Himachal Pradesh offers immense opportunities for tourism, Centre keen to develop suitable infrastructure: PM 
Tier-2 and Tier-3 cities are becoming growth engines, says PM Modi 
After Uttar Pradesh, Uttarakhand and Delhi, now Himachal Pradesh awaits Imandari Ka Yug, says PM 
We keep the aspirations of poor and youth in mind while formulating every policy: PM Modi

भारत माता की जय। भारत माता की जय। मंच पर विराजमान हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रतिपक्ष के नेता प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमलजी, हमारे वरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान शांता कुमारजी, केन्द्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री जगत प्रकाश नड्डाजी, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के जुझारू अध्यक्ष श्रीमान सत्यपाल सिंह, संसाद में मेरे साथी श्री वीरेन्द्र कश्यप जी, यहां के विधायक श्रीमान सुरेश भारद्वाज जी, संसद के मेरे साथी अनुराग ठाकुरजी, राम स्वरूप शर्माजी और विशाल संख्या में पधारे हुए हिमाचल के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

करीब 20 साल पहले और आज 20 साल के बाद उस समय भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में, उस समय के देश के बड़ा प्रधान अटल बिहारी वाजपेयी जी की यहां पर सभा थी। उस सभा में कार्यकर्ता के रूप में मुझे संबोधन करने का सौभाग्य मिला था। आज 20 साल के बाद उसी मंच से आप सबके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। दूर-दूर से इतनी बड़ी तादाद में आकरके आपने मुझे आशीर्वाद दिए। मैं देवभूमि के इन सभी नागरिक भाइयों-बहनों का सर झुकाकरके नमन करता हूं, अभिनंदन करता हूं। ये देवभूमि भी है, ये वीरभूमि भी है. ये वीर माताओँ की भी भूमि है। ऐसी वीर माताओं जिन्होंने ऐसे वीरों को जन्म दिया है जो जान की बाजी लगा करके सवा सौ करोड़ देशवासियों की रक्षा में जुटे रहते हैं। मैं इन वीर माताओं को विशेष रूप से प्रणाम करता हूं।

भाइयों-बहनों।

हिमाचल आता हूं तो ऐसा ही लगता है कि अपनों की बीच आया हूं। पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं। जब मैं यहां काम करता था, माल रोड पर तो पैदल ही चलना होता था। और हिमाचल में दौरा करके शाम को कभी-कभी शिमला लौट कर आता था। माल रोड पर से निकलना और इंडिया कॉफी हाऊस में जाकरके बैठना ...। और यहां जो पत्रकार बंधु थे उनको ये क्रम पूरा बराबर पता था। तो मेरे पहुंचने से पहले वो इंडिया हाऊस में अपना अड्डा जमा देते थे। आम तौर पर जो सौभाग्य मुझे मिला, शायद किसी को नहीं मिलता होगा। इंडिया हाऊस में जब कॉफी हाऊस में जब मैं कॉफी पीता था। मुझे कभी भी जेब से पैसे नहीं देने पड़ते थे। और देशवासी सुनते होंगे तो उनको हैरानी होगी कि हमेशा पेमेंट ये हमारे पत्रकार मित्र देते थे। चाहे हमारे खजूरियाजी हों, चाहे हमारे लोनी ब्रदर्स हों, चाहे हमारे रणदीवे जी हो, अश्विनी, श्रीकांत शर्मा, ये सारी जमात थी। और बड़ा दोस्ताना मेरा रहता था। हिमाचल की राजनीति को समझने के लिए तो कॉफी हाऊस में इन पत्रकारों के साथ गप्पे गोष्ठी मुझे बहुत काम आती थी। मुझे भी आदत हो गयी थी, उनकी कॉफी पीने की। आज जब मॉल रोड से मैं गुजर रहा था। और मेरे कॉफी हाउस पर मेरी नजर गई तो यही पुराने साथी मुझे याद आ गये। हिमाचल से मुझे बहुत प्यार मिला है लेकिन बाद में मेरी जिम्मेदारी बदल गई। आना भी कम हो गया लेकिन आपने बुलाया और हम चले आए। आज भारत सरकार के दो विशेष प्रकल्प के लिए मुझे शिमला आने का अवसर मिला। मैं हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का आभारी हूं कि इस कार्यक्रम के साथ मुझे आप सबके दर्शन का भी अवसर मिल गया।

