QuotePM Modi inaugurates Medical College at Vadnagar, Gujarat
Quote PM Modi launches Mission Intensified Indradhanush, stresses on vitality of vaccination
Quote Prices of stents have been brought down, we are constantly making efforts to so that healthcare becomes affordable for the poor: PM
QuoteWith Intensified Mission Indradhanush, we want to ensure better and healthy future for children: PM Modi

मंच पर विराजमान गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान विजय भाई रूपाणी, केंद्र सरकार में हमारा साथी आरोग्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, नीतीन भाई पटेल, आंनदीबेन, विधानसभा अध्यक्ष रमन भाई, केन्द्र सरकार में मंत्री श्री हरि भाई चौधरी, राज्य में मंत्री श्री दिलीप कुमार ठाकुर, श्री शंकर भाई चौधरी, श्री भरत सिंह रवि, भाई भुवनेश मोदी, सांसद जय श्रीबेन, भाई श्री रजनीकांत पटेल, भाई श्री रुचिकेश पटेल, विशाल संख्या में पधारे हुए माताओं बहनों और युवान मित्रों।

एक बार भारत की सेना के अध्यक्ष जनरल करियप्पा कर्नाटक के अपने गांव में गए थे। और तब उन्होंने एक भाषण किया था। उन्होंने कहा था क्योंकि वो सेना के मुखिया थे, दुनिया में जहां जाते थे, उनका भव्य स्वागत सम्मान होता था, लाखों फौजी उनको सलाम करते थे। लेकिन उन्होंने जब अपने गांव गए तो जनरल करियप्पा ने कहा था कि दुनिया में मुझे बहुत स्वागत औऱ सम्मान मिला है। लाखों सिपाहियों ने मुझे सलाम किए हैं लेकिन अपने गांव में, अपनों के बीच में जब स्वागत सम्मान होता है तो उसकी अनुभूति कुछ और होती है, उसका आंनद कुछ और होता है। जिस प्रकार से इस पूरे इलाके के लोगों ने, विशेषकर वडनगर के लोगों ने मुझे अपार प्यार से भिंगो दिया है। मैं आज सर झुकाकर के आपको नमन करता हूं, इस धरती को नमन करता हूं। सार्वजनिक जीवन में, इतने वर्षो के बावजूद भी इतना प्यार, इतना दुलार। ये अपने आप में ह्रदय को छूने वाली घटना है।

आज मैं जो कुछ भी हूं। इसी मिट्टी के संस्कारों के कारण हूं। इसी मिट्टी में खेला हूं, आप ही बीच में पला बढ़ा हूं। आज जब मैं तारकेश्वर महादेव के दर्शन के लिए जा रहा था। रास्ते भर में पूरा नगर आशीर्वाद देने के लिए उमड़ पड़ा था। हर आयु के लोग, मैं दर्शन कर रहा था। बहुत परिचित चेहरे, मेरे सामने गुजर रहे थे, बचपन की यादें ताजा हो गई। बहुत पुराने दोस्तों को देखा, अब दांत भी नहीं बचे हैं। कुछ पुराने दोस्तों को देखा, हाथ में लकड़ी लेकरके चल रहे हैं। उन सारी पुरानी स्मृतियों को आज मैंने भलीभांति देखा, ह्रदय को एक गहरा आंनद हुआ। और आज मुझे, आज से 15-16 साल पहले जो ऊर्जा इस मिट्टी से मिलती थी। आज दोबारा वैसी ही नई ऊर्जा लेकर के आज मैं जा रहा हूं। ये आपके आशीर्वाद के दौलत, ये नई ऊर्जा लेकर के मैं जा रहा हूं। और देश के लिए और देश के लिए पहले से ज्यादा मेहनत करूंगा, पहले से ज्यादा पुरुषार्थ करूंगा। और आपने मुझे जो सिखाया है, आपने जो मुझे जो समझाया है, वो दिन ब दिन सर ऊंचा करता रहे, वैसे प्रयासों में कोई कमी नहीं रखूंगा। ये मेरे नगर वासियों का विश्वास दिलाता हूं।

