आदरणीय श्री राजनाथ सिंह जी, गोवा के लोकप्रिय यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमान मनोहर पार्रिकर जी, यहां के उपमुख्य मंत्री श्रीमान डिसुजा जी, श्री विनय तेंदुलकर जी, स्मृति ईरानी जी, श्रीपाद नाईक जी, वी. सतीश जी, लक्ष्मीकांत पार्सेकर जी, मंच पर विराजमान अन्य सभी मंत्री परिषद के साथी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश के पदाधिकारी, सभी विधायक बन्धु और भारी संख्या में उपस्थित हुई जनता-जर्नादन का सादर अभिनंदन और मेरा नमस्कार..!
(स्थानीय भाषा में भाषण का कुछ अंश)
भाईयों-बहनों, इस देश में अमूमन टीवी और मीडिया का ध्यान गोवा की तरफ जाता नहीं है, अगर कोई दुर्घटना हो जाएं, तो गोवा की खबर देखने-सुनने को मिलती है, लेकिन सादगी, शुचिता और गोवा के विकास के लिए पूर्णत: समर्पण होना कोई छोटी बात नहीं है। मैं आप सभी को बधाई देता हूं कि आपने ऐसी सरकार चुनी है, मनोहर पार्रिकर जैसे नेता को चुना है और इसके लिए गोवा के नागरिक लाख-लाख बधाई के पात्र हैं..! मुझे पता चला कि इस रैली में आने के लिए पांच रूपया शुल्क रखा गया है। मैं पार्टी के अध्यक्ष और मनोहर पार्रिकर जी का इस बात के लिए आदर करता हूं कि उन्होने पांच-पांच रूपया करके एकत्र की गई रकम को उस इमारत के हादसे में मारे गए लोगों के परिवारीजनों को समर्पित करने का निर्णय किया और इस पुण्य कार्य में मुझे भी शरीक किया..! समाज के प्रति संवेदना ऐसी होनी चाहिए..! जब इमारत वाला हादसा हुआ, उस समय मैने टीवी पर देखा कि मनोहर पार्रिकर जी खुद मैदान में खड़े रहकर, एक इंजीनियर के नाते उनके पास जो कौशल है उसका प्रत्यक्ष उपयोग करते हुए काम में जुट गए थे। मित्रों, ये भारतीय जनता पार्टी का चरित्र है और भारतीय जनता पार्टी के संस्कार हैं। हम लोगों को पार्टी ने इस प्रकार से तैयार किया है, हम लोगों को इस प्रकार सिखाया गया है कि जनता के दुख में दुखी और सुख में सुखी हों। इसी बात को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने एक पार्टी के रूप में विशिष्टे छवि बनाई है और एक सरकार के रूप में भी विकास की दृष्टि से अमिट छाप छोड़ी है। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि स्पेर्धा के इस युग में जब राजनीति में लेना-पाना और बनना प्रमुख हो गया है, ये कांग्रेसी कल्चर की जड़ें इतनी जमी हुई हैं, ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी जैसा एक दल हो, जो मनोहर पार्रिकर जी जैसे सामान्य परिवार के और मुझ जैसे अत्यंत गरीब परिवार के व्यक्ति को नेता के रूप में पसंद करता है, उनको कार्यभार देता है..! कुछ लोगों को ये दिखाई दे या न दें, लेकिन मैं ये बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि अगर भारतीय जनता पार्टी जैसा संगठन न होता, भारतीय जनता पार्टी जैसा चरित्र और कार्यशैली न होती, भारतीय जनता पार्टी जैसा नेतृत्व न होता, तो आज रेल के डिब्बे् में चाय बेचने वाला बच्चा आपके सामने खड़ा न होता..! सोचिए, कि पार्टी की सोच और ताकत क्या होगी, कि गरीब परिवार से एक बच्चे को उठाकर उसे तैयार करें, उसको सामर्थ्यवान बनाएं और देश की सेवा के लिए उसे अपना नेता बनाएं..! मित्रों, ये इस पार्टी की ताकत है। आप हमारे शिवराज सिंह जी को देख लीजिए, रमन सिंह जी को देख लीजिए, हिमाचल प्रदेश में हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री रह चुके धूमल जी को देख लीजिए... सामान्यजीवन जीने वाले परिवारों के बच्चें, निष्ठां, पवित्रता और समर्पण के साथ मातृभूमि की सेवा में लगे हैं..!
