मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूं, मुझे विलम्‍ब हुआ, आपको बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ी। लेकिन नागपुर हवाई अड्डे पर इतनी तेज बारिश थी, यहां पहुंचने का कोई रास्‍ता ही नहीं मिल रहा था। आखिरकार आप लोगों की बात वरूण देवता ने सुन ली और बारिश रूक गई और इसके कारण, मैं आप सबके बीच पहुंच पाया।

किसी भी देश में अगर विकास करना है तो सबसे पहले प्राथमिकता देनी होती है, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर को। और अगर, समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाने में हम सफल होते हैं, तो विकास की संभावनाएं अपने आप बढ़ जाती है। और उसमें भी सबसे ज्‍यादा जरूरत होती है बिजली की। आज टेक्‍नोलोजी का युग है, किसान भी अपने खेत में हर प्रकार के काम के लिए बिजली का उपयोग करता है। पहले तो शायद, या तो दीपक जलाने के लिए या जमीन में से पानी निकालने के लिए वह बिजली का उपयोग करता था। लेकिन आज कृषि क्षेत्र में भी बहुत बड़ी मात्रा में बिजली से चलने वाले साधनों का उपयोग होता है। ग्रामीण जीवन में भी अगर क्‍वालिटी ऑफ लाइफ में चेंज लाना है तो बिजली से शुरूआत होती है।

आज गांव में, डॉक्‍टर रात में रूकने को तैयार नहीं, शिक्षक गांव में रुकने को तैयार नहीं, पटवारी गांव में रुकने को तैयार नहीं। वो शाम को दफ्तर बंद करके शहर चला जाता है। इनके मुसीबत का कारण क्‍या है? अगर गांव में बिजली है, पंखा चलता है, एसी चलता है, टी. वी. चलता तो उसको रात को रुकने का मन करता है। और रात को रुकता है तो धीरे-धीरे गांव से उसका लगाव होता है। गांव के सुख-दुख का वह साथी बन जाता है। इसलिए बिजली जितनी जल्‍दी हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में पहुंचे यह हमारी प्राथमिकता है। आजादी के इतने सालों के बाद भी जहां बिजली है, वहां भी 24 घंटे बिजली नहीं मिलती है। कहीं 4 घंटे मिलती है, कहीं 6 घंटे कहीं, कहीं 8 घंटे और कहीं 10 घंटे बिजली मिलती है। अब मुझे बताइए कि क्‍या 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? बिजली चाहिए कि नहीं चाहिए? अगर बिजली का उत्‍पादन नहीं होगा तो बिजली मिलेगी कहां से? अगर बिजली के कारखाने नहीं लगेंगे तो बिजली आएगी कहां से? इसलिए आपने देखा होगा, मेरी नई सरकार बनने के बाद मैंने सर्वाधिक जो कार्यक्रम किए हैं, वो बिजली से जुड़े हुए कार्यक्रम किए हैं।

मैं भूटान गया तो; भूटान में बहुत पानी है। उस पानी के माध्‍यम से बिजली पैदा करना, सस्‍ती बिजली पैदा करने की संभावना है। भूटान में जाकर वो काम किया, उनसे योजना आगे बढ़ाई। अभी नेपाल गया तो नेपाल में भी हिमालय की नदियां बहुत हैं, उनमें से बिजली पैदा हो सकती है। बिजली के काम को वहां गति देने के लिए वहां की सरकार से विस्‍तार से बातें की। जम्‍मू-कश्‍मीर गया वहां भी पानी की संभावना है। वहां पर बिजली की चिंता की। क्‍लीन एनर्जी, ये जितनी संभावनाएं बनती हैं, उन सारों को टैप करने का प्रयास है। आखिरकार कोशिश यह है कि आने वाले कुछ वर्षों में हिन्‍दुस्‍तान के हर गांव में हर गरीब से गरीब के परिवार को भी 24 घंटे बिजली पहुंचाना है। और जब बिजली आती है तो सिर्फ अंधेरा जाता है- ऐसा नहीं है। सिर्फ टी. वी. पर सीरियल देखने को मिलती है ऐसा नहीं हैं। बिजली आती है तो उसके साथ उद्योग भी आते हैं। रोजगार की संभावनाएं पैदा होती है। अपने इस क्षेत्र में आज 1000 मेगावाट बिजली का कारखाना राष्‍ट्र को समर्पित हो रहा है, लेकिन साथ-साथ 1320 मेगावाट बिजली नई उत्‍पादन का एक और कारखाना लगाने का शिलान्‍यास भी हो रहा है और इसके कारण विदर्भ के पूरे क्षेत्र में बिजली प्राप्‍त होना सरल हो जाएगा।

जब मैं यहां चुनाव के दिनों में यहां आया था, मैं यवतमाल इलाके में गया था, जब हमारे किसान भाई आत्‍महत्‍या करते हैं ,उनके परिवारों में गया था, हजारों किसानों को आत्‍महत्‍या करनी पड़े, इससे बड़ी कोई पीड़ा नहीं हो सकती। और जब मैंने वहां पूछा तो कई किसानों ने मुझे बताया कि उनके यहां पानी 20-25 मीटर नीचे है। ज्‍यादा नहीं 20-25 मीटर। लेकिन बिजली न होने के कारण पानी का कोई प्रबंध नहीं है और उनके कारण अकाल की नौबत आती है। किसान कर्जदार बन जाता है और किसान को आत्‍महत्‍या की नौबत आती है। अगर ये बिजली हम पहुंचाते हैं तो जिन किसानों को अपनी खेती में बिजली की आवश्‍यकता है। उनको आवश्‍यक बिजली मिले, कम दामों में मिले, और कभी उसको अकाल के संकट से गुजरने की नौबत आये तो इन बिजली के द्वारा निकाले गये पानी के माध्‍यम से वो अपना साल भर का गुजारा कर सकता है और इसलिए बिजली, वो सिर्फ सुख वैभव का साधन नहीं है। बिजली विकास के लिए पर्याय बन गई है।

