इस कार्यक्रम को मैं अभी देख रहा था। बहुत सी चीजें मैं अलग तरीके से देख रहा था। आपने देखा होगा, जिन्‍होंने ईनाम प्राप्‍त किया है, उनमें से ज्‍यादातर अहिन्‍दी भाषी राज्‍य के लोग हैं और योजना का नाम उन्‍होंने हिन्‍दी में दिया है, देखिये ‘नेशनल इंटीग्रेशन’। दूसरा आपने देखा होगा कि जिनके खाते खोले गए हैं, जो कपल आए थे, सभी बहनें फेस्टिवल मूड के कपड़ों में थीं। क्‍योंकि उन्हे यह इतना बड़ा हक मिला है, उनको यह बराबर समझ है। उनको पता है कि बैंक का खाता खुलेगा, खुद आपरेट कर पाएंगे, पैसे वहां जमा होंगे, इससे उन्‍हें जीवन में कितनी बड़ी सुरक्षा मिलेगी। उसके लिए इससे बड़ा कोई फेस्टिवल मूड हो ही नहीं सकता है।

यह आज खुशी की बात है कि आज बहुत सारे रिकार्ड ब्रेक हो रहे हैं। शायद इंश्‍योरेंस कंपनी के इतिहास में एक ही दिन में डेढ़ करोड़ लोगों का अकस्‍मात बीमा, दुर्घटना बीमा, एक लाख रुपये प्रति व्‍यक्ति का, शायद इंश्‍योरेंस कंपनी के जनमत से आज तक कभी नहीं हुआ होगा। यह अपने आप में एक बहुत बड़ा रिकार्ड है। बैंकिंग क्षेत्र के इतिहास में भी एक दिवस में डेढ़ करोड़ नागरिकों का खाता खुलना, यह शायद बैंकिंग इतिहास का एक बहुत बड़ा रिकार्ड होगा।

इससे सबसे बड़ा फायदा यह होने वाला है कि जो सरकार में बैठे हैं, भिन्‍न भिन्‍न विभागों में काम कर रहे हैं, उनका भी विश्‍वास प्रस्‍थापित होने वाला है। आज के बाद जो हम तय करें, वह हम कर सकते हैं और शासन चलता है, व्‍यवस्‍था में जुड़े हुए लोगों के विश्‍वास पर। उनको अपने पर विश्‍वास हो कि हां, यह कर सकते हैं। यह एक ऐसा अचीवमेंट है जो सिर्फ बैंकिंग सेक्‍टर को नहीं, शासन व्‍यवस्‍था में जुड़े हुए हर व्‍यक्ति के विश्‍वास को अनेक गुना बढ़ा देगा। और इस कारण भविष्‍य में जब भी कोई योजना पर, इस प्रकार का मिशन मोड में काम करना होगा तो हम बहुत आसानी से कर पाएंगे, यह विश्‍वास आज प्रस्‍थापित हुआ है।

भारत सरकार की परंपरा में भी शायद एक साथ 77000 स्‍थान पर साइमलटेनियस कार्यक्रम एक साथ होना, इस प्रकार से कि व्‍यवस्‍था को विशिष्‍ट कार्य के लिए आर्गनाइज करना, एक साथ सभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों को लेकर इतना बड़ा कार्यक्रम करना, ये भी अपने आप में भारत सरकार के लिए एक पहला अनुभव है। वरना सरकुलर जाते हैं, मीटिंग होती है, फिर जानकारी आती है तब तक कि अच्‍छा नहीं हुआ, तो ठीक है, यह नहीं हुआ। इन सारी परंपराओं से हटकर इतना बड़ा अचीव करना, यह सरकार के लिए, सरकारी व्‍यवस्‍था के लिए, एक सुखद अनुभव है। और यह बात सही है कि सफलता नई सिद्धियों को पाने की प्रेरणा बन जाती है। सफलता नई सिद्धियों का गर्भाधान करती है। और ये सफलता देश को आगे ले जाने के अनेक जो प्रकल्‍प हैं, उसको एक नई ताकत देगी। यह आज के इस अवसर से मुझे लग रहा है।

इसको सफल करने वाले वित्‍त विभाग के सभी बंधु, सरकार के सभी बंधु, बैंकिंग क्षेत्र के सभी लोग, सभी राज्‍य सरकारें, ये सब अभिनंदन के अधिकारी हैं और हम सब मिल कर के किसी एक लक्ष्‍य को पाना चाहें तो कितनी आसानी से पा सकते हैं, यह हमें ध्‍यान में आता है।

आप कल्‍पना कर सकते हैं, 1969 में जब बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, राष्‍ट्रीयकरण किया गया, तब कैसे कैसे सपने बोये गए थे। उस समय के सारे विधान निकालिये, सारे बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण गरीबों के लिए होता है, पूरे देश के गले उतार दिया गया था। लेकिन आजादी के 68 वर्ष के बाद, 68 प्रतिशत लोगों के पास भी अर्थव्‍यवस्‍था के इस हिस्‍सा से कोई संबंध नहीं है और इसलिए लगता है कि जिस मकसद से इस काम का प्रारंभ हुआ था, वह वहीं की वहीं रह गई। मैं यह मानता हूं कि जब कोई व्‍यक्ति बैंक में खाता खोलता है, तो अर्थव्‍यवस्‍था की जो एक मुख्‍य धारा है, उस धारा से जुड़ने का पहला कदम बन जाता है।

आज डेढ़ करोड़ परिवार या व्‍यक्ति, जो भी जुड़े हैं, वे अर्थव्‍यवस्‍था की मुख्‍यधारा में अपना पहला कदम रख रहे हैं। यह अपने आप में देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था को गति देने के लिए एक महत्‍वपूर्ण सफलता है। आजादी के इतने साल के बाद और जो देश के गरीबों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, और गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अर्थव्‍यवस्‍था सबसे महत्‍वपूर्ण इकाई होती है। अगर उससे वह अछूत रह जाए, मुझे यह शब्‍द प्रयोग करना अच्‍छा तो नहीं लगता, पर मन करता है कि कहूं यह फाइनेंसियल अनटचेबिलिटी है। देश के 40 प्रतिशत लोग, जो भारत की अर्थव्‍यवस्‍था के हकदार नहीं बन पाते, उसके लाभार्थी नहीं बन पाते, तो हम फिर गरीबी को हटाने के काम में सफल कैसे हो सकते हैं।

इसलिए हमारा मकसद है, अगर महात्‍मा गांधी ने सामाजिक छुआछूत को मिटाने का प्रयास किया, हमें गरीबी से मुक्ति पानी है, तो हमें फाइनेंसियल अनटचेबिलिटी से भी मुक्ति पानी होगी। हर व्‍यक्ति को भी फाइनेंसियल व्‍यवस्‍था से जोड़ना होगा और उसी के तहत इस अभियान को पूरी ताकत के साथ उठाया है।

