Text of PM's address at the Inauguration of Pravasi Bharatiya Divas

Published By : Admin | January 8, 2015 | 21:39 IST

विशाल संख्या में यहां पधारे हुए, विश्व के कोने-कोने से आए हुए, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

100 वर्ष पहले, एक प्रवासी भारतीय भारत आए और आज 100 साल के बाद सभी प्रवासी भारतीयों का एक प्रवासी गुजराती स्वागत करता है। भारत के नागरिक विश्व के 200 से ज्यादा अधिक देशों में बसे हैं और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि उन 200 देशों में सिर्फ कोई एक भारतीय मूल का व्यक्ति वहाँ बसा है ऐसा नहीं है, वहाँ एक प्रकार से पूरा भारत बसा हुआ है। आप सबके माध्यम से भारत वैश्विक बना हुआ है। 100-150 साल पूर्व, हमारे पूर्वजों ने, साहसिक पूर्वजों ने, विश्व में जहां-जहां संभावनाएं थीं, कुछ नया करने की उमंग थी, गुलाम हिन्दुस्तान में संभावनाएं नहीं थी, उन्होंने साहस जुटाया और साहस जुटाकर दुनिया के अनेक भू-भाग में पहुंचे। सामुद्रिक यात्रा रहती थी, कठिन यात्रा रहती थी, कभी-कभी लक्ष्य तक पहुंच भी नहीं पाते थे। लेकिन उनका प्रयास रहा... कि अंजान जगह पर जाना है और अपने कौशल के द्वारा, अपने सामर्थ्य के द्वारा, अपने संस्कारों के द्वारा वहां पर अपनी जगह बनाने का प्रयास।

कुछ कालखंड ऐसा भी आया कि आज भारत के शिक्षित लोग, Professionals, जीवन में और नई ऊंचाइयों को पाने के लिए, ज्ञान वृद्धि के लिए, Exposure के लिए, विश्व में गए, उन्होंने भारत की एक नई पहचान बनाई। लेकिन वो एक कालखंड था, जब आप अपना प्राण प्रिय देश छोड़कर के, अपने स्वजनों को छोड़कर के, यार-दोस्तों को छोड़कर के, दुनिया के किसी और छोर पर चले जाते थे। कभी साहसिक स्वभाव के कारण, तो कभी संभावनाओं को तलाशने के लिए, तो कभी अवसर खोजने के लिए। वो समय था जब शायद यह जरूरी था।

किंतु मैं आप सबका स्वागत करते हुए आपको विश्वास दिलाता हूं, जब हमारे पूर्वज गए थे- संभावनाओं को तलाशने के लिए। अब भारत की धरती पर संभावनाएं अब आपका इंतजार कर रही हैं। वक्त बहुत तेजी से बदल चुका है। भारत एक नए सामर्थ्य के साथ उठ खड़ा हुआ है। और विश्व, भारत के प्रति बहुत आशा भरी नजरों से देख रहा है। आज गयाना, साइथ अफ्रीका, मॉरिशस - विशेष मेहमान के रूप में हमारे बीच विराजमान हैं। मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था, उसके पहले, मुझे इन सभी स्थानों पर जाने का अवसर मिला और गयाना के आदरणीय राष्ट्रपति जी अपनी पार्टी का और उनके Founder पूर्व राष्ट्रपति जी का उल्लेख कर रहे थे. उनके सुपुत्र भरत जगदेव जी जब राष्ट्रपति थे, तब मेरा काफी उनसे सतसंग हुआ था और गयाना के लोग किसी भी समाज के क्यों न हो, किसी भी भाषा को क्यों न बोलते हो, लेकिन जिस किसी को मिलो वे गयाना की आजादी में भारत की प्रेरणा का उल्लेख अवश्य करते हैं।

महात्मा गांधी 100 साल पहले South Africa से चले थे और मातृभूमि की सेवा का सपना लेकर भारत मां को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए मानवतावाद में विश्वास लेकर इस धरती पर आए थे। वो निकले थे South Africa से और आए थे हिंदुस्तान। आज South Africa भी हमारे बीच मौजूद है, जहां से गांधी लौटे थे। और African Congress और African National Congress का जन्म 8 जनवरी को हुआ था। आज 8 जनवरी है। आज ही का दिवस और तब उस समय महात्मा गांधी ने दीर्घदृष्टि से उस समय गांधीजी ने African National Congress के जन्म के समय विश्व पर को जो संदेश दिया था, उस संदेश में एक विश्वास झलकता था। उन्होने कहा था कि ये नवजागरण का, प्रेरणा बिंदू बनकर रहेगा। यह बात, उस समय, महात्मा गांधी ने कही थी।

आज भी मॉरिशस में 2 अक्टूबर मनाई जाती है, कभी हमारे यहां नहीं मनाई जाती होगी, ऐसी दो अक्टूबर आज भी मॉरिशस में मनाई जाती है। और मुझे सबके साथ मॉरिशस में सबके साथ दो अक्टूबर मनाने के लिए जाने का अवसर मिला था। और आज भी उनका जैसा उनके यहां जैसे हमारे महात्मा मंदिर इस प्रकार के कार्यक्रमों का केंद्र बना है, उनके यहां भी महात्मा गांधी के नाम से गांधी सभा गृह उनका सबसे बड़ा केंद्र बिंदु है। यानी कि हम देख सकते हैं कि कितना अपनापन है। आज शायद दुनिया के 70-80 ज्यादा देश होंगे, जहां पर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगी हुई है।

