The Prime Minister says the 'double-engine' government will help Uttarakhand reach new heights of development
PM Modi says Uttarakhand will bring to power a government that works, not one that only blames others
Villages got empty, people migrated from Uttarakhand due to the Congress: PM Modi in Uttarakhand

नमस्कार। धन्यवाद धामीजी।

नैनीताल की इस प्राचीन तपोभूमि और सभी उत्तराखंड वासियों को कोटि-कोटि नमन!

मैं स्वाधीनता संग्राम के अमर शहीद सरदार ऊधम सिंह जी के चरणों में भी नमन करता हूँ, आजादी के अमृत महोत्सव में देश ऐसे हर शहीद को याद कर रहा है जिसने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। आजादी के बाद भी उत्तराखंड के गांव-गांव में हमारी वीर माताओं ने अपनी संतानों को राष्ट्र को सौंपा, हमारी वीर बहनों ने अपनों को राष्ट्ररक्षा के लिए तिलक किया, उन सभी बलिदानों को भी देश आज श्रद्धापूर्वक स्मरण कर रहा है।

 

भाइयों और बहनों,

इस अमृतकाल में उत्तराखंड और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का अवसर मिला है। इसलिए इस बार का ये चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये चुनाव इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। ये चुनाव, अगले 25 साल की बुनियाद को और मजबूत करेगा। और हम सब जानते हैं कि नींव जितनी मजबूत होती है, उतनी ही मजबूत इमारत भी बनती है।

 

भाइयों और बहनों,

आज मैं आप सबसे टेक्नोलॉजी से, टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़ा हूं, लेकिन ये मेरा सौभाग्य है कि इस चुनाव के दरमियान रूबरू आकर के आप सबके दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा, इसलिए परसो, 10 तारीख को, गुरूवार को उत्तराखंड के श्रीनगर पहुंचूंगा और आपके दर्शन भी करूंगा और आपसे बातचीत भी करूंगा। दस तारीख को आ रहा हूं। उतराखंड के वासियों से रूबरू आर्शीवाद लेने का और देवभूमि को प्रणाम करने का मुझे सौभाग्य मिलेगा। इन चुनावों में आपके सामने और भी कुछ दल मैदान में हैं। कुछ दल ऐसे हैं, जिन्होंने बरसों तक उत्तराखंड से दुश्मनी निकाली और कुछ दल ऐसे हैं जो उत्तराखंड को तबाह करने की नीयत से यहां आए हैं। ये वो लोग आए हैं, जिन्होंने कोरोना के कठिन काल में बसें भर-भर के उत्तराखंडियों को दिल्ली से धकेल दिया था, दिल्ली से निकाल दिया था। रात-रात ठंड के दिन थे, ऐसे लोग अब आपसे वोट मांगने आए हैं।


मेरे प्यारे उत्तराखंड के भाइयों और बहनों,

जिन्होंने सालों तक दिल्ली में राज किया। उत्तराखंड में भी राज किया। कांग्रेस की नीयत और निष्ठा क्या है, इसका अनुमान इनके चुनाव कैंपेन से, इनके नारों से लगाया जा सकता है। आपको उनके कारनामों का पता तो है ही है। फिर भी वो क्या करने वाले हैं देखिए...दिल्ली में ये अनेक दशकों तक सत्ता में रहे, इनके नेता यहां सैर-सपाटे के लिए आते रहे। लेकिन तब इनको न उत्तराखंड की याद आई, न उत्तराखंड के तीर्थ क्षेत्रों की याद आई, न उत्तराखंड के टूरिज्म की याद आई। न ही इनको चार धाम की याद आई। इतने सालों तक उत्तर प्रदेश में इनकी सरकार रही। तब उत्तराखंड यूपी का ही हिस्सा हुआ करता था। लेकिन उस समय भी केदारधाम की, बद्रीधाम की, गंगोत्री, यमुनोत्री की याद उनको कभी नहीं आई। उनकी डिक्शनरी में ये नाम ही नहीं थे, इन्हें कभी समझ ही नहीं आया कि उत्तराखंड के लोगों को कनेक्टिविटी के अभाव में, आवागमन की सुविधा के अभाव में कितनी मुश्किल होती है। उत्तराखंड से पूरे के पूरे परिवार पलायन कर जाएं, लेकिन इतने सालों तक कांग्रेस को उनकी भी याद नहीं आई। गांव के गांव खाली हो गए। आज डबल इंजन की सरकार चार धाम को दिव्य और भव्य बना रही है। चार धाम के लिए ऑल वेदर कनेक्टिविटी बना रही है।


