Shri Narendra Modi's address at the Vivekananda NMO Conference

Published By : Admin | February 16, 2013 | 13:58 IST

मंच पर बिराजमान एन.एम.ओ. के सभी पदाधिकारी, भारत के भिन्न-भिन्न भागों से आए हुए सभी प्रतिनिधि बंधु और नौजवान मित्रों..!

हम लोग एक ही अखाड़े से आए हैं और इसलिए हम सबको अपनी भाषा का पता है, भावनाओं का पता है, रास्ता भी मालूम है, लक्ष्य का भी पता है और इसलिए कौन किसको क्या कहे, कौन किससे क्या सुने..? और इसलिए मैं कुछ ना भी बोलूं तो भी बात पहुँच जाएगी। मैं अनुमान लगा सकता हूँ कि मेरे यहाँ आने से पहले सुबह से अब तक आपने क्या किया होगा और मैं ये भी अनुमान लगा सकता हूँ कि कल क्या करोगे। मैं ये भी अंदाज कर सकता हूँ कि अगले अधिवेशन का आपका ऐजेन्डा क्या होगा, क्योंकि हम सब लोग एक ही अखाड़े से आए हैं..!

मित्रों, स्वामी विवेकानंद जी की जब बात होती है तो एक बात उभर करके आती है कि वो परिस्थिति के बहावे में बहने वाले शख्सियत नहीं थे। जिन लोगों ने स्वामी विवेकानंद जी को पढ़ा होगा और जिन्होंने उस कार्यकाल की समाज व्यवस्था के सूत्रधारों को पढ़ा होगा, तो वे भलीभाँति अंदाजा लगा सकते हैं कि विवेकानंद जी को कोई काम सरलता से करने का सौभाग्य ही नहीं मिला था। हर पल, हर छोटी बात के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा था। कोई चीज उन्हें सहज मिली नहीं थी और जब मिली तब स्वीकार्य नहीं थी। यह उनकी एक और विशेषता थी। रामकृष्ण परमहंस मिले, तो उनको भी उन्होंने सहज रूप से स्वीकार्य नहीं किया, उनकी भी उन्होंने कसौटी की..! काली के पास गए, रामकृष्ण देव की ताकत थी कि काली मिली, लेकिन स्वीकार करने से इनकार कर दिया। तो एक ऐसी शख्सियत की तरफ हम जाएं। हम जीवन में संघर्ष के लिए कितने कटिबद्घ हैं, कितने प्रतिबद्घ हैं..! थोड़ा सा भी हवा का रूख बदल जाए तो कहीं बैचेनी तो नहीं अनुभव करते, ऐसा तो नहीं लगता आपको कि यार, अब क्या होगा, हालात तो कुछ अनुकूल नहीं हैं..! तो मित्रों, वो जिंदगी नहीं जी सकते हैं, और जो खुद जिंदगी नहीं जी सकते वो औरों को जिंदगी जीने की ताकत कैसे दे सकते हैं..! और डॉक्टर का काम होता है औरों को जिंदगी जीने की ताकत देना। कोई डॉक्टर नहीं चाहेगा कि उसका पेशेन्ट हमेशा उस पर निर्भर रहे। डॉक्टर और वकील में यही तो फर्क होता है..! और वहीं पर सोचने की प्रवृति में अंतर नजर आता है। और अगर हमने उसको आत्मसात किया... मित्रों, जो सफल डॉक्टर है, उसका बंगला कितना बड़ा है, घर के आगे गाड़ियाँ कितनी खड़ी हैं, बैंक बैलेंस कैसा है... उसके आधार पर कभी भी किसी डॉक्टर की सफलता का निर्धारण नहीं हुआ है। डॉक्टर की सफलता का निर्धारण इस बात पर हुआ है कि उसने कितनी जिंदगी को बचाया, कितनों को नया जीवन दिया, किसी असाध्य रोग के मरीज के लिए उसने जिंदगी कैसे खपा दी, एक डिज़ीज़ के लिए चैन कैसे खोया..! मित्रों, इसलिए अगर मैं एन.एम.ओ. से जुड़ा हुआ हूँ, राष्ट्रीय भावना से भरा हुआ हूँ, सुबह-शाम दिन-रात भारत माँ की जय कहता हूँ, लेकिन भारत माँ के ही अंश रूप एक मरीज जो मेरे पास खड़ा है, वो मरीज सिर्फ एक इंसान नहीं है, मेरी भारत माँ का जीता-जागता अंश है और उस मरीज की सेवा ही मेरी भारत माँ की सेवा है, ये भाव जब तक भीतर प्रकटता नहीं है तब तक एन.एम.ओ. की भावना ने मेरी रगो में प्रवेश नहीं किया है..!

मित्रों, अभी देश 1962 की लड़ाई के पचास साल को याद कर रहा था। मीडिया में उसकी चर्चा चल रही थी। कौन दोषी, कौन अपराधी, किसकी गलती, क्या गलती... इसी पर डिबेट चल रहा था। मित्रों, अगर पचास साल के बाद भी इस पीढी को एक कसक हो, एक दर्द हो, एक पीड़ा हो कि कभी उस लड़ाई में हम हारे थे, हमारी मातृभूमि को हमने गंवाया था, तो उसमें विजय को प्राप्त करने के बीज भी मौजूद होते हैं। मित्रों, जिस स्वामी विवेकानंद जी की हम बात करते रहते हैं, जो सदा सर्वदा हमें प्रेरणा देते रहते हैं, लेकिन क्या कभी हमने सोचा कि जब आज उनके 150 साल मना रहे हैं और 125 साल पहले 25 साल की आयु में जिस नौजवान संन्यासी ने एक सपना देखा था कि मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूँ कि मेरी भारत माता जगदगुरू के स्थान पर विराजमान होगी, मैं उसका भव्य, दिव्य रूप खुद देख रहा हूँ..! ये विवेकानंद जी ने 25 साल की आयु में दुनिया के सामने डंके की चोट पर कहा था। किसके भरोसे कहा था..? उन्होंने व्याख्यायित किया था कि इस देश के नौजवान ये परस्थिति पैदा करेंगे..! 150 साल मनाते समय क्या दिल में कसक है, दिल में दर्द है, पीड़ा है कि ऐसे महापुरुष जिसके प्रति हमारी इतनी भक्ति होने के बावजूद भी, 25 साल की आयु में जिन शब्दों को उन्होंने कहा था, 125 साल उन शब्दों को बीत गए, वो सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ, क्या उसकी पीड़ा है, दर्द है..? पीढ़ियाँ पूरी हो गई, हम भी आए हैं और चले जाएंगे, क्या वो सपना अधूरा रहेगा..? अगर वो सपना अधूरा रहना ही है तो 150 साल मनाने से शायद ये कर्मकांड हो जाएगा और इसलिए मैं चाहता हूँ कि 150 साल जब मना रहे हैं तब, हम कुछ पा सकें या ना पा सकें, कुछ परिस्थितियां पलट सकें या ना पलट सकें, लेकिन कम से कम दिल में एक दर्द तो पैदा करें, एक कसक तो पैदा करें कि हमने समय गंवा दिया..!

मित्रों, ये महापुरूष ने जीवन के अंतकाल के आखिरी समय में कहा था कि समय की माँग है कि आप अपने भगवान को भूल जाओ, अपने ईष्ट देवता को भूल जाओ। अपने परमात्मा, अपने ईश्वर को डूबो दो। एकमात्र भारत माता की पूजा करो। एक ही ईष्ट देवता हो..! और पचास साल के लिए करो। और विवेकानंद जी के ऐसा कहने के ठीक पचास साल के बाद 1947 में ये देश आजाद हुआ था। मित्रों, कल्पना करो कि 1902 में जब स्वामी विवेकानंद जी ने ये बात कही थी, उस समय आज का मीडिया होता तो क्या होता..? आज के विवेचक होते तो क्या होता..? आज के आलोचक होते तो क्या होता..? चर्चा यही होती कि ये कैसा व्यक्ति है, जिसने ऐजेंडा बदल दिया और सिद्घांतो को छोड़ दिया..! जिस भगवान के लिए पांच-पांच हजार साल से एक कल्पना करके पीढ़ियों तक जो समाज चला, ये कह रहे हैं कि इसको छोड़ दो..! ये तो डूबो देगा देश को और संस्कृति को। सब छोड़ने के लिए कह रहा है, सब भगवान को छोड़ने के लिए कह रहा है..! पता नहीं उन पर क्या-क्या बीतती और बीती भी होगी, थोड़ा बहुत तो तब भी किया ही होगा..! हम जिस परिवार से आ रहे हैं, जिस परंपरा से आ रहे हैं, क्या हम इसमें से कुछ सबक सीखने के लिए तैयार हैं..? अगर सबक सीखने की ताकत होगी तो रास्ते अपने आप मिल जाएगें और मंजिल भी मिल जाएगी..! लेकिन इसके लिए बहुत बड़ा साहस लगता है दोस्तों, बहुत बड़ा साहस लगता है। अपनी बनी बनाई दुनिया को छोड़ कर के निकलने के लिए एक बहुत बड़ी ताकत चाहिए और अगर वो ताकत खो दें, तो हम शरीर से तो जिंदा होंगे लेकिन प्राण-शक्ति का अभाव होगा..! इसलिए जब विवेकानंद जी को याद करते हैं तब उस सामर्थ्य के आविष्कार की आवश्यकता है। उस सामर्थ्य को लेकर के जीना, सपनों को देखना, सपनों को साकार करना, उस सामर्थ्यता की आवश्यकता है।

आप एक डॉक्टर के नाते काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में जो विद्यार्थी मित्र हैं, वे डॉक्टर बनने वाले हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए आपने क्या कुछ नहीं छोड़ा होगा..! दसवीं कक्षा में इतने मार्क्स लाने के लिए कितनी रात जगे होंगे..! 12वीं के लिए माँ-बाप को रात-रात दौड़ाया होगा। देखिए पेपर्स कहाँ गए हैं, देखिए रिजल्ट क्या आ रहा है..! डोनेशन से सीट मिले तो कहाँ मिले, मेरिट पर मिले तो कहाँ मिले..! कोई बात नहीं, एम.बी.बी.एस. नहीं तो डेन्टल ही सही..! अरे, वो भी ना मिले तो कोई बात नहीं, फिज़ीयोथेरेपी सही..! ना जाने कितने-कितने सपने बुने होंगे..! और अब एक बार वहाँ प्रवेश कर गए..! मैं मेडिकल स्टूडेंट्स से प्रार्थना करता हूँ कि आप सोचिए कि 12वीं की एक्जाम तक की आपकी मन:स्थिति, रिजल्ट आने तक की आपकी मन:स्थिति या मेडिकल कॉलेज में एंट्रेंस तक की मन:स्थिति... जिन भावनाओं के कारण, जिन प्रेरणा के कारण आप रात-रात भर मेहनत करते थे, क्या मेडिकल में प्रवेश पाने के बाद वो ऊर्जा जिंदा है, दोस्तों..? वो प्रेरणा आपको पुरूषार्थ करने के लिए ताकत देती है..? अगर नहीं देती है तो फिर आप भी कहीं पैसे कमाने का मशीन तो नहीं बन जाओगे, दोस्तों..? इतनी तपस्या करके जिस चीज को आपने पाया है, ये अगर धन और दौलत को इक्कठा करने का एक मशीन बन जाए तो

मित्रों, 10, 11, 12वीं कक्षा की आपकी जो तपस्या है, आपके लिए आपके माँ-बाप रात-रात भर जगे हैं, आपके छोटे भाई ने भी टी.वी. नहीं देखा, क्यों..? मेरी बड़ी बहन के 12वीं के एक्जाम हैं। आपकी माँ उसके सगे भाई की शादी में नहीं गई, क्यों..? बेटी की 12वीं की एक्जाम है। मित्रों, कितना तप किया था..! मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ दोस्तों, उस तप को कभी भूलना मत। इस चीज को पाने के लिए जो कष्ट आपने झेला है, हो सकता है वो कष्ट खुद ही आपके अंदर समाज के प्रति संवेदना जगाने का कारण बन जाए, आपको बाहर से किसी ताकत की आवश्यकता नहीं रहे..! मित्रों, एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर के पास जब एक मरीज आता है, तो उस ऑर्थोपेडिक डॉक्टर को तय करना होगा कि उस मरीज में उसे इंसान नजर आता है कि हड्डियाँ नजर आती हैं..! मित्रों, अगर उसे हड्डियाँ नजर आती हैं तो बड़े एक्सपर्ट डॉक्टर के रूप में उसकी हड्डियाँ ठीक करके उसे वापिस भेज भी देगा, लेकिन अगर इंसान नजर आएगा तो उसका जीवन सफल हो जाएगा।