आज भी गांव के गरीब परिवारों में जब जाते हैं तो देखते हैं, कि माताएं-बहनें बहुत मेहनत करके पैसे बचाती हैं। लेकिन उसको हर बार परेशानी रहती है, अगर पति को बुरी आदतें लगी हैं, व्‍यसन की आदत लग गई है। तो उस महिला को चिंता लगी रहती है कि शाम को पैसे कहां छुपायें, कहां रखें, बिस्‍तर के नीचे रखें, वह ढ़ूंढ के निकाल लेता है। लेकर के बैठ जाता है, उसको नशे की आदत लगी है। जब खाता खुल जाएगा तो महिलाओं का कितना आशीर्वाद मिलेगा हमलोगों को। इसलिए बैंकिंग सेक्‍टर के जिन महानुभावों ने इस काम को किया है, आपने 20 साल की नौकरी की होगी, 25 साल की नौकरी की होगी, आपने बड़े-बड़े मल्‍टी मिलेनियर के खाते खोले होंगे, उनको पैसे दिये होंगे, लेकिन आशीर्वाद पाने की घटना आज हुई है। वह महिला जब खाता खोलेगी, आपको आशीर्वाद देगी और आपके जीवन में सफलता प्राप्‍त होगी। यह छोटा काम नहीं किया है आपलोगों ने। यह एक ऐसा काम किया है, जिसमें लाखों लोगों, लाखों गरीब माताओं का आशीर्वाद आपको मिलने वाला है।

ये कैसी व्‍यवस्‍था हमने विकसित की है, मैं किसी को दोष नहीं देता हूं, मैं आत्‍मचिंतन कर रहा हूं। ये कैसी व्‍यवस्‍था हमने विकसित की है, कि इस देश का अमीर व्‍यक्ति कम से कम ब्‍याज पर धन पा सकता है। बैंक उसके बिजनेस हाउस पर जा करके, कतार लगा करके खड़ी होती है कि आप हमारे साथ बिजनेस कीजिए। बिजनेस के लिए यह आवश्‍यक होगा। वह कोई गलत करते हैं, ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं, लेकिन यही स्थिति है और जो गरीब हैं, जिनको कम से कम ब्‍याज पर पैसा मिलना चाहिए, वह अमीर से पांच गुना ब्‍याज पर पैसे लेता है। उस साहूकार से पैसे लेता है, और उसके कारण उसका शोषण भी होता है, एक्‍सप्‍लाइटेशन होता है। हर प्रकार से उसके जीवन में संकट पैदा होने के कारण संकट की शुरूआत हो जाती है। एक बार साहूकार से वह पैसे लिया तो कभी वह उसके चंगुल से मुक्‍त नहीं हो पा रहा है। कर्ज में डूबा हुआ वह व्‍यक्ति आत्‍महत्‍या की ओर चला जाता है। परिवार तबाह हो जाता है। क्‍या, इस देश की इतनी बड़ी बैंकिंग व्‍यवस्‍था, इतनी बडी फाइनेंसियल सिस्‍टम, उसका दायित्‍व नहीं है, इस दुष्‍चक्र से गरीबों को मुक्ति दिलाये? 

आज गरीबों की दुष्चक्र से मुक्ति का, आजादी का, मैं पर्व मना रहा हूं। 15 अगस्‍त को जिस योजना की घोषणा की, 15 दिन के भीतर भीतर योजना को लागू किया, और आज डेढ़ करोड़ परिवारों तक पहुंचने का काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ। आगे चल कर के उसकी विश्‍वसनीयता बनेगी, बैंकिंग व्‍यवस्‍था में विश्‍वसनीयता बनेगी। उसके कारण बैंकिंग सेक्‍टर भी एक्‍सटेंड होने वाला है। कई नई ब्रांच खुलेगी। कई उसके नए एजेंट तय होंगे। लाखों नौजवानों को इसके कारण रोजगार मिलने वाला है। इस व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने के लिए स्‍थायी व्‍यवस्‍था विकसित होगी। 2000 से ऊपर की जनसंख्‍या वाले जितने गांव हैं, वहां कोई न कोई बैंकिंग दृष्टि से काम आएगा। इवन पोस्‍टआफिस, आज ईमेल के जमाने में, एसएमएस के जमाने में, पोस्‍टल विभाग की गतिविधियां कम हुई है, लेकिन उसकी व्‍यवस्‍थाएं तो वैसी की वैसी हैं। उन व्‍यवस्‍थाओं का उपयोग बैकिंग सेक्‍टर के लिए किया जाएगा। इन गरीबों के लिए किया जाएगा। तो उसके कारण अपने आप ऐसी व्‍यवस्‍थाएं मिलेंगी, जिन व्‍यवस्‍थाओं के कारण गरीब को गरीबी के खिलाफ लड़ने के लिए बहुत बड़ी ताकत मिलने वाली है और हम सब मिल कर के, गरीबी के खिलाफ लड़ते हैं तो गरीबी से मुक्ति मिल सकती है। यह मेरा पूरा विश्‍वास है।

हम हमेशा कहते हैं, कि भाई सरकार हो, सरकार की संपत्ति हो, वह गरीबों के लिए है। लेकिन आज वह शब्‍दों में नहीं, वह हकीकत में परिवर्तित हो रहा है। उसके कारण आगे चल कर के बैंक से उसको 5000 रुपये तक का कर्ज मिलेगा।सामान्‍य मानव को इससे ज्‍यादा कर्ज की आवश्‍यकता नहीं पड़ती है। उसको अपनेaass रोजमर्रा के काम के लिए चाहिए और अनुभव यह है, गरीब व्‍यक्ति जो बैंक के अंदर आता है, 99 प्रतिशत वह समय से पहले पैसे जमा कराता है। वह बेचारा हमेशा डरता रहता है। उसमें यदि बहनों के पास हो तो वह 100 प्रतिशत पेमेंट पहले कर देती हैं। ये बैंकिंग सेक्‍टर के लोगों का अनुभव है और बड़े-बड़े लोग । हमें मालूम है, क्‍या होता है और इसलिए यह सारा प्रयास गरीबों के लिए है। गरीबी से मुक्ति चाहने वालों के लिए एक अभियान का हिस्‍सा है। और उसी के लिए उसको आगे बढाया जा रहा है।

किसी काम को जब तब समय सीमा में बांध कर निर्धारित लक्ष्‍य को पाने का प्रयास नहीं किया जाए, और पूरी शक्ति से उसमें झोंक न दिया जाए, तो परिणाम नहीं मिलते और एक बार ब्रेक थ्रू हो जाए तो गाड़ी अपने आप चलने लग जाती है। आज के इस ब्रेक थ्रू के बाद मैं नहीं मानता हूं कि यह रूकने वाला है। शुरू में जैसे वित्‍त मंत्री जी कहते थे, 2015 अगस्‍त तक का समय चल रहा था। मैंने कहा, भाई इस झंडावंदन से अगले झंडावंदन तक में हमको काम करना है। 15 अगस्‍त को झंडावंदन किया और योजना घोषित की। 26 जनवारी तक इसे पूरा करें हम। 15 अगस्‍त 2015 तक क्‍यों इंतजार करें। और मैं वित्‍त विभाग का आभारी हूं, इस डिपार्टमेंट के सभी अधिकारियों का आभारी हूं, बैंकिंग सेक्‍टर का आभारी हूं कि उन्‍होंने बीड़ा उठा लिया है और उन्‍होंने मुझे वादा किया है कि हम जनवरी 26 पहले इस काम को पूरा कर लेंगे।

