QuoteOur saints and seers have guided the nation since ages. They have not only protected but also furthered our culture: PM
QuotePM remembers Bhagwan Basaveswara, says government has adopted His ideals in it's decision making
QuotePM Modi highlights various initiatives of the Centre that are transforming lives of the commons
QuoteSaints and seers have a vital role to play in maintaining unity of the nation and eliminating societal evils: PM

परम श्रद्धेय श्री शैल जगद्गुरू महास्वामी जी, श्री ईश्वर पंडिताराध्य शिवाचार स्वामी जी, श्री गौरी शंकर शिवाचार स्वामी जी, श्री रेनुका शिवाचार स्वामी जी, श्री सुगुरेश्वरा शिवाचार स्वामी जी, श्री डॉक्टर राजशेखर शिवाचार स्वामी जी, पूज्य श्री शिवकुमार स्वामीजी, श्री वरालिंगा स्वामी जी, श्रीशैलम में उपस्थित देश भर से आया संत समाज, भक्तगण, देवियों, सज्जनों और कर्नाटक के सबसे लोकप्रिय नेता और मेरे सहयोगी श्री बी. एस येदियुरप्पा जी...

सबसे पहले आप सभी को उगादी पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ये मेरा परम सौभाग्य होता कि देश के सबसे पवित्र स्थलों में से एक श्रीशैलम में स्वयं आकर मैं श्री शैल जगद्गुरू महास्वामी जी और आप सभी संत गण, ऋषिगण से आशीर्वाद प्राप्त करूं। लेकिन व्यस्तता की वजह से ये संभव नहीं हो पायेगा। इसलिए आपसे टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़ रहा हूं और यहीं से आपको कोटि-कोटि नमन अर्पित करता हूं।

महर्षि वेदव्यास ने श्रीशैलम की महत्ता बताते हुए कहा था कि यहां दर्शन करने वाले लोगों को हर तरह के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। “श्री शैल समं क्षेत्रं न भूतो न भविष्यति” इस क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठता को व्यक्त करने वाला वाक्य है।

इस क्षेत्र में भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक श्री मल्लिकार्जुन लिंग तो विद्यमान है ही, इसके साथ ही भ्रमराम्बा शक्तिपीठ और वीरशैव धर्म के संस्थापक आचार्यों में एक श्री जगद्गुरु सूर्य सिंहासन पंडिताराध्य गुरुपीठ भी विराजमान थे। इस तरह श्रीशैल क्षेत्र ज्योतिर्लिंग शक्तिपीठ एवं जगद्गुरू पीठ का त्रिवेणी संगम क्षेत्र है।

भगवान बसवेश्वर आदि शिवशरणों में इसी क्षेत्र में आकर समाधिस्थ हुए हैं। सुप्रसिद्ध अल्लम प्रभुदेव और अक्कमहादेवी भी यहीं ईश्वर को प्राप्त हुए। सोलार के शिवयोगी सिद्धरामेश्वर का श्रद्धास्थान भी श्रीशैल ही है। हेमरड्डी अल्लम्मा भी मल्लिकार्जुन की भक्ति के कारण सुप्रसिद्ध हुईं। ये भारत का वो दिव्य क्षेत्र है, जो पूरे राष्ट्र को अपनी ऊर्जा का आशीर्वाद देता है।

इस पवित्र संगम क्षेत्र में महास्वामी जी प्रतिवर्ष उगादी के अवसर पर राष्ट्रीय जागृति के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को आयोजित किया जाएगा। देशभर से और विशेषकर कर्नाटक से हजारों लोग, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर इस आयोजन के साक्षी बनने के लिए वहां पहुंचेंगे। राष्ट्रीय जागृति और आस्था के इस महान यज्ञ में शामिल होने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को मेरा करबद्ध प्रणाम है।

उगादी का अर्थ होता है एक युग की शुरुआत। उगादी मानव जीवन की शुरुआत का पर्व है, सृष्टि की रचना की शुरुआत का पर्व है। ये नई उम्मीदों, नई आशाओं-आकांक्षाओं का पर्व है। ये प्रकृति का पर्व है, पर्यावरण का पर्व है। ये जीवन में नए आरंभ का पर्व है।

कल कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में, देश के अनेक राज्यों में लोग नए घर के निर्माण की शुरुआत करेंगे, नई गाड़ी खरीदेंगे, नया ट्रैक्टर खरीदेंगे, नया कारोबार शुरू करेंगे, दुकान में कुछ नया काम शुरू करवाएंगे । इस पर्व को मना रहे प्रत्येक व्यक्ति को मेरी शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि कल से प्रारंभ होने वाले इस पर्व से उन्हें भरपूर पुण्य मिले, प्रसाद मिले।

