We will ensure more and more tourists arrive here. This will generate income opportunities for people: PM Modi in Meghalaya
Under PMGSY, we provided around Rs 470 crore for construction of 1100 KM of road: PM Modi in Meghalaya
We will ensure good governance guided by the philosophy of 'Sabka Saath, Sabka Vikas': PM
We approved construction of 21,000 houses in Meghalaya and provided more than Rs 100 crore to the government, says PM Modi in Phulbari
We have planned to spend around Rs. 180 crore for building of new Shillong airport, says the PM
The current government has wasted your 50 years. I urge you to give us a chance to serve the state: PM Modi in Meghalaya

मंच पर विराजमान प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्रीमान शिबून लिंगदोह, मंच पर विराजमान पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता, इस चुनाव में सभी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और विशाल संख्या में पधारे हुए भाइयो और बहनो।

ऐसा लग रहा है कि ये फूलबारी की सभा। ऐसा लग रहा है कि इस बार फूल की बारी। और वैसे ये मौसम भी थोड़ा पतझड़ का रहता है। तो पुराने पत्ते गिर जाते हैं और नए पत्ते आते हैं। राजनीति में भी मुझे लग रहा है। कि पुराना सब झड़ जाने वाला है और कमल का फूल खिलने वाला है। मैं हेलिकॉप्टर से देख रहा था ...। कोई कल्पना नहीं कर सकता है। कि मेरा ये छोटे से प्रदेश में इतना बड़ा विराट जलसागर। मैं जहां देखूं, मुझे लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। और इसलिए ये साफ दिख रहा है कि समय मेघालय का भाग्य बदलने का है। ये समय मेघालय में परिवर्तन का है। सालों तक आपने एक ही पार्टी को देखा है, एक ही पार्टी को झेला है। और इसलिए वे लोग भी आपको टेकन फॉर ग्रांटेट मानते हैं। ये मानकर चलते हैं कि ये राज्य तो हमारी बपौती है। यहां पर और कोई आ नहीं सकता है। हम लोगों का भला करें या न करें। हम जनता जनार्धन की शिकायत को सुनें या न सुनें। हम यहां गांव में रास्ते बनाएं या न बनाएं। हम यहां किसानों की चिंता करें या न करें, परवाह करें या न करें। यहां तो हमारे लिए राजनीतिक चुनौती है ही नहीं। और इसलिए हम अपनी मर्जी से करेंगे, मर्जी से चलेंगे।

भाइयो बहनो।

हो सकता है कि कुछ लोगों को इनके प्रति प्रेम हो लेकिन एक बार चेहरा बदलकर देखो तो सही कि दूसरा कैसा है। और आपको लगे, आपके इन्होंने पचास साल बर्बाद किए हैं। पचास साल बर्बाद किए। हमे अवसर दोगे तो हमारे अंदर एक जुनून होगा और हमारे मन में कुछ काम करने का इरादा होगा। और पांच साल के बाद अगर आपको ठीक न लगे तो हमको निकाल देना। एक बार बदलकर देखो तो सही। आज मेघालय की जनता को अच्छी सरकार क्या होती है। सबका साथ, सबका विकास। इसकी राजनीति क्या होती है। यहां के नौजवानों के भविष्य को बदलने के लिए ऐसी कौन-सी योजनाएं बनाएं ताकि अपना गांव छोड़करके बाहर न जाना पड़े। ऐसी योजनाएं कैसे बनाएं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। इस देश को भी पहले आशंका थी कि भारतीय जनता पार्टी वाले दिल्ली में आकरके क्या करेंगे। इनको अनुभव तो है नहीं। ऐसे ही सुनते थे ना पहले आप ..। सुनते थे कि नहीं सुनते थे ...। ऐसे सुनते थे ना ...। लेकिन 2014 में हमको बिठाया। आप मुझको बताइए।

आज देश प्रगति कर रहा है कि नहीं कर रहा है ...। सारी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है कि नहीं हो रही है ...। बज रहा है कि नहीं बज रहा है ...। अमेरिका में भारत की वाह-वाही हो रही है कि नहीं ...। इंग्लैंड में वाह-वाही हो रही है ...। फ्रांस में हो रही है ...। जर्मनी में हो रही है ...। क्या कारण है ....। क्या कारण है ...। क्या कारण है ...। क्या कारण है ...। अरे मोदी कारण नहीं है। ये कारण आप लोग हैं, देश के सवा सौ करोड़ नागरिक हैं। क्योंकि आपने दिल्ली में 30 साल के बाद, एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई। और इसके कारण ...। और सरकार एक के बाद एक कदम उठा पाई। उसी का परिणाम है कि आज देश में, दुनिया में हिन्दुस्तान का जय-जयकार हो रहा है।