आज जो रुपे में जो क्रेडिट कार्ड मिल रहा है इन डेढ़ करोड़ लोगों को, हम दुनिया के जो पोपुलर वीजा कार्ड वगैरह हैं, उससे परिचित हैं, जो विश्‍व में चलता है। क्‍या हम लोगों के इरादा नहीं होना चाहिए क्‍या कि हमारा रूपे कार्ड दुनिया के किसी भी देश में चल सके, इतनी ताकत हमारी होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? उसकी इतनी क्रेडिबिलिटी होनी चाहिए। होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? आज से इस इवेंट के बाद उसकी पूरी संभावना पैदा होगी। इस देश के डेढ़ करोड़ लोग होंगे, जैसे अमीर लोग कई बड़े रेस्‍टोंरेंट में जाते हैं, तो खाना खाते हैं तो अपना कार्ड देते हैं ओर वो कार्ड में से डेबिट होता है। अब मेरे गरीब के पास भी वो कार्ड होगा। वह भी अपना डेबिट करवाएगा, कोई सब्‍जी बेचता होगा। देखिए अमीर और गरीब की खाई भरने का कितना बड़ा इनीशिएटिव है ये। आज गरीब आदमी भी अपने हाथ में भी मोबाइल होता है तो वो दूसरे के बराबर, अपने को समझता है। उसके पास भी मोबाइल और मेरे पास भी मोबाइल है। अब वो, उसके पास भी कार्ड है और मेरे पास भी कार्ड है, इस मिजाज से काम करेगा। एक मनोवै‍ज्ञानिक परिवर्तन इससे आता है। आखिरकर मानसिक रूप से पक्‍का कर ले, हां मैं किसी की भी बराबरी कर सकता हूं, आगे बढ़ने में कोई रोक नहीं सकता इसको। वो आगे बढ सकता है। इसलिए स्‍पेशल स्‍कीम और भी जोड़ रहे हैं हम आज। हम 26 जनवरी तक, जिसमें आज जो डेढ़ करोड़ लोगों ने किया है, उनका भी समावेश होगा, 26 जनवरी तक जो लोग अपने खाते खुलवाएंगे, उनको एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा के अलावा 30 हजार रुपये का लाइफ इंश्‍योरेंस भी मिलेगा। जो परिवार में कोई बीमार हुआ , कोई जरूरत पड़ी तो उनको काम आएगा। 26 जनवरी तक ये लाभ मिलेगा। गरीब परिवार को एक लाख रुपये की व्‍यवस्‍था, किसी भी गरीब के लिए काम आएगी। उसके परिवार के लोगों को काम आएगी। कभी कभी ये बहुत से बातें, बड़े लोगों को समझ नहीं आती हैं, लेकिन सामान्‍य मानव तेजी से पकड़ता है।

जब 15 अगस्‍त को लाल किले से मैंने एक बात को कहा तो दूसरे दिन ज्‍यादा उसकी चर्चा सुनी नहीं। शाम में टीवी डिबेट में भी उसको सुना नहीं। लेकिन मुझे एक दो सज्‍जन मिलने आए तो उन्‍होंने कहा कि मेरा ड्राइवर बहुत खुश है, मैंने कहा क्‍यों, उसने कहा मोदी जी ने एक लाख रुपये का इंश्‍योरेंस दे दिया। गरीब आदमी को चीजों की कितनी समझ है, कितनी तेजी से वह चीजों को पकड़ता है, उसका एक उदाहरण है। विधिवेत्‍ताओं को शायद पता नहीं होगा एक लाख का इंश्‍योरेंस दिया गया है वह बहुत बड़ी योजना है। हिन्‍दुस्‍तान के एक ड्राइवर, एक गरीब आदमी को पता है, उसके भाग्‍य को बदलने की शुरूआत 15 अगस्‍त को तिरंगा झंडा फहराने के साथ हुई है, यह बात उस तक पहुंच गई है। यह ही चीजें हैं जो कि बदलाव लाती है। और बदलाव लाने की दिशा में हमारा प्रयास है।

हमारे यहां शास्‍त्रों में ऐसा कहा गया है सुखस्‍य मूलम धर्म, धर्मस्‍य मूलम अर्थ, अर्थस्‍य मूलम राज्‍यम। यानी सुख के मूल में धर्म यानी आचरण, लेकिन धर्म के मूल में आर्थिक, इकोनोमिकल स्‍टेबिलिटी है। इकोनोमिकल स्‍टेबिलिटी के मूल में राज्‍य का दायित्‍व है। यह राज्‍य की ज़िम्मेवारी है, फाइनेंसियल इंक्‍लूजन की। यह चाणक्‍य से भी पहले हमारे पूर्वजों ने कहा हुआ है और इस लिए राज्‍य अपना दायित्‍व निभाने का प्रयास कर रहा है कि जिसमें सामान्‍य व्‍यक्ति की भी अब आर्थिक स्थिति सामान्‍य होगी तो उसके जीवन के अंदर सुख और संतोष की स्थिति तक वह पहुंच जाएगा। इसलिए अब हमलोगों का प्रयास है और मैं मानता हूं कि आज जो योजना का आरंभ हुआ है, नौजवानों को रोजगार की संभावनाएं बढ़ने वाली है। गरीब आदमी के हाथ में पैसा आएगा, बचेगा अपने आप में।

जैसा वित्‍त मंत्री जी कहते थे, आने वाले दिनों में जो इंडिविजुअल स्‍कीम्‍स है उसका सीधा सीधा लाभ इन बैंक अकाउंट में जाएगा तो भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जो लड़ाई है, उसमें एक बहुत बड़ा उपयोगी शस्‍त्र बनने वाला है। जो भ्रष्‍टाचार के खिलाफ भी लड़ने की ताकत देगा। बैंक में खाता, वैसे हमारे खास करके हिन्‍दुस्‍तान और ज्‍यादातर एशियन कंट्रीज में, सदियों से हम लोगों का एक स्‍वभाव रहा है, हमारे संस्‍कार रहे हैं, वह संस्‍कार है, बचत । दुनिया के बाकी देशों में यह प्रकृति नहीं है। वहां तो ऋणम कृत्‍वा, घृतम पीवेत, कर्ज कर के घी पीओ। अब वो घी पीते नहीं, जो पीतें हैं वह पीते हैं। लेकिन ये फिलोस्‍फी गलत है। हमारे यहां परंपरा रही है, सेविंग की। और हमारे देश की ऐसी विशेषता खास एशियन कंट्रीज की ऐसी रही है। कि अपना ही सोचना ऐसा नहीं है, अपने बच्‍चों का भी सोचना, आने वाली पीढ़़ी का सोचना, यह हमारी सदियों क परंपरा रही है। ऐसा नहीं कर्ज करो और जियो बाद में, जो आएगा वह भुगतेगा, वह करेगा। क्रेडिट कार्ड के भरोसे जीने वाले हमलोग नहीं हैं। स्‍वभाव से सेविंग हमारी प्रकृति रही है, और उसके कारण बैंकिंग व्‍यवस्‍था अपने आप में एक लाभ है।

लेकिन बैंकों की स्थिति क्‍या है, मैं अपने जीवन की एक घटना सुनाना चाहता हूं। मैं मेरे गांव मे स्‍कूल में पढ़ता था, और देना बैंक के लोग हमारे स्‍कूल में आए थे। तो देना बैंक के लोग वो कोई मिस्‍टर वोरा करके थे। मुझे इतना याद है कि सबको समझा रहे थे, गुल्‍लक देते थे, पैसा बचाना चाहिए, बच्‍चों को पैसा बचाना चाहिए वगैरह वगैरह। खाता खोलते थे, हमने भी खुलवा दिया था, हमको भी एक गुल्‍लक मिला था। लेकिन हमारा गुल्‍लक में कभी एक रुपया पड़ा नहीं। क्‍योंकि हमारा वह बैकग्रांउड नहीं था कि हम वो कर पायें। अब खाता तो खुल गया, हम स्‍कूल छोड़ दिया, हम गांव छोड़ दिया, हम बाहर भटकने चले गए, तो बैंक वाले मुझे खोज रहे थे। शायद उन्‍होंने मुझे 20 साल तक खोजा, कहां हैं ये। और क्‍यों खोज रहे थे, खाता बंद करवाने के लिए। वह बोले भई, हर साल तुम्‍हारे खाते को कैरी फारवर्ड करना पड़ता है। कागजी कार्रवाई इतनी करनी पड़ रही है, तुम मुक्ति दो हमको। बाद में बताया गया कि मुझे खोजा जा रहा है, तो मैंने बाद में उन्‍हें मुक्ति दे दी।

