World Culture Festival‬ is a Kumbh Mela of culture: PM Modi

Published By : Admin | March 11, 2016 | 20:02 IST
QuotePM Modi attends the inauguration of the World Culture Festival
QuoteIndia is so diverse and it has so much to contribute to the world: PM
QuoteI congratulate Sri Sri Ravi Shankar for spreading his message to various countries and representing Indian culture on a world stage: PM
QuoteThis is a Kumbh Mela of culture: PM

 परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी ....सभी वरिष्ठ महानुभाव ,

मैं भारत की धरती पर आप सबका हृदय से स्‍वागत करता हूं। भारत इतनी विविधताओं से भरा हुआ है, विश्‍व को देने के लिए भारत के पास क्‍या कुछ नहीं है। दुनिया सिर्फ आर्थिक हितों से ही जुड़ी हुई है ऐसा नहीं है, दुनिया मानवीय मूल्‍यों से भी जुड़ सकती है और जोड़ा जा सकता है और जोड़ना चाहिए भी।

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भारत के पास वो सांस्‍कृतिक विरासत है, वो सांस्‍कृतिक अधिष्‍ठान है जिसकी तलाश दुनिया को है। हम दुनिया की उन आवश्‍यकताओं को कुछ न कुछ मात्रा में, किसी न किसी रूप में हम परिपूर्ण कर सकते है। लेकिन ये तब हो सकता है जब हमें हमारी इस महान विरासत पर गर्व हो, अभिमान हो।

अगर हम ही अपने आप को कोसते रहेंगे , हमारी हर चीज की हम बुराई करते रहेगे तो दुनिया हमारी ओर क्‍यों देखेगी?

मैं श्रीमान श्री श्री रविशंकर जी का इस बात के लिए अभिनंदन करता हूं कि 35 साल से छोटे से कार्यकाल का ये मिशन दुनिया के 150 से ज्‍यादा देशों में इसी ताकत के भरोसे अब फैल चुका है, उन देशों को अपना कर चुका है। आर्ट ऑफ लिविंग के माध्‍यम से विश्‍व को भारत की एक अलग पहचान कराने में इस कार्य ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।

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मैं अभी कुछ समय पहले जब मंगोलिया गया था। मैं हैरान था मंगोलिया में एक एस्‍टेडियम में आर्ट ऑफ लिविंग के सभी बंधुओं के द्वारा मेरा reception रखा गया था। उसमें भारतीय तो बहुत कम थे। पूरा स्‍टेडियम मंगोलियन नागरिकों से भरा हुआ था और उन्‍होंने भारत का तिरंगा झंडा हाथ में लेकर के जिस प्रकार से भारतीय संस्‍कृति का परिचय करवाया, यह अपने आप में बहुत ही प्रेरक था। जहां पर राजशक्‍ति और राजसत्‍ता की पहुंच नहीं होती है, ऐसे स्‍थानों पर भी अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों में soft power एक बहुत बड़ी अहम भूमिका अदा करता है।

आज हम एक ऐसे कुंभ मेले का दर्शन कर रहे हैं। यह कला का कुंभ मेला है। भारत के पास ऐसी समृद्धि थी कि यहां कला पूर्णतया विकसित हुई थी। यह धरती ऐसी है जहां हर पहर का संगीत अलग है। सुबह का संगीत अलग है तो शाम का अलग है और इसलिए बाजार में संगीत की दुनिया को खोजने जाएंगे, तन को डुलाने वाले संगीत से तो बाजार भरा पड़ा है लेकिन मन को डुलाने वाला संगीत तो हिन्‍दुस्‍तान में भरा है और दुनिया अब मन को डुलाना चाहती है और यही संगीत की साधना है जो दुनिया के मन को डुला सकती है।

जब कला के द्वारा किसी देश को देखा जाता है तो इस देश की अंतर्भूत ताकत को पहचाना जाता है। आज विश्‍व भारत की कला की शक्‍ति और कला साधना सदियों से करते आए हुए लोग आज विश्‍व को एक अनमोल भेंट दे रहे हैं। ऐसे अवसर पर यह समारोह प्रकृति ने भी कसौटी करी लेकिन यही तो आर्ट ऑफ लिविंग है। सुविधा और सरलता के बीच जीने के लिए जी सकते हैं, उसमें आर्ट नहीं होती है। जब अपने इरादे को लेकर के चलते है तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। जब अपने सपनों को लेकर के चलते है तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। जब संकटों से जूझते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। जब अपने लिए नहीं औरों के लिए जीते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। जब स्‍व से समस्‍ति की यात्रा करते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए। जब मैं से छूटकर के हम की ओर चलते हैं तब आर्ट ऑफ लिविंग चाहिए।

हम वो लोग जो अहम् ब्रह्मास्मि से शुरू करते हैं और वसुधैव कुटुम्‍बकम की यात्रा करते हैं यह आर्ट ऑफ लिविंग है। हम वो लोग है जिन्होंने उपनिषद से उपग्रह तक की यात्राएं की हैं और यही जीवन जीने की कला हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने, ज्ञानियों ने, तपस्‍वियों ने हमें विरासत में दी है। संकटों से जूझ रहा मानव, व्‍यक्‍तिगत जीवन में समस्‍याओं से जूझ रहा मानव... भारत की पारिवारिक समस्‍या, परिवार family, यह ऐसी धरोहर हमारी दुनिया जब जानती है उसको अचरज होता है। हमने यह कला सीखी है, सदियों से सीखी है। लेकिन अगर उसमें खरोच आ रही है तो उसको फिर से ठीक-ठाक करने की आवश्‍यकता है |

मैं श्री श्री रविशंकर जी के माध्‍यम से यह जो काम चल रहा है इसका अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और सभी कलाकारों को, सभी साधकों को, सभी आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यकर्ताओं को इस भव्‍य समारोह के द्वारा भारत की विशिष्‍ट छवि विश्‍व के सामने पहुंचाने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं|

धन्‍यवाद।

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