भाइयो बहनो।

मेघालय में भी एक बार परिवर्तन करके देखो। एक बार भारतीय जनता पार्टी की मजबूत और स्थिर सरकार बनाकरके देखो। और एक बार मेघालय में बीजेपी की सरकार बन जाएगी। मैं आपको वादा करने आया हूं कि मेरी बीजेपी की सरकार यहां की जनता जनार्धन को पल-पल का हिसाब देगी, पाई-पाई का हिसाब देगी। क्या कभी ये कांग्रेस वालों ने कभी आकरके काम का हिसाब दिया है क्या ...। किसी सवाल का जवाब दिया है क्या ...। आपकी समस्याओं का समाधान किया है क्या ...। आपको किए गए वादों को पूरा किया है क्या ...। इस चुनाव में भी आकरके क्या अपने कामों का हिसाब दे रहे हैं क्या ...। यहां चुनाव में भी आकरके गाली मोदी को दे रहे हैं। पचास-पचास साल से यहां बैठे हुए हो, मेघालय की जनता को जरा हिसाब तो दो, इतने सालों में आपने क्या किया?

 

भाइयो बहनो।

यहां पर कहीं पर जाओ। रास्ता क्या होता है। पक्की सड़क क्या होती है। तारकोल रोड क्या होता है। क्या मेघालय की अंदरुनी गांवों में देखा है क्या ...। है क्या ...। गांव में कहीं रोड है क्या ...। जरा जोर से बताओ सड़क का क्या हाल है यहां ...। सड़क का हाल क्या है ..। ऐसा लग रहा है कि खेत में चल रहे हैं। अरे सड़क पर खेती करनी हो तो खेती कर पाओ। ये हाल करके रखा है कि नहीं रखा है ...। दिल्ली सरकार पैसे देती है। गांव से सड़क जोड़ने के लिए दिल्ली सरकार पैसे देती है। यहां पर अगर 100 रुपए का खर्चा होता है तो 80 रुपया दिल्ली से आता है। अगर हजार रुपए का खर्चा होता है तो 800 रुपया दिल्ली से आता है। एक लाख रुपए का खर्चा होता है तो 80 हजार रुपया दिल्ली से आता है। एक करोड़ रुपए का खर्चा होता है तो 80 लाख रुपए दिल्ली से आता है। आप मुझे बताइए। भाइयो बहनो। ऐसा क्या कारण है कि दिल्ली से इतने रुपए आते हैं लेकिन सड़क कहीं नजर नहीं आती है तो ये रुपए गए कहां ...। ये कहां गए रुपए ...। आपको कभी हिसाब दिया। ये चुनाव में ही 27 तारीख को आपने हिसाब मांगना है उसे। और हमेशा के लिए उनको सजा करके देखिए। जो नई सरकार आएगी, इतने उत्साह के साथ काम करेगी। इन सारी समस्याओं का समाधान करके देगी। ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं।

आप मुझे बताइए भाइयो बहनो। अगर मेघालय में बीजेपी की सरकार हो, दिल्ली में बीजेपी की सरकार हो। नोर्थ ईस्ट की भलाई करने का दिल्ली सरकार का सपना हो। अगर आपके मेघालय को एक इंजन से चलाएंगे तो तेज चलेगा कि डबल इंजन से चलाएंगे तो तेज चलेगा। मेघालय को डबल इंजन चाहिए कि नहीं चाहिए ...। चाहिए कि नहीं चाहिए ...। तो एक इंजन मेघालय का और दूसरा इंजन दिल्ली का। अगर दो इंजन लग गए तो इन 50 साल में जो काम नहीं हुआ है वो  वो पांच साल में पूरा करने का काम दोनों सरकार मिलकरके करेगी।