हमारी सरकार का यह प्रयास है कि हिन्‍दुस्‍तान में जहां-जहां बिजली उत्‍पादन की संभावनाएं हैं। चाहे विन्‍ड एनर्जी की हो, सोलर एनर्जी हो, कोयले से पैदा एनर्जी हो, गैस से पैदा होने वाली एनर्जी हो, इतना ही नहीं शहरों में अगर कूड़े-कचरे से अगर बिजली पैदा होती हो तो उसको भी करना है। लिग्‍नाइट से पैदा होती हों तो उसे भी करना है। ऊर्जा के जितने स्रोत हैं उन सारे स्रोतों का उपयोग करते हुए और हो सके उतना ज्‍यादा क्‍लीन एनर्जी की तरफ जाने का हमारा प्रयास है। हमारे देश में सौर ऊर्जा बहुत बड़ी मात्रा में है। सौर ऊर्जा से निकली हुई बिजली एक जमाने में बहुत महंगी थी। लेकिन अब उसमें काफी सुधार हुआ है। अब वो इतनी महंगी नहीं पड़ती, जितना पहले कभी सोचा जाता था। और अल्‍टीमेटली, वो सस्‍ती पड़ती है क्‍योंकि फ्यूल की कोई जरूरत नहीं पड़ती। और ये पूरे देश में सोलर एनर्जी का भी जाल बिछाने का इस सरकार का इरादा है, और इतना ही नहीं एक दिन वो आ सकता है, कि जब हम, रूफ टॉप पर लगाकर हर परिवार अपने छत पर अपनी जरूरत की बिजली पैदा कर सके। सोलर एनर्जी के द्वारा पैदा कर सके बिजली का खर्चा बच जाए, यहां तक इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों ने प्रयोग सफल किये हैं, भारत जैसा देश जिसके पास इतनी सूर्य शक्ति हो उस सूर्य शक्ति का हम भरपूर उपयोग करना चाहते हैं। हमारे यहां शास्‍त्रों में सूर्य भगवान की कल्‍पना सात घोड़े के रथ पर सवार की गई है। उसके चित्र भी बनते हैं कि सूर्य भगवान सात घोड़े के रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान ऊर्जा का प्रतीक है। और ये जो सात घोड़े हैं न, आज के जमाने में नये रूप में देखता हूं मैं उनको। ये ऊर्जा के सात स्रोत हैं- कोयला है, गैस है, पानी है, लिगनाईट है, सोलर है, विन्‍ड है, कूड़ा-कचरा है। इसमें से बिजली पैदा हो सकती है। इन सातों घोड़ों से ये सूर्य का रथ चल सकता है, ऊर्जा का रथ चल सकता है और इस काम को करने की दिशा में हम प्रयासरत हैं।

मैं आज जब विदर्भ में आया हूं, और किसानों की आत्‍महत्‍या को मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। सरकार ने एक योजना, मैंने 15 अगस्‍त को लाल किले से उसकी घोषणा की थी- प्रधानमंत्री जन धन योजना। ये प्रधानमंत्री जन धन योजना का लाभ सबसे ज्‍यादा हमारे किसान ले सकते हैं। अब ये किसान को आत्‍महत्‍या करने की नौबत इसलिए आती है कि वो साहूकार से कर्ज लेता है और साहूकार से कर्ज लेने के कारण जब कर्ज चुका नहीं पाता है, तो ब्‍याज के संकटों के कारण आखिरकार वो मौत के लिए खुद को तैयार कर लेता है।

ये प्रधानमंत्री जन धन योजना के द्वारा हर परिवार का बैंक एकाउंट खोलने का हमारा प्रयास है और मेरा भी आग्रह है आप सबको। 28 तारीख को ये योजना प्रारंभ होगी। आप सबके परिवार का अगर बैंक एकाउंट नहीं है, तो बैंक एकाउंट खोल दीजिए। और अगर आप बैंक एकाउंट खोलेंगे तो बैंक की तरफ से आपको एक डैबिट कार्ड मिलेगा और उसके साथ ही आपके परिवार के लिए एक लाख रूपये का इंश्‍योरेंस भारत सरकार निकालेगी। एक लाख रूपये का बीमा उसके साथ आपका बन जाएगा। इसके कारण एक सुरक्षा की गारंटी बनेगी। और इसलिए मैं किसान भाईयों से, विशेष कर के विदर्भ के हमारे किसान भाइयों से आग्रह करता हूं कि साहूकारों के चक्‍कर से मुक्ति के लिए, ये प्रधानमंत्री जन धन योजना जो मुख्‍य रूप से गरीबों के लिए है, आप अपना खाता खोलिए और आप ही अपना भाग्‍यविधाता बनिए। ये योजना उसी काम के लिए आने वाली है।

इस बार बजट आपने देखा होगा, सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की घोषणा की है। इन इन्‍फ्रास्‍टक्‍चर का एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र ये भी है। जिस प्रकार से रोड को गांवों को जोड़ा जाता है, उसी प्रकार से पानी की व्‍यवस्‍था खेतों तक पहुंचाने का प्रबंध भी होना चाहिए। और हमारे देश का किसान इतना ताकतवर है एक बार उसको अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत हमारा किसान रखता है। इसलिए हर क्षेत्र में पानी कैसे पहुंचे, पानी बचाने का काम कैसे हो, जल संचय भी अच्‍छी तरह हो, जल सिंचन भी अच्‍छी तरह हो। उस पर बल देकर के हमारी कृषि को आज जो संकटों के घेरे में रहती है, आशंका के बादल छाये रहते हैं, बारिश हुई तो किसान के लिए जिंदगी ठीक, बारिश नहीं हुई तो किसान को मुसीबत। ये जो स्थिति है, उसमें से कुछ एश्‍योरेंस की स्थिति बने। इस दिशा में प्रयास दिल्‍ली में बैठी हुई भारत सरकार का है। और इसलिए किसान को बिजली मिले, किसान को पानी मिले।

गांवों के जीवन में भी बदलाव लाना है, बहुत तेजी से दुनिया बदल रही है। हमने डिजिटल इंडिया की बात कही है। हम जानते हैं कि शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जिसके पास मोबाईल फोन न हो। मोबाइल फोन की हमें इतनी आदत हो गई है, अगर घंटा दो घंटा बैटरी डिसचार्ज हो जाए तो हम परेशान हो जाते हैं जैसे हम ही डिसचार्ज हो गये हों। मन से एकदम असंतुलित हो जाते हैं। और कनेक्टिविटी नहीं मिलती है तो भी परेशान हो जाते हैं। उस टेक्‍नोलोजी का हमारे जीवन से इतना जुड़ाव हो गया है। इसलिए टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से शासन व्‍यवस्‍थाओं को सुचारू रूप से चलाने में बहुत बड़ी मदद मिल सकती है। उसी मदद के हेतु डिजिटल इंडिया के द्वारा आपके मोबाइल फोन में ही आपकी सरकार क्‍यों न हो? आपकी सरकार आपकी हथेली में क्‍यों न हो। ये काम मुश्किल नहीं है। बड़ा देश है पूरा करना एक दिन में संभव नहीं होता लेकिन काम संभव है। और इसलिए भाईयों और बहनों उस काम को करने का संकल्‍प भी हमने किया है, जिसकी हमने शुरूआत कर दी है।

