मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि बहुत ही कम अवधि में मुझे दोबारा नेपाल की भूमि के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। इन दिनों विश्व के कई देशों में मेरा जाना हुआ है। कई वैश्विक स्तर की मीटिंगों में जाना हुआ है, लेकिन नेपाल के साथ मेरी जो स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं, नेपाल ने मुझे जो प्यार दिया है, अपनापन दिया है, वो मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। इसके लिए मैं नेपाल का बहुत बहुत आभारी हूं।

आज ये Trauma Center का लोकार्पण हो रहा है। एक प्रकार से ये जीवन रक्षा का अभियान है। First Golden Hour, आकस्मिक परिस्थियों में इंसान की जिदंगी बचाने का बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। उस First Golden Hour में अगर उपयुक्त सुविधा मिल जाए, proper treatment का सहारा मिल जाए, तो इंसान की जिंदगी बचाई जा सकती है। नेपाल और भारत की मैत्री का ये उत्तम नजराना है, जो एक प्रकार से जीवन की सौगात दे रहा है। जो नजराना जीवन की सौगात देता है, वो हमें जड़ों से जोड़ता है, हमें जीवन से जोड़ता है, हमें अरमान से जोड़ता है और हमें अरमान पूरे करने के लिए प्रयास करने की एक शक्ति भी देता है। इसलिए ये Trauma Center भारत और नेपाल के बीच एक जीवंत संबंध का उदाहरण बन रहा है।

आगे भी इस Trauma Center का upgradation करना होगा, technology support की आवश्यकता होगी, human resource development की आवश्यकता होगी। भारत भविष्य में भी इस काम में नेपाल के साथ रहेगा, पूरी सहायता करता रहेगा और हम चाहेंगे कि नेपाल अपने पैरों पर खड़े हो करके..इस Trauma Center को चलाने का उसमें सार्मथ्य आए। वहां तक जो भी मदद चाहिए, भारत खुले दिल से यहां के लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए सदा सर्वदा आपके साथ खड़ा है। और वो हमारे लिए सौभाग्य होगा। एक प्रकार से अपनों की सेवा करने का यह अवसर है और अपने यहाँ तो, सेवा परमोधर्म- ये शास्त्रों ने कहा है। और जिस शास्त्र ने हमें ‘सेवा परमोधर्म’ कहा है, उस शास्त्र से हम दोनों जुड़े हुए हैं। इसलिए एक सेवा का यह प्रकल्प है और मुझे गर्व है कि आज मुझे इस समारोह में लोकार्पण के काम में आने का अवसर मिला। भारत और नेपाल का एक अटूट नाता, एक जीवंत नाता, उसका एक जीवंत स्मारक हमारे सामने आज खड़ा हुआ है।

जब मैं पिछली बार आया था, तब भी मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि मैं उस समय तो जनकपुर, मुक्तिनाथ और लुम्बिनी नहीं जा पाया था, मैंने कहा था कि मैं अगली बार आउंगा तो जाउंगा। इस बार भी मेरा इरादा था कि मैं by-road जाउं। By-road जाने का मेरा इरादा इसलिए था कि मैं खुद अनुभव करना चाहता था कि नेपाल से वहां आने वाले लोगों को वहां क्या दिक्कतें होती हैं, क्या तकलीफ होती हैं। भारत से उस तरफ जाने वाले लोगों को क्या दिक्कतें होती हैं, क्या तकलीफ होती हैं। उसे मैं खुद experience करना चाहता था और फिर मैं उसको ठीक करना चाहता था। लेकिन, समयाभाव के कारण मैं इस बार उसको नहीं कर पाया हूं। मैं विषेश रूप से जनकपुर, लुम्बिनी और मुक्तिनाथ - वहां के नागरिकों को जो कष्ट हुआ है, जो निराशा हुई है, मैं भलीभांति उनकी पीड़ा को समझ सकता हूं। लेकिन, मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि निकट भविष्य में जब भी मुझे अवसर मिलेगा मैं आपके बीच आउंगा। आपके प्यार को मैं भली-भांति दूर बैठे-बैठे भी अनुभव कर रहा हूं। और इसलिए वहां के सभी नागरिकों को मैं विश्वास दिलाता हूं। नेपाल के हर नागरिक का भारत पर पूरा अधिकार, भारतीयों पर पूरा अधिकार है, सरकार पर अधिकार है और भारत के प्रधानसेवक पर प्रधान अधिकार है।

मैं जब पिछली बार आया था, और आज मैं आया हूं, सौ दिन भी नहीं हुए हैं। लेकिन जब विश्वास का इजिंन किसी काम को लग जाता है, तो काम कितनी तेजी से होता है, कितना अच्छा हो सकता है, इसका मैं आज अनुभव कर रहा हूं। आज नेपाल और भारत के बीच भरोसे का, विश्वास का एक बहुत बड़ा horse power वाला इजिंन लग गया है, जो विश्वास का इजिंन है, भरोसे का इजिंन है। उसी के कारण 100 दिन के अंदर जिस प्रकार से नेपाल और भारत ने एक के बाद एक निर्णय किए, काम शुरू किया, 25-25, 30-30 साल से रूके हुए काम - ये आज आगे बढ़े हैं। हमारे यहां कहावत है - एक हाथ से ताली नहीं बजती है। ये संभव इसलिए हुआ है कि नेपाल सरकार, नेपाल के सभी राजनीतिक दल, नेपाल के प्रशासनिक व्यवस्था में जुड़े हुए अधिकारी - उन सब ने मिल करके आगे बढ़ने की शुरूआत की। आगे बढ़ाया। छोटी-मोटी रूकावटें आईं तो उन रूकावटों को भी बहुत बुद्धिमत्ता पूर्ण तरीके से, उसका निराकरण करते हुए, चीज़ों को ठोस रूप देने का काम किया है। इसलिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी का, उनकी सरकार का, सभी राजनीतिक दलों का, प्रशासनिक अधिकारियों का भारत की तरफ से हृदय से अभिनदंन करता हूं, कि उन्होंने ये काम न किया होता तो आज 100 दिन के भीतर भीतर 25-25, 30-30 साल से लटके हुए काम, अटके हुए काम आज पूरे न होते।

मैं आज एक संतोश का भाव अनुभव कर रहा हूं कि मेरी पहली मुलाकात और दूसरी मुलाकात के बीच में तेज़ गति से एक के बाद एक फैसले हुए हैं। ये फैसले नेपाल के जीवन को तो ताकत देने वाले हैं, भारत को बहुत बड़ा संतोश देने वाले हैं। हमारे लिए नेपाल की खुशी, नेपाल का आनंद हमारी मुस्कुराहट का कारण बनता है। अगर नेपाल खुश नहीं तो हिंदूस्तान मुस्कुरा नहीं सकता है। इसलिए हमारे लिए नेपाल की खुशी, ये हमारे लिए संतोश की औषध है। वो संतोश की औषध हमें प्राप्त हुई है, उसके लिए नेपाल से संबंधित सभी जनों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

खासतौर पर Hydro Power. कितने समय से यह लटका हुआ था, कितने विवाद चल रहे थे, आशंकाओं के बादल हर बार छाए रहते थे। लेकिन, यहां के सभी राजनीतिक दलों ने जिस प्रकार की दूर दृष्टि का परिचय करवाया है, और उसका परिणाम यह हुआ है कि Power Trade Agreement, 900 Megawatt Upper Karnali Project, Pancheshwar Development Authority, 900 मेगावाट क्षमता वाले Arun III Project - यानि एक के बाद एक। शायद 10 साल में एक चीज़ हो जाए तो भी बड़ा आनंद हो जाता है। यहां तो 100 दिन में इतने सारे काम आगे बढ़ गए। तो आप कल्पना कर सकते हैं कि दो देश मिल करके क्या नहीं कर सकते हैं।

उसी प्रकार से हमने कहा था Transmission Line के संबंध में। हम चाहते थे कि नेपाल को बिजली मिले, ज्यादा बिजली मिले। Transmission Line मज़बूत बनाने के लिए बहुत ही कम समय में काम पूरा हो जाएगा। 125 मेगावाट बिजली और यहां आना शुरू हो जाएगा। इतना ही नहीं, एक नई लाइन तैयार हो रही है, जिसकी क्षमता 1000 मेगावाट की है। अब नेपाल जगमगा उठेगा, ये मेरा पूरा विश्वास है। हमने पिछली बाद कहा था कि एक बिलियन डॉलर - यानि कि 10 हज़ार करोड़ नेपाली रूपयों की कीमत जिसकी होती है - कम ब्याज़ पर और लंबे समय के लिए हम देंगे। आज हम मिल रहे हैं, उसका Final Agreement हो जाएगा। ये भी काम एक प्रकार से आज पूरा हो गया, मान लीजिए।

