Nation building is a priority for us: PM Narendra Modi

Published By : Admin | August 18, 2016 | 23:59 IST
Our determination is to work for everyone. Nation building is priority for us: PM
BJP can showcase to the world what a truly democratic party driven by Karyakartas is: PM
Whether the party is in power or opposition, it will never compromise on its ideals: PM
Sacrifice of generations of party Karyakartas inspire us to work more: PM Modi
Bharatiya Janata Party is not made by a leader, a PM or a CM. This is a party made by its Karyakartas: PM Modi

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय अमित भाई शाह, हम सबके मार्गदर्शक श्रद्धेय आडवाणी जी, जोशी जी, पार्टी के सभी पूर्व अध्यक्ष, सभी वरिष्ठ महानुभाव और कार्यकर्ता भाइयों और बहनों।

आप सबको साक्षी भाव से रक्षा बंधन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज रक्षा बंधन के पावन पर्व पर भारत की बेटी साक्षी ने हिंदुस्तान के तिरंगे झंडे को नई ताकत दी है, नया सम्मान दिया है। देश की इस बेटी को बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। रक्षा-बंधन का पावन पर्व भारत के अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग रूप मे मनाया जाता है, लेकिन इसमें केंद्रवर्ती विचार, परिवार, समाज सशक्त कैसे बनें ये उसके मूलभूत तत्व में होता है। और देश की राजनीति ने जिस रूप को, जिस स्थिति को पहुंची है, देश की ताकत बढ़ते–बढ़ते विघ्नसंतोषी लोगों की भी हरकतें भी ज़रा बढ़ती हैं। ऐसे समय समाज और अधिक सशक्त बने, समाज और समरस बने, हर कोई हर किसी की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेवारियों का निर्वाह करे, व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में अनुशासन का पालन करें, अपनेपन का दायरा नित्य-निरंतर विस्तृत करते चलें। सबको साथ लेकर के चलना, हर किसी के लिए कुछ न कुछ करना, सबका साथ-सबका विकास इस मंत्र को जीकर के दिखाना, इस संकल्प से हम सब प्रतिबद्ध लोग हैं। और रक्षा-बंधन के पावन पर्व पर उस पवित्र भाव को हम अपने में संजोकर के, राष्ट्र निर्माण ये हमारी प्राथमिकता है, और राष्ट्र निर्माण के अंदर व्यवस्थाओं की भी आवश्यकता होती है। ये कार्यालय भी, राष्ट्र-निर्माण का हमारा जो सपना है, उसके लिए आवश्यक जो व्यवस्थाएं विकसित करनी है, उन व्यवस्था का एक छोटा सा हिस्सा है, और जिसे हमने आधुनिकता के रंग से रंगा है। मैं पार्टी की टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, क्यूं ये काम कोई अचानक नहीं हुआ होगा। लंबे समय से चर्चाएं चली होंगी, आवश्यकताओं का विचार हुआ होगा। भविष्य में क्या ज़रूरत पड़ेगी, इसका अंदाज किया गया होगा, रिसोर्स की क्या स्थिति है उस पर सोचा गया होगा। और आनेवाले कई वर्षों तक यह व्यवस्था सुचारू रूप से चले.... सारी बातें सोचकर के इसकी रचना की गई है, मैं इस कार्य के लिए टीम का बहुत–बहुत अभिनंदन करता हूं।

