It is only the Bharatiya Janata Party, which is democratic in its functioning: PM Modi
The BJP has always stood by the people despite facing political violence in several states: PM Modi
10% reservation will empower the economically weak belonging to General Category: PM Modi

नमस्कार,
भारत माता की...जय। भारत माता की...जय। भारत माता की...जय।

बारामती, गढ़चिरौली, हिंगोली, नांदेड़, नंदूरबार... सर्वकार्यकर्त्यांना माझा प्रेमपूर्वक नमस्कार। ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ इस मंत्र के साथ हम सब कार्यकर्ता आज संवाद कर रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आज का हमारा यह संवाद हम सबको अपने- अपने बूथ को मजबूत बनाने की प्रेरणा देगा। एक रोडमैप बनाकर बूथ के एक- एक परिवार से संपर्क के अपने संकल्प को मजबूती देगा। आइए, सबसे पहले चलते हैं बारामती।

कार्यकर्ता – नमस्कार
पीएम मोदी - नमस्कार

कार्यकर्ता - महाराष्ट्र के आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज के पदस्पर्श से पावन, संत श्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज, तुकाराम महाराज के पदस्पर्श से पावन ये पुण्यनगरी, बारामती लोकसभा चुनाव क्षेत्र से मैं दत्तात्रेय वसंत चौधरी प्रधानमंत्री से ये सवाल पूछना चाहता हूं कि बीजेपी और बाकी पार्टी में आप क्या अंतर देखते हैं। और दूसरा सवाल ये रहेगा कि हम किस तरह से लोगों के बीच में ये बात पहुंचाएं कि क्यों बीजेपी ही देश की आशा और आकांक्षा पर खरी उतर सकती है? धन्यवाद।

पीएम मोदी – दत्तात्रेय जी, ये बूथ के कार्यकर्ता हैं और कार्यकर्ता के संबंध में बात हो रही है तो मैं सबसे पहले शुरुआत करूंगा...देखिए, भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है, कार्यकर्ताओं द्वारा बनाई गई पार्टी है और देश के लिए समर्पित पार्टी है। पार्टी में कार्यकर्ताओं की आवाज और अर्ज उसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगर कोई पार्टी ऐसी है जो वास्तव में पूरी तरह से लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करती है तो वह भारतीय जनता पार्टी है। लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारे संस्कारों में है और यही कारण है कि देश की जनता हमसे एक स्वाभाविक जुड़ाव महसूस करती है।

हमारी पार्टी में कोई भी निर्णय इस बात से नहीं होते हैं कि एक व्यक्ति या एक परिवार की इस विषय में क्या इच्छा है या क्या चाहता है, बल्कि हमारे यहां निर्णय इस बात से होते हैं कार्यकर्ता क्या चाहता है। और इसलिए कहा जाता है कि देश में ज्यादातर cases में परिवार ही पार्टी है लेकिन भाजपा में पार्टी ही हमारा परिवार है। देश में ज्यादातर पॉलिटिकल लीडर्स कांग्रेस गोत्र के हैं यानि वो कांग्रेस संस्कृति में ही पले-बढ़े हैं, संस्कारित हुए हैं। जब मैं कांग्रेसमुक्त भारत की बात करता हूं तो उसका मतलब यही है कि हम भारतीय राजनीति में से कांग्रेस कल्चर को खत्म करना चाहते हैं। जब मैं ये बात करता हूं तब मैं जरा बारामती के कार्यकर्ताओं से पूछना चाहता हूं...क्योंकि यहां पर कांग्रेस कल्चर किसी न किसी रूप में बहुत नीचे तक पहुंचा हुआ है... और इसलिए आपको भलीभांति पता है कि कांग्रेस कल्चर क्या होता है...लेकिन मैं बारामती के लोगों से सुनना चाहूंगा कि बताइए आपके हिसाब से कांग्रेस कल्चर का मतलब क्या है। बताएंगे बारामती के कोई? कोई बोलेंगे क्या? आपकी आवाज मुझे नहीं सुनाई दे रही है।

कार्यकर्ता - प्रधानमंत्री जी, पुणे जिले में बारामती लोकसभा क्षेत्र, आज तक इस क्षेत्र का जिन्होंने नेतृत्व किया है, यहां पे जातिवाद, पारिवारिक भ्रष्टाचार, ये इनका मकसद है और आज तक इन्होंने यही किया है। आपके माध्यम से ये खत्म हो रहा है, इसलिए ये सब एकजुट हो रहे हैं। और आपके खिलाफ, बीजेपी के खिलाफ ये एकजुट हुए हैं फिर भी आपको और भारतीय जनता पार्टी को कोई रोक नहीं सकता।