हम एक Motor Vehicle Agreement पर करार कर रहे हैं और मैं मानता हूं कि नेपाल और भारत को जोड़ने के लिए ये बहुत ही उत्तम व्यवस्था हो रही है। उसी के तहत आज ही काठमांडू से दिल्ली Regular Bus Service शुरू करने का भी हमें सौभाग्य मिल रहा है। काठमांडू से दिल्ली जब Regular Bus Service शुरू होती है तो यहां के सामान्य मानव के जीवन में वो कितनी बड़ी आर्थिक रूप से सहायता करने वाली सुविधाजनक होती है, उसका आप अंदाज़ लगा सकते हैं।

लेकिन नेपाल और भारत के बीच चलने वाली ये टूरिज्म की दृश्टि से चलने वाली बस में यात्री भी उसका फायदा उठाते हैं, international यात्री भी प्राकृतिक सौदंर्य का अनुभव करने के लिए बस से सफर करना पसंद करते हैं। हम चाहते हैं कि नेपाल का टूरिज़्म भी बढ़े। लेकिन टूरिज़्म बढ़ता है, उसके लिए कुछ सुविधाएं चाहिएं। उसमें एक महत्वपूर्ण सुविधा होती है- connectivity. मैंने मेरे अफसरों को कहा है कि क्या हम - ये जो दिल्ली काठमांडू के बीच बस सर्विस चलेगी - वो बस सेवा Wi-Fi के साथ हो सकती है क्या? अगर Wi-Fi के साथ वो बस सेवा होगी तो टूरिस्ट जरूर पसंद करेगा क्योंकि वो बस में जाता रहेगा, वो दूनिया से अपना connect होता रहेगा, अपना आनंद लेता रहेगा। हमारे अफसरों ने कहा कि “साब मालूम नहीं है, हम ज़रा देखेंगे कि कितना संभव है।“ मैंने कहा तो है, अब देखते हैं technological अगर support मिल गया तो ये काम भी हम करवा देंगे। हम चाहते हैं, व्यवस्थाएं हों, व्यवस्थाएं आधुनिक हों और सुविधाजनक हों।

मैंने एक चिंता जताई थी कि भारत में हमारे नेपाल के लोग बहुत बड़ी मात्रा में हैं। नेपाल और भारत की रिश्तेदारी भी बहुत है, व्यापारिक संबंध भी है और इसलिए, यहां के फोन कॉल बहुत महंगे होते हैं। मैंने कहा था कि अमरीका बात करना सस्ता जाता है लेकिन Nepal-India बात करना महंगा जाता है। मैंने कहा था कि ये सस्ता होना चाहिए। मैं भारत गया, मैंने पूछा, “भई! ये क्या कर रहे हो? क्या हम नहीं मदद कर सकते?” लेकिन जब जाना तो बहुत आश्चर्य हुआ मुझे। भारत में तो इसका रेट सिर्फ 40 पैसा है, लेकिन यहां पर वो रेट शायद 3.50 रूपया है, नेपाल में, नेपाल authority जो है। मैं हैरान हो गया कि “भई अब क्या करूं? मैंने तो कह दिया है।“

मैंने कहा कि “ठीक है, हम कम लेते है। न के बराबर लेते हैं तो भी कुछ कम करें।“ मैंने 35% कम करने का फैसला कर लिया। लेकिन, अब मैं चाहता हूं, नेपाल की जो टेलीफोन सेवा हैं, वो भी उसमें कुछ कम करें ताकि नेपाल के लोगों को, और नेपाल से जुड़े हुए भारत के संबंधों में ये टेलीफोन का खर्चा थोड़ा कम होना चाहिए। मेरी तरफ से जो कर सकता हूं, उतना ज़रूर कर दिया है। मैं चाहूंगा कि यहां उस दिशा में कुछ हो।

Border Infrastructure - खासतौर से road मार्ग से जब हम आते हैं - तो वहां पर कुछ प्रश्न थे, पिछली बार, मैंने उसे तेज़ गति से आगे बढ़ाने के लिए काम किया है। कुछ पुराने contract की भी समस्याएं थीं, उसको भी रद्द करने के लिए कह दिया है। मैं मानता हूं छः महीने के भीतर-भीतर आपको सही रूप में वहां पर प्रगति दिखाई देगी।

एक और बात है, नेपाल और भारत के संबंधों में। एक तो, बहुत बड़ी मात्रा में नेपाल के लोग जो भारत में काम करते हैं, वो यहां आते हैं, भारत के टूरिस्ट यहां आते हैं। एक कठिनाई थी- 500 और 1000 रूपए के नोट। वो प्रतिबंधित थे। हमने नेपाल सरकार को प्रार्थना की थी। और हमने मिल करके एक निर्णय किया है कि अब भारत से 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट 25 हज़ार की मर्यादा में, ये हम ला सकते हैं। इसके कारण, भारत में काम करने वाले जो लोग अपने घर वापस आते हैं, उनको साथ में पैसे लाने हों तो उनका सुविधा बनेगी। और जो टूरिस्ट आते हैं, टूरिस्ट के हाथ में भी पैसे रह पाएंगे। तो इस व्यवस्था को भी हमने निर्णय कर लिया है।

एक काम जिसका मेरा स्वयं का बहुत अच्छा अनुभव है। मैं जब गुजरात में काम करता था तो गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते एक महत्वपूर्ण initiative हमने लिया था। हिंदुस्तान में हमने सबसे पहले इस काम को किया था, और वो था soil testing। आमतौर पर हम developing countries में मनुष्य का भी health card नहीं होता है। लेकिन हमने कोशिश की थी कि soil health card बने। किसान के पास जो जमीन है, उस जमीन में क्या गुण हैं, क्या अवगुण हैं, क्या अच्छाईयां हैं, क्या बिमारियां हैं, वो ज़मीन किस crop के लिए उपयुक्त है, किस crop के लिए अनउपयुक्त है, किस ज़मीन पर कौन सी दवाई सूट करेगी, कौन सी दवाई सूट नहीं करेगी - ये सारी चीज़ें soil testing से संभव होती हैं। ये करने से औसत एक एकड़ भूमि में किसान फसल तो ज्यादा कर ही सकता है, लेकिन साथ-साथ, जो फालतू खर्चे होते हैं- गलत दवाईयां डाल देता है, गलत fertilizer डाल देता है, गलत crop डाल देता है, वो सब उसका बच जाता है और करीब-करीब एक एकड़ भूमि में 15-20 हज़ार तो सहज रूप से उसकी मदद हो जाती है। ये soil testing का काम नेपाल में भी हो, ये बात मैंने पिछली बार प्रधानमंत्री जी से मैं जब मिला तो कही थी कि आपको लाभ होगा। तो उन्होंने कहा कि देखेंगे और मुझे लगा कि मैं सुझाव देके चला हूं, वो शोभा नहीं देता है, मुझे कुछ करना चाहिए। तो आज हम एक Mobile soil test laboratory नेपाल को भेंट दे रहे हैं। उसकी पूरी technology दे रहे हैं। उससे पता चलेगा कि निश्चित एरिया में इस प्रकार की जांच हो गई। आप देखिए, उसको अगर बाद में आप चलाएंगे तो बहुत लाभ होगा, तो एक बहुत बड़ा काम।

हमने पिछली बार कहा था कि people-to-people contact. देश जुड़ते हैं, तब जब जन जुड़ता है। और जन भी तब जुड़ता है जब मन जुड़ता है। लेकिन मन जुड़ने की, जन जुड़ने की प्रक्रिया कुछ व्यवस्था के तहत होती है। और इसलिए हम चाहते थे कि जन-जन संपर्क बढ़ना चाहिए। इसीलिए हमने Youth Exchange की बात की थी। मुझे खुशी है कि Youth Exchange Programme में पहली बैच already हिंदुस्तान पहुंची हुई है। इन दिनों कलकत्ता युनिवर्सिटी में वे नौजवान, सारे नेपाल के - वहां का नजारा देख रहे हैं, अभ्यास कर रहे हैं, वहां के लोगों से मिल रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं।