साथियों,

ये सही कह रहे हैं कि इन्हें चार काम आते हैं। अब मैं जरा वर्णन कर रहा हूं। उन्हीं की बात को मैं बताता हूं। वो चार काम की बात करते हैं, वो चार काम क्या हैं? उनके दिल-दिमाग में क्या पड़ा है? उनका भूतकाल बातों का गवाह है वो क्या हैं? पहला काम- ये जो भी करेंगे वो एक परिवार के हित के लिए करेंगे। दूसरा काम- ये जो भी करेंगे उसमें भ्रष्टाचार होगा ही होगा। तीसरा काम- ये तुष्टिकरण की राजनीति करेंगे, देश को टुकड़ों में बांटने के षडयंत्रों को वे अपनी वोट बैंक के कारण ये खेल खेलते रहे हैं, ये खेल खेलते रहेंगे। ये योजनाओं में भेदभाव करेंगे। सिर्फ अपनी वोट बैंक संभालेंगे। चौथा काम - बरसों तक ये परियोजनाओं को लटकाकर रखेंगे। ताकि लंबे अरसे तक उसमें से ये दोहन करके अपना जेब भर सकें। आज इनके इन चार कामों का पूरा कच्चा-चिट्ठा मैं आपके लेकर, आपके पास आया हूं।


भाइयों और बहनों,


मैं यहां किसी की आलोचना करने के लिए नहीं बोल रहा। उत्तराखंड की धरती से मेरा एक विशेष नाता रहा है। आप लोगों से मेरा एक विशेष नाता रहा है और आज नहीं मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब भी, गुजरात के मुख्यमंत्री से पहले संगठन का काम करता था तब भी, और उसके पहले भी मेरी एक जिंदगी थी। मैं आपके बीच में रहा। आप मुझे अच्छी तरह जानते हैं, मैं आपको जानता हूं। आपके दुख-दर्द को जानता हूं, आपके सपनों को जानता हूं। और जब आपका कोई यहां बैठा है तो आपके लिए जिएंगा कि नहीं जिएंगा। आपके लिए काम करेगा कि नहीं करेगा। लेकिन बीच में रोड़े अटकाने वाले लोग बैठ गए तो मैं कितना ही चाहूं, कितना ही करना हो, मैं कर पाऊंगा क्या? गलती मत करना मेरे भाइयों और बहनों, उत्तराखंड के युवाओं के लिए, उत्तराखंड के उज्ज्वल भविष्य के लिए, उत्तराखंड के गांव-गरीब के लिए किसी भी हालत में गलती नहीं करना।


भाइयों और बहनों,

जब दिल्ली में इनकी सरकार थी। कांग्रेस के नेता, यूपीए के नेता दिल्ली सरकार में बैठे थे और आप ही के उत्तराखंड के एक नेता, उस जमाने में तो बड़े रसुखदार नेता यहां मंत्री थे, तब 2007 से 2014 के दौरान उत्तराखंड में सड़कें बनाने के लिए, याद रखिए आपके साथ क्या हुआ है और उसी के तराजू में तोलिए, जब उनकी सरकार थी और आपके उत्तराखंड के एक नेता यहां मंत्री बैठे थे, परिवार की सेवा में लगे थे। उस समय सड़कें बनाने में इन्होंने केवल, केवल 28 सौ करोड़ रुपए दिये। यानी मुश्किल से ढाई-तीन हजार करोड़। 2014 में आपने हमें आशीर्वाद दिया। हमने इन 7 सालों में क्या किया था मैंने बताया, हमने इन सात सात सालों में उत्तराखंड में सड़कों और हाइवेज के लिए करीब-करीब 33 हजार करोड़ से भी ज्यादा रुपए दिये हैं। अब आप मुझे बताइये, उनके टाइम में सात साल में 28 सौ करोड़, तीन हजार से भी कम और हमारे 7 साल में 33 हजार करोड़, रोड बनाने के लिए। अब आप मुझे बताइये, आपका भला हम कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। यानी, 10 गुने से भी ज्यादा। एक और बात आप लोग नोट करिए। यूपीए की 10 साल की सरकार के समय प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 3800 किलोमीटर ग्रामीण सडकें बनी थी। और मैं तो उत्तराखंड में रहा हूं, वहां सड़क होना यानी जिंदगी आसान होने का मतलब होता है। उन्होंने क्या किया था, मैंने अभी आपको बताया, जबकि हमने 2014 के बाद सिर्फ सात सालों में 13,500 किलोमीटर सड़कें बनाईं। साढ़े तेरह हजार किलोमीटर।

 