पीएम मोदी - अब आप देखिए, हममें से हर एक जानता है कि कांग्रेस कल्चर का मतलब है...कैसी-कैसी बुराइयों से भरा हुआ है। अगर इनमें से एक बुराई हमारे में आती है इसका मतलब कांग्रेस हमारे अंदर भी घुस रही है। आप सब लोग बारामती से हैं। सब जानते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने वहां के सर्वोच्च नेता के साथ कैसा-कैसा व्यवहार किया। मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं। उन्होंने कई वर्षों तक सार्वजनिक जीवन में रहते हुए जनता के लिए काम किया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होते हुए उनके साथ कांग्रेस ने बहुत ही अपमानजनक व्यवहार किया। हम भी गुजरात में थे, सुना करते थे...सही-गलत क्या था ये तो भगवान जाने...पर कहते हैं कि उनकी गलती सिर्फ इतनी सी थी कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनने के लिए अपनी दावेदारी पेश की। सिर्फ इस बात के लिए उन्हें रातोंरात पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ऐसा सिर्फ परिवारवादी पार्टी में हो सकता है। और सबसे मजेदार बात यही है कि वही पवार साहब जिनका कांग्रेस ने अपमान किया था, एक बार फिर से वे कांग्रेस के पाले में चले गए।

हमारी पार्टी वह है जो भारत के लोकतंत्र की सुरक्षा में हमेशा सबसे आगे रही है। आपातकाल का विरोध करने में हमारे लाखों कार्यकर्ता सबसे आगे थे। आज भी हमारे बहुत सारे कार्यकर्ता राजनीतिक हिंसा के शिकार हो रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी हमारे कार्यकर्ता लोगों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब आप देखिए कि पश्चिम बंगाल में वहां की सरकार ने लोकतांत्रिक तरीकों से चुनाव नहीं होने दिए क्योंकि वो जानते थे कि अगर स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव होते तो उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ता। वे तानाशाही के रास्ते पर चलते रहे लेकिन हम लोकशाही के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमेशा उसी रास्ते पर चलेंगे।

आइए, अब चलते हैं गढ़चिरौली ।

पीएम मोदी – गढ़चिरौली नमस्कार।

कार्यकर्ता – नमस्कार मोदी जी। मैं नरेंद्र कुमार। मेरा आपसे एक सवाल है। सर आपकी सरकार आने के बाद माओवाद और नक्सलवाद का खौफ हमारे क्षेत्र में कम हो गया लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि मीडिया इसकी बिल्कुल चर्चा ही नहीं करता। हमारे कार्यकर्ता भी इस बारे में ज्यादा बात नहीं करते। आप इसे कैसे देखते हैं सर जी। नमस्कार।

पीएम मोदी – मुझे अच्छा लगा कि हमारे कार्यकर्ता देश में क्या हो और कैसे बदलाव आ रहा है उसे अच्छी तरह पहचान रहे हैं। एक समय था जब पूर्व प्रधानमंत्री ने खुद कहा था कि माओवाद देश पर हावी हो रहा है। और आज आपने सही कहा है कि देश भर में नक्सलवाद-माओवाद का खौफ कम हो रहा है। देखिए, कोई भी क्षेत्र स्वयं को माओवाद प्रभावित इलाका कहलाना पसंद नहीं करता है। स्थानीय लोगों की मानसिकता पर इसका बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। लेकिन आपको यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि आज माओवाद पीछे चला गया है, डरता है, भाग रहा है और विकासवाद आगे आ बढ़ रहा है। हिम्मत के साथ, योजना के साथ आगे बढ़ रहा है।