मित्रों, जीवन किस प्रकार से बदल रहा है, जीवन के मूल्य किस प्रकार से बदल रहे हैं..! अर्थ प्रधान जीवन बनता जा रहा है और अर्थ प्रधान जीवन के कारण स्थितियाँ क्या बनी हैं..? डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन दे दिया, हाथ को काटना पड़ा, हाथ चला गया... ठीक है, दो लाख का इन्श्योरेंस है, दो लाख का बीमा मंजूर हो जाएगा..! एक आंख चली गई, ढाई लाख का बीमा मंजूर हो जाएगा..! एक्सीडेंट हुआ, एक पैर कट गया... पाँच लाख मिल जाएंगे..! मित्रों, क्या ये शरीर, ये अंग-उपांग रूपयों के तराजू से तोले जा सकते हैं..? हाथ कटा दो लाख, पैर कटा पाँच लाख, आँख चली गई डेढ लाख दे दो..! मित्रों, आँख चली जाती है तो सिर्फ एक अंग नहीं जाता है, जिंदगी का प्रकाश चला जाता है। पैर कटने से शरीर का एक अंग नहीं जाता है, पैर कटता है तो जिंदगी की गति रूक जाती है। क्या जीवन को उस नजर से देखने का प्रयास किया है हमने..? और इसलिए मित्रों, सामान्य मानवी के मन में डॉक्टर की कल्पना क्या है..? सामान्य मानवी डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप मानता है, सामान्य मानवी मानता है कि जैसे भगवान मेरी जिंदगी बचाता है, वैसे ही अगर डॉक्टर के भरोसे मेरी जिंदगी रख दूँ तो हो सकता है कि वो मेरी जिंदगी बचा ले..! आप एक पेशेंट को बचाते हैं ऐसा नहीं है, आप कईयों के सपनों को संजो देते हैं, जब किसी कि जिंदगी बचाते हैं..! लेकिन ये महात्मा गांधी की तस्वीर वाली नोट से नहीं होता है, महात्मा गांधी के जीवन को याद रखने से होता है और ये भाव जगाने का काम एन.एम.ओ. के द्वारा होता है।

मित्रों, मुझे भूतकाल में गुजरात के एन.एम.ओ. के कुछ मित्रों से बातचीत करने का अवसर मिला है और विशेष कर के ये जब नार्थ-ईस्ट जाकर के आते हैं तो उनके पास कहने के लिए इतना सारा होता है, जैसे कंप्यूटर के ऊपर आप किसी स्विच पर क्लिक करो और सारी दुनिया उतर आती है, वैसे ही उनको पूछो कि नार्थ-ईस्ट कैसा रहा तो समझ लीजिए आपका दो-तीन घंटा आराम से बीत जाएगा..! वो हर गली-मोहल्ले की बात बताता है। मित्रों, नार्थ-ईस्ट के मित्रों को हमसे कितना लाभ होता होगा उसका मुझे अंदाजा नहीं है, लेकिन उनके कारण जाने वाले को लाभ होता होगा ये मुझे पूरा भरोसा है। अपनों को ही जब अलग-अलग रूप में देखते हैं, मिलते हैं, जानते हैं, उनकी भावनाओं को समझते हैं तो वो हमारी पूंजी बन जाती है, वो हमारी अपनी ऊर्जा शक्ति के रूप में कन्वर्ट हो जाती है और उसको लेकर के हम अगर आगे चलते हैं तो हमें एक नई ताकत मिलती है।

मित्रों, कभी-कभी हमारी विफलता का एक कारण ये होता है कि हमें अपने आप पर आस्था नहीं होती है, हमें खुद पर भरोसा नहीं होता है और ज्यादातर समस्या की जड़ में ये प्रमुख कारण होता है। अगर आपको अपनी ही बात पर आस्था नहीं हो और आप चाहो कि दुनिया इसको माने तो ये संभव नहीं है। होमियोपैथी डॉक्टर बन गया क्योंकि वहाँ एडमिशन नहीं मिला था। लेकिन क्योंकि अब डॉक्टर का लेबल लग गया है तो मैं होमियोपैथी नहीं, अब तो मैं जनरल प्रेक्टिस करूंगा और एलोपैथी का भी उपयोग करूँगा..! अगर मेरी ही मेरी स्ट्रीम पर आस्था नहीं है, तो मैं कैसे चाहूँगा की और पेशेंट भी होमियोपैथी के लिए आएँ..! मैं आयुर्वेद का डॉक्टर बन गया। पता था कि उसमें तो हमारा नंबर लगने वाला नहीं है तो पहले से ही संस्कृत लेकर रखी थी..! मुझे जानकारियाँ हैं ना..? मैं सही बोल रहा हूँ ना..? आप ही की बात बता रहा हूँ ना..? नहीं, आपकी नहीं है, जो बाहर है उनकी है..! आयुर्वेद डॉक्टर का बोर्ड लगा दिया, फिर इंजेक्शन शुरू..! हमारी अपनी चीजों पर हमारी अगर आस्था नहीं है तो हम जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते। मैं एन.एम.ओ. से जुड़े मित्रों से आग्रह करूंगा कि जिस रास्ते को हमने जीवन में पाया है, जहाँ हम पहुंचे हैं उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाना भी हमारा काम है।

मित्रों, ये तो अच्छा हुआ है कि पूरी दुनिया में होलिस्टिक हैल्थ केयर का एक माहौल बना हुआ है। साइड इफैक्ट ना हो इसकी कान्शसनेस आई है और इसके कारण लोगों ने ट्रेडिशनल मार्ग पर जाना शुरू किया है और उसका बेनिफिट भी मिला है सबको। लेकिन व्यावसायिक सफलता एक बात है, श्रद्धा दूसरी बात है। और कभी-कभी डॉक्टर को तो श्रद्घा चाहिए, लेकिन पेशेंट को भी श्रद्घा चाहिए..! मैं जब संघ के प्रचारक के नाते शाखा का काम देखता था, तो बड़ौदा जिले में मेरा दौरा चल रहा था। वहां एक चलामली करके एक छोटा सा स्थान है, तो वहाँ एक डॉक्टर परिवार था जो संघ से संपर्क रखता था तो वहाँ हम जाते थे और उन्हीं के यहाँ रहते थे। वहाँ सभी ट्राइबल पेशेंट आते थे और सबसे पहले इंजेक्शन की माँग करते थे। और उनकी ये सोच थी कि डॉक्टर अगर इन्जेक्शन नहीं देता है तो डॉक्टर निकम्मा है, इसको कुछ भी आता नहीं है..! ये उनकी सोच थी और इन लोगों को भी उसको इंजेक्शन की जरूरत हो, ना हो, कुछ भी हो, मगर इंजेक्शन देना ही पड़ता था..! कभी-कभी पेशेंट की मांग को भी उनको पूरा करना पड़ता है। मित्रों, मेरे कहने का मतलब ये था कि हमें इन चीजों पर श्रद्घा होना बहुत जरूरी है। एक पुरानी घटना हमने सुनी थी कि पुराने जमाने में जो वैद्यराज होते थे, वो अपना सारा सामान लेकर के भ्रमण करते रहते थे। और अगर उनको पता हो कि इस इलाके में इतनी जड़ी-बूटियों का क्षेत्र है तो उसी गाँव में महीना, छह महीना, साल भर रहना और जड़ी-बूटियों का अभ्यास करना, दवाइयाँ बनाना, प्रयोग करना, उसमें से ट्रेडिशन डेवलप करना, फिर वहां से दूसरे इलाके में जाना, वहां करना... पुराने जमाने में वैद्यराज की जिंदगी ऐसी ही हुआ करती थी। एक बार एक गाँव में एक वैद्यराज आए तो एक पेशेंट उनको मिला, उसकी कुछ चमडी की बिमारी थी, कुछ कठिनाइ थी, कुछ ठीक नहीं हो रहा था। वैद्यराज जी को उसने कहा कि मैं तो बहुत दवाई कर-कर के थक गया, दुनिया भर की जड़ी-बूटी खा-खा कर मर रहा हूँ, मेरा तो कोई ठिकाना नहीं रहा है और मैं बहुत परेशान रहता हूँ..! तो वैद्यराज जी ने कहा कि अच्छा भाई, कल आना..! हफ्ते भर रोज आए-बुलाए, कोई दवाई नहीं देते थे, केवल बात करते रहते थे..! आखिर उसने कहा कि वैद्यराज जी, आप मुझे बुलाते हो लेकिन कोई दवाई वगैरह तो करो..! बोले भाई, दवाई तो है मेरे पास लेकिन उसके लिए परहेज की बड़ी आवश्यकता है, तुम करोगे..? तो बोला अरे, मैं इतना जिंदगी में परेशान हो चुका हूँ, जो भी परहेज है उसे मैं स्वीकार कर लूंगा..! तो वैद्यराज बोले कि चलो मैं दवाई शुरू करता हूँ। तो उन्होंने दवाई शुरू की और परहेज में क्या था..? रोज खिचडी और कैस्टर ऑइल, ये ही खाना। खिचड़ी और कैस्टर ऑयल मिला कर के खाना..! अब आपको सुन कर भी कैसा लग रहा है..! तो उसने कहा कि ठीक है। अब वो एक-दो महीना उसकी दवाई चली और उतने में वो वैद्यराज जी को लगा कि अब किसी दूसरे इलाके में जाना चाहिए, तो वो चल पड़े और उसको बता दिया कि ये ये जड़ी-बूटियाँ हैं, ऐसे-ऐसे दवाई बनाना और ऐसे तुमको करना है..! बीस साल के बाद वो वैद्यराज जी घूमते घूमते उस गाँव में वापस आए। वापिस आए तो वो जो पुराना मरीज था उसको लगा कि हाँ ये ही वो वैद्यराज है जो पहले आए थे। तो उसने जा कर के उनको साष्टांग प्रणाम किया। साष्टांग प्रणाम किया तो वैद्यराज जी ने सोचा कि ये कौन सा भक्त मिल गया जो मुझे साष्टांग  प्रणाम कर रहा है..! तो बोले भाई, क्या बात है..? तो उसने पूछा कि आपने मुझे पहचाना..? बोले नहीं भाई, नहीं पहचाना..! अरे, आप बीस साल पहले इस गाँव में आए थे और आपने एक मरीज को ऐसी-ऐसी दवाई दी थी, मैं वही हूँ और मेरा सारा रोग चला गया और मैं ठीक-ठाक हूँ..! तो वैद्यराज जी ने पूछा कि अच्छा भाई, वो परहेज तूने रखी..? अरे साब, परहेज को छोड़ो, आज भी वही खाता हूँ..! मित्रों, उस वैद्यराज की आस्था कितनी और इस पेशेंट की तपश्चर्या कितनी और उसके कारण परिणाम कितना मिला, आप अंदाज लगा सकते हैं। और इसलिए हम जिस क्षेत्र में हैं उस क्षेत्र को हमें उस प्रकार से देखना होगा।

मित्रों, हमारे यहाँ विवेकानंद जी की जब बात आती है तो दरिद्र नारायण की सेवा, ये सहज बात निकल कर आती है। आज हम स्वामी विवेकानंद जी के 150 वर्ष मना रहे हैं तब हम विवेकानंद जी की उसी भावना को अपने शब्दों में प्रकट करके आगे बढ़ सकते हैं क्या? विवेकानंद जी के लिए जितना माहात्म्य दरिद्र नारायण की सेवा का था, एक डॉक्टर के नाते मेरे लिए भी दर्दी नारायण है, ये दर्दी नारायण की सेवा करना और दर्दी ही भगवान का रूप है, ये भाव लेकर के अगर हम आगे बढ़ते हैं तो मुझे विश्वास है कि जीवन में हमें सफलता का आंनद और संतोष मिलेगा। विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती हमारे जीवन को मोल्ड करने के लिए एक बहुत बड़ा अवसर बन कर के रहेगी।

बहुत सारे मित्रों गुजरात के बाहर से आए हैं। कई लोग होंगे जिन्होंने गुजरात पहली बार देखा होगा। और अब आपको कभी अगर अमिताभ बच्चन जी मिल जाए तो उन्हें जरूर कहना कि हमने भी कुछ दिन गुजारे थे गुजरात में..! आप आए हैं तो जरूर गिर के लायन देखने के लिए चले जाइए, आए हैं तो सोमनाथ और द्वारका देखिए, कच्छ का रन देखिए..! इसलिए देखिए क्योंकि मेरा काम है मेरे राज्य के टूरिज्म को डेवलप करना..! और हम गुजरातियों के ब्लड में बिजनेस होता है, तो मैं आया हूँ तो बिजनेस किये बिना जा नहीं सकता। मेरा इन दिनों का बिजनेस यही है कि आप मेरे गुजरात में टूरिज्म का मजा लिजीए, आप गुजरात को देखिए, सिर्फ इस कमरे में मत बैठे रहिए। अधिवेशन के बाद जाइए, बीच में से मत जाइए..!