साथियों,

जिस चारधाम रोड प्रोजेक्ट की याद इन्हें अब आ रही है, उसके साथा इन्होंने क्या-क्या किया, ये भी मैं आपको बताता हूं। आज जब डबल इंजन सरकार 'चार धाम रोड प्रोजेक्ट' के लिए 12 हजार करोड़ रुपए दे चुकी है। 90 प्रतिशत काम भी पूरा कर चुकी है, उन्हें अब पहली बार चार धाम का नाम याद आ रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, पहाड़ में रहने वाले लोगों के लिए रेल एक बहुत बड़ी घटना होती है। रेल देखना भी उनके नसीब में नहीं होता है। उसके सामने हम ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के साथ, उन्होंने क्या किया था, ये हम भूल नहीं सकते हैं। अगर उत्तराखंड को वो समझते, उत्तराखंड की भावनाओं को समझते, उत्तराखंड के लोगों की जिंदगी समझते तो ऐसी पाप ऐसी गलती नहीं करते। मैं इसलिए अच्छा कर पा रहा हूं, क्योंकि मैं आपके बीच से निकला हूं। आपके बीच में रहा हूं। 2011 से 2014 तक, जब हमारी सरकार आई थी, उसके पहले उन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए, रेलवे के इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए कितने रुपए खर्च किए, सिर्फ 4 करोड़ रुपए...सिर्फ 4 करोड़ रुपए। अब इन पर सैकड़ों करोड़ रुपए हमारी सरकार खर्च कर रही है।


साथियों,

ये हिसाब किताब बहुत लंबा है। मैंने तो आपको केवल एक-दो उदाहरण दिये हैं। ऐसे काम करने वालों को आप, जिन्होंने आपके साथ इतना अन्याय किया। आपकी मूलभूत सुविधाओं के प्रति अनादर किया। क्या ऐसे लोगों को आप उत्तराखंड की ज़िम्मेदारी दे सकते हैं क्या? ऐसे हाथों में मेरे उत्तराखंड के युवाओं का, आप अपने बच्चों का भविष्य क्या उनको सौंप सकते हैं? जब आप वोट देने जाएँ, तो हमारी सरकार ने क्या किया है। दिल्ली में रहता हूं, लेकिन मेरे दिल में उत्तराखंड की कितनी बड़ी जगह है, इन बातों को याद रखकर के वोट करने जाइए, ये मेरा विशेष आग्रह है।


भाइयों और बहनों,

नैनीताल सहित पूरे उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थाटन इस उद्योग को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से बहुत बल मिलेगा। उत्तराखंड से दिल्ली की दूरी बहुत कम हो रही है। इस बजट में भी उत्तराखंड के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को और बल दिया गया है। पर्वतमाला प्रोजेक्ट, इस बजट में हमने घोषित किया है, पर्वतमाला ये पर्वतमाला प्रोजेक्ट्स से जो हिमालयन सारी छोटी पर्वतमालाएं हैं, हमारे उत्तराखंड की सड़कें और आधुनिक होने वाली है। यहां के महत्वपूर्ण तीर्थों, मंदिरों और पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने पर स्थानीय लोगों को सुविधा भी मिलेगी और रोज़गार भी मिलेगा। आप भी जानते हैं कि जितना टूरिस्ट ज्यादा आता है, उतनी उत्तराखंड के लोगों की, हिमालय की गोद में रहने वाले आप सबकी, आपके नैनीताल के लोगों की रोजी-रोटी को एक बहुत बड़ी ताकत मिलती है। आपके नैनीताल के नज़दीक के हनुमान गढी मन्दिर को भी रोपवे से जोड़ने पर विचार चल रहा है। हेमकुंड साहब में भी रोपवे बनेगा। वैली ऑफ फ्लावर्स आने-जाने में भी देश के प्रकृति प्रेमी टूरिस्टों का बहुत बड़ा तांता लग जाएगा, जो उत्तराखंड के युवाओं का भविष्य खोल देगा।


साथियों,

जितनी ताकत से हम 21वीं सदी की तरफ बढ़ना चाहते हैं, देश का दुर्भाग्य है कि नकारात्मक सोच में डूबी हुई विकृत मानसिक विचारों से प्रभावित कांग्रेस उतनी ही ताकत से देश को 20वीं सदी में धकेलने की कोशिश कर रही है। हम आगे जाना चाहते हैं, वो पीछे धकेल रही है। ज़रा इनके वादों और इनके इरादों को तो देखिए, ये उत्तराखंड को कहां ले जाना चाहते हैं। ये देवभूमि में क्या करना चाहते हैं? ये लोग जिस यूनिवर्सिटी की बात कर रहे हैं और सीना ठोंक कर के रहे हैं बेशर्मी के साथ कर रहे हैं। और देवभूमि में ऐसा करने की इनकी हिम्मत देखिए, ये उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का जीता-जागता सबूत है। और जहां-जहां कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति को हवा दी है, जहर बोया है जहर....हम कश्मीर का क्या हाल करके रखा है देखा है, हम उत्तराखंड को तबाह नहीं होने देंगे। लेकिन कांग्रेस तुष्टिकरण की अपनी आदत को छोड़ना ही नहीं चाहती।