तो वह एक समय था जब खाता बंद करवाने के लिए भी कोशिश की जाती थी। आज खाता खोलने के लिए कोशिश हो रही है। मैं मानता हूं, यहीं से, यहीं से गरीबों की जिंदगी के सूर्योदय का आरंभ होता है। मैं इस काम को करने वाले बैंकिंग सेक्‍टर के लोगों को बधाई देता हूं। और आज, मैंने एक चिट्ठी लिखी थी, करीब सात लाख लोगों को अभी मैंने एक ईमेल भेजा था, शायद यह भी किसी प्रधानमंत्री को यह काम पहली बार करने का सौभाग्‍य मिला होगा। बैंक के सभी व्‍यक्तियों को यह चिट्ठी गई है और मैंने इनसे आग्रह किया है कि यह बहुत बड़ा पवित्र और सेवा का काम है। इसको हमने करना है और सबने इसको किया।

इस बात को जिस प्रकार से बैंकिग सेक्‍टर के प्रत्‍यक्ष कार्य करने वाले लोगों ने उठा लिया है, मैं हृदय से उनका अभिनंदन करता हूं और मैं आशा करता हूं कि हमें 26 जनवरी तक इंतजार नहीं करना पड़े और 26 जनवरी से पहले हम लक्ष्‍य को प्राप्‍त करें, और देश में जो आर्थिक छुआछूत का जो एक माहौल है उससे मुक्ति दिलायें और ब्याज के दुष्‍चक्र की वजह से आत्‍महत्‍या की ओर जा रहे उन परिवारों को बचायें और उनके जीवन में भी सुख का सूरज निकले, इसके लिए प्रयास करें।

इसी अपेक्षा के साथ सबको बहुत बहुत धन्‍यवाद, सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं।

Explore More
78 व्या स्वातंत्र्य दिनी, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी लाल किल्याच्या तटावरून केलेले संबोधन

लोकप्रिय भाषण

78 व्या स्वातंत्र्य दिनी, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी लाल किल्याच्या तटावरून केलेले संबोधन
Employment increases 36 pc to 64.33 cr in last ten years: Mansukh Mandaviya

Media Coverage

Employment increases 36 pc to 64.33 cr in last ten years: Mansukh Mandaviya
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The Constitution is our guiding light: PM Modi
A special website named constitution75.com has been created to connect the citizens of the country with the legacy of the Constitution: PM
Mahakumbh Ka Sandesh, Ek Ho Poora Desh: PM Modi in Mann Ki Baat
Our film and entertainment industry has strengthened the sentiment of 'Ek Bharat - Shreshtha Bharat': PM
Raj Kapoor ji introduced the world to the soft power of India through films: PM Modi
Rafi Sahab’s voice had that magic which touched every heart: PM Modi remembers the legendary singer during Mann Ki Baat
There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

माझ्या प्रिय देशवासीयांनो, नमस्कार!  2025 हे वर्ष तर आता आलंच आहे, दरवाजावर येऊन ठेपलं आहे.   26 जानेवारी 2025 रोजी आपली राज्यघटना लागू होऊन 75 वर्षे पूर्ण होत आहेत.  आपल्या सर्वांसाठी ही खूप अभिमानाची आणि गौरवास्पद बाब आहे.  आपल्या राज्यघटनाकारांनी आपल्या हाती सुपूर्द केलेली राज्यघटना, काळाच्या प्रत्येक निकषावर सिद्ध झाली आहे. राज्यघटना आपल्यासाठी मार्गदर्शक प्रकाश- दीपस्तंभ आहे, मार्गदर्शक आहे.   भारताच्या राज्यघटनेमुळेच आज मी इथे आहे, तुमच्याशी बोलू शकत आहे.  यावर्षी 26 नोव्हेंबरला संविधान दिनापासून वर्षभर चालणाऱ्या अनेक उपक्रमांना सुरुवात झाली आहे.  देशातील नागरिकांना राज्यघटनेच्या  वारशाशी जोडण्यासाठी constition75.com नावाचे खास संकेतस्थळही तयार करण्यात आले आहे.  यामध्ये तुम्ही राज्यघटनेची प्रास्ताविका वाचून तुमची ध्वनीचित्रफीतही टाकू शकता.  तुम्ही राज्यघटना वेगवेगळ्या भाषांमध्ये वाचू शकता… राज्यघटनेबद्दल प्रश्नही विचारू शकता.  ‘मन की बात’चे श्रोते, शाळेत शिकणारी मुले, महाविद्यालयात जाणारे तरुणतरुणी यांना मी विनंती करतो की त्यांनी या संकेतस्थळाला नक्कीच भेट द्यावी आणि त्याचा एक भाग व्हावे.

मित्रांनो, पुढील महिन्याच्या 13 तारखेपासून प्रयागराजमध्ये महाकुंभ मेळाही सुरू होणार आहे.  संगमाच्या काठावर सध्या जोरदार तयारी सुरू आहे.  मला आठवतं, काही दिवसांपूर्वी मी प्रयागराजला गेलो होतो तेव्हा हेलिकॉप्टरमधून कुंभमेळ्याचा संपूर्ण  परिसर बघून खूप आनंद झाला होता.  इतका महाकाय!  इतका सुंदर! एवढा भव्यपणा !

मित्रांनो, महाकुंभ मेळ्याचे वैशिष्ट्य केवळ त्याच्या विशालतेतच नाही.  कुंभाचे वैशिष्ट्य त्यातील वैविध्यात देखील आहे.  या कार्यक्रमात कोट्यवधी लोक एकावेळी एकत्र येतात.  लाखो संत, हजारो परंपरा, शेकडो पंथ, अनेक आखाडे… प्रत्येकजण या कार्यक्रमाचा एक भाग बनतो.  कुठेही भेदभाव दिसून येत नाही, कोणी मोठा नाही, कोणी लहान नाही.  विविधतेतील एकतेचे असे दृश्य जगात कुठेही दिसणार नाही.  म्हणूनच आपला कुंभमेळा हा एकतेचा महाकुंभही आहे.  यावेळच्या महाकुंभातूनही एकतेच्या महाकुंभाचा मंत्र दृढ होणार आहे.  मी तुम्हा सर्वांना सांगेन की, जेव्हा आपण कुंभमेळ्याला जाल, तेव्हा  एकतेचा हा संकल्प घेऊन परत या. आपण,  समाजातील फूट आणि द्वेषाची भावना नष्ट करण्याची शपथही घेतली पाहिजे. अगदी कमी शब्दात सांगायचे झाले तर मी म्हणेन...

महाकुंभमेळ्याचा संदेश, एक व्हावा संपूर्ण देश!

महाकुंभमेळ्याचा संदेश, एक व्हावा संपूर्ण देश!

आणि जर मला ते आणखी वेगळ्या प्रकारे सांगायचे असेल तर मी म्हणेन ...