भारतीय जनता पार्टी शायद हिंदुस्तान में अकेली पार्टी ऐसी होगी जो पंडित लोग हैं, मैं चाहूंगा कि वो रिसर्च करें, कि जिसमें किसी दल को जन्म से लेकर जीवन भर विपरीत प्रवाहों का ही सामना करना पड़ा हो, हर मोड़ पर मुसीबतें झेलनी पड़ी हों, हर प्रयास को बुरी नजर से देखा गया होगा, परखा गया होगा... और इसलिए शायद अंग्रेजों के जमाने में भी कांग्रेस पार्टी को इतने विपरीत प्रवाह से गुजरना नहीं पड़ा होगा, जितना हमें पिछले पचास-साठ साल तक लक्षावधि कार्यकर्ताओं को गुजरना पड़ा है। हमारे पूर्व के साथी इस प्रकार से अपमानित हुए हैं, जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं, कई स्थानों पर एक दफ्तर चाहिए... दफ्तर.... ऑफिस खोलने के लिए किराए पर। और किसी को पता चले कि दफ्तर मिलनेवाला है, तो उसकी बेचारे की मुसीबत आ जाती थी। अभी बंगाल में चुनाव हुआ, कलकत्ते में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को अगर कोई ऑफिस खोलने के लिए देता था, तो उसका बेचारे का जीना मुश्किल कर दिया जाता था। शायद हिंदुस्तान में आजादी के बाद किसी एक दल ने जितने बलिदान दिए हैं, शायद ही किसी राजनीतिक दल ने इतने बलिदान नहीं दिए। हमारे सैंकड़ों कार्यकर्ताओं को इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि वे उस राजनीतिक चिंतन से जुड़े हुए नहीं थे, जो भारत में व्यापक रूप से प्रचारित था। ये बलिदान कम नहीं है और इसलिए हम सरकार में हों या संगठन में हों, हर कदम पर इन पचास-साठ साल की त्याग-तपस्या, बलिदान, लक्षावधि कार्यकर्ताओं का पुरुषार्थ, चार-चार पीढ़ी का समर्पण, हमें कार्य करने की प्रेरणा देता है। जीवन में मूल्यों को बनाए रखने के लिए वो हमारा सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत होता है। उसी से प्रेरणा लेकर के हम काम कर रहे हैं। और इसलिए ये कार्यालय का निर्माण सिर्फ इमारत नहीं है, उन लक्षावधि कार्यकर्ताओं के पसीने की उसमें महक है। ये ईंट-पत्थर से बनने वाला कार्यालय नहीं है ये लक्षावधि कार्यकर्ताओं के तपस्या का एक तपोभूमि के रूप में उभर करके आ रहा है। और इसलिए इसकी पवित्रता इस भवन का समर्पण-भाव सिर्फ राजनीतिक हितों के लिए नहीं, सिर्फ और सिर्फ राष्ट्र के हितों के लिए समर्पित रहेगा। और इसलिए इस रक्षा-बंधन के पावन पर्व पर जिस दल के पास 11 करोड़ सदस्य संख्या हो...तब वैचारिक प्रशिक्षण, कार्य का प्रशिक्षण, कार्य संस्कृति का प्रशिक्षण, ये बहुत बड़ी चुनौती बन जाता है। क्योंकि हम... भीड़ नहीं, संगठन के लिए काम करने वाले लोग हैं। भीड़ तो कोई भी ऐसा लोकलुभावनी बात कर दो, भीड़ तो मिल जाती है। लेकिन हर कठिनाईयों में टिकने की ताकत वैचारिक अधिष्ठान से मिलती है। कंधे से कंधा मिलाकर के काम करने की कार्य संस्कृति से मिलती है। एक वक्त था जब जन-आंदोलन बहुत हुआ करते थे। पार्टी के कार्यकर्ताओं को महीनों तक जेलों में रहना पड़ता था। साथ-साथ जीने का, साथ-साथ काम करने का, साथ-साथ दौरे करने का एक सहज अवसर होता था। और उसके कारण हमारी कार्य संस्कृति का संक्रमण सहज होता था। एक पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी को अपनी कार्य संस्कृति को सुपूर्द करके जाती थी। अगर कुशाभाऊ के साथ मुझे कार्य करने का सौभाग्य मिला तो कुशाभाऊ की कार्यशैली को सीखने-समझने के लिए मेरे लिए बड़ी सहजता थी। अगर भंडारी जी के साथ मुझे कार्य करने का सौभाग्य मिला तो भंडारी जी की कार्यशैली क्या थी, किन बातों की प्रॉयरिटी थी, उनको समझने का मुझे सहज अवसर मिला था। आज हमें उस अवसर को खोना नहीं है। उसको और अधिक गहरा करने की आवश्यकता है और अधिक जीवंत करने की आवश्यकता है और साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी अब सिर्फ हिन्दुस्तान में राजनीतिक दलों की स्पर्धा का विषयमात्र नहीं है वो चुनाव में करना है- करेंगे...। लेकिन विश्व के सामने, लोकतांत्रिक देशों के सामने, लोकतांत्रिक राजनीतिक संगठन क्या होता है, परिवारवाद से मुक्त संगठन क्या होता है, आदर्शों से समर्पित संगठन क्या होता है, स्व से लेकर के समस्ती तक की यात्रा करने के लिए कार्यकर्ताओं की श्रंखला कैसे काम करती है इसका एक उत्तम उदाहरण दुनिया के सामने हमने प्रस्तुत करना चाहिए, लोकतांत्रिक देशों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।

