान के सीमा पर लेकिन आज वो जगह मैं किसी जमाने में गया देखा वहां रहा। आज वो दुनिया के मैप पर है विलेज टूरिज्म के लिए। तो मैं जाता हूं खुद की एक जिंदगी को समझने के लिए जीने के लिए। लेकिन जब उसमें से कोई स्पार्क मुझे होता है तो उसमें से एक नई व्यवस्था भी खड़ी होती है। अब द्वारिका मेरे मन में आज भी है विज्ञान और आर्कियोलॉजी सब कहते हैं भाई द्वारिका डूब गई थी। अब भारत में टूरिज्म के लिए इससे बड़ा अवसर क्या हो सकता है। तो मेरे मन की इच्छा थी कि मैं कभी ना कभी उस डूबी हुई द्वारिका के जो अवशेष है हाथ छूकर के आऊंगा।

एंकर- जितनी बातें की आपने उसमें एक कॉमन चीज है प्रकृति। आप हमेशा कहते हैं प्रकृति से बहुत मुझे ताकत मिलती है। प्रकृति से ताकत कैसे मिलती है?

पीएम मोदी- आप आप देखिए, वैसे अगर आप प्रकृति का अध्ययन करें तो उसकी स्वयं संचालित व्यवस्था रहती है। वो किसी भी हालत में अपने आपको को देना चाहते हैं। लेकिन प्रकृति के प्रति आपका जब समर्पण होता है ना तब आपका अपना विस्तार होता है। आप अपने दायरे से एकदम से बाहर निकल जाते हैं। मुझे प्रकृति विस्तार देती है। और मैं इसीलिए और मैं कभी लिखता तो नहीं हूं आजकल। जब लिखता था तो कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ा कोई न कोई विषय तो आ ही जाता था।

एंकर- आपने लिखा था अभी तो सूरज उगा है न्यूज नेशन के लिए लिखा था।

पीएम मोदी- वो तो क्या हुआ कि पिछली बार मैं कहीं से आ रहा था। (हिमाचल से आ रहे थे) हां और आपके यहां शायद दीपक चौरसिया थे। तो इंटरव्यू था आपके यहां। तो मेरे हाथ में वो कागज थे। ऐसे ही मैंने फाइनल भी नहीं किया था अभी तो।

एंकर- लेकिन बड़े अर्थ लगाए गए थे आपकी उस एक लाइन के।

पीएम मोदी- देखिए मेरे लिए मेरे लिए ये सब जैसे मैं कभी-कभी ये सोचता हूं ये धूप है। इतनी तेज धूप है इस बार। अगर धूप भी तेज है तो विजय भी तेजस्वी होगी। और मैं कहता हूं- जीत है गति की, जीत है नीति की, अंतिम पंक्ति की, जीत प्रकृति की, जीत है ज्योत की, विरासतों के प्रीति की, कर्म के धर्म की, जीत है ये देश की, कि नए युग के प्रवेश की, ये जीत है भारत की, ये जीत है जनता जनार्दन की।

एंकर- तो अब तो सूरज बिल्कुल उरूज पर है। सर हम सबको भारतवासी के तौर पर गर्व है खुद पर। लेकिन आजादी के बाद से भारत की एक छवि ऐसी भी रही जो विदेशों से मानवीय मदद मांगता था, अनाज मांगता था, कर्जा मांगता था, हथियार भी मांगता था। बीते कुछ सालों में वो तस्वीर अब बदली है। अब हम बाकी देशों को मानवीय मदद कर रहे हैं। डिफेंस एक्सपोर्ट में हमने रिकॉर्ड बना रहे हैं। कोरोना संकट में हमने देखा कि कैसे हमने दुनिया के बहुत देशों की मदद की। यह छवि बदलना भी कितना जरूरी था। एक नेता के लिए होता है कि अपने देश में सब कुछ ठीक रहे। विदेशों को लेकर जो ये नजर।

