Golden Opportunity as PM Modi launches three gold schemes

Published By : Admin | November 5, 2015 | 15:12 IST
QuotePM Narendra Modi launches three gold schemes
QuotePM Narendra Modi launches first ever Indian gold coin
QuoteIndia has no reason to be described as a poor country; it has 20,000 tonnes of gold: PM Modi
QuoteGold has been a source of women's empowerment in Indian society, says Prime Minister Modi
QuotePM Narendra Modi highlights benefits of three gold schemes

उपस्थित सभी महानुभव।

हम बचपन से सुनते आए थे ‘सोने पे सुहागा’। लेकिन अब तक समझ नहीं था कि ‘सोने पर सुहागा’ होता क्‍या है। आज हमारे वित्‍त मंत्री जी ने हमें समझा दिया ‘सोने पर सुहागा’ क्‍या होता है। देश के लिए योजना सच्‍चे अर्थ में ‘सोने पे सुहागा’ इस भाव को चरित्रार्थ करती है। और हम ऐसे गरीब देश हैं जिसके पास 20 हजार टन सोना यूं ही पड़ा है। और शायद हमारी गरीबी का कारण भी यही है कि 20 हजार टन सोना पड़ा हुआ है। और इसलिए भारत को गरीब रहने का कोई कारण नहीं है, कोई कारण नहीं है। कोई logic नहीं समझा पा रहा कि हमें गरीब क्‍यों रहना चाहिए। अगर हम थोड़ी कोशिश करें, सही दिशा में कोशिश करें, तो हम.. हम पर जो Tag लगा है, उस Tag से मुक्ति पा सकते हैं। और उस रास्‍ते का एक महत्‍वपूर्ण, अहम कदम आज है कि ये Gold संबंधी भिन्‍न-भिन्न योजनाएं।