आज जब मैं, बिजली के इस कार्यक्रम के लिए आया हूं, तब सरकार का काम है, बिजली उत्‍पादन हो। सरकार का काम है बिजली उत्‍पादन करने वालों को कोयला मिले, गैस मिले, जो आवश्‍यक ईंधन हैं, फ्यूल हैं वो मिले। लेकिन नागरिकों के नाते हमारी, भी जिम्‍मेदारी है। और वो है, बिजली बचाना। आज अगर हमारा सौ रूपये का बिल आता है तो हमें तय करना चाहिए कि अगले महीने का बिल 90 रूपये का कैसे आये। दस रूपये कैसे बचायें। अगर दस रुपये बचाएंगे तो बच्‍चों के लिए दूध ला सकते हैं। ये सब संभव है। थोड़ा सा जागरूता से प्रयास करना पड़ता है। और अगर हम सब नागरिक बिजली बचाने का काम करें तो, बिजली उत्‍पादन करने में जितना खर्च लगता है, उससे ज्‍यादा देशभक्ति का काम बिजली बचाकर करके भी हो सकता है। और बिजली बचाना ये कोई उपकार नहीं है। हम ‍बिजली बचाते हैं तो हमारा खर्चा भी बचता है, हमारा बिल भी कम आता है। परिवार को लाभ होता है। देश को भी लाभ होता है। और इसलिए मैं सभी नागरिक भाई-बहनों से सार्वजनिक रूप से आग्रह करता हूं कि आप घर में सब परिवार के लोग बैठकर तय करो कि अगले महीने हमारे बिजली के बिल में कितनी कमी लानी चाहिए। कोई दस रुपये तय करें कोई 20 रुपये तय करें कोई 25 रुपये तय करें कोई 50 रुपये करें और अगले महीने का जब बिल आये तो परिवार के लोग बैठ करके चर्चा करें कि भई, तय किया था दस रुपये बिल कम करेंगे वो नहीं हुआ। आठ रुपये कम हुआ। क्‍या कमी रह गई। परिवार में एक चर्चा स्‍वभाव बनना चाहिए। बिजली के अलग बजट पर चर्चा होनी चाहिए परिवार में। और मैं तो स्‍कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी कहता हूं, टीचर्स को भी कहता हूं, वो बच्‍चों को शिक्षा दें कि हर बच्‍चा अपने घर में अपने परिवार के माता-पिता बड़े भाई जो भी हों, उनसे शपथ लें कि अपने घर में हम बिजली बचाएंगे। एक बार बिजली बचाने का माहौल बन गया तो जीवन बदल जाता है।

हमें बिजली की आदत इतनी हो गई है कि पूर्णिमा का जो पूर्ण चांद होता है उस चांद की शीतलता क्‍या होती है, वो हम भूल गये है। अरे कभी तो पूर्णिमा की रात को बिजली बंद करके देखो तो सही आसमान में, बिजली भी बचेगी और चंद्रमा शीतलता का अनुभव भी होगा। एक सहज स्‍वभाव हम कैसे बनाएं और अगर सहज स्‍वभाव बनाते हैं, तो हम राष्‍ट्र की सेवा में काम आ सकते हैं और इसलिए मैं भाईयों और बहनों, आपसे आग्रह करता हूं कि हम सब विकास की ओर कोई न कोई कदम उठायें। हमारी आने वाली पीढी को अगर रोजगार दिलाना है, उनको सुख चैन की जिंदगी जीने की व्‍यवस्‍था हमें करनी है, तो विकास की राह पर हमें चलना आज से ही शुरू करना पड़ेगा। विकास का एक ही मंत्र लेकर हम चलेंगे। आप देखिए, देखते-देखते ही बदलाव शुरू हो जाएगा।

आज किसान भी, उसके अगर तीन बेटे हैं तो क्‍या योजना करता है। वो योजना ये करता है, कि चलो ये छोटे वाला बेटा खेती संभालेगा। लेकिन दो बेटे शहर में जाएंगे नौकरी करेंगे। किसान भी अपने तीन बेटे में से दो बेटों को नौकरी के लिए भेजता है। क्‍योंकि उसको लगता है कि परिवार चलाना है तो नौकरी के लिए जाना पड़ेगा। इसका मतलब रोजगार की संभावनाएं नई तलाशनी पड़ेगी। और रोजगार की संभावनाएं नई तलाशनी हैं तो वह औद्योगिक विकास के द्वारा होगा। ये बिजली के माध्‍यम से इस क्षेत्र में छोटे-छोटे कारखाने लगे। यहां के नौजवान खुद कोई उत्‍पादन के क्षेत्र में जाएं। मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर में जाएं। इतना ही नहीं, गांव में तो कृषि आधारित उद्योग भी शुरू किये जा सकते हैं। जिसके कारण किसान को भी लाभ होगा। उद्योग आएगा तो रोजगार भी बढ़ेगा। इसलिए कृषि आधारित रोजगार उद्योग और उसके आधार पर ग्रामीण नौजवान को रोजगार इस काम के लिए हम बिजली का उपयोग कैसे करें। आज जो काम हम स्‍थानीय कुम्‍हार है, वो मिट्टी का काम करता है, लेकिन अगर बिजली से चलने वाला यंत्र उसको मिल गया तो अपना कुम्‍हारी काम में पहले दस रुपये का काम करता था अब सौ रुपये का काम करने लग जाएगा। टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करके उसका उत्‍पादन बढ़ेगा। उसकी क्‍वालिटी भी बढ़ेगी। हरेक क्षेत्र में हम कैसे आगे बढ़ें, हम उत्‍पादन ज्‍यादा कैसे दें और देश की आर्थिक विकास यात्रा में एक नागरिक के नाते हम भी भागीदार बने उसी दायित्‍व को लेकर के अगर हम चलेंगे तो मुझे विश्‍वास है, देश को आगे बढ़ाने का जो हमारा सपना है, सवा सौ करोड़ देशवासी उन सपनों को जरूर साकार कर पाएंगे। ये मेरा विश्‍वास है।

इतनी बड़ी संख्‍या में आप लोगों का आना ये छोटी बात नहीं है। ये एनटीपीसी वालों ने, बिजली के कई कार्यक्रम पहले भी किये होंगे। कई उद्घाटन भी किये होंगे। लेकिन शायद, इतनी बड़ी संख्‍या में लोगों को कभी देखा नहीं होगा। ये जन-सैलाब यहां है इसका कारण क्‍या है। उसका कारण साफ है, देश की जनता को विकास चाहिए और जहां भी विकास की बात होगी, मैं विश्‍वास से कहता हूं कि देश की जनता इसी प्रकार से जुड़ जाएगी। देश की जनता विकास के लिए ज्‍यादा प्रतीक्षा करने को तैयार नहीं है। ये जन सैलाब इस बात का प्रतीक है कि उसको एक मात्र काम में विश्‍वास है, विकास। और इसलिए भाईयों-बहनों विकास की दिशा में हमें आगे बढ़ना है।

आज देश में जब भी कहीं जाते हैं तो समान्‍य मानव को एक बात की चिढ़ है, गुस्‍सा है, दु:ख है, पीड़ा है, और वो है भ्रष्‍टाचार। भ्रष्‍टाचार ने हमारे देश को तबाह करके रखा हुआ है। और हालत ये बन गई है, कि कुछ लोगों के जीवन में भ्रष्‍टाचार, शिष्‍टाचार बन गया है। देशवासीयो आईए, मैं इस काम को करना चाहता हूं। मेरी मदद कीजिए। ये बीमारी देश से निकालनी है और निकाली जा सकती है। और एक बार अगर समाज मेरे साथ जुड़ गया मैं नहीं मानता हूं कि किसी ताकत है कि अब ये पाप करने की हिम्‍मत करेगा। ये भ्रष्‍टाचार के खिलाफ बोलने से कई लोगों को जरा परेशानी होती है। लेकिन कितने दिन तक हम चीजों को छिपाकर रखेंगे। आप मुझे बताइए पाप है या नहीं ये हमारे घरों में। हमारे देश में, हमारे समाज में, पाप है कि नहीं, भईया ? बताइए है या नहीं है ? तो कब तक छिपाकर रखेंगे ? इस पाप से हमें मुक्ति पानी है और हम सबने मिलकर के इस दिशा में कदम उठाना है। हम सबका सहयोग होगा तो, मैं नहीं मानता भ्रष्‍टाचारी कुछ कर सकते हैं, भाइयों। ये अलग-थलग पड़ जाएंगे। अब उनको भी लगना पड़ेगा कि समाज की सोच बदल चुकी है। हम भी अब सीधी लाइन में चलें। पहले जितना पाप किया कर लिया कि अब हमें पाप करने का अवसर नहीं मिलेगा ये बात हमें करनी होगी।