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जब मैं मुख्यमंत्री बना। मैंने जब आरकोलॉजी डिपार्टमेंट से कहा, कुछ खुदाई करने चाहिए मेरे गांव में। कुछ काम शुरू हुआ। गांव में भी किसी को नाराजगी रहती थी। क्या खुदाई चल रही है, क्या निकाल रहा है मोदी। गड्ढे कर रहा है लेकिन लगातार पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार का आरकोलॉजी डिपार्टमेंट, गुजरात सरकार का आरकोलॉजी डिपार्टमेंट। ये लगातार काम करते रहे। आपको खुशी होगी कि ये पुरातत्व विभाग ने जो वडनगरी के जमीन के भीतर से जो खोज कर के निकाला है। आज न सिर्फ हिन्दुस्तान का बल्कि पूरे विश्व के पुरातत्वविदों के आकर्षण का केंद्र बना है। अभी दो चार चार दिन पहले मैं फ्रंट लाइन मैगजीन देख रहा था। उस फ्रंट लाइन मैगजीन ने वडनगर की उस पुरातत्व विरासत के विषय में एक विस्तार से आलेखन किया हुआ है, चीजें लिखी है। और पुरातत्व विभाग का कहना है कि हिन्दुस्तान में वडनगर इकलौता ऐसा नगर है कि जो पच्चीस सौ साल से, ढाई हजार वर्षों से लगातार एक जीवित नगर  रहा है, कभी न कभी यहां लोग रहे हैं। ये नगर किसी भी कालखंड में मृतप्राय नहीं हुआ। और मैंने खुदाई इसलिए करवाई थी कि ह्वेनसांग जो कि चाइनीज फिलोसफर यहां आए थे। उन्होंने जब भारत भ्रमण किया तो वह लंबे अर्स तक वडनगर में रूके थे। और ह्वेनसांग ने लिखा था कि वडनगर में सैकड़ों साल पहले भगवान बुद्ध के भिक्षुओं की शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था थी। और यहां दस हजार से ज्यादा बौद्ध भिक्षु का शिक्षा कार्यक्रम होता था।

चीन के राष्ट्रपति जब यहां आए थे। गुजरात में उनका स्वागत हुआ था। उन्होंने मुझे कहा था कि मेरा और तुम्हारा एक विशेष नाता रहा है। और जब मैं चीन गया तो चीन के राष्ट्रपति आमतौर पर बीजिंग में ही, आम तौर पर किसी देश का मुखिया आता है तो स्वागत सम्मान होता है। मुझे वो अपने गांव ले गए, स्यान में।  और वो पूरा समय मेरे साथ रहे। और उन्होंने मुझे बताया कि ह्वेनसांग जो चीनी फिलोसफर था जो वडनगर में रूका था, लंबे समय से उसने अध्ययन किया था और हिन्दुस्तान से जब वापिस लौटा तो ह्वेनसांग मेरे गांव में आकर रूका था। हिन्दुस्तान में मोदी के गांव में रूका और चीन में चीन के राष्ट्रपति शी के गांव में रूका था। और मुझे वो ह्वेनसांग ने जो बौद्धधर्म का बड़ा तीर्थस्थल बनाया, उसे दिखाने ले गए थे। उसे देखने के लिए अपने साथ ले गए। और ह्वेनसांग के हाथ से लिखी हुई नोट्स दिखाई। और खुद उन्होंने पढ़कर सुनाया और कहा देखो ये तुम्हारा वडनगर जो कि आनंदपुर के नाम से जाना जाता था। इसका वर्णन ह्वेनसांग ने किया है। उन्होंने वो पूरा वर्णन पढ़कर सुनाया। इंटरप्रेटर ने ट्रांसलेट करके हमको समझाया। ये नाता ऐतिहासिक विरासत के साथ धरती का है। अनुमान तो था कि वडनगर का पुराना नाम आनंदपुर था लेकिन सबूत उपलब्ध नहीं होते थे। ये जो पुरातत्व विभाग की खुदाई हुई। उससे मिलाया है कहां, यही वडनगर ढाई हजार साल पहले आनंदपुर के नाम से जाना जाता है। किसी भी वडनगरवासी के लिए बड़े गर्व की बात है। आने वाले दिनों में ये यात्रा के लिए, टूरिज्म के लिए बहुत बड़ा आकर्षण केंद्र बनेगा। तारंगा में जैनों के अवशेष हैं, बुद्ध के अवशेष हैं। देवनी मोरी में है, वडनगर में है। ये सारी चीजें, वर्ना लोगों की कल्पना ये थी कि बुद्ध सिर्फ पूर्वी हिन्दुस्तान में थे। लेकिन ये दिखाता है कि भगवान बुद्ध का प्रजेंस पश्चिम के हिन्दुस्तान में भी रहा करती थी, उनका प्रभाव यहां भी हुआ करता था। हम सब गर्व करते हैं कि ऐसी इस नगरी के लिए।