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अब मैं बचपन से सुनता आया था लोगों से कि भई आधी रात को काम आता है। सोना रखो, आधी रात को काम आता है। कभी जरूरत पड़ जाए तो काम आ जाएगा; लेकिन मैंने सैकड़ों लोगों को पूछा कि भई कभी आपकी जिंदगी में ऐसी नौबत आई है क्‍या? मुझे अभी तक कोई मिला नहीं, जिसको आधी रात उसका उपयोग हुआ हो लेकिन मनोवैज्ञानिक रूप से उसके दिमाग में फिट है कि भई यह रखो कभी आधी रात काम आ जाएगा। और यह जो हमारे बने बनाए कुछ विचार ने घर कर लिया है, उसमें से समाज को बाहर लाना यह आसान काम नहीं है। आप समझा करके कितने ही पढ़े-लिखे व्‍यक्ति को कहोगे कि छोड़ों, आसान नहीं है। Even Reserve Bank के Governor को भी अपनी पत्‍नी कुछ मांगेगी तो Gold लाना ही पड़ेगा। जबकि उनका अर्थशास्‍त्र Gold के संबंध में अलग होगा, लेकिन गृहशास्‍त्र अलग होगा, तो यह जो अवस्‍था है उस अवस्‍था में कोई न कोई innovative, creative हमने व्‍यवस्‍थाएं विकसित करनी पड़ेगी। दूसरी एक सोच बनी हुई हैं हमारे देश में एक ऐसा Perception है दुनिया में कि भारत में महिलाओं के पास कुछ होता नहीं है। मकान है तो पति के नाम पर, पिता के नाम पर, गाड़ी है तो पति या बेटे के नाम पर, खेत है तो पिता के नाम महिलाओं के पास ? लेकिन बारीकी से देखेंगे तो सोना एक होता है जो महिला की ताकत का विषय होता है। यह ऐसे बनी हुई व्‍यवस्‍था नहीं है। कोई सिर्फ एक सामाजिक व्‍यवस्‍था का एक बहुत बड़ा ताकतवर हिस्‍सा रहा है, जो women empowerment बहुत बड़ा पहलू है। उसके नाम पर मकान नहीं होगा, लेकिन उसके पास यह संपत्ति उसके मालिक की होती है। और परिवार भी उसको question नहीं करता, बेटी भी question नहीं करती, यह तो मां का है। यह जो हमारा संस्‍कार का एक उत्‍तम पहलू भी है। जिसने women empowerment के लिए एक ऐसा सामाजिक जीवन में व्‍यवस्‍था विकसित की and with the help of gold यह हमारा structure विकसित हुआ है, तो उसको बरकरार भी रखना है। हमारी माताएं-बहनें उनके अंदर जो सुरक्षा का भाव है यह बरकरार रहना चाहिए। हम इस scheme में ये विश्‍वास अगर पहुंचाते हैं तो शायद इसकी सबसे ज्‍यादा सफलता का कारण महिलाएं बनेगी। दूसरा हमने देखा होगा हमारे यहां सम्‍पन्‍न परिवारों के family डॉक्‍टर होते हैं। even मध्‍यम वर्ग परिवार के भी family डॉक्‍टर होते हैं।लेकिन निम्‍म वर्ग, गरीब वर्ग परिवार के family डॉक्‍टर नहीं होते हैं। लेकिन हमारे देश में हर परिवार का family goldsmith होता है। कितना बड़ा विश्‍वास होता है। तीन-तीन, चार-चार पीढ़ी से वो सुनार, यानी वो अमेरिका में रहने गया होगा, लेकिन अपने गांव का सुनार है उसी को ढूंढेगा कि भई देखो जरा मैं यह भेजता हूं, कर देना। यह विश्‍वसनीयता एक बहुत बड़ी यानी सदियों की तपस्‍या से बनती है। उस ताकत को भी हमें पहचानना होगा। और इसलिए जब योजना के विषय में मेरे से चर्चा हो रही थी, तो श्रीमान दास को मैं कह रहा था कि जो गांव के छोटे-छोटे goldsmith हैं, वे हमारे एजेंड कैसे बन सकते हैं इस योजना के। एक समय ऐसा था 1968 goldsmith सरकार का सबसे बड़ा दुश्‍मन बना हुआ था। मैं गुजरात के पार्टन नामक शहर में बचपन में कुछ समय बिताया था। जिस गली में मैं रहता था वो सोने की गली थी। वहां एक सज्‍जन थे, उनका एक कार्यक्रम रहता था। सुबह अखबार आता था तो सिगरेट जलाते थे और अखबार में जहां भी मौराजी भाई का फोटो हो तो उसको जलाते थे। इतना गुस्‍सा, इतना गुस्‍सा वो करते थे, क्‍यों‍कि उनको लगता था कि भई हमारी तो सारी