बहुत-बहुत धन्यवाद, मित्रों..!

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ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ ।

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ ।

ଗୋବିନ୍ଦ ନଗରରେ ଗୋବିନ୍ଦ ଦେବ ଜୀଙ୍କୁ ମୋର କୋଟି-କୋଟି ପ୍ରଣାମ। ସମସ୍ତଙ୍କୁ  ମୋର ସମସ୍ତଙ୍କୁ ରାମ-ରାମ ଜଣାଉଛି !

ରାଜସ୍ଥାନର ରାଜ୍ୟପାଳ ଶ୍ରୀ ହରିଭାଉ ବାଗଡେ ଜୀ, ରାଜସ୍ଥାନର ଲୋକପ୍ରିୟ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ଭଜନ ଲାଲ ଶର୍ମା ଜୀ, ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶରୁ ବିଶେଷ ଭାବେ ଏଠାକୁ ଆସିଥିବା ଆମର ପ୍ରିୟ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ମୋହନ ଯାଦବ ଜୀ, ଯିଏ କେନ୍ଦ୍ରର ମନ୍ତ୍ରିମଣ୍ଡଳରେ ମୋର ସହକର୍ମୀ ଶ୍ରୀମାନ ସିଂ। ଆର ପାଟିଲ ଜୀ, ଭାଗୀରଥ ଚୌଧୁରୀ ଜୀ, ରାଜସ୍ଥାନର ଉପମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଦିୟା କୁମାରୀ ଜୀ, ପ୍ରେମ ଚାନ୍ଦ ଭୈରବଜୀ, ଅନ୍ୟ ମନ୍ତ୍ରୀଗଣ, ସାଂସଦଗଣ, ରାଜସ୍ଥାନର ବିଧାୟକ, ଅନ୍ୟ ମାନ୍ୟଗଣ୍ୟ ବ୍ୟକ୍ତି ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନର ମୋର ପ୍ରିୟ ଭାଇ ଭଉଣୀମାନେ। ଏବଂ ଭର୍ଚୁଆଲ ମାଧ୍ୟମରେ ଆମ ସହିତ ଯୋଡି ହୋଇଥିବା ଆମର ରାଜସ୍ଥାନର ହଜାର ହଜାର ପଞ୍ଚାୟତରେ ଏକାଠି ହୋଇଥିବା ମୋର ସମସ୍ତ ଭାଇ ଭଉଣୀ ମାନେ ଆମ ସହିତ ଭର୍ଚୁଆଲ ଭାବରେ ଯୋଡ଼ି ହୋଇଛନ୍ତି।

ମୁଁ ରାଜସ୍ଥାନବାସୀ, ରାଜସ୍ଥାନର ବିଜେପି ସରକାରକୁ ଏକ ବର୍ଷ ପୂର୍ତ୍ତି ପାଇଁ ବହୁତ-ବହୁତ ଅଭିନନ୍ଦନ ଜଣାଉଛି । ଆଉ ଏହି ଏକ ବର୍ଷର ଯାତ୍ରା ପରେ, ଯେତେବେଳେ ଆପଣମାନେ ମୋତେ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେବା ପାଇଁ ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ସଂଖ୍ୟାରେ ଏଠାକୁ ଆସିଛନ୍ତି, ଏବଂ ମୁଁ ସେହି ପାର୍ଶ୍ୱକୁ ଦେଖୁଥିଲି ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ଏକ ଖୋଲା ଜିପ୍ ରେ ଆସୁଥିଲି, ବୋଧହୁଏ ମଣ୍ଡପରେ ଥିବା ଲୋକଙ୍କ ସଂଖ୍ୟାର ତିନି ଗୁଣ ବାହାରେ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିଥିଲା । ଆପଣମାନେ ମୋତେ ଏତେ ସଂଖ୍ୟାରେ ଆଶୀର୍ବାଦ କରିବାକୁ ଆସିଛନ୍ତି ଏବଂ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଭାଗ୍ୟବାନ ଯେ ମୁଁ ଆଜି ଆପଣମାନଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦ ପାଇପାରିଲି | ଗତ ଏକ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ଭଜନ ଲାଲ ଜୀ ଏବଂ ତାଙ୍କ ପୂରା ଟିମ୍ ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶକୁ ଏକ ନୂତନ ଗତି ଏବଂ ଦିଗ ଦେବା ପାଇଁ ବହୁତ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ କରିଛନ୍ତି । ଏହି ପ୍ରଥମ ବର୍ଷ ଏକ ପ୍ରକାରରେ ଆଗାମୀ ଅନେକ ବର୍ଷ ପାଇଁ ଏକ ମଜଭୁତ ଭିତ୍ତିଭୂମି ସ୍ଥାପନ କରିଛି। ତେଣୁ ଆଜିର ପର୍ବ କେବଳ ସରକାରଙ୍କ ଏକ ବର୍ଷ ପୂର୍ତ୍ତି ରେ ସୀମିତ ନୁହେଁ, ଏହା ରାଜସ୍ଥାନର ପ୍ରସାର ଆଲୋକର ଉତ୍ସବ, ଏହା ମଧ୍ୟ ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶର ଏକ ଉତ୍ସବ ।

 

କିଛି ଦିନ ତଳେ ମୁଁ ନିବେଶ ସମ୍ମିଳନୀ ଯୋଗ ଦେବା ପାଇଁ ରାଜସ୍ଥାନ ଆସିଥିଲି। ଦେଶ ବିଦେଶରୁ ବଡ଼ ବଡ଼ ନିବେଶକ ଏଠାରେ ଏକାଠି ହୋଇଥିଲେ। ଏବେ ୪୫ରୁ ୫୦ ହଜାର କୋଟି ଟଙ୍କାର ପ୍ରକଳ୍ପର ଉଦଘାଟନ ଓ ଶିଳାନ୍ୟାସ କରାଯାଇଛି। ଏହି ପ୍ରକଳ୍ପଗୁଡ଼ିକ ରାଜସ୍ଥାନରେ ଜଳ ସଙ୍କଟର ସ୍ଥାୟୀ ସମାଧାନ ପ୍ରଦାନ କରିବ। ଏହି ପ୍ରକଳ୍ପଗୁଡ଼ିକ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦେଶର ଅନ୍ୟତମ ସଂଯୋଜିତ ରାଜ୍ୟ ରେ ପରିଣତ କରିବ । ଏହା ଦ୍ୱାରା ରାଜସ୍ଥାନରେ ପୁଞ୍ଜିନିବେଶ ବୃଦ୍ଧି ପାଇବ ଏବଂ ଅସଂଖ୍ୟ ନିଯୁକ୍ତିର ସୁଯୋଗ ସୃଷ୍ଟି ହେବ । ରାଜସ୍ଥାନର ପର୍ଯ୍ୟଟନ, ଏହାର କୃଷକ, ମୋର ଯୁବ ବନ୍ଧୁମାନେ ଏଥିରୁ ବହୁତ ଉପକୃତ ହେବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ବିଜେପିର ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନ ସରକାର ସୁଶାସନର ପ୍ରତୀକ ପାଲଟିଛି । ବିଜେପି ଯାହା ସଂକଳ୍ପ ନେଇଥାଏ, ତାକୁ ପୂରଣ କରିବାକୁ ଆନ୍ତରିକତାର ସହ ଚେଷ୍ଟା କରିଥାଏ । ଆଜି ଦେଶବାସୀ କହୁଛନ୍ତି ବିଜେପି ହିଁ ସୁଶାସନର ଗ୍ୟାରେଣ୍ଟି। ଆଉ ସେଥିପାଇଁ ଆଜି ଗୋଟିଏ ପରେ ଗୋଟିଏ ରାଜ୍ୟରେ ବିଜେପିକୁ ଏତେ ବିପୁଳ ଜନସମର୍ଥନ ମିଳୁଛି । ଲୋକସଭାରେ କ୍ରମାଗତ ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ , ଦେଶ ସେବା କରିବାକୁ ଦେଶ ବିଜେପିକୁ ସୁଯୋଗ ଦେଇଛି। ଗତ ୬୦ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ଭାରତରେ ଏହା ଘଟିନାହିଁ। ଦୀର୍ଘ ୬୦ ବର୍ଷ ପରେ କ୍ରମାଗତ ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ କେନ୍ଦ୍ରରେ ସରକାର ଗଠନ କରିଛନ୍ତି ଭାରତବାସୀ । ସେମାନେ ଆମକୁ ଦେଶବାସୀଙ୍କ ସେବା କରିବାର ସୁଯୋଗ ଦେଇଛନ୍ତି ଏବଂ ଆମକୁ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେଇଛନ୍ତି। କିଛି ଦିନ ତଳେ ମହାରାଷ୍ଟ୍ରରେ ବିଜେପି ଲଗାତାର ଦ୍ୱିତୀୟ ଥର ପାଇଁ ସରକାର ଗଠନ କରିଥିଲା। ଆଉ ନିର୍ବାଚନ ଫଳାଫଳ ଅନୁଯାୟୀ ଏହା କ୍ରମାଗତ ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ ସଂଖ୍ୟାଗରିଷ୍ଠତା ହାସଲ କରିଛି । ସେଠାରେ ମଧ୍ୟ ବିଜେପିକୁ ପୂର୍ବାପେକ୍ଷା ଅଧିକ ଆସନ ମିଳିଛି। ଏହା ପୂର୍ବରୁ ହରିୟାଣାରେ ଲଗାତାର ତୃତୀୟ ଥର ପାଇଁ ବିଜେପି ସରକାର ଗଠନ ହୋଇଛି । ହରିୟାଣାରେ ମଧ୍ୟ ଜନତା ଆମକୁ ପୂର୍ବ ଅପେକ୍ଷା ଅଧିକ ସଂଖ୍ୟାଗରିଷ୍ଠତା ଦେଇଛନ୍ତି। ନିକଟରେ ରାଜସ୍ଥାନରେ ହୋଇଥିବା ଉପନିର୍ବାଚନରେ ଆମେ ଦେଖିଛୁ ଯେ ଲୋକମାନେ କିପରି ବିଜେପିକୁ ପ୍ରବଳ ସମର୍ଥନ କରିଛନ୍ତି। ଏଥିରୁ ଜଣାପଡୁଛି ଯେ ବିଜେପିର କାର୍ଯ୍ୟ ଏବଂ କର୍ମୀଙ୍କ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଉପରେ ଜନତାଙ୍କର କେତେ ବିଶ୍ୱାସ ରହିଛି ।

 

ସାଥୀମାନେ

ରାଜସ୍ଥାନ ଏପରି ଏକ ରାଜ୍ୟ ଯାହାର ସେବା ଦୀର୍ଘ ଦିନ ଧରି ବିଜେପି କରିଆସୁଛି । ପ୍ରଥମେ ଭୈରବ ସିଂ ଶେଖାୱତଜୀ ରାଜସ୍ଥାନରେ ବିକାଶର ମଜଭୁତ ଭିତ୍ତିପ୍ରସ୍ତର ସ୍ଥାପନ କରିଥିଲେ । ବସୁନ୍ଧରା ରାଜେ ଜୀ ତାଙ୍କ ଠାରୁ ଦାୟିତ୍ୱ ଗ୍ରହଣ କରି ସୁଶାସନର ପରମ୍ପରାକୁ ଆଗକୁ ବଢ଼ାଇଥିଲେ ଏବଂ ବର୍ତ୍ତମାନ ଭଜନ ଲାଲଙ୍କ ସରକାର ସୁଶାସନର ଏହି ପରମ୍ପରାକୁ ଆହୁରି ସମୃଦ୍ଧ କରିବାରେ ଲାଗିପଡିଛନ୍ତି । ଗତ ବର୍ଷକ ମଧ୍ୟରେ ଏହାର ଛାପ ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି, ଏହାର ଚିତ୍ର ଦେଖିବାକୁ ମିଳୁଛି।