हमारी परंपराएं किस तरह हमें जीवन के सिद्धांतों से परिचय कराती हैं, उसका बेहतरीन प्रमाण है बेवू-बेला प्रसाद। मुझे उम्मीद है, आप सभी को कल बेवू-बेला या उगादी पछड़ी का स्वाद मिलेगा। जैसे उसका स्वाद थोड़ा कड़वा, थोड़ा मीठा होता है, वैसे ही तो जीवन है। हार-जीत, सुख-दुःख, जीवन के ये उतार-चढ़ाव, ये गूढ़ मंत्र कितनी आसानी से हमारे संस्कारों में पिरो दिया गया है, वो देश के इतिहास से अपरिचित लोग कभी नहीं समझ पाएंगे।

आप सभी संत गण इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि हमारे गौरवशाली इतिहास को गुलामी के लंबे कालखंड में चोट पहुंचाने की कितनी कोशिश की गई, कितने प्रयास हुए। लेकिन हमारी परंपराओं की ये शक्ति रही कि वो उस प्रहार को भी सह गईं। आखिर ऐसी क्या शक्ति थी हमारे देश में, आखिर कौन था, जो देश को उस समय संभाले हुए था?

उस समय आप जैसे संतों-ऋषि मुनियों का प्रताप ही था, जिसने देश के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव की रक्षा की। स्वतंत्रता के बाद एक उम्मीद थी कि इस गौरव को जो भी थोड़ी-बहुत चोट पहुंची है, उसे देश की नई सरकार सुधारने का काम करेगी। लेकिन ये दुखद रहा कि उस दौर के राजनेताओं ने देश की पहचान के साथ सपेरों, जादू-टोने और करतबों को जोड़ दिया गया। इतना ही नहीं, हमारे गौरवशाली इतिहास की महत्वपूर्ण बातों को भी अगली पीढ़ी तक पहुंचने से रोकने का प्रयास किया गया।

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ये देश, आप जैसे सिद्धस्त संतों का आभारी है कि इतिहास बदलने वाले अपने प्रयास में सफल नहीं हुए। आपने एक तरफ देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रक्षा की तो दूसरी तरफ सामाजिक व्यवस्थाओं को मजबूत करने का भी कार्य किया।

कल का ये आयोजन एक तरह से अध्यात्म और ज्ञान का वो कुंभ है जिसमें जो-जो डुबकी लगाएगा, वो तर जाएगा, सिद्ध हो जाएगा। कुंभ की पुरातन व्यवस्था और ये कार्यक्रम कुछ मायनों में एक जैसे ही कहे जा सकते हैं। कुंभ मेले के दौरान भी अपने विशाल देश को एक में समेटने का प्रयास होता है। संत-महंत, ऋषि-मुनि जुटते हैं, समाज के सुख-दुःख पर चर्चा करते हैं। कुंभ के स्वरूप में एक और विशेष बात रही है। हर 12 साल पर महाकुंभ में साधु-संत जुटते हैं फिर तय किया जाता था कि अब भविष्य के लिए समाज की दिशा क्या होगी, देश की दिशा क्या होगी? इस दौरान जो तय किया जाता था, वो एक एक तरह से सामाजिक संकल्प होते थे।

ये हम सभी के गर्व का विषय है कि समाज को दिशा दिखाने वाली, देश को उसकी आंतरिक बुराइयों से दूर करने वाली ऐसी महान परंपराएं आज भी निरंतर चल रही हैं। श्रीशैलम में हुए राष्ट्रीय जन जागृति सम्मेलन में भी दूर-दूर से लोग आएंगे, एक दूसरे को देखेंगे और समझेंगे, एकात्म की भावना से संगठित होंगे।

भगवान बसवेश्वर ने कहा था “कर्मन्नेवेह कर्माणि ईजि विशेषत् शतगुम” यानि जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कम आयु तक जीना, लक्ष्यविहीन जीवन के 100 वर्ष से ज्यादा बेहतर है। यही Purpose Of Life, लक्ष्य तय करके जीवन जीने का तरीका समझना आज के समय में और महत्वपूर्ण हो गया है।