हमारे विषय में लोगों को परिचय बहुत कम है, दुनिया हमारे विषय में जो जानती है जो औरों ने हमारे लिए कहा है, उसके रूप में जानती है। जिस समय 1967 में संयुक्त विधायक दल की सरकारें बनीं, (एसवीडी) की- पहली बार, कांग्रेस के बाहर निकल करके सरकार बनना शुरु हुआ। मध्यप्रदेश में एसवीडी की सरकार बनी, जनसंघ का नेतृत्व रहा तो दुनिया के कई देशों को अचरज हुआ था कि ये लोग सत्ता तक कैसे पहुंच गए, ये कौन लोग हैं, क्या तौर-तरीका है और मुझे उन समय बराबर याद है एक विद्यार्थी के रूप में मेरा जीवन था, मैंने कहीं पढ़ा था कि अमेरिका की अच्छी-अच्छी रिसर्च इंस्टीट्यूशन इस बात पर स्टडी करने पर लग गई थी कि आखिर ये जनसंघ है क्या... इसकी निर्णय प्रक्रिया क्या है, इसकी लीडरशिप क्या है, उसकी डिसीज़न मेकिंग प्रोसेस क्या है, उनके डेवलपमेंट के प्लान क्या हैं, और बड़ी गहराई से उस समय मध्यप्रदेश का अध्य्यन विश्व के कई लोग कर रहे थे। जब वाजपेयी जी की सरकार बनी, तब भी फिर एक बार दुनिया को अजूबा हुआ, यहां तक पहुंच गए...क्योंकि कभी भी, जिन लोगों के माध्यम से वो हमें जानने का प्रयास करते थे उसके कारण वो कभी भी हमें सही रूप में समझ ही नहीं पाए। आज फिर से एक बार विश्व की जिज्ञासा जगी है। दुनिया के पॉलिटिकल पंडितों की जिज्ञासा जगी है कि लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्पित संगठन व्यवस्था के द्वारा विचार से प्रतिबद्ध, राजनीतिक जीवन क्या होता है, राजनीतिक कार्यकलाप क्या होते हैं। ये एक अध्य्यन का विषय बना है। और जब वैश्विक फलक पर इन चीज़ों का अध्य्यन हो रहा है तब... हमारे लिए भी बहुत आवश्यक है वरना हम क्या हैं.... हम बिल्कुल परफेक्ट... हमारी संस्कृति को जीने वाले लोग हैं और उसके कारण रिकॉर्ड नहीं रखना... हो गया-हो गया... अरे देश की सेवा थी... कर लिया।