भाइयों बहनों।

हिमाचल में टूरिज्म की संभावनाएं बहुत है। हिमाचल के नौजवानों को रोजगार के लिए टूरिज्म का विकास ‘स्काई द लिमिट’ इनती संभावनाएं हैं। अगर सही कनेक्टिविटी मिल जाए। लोगों को आने-जाने की सुविधा ठीक से मिल जाए। और इसलिए भारत सरकार ने टूरिज्म को बल देने के लिए हिमाचल में विशेष फोकस किया हुआ है। सालों से पड़े हुए रेल के प्रोजेक्ट, आप हैरान होंगे। एक रेल का प्रोजेक्ट जो ऊना से जुड़ा हुआ था। 30 साल से लटका पड़ा था। फाइलें कहां थी, पता नहीं था। मैंने निकाला, अफसरों को बिठाया। मैंने कहा, मुझे ये काम करना है। चाहे रोड के काम हो, रेल के काम हो। रोड की चौड़ाई के काम हो, क्योंकि टूरिज्म में ये जितना कनेक्टिविटी सुविधाजनक होती है। यात्री वहां आना पसंद करते हैं। आज एयर कनेक्टिविटी का एक बहुत बड़ा काम हुआ है। ये काम हिन्दुस्तान में एक नया जिसे न्यू इंडिया कहते हैं। उसकी नींव डालने वाला काम आज यहां हुआ है। देश में दो ऐसी शक्तियां हैं, जो भारत को आगे ले जाने में बहुत शक्ति का प्रदान करने वाली इकाइयां हैं - एक मध्यम वर्गीय नागरिक और दूसरे मध्यम श्रेणी के नगर। टायर टू टायर थ्री, ये जो सिटी हैं छोटे-छोटे, वे आने वाले दशक में देश के बहुत बड़े ग्रोथ इंजन बनने वाले हैं। बहुत बड़ी विकास की ताकत वहां से आने वाली है। और उसको ध्यान में रखते हुए एविएशन पॉलिसी, एयर कनेक्टिविटी, जो भविष्य के आर्थिक विकास के लिए बहुत उपकारक हो, उस दिशा में उसकी डिजाइन की गई है। और आज उसका प्रारंभ शिमला से, जो टूरिज्म को बल मिले। और आपने शायद वहां, जब मैं वहां बोल रहा था, जो लोग वहां पहुंचे होंगे, उन्होंने सुना होगा।  

