Congratulations to H.E. Joao Manuel Goncalves Lourenco @jlprdeangola on being re-elected as the President of Angola. I look forward to working closely together for strengthening our bilateral relations.
हमारे धर्म का रहस्य...
क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे? और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
*यह है सही कारण।*
तुमने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......
इसलिए श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है। घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
🏵सनातन धर्म🏵 पर उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ। जब आपके विज्ञान का (वि) भी नही था तब हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...?
अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये।
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सनातन धर्म संस्कृति को जीवित रखने वाले महाराज भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाला असली राजा कौन था ?
कौन था वह राजा जिसके राजगद्दी पर बैठने के बाद उनके श्रीमुख से देववाणी ही निकलती थी और देववाणी से ही न्याय होता था ?
कौन था वह राजा जिसके राज्य में अधर्म का संपूर्ण नाश हो गया था ?
*महाराजा वीर विक्रमादित्य*
बड़े ही दुख की बात है कि महाराजा विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है। जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था और स्वर्णिम काल लाया था।
उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन।
उनके तीन संताने थी, सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती, उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य... बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी, जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द, आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए।फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली।
आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है।
सम्राट अशोक ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था।
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और अन्य हो गए थे।
रामायण और महाभारत जैसे धर्म ग्रन्थ खो गए थे, महाराजा विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया।
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया। विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने "अभिज्ञान शाकुन्तलम्" लिखा। जिसमे भारत का इतिहास है। अन्यथा भारत का इतिहास क्या हम भगवान् श्री कृष्ण और प्रभु श्री राम को भी खो चुके थे। हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे।
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए, राज पाठ अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया। वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है।
महाराजा विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया, उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है।
विक्रमादित्य के काल में भारत का कपडा विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे।
भारत में इतना सोना आ गया था कि विक्रमादित्य काल में सोने के सिक्के चलते थे।
कैलंडर जो विक्रम संवत लिखा जाता है वह भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है।
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे हिन्दी सम्वंत, वार, तिथियां, राशि, नक्षत्र, गोचर आदि वह उन्ही के काल की रचना है। वे बहुत ही पराक्रमी, बलशाली और बुद्धिमान राजा थे।
कहा जाता है कि कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे।
विक्रमादित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे। न्याय और राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था। विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनी थी और धर्म पर चलने वाली थी।
बड़े दुःख की बात है कि भारत के सबसे महानतम राजा विक्रमादित्य के बारे में हमारे स्कूल कालेजों मे कोई स्थान नही है। देश को अकबर, बाबर, औरंगजेब जैसै खूनी दरिन्दो का इतिहास पढाया जा रहा है।
ऐसे महान सम्राट को कोटि-कोटि नमन।
Text of PM’s interaction with the students and train loco pilots during the ride in NAMO Bharat Train from Sahibabad RRTS Station to New Ashok Nagar RRTS Station
January 05, 2025
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The amazing talent of my young friends filled me with new energy: PM
Prime Minister: So, you are an artist as well?
Student: Sir, this is your poem.
Prime Minister: Ah, so you’ll recite my poem?
Student:
"अपने मन में एक लक्ष्य लिए, मंज़िल अपनी प्रत्यक्ष लिए
हम तोड़ रहे हैं जंजीरें, हम बदल रहे हैं तकदीरें
ये नवयुग है, ये नव भारत, हम खुद लिखेंगे अपनी तकदीर
हम बदल रहे हैं तस्वीर, खुद लिखेंगे अपनी तकदीर
हम निकल पड़े हैं प्रण करके, तन-मन अपना अर्पण करके
जिद है, जिद है एक सूर्य उगाना है, अम्बर से ऊँचा जाना है
एक भारत नया बनाना है, अम्बर से ऊँचा जाना है, एक भारत नया बनाना है।"
(With a goal in mind, with the destination in sight, We are breaking chains, we are changing destinies. This is a new era, this is a new India, we will write our own destiny. We are changing the image, we will write our own destiny. We have set out with a pledge, having dedicated our body and mind. I am determined, I am determined to start a new beginning, I must go higher than the sky. We have to build a new India, We must rise above the sky, We have to build a new India).
Prime Minister: Wow.
Prime Minister: What is your name?
Student: (Not clear.)
Prime Minister: Great! So, did you get your house? Progress is being made with the new house—well done!
Student: (Not clear.)
Prime Minister: Wow, that’s great.
Prime Minister: UPI…
Student: Yes, Sir. Today, every home has UPI because of you.
Prime Minister: Do you make this yourself?
Student: Yes.
Prime Minister: What is your name?
Student: Aarna Chauhan.
Prime Minister: Yes.
Student: I also wish to recite a poem for you.
Prime Minister: I would love for you to recite a poem. Please go ahead.
Student: "नरेन्द्र मोदी एक नाम है, जो मीत का नई उड़ान है,
आप लगे हो देश को उड़ाने के लिए, हम भी आपके साथ हैं देश को बढ़ाने के लिए।"
(Narendra Modi is a name, a new horizon for my friend. While you strive to elevate the country, We stand with you to contribute to its growth).
Prime Minister: Well done.
Prime Minister: Have you all completed your training?
Metro Loco Pilot: Yes, Sir.
Prime Minister: Are you managing well?
Metro Loco Pilot: Yes, Sir.
Prime Minister: Are you satisfied with this work?
Metro Loco Pilot: Yes, Sir. Sir, we are India's first (unclear)... We are immensely proud of it. We feel very good, Sir.
Prime Minister: You all must need to focus a lot; there’s probably no time for casual chit-chatting?
Metro Loco Pilot: No, Sir, we don’t have time for anything like that... (unclear) nothing of that sort happens.
Prime Minister: Nothing happens?
Metro Loco Pilot: Yes, Sir.
Prime Minister: Alright, best wishes to all of you.
Metro Loco Pilot: Thank you, Sir.
Metro Loco Pilot: We are all very happy to have met you, Sir.