रोजी-रोटी चली गई। हम इस योजना के द्वारा ऐसी कैसे व्‍यवस्‍था विकसित करें ताकि उसको फिर एक एक बार empower करें। वो हमारा इस profession का एजेंट कैसे बने, क्‍योंकि उसका विश्‍वास है कि मैं किसी के लिए बुराई नहीं कर रहा हूं लेकिन बैंक से ज्‍यादा उसको अपने गांव के सुनार पर ज्‍यादा भरोसा है। वो बड़े से बड़े jewelry की showroom में जाएगा, लाने के बाद अपने सुनार के यहां जरा चैक कर ले भई। कितना ही बड़ा showroom होगा.. हमारे मेहुल भाई यहां बैठे हैं, लेकिन वो जाएगा। जाएगा अपने सुनार के पास जरा चैक तो करो, मैं ले तो आया हूं। ये एक हमारी इस व्‍यवस्‍था की एक बहुत बड़ी कड़ी बन सकती है। और यह स्‍ट्रक्‍चर already available है। हम उनको gold bond के लिए किस प्रकार से प्रेरित कर सकते है, उनको कैसे विश्‍वास दिला सकते हैं। हम एक decent line mechanism कैसे develop कर सकते हैं और मैं चाहूंगा कि Department के लोग इस पर सोचे, अगर यह हम कर पाएं तो शायद एकदम से यह बढ़ेगा। सरकार में कोई योजना बजट में आए और इतने कम समय में यह लागू हो जाए और Target तय किया है धनतेरस के पहले, क्‍योंकि भारत में शादी में सोने का जितना महत्‍व है, उससे ज्‍यादा धनतेरस को है। और सबसे ज्‍यादा import इन्‍हीं दिनों में हुआ होगा। क्‍योंकि लोगों को लगता होगा कि कोई बहुत बड़ा मार्केट खुलने वाला है तो हमको.. अब यह देखिए एक हजार टन सोना हर वर्ष हम import करते हैं और यह इतनी बड़ी शक्ति है हमारी अगर बिना उपयोग के पड़ी रहे किसी ने कोई बहुत बड़ा जलाशय बनाया हो dam बनाया हो, अरबों खरबों रुपये खर्च किये हो। लेकिन अगर canal network न हो और किसानों के पास पहुंचेगा नहीं तो क्‍या करना है उसको। यह हमारे 20 हजार टन सोने की यही हाल है जी। हमें इसको राष्‍ट्र की शक्ति में परिवर्तित करना है और सामाजिक सुरक्षा में अधिक बलवान बनाना है। इसके एक पहलू नहीं संभव है। यह सामाजिक सुरक्षा का जो पहलू है उसको हमें और Strengthen करना है। राष्‍ट्र की विकास यात्रा में वो एक बहुत बड़ा रोल प्‍ले कर सकते उस प्रकार का हमने विश्‍वास जताना है, mechanism बनाना है। आज एक चिंता तो लोगों को रहती है कि भई कहां रखें 15 दिन बाहर जाना है तो यह सब रखे कहां? रिश्‍तेदार के भी यहां रखें तो क्‍या रखें, कैसे उसको.. मन में चिंता रहती है। यह सुरक्षा का सबसे बड़ा Tension है वो इस योजना से मिट जाता है। उसको विश्‍वास बन जाता है कि यहां मेरा पैसा सुरक्षित है। कभी-कभार व्‍यक्ति Gold में इसलिए करता है कि रुपये के थैले कहां रखेंगे? इतनी छोटी जगह में Gold आ जाएगा तो इतने बड़े थैले वाला रुपये.. तो हम जानते है वो क्‍या होता है सब। लेकिन अगर आज वो उसके पास bond आ गया तो अपना चार कागज़ रख लें चोर भी आएगा तो वो हाथ नहीं लगाएगा। वो कहेगा यह कागज़ को क्‍या ले जाना, नहीं ले जाना भई, ये तो बेकार है। यानी सुरक्षा की guarantee है और यह वो बेच भी सकता है। सोना आधी रात को बिका हो, यह मुझे पता नहीं है। लेकिन मैं विश्‍वास से कहता हूं कि Gold Bond जरूरत पड़ने पर आधी रात को बेच सकते हैं, कहीं अस्‍पताल में जाना पड़ा ऑपरेशन करना पड़े, डॉक्‍टर कहता है पहले पैसे लाओ, Gold Bond दे दिया ऑपरेशन हो जाएगा। यह इतनी संभावनाएं तो सोने में नहीं है। यानी plus point है इसमें। हम इन चीजों को बड़ा articulate करके लोगों तक कैसे पहुंचाएं। उसी प्रकार से हमारा जो यह जमा जमाया ऐसे ही Gold पड़ा हुआ है। बैंक में आएगा और लम्‍बे समय के लिए आएगा तो वो jewellry के लिए चला जाएगा।

