Text of PM's address at the Inauguration of Pravasi Bharatiya Divas

Published By : Admin | January 8, 2015 | 21:39 IST

विशाल संख्या में यहां पधारे हुए, विश्व के कोने-कोने से आए हुए, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

100 वर्ष पहले, एक प्रवासी भारतीय भारत आए और आज 100 साल के बाद सभी प्रवासी भारतीयों का एक प्रवासी गुजराती स्वागत करता है। भारत के नागरिक विश्व के 200 से ज्यादा अधिक देशों में बसे हैं और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि उन 200 देशों में सिर्फ कोई एक भारतीय मूल का व्यक्ति वहाँ बसा है ऐसा नहीं है, वहाँ एक प्रकार से पूरा भारत बसा हुआ है। आप सबके माध्यम से भारत वैश्विक बना हुआ है। 100-150 साल पूर्व, हमारे पूर्वजों ने, साहसिक पूर्वजों ने, विश्व में जहां-जहां संभावनाएं थीं, कुछ नया करने की उमंग थी, गुलाम हिन्दुस्तान में संभावनाएं नहीं थी, उन्होंने साहस जुटाया और साहस जुटाकर दुनिया के अनेक भू-भाग में पहुंचे। सामुद्रिक यात्रा रहती थी, कठिन यात्रा रहती थी, कभी-कभी लक्ष्य तक पहुंच भी नहीं पाते थे। लेकिन उनका प्रयास रहा... कि अंजान जगह पर जाना है और अपने कौशल के द्वारा, अपने सामर्थ्य के द्वारा, अपने संस्कारों के द्वारा वहां पर अपनी जगह बनाने का प्रयास।

कुछ कालखंड ऐसा भी आया कि आज भारत के शिक्षित लोग, Professionals, जीवन में और नई ऊंचाइयों को पाने के लिए, ज्ञान वृद्धि के लिए, Exposure के लिए, विश्व में गए, उन्होंने भारत की एक नई पहचान बनाई। लेकिन वो एक कालखंड था, जब आप अपना प्राण प्रिय देश छोड़कर के, अपने स्वजनों को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के, दुनिया के किसी और छोर पर चले जाते थे। कभी साहसिक स्वभाव के कारण, तो कभी संभावनाओं को तलाशने के लिए, तो कभी अवसर खोजने के लिए। वो समय था जब शायद यह जरूरी था।

किंतु मैं आप सबका स्वागत करते हुए आपको विश्वास दिलाता हूं, जब हमारे पूर्वज गए थे- संभावनाओं को तलाशने के लिए। अब भारत की धरती पर संभावनाएं अब आपका इंतजार कर रही हैं। वक्त बहुत तेजी से बदल चुका है। भारत एक नए सामर्थ्य के साथ उठ खड़ा हुआ है। और विश्व, भारत के प्रति बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है। आज गयाना, साइथ अफ्रीका, मॉरिशस - विशेष मेहमान के रूप में हमारे बीच विराजमान हैं। मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था, उसके पहले, मुझे इन सभी स्थानों पर जाने का अवसर मिला और गयाना के आदरणीय राष्ट्रपति जी अपनी पार्टी का और उनके Founder पूर्व राष्ट्रपति जी का उल्लेख कर रहे थे. उनके सुपुत्र भरत जगदेव जी जब राष्ट्रपति थे, तब मेरा काफी उनसे सतसंग हुआ था और गयाना के लोग किसी भी समाज के क्यों न हो, किसी भी भाषा को क्यों न बोलते हो, लेकिन जिस किसी को मिलो वे गयाना की आजादी में भारत की प्रेरणा का उल्लेख अवश्य करते हैं।

महात्मा गांधी 100 साल पहले South Africa से चले थे और मातृभूमि की सेवा का सपना लेकर भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए मानवतावाद में विश्वास लेकर इस धरती पर आए थे। वो निकले थे South Africa से और आए थे हिंदुस्तान। आज South Africa भी हमारे बीच मौजूद है, जहां से गांधी लौटे थे। और African Congress और African National Congress का जन्म 8 जनवरी को हुआ था। आज 8 जनवरी है। आज ही का दिवस और तब उस समय महात्मा गांधी ने दीर्घदृष्टि से उस समय गांधीजी ने African National Congress के जन्म के समय विश्व पर को जो संदेश दिया था, उस संदेश में एक विश्वास झलकता था। उन्होने कहा था कि ये नवजागरण का, प्रेरणा बिंदू बनकर रहेगा। यह बात, उस समय, महात्मा गांधी ने कही थी।

आज भी मॉरिशस में 2 अक्टूबर मनाई जाती है, कभी हमारे यहां नहीं मनाई जाती होगी, ऐसी दो अक्टूबर आज भी मॉरिशस में मनाई जाती है। और मुझे सबके साथ मॉरिशस में सबके साथ दो अक्टूबर मनाने के लिए जाने का अवसर मिला था। और आज भी उनका जैसा उनके यहां जैसे हमारे महात्मा मंदिर इस प्रकार के कार्यक्रमों का केंद्र बना है, उनके यहां भी महात्मा गांधी के नाम से गांधी सभा गृह उनका सबसे बड़ा केंद्र बिंदु है। यानी कि हम देख सकते हैं कि कितना अपनापन है। आज शायद दुनिया के 70-80 ज्यादा देश होंगे, जहां पर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी हुई है।

कुछ दिन पहले में ऑस्ट्रेलिया गया था, वहां भी मुझे सौभाग्य मिला महात्मा गांधी के प्रतिमा के अनावरण का। कहने का तात्पर्य यह है कि इस "विश्व मानव" की पहचान, इस "युग पुरुष" की पहचान, विश्व को जितनी ज्यादा होगी और समय रहते होगी, कभी-कभी उलझनों में घिरी इस दुनिया को वैचारिक स्वतंत्रता का संदेश देने की क्षमता आज भी गांधी रखते हैं। आज भी गांधी के विचार विश्व को, और खास करके मानवतावाद को केंद्र में रखकर समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, विकास की राह कैसे सरल हो सकती है, आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव कैसे आ सकता है - शायद गांधी से बढ़कर के चिंतन कहीं नहीं है।

और हम सबका गर्व है, हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि महात्मा गांधी विदेश की उस सारी दुनिया को अलविदा करके हमारे गांव और गरीब लोगों के लिए खप गए थे। और तभी तो आज इतिहास हर पल उन्हें स्मरण कर रहा है।

हमारे देश के लोग जो बाहर गए – अगर आप गयाना जाएंगे, भाषा बोलना तो कठिन है हमारे लोगों को, लेकिन होली अगर आप देखोगे गयाना की, तो वैसी ही रंगों में रंग जाते हैं जैसे हिंदुस्तान की धरती पर हम रंग जाते हैं। जब दीवाली मनाते हैं तो आप को लगेगा कि क्या दीये जगमगाते हैं, ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान में रहने वाले हिन्दुस्तानियों को गुयाना में जलता हुआ दीप हमें प्रेरणा देने की ताक़त रखता है। ये हमारे लोगों ने विरासतें खड़ी की हैं, एक ताक़त कड़ी की है. और इसी ताकत को एक सकारात्मक काम के लिए इस्तेमाल करना, इस सामर्थ्य को विश्व में सार्थक पहचान कराने का वक्त आ चुका है। अब हम बिखरे-बिखरे, एक अकेले, किसी देश के एक कोने में - भले ही एक हिंदुस्तानी वहां अकेला होगा, लेकिन उसके साथ पूरा हिंदुस्तान जिन्दा है।

एक नई ज़िम्मेदारी मिलने के बाद, मुझे विश्व के 50 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, बातचीत करने का मौका मिला है और इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में, करीब-करीब विश्व के सभी देशों के अध्यक्षों से मिलना और उनके साथ जो बातचीत हुई, खुले मन से बात हुई है। उन बातों से लगता है, दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश हो तब भी और दुनिया का गरीब से गरीब देश हो तब भी.... हर किसी की नजर हिंदुस्तान पर है। हर एक को लगता है कि हम जहां जाना चाहते हैं, शायद भारत के साथ कदम मिलाकर के हम चल सकते हैं। हर कोई अपनी एकाध-एकाध चीज के साथ भारत को जोड़कर के देख रहा है। ऐेसे अवसर बहुत कम आते हैं। अब हम हिंदुस्तान के लोग जो विदेशों में बसे हुए हैं, ये उनका कर्तव्य बनता है कि वे इस अवसर को मानव जाति के कल्याण की दृष्टि से और भारत की उत्कर्षता की दृष्टि हम काम में कैसे लगाएं? और मैं मानता हूं आज हर भारतीय एक शक्ति के रूप में वहां विराजित है। वो अगर संगठित शक्ति बनती है, अगर वे अपने आप में एक Driving force बनती है, तो हम अनेक नए परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं।

विश्व में भारतीयों के प्रति जो आदर है, जो लगाव है, उसका कारण वहां रहने वाले भारतीयों के पास विपुल मात्रा में कोई सपंदा है, वो नहीं है। जिन मूल्यों को लेकर के वो जी रहे हैं, जिन सांस्कृतिक विरासत का वो प्रतिनिधित्व कर रहा है। और इसका परिणाम है आज दुनिया में किसी भी देश में वहां के नागरिक को जब पता चले कि हमारे पड़ोस वाले घर में कोई भारतीय परिवार रहने के लिए आने वाला है, तो सबसे ज्यादा खुशी उसको होती है कि “वाह बहुत अच्छा हो गया, हमारे बगल में भारतीय पड़ोसी आ गया है। हमारे बच्चों के विकास में बहुत काम आएगा।“