अगर आज हम कहें कि भई जब कच्छ का सत्याग्रह हुआ था तो अटल जी एक फोटो खोज करके लाओ.. नाकों दम निकल जाता है लेकिन अटल जी की फोटो हाथ नहीं लगती है... पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी रेल में सफर करते थे...इतना कष्ट उठाते थे, अरे भई कोई तो उस समय की फोटो निकालो....उपलब्ध नहीं है। क्योंकि समर्पण भाव की तीव्रता इतनी रही थी कि हमनें अपने इतिहास के प्रति भी सजगता नहीं बरती। वो गुनाह नहीं था, त्याग, तपस्या की परम्परा थी। लेकिन आज समय की मांग है कि हम हमारी हर चीज़ों को रिकॉर्ड करें। हम इतिहास के हिस्से हैं। छोटे से छोटे गांव में एक कार्यकर्ता भी जो काम करता है उसका एक महत्व है। और भारतीय जनसंघ के जीवन में तो कैसी-कैसी घटनाएं ताकत देती थीं... कालीकट में भारतीय जनता पार्टी का अधिवेशन था, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को अध्यक्ष के रूप में चुना गया था, राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। दीनदयाल जी हम सबके लिए जीवन में यानि...एक प्रकार का नाम ही इतनी प्रेरणा देता है, जिन लोगों ने उनके साथ में काम किया उनके जीवन में तो कितनी बड़ी ताकत के रूप में होंगे। दीनदयाल जी ने अध्यक्ष बनने के बाद क्या काम किया....मेरे लिए भी अचरज था, जब मैंने ये जाना... गुजरात के अंदर भावनगर जिले में बोटात नाम का एक छोटा सा नगर और उस नगर में जनसंघ म्यूनिसिपालिटी में बहुमत से जीत गया। पूरे हिन्दुस्तान के लिए भावनगर जिले की बोटात नगर की एक छोटन नगरपालिका का विजय.. पूरे हिन्दुस्तान की बीजेपी की आन-बान-शान बन गया। इतना ही नहीं, स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी बोटात आए, जनता का अभिनन्दन किया, कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया। वो दिन देखे हैं हम लोगों ने...। एक म्युनिसिपालिटी में। शायद हिन्दुस्तान में जितनी जमानतें हमने जब्त करवाईं है कोई दल नहीं होगा, ये रिकॉर्ड करने वाला भी। ये जमानतें जब्त होती ऐसे नहीं है, दल के लिए समर्पण का भाव होता है तब जमानतें जब्त होते हुए भी, मैं विचार के लिए जिऊंगा, विचार के लिए जूझता रहूंगा ये माजा... ये माजा इस कार्यकर्ताओं ने पैदा किया हुआ है, तब जाकर के पार्टी बनी है। आप कल्पना कीजिए हिन्दुस्तान के राजनीतिक जीवन में क्या लेना, पाना, बनने की इच्छाएं नहीं रही होंगी.... क्या और दलों से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की कोई लोकलुभावनी बातें नहीं पहुंची होंगी? क्या इस देश में कोई नहीं हुआ होगा जिसको कभी ये मन कर गया होगा... यार आज अटल जी हमारे यहां आ जाएं तो बहुत अच्छा होगा। आडवाणी जी हमारे यहां आ जाएं तो बहुत अच्छा होगा। डॉ. जोशी जी हमारे दल में आ जाएं तो बहुत अच्छा होगा। उत्तरप्रदेश में हमें अगर इनकी मदद मिल जाए तो ये फायदा हो जाए.. क्या नहीं हुआ होगा...? सबकुछ हुआ होगा... हर किसी ने कोशिश की होगी लेकिन ये भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व है, विपक्ष में पड़े रहेंगे तो पड़े रहेंगे लेकिन विचार के लिए जियेंगे... ये कर के दिखाया है।