आप सभी इस बात से भली-भांति परिचित हैं कि कैसे हमारी सरकार ने भगवान बसवेश्वर के इन वचनों को अपनी कार्यशैली में उतारा है। हमारा प्रयास रहा है कि हर योजना तय लक्ष्य के साथ बनाई है और तय समय में पूरी की जाए।

आज इसी कार्यशैली का प्रभाव है कि सिर्फ 4 वर्ष के भीतर देश में 31 करोड़ से ज्यादा गरीबों के जनधन अकाउंट खुले हैं।
सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपए महीने के प्रीमियम पर हमारी सरकार ने 18 करोड़ गरीबों को बीमा कवच प्रदान किया है।
उज्जवला योजना के तहत रिकॉर्ड समय में हमारी सरकार ने साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान किया है।
सुकन्या समृद्धि योजना के तहत सवा करोड़ बेटियों के अकाउंट खुलवाए गए हैं। मिशन इंद्रधनुष के तहत तीन करोड़ से ज्यादा बच्चों और 80 लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में लगभग एक करोड़ घरों का निर्माण किया गया है।
मुद्रा योजना के तहत सरकार ने बिना बैंक गारंटी 11 करोड़ से ज्यादा Loan स्वीकृत किए हैं। इसके माध्यम से स्वरोजगार के लिए 5 लाख करोड़ रुपए नौजवानों को दिए गए हैं।

आज देश में सड़क बनाने की गति, रेल पटरियां बिछाने की गति, बिजलीकरण की स्पीड, पावर कपैसिटी जोड़ने की स्पीड दोगुनी-तीन गुनी हुई है तो इसकी वजह है एक निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात मेहनत करना। 

अभी हाल ही में हमारी सरकार ने एक और योजना का ऐलान किया है। ये योजना देश के 45 से 50 करोड़ लोगों के जीवन की बड़ी चिंता को खत्म करने का काम करेगी। इसका नाम है- आयुष्मान भारत। इस योजना के तहत सरकार हर गरीब परिवार को गंभीर बीमारी के इलाज के लिए साल में 5 लाख रुपए तक का हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान करेगी।

सबका साथ-सबका विकास के मंत्र के साथ हमारी सरकार देश के गरीबों की, निम्न मध्यम वर्ग के जीवन को आसान बनाने का काम कर रही है।

पुरानी परंपराओं से सीख लेते हुए ही हमारी सरकार ने जनआंदोलन की शक्ति को समझा है, उसे महत्व दिया है। इसी का असर है कि आज स्वच्छ भारत अभियान के तहत देश में स्वच्छता का दायरा बढ़कर 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2014 से पहले यही लगभग 40 प्रतिशत था। यानि हमने दोगुनी बढोतरी की है।

इसी तरह नदियों की सफाई का कार्य हो, डिजिटल इंडिया मिशन हो, देश में सौर ऊर्जा को बढ़ाने वाले प्रयास हों, ये सभी एक जनआंदोलन की तरह आगे बढ़ाए जा रहे हैं। इन जनआंदोलनों को और मजबूत करने में आपका योगदान सभी के लिए प्रेरणा का कार्य करेगा।

हाल ही में हमारी सरकार ने कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम भी शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत नई अप्रोच के साथ कार्य किया जा रहा है। महिलाओं और बच्चों को पौषण का मतलब सिर्फ पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना ही नहीं होता।

हमारी सरकार इस चुनौती को समग्रता में देख रही है। अगर सिर्फ पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाए और मां और बच्चे के आसपास गंदगी का वातावरण हो, उन्हें सही समय पर सही टीके न लग रहे हों, गर्भावस्था के दौरान माता की सही देखरेख ना हो और जन्म के शुरुआती महीनों में बच्चे को मां का पर्याप्त समय न मिले, तो इसका दुष्परिणाम कुपोषण के तौर पर देखने को मिलता है। 

यानि अनेक परिस्थितियां हैं जो कुपोषण के लिए जिम्मेदार होती हैं। और ये भी महत्वपूर्ण है कि ये परिस्थितियां भी जगह के हिसाब से बदलती रहती हैं। कहीं पर बाल विवाह एक वजह है, तो कहीं पर अशिक्षा। कहीं पर अनाज की कमी वजह है तो कहीं पर टीकाकरण की कमी। 

इसलिए मेरा आग्रह है कि श्रीशैलम में जन जागृति अभियान में शामिल होने वाले लोगों को इस अभियान के बारे में आपकी तरफ से भी जानकारी दी जाए। वहां पर क्या स्थानीय परिस्थितियां हैं, इस बारे में विचार किया जाए और प्रशासन को अवगत कराया जाए। पोषण सिर्फ महिलाओं से जुड़ा हुआ विषय नहीं है, कुपोषण दूर करने में पुरुषों की भी पूरी भागीदारी आवश्यक है। 