क्यों? क्योंकि Family values उसमें अपने आप सीख जाएगा। दुनिया के किसी भी देश में भारतीय को ये अनुभव नहीं आता है। नहीं-नहीं भाई हमारे मौहल्ले में नहीं, हमारी गली में नहीं, हमारी सोसायटी में नहीं, ऐसा कभी अनुभव नहीं आता है। ये कौनसी ताकत है? ये अपनापन, लगाव, दुनिया हमें स्वागत करने के लिए बांह फैलाकर के खड़ी रहती है उसका कारण क्या है? ये हमारे मूल्य हैं, हमारी सांस्कृति है, ये हमारे संस्कार हैं, हमारी इस विरासत को हम जी रहे हैं, उसी की वजह तो हो रहा है। और इसलिए हमारी ये जो बदौलत है उस बदौलत को हम कैसे आगे लेकर के जाएं। उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए।

कभी-कभार लोगों को लगता है कि भई अब हम बाहर रहते हैं, सालों से चले गए, हम क्या कर सकते हैं? मैं समझता हूं ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है। कोई एक-दो महीने पहले की घटना है मुझे किसी ने अखबार की एक कटिंग भेजी थी, Xerox भेजी थी उसकी और बड़ा Interesting था। मैं नाम वगैरह तो भूल गया। सूरत जिले में कोई एक NRI अपने गांव आते थे, हर साल आते थे। जब अपने गांव आते थे 15 दिन, महीना-दो महीना जितना दिन भी रुकते थे। वे सुबह झाड़ू लेकर के गांव की सफाई किया करते थे, गांव की गलियों में जाते थे कूड़ा-कचरा साफ किया करते थे और गांव वाले उनकी बड़ी मजाक उड़ाते थे। उनको लगता था इसका Screw ढीला हो गया है। सबको उनके प्रति बड़ी विचित्रता का भाव रहता था। लेकिन इस बार जब वो आए उन्होंने तो ये काम जब शुरू किया, वो तो पहले भी करते थे। अपने गांव में निकल पड़े, आते ही दुसरे दिन सुबह jetlag कुछ नहीं, बस वो ही काम। इस बार उन्होंने देखा पूरा गांव उनके साथ जुड़ गया था। और वो खबर मुझे किसी ने एक Press cutting भेजा था।

एक प्रवासी भारतीय मैं 100 साल पहले गांधी को देखता हूं – दुनिया को कैसे खड़ा कर दिया था। और एक छोटा सा नागरिक जिसका नाम-पहचान कुछ नहीं है लेकिन Commitment के साथ उसने अपने गांव को कैसे बदल दिया। इसका उदाहरण ये कहता हूं मैं ये। ऐसे तो एक हैं, अनेकों होंगे, अनेकों होंगे। जिन्होंने अपनी शक्ति, बुद्धि, समझ को रहते मां भारती की सेवा को लगाने का प्रयास किया होगा। और ये ही तो है हमारी ताकत।

आप देखिए दुनिया भारत को कितना प्यार कर रही है उसका उदाहरण देखिए। मुझे पहली बार UN में जाने का अवसर मिला। वहां मुझे भारत की तरफ से बोलना था तो बोलते-बोलते मैंने एक बात कही कि United Nation अनेक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है। Children day मनाता है, Women day मनाता है, Non-violence day मनाता है। क्यों न विश्व Yoga day मनाएं? अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कैसे मनें, ये मैंने वहां प्रस्ताव रखा और United Nation के इतिहास की एक अद्भुत घटना घटी। 193 Countries है UN के Member. Out of 193 Countries 177 Countries ने Co-sponsor के नाते उस प्रस्ताव का समर्थन किया। इतना ही नहीं इस प्रकार के प्रस्तावों में आज तक जितना समर्थन मिला है ये Record breaking है। किसी भी प्रस्ताव को कभी भी इतने सारे देशों ने समर्थन किया ऐसा कभी नहीं हुआ। 40 से अधिक मुस्लिम Countries ने समर्थन किया। सामान्य रूप से इस प्रकार का प्रस्ताव पारित होने में उसकी प्रक्रिया बड़ी विशेष होने के कारण करीब-करीब दो साल लग जाते हैं। इस प्रस्ताव को पारित होने में मुश्किल से 100 दिन लगे। मैं इस चीज को विस्तार से इसलिए कह रहा हूं कि विश्व भारत को किस प्रकार से गले लगाने को तैयार है, ये उसकी एक छोटी सी झलक है।

इससे हम अंदाजा कर सकते हैं कि दुनिया हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बैठी है और विश्व हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बना है तब ये हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने आप को विश्व की अपेक्षा के अनुसार अधिक सजग करें, अधिक सामर्थ्यवान बनाएं। दुनिया को देने के लिए हमारे पास क्या नहीं है? अगर आवश्यकता है, तो हमारे भीतर एक विश्वास की आवश्यकता है, अपने पर भरोसे की आवश्यकता है, और आखिरकार महात्मा गांधी ने आजादी दिलाई तो इसी मंत्र से दिलाई थी कि उन्होंने हर हिंदुस्तानी के दिल में आजादी की आग भर दी थी, आत्मविश्वास भर दिया था और झाड़ू लगाए तो भी आजादी के लिए करता हूं, बच्चों को पढ़ाएं तो भी आजादी के लिेए करता हूं, खादी पहने तो भी आजादी के लिए कर रहा हूं, सेवा का कोई प्रकल्प करें तो भी मैं आजादी के लिए कर रहा हूं। ऐसा एक जनांदोलन खड़ा कर दिया था।

हम भी - इस मानवतावाद की आज सबसे बड़ी ज़रूरत है तब - इन्हीं आदर्शों को लेकर के विश्व के सामने भारत एक आशा की किरण लेकर के बैठा है तब - अपने आप को सज्य करने का प्रयास हमारे लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है।

ये प्रवासी भारतीय दिवस, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब 2003 में प्रारंभ हुआ और निरंतर चल रहा है। लेकिन बीच में थोड़ा-थोड़ा, आप लोगों का आने का मन नहीं करता था, बहुत कम लोग आते थे, कुछ लोग इसलिए आते थे कि आना पड़ता था। कुछ लोग इसलिए आते थे कि आए बिना रह नहीं सकते थे। लेकिन मैं हर बार आता था। और शायद केरल में जब हुआ था एक बार, तब मैं रूबरू तो नहीं जा पाया था तब मैंने Video Conferencing से प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लिया था। मैं समय इसलिए देता था, मैं जाने के लिए इसलिए उत्सुक रहता था, कि मैं Conviction से मानता हूं कि विश्व भर में फैला हुआ जो हिंदुस्तानी नागरिक है, वो आज के वैश्विक परिवेश में भारत की बहुत बड़ी ताकत है, भारत की पूंजी है। और इस पर हम जितना ध्यान देंगे, हम आसानी से विश्व फलक पर अपनी जगह बना सकते हैं।

और इसलिए, जिस प्रकार से विश्व में रहने वाले भारतीयों के साथ भारत का नाता महत्वपूर्ण है, उतना ही भारत के लिए, विश्व में रहने वाले भारतीयों के प्रति, नाभि का नाता उतना ही जरूरी है। ये one way नहीं है। ये दो तरफा है। और इस दो तरफा को बल देने का हमारा प्रयास है।

विश्व में रहने वाला हमारा हिंदुस्तानी, एक बात मैंने बराबर देखी है कि भारत में अगर कोई भी पीड़ादायक घटना हुई हो, कोई हादसा हुआ हो - हो सकता हो सालों से हिंदुस्तान छोड़कर गया हो, भाषा भी मालूम न हो, घटना घटी हो, भौगोलिक रूप से वो कहां है, वो भी मालूम न हो लेकिन हिंदुस्तान में हुआ है - इतना कान पर पड़ते ही या टीवी पर आंख से देखते ही दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले आंख में से आंसू टपकते हैं। उसको उतना ही दर्द होता है, जितना दर्द हिंदुस्तान में जो इस घटना को अनुभव कर रहा है, उसको पीड़ा होती है, उतनी ही मेरे देशवासी जो दुनिया में बसे हैं, उनको पीड़ा होती है।

मुझे याद है जब गुजरात में कच्छ का भूकंप आया था, विश्व का कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं होगा, जिसने उस समय गुजरात के आंसू पोंछने का प्रयास न किया हो। ये विश्व भर में फैला हुआ हमारा भाई - जिसको हिंदुस्तान के प्रति इस प्रकार का लगाव है, इस प्रकार का नाता है। यहां के दुख के लिए दुखी, यहां के सुख के लिए सुखी। जब मंगलयान की सफलता हुई, Mars orbit पर हम लोग पहुंचे, पहले प्रयास में पहुंचे। सिर्फ हिंदुस्तान नाचा था, नहीं, दुनिया भर में पहुंचा हुआ हिंदुस्तानी भी नाचा था। उसके लिए गर्व की बात थी कि मेरा देश ये प्रगति कर रहा है। इस ताकत को हम कैसे आगे बढ़ाएं, उस दिशा में हम सोच रहे हैं।