भाइयो बहनो।

पिछले चार साल में मेघालय को सड़क बनाने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करीब-करीब 500 करोड़ रुपए दिया गया, 470 करोड़। गांवों में 1100 किमी की सड़कें बननी थी। कितने पैसे दिये लेकिन ये सरकार ऐसी है कि आधा काम भी पूरा नहीं कर पाए। और पता नहीं सड़कें कहां गई, पैसे कहां गए। क्या हुआ पता ही नहीं चला। पहले तो दिल्ली में सरकार थी जो कभी हिसाब ही नहीं मांगती है। तुम भी अच्छे, हम भी अच्छे, तुम भी बड़े, हम भी बड़े, तेरा भी हो, मेरा भी हो। यही कारोबार चलता था तो हिसाब ही नहीं मांगता था। हम जब से आए हैं, जो खर्च किया उसका हिसाब मांग रहे हैं। हमारे डोनर मंत्रालय के लोग हर महीना नोर्थ ईस्ट के किसी न किसी राज्य में जाकरके बैठते हैं। हम कहते हैंजो काम किया है, पहले उसका हिसाब दो। जो काम किया है, वो हमें दिखाओ। हम देखने जाएंगे और उसके बाद पैसे ले जाओ। अब वो हिम्मत ही नहीं करते हैं मांगने की, क्योंकि काम करे तो दिखाए ना ...। ये हालत करके रखी है।

भाइयो बहनो।

आपके भोलेपन का इन लोगों ने इतना दुरुपयोग किया है, आपकी ईमानदारी का इन लोगों ने इतना दुरुपयोग किया है कि आपको मुसीबत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर किया है। और इसलिए आज मैं आपसे आग्रह करने आया हूं।

भाइयो बहनो।

पिछली बार मैं आया था। 260 किमी की शिलांग-पूरा रोड, दो नेशनल हाइवे, 1000 हजार करोड़ रुपया और  आने वाले तीन-चार वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपया, आपके सड़क के पीछे हम खर्च करेंगे।

भाइयो बहनो।

पचास साल में 10 हजार रुपया का काम सुना नहीं होगा, इतना काम आने वाले दिनों में हम करना चाहते हैं। अगर नोर्थ ईस्ट को मेघालय को कनेक्टिविटी मिल जाए, रेल कनेक्टिविटी मिल जाए, रोड कनेक्टिविटी मिल जाए, एयर कनेक्टिविटी मिल जाए तो यहां के लोगों में ताकत है, यहां की धरती में ताकत है, मेघालय स्वर्ग बन सकता है मेरे भाइयो बहनो।

भाइयो बहनो।

शिलांग एयरपोर्ट, करीब 180 करोड़ रुपया खर्च करने की हमारी योजना है। ...और उसके कारण सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी, इन दिनों मैंने उड़ान योजना बनाई है जिसका सबसे ज्यादा लाभ नोर्थ ईस्ट को होने वाला है। और इतनी टिकट सस्ती कर दी है कि हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जा सकता है। कभी बीमारी के वक्त, हवाई जहाज पर जाना हो, गरीब आदमी भी उसमें जा पाए, ऐसा कम खर्च से हम आने वाले दिनों में उड़ान योजना के तहत नोर्थ ईस्ट के छोटे-छोटे इलाके को, एक राज्य को दूसरे राज्य को जोड़ने के लिए हम बहुत बड़ी मात्रा में काम कर रहे हैं। और उसका लाभ ...। जो शिलांग का एयरपोर्ट बनवा रहे हैं। उस एयरपोर्ट में बोइंग 737, एयर बस 320, ये वहां लैंड कर पाए। 180 करोड़ रुपए के खर्चे से ये नया शिलांग का एयरपोर्ट, बड़ा एयरपोर्ट। आप कल्पना कर सकते हैं कि यहां पर औद्योगिक विकास की संभावना बढ़ेगी, टूरिज्म की संभावना बढ़ेगी। सामान्य मानवी के लिए रोजगार की संभावना बढ़ेगी। और उस काम को बल देने के लिए ...।उसी तरह हमने शिलांग से सिलचर, इंफाल, दिमापुर, आइजल, अगरतला, तेजपुर इन सारे क्षेत्रों में उड़ान योजना के तहत कनेक्टिविटी की दिशा में एक बहुत बड़ा काम हमने हाथ में लिया है। और वो आने वाले दिनों में प्राइवेट पार्टियां आएगी और वो काम बनता जाएगा।

भाइयो बहनो।

मेघालय के अंदर इतने सालों से सरकार बैठी है। और  उनका रिकॉर्ड क्या है। लोगों की जुबान पर इस सरकार की पहचान क्या है। इस सरकार की पहचान है - शिक्षकों की भर्ती में घोटाला। किया है कि नहीं किया है ...। शिक्षकों की भर्ती में घोटाला हुआ है कि नहीं हुआ है ...। जिसको मिलना चाहिए उसको नहीं मिला है ...। ये हकीकत है कि नहीं है ...। रुपया मिला है कि नहीं है ...। रुपए कहीं चले गए कि नहीं चले गए ...। क्या ऐसे लोगों की जांच होनी चाहिए कि नहीं चाहिए ...।