कुछ दिन पहले में ऑस्ट्रेलिया गया था, वहां भी मुझे सौभाग्य मिला महात्मा गांधी के प्रतिमा के अनावरण का। कहने का तात्पर्य यह है कि इस "विश्व मानव" की पहचान, इस "युग पुरुष" की पहचान, विश्व को जितनी ज्यादा होगी और समय रहते होगी, कभी-कभी उलझनों में घिरी इस दुनिया को वैचारिक स्वतंत्रता का संदेश देने की क्षमता आज भी गांधी रखते हैं। आज भी गांधी के विचार विश्व को, और खास करके मानवतावाद को केंद्र में रखकर समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, विकास की राह कैसे सरल हो सकती है, आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति की जिंदगी में बदलाव कैसे आ सकता है - शायद गांधी से बढ़कर के चिंतन कहीं नहीं है।

और हम सबका गर्व है, हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि महात्मा गांधी विदेश की उस सारी दुनिया को अलविदा करके हमारे गांव और गरीब लोगों के लिए खप गए थे। और तभी तो आज इतिहास हर पल उन्हें स्मरण कर रहा है।

हमारे देश के लोग जो बाहर गए – अगर आप गयाना जाएंगे, भाषा बोलना तो कठिन है हमारे लोगों को, लेकिन होली अगर आप देखोगे गयाना की, तो वैसी ही रंगों में रंग जाते हैं जैसे हिंदुस्तान की धरती पर हम रंग जाते हैं। जब दीवाली मनाते हैं तो आप को लगेगा कि क्या दीये जगमगाते हैं, ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान में रहने वाले हिन्दुस्तानियों को गुयाना में जलता हुआ दीप हमें प्रेरणा देने की ताक़त रखता है। ये हमारे लोगों ने विरासतें खड़ी की हैं, एक ताक़त कड़ी की है. और इसी ताकत को एक सकारात्मक काम के लिए इस्तेमाल करना, इस सामर्थ्य को विश्व में सार्थक पहचान कराने का वक्त आ चुका है। अब हम बिखरे-बिखरे, एक अकेले, किसी देश के एक कोने में - भले ही एक हिंदुस्तानी वहां अकेला होगा, लेकिन उसके साथ पूरा हिंदुस्तान जिन्दा है।

एक नई ज़िम्मेदारी मिलने के बाद, मुझे विश्व के 50 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, बातचीत करने का मौका मिला है और इतने कम समय में इतनी बड़ी मात्रा में, करीब-करीब विश्व के सभी देशों के अध्यक्षों से मिलना और उनके साथ जो बातचीत हुई, खुले मन से बात हुई है। उन बातों से लगता है, दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश हो तब भी और दुनिया का गरीब से गरीब देश हो तब भी.... हर किसी की नजर हिंदुस्तान पर है। हर एक को लगता है कि हम जहां जाना चाहते हैं, शायद भारत के साथ कदम मिलाकर के हम चल सकते हैं। हर कोई अपनी एकाध-एकाध चीज के साथ भारत को जोड़कर के देख रहा है। ऐेसे अवसर बहुत कम आते हैं। अब हम हिंदुस्तान के लोग जो विदेशों में बसे हुए हैं, ये उनका कर्तव्य बनता है कि वे इस अवसर को मानव जाति के कल्याण की दृष्टि से और भारत की उत्कर्षता की दृष्टि हम काम में कैसे लगाएं? और मैं मानता हूं आज हर भारतीय एक शक्ति के रूप में वहां विराजित है। वो अगर संगठित शक्ति बनती है, अगर वे अपने आप में एक Driving force बनती है, तो हम अनेक नए परिणामों को प्राप्त कर सकते हैं।

विश्व में भारतीयों के प्रति जो आदर है, जो लगाव है, उसका कारण वहां रहने वाले भारतीयों के पास विपुल मात्रा में कोई सपंदा है, वो नहीं है। जिन मूल्यों को लेकर के वो जी रहे हैं, जिन सांस्कृतिक विरासत का वो प्रतिनिधित्व कर रहा है। और इसका परिणाम है आज दुनिया में किसी भी देश में वहां के नागरिक को जब पता चले कि हमारे पड़ोस वाले घर में कोई भारतीय परिवार रहने के लिए आने वाला है, तो सबसे ज्यादा खुशी उसको होती है कि “वाह बहुत अच्छा हो गया, हमारे बगल में भारतीय पड़ोसी आ गया है। हमारे बच्चों के विकास में बहुत काम आएगा।“

क्यों? क्योंकि Family values उसमें अपने आप सीख जाएगा। दुनिया के किसी भी देश में भारतीय को ये अनुभव नहीं आता है। नहीं-नहीं भाई हमारे मौहल्ले में नहीं, हमारी गली में नहीं, हमारी सोसायटी में नहीं, ऐसा कभी अनुभव नहीं आता है। ये कौनसी ताकत है? ये अपनापन, लगाव, दुनिया हमें स्वागत करने के लिए बांह फैलाकर के खड़ी रहती है उसका कारण क्या है? ये हमारे मूल्य हैं, हमारी सांस्कृति है, ये हमारे संस्कार हैं, हमारी इस विरासत को हम जी रहे हैं, उसी की वजह तो हो रहा है। और इसलिए हमारी ये जो बदौलत है उस बदौलत को हम कैसे आगे लेकर के जाएं। उस दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए।