ସାଥୀମାନେ

ଗତ ଏକ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ କ'ଣ କରାଯାଇଛି ତାହା ଏଠାରେ ବିସ୍ତୃତ ଭାବେ କୁହାଯାଇଛି। ବିଶେଷ କରି ଗରିବ ପରିବାର, ମାଆ, ଭଉଣୀ, ଝିଅ, ଶ୍ରମିକ, ବିଶ୍ୱକର୍ମା ବନ୍ଧୁ ଓ ଯାଯାବର ପରିବାର ପାଇଁ ଅନେକ ନିଷ୍ପତ୍ତି ନିଆଯାଇଛି। ପୂର୍ବ କଂଗ୍ରେସ ସରକାର ଏଠାକାର ଯୁବକମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଅନେକ ଅନ୍ୟାୟ କରିଥିଲେ। ପ୍ରଶ୍ନପତ୍ର ଲିକ୍ ଓ ନିଯୁକ୍ତି ଦୁର୍ନୀତି ରାଜସ୍ଥାନର ପରିଚୟ ପାଲଟିଥିଲା। ଏହା ଆସିବା ମାତ୍ରେ ବିଜେପି ସରକାର ଏହାର ତଦନ୍ତ ଆରମ୍ଭ କରିବା ସହ ଅନେକଙ୍କୁ ଗିରଫ ମଧ୍ୟ କରାଯାଇଛି। ଖାଲି ସେତିକି ନୁହେଁ, ବିଜେପି ସରକାର ବର୍ଷକୁ ହଜାର ହଜାର ଲୋକଙ୍କୁ ନିଯୁକ୍ତି ମଧ୍ୟ ଦେଇଛନ୍ତି। ଏଠାରେ ମଧ୍ୟ ପୂର୍ଣ୍ଣ ସ୍ୱଚ୍ଛତାର ସହ ପରୀକ୍ଷା ଅନୁଷ୍ଠିତ ହେଉଛି, ନିଯୁକ୍ତି ମଧ୍ୟ କରାଯାଉଛି। ପୂର୍ବ ସରକାର ସମୟରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଲୋକଙ୍କୁ ପେଟ୍ରୋଲ ଓ ଡିଜେଲ ଅନ୍ୟ ରାଜ୍ୟ ତୁଳନାରେ ମହଙ୍ଗାରେ କିଣିବାକୁ ପଡୁଥିଲା । ଏଠାରେ ବିଜେପି ସରକାର ଗଠନ ହେବା ମାତ୍ରେ ରାଜସ୍ଥାନର ମୋ ଭାଇ-ଭଉଣୀଙ୍କୁ ଆଶ୍ୱସ୍ତି ମିଳିଲା। ପିଏମ କିଷାନ ସମ୍ମାନ ନିଧି ଯୋଜନାରେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ସିଧାସଳଖ କୃଷକଙ୍କ ବ୍ୟାଙ୍କ ଆକାଉଣ୍ଟକୁ ଟଙ୍କା ପଠାଉଛନ୍ତି । ଏବେ ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନର ରାଜସ୍ଥାନ ବିଜେପି ସରକାର ଏଥିରେ ଅତିରିକ୍ତ ଟଙ୍କା ଯୋଡି କୃଷକଙ୍କୁ ସାହାଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି । ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନ ସରକାର ଏଠାରେ ଭିତ୍ତିଭୂମି ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ କାର୍ଯ୍ୟ ମଧ୍ୟ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ କାର୍ଯ୍ୟକାରୀ କରୁଛନ୍ତି। ବିଜେପି ଦେଇଥିବା ପ୍ରତିଶ୍ରୁତିକୁ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ ପୂରଣ କରୁଛି। ଆଜିର କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମ ମଧ୍ୟ ଏହାର ଏକ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ ଅଂଶ ।

ସାଥୀମାନେ

ରାଜସ୍ଥାନବାସୀଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦରେ ଗତ ୧୦ ବର୍ଷ ଧରି କେନ୍ଦ୍ରରେ ବିଜେପି ସରକାର ରହିଛି। ଏହି ୧୦ ବର୍ଷ ମଧ୍ୟରେ ଆମେ ଦେଶର ଲୋକଙ୍କୁ ସୁବିଧା ଯୋଗାଇବା, ସେମାନଙ୍କ ଜୀବନରୁ ଅସୁବିଧା କୁ ହ୍ରାସ କରିବା ଉପରେ ଆମେ ବହୁତ ଗୁରୁତ୍ୱ ଦେଇଛୁ । ସ୍ୱାଧୀନତା ପରେ ୫-୬ ଦଶନ୍ଧି ମଧ୍ୟରେ କଂଗ୍ରେସ ଯେତିକି କାମ କରିଥିଲା, ଆମେ ତା'ଠାରୁ ୧୦ ବର୍ଷରେ ଅଧିକ କାମ କରିଛୁ। ରାଜସ୍ଥାନର ଉଦାହରଣ ନିଅନ୍ତୁ। ପାଣିର ମହତ୍ତ୍ୱ ରାଜସ୍ଥାନଠାରୁ ଭଲ କିଏ ବୁଝିପାରିବ? ଅନେକ ଅଞ୍ଚଳରେ ଏଭଳି ଭୟଙ୍କର ମରୁଡ଼ି ଦେଖାଦେଇଛି। ଅପରପକ୍ଷରେ କେତେକ ସ୍ଥାନରେ ଆମ ନଦୀର ପାଣି ବିନା ବ୍ୟବହାରରେ ସମୁଦ୍ରକୁ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଛି। ଆଉ ସେଥିପାଇଁ ଅଟଳ ବିହାରୀ ବାଜପେୟୀ କ୍ଷମତାରେ ଥିବା ବେଳେ ଅଟଳଜୀ ନଦୀକୁ ସଂଯୋଗ କରିବା ପାଇଁ ଏକ ଭିଜନ ରଖିଥିଲେ । ଏଥିପାଇଁ ସେ ଏକ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର କମିଟି ମଧ୍ୟ ଗଠନ କରିଥିଲେ। ଅଧିକ ପାଣି ଥିବା ଏବଂ ସମୁଦ୍ରକୁ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଥିବା ନଦୀଗୁଡ଼ିକୁ ମରୁଡ଼ି ପ୍ରବଣ ଅଞ୍ଚଳରେ ପହଞ୍ଚାଇବା ଏହାର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଥିଲା। ଅନ୍ୟପଟେ ବନ୍ୟା ଓ ମରୁଡ଼ି ସମସ୍ୟା ଉଭୟ ସମାଧାନ ସମ୍ଭବ ହୋଇପାରିଥିଲା। ସୁପ୍ରିମ୍ କୋର୍ଟ ମଧ୍ୟ ଏହାକୁ ସମର୍ଥନ କରି ଅନେକ ଥର ମତ ରଖିଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ କଂଗ୍ରେସ କେବେ ବି ଆପଣଙ୍କ ଜୀବନରୁ ଜଳ ସମସ୍ୟାକୁ ହ୍ରାସ କରିବାକୁ ଚାହିଁ ନାହିଁ । ଆମ ନଦୀର ପାଣି ସୀମା ପାର ହେଉଥିଲା, କିନ୍ତୁ ଆମର କୃଷକମାନେ ଏହାର ଲାଭ ପାଉ ନ ଥିଲେ । କଂଗ୍ରେସ ସମାଧାନ ଖୋଜିବା ପରିବର୍ତ୍ତେ ରାଜ୍ୟଗୁଡ଼ିକ ମଧ୍ୟରେ ଜଳ ବିବାଦକୁ ପ୍ରୋତ୍ସାହନ ଦେବା ଜାରି ରଖିଥିଲା । ରାଜସ୍ଥାନ ଏହି ଦୁର୍ନୀତି କାରଣରୁ ବହୁତ କିଛି କ୍ଷତି ସହିତ ଏଠିକାର ଏହି ଦୁଷ୍କର୍ମ ଯୋଗୁଁ ରାଜସ୍ଥାନ ବହୁତ କ୍ଷତି ସହିଛି, ଏଠିକାର ମା' ଭଉଣୀମାନେ ଦୁଃଖ ଭୋଗିଛନ୍ତି, ଏହାର କୃଷକମାନେ କ୍ଷତି ସହିଛନ୍ତି।

 

ମୋର ମନେ ଅଛି, ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ଗୁଜରାଟର ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ ଭାବରେ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଥିଲି ଓ ସେତେବେଳେ, ସେଠାରେ ସର୍ଦ୍ଦାର ସରୋବର ଡ୍ୟାମ୍ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ହୋଇଥିଲା, ମା' ନର୍ମଦାର ଜଳକୁ ଗୁଜୁରାଟର ବିଭିନ୍ନ ସ୍ଥାନକୁ,  ପହଞ୍ଚାଇବା ପାଇଁ ଏକ ବଡ଼ ଅଭିଯାନ ଆରମ୍ଭ କରାଯାଇଥିଲ, କଚ୍ଛର ସୀମାକୁ  ପାଣି ଛଡ଼ାଯାଇଥିଲା କିନ୍ତୁ ଏହାକୁ ରୋକିବା ପାଇଁ କଂଗ୍ରେସ ଓ କିଛି ଏନଜିଓ ପକ୍ଷରୁ ବିଭିନ୍ନ କୌଶଳ ଅବଲମ୍ବନ କରାଯାଇଥିଲା। କିନ୍ତୁ ଆମେ ଜଳର ମହତ୍ତ୍ୱ ବୁଝିଥିଲୁ । ଏବଂ ମୋ ପାଇଁ ମୁଁ କହୁଛି ଯେ ଜଳ ଦିବ୍ୟ, ଯେପରି ପାରଦ ଲୁହାକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରେ ଏବଂ ଲୁହା ସୁନା ରେ ପରିଣତ ହୁଏ, ଯେଉଁଠାରେ ଜଳ ସ୍ପର୍ଶ କରେ, ଏହା ଏକ ନୂତନ ଶକ୍ତି ଏବଂ ଶକ୍ତିକୁ ଜନ୍ମ ଦିଏ |

ସାଥୀମାନେ

ମୁଁ ଏହି ଲକ୍ଷ୍ୟ ଦିଗରେ ନିରନ୍ତର ପରିଶ୍ରମ କରିଥିଲି, ବିରୋଧ, ସମାଲୋଚନାର ସମ୍ମୁଖୀନ ହୋଇଥିଲି, କିନ୍ତୁ ଜଳର ଗୁରୁତ୍ୱ ବୁଝିଥିଲି । କେବଳ ଗୁଜରାଟକୁ ନର୍ମଦା ପାଣିର ଲାଭ ମିଳିବା ଉଚିତ ନୁହେଁ, ବରଂ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ମଧ୍ୟ ନର୍ମଦା ଜଳରୁ ଫାଇଦା ମିଳିବା ଦରକାର। ଏବଂ କୌଣସି ଉତ୍ତେଜନା ନାହିଁ, କୌଣସି ବାଧା ନାହିଁ, କୌଣସି ସ୍ମାରକପତ୍ର ନାହିଁ, କୌଣସି ଆନ୍ଦୋଳନ ନାହିଁ, ଡିଏଏମର କାର୍ଯ୍ୟ ଶେଷ ହେବା ମାତ୍ରେ ଏହା ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦିଆଯିବ, ଏହା ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦିଆଯିବ ନାହିଁ, ଏହା ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଦିଆଯିବ ନାହିଁ, ଆମେ ଏକା ସାଙ୍ଗରେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଜଳ ଯୋଗାଇବା ପାଇଁ ଏହି କାର୍ଯ୍ୟ ଆରମ୍ଭ କରିଛୁ । ଏବଂ ମୋର ମନେ ଅଛି, ଯେତେବେଳେ ନର୍ମଦା ଜୀଙ୍କ ଜଳ ରାଜସ୍ଥାନରେ ପହଞ୍ଚିଥିଲା, ସେତେବେଳେ ରାଜସ୍ଥାନର ଜୀବନରେ ବହୁତ ଉତ୍ସାହ ଏବଂ ଉତ୍ସାହ ଥିଲା । ଆଉ ଏହାର କିଛି ଦିନ ପରେ ହଠାତ୍ ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟରେ ମେସେଜ ଆସିଲା ଯେ ଭୈରବ ସିଂହ ଜୀ ଶେଖାୱତ ଏବଂ ଯଶବନ୍ତ ସିଂହ ଜୀ ଗୁଜୁରାଟ ଆସି ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ ଭେଟିବାକୁ ଚାହୁଁଛନ୍ତି । ଏବେ ସେମାନେ କ'ଣ ପାଇଁ ଆସିଛନ୍ତି, କେଉଁ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଆସିଛନ୍ତି ମୁଁ ଜାଣିପାରିଲି ନାହିଁ। କିନ୍ତୁ ସେ ମୋ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟକୁ ଆସିଲେ, ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ପଚାରିଲି   କେମିତି ଆସିବା ହେଲା,  କାହିଁକି...   ସେ କହିଲେ ନାଇଁ କିଛି  କାମ ନାହିଁ, ସେମିତି ଆପଣଙ୍କୁ ଭେଟିବାକୁ ଆସିଛୁ । ସେମାନେ ଦୁହେଁ ମୋର ବରିଷ୍ଠ ନେତା ଥିଲେ, ଆମେ ଭୈରବ ସିଂହଙ୍କ ଆଙ୍ଗୁଠି ଧରି ବଡ଼ ହୋଇଛୁ । ଆଉ ସେ ଆସି ମୋ ସାମ୍ନାରେ ବସୁ ନ ଥାନ୍ତି,, ସେ ମୋତେ ସମ୍ମାନ ଦେବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲେ, ମୁଁ ମଧ୍ୟ ଟିକିଏ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଯାଇଥିଲି । କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ମୋତେ ସମ୍ମାନ କରୁଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ଦୁହେଁ ଏତେ ଭାବପ୍ରବଣ ଥିଲେ ଯେ ସେମାନଙ୍କ ଆଖି ଭାବୁକ ହୋଇ ପଡିଥିଲା । ଏବଂ ସେ କହିଥିଲେ, ମୋଦୀଜୀ, ଆପଣ ଜାଣନ୍ତି ପାଣି ଦେବାର ଅର୍ଥ କ'ଣ, ଆପଣ ଗୁଜୁରାଟ ନର୍ମଦା ଜଳ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଏତେ ସହଜରେ ଦେଇପାରିବେ । ଆଉ ସେଥିପାଇଁ ଆଜି ମୁଁ ରାଜସ୍ଥାନର କୋଟି କୋଟି ଲୋକଙ୍କ ଭାବନା କୁ ପ୍ରକାଶ କରିବା ପାଇଁ ଆପଣଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟାଳୟକୁ ଆସିଛି ।