पीएम मोदी- ऐसा है छवि बदलने के लिए मैं देश नहीं चलाता हूं। मैं मेरे देश के कल्याण के लिए काम करता हूं। मेरा जीवन समर्पित है मेरे देश के सामान्य मानवी की जिंदगी बदले। सब मेरे देश के ईज ऑफ लाइफ हो, ईज ऑफ बिजनेस हो, तो मेरे देश की छवि अपने आप बनेगी तो मैं कोई ये कलर पेंट लेकर के देश की छवि बनाने के पक्ष में नहीं हूं। अब ये क्या भारत के पास संसाधनों की कमी थी। क्या भारत के सामर्थ्य की कमी थी। क्या भारत में टैलेंट की कमी थी। यह सब कुछ कोई मोदी आने के बाद थोड़े आया है। इस देश के पास सब कुछ था लेकिन हमने उसको तवज्जो नहीं दी। हम गुलामी की मानसिकता में इतने दबे रहे कि कोई कहे तुम्हारा बुरा है तो हम मान लेते हां। अब हम लेट हो गए तो हम गर्व से कहते हैं अरे भाई क्या करें, इंडियन टाइम है। हम ही तो हमें अपने आपको को गाली देते रहते जी। ये क्या तरीका है जी। कभी तो गर्व करना सीखो। जब आप अपनी चीजों पर गर्व करना सीखोगे ना तो फिर लगेगा कि यार मैं गर्व तो कर रहा हूं लेकिन कोई सब्सटेंस भी हो तो फिर सब्सटेंस भी आ जाता है, फिर साहस भी आ जाता है। मैं इसके लिए एक माइंडसेट बदलना चाहता था। लोगों का एक माइंडसेट है, होती है, चलती है, अरे छोड़ो यार, अपना रहो। ये माइंडसेट नहीं चल सकता। और फिर उनके सामने कुछ आपको मॉडल बनाने पड़ते हैं। आपको क्रिएट करके देना पड़ता है तो दुनिया को भरोसा होता है। जब चंद्रयान की सफलता मिलती है तो दुनिया कहती है कि स्पेस शक्ति में अब भारत को स्वीकार करना होगा। कोविड वैक्सीन, दुनिया को चिंता थी कि इतना बड़ा देश दुनिया के लिए संकट बन जाएगा। लेकिन यही देश संकट तो ना बना, देश को भी संभाला, दुनिया को संभाला। दुनिया को दवाइयां चाहिए, दुनिया को वैक्सीन चाहिए और आज दुनिया के कई देशों में आप जाएंगे... जैसे कहा, आप इंडिया का हो, ओ थैंक यू आपने वैक्सीन दिया था। हर भारतीय को लोग थैंक्स कहते हैं जी। प्रधानमंत्री को थैंक्स कहें, हर हिंदुस्तानी को थैंक्स कहते और वो पब्लिकली एकनॉलेज करते हैं। तो ये भारत के लिए गर्व की बात है। मतलब है भारत का सामर्थ्य है। अब देखिए, आप आत्मनिर्भर भारत का मजाक उड़ाएंगे क्या लॉजिक है जी। क्या कोई अमेरिका वाले इतनी ऊंचाई पर होने के बाद भी बड़े गर्व से कहते हैं वो कि भाई बी अमेरिकन बाय अमेरिकन। तो मुझे आत्मनिर्भर भारत कहने में संकोच क्यों होना चाहिए। मैं वोकल फॉर लोकल की बात क्यों ना करूं? मैं डिफेंस में कब तक ये दुनिया से माल खरीदता रहूंगा भई। मैं खरीदार बन गया। आज भी मेरे देश की दो तीन चीजें हैं जो मैं आने वाले पांच साल में मैं ज्यादा मेहनत करना चाहता हूं। जैसे हम वैसे तो एग्रीकल्चर कंट्री है कृषि प्रधान देश है, लेकिन कृषि प्रधान देश होने के बाद भी करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपया का खाने का तेल हम बाहर से लाते थे। खाने का तेल। चलो पेट्रोलियम के लिए हमारी मुसीबत तो हम लाते हैं समझे। अब मैं उस पर मिशन मोड पर काम करना चाहता हूं। और मैं भारत आत्मनिर्भर कैसे बने, बनना चाहिए। फायदा क्या होगा, मेरे किसान को फायदा होगा जी। अब खाड़ी का तेल कि झाड़ी का तेल, तो मेरे खेत का तेल होगा तो मुझे ज्यादा फायदा होगा। उसी प्रकार से मैं बायो फ्यूल इथेनॉल ये अब 20 पर इथेनॉल मतलब मैंने विदेशों से जो मुझे लाना था, उतना बोझ मेरा कम हुआ। अब मैं सोलर मूवमेंट पर चला हूं पीएम सूर्य घर तो मेरा एनर्जी आत्मनिर्भर होगा। तो जो मूलभूत चीजें हैं, अब डिफेंस हम अभी तक साहब एक भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा बना हुआ था, बदनामी आती थी। कोई चीज ऐसी नहीं, गाली ना पड़े। मैंने मिलिटरी को कहा, आर्मी को कहा, मैंने कहा लिखो, इस वर्ष कितनी चीज बाहर से लाना बंद करोगे। तो हर बार नेगेटिव लिस्ट बाहर निकालता है डिफेंस वाले। कि भाई इतनी चीजें बाहर से नहीं लेंगे, यही चलेंगे। तो जो मैन्युफैक्चरर है उनको लगता है इसके लिए तो मार्केट पक्का है हमारा। कंपीटीशन आने लेगी, क्वालिटी इंप्रूव होने लगी। एक लाख करोड़ रुपये का माल मेरे देश में बना। और करीब 21000 करोड़ डिफेंस प्रोडक्ट एक्सपोर्ट होने लगे। तो भारत का दुनियाभर के अंदर एक नई छवि बनी है।

