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'Stand Up India' initiative will transform the lives of the Dalits and the Adivasis: PM Modi
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Stand up India initiative launch: PM Modi urges e-rickshaw pullers to educate their children
PM Modi goes the digital way, books e-rickshaw and makes payment through cellphone

वि‍शाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों!

आज बाबू जगजीवन राम जी की जन्‍मजयंती है। अनेक वर्षों तक राष्‍ट्र की सेवा में उन्‍होंने अपना पूरा जीवन खपा दि‍या। उनके जन्‍म दि‍वस को समता दि‍वस के रूप में भी याद कि‍या जाता है। दलि‍त परि‍वार में पैदा होकर के राष्‍ट्र के गौरव को बढ़ाने में उन्‍होंने जो अथार्त पुरुषार्थ कि‍या, परि‍श्रम कि‍या। उन्‍होंने सामाजि‍क स्‍थि‍ति‍यों को कभी अपने आड़े नहीं आने दि‍या। ऐसे बाबू जगजीवन राम जी की जन्‍मजयंती पर आज भारत सरकार ‘Stand Up India’ कार्यक्रम को launch कर रही है।

बाबू जगजीवन राम जी की एक वि‍शेषता रही कि‍ वे हमेशा merit के आग्रही रहे। scholarship भी वो merit पर लेने के आग्रही रहते थे। Merit पर जो न मि‍ले, उसको लेने से इंकार करते थे और बहुत कम लोगों को याद होगा कि‍ भारत ने जो प्रथम कृषि‍ क्रान्‍ति‍ की, agriculture revolution कि‍या, तब हमारे देश के कृषि‍ मंत्री बाबू जगजीवन राम थे। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि‍ 1971 की लड़ाई में भारत ने जो वि‍जय प्राप्‍त की, उस समय भारत के रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम थे। लेकि‍न ऐसे कारण रहे देश में कि‍ इस प्रकार की सेवाओं को, ऐसे महापुरुषों के योगदान को करीब-करीब इति‍हास में भुला दि‍या गया है। हम इस मत के है कि‍ राजनीति‍क वि‍चारधाराएं कुछ भी हो, दल कोई भी हो, लेकि‍न देश के लि‍ए जीने-मरने वाले हम सबके लि‍ए आदरणीय होते हैं, हम सबके लि‍ए प्रेरक होते हैं। 


शायद बाबू जगजीवन राम जी की जन्‍मजयंती पर पहले कभी भारत सरकार ने कोई कार्यक्रम launch कि‍या हो, कम से कम मेरी स्‍मृति‍ में नहीं है लेकि‍न मुझे आज गौरव हो रहा है और इसका बहुत बड़ा ताल्‍लुक भी है, क्‍योंकि‍ हमने एक योजना बनाई। योजना यह बनाई कि‍ हमारे जो आदि‍वासी भाई-बहन है, हमारे जो दलि‍त भाई-बहन है, वे कब तक नौकरी का इंतजार करते रहेंगे और सरकार भी कि‍तनों को नौकरी दे पाएगी और अगर यही स्‍थि‍ति‍ रही तो समाज के दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍त, इन मेरे भाइयों का क्‍या होगा, उन नौजवानों का क्‍या होगा? मेरा यह वि‍श्‍वास है कि‍ परमात्‍मा ने जो शक्‍ति‍ और सामर्थ्‍य, जो समझ और हुनर ईश्‍वर ने हमें दि‍या है, वैसा ही मेरे इन दलि‍त परि‍वारों को भी दि‍या है और मेरे आदि‍वासी परि‍वारों को भी दि‍या है। लेकि‍न हम लोग वो है जि‍न्‍हें अवसर मि‍ला, वो लोग हैं जि‍न्‍हें अवसर नहीं मि‍ला। अगर अवसर मि‍लने पर हम कुछ कर सकते हैं, तो अवसर मि‍लने पर मेरे दलि‍त और आदि‍वासी भाई-बहन भी उतना ही उत्‍तम काम कर सकते हैं और देश को बहुत योगदान दे सकते हैं।