तो एक एक चीज़ हम तेजी से कर रहे हैं।

दूसरा, मैंने कहा था - हम नेपाल को e-library देंगे। मुझे खुशी है कि नेपाल सरकार की तरफ से और नेपाल के कुछ प्रमुख लोगों की तरफ से, e-library उनको कैसी चाहिए, उसके बहुत अच्छे सुझाव आए। मैं मानता हूं कि हमारे लिए भी सीखने जैसे अच्छे सुझाव आए। मैं मानता हूं कि ये जो आपका सक्रिय योगदान था, तो e-library का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जैसी आपकी अपेक्षा है, उन आपके सुझावों को संकलित करते हुए, उस e-library को हम प्रारंभ करेंगे। मैं मानता हूं कि वक्त बदल चुका है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। जो ज्ञान के उपासक हैं, उनका ये युग आने वाला है। नेपाल और भारत की इस भूखंड की सांस्कृतिक ज्ञान की उपासना की संस्कृति रही है। नेपाल भी ज्ञान की उपासना वाली संस्कृति की विरासत को लेकर चल रहा है और इसलिए e-library उस ज्ञान वर्धन का एक बहुत बड़ा माध्यम बनेगी। ये युग ऐसा है कि जितनी highways की जरूरत है उतनी ही i-ways की जरूरत है। Highways भी चाहिए information-ways भी चाहिए। e-library एक प्रकार से i-ways का काम करेगी और जो हम नेपाल में प्रवेश करने वाले रास्ते ठीक करेंगे, वो highways का काम करेंगे। भारत आपकी highways की भी चिंता करेगा, i-ways की भी चिंता करेगा और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे।

हमारा सुरक्षा सहयोग भी.. बहुत ही एक विश्वास का वातावरण चाहिए। सुरक्षा का काम तब होता है, जब दो देश के बीच में अटूट विश्वास हो, भरोसा हो। और आज भारत और नेपाल के बीच में विश्वास का ताना बाना इतना मजबूत हुआ है कि जिसके कारण रक्षा के क्षेत्र में भी भारत और नेपाल मिल करके काम कर रहे हैं।

आज मेरे लिए खुशी की बात है कि हम एक ‘ध्रुव हेलीकॉप्टर’ जो सेना के काम आएगा, वो आज भारत की तरफ से नेपाल को हम समर्पित कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि नेपाल को एक अच्छा रक्षा कवच मिलेगा, वो एक नई ताकत बनेगा। यहां पर पुलिस एकेडेमी का काम भी, उसका foundation stone, उसकी चिंता भी हम करेंगे।

यानि अनगिनत चीज़ें, सौ दिन के भीतर-भीतर, अनगिनत चीज़ों का एक के बाद एक हो जाना, ये अपने आप में ही दो सरकारों के बीच विश्वास की ताकत कितनी बड़ी गति देती है, कितना बड़ा परिणाम देती है।

मेरा ये सौभाग्य रहा कि पिछली बार जब मैं आया, तब आपकी संविधान सभा को संबोधित करने का मुझे अवसर मिला था। Constituent Assembly को संबोधित करने का अवसर मिला था। एक प्रकार से नेपाल के सभी stake holdres कहिए, नेपाल की सभी क्रीम कहिए - उस सभी विशाल समूह के सामने मैं आया था। तब मैंने कहा था कि नेपाल जितना जल्द अपना सविंधान बनाएगा, उतना ही नेपाल के भविष्य के लिए वो एक नई ताकत मिलेगी। नेपाल के संविधान के निर्मिति में जितना विलंब होगा, वो विलंब नेपाल के लिए अच्छा नहीं होगा। संविधान आप बनाएं, आपके तरीके से बनाइए, आपके निर्णय होंगे, भारत का उसमें कोई दखल नहीं हो सकता, होना भी नहीं चाहिए। लेकिन, आपकी खुशी, हमें मुस्कुराहट देती है और इसलिए भी संविधान का जल्दी बनना बहुत ज़रूरी है। मेरा यह भी आग्रह था कि संविधान के अंदर एक ऐसा गुलदस्ता बने कि नेपाल के हर कोने में रहने वाले व्यक्ति को लगे कि मेरा भी फूल उस गुलदस्ते में है। मेरे फूल की महक भी उस गुलदस्ते में है। कभी मधेसी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? कहीं पहाड़ी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? माओवादी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? ये संविधान ऐसा होना चाहिए कि जिसमें हर किसी की आवाज़ हो, हर किसी के सपने हों, हर किसी के अरमान हों, हर किसी को काम करने का अवसर हो। इस काम में नेपाल की संविधान सभा बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ रही है, लेकिन समय बहुत जा रहा है।

इसलिए मैं आज सार्वजनिक रूप से आज नेपाल के सभी राजनीतिक नेताओं से आग्रह करूंगा कि सविंधान का निर्माण सहमति से ही करने से फायदा होगा। संख्या के बल पर संविधान का निर्माण कभी भी नेपाल का भला नहीं करेगा। सहमति से संविधान बने और आगे चलकर भी - आज भी, भारत का संविधान, इतने वर्ष हो गए, हर वर्ष हम कुछ न कुछ amendment करते ही जाते हैं। और वो amendment दो तिहाई से करते हैं। एक बार सविंधान सहमति से बने, बाद में संसद बने और संसद में दो चार चीज़े जोड़नी, कम करनी लगती हैं, तो आप दो तिहाई बहुमत से ज़रूर कर सकते हैं। लेकिन, पहला प्रारूप अगर सबको अपना नहीं लगता है तो नेपाल को बहुत बड़ी कठिनाई आएगी।

आपके एक मित्र देश के नाते, आपको दुख हो, आपको कठिनाई हो और हमें समझ हो, तो वो स्थिति हम देखना नहीं चाहते हैं। फिर एक बार, आज सार्वजनिक रूप से, जिस प्रकार से ज़िंदगी बचाने के लिए ये Trauma Center काम आ रहा है, उसी प्रकार से नेपाल के सपनों को संवारने के लिए संविधान एक अवसर बन करके आ रहा है। मैं चाहूंगा कि संविधान की पवित्रता, उसी पवित्र भाव से..और मैंने कहा था कि ऋषि-मन होगा तो संविधान बनेगा, संविधान सभा में बैठे हर व्यक्ति का ऋषि-मन होना चाहिए और ऋषि-मन को लेकर संविधान का निर्माण होगा, ये मैंने आग्रह से कहा था।

मैं आज फिर नेपाल की धरती पर आया हूं। मैं विश्वनाथ की धरती पर काम करता हूं, पशुपतिनाथ की धरती पर आया हूं। तो मेरा भी आपको प्रार्थना करने का हक बन जाता है। मैं प्रार्थना करने आया हूं। मैं उसी धरती से आया हूं। बोध गया से मैं आज एक पौधा ले करके आया हूं, जो हमारे एम्बेसेडर लुम्बिनी में जा करके उसको रोपित करने वाले हैं। एक ऐसा संदेश ले करके आया हूं जो हमें सांस्कृतिक प्राणशक्ति देता रहता है और उस भरोसे भी मैं कह सकता हूं कि मैं प्रार्थना करता हूं कि आप संविधान बनाने के काम में विलंब मत कीजिए। सहमति से बनाने का ही प्रयास कीजिए और सारे रास्ते नए संकटों को जन्म देंगे। मैं अयोध्या और जनकपुरी का नाता जानता हूं, इसलिए भी हम लोगों को आपसे प्रार्थना करने का हक बनता है कि आप सहमति से संविधान का निर्माण कीजिए, जल्द कीजिए। लोगों की आशाओं पर आप खरे उतरें।

आप देखिए कि आप लोगों का नेतृत्व नेपाल को कहां से कहां पहुंचाएगा और युग इस भूभाग के भविष्य का है। एशिया के भविष्य का समय है। नेपाल को ये मौका चूकना नहीं चाहिए। विश्व के अंदर एक ताकत बन करके नेपाल ने खड़े होना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था नेपाल को एक नई ताकत देगी, नई पहचान देगी, विश्व नेपाल को स्वीकार करने लग जाएगा। ये स्थिति आपके हाथों में है, मौका आपके पास है। 30-40 दिन का समय बचा है। मैं विश्वास करता हूं कि इस काम को आप आगे बढ़ाएंगे।