एंकर- टेलीकॉम में भी सर हम देखते हैं तो आज जहां पहले हम इतना इंपोर्ट करते थे आज हमारे देश से टेलीकॉम भी काफी ज्यादा एक्सपोर्ट होता है। सर लेकिन आपका जो एक बहुत बड़ा जो काम है वो सर हमारा जो इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने में चाहे वो रोड इंफ्रास्ट्रक्चर और उससे भी ज्यादा मेरे को लगता है कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जिस तरीके से आपने डेवलप किया। संसार में मेरे को लगता नहीं इसकी कोई मिसाल होगी। और दूसरा आपकी जितनी स्कीम्स जो बनी है तो उसमें उसका आपको क्या लगता है कि कितना बड़ा रोल जो डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर ने उसकी सक्सेस पे प्ले किया

पीएम मोदी- आपकी बात सही है। एक तो जो मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग है, हम मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे। आज हम मोबाइल फोन एक्सपोर्ट कर रहे हैं। हम दुनिया के सेकंड बड़े एक्सपोर्टर बन गए हैं मोबाइल फोन के। रोजी-रोटी हमारे देश में मिल रही है, देश में मोबाइल फोन बन रहे हैं। दूसरा जो इंफ्रास्ट्रक्चर का विषय है, मैं इंफ्रास्ट्रक्चर को तीन हिस्सों में बांटता हूं। एक सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर जो मेरी टॉप प्रायोरिटी है, दूसरा फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर वो मेरी जरूरत है और तीसरा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जो अब दुनिया को मूव करने वाला है। तो हर एक की अपनी-अपनी अहमियत है। जब मैं सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर कहता हूं तो पहले की तुलना में डबल मेडिकल कॉलेज हो गए। दो लाख के करीब आयुष्मान मंदिर बन गए हेल्थ केयर के लिए। तो ऐसी समाज जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो काम करना चाहिए उसका अच्छा...। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हो, एक प्रकार से मैं उसको फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर से ज्यादा सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा मानता हूं क्योंकि उसको आवश्यकता है। दूसरा है फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर अब फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में पहले तो ये था कि गांव वालों को अच्छा लगे, चुनाव जीत जाएं, इसलिए यार टार का एक छोटा सा बना दो पट्टी। मैंने कहा मैं ऐसा काम नहीं करूंगा। मैं ग्लोबल स्टैंडर्ड के साथ मैच करना चाहता हूं। आजकल मेरे यहां कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनते हैं तो उसमें ग्लोबल स्टैंडर्ड क्या है उसको मैच करने में हम कितना दूर है, आगे जा सकते हैं। मैं जानता हूं मेरी बुलेट ट्रेन की कल्पना को आज भी लोग गालियां देते हैं। लेकिन वो माइंडसेट बदलने के लिए बहुत जरूरी है। माइंडसेट तब बदलता है जी। हमने अब तक वो लाल कलर की रेलवे देखी जिंदगीभर और कभी विचार ही नहीं आए। आज वंदे भारत ट्रेन ने सोचने का तरीका बदल दिया। उसको रेलवे अपनी प्यारी लगने लगी। तो बदलाव हर एक को पसंद है। जहां तक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का सवाल है पूरी दुनिया उसके लिए बड़ी अचरज है। मैं जी 20 की मीटिंग में इंडोनेशिया गया था। ऑलमोस्ट ऑल कंट्री