कभी-कभार लोगों को लगता है कि भई अब हम बाहर रहते हैं, सालों से चले गए, हम क्या कर सकते हैं? मैं समझता हूं ऐसा सोचने की जरूरत नहीं है। कोई एक-दो महीने पहले की घटना है मुझे किसी ने अखबार की एक कटिंग भेजी थी, Xerox भेजी थी उसकी और बड़ा Interesting था। मैं नाम वगैरह तो भूल गया। सूरत जिले में कोई एक NRI अपने गांव आते थे, हर साल आते थे। जब अपने गांव आते थे 15 दिन, महीना-दो महीना जितना दिन भी रुकते थे। वे सुबह झाड़ू लेकर के गांव की सफाई किया करते थे, गांव की गलियों में जाते थे कूड़ा-कचरा साफ किया करते थे और गांव वाले उनकी बड़ी मजाक उड़ाते थे। उनको लगता था इसका Screw ढीला हो गया है। सबको उनके प्रति बड़ी विचित्रता का भाव रहता था। लेकिन इस बार जब वो आए उन्होंने तो ये काम जब शुरू किया, वो तो पहले भी करते थे। अपने गांव में निकल पड़े, आते ही दुसरे दिन सुबह jetlag कुछ नहीं, बस वो ही काम। इस बार उन्होंने देखा पूरा गांव उनके साथ जुड़ गया था। और वो खबर मुझे किसी ने एक Press cutting भेजा था।

एक प्रवासी भारतीय मैं 100 साल पहले गांधी को देखता हूं – दुनिया को कैसे खड़ा कर दिया था। और एक छोटा सा नागरिक जिसका नाम-पहचान कुछ नहीं है लेकिन Commitment के साथ उसने अपने गांव को कैसे बदल दिया। इसका उदाहरण ये कहता हूं मैं ये। ऐसे तो एक हैं, अनेकों होंगे, अनेकों होंगे। जिन्होंने अपनी शक्ति, बुद्धि, समझ को रहते मां भारती की सेवा को लगाने का प्रयास किया होगा। और ये ही तो है हमारी ताकत।

आप देखिए दुनिया भारत को कितना प्यार कर रही है उसका उदाहरण देखिए। मुझे पहली बार UN में जाने का अवसर मिला। वहां मुझे भारत की तरफ से बोलना था तो बोलते-बोलते मैंने एक बात कही कि United Nation अनेक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है। Children day मनाता है, Women day मनाता है, Non-violence day मनाता है। क्यों न विश्व Yoga day मनाएं? अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कैसे मनें, ये मैंने वहां प्रस्ताव रखा और United Nation के इतिहास की एक अद्भुत घटना घटी। 193 Countries है UN के Member. Out of 193 Countries 177 Countries ने Co-sponsor के नाते उस प्रस्ताव का समर्थन किया। इतना ही नहीं इस प्रकार के प्रस्तावों में आज तक जितना समर्थन मिला है ये Record breaking है। किसी भी प्रस्ताव को कभी भी इतने सारे देशों ने समर्थन किया ऐसा कभी नहीं हुआ। 40 से अधिक मुस्लिम Countries ने समर्थन किया। सामान्य रूप से इस प्रकार का प्रस्ताव पारित होने में उसकी प्रक्रिया बड़ी विशेष होने के कारण करीब-करीब दो साल लग जाते हैं। इस प्रस्ताव को पारित होने में मुश्किल से 100 दिन लगे। मैं इस चीज को विस्तार से इसलिए कह रहा हूं कि विश्व भारत को किस प्रकार से गले लगाने को तैयार है, ये उसकी एक छोटी सी झलक है।

इससे हम अंदाजा कर सकते हैं कि दुनिया हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बैठी है और विश्व हमें स्वीकार करने के लिए सज्य बना है तब ये हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने आप को विश्व की अपेक्षा के अनुसार अधिक सजग करें, अधिक सामर्थ्यवान बनाएं। दुनिया को देने के लिए हमारे पास क्या नहीं है? अगर आवश्यकता है, तो हमारे भीतर एक विश्वास की आवश्यकता है, अपने पर भरोसे की आवश्यकता है, और आखिरकार महात्मा गांधी ने आजादी दिलाई तो इसी मंत्र से दिलाई थी कि उन्होंने हर हिंदुस्तानी के दिल में आजादी की आग भर दी थी, आत्मविश्वास भर दिया था और झाड़ू लगाए तो भी आजादी के लिए करता हूं, बच्चों को पढ़ाएं तो भी आजादी के लिेए करता हूं, खादी पहने तो भी आजादी के लिए कर रहा हूं, सेवा का कोई प्रकल्प करें तो भी मैं आजादी के लिए कर रहा हूं। ऐसा एक जनांदोलन खड़ा कर दिया था।

हम भी - इस मानवतावाद की आज सबसे बड़ी ज़रूरत है तब - इन्हीं आदर्शों को लेकर के विश्व के सामने भारत एक आशा की किरण लेकर के बैठा है तब - अपने आप को सज्य करने का प्रयास हमारे लिए बहुत बड़ी आवश्यकता है।

ये प्रवासी भारतीय दिवस, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब 2003 में प्रारंभ हुआ और निरंतर चल रहा है। लेकिन बीच में थोड़ा-थोड़ा, आप लोगों का आने का मन नहीं करता था, बहुत कम लोग आते थे, कुछ लोग इसलिए आते थे कि आना पड़ता था। कुछ लोग इसलिए आते थे कि आए बिना रह नहीं सकते थे। लेकिन मैं हर बार आता था। और शायद केरल में जब हुआ था एक बार, तब मैं रूबरू तो नहीं जा पाया था तब मैंने Video Conferencing से प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लिया था। मैं समय इसलिए देता था, मैं जाने के लिए इसलिए उत्सुक रहता था, कि मैं Conviction से मानता हूं कि विश्व भर में फैला हुआ जो हिंदुस्तानी नागरिक है, वो आज के वैश्विक परिवेश में भारत की बहुत बड़ी ताकत है, भारत की पूंजी है। और इस पर हम जितना ध्यान देंगे, हम आसानी से विश्व फलक पर अपनी जगह बना सकते हैं।