आज जब पूरे देश में स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती का समारोह हो रहा है, पूरे देश में अनेकविध कार्यक्रम चल रहे हैं, ऐसे में गोवा में इतना बड़ा समारंभ इस बात का जीता-जागता सबूत है कि हिंदुस्तान के सामान्य व्यक्ति ने मन बना लिया है और फैसला कर लिया है। देश की जनता ने कांग्रेस पार्टी को सदा-सर्वदा से निकालने का मन बना लिया है। कांग्रेस मुक्त भारत, ये सिर्फ भाजपा का नारा नहीं है बल्कि यह जन-जन का संकल्प है। कश्मीर से कन्याकुमारी और अटक से कटक तक हिंदुस्तान ने, यहां के कोटि-कोटि जनों ने कांग्रेस मुक्त भारत का संकल्प ले लिया है। और जब मैं कहता हूं कि कांग्रेस मुक्त भारत, तो इसका अर्थ सिर्फ कांग्रेस नाम के एक संगठन से नहीं, कांग्रेस पार्टी के नेताओं से नहीं, बल्कि एक कल्चर से है यानि कांग्रेस एक कल्चर बन गया है, कांग्रेस एक विकृत व्यवस्था बन गई है, और 60 साल में भिन्न -भिन्न रूप में, भिन्न-भिन्न दलों के माध्यंम से, भिन्न-भिन्न नेताओं के माध्यम से वह विकृतियां भारत की रगो में फैल चुकी हैं। मैं जब कांग्रेस मुक्त भारत की बात करता हूं तो भारत को उन बीमारियों से मुक्त करने की बात करता हूं, उन रोगों से मुक्त करने की बात करता हूं। परिवारवाद की बीमारी हो, जातिवाद की बीमारी हो, सम्प्रदायवाद की बीमारी हो, प्रादेशिकवाद की बीमारी हो, ऊंच-नीच की बीमारी हो, सम्प्रदायवाद का ज़हर हो, गरीबी की बीमारी हो, बेरोजगारी की बीमारी हो, इन सारी बीमारियों से मुक्ति का मतलब है, कांग्रेस मुक्त भारत..! ये बीमारियों की जड़ें कांग्रेस के नाम से जानी जाती हैं। दुराचार, भ्रष्टाचार ये सब कांग्रेस की आदत है और इन्हे इसकी शर्म ही नहीं है, ये भ्रष्टाचार को लेकर बेशर्म है, लोग मर जाएं लेकिन इन्हे अनाप-शनाप बयान देते हुए संकोच नहीं होता है, अगर इनकी यही प्रकृति और प्रवृति रहेगी तो सवा सौ करोड़ देशवासियों का क्या होगा..! यहां उपस्थिति नौजवानों से मैं सवाल पूछता हूं क्या आप सभी जबाव देगें..? आपके माता-पिता को जिस प्रकार का जीवन जीना पड़ा, क्या आप वैसा जीवन जीना चाहते हैं..? आपके मां-बाप को जिन मुसीबतों को झेलना पड़ा, क्या आप उन मुसीबतों को झेलना चाहते हैं..? आपके मां-बाप को आपको बड़ा करके रोजगार दिलाने के लिए जो मेहनत करनी पड़ रही है, अपमान झेलना पड़ रहा है, क्या आप ऐसी जिन्दगी स्वीकार करते हो..? मित्रों, ये मुसीबते देने वाले कौन थे, वो कौन लोग थे, जिन्होने आपके लिए से परिस्थितियां पैदा की..? क्या, ऐसे लोगों को सज़ा देनी चाहिए या नहीं..? क्या ऐसे लोगों को हमेशा-हमेशा के लिए हिंदुस्तान की राजनीति से उखाड़ फेंकना चाहिए या नहीं..?