 

भाइयो बहनो।

खदान से लेकर के खेत-खलिहान चीन तक, कोई ऐसा विषय नहीं है जिसमें सवालिया निशान न हो, घोटालों की भरमार न हो। ये हाल इन्होंने किया है। जमीन आवंटन हो, बच्चों के लिए पौष्टिक आहार हो। उसमें भी, बच्चों के पेट से भी निकाल करके जो लोग खा जाएं, वो आपका भविष्य बना सकते हैं क्या ...। क्या ऐसे लोगों के हाथ में मेघालय रहने देना चाहिए क्या ...। और इसलिए भाइयो बहनो। ये चुनाव एक अवसर है। ये ऐसी सरकार है जहां बिना कमीशन को कोई काम नहीं होता है। हर चीज में लेने-देने वालों की एक फौज भरी हुई है। बिचौलियों का एक बड़ा कारोबार चला हुआ है। यहां पर ऐसे-ऐसे काम चल रहे हैं कि विधवा पेंशन मिलना हो, पैसा जाता है, चेक फटता है, सरकारी खजाना खाली होता है लेकिन जो बेटी कभी पैदा ही नहीं हुई, वो मेघालय सरकार में कागज पर विधवा भी हो जाती है और सालों तक पेंशन भी चला जाता है। जो बेटी पैदा भी नहीं वो विधवा हो जाए और पैसे निकलते चले। सरकारी मुलाजिम, नौकरी मिली। वो इंसान है ही नहीं। कागज पर वो नाम है। उसके नाम पर पैसे जा रहे हैं। वो मुलाजिम कहां है। पैदा ही नहीं हुआ।

भाइयो बहनों।

जिस प्रकार से ये काम कर रहे हैं और हम एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत हम काम कर रहे हैं। हम विकास को प्राथमिकता देते हुए काम कर रहे हैं। और हमारी कोशिश है कि हमारे देश में एक्ट ईस्ट पॉलिसी के द्वारा पूरे नोर्थ ईस्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर आधुनिक हो, आवागमन के साधन आधुनिक हो, रोड कनेक्टिविटी हो, एयर कनेक्टिविटी हो, रेल कनेक्टिविटी हो, डिजिटल कनेक्टिविटी हो, उसके ऊपर बल देते हुए काम कर रहे हैं। उसका लाभ नोर्थ ईस्ट से सटे हुए जो हमारे पड़ोसी देश हैं, बांग्लादेश हो, म्यांमार हो, उनसे हमारा व्यापार बढ़ सकता है और मेघालय का व्यापार इन पड़ोसी देशों में यहां का माल बिकेगा तो हमारे मेघालय के लोग कितने सुखी और संपन्न होंगे। ये आप अंदाज लगा सकते हैं। हम उस पर बल देते हुए हम काम कर रहे हैं।

भाइयो बहनो।

नोर्थ ईस्ट में हमारा विजन रहा है – ट्रांसपोर्टेशन को महत्व देना। इसलिए हमने कहा है - ट्रांसफोरमेशन बॉय ट्रांसपोर्टेशन। यातायात जितना बढ़ेगा, उसके लिए जितनी सुविधा बढ़ेगी, उतना ही यहां के जीवन में बहुत बड़ा लाभ होने वाला है।

पॉवर सेक्टर, बिजली। मैं हैरान हूं। 900 से ज्यादा गांव जहां बिजली नहीं पहुंची थी। एक ही पार्टी की सरकार थी। यहां भी उनकी सरकार, दिल्ली में भी उनकी सरकार। 900 गांव ऐसे थे जहां बिजली का खंभा भी नहीं था।

भाइयो बहनो।

मैंने बीड़ा उठाया दिल्ली से। मैं मेघालय के 900 गांवों को 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर नहीं करूंगा। भारत सरकार खर्चा करेगी और 900 गांव में बिजली पहुंचा देंगे। और आज उस काम को हमने पूरा कर दिया है। अब गांव में बिजली गई। अब हमने बीड़ा उठाया है कि अब घर में भी बिजली पहुंचनी चाहिए। और जो लोग आज भी 18वीं सदी में गुजारा कर रहे हैं। आज भी बिजली का कनेक्शन नहीं है। भारत सरकार सौभाग्य योजना के तहत मुफ्त में जो लाखों परिवार मेघालय में बिजली से वंचित हैं। उनको बिजली कनेक्शन देना, ये हमारा वादा है, ये हम पूरा करके रहेंगे। और इसके लिए 300 करोड़ से ज्यादा खर्च करना हमने निर्धारित किया है। हमने एक एलईडी बल्ब की योजना बनाई। बहुत सस्ता है एलईडी बल्ब। जो उजाला ज्यादा देता है और बिजली बिल कम देता है। मेघालय में करीब-करीब 3 लाख 20 हजार एलईडी के बल्ब पहुंचे हैं। और उसका ये नतीजा ये आया है जिन परिवारों में एलईडी बल्ब का इस्तेमाल होता है, वहां बिजली का बिल कम आने के कारण, अकेले मेघालय में 20 करोड़ रुपए बिजली का बिल कम आया है। ये जिनके घर में एलईडी का बल्ब है, उनके जेब में पैसे बच गए।