और इसलिए, जिस प्रकार से विश्व में रहने वाले भारतीयों के साथ भारत का नाता महत्वपूर्ण है, उतना ही भारत के लिए, विश्व में रहने वाले भारतीयों के प्रति, नाभि का नाता उतना ही जरूरी है। ये one way नहीं है। ये दो तरफा है। और इस दो तरफा को बल देने का हमारा प्रयास है।

विश्व में रहने वाला हमारा हिंदुस्तानी, एक बात मैंने बराबर देखी है कि भारत में अगर कोई भी पीड़ादायक घटना हुई हो, कोई हादसा हुआ हो - हो सकता हो सालों से हिंदुस्तान छोड़कर गया हो, भाषा भी मालूम न हो, घटना घटी हो, भौगोलिक रूप से वो कहां है, वो भी मालूम न हो लेकिन हिंदुस्तान में हुआ है - इतना कान पर पड़ते ही या टीवी पर आंख से देखते ही दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले आंख में से आंसू टपकते हैं। उसको उतना ही दर्द होता है, जितना दर्द हिंदुस्तान में जो इस घटना को अनुभव कर रहा है, उसको पीड़ा होती है, उतनी ही मेरे देशवासी जो दुनिया में बसे हैं, उनको पीड़ा होती है।

मुझे याद है जब गुजरात में कच्छ का भूकंप आया था, विश्व का कोई हिंदुस्तानी ऐसा नहीं होगा, जिसने उस समय गुजरात के आंसू पोंछने का प्रयास न किया हो। ये विश्व भर में फैला हुआ हमारा भाई - जिसको हिंदुस्तान के प्रति इस प्रकार का लगाव है, इस प्रकार का नाता है। यहां के दुख के लिए दुखी, यहां के सुख के लिए सुखी। जब मंगलयान की सफलता हुई, Mars orbit पर हम लोग पहुंचे, पहले प्रयास में पहुंचे। सिर्फ हिंदुस्तान नाचा था, नहीं, दुनिया भर में पहुंचा हुआ हिंदुस्तानी भी नाचा था। उसके लिए गर्व की बात थी कि मेरा देश ये प्रगति कर रहा है। इस ताकत को हम कैसे आगे बढ़ाएं, उस दिशा में हम सोच रहे हैं।

मैं जानता हूं जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था, प्रधानमंत्री भी नहीं था, तब भी मैं विश्व के कई लोगों से मिलता था तो मैं उनकी शिकायतें भी जरा सुनता रहता था। तब मैं देखता था कि भरी शिकायतें रहती थीं। हमने आने के बाद कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की थीं। जब मैं विदेश प्रवास पर था तो चाहे ऑस्ट्रेलिया हूं, चाहे फिजी रहा, चाहे अमेरिका गया। जो बातें मैंने बताई थीं कि हम ये करेंगे। आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब देता हूं कि हमने जो कहा था वो सब पूरा कर दिया है। हमने कहा था कि PIO card holder को आजीवन वीजा दिया जाएगा - वो काम हो चुका है। अब आपको Embassy के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरी एक समस्या थी - वो क्यों थी वो अभी भी मेरी समझ मैं नहीं आता है - जो PIO card holder थे और भारत में आकर के रहते थे, उनको हर सप्ताह पुलिस स्टेशन जाना पड़ता था। कुछ सिखाने के लिए नहीं - हाजिरी लगानी पड़ती थी। और मैं जब ये सुनता था तो मैं सोचता था कि क्यों ये सब हो रहा है? लेकिन जब ये काम करने की जिम्मेवारी मेरी आई, ये नियम अब समाप्त कर दिया गया है। ये एक स्वाभिमान का विषय है, सम्मान का विषय है, ये सिर्फ कोई Administrative decision के रूप में न देखा जाए। आज सरकार में बैठे हुए लोगों के लिए आपके सम्मान का महत्व क्या है, वो इस निर्णय में दिखाई देता है।

एक मैंने कहा था क्योंकि कईयों ने मुझे कहा था कि ये PIO अलग OCI अलग क्यों - ये हमारे साथ भेद-भाव क्यों? तो मैंने हमारे अफसरों से पूछा, गोलमोल-गोलमोल जवाब आते रहते थे। आगे का मैंने कहा, जो होगा, सो होगा कर दो एक बार। अब हमने घोषणा तो कर दी। जब हम यहां आये तो सारा कानून बदलना था, बड़ी लंबी प्रक्रिया थी। खैर उस प्रक्रिया से भी हम निकल चुके हैं, और आज मैं गर्व के साथ आपको हिसाब दे सकता हूं कि अब PIO और OCI card दोनों व्यवस्थाओं को merge कर दिया गया है और सबको एक ही प्रकार की सुविधाएं मिल पाएंगी।

उसी प्रकार से - Visa on Arrival। आप जानते हैं, आपको क्या-क्या तकलीफें झेलनी पढ़ी हैं भूतकाल में। मैं जानता हूं। और इसलिए अब Visa on Arrival। इसलिए अब Visa on Arrival। आपके लिए ये सुविधा कर दी गई है। करीब दुनिया के 43 Countries को इसका benefit already हमने कर दिया है। उसी प्रकार से Electronic travel authorization - ये व्यवस्था भी कर दी है ताकि Online Correspondence से भी आप ये काम कर सकते हैं। आपका समय सबसे ज्यादा बचे और हमारी Embassy एक प्रकार से आपके लिए सर्वाधिक उपयोगी हो उस दिशा के महत्वपूर्ण कदम इस सरकार ने already उठा लिए हैं।