भाईयों-बहनों, आप राजीव गांधी को याद करिए, वो पूरा समय कहते रहते थे कि 21 वीं सदी आ रही है, 21 वीं सदी आ रही है... कितना बोल रहे थे..! उस दौरान तो टीवी नए-नए आए थे, चारों तरफ 21 वीं सदी आ रही है की धूम मची हुई थी..! लेकिन मित्रों, क्या 21 वीं सदी के अनुकूल इस देश को तैयार किया गया..? क्या कोई भी एक ऐसी कोशिश की गई, जिससे हमें लगे कि हां, हम 21 वीं सदी में पैर रख रहे हैं..? आखिर उन्होने क्यां किया..? मित्रों, मैं उस इतिहास को दोहराना नहीं चाहता हूं, लेकिन पूरी 20 वीं सदी में आजादी के 50 साल के कालखंड को बर्बाद कर दिया गया। देश को आशा थी कि कोई पढ़े-लिखे महाशय आएंगे, राजनीति के कल्चर से बाहर के कोई व्यक्ति आंएगे, कांग्रेस की बुराईयों से जिनकी आदत न बिगड़ी हो, ऐसे व्यक्ति आएंगे और देश को उम्मीद थी कि शायद देश का भला होगा। लेकिन अगर 10 साल का लेखा-जोखा लिया जाएं तो हिंदुस्तान के आजाद होने के बाद इतने बुरे दिन पहले कभी नहीं आएं, जितने इन दस सालों में देश को देखने पड़े हैं..! सारे इंस्टीट्यूशन्स, सारी संवैधानिक संस्थाओं को बेकार बना दिया गया। सत्ता एक ऐसी जगह पर केन्द्रित हो गई, जहां जबावदेही नहीं थी। लोकतंत्र में ऐसी स्थितियां नहीं चल सकती हैं..!
लोग मुझे पूछते हैं कि कांग्रेस ने तो बर्बाद किया है, मोदी जी आप क्या करेगें..? हम इन बुराईयों को मिटाने का काम सबसे पहले करेगें, संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा बढाएंगें। मंत्री हो, प्रधानमंत्री हो, उनका कार्यालय हो, हम उन सभी के डिसेंट्रलाइजेशन में विश्वास करते हैं, विकेन्द्रीकरण में विश्वास करते हैं। लोगों को अवसर दिया जाए, जबादेही तय हो, तभी तो प्रगति होगी..! आज आपके गोवा में इतनी ज्यादा बेराजगारी क्यों आई..? सारी अर्थव्येवस्था क्यों चरमरा गई..? यहां के जीवन में माईनिंग का बहुत बड़ा महत्व है, नौजवानों को रोजगार देने के अवसर में और राज्य की तिजोरी को भरने में माईनिंग का महत्व कम नहीं है। माईनिंग सिर्फ माइनिंग के लिए नहीं होती है, बल्कि सारी ईकोनॉमी को जेनरेट करने के लिए तीन महत्व पूर्ण बातों की जरूरत होती है - इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, ह्यूमन रिर्सोस चाहिए और रॉ-मैटेरियल चाहिए। लेकिन अगर रॉ-मैटेरियल पर ही ताले लग जाएं, माईनिंग बंद हो जाएं, नौजवान बेराजगार हो जाएं और दिल्ली- की सरकार चुप बैठी रहे, सोई रहे तो गोवा को बर्बादी से कौन बचाएगा..? मित्रों, मैं आप सभी को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि जिन लोगों को यह मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं, उनके लिए सिर्फ कुछ महीनों की बात है, फिर हम पर्यावरण की रक्षा भी करेंगे, हम माईनिंग में ट्रांसपरेंसी भी लाएंगे और माईनिंग के द्वारा देश के अर्थतंत्र को आगे बढ़ाने की दिशा में दृढ़तापूर्वक कदम रखेगें और उसकी ताकत हम में है..! ये मुसीबत उन लोगों के लिए है जिनको हमेशा भांति-भांति के टैक्स लगाने होते हैं..! आपको पता है, एनवॉयरमेंट मिनिस्ट्री को लेकर इतना तूफान मचा हुआ था, सारी फाइलें रोक दी जाती थी, रूपए-पैसों के बगैर काम नहीं होता था... हमने तो इनकम टैक्स! नाम सुना था, सेल्सू टैक्सो नाम सुना था, एक्सा इज नाम का टैक्स सुना था, पहली बार हमारे कान में आया कि दिल्ली में एक ‘जयंती टैक्स‘ चलता है..! जब तक ये जयंती टैक्स नहीं दिया जाता है, पर्यावरण में, एनवॉयरमेंट में फाइल इधर-उधर हिल नहीं सकती, ऐसा लोग कहते हैं..! मुझे तो कभी भी ऐसे कारोबार की जरूरत नहीं पड़ी, तो अपना खुद का अनुभव नहीं है, लेकिन हम हैरान रह गए..! क्या ये स्थितियां बदली नहीं जा सकती है..?