भाइयो बहनो।

और ये मेघालय की सरकार, एक भी नगरपालिका में एलईडी बल्ब नहीं लगा रही है। अगर उन्होंने एलईडी बल्ब लगा लिया होता, नगरपालिका की स्ट्रीट लाइट पर एलईडी बल्ब लगा होता तो सरकार के करोड़ों रुपए बच जाते और यहां के गरीबों के लिए काम आते। लेकिन यहांऐसी सोई पड़ी सरकार है, टेकन फॉर ग्रांटेट मानने वाली सरकार है जिसको आपकी कोई परवाह नहीं है।

भाइयो बहनो।

मेघालय में टूरिज्म की बहुत संभावना है। हेरिटेज टूरिज्म मेघालय में है। हेंडीक्राफ्ट टूरिज्म मेघालय में है। ईको टूरिज्म मेघालय में है। वाइल्ड लाइफ टूरिज्म मेघालय में है। एडवेंचर टूरिज्म मेघालय में है। क्या कुछ नहीं है लेकिन भाइयो बहनो।

टूरिस्ट नहीं है। टूरिज्म के लिए इतना अवसर होने के बाद भी मेघालय की सरकार को इस कामों में कोई रूचि नहीं है। इसके लिए जो व्यवस्थाएं खड़ी करनी चाहिए। देशभर से लोगों को लाने का प्रयास करना चाहिए। दुनिया के लोगों को यहां लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। भारत सरकार आपके साथ जुड़करके यह टूरिज्म के क्षेत्र को बहुत बड़ी ताकत देना चाहता है। और टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कम से कम लागत से ज्यादा से ज्यादा कमाई होती है। कम से कम पैसे लगते हैं लेकिन टूरिज्म से ऑटो रिक्शा वाला भी कमाता है। बस वाला भी कमाता है। फूल बेचने वाला भी कमाता है। चना-चबैना बेचने वाला भी कमाता है। हैंडीक्राफ्ट बेचने वाला भी कमाता है। छोटा गेस्ट हाउस वाला भी कमाता है। हर कोई उससे कमाता है।

और इसलिए भाइयो बहनो।

मेघालय में टूरिज्म की इतनी संभावना है जिसको हम आगे बढ़ाना चाहते हैं। 2022, आजादी का 75 साल होने वाला है। हमारा एक सपना है। हर गरीब को जिसके पास भी रहने के लिए अपना घर नहीं है। ऐसे हर व्यक्ति को, ऐसे हर परिवार को उसका अपना रहने का घर होना चाहिए। दिल्ली सरकार ने भी बीड़ा उठाया है, मेघालय में भी जो घर नहीं वाले लोग हैं, कोई किराये पर रहता है, कोई झुग्गी-झोपड़ी में रहता है, कोई फुटपाथ पर जिंदगी गुजारता है। ऐसे सबको अपना मकान मिले, इसकी योजना बनाकरके हम आगे बढ़ रहे हैं।

भाइयो बहनो।

ये सरकार कैसी है। हमने मेघालय सरकार को 21 हजार घर बनाने को मंजूरी दी। उसके लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि उनको दे दी। लेकिन मैं हैरान हूं कि 15-16 हजार मकान भी अभी तक, काम आगे बढ़ नहीं पाया। ऐसे ही एकाध ईंट आदि डाल दी और कागज पर लिख दिया कि काम चल रहा है। पैसे दे चुके हैं, गरीब को घर की जरूरत है। लेकिन सोई हुई सरकार है, गरीब बेघर है।