और इसलिए, जीवन के हर क्षेत्र में समाज के आखि‍री छोर पर बैठा हुआ जो व्‍यक्‍ति‍ है, उसको आगे आने का अवसर मि‍लना चाहि‍ए। उसको कि‍सी की कृपा पर जीने के लि‍ए मजबूर नहीं होना चाहि‍ए। अगर वो अपने पुरुषार्थ से, अपने परि‍श्रम से, साहस करने को तैयार है, बुद्धि‍ है, क्षमता है। अगर थोड़ी-सी भी सुवि‍धा हो जाए तो वो एक नई, भव्‍य, स्‍वप्‍नों को साकार करने वाली अपनी जि‍न्‍दगी को आगे बढ़ा सकता है और उसी एक वि‍चार में से ये ‘Stand Up India’ की कल्‍पना आई।

15 अगस्‍त को लालकि‍ले पर से मैंने घोषणा की थी – ‘Start Up India, Stand Up India’. ‘Stand Up India’ योजना के तहत 15 अगस्‍त को लालकि‍ले से घोषणा की थी कि‍ भारत के हर बैंक की ब्रांच अपने क्षेत्र में एक दलि‍त को और अगर वहां दलि‍त बस्‍ती नहीं है तो आदि‍वासी को और एक महि‍ला को बैंक की तरफ से लोन देंगे। आज देश में सवा लाख बैंक हैं। एक लाख से ज्‍यादा स्‍थानों पर फैले हुए हैं। आम तौर पर कोई उद्योग या व्‍यापार शुरू होता है, तो जो established शहर होते हैं वहीं पर बढ़ोतरी होती है। हमारी इस योजना के तहत सवा लाख बैंक जब पैसे देंगे तो सवा लाख स्‍थानों पर कोई न कोई उपक्रम शुरू होगा और ढाई लाख लोगों के द्वारा ढाई लाख उपक्रम शुरू होंगे। एक जि‍ले में, एक जगह पर, एक जहां प्रगति‍ हो रही है वहीं नहीं, एक फैला हुआ काम और इसलि‍ए हर ब्रांच को कहा है कि‍ आपकी जि‍म्‍मेवारी होगी कि‍ आपकी ब्रांच जि‍स इलाके में है, उस इलाके के कि‍सी नौजवान, जो कि‍ दलि‍त हो, या आदि‍वासी हो और एक महि‍ला, दो लोगों को आपको लोन देना होगा और उनको नया उद्योग, नया व्‍यवसाय करने के लि‍ए मदद करनी होगी।

आप कल्‍पना कर सकते हैं कि‍ आज जो Job seeker है, वो Job creator बन जाएगा। जो आज नौकरी तलाशता है, वो नौकरी देने वाला बन जाएगा। अगर ऐसे ढाई लाख यूनि‍ट शुरू होते हैं, कोई एक को रोजगार दे, कोई दो को दे, कोई पाँच को दे, हमारे देश के नौजवानों के लि‍ए एक रोजगार का नया अवसर प्राप्‍त होगा।

यह जो ‘Stand Up’ योजना है। मुद्रा योजना और ‘Stand Up’ योजना में एक बहुत बड़ा फर्क है। मुद्रा योजना में भी गारंटी के बि‍ना उद्योगकार बैंक से, कुछ आगे बढ़ना है, तो पैसे ले सकता है। अख़बार बेचने वाला, कमाना है तो ले सकता है पैसे। चाय बेचने वाला हो, चना बेचने वाला हुआ, धोबी हो, नाई हो, छोटे-छोटे लोग जि‍नको बेचारे को पैसे बड़ी ब्‍याज से लेने पड़ते हैं। साहूकार लोग उनको लूट लेते हैं। वो एक बार पैसे लेता है तो ब्‍याज देने के चक्‍कर से बाहर ही नहीं आता है। जीवनभर वो कर्जदार रहता है और देश में 6 करोड़ से ज्‍यादा लोग ऐसे कुछ न कुछ काम करते हैं जो देश की आर्थि‍क गति‍वि‍धि‍ को चलाते हैं। छोटे-छोटे लोग हैं, छोटे दुकानदार हैं। कि‍सी को पाँच हजार चाहि‍ए, कि‍सी को दस हजार चाहि‍ए, कि‍सी को पचास हजार चाहि‍ए। बैंक के दरवाजे उनके लि‍ए बंद थे और ये इतने गरीब थे कि‍ कोई उनके लि‍ए गारंटी नहीं देता था। हमने मुद्रा योजना के तहत बि‍ना कोई गारंटी ऐसे लोगों को लोन मुहैया कराया। अभी अरुण जी बता रहे थे कि‍ हमारा लक्ष्‍य तो सवा लाख करोड़ से भी कम था, लेकि‍न हम उससे भी आगे नि‍कल गए और करीब-करीब सवा तीन करोड़ से ज्‍यादा लोगों को ये पैसे दि‍ए। आज वो अपना कारोबार चला रहे हैं। अपने व्‍यवसाय का वि‍कास कर रहे हैं और ब्‍याज के चंगुल से बच गए हैं लेकि‍न मुद्रा में 10 लाख रुपए तक की रकम मि‍लती है।