मुझे कह रहे थे साब ये कैसे हुआ है। क्योंकि उनको लगता है ये बड़ा रिवोल्यूशन है। तो उन्होंने बड़ा आग्रह किया कि आपके यहां जब जी 20 होगी तब हम इस विषय को जरा और गंभीरता से लेना चाहते हैं। तो आपने देखा होगा जी 20 समिट में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर स्पेशल बल दिया गया है। आप अगर इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाते हैं तो अडॉप्टबिलिटी में कोई प्रॉब्लम नहीं होता है। जैसे यूपीआई प्लेटफॉर्म मैंने बनाया। आज दुनिया में जितना फिनटेक में काम होता है उससे करीब 60 परसेंट अकेले हिंदुस्तान में होता है रियल टाइम। अब कोई भी व्यक्ति तय करता है मैं जेब में एक भी पैसे लिए बिना निकलूंगा, महीने भर टूर करके आऊंगा, उसको कोई तकलीफ ही नहीं है, उसका मोबाइल फोन चाहिए बस, उसका काम हो जाता है। छोटे-छोटे रेहड़ी पटरी वाले लोग वे भी और मैंने देखा दुनिया के जितने मेहमान आते हैं तो उनकी एंबेसी वाले वो ऐसे रेहड़ी-पटरी वाले के पास ले जाते हैं और उसे दिखाते हैं जादू। देखो ये सब्जी बेचने वाला डिजिटल पेमेंट करता है। तो उनको बड़ा अचरज होता है। अब दुनिया के कई देशों में अब जैसे यूएई में हमारा यूपीआई चल रहा है, जो हमारे करीब 25-30 लाख लोग वहां काम करते हैं, उनको जो रेमिटेंस भेजना होता है। पहले काफी कुछ उनको आर्थिक बोझ होता था, बैंकों के थ्रू जाना, कमीशन देते-देते पहुंचना। अभी वो यूपीआई से भेजता है पैसा, जितना पैसा भेजता है उतना ही पैसा अपने घर पहुंच जाता है, उसको किसी को चार्ज नहीं देना पड़ता है। इकोनॉमिकली बहुत बड़ा वाइवल बन गया। तो उसी प्रकार से मेरा जो आयुष आरोग्य मंदिर की कल्पना है। आयुष आरोग्य मंदिर वहां मैं टेलीमेडिसिन पर बहुत तेजी से काम कर रहा हूं। उसमें जाने वाले व्यक्ति को टॉप मोस्ट डॉक्टर का कंसल्टेशन मिल रहा है। 2 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर जिसमें टेलीमेडिसिन की व्यवस्था। तो उसको लाभ मिल रहा है। कोविड के समय सबसे बड़ा फायदा हुआ इस डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का। बच्चे घरों में थे तो ऑनलाइन एजुकेशन के लिए मैंने मैक्सिमम इसका उपयोग किया। उसको मैंने प्रायोरिटी दी, यानी मैंने कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए, स्टार्टअप की दुनिया उसके मूल में है। अभी मैं गेमिंग के वाले बच्चों को मिला। मैं चाहता था गेमिंग को समझना क्योंकि गेमिंग का सबसे बड़ा मार्केट भारत में है। लेकिन ओनरशिप हमारी नहीं है। और मैं सोचता हूं यार मेरा पैसा बाहर क्यों जाना चाहिए। तो मैं सब गेमिंग के एक्सपर्ट लड़के उनको बुलाया था। काफी समझा मैं खुद भी गेमिंग के ऊपर हाथ आजमाया। और मैंने समझा कि भाई, और उन्होंने एक बड़ी इंटरेस्टिंग बात बताई, साब हम दुनिया में खेलने के लिए जाते हैं तो दुनिया को जब हम कहते हैं कि हमारे यहां डेटा इतना सस्ता है तो बोले सरप्राइज करते हैं। तो मुझे समझ आया कि भारत का डेटा सस्ता होना वो सिर्फ दुनिया को बताने के लिए नहीं कि देखो भई ये कितना बड़ा गेम चेंजर होता है और फिर से मैं अभी टीम लगाई हुई है कि गेमिंग की पूरी इंडस्ट्री, जब मैं सस्ता डेटा देता हूं तो मैं गेमिंग को एक कंस्ट्रक्टिव-वे में कैसे कमर्शियल एंड कंस्ट्रक्टिव ऐसा उसको कैसे रूप दे सकते है। मैं काफी काम कर रहा हूं।