इसलिए मैं कहना चाहता हूं भाइयो बहनो।

पैसे हैं। हम काम करना चाहते हैं। लेकिन यहां एक ऐसी रूकावट बनी हुई है, एक ऐसी सोई पड़ी सरकार है। जिसके कारण भारत सरकार कितना ही काम करना चाहे पर काम कर नहीं पाते हैं। इसलिए मैं आपसे कहने आया हूं। अब जो घर अधूरे पड़े हैं, उनके लिए भी केंद्रर सरकार ने अलग से 200 करोड़ रुपए उनको दिए। उसमें से भी बहुत बड़ी मात्रा में धन अभी पड़ा हुआ है। ये धन पड़ा हुआ क्यों है। पहले की सरकार होती तो नहीं होता। ये इसलिए है क्योंकि हम हिसाब मांगते हैं। काम का हिसाब दो, आगे का पैसा निकालो। पैसा यहां रख दिया है लेकिन काम का हिसाब नहीं दे पा रहे हैं। पैसों की चोरी भी नहीं कर पा रहे हैं, खर्च भी नहीं कर पा रहे। इसके कारण वो परेशान हैं।

भाइयो बहनो।

ये पैसा जनता जनार्धन का है। ये आपके हक का पैसा है। इसके लिए, मैं तो हैरान हूं। यहां के तो मुख्यमंत्री स्वयं डॉक्टर हैं। लेकिन आपके मेघालय में हेल्थ सेक्टर का क्या हाल है। क्या डॉक्टर हैं क्या गांव में ...। पारा मेडिकल के स्टॉफ हैं क्या ...। दवाई उपलब्ध है क्या ...। क्या इस सरकार को कुछ चिंता है क्या ...। चिंता भी नहीं है।

भाइयो बहनो।

ये आज मेघालय में प्रेगनेंट वूमन, अस्पतालों का हाल ऐसा है कि वो डिलेवरी के लिए अस्पताल में जाने के लिए हिम्मत नहीं करती हैं। वो अपने घर में ही जिंदगी और मौत का खेल खेलने के लिए तैयार हो जाती है लेकिन सरकार के अस्पताल पर भरोसा नहीं करती हैं। ऐसे डॉक्टर मुख्यमंत्री यहां बैठे हुए हैं। पचास प्रतिशत महिलाएं, पचास प्रतिशत महिलाएं मेघालय में अस्पताल में डिलेवरी जाने की हिम्मत नहीं कर रही हैं, अपने घर में किसी को घर में बुलाकरके, जीए या मरें उसी के भरोसे अपनी जिंदगी छोड़ने को तैयार है लेकिन ये डॉक्टर मुख्यमंत्री पर उनको भरोसा नहीं है।

भाइयो बहनो।

इन माताओ बहनो को कितनी पीड़ा होती होगी। इनकी जिंदगी को कितना खतरा होता होगा। लेकिन इनको कुछ परवाह नहीं है। इसलिए मैं कहता हूं। हम आपकी जिंदगी की चिंता करना चाहते हैं। हम आपके साथ खड़े रहना चाहते हैं। एक बार पूरे मेघालय में, जिस मेघालय में फूलबारी हो, उस मेघालय में तो फूल की ही बारी होना चाहिए। ये करके चलना चाहिए। और इसलिए मैं आपसे कहना चाहूंगा कि नेशनल हेल्थ स्कीम के तहत करीब-कराब 500 करोड़ रुपया, 470 करोड़ रुपया। इनको दिए गए हैं। अगर ये राशि ईमानदारी से खर्च की गई होती तो ये पचास प्रतिशत महिलाओं की जो हालत है, वो नहीं हुई होती। मैं समझता हूं।

हमने एक योजना बनाई आयुष्मान भारत। और मैं चाहता हूं कि देशवासियों को इसका लाभ मिले। लोग इसको मोदी केयर कहके पुकारने लगे हैं, मोदी केयर। केंद्र सरकार एक इंश्योरेंस व्यवस्था ला रही है। गरीब परिवार होगा, सामान्य परिवार होगा। अगर उसके परिवार में कोई बीमारी आ गई। ऑपरेशन की जरूरत पड़ी, दवाई की जरूरत पड़ी, अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। उसको गांव से कहीं बाहर ले जाना पड़ा। 5 लाख रुपया, एक साल में दवाई या उपचार के लिए 5 लाख रुपए तक का खर्च होगा, तब तक पैसा भारत सरकार इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा देगी। किसी को 5 लाख रुपया तक उसको खर्च नहीं करना पड़ेगा। हर साल 5 लाख रुपया, ये बहुत बड़ी योजना, ये दुनिया की सबसे बड़ी योजना हम लेकर आए हैं।