यह जो दलि‍त परि‍वारों के लि‍ए योजना बनाई है, आदि‍वासी परि‍वारों के लि‍ए योजना बनाई है, महि‍लाओं को उद्यमी बनाने के लि‍ए जो योजना बनाई है, उसके तहत 10 लाख से लेकर के एक करोड़ रुपए तक की राशि‍ बैंक उनको देगी और उस ब्रांच के इलाके में होगा ताकि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान में एक लाख रुपए से अधि‍क जगह पर कोई न कोई नया काम शुरू होगा। अकेला उत्‍तर प्रदेश में हो, अकेला दि‍ल्‍ली में हो, अकेला जयपुर, मुम्‍बई, अहमदाबाद में हो, नहीं। छोटे-छोटे स्‍थान पर काम शुरू होना चाहि‍ए। इस देश को आगे बढ़ाना है और इसलि‍ए बैंक की ब्रांच को . . कोई एक बैंक, उसकी सौ ब्रांच है और बैंक दो सौ लोगों को एक जगह पर दे दे, वो हमें मंजूर नहीं है। अगर सौ ब्रांच है तो जहां ब्रांच होगी, वहीं पर उनको देना होगा, ताकि‍ उस पि‍छड़े इलाके का भी वि‍कास हो। इस योजना के तहत यह कि‍या गया है।

आज आपने देखा होगा। सामान्‍य परि‍वार के लोग, उनको एक योजना के तहत सहभागी बनाया है और मैं भाई मि‍लि‍न्‍द को अभि‍नन्‍दन देता हूं कि‍ उन्‍होंने दलि‍त युवकों में एक नई चेतना जगायी है। स्‍वयं तो उद्योगकार है, लेकि‍न उन्‍होंने तय कि‍या कि‍ वे दलि‍त युवकों को आत्‍मसम्‍मान के साथ जीने वाले, अपने पैरों पर खड़े रहकर काम करने वाले और देश के विकास में योगदान देने वाले बनाना चाहते हैं। मैं तो हैरान था, दलि‍त महि‍लाओं का भी उन्‍होंने एक संगठन खड़ा कि‍या। मैं उस दि‍न जब गया था, 300 महि‍ला उद्यमी दलि‍त, वो सैंकड़ों-करोड़ों का कारोबार कर रही है, अगर यह ताकत है तो उस ताकत को ध्‍यान में लेकर के योजना बनाई जाए तो देश को वि‍कास की ऊंचाइयों पर कैसे ले जा सकते हैं, इसका हम उत्‍तम उदाहरण दे सकते हैं। मेरे लि‍ए व्‍यक्‍ति‍गत रूप से आज का कार्यक्रम मैं उत्‍तम से उत्‍तम कार्यक्रम मानता हूं क्‍योंकि‍ मैं देख रहा हूं कि‍ मेरे दलि‍त भाइयों के, मेरे आदि‍वासी भाइयों के जीवन में वो बदलाव आने वाला है और समाज में वो सम्‍मान के साथ जीएंगे और नई पीढ़ी को रोजगार देने की उनमें ताकत आएगी। इस प्रकार की रचना होना, यह अपने आप में समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने का कारण बन रहा है।

आज एक और कार्यक्रम भी इसके साथ जोड़ दि‍या। प्रमुख कार्यक्रम तो मेरा ‘Stand Up India’ का था लेकि‍न हमारे महेश शर्मा जी, अपने इस क्षेत्र में ई-रि‍क्‍शा के लि‍ए कि‍तने दि‍नों से काम पर लगे हुए थे। तो उनका आग्रह था कि‍ इस कार्यक्रम को भी इसके साथ जोड़ दि‍या जाए। मैंने कहा, जरूर जोड़ देंगे और मुझे अभी रि‍क्‍शा वाले परि‍वारों के साथ चाय पर चर्चा करने का मौका मि‍ला। मैं उनकी बातें सुन रहा था। वे वो लोग थे जो पहले कि‍राये की रि‍क्‍शा लेकर के, दि‍नभर मेहनत करके, अपने परि‍वार का गुजारा चलाते थे लेकि‍न ज्‍यादातर पैसे कि‍राये पर, जि‍ससे कि‍राये पर लि‍या है रि‍क्‍शा, उसी पर चला जाता था। अपनी जेब में बहुत कम आता था और मेहनत भी इतनी करनी पड़ती कि‍ एक उम्र से ज्‍यादा काम नहीं कर सकता था। मेहनत भी इतनी पड़ती थी कि‍ ग्राहक खड़ा हो तो भी थक जाते थे, खींचने की ताकत नहीं रहती थी। यह जो अवस्‍था उन्‍होंने अपनी जि‍न्‍दगी में जी. .