माओवादी अपनी हिंसा के मार्ग से लोगों को विकास से वंचित रखने का काम करते, फिर चाहे वो सड़क हो, स्कूल हो या बिजली हो। हमने ना सिर्फ इनकी हिंसा को उनकी ही भाषा में मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि लोगों को विकास से वंचित रखने के उनके मंसूबों को भी नाकाम कर दिया। इन क्षेत्रों के गरीब लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक सशक्तिकरण पर लगातार बल दिया जा रहा है। और जब भी माओवादियों के खिलाफ लड़ाई की बात उठती है तो मैं सबसे पहले अपने सुरक्षा बल के बहादुर जवानों को नमन करता हूं क्योंकि जनता-जनार्दन की शांति और कुशलता बरकरार रखने के लिए वे सदा ही चौकन्ने रहते हैं। उनके साहसिक प्रयासों और हमारी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के चलते पिछले चार-साढ़े चार वर्षों में माओवादी हिंसा में आई गिरावट को देखकर आज हर भारतीय के मन में एक नया विश्वास, नई आशा पैदा हुई है।

भौगोलिक तौर पर भी माओवादी हिंसा का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है। माओवाद प्रभावित जिलों की संख्या अब पहले के 126 से घटकर सिर्फ 90 रह गई है। इतना ही नहीं पहले के 36 सबसे प्रभावित यानि खूंखार माने जाते थे, वो भी अब घटकर के 30 पर आए हैं। माओवाद प्रभावित जिलों में करीब साढ़े चार हजार किलोमीटर से अधिक सड़क का निर्माण किया जा चुका है। पहले शायद कोई सोच सकता था कि इन इलाकों में भी इस स्केल और स्पीड से काम हो सकता है।

कनेक्टिविटी का दायरा बढ़ाने के लिए करीब 2,400 मोबाइल टॉवर्स स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा चार हजार और टॉवर्स स्थापित करने को मंजूरी दी जा चुकी है। जब हमने कार्यभार संभाला था तब माओवादी हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से 11 में एक भी केंद्रीय विद्यालय नहीं था, वहां आज आठ नए केंद्रीय विद्यालय और पांच नए जवाहर नवोदय विद्यालय बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दे रहे हैं। माओवाद से प्रभावित इलाकों में बैंकों की पहुंच सीमित थी। माओवादी हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में बड़ी संख्या में बैंकों के ब्रांच और एटीएम खोलने की पहल की गई है। आज देश देख रहा है कि माओवाद को हराने की हमारी जो व्यूह रचना है वो कामयाब हो रही है।
आइए, गढ़चिरौली से हम चलते हैं हिंगोली की तरफ।

पीएम मोदी – हिंगोली नमस्ते।

कार्यकर्ता – प्रधानमंत्री जी मेरा आपको नमस्कार।
पीएम मोदी – नमस्कार।
जगदेव राव पवार (बूथ प्रमुख, हिंगोली) – सर, मेरा प्रश्न है...पिछले चार सालों में आम नागरिकों का रिश्ता बदला है। कई सरकारी प्रक्रिया सरल हुई है। आप भी ईज ऑफ लिविंग के बारे में बात करते हैं। नागरिकों के लिए इसका क्या अर्थ है?

पीएम मोदी – जगदेव राव नमस्कार। ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि किसी परियोजना का फीता काटना और फिर उसे अपने भाग्य पर छोड़ देना, ये हमारे सिस्टम का एक हिस्सा ही बन गया था। एक तरीके से कहा जाए तो पीपल फ्रेंडली व्यवस्था के निर्माण से लोगों के जीवन को आसान बनाना ईज ऑफ लिविंग है। एक ऐसी व्यवस्था जिसमें ‘पीपल फर्स्ट’ के नजरिए से हर प्रोसेस डिजाइन है। सामान्य व्यक्ति को केंद्र में रखते हुए नीतियों का निर्माण हो और ऐसे निर्णय लिए जाएं जिनसे लोगों के जीवन में आसानी आए, यही ईज ऑफ लिविंग है। मैंने लोगों को सरकारों से जद्दोजहद करते हुए बहुत करीब से देखा है। छोटी-छोटी चीजों को सरकार से करवाने के लिए परेशान होते हुए देखा है।

हमने आने के बाद चार प्रिंसिपल काम करना शुरू किया। एक, जितनी चीजों को नागरिकों के विश्वास पर छोड़ा सकता है, सरकार उसमें से निकल जाए। टेक्नोलॉजी की मदद से जहां-जहां ह्यूमन इंटरवेंशन खत्म कर सकते हैं, वहां करना...सिटिजन सेंट्रिक सर्विसेस से संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर का छोटे शहरों और गांवों तक में विस्तार करना...पूरे गवर्नेंस के तंत्र को जनता के प्रति संवेदनशील बनाना, जवाबदेह बनाना। अपने डॉक्यूमेंट्स को एटेस्ट कराने के लिए कितने चक्कर काटने पड़ते थे। देश के नागरिकों पर अविश्वास का एक माहौल था। और इसलिए हमने आने के कुछ हफ्तों के भीतर ही इस नियम को समाप्त कर दिया। सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त बना दिया। आज सिस्टम मान्य लोगों पर विश्वास करता है।

