BJP's Rashtriya Sadasyata Abhiyan is to strengthen the country: PM Modi

Published By : Admin | September 2, 2024 | 17:15 IST
From Bharatiya Jana Sangh till now, we have tried our best to bring a new political culture in country: PM Modi
We are those people who painted lotus on the walls with devotion: PM Modi
The lotus painted on the walls will someday be painted on the hearts too: PM Modi
BJP is only party that expands its work by following democratic processes in letter and spirit: PM Modi

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारतमाता की जय

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान नड्डा जी, राजनाथ जी, अमित भाई और सभी साथी। आज सदस्यता अभियान का एक और दौर प्रारंभ हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर के अब तक, हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से, या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से, देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है। वो इकाई, वो संगठन, वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है। आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है, तो वैसी स्थिति बनती है, जो आज देश के कई दलों की हम देख रहे हैं। और जैसा अमित भाई ने कहा हिंदुस्तान में एकमात्र यही दल है, जो अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार अक्षरक्ष: लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को, उसका पालन करते हुए अपने कार्य का विस्तार कर रहा है। और जन सामान्य की आशा-आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए अपने-आपको निरंतर योग्य बनाता रहता है।

यह दल ऐसे ही यहां तक नहीं पहुंचा है। अनेकों पीढ़ियां खप गई हैं। वर्तमान पीढ़ी के अनेक कार्यकर्ता हैं, जिनके नाम भी नहीं जानते होंगे। ऐसे लोगों ने अपना जीवन खपाया, तब जाकर के ये दल, लोगों के दिलों में जगह बना पाया है। मैं जब राजनीति में नहीं था। उस जनसंघ के जमाने में बड़े उत्साह के साथ अपने कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक, उस समय जनसंघ का निशान था। उसको पेंट करते थे और कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषणों में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक पेंट करने से सत्ता के गलियारों के तक नहीं पहुंचा जा सकता। ऐसा कहते, मजाक उड़ाते थे। हम वो लोग हैं, जिन्होंने दीवारों पर कमल पेंट किया। लेकिन इतनी श्रद्धा से पेंट किया कि विश्वास था, ये दीवारों पर पेंट किया हुआ कमल कभी ना कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा।

और कुछ लोग हमेशा हमारी मजाक उड़ाते रहे हैं। जब संसद में हमारे दो सदस्य थे। तब भी इतना भद्दा मजाक हमारे लिए उड़ाया गया था। कुछ लोगों का चरित्र ही ऐसा होता है। और उनको लगता है कि ऐसा करने से वो बड़े बन जाते हैं। लेकिन ऐसी सब प्रकार की आलोचनाओं को झेलते हुए जन सामान्य के कल्याण के लिए समर्पित होकर के, नेशन फर्स्ट की भावना को जीते हुए, हम चलते ही रहे और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमें मंत्र दिया था चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति, चलते रहो। एक समय था, जब जनसंघ और भाजपा के कार्यकर्ता की पहचान और आज भी कुछ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी, उसी जीवन को जीते हैं और अपने आदर्शों के लिए जूझते हैं।

हमारे कार्यकर्ताओं के लिए क्या कहा जाता था, चाहे वह जनसंघ का कार्यकर्ता हो या भाजपा का। उसका एक पैर रेल में होता है और दूसरा पैर जेल में होता है। रेल में इसलिए कि भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता निरंतर भ्रमण करता था। प्रवास करता था। जहां भी उसको जाना होता, वो दौड़ता रहता था। और समाज की समस्याओं के समाधान के लिए, सत्ता पर बैठे हुए लोगों के सामने संघर्ष करता था और इसलिए कभी जेल, तो कभी बाहर, ये उसकी स्थिति रहती थी। मुझे याद है करीब 50 साल पहले की बात होगी। जनसंघ के लोग अहमदाबाद में सत्याग्रह कर रहे थे। और एक अपनी कार्यकर्ता बहन जो जेल गई थी। करीब-करीब एक महिला लोग सब जेल में रहे थे, सिर्फ आंदोलन करने के लिए। और उसकी गोद में नौ महीने का बच्चा हाथ में लेकर के वो जेल में एक महीना गुजार करके आई थी। ऐसे जुल्म सहकर के पार्टी यहां पहुंची है। और ये जुल्म करने वाले लोग, एक छोटे से जुलूस को भी स्वीकार करने को तैयार नहीं होते थे। जेल में बंद कर देते थे। सत्ता का नशा उतना था उनको।