भारत सरकार ने एक योजना बनाई। इस योजना के तहत, मेरे मि‍त्र भाई ब्रिजेश इस काम को बखूबी नि‍भाते रहते है और पाँच हजार से ज्‍यादा, 5100 ई-रिक्‍शा आज देने का कार्यक्रम हो रहा है। अब ये अपनी ई-रि‍क्‍शा के मालि‍क बन जाएंगे, जो कल तक कि‍राये की रि‍क्‍शा पर गुजारा करते थे। योजना ऐसी बनी है कि‍ दि‍न भर की कमाई में से, थोड़े पैसे डालकर के वो उसके मालि‍क बन जाएंगे। दूसरा, ई-रि‍क्‍शा होने के कारण शरीर को जो मजदूरी करनी पड़ती थी वो कम हो जाएगी। दि‍न में ज्‍यादा सफर कर पाएंगे, ज्‍यादा काम कर पाएंगे।

आज एक Mobile application को भी launch कि‍या है, Ola. मोबाइल फोन पर जो Ola के application को download करेगा, वो उस पर एक क्‍लि‍क करेगा सि‍र्फ तो नज़दीक में ये जो ई-रि‍क्‍शा वाला खड़ा होगा, उसके मोबाइल फोन पर सूचना जाएगी कि‍ फलानी जगह पर कोई रि‍क्‍शा के लि‍ए खड़ा है। दो-तीन-चार मि‍नट में रि‍क्‍शा आकर के खड़ा हो जाएगा। अभी मैं रि‍क्‍शा में बैठकर के आया। उसी technology से रि‍क्‍शा को बुलाया और उसी रि‍क्‍शा में बैठकर के आया। जेब में पैसों की भी जरूरत नहीं, अगर आपका जन-धन account है, रुपे कार्ड है तो आप मोबाइल फोन से ही अपना पाँच रुपया - सात रुपया - दस रुपया, जो भी कि‍राया होगा, वो आप मोबाइल से उसको दे सकते हैं, आराम से। पहले तो चार लोग हाथ ऊपर करे, कोई ऑटो रि‍क्‍शा वाले देखे न दि‍खे, आज आप मोबाइल फोन से ऑटो रि‍क्‍शा, ई-रि‍क्‍शा को बुला सकते हैं और ई-रि‍क्‍शा में बैठकर के आप आगे जा सकते हैं। इस व्‍यवस्‍था के कारण उनको ग्राहक ढूंढने के लि‍ए घूमना नहीं पड़ेगा, वरना वो तो इधर-उधर देखते रहते हैं कि‍ कोई मि‍ल जाता है - कोई मि‍ल जाता है, अब जरूरत नहीं है। वो एक जगह पर खड़े है, जैसा ही अपने मोबाइल फोन पर सूचना आई, वो दौड़ेगा और लेकर आगे जाएगा।