मैं जानता हूं जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था, प्रधानमंत्री भी नहीं था, तब भी मैं विश्व के कई लोगों से मिलता था तो मैं उनकी शिकायतें भी जरा सुनता रहता था। तब मैं देखता था कि भरी शिकायतें रहती थीं। हमने आने के बाद कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं। जब मैं विदेश प्रवास पर था तो चाहे ऑस्ट्रेलिया हूं, चाहे फिजी रहा, चाहे अमेरिका गया। जो बातें मैंने बताई थीं कि हम ये करेंगे। आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब देता हूं कि हमने जो कहा था वो सब पूरा कर दिया है। हमने कहा था कि PIO card holder को आजीवन वीजा दिया जाएगा - वो काम हो चुका है। अब आपको Embassy के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरी एक समस्या थी - वो क्यों थी वो अभी भी मेरी समझ मैं नहीं आता है - जो PIO card holder थे और भारत में आकर के रहते थे, उनको हर सप्ताह पुलिस स्टेशन जाना पड़ता था। कुछ सिखाने के लिए नहीं - हाजिरी लगानी पड़ती थी। और मैं जब ये सुनता था तो मैं सोचता था कि क्यों ये सब हो रहा है? लेकिन जब ये काम करने की जिम्मेवारी मेरी आई, ये नियम अब समाप्त कर दिया गया है। ये एक स्वाभिमान का विषय है, सम्मान का विषय है, ये सिर्फ कोई Administrative decision के रूप में न देखा जाए। आज सरकार में बैठे हुए लोगों के लिए आपके सम्मान का महत्व क्या है, वो इस निर्णय में दिखाई देता है।

एक मैंने कहा था क्योंकि कईयों ने मुझे कहा था कि ये PIO अलग OCI अलग क्यों - ये हमारे साथ भेद-भाव क्यों? तो मैंने हमारे अफसरों से पूछा, गोलमोल-गोलमोल जवाब आते रहते थे। आगे का मैंने कहा, जो होगा, सो होगा कर दो एक बार। अब हमने घोषणा तो कर दी। जब हम यहां आये तो सारा कानून बदलना था, बड़ी लंबी प्रक्रिया थी। खैर उस प्रक्रिया से भी हम निकल चुके हैं, और आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब दे सकता हूं कि अब PIO और OCI card दोनों व्यवस्थाओं को merge कर दिया गया है और सबको एक ही प्रकार की सुविधाएं मिल पाएंगी।

उसी प्रकार से - Visa on Arrival। आप जानते हैं, आपको क्या-क्या तकलीफें झेलनी पढ़ी हैं भूतकाल में। मैं जानता हूं। और इसलिए अब Visa on Arrival। इसलिए अब Visa on Arrival। आपके लिए ये सुविधा कर दी गई है। करीब दुनिया के 43 Countries को इसका benefit already हमने कर दिया है। उसी प्रकार से Electronic travel authorization - ये व्यवस्था भी कर दी है ताकि Online Correspondence से भी आप ये काम कर सकते हैं। आपका समय सबसे ज्यादा बचे और हमारी Embassy एक प्रकार से आपके लिए सर्वाधिक उपयोगी हो उस दिशा के महत्वपूर्ण कदम इस सरकार ने already उठा लिए हैं।

दिल्ली में एक प्रवासी भारतीय केंद्र, उसकी स्थापना का निर्णय हुआ था। अब उसका भवन तैयार हो गया है। थोड़े ही दिनों में वो भी प्रारंभ हो जाएगा और मैं मानता हूं कि इसका लाभ आने वाले दिनों में सभी प्रवासी भारतीयों को मिलेगा।

कुछ लोगों को लगता है कि प्रवासी भारतीयों के साथ ये जो मेल-मिलाप है कुछ अपेक्षाओं से है। मैं समझता हूं कि ये अपेक्षाओं के लिए नहीं है। अपनों से मिलना, यही अपने आप में एक ताकत होती है। मिल-बैठकर के एक-दूसरे के सुख-दुख बांटना ये भी अपने आप में एक बहुत बड़ा ऊर्जा का केंद्र बन जाता है और इसलिए ये हमारा मेल-मिलाप उसकी अपनी एक विशेषता है - और अब तो युवा पीढ़ी जिनका जन्म ही वहां हुआ Second generation, Third generation है। वे युवक भी इन दिनों बहुत बड़ी मात्रा में शरीख होते हैं कयोंकि उनको भी भारत के लिए कुछ न कुछ करने की उमंग रहती है।

जिनके मन में कुछ करना है उनके लिए बहुत कुछ है। लेकिन हर चीज पाउंड और डॉलर से ही होती है, ये मानने की आवश्यकता नहीं है। मैंने ऐसे लोग देखे हैं, गुजरात में हम जब भूकंप के लिेए काम कर रहे थे, Canada से एक बच्ची आई थी उससे मैं मिला था, मुस्लिम परिवार से थी। उसका जन्म शायद African country में हुआ और बाद में उसका परिवार Canada में Shift हुआ था। उसके पिता ने, उसकी माता ने कभी हिंदुस्तान देखा नहीं था लेकिन कच्छ के भूक्ंप के बाद वो आई, कच्छ में रही और महीनों तक उसने कच्छ में काम किया था। ये ताकत जो है, इसको हमने समझने की आवश्यकता है।

हमारे पास ज्ञान है, हमारे पास अनुभव है, हमारे पास एक विशिष्ट परिस्थिति में काम करने का Exposure है, हम एक अलग प्रकार के Discipline से गुजरे हुए लोग हैं। ये वो चीजें हैं जो हम अपने यहां Inject कर सकते हैं, इसको ला सकते हैं। और यहां रहकर के, कुछ समय अपने लोगों के साथ कुछ समय बिताकर के हम इन चीजों को कर सकते हैं। और ये भी देश की बहुत बड़ी सेवा होती है।

इन दिनों स्वच्छ भारत का एक अभियान चलाया है। लेकिन एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण काम, जो मैं जानता हूं कि आप सब के दिलों में भी वो उतनी ही ताकत रखता है। आप के दिलों को भी छूने के लिए उस बात में उतना ही सामर्थ्य है। और वो है मां गंगा की सफाई। आप इस प्रकार की Technology से परिचित हैं, आप इस तरह के काम से परिचित हैं। एक नमामी गंगे फंड create भी किया गया है कि दुनिया के जो भी लोग गंगा के अंदर अपना योगदान चाहते हैं वो आर्थिक मदद करना चाहते हैं वो दे सकते हैं, जो आकर के समय देना चाहते हैं वो दे सकते हैं। जो ज्ञान परोसना चाहते हैं वो ज्ञान दे सकते हैं, जो Technology लाना चाहते हैं वो Technology ला सकते हैं। एक प्रकार से विश्व भर में फैले हुए समाज जिसके मन में गंगा के प्रति और गंगा की क्या ताकत है।।। पूरे मॉरिशस को कोई एक जगह जोड़ती है, कोई एक जगह आंदोलित करती है तो मॉरिशस का गंगा सागर है। तालाब तो मॉरिशस के लोगों ने खुद बनाया है, तालाब है, लेकिन गंगा जी से लेकर के वहां जाकर जल डाला है। जल तो थोड़ा ही डाला लेकिन उन्होंने उसमें से एक भाव जब पैदा किया कि ये गंगा का प्रतिनिधित्व करती है और आज भी शिवरात्रि का मेले देखो तो पूरे मॉरिशस के मूल भारतीयों को जोड़ने का कोई एक जगह है तो वो गंगा सागर है। हिंदुस्तान से दूर गंगा नाम से बना हुआ एक तालाब भी पूरे मॉरिशस को सांस्कृतिक विरासत को जगाने की प्रेरणा दे सकता है और जब शौकत अली जी को सुनोगे तो आपक पता चलेगा किस प्रकार से उसने वहां के जीवन को बदला है। यो मां गंगा है - ढाई-तीन हजार किलोमीटर लंबी, हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत जनसंख्या जिसके साथ सीधी-सीधी जुड़ी हुई है - और मेरे लिए गंगा की सफाई जिस प्रकार से Environment का विषय है, गंगा की सफाई श्रृद्धा का विषय है, गंगा की सफाई सांस्कृतिक विरासत का विषय है, उसी प्रकार से गंगा की सफाई उन 40 प्रतिशत उस भू-भाग में रहने वाले भाईयों-बहनों की आर्थिक उन्नति का बी प्रतीक बन सकता है और इसलिए उस काम को हमें करना है और जिन राज्यों से मां गंगा गुजरती है। वहां पर आर्थिक उन्नति के लिए हम जितना करे उतना कम है। चाहे उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, झारखंड हो, उत्तराखंड हो, पश्चिम बंगाल हो - ये सारा इलाका है, जहां पर आर्थिक उन्नति की बहुत संभावनाएं पड़ी और उन संभावनाओं को तराशने के लिए मां गंगा एक बहुत बड़ा केंद्र बिंदू बन सकती है। गंगा के किनारे पर विकास हो सकता है, 120 से ज्यादा शहर हैं गंगा के किनारे पर, छह हजार से ज्यादा गांव हैं, ढाई हजार किलोमीटर लंबा है और काशी जैसा तीर्थ क्षेत्र हो, हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, यमुनोत्री हो क्या कुछ नहीं है!