भाइयों और बहनों,


हमने हर वर्ग, हर संप्रदाय के लिए, देश की पहली राष्ट्रीय डिजिटल यूनिवर्सिटी की घोषणा बजट में की है। इस डिजिटल यूनिवर्सिटी का बड़ा लाभ उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश को होगा। दूर-सुदूर के लोगों को होगा। गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ों और हमारी बेटियों को विशेष लाभ होगा। ये डिजिटल यूनिवर्सिटी घर बैठे ही अनेक प्रकार की डिग्रियों की सुविधा देगी। घर बैठे ही युवा अपने सामान्य फोन से देश और दुनिया के बेहतरीन अध्यापकों से सीधे क्लास ले पाएंगे। अच्छी पढ़ाई के लिए बड़े शहरों में जाने की मजबूरी इससे कम होगी। यही तो 21वीं सदी की नई सोच और नई अप्रोच है।


भाइयों और बहनों,

गांव के, पहाड़ों के, गरीब, दलित, वंचित युवाओं को समान अवसर देने का एक और बड़ा प्रयास हुआ है। ये भाजपा सरकार ही है जिसने टेक्निकल और मेडिकल की पढ़ाई को हिंदी में भी, स्थानीय भाषा में भी सुलभ कराने की पहल की है। हमारे पहाड़ों के गरीब परिवारों के युवा जिनको अंग्रेज़ी में असुविधा होती है, जो अंग्रेज़ी के कारण इंजीनियरिंग, डॉक्टर या दूसरे अच्छे प्रोफेशन में नहीं जा पा रहे थे, उनके लिए ये बहुत बड़ा अवसर दिया गया है। अब गरीब मां का बच्चा भी, दूर-सुदूर पहाड़ों में रहने वाला बच्चा भी डॉक्टर बनने के सपने देख सकता है। इंजीनियर बनने के सपने देख सकता है। और हम उसके सपने पूरे करने के लिए काम भी करेंगे। यही नहीं मेडिकल सीटों में भी लगातार कई गुणा बढ़ोतरी कर रहे हैं। यहां उत्तराखंड में भी मेडिकल कॉलेज का विस्तार कर रहे हैं। अब यहां ऋषिकेश एम्स के अलावा एक सैटेलाइट सेंटर भी शुरू हो रहा है। इस पूरे क्षेत्र को इससे इलाज की बहुत बेहतर सुविधा होगी। पहले अच्छे इलाज के लिए दिल्ली तक भागना पड़ता था। फिर ऋषिकेश में ही एम्स आ गया। अब एम्स जैसा इलाज ऊधमसिंह नगर में ही मिलेगा। इससे यहां के गरीबों को, मध्यम वर्ग को, महिलाओं को बहुत मदद मिलेगी। 2014 में उत्तराखंड में जहां मेडिकल की अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटें लगभग 1900 थीं, वहीं आज ये संख्या लगभग 2600 के आसपास पहुंच चुकी है। इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है। कांग्रेस और बीजेपी के काम में आसमान-जमीन का अंतर आज उत्तराखंड का युवा समझ रहा है। इसलिए वो एक युवा नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार को भारी समर्थन दे रहा है।