और इसलिए मैं मेघालयवासियों को कह रहा हूं। अगर दिल्ली की सरकार और मेघालय की सरकार साथ मिलकरके काम करेंगे तो मुझे विश्वास है भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक बार मेघालय में बनाइए। ये सारी योजनाएं आपके दरवाजे पर आकरके दस्तक देगी। ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। हमने आपने देखा होगा, पहले छोटा काम होता था तो दिल्ली भागना पड़ता था। मैंने ऐसी स्थिति बनाई है कि दिल्ली की सरकार को नोर्थ ईस्ट के कोने में लाकरके खड़ा कर दिया है। हर महीने डोनर मंत्रालय का सचिवालय नोर्थ ईस्ट के अलग-अलग राज्यों में आता है। यहीं पर आकरके अफसरों के साथ बैठकरके समस्याओं की सुनवाई करता है और समस्याओं से मुक्ति दिलाकरके विकास के काम को आगे बढ़ाता है। मैंने केंद्र सरकार का कोई न कोई मंत्री पंद्रह दिन में से एक दिन नोर्थ ईस्ट में होना चाहिए। सिर्फ राज्य के बड़े केंद्र में ही नहीं पिछले जिलों में भी जाना चाहिए। ये काम पिछले चार साल से लगातार चल रहा है। आजादी के बाद केंद्र सरकार के जितने मंत्री नोर्थ ईस्ट में आए होंगे, चार साल में उससे भी ज्यादा मंत्रियों को मैंने नोर्थ ईस्ट में भेजा है। और लोगों से मिलकरके काम करने का प्रयास किया है।

भाइयो बहनो।

विकास की नई ऊंचाइयों को पार के लिए हम मिलकर चल रहे हैं तब, जब हम आज विश्व के अंदर भारत के संपर्क बढ़े हैं। उसका लाभ भारत के सामान्य मानवी को किस प्रकार से मिल रहा है। आप जानते हैं, दुनिया में टेरोरिज्म का खतरा है। और टेरोरिज्म का खतरा होने के कारण दुनिया में सामान्य मानवी की जिंदगी कितने खतरे में है। ये आप भलीभांति जानते हैं। और किस-किस प्रकार की स्थितियां बनी। जो लोग यहां जातिवाद का जहर फैला रहे हैं, जो लोग यहां साम्प्रदायवाद का जहर फैला रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हम सबका साथ, सबका विकास। इसी एक मंत्र को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। इस देश का हर नागरिक हमारा है। इस देश पर इस देश के हर नागरिक का उतना ही हक है जितना जितना हक इस देश के प्रधानमंत्री का है। ये हमारी विचारधारा है। आपको मालूम होगा। ये आतंकवाद का तूफान चल रहा है। इराक के अंदर लड़ाई चल रही थी। हमारे देश की 46 बच्चियां, केरल की बच्चियां, ये हमारी बेटियां, इराक में नर्स के नाते काम कर रही थीं। आतंकवादी उनको उठाकरके ले गए। और इन नर्सों में से ज्यादात नर्स ईसाई संप्रदाय से थी, केरल की थी।  

भाइयो बहनो।

हमने बीड़ा उठाया था। कि मैं अपनी बेटियों को वापस लाऊंगा, उनकी रक्षा करूंगा। और आज जब मैं मेघालय आया हूं। तो मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि उन 46 बेटियां, जो ज्यादातर ईसाई समाज से थीं, केरल से थीं, मेरे देश की बेटियां थी हम इराक में आतंकवादियों के चंगुल से इन बच्चियों को सुरक्षित ले आए। और केरल में उनके परिवार को हाथोंहाथ उन्हें सुपुर्द कर दिए।

भाइयो बहनो।

सरकार कैसी होनी चाहिए। आपको पता होगा। हमारे देश का फादर एलेक्सी प्रेम कुमार। ये फादर एलेक्सी प्रेम कुमार मूलत तमिलनाडु का लेकिन अफगानिस्तान में इसाई समाज के लिए काम करता था। भगवान ईशु का संदेश दे रहा था, शांति-भाईचारे की बात करता था। लेकिन अफगानिस्तान में आतंवादी उसको उठाकर ले गए। और फादर एलेक्सी प्रेम कुमार को 18 महीने तक अफगानिस्तान में आतंकवादियों ने अपने चंगुल दबोचकर रखा था। सरकार की सांसें फूल रही थी। उनका परिवार आशा छोड़ चुका था कि अब उनका बेटा वापस नहीं आएगा। चर्च भी निराश हो गया था। चारो तरफ लग रहा था कि ये फादर नहीं बचेगा।