फिर एक बार, ये Trauma Center यहां के किसी भी पीड़ित को बचाने के काम आएगा, भारतवासियों को बहुत संतोश होगा। हमारे लिए एक प्रकार से ‘सेवा परमोधर्म’, जीव-दया का ये काम हुआ है, एक मन के संतोश के साथ, मुझे इस अवसर पर आने का अवसर मिला, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। प्रधानमंत्री जी का बहुत बहुत आभारी हूं। उनके परिवार में संकट होने के बाद भी, जिस उमंग और उत्साह के साथ इस पूरे सार्क समिट की आप चिंता कर रहे हैं। पूरा नेपाल अभिनंदन का अधिकारी है। मैं ऐयरपोर्ट से उतरा हूं, मैं देख रहा हूं, क्या उत्साह है, क्या उमंग है। आपने सार्क देशों के सभी नेताओं का दिल जीत लिया है। इन व्यवस्थाओं के लिए नेपाल ने जो ताकत दिखाई है, अपनापन दिखाया है, बहुत बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं। प्रधानमंत्री जी को और पूरे नेपाल को मैं हृदय से नमन करता हूं, बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद।

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राजस्थानमध्ये जयपूर इथे ‘एक वर्ष –परिणाम उत्कर्ष’ कार्यक्रम आणि अन्य विकासकामांच्या उद्घाटनप्रसंगी पंतप्रधानांचे भाषण
December 17, 2024
PM inaugurates and lays the Foundation stone for 24 projects related to Energy, Road, Railways and Water worth over Rs 46,300 crores in Rajasthan
The Governments at the Center and State are becoming a symbol of Good Governance today: PM
In these 10 years we have given lot of emphasis in providing facilities to the people of the country, on reducing difficulties from their life: PM
We believe in cooperation, not opposition, in providing solutions: PM
I am seeing the day when there will be no shortage of water in Rajasthan, there will be enough water for development in Rajasthan: PM
Conserving water resources, utilizing every drop of water is not the responsibility of government alone, It is the responsibility of entire society: PM
There is immense potential for solar energy in Rajasthan, it can become the leading state of the country in this sector: PM

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

श्रीकृष्णाच्या या पावन नगरीत भगवान श्रीकृष्णाला माझा साष्टांग दंडवत आणि तुम्हा सगळ्यांना राम राम !

राजस्थानचे राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, राजस्थानचे लोकप्रिय मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रिय मंत्रीमंडळातले माझे सहकारी सी. आर. पाटील, भगीरथ चौधरी, राजस्थानच्या उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, प्रेम चंद भेरवा आणि अन्य मंत्री, खासदार, राजस्थानचे आमदार, मान्यवर व्यक्ती तसंच राजस्थानमधल्या माझ्या प्रिय बंधु भगिनींनो,  

राजस्थानचे नागरिक, राजस्थानमधलं भाजपा सरकार यांना सरकारच्या कार्यकाळाच्या वर्षपूर्तीनिमित्त माझ्या अनेक शुभेच्छा. तुम्ही सगळे लाखोंच्या संख्येनं आशीर्वाद देण्यासाठी आलात त्याबद्दल मनःपूर्वक धन्यवाद. खुल्या जीपमधून इथे येताना मी तिकडे पाहात होतो तेव्हा मंडपात जितके लोक आहेत त्याच्या तिप्पट लोक मंडपाबाहेर थांबलेले दिसत आहेत. एवढ्या मोठ्या प्रमाणात तुमचे आशीर्वाद मला मिळतायत हे माझं भाग्यच आहे.  गेल्या वर्षभरात राजस्थानच्या विकासाला नवी दिशा आणि गती देण्यासाठी भजनलाल यांच्या सरकारनं खूप मेहनत घेतली आहे. हे पहिल्या वर्षानं एकप्रकारे भविष्याचा पाया रचला आहे. म्हणूनच आजचा उत्सव केवळ सरकारला एक वर्ष पूर्ण झाल्याचा नाही तर तो राजस्थानच्या कीर्तीप्रकाशाचा, विकासाचाही उत्सव आहे.

काही दिवसांपूर्वीच मी गुंतवणूकदार परिषदेसाठी राजस्थानमध्ये आलो होतो. देश-परदेशांतले मोठे गुंतवणूकदार इथं आले होते. आणि आता आज इथं 45-50 हजार कोटी रुपयांपेक्षा जास्त रकमेच्या प्रकल्पांचं लोकार्पण आणि कोनशीला समारंभ झाला. या प्रकल्पांमुळे राजस्थानमधल्या पाण्याच्या समस्येवर कायमस्वरुपी तोडगा निघेल. या प्रकल्पांमुळे संपर्कव्यवस्था सक्षम असलेल्या राज्यांमध्ये राजस्थानचा समावेश होईल. यामुळे राजस्थामध्ये गुंतवणूक वाढेल आणि रोजगाराच्याही असंख्य संधी निर्माण होतील. राजस्थानमधल्या पर्यटन क्षेत्राला, शेतकऱ्यांना आणि युवा पिढीला याचा खूप फायदा होईल.

 

मित्रांनो,

ज्या राज्यांमध्ये भाजपाचं डबल इंजिन सरकार आहे तिथे ते सरकार आता सुशासनाचं प्रतीक बनत आहे. केलेला संकल्प पूर्ण करण्यासाठी भाजप प्रामाणिकपणे प्रयत्न करतो. आता देशातले नागरिक असं म्हणायला लागलेत की भाजपा म्हणजे सुशासनाची हमी. आणि म्हणूनच लागोपाठ अनेक राज्यांमध्ये भाजपला मोठ्या प्रमाणात जनतेचा पाठिंबा मिळत आहे. लोकसभा निवडणुकीत बहुमतानं निवडून देऊन जनतेनं भाजपाला सलग तिसऱ्या वेळी देशाची सेवा करण्याची संधी दिली आहे. गेल्या 60 वर्षात हिंदुस्तानमध्ये असं कधीच झालं नाही. 60 वर्षांनंतर भारतीयांनी तिसऱ्या वेळी केंद्रात सत्ता स्थापन केली आहे, तेही सलग तिसऱ्यांदा. आम्हाला देशाची सेवा करण्याची संधी दिली, आशीर्वाद दिले.  आत्ता काही दिवसांपूर्वीच महाराष्ट्रात भाजपानं दुसऱ्यांदा सत्ता स्थापन केली. निवडणूक निकालांच्या पार्श्वभूमीवर खरंतर तिसऱ्यांदा भाजपाला बहुमत मिळालं आहे. तिथंही भाजपाचे आधीपेक्षा जास्त आमदार निवडून आले आहेत. याआधी हरियाणामध्ये सलग तिसऱ्यांदा भाजपाचं सरकार आलं आहे. हरियाणामध्येही लोकांनी आधीपेक्षा जास्त मतांनी आम्हाला निवडून दिलं आहे. नुकत्याच झालेल्या राजस्थानच्या पोटनिवडणुकीतही लोकांनी भाजपाला समर्थन दिल्याचं आपण पाहिलं आहेच. यातून हेच दिसून येतं की, भाजपाचं काम आणि भाजपा कार्यकर्त्यांच्या मेहनतीवर लोकांचा पूर्ण विश्वास आहे.     