साथियों,

कांग्रेस ने उत्तराखंड को प्रोत्साहित करने के बजाय कदम-कदम पर हतोत्साहित ही किया है। निराश किया है। यहां की चुनौतियों, यहां की समस्याओं का बहाना बनाते हुए ये उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा देने से बचते रहे। दशकों तक इन्होंने उत्तराखंड के सपनों, यहां की आकांक्षाओं को कुचला। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, अटल जी ने इनकी हर बहानेबाज़ी को गलत सिद्ध करते हुए, उत्तराखंड की आकांक्षाओं को बल दिया। हमारा ऊधमसिंह नगर भी इस विश्वास का बहुत बड़ा गवाह है। अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रयासों की वजह से ऊधमसिंह नगर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में उद्योगों की स्थापना हुई। आज उत्तराखंड विकास के जिस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, ये भाजपा के आप सभी पर, और आपके भाजपा पर जो अटूट विश्वास का नाता है, उस अटूट विश्वास का ही परिणाम है। आज हमारी सरकार जल-जीवन मिशन के जरिए हर घर जल पहुंचा रही है। आज प्रदेश के लाखों घरों तक पाइप से पानी पहुँच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तेजी से गरीबों के लिए घर भी बनाए जा रहे हैं। आयुष्मान योजना के तहत गरीबों का मुफ्त इलाज हो रहा है। हममें और उनमें जो रात-दिन का मैं फर्क कहता हूं ना, वो यही फर्क है। एक तरफ उत्तराखंड में काम करने वाले लोग हैं, हम जैसे लोग हैं, तो दूसरी तरफ उत्तराखंड को बदनाम करने वाले ये जाने-पहचाने सारे चेहरे हैं। उत्तराखंड काम करने वालों को चुनेगा। बदनाम करने वालों के दिन बहुत पहले लद चुके हैं।

साथियों,

डबल इंजन की सरकार का मंत्र है- 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास'। हम सबको लेकर काम करते हैं, साथ लेकर काम करते हैं और सबके लिए काम करते हैं। भाजपा सरकार में उद्योग भी फल फूल रहे हैं, और उनका लाभ किसानों को भी हो रहा है। पहले देश में जब किसानों की बात होती थी तो राजनीतिक चश्मे से होती थी। पहाड़ों के छोटे किसानों के बारे में सोचा भी नहीं जाता था। लेकिन आज जब सरकार पीएम-किसान निधि देती है, पीएम किसान सम्मान निधि देती है तो वो हर किसान के खाते में पहुँचती है। आज जब हम कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए खर्च करते हैं, नए क्लस्टर बनाते हैं, तो ये तय करते हैं कि उसका लाभ पहाड़ के मेरे छोटे-छोटे किसान भाई-बहनों को भी मिले। इस बजट में हमने नेचुरल खेती की तरफ बहुत बड़ा कदम बढ़ाया है। गंगा जी के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में केमिकल से मुक्त, केमिकल से फ्री खेती के लिए बहुत बड़ी शुरुआत की जा रही है। इसका लाभ उत्तराखंड के किसानों को विशेष रूप से होने वाला है। नेचुरल और ऑर्गेनिक खेती में यहां की संभावनाओं को बल मिलने वाला है। बीते 5 सालों में इस दिशा में काफी प्रयास हुए हैं। यहां जैविक खेती का दायरा 55 हजार हेक्टेयर से बढ़कर सवा दो लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। करीब-करीब पांच गुना और ऑर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग की व्यवस्था भी आज सरकार कर रही है। यहाँ रामगढ़ उद्यान विभाग की जमीन सालों से खाली पड़ी थी। उस पर सरकार ने हाई डेंसिटी सेब की खेती शुरू करवाई है। इससे यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। डबल इंजन की सरकार इस प्रकार के प्रयासों से और आगे ले जाएगी। मेरे उत्तराखंड को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगी।


साथियों,

उत्तराखंड वो तपोभूमि है जहां पूरी दुनिया से लोग सिद्धि के लिए आते हैं। लेकिन आप लोग जानते हैं, जब अच्छे संकल्प से कोई यज्ञ होता है तो कुछ छल-छलावे वाली शक्तियाँ उसमें बाधा डालने की फिराक में भी रहती हैं। इनके मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हमें उत्तराखंड के विकास का ये यज्ञ पूर्ण सिद्धि तक ले जाना है। यही संकल्प लेकर 14 तारीख को, 14 फरवरी को घर से निकलना है। पहले मतदान, फिर जलपान, ये मंत्र ध्यान रखना है। ठंड हो तो भी इस पवित्र कार्य को करने में कोई भी देरी नहीं करनी है। इसी आग्रह के साथ मैं आज वर्चुअली आपके दर्शन कर रहा हूं, 10 तारीख को रूबरू आ करके दर्शन करने वाला हूं। श्रीनगर पहुंचूंगा। उत्तराखंड वासियों के दर्शन करूंगा। देवभूमि को नमन करूंगा। आज आपने इतना समय निकाला और वर्चुअल समिट में भी इतनी बड़ी तादाद में आए और मैं देख रहा हूं कि आप सब उत्साह से भरे हुए हैं। मुझे दिख रहा है सब। आनंद, उत्साह, उमंग आपके चेहरे पर नजर आ रही है। तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही है। अब आप मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके बोलना है...दोनों हाथ ऊपर कीजिए और बोलिए....

भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM Modi to inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 on 25th November
November 24, 2024
PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025
Theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi”

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives' commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.