गंगेचा अखंड प्रवाह, दुभंगता कामा नये आपला समाज. 

गंगेचा अखंड प्रवाह, दुभंगता कामा नये आपला समाज. 

मित्रांनो, यावेळी देशभरातील आणि जगभरातील भाविक प्रयागराजमध्ये डिजिटल महाकुंभाचे साक्षीदार होणार आहेत.  डिजिटल मार्गदर्शनाच्या मदतीने तुम्हाला विविध घाट, मंदिरे, साधूंचे आखाडे यांच्यापर्यंत पोहोचण्याचा रस्ता सापडेल.  ही मार्गदर्शक प्रणाली तुम्हाला वाहनतळा पर्यंत पोहोचण्यासही मदत करेल. कुंभमेळ्याच्या कार्यक्रमात प्रथमच एआय चॅटबॉट चा वापर केला जाणार आहे.  AI चॅटबॉटच्या माध्यमातून कुंभमेळ्याशी संबंधित प्रत्येक प्रकारची माहिती 11 भारतीय भाषांमध्ये मिळू शकते.  मजकूर टाइप करून किंवा बोलून कोणीही या चॅटबॉटवरून कोणत्याही प्रकारची मदत मागू शकतो. कुंभमेळ्याचा  संपूर्ण परिसर कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित कॅमेऱ्यांनी टिपला जात आहे.  कुंभकाळात कुणी आपल्या व्यक्तीपासून हरवले… ताटातूट झाली… तर त्यांना शोधण्यातही हे कॅमेरे मदत करतील. भाविकांना,  डिजीटल लॉस्ट अँड फाउंड सेंटर, या हरवले आणि सापडले केंद्राची  सुविधाही मिळणार आहे.  तसेच भाविकांना, सरकारमान्य टूर पॅकेज, निवास आणि होमस्टे म्हणजे स्थानिकांच्या घरात पर्यटकांची राहण्याची सुविधा याबाबतची माहिती मोबाईलवर दिली जाईल.  तुम्हीही महाकुंभमेळ्याला गेलात तर या सुविधांचा लाभ घ्या आणि हो, #EktaKaMahaKumbh या हॅशटॅगसह  तुमचा सेल्फी नक्कीच टाका.     

मित्रांनो, 'मन की बात' अर्थात MKB मध्ये आता आपण KTB बद्दल बोलणार आहोत. ज्येष्ठांच्या पिढीतील अनेकांना KTB बद्दल माहीत नसेल.  पण जरा मुलांना विचारा, त्यांच्यात KTB खूप प्रसिद्ध आहे.  KTB म्हणजे क्रृश, तृश आणि बाल्टीबॉय.  तुम्हाला कदाचित मुलांच्या आवडत्या ॲनिमेशन मालिकेबद्दल माहिती असेल आणि तिचे नाव आहे ‘KTB – भारत हैं हम’ ….आणि आता या मालिकेचा दुसरा हंगामही आला आहे.  ही तीन ॲनिमेशन पात्रे आपल्याला भारतीय स्वातंत्र्यलढ्यातील त्या नायक आणि नायिकांबद्दल सांगतात ज्यांची फारशी चर्चा होत नाही.  नुकताच या मालिकेचा हंगाम-2, गोवा इथे नुकत्याच झालेल्या भारतीय आंतरराष्ट्रीय चित्रपट महोत्सव-इफ्फीत अतिशय खास पद्धतीने सुरू करण्यात आला.  सर्वात महत्वाची गोष्ट अशी की ही मालिका फक्त अनेक भारतीय भाषांमध्येच नाही तर परदेशी भाषांमध्येही प्रसारित केली जाते.  ही मालिका दूरदर्शन तसेच इतर OTT मंचांवर पाहता येईल.

मित्रांनो, आपल्या ॲनिमेशनपटांची, नियमित चित्रपटांची आणि टीव्ही मालिकांची लोकप्रियता हेच दाखवते की भारताच्या सर्जनशील उद्योगात केवढी क्षमता आहे.  हा उद्योग देशाच्या प्रगतीत मोठे योगदान तर देत आहेच, पण आपल्या अर्थव्यवस्थेलाही नवी उंची गाठून देत आहे.  आपल्या देशाचा चित्रपट आणि मनोरंजन उद्योग खूप मोठा आहे.  देशातील कितीतरी भाषांमध्ये चित्रपट बनवले जातात आणि सर्जनशील आशयाची निर्मिती होते.  मी आपल्या चित्रपट आणि मनोरंजन उद्योगाचेही अभिनंदन करतो… कारण त्यांनी ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ ही भावना मजबूत केली आहे.

मित्रांनो, 2024 मध्ये आपण चित्रपटसृष्टीतील अनेक महान व्यक्तींची 100 वी जयंती साजरी करत आलो आहोत.  या व्यक्तिमत्त्वांनी भारतीय चित्रपटसृष्टीला जागतिक स्तरावर ओळख मिळवून दिली.  राज कपूरजींनी चित्रपटांच्या माध्यमातून, जगाला भारताच्या सॉफ्ट पॉवरची- सुप्तशक्तीची ओळख करून दिली.  रफीसाहेबांच्या आवाजात असलेली जादू  प्रत्येकाच्या हृदयाला भिडणारी होती आणि आहे.  त्यांचा आवाज अप्रतिम होता.  भक्तिगीते असोत की प्रेमगीते असोत….दर्दभरी गाणी असोत, प्रत्येक भावना त्यांनी आपल्या आवाजाने जिवंत केली. कलाकार म्हणून त्यांची महत्ता किती आहे, हे आजही तरुण पिढी त्यांची गाणी तितक्याच तन्मयतेने ऐकते , यावरून समजते- हीच कालातीत कलेची ओळख आहे.  अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू यांनी तेलुगू सिनेमाला नव्या उंचीवर नेले आहे.  त्यांच्या चित्रपटांनी भारतीय परंपरा आणि मूल्ये उत्तम प्रकारे मांडली.  तपन सिन्हाजी यांच्या चित्रपटांनी समाजाला एक नवी दृष्टी दिली.  त्यांच्या चित्रपटांमध्ये सामाजिक जाणिवा आणि राष्ट्रीय एकात्मतेचा संदेश होता. आपल्या संपूर्ण चित्रपटसृष्टीसाठी या वलयांकित मान्यवरांचे जीवन म्हणजे एक प्रेरणा आहे.