मित्रांनो,

आमचं भाग्य आहे की राजस्थानमधल्या लोकांनी खूप वर्षांपासून भाजपाला सेवेची संधी दिली आहे. पहिल्यांदा भैरो सिंह शेखावत यांनी राजस्थानमधल्या विकासाचा पाया घातला.  त्यानंतर वसुंधरा राजेंनी सुशासनाची परंपरा पुढे चालू ठेवली आणि आता भजनलाल यांचं सरकार सुशासनाची ही परंपरा आणखी समृद्ध करण्यासाठी मेहनत घेत आहे. गेल्या एक वर्षाच्या कामातून याचाच प्रत्यय दिसून येत आहे.  मित्रांनो,

गेल्या वर्षभरात काय काय कामं झाली याबाबत इथं तपशीलवार माहिती दिली आहे. विशेष करुन गरीब कुटुंब, महिला-मुली, कष्टकरी लोक, कामगार, भटक्या परिवारांसाठी अनेक निर्णय घेतले गेले. इथल्या तरुण पिढीवर गेल्यावेळच्या काँग्रेस सरकारनं खूप अन्याय केला. पेपरफुटी आणि भरतीमधला घोटाळा ही राजस्थानची ओळख बनली होती. भाजपा सरकारनं सत्तेत येताच याची चौकशी सुरू केली आणि अनेक जणांना अटकही केली. एवढंच नाही तर भाजपा सरकारनं राजस्थानमध्ये गेल्या वर्षभरात मोठ्या संख्येनं भरती प्रक्रिया सुरू केली. राज्यात संपूर्ण पारदर्शक स्वरुपात परीक्षा घेतल्या, नियुक्त्या पण केल्या. गेल्या सरकारच्या काळात राजस्थानमध्ये इतर राज्यांच्या तुलनेत पेट्रोल, डिझेल महाग होतं. राजस्थानमध्ये भाजपा सरकार स्थापन झाल्यानंतर लगेचच इथल्या लोकांना दिलासा मिळाला. पंतप्रधान किसान सन्मान निधी योजनेअंतर्गत केंद्र सरकार थेट शेतकऱ्यांच्या बँक खात्यात रक्कम जमा करत आहे. आता राजस्थानमधल्या डबल इंजिन भाजपा सरकारनं त्यात आपली भर घालून शेतकऱ्यांना जास्तीची मदत द्यायला सुरुवात केली आहे. इथलं डबल इंजिन सरकार पायाभूत सुविधा क्षेत्रातली कामंही वेगानं पूर्ण करत आहे. भाजपानं जी आश्वासनं दिली होती त्यांची वेळेत पूर्तता केली जात आहे. आजचा हा कार्यक्रम देखील त्याचाच एक महत्त्वपूर्ण भाग आहे.   

 

मित्रांनो,

राजस्थानातल्या लोकांच्या आशीर्वादामुळे गेली दहा वर्ष केंद्रात भाजपाची सत्ता आहे. या दहा वर्षांत आम्ही लोकांना सुविधा पुरवण्यावर, त्यांच्या आयुष्यातल्या अडचणी कमी करण्यावर भर दिला. स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतरच्या 50-60 वर्षांमध्ये काँग्रेसनं जितकं काम केलं त्याच्यापेक्षा जास्त काम आम्ही केवळ 10 वर्षातच करुन दाखवलं. राजस्थानचंच उदाहरण घ्या... पाण्याचं महत्त्व राजस्थानपेक्षा जास्त कुणाला समजू शकतं इथल्या अनेक भागात इतका भयंकर दुष्काळ पडतो आणि दुसरीकडे काही ठिकाणी आपल्या नद्यांचं पाणी न वापरताच समुद्रात वाहून जातं. म्हणूनच अटल बिहारी वाजपेयी यांच्या सरकारनं त्यावेळी नदीजोड प्रकल्पाची कल्पना मांडली होती. त्यांनी यासाठी एक विशेष समिती नेमली होती. या सगळ्याचा उद्देश हाच होता की, ज्या नद्यांमधलं पाणी वापराविना समुद्रात वाहून जातं ते दुष्काळग्रस्त भागापर्यंत पोहोचवणं.

यामुळे एकीकडे पुराची समस्या आणि दुसरीकडे दुष्काळाची समस्या या दोन्ही समस्या सोडवणे शक्य होते. याचं समर्थन करत सर्वोच्च न्यायालयानेही अनेकदा आपले मत व्यक्त केले आहे. मात्र तुमच्या जीवनातून पाण्याची समस्या दूर करण्याची काँग्रेसची कधीच इच्छा नव्हती. आपल्या नद्यांचे पाणी वाहत सीमेपलीकडे जायचे, पण त्याचा लाभ आपल्या शेतकऱ्यांना मिळत नसे. काँग्रेस तोडगा काढण्याऐवजी राज्यांमधील पाणी वादाला प्रोत्साहन देत राहिली. या कुटील धोरणामुळे राजस्थानचे बरेच नुकसान झाले आहे, इथल्या माता-भगिनींनी सोसले आहे. इथल्या शेतकऱ्यांना त्रास सहन करावा लागला आहे, 

मला आठवतंय, मी गुजरातमध्ये मुख्यमंत्री म्हणून जनतेची सेवा करीत असताना तिथे सरदार सरोवर धरण पूर्ण झालं, नर्मदा मातेचं पाणी गुजरातच्या विविध भागात पोहोचवण्यासाठी मोठी मोहीम राबवली, कच्छच्या सीमेपर्यंत पाणी पोहोचवलं गेलं. मात्र तेव्हा काँग्रेस आणि काही स्वयंसेवी संस्थांकडून ते रोखण्यासाठी वेगवेगळे डावपेच अवलंबले गेले. पण पाण्याचे महत्त्व आम्ही जाणून होतो. आणि माझ्यासाठी मी म्हणतो की पाणी हा परिस आहे, ज्याप्रमाणे परिस लोखंडाला स्पर्श करतो आणि लोखंडाचे सोन्यामध्ये रुपांतर होते, तद्वतच, जिथे पाणी स्पर्श करते तिथे ते नवीन ऊर्जा आणि शक्तीला जन्म देते.

मित्रांनो,

पाणी पोहोचवण्यासाठी मी निर्धाराने काम करत राहिलो, विरोध सहन करत राहिलो आणि टीकेला तोंड देत राहिलो, मात्र मला पाण्याचे महत्त्व माहित होते. नर्मदेच्या पाण्याचा लाभ फक्त गुजरातलाच मिळायला हवा असे नव्हे तर राजस्थानलाही नर्मदाजीच्या पाण्याचा लाभ मिळायला हवा. आणि यात कोणताही वादविवाद, कोणताही अडथळा, कोणतेही निवेदन, आंदोलने झाली नाहीत आणि जसे सरोवराचे काम पूर्ण झाले तसे आधी गुजरातला मिळूदे आणि मग राजस्थानला देऊ असेही नाही. गुजरातमध्येही पाणी पोहोचवायचे आणि त्याचवेळी राजस्थानमध्येही पाणी पोहोचवण्याचे काम आम्ही सुरू केले. आणि मला आठवते की जेव्हा नर्मदाजीचे पाणी राजस्थानात पोहोचले तेव्हा राजस्थानच्या जीवनात जल्लोष आणि उत्साह होता. आणि त्यानंतर काही दिवसांनी अचानकपणे मला मुख्यमंत्री कार्यालयात संदेश आला की भैरोसिंह जी शेखावत आणि जसवंत सिंह जी गुजरातमध्ये आले आहेत आणि त्यांची मुख्यमंत्र्यांची  भेट घेण्याची इच्छा आहे. आता मला माहित नव्हते की ते कोणत्या उद्देशाने आले आहेत. पण ते माझ्या कार्यालयात आले, मी विचारलं आपण कसे काय येणे केलेत तेव्हा ते म्हणाले की काही काम नाही, तुम्हाला भेटायलाच आलो आहोत. ते दोघेही माझे ज्येष्ठ नेते होते, आमच्यापैकी बरेच जण तर भैरोंसिंगजींचे बोट धरून मोठे झालो आहोत. आणि ते माझ्यासमोर येऊन केवळ बसले नाहीत तर त्यांना  माझा सन्मान करायचा होता, मीही थोडा संभ्रमात पडलो. पण त्यांनी माझा मानसन्मान केला, मात्र दोघेही भावूक झाले होते, त्यांचे डोळे पाणावले होते. ते म्हणाले, मोदीजी, पाणी देणे म्हणजे काय ते तुम्हाला माहीत आहे, तुम्ही गुजरातचे नर्मदेचे पाणी राजस्थानला इतक्या सहजतेने दिले, या घटनेने माझ्या मनाला स्पर्श केला. आणि म्हणूनच आज मी राजस्थानच्या करोडो जनतेच्या वतीने त्यांच्या भावना व्यक्त करण्यासाठी तुमच्या कार्यालयात आलो आहे.

 

मित्रांनो,

पाण्यात किती शक्ती असते याचा एक अनुभव आला. आणि मला आनंद आहे की माता नर्मदेचे पाणी आज जालोर, बारमेर, चुरू, झुंझुनू, जोधपूर, नागौर, हनुमानगड, अशा अनेक जिल्ह्यांना मिळत आहे.