अगर हम टैक्सी किराए को लेकर जाते हैं तो एक किलोमीटर का 8 रुपया, 10 रुपया लग जाता है। और पहाड़ पर जाना है तो थोड़ा और महंगा हो जाता है। मैं उस समय जब यहां काम करता था तो मारुति वैन बहुत चलती थी। आज पता नहीं कौन सा गाड़ी चलाते हैं। मुझे मालुम नहीं, उस समय वो बहुत चलती थी। क्योंकि जगह बहुत कम रहती थी तो यहां को लोगों के लिए सुविधाजनक रहती थी। टैक्सी में किलोमीटर का 8 रुपया, 10 रुपया लगता है। हमने एक ऐसी नीति लाए हैं कि मध्यम वर्ग का सामान्य मानवी भी हवाई यात्रा कर सकता है। अगर टैक्सी किराए का खर्चा 8 रुपया 10 रुपया किलोमीटर का होता है। दिल्ली पहुंचने में 8-9 घंटे में जाते हैं। हवाई जहाज में किलोमीटर का 6-7 रुपया लगेगा और एक घंटे में पहुंच जाएगा। और जब अफसरों के साथ मेरी मीटिंग हुई। तो मैंने कहा देखिए मेरा तो सपना है हवाई जहाज में कौन लोग बैठने चाहिए। ये जो बना हुआ है न कि बड़े-बड़े बाबू, बड़े-बड़े लोग, धनी लोग, ये उन्हीं के लिए है। इस देश मे जो सुविधाएं अमीरों को प्राप्त है ,वो मेरे देश के गरीब को भी मिलनी चाहिए। जो सामान्य व्यक्ति हवाई चप्पल पहनकर घूमता है वो मुझे हवाई जहाज में दिखना चाहिए। ये मेरा सपना है। और, इसलिए आने वाले दिनों में, आजादी के 70 साल में, इस देश के 70-75 एयरपोर्ट, एयर कनेक्टिविटी कमर्सियल कनेक्टिविटी के लिए कम आ रहे हैं। इस एक साल में 30 नये जोड़ने का इरादा लेकर काम कर रहे हैं। 70 साल में 70, एक साल में 30, काम कैसे होता है, बदलाव कैसे लाया जा सकता है। आप भली भांति जानते हैं। हिमाचल में बर्फ जब वर्षा होती थी, तो हम गुजरात में जब रहते थे। तो तुरंत ऊनी कपड़े निकालते थे। अब हिमाचल में बर्फबारी हुई है तो हवा ठंडी चलेगी तो 5-6 दिन में ठंड यहां आयेगी। लेकिन अब वक्त बदल चुका है भाइयों। अब उत्तर प्रदेश की हवा हिमाचल में आ रही है। उत्तराखंड की हवा हिमाचल में आ रही है। और दिल्ली की ताजा-ताजा हवा भी तो आ रही है।

भाइयों-बहनों।

देश में विकास का युग तो है लेकिन जो ईमानदारी से जीना चाहते हैं, ईमानदारी से कुछ करना चाहते हैं, उन लोगों के लिए स्वर्णिम युग आया है। मेरी कोशिश है कि ईमानदारी का काम बढ़े, ईमानदारों का को अवसर मिले। देश ईमानदारी के उपर बढ़ चले। इस संकल्प को लेकर हम काम कर रहे हैं। भाइयों, बहनों। आज जो मैं दृश्य देख रहा हूं, दूर-दूर तक। जहां मेरी नजर पहुंच रही है, लोग ही लोग हैं। ये ईमानदारी के युग का संकल्प लेने वाले बैठे हैं। हिमाचल में भी ईमानदारी के युग का इंतजार है हमें। भाइयों-बहनों। शायद ही हिन्दुस्तान के किसी मुख्यमंत्री को इतना समय वकीलों के बीच बिताना पड़ता होगा जितना ...। समझ गये ...। बड़े समझदार लोग हैं। इसीलिए तो हिमाचल के लोगों के प्रति इतना आदरभाव पड़ा हुआ है मन में।

भाइयों-बहनों।

आज देश की जो युवा पीढ़ी है, देश की युवा पीढ़ी, बेईमानी से समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। वे ईमानदारी के लिए लड़ने के लिए तैयार है। वे ईमानदारी को आगे बढ़ाने के लिए मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। और इसी युवा शक्ति के भरोसे हम आगे बढ़ रहे हैं भाइयों-बहनों। नवंबर में दिवाली के बाद, देशभर के टूरिस्ट हिमाचल आए हुए थे और अचानक रात में खबर आयी। हजार और 500 के नोट, बीती बात। भाइयों-बहनों। ये बेईमानी के खिलाफ लड़ाई का मेरा कठोर प्रहार था। उस बात को मैं आगे बढ़ा रहा हूं, बढ़ाता रहूंगा।