इसके कई उदाहरण आप देख सकते हैं। ट्रेनों में अब यात्रा करने के लिए ई-टिकट खरीदना पर्याप्त है। जब कोई पुलिसवाला आपसे ड्राइविंग लाइसेंस, ऑटो इंश्योरेंस या कोई अन्य दस्तावेज दिखाने को कहता है तो अब आप उसे अपने मोबाइल में रखे डॉक्यूमेंट्स की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी भी दिखा सकते हैं। डॉक्यूमेंट्स को साथ में लेकर घूमने की जरूरत नहीं है। हम अपने साथ-साथ प्रक्रियाओं को भी 21वीं सदी की तरफ लेकर जा रहे हैं। हमारे बुजुर्गों को पेंशन पाने के लिए, अपने जीवित होने का प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए धक्के खाने पड़ते थे वो सब कम हो गया। अब उन्हें जीवन प्रमाण पोर्टल पर आधार लिंक्ड डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाता है।

अब अधिकांश प्रक्रिया हमने ऑनलाइन कर दी है जो सरल भी है और संवेदनशील भी है। अब स्कॉलरशिप का लाभ लेने के लिए छात्रों को किसी को खर्चा पानी देने की आवश्यकता तो नहीं है। ऑनलाइन अप्लाई और डीबीटी से स्कॉलरशिप सीधे बैंक खाते में जमा हो जाती है। आपको याद होगा कि पहले गैस कनेक्शन हो या बिजली कनेक्शन...काफी दिन लग जाते थे। अब ये काम ऑनलाइन बहुत कम समय में हो रहा है। आपमें से कई लोगों ने इसको स्वयं अनुभव किया होगा कि अब इनकम टैक्स रिफंड्स कुछ ही दिनों में मिल जाते हैं, जहां पहले महीने लग जाते थे। और अब तो हम एक दिन में इनकम टैक्स रिफंड मिले, उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

भीम ऐप के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को बहुत ही सरल बना दिया गया है। इसी तरह से यदि आप उमंग ऐप डाउनलोड करते हैं तो 300 से अधिक सरकारी सर्विस आपको अपने मोबाइल पर मिल जाती है। आपको याद होगा कि पहले पासपोर्ट बनवाना भी एक प्रकार से चुनौतीपूर्ण कार्य हुआ करता था, क्योंकि उस वक्त देश में बहुत कम पासपोर्ट केंद्र हुआ करते थे। मैं खुद ऐसे लोगों को जानता हूं जो दूसरे शहरों में सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते थे और कुछ दिनों के लिए किसी और के घर में रहते थे क्योंकि उनके शहर में पासपोर्ट कार्यालय ही नहीं था। ऐसा क्यों है कि आजादी के 60 साल बाद भी देश में केवल 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे। केवल साढ़े चार वर्ष में ही हमने उस संख्या को 77 से 300 के पार पहुंचा दिया है। गांव-गांव तक कॉमन सर्विस सेंटर्स के माध्यम से सरकारी सेवाओं को पहुंचाने का काम भी बहुत बड़े स्तर पर किया गया है। आज देश में ढाई लाख से ज्यादा CSCs काम कर रहे हैं। इसी तरह का एक और कदम है जो मैंने उठाया...और वो है सरकारी नौकरियों के लिए interviews का समाप्त होना। एक तरह से कहा जाए तो इंटरव्यू से भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिल रहा था। हमने इसे समाप्त कर दिया। अब योग्यता के आधार पर ही नौकरियां दी जाती हैं।

चलिए अब नांदेड़ की तरफ चलना है साथियो।

पीएम मोदी – नांदेड़ नमस्कार।

कार्यकर्ता – नमस्कार। नमस्कार। नमस्कार।

पीएम मोदी - नांदेड़ सचखंड श्री हजूर साहब की भूमि है। नांदेड़ वही पुण्यभूमि है जहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी शहीद हुए थे। मैं श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को नमन करता हूं। और अब आप अपनी बात शुरू कीजिए।