आज मुझे यहां आरोग्य संबंधित कई प्रकल्पों का लोकार्पण करने का अवसर मिला। और भी कई सारे प्रोजेक्ट का शिलान्यास करने का सौभाग्य मिला है, लोकार्पण करने का अवसर मिला है। लेकिन एक विशेष कार्यक्रम जिसका हमारे आरोग्य मंत्री नड्डा जी वर्णन कर रहे थे। हमारे देश में टीकाकरण 1985 से चल रहा है। लेकिन वह एक सरकारी के तौर पर चलता था। हमने इसको जन आंदोलन में परिवर्तन करने का प्रयास किया है। फिर एक बार इंद्रधनुष मूवमेंट को चलाया है। आने वाले चार महीने तक हर महीने सात दिन ये टीकाकरण का मूवमेंट चलेगा। जो बालक जो टीकाकरण से वंचित रह गए हैं। उनको खोज-खोजकरके टीकाकरण करवाया जाएगा। क्योंकि किसी घर के अंदर बालक अपाहिज न हो, गंभीर बीमारी का शिकार न हो, और गरीब मां-बाप बहुत बड़े आर्थिक बोझ का संकट बनना पड़े। इसके लिए इतना बड़ा अभियान चलाया है। मैं आज वडनगर की धरती से मैं देश के सभी लोगों को आह्वान करता हूं। ये इंद्रधनुष कार्यक्रम को अपना कार्यक्रम बनाइए। कभी रक्तदान करने से जितना आपको संतोष मिलता है। कभी चक्षु दान करने से आपको जितना संतोष मिलता है। कभी धन दौलत का दान करने से जितना पुण्य कमाते हैं, कभी श्रम दान करके पुण्य कमाते हैं। उससे भी ज्यादा, इंद्रधनुष के टीकाकरण के लिए बच्चों को खोजकरके, गरीब माताओं को समझाकरके आप टीकाकरण करवा दोगे, वो बच्चा बड़ा होगा। अगर स्वस्थ रहेगा तो उसके आशीर्वाद आपके खाते में जमा होंगे। और इसलिए और इसलिए एनसीसी कैडेट हो, स्कूल कॉलेज हो, एनएसएस कैडेट हो, एनजीओ हो, धार्मिक संस्थाएं हो, सबसे मेरा आह्वान है कि इस इंद्रधनुष को पूरे देश में, जिन जिलों में हम पीछे रह गए हैं, उनका चयन किया गया है। उन जिलों पर आप समय लगाएं, शक्ति लगाएं। और गरीब मां के बच्चों को सुरक्षा की गारंटी देने का एक महत्वपूर्ण काम, आप अपने हाथ से करें। यही आपसे अपेक्षा करता हूं। मैं वडनगर जनों से आग्रह करता हूं। इस टीकाकरण में, इस इंद्रधनुष में जिन जिलों का समावेश है। उसमें गुजरात के तीन जिले हैं। लेकिन मैं चाहता हूं, जहां भी मदद कर सकें, हमें मदद करनी चाहिए। हमारे डॉक्टर वसंत भाई पारिख, हमारे डॉक्टर द्वारका दास जोशी बिहार तक जाया करते थे नेत्र दान के लिए, नेत्र यज्ञ के लिए। ये इस धरती की विशेषता रही है। ये धरती के लोग, उस काम को आगे बढ़ाएंगे। ये मैं विश्वास करता हूं।