भाइयों-बहनों।

मैंने गरीबी देखी है, गरीबी में जीया हू, मैंने गरीबी में पला हूं, गरीब की तकलीफ क्या होती है। ये देखने के लिए मुझे कहीं यात्रा नहीं करनी पड़ती है। मैं अनुभव करता हूं। और इसलिए जब हमारी सरकार बनी और मुझे नेता के रूप में चुना गया। मैंने पहले भाषण में कहा था, मेरी ये सरकार, मेरे गरीबों के लिए समर्पित है। और मेरे देशवासियों। मेरे हिमाचल वासियों। मैं वादा करता हूं कि जिन-जिन लोगं ने गरीबों को लूटा है, उनको लौटाना ही पड़ेगा, तब तक मैं चैन से बैठने वाला नहीं हूं। अब तक इनको कोई पूछने वाला नहीं था, इनका हिसाब मांगने वाला नहीं था, जिसको जो मर्जी था, कर रहे थे।

और इसलिए भाइयो-बहनों।

लोगों को चुनाव में ईमानदारी के साथ चलने का मौका मिल रहा है, वो सारे लोग हमारे साथ चल रहे हैं भाइयो। देश ईमानदारी की ओर आगे बढ़ना चाहता है। देश का समान्य मानवी ईमानदारी के इस युग को सहयोग करना चाहता है। उसे मदद करना चाहता है।

भाइयों-बहनों।

आज पूरे विश्व में, भारत तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उसने अपनी पहचान बनाई है। भारत को अगर गरीबी से मुक्ति पानी है, भारत को अगर बेरोजगारी से मुक्ति पानी है, भारत को अगर सामान्य से सामान्य से सामान्य नागरिक को अच्छी संतोष सरकार और जीवन का अवसर देना है तो देश को आर्थिक विकास दिए बिना, विकास के रास्ते पर चले बिना, इन समस्याओं का समाधान संभव नहीं है।

और इसलिए भाइयों-बहनों।

आज जो दिल्ली में जो सरकार है। आपने हमें जो जिम्मेवारी दी है, हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि ये देश विकास की नयी ऊंचाइयों को पार करे। बच्चों की पढ़ाई का प्रबंध हो, नौजवानों के लिए कमाई की व्यवस्था हो, किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था हो, बुजुर्गों के लिए दवाई की व्यवस्था हो, ऐसा मेरा देश आगे बढ़ना चाहिए। और आप जानते हो, दिल्ली में आपने मुझे बिठाया है। और मैं जो काम कर  रहा हूं। इसमें सब लोग तो खुश होने वाले नहीं हैं। कुछ लोग तो नाराज होने ही वाले हैं। कुछ लोग तो ज्यादा नाराज होने वाले हैं। अब जिनके काले धन को चोट पहुंची, वो मोदीजी को जय श्रीराम बोलेगा क्या ...। बोलेगे क्या ...। वो तो मौका देखेगा कि मोदीजी की दवाई कब करूं। जिनको परेशानी हो रही है, वो मुझे परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे। ये मुझे पूरा पता है लेकिन देश के लिए अगर मेरे देशवासियों के लिए ये कठिनाइयां झेलनी पड़ेगी तो भी मैंने पूरा मन बना लिया है। अब मुझे बताइये। आज हदय रोग की बीमारी हमारे देश में बढ़ती चली जा रही है। ड़ॉक्टर के पास जाते हैं तो कहता है गंभीर मामला है। आप बचेंगे नहीं, बचने का एक ही उपाय है। आप स्टेंट लगवा दीजिए। हृदय के अंदर स्टेंट लगवा दीजिए। गरीब आदमी पूछता है कि साहब कितन खर्चा होगा। बोलो ये स्टेंट लगवा लोगे तो 40 हजार होगा। गरीब आदमी सोचता है, उसके बाद क्या होगा। 5-6 साल तक तो कोई तकलीफ नहीं होगी। फिर बाद में, ये वाला लगवा लोगे तो जिंदगी में कोई मुसीबत नहीं आयेगी। तो बोले इसका कितना खर्चा होता। तो बोले उसका डेढ़ लाख होता है। तो गरीब आदमी सोचता है कि 40 हजार देने के बाद 6 साल में मरना है। तो कुछ भी करो, कर्ज ले लो। कुछ भी करो, डेढ़ लाख वाला लगवा दो और बचने की कोशिश करो। मैंने स्टेंट वालों को बुलाया। मैंने कहा, बताइए ये बनाने में कितना खर्च लगता है। साल भर उनके साथ माथा-पच्ची चलती रही। वो बाएं-दाएं हो रहे थे। मैंने बारीकी से उन्हें ढूंढना शुरू किया।