मित्रांनो,

नर्मदाजीच्या पात्रात स्नान केल्यास, नर्मदाजी परिक्रमा केल्यास अनेक पिढ्यांची पापे धुऊन पुण्यप्राप्ती होते, असे आमच्या येथे सांगितले जायचे पण विज्ञानाचा चमत्कार पहा, एकेकाळी आपण माता नर्मदेच्या परिक्रमेला जायचो, आज माता नर्मदा स्वतः परिक्रमेसाठी बाहेर पडून हनुमानगढपर्यंत पोहोचली.

मित्रांनो,

पूर्व राजस्थान कालवा प्रकल्प ERCP ला काँग्रेसने किती विलंब लावला... हादेखील  काँग्रेसच्या हेतूचा थेट पुरावा आहे. ते शेतकऱ्यांच्या नावाने मोठमोठ्या गोष्टी करतात. मात्र, शेतकऱ्यांसाठी ते स्वतःही काही करत नाहीत आणि इतरांनाही काही करू देत नाहीत. भाजपचे धोरण वादाचे नाही तर संवादाचे आहे. आमचा विरोधावर नव्हे तर सहकार्यावर विश्वास आहे. आम्ही व्यत्ययावर नव्हे तर उपायांवर विश्वास ठेवतो, त्यामुळे आमच्या सरकारने पूर्व राजस्थान कालवा प्रकल्पाला मंजुरीही दिली आणि त्याचा विस्तारही केला आहे. मध्यप्रदेश आणि राजस्थानमध्ये भाजपचे सरकार स्थापन होताच पर्वती-कालीसिंध-चंबळ प्रकल्प, एमपीकेसी लिंक प्रकल्पाबाबत सामंजस्य करार झाला.

केंद्राचे जलमंत्री आणि दोन राज्यांचे मुख्यमंत्री हे जे चित्र तुम्ही पहात होतात ते चित्र सामान्य नाही. पुढची काही दशके हे चित्र भारताच्या कानाकोपऱ्यातील राजकारण्यांना प्रश्न विचारेल, प्रत्येक राज्याला हा प्रश्न विचारला जाईल की मध्य प्रदेश, राजस्थानने मिळून पाण्याचा प्रश्न, नदीच्या पाण्याची समस्या सामंजस्याच्या मार्गाने सोडवली तर तुम्ही असे कोणते राजकारण करत आहात की समुद्रात पाणी वाहून जात असताना तुम्ही एका कागदावर स्वाक्षऱ्या करू शकत नाही. हे चित्र, असे चित्र येत्या काही दशकांत संपूर्ण देश पाहणार आहे. जो जलाभिषेक होत होता, ते दृश्य मला सामान्य वाटत नाही.जे लोक देशाच्या हिताचा विचार करतात, त्यांना सेवा करण्याची संधी मिळते तेव्हा कोणी मध्य प्रदेशातून पाणी आणतात , कोणी राजस्थानातून पाणी आणतात, ते पाणी एकत्र करून माझ्या राजस्थानला सुजलाम-सुफलाम करण्यासाठी पुरुषार्थाची परंपरा सुरु केली जाते. हे दिसायला असामान्य आहे, हा एक वर्षाचा उत्सव आहे पण आगामी शतकांचे उज्ज्वल भविष्य आज या मंचावरून लिहिले जात आहे. या प्रकल्पात चंबळ आणि तिच्या उपनद्या पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रुपरेल, गंभीरी आणि मेज या नद्यांचे पाणी एकमेकांशी जोडले जाणार आहे.

मित्रांनो,

नद्या जोडण्याची ताकद काय असते हे मी गुजरातमध्ये दाखवून दिले आहे. नर्मदेचे पाणी गुजरातच्या विविध नद्यांना जोडले गेले. तुम्ही कधी अहमदाबादला गेलात तर तुम्हाला साबरमती नदी दिसते. आजपासून 20 वर्षांपूर्वी जर एखाद्या मुलाला साबरमतीवर निबंध लिहिण्यास सांगितले तर तो लिहायचा की साबरमतीमध्ये सर्कसचे तंबू लावले जातात. इथे खूप चांगली सर्कस दाखवली जाते. साबरमतीत क्रिकेट खेळायला मजा येते. साबरमतीमध्ये अतिशय चांगली माती आणि धूळ पहावयास मिळते..

कारण साबरमतीत पाणी दिसले नव्हते. आज नर्मदेच्या पाण्याने साबरमती जिवंत झाली आहे आणि अहमदाबादमध्ये रिव्हर फ्रंट तुम्ही पाहू शकता. या नद्यांना जोडण्यामुळे ही  ताकद निर्माण झाली आहे राजस्थानच्या अशाच सुंदर दृश्याची कल्पना मी माझ्या डोळ्यांनी करू शकतो.

 

मित्रांनो,

मी तो दिवस पाहत आहे जेव्हा राजस्थानमध्ये पाण्याची कमतरता भासणार नाही, राजस्थानमध्ये विकासासाठी पुरेसे पाणी असेल.  पार्वती-कालीसिंध-चंबळ प्रकल्प, याद्वारे राजस्थानमधील 21 जिल्ह्यांना सिंचनासाठी पाणी मिळेल आणि पिण्याचे पाणीही मिळेल.  यामुळे राजस्थान आणि मध्य प्रदेश या दोन्ही राज्यांच्या विकासाला गती मिळेल.

मित्रांनो,

आजच इसर्डा जोड प्रकल्पाची देखील  पायाभरणी झाली.  ताजेवाला येथून शेखावटीपर्यंत पाणी आणण्याबाबतही आज करार झाला आहे.  या पाण्यामुळे या करारामुळे हरयाणा आणि राजस्थान या दोन्ही राज्यांनाही फायदा होणार आहे.  मला विश्वास आहे की राजस्थानमध्येही नळाचे पाणी 100% घरांमध्ये लवकरात लवकर पोहोचेल.

मित्रांनो,

आमच्या सी.आर.पाटीलजींच्या नेतृत्वाखाली मोठी मोहीम सुरू आहे.  सध्या प्रसारमाध्यमांमध्ये आणि बाहेरही त्याबद्दल  कमी बोललं जातय.  पण मी या मोहिमेची ताकद ओळखून आहे.  लोकसहभागातून ही मोहीम राबवण्यात आली आहे.  पावसाचे पाणी साठवण्यासाठी पुनर्भरण विहिरी बांधल्या जात आहेत.  कदाचित तुम्हाला माहीत नसेल, पण मला सांगण्यात आले की आज राजस्थानमध्ये लोकसहभागातून दैनंदिन पावसाचे पाणी साठवण्यासाठी सोय (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स) केली जात आहे.  गेल्या काही महिन्यांत भारतातील ज्या राज्यांमध्ये पाण्याची कमतरता आहे तेथे सुमारे तीन लाख रेन हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स बांधण्यात आली आहेत. मला ठाम विश्वास आहे की  पावसाचे पाणी वाचवण्याचा हा प्रयत्न येत्या काळात आपल्या धरणी मातेची तहान भागवेल.  आणि इथे बसलेल्या… भारतात बसलेल्या कोणत्याही मुलाला किंवा मुलीला  आपल्या धरणी मातेला तहानलेलं ठेवणं आवडणार नाही. तहानेची जी तळमळ आपल्याला असते…..ज्या तहानेमुळे आपल्याला त्रास होतो…. तितकाच त्रास आपल्या धरणी मातेला होतो.  आणि म्हणूनच, या पृथ्वीची मुले म्हणून, आपल्या धरणीमातेची तहान भागवण्याची जबाबदारी आपल्या सर्वांची आहे.  पावसाच्या पाण्याचा प्रत्येक थेंब धरणी मातेची तहान भागवण्यासाठी वापरुया.  आणि एकदा का आपल्याला धरणी मातेचा आशीर्वाद मिळाला की जगातील कोणतीही शक्ती आपल्याला रोखू शकत नाही.

मला आठवते गुजरातमध्ये एक जैन महात्मा होते.  सुमारे 100 वर्षांपूर्वी त्यांनी लिहिले होते….बुद्ध सागर जी महाराज, जैन भिक्षू होते.  त्यांनी सुमारे 100 वर्षांपूर्वी लिहिले होते आणि त्या वेळी ते कोणी वाचले असते तर कदाचित त्यांच्या बोलण्यावर विश्वास बसला नसता.  त्यांनी 100 वर्षांपूर्वी लिहिले होते - एक दिवस येईल जेव्हा पिण्याचे पाणी किराणा दुकानात विकले जाईल.  100 वर्षांपूर्वी लिहिलं होतं, आज आपल्याला किराणा दुकानातून बिसलेरीच्या बाटल्या विकत घेऊन पाणी प्यावं लागतं…. 100 वर्षांपूर्वी हे म्हटलं होतं.