पूरे देश में ये एक अलख जगानी है, इन चीजों पर हमने सफलता पानी है अगर जनता का सहयोग मिलता है, ये काम कठिन नहीं है। ये बीमारी ज्‍यादा मुश्किल काम नहीं है और मेरा विश्‍वास है, इन स्थितियों को प्राप्‍त किया जा सकता है। आपके आशीर्वाद से इस बीमारी से भी देश को मुक्ति दिलाने में हम सफल होंगे। हम महाराष्‍ट्र के अंदर संकल्‍प करें, इस बीमारी से हमें मुक्ति लानी है। हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में बात पहुंच जाएगी क्‍योंकि महाराष्‍ट्र तो है, जहां से लोक मान्‍य तिलक जी ने कहा था – ‘स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है’। वही तो महाराष्‍ट्र कहता है, ‘स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है’। उस बात को हम लेकर चलें ।

फिर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्‍यवाद। मेरे साथ पूरी ताकत के साथ बोलिए

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

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माझ्या प्रिय देशवासीयांनो, नमस्कार!  2025 हे वर्ष तर आता आलंच आहे, दरवाजावर येऊन ठेपलं आहे.   26 जानेवारी 2025 रोजी आपली राज्यघटना लागू होऊन 75 वर्षे पूर्ण होत आहेत.  आपल्या सर्वांसाठी ही खूप अभिमानाची आणि गौरवास्पद बाब आहे.  आपल्या राज्यघटनाकारांनी आपल्या हाती सुपूर्द केलेली राज्यघटना, काळाच्या प्रत्येक निकषावर सिद्ध झाली आहे. राज्यघटना आपल्यासाठी मार्गदर्शक प्रकाश- दीपस्तंभ आहे, मार्गदर्शक आहे.   भारताच्या राज्यघटनेमुळेच आज मी इथे आहे, तुमच्याशी बोलू शकत आहे.  यावर्षी 26 नोव्हेंबरला संविधान दिनापासून वर्षभर चालणाऱ्या अनेक उपक्रमांना सुरुवात झाली आहे.  देशातील नागरिकांना राज्यघटनेच्या  वारशाशी जोडण्यासाठी constition75.com नावाचे खास संकेतस्थळही तयार करण्यात आले आहे.  यामध्ये तुम्ही राज्यघटनेची प्रास्ताविका वाचून तुमची ध्वनीचित्रफीतही टाकू शकता.  तुम्ही राज्यघटना वेगवेगळ्या भाषांमध्ये वाचू शकता… राज्यघटनेबद्दल प्रश्नही विचारू शकता.  ‘मन की बात’चे श्रोते, शाळेत शिकणारी मुले, महाविद्यालयात जाणारे तरुणतरुणी यांना मी विनंती करतो की त्यांनी या संकेतस्थळाला नक्कीच भेट द्यावी आणि त्याचा एक भाग व्हावे.

मित्रांनो, पुढील महिन्याच्या 13 तारखेपासून प्रयागराजमध्ये महाकुंभ मेळाही सुरू होणार आहे.  संगमाच्या काठावर सध्या जोरदार तयारी सुरू आहे.  मला आठवतं, काही दिवसांपूर्वी मी प्रयागराजला गेलो होतो तेव्हा हेलिकॉप्टरमधून कुंभमेळ्याचा संपूर्ण  परिसर बघून खूप आनंद झाला होता.  इतका महाकाय!  इतका सुंदर! एवढा भव्यपणा !

मित्रांनो, महाकुंभ मेळ्याचे वैशिष्ट्य केवळ त्याच्या विशालतेतच नाही.  कुंभाचे वैशिष्ट्य त्यातील वैविध्यात देखील आहे.  या कार्यक्रमात कोट्यवधी लोक एकावेळी एकत्र येतात.  लाखो संत, हजारो परंपरा, शेकडो पंथ, अनेक आखाडे… प्रत्येकजण या कार्यक्रमाचा एक भाग बनतो.  कुठेही भेदभाव दिसून येत नाही, कोणी मोठा नाही, कोणी लहान नाही.  विविधतेतील एकतेचे असे दृश्य जगात कुठेही दिसणार नाही.  म्हणूनच आपला कुंभमेळा हा एकतेचा महाकुंभही आहे.  यावेळच्या महाकुंभातूनही एकतेच्या महाकुंभाचा मंत्र दृढ होणार आहे.  मी तुम्हा सर्वांना सांगेन की, जेव्हा आपण कुंभमेळ्याला जाल, तेव्हा  एकतेचा हा संकल्प घेऊन परत या. आपण,  समाजातील फूट आणि द्वेषाची भावना नष्ट करण्याची शपथही घेतली पाहिजे. अगदी कमी शब्दात सांगायचे झाले तर मी म्हणेन...

महाकुंभमेळ्याचा संदेश, एक व्हावा संपूर्ण देश!

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आणि जर मला ते आणखी वेगळ्या प्रकारे सांगायचे असेल तर मी म्हणेन ...

गंगेचा अखंड प्रवाह, दुभंगता कामा नये आपला समाज. 

गंगेचा अखंड प्रवाह, दुभंगता कामा नये आपला समाज. 

मित्रांनो, यावेळी देशभरातील आणि जगभरातील भाविक प्रयागराजमध्ये डिजिटल महाकुंभाचे साक्षीदार होणार आहेत.  डिजिटल मार्गदर्शनाच्या मदतीने तुम्हाला विविध घाट, मंदिरे, साधूंचे आखाडे यांच्यापर्यंत पोहोचण्याचा रस्ता सापडेल.  ही मार्गदर्शक प्रणाली तुम्हाला वाहनतळा पर्यंत पोहोचण्यासही मदत करेल. कुंभमेळ्याच्या कार्यक्रमात प्रथमच एआय चॅटबॉट चा वापर केला जाणार आहे.  AI चॅटबॉटच्या माध्यमातून कुंभमेळ्याशी संबंधित प्रत्येक प्रकारची माहिती 11 भारतीय भाषांमध्ये मिळू शकते.  मजकूर टाइप करून किंवा बोलून कोणीही या चॅटबॉटवरून कोणत्याही प्रकारची मदत मागू शकतो. कुंभमेळ्याचा  संपूर्ण परिसर कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित कॅमेऱ्यांनी टिपला जात आहे.  कुंभकाळात कुणी आपल्या व्यक्तीपासून हरवले… ताटातूट झाली… तर त्यांना शोधण्यातही हे कॅमेरे मदत करतील. भाविकांना,  डिजीटल लॉस्ट अँड फाउंड सेंटर, या हरवले आणि सापडले केंद्राची  सुविधाही मिळणार आहे.  तसेच भाविकांना, सरकारमान्य टूर पॅकेज, निवास आणि होमस्टे म्हणजे स्थानिकांच्या घरात पर्यटकांची राहण्याची सुविधा याबाबतची माहिती मोबाईलवर दिली जाईल.  तुम्हीही महाकुंभमेळ्याला गेलात तर या सुविधांचा लाभ घ्या आणि हो, #EktaKaMahaKumbh या हॅशटॅगसह  तुमचा सेल्फी नक्कीच टाका.     