और भाइयों-बहनों।  

जो स्टेंट 25 हजार, 35 हजार, 40 हजार में लगता था वो आज 5-6 हजार में लगाने के लिए मैंने मजबूर कर दिया। जो डेढ़ लाख में लगता था। वो 22-25 हजार में लगाने के लिए मैंने मजबूर कर दिया। अब मुझे बताइये। ये जिनका गया, वो मुझे माफ करेंगे क्या ...। करेंगे क्या ...। तब मुझे आपकी मदद लगेगी भाइयों। तब मुझे आपकी मदद लगेगी। दवाइयां सामान्य व्यक्ति को जो दवाइयां लगे, 7 सौ, 8 सौ दवा ऐसी जो आम तौर पर गरीब मध्यम वर्ग को व्यक्ति को बारी बारी से जरूरत पड़ जाती है। परिवार में कोई बीमार पड़ जाये तो जरूरत पड़ जाती है। कोई दवाई की कीमत 600 रुपया, 500 रुपया, 300 रुपया। मैंने दवाई वालों को बुलाया क्या रखे हो? भाई लूट क्यों रहे हो। कुछ तो ठीक-ठाक करो। 2 साल तक चर्चा चलती रही। और आज 700 से ज्यादा दवाइयां। जो कभी 300 में मिलती थी, अब 30 रुपये में मिलने लग गयी भाइयों। गरीब आदमी का भलाई।

और इसलिए भाइयों-बहनों।

प्रधानमंत्री जन औषधी परियोजना के तहत आज वैसे दवाइयों की जेनरिक दवाइयों के लिए दुकानें खोली जा रही है। जहां गरीब व्यक्ति कम पैसों से वही दवाई प्रप्त कर सकता है। जो बड़ी-बड़ी ब्रांड, बड़ी-बड़ी पैकेज में आते हैं। सस्ते में उसको खुली मिल सकती है ये हमने कानूनन व्यवस्था कर दी है। हमारे देश का किसान, प्राकृतिक आपदा का शिकार होता रहा। कभी वर्षा कम हो, तो भी घाटे में, बारिश हो तो भी घाटे में, न हो तो भी घाटे में। ईश्वर भरोसे उनकी जिन्दगी गुजरती थी। हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की। किसानों का पानी पहुंचाने का अभियान चलाया है। अब उसके साथ पहली बार देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए। और मैं हिमाचल के किसानों से आग्रह करूंगा कि वे इस फसल बीमा योजना का ज्यादा लाभ उठाने की कोशिश कीजिए। ये ऐसी योजना है इस देश में कभी किसानों को ऐसी सुरक्षा कभी नहीं मिली। अगर आप प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेते हैं तो अगर 100 रुपये का खर्चा है तो किसान को सिर्फ दो रुपया देना है 98 रुपया सरकार देगी। और मान लीजिए किसान ने अपना खेत तैयार कर दिया, जोतने की तैयारी कर दी और सोच रहा है कि बारिश आ जाए तो बुआई कर दूंगा। लेकिन जून में बारिश नहीं आयी है। जुलाई में नहीं आयी, अगस्त में नहीं आयी। बुआई हुई नहीं, फसल हुई नहीं, फसल हुई नहीं तो बर्बाद भी नहीं हुई। हम ऐसा बीमा लाए है। कि अगर बुआई भी नहीं कर पाए तो भी आपको बीमा मिलेगा और आपका साल बर्बाद नहीं होगा। हम ऐसा बीमा लाए हैं। फसल तैयार हो गई पाक मंडी में जाने को तैयार है। खेत में उसका ढेर लगा कर बैठे हैं। और 15 दिन के भीतर-भीतर मंडी में जाने से पहले अचानक औले गिर गई, बारिश आ गई। फसल बर्बाद हो गया तो फसल बीमा में उससे भी आपको पैसा मिलेगा। मैंने ऐसी व्यवस्था की है।