साथियों,

मैंने सालों तक संगठन में ही काम किया है। मैं भी कभी इसी प्रकार की बैठक लिया करता था, दौरा किया करता था। सदस्यता अभियान का हिसाब-किताब किया करता था। और मेरी ट्रेनिंग इस काम के लिए प्रमुख रूप से हमारे माननीय सुंदर सिंह जी भंडारी जी ने की थी। और वे इस विषय में बहुत आग्रही रहते थे। थोड़ा-सा भी वो इधर-उधर स्वीकार नहीं करते थे। कभी-कभी लोगों को ऐसा भी लगता था कि भई एक स्ट्रक्चर बना देने से क्या होगा। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि उसी स्ट्रक्चर ने देश के आशा-अपेक्षा को पूर्ण करने के लिए एक माध्यम बना दिया। अब हम सदस्यता के लिए जाएंगे।

साथियों,

ये सदस्यता कर्मकांड नहीं है। हमारे लिए सदस्यता यानी, अपने परिवार का विस्तार है। हमारे परिवार में अगर किसी का जन्म होता है तो जितनी खुशी होती है। हमारे परिवार में शादी कर करके कोई बहु आती है। तो परिवार के विस्तार का जो आनंद होता है, वो आनंद बीजेपी में जो कोई नया सदस्य बनता है। परिवार के विस्तार का आनंद होता है। और इसलिए यह सदस्यता अभियान आंकड़ों का खेल नहीं दोस्तों। कितने नंबर हम पार कर जाएंगे, ये नहीं है। ये सदस्यता अभियान एक पूर्ण रूप से वैचारिक आंदोलन भी है और भावनात्मक आंदोलन भी है। और हमने संगठन की गाड़ी को उस पटरी पर दौड़ाना है, जिसमें वैचारिक धार भी हो और भावनाओं से भरपूर भी हो। क्योंकि हमारी भावनाएं देशभक्ति से प्रेरित हैं। मां भारती के कल्याण के लिए 140 करोड़ देशवासियों के कल्याण के लिए।

ये जो सदस्यता अभियान होगा, संगठन की रचना होगी। बूथ कमेटियां बनेगी। पहले हम सदस्यता अभियान करते थे और अब सदस्यता अभियान करें, कुछ चीजें हम नए तरीके से सोच सकते हैं क्या। जैसे, ये जो सदस्य अभियान होगा, उसी समय जो संगठन की रचना होगी। उसी कालखंड में विधानसभाओं में और लोकसभा में 33 परसेंट रिजर्वेशन लागू हो गया होगा। महिलाओं के लिए अगर यह 33 परसेंट रिजर्वेशन इसी कालखंड में आने वाला है, तो क्या मेरी सदस्यता अभियान में, मैं ऐसे सभी लोगों को जोड़ूंगा, जो मेरे पार्टी के इतने महत्त्वपूर्ण निर्णय में अधिकतम महिलाओं को विजयी बनाकर के एमएलए, एमपी बना सके।