मित्रांनो,

ही एक दुःखप्रद कहाणी आहे.  आपल्या पूर्वजांनी आपल्याला वारसा म्हणून खूप काही दिले आहे. आपली ही जबाबदारी आहे की आता आपल्या भावी पिढ्यांना पाण्याअभावी मरावे लागू नये…आपण त्यांना… आपली सुजलाम सुफलाम धरणी माता… आपल्या भावी पिढ्यांच्या स्वाधीन करावी.  आणि तेच पवित्र कार्य करण्याच्या दिशेने काम करणाऱ्या मध्य प्रदेश सरकारचे,  आज मी अभिनंदन करतो.  मी मध्य प्रदेशातील जनतेचे अभिनंदन करतो.  मी राजस्थान सरकार आणि राजस्थानच्या जनतेचे अभिनंदन करतो.  आता आमचे हे काम आहे की हे काम कोणत्याही अडथळ्याविना पुढे न्यायचे आहे. जिथे गरज असेल त्या भागासाठी ही योजना लागू पडते.  लोकांनी पुढे येऊन पाठिंबा दिला पाहिजे.  मग योजना वेळेपूर्वी पूर्ण होऊ शकतात आणि या संपूर्ण राजस्थानचे नशीब बदलू शकते.

 

मित्रांनो,

21व्या शतकातील भारतासाठी महिलांचे सक्षमीकरण अत्यंत महत्त्वाचे आहे. अहो तो कॅमेरा…, त्याला कॅमेरा इतका आवडतो की त्याचा उत्साह वाढला आहे.  जरा त्या कॅमेरावाल्याला पलीकडे घेऊन जा….तो थकून जाईल.

मित्रांनो,

तुमचे हे प्रेम मला शिरसावंद्य आहे…. मी तुमचा आभारी आहे….. हा जोश आणि या उत्साहासाठी!  मित्रांनो, आम्ही महिला बचत गटाच्या चळवळीत स्त्री शक्तीचे सामर्थ्य पाहिले आहे.  गेल्या दशकात देशातील 10 कोटी भगिनी बचत गटांमध्ये सामील झाल्या आहेत.  यामध्ये राजस्थानमधील लाखो बहिणींचाही समावेश आहे.  या बचत गटांमध्ये सहभागी भगिनींना बळ देण्यासाठी भाजपा सरकारने अहोरात्र मेहनत घेतली आहे.  आमच्या सरकारने या गटांना प्रथम आधी बँकांशी जोडले, नंतर बँकांकडून मिळणारी मदत 10 लाखांवरून 20 लाख रुपये केली.  आम्ही त्यांना सुमारे 8 लाख कोटी रुपये मदत म्हणून दिले आहेत.  आम्ही त्यांच्यासाठी प्रशिक्षणाची व्यवस्था केली आहे.  महिला बचत गटांमध्ये उत्पादित वस्तूंना नवीन बाजारपेठ उपलब्ध करून दिली.

आज त्याचाच परिणाम म्हणून हे बचतगट ग्रामीण अर्थव्यवस्थेत मोठी ताकद बनले आहेत.  आणि मला बरं वाटतय…..मी इथे येत होतो, मंडपाचे  सर्व भाग ,सगळे भाग  माय-भगिनींनी भरलेले आहेत.  आणि एवढा जोश….एवढा उत्साह!  आता आमचे सरकार बचत गटातील तीन कोटी भगिनींना लखपती दीदी बनवण्याचे काम करत आहे.  मला आनंद आहे की सुमारे 1.25 कोटी बहिणी लखपती दीदी झाल्या आहेत.  म्हणजेच वर्षभरात त्यांना एक लाख रुपयांहून अधिक कमाई होऊ लागली आहे.

मित्रांनो,

महिला शक्ती बळकट करण्यासाठी आम्ही अनेक नवीन योजना तयार करत आहोत. आता जशी नमो ड्रोन दीदी योजना आहे.  याअंतर्गत हजारो भगिनींना ड्रोन पायलट म्हणून प्रशिक्षण दिले जात आहे.  हजारो गटांना आधीच ड्रोन मिळाले आहेत. भगिनी, ड्रोनच्या माध्यमातून शेती करत आहेत आणि त्यातून पैसेही कमावत आहेत.  राजस्थान सरकारही ही योजना पुढे नेण्यासाठी अनेक प्रयत्न करत आहे.

मित्रांनो,

नुकतीच आम्ही भगिनी आणि कन्यांसाठी आणखी एक मोठी योजना सुरू केली आहे.  ही योजना विमा सखी योजना आहे.  याअंतर्गत गावातील भगिनी आणि मुलींना विमा कामाशी जोडून त्यांना प्रशिक्षण दिले जाणार आहे.  या अंतर्गत, सुरुवातीच्या वर्षांत त्यांचे काम स्थिरस्थावर होईपर्यंत त्यांना एक लहान रक्कम मानक म्हणून दिली जाईल.  या अंतर्गत भगिनींना पैसा मिळेल आणि देशसेवेची संधीही मिळेल. आम्ही पाहिले आहे की आमच्या बँक सखींनी किती मोठा चमत्कार केला आहे ते 

आमच्या बँक सख्यांनी देशाच्या कानाकोपऱ्यात, प्रत्येक गावात बँकिंग सेवा दिली आहे, खाती उघडली आहेत आणि लोकांना कर्ज सुविधा उपलब्ध करुन दिल्या आहेत.  आता विमा सखी भारतातील प्रत्येक कुटुंबाला विमा सुविधांशी जोडण्यात मदत करतील.  कॅमेरामनला माझी विनंती आहे की, कृपया तुमचा कॅमेरा दुसरीकडे वळवा, इथे लाखो लोक आहेत…. त्यांच्यावर फिरवा.

मित्रांनो,

गावांची आर्थिक स्थिती सुधारण्यासाठी भाजप सरकार सातत्याने प्रयत्नशील आहे. विकसित भारत निर्माण करण्यासाठी हे खूप महत्वाचे आहे. म्हणूनच गावात कमाईच्या आणि रोजगाराच्या प्रत्येक साधनावर आम्ही भर देत आहोत. भाजप सरकारने राजस्थानमध्ये वीज क्षेत्रात अनेक करार केले आहेत. याचा सर्वाधिक फायदा आपल्या शेतकऱ्यांना होणार आहे. राजस्थान सरकारने येथील शेतकऱ्यांना दिवसाही वीज देण्याची योजना आखली आहे. शेतकऱ्यांना रात्रीच्या वेळी सिंचन करण्याच्या सक्तीतून मुक्त करण्याच्या दिशेने उचललेले हे मोठे पाऊल आहे.

 

मित्रांनो,

राजस्थानमध्ये सौरऊर्जेच्या वापराच्या अनेक शक्यता आहेत. राजस्थान या बाबतीत देशातील आघाडीचे राज्य बनू शकते. तुमचे वीज बिल शून्यावर आणण्यासाठी आमच्या सरकारने सौरऊर्जेला माध्यम बनवले आहे. केंद्र सरकार पीएम सूर्यघर मोफत वीज योजना राबवत आहे. या योजनेअंतर्गत घराच्या छतावर सौर पॅनल बसवण्यासाठी केंद्र सरकार सुमारे 75 ते 80  हजार रुपयांची मदत करत आहे. त्यातून निर्माण झालेली वीज तुम्ही वापरू शकता आणि जर ती तुमच्या गरजेपेक्षा जास्त असेल तर तुम्ही ती विकू शकता आणि ती वीज सरकार विकतही घेईल. आतापर्यंत देशातील 1 कोटी 40 लाख कुटुंबांनी या योजनेसाठी नोंदणी केली आहे, हे सांगताना मला आनंद होतो आहे. फारच कमी वेळात सुमारे सात लाख लोकांच्या घरात सौर पॅनल यंत्रणा बसवण्यात आली आहे. यामध्ये राजस्थानमधील 20 हजारांपेक्षा जास्त घरांचाही समावेश आहे. या घरांमध्ये सौरऊर्जेची निर्मिती सुरू झाली असून लोकांचे पैसेही वाचू लागले आहेत.