लेकिन भाइयो बहनो।

हमने आशा नहीं छोड़ी। हम भिन्न-भिन्न प्रकार के प्रयास करते रहे। ढूढ़ने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया, जो भी कर सकते थे किया। आज मुझे खुशी है कि 18 महीने के बाद फादर एलेक्सी प्रेम कुमार को जिंदा हिन्दुस्तान वापस ले आए, आतंकवादियों के हाथ ले आए। जब मैंने ने खुद उनके परिवार को फोन किया। उनकी बहन थोड़ा अंग्रेजी बोल लेती थी। उससे जब बात की तो वह मानने को तैयार नहीं थी। एक तो प्रधानमंत्री फोन करे और दूसरा उसका भाई डेढ़ साल बाद जिंदा मिल सकता है। ये उसको कल्पना नहीं कर सकती थी। ये हमारी सरकार फादर को बचाने के लिए दिन-रात हमने एक कर दिया। ये हमारी सरकार। यहीं कलकत्ता की एक बेटी। बंगाल में काम करने वाली ज्यूलिप डिसूजा। ये हमारी बेटी बंगाल की बेटी है ज्यूलिप डिसूजा। वो भी अफगानिस्तान में चर्च के लिए काम करती थी। भगवान ईशु का संदेश देने का काम करती थी। इस बेटी को आतंकवादी उठाकर ले गए। एक जवान बेटी आतंकवादियों के हाथ में पहुंच जाए। आप कल्पना कर सकते हैं, कैसी मुसीबत सामने खड़ी हो गई। पूरी सरकार के लिए कितनी चिंता होगी। हमे लगा। बेटी हमारी है। हम जी-जान से जुट जाएंगे लेकिन बेटी की जिंदगी बचाएंगे।

और भाइयो बहनो।

आज मेघालय की धरती से यह कहते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि एक महीने के भीतर-भीतर, एक महीना आतंकवादियों के चंगुल में रही, एक महीने के भीतर-भीतर सही सलामत जिंदा उस बेटी को वापस ले आए। और आज वह हिन्दुस्तान में अपने घर में काम में लग गई है।

भाइयो बहनो।

इतना ही नहीं फादर टोम। ये फादर टोम यमन में,यमन में आतंकवादी उठाकर ले गए। वो भी बेचारा चर्च के लिए काम करता था, भगवान ईशु का संदेश पहुंचा रहा था लेकिन आतंकवादियों का वो शिकार हो गया, उठाकर ले गए आतंकवादी। फादर टोम भी लंबे समय तक आतंकवादियों के कब्जे में रहा। हम दिन-रात कोशिश करते रहे। यमन के साथ जिन-जिन देशों के साथ संबंध थे, उनको विनती की, कुछ मैसेंजर भेजे।

और भाइयो बहनो।

एक लंबे कालखंड के बाद फादर टोम को जिंदा हम हिन्दुस्तान वापस ले आए। जब फादर टोम मुझसे मिलने आए। मैंने देखा था। कुछ नहीं बचा था शरीर में, हड्डियां बची थी। ये हाल हो गया था उसका। आते ही मैंने उसके स्वास्थ्य की चिंता की, उसके मेडिकल ट्रीटमेंट की चिंता की।

भाइयो बहनो।

इस देश का हर नागरिक हमारी जिम्मेदारी है। इस देश में संप्रदाय के आधार पर राजनीति करने वाले हम लोग नहीं है। सबका साथ सबका विकास, इसी मंत्र को लेकर चलने वाले लोग हैं। और उसी के तहत हम हमारे देश के किसी भी इलाके में कोई संकट हो, हम हर किसी के लिए काम करने वाले लोग हैं। मैं मेघालय वालों से भी कहना चाहता हूं कि एक बार परिवर्तन करके देखो। यही वक्त है जो दिल्ली की सरकार आपके लिए जी जान से जुट जाएगी। मेघालय में ऐसी सरकार बनाइए। इन लोगों से एक बार मुक्ति लेकरके तो देखिए। एक बार खुली सांस का, हवा का अनुभव तो कीजिए। और कमल के फूल पर बटन दबाकर विजयी बनाइए। मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

भाइयो बहनो।

मैं सचमुच में बताता हूं। दिल्ली में बैठकरके किसी को पता नहीं चल सकता है कि मेघालय में ऐसा वेव चल रहा है। आप इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने आए। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Explore More
78 व्या स्वातंत्र्य दिनी, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी लाल किल्याच्या तटावरून केलेले संबोधन

लोकप्रिय भाषण

78 व्या स्वातंत्र्य दिनी, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी लाल किल्याच्या तटावरून केलेले संबोधन
India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report

Media Coverage

India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!