मित्रांनो, 'मन की बात' अर्थात MKB मध्ये आता आपण KTB बद्दल बोलणार आहोत. ज्येष्ठांच्या पिढीतील अनेकांना KTB बद्दल माहीत नसेल.  पण जरा मुलांना विचारा, त्यांच्यात KTB खूप प्रसिद्ध आहे.  KTB म्हणजे क्रृश, तृश आणि बाल्टीबॉय.  तुम्हाला कदाचित मुलांच्या आवडत्या ॲनिमेशन मालिकेबद्दल माहिती असेल आणि तिचे नाव आहे ‘KTB – भारत हैं हम’ ….आणि आता या मालिकेचा दुसरा हंगामही आला आहे.  ही तीन ॲनिमेशन पात्रे आपल्याला भारतीय स्वातंत्र्यलढ्यातील त्या नायक आणि नायिकांबद्दल सांगतात ज्यांची फारशी चर्चा होत नाही.  नुकताच या मालिकेचा हंगाम-2, गोवा इथे नुकत्याच झालेल्या भारतीय आंतरराष्ट्रीय चित्रपट महोत्सव-इफ्फीत अतिशय खास पद्धतीने सुरू करण्यात आला.  सर्वात महत्वाची गोष्ट अशी की ही मालिका फक्त अनेक भारतीय भाषांमध्येच नाही तर परदेशी भाषांमध्येही प्रसारित केली जाते.  ही मालिका दूरदर्शन तसेच इतर OTT मंचांवर पाहता येईल.

मित्रांनो, आपल्या ॲनिमेशनपटांची, नियमित चित्रपटांची आणि टीव्ही मालिकांची लोकप्रियता हेच दाखवते की भारताच्या सर्जनशील उद्योगात केवढी क्षमता आहे.  हा उद्योग देशाच्या प्रगतीत मोठे योगदान तर देत आहेच, पण आपल्या अर्थव्यवस्थेलाही नवी उंची गाठून देत आहे.  आपल्या देशाचा चित्रपट आणि मनोरंजन उद्योग खूप मोठा आहे.  देशातील कितीतरी भाषांमध्ये चित्रपट बनवले जातात आणि सर्जनशील आशयाची निर्मिती होते.  मी आपल्या चित्रपट आणि मनोरंजन उद्योगाचेही अभिनंदन करतो… कारण त्यांनी ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ ही भावना मजबूत केली आहे.

मित्रांनो, 2024 मध्ये आपण चित्रपटसृष्टीतील अनेक महान व्यक्तींची 100 वी जयंती साजरी करत आलो आहोत.  या व्यक्तिमत्त्वांनी भारतीय चित्रपटसृष्टीला जागतिक स्तरावर ओळख मिळवून दिली.  राज कपूरजींनी चित्रपटांच्या माध्यमातून, जगाला भारताच्या सॉफ्ट पॉवरची- सुप्तशक्तीची ओळख करून दिली.  रफीसाहेबांच्या आवाजात असलेली जादू  प्रत्येकाच्या हृदयाला भिडणारी होती आणि आहे.  त्यांचा आवाज अप्रतिम होता.  भक्तिगीते असोत की प्रेमगीते असोत….दर्दभरी गाणी असोत, प्रत्येक भावना त्यांनी आपल्या आवाजाने जिवंत केली. कलाकार म्हणून त्यांची महत्ता किती आहे, हे आजही तरुण पिढी त्यांची गाणी तितक्याच तन्मयतेने ऐकते , यावरून समजते- हीच कालातीत कलेची ओळख आहे.  अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू यांनी तेलुगू सिनेमाला नव्या उंचीवर नेले आहे.  त्यांच्या चित्रपटांनी भारतीय परंपरा आणि मूल्ये उत्तम प्रकारे मांडली.  तपन सिन्हाजी यांच्या चित्रपटांनी समाजाला एक नवी दृष्टी दिली.  त्यांच्या चित्रपटांमध्ये सामाजिक जाणिवा आणि राष्ट्रीय एकात्मतेचा संदेश होता. आपल्या संपूर्ण चित्रपटसृष्टीसाठी या वलयांकित मान्यवरांचे जीवन म्हणजे एक प्रेरणा आहे.

मित्रांनो, मला तुम्हाला आणखी एक आनंदाची बातमी द्यायची आहे.  भारताची सर्जनशील प्रतिभा जगासमोर दाखवण्याची मोठी संधी येत आहे.  पुढील वर्षी, वर्ल्ड ऑडिओ व्हिज्युअल एंटरटेनमेंट समिट म्हणजेच WAVES, ही  जागतिक ध्वनी चित्र करमणूक परिषद, आपल्या देशात प्रथमच आयोजित करण्यात येणार आहे.  तुम्ही सर्वांनी दावोसबद्दल ऐकले असेल जिथे जगातील अर्थविश्वातले रथीमहारथी  एकत्र येतात.  त्याचप्रमाणे, WAVES समिटमध्ये जगातील माध्यम आणि मनोरंजन उद्योगातील दिग्गज आणि सर्जनशील जगतातील लोक भारतात येणार आहेत.  भारताला जागतिक आशयघन करमणूक निर्मितीचे केंद्र बनवण्याच्या दिशेने ही  परिषद एक महत्त्वपूर्ण पाऊल आहे.  मला सांगायला अभिमान वाटतो की, या शिखरपरिषदेच्या तयारीत आपल्या देशातील तरुण निर्मातेही उत्साहाने सहभागी होत आहेत.  आपण 5 ट्रिलियन अर्थात पाच लाख कोटी डॉलरच्या अर्थव्यवस्थेकडे वाटचाल करत असताना आपली निर्मिती अर्थव्यवस्था एक नवीन ऊर्जा घेऊन येत आहे.  मी भारतातील संपूर्ण मनोरंजन आणि सर्जनशील उद्योगांना विनंती करेन - तुम्ही एक नवोदीत निर्मिक असाल किंवा प्रस्थापित कलाकार, बॉलीवूडशी संबंधित असाल किंवा प्रादेशिक चित्रपटकर्मी असाल, दूरचित्रवाणी उद्योगातील व्यावसायिक असाल किंवा ॲनिमेशनतज्ञ असाल, गेमिंग कर्ते असाल किंवा मनोरंजन तंत्रज्ञानातील नवोन्मेषक…..तुम्ही सर्व WAVES परिषदेचा एक भाग व्हा.