इस विरासत को लेकर कर हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं आपको निमंत्रण देता हूं। आइए। आपका ज्ञान, बुद्धि, सामर्थ्य जो कुछ भी हो इसके साथ जुडि़ए। जो Environment में विश्वास करते हैं उनके लिए भी वहां भरपूर काम है, जो Inclusive growth में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Rural development में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Adventure चाहते हैं उनके लिए भी भरपूर काम है।

मां गंगा सबको समेटे हुए हैं, मां गंगा से जुडऩे का अवसर मतलब है हजारों साल से पुरानी संस्कृति से जुडने का अवसर। इस अवसर को हम लें, और उसी का उपयोग करें, यह मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ। आज भारत विकास यात्रा पर कहां से कहां पहंच रहा है, उसके लिए आपका समय नहीं लेना चाहता। क्योंकि 11 तारीख को मैं एक दुसरे अवसर पर फिरसे इस सभाग्रह में आ रहा हूँ। उस समय काफी विस्तार से बातें करनी होंगी क्योंकि आर्थिक विषयों से जुड़ा हुआ वह कार्यक्रम है लेकिन मैं चाहता हूं कि आपकी शक्ति और सामर्थ्य, हमारे यहां शास्त्रों में एक बहुत ही बढ़िया श्लोक विदेश में रहने वाले लोगों के लिए है, बहुत अच्छा है। मैं उसका ज़िक्र यहाँ करना चाहता हूँ। शास्त्र कहते हैं:

यस्तु संचरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् | तस्य विस्तारिता बुधिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ||

उसका सीधा meaning यह है, कि जो विश्व में भ्रमण करता है, वो इतना ज्ञान और अनुभव अर्जित करता है, और वो ज्ञान-अनुभव इतना पैना होता है, इतना ताकतवर होता है, कि कितना ही गहरा समंदर क्यों न हो, पानी का कितना ही बड़ा सागर क्यों न हो, लेकिन उसपर एक तेल बिंदु पड़े, तो जिस प्रकार से वो उसपर प्रभावी होकर के फैल जाता है – यह विश्व भर में भ्रमण करके पाया हुआ ज्ञान भी उतना ही ताक़तवर होता है, यह मन्त्र कह रहा है। और वो ताक़त के धनी आप हैं। वो ताक़त के धनी आप हैं।

उस ताक़त का उपयोग, माँ भारती की सेवा के लिए कैसे लगे, आने वाले दिनों में, भारत जो विकास की ऊचाइयों को पार कर रहा है, आप भी उसके साथ जुड़िये, इस महान सांस्कृतिक विरासत से विश्व को परिचित कराइए, और जिस मन्त्र को लेकर के, हमारे पूर्वजों ने कल्पना की थी – हम ही तो लोग थे, जिन्होंने पहली बार विशवास से कहा था: “वसुधैव कुतुम्भकम”। The whole world is a family।

पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, वो हमारा DNA है। वो हमारी संस्कृति है। पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, उसका एक दायित्व बनता है कि मानवतावाद के विषय को लेकर के पूरे विश्व में हम एक ताक़त के साथ पहुंचें। फिर एक बार – Guyana के राष्ट्रपतिजी हमारे बीच आये, उनका स्वागत करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। South Africa की विदेश मंत्रीजी हमारे बीच आयीं, उनका भी स्वागत करता हूँ, उनका अभिनन्दन करता हूँ। और Mauritius के उप-प्रधान मंत्रीजी हमारे बीच आये, मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ।

आज के अवसर पर, राष्ट्र्पिताजी के 100 साल पहले वापिस आने की ख़ुशी में भारत सरकार ने सौ रूपएका और दस रूपए का सिक्का आज हमें दिया है, और उसकी प्रकार से पोस्टल स्टाम्प भी आपके सामने रखा है। पोस्टल स्टाम्प, और ये सिक्के इतिहास की धरोहर बनते हैं। आज भी आपने देखा होगा, पुरातात्त्विक विभाग जो रहता है – Archaeological Department – वो इतिहास की कड़ी जोड़ने के लिए, पुराने coin जो मिलते हैं, वो उसकी सबसे बड़ी ताक़त होते हैं। उसके आधार पर वो तय करते हैं, कि 400 साल पहले कहाँ कौन सी currency थी, और वो currency 2000km दूर, सात समंदर पार, कहाँ-कहाँ पर दिखाई दी – उसके आधार पर 1000 साल पहले कैसा विश्व व्यापार था, किस प्रकार के सांस्कृतिक सम्बन्ध थे, ये सारी कड़ी जोड़ने में यह काम आता है। सिक्कों का महत्त्व आज भी उतना ही है, और विश्व में कई ऐसे लोग हैं, जो इस प्रेरणा को लेकर के चलते हैं।

मेरे मन में एक विचार है। विदेश में रहे हुए हमारे मित्र उस काम को अगर कर सकें तो ज्यादा अच्छा होगा। क्या हम इस प्रवासी भारतीय दिवस पर - विशेष योगदान करने वाले लोगों का तो हमें सम्मान करने का सौभाग्य मिलता है – जिन्होंने अपने-अपने, जो अपनी कर्म भूमि है, वहां भारत का झंडा ऊंचा रखने के लिए कुछ न कुछ योगदान किया होगा। लेकिन क्या भविष्य में, अगर विदेश की जो Young Team है, वो आगे आये तो।।। मैं इस कार्यक्रम को भारत के माध्यम से करना नहीं चाहता – बाहर के लोग करें तो मेरे मनन में विचार है – कि हम आज का जो Information Technology का युग है, Communication की नयी दुनिया है, उसका उपयोग करते हुए, “भारत को जानो” – ऐसी एक प्रति वर्ष एक Quiz Competition कर सकते हैं? Online Quiz Competition।

भारत के सम्बन्ध में ही सवाल हों। और भारत से बाहर रहने वाले लोग उसमें शरीक हों, उसमें हिस्सा लें। और उसमें जिसका नंबर आये, उनका सम्मान प्रवासी भारतीय दिवस में होता रहे, ताकि साल भर हमारी युवा पीढी को online जाकर के, Quiz Competition में जुड़ करके, ज्यादा से ज्यादा marks पाने का प्रयास हो, और पूरे विश्व में, भारत को जानने का एक बहुत बढ़ा आन्दोलन खड़ा हो जाए। उस दिशा में हम प्रयास कर सकते हैं।

मैं फिर एक बार आप सबको प्रवासी भारतीय दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ। और पूज्य बापू ने, भारत आकर के, भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। और इतना ही नहीं, भारत के मानवतावाद का सन्देश था, उसे पूरे विश्व को पहुंचाया, ऐसे युगपुरुष के भारत आगमन का यह शताब्दी का पर्व हम मना रहे हैं। तब हम भी, जहां भी हों – नाभि से नाता जुडा रहे। मिट्टी से नाता जुडा रहे। अपनों के लिए कुछ न कुछ कर गुजरने का हौसला बुलंद बना रहे – इसी अपेक्षा के साथ, सबको बहुत बहुत शुभकामनायें।

धन्यवाद।

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राजस्थानमध्ये जयपूर इथे ‘एक वर्ष –परिणाम उत्कर्ष’ कार्यक्रम आणि अन्य विकासकामांच्या उद्घाटनप्रसंगी पंतप्रधानांचे भाषण
December 17, 2024
PM inaugurates and lays the Foundation stone for 24 projects related to Energy, Road, Railways and Water worth over Rs 46,300 crores in Rajasthan
The Governments at the Center and State are becoming a symbol of Good Governance today: PM
In these 10 years we have given lot of emphasis in providing facilities to the people of the country, on reducing difficulties from their life: PM
We believe in cooperation, not opposition, in providing solutions: PM
I am seeing the day when there will be no shortage of water in Rajasthan, there will be enough water for development in Rajasthan: PM
Conserving water resources, utilizing every drop of water is not the responsibility of government alone, It is the responsibility of entire society: PM
There is immense potential for solar energy in Rajasthan, it can become the leading state of the country in this sector: PM

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

श्रीकृष्णाच्या या पावन नगरीत भगवान श्रीकृष्णाला माझा साष्टांग दंडवत आणि तुम्हा सगळ्यांना राम राम !

राजस्थानचे राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, राजस्थानचे लोकप्रिय मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रिय मंत्रीमंडळातले माझे सहकारी सी. आर. पाटील, भगीरथ चौधरी, राजस्थानच्या उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी, प्रेम चंद भेरवा आणि अन्य मंत्री, खासदार, राजस्थानचे आमदार, मान्यवर व्यक्ती तसंच राजस्थानमधल्या माझ्या प्रिय बंधु भगिनींनो,  

राजस्थानचे नागरिक, राजस्थानमधलं भाजपा सरकार यांना सरकारच्या कार्यकाळाच्या वर्षपूर्तीनिमित्त माझ्या अनेक शुभेच्छा. तुम्ही सगळे लाखोंच्या संख्येनं आशीर्वाद देण्यासाठी आलात त्याबद्दल मनःपूर्वक धन्यवाद. खुल्या जीपमधून इथे येताना मी तिकडे पाहात होतो तेव्हा मंडपात जितके लोक आहेत त्याच्या तिप्पट लोक मंडपाबाहेर थांबलेले दिसत आहेत. एवढ्या मोठ्या प्रमाणात तुमचे आशीर्वाद मला मिळतायत हे माझं भाग्यच आहे.  गेल्या वर्षभरात राजस्थानच्या विकासाला नवी दिशा आणि गती देण्यासाठी भजनलाल यांच्या सरकारनं खूप मेहनत घेतली आहे. हे पहिल्या वर्षानं एकप्रकारे भविष्याचा पाया रचला आहे. म्हणूनच आजचा उत्सव केवळ सरकारला एक वर्ष पूर्ण झाल्याचा नाही तर तो राजस्थानच्या कीर्तीप्रकाशाचा, विकासाचाही उत्सव आहे.