एंकर- प्रधानमंत्री जी आपके कार्यकाल में एक और नई चीज दिखती है पड़ोसी मुल्क में बड़ी शांति है। आप अचानक लाहौर चले गए और अभी हाल में आपने ये और कह दिया कि हां तो क्या हुआ ये तो मेरे देश का हिस्सा था। वहां तो सनसनी फैल गई।

पीएम मोदी- ऐसा है कि हमें इतिहास को भूलना नहीं चाहिए और कभी-कभार क्या होता है इतने या तो एकदम 5000 साल पहले की बात करेंगे। मेरे देश में ऐसा था और मेरे देश में वैसा था, हम सोने की चिड़िया थे, हम डिगना थे, फलाने थे। और उसको कल का पूछो तो पता नहीं होता है। क्या हुआ था भई, क्या कारण था, इतना बड़ा देश आजादी के बाद एक छोटी सी लड़ाई में आधा कश्मीर चला गया। ये कैसी सोच थी, क्या कमी थी हमारे देश में। मेरे दिमाग में अभी भी नहीं बैठता है। बंटवारा हुआ चलो भाई... मजबूरी...जो भी हुआ वह इतिहास...जिसका गुनाह... देना है सजा। लेकिन बंटवारा होने के बाद एक लड़ाई होती है और लड़ाई में आपका आधा कश्मीर चला जाता है। ये दिमाग में नहीं बैठता। तो ऐसे कई सवाल देश में हैं। और इसलिए जब 1857 स्वातंत्र्य संग्राम के शायद सवा सौ साल हुए या डेढ़ सौ साल हुए हैं। तो मैं कहीं मेरा लेक्चर था, उसमें मैंने कहा था कि 1857 के संघर्ष को बांग्लादेश, हिंदुस्तान और पाकिस्तान तीनों ने मिलकर सेलिब्रेट करना चाहिए। क्योंकि वो तो साझी लड़ाई थी भाई। वो साझी लड़ाई याद करोगे तो पता चलेगा ना कभी हम एक थे। तो आपने अपनी आने वाली पीढ़ी को आप क्या थे, कहां थे, कैसा हुआ बताने में संकोच क्यों करना चाहिए। तो नई गलतियां नहीं होंगी, जिन गलतियों के कारण ये दुर्दशा हुई आगे से हम जागृत रहेंगे कि भई इससे बचो।

एंकर- सर, आपके पिछले 10 सालों के कार्यकाल में देश ने कई सारी कामयाब आं देखी हैं लेकिन आपको क्या लगता है कि आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है अगर कोई एक उपलब्धि की हम बात करें तो।

पीएम मोदी- ऐसा है कि जो व्यक्ति काम करता है, थोड़ा कंपैरेटिव देखना पड़ता है। 2013-14 का कालखंड देखिए, चारों तरफ निराशा की गर्त में देश डूबा हुआ था। अब कुछ हो नहीं सकता, हेडलाइन रहती थी, आज इतने लाख का घोटाला, आज इतने लाख का घोटाला। छोड़ो यार अब क्या होगा पता नहीं, चलो भाई। चलती है चलें, हमें क्या लेना, अपन कर लो, ये भाषा सुनाई देती थी। निराशा की गर्त में डूबा हुआ जनमन आज विश्वास से भरा हुआ है। और कहता है ये हम करके रहेंगे। चंद्र और शिवशक्ति प्वाइंट मेरे देश का है। मेरे देश का वैक्सीन है मैं लगवाऊंगा, ये जज्बा जो है ना, आत्मविश्वास पैदा हुआ है। आकांक्षाओं का उबाल, एक प्रकार से तूफान आया हुआ है। ये सारी चीजें हैं जो बदलाव ला रही हैं। इससे बड़ी सिद्धि क्या होती है। इन चीजों का आप किसी नापने का यंत्र नहीं है कि आप नाप सकते हैं लेकिन इसका कुमुलेटिव इफेक्ट बड़ा जबरदस्त होता है। बहुत बड़ा जबरदस्त होता है।