इन लोगों ने कैसी व्यवस्थाएं विकसित की हैं, मेरे यहां सीमेंट के कारखाने के लिए जो लाइम स्टोन होता है, उसके लिए लीज देनी थी, हम नहीं चाहते थे कि कहीं से कोई बेईमानी हो, तो हमने भारत सरकार को लिखा और कहा कि हम लाइम स्टोन की क्वॉरी का ऑक्शेन यानि नीलामी करना चाहते हैं, जो ज्यादा बोली बोलेगा, सरकार की तिजोरी में पैसा देगा, उसे वह भूमि मिलेगी..! मित्रों, क्या ये सही रास्ता है या नहीं..? आपको मालूम है भारत सरकार ने क्या कहा, भारत सरकार ने कहा कि मोदी, तुम ये नहीं कर सकते हो, हिंदुस्तान सरकार का कानून तुम्हे ऑक्शान करने की इज़ाजत नहीं देता है..! एक सरकार ट्रांसपेरेंसी के साथ ऑक्शिन करके सीमेंट के कारखाने लगाना चाहती है ताकि इस देश के लोगों को सस्ता सीमेंट मिले, इसके लिए वह इनीशिएटिव ले रही है लेकिन दिल्ली की सरकार खुद तो कुछ नहीं करती और जो करना चाहते हैं, उन पर भी बेडि़यां लगा देती है, देश ऐसे नहीं चल सकता है..!
भाईयों-बहनों, दिल्ली में बैठी हुई सरकार भारत के संघीय ढांचे को नकार रही है। जितना महत्वं देश का है, उतना ही महत्व इस राज्यों का है, जितना महत्वि भारत सरकार का है, उतना ही महत्व राज्य सरकारों का है। भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट, मत है कि हम भारत के संघीय ढांचे की नींव को और मजबूत बनाने की दिशा में काम करेंगे। कांग्रेस ने सत्तावादिता के कारण भारत के संघीय ढांचे को जड़ों से हिला दिया है, वे संघीय ढांचे को स्वीकार करने को तैयार नहीं है, वे एकहथ्थु शासन चलाने के पक्ष में हैं और यह भारत के सभी राज्य् सरकारों की शिकायत है..! अभी-अभी दो दिन पहले आप सभी ने भारत के गृह मंत्री सुशील शिंदे का बयान सुना होगा, उन्होने बड़ी चिंता की और गंभीर बात बताई है। पिछले सितम्बिर में उन्होने राज्य के मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी थी, अब उन्होने टीवी पर इंटरव्यू दिया और कहा है कि वह दुबारा चिट्ठी लिखेगें। आप सभी बताइए, क्या किसी भी गुनहगार को सज़ा मिलनी चाहिए या नहीं..? सभी गुनहगारों के लिए एक ही प्रकार का कानून होना चाहिये या नहीं..? सभी गुनहगारों के साथ एक ही प्रकार का व्यवहार होना चाहिए या नहीं..? आपको हैरानी होगी, भारत के गृहमंत्री की हिम्मत देखिए, उनकी वोट बैंक की राजनीति देखिए, वो मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखने की हिम्मत कर रहे हैं, और ये कह रहे है कि अगर आप गुनहगारों को अरेस्ट करते हैं तो ये देखिए की कोई मुसलमान अरेस्टि न हो..! क्या गुनहगारों का भी कोई धर्म होता है..? क्या रिलीजन के आधार पर तय होगा कि गुनहगार को पकड़ा जाए या न पकड़ा जाए..? नियम तो यह होना चाहिए कि हिंदुस्तान के किसी भी पंथ, जाति, सम्प्रदाय और भाषा का कोई भी व्यक्ति हो, अगर वह बेगुनाह है तो उसे न्याय मिलना चाहिए, ऐसी सोच होनी चाहिए..! सम्प्रदाय के आधार पर किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, सम्प्रचदाय के आधार पर किसी बेगुनाह को जेल में नहीं ठूंस देना चाहिए, लेकिन ये सभी के लिए होना चाहिए, वोट बैंक की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं लॉ एंड ऑर्डर एक स्टेट सब्जेाक्ट है, ये राज्य का विषय है। श्रीमान शिंदे जी, दिल्ली में बैठकर हिन्दुस्तान के राज्यों को कानून व्यवस्था के पाठ पढ़ाने का आपको हक नहीं है, आपकी ये हरकत भारत के संघीय ढांचे पर चोट पहुंचाने वाली है। लेकिन ये कारनामे चल रहे हैं और अगर आप इस संदर्भ में प्रधानमंत्री से मिलें तो वह कहेगें कि अच्छा, ऐसी चिट्ठी लिखी है, मैं देखूंगा... वो ऐसा ही जबाव देते हैं। मित्रों, देश के बर्बाद होने का यही तो कारण है..!