माझ्या प्रिय देशवासियांनो, आज जगाच्या कानाकोपऱ्यात भारतीय संस्कृतीचे तेज कसे पसरत आहे हे तुम्हा सर्वांना माहीत आहे.  आज मी तुम्हाला तीन खंडांमध्ये सुरू असलेल्या अशा प्रयत्नांबद्दल सांगेन, जे आपल्या सांस्कृतिक वारशाच्या जागतिक विस्ताराचे साक्षीदार आहेत.  ते सर्व एकमेकांपासून मैलो न मैल दूर आहेत.  पण भारताला जाणून घेण्याची आणि आपल्या संस्कृतीतून काही शिकण्याचा त्यांचा ध्यास,  एकसमान आहे.

मित्रांनो, चित्रांचे जग जितके रंगांनी भरलेले आहे तितकेच ते सुंदर आहे.  तुमच्यापैकी जे दूरचित्रवाणी-टीव्हीच्या माध्यमातून 'मन की बात' पाहत आहेत,  ते आता टीव्हीवर काही चित्रेही पाहू शकतात.  या चित्रांमध्ये आमचे देव-देवी, नृत्यकला आणि महान व्यक्तिमत्त्वे पाहून तुम्हाला खूप बरे वाटेल.  यामध्ये तुम्हाला भारतात आढळणाऱ्या प्राणीमात्रांसोबत आणखी बरेच काही  पाहायला मिळेल.  यामध्ये, एका 13 वर्षाच्या मुलीने काढलेल्या ताजमहालच्या भव्य चित्राचाही समावेश आहे. तुम्हाला हे जाणून  आश्चर्य वाटेल की या दिव्यांग मुलीने स्वतःच्या तोंडाच्या मदतीने हे चित्र काढले आहे. बरं… सर्वात मनोरंजक बाब म्हणजे ही चित्र काढणारे विद्यार्थी, भारतातील नसून इजिप्तमधील आहेत.  काही आठवड्यांपूर्वी, इजिप्तमधील सुमारे 23 हजार विद्यार्थ्यांनी चित्रकला स्पर्धेत भाग घेतला होता.  तिथे त्यांना भारताची संस्कृती आणि दोन्ही देशांमधील ऐतिहासिक संबंध दाखवणारी चित्रे  काढायची होती.  या स्पर्धेत सहभागी झालेल्या सर्व तरुणाईचे मी कौतुक करतो.  त्याच्या सर्जनशीलतेची कितीही प्रशंसा केली तरी ती कमीच आहे.

मित्रांनो, पॅराग्वे हा दक्षिण अमेरिकेतील एक देश आहे.  तिथे राहणाऱ्या भारतीयांची संख्या एक हजारापेक्षा जास्त नाही.  पॅराग्वेमध्ये एक अनोखा उपक्रम होत आहे.  एरिका ह्युबर तिथल्या भारतीय दूतावासात मोफत आयुर्वेद सल्ला देत असतात.  आज, स्थानिक लोकही त्यांच्याकडे आयुर्वेदिक सल्ला घेण्यासाठी मोठ्या संख्येने लोटत आहेत.  एरिका ह्युबर यांनी अभियांत्रिकीचे शिक्षण घेतले असले, तरी त्यांचे मन मात्र आयुर्वेदातच रमते. त्यांनी आयुर्वेदाशी संबंधित अभ्यासक्रम शिकून पूर्ण केले  आणि काळानुरूप त्या, त्यामध्ये पारंगत होत गेल्या.

मित्रांनो, ही आपल्यासाठी खूप अभिमानास्पद बाब आहे की जगातील सर्वात जुनी भाषा तामिळ आहे आणि प्रत्येक भारतीयाला तिचा अभिमान आहे.  जगभरातील देशांमध्ये तामिळ शिकणाऱ्या लोकांची संख्या सातत्याने वाढत आहे.  गेल्या महिन्याच्या अखेरीस, भारत सरकारच्या मदतीने फिजीमध्ये, तामिळ अध्यापन कार्यक्रम सुरू झाला.  फिजीमध्ये तामिळच्या प्रशिक्षित शिक्षकांनी ही भाषा शिकवण्याची, गेल्या 80 वर्षांतील ही पहिलीच वेळ आहे.  आज फिजीचे विद्यार्थी तामिळ भाषा आणि संस्कृती शिकण्यात खूप रस घेत आहेत हे जाणून मला आनंद झाला.

मित्रांनो, या गोष्टी, या घटना या केवळ यशोगाथाच नाहीत.  या आपल्या सांस्कृतिक वारशाच्याही गाथा आहेत. या अशा उदाहरणांमुळे, आपला ऊर अभिमानाने भरून येतो.  कलेपासून आयुर्वेदापर्यंत आणि भाषेपासून संगीतापर्यंत, भारतात असे बरेच काही आहे जे संपूर्ण जगाला व्यापून उरत आहे.

मित्रांनो,  हिवाळ्याच्या या ऋतूमध्ये देशभरात खेळ आणि तंदुरुस्ती संबंधी अनेक उपक्रम हाती घेण्यात आले आहेत.  मला आनंद आहे की लोक तंदुरुस्तीला  आपल्या दिनचर्येचा भाग बनवत आहेत .  काश्मीरमधील स्कीईंग पासून ते गुजरातमधील पतंग महोत्सवापर्यंत, सगळीकडे खेळाचा  उत्साह पहायला मिळत आहे. #SundayOnCycle आणि #CyclingTuesday यासारख्या अभियानांमुळे सायकल चालवण्याला प्रोत्साहन मिळत आहे.

मित्रांनो, आता मी तुम्हाला एक अशी अनोखी गोष्ट सांगणार आहे जी आपल्या देशात होत असलेले परिवर्तन आणि युवा मित्रांच्या उत्साह आणि आवड यांचे  प्रतीक आहे.  तुम्हाला माहित आहे का, आपल्या बस्तर मध्ये एक अनोखे ऑलिंपिक सुरू झाले आहे.  हो,  प्रथमच पार पडलेल्या बस्तर ऑलिंपिकमुळे बस्तर मध्ये एक नवीन क्रांती उदयाला येत आहे.  माझ्यासाठी ही खूप आनंदाची गोष्ट आहे की बस्तर ऑलिंपिकचे  स्वप्न साकार झाले आहे.  तुम्हाला देखील हे ऐकून आनंद होईल की, 

हे त्या भागात होत आहे, जो कधीकाळी  माओवादी हिंसेचा साक्षीदार होता. बस्तर ऑलिंपिकचा शुभंकर आहे-  'जंगली म्हैस आणि डोंगरी मैना . यामध्ये बस्तरच्या समृद्ध संस्कृतीची झलक पहायला मिळते.

या बस्तर क्रीडा महाकुंभचा मूलमंत्र आहे -

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’ म्हणजेच

‘खेळेल बस्तर – जिंकेल  बस्तर’ .

