QuoteSwami Dayananda Saraswati ji’s life continues to inspire even today: PM Modi
QuoteMaharshi Dayananda Saraswati was a revolutionary. He was not one to escape challenges. He fought blind faith as well: PM
QuoteDayanand Saraswati ji founded Arya Samaj and it holds significance till date: PM Modi
QuoteA clean Ganga makes India proud at the world stage: PM Narendra Modi
QuoteGovernment has taken up several initiatives that will benefit the youth of India & this includes skill development: PM
QuoteApart from having certificates in their hands, our youth must be skilled: PM
QuoteOver 2 crore people have benefitted through MUDRA Yojana. Financial support has been given to people: PM Modi
QuoteOnly development can free us from our problems, from poverty, from lack of education: PM Modi
QuoteOur Government is committed to eradicate poverty, provide better education: PM

हिमाचल प्रदेश के राज्यापाल श्रीमान आचार्य देवव्रत जी, D.A.V. कॉलेज management कमेटी के अध्यकक्ष डॉ. पूनम सूरी जी और विशाल संख्या में पधारे हुए सभी आर्य पुत्र-पुत्रियां, 

मैं आर्य समाज की इस महान परंपरा और उस से संबंधित सभी महानुभाव का हृदय से आभार व्यक्त‍ करता हूं। इस विशाल शक्ति स्रोत का, संस्कार की धारा का, आचमन लेने का मुझे सौभाग्य मिला है। मुझे पूनम जी बता रहे थे कि आर्य समाज में दो मुख्य धाराएं पिछले 130 साल से चल रही थी और 130 साल के बाद आज यह पहला अवसर आया है कि जब दोनों धाराएं मिल करके आगे बढ़ने का संकल्प कर रही है। यह बात मेरे लिए इतनी गौरवपूर्ण है, इतनी आनंददायक है, जिसका मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। जब यह दोनों शक्तियां, दोनों संस्कार प्रवाह एक बन करके नई दिशा, नया संकल्प ले करके चलेंगे तो राष्ट्र का कितना कल्याण होगा, इसका मैं भलिभांति अनुमान लगा सकता हूं। और इसके लिए मैं इस निर्णय प्रक्रिया से जुड़े हुए सभी महानुभावों का अंत:करण पूर्वक हृदय से धन्यवाद करता हूं, साधुवाद करता हूं।

पूनम जी बता रहे थे कि गुजरात की धरती ने स्वामी दयानंद जी दिए, लेकिन इस बात में आज चलते-चलते वो मेरे तक पहुंच गए। उस महापुरूषों के नामों की श्रृंखला में मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति का नाम जुड़े, ऐसा कोई हक मेरा बनता नहीं है। वो महापुरूष इतने बड़े थे उनके चरणर ले करके हम कुछ अच्छा पा सके, उनका आशीर्वाद मिले और हम सबको जिस समय जो दायित्व मिलता है, उस दायित्व को पूर्ण समर्पण के भाव से हम निभाएं, यही शक्ति हमें मिलती रहे, ताकि हम देश का अच्छा कल्याण कर पाएं।

1857 इस देश ने स्वतंत्रता संग्राम के द्वारा अपनी आत्मिक शक्ति का दर्शन कराया था। शताब्दियों की गुलामी के बाद एक चेतना प्रकट हुई थी और वह भी छुटपुट नहीं, दो-पांच-पचास आजादी के दिवानों के पराक्रम तक सीमित नहीं। एक प्रकार से पूरा देश उठ खड़ा हुआ था, लेकिन इच्छित परिणाम प्राप्त नहीं हुए। विदेशी ताकतों ने देश को फिर से एक बार दबोच दिया। उस पार्श्व भूमि को हम देखें, 1857 के स्वातंत्र संग्राम के बाद के उन दिनों को याद करें, इतिहास के पन्नों को देखें। तब ध्यान आता है कि 1875 में आर्य समाज की स्थापना क्यों हुई होगी। उसकी पार्श्व भूमि वो 1857 का स्वातंत्र संग्राम है।

स्वामी दयानंद जी ज्ञान मार्ग के प्रणेता थे। वेद के प्रकाश में सत्य को पा करके, सत्य के प्रकाश को आने वाली पीढ़ियों को परिचित कराने का स्वावमी दयानंद जी ने प्रयास किया था। वे स्वभाव से क्रांतिकारी थे और क्रांतिकारी होने के नाते वे अंधविश्वास के खिलाफ लड़ना, परंपराओं को चुनौती देना और वो भी परिस्थितियों से भाग करके नहीं, अपने आप को महान हिन्दू संस्कृति आर्य परंपरा का सिपाही मानते हुए, उसके भीतर रहते हुए, उन्हीं गेरूए वस्त्रों को धारण करते हुए, उसी समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ना यह बहुत बड़ी ताकत लगती है। व्यवस्था से बाहर जा करके आलोचना करना, अपने आप को बड़ा बताना अलग बात है। व्यवस्था के भीतर रह करके उसी परंपराओं का गौरव करते हुए जो काल बाह्य चीजें हैं उसको चुनौती देने के लिए एक अनन्य प्रकार की शक्ति लगती है और उस शक्ति के स्रोत पूज्य स्वामी दयानंद जी थे।