भाईयों-बहनों, आजकल भारतीय जनता पार्टी की प्रमाणिकता और निष्ठा पर कुछ लोग, जो कांग्रेस को बचाना चाहते हैं, कांग्रेस के रक्षक बने हैं, वो सवालिया निशान उठा रहे हैं। मैं ऐसे लोगों को बताना चाहता हूं कि ये वह भारतीय जनता पार्टी है जिसके पहले प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी इतने समय तक संसद में रहे, देश के गौरवशाली कालखंड के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन भाजपा के इस नेता के पास इतने सालों के सार्वजनिक जीवन के बाद भी, इतने समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के बाद, आज भी उनके पास अपना खुद का घर नहीं है..! क्या हमारी प्रमाणिकता पर सवाल पूछे जाएंगे..? क्या. हम पर झूठे इल्जाम लगाएं जाएंगे..? भाईयों-बहनों, सत्ता में रहने के बाद, भारतीय जनता पार्टी के हम सभी कार्यकर्ता ईमानदारी के साथ देश के जन-जन की सेवा करके, समर्पण भाव से भारत माता की भलाई के लिए काम करते हैं..!
भाईयों-बहनों, अभी जब मैं एयरपोर्ट पर आया, तो एक डेलीगेशन मुझे मिलने आया था, गोवा के कुछ प्रतिष्ठित लोग थे, उन्होने मुझे एक मेमोरेंडम दिया, उस बात का जिक्र हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री मनोहर जी ने भी किया, उसमें उन्होंने कहा कि गोवा को स्पेशल स्टेाट्स मिलना चाहिए, मैं थोड़ा चौकन्ना हो गया, क्योंकि हमारे देश में स्पे्शल स्टेाट्स का मतलब होता है रूपए दे दो, पैकेज दे दो, पैसे दे दो... लेकिन उन्होने मेमोरेंडम देने के साथ कहा कि मोदी जी, हमें पैसे नहीं चाहिए, हम पैसों के लिए स्पेशल स्टेट्स नहीं मांग रहे हैं। जब मैने उनकी बात सुनी तो वहां आए हुए सभी प्रतिनिधियों के प्रति गर्व महसूस हुआ, उनके प्रति मुझे आदर आया, उन्होने कहा कि हमें अपने गोवा की आईडेंटिटी के लिए स्पेशल स्टेट्स चाहिए, गोवा के पर्यावरण के लिए स्पेशल स्टेट्स चाहिए, गोवा की परम्पराओं के लिए स्पेशल स्टेट्स चाहिए। मित्रों, ये नया नजरिया है, स्वागत योग्य नजरिया है और आपकी इन भावनाओं का आदर करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी, गर्व की बात होगी..!