काही दिवसांपूर्वीच मी गुंतवणूकदार परिषदेसाठी राजस्थानमध्ये आलो होतो. देश-परदेशांतले मोठे गुंतवणूकदार इथं आले होते. आणि आता आज इथं 45-50 हजार कोटी रुपयांपेक्षा जास्त रकमेच्या प्रकल्पांचं लोकार्पण आणि कोनशीला समारंभ झाला. या प्रकल्पांमुळे राजस्थानमधल्या पाण्याच्या समस्येवर कायमस्वरुपी तोडगा निघेल. या प्रकल्पांमुळे संपर्कव्यवस्था सक्षम असलेल्या राज्यांमध्ये राजस्थानचा समावेश होईल. यामुळे राजस्थामध्ये गुंतवणूक वाढेल आणि रोजगाराच्याही असंख्य संधी निर्माण होतील. राजस्थानमधल्या पर्यटन क्षेत्राला, शेतकऱ्यांना आणि युवा पिढीला याचा खूप फायदा होईल.

 

मित्रांनो,

ज्या राज्यांमध्ये भाजपाचं डबल इंजिन सरकार आहे तिथे ते सरकार आता सुशासनाचं प्रतीक बनत आहे. केलेला संकल्प पूर्ण करण्यासाठी भाजप प्रामाणिकपणे प्रयत्न करतो. आता देशातले नागरिक असं म्हणायला लागलेत की भाजपा म्हणजे सुशासनाची हमी. आणि म्हणूनच लागोपाठ अनेक राज्यांमध्ये भाजपला मोठ्या प्रमाणात जनतेचा पाठिंबा मिळत आहे. लोकसभा निवडणुकीत बहुमतानं निवडून देऊन जनतेनं भाजपाला सलग तिसऱ्या वेळी देशाची सेवा करण्याची संधी दिली आहे. गेल्या 60 वर्षात हिंदुस्तानमध्ये असं कधीच झालं नाही. 60 वर्षांनंतर भारतीयांनी तिसऱ्या वेळी केंद्रात सत्ता स्थापन केली आहे, तेही सलग तिसऱ्यांदा. आम्हाला देशाची सेवा करण्याची संधी दिली, आशीर्वाद दिले.  आत्ता काही दिवसांपूर्वीच महाराष्ट्रात भाजपानं दुसऱ्यांदा सत्ता स्थापन केली. निवडणूक निकालांच्या पार्श्वभूमीवर खरंतर तिसऱ्यांदा भाजपाला बहुमत मिळालं आहे. तिथंही भाजपाचे आधीपेक्षा जास्त आमदार निवडून आले आहेत. याआधी हरियाणामध्ये सलग तिसऱ्यांदा भाजपाचं सरकार आलं आहे. हरियाणामध्येही लोकांनी आधीपेक्षा जास्त मतांनी आम्हाला निवडून दिलं आहे. नुकत्याच झालेल्या राजस्थानच्या पोटनिवडणुकीतही लोकांनी भाजपाला समर्थन दिल्याचं आपण पाहिलं आहेच. यातून हेच दिसून येतं की, भाजपाचं काम आणि भाजपा कार्यकर्त्यांच्या मेहनतीवर लोकांचा पूर्ण विश्वास आहे.     

मित्रांनो,

आमचं भाग्य आहे की राजस्थानमधल्या लोकांनी खूप वर्षांपासून भाजपाला सेवेची संधी दिली आहे. पहिल्यांदा भैरो सिंह शेखावत यांनी राजस्थानमधल्या विकासाचा पाया घातला.  त्यानंतर वसुंधरा राजेंनी सुशासनाची परंपरा पुढे चालू ठेवली आणि आता भजनलाल यांचं सरकार सुशासनाची ही परंपरा आणखी समृद्ध करण्यासाठी मेहनत घेत आहे. गेल्या एक वर्षाच्या कामातून याचाच प्रत्यय दिसून येत आहे.  मित्रांनो,

गेल्या वर्षभरात काय काय कामं झाली याबाबत इथं तपशीलवार माहिती दिली आहे. विशेष करुन गरीब कुटुंब, महिला-मुली, कष्टकरी लोक, कामगार, भटक्या परिवारांसाठी अनेक निर्णय घेतले गेले. इथल्या तरुण पिढीवर गेल्यावेळच्या काँग्रेस सरकारनं खूप अन्याय केला. पेपरफुटी आणि भरतीमधला घोटाळा ही राजस्थानची ओळख बनली होती. भाजपा सरकारनं सत्तेत येताच याची चौकशी सुरू केली आणि अनेक जणांना अटकही केली. एवढंच नाही तर भाजपा सरकारनं राजस्थानमध्ये गेल्या वर्षभरात मोठ्या संख्येनं भरती प्रक्रिया सुरू केली. राज्यात संपूर्ण पारदर्शक स्वरुपात परीक्षा घेतल्या, नियुक्त्या पण केल्या. गेल्या सरकारच्या काळात राजस्थानमध्ये इतर राज्यांच्या तुलनेत पेट्रोल, डिझेल महाग होतं. राजस्थानमध्ये भाजपा सरकार स्थापन झाल्यानंतर लगेचच इथल्या लोकांना दिलासा मिळाला. पंतप्रधान किसान सन्मान निधी योजनेअंतर्गत केंद्र सरकार थेट शेतकऱ्यांच्या बँक खात्यात रक्कम जमा करत आहे. आता राजस्थानमधल्या डबल इंजिन भाजपा सरकारनं त्यात आपली भर घालून शेतकऱ्यांना जास्तीची मदत द्यायला सुरुवात केली आहे. इथलं डबल इंजिन सरकार पायाभूत सुविधा क्षेत्रातली कामंही वेगानं पूर्ण करत आहे. भाजपानं जी आश्वासनं दिली होती त्यांची वेळेत पूर्तता केली जात आहे. आजचा हा कार्यक्रम देखील त्याचाच एक महत्त्वपूर्ण भाग आहे.   

 

मित्रांनो,

राजस्थानातल्या लोकांच्या आशीर्वादामुळे गेली दहा वर्ष केंद्रात भाजपाची सत्ता आहे. या दहा वर्षांत आम्ही लोकांना सुविधा पुरवण्यावर, त्यांच्या आयुष्यातल्या अडचणी कमी करण्यावर भर दिला. स्वातंत्र्य मिळाल्यानंतरच्या 50-60 वर्षांमध्ये काँग्रेसनं जितकं काम केलं त्याच्यापेक्षा जास्त काम आम्ही केवळ 10 वर्षातच करुन दाखवलं. राजस्थानचंच उदाहरण घ्या... पाण्याचं महत्त्व राजस्थानपेक्षा जास्त कुणाला समजू शकतं इथल्या अनेक भागात इतका भयंकर दुष्काळ पडतो आणि दुसरीकडे काही ठिकाणी आपल्या नद्यांचं पाणी न वापरताच समुद्रात वाहून जातं. म्हणूनच अटल बिहारी वाजपेयी यांच्या सरकारनं त्यावेळी नदीजोड प्रकल्पाची कल्पना मांडली होती. त्यांनी यासाठी एक विशेष समिती नेमली होती. या सगळ्याचा उद्देश हाच होता की, ज्या नद्यांमधलं पाणी वापराविना समुद्रात वाहून जातं ते दुष्काळग्रस्त भागापर्यंत पोहोचवणं.

यामुळे एकीकडे पुराची समस्या आणि दुसरीकडे दुष्काळाची समस्या या दोन्ही समस्या सोडवणे शक्य होते. याचं समर्थन करत सर्वोच्च न्यायालयानेही अनेकदा आपले मत व्यक्त केले आहे. मात्र तुमच्या जीवनातून पाण्याची समस्या दूर करण्याची काँग्रेसची कधीच इच्छा नव्हती. आपल्या नद्यांचे पाणी वाहत सीमेपलीकडे जायचे, पण त्याचा लाभ आपल्या शेतकऱ्यांना मिळत नसे. काँग्रेस तोडगा काढण्याऐवजी राज्यांमधील पाणी वादाला प्रोत्साहन देत राहिली. या कुटील धोरणामुळे राजस्थानचे बरेच नुकसान झाले आहे, इथल्या माता-भगिनींनी सोसले आहे. इथल्या शेतकऱ्यांना त्रास सहन करावा लागला आहे, 

मला आठवतंय, मी गुजरातमध्ये मुख्यमंत्री म्हणून जनतेची सेवा करीत असताना तिथे सरदार सरोवर धरण पूर्ण झालं, नर्मदा मातेचं पाणी गुजरातच्या विविध भागात पोहोचवण्यासाठी मोठी मोहीम राबवली, कच्छच्या सीमेपर्यंत पाणी पोहोचवलं गेलं. मात्र तेव्हा काँग्रेस आणि काही स्वयंसेवी संस्थांकडून ते रोखण्यासाठी वेगवेगळे डावपेच अवलंबले गेले. पण पाण्याचे महत्त्व आम्ही जाणून होतो. आणि माझ्यासाठी मी म्हणतो की पाणी हा परिस आहे, ज्याप्रमाणे परिस लोखंडाला स्पर्श करतो आणि लोखंडाचे सोन्यामध्ये रुपांतर होते, तद्वतच, जिथे पाणी स्पर्श करते तिथे ते नवीन ऊर्जा आणि शक्तीला जन्म देते.