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और उस महा पारस के विचार प्रक्रिया, चिंतन के प्रति समर्पण, ज्ञान के अधिष्‍ठान पर विचार, मनन, चिंतन उसके आधार पर निरंतर प्रजा जीवन में purification होता रहे इस बात को उन्हों ने बल दिया और उसी का परिणाम है कि महर्षि जी के जाने के बाद भी उतनी ही तीव्रता से, उतने ही समर्पण भाव से यह आंदोलन आज भी चल रहा है। और इसलिए उस विचार बीज की वो ताकत है। उस विचार बीज का वो सामर्थ्य है कि उसके कारण आर्य समाज रूपी एक विशाल वट वृक्ष आज पूरे देश को छाया दे रहा है। हमारे सपनों को पनपने का अवसर दे रहा है। चुनौतियों से जुझने का सामर्थ्यद दे रहा है। और इसलिए मैं आज इस महान परंपरा, महान संगठन, इस महान आंदोलन को नमन करता हूं और पूज्य महर्षि स्वामी दयानंद जी के चरणों में भी वंदन करता हूं।

इतना बड़ा विशाल परिवार, 20 लाख छात्र हो, 60 हजार से ज्या दा आचार्य-प्राचार्य हो। और जैसे परम जी बता रहे थे कि करीब दो करोड़ परिवारों से तो हमारा रोज का नाता रहता है। और एक श‍ताब्दी से ज्यादा समय से सेवा जिस संस्था ने की हो, तो उसका एल्‍युमिनाई भी कितना बड़ा होगा। यहां तो आपने 40 लाख लिखा है, लेकिन मैं नहीं मानता हूं कि 40 लाख होगा। वो बहुत बड़ा विशाल परिवार होगा। यह सब मिल करके हर वर्ष एक विषय तय करे और पूरी शक्ति उस विषय पर लगा दे। आप देखिए नतीजे नजर आने लगेंगे। दुनिया को ध्यान आएगा, अगर D.A.V. तय कर ले कि 2020 में जब ओलंपिक होगा तब D.A.V. का छात्र Gold medal ले करके आएगा, मैं कहता हूं कर सकते हैं।

नये संकल्प क्या हो सकते ? नये संकल्प यही हो कि भारत की विश्व् में गरिमा कैसे बढ़े। D.A.V. का सिर्फ हिंदुस्तान में डंका क्यों बजे, दुनिया में क्यों न बजे? और इसलिए जब आर्य समाज को 150 वर्ष होंगे, 2025 में। 1875 में प्रारंभ हुआ आर्य समाज, 2025 में एक सौ पचास वर्ष होंगे। क्या, अभी से गुरूकुल परंपरा हो, D.A.V हो, आर्य समाज की और संगठन हो। यह कोई पांच सूत्री, 10 सूत्री कार्यक्रम बना सकते हैं कि आर्य समाज के 150 वर्ष जब मनाएंगे, तब तक हम 2025 तक यह जो हमारे पास 10-11 साल है, 8-9 साल है उसका उपयोग इन बातों को हम परिणाम तक ला करके रहेंगे। ऐसा संकल्प किया जा सकता है? और तब मैं मानता हूं स्वामी दयानंद सरस्व्ती जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

और इसलिए अभी से एक रोड मैप बने। आर्य समाज को यह कहने की जरूरत नहीं है क्या करो, क्या न करो? उनकी मूल धारा ही राष्ट्र के कल्याण के लिए साथ जुड़ी हुई है। जिसमें भारत का भला हो उसी में आर्य समाज को भलाई दिखती है। और इसलिए भारत का भला और 21वीं सदी का भारत, 18वीं शताब्दी का भारत नहीं, आधुनिक भारत, वैज्ञानिक भारत, विश्व का नेतृत्व‍ करने का सामर्थ्य रखने वाला भारत, उस भारत के सपनों को पूरा करने के लिए हमने अपने आप को तैयार करना होगा। उसी प्रकार से अभी पूनम जी मुझे बता रहे थे कि हमें एक काम दीजिए आप और हम उसको करके दिखाना चाहते हैं। सामान्यतः ऐसे किसी function में जाते हैं तो वो जो बुलाने वाले लोग होते हैं बुलाते समय तो हमें बहुत बताते हैं कि आप बहुत बड़े आदमी हो, आप आइये, हमारी शोभा बढ़ेगी, हमारा यह होगा, हमारा वो होगा। और जब जाते हैं तो memorandum पकड़ा देते हैं कि हमारे लिए यह करो, हमारे लिए वो करो। यह अकसर हमारा अनुभव रहता है और वो गलत है ऐसा मैं नहीं कहता हूं। स्वाभाविक भी है, लेकिन यहां मेरा अनुभव अलग हो रहा है। यहां मुझसे कुछ मांगा नहीं जा रहा है। मुझे कहा जा रहा है कि मोदी जी हमें कोई काम बताओ। मैं इस बात को छोटी नहीं मानता हूं, बहुत बड़ी बात है यह मेरे लिए कि कोई मेहमान के रूप में कहीं जाए और बुलाने वाला हमसे कुछ मांगे नहीं। और ऊपर से यह कहे कि हमारे लिए कोई काम बताइए तो मैंने पूनम जी को कहा, क्या लगता है, क्या कर सकते हैं आप? तो उन्होंने कहा क्या गंगा सफाई का जो आपका सपना है, क्या उसमें हम जुड़ सकते हैं क्या ? हम हमारे D.A.V. के छात्रों को गंगा सफाई के काम से जोड़ेंगे। हमारे शिक्षकों को जोड़ेंगे, हमारे अभिभावकों को जोड़ेंगे। गंगा सफाई का अभियान करते-करते कई सरकारें आई और चली गई, पूरा नहीं हुआ। लेकिन आज मुझे लगता है कि गंगा सफाई होकर रहेगी, अगर मुझे ये साथ मिल जाए।