ସାଥୀମାନେ

ପାଣିରେ କେତେ ଶକ୍ତି ଅଛି ତାହାର ଅନୁଭୂତି ଥିଲା। ଏବଂ ମୁଁ ଖୁସି ଯେ  ମାତା ନର୍ମଦା ଆଜି  ଜାଲୋର, ବାଡମେର, ଚୁରୁ,  ଝୁଂଝୁନୁ, ଯୋଧପୁର, ନାଗୌର, ହନୁମାନଗଡ଼ ଭଳି ଏମିତି ଅନେକ ଜିଲ୍ଲାରେ ନର୍ମଦା ଜଳ ମିଳୁଛି ।

ସାଥୀମାନେ

ଆମ ଦେଶରେ କୁହାଯାଏ ଯେ ଯଦି ଆମେ ନର୍ମଦା ଜୀଙ୍କୁ ସ୍ନାନ କରିଥାଉ, ନର୍ମଦାଜୀଙ୍କୁ ପରିକ୍ରମା କରିଥାଉ, ତେବେ ଅନେକ ପିଢ଼ିର ପାପ ଧୋଇ ହୋଇ ଯାଇଥାଏ  । କିନ୍ତୁ ବିଜ୍ଞାନର ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟକୁ ଦେଖନ୍ତୁ, ଥରେ ଆମେ ମା' ନର୍ମଦାଙ୍କ ପରିକ୍ରମା କରିବାକୁ ଯାଉଥିଲୁ, ଆଜି ସ୍ଵୟ ମାତା ନର୍ମଦା ନିଜେ ପରିକ୍ରମା କରିବାକୁ ବାହାରି ହନୁମାନଗଡ଼ ଅଭିମୁଖେ ଯାଇଛନ୍ତି।

 

ସାଥୀମାନେ

ପୂର୍ବ ରାଜସ୍ଥାନ କେନାଲ ପ୍ରକଳ୍ପ... ଇଆରସିପିକୁ କଂଗ୍ରେସ କେତେ ମାତ୍ରାରେ ବିଳମ୍ବ କରିଛି ତାହା ମଧ୍ୟ କଂଗ୍ରେସର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟର ସିଧାସଳଖ ପ୍ରମାଣ। ସେମାନେ କୃଷକଙ୍କ ନାଁରେ ବଡ଼ ବଡ଼ କଥା କହୁଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ ସେମାନେ କୃଷକଙ୍କ ପାଇଁ କିଛି କରାଇ ଦିଅନ୍ତୁ ନାହିଁ , ଅନ୍ୟମାନଙ୍କୁ କିମ୍ବା କରିବାକୁ ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ । ବିଜେପିର ନୀତି ବିବାଦ ପାଇଁ ନୁହେଁ, ବରଂ ଯୋଗାଯୋଗ ପାଇଁ । ଆମେ ବିରୋଧୀ ନୁହେଁ, ସହଯୋଗରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁ। ଆମେ ବ୍ୟବଧାନ ନୁହେଁ ସମାଧାନ ଉପରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁ, ବାଧାରେ ନୁହେଁ । ତେଣୁ ଆମ ସରକାର, ପୂର୍ବ ରାଜସ୍ଥାନ କେନାଲ ପ୍ରକଳ୍ପକୁ ଅନୁମୋଦନ ଓ ସମ୍ପ୍ରସାରଣ ମଧ୍ୟ କରିଛନ୍ତି। ଯେମିତି ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶ ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନରେ ବିଜେପି ସରକାର ଗଠନ ହେବା ମାତ୍ରେ ପାର୍ବତୀ-କାଲିସିନ୍ଧ-ଚମ୍ବଲ ପ୍ରକଳ୍ପ, ଏମପିକେସି ଲିଙ୍କ୍ ପ୍ରକଳ୍ପ କୁ ନେଇ ବୁଝାମଣା ହୋଇଥିଲା।

ଆପଣ ଯେଉଁ ଚିତ୍ର ଦେଖୁଥିଲେ, କେନ୍ଦ୍ରର ଜଳମନ୍ତ୍ରୀ ଏବଂ ଦୁଇ ରାଜ୍ୟର ମୁଖ୍ୟମନ୍ତ୍ରୀ, ଏହି ଚିତ୍ର ସାଧାରଣ ନୁହେଁ । ଆଗାମୀ ଦଶନ୍ଧି ଧରି ଏହି ଚିତ୍ର ଭାରତର କୋଣ ଅନୁକୋଣରେ ଥିବା ରାଜନେତାମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶ୍ନ ପଚାରିବ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ରାଜ୍ୟକୁ ପଚରାଯିବ ଯେ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶ, ରାଜସ୍ଥାନ ମିଶି ଜଳର ସମସ୍ୟାକୁ, ନଦୀ ଜଳର ରାଜିନାମାକୁ ଆଗେଇ ନେଇପାରିବେ, ଆପଣ କେଉଁ ପ୍ରକାର ରାଜନୀତି କରୁଛନ୍ତି ଯେ ଯେତେବେଳେ ଜଳ ସମୁଦ୍ରରେ ପ୍ରବାହିତ ହେଉଛି, ସେତେବେଳେ ଆପଣ ଏକ କାଗଜରେ ଦସ୍ତଖତ କରିପାରିବେ ନାହିଁ । ଏହି ଚିତ୍ରକୁ ଆଗାମୀ ଦଶନ୍ଧି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମଗ୍ର ଦେଶ ଦେଖିବାକୁ ଯାଉଛି । ଏପରିକି ସାଧାରଣ ଦୃଶ୍ୟ ମଧ୍ୟ ମୁଁ ଦେଖୁନାହିଁ। ଦେଶ ପାଇଁ ଭଲ କରିବା ପାଇଁ କାମ କରୁଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଯେତେବେଳେ ସେବା କରିବାର ସୁଯୋଗ ମିଳେ, ସେତେବେଳେ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶରୁ କେହି ପାଣି ଆଣିଥାଏ, କେହି ରାଜସ୍ଥାନରୁ ପାଣି ଆଣିଥାଏ, ସେହି ପାଣି ସଂଗ୍ରହ କରାଯାଏ ଏବଂ ମୋ ରାଜସ୍ଥାନ ସୁଜଲାମ -ସୁଫଲାମ କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରୟାସ କରିବାର ପରମ୍ପରା ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି । ଏହା ଅସାଧାରଣ ଲାଗୁଛି, ଏହା ଏକ ବର୍ଷବ୍ୟାପୀ ଉତ୍ସବ, କିନ୍ତୁ ଆଗାମୀ ଶତାବ୍ଦୀର ଭବିଷ୍ୟତ ଆଜି ଏହି ପ୍ଲାଟଫର୍ମରୁ ଲେଖାଯାଉଛି । ଏହି ପ୍ରକଳ୍ପ ଦ୍ୱାରା ଚମ୍ବଲ ଏବଂ ପାର୍ବତୀ, କାଲିସିନ୍ଧ, କୁନୋ, ବଣାସ, ବାଣଗଙ୍ଗା, ରୁପାରେଲ, ଗମ୍ଭୀରୀ ଏବଂ ମେଜ ଭଳି ଏହାର ଶାଖା ନଦୀଗୁଡିକର ଜଳକୁ ଉଭୟଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସଂଯୋଗ କରାଯିବ ।

ସାଥୀମାନେ

ନଦୀକୁ ସଂଯୋଗ କରିବାର ଶକ୍ତି କ'ଣ, ମୁଁ ଗୁଜୁରାଟରେ ତାହା କରିଛି । ନର୍ମଦା ନଦୀର ଜଳ ଗୁଜରାଟର ବିଭିନ୍ନ ନଦୀ ସହିତ ସଂଯୁକ୍ତ ଥିଲା । ଯେତେବେଳେ ବି ଆପଣ ଅହମ୍ମଦାବାଦକୁ ଯାଆନ୍ତି, ଆପଣ ସାବରମତୀ ନଦୀକୁ ଦେଖିଥାନ୍ତି । ୨୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ଯଦି କୌଣସି ପିଲାଙ୍କୁ ସାବରମତୀ ଉପରେ ଏକ ପ୍ରବନ୍ଧ ଲେଖିବାକୁ କୁହାଯାଉଥିଲା । ତେବେ ସେ ଲେଖୁଥିଲା ଯେ ସାବରମତୀରେ ସର୍କସ୍ ତମ୍ବୁ  ଲାଗିଥାଏ। ବହୁତ ଭଲ ସର୍କସ ସୋ ହେଉଥିଲା । ସାବରମତୀରେ କ୍ରିକେଟ୍ ଖେଳିବାର ମଜା ଆସୁଥିଲା।  ସାବରମତୀରେ ମାଟିର ବହୁତ ଭଲ ଧୂଳି ରହିଛି । କାରଣ ମୁଁ ସାବରମତୀରେ ପାଣି ଦେଖିନଥିଲି । ଆଜି ସାବରମତୀକୁ ନର୍ମଦା ଜଳ ଦ୍ୱାରା ପୁନରୁଦ୍ଧାର କରାଯାଇଛି ଏବଂ ଆପଣ ଅହମ୍ମଦାବାଦର ରିଭରଫ୍ରଣ୍ଟ ଦେଖିପାରିବେ । ଏହା ହେଉଛି ନଦୀଗୁଡିକୁ ସଂଯୋଗ କରିବାର ଶକ୍ତି ଏବଂ ମୁଁ ମୋ ଆଖିରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଏପରି ଏକ ସୁନ୍ଦର ଦୃଶ୍ୟ କଳ୍ପନା କରିପାରିବି ।

ସାଥୀମାନେ

ମୁଁ ସେହି ଦିନ ଦେଖୁଛି ଯେତେବେଳେ ରାଜସ୍ଥାନରେ ପାଣିର ଅଭାବ ରହିବ ନାହିଁ, ରାଜସ୍ଥାନରେ ବିକାଶ ପାଇଁ ପର୍ଯ୍ୟାପ୍ତ ଜଳ ରହିବ । ପାର୍ବତୀ-କାଲିସିନ୍ଧ-ଚମ୍ବଲ ପ୍ରକଳ୍ପ ଦ୍ୱାରା ରାଜସ୍ଥାନର ୨୧ଟି ଜିଲ୍ଲାକୁ ଜଳସେଚନ ଜଳ ପାଇଁ ଓ ପାନୀୟ ଜଳ ଯୋଗାଇ ଦିଆଯିବ। ଏହା ଦ୍ୱାରା ଉଭୟ ରାଜସ୍ଥାନ ଓ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶର ବିକାଶ ତ୍ୱରାନ୍ୱିତ ହେବ ।