साथियों,

हमारे देश में पूरे विश्व के लिए, खास करके ग्लोबल साउथ के देशों के लिए, डेवलपिंग कंट्रीज के लिए, एक मॉडल रूप काम हमने किया है। और वो है, एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट। एस्पिरेशनल ब्लॉक। और हम चाहते हैं कि जो अब तक, जिसकी कोई चिंता कोई नहीं करता था, परवाह नहीं करता था। मुलाजिम भी वहां पर नौकरी करने के लिए जाने को तैयार नहीं होता था। पिछड़े रहते थे। हमने उसने उसे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक बनाया है। और हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द उस राज्य की जो पैरामीटर हैं, उसमें जरा भी पीछे ना हो। हो सके तो उससे भी आगे जाए। और हो सके तो नेशनल लेवल पर भी जो पैरामीटर्स में आ जाए। और इतना सुखद अनुभव रहा है कि एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में गवर्नेंस पर फोकस करने के कारण, जन भागीदारी के कारण, जनसामान्य की आकांक्षा-अपेक्षाओं को चिन्हित करकर उस पर काम करने के कारण आज देश की एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक करीब-करीब स्टेट में टॉप की बराबरी करने लग गए हैं। क्या हम अपना संगठन की रचना करते समय ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक उसमें विशेष अभियान चला करके, वहां के हर पोलिंग बूथ में, अपना झंडा गाड़ सकते हैं दोस्तों। और हमें कागज लेकर बैठना पड़ेगा, भई मेरे इलाके में ये एस्पिरेशनल ब्लॉक है। उन एस्पिरेशनल ब्लॉक के अंदर इतने पोलिंग बूथ हैं। उस पोलिंग बूथ के अंदर मुझे इतनी मेंबरशिप का टारगेट है। मैं उसको करूंगा। हम प्रयास करें।

आपने देखा होगा, हमने एक बहुत बड़ा आमूलचूल परिवर्तन किया है। किसी समय हिंदुस्तान के आखिरी गांव के रूप में सीमावर्ती गांव जाने जाते थे। और नेगेटिविटी का जन्म उस शब्दों में ही शुरू हो जाता था। हमने तय किया कि आखिरी गांव नहीं है, ये मेरे देश के पहले गांव हैं। अगर ये गांव हिंदुस्तान के सीमा के छोर पर है। अगर सूरज की पहली किरण आएगी, पूर्व में होगा तो पहले उसी को स्पर्श करते हुए हम तक पहुंचेगी। वो पहला गांव है और इसलिए हमने पूरी तरह बदला है विचार। क्या हम एक स्पेशल इकाई बनाएं, जो-जो राज्य सीमावर्ती राज्य हैं, वे ये जो पहला गांव है। उसमें सबसे पहले मेंबरशिप का अभियान चलाएं। और पूरे के पूरे गांव को भारतीय जनता पार्टी का किला बना सकते हैं। और जो सीमा के आखिरी छोर पर बैठा हुआ वो गांव जब भारतीय जनता पार्टी का किला बनता है ना, तब वह भारत का किला अपने-आप बन जाता है। तो मेरे लिए सदस्यता ये सिर्फ पार्टी का नंबर बढ़ाने के लिए नहीं, मेरी सदस्या मेरे देश को मजबूत बनाने के लिए भी है और इसलिए मैं उन गांवों को किला बना के छोडूंगा। ये सब, ये सब मुमकिन है लाखों कार्यकर्ताओं के तपस्या के कारण।

साथियों,

उसी प्रकार से जहां दो राज्य की सीमाएं मिलती हैं। क्या अभी से प्लान कर सकते हैं, कि उन दो राज्य की सीमा पर डेट निश्चित करके, मान लीजिए महाराष्ट्र और गुजरात की सीमाएं मिलती हैं। तो महाराष्ट्र के कार्यकर्ता उनकी सीमा पे आएंगे। गुजरात के कार्यकर्ता उस दिन उनकी सीमा पर जाएंगे। और एक सीमा पर उनके गांव, इसके गांव साथ मिलकर के मेंबरशिप बनाएंगे। महाराष्ट्र का गांव होगा वहां गुजरात के लोग भी नजर आएंगे। गुजरात का गांव होगा, महाराष्ट्र के लोग नजर आएंगे। और उस स्टेट के बॉर्डर के सभी गांवों को मैं कवर कर सकता हूं। मैं जब मैं कहता हूं एक भारत, श्रेष्ठ भारत, मेरे एक भारत श्रेष्ठ भारत की ये जो यह जो रेखाएं बनी हुई हैं नक्शे पर। मेंबरशिप के द्वारा मैं महाराष्ट्र के गांव को, गुजरात के गांव को, वहां के दिलों को जोड़ने के लिए मैं मेरा कमल खिला सकता हूं क्या।