कार्यकर्ता – नमस्कार। मैं साइलू लालू मुत्तनवार, महाराष्ट्र नांदेड़ लोकसभा क्षेत्र से हूं। मेरा बूथ क्रमांक 108 है। सर जी मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूं। सर आप कांग्रेस के अटकने, लटकने और भटकने की बात काफी करते हैं। आप बताते हैं कि हमारी सरकार ने बहुत सी लंबित परियोजनाओं को पूरा कर लिया है। आप इसका कुछ उदहरण दे सकते हैं कि हमने किन-किन लंबित योजनाओं को पूरा किया है। धन्यवाद।

पीएएम मोदी – देखिए पिछले साढ़े चार वर्षों में आपने देखा होगा कि सरकार के काम करने के तरीके में पूरी तरह से बदलाव आया है। अब परियोजनाएं न केवल शुरू होती हैं बल्कि समयबद्ध तरीके से पूरी भी होती हैं। जो योजनाएं हमने शुरू की हैं उन्हें तो हम पूरा करते ही हैं पर जो पहले से लटकी चली आ रही हैं उनको भी हम पूरा कर रहे हैं। चार दशकों से हमारे सैनिक वन रैंक वन पेंशन-OROP की मांग कर रहे थे। आप सोच सकते हैं, चार दशकों तक ये मामला ऐसे ही लटका रहा...फाइलों में बंद पड़ा रहा। हमने इस मसले को सुलझाया और OROP के सपने को साकार किया।

असम के लोग दशकों से बोगीबील ब्रिज का इंतजार कर रहे थे। आप सोच सकते हैं, देशवासियों को एक पुल के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ा। हमने चार साल के भीतर ही असम के लोगों को बीगीबील ब्रिज दे दिया। असम की गैसक्रैकर परियोजना जो पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक थी...आप सोचिए, तीन दशक पहले इसकी कल्पना की गई थी। इतना समय बीत गया लेकिन इसका काम पूरा नहीं हो सका था। लेकिन हमने इस परियोजना को पूरा करने का बीड़ा उठाया और 2016 में इसका काम पूरा भी कर लिया।

हरियाणा के लोगों ने लगभग एक दशक तक कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे का इंतजार किया और हमने चार साल के भीतर इसका काम पूरा किया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के लिए दशकों से प्लानिंग ही चल रही थी, काम कुछ नहीं हो रहा था और हमने उसको भी पूरा किया। जबसे हमारी सरकार आई है, हमने फर्टिलाइजर के आयात पर निर्भरता को दूर करने के लिए कई फर्टिलाइजर प्लांट्स को फिर से शुरू किया है।

देश के 18 हजार गांव आजादी से अंधकार में जी रहे थे, उन्हें अंधकार में से बाहर निकालने का सौभाग्य हमें मिला। देश के करोड़ों घर आजादी से अंधकार में जी रहे थे, उन्हें अंधेरे में से बाहर निकालने का सौभाग्य भी हमें ही मिला। देश में लाखों-करोड़ों किसानों को लाभान्वित करने वाली सिंचाई योजनाएं अटकी पड़ी थीं। इन्हें शुरू कर किसानों का जीवन बेहतर बनाने का सौभाग्य हमें ही प्राप्त हुआ। आजादी से देश में पिछड़े जिलों के नाम से कई जिले छूटे पड़े थे। हमने ना सिर्फ उनका नाम बदलकर आकांक्षी जिले रखा बल्कि यह कार्यक्रम मिशन मोड में चलाया है।

अब मैं आप ही के राज्य में चल रही विकास परियोजनाओं की बात करता हूं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे एक ऐसी परियोजना है जो इन दो शहरों के बीच स्थित क्षेत्रों का रूप बदल देगी। इससे दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय घटकर केवल 12 घंटे रह जाएगा। इसे एक लाख करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, मैन्युफैक्चरिंग के हब के तौर पर विकसित हो रहा है। पूरी दुनिया इस मैन्युफैक्चरिंग हब में स्थान पाना चाहती है। और पहले से ही ऐसे कुछ मेगा ग्रीनफील्ड प्रोजक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। मुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड कॉरिडोर काफी बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना है। इस परियोजना से इस क्षेत्र के विकास की संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा।