भाइयों-बहनों।

मैंने बहुत बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय किया और जिस तरह आने वाले दिनों में  इसका लाभ हिमाचल के फल उत्पादक किसानों को सबसे ज्यादा मिलनेवाला है। ये जितने बोतल वाले पानी बेचते हैं कलर वाला, कितने महंगे होते हैं। कोका कोला, फेंटा, पेपसी, न जाने क्या-क्या। हमने उनको कहा है भाई। ये जो आप एरोटेड देते हैं, कम से कम 5 प्रतिशत नेचुरल जूस मिक्स कीजिए। सच्चे फलों का रस उसमें होना चाहिए। अगर 5 पर्सेंट भी डालते हैं तो फलों के व्यपारी को अपना माल बेचने के लिए तरसना नहीं होगा। नागपुर में पेपसी के साथ शुरू हो गया है। और वहां जो संतरे जो पैदा होते थे। 5 पर्सेंट संतरे का रस डाला जा रहा है। आने वाले दिनों में हिमाचल के किसानों को भी इसका लाभ मिले। मैं भी इन कंपनियों के साथ बात कर रहा हूं। कभी-ना-कभी लाभ दे के रहूंगा भाइयों। हमारी हर योजना में देश का किसान हो, नौजवान हो, गरीब हो, उनको अवसर कैसे मिले। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, जो नौजवान अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है।

कुछ कारोबार करना चाहता है। ऐसे नौजवानों को 10 लाख तक हमने देने का निर्णय किया है। कम ब्याज पर पैसे देते हैं और देश में करीब-करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल चुका है। विकास कैसे किया जा सकता है।

हमारी मातायें-बहनें।

मुझे बराबर याद है। 2012 के चुनाव में हमारे धूमलजी एक योजना लेकर आए थे। मुझे दिखाया था उन्होंने उस समय, वो इंलेक्ट्रिक चूल्हा दे रहे थे। शायद और वो कह रहे थे कि लकड़ी भी नहीं, गैस है नहीं तो ...। मैंने भी लोगों को दिखाया था कि धूमलजी ये लाने वाले थे।

भाइयों-बहनों।

हमारे देश में एक जमाना था। लेकिन याद रखिए। लेकिन कभी-कभी क्या होता है कि बुरे दिन याद नहीं रहता है तो पता नहीं चलता है स्थिति कैसे बदल रही है। पार्लियामेंट के मेम्बर को गैस के सिलेंडर को 25 कूपन मिलते थे। और वे अपने इलाकों में 25 परिवारों को गैस का कूपन देने के लिए ऑब्लाइज करते थे। और लोग भी हर दिन सांसद के घर चक्कर काटते थे। साहब इस बार एक कूपन मिल जाए देखो ना। बच्चे बड़े हो गए है। घर में गैस के चूल्हा लाना है। और अखबारों में आता था। सांसद कुछ, सब तो नहीं। उस कूपन को कालेबाजारी में बेचते थे। ऐसी चर्चा हुआ करती थी उस जमाने में, गैस का कनेकेशन लेने के लिए। गैस का कनेक्शन लेने के लिए एमपी के घर के चक्कर काटने पड़ते थे, ये दिन देश भूला नहीं है भाइयों। आज भी स्थिति ऐसी थी। मैंने फैसला किया। इस देश के 5 करोड़ गरीब परिवार और मेरे दिल में दर्द था कि जब मेरी गरीब मां लकड़ी के चूल्हे से खाना पकाती है तो एक दिन में 400 सिगारे की धुआं, सिगरेट जितना धुआं उसके शरीर में जाता है। उस मां की तबीयत का हाल क्या होगा। क्या स्थिति बनेगी उस मां की ...। बच्चे जो छोटे-छोटे खेलते हैं। मां खाना पकाती है और बच्चे रोते हैं। उन बच्चों का हाल क्या होगा। आप कल्पना कर सकते हैं। तब मैने ठान ली थी। कभी मैंने भी तो देखा था, गरीब मां का बेटा हूं। कैसे चूल्हा जला के खाना पकाती थी और आंख से आंसू बहते चले जाते थे। वो दृश्य याद है। हमने तय किया कि हम गरीब परिवारों को गैस का कनेक्शन देंगे। 3 साल में भाइयों-बहनों। 5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का इरादा है। और मुझे खुशी है इस योजना के अभी तो 11 महीने हुए हैं। करीब-करीब डेढ़ करोड़ परिवारों में गैस का चूल्हा पहुंच गया भाइयों। गैस का सिलेंडर पहुंच गया। कहने का तात्पर्य यह है कि देश के सामान्य मानवी को इम्पावर करना है।