भाईयों-बहनों, आज दिल्ली में दस साल से बैठी हुई सरकार को पूछा जाए कि आपने ऐसी कौन सी चीज की है, जिसके कारण देश का भला होगा..? मित्रों, उन्होने महंगाई दूर करने के वादे किए लेकिन नहीं कर पाए, नौजवान को रोजगार देने के वादे किए लेकिन नहीं कर पाए, भ्रष्टाचार से देश को बचाने की बातें करते रहे लेकिन नहीं कर पाए..! मित्रों, यदि परिवार में भी कोई व्यक्ति निर्धारित काम नहीं कर पाता है, चाहे वह कितना भी प्यारा क्योंक न हो, वह भी बोझ बनने लग जाता है। आज पूरी कांग्रेस पार्टी, और न सिर्फ कांग्रेस पार्टी बल्कि दिल्लीकी सरकार बोझ बन गई है। क्या कोई सोच सकता है कि जिस सरकार को जनता ने वोट देकर चुना हो, वह सरकार खुद जनता-जनार्दन पर बोझ बन जाए..? मित्रों, पिछले 10 सालों में इस वर्तमान सरकार ने देश को 50 साल पीछे ले जाने वाला काम किया है। दोषी सिर्फ वह सरकार नहीं है, बल्कि उनको समर्थन करने वाले लोग भी दोषी हैं, उनको बचाने के लिए काम करने वाले लोग भी दोषी हैं, उनके लिए रक्षा कवच देने वाले लोग भी दोषी हैं..!
मित्रों, गोवा से दो सीटें तो मिलेगी, लेकिन यहां तो हिंदुस्तान भर के लोग आते हैं, जो भी यात्री आपके वहां आएं उन्हे आप बोल सकते हैं कि देखिए भाजपा के कार्यकाल में गोवा कितना आगे बढ़ा, अगर भाजपा आया तो देश भी आगे बढ़ सकता है..! देश भर के यात्रियों को आप विश्वास दिला सकते हैं, जब देश भर के यात्री गोवा को देखेगें, उसकी प्रगति को देखेगें, मुख्य मंत्री की सादगी, ईमानदारी, सरलता और सहजता के विषय में जानेगें, तो उन्हे समझ में आएगा..!
भाईयों-बहनों, आप कल्पना कीजिए, अगर मनोहर पार्रिकर जी दिल्ली में होते, तो क्या होता..! सारे देश को पता चलता कि कितना पढ़ा-लिखा इंसान है, उसमें कितनी सरलता है, कितनी सादगी है..! लेकिन क्या करें, वो गोवा में है, दिल्ली में नहीं है और मीडिया वालों को दिल्ली के बाहर कुछ दिखता नहीं है..! मित्रों, इस देश में अनेक ऐसे रत्न हैं, जो देश के लिए जीते हैं..! मित्रों, मैं पिछले 12 सालों से गुजरात की सेवा कर रहा हूं। टीवी के स्क्रीन पर, अखबार के पन्ने! पर, मैं हमेशा-हमेशा हारता रहा हूं, कभी जीत नहीं पाया, न जगह बना पाया, न उनको जीत पाया... लेकिन जनता के दिलों से कभी नहीं हारा..! इसलिए, देश को तय करना होगा कि टेलीविजन पर दिखने से देश का भला होगा या धरती पर विजन देखने से देश का भला होगा..! देश को टेलीविजन पर चेहरा चाहिए या धरती पर विजन चाहिए..! मित्रों, अगर देश को आगे बढ़ाना है तो एक नई सोच चाहिए, नई उम्मीद चाहिए, नए तरीके से होने वाले फैसले चाहिए और अनुभव की कसौटी पर कसे हुए लोग चाहिए, तभी भारत का भाग्य बदल सकता है..!
भाईयों-बहनों, भारतीय जनता पार्टी भारत के भाग्य को बदलने के लिए कृतसंकल्प है, हम एक विश्वास के साथ आगे बढ़े हैं। आज जब मैं इस गोवा की धरती पर आया हूं तो बताना चाहता हूं कि मैं गोवा का हमेशा एक बात के लिए आदर करता हूं, ये एक ऐसा राज्य है जहां कॉमन सिविल कोड है जो बहुत बड़ी बात है, लोग यहां प्यार और सुख-चैन से जिंदगी जीते हैं। भारतीय जनता पार्टी, भाईचारे को बल देने वाली पार्टी है। सेक्यूलरिज्मॉ के नाम पर देश को तोड़ने की जो कोशिश हो रही है, उसके जवाब के फलस्वरूप देश को जोड़ने वाला रास्ता चाहिए। भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मत है, जब हम सेक्यूकलरिज्म की बात करते हैं तो हमारा कन्विक्शन है कि हमारे लिए एक ही धर्म है और वह धर्म है -इंडिया फर्स्ट्, हमारा एक ही धर्मग्रंथ है, वह धर्मग्रंथ है - भारत का संविधान..! सरकार का एक ही मज़हब होता है - इंडिया फर्स्टर, सरकार का एक ही धर्म होता है - भारत का संविधान, सरकार की एक ही भक्ति होती है - भारत भक्ति, सरकार की एक ही शक्ति होती है - देश के कोटि-कोटि जनों की शक्ति, सरकार की एक ही कार्य शैली होती है - सबका साथ, सबका विकास..!