दिल्ली में एक प्रवासी भारतीय केंद्र, उसकी स्थापना का निर्णय हुआ था। अब उसका भवन तैयार हो गया है। थोड़े ही दिनों में वो भी प्रारंभ हो जाएगा और मैं मानता हूं कि इसका लाभ आने वाले दिनों में सभी प्रवासी भारतीयों को मिलेगा।

कुछ लोगों को लगता है कि प्रवासी भारतीयों के साथ ये जो मेल-मिलाप है कुछ अपेक्षाओं से है। मैं समझता हूं कि ये अपेक्षाओं के लिए नहीं है। अपनों से मिलना, यही अपने आप में एक ताकत होती है। मिल-बैठकर के एक-दूसरे के सुख-दुख बांटना ये भी अपने आप में एक बहुत बड़ा ऊर्जा का केंद्र बन जाता है और इसलिए ये हमारा मेल-मिलाप उसकी अपनी एक विशेषता है - और अब तो युवा पीढ़ी जिनका जन्म ही वहां हुआ Second generation, Third generation है। वे युवक भी इन दिनों बहुत बड़ी मात्रा में शरीख होते हैं कयोंकि उनको भी भारत के लिए कुछ न कुछ करने की उमंग रहती है।

जिनके मन में कुछ करना है उनके लिए बहुत कुछ है। लेकिन हर चीज पाउंड और डॉलर से ही होती है, ये मानने की आवश्यकता नहीं है। मैंने ऐसे लोग देखे हैं, गुजरात में हम जब भूकंप के लिेए काम कर रहे थे, Canada से एक बच्ची आई थी उससे मैं मिला था, मुस्लिम परिवार से थी। उसका जन्म शायद African country में हुआ और बाद में उसका परिवार Canada में Shift हुआ था। उसके पिता ने, उसकी माता ने कभी हिंदुस्तान देखा नहीं था लेकिन कच्छ के भूक्ंप के बाद वो आई, कच्छ में रही और महीनों तक उसने कच्छ में काम किया था। ये ताकत जो है, इसको हमने समझने की आवश्यकता है।

हमारे पास ज्ञान है, हमारे पास अनुभव है, हमारे पास एक विशिष्ट परिस्थिति में काम करने का Exposure है, हम एक अलग प्रकार के Discipline से गुजरे हुए लोग हैं। ये वो चीजें हैं जो हम अपने यहां Inject कर सकते हैं, इसको ला सकते हैं। और यहां रहकर के, कुछ समय अपने लोगों के साथ कुछ समय बिताकर के हम इन चीजों को कर सकते हैं। और ये भी देश की बहुत बड़ी सेवा होती है।

इन दिनों स्वच्छ भारत का एक अभियान चलाया है। लेकिन एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण काम, जो मैं जानता हूं कि आप सब के दिलों में भी वो उतनी ही ताकत रखता है। आप के दिलों को भी छूने के लिए उस बात में उतना ही सामर्थ्य है। और वो है मां गंगा की सफाई। आप इस प्रकार की Technology से परिचित हैं, आप इस तरह के काम से परिचित हैं। एक नमामी गंगे फंड create भी किया गया है कि दुनिया के जो भी लोग गंगा के अंदर अपना योगदान चाहते हैं वो आर्थिक मदद करना चाहते हैं वो दे सकते हैं, जो आकर के समय देना चाहते हैं वो दे सकते हैं। जो ज्ञान परोसना चाहते हैं वो ज्ञान दे सकते हैं, जो Technology लाना चाहते हैं वो Technology ला सकते हैं। एक प्रकार से विश्व भर में फैले हुए समाज जिसके मन में गंगा के प्रति और गंगा की क्या ताकत है।।। पूरे मॉरिशस को कोई एक जगह जोड़ती है, कोई एक जगह आंदोलित करती है तो मॉरिशस का गंगा सागर है। तालाब तो मॉरिशस के लोगों ने खुद बनाया है, तालाब है, लेकिन गंगा जी से लेकर के वहां जाकर जल डाला है। जल तो थोड़ा ही डाला लेकिन उन्होंने उसमें से एक भाव जब पैदा किया कि ये गंगा का प्रतिनिधित्व करती है और आज भी शिवरात्रि का मेले देखो तो पूरे मॉरिशस के मूल भारतीयों को जोड़ने का कोई एक जगह है तो वो गंगा सागर है। हिंदुस्तान से दूर गंगा नाम से बना हुआ एक तालाब भी पूरे मॉरिशस को सांस्कृतिक विरासत को जगाने की प्रेरणा दे सकता है और जब शौकत अली जी को सुनोगे तो आपक पता चलेगा किस प्रकार से उसने वहां के जीवन को बदला है। यो मां गंगा है - ढाई-तीन हजार किलोमीटर लंबी, हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत जनसंख्या जिसके साथ सीधी-सीधी जुड़ी हुई है - और मेरे लिए गंगा की सफाई जिस प्रकार से Environment का विषय है, गंगा की सफाई श्रृद्धा का विषय है, गंगा की सफाई सांस्कृतिक विरासत का विषय है, उसी प्रकार से गंगा की सफाई उन 40 प्रतिशत उस भू-भाग में रहने वाले भाईयों-बहनों की आर्थिक उन्नति का बी प्रतीक बन सकता है और इसलिए उस काम को हमें करना है और जिन राज्यों से मां गंगा गुजरती है। वहां पर आर्थिक उन्नति के लिए हम जितना करे उतना कम है। चाहे उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, झारखंड हो, उत्तराखंड हो, पश्चिम बंगाल हो - ये सारा इलाका है, जहां पर आर्थिक उन्नति की बहुत संभावनाएं पड़ी और उन संभावनाओं को तराशने के लिए मां गंगा एक बहुत बड़ा केंद्र बिंदू बन सकती है। गंगा के किनारे पर विकास हो सकता है, 120 से ज्यादा शहर हैं गंगा के किनारे पर, छह हजार से ज्यादा गांव हैं, ढाई हजार किलोमीटर लंबा है और काशी जैसा तीर्थ क्षेत्र हो, हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, यमुनोत्री हो क्या कुछ नहीं है!