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Jewellry के लिए चला जाएगा तो मैं मानता हूं jewellry क्षेत्र के लोगों को इस प्रकार से Gold सरलता से मिलेगा उनके सामने कोई question नहीं होंगे। एक jewellry के business वालों के लिए बैंक से direct requirement के अनुसार Gold मिल जाना locally ही मिल जाना यह अपने आप में हमारे jewellry के promotion के लिए बहुत सुविधा का कारण बनेगा और इसलिए जो jewellry की दुनिया से जुड़े हुए लोग हैं क्‍योंकि हम दुनिया के सबसे बड़े आज Gold consumer है। अभी मुझे कल कोई रिपोर्ट बता रहा था कि हमने चाइना को भी इसमें पीछे छोड़ दिया। शायद four-five hundred sixty two टन अब तक नौ महीने में शायद हमने Gold खरीदा है। और चाइना से five hundred forty eight पर खड़ा है। अगर इतना हम तेजी से कर रहे हैं, तो यह व्‍यवस्‍था हम बदलाव ला सकते हैं। monthly monitoring करके हम target तय कर सकते हैं कि इस month घरों का Gold बैंक में आएगा और उतनी मात्रा में बाहर से आना कम होगा। ये हम online monitoring व्‍यवस्‍था विकसित कर सकते थे, तो शायद हम इस सारी नई व्‍यवस्‍था को एक सचमुच में राष्‍ट्रहित में, राष्‍ट्र के‍ विकास के काम में इसको हम जोड़ सकते हैं। इसके साथ एक राष्‍ट्रीय स्‍वाभिमान का विषय भी है। क्‍या कारण है कि हम अभी भी विदेशी मार्के से सोना.. और आज भी पूछते हैं कि अच्‍छा वो मार्क का है। मुझे तो नाम याद नहीं, क्‍योंकि मेरा कोई ऐसे लेना-देना है नहीं, लेकिन सुनते आए हैं। अब वो विश्‍वास से कहेगा कि भई अशोक चक्र है क्‍या। मेरे देश को इस पर भरोसा है क्‍या। यह हमने brand popular करना चाहिए। अब हमने तय करना चाहिए कि हम अब विदेशी मार्क वाला बाजार में हम खुद ही नहीं देंगे। हम jewelry में होंगे, हम Gold बैचने वाले लोग होंगे, हम नहीं करेंगे। यह ठीक है कि अभी इस धनतेरस तो शायद सौ सवा सौ सेंटर पर ही मिलेगा शायद लेकिन वो धीरे-धीरे बढ़ेगा। तो जिन लोगों को धनतेरस पर सोना खरीदना है उनको कुछ जगह पर तो मिल ही जाएगा लेकिन आगे चल करके होगा, लेकिन एक राष्‍ट्रीय स्‍वाभिमान से जुड़ना चाहिए और हमें इसको बल देना चाहिए। और इतने कम समय में वित्‍त मंत्री और उनकी पूरी टीम ने पूरी scheme को workout किया, उसको launch किया। Technology भी इसमें है और manufacturing भी है। सारी व्‍यवस्‍थाएं नये सिरे से करनी पड़ी है। लेकिन सारी व्‍यवस्‍थाएं की और मैं जब इस coin को देखा शायद मैंने अपने रुपये वगैरह पर जो गांधी जी देखें हैं इसमें बहुत बढि़या उनका चित्र निकला है गांधी जी का, यानी जिसने भी इसका artwork किया है उसको मैं बधाई देता हूं। इतना यानी feeling आता है। आप देखेंगे तो ध्‍यान में आएगा। बहुत ही अच्‍छा artwork किया है यानी इसके लिए.. मेरा स्‍वभाव है, इन चीजों में मेरी रूचि होने के कारण मैं थोड़ा अलग प्रकार से देखता रहता हूं। लेकिन मैं बधाई देता हूं पूरी टीम को, अरूण जी को विशेष बधाई देता हूं। और देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं कि धनतेरस के इस पावन पर्व से और दिवाली के शुभकामनाओं के साथ भारत स्‍वर्णिम युग के लिए आगे बढ़े और आपका 20 हजार टन सोना भारत के स्‍वर्णिम युग की ओर जाने के लिए काफी है। ऐसा मेरा विश्‍वास है आइये भारत को स्‍वर्णिम युग बनाने के लिए जिनके पास सोना है, वो इस सुनहरे अवसर को न छोड़े और सोने पर सुहागा उसको फायदा वो भी उठाए। यही मेरी अपेक्षाएं और शुभकामनाएं हैं।

धन्‍यवाद।

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I reaffirm India’s commitment to strong bilateral relations with Mauritius: PM at banquet hosted by Mauritius President
March 11, 2025

Your Excellency, President Dharambeer Gokhool,
First Lady, Mrs. Brinda Gokhool,
Honorable Vice President, Mr. Robert Hungley,
Prime Minister, Mr. Ramgoolam,
Distinguished Guests,

It is an honor for me to once again participate as the Chief Guest in the National Day celebrations of Mauritius.

I sincerely thank His Excellency, the President, for his warm hospitality and gracious honor.

This gathering is not just a meal; it is a testament to the deep and enduring ties between India and Mauritius.

The cuisine of Mauritius is not just rich in flavor; it also reflects the country’s vibrant social diversity.

It embodies the shared heritage of India and Mauritius.

Every gesture of Mauritian hospitality carries the warmth and sweetness of our enduring friendship.

On this special occasion, I extend my heartfelt wishes for the excellent health and well-being of His Excellency, President Dharambeer Gokhool, and Mrs. Brinda Gokhool. I also wish for the continued progress, prosperity, and happiness of the people of Mauritius. Furthermore, I reaffirm India’s unwavering commitment to our enduring partnership.

Jai Hind!
Vive Maurice!