मित्रांनो,

पाणी पोहोचवण्यासाठी मी निर्धाराने काम करत राहिलो, विरोध सहन करत राहिलो आणि टीकेला तोंड देत राहिलो, मात्र मला पाण्याचे महत्त्व माहित होते. नर्मदेच्या पाण्याचा लाभ फक्त गुजरातलाच मिळायला हवा असे नव्हे तर राजस्थानलाही नर्मदाजीच्या पाण्याचा लाभ मिळायला हवा. आणि यात कोणताही वादविवाद, कोणताही अडथळा, कोणतेही निवेदन, आंदोलने झाली नाहीत आणि जसे सरोवराचे काम पूर्ण झाले तसे आधी गुजरातला मिळूदे आणि मग राजस्थानला देऊ असेही नाही. गुजरातमध्येही पाणी पोहोचवायचे आणि त्याचवेळी राजस्थानमध्येही पाणी पोहोचवण्याचे काम आम्ही सुरू केले. आणि मला आठवते की जेव्हा नर्मदाजीचे पाणी राजस्थानात पोहोचले तेव्हा राजस्थानच्या जीवनात जल्लोष आणि उत्साह होता. आणि त्यानंतर काही दिवसांनी अचानकपणे मला मुख्यमंत्री कार्यालयात संदेश आला की भैरोसिंह जी शेखावत आणि जसवंत सिंह जी गुजरातमध्ये आले आहेत आणि त्यांची मुख्यमंत्र्यांची  भेट घेण्याची इच्छा आहे. आता मला माहित नव्हते की ते कोणत्या उद्देशाने आले आहेत. पण ते माझ्या कार्यालयात आले, मी विचारलं आपण कसे काय येणे केलेत तेव्हा ते म्हणाले की काही काम नाही, तुम्हाला भेटायलाच आलो आहोत. ते दोघेही माझे ज्येष्ठ नेते होते, आमच्यापैकी बरेच जण तर भैरोंसिंगजींचे बोट धरून मोठे झालो आहोत. आणि ते माझ्यासमोर येऊन केवळ बसले नाहीत तर त्यांना  माझा सन्मान करायचा होता, मीही थोडा संभ्रमात पडलो. पण त्यांनी माझा मानसन्मान केला, मात्र दोघेही भावूक झाले होते, त्यांचे डोळे पाणावले होते. ते म्हणाले, मोदीजी, पाणी देणे म्हणजे काय ते तुम्हाला माहीत आहे, तुम्ही गुजरातचे नर्मदेचे पाणी राजस्थानला इतक्या सहजतेने दिले, या घटनेने माझ्या मनाला स्पर्श केला. आणि म्हणूनच आज मी राजस्थानच्या करोडो जनतेच्या वतीने त्यांच्या भावना व्यक्त करण्यासाठी तुमच्या कार्यालयात आलो आहे.

 

मित्रांनो,

पाण्यात किती शक्ती असते याचा एक अनुभव आला. आणि मला आनंद आहे की माता नर्मदेचे पाणी आज जालोर, बारमेर, चुरू, झुंझुनू, जोधपूर, नागौर, हनुमानगड, अशा अनेक जिल्ह्यांना मिळत आहे.

मित्रांनो,

नर्मदाजीच्या पात्रात स्नान केल्यास, नर्मदाजी परिक्रमा केल्यास अनेक पिढ्यांची पापे धुऊन पुण्यप्राप्ती होते, असे आमच्या येथे सांगितले जायचे पण विज्ञानाचा चमत्कार पहा, एकेकाळी आपण माता नर्मदेच्या परिक्रमेला जायचो, आज माता नर्मदा स्वतः परिक्रमेसाठी बाहेर पडून हनुमानगढपर्यंत पोहोचली.

मित्रांनो,

पूर्व राजस्थान कालवा प्रकल्प ERCP ला काँग्रेसने किती विलंब लावला... हादेखील  काँग्रेसच्या हेतूचा थेट पुरावा आहे. ते शेतकऱ्यांच्या नावाने मोठमोठ्या गोष्टी करतात. मात्र, शेतकऱ्यांसाठी ते स्वतःही काही करत नाहीत आणि इतरांनाही काही करू देत नाहीत. भाजपचे धोरण वादाचे नाही तर संवादाचे आहे. आमचा विरोधावर नव्हे तर सहकार्यावर विश्वास आहे. आम्ही व्यत्ययावर नव्हे तर उपायांवर विश्वास ठेवतो, त्यामुळे आमच्या सरकारने पूर्व राजस्थान कालवा प्रकल्पाला मंजुरीही दिली आणि त्याचा विस्तारही केला आहे. मध्यप्रदेश आणि राजस्थानमध्ये भाजपचे सरकार स्थापन होताच पर्वती-कालीसिंध-चंबळ प्रकल्प, एमपीकेसी लिंक प्रकल्पाबाबत सामंजस्य करार झाला.

केंद्राचे जलमंत्री आणि दोन राज्यांचे मुख्यमंत्री हे जे चित्र तुम्ही पहात होतात ते चित्र सामान्य नाही. पुढची काही दशके हे चित्र भारताच्या कानाकोपऱ्यातील राजकारण्यांना प्रश्न विचारेल, प्रत्येक राज्याला हा प्रश्न विचारला जाईल की मध्य प्रदेश, राजस्थानने मिळून पाण्याचा प्रश्न, नदीच्या पाण्याची समस्या सामंजस्याच्या मार्गाने सोडवली तर तुम्ही असे कोणते राजकारण करत आहात की समुद्रात पाणी वाहून जात असताना तुम्ही एका कागदावर स्वाक्षऱ्या करू शकत नाही. हे चित्र, असे चित्र येत्या काही दशकांत संपूर्ण देश पाहणार आहे. जो जलाभिषेक होत होता, ते दृश्य मला सामान्य वाटत नाही.जे लोक देशाच्या हिताचा विचार करतात, त्यांना सेवा करण्याची संधी मिळते तेव्हा कोणी मध्य प्रदेशातून पाणी आणतात , कोणी राजस्थानातून पाणी आणतात, ते पाणी एकत्र करून माझ्या राजस्थानला सुजलाम-सुफलाम करण्यासाठी पुरुषार्थाची परंपरा सुरु केली जाते. हे दिसायला असामान्य आहे, हा एक वर्षाचा उत्सव आहे पण आगामी शतकांचे उज्ज्वल भविष्य आज या मंचावरून लिहिले जात आहे. या प्रकल्पात चंबळ आणि तिच्या उपनद्या पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रुपरेल, गंभीरी आणि मेज या नद्यांचे पाणी एकमेकांशी जोडले जाणार आहे.

मित्रांनो,

नद्या जोडण्याची ताकद काय असते हे मी गुजरातमध्ये दाखवून दिले आहे. नर्मदेचे पाणी गुजरातच्या विविध नद्यांना जोडले गेले. तुम्ही कधी अहमदाबादला गेलात तर तुम्हाला साबरमती नदी दिसते. आजपासून 20 वर्षांपूर्वी जर एखाद्या मुलाला साबरमतीवर निबंध लिहिण्यास सांगितले तर तो लिहायचा की साबरमतीमध्ये सर्कसचे तंबू लावले जातात. इथे खूप चांगली सर्कस दाखवली जाते. साबरमतीत क्रिकेट खेळायला मजा येते. साबरमतीमध्ये अतिशय चांगली माती आणि धूळ पहावयास मिळते..

कारण साबरमतीत पाणी दिसले नव्हते. आज नर्मदेच्या पाण्याने साबरमती जिवंत झाली आहे आणि अहमदाबादमध्ये रिव्हर फ्रंट तुम्ही पाहू शकता. या नद्यांना जोडण्यामुळे ही  ताकद निर्माण झाली आहे राजस्थानच्या अशाच सुंदर दृश्याची कल्पना मी माझ्या डोळ्यांनी करू शकतो.

 

मित्रांनो,

मी तो दिवस पाहत आहे जेव्हा राजस्थानमध्ये पाण्याची कमतरता भासणार नाही, राजस्थानमध्ये विकासासाठी पुरेसे पाणी असेल.  पार्वती-कालीसिंध-चंबळ प्रकल्प, याद्वारे राजस्थानमधील 21 जिल्ह्यांना सिंचनासाठी पाणी मिळेल आणि पिण्याचे पाणीही मिळेल.  यामुळे राजस्थान आणि मध्य प्रदेश या दोन्ही राज्यांच्या विकासाला गती मिळेल.

मित्रांनो,

आजच इसर्डा जोड प्रकल्पाची देखील  पायाभरणी झाली.  ताजेवाला येथून शेखावटीपर्यंत पाणी आणण्याबाबतही आज करार झाला आहे.  या पाण्यामुळे या करारामुळे हरयाणा आणि राजस्थान या दोन्ही राज्यांनाही फायदा होणार आहे.  मला विश्वास आहे की राजस्थानमध्येही नळाचे पाणी 100% घरांमध्ये लवकरात लवकर पोहोचेल.