एंकर- पिछले 30-40 साल की राजनीति में खासकर ऐसा पहली बार हुआ कि पूरा विपक्ष एकजुट हो गया कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी भी तरीके से सत्ता से बाहर रखना है। लेकिन उसके बाद भी ग्राउंड जीरो पर जो रियलिटी है वह सब देख रहे हैं, समझ रहे हैं। क्या इसके पीछे की वजह आपको नजर आती है और जो इंडिया गठबंधन जिसको आप इंडी गठबंधन कहते हैं, उसमें कमी कहां रह गई, उसकी कमजोरी क्या आपको नजर आती है। अब तो चुनाव लगभग खतम हो गया।

पीएम मोदी- मैंने सुना है कि वो अपनी कमजोरियों की डिस्कशन करने के लिए बैठने वाले हैं। मैं इसे अच्छा मानता हूं कि कम से कम वो बैठ करके अपनी कमजोरियों पर नतीजे के भी पहले ही बैठने वाले हैं कमजोरियों पर चर्चा करने के लिए। लोकतंत्र में तो वे आत्म निरीक्षण करते उनकी कमियां क्या है, ढूंढते तो अच्छी चीज है। उनकी कमियां हमारे ध्यान में आएगी तो हम भी देखेंगे कि भविष्य में ये कमी हमारे यहां ना आ जाए।

एंकर- आपके हिसाब से कहां कमी रह गई, विपक्ष में अवसरवादिता थी, राजनीतिक विचारधारा की समानता की कमी थी।

पीएम मोदी- देखिए इंडी अलायंस के जो लोग हैं। इनमें तीन कैरेक्टर, उनके डीएनए में तीन चीजें कॉमन है। एक है ये घोर सांप्रदायिक हैं। दूसरा ये घोर जातिवादी हैं। तीसरा ये घोर परिवारवादी हैं। ये इनके डीएनए में है। अब उनको समझ नहीं आ रहा है कि देश की जो नई जनरेशन है, वो आजादी के बाद पैदा हुई जो जनरेशन है उसकी सोच अलग है। और वो बहुत बड़ा फोर्स है। वो इन चीजों से बाहर निकल चुका है। वो एक ऐसा हिंदुस्तान चाहता है जो सशक्त हो, सामर्थ्यवान हो, वो इस प्रकार की भाषा सुनने को भी तैयार नहीं है। लेकिन अभी ये घिसी-पिटी चीजें चल रही है। मैं समझता हूं कि वे कालबाह्य हो चुके हैं।

एंकर- आपने अभी पुरी के रोड शो में हमें वक्त दिया था। उस दिन आपने इस्तेमाल किया था कि आप न्यूज नेशन वाले हैं तो हम भी नेशन फर्स्ट वाले हैं। ये नेशन लास्ट जो होता था ये फर्स्ट 10 साल में इतना आ गया।

पीएम मोदी- ये हमारा कमिटमेंट है नेशन फर्स्ट। और हम चाहते हैं कि हम कोई भी निर्णय करें राष्ट्र प्रथम की धारणा से करेंगे। हमारे लिए दल से बड़ा देश है। और इसलिए हम जो कुछ भी करेंगे देश को प्राथमिकता देते हुई करेंगे। सर्वोत्कृष्ट प्राथमिकता हमारे लिए देश होगा बाकी सब बाद में होगा। और निर्णय तब होते हैं सही। क्योंकि वो नीयत से जुड़ा हुआ मामला है और जब नीयत सही होते है तो नतीजे भी सही आते हैं।

एंकर- आपके परम मित्र स्वर्गीय सुधीर फड़के जी। उनका एक गीत आपका बहुत पसंदीदा गीत है। ज्योति कलश छलके, हुए गुलाबी रंग सुनहले, रंग दल बादल के, ज्योति कलश छलके। अगले कार्यकाल में ये ज्योति के कलश भरपूर छलके। भारत की उषा, भारत की रोशनी पूरी दुनिया में जाए। हमारा जो विश्व गुरु का सपना है काफी हद तक हमने उस पर विजय पाई है। हम पूरी विजय पाए। हमारी इसी आकांक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