और इसलिए मैं कहता हूं, साथियों यह सदस्यता अभियान मेरे देश का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए है। हमने हमारे ट्राइबल इलाके, मुझे याद है एक सदस्यता अभियान के समय में हिमाचल में, मेरा दौरा था। ये नड्डा जी के इलाके में। और मैं पहाड़ी क्षेत्रों में जाना चाहता था। एक पोलिंग बूथ पर जाने में मेरा एक दिन लगता था। पहाड़ों पर चढ़ना पड़ता था। और वहां जाकर के 20-22 का लोगों की मीटिंग करके मैं नीचे उतरता था। पूरा दिन मेरा चला जाता था, लेकिन मुझे आनंद होता था कि वहां कोई तो होता था, जो पूछता था कि साहब ठंड बहुत है। पहले चाय पी लीजिए। यानी किसी ने तो तपस्या की थी। किसी ने तो मेहनत की थी। क्या हम हमारे जो ट्राइबल बेल्ट है, उसमें दूरदराज के जो क्षेत्र हैं, उसमें भी, अभी जैसे आपने देखा होगा पीएम जन मन योजना शुरू की है। यह पीएम जन मन योजना हमारे आदिवासी क्षेत्रों में भी, ऐसे-ऐसे इलाके हैं। ऐसे- ऐसे समूह हैं, जहां व्यवस्थाएं इतने सालों के बाद भी पहुंच नहीं पाईं थीं।

हमने पीएम जनमन योजना बनाकर के स्पेशल एफर्ट शुरू किया है। वो पॉलिटिकल वोट बैंक होने की ताकत नहीं है। क्योंकि बहुत छोटी संख्या में है। लेकिन साथियों, अगर उंगली का नाखून भी पक जाता है ना तो पूरे शरीर में दर्द होता है। वह भी तो मेरा शरीर के हिस्से हैं। वो दुखी हो, वो दुखी हो, पीड़ित हो, मेरे देश में मुझे भी उसकी पीड़ा होती है। इस पीड़ा का अनुभव करते हैं, तब जाकर के पीएम जन मन योजना जन्म लेती है। सरकार तो पहुंचेगी, रोड भी बन जाएंगे, बच्चों का स्कूल में एडमिशन भी हो जाएगा, लेकिन कमल कौन खिलाएगा कौन खिलाएगा। कौन खिलाएगा। और इसलिए साथियों, हम इस प्रकार से फोकस करके इन समाजों तक हम पहुंच सकते हैं क्या।

आज देश में वो लोग, जिन्होंने तीन-तीन, चार-चार पीढ़ी में पक्का घर नहीं देखा था। जिनका कोई अता-पता नहीं था। वो झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजारते थे। वो फुटपाथ पर जिंदगी गुजारते थे। आज यहां तो कल वहां। ऐसा ही उनका बसेरा हुआ करता था। ऐसे चार करोड़ परिवारों को हमने एड्रेस दिया है। और जब जिंदगी में घर का पता तय हो जाता है ना, तो मंजिल का पता भी अपना आप बनने लग जाता है। जिनको घर मिला है। जिनकी जिंदगी में अब अपना एक स्थाई, पीढ़ियों के बाद, चार-चार, पांच-पांच पीढ़ी में कभी उन्होंने पक्के घर में जिंदगी नहीं गुजारी होगी। क्या यह मौका नहीं है दोस्तों उनके पास जाने का। लिस्ट लेकर के उनके पास जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए। क्या उसको नहीं लगना चाहिए कि जिस कमल ने घर की दीवारें बनाई हैं। उस कमल को मैं अब दिल के अंदर जगह दे दूं। ये भाव उसके अंदर पैदा नहीं हो सकता है और इसलिए मैंने कहा कि हमारे लिए ये हमारा जो परिवार का विस्तार है, वो विस्तार अपने-आपको फैलाने का है, ऐसा नहीं है। अनेक लोगों को अपने-आप में समाने का है। हमारे भीतर समाहित करना है। हमारे सुख- दुख का साथी बनाना है। और तब जाकर के एक ऐसा भाजपा परिवार पूरे देश में निर्माण होता है, जो राष्ट्र के सपनों को पूरा करने के लिए एक कैटेलिक एजेंट के रूप में बहुत बड़ी सेवा कर सकता है।