कुछ दिन पहले मुझे कल्याण में ठाणे-भिवंडी-कल्याण कॉरिडोर पर मुंबई मेट्रो लाइन-5 और दहिसर-मीरा-भायंदर मेट्रो लाइन-9 का शिलान्यास करने का अवसर मिला। सालों के इंतजार के बाद इसका काम शुरू हो चुका है। पिछले चार वर्षों में हमने मेट्रो परियोजनाओं में तेजी से काम किया है। मुंबई, पुणे, नागपुर शहरों में मेट्रो से वहां के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आएगा। मैं प्रगति के माध्यम से हर महीने परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा करता हूं और परियोजनाओं में अगर कोई समस्या सामने आती है तो वहीं तुरंत के तुरंत उसका हल निकाला जाता है। बीते साढ़े चार वर्षों में प्रगति के माध्यम से 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली परियोजनाओं की समीक्षा की जा चुकी है। अब ना केवल हम अपनी परियोजनाओं की शुरुआत अच्छी तरह करते हैं बल्कि हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि परियोजनाएं समय पे पूरी हों।

आइए अब चलते हैं नंदूरबार।

पीएम मोदी – नंदूरबार नमस्ते।

सुनीता सुभाष शिंदे (बूथ प्रमुख, नंदूरबार) - माननीय प्रधानमंत्री जी को मेरा सादर प्रमाण। माननीय प्रधानमंत्री जी से मैं ये सवाल पूछना चाहती हूं कि गरीबों को आपने सवर्णों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है। ये ऐतिहासिक कदम आपने उठाया है। लेकिन कांग्रेस के एक नेता ने कहा है कि इस मुद्दे को मैं अदालत में चुनौती दूंगा। ऐसे गरीबों के विरुद्ध कांग्रेस का कैसे हम पर्दाफाश कर सकते हैं, इसका कृपया मार्गदर्शन करें।

पीएम मोदी – आपका प्रश्न महत्वपूर्ण है। इसके पहले कि मैं इसका जवाब दूं, पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी। साथियो, सैकड़ों वर्षों के कालखंड में हमारी सामाजिक व्यवस्था में ऐसे बदलाव हुए जिनकी वजह से कुछ वर्गों के साथ बहुत ज्यादा अन्याय होना शुरू हो गया। जाति की वजह से उनका अपमान किया गया, उनका शोषण किया गया। समय के साथ वो हर प्रकार से पिछड़ते चले गए। और इसलिए संविधान बनाते समय ये सवाल उठा तो बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की अगुआई में हमारे संविधान निर्माताओं ने ये फैसला किया कि समाज के उस शोषित और वंचित वर्ग के लिए ऐसी व्यवस्था की जाए जहां वो अवसरों के लिए दूसरे लोगों के साथ मुकाबला कर सकें। ये व्यवस्था आरक्षण थी और इसके पीछे की पूरी सोच ही अवसरों की समानता थी।

आजादी के बाद के दशकों में आरक्षण की इस व्यवस्था ने करोड़ों लोगों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार किया, उन्हें आगे बढ़ाने में मदद की। आज भी आरक्षण की ये व्यवस्था मेरे दलित, मेरे पिछड़े भाई-बहनों, मेरे आदिवासी भाई- बहनों उनको अवसरों की समानता दे रही है। संविधान द्वारा बनाई यह व्यवस्था चट्टान की तरह उनके साथ है और हमेशा रहेगी। साथियो, इस व्यवस्था को बनाए रखने के साथ ही बीते काफी समय से ये मांग भी की जा रही थी कि जो सामान्य वर्ग के गरीब हैं उन्हें भी अवसरों की समानता मिले।

उन गरीबों के साथ भी न्याय हो। जब हमारी सरकार ने संविधान संशोधन का कदम उठाया तो ये हैरान रह गए। आधे-अधूरे मन से इनको संसद में इसका समर्थन करना पड़ा। अब ये पिछले दरवाजे से सरकार के इस पवित्र काम को जिसका संसद में उनको भी समर्थन करना पड़, उस फैसले को अदालत में चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं। इन्होंने अपने लोग इस काम में लगा दिए हैं। गरीबों के लिए की गई इस ऐतिहासिक शुरुआत के खिलाफ ये कोर्ट में जा रहे हैं। उन्होंने खुद सकारात्मक पहले करने में तो कभी इंटरेस्ट नहीं दिखाया लेकिन नकारात्मकता का माहौल बनाने में यहां भी ये बाज नहीं आ रहे हैं।