 

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ହିସାରଦା ଲିଙ୍କ୍ ପ୍ରକଳ୍ପର ଶିଳାନ୍ୟାସ ମଧ୍ୟ କରାଯାଇଛି। ତାଜେୱାଲାରୁ ଶେଖାଓ୍ଵାଟିକୁ ପାଣି ଆଣିବା ପାଇଁ ଆଜି ଏକ ଚୁକ୍ତି ସ୍ୱାକ୍ଷରିତ ହୋଇଛି। ଏହି ଜଳ ସହିତ ଏହି ଚୁକ୍ତି ଦ୍ୱାରା ଉଭୟ ହରିୟାଣା ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନ ଉଭୟ ରାଜ୍ୟ ମଧ୍ୟ ଉପକୃତ ହେବେ । ମୋର ବିଶ୍ୱାସ ଯେ ରାଜସ୍ଥାନର ଶତ ପ୍ରତିଶତ ପରିବାରଖୁବ୍ ଶୀଘ୍ର ଟ୍ୟାପ୍ ପାଣି ପାଇବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆମର ସି ଆର ପାଟିଲଙ୍କ ନେତୃତ୍ୱରେ ଏକ ବହୁତ ବଡ ଅଭିଯାନ ଚାଲିଛି । ଏହାକୁ ନେଇ ଗଣମାଧ୍ୟମରେ ଚର୍ଚ୍ଚା ଅଧିକ ଓ ବାହାରେ କମ୍ ଚର୍ଚ୍ଚା ହେଉଛି। କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଏହାର ଶକ୍ତିକୁ ଭଲ ଭାବରେ ବୁଝିପାରୁଛି । ଜନସାଧାରଣଙ୍କ ଭାଗିଦାରୀରେ ଏହି ଅଭିଯାନ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଛି। ବର୍ଷା ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ ପାଇଁ କୂଅ ନିର୍ମାଣ କରାଯାଉଛି। ବୋଧହୁଏ ଆପଣ ମାନେ ମଧ୍ୟ ଏହା ବିଷୟରେ ଜାଣନ୍ତି ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ମୋତେ କୁହାଯାଇଛି ଯେ ଜନସାଧାରଣଙ୍କ ଭାଗିଦାରୀରେ ଆଜି ରାଜସ୍ଥାନରେ ଦୈନିକ ବର୍ଷା ଅମଳ ଢାଞ୍ଚା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରାଯାଉଛି । ଗତ କିଛି ମାସ ମଧ୍ୟରେ ଜଳ ସଂକଟର ସମ୍ମୁଖୀନ ହେଉଥିବା ରାଜ୍ୟଗୁଡ଼ିକରେ ପାଖାପାଖି ୩ ଲକ୍ଷ ବର୍ଷା ଅମଳ ଢାଞ୍ଚା ନିର୍ମାଣ କରାଯାଇଛି। ମୁଁ ଦୃଢ଼ ଭାବରେ ବିଶ୍ୱାସ କରୁଛି ଯେ ବର୍ଷା ଜଳ ସଞ୍ଚୟ କରିବାର ଏହି ପ୍ରୟାସ ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଆମ ପୃଥିବୀ ମା'ର ତୃଷ୍ଣା ମେଣ୍ଟାଇବ । ଆଉ ଭାରତରେ ବସିଥିବା କୌଣସି ପୁଅ କିମ୍ବା ଝିଅ କେବେ ବି ନିଜ ପୃଥିବୀ ମା'ଙ୍କୁ କୁ ତୃଷାରେ ରଖିବାକୁ ଚାହିଁବେ ନାହିଁ । ଆମେ ଯେଉଁ ତୃଷା ପାଇଁ ଇଚ୍ଛା କରୁଛୁ, ଆମକୁ ବ୍ୟଥିତ କରୁଥିବା ତୃଷା, ଆମ ମାତା ପୃଥିବୀକୁ ବ୍ୟଥିତ କରୁଥିବା ତୃଷା । ତେଣୁ ଏହି ପୃଥିବୀର ସନ୍ତାନ ଭାବରେ ଆମ ସମସ୍ତଙ୍କ ଦାୟିତ୍ୱ ହେଉଛି ଆମ ମା' ପୃଥିବୀ ,ମା’ ର ତୃଷ୍ଣା ମେଣ୍ଟାଇବା । ପୃଥିବୀ ମାତାର ତୃଷା ମେଣ୍ଟାଇବା ପାଇଁ ବର୍ଷା ଜଳର ପ୍ରତ୍ୟେକ ବୁନ୍ଦା ବ୍ୟବହାର କରାଯାଉ । ଆଉ ଥରେ ପୃଥିବୀ ମାତାଙ୍କ ଆଶୀର୍ବାଦ ପାଇବା ପରେ ଦୁନିଆର କୌଣସି ଶକ୍ତି ଆମକୁ ପଛରେ ରଖିପାରିବ ନାହିଁ ।

ମୋର ମନେ ଅଛି ଗୁଜରାଟରେ ଜଣେ ଜୈନ ମହାତ୍ମା ଥିଲେ । ପ୍ରାୟ ୧୦୦ ବର୍ଷ ତଳେ ସେ ଲେଖିଥିଲେ, ବୁଦ୍ଧି ସାଗର ଜୀ ମହାରାଜ ଥିଲେ, ସେ ଜଣେ ଜୈନ ମୁନି ଥିଲେ। ପ୍ରାୟ ୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ସେ ଏହା ଲେଖିଥିଲେ ଏବଂ ସେହି ସମୟରେ ବୋଧହୁଏ କେହି ତାଙ୍କ କଥାକୁ ବିଶ୍ୱାସ କରିନଥାନ୍ତେ । ସେ ଲେଖିଛନ୍ତି, "୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ – ଏମିତି ଏକ ଦିନ ଆସିବ ଯେତେବେଳେ ତେଜରାତି ଦୋକାନରେ ପାନୀୟ ଜଳ ବିକ୍ରି ହେବ। ୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ ଲେଖାଯାଇଥିଲା ଯେ ଆଜି ଆମେ ବାଧ୍ୟ ହୋଇ ତେଜରାତି ଦୋକାନରୁ ବିସଲେରୀ ବୋତଲ କିଣି ପାଣି ପିଉଛୁ ବୋଲି ୧୦୦ ବର୍ଷ ପୂର୍ବେ କୁହାଯାଇଥିଲା।

 

ସାଥୀମାନେ

ଏହା ଏକ ଯନ୍ତ୍ରଣାଦାୟକ କାହାଣୀ । ଆମର ପୂର୍ବପୁରୁଷମାନେ ଆମଠାରୁ ଅନେକ କିଛି ଉତ୍ତରାଧିକାରୀ ଭାବେ ପାଇଛନ୍ତି। ଏବେ ପାଣି ଅଭାବରୁ ଭବିଷ୍ୟତ ପିଢ଼ିକୁ ମରିବାକୁ ବାଧ୍ୟ ନ କରିବା ଆମର ଦାୟିତ୍ୱ। ଆସନ୍ତୁ ସେଗୁଡ଼ିକୁ ଆମ ପୃଥିବୀ ମାତାଙ୍କୁ, ଆମର ଭବିଷ୍ୟତ ପିଢ଼ିକୁ ହସ୍ତାନ୍ତର କରିବା । ଏବଂ ଆଜି ମୁଁ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶ ସରକାରଙ୍କୁ ସେହି ପବିତ୍ର କାର୍ଯ୍ୟ ପାଇଁ ଅଭିନନ୍ଦନ ଜଣାଉଛି । ମୁଁ ମଧ୍ୟପ୍ରଦେଶବାସୀଙ୍କୁ ଶୁଭେଚ୍ଛା ଜଣାଉଛି। ମୁଁ ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର ଏବଂ ରାଜସ୍ଥାନବାସୀଙ୍କୁ ଶୁଭକାମନା ଜଣାଉଛି । ଏବେ ଏହି କାମକୁ ବିନା ବାଧାରେ ଆଗକୁ ବଢ଼ାଇବା ଆମର କାମ। ଆବଶ୍ୟକ ସ୍ଥଳେ ଯେଉଁ ଅଞ୍ଚଳରୁ ଏହି ଯୋଜନା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରାଯାଉଛି । ଲୋକମାନେ ସମ୍ମୁଖକୁ ଆସି ସମର୍ଥନ କରନ୍ତୁ । ତା'ହେଲେ ଯୋଜନାଗୁଡ଼ିକ ସମୟ ପୂର୍ବରୁ ଶେଷ ହୋଇପାରିବ ଏବଂ ଏହି ସମଗ୍ର ରାଜସ୍ଥାନର ଭାଗ୍ୟ ବଦଳିପାରିବ।

ସାଥୀମାନେ

ଏକବିଂଶ ଶତାବ୍ଦୀର ଭାରତ ପାଇଁ ମହିଳାମାନଙ୍କୁ ସଶକ୍ତ କରିବା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଜରୁରୀ । ଭାଇ ସେ କ୍ୟାମେରା, କ୍ୟାମେରାର ଏତେ ପସନ୍ଦ ଏତେ ପରିମାଣର ବାଢିଯାଇଛି କରାଯାଉଛି ଯେ ସେମାନଙ୍କ ଉତ୍ସାହ ବଢିଯାଇଛି । ଟିକେ ସେ କ୍ୟାମେରା ବ୍ୟକ୍ତିଙ୍କୁ ଅନ୍ୟ ପାର୍ଶ୍ୱକୁ ସ୍ଥାନାନ୍ତର କରନ୍ତୁ, ସେମାନେ ଥକିଯିବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆପଣଙ୍କ ଏହି ଭଲପାଇବାକୁନ ନେଇ ମୁଁ ଆପଣଙ୍କ ନିକଟରେ କୃତଜ୍ଞ । ଏହି  ଉତ୍ସାହ ଏବଂ ଉଦ୍ଦୀପନା ପାଇଁ ସାଥିମାନେ ମହିଳା ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ସମୂହରେ ଗୋଷ୍ଠୀ ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀ ର ଆନ୍ଦୋଳନରେ ନାରୀ ଶକ୍ତିର ଶକ୍ତି କ'ଣ ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ଆପଣଙ୍କ ନିକଟରେ କୃତଜ୍ଞ । ଗତ ଦଶନ୍ଧି ମଧ୍ୟରେ ଦେଶର ୧୦ କୋଟି ଭଉଣୀ ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀ ସହ ଜଡ଼ିତ ହୋଇଛନ୍ତି। ଏମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ଭଉଣୀ ମଧ୍ୟ ଅଛନ୍ତି। ଏହି ଗୋଷ୍ଠୀ ସହ ଜଡ଼ିତ ଭଉଣୀମାନଙ୍କୁ ସୁଦୃଢ଼ କରିବା ପାଇଁ ବିଜେପି ସରକାର ଦିନରାତି କାମ କରୁଛନ୍ତି। ଆମ ସରକାର ପ୍ରଥମେ ଏହି ଗୋଷ୍ଠୀଗୁଡ଼ିକୁ ବ୍ୟାଙ୍କ ସହ ସଂଯୋଗ କରିଥିଲେ, ତା'ପରେ ବ୍ୟାଙ୍କର ସହାୟତାକୁ ୧୦ ଲକ୍ଷରୁ ୨୦ ଲକ୍ଷକୁ ବୃଦ୍ଧି କରିଥିଲେ। ଆମେ ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରାୟ ୮ ଲକ୍ଷ କୋଟି ଟଙ୍କା ସହାୟତା ଆକାରରେ ଦେଇଛୁ। ଆମେ ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରଶିକ୍ଷଣ ଦେବାର ବ୍ୟବସ୍ଥା କରିଛୁ। ମହିଳା ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀ ସେଥିରେ ନିର୍ମିତ ସାମଗ୍ରୀ ପାଇଁ ନୂଆ ବଜାର ଯୋଗାଇ ଦେଇଛୁ ।