उसके कारण जो fuel का खर्चा होता है, वो भी नहीं होता और इसमें fuel battery है। इसकी भी व्‍यवस्‍था है कि‍ जि‍स प्रकार से ये पाँच हजार ई-रि‍क्‍शाएं मि‍ली हैं उसी प्रकार से इन रि‍क्‍शाओं को charging करने के लि‍ए Energy Bank भी बनाए गए हैं। जहां पर solar energy से battery charge होगी। आपकी ई-रि‍क्‍शा की battery down हो गई है, आप वहां जाएंगे, अपनी battery वहां छोड़ दीजि‍ए, दूसरी battery ले लीजि‍ए, charging का पैसा दे दीजि‍ए, आप गाड़ी दि‍न भर चलाते रहि‍ए। इसके कारण सैंकड़ों लोगों को ये solar energy से battery charging की दुकानें भी चलाने का मौका मिलेगा और आग्रह यह रखा है कि‍ ये ई-रि‍क्‍शा उनको मि‍लेगी जो रिक्‍शा के मालि‍क नहीं है। जो सि‍र्फ ड्राइवर है और कि‍राये की रि‍क्‍शा चलाते थे, यानी कि‍ गरीब को मि‍लेगा और गरीब, पीडि़त, शोषित, इनको अपने पैरों पर खड़े रखने की ताकत कैसे मिले उस दिशा में हमारी सारी योजनाएं आज काम कर रही हैं। और उसका नतीजा है कि आज यहां 5100 ई-रिक्‍शाएं गरीब परिवार के हाथ में जा रही हैं और मैं उनके चेहरे को देख रहा था और उनको सब मालूम था बोले हमारी ट्रेनिंग हो गई है। कुछ काम रिपेयर करना हो तो रिपे‍यरिंग करना हमको सिखा दिया गया है, हमको ई-रिक्‍शा कैसे चलानी उसका ड्राइविंग सिखा दिया गया है, बैंक के साथ कैसे कारोबार करना, वो सिखा दिया गया है। हमें app के द्वारा कोई सूचना आए तो कैसे जाना वो सिखा दिया गया है, यानी एक प्रकार से skill development का पूरा काम इन परिवारों का हो चुका है। आज ये दोनों चीजें ई-रिक्‍शा के द्वारा environment को भी फायदा है। आज पूरी दुनिया global warming से परेशान है। हम लोगों को विदेशों से तेल लाना पड़ता है, अरबों-खरबों रुपया जाता है। अब वो तेल में भी बचत होगी, क्‍योंकि सूरज से, सूरज की गर्मी से तैयार होने वाली बैटरी से ये ई-रिक्‍शाएं चलने वाली हैं। धुआं भी नहीं होने वाला है, environment का problem नहीं होने वाला है, और इसके कारण सामान्‍य मानवी के आरोग्‍य को भी इसके कारण फायदा तो होगा ही होगा, लेकिन दुनिया में भी जो global warming की चिंता है, उसका उपाय भी इसी से प्रस्‍तुत होगा और ये काम भी आज आपकी इस नगरी में प्रारंभ हो रहा है।

मैं वित्‍त मंत्री श्रीमान अरुण जेटली जी का अभिनंदन करना चाहता हूं, उन्‍होंने Banking Sector को, आपने देखा होगा, हमारे देश में वित्‍त मंत्रालय यानी office, file, बिल पास करना, न करना, उसके आगे देश को वित्‍त मंत्रालय क्‍या होता है ये कभी पता ही नहीं था। ज्‍यादा से ज्‍यादा वित्‍त मंत्रालय से कौन जुड़ते थे तो शेयर मार्केट वाले आएंगे, बड़े उद्योगकार आएंगे। पहली बार आप देखते होंगे कि वित्‍त मंत्रालय द्वारा जनता के बीच जा करके कभी जन-धन योजना, कभी जीवन बीमा योजना, कभी जीवन ज्‍योति योजना, कभी मुद्रा योजना, कभी Stand Up योजना, कभी RuPay Card की योजना, गरीब व्‍यक्ति के साथ देश का वित्‍त मंत्रालय जुड़ा हुआ हो, वो 21वीं सदी की पहली घटना है भाइयो-बहनों। एक-एक department को गरीबों के काम के लिए कैसे लाया जा सकता है, गरीबों की भलाई के लिए कैसे लाया जा सकता है, इसका एक जीता-जागता उदाहरण है।