पीएम मोदी- मेरा भी न्यूज नेशन के सभी दर्शकों को, सबको नमस्कार और मैं तो मानता हूं कि जितना कीचड़ उछलता है उतना ही कमल खिलता है। और जितनी रोशनी तेज होती है उतना ही कमल बहुत ज्यादा बड़ा होता है। तो ये दोनों मुझे सहज रूप से उपलब्ध हो रही है।

एंकर- बहुत बहुत धन्यवाद।

पीएम मोदी- धन्यवाद भैया, नमस्कार।

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The next 25 years will be dedicated to achieving a prosperous and Viksit Bharat: PM
January 31, 2025
Government is moving forward in mission mode towards comprehensive development, be it geographically, socially, or economically: PM
PM highlights the importance of reform, perform, and transform in achieving rapid development
State and Central governments must work together to perform, public participation will lead to transformation: PM
The next 25 years will be dedicated to achieving a prosperous and developed India: PM

Friends,

Today, at the beginning of the budget session, I bow to Goddess Lakshmi, the goddess of prosperity. And on such occasions, for centuries, we have been remembering the virtues of Goddess Lakshmi:

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि। मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।

Maa Lakshmi gives us success and wisdom, prosperity and well-being. I pray to Maa Lakshmi that every poor and middle class community of the country should be blessed with the special blessings of Maa Lakshmi.

Friends,

Our Republic has completed 75 years, and this is a matter of great pride for every citizen of the country, and this strength of India also creates a special place for itself in the democratic world.

Friends,

The people of the country have given me this responsibility for the third time, and this is the first full budget of this third term, and I can confidently say that in 2047 when the country will celebrate 100 years of independence, the resolution of a developed India that the country has taken, this budget session, this budget will create a new confidence, will give a new energy, that when the country celebrates 100 years of independence, it will be developed. 140 crore countrymen will fulfill this resolution with their collective efforts. In the third term, we are moving ahead in mission mode towards all-round development of the country, whether it is geographically, socially or in the context of different economic levels. We are moving ahead in mission mode with the resolution of all-round development. Innovation, inclusion and investment have constantly been the basis of the roadmap of our economic activity.

As always, this session will have many historic days. Tomorrow there will be discussions in the House and after a lot of deliberation, laws will be made that will increase the strength of the nation. Especially, to re-establish the pride of Nari Shakti, to ensure that every woman gets a respectable life without any discrimination of caste and creed and gets equal rights, many important decisions will be taken in this session in that direction. Reform, Perform and Transform. When we have to achieve a fast pace of development, the maximum emphasis is on reform. The state and central governments have to perform together and we can see transformation with public participation.

Ours is a young country, a youthful power and the youth who are 20-25 years old today, when they turn 45-50 years old, they will be the biggest beneficiaries of a developed India. They will be at that stage of their life, they will be sitting in that position in the policy making system, that they will proudly move forward with a developed India in the century that will begin after independence. And hence this effort to fulfill the resolution of a developed India, this immense hard work, is going to be a great gift for our teenagers, our young generation today.

Those who had joined the freedom struggle in 1930, 1942, the young generation of the entire country was spent in the freedom struggle, and its fruits were reaped by the generation that came after 25 years. The youth who were in that war got those benefits. Those 25 years before independence became an opportunity to celebrate independence. Similarly, these 25 years are the intention of the countrymen to achieve a prosperous and developed India through their resolve and reach the pinnacle through their achievements. And therefore, in this budget session, all the MPs will contribute towards strengthening developed India. Especially, it is a golden opportunity for the young MPs because the more awareness and participation they will have in the House today, the more fruits of developed India they will see right in front of their eyes. And therefore, it is a priceless opportunity for the young MPs.

Friends,

I hope that we will live up to the hopes and aspirations of the country in this Budget session.

Friends,

Today you must have noticed one thing, people in the media should definitely notice it. Perhaps since 2014, this is the first session of Parliament in which there has been no foreign spark a day or two before the session, there has been no attempt to ignite a fire from abroad. I have been observing for 10 years, since 2014, that before every session people used to sit ready to create mischief, and here there is no dearth of people who fan it. This is the first session I am seeing after the last 10 years in which there was no spark from any foreign corner.

Thank you very much, friends.