मित्रांनो,

घराच्या छतावरच नव्हे तर शेतातही सौरऊर्जा प्रकल्प राबवण्यासाठी सरकार मदत करत आहे. पीएम कुसुम योजनेंतर्गत राजस्थान सरकार आगामी काळात शेकडो नवीन सौर संयंत्रे बसवणार आहे. जेव्हा प्रत्येक कुटुंब ऊर्जा प्रदाता होईल, प्रत्येक शेतकरी ऊर्जा प्रदाता होईल, तेव्हा विजेपासून उत्पन्न होईल आणि प्रत्येक कुटुंबाचे उत्पन्नही वाढेल.

मित्रांनो,

राजस्थानला रस्ते, रेल्वे आणि विमान प्रवासाच्या सर्वात जास्त सुविधा असणारे राज्य बनवण्याचा आमचा संकल्प आहे. आपले राजस्थान, दिल्ली, वडोदरा आणि मुंबईसारख्या मोठ्या औद्योगिक केंद्रांच्या मधोमध वसलेले आहे. राजस्थानमधील लोकांसाठी आणि येथील युवा वर्गासाठी ही मोठी संधी आहे. ही तीन शहरे राजस्थानशी जोडण्यासाठी बांधण्यात येणारा नवा द्रुतगती मार्ग हा देशातील सर्वोत्तम द्रुतगती मार्गांपैकी एक आहे. मेज नदीवर मोठा पूल बांधल्यामुळे सवाई माधोपूर, बुंदी, टोंक आणि कोटा जिल्ह्यांना फायदा होणार आहे. या जिल्ह्यांतील शेतकऱ्यांना दिल्ली, मुंबई आणि वडोदरा येथील मोठ्या मंडई आणि बाजारपेठांपर्यंत पोहोचणे सोपे होणार आहे. त्यामुळे पर्यटकांना जयपूर आणि रणथंबोर व्याघ्र प्रकल्पापर्यंत पोहोचणेही सोपे होणार आहे. आजच्या काळात वेळेला खूप मोल आहे, हे आपल्या सर्वांना माहिती आहे. लोकांचा वेळ वाचवून त्यांना जास्त सोयी देण्याचा आमचा सर्वांचा प्रयत्न आहे.

मित्रांनो,

जामनगर-अमृतसर इकॉनॉमिक कॉरिडॉर, जेव्हा दिल्ली-अमृतसर-कटरा द्रुतगती मार्गाशी जोडला जाईल, तेव्हा राजस्थानला मातो वैष्णो देवी धामसोबत जोडेल. यामुळे उत्तर भारतातील उद्योग कांडला आणि मुंद्रा बंदरांशी थेट जोडले जातील. राजस्थानमधील वाहतूक क्षेत्राला याचा फायदा होईल, येथे मोठी गोदामे बांधली जातील. यामुळे राजस्थानच्या युवा वर्गाला जास्त काम मिळेल.

 

मित्रांनो,

जोधपूर रिंग रोडपासून जयपूर, पाली, बारमेर, जैसलमेर, नागौर आणि आंतरराष्ट्रीय सीमेपर्यंत पोहोचणे अधिक सोयीचे होणार आहे. यामुळे अनावश्यक वाहतूक कोंडीपासून शहर मुक्त होईल. जोधपूरमध्ये येणाऱ्या पर्यटक, व्यापारी आणि व्यावसायिकांचीही मोठी सोय होणार आहे.

मित्रांनो,

आज या कार्यक्रमात भाजपचे हजारो कार्यकर्तेही माझ्यासमोर उपस्थित आहेत. त्यांच्या मेहनतीमुळेच आपण आजचा हा दिवस पाहत आहोत. मला भाजप कार्यकर्त्यांकडेही आग्रहाने काही मागायचे आहे. भाजप हा जगातील सर्वात मोठा राजकीय पक्ष आहेच आणि त्याचबरोबर भाजप ही एक मोठी सामाजिक चळवळ सुद्धा आहे. भाजपसाठी पक्षापेक्षा देश मोठा आहे. भाजपचा प्रत्येक कार्यकर्ता देशासाठी जागरुकतेने आणि समर्पित भावनेने काम करत आहे. भाजपचा कार्यकर्ता केवळ राजकारणातच गुंतत नाही, तर सामाजिक समस्या सोडवण्यातही त्याचा सहभाग असतो. आज आपण अशा एका कार्यक्रमासाठी आलो आहोत, ज्याचा जलसंवर्धनाशी सखोल संबंध आहे. जलस्रोतांचे संवर्धन आणि पाण्याच्या प्रत्येक थेंबाचा अर्थपूर्ण वापर ही सरकारबरोबरच संपूर्ण समाजाची आणि प्रत्येक नागरिकाची जबाबदारी आहे. आणि म्हणूनच मी माझ्या भाजपच्या प्रत्येक कार्यकर्त्याला, प्रत्येक सहकाऱ्याला सांगेन की त्यांनी त्यांच्या दैनंदिन दिनचर्येतील काही वेळ जलसंधारणाच्या कामासाठी समर्पित करून मोठ्या निष्ठेने काम करावे. सूक्ष्म सिंचन, ठिबक सिंचनाशी संबंधित अमृत सरोवराच्या देखभालीसाठी मदत करा, जल व्यवस्थापनाची साधने निर्माण करा आणि जनतेला जागरूक करा. तुम्हीही शेतकऱ्यांना नैसर्गिक शेतीबाबतही जागरूक करा.

 

आपल्या सर्वांना माहित आहे की जितकी जास्त झाडे असतील तितकी पृथ्वीला पाणी साठवण्यात मदत होईल. या कामी ‘एक पेड मां के नाम’ ही मोहीम खूप मदत करू शकते. यामुळे आपल्या आईचा सन्मान वाढेल आणि पृथ्वी मातेचा सन्मानही वाढेल. पर्यावरणासाठी अशा अनेक गोष्टी करता येतील. उदाहरणार्थ, मी आधीच पीएम सूर्य घर अभियानाबद्दल सांगितले. भाजपचे कार्यकर्ते सौरऊर्जेच्या वापराबाबत लोकांना जागरूक करू शकतात, त्यांना ही योजना आणि योजनेच्या लाभांबद्दल सांगू शकतात. आपल्या देशातील लोकांचा एक स्वभाव विशेष आहे. जेव्हा देश पाहतो की एखाद्या मोहिमेचा हेतू योग्य आहे, मोहिमेचे धोरण योग्य आहे, तेव्हा लोक त्या मोहिमेची धुरा आपल्या खांद्यावर घेतात, त्या मोहिमेशी जोडले जातात आणि मोहिमेच्या कामात स्वतःला झोकून देतात. हे आपण स्वच्छ भारत मोहिमेमध्ये अनुभवले आहे. हे आपण बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियानात अनुभवले आहे. पर्यावरण संरक्षण आणि जलसंवर्धनातही आपल्याला असेच यश मिळेल, असा विश्वास मला वाटतो.

 

 

मित्रांनो,

आज राजस्थानमध्ये विकासाची जी आधुनिक कामे केली जात आहेत, ज्या पायाभूत सुविधा उभारल्या जात आहेत, त्या सध्याच्या आणि भावी पिढ्यांसाठी उपयुक्त ठरतील. राजस्थान विकसित करण्यासाठी याचा उपयोग होईल आणि जेव्हा राजस्थान विकसित होईल तेव्हा भारताचाही विकास वेगाने होईल. दुहेरी इंजिन सरकार येत्या काही वर्षांत अधिक वेगाने काम करेल. केंद्र सरकारही राजस्थानच्या विकासासाठी कोणतीही कमी भासू देणार नाही, याची मी खात्री देतो. पुन्हा एकदा, आपण सर्व एवढ्या मोठ्या संख्येने आशीर्वाद देण्यासाठी आलात, विशेषत: माता आणि भगिनी आल्या, मी माझे मस्तक झुकवून आपले आभार मानतो आणि आजची संधी तुमच्यामुळेच आहे आणि आजची संधी तुमच्यासाठी आहे. मी तुम्हा सर्वांना खूप खूप शुभेच्छा देतो. दोन्ही हात पूर्ण ताकदीनिशी वर करा आणि माझ्याबरोबर म्हणा –

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

अनेकानेक आभार !