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जब जनता-जनार्दन के आशीर्वाद होते हैं तो कोई समस्या , समस्या़ नहीं रहती है। वो समस्या अपने आप में अवसर में पलट जाती है और आज मैं देख रहा हूं कि D.A.V. की यह शक्ति, आर्य समाज की शक्ति, गुरुकुलों की शक्ति, आर्य समाज से जुड़े हुए सभी साधु महात्माओं की शक्ति, यह सब जब गंगा सफाई के आंदोलन का हिस्सा बन जाए तो फिर तो गंगा सफाई, मैं नहीं मानता हूं वो सपना कभी अधूरा रह सकता है और यही नया संकल्प है। गंगा साफ हो तो सिर्फ वहां पर जाने-आने वालों के लिए या नजदीक में रहने वालों के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान का गौरव बढ़ाने वाली वो घटना होगी।

एक काम हम शुरू करे, हम गंगा को गंदी नहीं होने देंगे। एक बार हम तय कर ले कि हम गंगा को गंदी नहीं होने देंगे तो गंगा में अपने आप ताकत है, सफाई तो वो अपने आप कर लेगी। आज मुसीबत गंगा की वो नहीं है, मुसीबत हम है जो उसे गंदा करते हैं। एक बार गंगा तट पर रहने वाले सभी, एक बार संकल्प कर ले। गंगा के दर्शन के लिए आने वाले लोग संकल्प कर ले कि हम गंगा को गंदी नहीं होने देंगे तो गंगा सफाई सफल होने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। यह मेरा विश्वा स है और D.A.V. का यह दो करोड़ का परिवार लग जाए तो मैं नहीं मानता हूं कि हमारी गंगा अशुद्ध रह सकती है। जब हम आर्य समाज के डेढ़ सौ साल मनाए, तब हम इस भारत मां के चरणों में शुद्ध गंगा कैसे दे, साफ-सुथरी गंगा कैसे दे? यह सपने लेकर के चले, यह मैं आपसे अनुरोध करता हूं।

दुनिया कहती है 21वीं सदी एशिया की सदी है। कुछ कहते है 21वीं सदी भारत की सदी है। सदियों से यह पाया गया है कि जब-जब मानव जाति ज्ञान युग में प्रवेश किया है, भारत विश्व का नेवृत्व करता रहा है। 21वीं सदी भी ज्ञान की सदी है और जब 21वीं सदी ज्ञान की सदी हो, स्वयं दयानंद जी ज्ञानमार्गी हो और भारत के अंदर 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की हो। हिन्दुस्तान आज दुनिया में सबसे जवान है और जो देश दुनिया में सबसे जवान होता है, उस देश के सपने भी जवान होते है, इरादे भी जवान होते है, संकल्प भी जवान होते है और इसलिए इस देश की युवा शक्ति जो आज मेरे सामने मैं देख रहा हूं। यह 65 प्रतिशत जनसंख्या, यह भारत का भाग्य ही नहीं, विश्व का भाग्य बदलने के लिए ताकतवर है। इसलिए हमारी कोशिश है कि हमारे देश की अमूल्य विरासत, यह अनमोल संपदा, इसको राष्ट्र के कल्याण के लिए कैसे लाया जाए? राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए युवा शक्ति पर ध्यान केन्द्रित कैसे किया जाए? और इसलिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय उठाए है।

Skill development, हम जानते हैं हम graduate हो जाए, अच्छे से अच्छेर marks ले आए, बढ़िया से बढिया इंस्टीट्यूट का सर्टिफिकेट हो, लेकिन जब समाज के अंदर पढ़ाई पूरी कर करके जीवनचर्या करने का प्रारंभ करते हैं। कहीं पर जाते हैं नौकरी पाने के लिए, नौकरी देने वाला पूछता है – कोई experience है क्या ? सबसे पहला सवाल पूछता है, आपका कोई experience है क्या ? और उसका जवाब हम नहीं दे पाते हैं। हमें यह पूछते हैं कि आपके पास सर्टिफिकेट तो है लेकिन कुछ और आता है क्या? तब भी हम मुंडी नीचे कर लेते हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे देश का नौजवान इस प्रकार से अपने आप को अनुपयोगी समझने लग जाए। तो उसके हाथ में सर्टिफिकेट होना काफी नहीं है, उसके हाथ में हुनर होना आवश्यक है। और इसलिए हमने Skill development का अभियान चलाया है। देश के नौजवानों के पास कोई न कोई हुनर होना चाहिए और अपने पैरों पर खड़े रहने की उसमें ताकत होनी चाहिए और मुझे विश्वास है कि हमारे देश के नौजवानों को अगर सही अवसर मिल जाए तो वो परिणाम प्राप्त कर करके ले सकते हैं, दे सकते हैं।