और इसलिए साथियों इस सदस्यता अभियान को एक पवित्र कार्य मान करके हमने करना चाहिए। और जब कोई व्यक्ति सदस्य बनता है ना, जैसे कोई नया बच्चा स्कूल जाता है तो मां-बाप कैसा माहौल बनाते हैं। तिलक करेंगे, मिठाई खिलाएंगे, अच्छे कपड़े पहनाएंगे। उसी भाव से सदस्य बनना चाहिए। और मुझे अच्छा लगा आज मुझे इस वातावरण में सदस्य बनने का मौका मिला। उत्सव के वातावरण में, मैं सदस्य बन रहा हूं। हम भी सदस्यता अभियान को उत्सव में परिवर्तित करें। सामने वाला हमारे परिवार में जुड़ रहा है, मतलब हम बड़े गौरव अनुभव कर रहे हैं कि आप हमारे यहां आए। हमें यह भाव नहीं लाना चाहिए कि हमने उपकार किया है तुम्हें मेंबर बना के। नहीं, आपने देश हित के लिए आगे आए हैं, हमारे लिए गौरव की बात है। आप हमारे एक साथी बन गए हैं। जीवन में इससे हमें और क्या धन्यता चाहिए।

साथियों,

आज जो 18-20 साल की उम्र के लोग हैं। उन्होंने वो अखबार नहीं पढ़े हैं, जिसकी हेडलाइन हुआ करती थी कि आज इतने लाख का घोटाला हो गया। आज इतने करोड़ का घोटाला हो गया। आज ये हो गया, ये हो गया, ये हो गया। आज जो 18-20 साल के बच्चे हैं उन्होंने ये पढ़ा नहीं है। उन्हें पता नहीं है कि 10 साल 11 साल के पहले देश के हालत क्या थे। उसने एक नया हिंदुस्तान देखा है और इसलिए उसके सपने भी वहीं से शुरू हो जाते हैं। और तब जाकर के हमारी जिम्मेवारी अनेक गुना बढ़ जाती है। क्या हमारा दायित्व नहीं है कि 18 से 25 साल की एक पूरी पीढ़ी को टारगेट करके, प्लान करके भारतीय जनता पार्टी से जोड़ें, ताकि उनको भी पता चले उनके माता-पिता ने कितने बुरे दिन देखे थे। उनके माता-पिता कितनी मुसीबतों से गुजरते थे। एक टेलीफोन का कनेक्शन लेने के लिए उनको एमएलए, एमपी के घर में चक्कर काटने पड़ते थे। एक गैस का कनेक्शन लेने के लिए उनको सालों तक इंतजार करना पड़ता था। कभी बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाता था। अंधेरे में जिंदगी गुजर जाती थी। बच्चों के लिए पढ़ाई का प्रबंध नहीं था। 18 से 25 साल के उन हमारे देश के बेटे-बेटियों ने अपने मां-बाप किस मुसीबतों से गुजरते थे, जिंदगी जीते थे, उससे वो अनभिज्ञ हैं। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता का काम है कि उसे भारतीय जनता पार्टी में हमारा मेंबर बनाकर के साथी बना करके उसे, हम कहां से कहां देश को ले गए हैं, ये आत्मविश्वास से भरने की जरूरत है।

साथियों,

18 से 25 का उम्र का व्यक्ति, मेरे लिए भाजपा के मतदाता जैसे सीमित स्वार्थी विचार से मैं उसकी चर्चा नहीं कर रहा। मेरे सामने 18-25 साल का उम्र का नौजवान, वो मेरे 2047 के सपने का सबसे बड़ी शक्ति का स्रोत है। 2047 में मेरा देश विकसित भारत बनेगा। आज जो 18-20, 22-25 साल का नौजवान है। वो उस समय 50 साल का हुआ होगा। उसकी जीवनी की सबसे ऊर्जावान समय देश विकसित भारत की यात्रा में होगा। उस समय उसकी जीवन की यात्रा चलती होगी। एक इतना बढ़िया संजोग होगा कि उसका सामर्थ्य हमें विकसित भारत बनाने के सपने पूरे करने में काम आएगा। और इसलिए विकसित भारत के सपने पूरे करने के लिए जिस सामर्थ्य की मुझे जरूरत है। वह 18 से 25 साल का मेरा नौजवान है। उसे हमने इस विचार से जोड़ना है, नेशन फर्स्ट के लिए जीने के लिए जोड़ना है।