हमारे देश में बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण हुआ था, गरीबों के नाम पर। लेकिन मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि आजादी के 70 साल होंगे, इस देश के 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे कि जिनको कभी बैंक का दरवाजा देखने को सौभाग्‍य नहीं मिला आज तक। हमने बीड़ा उठाया। पिछली बार मैंने 15 अगस्‍त को कहा था और कुछ ही दिनों के भीतर-भीतर सभी बैंक के कर्मचारी, मैं सार्वजनिक रूप से बैंक के सभी कर्मचारियों का, सर्वजनिक रूप से फिर से अभिनंदन करना चाहता हूं, उनका धन्‍यवाद करना चाहता हूं कि वो घर-घर गए, banking hours के बाद भी काम किया, Saturday, Sunday को काम किया, और देश के गरीब लोगों को Bank के खाते से जोड़ दिया। और हमने तो कहा था कि zero balance से बैंक का खाता खुलेगा। आपको एक रुपया नहीं होगा, अरे वो फोन का stationary का जो खर्चा होता है, आठ आना, रुपया, वो भी नहीं होगा। बस आप खाता खुलवा दीजिए। अपना Bank account खुलवा दीजिए। हमने गरीबों से कहा था आपके पैसों की जरूरत नहीं है, बस आप जुड़ जाइए। लेकिन मेरे देश के गरीबों की अमीरी देखिए, मेरे देख के गरीबों की अमीरी देखिए, देश ने अमीरों की गरीबी देख ली है, बैंको से रुपये ले करके भागना कैसा, इसको रास्‍ते लोग खोज रहे हैं। लेकिन एक गरीब देखिए, जिसको तो हमने कहा था कि zero balance से तुम account खुलाओ लेकिन उसकी ईमानदारी देखिए, उसकी अमीरी देखिए, उसने कहा नहीं-नहीं मोदीजी हम ऐसे तो नहीं करेंगे, हम कुछ देना चाहेंगे। और आज मैं गर्व के साथ कहता हूं कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत गरीबों ने जो बैंक एकाउंट खुलवाए, उसमें किसी ने पचास रुपये, किसी ने सौ रुपये, किसी ने दो सौ रुपये डाला। वो रकम 35 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा हुई, 35 हजार करोड़। ये है मेरे देश के गरीबों की अमीरी। और जिस देश के गरीबों की अमीरी देखतें हैं, तो सरकार का भी मन करता है कि उन गरीबों के लिए खप जाना चाहिए। पूरी सरकार गरीबों के लिए स्‍व-स्‍वाहा कर देनी पड़े तो कर देनी चाहिए, इस मिजाज से मैं काम कर रहा हूं। और मैं मानता हूं देश आगे तब बढ़ेगा जब देश के गरीब के द्वारा देश की विकास यात्रा में भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

हमारी सारी योजनाएं देश के गरीबों को देश की विकास यात्रा में भागीदार बनाने की एक सुनिश्चित रणनी‍ति के तहत चल रही है। एक के बाद दूसरी योजना, पहली योजना से दूसरी जुड़ी हुई होती है। और इन सारी योजनाओं के तहत एक ऐसा आर्थिक क्षेत्र जो अनछुआ था, किसी ने कभी सोचा तक नहीं था, ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करने की दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

मैं फिर एक बार वित्‍त मंत्रालय को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। वित्‍त मंत्रालय के सभी अधिकारियों की टीम को अभिनंदन करता हूं कि देश को उन्‍होंने उत्‍तम बजट तो दिया लेकिन देश के गरीबों के लिए एक के बाद एक योजनाएं दे करके देश के गरीबों को ताकत देने का काम किया है इसलिए वे भी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं।

आज जिन परिवारों को ई-रिक्‍शा मिली है, उनको मैं जब बैठा था, मैंने कहा था लेकिन बाकी लोग वहां नहीं थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं। और ये ई-रिक्‍शा वाले मेरा एक काम करेंगे? करेंगे? पक्‍का करेंगे? आप मुझे वादा कीजिए आप अपने बच्‍चों को पढ़ाएंगे। और राजनेताओं आपसे वोट मांगने आते होंगे, मैं आपसे आपके बच्‍चों की शिक्षा की भीख मांगने आया हूं। और उसमें भी आप अपनी बेटियों को तो अवश्‍य पढ़ाएंगे। आप देखिए कुछ ही सालों में आपको ई-रिक्‍शा भी नहीं चलाने पड़ेगी, आपके बच्‍चे, आपके परिवार को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। और इसलिए इस सरकार की योजनाओं का लाभ आपके बच्‍चों को सबसे पहले मिलना चाहिए और वो शिक्षा के रूप में मिलना चाहिए। आप देखिए आपकी तो जिंदगी बदल जाएगी, भारत का भविष्‍य बदल जाएगा और इसलिए मैं आज इन ई-रिक्‍शा वालों को भी शुभकामनाएं देता हूं। मेरे दलित परिवारों को आज से जो ‘Stand-up India’ से Loan मिलना शुरू हो रहा है, सवा लाख branches, आगे आएं वहां के नौजवान, इस opportunity का फायदा उठाएं और वे भी समाज में एक अग्रिम कक्षा के उद्योगकार, व्‍यापारी, साहसिक बन करके आएं और देश को नए सिरे से आपको मदद करें इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister Narendra Modi to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.