पहिल्यांदाच बस्तर ऑलिंपिक मध्ये सात जिल्ह्यांमधून एक लाख 65 हजार खेळाडूंनी भाग घेतला आहे . हा केवळ एक आकडा नाही , ही आपल्या युवकांच्या संकल्पाची  गौरव गाथा आहे . ऍथलेटिक्स , तिरंदाजी,  बॅडमिंटन , फुटबॉल,  हॉकी , वेटलिफ्टिंग,  कराटे , कबड्डी,  खो-खो आणि व्हॉलीबॉल प्रत्येक क्रीडा प्रकारात  आपल्या युवकांनी आपल्या प्रतिभेची छाप पाडली  आहे.  कारी कश्यप  यांची कहाणी मला खूप प्रेरित करते.  एका छोट्याशा गावामधून आलेल्या  कारीजी यांनी तिरंदाजीमध्ये रौप्य पदक जिंकले आहे.  त्या सांगतात, "बस्तर ऑलिंपिकने आम्हाला केवळ खेळण्याचे मैदानच दिले नाही तर आयुष्यात पुढे जाण्याची संधी दिली आहे. "  सुकमाच्या पायल कवासी यांचीही गोष्ट काही कमी प्रेरणादायक नाही.  भालाफेक मध्ये सुवर्णपदक जिंकणाऱ्या पायल जी सांगतात "शिस्त  आणि कठोर परिश्रमाने कोणतेही लक्ष्य  अशक्य रहात नाही. "  सुकमाच्या दोरनापाल  येथील पूनम सन्ना यांची कहाणी तर नवीन भारताची प्रेरणादायी कथा आहे.  एकेकाळी नक्षली प्रभावात आलेल्या पुनमजी  आज व्हीलचेअर  वरून धावून पदक जिंकत आहेत.  त्यांचे साहस  आणि जिद्द  प्रत्येकासाठी प्रेरणा आहे . कोडागावच्या तिरंदाज रंजू सोरीजी यांना 'बस्तर युथ आयकॉन'  म्हणून निवडवण्यात आले आहे.  त्यांचं म्हणणं आहे,  बस्तर ऑलिंपिक दुर्गम भागातील युवकांना राष्ट्रीय व्यासपीठापर्यंत  पोहोचण्याची संधी देत आहे.

मित्रांनो,  बस्तर ऑलिंपिक हे केवळ क्रीडास्पर्धेचे  आयोजन नाही.  हा एक असा मंच आहे जिथे विकास आणि खेळाचा संगम होत आहे.  जिथे आपले युवक आपली प्रतिभा विकसित करत आहेत आणि एका नव्या भारताची निर्मिती करत आहेत.  मी तुम्हा सर्वांना आवाहन करतो,

-आपापल्या भागात अशा क्रीडा स्पर्धांच्या आयोजनाला प्रोत्साहन द्या

-#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत या हॅशटॅग सह  आपल्या भागातील गुणवंत खेळाडूंच्या कथा सामायिक करा

-स्थानिक गुणवंत खेळाडूंना पुढे जाण्याची संधी द्या.

लक्षात ठेवा,  खेळामुळे केवळ शारीरिक विकास होत नाही तर खिलाडूवृत्तीने  समाजाला जोडण्याचे देखील हे एक सशक्त माध्यम आहे.  तर खूप खेळा आणि खूप विकास करा.

माझ्या प्रिय देशवासियांनो,  भारताच्या दोन मोठ्या उपलब्धी  आज जगाचे लक्ष आकर्षित करत आहेत .  हे ऐकून तुम्हाला देखील अभिमान वाटेल.  या दोन्ही उपलब्धी आरोग्य  क्षेत्राशी निगडित आहेत. पहिले यश मिळाले  आहे , मलेरिया विरुद्ध लढाईत. मलेरिया हा आजार 4000 वर्षांपासून मानवतेसाठी एक मोठे आव्हान राहिला आहे.  स्वातंत्र्याच्या काळातही हे आपल्या सर्वात मोठ्या आरोग्य विषयक आव्हानांपैकी एक होते. एक महिन्यापासून ते पाच वर्षापर्यंतच्या मुलांसाठी जीवघेण्या अशा सर्व संसर्गजन्य आजारांमध्ये मलेरिया तिसऱ्या स्थानी आहे . आज मी समाधानाने म्हणू शकतो की देशवासियांनी मिळून या आव्हानाचा अतिशय निर्धाराने सामना केला आहे.  जागतिक आरोग्य संघटना - डब्ल्यू एच ओ च्या अहवालात म्हटले आहे ,  भारतात 2015  ते 2023 दरम्यान  मलेरियाचे रुग्ण आणि त्यामुळे होणाऱ्या मृत्यूमध्ये 80 टक्क्यांची घट झाली आहे . हे काही सामान्य यश नाही.  सर्वात सुखद गोष्ट ही आहे,

हे यश लोकांच्या सहभागातून मिळालं  आहे . भारताच्या कानाकोपऱ्यातून,  प्रत्येक जिल्ह्यातून प्रत्येक जण या अभियानाचा भाग बनला आहे.  आसाममधील जोरहाटच्या चहाच्या मळ्यांमध्ये मलेरिया चार वर्षांपूर्वी लोकांसाठी चिंतेचे  मोठं कारण बनला होता.  मात्र जेव्हा याच्या निर्मूलनासाठी चहाच्या मळ्यात राहणारे एकजूट झाले,  तेव्हा यात  बऱ्याच प्रमाणात यश मिळू लागले.  आपल्या या प्रयत्नांमध्ये त्यांनी तंत्रज्ञानासह सोशल मीडियाचा देखील भरपूर वापर केला आहे . अशाच प्रकारे हरियाणाच्या कुरुक्षेत्र जिल्ह्याने देखील मलेरियावरील नियंत्रणासाठी खूप चांगलं मॉडेल सादर केलं आहे.  इथे मलेरियाच्या देखरेखीसाठी लोक सहभाग खूप यशस्वी ठरला आहे.  पथनाट्य आणि रेडिओच्या माध्यमातून अशा संदेशांवर भर देण्यात आला ज्यामुळे  डासांची पैदास कमी करण्यास मोठी मदत मिळाली आहे.  देशभरात अशा प्रयत्नांमुळे आपण मलेरिया विरुद्ध लढाईला अधिक वेगाने  पुढे नेऊ  शकलो आहोत .

मित्रांनो,  आपली जागरूकता आणि संकल्प शक्तीने आपण काय साध्य करू शकतो याचे दुसरे उदाहरण आहे,  कर्करोग  विरोधातली लढाई . जगातील प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लान्सेट च्या  अभ्यासानं मोठी आशा निर्माण केली आहे.  या जर्नलनुसार आता भारतात वेळेवर कर्करोगावरील उपचार सुरू होण्याची शक्यता वाढली आहे.  वेळेवर उपचाराचा अर्थ - कर्करोग रुग्णावरील उपचार 30 दिवसांच्या आत सुरू होणे  आणि यात मोठी भूमिका पार पाडली आहे आयुष्मान भारत योजनेने. या योजनेमुळे कर्करोगाचे 90% रुग्ण वेळेवर आपले उपचार सुरू करू शकले आहेत . असे यामुळे झाले आहे कारण आधी पैशांच्या अभावी गरीब रुग्ण कर्करोगाची चाचणी, त्यावरील उपचार करण्यासाठी पुढे येत नव्हते. आता आयुष्यमान भारत योजना त्यांच्यासाठी मोठा दिलासा बनली आहे. आता ते स्वतःहून आपले उपचार करण्यासाठी पुढे येत आहेत.