पूरे देश में Skill development का अभियान चलाया है। हमारी सरकार बनने के बाद Skill development अलग ministry बना दी गई, अलग बजट निकाला गया, अलग अफसरों की फौज लगा दी गई, ताकि हिन्दुस्तान के कोटि-कोटि नौजवानों को Skill development का लाभ मिले। आने वाले दिनों में, 2030 में, दुनिया का हाल यह होने वाला है कि कई देश ऐसे होंगे कि जहां पर नौजवान ही नहीं होंगे। सारे बूढ़े-बूढ़े परिवार ही रहते होंगे, ऐसी स्थिति आने वाली है। सारी दुनिया को एक work force की जरूरत होगी और दुनिया को जो work force की जरूरत है वो work force supply करने की ताकत अगर किसी में होगी, तो हिन्दुस्तान में होगी। हमारे हिन्दुस्तान का नौजवान अपने बलबूते पर दुनिया का भाग्य बदल दे, ऐसे दिन आने वाले हैं।

हमने एक योजना शुरू की - मुद्रा योजना। हमारे देश के आर्थिक विकास में हमेशा दो विषयों की चर्चा चली है, या तो प्राइवेट सेक्टर या पब्लिक सेक्टर। आर्थिक कारोबार चलाने के दो ही तरीके सामने आए है - प्राइवेट सेक्टर, पब्लिक सेक्टर। हमने नया विचार किया है। यहां जो बात आई है, नई दिशा। हमने कहा, प्राइवेट सेक्टर अपना काम करे, पब्लिक सेक्टर अपना काम करे। फले-फूले बहुत आगे बढ़े, लेकिन देश को आगे बढ़ाने के लिए एक तीसरे सेक्टर की जरूरत है, और उसको हमने कहा है – पर्सनल सेक्टर। हर व्यक्ति में वो सामर्थ्य हो, अपने बलबूते पर खड़ा रहे और वो job-seeker न बने, job-creator बने। दो को, पांच को, सात को, रोजगार देने वाला बने और इसलिए हम वो ताकत खड़ी करना चाहते हैं।

समाज के छोटे-छोटे लोग, जिनको कभी बैंक के अंदर प्रवेश तक नहीं मिलता था। हमने मुद्रा योजना के तहत कहा है कि जो सामान्य लोग है, बाल काटने वाला नाई होगा, धोबी होगा, अखबार बेचने वाला होगा, दूध बेचने वाला होगा, चाय बेचने वाला होगा, सामान्य लोग समाज के, मुद्रा योजना से उनको पैसे दिए जाएंगे और किसी भी प्रकार की गारंटी के बिना पैसे दिए जाएंगे, ताकि वो साहूकारों के ब्याज के चक्कर से मुक्त हो जाए और उसको 50 हजार, लाख, दो लाख, पांच लाख रुपया चाहिए तो वो अपना कारोबार बढ़ा सकता है। आज अगर वो दो लोगों को रोजगार देता था तो पांच को दे सकता है। कोई और काम नहीं कर सकता है तो नई शुरूआत कर सकता है। कोई ऑटो रिक्शा। लाकर के अपनी गाड़ी चला सकता है। परिवार को अपने पैरों पर खड़ा कर सकता है और इसलिए मुद्रा योजना शुरू की है।

मुझे खुशी है कि हमने कोई ढोल नहीं पीटे, बड़े-बड़े मेले नहीं लगाए, राजनीतिकरण नहीं करने दिया। दो करोड़ से ज्या्दा लोगों को अब तक मुद्रा योजना का पैसा दिया जा चुका है और करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपया कोई भी गारंटी के बिना इस देश के लोगों पर भरोसा करके देने का हमने निर्णय किया, कर दिया काम। वो देश की आर्थिक स्थिति को चलाएंगे। हमारी सरकार की नई दिशा यही है कि हम सामान्या मानिवकी पर भरोसा करते हैं। हिन्दुस्तान की सरकार, हिन्दुस्‍तान के नागरिकों पर आशंका करे, ये दूरियां मिटनी चाहिए और हमने तय किया कि हम नागरिकों के प्रति विश्वास करेंगे, भरोसा करेंगे।