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आप हैरान होंगे।

हमारा देश कैसे चला है। जब अटल जी की सरकार थी। पंद्रह, अट्ठरह साल पहले, तब जाकरके हमारे देश में हेल्थ पॉलिसी बनी थी, आरोग्य की पॉलिसी बनी थी। उसके बाद दस साल तक एक ऐसी सरकार आई कि जिसको विकास के प्रति नफरत थी। लोगों के सुखाकारी के प्रति संवेदनशीलता नहीं थी। उसी का परिणाम हुआ हेल्थ पॉलिसी पंद्रह साल के बाद हमारी सरकार आने के बाद अब नई लाई गई है ताकि नए सिरे से हम इस बात को कर सकें। हमारे देश में मध्यम वर्ग का परिवार अगर ह्रदय रोग का ऑपरेशन करवाना चाहता था और स्टेंट लगवाना चाहता था। तो डेढ़ लाख, दो लाख रुपया खर्च होता था। मध्यम वर्गीय परिवार कहां से इतना पैसा लाएगा। हम सरकार में आए। मैंने कहा, जरा हिसाब लगाओ भाई। ये स्टेंट इतना महंगा क्यों है। खोजबीन चालू की। कीमत क्या होती है, टैक्सेस क्या लगते हैं। सारा निकाला। फिर उन उत्पादकों को बुलाया। इम्पोर्ट करने वालों को बुलाया। हमने कहा भाई। ये गरीब को लूटकरके इतने मुनाफा कमाओगे क्या। अगर ह्रदय रोग की बीमारी को सुनकर ही ह्रदय रोग हो जाता है। मध्यम वर्ग का आदमी इस बीमारी से कैसे बचेगा। सरकार ने बातचीत की। लगातार बातचीत की। मुझे खुशी है कि जो स्टेंट की कीमत डेढ़, दो-दो लाख रुपये होती थी, वो 30 प्रतिशत 40 प्रतिशत में गरीब और मध्यम परिवारों को मिलना शुरू हो गया है। दवाइयां महंगी हो रही थी। भारत सरकार ने जन औषधि केंद्र खोले। जेनरिक दवाई बेचने का अभियान अस्पतालों में शुरू किया। और जो दवाई सौ रुपए मिलती थी, वो आज अट्ठारह बीस रुपए में गरीब और मध्य वर्ग को दवाई मिल जाए। और दवाई उसी क्वालिटी की जैसी पहले थी, इसकी पूरी चिंता करने का काम, गरीब को आरोग्य की सुविधाएं मिले। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

मैंने देश के डॉक्टरों से आह्वान किया था। आप बहुत कमाते हैं, अच्छी सेवा भी करते हैं। सामाजिक जिम्मेवारी भी निभाते हैं। लेकिन आप हैं जिनको मैं एक काम और बताना चाहता हूं। मुझे खुशी है कि देश के लाखों डॉक्टरों ने उस बात को माना और अपील को स्वीकार किया। मैंने लाखों डॉक्टरों से प्रार्थना की थी। अगर आप गॉयनोलोजिस्ट डॉक्टर हैं। आप महीने की 9 तारीख अपने दवाखाने के बाहर बोर्ड लगा दीजिए कि कोई भी गरीब प्रसूता माता आएगी तो हर महीने की 9 तारीख को गरीब प्रसूता मां की मेडिकल चेकअप का काम, दवाई देने का काम मुफ्त करेंगे। मुझे खुशी है कि पिछले एक साल में अस्सी-पच्चासी लाख गरीब माताओं को डॉक्टरों ने मुफ्त में दवाई दी, उनकी जिंदगी में एक नया विश्वास पैदा करने का काम किया।

मैं आज भी सभी डॉक्टरों से आह्वान करता हूं, आगे आइए। साल में 12 दिन मुफ्त काम करना मुश्किल नहीं है। वो भी सिर्फ गरीब प्रसूता मां, अगर आपके दरवाजे पर आती है, हर महीने की 9 तारीख बिना पैसे लिए उस मां का इलाज कीजिए, उसका मार्गदर्शन कीजिए, बड़ी अस्पताल में जाने की जरूरत है। उसको बताइए ताकि माता मृत्यु न हो जाए, शिशु मृत्यु न हो जाए। गर्भवती मां की मृत्यु हमारे लिए चिंता का विषय है। पिछले तीन साल से जो अभियान चलाया है, उसका परिणाम ये है कि दुनिया में माता मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में जो कमी आई है, उसकी तुलना में भारत में तेज गति से कमी आ रही है। ये शुभ संकेत है। बहुत कुछ करना बाकी है। और हम उसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।

भाइयों बहनों।

जब हम स्वास्थ्य की चिंता करते हैं क्योंकि ये भी उतना ही जरूरी है। स्वास्थ्य की गारंटी डॉक्टरों के आधार पर नहीं है। स्वास्थ्य की गारंटी सिर्फ आपके अच्छे खान-पान पर नहीं है। स्वास्थ्य की गारंटी सफाई पर आधारित होती है। अगर स्वच्छता है, गंदगी नहीं है तो बीमारी आने की हिम्मत नहीं करती है। इसलिए मैंने देश में एक स्वच्छता का अभियान चलाया है। मैं गुजरात सरकार का अभिनंदन करता हूं कि गुजरात सरकार ने खुले में शौच से मुक्ति का एक आंदोलन चलाया। और आज पूरा गुजरात खुले में शौच से मुक्त हुआ है लेकिन इसके लिए और सतर्क रहना पड़ेगा। ये पुरानी आदत वापस आने में देर नहीं लगती है। अगर प्रयत्न पूर्वक कोशिश करेंगे तो इस बीमारी से अपने आपको बचा सकेंगे। अभी यूनिसेफ का कहना है कि अगर स्वच्छता है तो एक गरीब का सालाना पचास हजार रुपया बीमारी के पीछे खर्च होने से बच जाता है। गरीब के घर में अगर एक बीमार हो जाता है। पूरा घर का कारोबार बंद हो जाता है। अस्पताल के चक्कर काटना पड़ता है। नए खर्च करने पड़ते हैं, आय बंद हो जाती है। अगर गरीब को स्वास्थ्य की सुविधा देने की पहली गारंटी है, हम सफाई पर बल दें, स्वच्छता पर बल दें। और इसलिए भारत में स्वच्छता का एक अभियान हमलोग चला रहे हैं। और उसका भी परिणाम अच्छे तरीके से आने वाले दिनों में मिलने वाला है।