मित्रांनो, मला तुम्हाला आणखी एक आनंदाची बातमी द्यायची आहे.  भारताची सर्जनशील प्रतिभा जगासमोर दाखवण्याची मोठी संधी येत आहे.  पुढील वर्षी, वर्ल्ड ऑडिओ व्हिज्युअल एंटरटेनमेंट समिट म्हणजेच WAVES, ही  जागतिक ध्वनी चित्र करमणूक परिषद, आपल्या देशात प्रथमच आयोजित करण्यात येणार आहे.  तुम्ही सर्वांनी दावोसबद्दल ऐकले असेल जिथे जगातील अर्थविश्वातले रथीमहारथी  एकत्र येतात.  त्याचप्रमाणे, WAVES समिटमध्ये जगातील माध्यम आणि मनोरंजन उद्योगातील दिग्गज आणि सर्जनशील जगतातील लोक भारतात येणार आहेत.  भारताला जागतिक आशयघन करमणूक निर्मितीचे केंद्र बनवण्याच्या दिशेने ही  परिषद एक महत्त्वपूर्ण पाऊल आहे.  मला सांगायला अभिमान वाटतो की, या शिखरपरिषदेच्या तयारीत आपल्या देशातील तरुण निर्मातेही उत्साहाने सहभागी होत आहेत.  आपण 5 ट्रिलियन अर्थात पाच लाख कोटी डॉलरच्या अर्थव्यवस्थेकडे वाटचाल करत असताना आपली निर्मिती अर्थव्यवस्था एक नवीन ऊर्जा घेऊन येत आहे.  मी भारतातील संपूर्ण मनोरंजन आणि सर्जनशील उद्योगांना विनंती करेन - तुम्ही एक नवोदीत निर्मिक असाल किंवा प्रस्थापित कलाकार, बॉलीवूडशी संबंधित असाल किंवा प्रादेशिक चित्रपटकर्मी असाल, दूरचित्रवाणी उद्योगातील व्यावसायिक असाल किंवा ॲनिमेशनतज्ञ असाल, गेमिंग कर्ते असाल किंवा मनोरंजन तंत्रज्ञानातील नवोन्मेषक…..तुम्ही सर्व WAVES परिषदेचा एक भाग व्हा.

माझ्या प्रिय देशवासियांनो, आज जगाच्या कानाकोपऱ्यात भारतीय संस्कृतीचे तेज कसे पसरत आहे हे तुम्हा सर्वांना माहीत आहे.  आज मी तुम्हाला तीन खंडांमध्ये सुरू असलेल्या अशा प्रयत्नांबद्दल सांगेन, जे आपल्या सांस्कृतिक वारशाच्या जागतिक विस्ताराचे साक्षीदार आहेत.  ते सर्व एकमेकांपासून मैलो न मैल दूर आहेत.  पण भारताला जाणून घेण्याची आणि आपल्या संस्कृतीतून काही शिकण्याचा त्यांचा ध्यास,  एकसमान आहे.

मित्रांनो, चित्रांचे जग जितके रंगांनी भरलेले आहे तितकेच ते सुंदर आहे.  तुमच्यापैकी जे दूरचित्रवाणी-टीव्हीच्या माध्यमातून 'मन की बात' पाहत आहेत,  ते आता टीव्हीवर काही चित्रेही पाहू शकतात.  या चित्रांमध्ये आमचे देव-देवी, नृत्यकला आणि महान व्यक्तिमत्त्वे पाहून तुम्हाला खूप बरे वाटेल.  यामध्ये तुम्हाला भारतात आढळणाऱ्या प्राणीमात्रांसोबत आणखी बरेच काही  पाहायला मिळेल.  यामध्ये, एका 13 वर्षाच्या मुलीने काढलेल्या ताजमहालच्या भव्य चित्राचाही समावेश आहे. तुम्हाला हे जाणून  आश्चर्य वाटेल की या दिव्यांग मुलीने स्वतःच्या तोंडाच्या मदतीने हे चित्र काढले आहे. बरं… सर्वात मनोरंजक बाब म्हणजे ही चित्र काढणारे विद्यार्थी, भारतातील नसून इजिप्तमधील आहेत.  काही आठवड्यांपूर्वी, इजिप्तमधील सुमारे 23 हजार विद्यार्थ्यांनी चित्रकला स्पर्धेत भाग घेतला होता.  तिथे त्यांना भारताची संस्कृती आणि दोन्ही देशांमधील ऐतिहासिक संबंध दाखवणारी चित्रे  काढायची होती.  या स्पर्धेत सहभागी झालेल्या सर्व तरुणाईचे मी कौतुक करतो.  त्याच्या सर्जनशीलतेची कितीही प्रशंसा केली तरी ती कमीच आहे.

मित्रांनो, पॅराग्वे हा दक्षिण अमेरिकेतील एक देश आहे.  तिथे राहणाऱ्या भारतीयांची संख्या एक हजारापेक्षा जास्त नाही.  पॅराग्वेमध्ये एक अनोखा उपक्रम होत आहे.  एरिका ह्युबर तिथल्या भारतीय दूतावासात मोफत आयुर्वेद सल्ला देत असतात.  आज, स्थानिक लोकही त्यांच्याकडे आयुर्वेदिक सल्ला घेण्यासाठी मोठ्या संख्येने लोटत आहेत.  एरिका ह्युबर यांनी अभियांत्रिकीचे शिक्षण घेतले असले, तरी त्यांचे मन मात्र आयुर्वेदातच रमते. त्यांनी आयुर्वेदाशी संबंधित अभ्यासक्रम शिकून पूर्ण केले  आणि काळानुरूप त्या, त्यामध्ये पारंगत होत गेल्या.

मित्रांनो, ही आपल्यासाठी खूप अभिमानास्पद बाब आहे की जगातील सर्वात जुनी भाषा तामिळ आहे आणि प्रत्येक भारतीयाला तिचा अभिमान आहे.  जगभरातील देशांमध्ये तामिळ शिकणाऱ्या लोकांची संख्या सातत्याने वाढत आहे.  गेल्या महिन्याच्या अखेरीस, भारत सरकारच्या मदतीने फिजीमध्ये, तामिळ अध्यापन कार्यक्रम सुरू झाला.  फिजीमध्ये तामिळच्या प्रशिक्षित शिक्षकांनी ही भाषा शिकवण्याची, गेल्या 80 वर्षांतील ही पहिलीच वेळ आहे.  आज फिजीचे विद्यार्थी तामिळ भाषा आणि संस्कृती शिकण्यात खूप रस घेत आहेत हे जाणून मला आनंद झाला.

मित्रांनो, या गोष्टी, या घटना या केवळ यशोगाथाच नाहीत.  या आपल्या सांस्कृतिक वारशाच्याही गाथा आहेत. या अशा उदाहरणांमुळे, आपला ऊर अभिमानाने भरून येतो.  कलेपासून आयुर्वेदापर्यंत आणि भाषेपासून संगीतापर्यंत, भारतात असे बरेच काही आहे जे संपूर्ण जगाला व्यापून उरत आहे.

मित्रांनो,  हिवाळ्याच्या या ऋतूमध्ये देशभरात खेळ आणि तंदुरुस्ती संबंधी अनेक उपक्रम हाती घेण्यात आले आहेत.  मला आनंद आहे की लोक तंदुरुस्तीला  आपल्या दिनचर्येचा भाग बनवत आहेत .  काश्मीरमधील स्कीईंग पासून ते गुजरातमधील पतंग महोत्सवापर्यंत, सगळीकडे खेळाचा  उत्साह पहायला मिळत आहे. #SundayOnCycle आणि #CyclingTuesday यासारख्या अभियानांमुळे सायकल चालवण्याला प्रोत्साहन मिळत आहे.

मित्रांनो, आता मी तुम्हाला एक अशी अनोखी गोष्ट सांगणार आहे जी आपल्या देशात होत असलेले परिवर्तन आणि युवा मित्रांच्या उत्साह आणि आवड यांचे  प्रतीक आहे.  तुम्हाला माहित आहे का, आपल्या बस्तर मध्ये एक अनोखे ऑलिंपिक सुरू झाले आहे.  हो,  प्रथमच पार पडलेल्या बस्तर ऑलिंपिकमुळे बस्तर मध्ये एक नवीन क्रांती उदयाला येत आहे.  माझ्यासाठी ही खूप आनंदाची गोष्ट आहे की बस्तर ऑलिंपिकचे  स्वप्न साकार झाले आहे.  तुम्हाला देखील हे ऐकून आनंद होईल की, 

हे त्या भागात होत आहे, जो कधीकाळी  माओवादी हिंसेचा साक्षीदार होता. बस्तर ऑलिंपिकचा शुभंकर आहे-  'जंगली म्हैस आणि डोंगरी मैना . यामध्ये बस्तरच्या समृद्ध संस्कृतीची झलक पहायला मिळते.