मित्रांनो,

आमच्या सी.आर.पाटीलजींच्या नेतृत्वाखाली मोठी मोहीम सुरू आहे.  सध्या प्रसारमाध्यमांमध्ये आणि बाहेरही त्याबद्दल  कमी बोललं जातय.  पण मी या मोहिमेची ताकद ओळखून आहे.  लोकसहभागातून ही मोहीम राबवण्यात आली आहे.  पावसाचे पाणी साठवण्यासाठी पुनर्भरण विहिरी बांधल्या जात आहेत.  कदाचित तुम्हाला माहीत नसेल, पण मला सांगण्यात आले की आज राजस्थानमध्ये लोकसहभागातून दैनंदिन पावसाचे पाणी साठवण्यासाठी सोय (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स) केली जात आहे.  गेल्या काही महिन्यांत भारतातील ज्या राज्यांमध्ये पाण्याची कमतरता आहे तेथे सुमारे तीन लाख रेन हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स बांधण्यात आली आहेत. मला ठाम विश्वास आहे की  पावसाचे पाणी वाचवण्याचा हा प्रयत्न येत्या काळात आपल्या धरणी मातेची तहान भागवेल.  आणि इथे बसलेल्या… भारतात बसलेल्या कोणत्याही मुलाला किंवा मुलीला  आपल्या धरणी मातेला तहानलेलं ठेवणं आवडणार नाही. तहानेची जी तळमळ आपल्याला असते…..ज्या तहानेमुळे आपल्याला त्रास होतो…. तितकाच त्रास आपल्या धरणी मातेला होतो.  आणि म्हणूनच, या पृथ्वीची मुले म्हणून, आपल्या धरणीमातेची तहान भागवण्याची जबाबदारी आपल्या सर्वांची आहे.  पावसाच्या पाण्याचा प्रत्येक थेंब धरणी मातेची तहान भागवण्यासाठी वापरुया.  आणि एकदा का आपल्याला धरणी मातेचा आशीर्वाद मिळाला की जगातील कोणतीही शक्ती आपल्याला रोखू शकत नाही.

मला आठवते गुजरातमध्ये एक जैन महात्मा होते.  सुमारे 100 वर्षांपूर्वी त्यांनी लिहिले होते….बुद्ध सागर जी महाराज, जैन भिक्षू होते.  त्यांनी सुमारे 100 वर्षांपूर्वी लिहिले होते आणि त्या वेळी ते कोणी वाचले असते तर कदाचित त्यांच्या बोलण्यावर विश्वास बसला नसता.  त्यांनी 100 वर्षांपूर्वी लिहिले होते - एक दिवस येईल जेव्हा पिण्याचे पाणी किराणा दुकानात विकले जाईल.  100 वर्षांपूर्वी लिहिलं होतं, आज आपल्याला किराणा दुकानातून बिसलेरीच्या बाटल्या विकत घेऊन पाणी प्यावं लागतं…. 100 वर्षांपूर्वी हे म्हटलं होतं.

मित्रांनो,

ही एक दुःखप्रद कहाणी आहे.  आपल्या पूर्वजांनी आपल्याला वारसा म्हणून खूप काही दिले आहे. आपली ही जबाबदारी आहे की आता आपल्या भावी पिढ्यांना पाण्याअभावी मरावे लागू नये…आपण त्यांना… आपली सुजलाम सुफलाम धरणी माता… आपल्या भावी पिढ्यांच्या स्वाधीन करावी.  आणि तेच पवित्र कार्य करण्याच्या दिशेने काम करणाऱ्या मध्य प्रदेश सरकारचे,  आज मी अभिनंदन करतो.  मी मध्य प्रदेशातील जनतेचे अभिनंदन करतो.  मी राजस्थान सरकार आणि राजस्थानच्या जनतेचे अभिनंदन करतो.  आता आमचे हे काम आहे की हे काम कोणत्याही अडथळ्याविना पुढे न्यायचे आहे. जिथे गरज असेल त्या भागासाठी ही योजना लागू पडते.  लोकांनी पुढे येऊन पाठिंबा दिला पाहिजे.  मग योजना वेळेपूर्वी पूर्ण होऊ शकतात आणि या संपूर्ण राजस्थानचे नशीब बदलू शकते.

 

मित्रांनो,

21व्या शतकातील भारतासाठी महिलांचे सक्षमीकरण अत्यंत महत्त्वाचे आहे. अहो तो कॅमेरा…, त्याला कॅमेरा इतका आवडतो की त्याचा उत्साह वाढला आहे.  जरा त्या कॅमेरावाल्याला पलीकडे घेऊन जा….तो थकून जाईल.

मित्रांनो,

तुमचे हे प्रेम मला शिरसावंद्य आहे…. मी तुमचा आभारी आहे….. हा जोश आणि या उत्साहासाठी!  मित्रांनो, आम्ही महिला बचत गटाच्या चळवळीत स्त्री शक्तीचे सामर्थ्य पाहिले आहे.  गेल्या दशकात देशातील 10 कोटी भगिनी बचत गटांमध्ये सामील झाल्या आहेत.  यामध्ये राजस्थानमधील लाखो बहिणींचाही समावेश आहे.  या बचत गटांमध्ये सहभागी भगिनींना बळ देण्यासाठी भाजपा सरकारने अहोरात्र मेहनत घेतली आहे.  आमच्या सरकारने या गटांना प्रथम आधी बँकांशी जोडले, नंतर बँकांकडून मिळणारी मदत 10 लाखांवरून 20 लाख रुपये केली.  आम्ही त्यांना सुमारे 8 लाख कोटी रुपये मदत म्हणून दिले आहेत.  आम्ही त्यांच्यासाठी प्रशिक्षणाची व्यवस्था केली आहे.  महिला बचत गटांमध्ये उत्पादित वस्तूंना नवीन बाजारपेठ उपलब्ध करून दिली.

आज त्याचाच परिणाम म्हणून हे बचतगट ग्रामीण अर्थव्यवस्थेत मोठी ताकद बनले आहेत.  आणि मला बरं वाटतय…..मी इथे येत होतो, मंडपाचे  सर्व भाग ,सगळे भाग  माय-भगिनींनी भरलेले आहेत.  आणि एवढा जोश….एवढा उत्साह!  आता आमचे सरकार बचत गटातील तीन कोटी भगिनींना लखपती दीदी बनवण्याचे काम करत आहे.  मला आनंद आहे की सुमारे 1.25 कोटी बहिणी लखपती दीदी झाल्या आहेत.  म्हणजेच वर्षभरात त्यांना एक लाख रुपयांहून अधिक कमाई होऊ लागली आहे.

मित्रांनो,

महिला शक्ती बळकट करण्यासाठी आम्ही अनेक नवीन योजना तयार करत आहोत. आता जशी नमो ड्रोन दीदी योजना आहे.  याअंतर्गत हजारो भगिनींना ड्रोन पायलट म्हणून प्रशिक्षण दिले जात आहे.  हजारो गटांना आधीच ड्रोन मिळाले आहेत. भगिनी, ड्रोनच्या माध्यमातून शेती करत आहेत आणि त्यातून पैसेही कमावत आहेत.  राजस्थान सरकारही ही योजना पुढे नेण्यासाठी अनेक प्रयत्न करत आहे.

मित्रांनो,

नुकतीच आम्ही भगिनी आणि कन्यांसाठी आणखी एक मोठी योजना सुरू केली आहे.  ही योजना विमा सखी योजना आहे.  याअंतर्गत गावातील भगिनी आणि मुलींना विमा कामाशी जोडून त्यांना प्रशिक्षण दिले जाणार आहे.  या अंतर्गत, सुरुवातीच्या वर्षांत त्यांचे काम स्थिरस्थावर होईपर्यंत त्यांना एक लहान रक्कम मानक म्हणून दिली जाईल.  या अंतर्गत भगिनींना पैसा मिळेल आणि देशसेवेची संधीही मिळेल. आम्ही पाहिले आहे की आमच्या बँक सखींनी किती मोठा चमत्कार केला आहे ते 

आमच्या बँक सख्यांनी देशाच्या कानाकोपऱ्यात, प्रत्येक गावात बँकिंग सेवा दिली आहे, खाती उघडली आहेत आणि लोकांना कर्ज सुविधा उपलब्ध करुन दिल्या आहेत.  आता विमा सखी भारतातील प्रत्येक कुटुंबाला विमा सुविधांशी जोडण्यात मदत करतील.  कॅमेरामनला माझी विनंती आहे की, कृपया तुमचा कॅमेरा दुसरीकडे वळवा, इथे लाखो लोक आहेत…. त्यांच्यावर फिरवा.

मित्रांनो,

गावांची आर्थिक स्थिती सुधारण्यासाठी भाजप सरकार सातत्याने प्रयत्नशील आहे. विकसित भारत निर्माण करण्यासाठी हे खूप महत्वाचे आहे. म्हणूनच गावात कमाईच्या आणि रोजगाराच्या प्रत्येक साधनावर आम्ही भर देत आहोत. भाजप सरकारने राजस्थानमध्ये वीज क्षेत्रात अनेक करार केले आहेत. याचा सर्वाधिक फायदा आपल्या शेतकऱ्यांना होणार आहे. राजस्थान सरकारने येथील शेतकऱ्यांना दिवसाही वीज देण्याची योजना आखली आहे. शेतकऱ्यांना रात्रीच्या वेळी सिंचन करण्याच्या सक्तीतून मुक्त करण्याच्या दिशेने उचललेले हे मोठे पाऊल आहे.