आपको पता होगा, यहां जो टीचर बैठें होंगे उनको तो बराबर याद होगा। पढ़ाई आप करे, मेहनत आप करे, रात-रात जागकर के पढ़ाई आप करे, परीक्षा आप दे, marks आप लाए, position आपको प्राप्त हो। लेकिन जब कहीं नौकरी चाहिए, सरकार में अर्जी करनी है तो आपका सर्टिफिकेट तब तक नहीं माना जाता है जब तक उस नगर का कोई राजनेता उस पर ठप्पा नहीं मारता, सर्टिफाई नहीं करता, तब तक आपका वो सर्टिफिकेट, सर्टिफिकेट नहीं माना जाता। नागरिकों के प्रति इससे बड़ा अविश्वाास क्या हो सकता है? हमने आकर के निर्णय कर दिया कि सर्टिफाई करने के लिए किसी के पास जाने की जरूरत नहीं है। आप अपना सर्टिफिकेट Xerox करके भेज दीजिए। जब final निर्णय करना होगा तब original लेकर के आना, देख लेंगे बात चल जाएगी। नागरिकों पर भरोसा करना चाहिए। वैसा ही भरोसा हमने मुद्रा योजना में किया। कोई गारंटी नहीं, ले जाओ भाई। और मेरा मत है, सामान्य मानविकी, गरीब आदमी ब्याज समेत पाई-पाई चुकता कर देता है और समय से पहले चुकता कर देता है, वो कभी पैसे डुबोता नहीं है। मैंने गरीबों की अमीरी को देखा है। अमीरों की गरीबी भी देखा है, लेकिन मैंने गरीबों की अमीरी को देखा है।

जब हमने ‘प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ की और लोगों को कहा था, zero balance से account खुलेगा। एक पैसा नहीं दोगे तो भी बैंक account खुलेगा क्यों कि मेरी इच्छा थी कि हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब व्यक्ति का भी बैंक के ऊपर हक होना चाहिए। 60 प्रतिशत लोग उसके बाहर थे, उनको लाना था। Zero balance से बैंक account खुलने वाला था, लेकिन आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि सरकार ने तो मुफ्त में खाता खोलना तय कर दिया था, लेकिन हमारे गरीबों की अमीरी देखिए। उन्होंने कहा, नहीं-नहीं हम मुफ्त में नहीं करेंगे, पांच रुपया-दस रुपया भी रखेंगे और 30 हजार करोड़ रुपया रखा लागों ने, 30 हजार करोड़ रुपया। अगर एक बार सामान्य मानविकी पर भरोसा करे तो वो कितनी ताकत का दर्शन करा देता है, उसका यह नमूना है।

हमने नौजवानों के लिए ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’ अभियान चलाया है। Skill development हो, मुद्रा योजना से पैसा मिले, ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’ innovative चीजें करें। खासकर के हमारे दलित भाई-बहन, हमारे schedule tribe के भाई-बहन, आदिवासी भाई-बहन, वो भी अपने बलबूते पर, अपनी ताकत पर आगे आए, उसके लिए सरकार को मदद करनी चाहिए। मैंने कहा सवा लाख branches को, क्याप आप मुद्रा योजना से हर बैंक एक दलित को, एक आदिवासी को बैंक loan दे। हिन्दुस्तान में सवा लाख branches है, ढाई लाख नए उद्योगकार यहीं हमारे समाज में से आ सकते हैं। गरीब, दलित, पीड़ित, शोषित समाज में से आ सकते हैं और काम तेज गति से चल रहा है।

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हमने ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’ के द्वारा देश के नौजवानों को आह्वान किया है कि नए तरीके से कुछ करने का माद्दा रखिए। आइए, सरकार आपके साथ खड़ी रहेगी और हम दुनिया के अंदर एक Start-up Capital के बलबूते पर आगे बढ़े, ताकि हमारे नौजवानों को अवसर मिले। एक के बाद एक इस प्रकार के कार्यकम जिसके कारण समाज सशक्त हो, परिवार अपने पैरों पर चल सके इतने ताकतवर हो। परिवार के सपने पूरे हो, उन बातों को लेकर के आगे बढ़ रहे हैं। आज सारी दुनिया ने माना है चाहे World Bank हो, IMF हो और भी कोई संगठन हो, हर किसी का कहना है कि दुनिया पूरी आर्थिक संकट से गुजर रही है। एक अकेला हिन्दुस्तान आज पूरे विश्व में आर्थिक रूप से तेज गति से आगे बढ़ रहा है। असामान्य स्थि‍ति है। सारी दुनिया डूब रही है, उस समय हिन्दुस्तान चमक रहा है। यह बात दुनिया के लोग कह रहे हैं। पिछले डेढ़ साल में एक के बाद एक जो कदम उठाए, आज उसका नतीजा है कि आज हिन्दु‍स्तान जो larger economies है, बड़ी economies है, उसमें सबसे ज्यादा तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है।

हमारी सभी समस्याओं का समाधान एक ही बात में है। हमें मुसीबतों से मुक्ति एक ही बात से मिल सकती है। हमें गरीबी से मुक्ति एक ही बात से मिल सकती है। हमें अशिक्षा से मुक्ति एक ही बात से मिल सकती है। हमें बीमारी में दवाई एक ही बात से मिल सकती है। और वो एक बात है – विकास। विकास, यही एक मार्ग है जो भारत के गरीब मानविकी को संकटों से बाहर ला सकता है। मुसीबतों से बाहर ला सकता है और इसलिए हमारी सरकार ने ध्यान केन्द्रित किया है विकास के कामों पर। देश तेज गति से आगे बढ़ना चाहिए। कृषि में विकास हो, गांवों का विकास हो, शहरों का विकास हो, गरीब को रोजगार हो, इन बातों पर हम बल दे रहे हैं और आज उसके अच्छे नतीजे दिखाई देने लगे है।