'आयुष्मान भारत योजनेने' …कर्करोगावरील उपचारात येणारी पैशांची  समस्या मोठ्या प्रमाणात कमी केली आहे . आणि हे देखील आहे की आज वेळेवर कर्करोगावरील उपचाराबाबत लोक पूर्वीपेक्षा अधिक जागरूक बनले आहेत. हे  यश जेवढं आपल्या आरोग्य सेवा यंत्रणेचं  आहे , डॉक्टर,  परिचारिका आणि तांत्रिक कर्मचाऱ्यांचे आहे तेवढेच तुमचं माझ्या  सर्व नागरिक बंधू-भगिनींचे देखील आहे.  सर्वांच्या प्रयत्नातून कर्करोगावर मात करण्याचा संकल्प अधिक मजबूत झाला आहे.  या यशाचे श्रेय त्या सर्वांना जातं, ज्यांनी जागरूकता निर्माण करण्यात आपलं महत्वपूर्ण योगदान दिलं  आहे.

कर्करोगाचा सामना करण्यासाठी  एकच मंत्र आहे-  जागरूकता,  कृती आणि हमी . जागरूकता म्हणजे कर्करोग आणि त्याच्या लक्षणांप्रती जागरूकता,  कृती म्हणजे वेळेवर तपासणी आणि उपचार,  हमी म्हणजे रुग्णांसाठी सर्वतोपरी मदत उपलब्ध होण्याचा विश्वास.  चला आपण सर्व मिळून कर्करोगा विरुद्धच्या या लढाईला अधिक वेगाने पुढे घेऊन जाऊ आणि जास्तीत जास्त रुग्णांची मदत करू.

माझ्या प्रिय देशवासियांनो , आज मी तुम्हाला ओडिशाच्या कालाहंडी येथील एका प्रयत्नाबाबत सांगू इच्छितो , जे कमी पाणी आणि कमी संसाधनांमध्ये देखील यशाची नवीन कहाणी लिहीत आहे.  ती आहे काला हंडीची 'भाजी क्रांती' .  जिथे कधीकाळी शेतकरी पलायन करण्यासाठी प्रवृत्त झाले होते तेच आज कालाहंडीचा गोलामुंडा तालुका एक भाजी केंद्र बनला  आहे.  हे परिवर्तन कसं घडलं ? याची सुरुवात केवळ दहा शेतकऱ्यांच्या एका छोट्या समूहापासून झाली. या समूहाने मिळून एक एफपीओ शेतकरी उत्पादन संघटना स्थापन केली.  शेतीमध्ये आधुनिक तंत्रज्ञानाचा वापर सुरू केला आणि आज त्यांची ही शेतकरी उत्पादक संघटना कोट्यवधींचा व्यवसाय करत आहे.

आज दोनशेहून अधिक.. शेतकरी या एफपीओशी  जोडलेले आहेत , ज्यामध्ये 45 महिला शेतकरी देखील आहेत .  हे लोक एकत्रितपणे  200 एकर मध्ये टोमॅटोची शेती करत आहेत,  दीडशे एकरमध्ये कारल्याचे पीक घेत आहेत.  आता या एफपीओची  वार्षिक उलाढाल देखील दीड कोटीहून अधिक झाली आहे.  आज कालाहंडीच्या भाज्या केवळ ओडिशाच्या विविध जिल्ह्यांमध्ये नाही तर अन्य राज्यांमध्ये देखील पोहोचत आहेत .  आणि तिथला शेतकरी आता बटाटा आणि कांद्याच्या शेतीचे नवीन तंत्रज्ञान  शिकत आहे .

मित्रांनो,  कालाहंडीचे हे  यश आपल्याला शिकवते की संकल्प शक्ती आणि सामूहिक प्रयास यातून काय  साध्य करता येऊ शकते.  मी तुम्हा सर्वांना आवाहन करतो -

-आपापल्या भागात एफपीओ ना  प्रोत्साहन द्या

शेतकरी उत्पादक संघटनांमध्ये सहभागी व्हा आणि त्यांना मजबूत बनवा .

लक्षात ठेवा, छोट्या सुरुवातीमधूनच मोठं  परिवर्तन शक्य आहे . आपल्याला केवळ दृढ संकल्प आणि सांघिक भावनेची गरज आहे .

मित्रांनो, आजच्या मन की बात मध्ये आपण ऐकलं की कसा आपला भारत विविधतेमध्ये एकतेसह पुढे जात आहे . मग ते खेळण्याचे  मैदान असो किंवा विज्ञानाचं क्षेत्र , आरोग्य असो किंवा शिक्षण . प्रत्येक क्षेत्रात भारत नवीन शिखर गाठत  आहे.  आपण एका कुटुंबाप्रमाणे मिळून प्रत्येक आव्हानाचा सामना केला आणि नवीन यश संपादन केलं.  2014 पासून सुरू झालेल्या मन की बातच्या 116 भागांमध्ये मी पाहिलं आहे की मन की बात देशाच्या सामूहिक शक्तीचा एक जिवंत दस्तावेज बनला आहे. तुम्ही सर्वांनी या कार्यक्रमाला आपलंसं केलं , आपलं केलं .

प्रत्येक महिन्यात तुम्ही तुमचे … विचार आणि प्रयत्नांबाबत माहिती दिली. कधी एखाद्या युवा  नवोन्मेषकाच्या  कल्पनेने प्रभावित केलं तर कधी एखाद्या मुलीच्या यशाने गौरवान्वित केलं. हा तुम्हा सर्वांचा सहभाग आहे जो देशाच्या कानाकोपऱ्यातून सकारात्मक ऊर्जा एकत्र आणत आहे.  मन की बात याच सकारात्मक ऊर्जेच्या विस्ताराचा मंच बनला  आहे आणि आता 2025 जवळ येऊन ठेपले आहे.  नव्या वर्षात  मन की बातच्या  माध्यमातून आपण आणखी प्रेरणादायी प्रयत्न सामायिक करू.  मला विश्वास आहे की देशवासीयांचे सकारात्मक विचार आणि नवोन्मेषाच्या  भावनेने भारत नवीन उंची गाठेल.  तुम्ही तुमच्या आसपासचे  वैशिष्ट्यपूर्ण प्रयत्न  मन की बात बरोबर सामायिक करत रहा . मला माहित आहे की पुढल्या वर्षीच्या प्रत्येक मन की बातमध्ये आपल्याकडे एकमेकांबरोबर सामायिक करण्यासाठी खूप काही असेल.  तुम्हा सर्वांना 2025 च्या अनेक अनेक शुभेच्छा.  निरोगी रहा , आनंदी रहा , फिट इंडिया चळवळीत तुम्ही देखील सहभागी व्हा , स्वतःला तंदुरुस्त ठेवा, जीवनात प्रगती करत रहा, खूप खूप धन्यवाद !