 

मित्रांनो,

राजस्थानमध्ये सौरऊर्जेच्या वापराच्या अनेक शक्यता आहेत. राजस्थान या बाबतीत देशातील आघाडीचे राज्य बनू शकते. तुमचे वीज बिल शून्यावर आणण्यासाठी आमच्या सरकारने सौरऊर्जेला माध्यम बनवले आहे. केंद्र सरकार पीएम सूर्यघर मोफत वीज योजना राबवत आहे. या योजनेअंतर्गत घराच्या छतावर सौर पॅनल बसवण्यासाठी केंद्र सरकार सुमारे 75 ते 80  हजार रुपयांची मदत करत आहे. त्यातून निर्माण झालेली वीज तुम्ही वापरू शकता आणि जर ती तुमच्या गरजेपेक्षा जास्त असेल तर तुम्ही ती विकू शकता आणि ती वीज सरकार विकतही घेईल. आतापर्यंत देशातील 1 कोटी 40 लाख कुटुंबांनी या योजनेसाठी नोंदणी केली आहे, हे सांगताना मला आनंद होतो आहे. फारच कमी वेळात सुमारे सात लाख लोकांच्या घरात सौर पॅनल यंत्रणा बसवण्यात आली आहे. यामध्ये राजस्थानमधील 20 हजारांपेक्षा जास्त घरांचाही समावेश आहे. या घरांमध्ये सौरऊर्जेची निर्मिती सुरू झाली असून लोकांचे पैसेही वाचू लागले आहेत.

मित्रांनो,

घराच्या छतावरच नव्हे तर शेतातही सौरऊर्जा प्रकल्प राबवण्यासाठी सरकार मदत करत आहे. पीएम कुसुम योजनेंतर्गत राजस्थान सरकार आगामी काळात शेकडो नवीन सौर संयंत्रे बसवणार आहे. जेव्हा प्रत्येक कुटुंब ऊर्जा प्रदाता होईल, प्रत्येक शेतकरी ऊर्जा प्रदाता होईल, तेव्हा विजेपासून उत्पन्न होईल आणि प्रत्येक कुटुंबाचे उत्पन्नही वाढेल.

मित्रांनो,

राजस्थानला रस्ते, रेल्वे आणि विमान प्रवासाच्या सर्वात जास्त सुविधा असणारे राज्य बनवण्याचा आमचा संकल्प आहे. आपले राजस्थान, दिल्ली, वडोदरा आणि मुंबईसारख्या मोठ्या औद्योगिक केंद्रांच्या मधोमध वसलेले आहे. राजस्थानमधील लोकांसाठी आणि येथील युवा वर्गासाठी ही मोठी संधी आहे. ही तीन शहरे राजस्थानशी जोडण्यासाठी बांधण्यात येणारा नवा द्रुतगती मार्ग हा देशातील सर्वोत्तम द्रुतगती मार्गांपैकी एक आहे. मेज नदीवर मोठा पूल बांधल्यामुळे सवाई माधोपूर, बुंदी, टोंक आणि कोटा जिल्ह्यांना फायदा होणार आहे. या जिल्ह्यांतील शेतकऱ्यांना दिल्ली, मुंबई आणि वडोदरा येथील मोठ्या मंडई आणि बाजारपेठांपर्यंत पोहोचणे सोपे होणार आहे. त्यामुळे पर्यटकांना जयपूर आणि रणथंबोर व्याघ्र प्रकल्पापर्यंत पोहोचणेही सोपे होणार आहे. आजच्या काळात वेळेला खूप मोल आहे, हे आपल्या सर्वांना माहिती आहे. लोकांचा वेळ वाचवून त्यांना जास्त सोयी देण्याचा आमचा सर्वांचा प्रयत्न आहे.

मित्रांनो,

जामनगर-अमृतसर इकॉनॉमिक कॉरिडॉर, जेव्हा दिल्ली-अमृतसर-कटरा द्रुतगती मार्गाशी जोडला जाईल, तेव्हा राजस्थानला मातो वैष्णो देवी धामसोबत जोडेल. यामुळे उत्तर भारतातील उद्योग कांडला आणि मुंद्रा बंदरांशी थेट जोडले जातील. राजस्थानमधील वाहतूक क्षेत्राला याचा फायदा होईल, येथे मोठी गोदामे बांधली जातील. यामुळे राजस्थानच्या युवा वर्गाला जास्त काम मिळेल.

 

मित्रांनो,

जोधपूर रिंग रोडपासून जयपूर, पाली, बारमेर, जैसलमेर, नागौर आणि आंतरराष्ट्रीय सीमेपर्यंत पोहोचणे अधिक सोयीचे होणार आहे. यामुळे अनावश्यक वाहतूक कोंडीपासून शहर मुक्त होईल. जोधपूरमध्ये येणाऱ्या पर्यटक, व्यापारी आणि व्यावसायिकांचीही मोठी सोय होणार आहे.

मित्रांनो,

आज या कार्यक्रमात भाजपचे हजारो कार्यकर्तेही माझ्यासमोर उपस्थित आहेत. त्यांच्या मेहनतीमुळेच आपण आजचा हा दिवस पाहत आहोत. मला भाजप कार्यकर्त्यांकडेही आग्रहाने काही मागायचे आहे. भाजप हा जगातील सर्वात मोठा राजकीय पक्ष आहेच आणि त्याचबरोबर भाजप ही एक मोठी सामाजिक चळवळ सुद्धा आहे. भाजपसाठी पक्षापेक्षा देश मोठा आहे. भाजपचा प्रत्येक कार्यकर्ता देशासाठी जागरुकतेने आणि समर्पित भावनेने काम करत आहे. भाजपचा कार्यकर्ता केवळ राजकारणातच गुंतत नाही, तर सामाजिक समस्या सोडवण्यातही त्याचा सहभाग असतो. आज आपण अशा एका कार्यक्रमासाठी आलो आहोत, ज्याचा जलसंवर्धनाशी सखोल संबंध आहे. जलस्रोतांचे संवर्धन आणि पाण्याच्या प्रत्येक थेंबाचा अर्थपूर्ण वापर ही सरकारबरोबरच संपूर्ण समाजाची आणि प्रत्येक नागरिकाची जबाबदारी आहे. आणि म्हणूनच मी माझ्या भाजपच्या प्रत्येक कार्यकर्त्याला, प्रत्येक सहकाऱ्याला सांगेन की त्यांनी त्यांच्या दैनंदिन दिनचर्येतील काही वेळ जलसंधारणाच्या कामासाठी समर्पित करून मोठ्या निष्ठेने काम करावे. सूक्ष्म सिंचन, ठिबक सिंचनाशी संबंधित अमृत सरोवराच्या देखभालीसाठी मदत करा, जल व्यवस्थापनाची साधने निर्माण करा आणि जनतेला जागरूक करा. तुम्हीही शेतकऱ्यांना नैसर्गिक शेतीबाबतही जागरूक करा.

 

आपल्या सर्वांना माहित आहे की जितकी जास्त झाडे असतील तितकी पृथ्वीला पाणी साठवण्यात मदत होईल. या कामी ‘एक पेड मां के नाम’ ही मोहीम खूप मदत करू शकते. यामुळे आपल्या आईचा सन्मान वाढेल आणि पृथ्वी मातेचा सन्मानही वाढेल. पर्यावरणासाठी अशा अनेक गोष्टी करता येतील. उदाहरणार्थ, मी आधीच पीएम सूर्य घर अभियानाबद्दल सांगितले. भाजपचे कार्यकर्ते सौरऊर्जेच्या वापराबाबत लोकांना जागरूक करू शकतात, त्यांना ही योजना आणि योजनेच्या लाभांबद्दल सांगू शकतात. आपल्या देशातील लोकांचा एक स्वभाव विशेष आहे. जेव्हा देश पाहतो की एखाद्या मोहिमेचा हेतू योग्य आहे, मोहिमेचे धोरण योग्य आहे, तेव्हा लोक त्या मोहिमेची धुरा आपल्या खांद्यावर घेतात, त्या मोहिमेशी जोडले जातात आणि मोहिमेच्या कामात स्वतःला झोकून देतात. हे आपण स्वच्छ भारत मोहिमेमध्ये अनुभवले आहे. हे आपण बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियानात अनुभवले आहे. पर्यावरण संरक्षण आणि जलसंवर्धनातही आपल्याला असेच यश मिळेल, असा विश्वास मला वाटतो.

 

 

मित्रांनो,

आज राजस्थानमध्ये विकासाची जी आधुनिक कामे केली जात आहेत, ज्या पायाभूत सुविधा उभारल्या जात आहेत, त्या सध्याच्या आणि भावी पिढ्यांसाठी उपयुक्त ठरतील. राजस्थान विकसित करण्यासाठी याचा उपयोग होईल आणि जेव्हा राजस्थान विकसित होईल तेव्हा भारताचाही विकास वेगाने होईल. दुहेरी इंजिन सरकार येत्या काही वर्षांत अधिक वेगाने काम करेल. केंद्र सरकारही राजस्थानच्या विकासासाठी कोणतीही कमी भासू देणार नाही, याची मी खात्री देतो. पुन्हा एकदा, आपण सर्व एवढ्या मोठ्या संख्येने आशीर्वाद देण्यासाठी आलात, विशेषत: माता आणि भगिनी आल्या, मी माझे मस्तक झुकवून आपले आभार मानतो आणि आजची संधी तुमच्यामुळेच आहे आणि आजची संधी तुमच्यासाठी आहे. मी तुम्हा सर्वांना खूप खूप शुभेच्छा देतो. दोन्ही हात पूर्ण ताकदीनिशी वर करा आणि माझ्याबरोबर म्हणा –

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

अनेकानेक आभार !