इस विरासत को लेकर कर हम आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं आपको निमंत्रण देता हूं। आइए। आपका ज्ञान, बुद्धि, सामर्थ्य जो कुछ भी हो इसके साथ जुडि़ए। जो Environment में विश्वास करते हैं उनके लिए भी वहां भरपूर काम है, जो Inclusive growth में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Rural development में विश्वास करते हैं, उनके लिए वहां भरपूर काम है, जो Adventure चाहते हैं उनके लिए भी भरपूर काम है।

मां गंगा सबको समेटे हुए हैं, मां गंगा से जुडऩे का अवसर मतलब है हजारों साल से पुरानी संस्कृति से जुडने का अवसर। इस अवसर को हम लें, और उसी का उपयोग करें, यह मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ। आज भारत विकास यात्रा पर कहां से कहां पहंच रहा है, उसके लिए आपका समय नहीं लेना चाहता। क्योंकि 11 तारीख को मैं एक दुसरे अवसर पर फिरसे इस सभाग्रह में आ रहा हूँ। उस समय काफी विस्तार से बातें करनी होंगी क्योंकि आर्थिक विषयों से जुड़ा हुआ वह कार्यक्रम है लेकिन मैं चाहता हूं कि आपकी शक्ति और सामर्थ्य, हमारे यहां शास्त्रों में एक बहुत ही बढ़िया श्लोक विदेश में रहने वाले लोगों के लिए है, बहुत अच्छा है। मैं उसका ज़िक्र यहाँ करना चाहता हूँ। शास्त्र कहते हैं:

यस्तु संचरते देशान् सेवते यस्तु पण्डितान् | तस्य विस्तारिता बुधिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ||

उसका सीधा meaning यह है, कि जो विश्व में भ्रमण करता है, वो इतना ज्ञान और अनुभव अर्जित करता है, और वो ज्ञान-अनुभव इतना पैना होता है, इतना ताकतवर होता है, कि कितना ही गहरा समंदर क्यों न हो, पानी का कितना ही बड़ा सागर क्यों न हो, लेकिन उसपर एक तेल बिंदु पड़े, तो जिस प्रकार से वो उसपर प्रभावी होकर के फैल जाता है – यह विश्व भर में भ्रमण करके पाया हुआ ज्ञान भी उतना ही ताक़तवर होता है, यह मन्त्र कह रहा है। और वो ताक़त के धनी आप हैं। वो ताक़त के धनी आप हैं।

उस ताक़त का उपयोग, माँ भारती की सेवा के लिए कैसे लगे, आने वाले दिनों में, भारत जो विकास की ऊचाइयों को पार कर रहा है, आप भी उसके साथ जुड़िये, इस महान सांस्कृतिक विरासत से विश्व को परिचित कराइए, और जिस मन्त्र को लेकर के, हमारे पूर्वजों ने कल्पना की थी – हम ही तो लोग थे, जिन्होंने पहली बार विशवास से कहा था: “वसुधैव कुतुम्भकम”। The whole world is a family।

पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, वो हमारा DNA है। वो हमारी संस्कृति है। पूरे विश्व को जिसने परिवार माना है, उसका एक दायित्व बनता है कि मानवतावाद के विषय को लेकर के पूरे विश्व में हम एक ताक़त के साथ पहुंचें। फिर एक बार – Guyana के राष्ट्रपतिजी हमारे बीच आये, उनका स्वागत करता हूँ, उनका आभार व्यक्त करता हूँ। South Africa की विदेश मंत्रीजी हमारे बीच आयीं, उनका भी स्वागत करता हूँ, उनका अभिनन्दन करता हूँ। और Mauritius के उप-प्रधान मंत्रीजी हमारे बीच आये, मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ।

आज के अवसर पर, राष्ट्र्पिताजी के 100 साल पहले वापिस आने की ख़ुशी में भारत सरकार ने सौ रूपएका और दस रूपए का सिक्का आज हमें दिया है, और उसकी प्रकार से पोस्टल स्टाम्प भी आपके सामने रखा है। पोस्टल स्टाम्प, और ये सिक्के इतिहास की धरोहर बनते हैं। आज भी आपने देखा होगा, पुरातात्त्विक विभाग जो रहता है – Archaeological Department – वो इतिहास की कड़ी जोड़ने के लिए, पुराने coin जो मिलते हैं, वो उसकी सबसे बड़ी ताक़त होते हैं। उसके आधार पर वो तय करते हैं, कि 400 साल पहले कहाँ कौन सी currency थी, और वो currency 2000km दूर, सात समंदर पार, कहाँ-कहाँ पर दिखाई दी – उसके आधार पर 1000 साल पहले कैसा विश्व व्यापार था, किस प्रकार के सांस्कृतिक सम्बन्ध थे, ये सारी कड़ी जोड़ने में यह काम आता है। सिक्कों का महत्त्व आज भी उतना ही है, और विश्व में कई ऐसे लोग हैं, जो इस प्रेरणा को लेकर के चलते हैं।