हम सिर्फ चुनावी मशीन नहीं है। हम वो खाद-पानी है, जो देशवासियों को सपनों को हम सींचा करते हैं। हम वो खाद पानी हैं, जो अपने-आप को खपा करके देश के सपनों को संकल्प और संकल्प को सिद्धि तक ले जाने की यात्रा में अपने-आपको डुबो देते हैं जी। और इसलिए भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता चुनाव, कुछ लोगों ने कह दिया है, मशीन ये तो चुनावी मशीन है भाजपा के पास। इससे बड़ा भाजपा का कोई अपमान नहीं हो सकता है। अरे चुनाव जीतना ये तो मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं के निरंतर पुरुषार्थ और प्रयास के परिणाम एक बाय प्रोडक्ट है। और इसलिए साथियों, हमें निरंतर नई पीढ़ियों को भी तैयार करना है। और एक बात मान के चलिए, जो ये सोचता है कोई आएगा तो मेरा क्या होगा। वो मान के चल रहे हैं, कोई आएगा तो नहीं, लेकिन तुम जहां हो, वहां से कहीं ऊपर जा नहीं सकते हो। जैसे-जैसे नीचे तुम नए लोगों को लाते जाओगे। वैसे-वैसे तुम ऊपर चले जाओगे। ऊपर जाने का तरीका यही है कि नीचे जितनी मजबूती देते हैं, उतना ऊपर जाने की गारंटी पक्की हो जाती है। कुछ लोगों की मानसिकता रहती है कि अरे यार, ये आएगा तो मेरा क्या होगा। वो आएगा तो आपकी मजबूती बढ़ेगी। आपकी इज्जत बढ़ेगी। और आपके द्वारा इच्छित कामों को परिणाम लेने में वो आपका साथी बन कर के काम करेगा।

साथियों,

लोकतांत्रिक मूल्यों को जीने वाली हमारी पार्टी है। हम व्यवस्था में भी लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं। हम विचार में भी लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं। हम संस्कार में भी लोकतंत्र को स्वीकार करते हैं। हमारा ये सदस्यता अभियान उस नई ऊंचाइयों को पार करने वाला बने। समाज के अधिकतम लोग के, मैं तो शुरू यही चाहूंगा, आप अपने इलाके में कि जिस पोलिंग बूथ में सी ग्रेड का पोलिंग बूथ मानते हैं ना। सदस्य अभियान वहीं से शुरू करो। जिसे आप पिछले दो-तीन चुनाव में जिसको सी ग्रेड का पोलिंग बूथ मानते हैं। जहां पर आपको मिनिमम वोट मिले हैं। सदस्यता अभियान वहीं शुरू करना चाहिए। दोस्तों, चुनौती को चुनौती देना, ये तो भारतीय जनता पार्टी की रगों में है। जहां सरस सरलता है, जहां स्वीकार्यता है, जहां सम्मान है, आदर-सत्कार है, वहां तो मेंबरशिप करना आसान हो जाएगा। उसको करते भी रहना है, लेकिन जहां चुनौती है, वहीं दिलों में कमल खिलाना है। और हमारी कसौटी इसी में है।

साथियों,

आज देश के गरीब का सबसे अधिक विश्वास हमारी नीतियों में है, हमारे निर्णयों में है। हमने लिए हुए रास्ते से मिले परिणामों में है। और इसलिए हमें उस सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ना है। मुझे पक्का विश्वास है नड्डा जी के नेतृत्व में पार्टी की संगठन की शक्ति पूरी तरह लगी है, तब ये सदस्यता अभियान पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ेगी। ये सदस्यता अभियान अनेक नए बूथों तक पहुंचेगी। ये सदस्यता अभियान देश के सबसे पहले गांव है, वहां पर भाजपा का झंडा हम यहां से देख सकें, ऐसे बनेगी। इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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वंदेमातरम-वंदेमातरम।

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PM Modi to inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 on 25th November
November 24, 2024
PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025
Theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi”

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives' commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.