आज जब मैं आपके बीच आया हूं और आप वो लोग है जो समाज के लिए कुछ न कुछ करने के संस्कार से जुड़े हुए हैं। जो भी सात्विक शक्तियां हैं उन्हें आज प्रखरता से काम करने की आवश्यकता है। जितनी सात्विक शक्तियां एक बनकर के, प्रखर होकर के आगे आएगी, इस देश को रोकने के सपने देखने वालों के सपने चूर-चूर हो जाएंगे। इसी संकल्प को लेकर के आगे बढ़े। मैं फिर एक बार आचार्य जी का, पूनम जी का, आप सब का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि मुझे आज आप सब के बीच आने का अवसर मिला और पूज्य स्वामी दयानंद जी को स्मरण करने का अवसर मिला। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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May 12, 2025
QuoteToday, every terrorist knows the consequences of wiping Sindoor from the foreheads of our sisters and daughters: PM
QuoteOperation Sindoor is an unwavering pledge for justice: PM
QuoteTerrorists dared to wipe the Sindoor from the foreheads of our sisters; that's why India destroyed the very headquarters of terror: PM
QuotePakistan had prepared to strike at our borders,but India hit them right at their core: PM
QuoteOperation Sindoor has redefined the fight against terror, setting a new benchmark, a new normal: PM
QuoteThis is not an era of war, but it is not an era of terrorism either: PM
QuoteZero tolerance against terrorism is the guarantee of a better world: PM
QuoteAny talks with Pakistan will focus on terrorism and PoK: PM

प्रिय देशवासीयांनो

नमस्कार!

आपण सर्वांनी गेल्या काही दिवसांत देशाचं सामर्थ्य आणि त्याचा संयम दोन्ही पाहिलं आहे. मी सर्वप्रथम भारताच्या पराक्रमी सैन्यदलांना, सशस्त्र दलांना, आपल्या गुप्तहेर संस्थांना, आपल्या वैज्ञानिकांना प्रत्येक भारतीयाच्या वतीनं सॅल्यूट करतो. आपल्या शूर सैनिकांनी ऑपरेशन सिंदूरच्या लक्ष्यप्राप्तीसाठी असीम शौर्य गाजवलं.

मी त्यांचं शौर्य, त्यांचं साहस, त्यांचा पराक्रम आज समर्पित करतो आहे. आपल्या देशाच्या प्रत्येक मातेला, देशाच्या प्रत्येक भगिनीला आणि देशाच्या प्रत्येक कन्येला हा पराक्रम समर्पित करतो आहे.

मित्रहो,

२२ एप्रिलला पहेलगाममध्ये दहशतवाद्यांनी ज्या क्रौर्याचं प्रदर्शन मांडलं, त्यानं देशाला आणि जगालाही हादरवून टाकलं होतं. सुट्टीचा आनंद घेणाऱ्या निर्दोष निरपराध नागरिकांना धर्म विचारून...त्यांचा कुटुंबासमोर, त्यांच्या मुलांसमोर निर्घृणपणे मारून टाकणं. हा दहशतीचा अतिशय बीभत्स चेहरा होता, क्रौर्य होतं. देशातला एकोपा आणि सुसंवाद भंग करण्याचाही हा किळसवाणा प्रयत्न होता. मला व्यक्तिशः याचा फार त्रास झाला. या दहशतवादी हल्ल्यानंतर सारा देश, प्रत्येक नागरिक, प्रत्येक समाज, प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक राजकीय पक्ष‌ एकमुखाने दहशतवादाविरोधात कठोर कारवाईसाठी उभा राहिला. आम्ही दहशतवाद्यांना धूळ चारण्यासाठी भारताच्या सैन्यदलांना पूर्ण मुभा दिली. आणि आज प्रत्येक दहशतवाद्याला, प्रत्येक दहशतवादी संघटनेला हे पुरेपूर समजलंय की आमच्या बहिणींच्या आणि मुलींच्या कपाळावरचं कुंकू- सिंदूर पुसण्याचा परिणाम काय होतो.