मेरे मन में एक विचार है। विदेश में रहे हुए हमारे मित्र उस काम को अगर कर सकें तो ज्यादा अच्छा होगा। क्या हम इस प्रवासी भारतीय दिवस पर - विशेष योगदान करने वाले लोगों का तो हमें सम्मान करने का सौभाग्य मिलता है – जिन्होंने अपने-अपने, जो अपनी कर्म भूमि है, वहां भारत का झंडा ऊंचा रखने के लिए कुछ न कुछ योगदान किया होगा। लेकिन क्या भविष्य में, अगर विदेश की जो Young Team है, वो आगे आये तो।।। मैं इस कार्यक्रम को भारत के माध्यम से करना नहीं चाहता – बाहर के लोग करें तो मेरे मनन में विचार है – कि हम आज का जो Information Technology का युग है, Communication की नयी दुनिया है, उसका उपयोग करते हुए, “भारत को जानो” – ऐसी एक प्रति वर्ष एक Quiz Competition कर सकते हैं? Online Quiz Competition।

भारत के सम्बन्ध में ही सवाल हों। और भारत से बाहर रहने वाले लोग उसमें शरीक हों, उसमें हिस्सा लें। और उसमें जिसका नंबर आये, उनका सम्मान प्रवासी भारतीय दिवस में होता रहे, ताकि साल भर हमारी युवा पीढी को online जाकर के, Quiz Competition में जुड़ करके, ज्यादा से ज्यादा marks पाने का प्रयास हो, और पूरे विश्व में, भारत को जानने का एक बहुत बढ़ा आन्दोलन खड़ा हो जाए। उस दिशा में हम प्रयास कर सकते हैं।

मैं फिर एक बार आप सबको प्रवासी भारतीय दिवस पर बहुत बहुत शुभकामनायें देता हूँ। और पूज्य बापू ने, भारत आकर के, भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। और इतना ही नहीं, भारत के मानवतावाद का सन्देश था, उसे पूरे विश्व को पहुंचाया, ऐसे युगपुरुष के भारत आगमन का यह शताब्दी का पर्व हम मना रहे हैं। तब हम भी, जहां भी हों – नाभि से नाता जुडा रहे। मिट्टी से नाता जुडा रहे। अपनों के लिए कुछ न कुछ कर गुजरने का हौसला बुलंद बना रहे – इसी अपेक्षा के साथ, सबको बहुत बहुत शुभकामनायें।

धन्यवाद।

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January 06, 2025
The launch of rail infrastructure projects in Jammu-Kashmir, Telangana and Odisha will promote tourism and add to socio-economic development in these regions: PM
Today, the country is engaged in achieving the resolve of Viksit Bharat and for this, the development of Indian Railways is very important: PM
We are taking forward 4 key parameters for railway development in India: modernization of infrastructure, modern passenger facilities, nationwide connectivity, and creating jobs: PM
Today India is close to 100 percent electrification of railway lines, We have also continuously expanded the reach of railways: PM

Namaskar!

Telangana Governor Shri Jishnu Dev Varma Ji, Odisha Governor Shri Hari Babu Ji, Lieutenant Governor of Jammu & Kashmir Shri Manoj Sinha Ji, Chief Minister of Jammu & Kashmir Shri Omar Abdullah Ji, Chief Minister of Telangana Shri Revanth Reddy Ji, Chief Minister of Odisha Shri Mohan Charan Majhi Ji, my cabinet colleagues —Shri Ashwini Vaishnaw Ji, Shri G Kishan Reddy Ji, Dr Jitendra Singh Ji, Shri V Somaiya Ji, Shri Ravneet Singh Bittu Ji, Shri Bandi Sanjay Kumar Ji, other Ministers, Members of Parliament, Members of Legislative Assemblies, distinguished guests, ladies, and gentlemen!

Today marks the birth anniversary of Guru Gobind Singh Ji. His teachings and exemplary life continue to inspire us to work towards building a prosperous and strong Bharat. I extend my heartfelt wishes to everyone on this auspicious occasion.

Friends,

Bharat has been maintaining a remarkable pace of progress in connectivity since the start of 2025. Just yesterday, I had the privilege of experiencing the Namo Bharat Train in Delhi-NCR and inaugurating significant projects of the Delhi Metro. Yesterday, Bharat achieved an extraordinary milestone—our country’s metro network now spans over a thousand kilometres. Today, projects worth several crores of rupees have been inaugurated, and foundation stones for future developments have been laid. From Jammu and Kashmir in the north to Odisha in the east and Telangana in the south, today is a significant day for ‘new-age connectivity’ across a large portion of the nation. The commencement of modern developmental projects in these three states symbolises the unified progress of the entire country. The mantra of 'Sabka Saath, Sabka Vikas' is instilling confidence and bringing to life the vision of a Viksit Bharat (developed India). On this occasion, I congratulate the people of these three states and all Indians on the launch of these projects. Incidentally, today is also the birthday of Odisha's Chief Minister, Shri Mohan Charan Majhi Ji. On behalf of everyone, I extend my warmest wishes to him as well.

Friends,

Our country is steadfast in its efforts to fulfil the vision of a Viksit Bharat. The development of Indian Railways is central to achieving this goal. Over the past decade, Indian Railways has undergone a historic transformation. The progress in railway infrastructure has been extraordinary, altering the nation’s image and significantly boosting the morale of its citizens.