नोटबंदी हुई है। उसके बाद देश की युवा पीढी आपने देखा होगा। जेब में पैसे रखते ही नहीं हैं। अपने मोबाइल से ही पैसे का लेन-देन करते हैं। धीरे-धीरे औरों को भी आदत लगने लगी है। और मैं हिमाचल के लोगों को कहना चाहता हूं, जितना जल्दी आप डिजिटल करेंसी की ओर चले जाएंगे। टूरिज्म के लिए सबसे बड़ी सुविधा को वो कारोबार होगा। आपको आदत डालनी चाहिए। भीम एप बनाई है। मोबाइन फोन से, अपने मोबाइन फोन को अपना बैंक बना सकते हैं। अपना पूरा कारोबार करते हैं, लेन-देन मोबाइल से कर सकते हैं। पूरे हिमाचल में ये टूरिस्ट का क्षेत्र है। अगर व्यापारी भीम एप से पैसे लेन-देन करे। टूरिस्ट भीम एप से लेना देना शुरू कर दें, मैं समझता हूं। टूरिस्टों के लिए इससे बड़ी सुविधा नहीं हो सकती है। हर व्यापारी ये दुकान पर बोर्ड लगा दे, हम भीम एप से लेन-देन करते हैं। आप देखिए टूरिस्ट आकर्षित हो जायेगा।  यहां के लोग भी आकर्षित हो जाएंगे। ऐसी योजना आपके लिए बनाई है। नगद की जरूरत ना पड़े। फिर भी कारोबार चलता रहे। ऑटो वाला भी उसको कर रहा है, टैक्सी वाला भी उसको कर रहा है, सब्जी  वाला है, बेचने वाला भी, आज भीम एप से पैसे ले रहा है। हिमाचल में आंदोलन खड़ा कर देना चाहिए। भीम एप के लिए आंदोलन करना चाहिए और हिमाचल में कोई ऐसी दुकान न हो, कोई ऐसी होटल ना हो, कोई ऐसी रेस्टोरेंट ना हो, जहां भीम एप से कारोबार ना होता हो ताकि टूरिस्टों के लिए सबसे बड़ी सुविधा का कारण बने।