आज मुझे वडनगर में मेडिकल कॉलेज के लोकार्पण का भी मौका मिला। हमारे देश में पहले की सरकारों के पता नहीं ऐसे नियम बने थे कि बहुत ही कम विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में जा सकते हैं। हमने बीड़ा उठाया है कि हमारे कार्यकाल में दो, तीन या चार लोकसभा क्षेत्र के बीच में एक मेडिकल कॉलेज पूरे देश में निर्माण करना है। मेडिकल कॉलेज के लिए प्रोफेसर चाहिए। और इस साल हमने पोस्ट ग्रेजुएशन में छह हजार सीटों का इजाफा कर दिया। कई लोग इसकी आलोचना करते हैं। लेकिन मेरे देश में अच्छे डॉक्टर बनाने हैं तो अच्छे प्रोफेसर की भी जरूरत पड़ेगी। और पीजी के स्टूडेंट के लिए छह हजार नई सीटों का ऐलान कर दिया। और मुझे विश्वास है कि आज जो डॉक्टरों की कमी महसूस कर रहे हैं। उस कमी को पूरा करने का काम इसके द्वारा होगा। आज मैं उन नौजवानों से मिला, जो मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं। ऐसे ही मुझे उनके साथ गप्पी-गोष्ठी करने का मौका मिला। बड़े प्रसन्न नजर आए, बड़े खुश नजर आए। और कैम्पस भी बहुत बढ़िया बना है। इस सारे काम को पूरा करने के लिए मैं राज्य सरकार को बहुत ह्रदय से बधाई देता हूं। भारत सरकार ने जो मदद करने की ठानी है। वो मदद निरंतर मिलती रहेगी, ये विश्वास दिलाता हूं।

मैं मुख्यमंत्री को गांव के बेटे के नाते एक आभार व्यक्त करना चाहता हूं। और इस गांव के बेटे के नाते कर रहा हूं। उन्होंने जो एपीएमसी को फिर से शुरू करने का निर्णय किया है। उसके लिए मैं उनका स्वागत करता हूं, मैं उनको बधाई देता हूं। आज यहां पर एक आईएम टैक की टैबलेट देने का कार्यक्रम हुआ। यह अपने आप में एक बहुत बड़ा रिवोल्यूशन होने वाला है। जब तक परफेक्ट डाटा नहीं होता है, प्रोपर पॉलिसी नहीं बनती है। जब तक परफेक्ट डाटा नहीं है, प्रोपर पॉलिसी नहीं है तो इम्पलिमेंटेशन की प्रॉपर स्ट्रेजटी नहीं बनती है। कहां धन लगाना चाहिए, कहां नहीं लगाना चाहिए। उसका अता पता नहीं रहता है। जो ये टैबलेट इन हेल्थ वर्करों को दी गई है। उसके कारण डेली, हर गांव में जो जानकारी होगी, तुरंत भर दी जाएगी और सीधी तुरंत हेडक्वार्टर पहुंच जाएगी। लेकिन जो ये योजना है उसका नाम बड़ा कठिन है।

आई एम टैक करके कुछ रखा है। और मैंने उसे बहुत ही सिंपल कर दिया है। मुझे लगता है इसे मैं नहीं करता तो हमारे राज्य वाले कर ही देते। अब इसको टेक्नोलोजी कोई नहीं बोलेगा। मुझे लगता है कि गांव में लोग यही बोलेंगे कि वो तुम्हारा टेको कै छे।  वो तुम्हारा टेको केसा है। तो ये टेको सभी हेल्थ वर्कर के हाथ में आया है कि तुम्हारे आरोग्य का टेको करने का काम। ये आई एम टेको के द्वारा होने वाला है। ये आई एम टेको आपके आरोग्य का टेको करे ऐसा एक बड़ा काम इसके द्वारा होना है।