ଯାହାର ପରିଣାମ ଆଜି ଏହି ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀଗୁଡ଼ିକ ଗ୍ରାମୀଣ ଅର୍ଥନୀତିର ଏକ ପ୍ରମୁଖ ଶକ୍ତି ପାଲଟିଛନ୍ତି। ଏବଂ ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ମୁଁ ଏଠାକୁ ଆସୁଥିଲି, ସମସ୍ତ ବ୍ଲକରେ ମା' ଓ ଭଉଣୀମାନେ ଭର୍ତ୍ତି ଅଛନ୍ତି । ସେମାନେ କେତେ  ଉତ୍ସାହ, କେତେ ଉଦ୍ଦୀପନା । ଏବେ ଆମ ସରକାର ସ୍ୱୟଂ ସହାୟକ ଗୋଷ୍ଠୀର ତିନି କୋଟି ଭଉଣୀଙ୍କୁ କୋଟିପତି କରିବା ପାଇଁ କାମ କରୁଛନ୍ତି । ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ପ୍ରାୟ ୧.୨୫ କୋଟି ଭଉଣୀ କୋଟିପତି ଦିଦି ହୋଇସାରିଛନ୍ତି । ଅର୍ଥାତ୍ ସେମାନେ ବର୍ଷକୁ ଏକ ଲକ୍ଷରୁ ଅଧିକ ଟଙ୍କା ରୋଜଗାର କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଛନ୍ତି।

 

ସାଥୀମାନେ

ନାରୀ ଶକ୍ତିକୁ ସୁଦୃଢ଼ କରିବା ପାଇଁ ଆମେ ଅନେକ ନୂଆ ଯୋଜନା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରୁଛୁ । ଏବେ ନମୋ ଡ୍ରୋନ୍ ଦିଦି ଯୋଜନା ରହିଛି। ଏହା ଅଧୀନରେ ହଜାର ହଜାର ଭଉଣୀଙ୍କୁ ଡ୍ରୋନ୍ ପାଇଲଟ୍ ଭାବେ ତାଲିମ ଦିଆଯାଉଛି। ହଜାର ହଜାର ଗୋଷ୍ଠୀଙ୍କୁ  ମିଳି  ମଧ୍ୟ ସାରିଲାଣି ।   ଭଉଣୀମାନେ ଡ୍ରୋନ୍ ମାଧ୍ୟମରେ ଚାଷ କରୁଛନ୍ତି  ସେ ଏଥିରୁ ରୋଜଗାର ମଧ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି। ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର ମଧ୍ୟ ଏହି ଯୋଜନାକୁ ଆଗକୁ ନେବା ପାଇଁ ଅନେକ ପ୍ରୟାସ କରୁଛନ୍ତି ।

ସାଥୀମାନେ

ନିକଟରେ ଆମେ ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅଙ୍କ ପାଇଁ ଆଉ ଏକ ବଡ ଯୋଜନା ଆରମ୍ଭ କରିଛୁ । ଏହି ଯୋଜନା ହେଉଛି ବୀମା ସଖୀ ଯୋଜନା । ଏହା ଅଧୀନରେ ଗାଁର ଭଉଣୀ ଓ ଝିଅମାନଙ୍କୁ ବୀମା କାର୍ଯ୍ୟ ସହିତ ଯୋଡ଼ାଯିବ, ସେମାନଙ୍କୁ ତାଲିମ ଦିଆଯିବ। ଏହା ଅଧୀନରେ ପ୍ରାରମ୍ଭିକ ବର୍ଷଗୁଡ଼ିକରେ ସେମାନଙ୍କ କାମ ବନ୍ଦ ନ’ ହେବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେମାନଙ୍କୁ ମାନଦଣ୍ଡ ଭାବରେ ଏକ ନିର୍ଦ୍ଦିଷ୍ଟ ରାଶି ପ୍ରଦାନ କରାଯିବ। ଏହା ଅଧୀନରେ ଭଉଣୀମାନଙ୍କୁ ଟଙ୍କା ମଧ୍ୟ ମିଳିବ ଏବଂ ଏହା ସହିତ ସେମାନଙ୍କୁ ଦେଶ ସେବା କରିବାର ସୁଯୋଗ ମଧ୍ୟ ମିଳିବ । ଆମେ ଦେଖିଛୁ ଯେ ଆମର ବ୍ୟାଙ୍କ ବନ୍ଧୁମାନେ କେତେ ଚମତ୍କାର କାର୍ଯ୍ୟ କରିଥିଲେ। ଆମ ବ୍ୟାଙ୍କ ସଖୀମାନେ ଦେଶର କୋଣ ଅନୁକୋଣକୁ ବ୍ୟାଙ୍କିଙ୍ଗ  ସେବା ପ୍ରଦାନ କରିଛନ୍ତି, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଗାଁରେ ସେମାନେ ଆକାଉଣ୍ଟ ଖୋଲିଛନ୍ତି ଏବଂ ଲୋକଙ୍କୁ ଋଣ ସୁବିଧା ରେ ଯୋଡ଼ିଛନ୍ତି। ବର୍ତ୍ତମାନ ବୀମା ସଖୀ ମଧ୍ୟ ଭାରତର ପ୍ରତ୍ୟେକ ପରିବାରକୁ ବୀମା ସୁବିଧା ସହିତ ଯୋଡ଼ିବାରେ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ । ଏହି କ୍ୟାମେରାମ୍ୟାନମାନଙ୍କୁ ମୋର ଅନୁରୋଧ ଯେ ଆପଣ ଆପଣଙ୍କ କ୍ୟାମେରାକୁ ଅନ୍ୟ ପାର୍ଶ୍ୱକୁ ଫେରାଇ ଦିଅନ୍ତୁ, ଦୟାକରି ଏହାକୁ ଏଠାରେ ଥିବା ଲକ୍ଷ ଲକ୍ଷ ଲୋକଙ୍କ ପାଖକୁ ନେଇ ଯାଆନ୍ତୁ ।

ସାଥୀମାନେ

ଗାଁର ଆର୍ଥିକ ସ୍ଥିତିରେ ଉନ୍ନତି ଆଣିବା ପାଇଁ ବିଜେପି ସରକାର ନିରନ୍ତର ପ୍ରୟାସ ଜାରି ରଖିଛନ୍ତି। ବିକଶିତ ଭାରତ ଗଠନ ପାଇଁ ଏହା ଅତ୍ୟନ୍ତ ଗୁରୁତ୍ୱପୂର୍ଣ୍ଣ । ସେଥିପାଇଁ ଗାଁରେ ରୋଜଗାର ଓ ରୋଜଗାରର ସବୁ ଉପାୟ ଉପରେ ଆମେ ଗୁରୁତ୍ୱ ଦେଉଛୁ । ବିଜେପି ସରକାର ରାଜସ୍ଥାନରେ ଶକ୍ତି କ୍ଷେତ୍ରରେ ଅନେକ ଚୁକ୍ତି କରିଛନ୍ତି। ଆମର କୃଷକମାନେ ଏଥିରୁ ଅଧିକ ଉପକୃତ ହେବାକୁ ଯାଉଛନ୍ତି । ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର କୃଷକମାନଙ୍କୁ ଦିନରେ ବିଜୁଳି ଯୋଗାଇଦେବାକୁ ଯୋଜନା କରିଛନ୍ତି। ଚାଷୀମାନଙ୍କୁ ରାତିରେ ଜଳସେଚନର ବାଧ୍ୟତାମୂଳକତାରୁ ମୁକ୍ତ କରିବା ଦିଗରେ ଏହା ଏକ ବଡ଼ ପଦକ୍ଷେପ।

 

ସାଥୀମାନେ

ରାଜସ୍ଥାନରେ ସୌର ଶକ୍ତିର ଯଥେଷ୍ଟ ସମ୍ଭାବନା ରହିଛି। ଏହି ମାମଲାରେ ରାଜସ୍ଥାନ ଦେଶର ଅଗ୍ରଣୀ ରାଜ୍ୟ ହୋଇପାରେ। ଆମ ସରକାର ସୌର ଶକ୍ତିକୁ ଏକ ମାଧ୍ୟମ କରି ଆପଣଙ୍କ ବିଦ୍ୟୁତ ୍ ବିଲ୍ କୁ ଶୂନକୁ ହ୍ରାସ କରିଛନ୍ତି। କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ପିଏମ ସୂର୍ଯ୍ୟଘର ମାଗଣା ବିଜୁଳି ଯୋଜନା ଚଳାଉଛନ୍ତି । ଏହା ଅଧୀନରେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ଘରଛାତରେ ସୋଲାର ପ୍ୟାନେଲ ଲଗାଇବା ପାଇଁ ପ୍ରାୟ ୭୫-୮୦ ହଜାର ଟଙ୍କାର ସହାୟତା ଦେଉଛନ୍ତି। ଯଦି ଆପଣ ଏଥିରୁ ଉତ୍ପନ୍ନ ହେବାକୁ ଥିବା ବିଦ୍ୟୁତବ୍ୟବହାର କରିବେ ଏବଂ ଏହା ଆପଣଙ୍କ ଆବଶ୍ୟକତାଠାରୁ ଅଧିକ, ତେବେ ଆପଣ ବିଜୁଳି ବିକ୍ରି କରିପାରିବେ ଏବଂ ସରକାର ସେହି ବିଜୁଳି ମଧ୍ୟ କିଣିବେ । ମୁଁ ଖୁସି ଯେ ବର୍ତ୍ତମାନ ସୁଦ୍ଧା ଦେଶର ୧ କୋଟି ୪୦ ଲକ୍ଷରୁ ଅଧିକ ପରିବାର ଏହି ଯୋଜନା ପାଇଁ ପଞ୍ଜୀକରଣ କରିଛନ୍ତି । ଖୁବ୍ କମ୍ ସମୟ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରାୟ ୭ ଲକ୍ଷ ଲୋକଙ୍କ ଘରେ ସୋଲାର ପ୍ୟାନେଲ୍ ସିଷ୍ଟମ ଲଗାଯାଇଛି। ଏଥିରେ ରାଜସ୍ଥାନର ୨୦ ହଜାରରୁ ଅଧିକ ପରିବାର ସାମିଲ ଅଛନ୍ତି। ଏହି ସବୁ ଘରେ ସୌର ବିଦ୍ୟୁତ୍ ଉତ୍ପାଦନ ଆରମ୍ଭ ହେବା ସହ ଲୋକଙ୍କ ଟଙ୍କା ମଧ୍ୟ ସଞ୍ଚୟ ହେବାରେ ଲାଗିଛି।

ସାଥୀମାନେ

କେବଳ ଘର ଛାତ ଉପରେ ନୁହେଁ, କ୍ଷେତରେ ମଧ୍ୟ ସୌର ଶକ୍ତି ପ୍ଲାଣ୍ଟ ସ୍ଥାପନ କରିବାରେ ସରକାର ସାହାଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି। ପିଏମ କୁସୁମ ଯୋଜନା ଅଧୀନରେ ରାଜସ୍ଥାନ ସରକାର ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଶହ ଶହ ନୂଆ ସୋଲାର ପ୍ଲାଣ୍ଟ ସ୍ଥାପନ କରିବାକୁ ଯାଉଛନ୍ତି । ଯେତେବେଳେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପରିବାର ଶକ୍ତି ଦାତା ହେବେ, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଚାଷୀ ଶକ୍ତି ଦାତା ହେବେ, ସେତେବେଳେ ବିଜୁଳିରୁ ଆୟ ହେବ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପରିବାରର ଆୟ ମଧ୍ୟ ବୃଦ୍ଧି ପାଇବ ।

ସାଥୀମାନେ

ସଡ଼କ, ରେଳ ଓ ବିମାନ ଯାତ୍ରାକ୍ଷେତ୍ରରେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ସବୁଠାରୁ ସଂଯୁକ୍ତ ରାଜ୍ୟ ରେ ପରିଣତ କରିବା ଆମର ସଂକଳ୍ପ। ରାଜସ୍ଥାନ, ଦିଲ୍ଲୀ, ବଦୋଦରା ଏବଂ ମୁମ୍ବାଇ ଭଳି ବଡ଼ ଶିଳ୍ପ କେନ୍ଦ୍ରର ମଝିରେ  ଅବସ୍ଥିତ । ରାଜସ୍ଥାନବାସୀଙ୍କ ପାଇଁ, ଏଠିକାର ଏହି ରାଜ୍ୟର ଯୁବବର୍ଗଙ୍କ ପାଇଁ ଏହା ଏକ ବଡ଼ ସୁଯୋଗ। ଏହି ତିନୋଟି ସହରକୁ ରାଜସ୍ଥାନ ସହ ସଂଯୋଗ କରୁଥିବା ନୂତନ ଏକ୍ସପ୍ରେସ ୱେ ଦେଶର ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଏକ୍ସପ୍ରେସୱେ ମଧ୍ୟରୁ ଅନ୍ୟତମ । ମେଜ ନଦୀ ଉପରେ ଏକ ବୃହତ ପୋଲ ନିର୍ମାଣ ହେଲେ ସୱାଇ ମାଧୋପୁର, ବୁନ୍ଦି, ଟଙ୍କ ଏବଂ କୋଟା ଜିଲ୍ଲା ଉପକୃତ ହେବେ । ଦିଲ୍ଲୀ, ମୁମ୍ବାଇ ଏବଂ ଭଦୋଦରାର ବଡ଼ ମଣ୍ଡି ଏବଂ ବଡ଼ ବଜାରରେ ପହଞ୍ଚିବା ଏହି ଜିଲ୍ଲାଗୁଡ଼ିକର କୃଷକମାନଙ୍କ ପାଇଁ ସହଜ ହେବ । ଏହାଦ୍ୱାରା ପର୍ଯ୍ୟଟକମାନେ ଜୟପୁର ଓ ରଣଥମ୍ବୋର ବ୍ୟାଘ୍ର ଅଭୟାରଣ୍ୟରେ ପହଞ୍ଚିବା ସହଜ ହେବ। ଆମେ ସମସ୍ତେ ଜାଣୁ ଯେ ଆଜିର ସମୟରେ ସମୟ ବହୁତ ମୂଲ୍ୟବାନ ଅଟେ । ଲୋକଙ୍କ ସମୟ ବଞ୍ଚାଇବା ସହ ସେମାନଙ୍କ ସୁବିଧା କୁ ବଢ଼ାଇବା ଆମର ପ୍ରୟାସ ।