भाईयों-बहनों, इस देश को जोड़ने का प्रयास होना चाहिए। अभी हमने ‘स्टेच्यु ऑफ यूनिटी’ का अभियान लिया है। मैं विशेष रूप से गोवा के युवाओं का अभिनंदन करना चाहता हूं, उन्हे बधाई देना चाहता हूं, 15 दिसम्बर को सरदार बल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर जब ‘रन फॉर यूनिटी’ का कार्यक्रम हुआ, इतने छोटे से गोवा में 50,000 लोग दौड़े, इसके लिए आप सभी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं..! देश की एकता के लिए आपका कमीटमेंट कैसा है, उस बात का प्रदर्शन उस दिन हुआ। अभी जो लोहा संग्रह का कार्यक्रम चल रहा है, उसमें भी गोवा पूरी ताकत से जुटा है, उसके लिए भी मैं गोवा का अभिनंदन करना चाहता हूं..!
भाईयों-बहनों, कई चुनाव हुए, पंचायत के चुनाव हुए, पालिका के चुनाव हुए, विधानसभा के चुनाव आए, लोकसभा के चुनाव आए... हमने हर बार वोट दिए हैं, लेकिन इससे पहले हम किसी व्यक्ति को वोट देते थे, किसी पार्टी को वोट देते थे। मित्रों, 2014 में होने वाला चुनाव किसी व्यक्ति के वोट के लिए नहीं है, किसी दल के लिए वोट देने वाला चुनाव नहीं है, ये चुनाव हिंदुस्ता्न को वोट देने वाला चुनाव है..! हम वोट देश के लिए दें, दल के लिए नहीं..! हमें वोट इसके लिए देना होगा कि भारत कैसा बनाना है, इसलिए ‘वोट फॉर इंडिया’ को लेकर गांव-गांव, घर-घर जाना है, देश के लिए मत देना है, देश की भलाई के लिए सरकार बनानी है। किसी दल, किसी व्यक्ति, किसी जाति, किसी बिरादरी और किसी इलाके की भलाई के लिए नहीं बल्कि समग्र देश की भलाई के लिए अब सरकार चुनने का वक्त आ गया है..! इसलिए भाईयों-बहनों, मैं आपसे आग्रह करने आया हूं कि इस चुनाव में आप सभी भारत के लिए वोट करें। आप सभी मेरे साथ एक नारा पूरी ताकत से, दोनो हाथों की मुट्ठी बंद करके बोलिए -
रहने के घर के लिए . . . . . . . . . वोट फॉर इंडिया खाने को अन्ने के लिए . . . . . . . . वोट फॉर इंडिया बीमार की दवाई के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया दरिद्र नारायण की भलाई के लिए . . . वोट फॉर इंडिया शिक्षा में सुधार के लिए . . . . . . . . वोट फॉर इंडिया युवाओं को रोजगार के लिए . . . . . . वोट फॉर इंडिया नारी के सम्मान के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया किसानों के कल्याण के लिए . . . . . वोट फॉर इंडिया स्वावलम्बी भारत के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया शक्तिशाली भारत के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया समृद्धशाली भारत के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया प्रगतिशील भारत के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया वंशवाद से मुक्ति के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया भाई-भतीजेवाद से मुक्ति के लिए . . . वोट फॉर इंडिया भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए . . . . . . वोट फॉर इंडिया महंगाई से मुक्ति के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया कुशासन से मुक्ति के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया भारत की एकता के लिए . . . . . . . वोट फॉर इंडिया एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए . . . . वोट फॉर इंडिया सुराज की राजनीति के लिए . . . . . . वोट फॉर इंडिया सुशासन की राजनीति के लिए . . . . . वोट फॉर इंडिया विकास की राजनीति के लिए . . . . . वोट फॉर इंडिया
मैं सभी गोवावासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, आप सभी मेरे साथ बोलिए –