Friends,

We are advancing the development of Indian Railways on four key parameters. First, the modernisation of railway infrastructure; second, the provision of modern facilities for passengers; third, the expansion of railway connectivity to every corner of the country; and fourth, the creation of employment opportunities and support for industries through railways. Today’s programme is a testament to this vision. The establishment of new divisions and railway terminals will significantly contribute to transforming Indian Railways into a modern 21st-century network. These developments will foster an ecosystem of economic prosperity, enhance railway operations, generate more investment opportunities, and create new jobs.

Friends,

In 2014, we embarked on a journey to modernise Indian Railways. Facilities like the Vande Bharat trains, Amrit Bharat stations, and Namo Bharat Rail have set new benchmarks for Indian Railways. Aspirational India today seeks to accomplish more in less time. People now wish to undertake even long-distance journeys swiftly, leading to a growing demand for high-speed trains across the country. Currently, Vande Bharat trains operate on more than 50 routes, with 136 services offering passengers a pleasant travel experience. Just a few days ago, I saw a video showcasing the new sleeper version of the Vande Bharat train running at a speed of 180 kilometres per hour during its trial run. Such milestones fill every Indian with pride. These achievements are just the beginning, and it won’t be long before Bharat witnesses the operation of its first bullet train.

Friends,

Our goal is to make travelling by Indian Railways a memorable experience, from the departure station to the final destination. To this end, over 1,300 Amrit stations across the country are undergoing renovations. Rail connectivity has also seen remarkable growth in the past decade. In 2014, only 35% of the rail lines in the country were electrified. Today, Bharat is on the brink of achieving nearly 100% electrification of rail lines. Additionally, we have significantly extended the reach of railways. Over the last 10 years, more than 30,000 kilometres of new railway tracks have been laid, and hundreds of road overbridges and underbridges have been constructed. Unmanned crossings on broad gauge lines have been completely eliminated, reducing accidents and enhancing passenger safety. Furthermore, the development of modern rail networks, such as dedicated freight corridors, is progressing rapidly. These special corridors will reduce the burden on regular tracks, creating more opportunities for high-speed train operations.

Friends,

The ongoing transformation of Indian Railways is also driving employment opportunities. The promotion of Made-in-India initiatives, the production of modern coaches for metro and railways, the redevelopment of stations, the installation of solar panels, and the implementation of initiatives like 'One Station, One Product' are creating lakhs of new jobs. Over the last decade, lakhs of young people have secured permanent government jobs in the railways. It’s important to remember that the raw materials for manufacturing new train coaches come from other factories, and the increasing demand in these industries also translates to more job opportunities. To further strengthen railway-specific skills, Bharat has established its first Gati Shakti University, a significant step in this direction.

Friends,

As the railway network expands, new headquarters and divisions are being established accordingly. The Jammu division will benefit not only Jammu and Kashmir but also several cities in Himachal Pradesh and Punjab. Additionally, it will provide greater convenience to the people of Leh-Ladakh.

Friends,

Jammu and Kashmir is achieving remarkable milestones in rail infrastructure. The Udhampur-Srinagar-Baramulla rail line is being widely discussed across the country. This project will significantly enhance Jammu and Kashmir's connectivity with the rest of India. As part of this initiative, the world’s tallest railway arch bridge, the Chenab Bridge, has been completed. Moreover, the Anji Khad Bridge, Bharat's first cable-stayed rail bridge, is also a part of this project. Both of these are unparalleled feats of engineering, poised to bring economic progress and prosperity to the region.

Friends,

With the blessings of Lord Jagannath, Odisha is endowed with abundant natural resources and an extensive coastline, presenting immense potential for international trade. Currently, several projects focused on new railway tracks are underway in Odisha, with investments exceeding ₹70,000 crore. Seven Gati Shakti cargo terminals have already been inaugurated in the state, fostering trade and industrial growth. Today, the foundation stone for the Rayagada Railway Division has also been laid in Odisha, which will further enhance the state’s railway infrastructure. This development will boost tourism, trade, and employment opportunities in Odisha. Specifically, South Odisha, home to a significant tribal population, will benefit immensely. Through initiatives like the JANMAN Yojana, we are focusing on developing the most backward tribal regions, and this infrastructure will serve as a boon for them.

Friends,

I am honoured today to inaugurate Telangana's Cherlapalli New Terminal Station. Connecting this station to the Outer Ring Road will accelerate the region’s development. The station is equipped with modern amenities, including advanced platforms, lifts, and escalators. A noteworthy aspect is that the station operates on solar energy. This new railway terminal will significantly alleviate the burden on existing city terminals such as Secunderabad, Hyderabad, and Kachiguda, making travel more convenient for passengers. This initiative not only enhances ease of living but also promotes ease of doing business.

Friends,

Today, significant efforts are underway to develop modern infrastructure across the country. Bharat's expressways, waterways, and metro networks are expanding at an unprecedented pace. The country's airports now provide world-class facilities. In 2014, there were only 74 airports in Bharat, but that number has now more than doubled to over 150. Similarly, in 2014, metro services were available in just five cities; today, they operate in 21 cities. To match this remarkable scale and speed of development, Indian Railways is also undergoing continuous modernisation.

Friends,

All these development initiatives are integral to the roadmap for a Viksit Bharat, a mission that has become the collective aspiration of every citizen. I am confident that together we will accelerate progress on this path even further. Once again, I extend my heartfelt congratulations to all the countrymen for these achievements.

Thank you very much.