भाइयों-बहनों।  

नौजवानों को रोजगार मिले, टूरिज्म सबसे ज्यादा रोजगार देता है। कम से कम पूंजी निवेश से ज्यादा से ज्यादा कमाई होती है, ये क्षेत्र है टूरिज्म। जब टूरिज्म बढ़ता है तो बड़े-बड़े होटल वाले ही कमाते है, ऐसा नहीं है। ऑटो रिक्शा वाला भी कमाता है, पकौड़े बेचने वाला भी कमाता है, चाय बेचने वाला भी कमाता है। और इसलिए हिमाचल के जीवन में टूरिज्म का बाहुल्य है। इसको हम स्वीकार करके हम कैसे आगे बढ़े। भारत सरकार हर पल हिमाचल के प्रगति के लिए आपके साथ खड़ी है। हम विकास के नई उचाइयों पर ले जाना चाहते हैं। यहां एम्स का निर्माण करना है। यहां हाइवे इंजीनियरिंग का शिलान्यास किया। यहां के नौजवानों को उत्तम से उत्तम शिक्षा का अवसर मिले, यहां पर हिन्दुस्तान के उत्तम से उत्तम व्यवस्था है। वो व्यवस्थाएं हिमाचल को प्राप्त हो। ये दिल्ली में बैठाये गए भारत सरकार आपके साथ खड़ी है। आपकी प्रगति के नई उचाइयों पर ले जाने के लिए आज मैं आपके साथ खड़ा हूं। और हिमाचल वालों का तो मुझ पर थोड़ा स्पेशल अधिकार भी है। मैंने तो आपका नमक खाया है जी। फायदा उठाना आपके हाथ में है जी। मैं हिमाचल के लोगों की सेवा करता आया हूं। हिमाचल के साथ कई साल मुझे गुजारने का अवसर मिला है। मै यहां की ताकत से भली भांति परिचित हूं। यहां के समस्या से भली भांति परिचित हूं। जब मैंने वन रैंक वन पेंशन किया। मैंने मेरी चुनावी सभा में मंडी में घोषणा की थी। 2014 में हमारी सरकार जब बनेगी, वन रैंक वन पेंशन लायेंगे। लेकिन वन रैंक वन पेंशन 40 साल से लटका हुआ सवाल। इतनी सरकारें गयीं। किसी ने अध्ययन तक नहीं किया था कि वन रैंक, वन पेंशन क्या होता है। कैसे लागू होता है। कितना खर्चा, कोई हिसाब नहीं, मजाकिया विषय बना के रखा था। एक सरकार तो ऐसी गयी उसने ऐसे ही 500 करोड़ बोल दिया था। जब मैंने काम शुरू किया तो मैं हैरान था। ये मामला 15 हजार करोड़ पहुंचा, 15 हजार करोड़। भारत के खजाने से एकदम 15 हजार करोड़ निकालना मुश्किल था। मैंने फौज के जवानों को बुलाया। मैंने कहा देखो भाई मेरा वादा है वन रैंक, वन पेंशन करना है। लेकिन सरकार एक साथ 15 हजार करोड़ नहीं निकाल सकती। मुझे आपकी मदद चाहिए। फौज के लोगों ने मुझे कहा मोदी जी, आपको हमलोगो का मदद चाहिए तो बताइये क्या चाहिए। मैंने कहा एक किस्त नहीं, ये मुझे चार किस्त में देना चाहता हूं। मैं अपने फौजियों को सलाम करता हूं। एक मिनट उन्होंने नहीं लगाया। उन्होंने स्वीकार किया। अब तक दो या तीन किस्त पहुंच गयी है। आखिरी किस्त भी पहुंचने वाली है। उनके खातों में पैसे जमा हो गए भाई। एक ऐसी सरकार जो निर्णय करती है। तो आखरी इंसान तक उसको लागू करती है। बारीक से बारीक चीजों को देखती है।

भाइयों-बहनों।

आज जब हिमाचल की धरती पर आप सब इतनी विशाल संख्या में आपके दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। मैं हिमाचल को निमंत्रण देता हूं। आइये इस ईमानदारी के युग में मेरे साथ चलिए। आइये बेईमान, बेईमानी की व्यवस्था, बेईमान सोच, उसको विदाई करने का संकल्प ले के यहां से चले। इसी अपेक्षा के साथ दोनों हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। ऐसी ताकत दिखाइए कि बेईमानी को भी कांपने का काम शुरू हो जाना चाहिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद जी।

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PM to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.