 

ସାଥୀମାନେ

ଜାମନଗର-ଅମୃତସର ଅର୍ଥନୈତିକ କରିଡର ଦିଲ୍ଲୀ-ଅମୃତସର-କଟରା ଏକ୍ସପ୍ରେସୱେ ସହିତ ସଂଯୁକ୍ତ ହେବା ପରେ ରାଜସ୍ଥାନକୁ ମା' ବୈଷ୍ଣୋ ଦେବୀ ଧାମ ସହିତ ସଂଯୋଗ କରିବ। ଏହା ଦ୍ୱାରା କାଣ୍ଡଲା ଓ ମୁନ୍ଦ୍ରା ବନ୍ଦର ସହ ଉତ୍ତର ଭାରତର ଶିଳ୍ପ ଜଗତ ସହ ସହ ସିଧାସଳଖ ଯୋଗାଯୋଗ ହୋଇପାରିବ । ଏହାଦ୍ୱାରା ରାଜସ୍ଥାନରେ ପରିବହନ କ୍ଷେତ୍ର ଉପକୃତ ହେବ, ଏଠାରେ ବଡ ବଡ ଗୋଦାମ ନିର୍ମାଣ ହେବ । ଏଥିରେ ରାଜସ୍ଥାନର ଯୁବକ ଅଧିକ କାମ କରିବେ ।

ସାଥୀମାନେ

ଯୋଧପୁର ରିଙ୍ଗରୋଡରୁ ଜୟପୁର, ପାଲି, ବାରମେର, ଜୈସଲମେର, ନାଗୌର ଏବଂ ଅନ୍ତର୍ଜାତୀୟ ସୀମା କୁ ସଂଯୋଗ ରେ ସୁଧାର ଆସିବ । ଏହା ଦ୍ୱାରା ସହର ଅନାବଶ୍ୟକ ଜାମରୁ ମୁକ୍ତି ପାଇବ। ଏହା ଦ୍ୱାରା ଯୋଧପୁର କୁ ଆସୁଥିବା ପର୍ଯ୍ୟଟକ, ବେପାରୀ  ଓ ବ୍ୟବସାୟୀଙ୍କ ପାଇଁ ବହୁତ ଲାଭ ହେବ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ଏହି କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମରେ ହଜାର ହଜାର ବିଜେପି କର୍ମୀ ମଧ୍ୟ ମୋ ସାମ୍ନାରେ ଉପସ୍ଥିତ ଅଛନ୍ତି। ସେମାନଙ୍କ କଠିନ ପରିଶ୍ରମ ଯୋଗୁଁ ଆଜି ଆମେ ଏହି ଦିନଟିକୁ ଦେଖୁଛୁ । ମୁଁ ମଧ୍ୟ ବିଜେପି କର୍ମୀମାନଙ୍କୁ କିଛି ଅନୁରୋଧ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଛି । ବିଜେପି କେବଳ ବିଶ୍ୱର ସର୍ବବୃହତ ରାଜନୈତିକ ଦଳ ନୁହେଁ, ବରଂ ଏହା ଏକ ବିରାଟ ସାମାଜିକ ଆନ୍ଦୋଳନ । ବିଜେପି ପାଇଁ ଦଳ ଠାରୁ ଦେଶ ବଡ । ବିଜେପିର ପ୍ରତ୍ୟେକ କର୍ମକର୍ତ୍ତା ସଚେତନତା ଓ ନିଷ୍ଠାର ସହ ଦେଶ ପାଇଁ କାମ କରୁଛନ୍ତି। ଜଣେ ବିଜେପି କର୍ମୀ କେବଳ ରାଜନୀତିରେ ଜଡିତ ନୁହଁନ୍ତି, ସେ ସାମାଜିକ ସମସ୍ୟାର ସମାଧାନ ରେ ମଧ୍ୟ ଜଡିତ । ଆଜି ଆମେ ଏପରି ଏକ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମକୁ ଆସିଛୁ ଯାହା ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ ସହିତ ଗଭୀର ଭାବରେ ଜଡ଼ିତ । ଜଳ ସମ୍ପଦର ସଂରକ୍ଷଣ ଏବଂ ପ୍ରତ୍ୟେକ ବୁନ୍ଦା ଜଳର ଅର୍ଥପୂର୍ଣ୍ଣ ଉପଯୋଗ ସରକାର, ପ୍ରତ୍ୟେକ ନାଗରିକଙ୍କ ସମେତ ସମଗ୍ର ସମାଜର ଦାୟିତ୍ୱ । ସେଥିପାଇଁ ମୁଁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ବିଜେପି କର୍ମୀ ଏବଂ ମୋ ବିଜେପିର ପ୍ରତ୍ୟେକ ସହକର୍ମୀଙ୍କୁ ସେମାନଙ୍କ ଦୈନନ୍ଦିନ ଦିନଚର୍ଯ୍ୟାରେ ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ କାର୍ଯ୍ୟରେ କିଛି ସମୟ ଦେବାକୁ ଏବଂ ଅତ୍ୟନ୍ତ ନିଷ୍ଠାର ସହ କାର୍ଯ୍ୟ କରିବାକୁ କହିବାକୁ ଚାହେଁ । କ୍ଷୁଦ୍ର ଜଳସେଚନ, ଡ୍ରିପ୍ ଜଳସେଚନ ସହିତ ଜଡିତ, ଅମୃତ ସରୋବର ରକ୍ଷଣାବେକ୍ଷଣରେ ସାହାଯ୍ୟ କରିବା, ଜଳ ପରିଚାଳନାର ମାଧ୍ୟମ ସୃଷ୍ଟି କରିବା ଏବଂ ଜନସାଧାରଣଙ୍କୁ ସଚେତନ କରିବା। ପ୍ରାକୃତିକ ଚାଷ ପ୍ରତି ଚାଷୀଙ୍କୁ ସଚେତନ ମଧ୍ୟ କରିବା ଦରକାର।

ଆମେ ସମସ୍ତେ ଜାଣୁ ଯେ ଯେତେ ଅଧିକ ଗଛ ରହିବ, ଏହା ପୃଥିବୀକୁ ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ କରିବାରେ ସେତେ ଅଧିକ ସାହାଯ୍ୟ କରିବ । ସେଥିପାଇଁ  ଏକ ପେଡ ମା’ କେ ନାମ ଅଭିଯାନ ବହୁତ ସାହାଯ୍ୟ କରିପାରିବ। ଏହା ଦ୍ଵାରା ଆମ ମା'ଙ୍କ ସମ୍ମାନ ବଢିବା ସହ ପୃଥିବୀ ମାତାଙ୍କ ସମ୍ମାନ ମଧ୍ୟ ବଢିବ । ପରିବେଶ ପାଇଁ ଅନେକ କାମ ହୋଇପାରେ। ଉଦାହରଣ ସ୍ୱରୂପ, ମୁଁ ପିଏମ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଘର ଅଭିଯାନ ବିଷୟରେ କହିସାରିଛି । ବିଜେପି କର୍ମୀମାନେ ସୌର ଶକ୍ତିର ବ୍ୟବହାର ବିଷୟରେ ଲୋକଙ୍କୁ ସଚେତନ କରିପାରିବେ, ଏହି ଯୋଜନା ଏବଂ ଏହାର ଫାଇଦା ବିଷୟରେ କହିପାରିବେ । ଆମ ଦେଶର ଲୋକମାନଙ୍କର ସ୍ୱଭାବ ରହିଛି। ଯେତେବେଳେ ଦେଶ ଦେଖିଥାଏ ଯେ କୌଣସି ଅଭିଯାନର ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟ ଠିକ୍, ତା'ର ନୀତି ଠିକ୍, ସେତେବେଳେ ଲୋକମାନେ ଏହାକୁ କାନ୍ଧରେ ବୋହି ନେଇଥାନ୍ତି, ଏହା ସହିତ ଜଡ଼ିତ ହୁଅନ୍ତି ଏବଂ ଏକ ମିଶନ କାର୍ଯ୍ୟ ସହିତ ନିଜକୁ ଯୋଡ଼ି ଦିଅନ୍ତି । ସ୍ୱଚ୍ଛ ଭାରତରେ ଆମେ ଏହା ଦେଖିଛୁ । ବେଟି ବଚାଓ ବେଟି ପଢ଼ାଓ ଅଭିଯାନରେ ଆମେ ଏହା ଦେଖିଛୁ। ମୋର ବିଶ୍ୱାସ ଯେ ପରିବେଶ ସଂରକ୍ଷଣ ତଥା ଜଳ ସଂରକ୍ଷଣ କ୍ଷେତ୍ରରେ ମଧ୍ୟ ଆମକୁ ସମାନ ସଫଳତା ମିଳିବ ।

ସାଥୀମାନେ

ଆଜି ରାଜସ୍ଥାନରେ ଯେଉଁ ଆଧୁନିକ ଉନ୍ନୟନ ମୂଳକ କାର୍ଯ୍ୟ ହେଉଛି, ଯେଉଁ ଭିତ୍ତିଭୂମି ନିର୍ମାଣ କରାଯାଉଛି, ତାହା ବର୍ତ୍ତମାନ ଓ ଭବିଷ୍ୟତ ପିଢ଼ି ପାଇଁ ଉପଯୋଗୀ ହେବ। ଏହା ରାଜସ୍ଥାନକୁ ଏକ ବିକଶିତ ରାଜସ୍ଥାନ ରେ ପରିଣତ କରିବାରେ ସହାୟକ ହେବ ଏବଂ ଯେତେବେଳେ ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶ ହେବ, ଭାରତ ମଧ୍ୟ ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ ବିକଶିତ ହେବ । ଆଗାମୀ ଦିନରେ ଡବଲ ଇଞ୍ଜିନ ସରକାର ଦ୍ରୁତ ଗତିରେ କାମ କରିବ । ମୁଁ ଆଶ୍ୱାସନା ଦେଉଛି ଯେ କେନ୍ଦ୍ର ସରକାର ରାଜସ୍ଥାନର ବିକାଶ ପାଇଁ କୌଣସି କସରତ ଛାଡ଼ିବେ ନାହିଁ । ପୁଣି ଥରେ ଆପଣମାନେ ଏତେ ସଂଖ୍ୟକ ସଂଖ୍ୟାରେ ଆପଣଙ୍କୁ, ବିଶେଷ କରି ମା' ଭଉଣୀମାନଙ୍କୁ ଆଶୀର୍ବାଦ ଦେବା ପାଇଁ ଆସିଛନ୍ତି, ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ମୁଣ୍ଡ ନୁଆଁଇ ଧନ୍ୟବାଦ ଜଣାଉଛି, ଏବଂ ଆଜିର ସୁଯୋଗ ଆପଣଙ୍କ ପାଇଁ ଏବଂ ଆଜିର ସୁଯୋଗ ଆପଣଙ୍କ ପାଇଁ । ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଶୁଭେଚ୍ଛା ଜଣାଉଛି । ତୁମର ପୂରା ଶକ୍ତି ସହିତ ଦୁଇ ହାତ ଉଠାନ୍ତୁ ଏବଂ ମୋ ସହିତ କଥା ହୁଅନ୍ତୁ -

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ!

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ!

ଭାରତ ମାତା କି ଜୟ!

ଆପଣଙ୍କୁ ବହୁତ ବହୁତ ଧନ୍ୟବାଦ!