मेरे सामने बहुत से लोग suggeston लेके आये हैं ये करना पड़ेगा, किसी ने कहा की अब हमारा वडनगर रेलवे के दूसरी तरफ बन गया है और इस तरफ ज्यादा विकास हो गया है। दूसरी तरफ जाना हो तो बहुत परेशानी होती है। अब ऐसी परेशानी ना हो ऐसा कुछ कर दूंगा। शर्मिस्था तालाब, ये वडनगर की आत्मा है, और शर्मिस्था तालाब का सौन्दर्यीकरण, उसका रखरखाव ये वडनगर को टूरिज्म का बड़ा केंद्र बना सकता है।  

ऐसे ही एक suggeston आया है कि हैंगिंग ब्रिज बने तो चार चांद लग जाएंगे। बनाना है क्या ...। सच में बनाना है ...। जरा जवाब तो दो यार। ये हैंगिंग ब्रिज बनेगा तो आपको अच्छा लगेगा ...। ये मेडिकल कॉलेज बने तो अच्छा लगेगा ...। ये सुन्दर बस स्टैंड बना तो आपको अच्छा लगा ...। ये नया रेलवे स्टेशन बना तो आपको अच्छा लगा ...। ये सब हुआ ना ...। इसी को विकास कहते हैं। इसको विकास कहोगे ...। आपको विकास अच्छा लगता है ...। आपको विकास देखना है ...। आपको विकास चाहिए तो आपके शर्मिस्था तालाब के लिए कुछ करूंगा ...।

मैं फिर से एक बार वडनगर ग्राम के सभी जनों का बहुत-बहुत आभार मानता हूं। कारण कि मैंने यात्रा वडनगर से शुरू की। हाटकेश्वर महादेव का आशीर्वाद लेते लेते अब बोलेनाथ नगरी काशी पहुंच गया हूं। ये भी भोले बाबा की नगरी है, वो भी भोले बाबा की नगरी है। यहां भी शिवजी विराजमान हैं, वहां पर भी भोलेबाबा विराजमान हैं। और  ये भोले बाबा का आशीर्वाद, और भोले बाबा के आशीर्वाद की एक ताकत होती है। ये ताकत इस गांव से मिली हुई मेरी संबसे बड़ी शक्ति है। भोले बाबा की ताकत जो जहर पीने में और जहर पचाने की है। 2001 से भोले बाबा के आशीर्वाद से जहर पचाने की ताकत मिली है। इसके करना कितना ही जहर मिला, फिर भी मात्र और मात्र मातृभूमि के कल्याण में लगा रहा हूं।

हाटकेश्वर बाबा के चरणों में फिर से प्रणाम करता हूं। आप सभी नगरवासियों को प्रणाम करता हूं। और आपने अद्भूत प्यार दिया है, अपार प्रेम दिया है। और सभी वडनगर का उत्तर गुजरात का और समग्र गुजरात का अंतकरण से आभार मानकर आप सभी को लाख लाख वंदन करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।

 

  • शिवकुमार खरवार राही March 31, 2024

    यशो भूमि यह देश हमारा नशल हमारे शंकर है। नमो नरायण नरेंद्र मोदी यशो भूमि का चंदन है। यशो भूमि .............. नशल हमारे शंकर है। तन - मन जीवन तुम्हें समर्पित बंदन है.अभिन्दन है। यशो भूमि .............. नशल हमारे शंकर है। प्रकृति +आत्मा ÷ शक्ति ×जन्म - मुक्ति यही ग्रहों का कून्दन है। यशो भूमि ........ नशल हमारे शंकर है। गोजर विच्छू सांप नेवला पशु पंक्षी का बन्धन है। यशो भूमि ............ नशल हमारे शंकर है। जल विच पर्वत .पर्वत विच मछली गुफा कन्दरां वृक्ष सहित जीव ही जीव गठवंन्धन है। यशो भूमि................... नशल हमारे शंकर है। कभी ऐलियन तो कभी है.मानव सब खेल का मालिक शिव नन्दन है। यशो भूमी ............. नशल हमारे शंकर है। राही मन क्यू दुखीः नहीं बस युग का युग प्रर्वतन है। यशो भूमि................ नशल हमारें शंकर है।
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मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

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साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

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साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

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साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

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साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

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साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

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साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

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साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!