या बस्तर क्रीडा महाकुंभचा मूलमंत्र आहे -

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’ म्हणजेच

‘खेळेल बस्तर – जिंकेल  बस्तर’ .

पहिल्यांदाच बस्तर ऑलिंपिक मध्ये सात जिल्ह्यांमधून एक लाख 65 हजार खेळाडूंनी भाग घेतला आहे . हा केवळ एक आकडा नाही , ही आपल्या युवकांच्या संकल्पाची  गौरव गाथा आहे . ऍथलेटिक्स , तिरंदाजी,  बॅडमिंटन , फुटबॉल,  हॉकी , वेटलिफ्टिंग,  कराटे , कबड्डी,  खो-खो आणि व्हॉलीबॉल प्रत्येक क्रीडा प्रकारात  आपल्या युवकांनी आपल्या प्रतिभेची छाप पाडली  आहे.  कारी कश्यप  यांची कहाणी मला खूप प्रेरित करते.  एका छोट्याशा गावामधून आलेल्या  कारीजी यांनी तिरंदाजीमध्ये रौप्य पदक जिंकले आहे.  त्या सांगतात, "बस्तर ऑलिंपिकने आम्हाला केवळ खेळण्याचे मैदानच दिले नाही तर आयुष्यात पुढे जाण्याची संधी दिली आहे. "  सुकमाच्या पायल कवासी यांचीही गोष्ट काही कमी प्रेरणादायक नाही.  भालाफेक मध्ये सुवर्णपदक जिंकणाऱ्या पायल जी सांगतात "शिस्त  आणि कठोर परिश्रमाने कोणतेही लक्ष्य  अशक्य रहात नाही. "  सुकमाच्या दोरनापाल  येथील पूनम सन्ना यांची कहाणी तर नवीन भारताची प्रेरणादायी कथा आहे.  एकेकाळी नक्षली प्रभावात आलेल्या पुनमजी  आज व्हीलचेअर  वरून धावून पदक जिंकत आहेत.  त्यांचे साहस  आणि जिद्द  प्रत्येकासाठी प्रेरणा आहे . कोडागावच्या तिरंदाज रंजू सोरीजी यांना 'बस्तर युथ आयकॉन'  म्हणून निवडवण्यात आले आहे.  त्यांचं म्हणणं आहे,  बस्तर ऑलिंपिक दुर्गम भागातील युवकांना राष्ट्रीय व्यासपीठापर्यंत  पोहोचण्याची संधी देत आहे.

मित्रांनो,  बस्तर ऑलिंपिक हे केवळ क्रीडास्पर्धेचे  आयोजन नाही.  हा एक असा मंच आहे जिथे विकास आणि खेळाचा संगम होत आहे.  जिथे आपले युवक आपली प्रतिभा विकसित करत आहेत आणि एका नव्या भारताची निर्मिती करत आहेत.  मी तुम्हा सर्वांना आवाहन करतो,

-आपापल्या भागात अशा क्रीडा स्पर्धांच्या आयोजनाला प्रोत्साहन द्या

-#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत या हॅशटॅग सह  आपल्या भागातील गुणवंत खेळाडूंच्या कथा सामायिक करा

-स्थानिक गुणवंत खेळाडूंना पुढे जाण्याची संधी द्या.

लक्षात ठेवा,  खेळामुळे केवळ शारीरिक विकास होत नाही तर खिलाडूवृत्तीने  समाजाला जोडण्याचे देखील हे एक सशक्त माध्यम आहे.  तर खूप खेळा आणि खूप विकास करा.

माझ्या प्रिय देशवासियांनो,  भारताच्या दोन मोठ्या उपलब्धी  आज जगाचे लक्ष आकर्षित करत आहेत .  हे ऐकून तुम्हाला देखील अभिमान वाटेल.  या दोन्ही उपलब्धी आरोग्य  क्षेत्राशी निगडित आहेत. पहिले यश मिळाले  आहे , मलेरिया विरुद्ध लढाईत. मलेरिया हा आजार 4000 वर्षांपासून मानवतेसाठी एक मोठे आव्हान राहिला आहे.  स्वातंत्र्याच्या काळातही हे आपल्या सर्वात मोठ्या आरोग्य विषयक आव्हानांपैकी एक होते. एक महिन्यापासून ते पाच वर्षापर्यंतच्या मुलांसाठी जीवघेण्या अशा सर्व संसर्गजन्य आजारांमध्ये मलेरिया तिसऱ्या स्थानी आहे . आज मी समाधानाने म्हणू शकतो की देशवासियांनी मिळून या आव्हानाचा अतिशय निर्धाराने सामना केला आहे.  जागतिक आरोग्य संघटना - डब्ल्यू एच ओ च्या अहवालात म्हटले आहे ,  भारतात 2015  ते 2023 दरम्यान  मलेरियाचे रुग्ण आणि त्यामुळे होणाऱ्या मृत्यूमध्ये 80 टक्क्यांची घट झाली आहे . हे काही सामान्य यश नाही.  सर्वात सुखद गोष्ट ही आहे,

हे यश लोकांच्या सहभागातून मिळालं  आहे . भारताच्या कानाकोपऱ्यातून,  प्रत्येक जिल्ह्यातून प्रत्येक जण या अभियानाचा भाग बनला आहे.  आसाममधील जोरहाटच्या चहाच्या मळ्यांमध्ये मलेरिया चार वर्षांपूर्वी लोकांसाठी चिंतेचे  मोठं कारण बनला होता.  मात्र जेव्हा याच्या निर्मूलनासाठी चहाच्या मळ्यात राहणारे एकजूट झाले,  तेव्हा यात  बऱ्याच प्रमाणात यश मिळू लागले.  आपल्या या प्रयत्नांमध्ये त्यांनी तंत्रज्ञानासह सोशल मीडियाचा देखील भरपूर वापर केला आहे . अशाच प्रकारे हरियाणाच्या कुरुक्षेत्र जिल्ह्याने देखील मलेरियावरील नियंत्रणासाठी खूप चांगलं मॉडेल सादर केलं आहे.  इथे मलेरियाच्या देखरेखीसाठी लोक सहभाग खूप यशस्वी ठरला आहे.  पथनाट्य आणि रेडिओच्या माध्यमातून अशा संदेशांवर भर देण्यात आला ज्यामुळे  डासांची पैदास कमी करण्यास मोठी मदत मिळाली आहे.  देशभरात अशा प्रयत्नांमुळे आपण मलेरिया विरुद्ध लढाईला अधिक वेगाने  पुढे नेऊ  शकलो आहोत .