मित्रहो,

ऑपरेशन सिंदूर हे फक्त नाव नाही. देशातल्या कोट्यवधी लोकांच्या भावनांचं हे प्रतिबिंब आहे. ऑपरेशन सिंदूर ही न्यायाची अखंड प्रतिज्ञा आहे. ६ मे च्या रात्री उशिरा ७ मे च्या सकाळी साऱ्या जगानं ही प्रतिज्ञा प्रत्यक्षात येताना पाहिली आहे. भारताच्या सैन्यदलांनी पाकिस्तानात दहशतवादाच्या तळांवर त्यांच्या प्रशिक्षण केंद्रांवर अचूक प्रहार केला. दहशतवाद्यांना स्वप्नातही वाटलं नसेल, की भारत इतका मोठा निर्णय घेऊ शकेल. पण जेव्हा देशाची एकजूट होते. 'राष्ट्र प्रथम' या भावनेने देश भारून जातो. राष्ट्र सर्वोपरि असतं...तेव्हा पोलादी निर्णय घेतले जातात. अपेक्षित परिणाम घडवून दाखवले जातात. जेव्हा पाकिस्तानात दहशतीच्या अड्ड्यांवर भारताच्या क्षेपणास्त्रांनी हल्ला केला. भारताच्या ड्रोन्सनी हल्ला केला...तेव्हा दहशतवादी संघटनांच्या केवळ इमारतीच नाही, तर त्यांचं धैर्यही डळमळीत झालं. बहावलपूर आणि मुरीदके यासारखे दहशतवाद्यांचे तळ, एक प्रकारे जागतिक दहशतवादाची विद्यापीठं बनली होती. जगात कुठेही जे मोठे दहशतवादी हल्ले झाले आहेत...मग तो नाइन इलेव्हन असो. कींवा लंडन ट्यूब बॉंबिंग्स असोत किंवा भारतात अनेक दशकांत जे मोठमोठे दहशतवादी हल्ले झाले. त्यांचे धागेदोरे दहशतीच्या या तळांशी कुठे ना कुठे जोडलेले दिसत आले आहेत. दहशतवाद्यांनी आपल्या बहिणींच्या कपाळीचं कुंकू पुसलं म्हणून भारताने दहशतीची ही मुख्यालयं पुसून टाकली. भारताच्या या हल्ल्यांमध्ये शंभराहून अधिक क्रूरकर्मा दहशतवाद्यांना यमसदनी धाडण्यात आलं. दहशतवाद्यांचे कित्येक म्होरके आश्रयदाते गेल्या अडीच तीन दशकांपासून पाकिस्तानात राजरोस फिरत होते, जे भारताविरुद्ध कारस्थानं करत होते त्यांना भारतानं एका झटक्यात संपवलं आहे.

मित्रहो,

भारताच्या या कारवाईमुळे पाकिस्तान घोर निराशेच्या खाईत ढकलला गेला होता. कमालीचा हताश झाला होता. बिथरला होता आणि याच बिथरलेपणाच्या भावनेतून त्यानं आणखी एक दुःसाहस केलं. दहशतवादाविरोधात भारताच्या कारवाईला साथ देण्याऐवजी पाकिस्ताननं भारतावरच हल्ला करायला सुरुवात केली. पाकिस्ताननं आपल्या शाळा-महाविद्यालयांना गुरुद्वारांना मंदिरांना सामान्य नागरिकांच्या घरांना लक्ष्य केलं. पाकिस्ताननं आपल्या सैनिकी तळांना लक्ष्य केलं. पण यातही पाकिस्तानचा बुरखा गळून पडला. जगानं हे पाहिलं की पाकिस्तानचे ड्रोन्स आणि क्षेपणास्त्रं भारतासमोर काड्या काटक्यांसारखी कशी उधळली गेली. भारताचा सशक्त हवाई संरक्षण प्रणालीनं त्यांना आकाशातच नष्ट करून टाकलं. पाकिस्ताननं सीमेवर वार करण्याची तयारी केली होती. पण भारताने पाकिस्तानच्या छातीवरच प्रहार केला. भारताचे ड्रोन्स भारताच्या क्षेपणास्त्रांनी अतिशय अचूक हल्ला केला. पाकिस्तानी वायुदलाच्या त्याच हवाई तळांची हानी केली, ज्यांच्याबद्दल पाकिस्तानला फारच घमेंड होती. भारताने पहिल्या तीन दिवसांतच पाकिस्तानला इतकं उध्वस्त केलं ज्याचा त्याला अंदाजही नव्हता. म्हणूनच तर भारताच्या आक्रमक कारवाईनंतर पाकिस्ताननं सुटकेचे मार्ग शोधायला सुरुवात केली. पाकिस्तान जगाकडे तणाव कमी करण्यासाठी विनंतीची याचना करत होता आणि जबरदस्त मार खाल्ल्यानंतर, १० मे रोजी दुपारी, पाकिस्तानी सैन्यानं आपल्या डीजीएमओ शी संपर्क साधला. तोपर्यंत आपण दहशतवादाला पोसणाऱ्या पायाभूत सुविधा मोठ्या प्रमाणात नष्ट केल्या होत्या. दहशतवाद्यांना यमसदनी धाडण्यात आलं होतं, पाकिस्तानने अगदी हृदयाशी बाळगलेल्या दहशतवादी तळांना आपण उध्वस्त केलं होतं. म्हणूनच जेव्हा पाकिस्तानकडून विनंतीची याचना करण्यात आली. जेव्हा पाकिस्तानकडून हे सांगण्यात आलं की त्यांच्याकडून यापुढे दहशतवादी कारवाया आणि लष्करी दुःसाहस होणार नाही. तेव्हा भारतानही त्यावर विचार केला. आणि मी पुन्हा सांगतो. आपण पाकिस्तानमधील दहशतवादी आणि लष्करी तळांविरुद्धची आपली प्रत्युत्तरात्मक कारवाई सध्या फक्त स्थगित केली आहे. येत्या काळात आम्ही पाकिस्तानचे प्रत्येक पाऊल या निकषावर पारखू...की तो नेमका कोणता दृष्टिकोन स्वीकारतो?