गुजरात में तीन एमएलए थे जनसंघ के। उसमें एक हरिसी भाई बोहे करके थे, राज परिवारों से उनका बड़ा निकट नाता रहा था भारत के एकीकरण के समय वो बड़े सक्रिय रहे थे, आयु भी बड़ी थी। हम लोग उनके बड़े निकट थे। बहुत ही मृदिव... बहुत ही प्रेरक जीवन था। गुजरात में राज्यसभा का एक चुनाव आया, उस राज्यसभा के चुनाव में कुछ वोटों की ज़रूरत थी, किसी दल को तो उनको सारे लोग जीत जाएं, ऐसी संभावना थी। एक नेता हरिसी भाई को मिलने गया, ये कहने के लिए कि साहब अगर आपके तीन वोट हमें मिल जाएं तो आपको ये चाहिए तो ये मिल जाएगा, वो चाहिए तो मिल जाएगा, ये चाहिए तो मिल जाएगा... किया। वो पन्द्रह मिनट तक उनको समझाते रहे और हरिसी दादा ने उनको कहा कि मेरा जीवन, मेरी तपस्या आज मिट्टी में मिल गई तो वो चौंक गया, उससे कहा... मैं हरिसी, जनसंघ का नुमाइंदा और तेरी ये हिम्मत मुझसे ये ऑफर लेकर आने की... दोष तेरा नहीं है... शायद... शायद ये मेरी ही तपस्या में कोई कमी रह गई। आप कल्पना कर सकते हैं इतनी सारी चीज़ें सामने पड़ी हों, और एक कोने में तीन एमएलए को लेकर के बैठा एक कार्यकर्ता...उन आदर्शों के लिए राजनीतिक परिस्थिति पर दोष नहीं देता है वो कहता है शायद.. शायद मेरी तपस्या में कोई कमी हुई, कि तुमने मेरे दरवाजे तक आने की हिम्मत की है। खैर उन्होंने माफी मांग करके, जो आए थे, वो सज्जन चले गए। मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि देश के हर कोने में ऐसे लक्षावधि कार्यकर्ताओं के त्याग, तपस्या और समर्पण की कथाएं, हम सबके लिए प्रेरणा देती हैं। और ये पार्टी किसी नेता के कारण नहीं बनी है, ये पार्टी किसी प्रधानमंत्री के कारण नहीं चली है, ये पार्टी किसी मुख्यमंत्री के कारण नहीं चली है, ये पार्टी लक्षावधि कार्यकर्ताओं के कारण चली है, उनके त्याग तपश्र्या के कारण चली है और तब जाकर करके हम आज इस ऊंचाई पर पहुंचे हैं। उन्हीं कार्यकर्ताओं का सामर्थ्य बना रहे, कार्यकर्ता हमारा... इस बदलाव का सच्चे में एक एंजेट है। अपने जीवन के द्वारा बदलाव लाने में वो अपनी भूमिका अदा कर रहा है। आज रक्षा-बंधन के पावन पर्व पर ये भवन का निर्माण उसमें और नए रंग-रूप भरेगा, और नई ताकत भरेगा, आधुनित्य का ओज मिलेगा.. मैं फिर एक बार अमित भाई को, उनकी पूरी टीम को और जिन-जिन महापुरूषों ने इस पार्टी को चलाया है.. जीवित हो, जीवित नहीं हैं... उनको सबको आदरपूर्वक नमन करते हुए आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद

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PM Modi addresses the Parliament of Guyana
November 21, 2024


Prime Minister Shri Narendra Modi addressed the National Assembly of the Parliament of Guyana today. He is the first Indian Prime Minister to do so. A special session of the Parliament was convened by Hon’ble Speaker Mr. Manzoor Nadir for the address.

In his address, Prime Minister recalled the longstanding historical ties between India and Guyana. He thanked the Guyanese people for the highest Honor of the country bestowed on him. He noted that in spite of the geographical distance between India and Guyana, shared heritage and democracy brought the two nations close together. Underlining the shared democratic ethos and common human-centric approach of the two countries, he noted that these values helped them to progress on an inclusive path.

Prime Minister noted that India’s mantra of ‘Humanity First’ inspires it to amplify the voice of the Global South, including at the recent G-20 Summit in Brazil. India, he further noted, wants to serve humanity as VIshwabandhu, a friend to the world, and this seminal thought has shaped its approach towards the global community where it gives equal importance to all nations-big or small.

Prime Minister called for giving primacy to women-led development to bring greater global progress and prosperity. He urged for greater exchanges between the two countries in the field of education and innovation so that the potential of the youth could be fully realized. Conveying India’s steadfast support to the Caribbean region, he thanked President Ali for hosting the 2nd India-CARICOM Summit. Underscoring India’s deep commitment to further strengthening India-Guyana historical ties, he stated that Guyana could become the bridge of opportunities between India and the Latin American continent. He concluded his address by quoting the great son of Guyana Mr. Chhedi Jagan who had said, "We have to learn from the past and improve our present and prepare a strong foundation for the future.” He invited Guyanese Parliamentarians to visit India.

Full address of Prime Minister may be seen here.