मित्रांनो,  आपली जागरूकता आणि संकल्प शक्तीने आपण काय साध्य करू शकतो याचे दुसरे उदाहरण आहे,  कर्करोग  विरोधातली लढाई . जगातील प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लान्सेट च्या  अभ्यासानं मोठी आशा निर्माण केली आहे.  या जर्नलनुसार आता भारतात वेळेवर कर्करोगावरील उपचार सुरू होण्याची शक्यता वाढली आहे.  वेळेवर उपचाराचा अर्थ - कर्करोग रुग्णावरील उपचार 30 दिवसांच्या आत सुरू होणे  आणि यात मोठी भूमिका पार पाडली आहे आयुष्मान भारत योजनेने. या योजनेमुळे कर्करोगाचे 90% रुग्ण वेळेवर आपले उपचार सुरू करू शकले आहेत . असे यामुळे झाले आहे कारण आधी पैशांच्या अभावी गरीब रुग्ण कर्करोगाची चाचणी, त्यावरील उपचार करण्यासाठी पुढे येत नव्हते. आता आयुष्यमान भारत योजना त्यांच्यासाठी मोठा दिलासा बनली आहे. आता ते स्वतःहून आपले उपचार करण्यासाठी पुढे येत आहेत.

'आयुष्मान भारत योजनेने' …कर्करोगावरील उपचारात येणारी पैशांची  समस्या मोठ्या प्रमाणात कमी केली आहे . आणि हे देखील आहे की आज वेळेवर कर्करोगावरील उपचाराबाबत लोक पूर्वीपेक्षा अधिक जागरूक बनले आहेत. हे  यश जेवढं आपल्या आरोग्य सेवा यंत्रणेचं  आहे , डॉक्टर,  परिचारिका आणि तांत्रिक कर्मचाऱ्यांचे आहे तेवढेच तुमचं माझ्या  सर्व नागरिक बंधू-भगिनींचे देखील आहे.  सर्वांच्या प्रयत्नातून कर्करोगावर मात करण्याचा संकल्प अधिक मजबूत झाला आहे.  या यशाचे श्रेय त्या सर्वांना जातं, ज्यांनी जागरूकता निर्माण करण्यात आपलं महत्वपूर्ण योगदान दिलं  आहे.

कर्करोगाचा सामना करण्यासाठी  एकच मंत्र आहे-  जागरूकता,  कृती आणि हमी . जागरूकता म्हणजे कर्करोग आणि त्याच्या लक्षणांप्रती जागरूकता,  कृती म्हणजे वेळेवर तपासणी आणि उपचार,  हमी म्हणजे रुग्णांसाठी सर्वतोपरी मदत उपलब्ध होण्याचा विश्वास.  चला आपण सर्व मिळून कर्करोगा विरुद्धच्या या लढाईला अधिक वेगाने पुढे घेऊन जाऊ आणि जास्तीत जास्त रुग्णांची मदत करू.

माझ्या प्रिय देशवासियांनो , आज मी तुम्हाला ओडिशाच्या कालाहंडी येथील एका प्रयत्नाबाबत सांगू इच्छितो , जे कमी पाणी आणि कमी संसाधनांमध्ये देखील यशाची नवीन कहाणी लिहीत आहे.  ती आहे काला हंडीची 'भाजी क्रांती' .  जिथे कधीकाळी शेतकरी पलायन करण्यासाठी प्रवृत्त झाले होते तेच आज कालाहंडीचा गोलामुंडा तालुका एक भाजी केंद्र बनला  आहे.  हे परिवर्तन कसं घडलं ? याची सुरुवात केवळ दहा शेतकऱ्यांच्या एका छोट्या समूहापासून झाली. या समूहाने मिळून एक एफपीओ शेतकरी उत्पादन संघटना स्थापन केली.  शेतीमध्ये आधुनिक तंत्रज्ञानाचा वापर सुरू केला आणि आज त्यांची ही शेतकरी उत्पादक संघटना कोट्यवधींचा व्यवसाय करत आहे.

आज दोनशेहून अधिक.. शेतकरी या एफपीओशी  जोडलेले आहेत , ज्यामध्ये 45 महिला शेतकरी देखील आहेत .  हे लोक एकत्रितपणे  200 एकर मध्ये टोमॅटोची शेती करत आहेत,  दीडशे एकरमध्ये कारल्याचे पीक घेत आहेत.  आता या एफपीओची  वार्षिक उलाढाल देखील दीड कोटीहून अधिक झाली आहे.  आज कालाहंडीच्या भाज्या केवळ ओडिशाच्या विविध जिल्ह्यांमध्ये नाही तर अन्य राज्यांमध्ये देखील पोहोचत आहेत .  आणि तिथला शेतकरी आता बटाटा आणि कांद्याच्या शेतीचे नवीन तंत्रज्ञान  शिकत आहे .

मित्रांनो,  कालाहंडीचे हे  यश आपल्याला शिकवते की संकल्प शक्ती आणि सामूहिक प्रयास यातून काय  साध्य करता येऊ शकते.  मी तुम्हा सर्वांना आवाहन करतो -

-आपापल्या भागात एफपीओ ना  प्रोत्साहन द्या

शेतकरी उत्पादक संघटनांमध्ये सहभागी व्हा आणि त्यांना मजबूत बनवा .

लक्षात ठेवा, छोट्या सुरुवातीमधूनच मोठं  परिवर्तन शक्य आहे . आपल्याला केवळ दृढ संकल्प आणि सांघिक भावनेची गरज आहे .

मित्रांनो, आजच्या मन की बात मध्ये आपण ऐकलं की कसा आपला भारत विविधतेमध्ये एकतेसह पुढे जात आहे . मग ते खेळण्याचे  मैदान असो किंवा विज्ञानाचं क्षेत्र , आरोग्य असो किंवा शिक्षण . प्रत्येक क्षेत्रात भारत नवीन शिखर गाठत  आहे.  आपण एका कुटुंबाप्रमाणे मिळून प्रत्येक आव्हानाचा सामना केला आणि नवीन यश संपादन केलं.  2014 पासून सुरू झालेल्या मन की बातच्या 116 भागांमध्ये मी पाहिलं आहे की मन की बात देशाच्या सामूहिक शक्तीचा एक जिवंत दस्तावेज बनला आहे. तुम्ही सर्वांनी या कार्यक्रमाला आपलंसं केलं , आपलं केलं .

प्रत्येक महिन्यात तुम्ही तुमचे … विचार आणि प्रयत्नांबाबत माहिती दिली. कधी एखाद्या युवा  नवोन्मेषकाच्या  कल्पनेने प्रभावित केलं तर कधी एखाद्या मुलीच्या यशाने गौरवान्वित केलं. हा तुम्हा सर्वांचा सहभाग आहे जो देशाच्या कानाकोपऱ्यातून सकारात्मक ऊर्जा एकत्र आणत आहे.  मन की बात याच सकारात्मक ऊर्जेच्या विस्ताराचा मंच बनला  आहे आणि आता 2025 जवळ येऊन ठेपले आहे.  नव्या वर्षात  मन की बातच्या  माध्यमातून आपण आणखी प्रेरणादायी प्रयत्न सामायिक करू.  मला विश्वास आहे की देशवासीयांचे सकारात्मक विचार आणि नवोन्मेषाच्या  भावनेने भारत नवीन उंची गाठेल.  तुम्ही तुमच्या आसपासचे  वैशिष्ट्यपूर्ण प्रयत्न  मन की बात बरोबर सामायिक करत रहा . मला माहित आहे की पुढल्या वर्षीच्या प्रत्येक मन की बातमध्ये आपल्याकडे एकमेकांबरोबर सामायिक करण्यासाठी खूप काही असेल.  तुम्हा सर्वांना 2025 च्या अनेक अनेक शुभेच्छा.  निरोगी रहा , आनंदी रहा , फिट इंडिया चळवळीत तुम्ही देखील सहभागी व्हा , स्वतःला तंदुरुस्त ठेवा, जीवनात प्रगती करत रहा, खूप खूप धन्यवाद !