मित्रांनो,

भारताची तिन्ही सैन्यदलं आपलं हवाई दल आपलं भूदल आणि आपलं नौदल आपलं सीमा सुरक्षा दल – बीएसएफ, भारताची निमलष्करी दलं सातत्यानं सतर्क आहेत. सर्जिकल स्ट्राईक आणि एअर स्ट्राईक नंतर आता ऑपरेशन सिंदूर हे दहशतवादाविरुद्ध भारताचं धोरण आहे. ऑपरेशन सिंदूरनं दहशतवादाविरुद्धच्या लढाईत एक नवीन रेषा आखली आहे. एक नवीन मानक, एक नवीन उदाहरण, घालून दिलं आहे. पहिले- जर भारतावर दहशतवादी हल्ला झाला तर त्याला सडेतोड उत्तर दिले जाईल. आपण आपल्या पद्धतीनं, आपल्या स्वतःच्या अटींनिशी प्रतिसाद देऊ. दहशतवादाची मुळे जिथे जिथे उगम पावत असतील तिथे तिथे जाऊन आम्ही कठोर कारवाई करू. दुसरे - भारत कोणत्याही आण्विक ब्लॅकमेलला भीतीच्या बागुलबुवाला भीक घालणार नाही. आण्विक ब्लॅकमेलच्या आडून फोफावणाऱ्या दहशतवादी अड्ड्यांवर भारत अचूक आणि निर्णायक हल्ला करेल. तिसरे म्हणजे, दहशतवादाला आश्रय देणारं सरकार आणि दहशतवादाचे सूत्रधार, यांना आपण वेगवेगळे घटक समजणार नाही. ऑपरेशन सिंदूर दरम्यान जगानं पुन्हा एकदा पाकिस्तानचं घृणास्पद सत्य अनुभवलं. जेव्हा मारल्या गेलेल्या दहशतवाद्यांना अंतिम निरोप देण्यासाठी पाकिस्तानी सैन्याच्या वरिष्ठ अधिकाऱ्यांची उडाउडी पडली. एखादा देश पुरस्कृत करत असलेल्या दहशतवादाचा…हा जिवंत पुरावा आहे. आपण भारत आणि आपल्या नागरिकांना कुठल्याही प्रकारच्या धोक्यापासून वाचवण्यासाठी सातत्यानं निर्णायक पावलं उचलत राहू.

मित्रानो,

रणागणांत प्रत्येकवेळी आपण पाकिस्तानवर मात केली आहे आणि यावेळी ऑपरेशन सिंदूरनं नवा आयाम स्थापित केला आहे. आपण वाळवंट आणि पर्वतीय भागातही आपल्या क्षमतेचं शानदार प्रदर्शन केलं आणि सोबतच नव्या पिढीच्या आधुनिक युध्दनीतीतही आपलं श्रेष्‍ठत्व सिध्द केलं. या ऑपरेशन दरम्यान, आपली मेड इन इंडिया शस्त्र प्रमाणांच्या कसोटीवर खरी उतरली. आज जग पाहत आहे, एकविसाव्या शतकाच्या युध्दनीतीत मेड इन इंडिया संरक्षण उत्पादनांची वेळ आली आहे.

मित्रानों,

प्रत्येक प्रकारच्या दहशतवादा विरोधात आपल्या सगळयाची एकजूट आपली सर्वात मोठी शक्ती आहे. निश्चितच हे युग युध्दाचं नाही, परंतु हे युग दहशतवादाचंही नाही. दहशतवादाविरोधात शून्य सहिष्णूता ही एका चांगल्या जगाची हमी आहे.

मित्रानों,

पाकिस्तानी सैन्य पाकिस्तानचं सरकार ज्याप्रकारे दहशतवादाला खतपाणी घालत आहे. तो एकदिवस पाकिस्तानलाच संपवून टाकेल. पाकिस्तानला यातून वाचायचं असेल तर, त्याला आपल्या दहशतवादी पायाभूत सुविधा नष्ट कराव्या लागतील. याशिवाय, शांततेचा दुसरा मार्ग नाही. भारताचं मत एकदम स्पष्ट आहे. दहशतवाद आणि संवाद एकत्र होऊ शकत नाहीत. दहशतवाद आणि व्यापार एकत्र चालू शकत नाहीत आणि पाणी आणि रक्त हे देखील एकत्र वाहू शकत नाही. मला आज जागतिक समुदायाला सांगायचं आहे. आमचं जाहीर धोरण राहिलं आहे, पाकिस्तानशी चर्चा होईल तर दहशतवादावर होईल. पाकिस्तानशी चर्चा होईल तर पाकव्याप्त काश्मीरवर होईल.

प्रिय देशवासीयांनो, आज बुध्दपौर्णिमा आहे. भगवान बुध्दांनी आपल्याला शांततेचा मार्ग दाखवला आहे. शांततेचा मार्गही शक्तीमार्गेच जातो. मानवता, शांतता आणि समृध्दीकडे अग्रेसर व्हावं. प्रत्येक भारतीयाला शांततेनं जगता यावं, विकसित भारताचं स्वप्न पूर्ण करता यावं, यासाठी भारताचं शक्तीशाली होणं गरजेचं आहे आणि आवश्यकता असेल तेव्हा, या शक्तीचा वापरही गरजेचा आहे आणि गेल्या काही दिवसात भारतानं हेच केलं आहे. मी पुन्हा एकदा भारताचं सैन्य आणि सशस्त्रदलांना सलाम करतो. आपण भारतीयांच्या उमेद आणि एकजूटीला वंदन करतो.

धन्यवाद.

भारतमाता की जय.