मैं आपको ये भी बता देता हूं कि आरक्षण का जो प्रावधान किया गया है ये बिल्कुल अलग से किया गया है। पहले से जिन वर्गों को आरक्षण दिया गया है, उनके हक पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। उल्टा हम देश में उच्च शिक्षा के सभी शिक्षण संस्थान की सीटों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर रहे हैं और ये इसी सेशन से लागू हो जाएगा। यानि अब सामान्य वर्ग के बच्चे भी आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रीमियर संस्थानों में आसानी से पहुंच पाएंगे और बाकी बच्चों की संभावनाओं पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। रही बात अफवाह की तो अफवाह फैलाने वालों का काम ही यही होता है। लेकिन अगर हम हमारी बात ज्यादा लोगों को पहुंचाते हैं तो फिर अफवाह टिकती नहीं है, अफवाह पहुंच ही नहीं सकती है। और मैं आपको स्पष्ट कर दूं...मैं चाहता हूं कि आप और इस कार्यक्रम से जुड़े मेरे लाखों कार्यकर्ता ये साफ जान लें कि ये आरक्षण किसी भी आरक्षण को खत्म करने या कम करने के लिए नहीं दिया गया है।

ये आरक्षण देश में आरक्षण की एक नई कैटेगरी है। इस आरक्षण से हर गरीब का फायदा होगा और इससे किसी का कोई नुकसान होने वाला नहीं है। ये मेरे देश के गरीबों को दिया गया आरक्षण है। मैं आपको फिर विश्वास दिलाता हूं कि दलित, पिछड़े, आदिवासी और वंचितों को जो संविधान में आरक्षण की सुविधा है, उस पर किसी तरह की कोई आंच नहीं आएगी। जब तक देश में मोदी है, किसी दलित को, आदिवासी को, ओबीसी को दिया जा रहा आरक्षण, किसी पिछड़ा को दिया जा रहा आरक्षण, किसी आदिवासी को दिया जा रहा आरक्षण कोई छीन नहीं सकता।

मैं आपको और अपने लाखों कार्यकर्ताओं को ये भी स्पष्ट कर रहा हूं कि चुनावी साल है। ऐसे में आपको सतर्क रहना है, सजग रहना है कि इस तरह की अफवाह समाज में ना फैले। मुझे विश्वास है कि विरोधी पूरी तरह से भ्रम फैलाने में जुटे हैं। सत्य के आधार पर पब्लिक के बीच में जाने का उनका हौसला ही नहीं है। उनकी जमीन कच्ची है। दलित, आदिवासी और पिछड़े बहन-भाइयों के बीच जाकर जो लोग झूठ बोलने में जुटे हैं, उनको निरुत्तर करना, उनके असली चेहरों को लोगों के सामने लाना, ये बीजेपी के आप सभी कार्यकर्ताओं का काम है। और इस प्रचार का, अपप्रचार का पूरी शक्ति से सामना करेंगे, करना है और यही बात एक-एक नागरिक तक हमें पहुंचानी है। और अभी जो कोर्ट-कचहरी के माध्यम से गरीबों के हकों पर अड़ंगा लगा रहे हैं ये बात भी उनको जाकर के बतानी है कि कांग्रेस पार्लियामेंट में तो वोट देती है लेकिन बाहर अब सुप्रीम कोर्ट में जाकर के खेल खेलना शुरू कर रही है। ‘सबका साथ सबका विकास’ की तरह यह बहुत बड़ा कदम है। इसको इसी भावना से लोगों तक हमें पहुंचाना है।

साथियो, मेरा बूथ सबसे मजबूत यह सिर्फ एक संवाद का नाम नहीं है बल्कि एक भावना है एक संकल्प है जिससे हमारी पार्टी मजबूत बनती है। मुझे पिछले दिनों में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र के कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने का मौका मिला है और मैंने देखा है कि कार्यकर्ता किसी भी राज्य का हो, उसकी भाषा चाहे कोई भी हो, उसके राज्य में भाजपा की सरकार हो या ना हो, उसकी भारत माता के प्रति भक्ति, देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा, सुशासन के लिए संघर्ष करने की भावना, हर जगह समान है, प्रमुख है। यही तो चीजें हैं जिससे भाजपा कार्यकर्ता की पहचान होती है। साथियो, आप सबसे बातें करना, आपके सुझाव और प्रश्न सुनना मुझे बहुत ही आनंद देता है। अगली बार फिर मिलेंगे। बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!