देश आज एक बहुत महत्वपूर्ण कालखंड से गुजर रहा है। देश के लोग, देश को अपनी आंतरिक कमजोरियों से जल्द से जल्द मुक्त देखना चाहते हैं। सिर्फ जातिवाद ही नहीं, कालेधन और भ्रष्टाचार जैसी जितनी भी बुराइयां देश को नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें दूर करने में, उनके प्रति लोगों को जागृत करने में आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। समाज को बांटने की जो कोशिशें हो रही हैं, उनके प्रति भी लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

राष्ट्र निर्माण के लिए केंद्र सरकार अपनी तरफ से हर संभव कार्य कर रही है लेकिन इस प्रयासों में आप सभी का आशीर्वाद हमारी ऊर्जा को और बढ़ाने का काम करेगा।

एक बार फिर श्री शैल जगद्गुरू महास्वामी जी और वहां उपस्थित संत-मुनियों को नमन के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

आप सभी का बहुत-बहुत आभार !!!

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May 12, 2025
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प्रिय देशवासीयांनो

नमस्कार!

आपण सर्वांनी गेल्या काही दिवसांत देशाचं सामर्थ्य आणि त्याचा संयम दोन्ही पाहिलं आहे. मी सर्वप्रथम भारताच्या पराक्रमी सैन्यदलांना, सशस्त्र दलांना, आपल्या गुप्तहेर संस्थांना, आपल्या वैज्ञानिकांना प्रत्येक भारतीयाच्या वतीनं सॅल्यूट करतो. आपल्या शूर सैनिकांनी ऑपरेशन सिंदूरच्या लक्ष्यप्राप्तीसाठी असीम शौर्य गाजवलं.

मी त्यांचं शौर्य, त्यांचं साहस, त्यांचा पराक्रम आज समर्पित करतो आहे. आपल्या देशाच्या प्रत्येक मातेला, देशाच्या प्रत्येक भगिनीला आणि देशाच्या प्रत्येक कन्येला हा पराक्रम समर्पित करतो आहे.

मित्रहो,

२२ एप्रिलला पहेलगाममध्ये दहशतवाद्यांनी ज्या क्रौर्याचं प्रदर्शन मांडलं, त्यानं देशाला आणि जगालाही हादरवून टाकलं होतं. सुट्टीचा आनंद घेणाऱ्या निर्दोष निरपराध नागरिकांना धर्म विचारून...त्यांचा कुटुंबासमोर, त्यांच्या मुलांसमोर निर्घृणपणे मारून टाकणं. हा दहशतीचा अतिशय बीभत्स चेहरा होता, क्रौर्य होतं. देशातला एकोपा आणि सुसंवाद भंग करण्याचाही हा किळसवाणा प्रयत्न होता. मला व्यक्तिशः याचा फार त्रास झाला. या दहशतवादी हल्ल्यानंतर सारा देश, प्रत्येक नागरिक, प्रत्येक समाज, प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक राजकीय पक्ष‌ एकमुखाने दहशतवादाविरोधात कठोर कारवाईसाठी उभा राहिला. आम्ही दहशतवाद्यांना धूळ चारण्यासाठी भारताच्या सैन्यदलांना पूर्ण मुभा दिली. आणि आज प्रत्येक दहशतवाद्याला, प्रत्येक दहशतवादी संघटनेला हे पुरेपूर समजलंय की आमच्या बहिणींच्या आणि मुलींच्या कपाळावरचं कुंकू- सिंदूर पुसण्याचा परिणाम काय होतो.

मित्रहो,

ऑपरेशन सिंदूर हे फक्त नाव नाही. देशातल्या कोट्यवधी लोकांच्या भावनांचं हे प्रतिबिंब आहे. ऑपरेशन सिंदूर ही न्यायाची अखंड प्रतिज्ञा आहे. ६ मे च्या रात्री उशिरा ७ मे च्या सकाळी साऱ्या जगानं ही प्रतिज्ञा प्रत्यक्षात येताना पाहिली आहे. भारताच्या सैन्यदलांनी पाकिस्तानात दहशतवादाच्या तळांवर त्यांच्या प्रशिक्षण केंद्रांवर अचूक प्रहार केला. दहशतवाद्यांना स्वप्नातही वाटलं नसेल, की भारत इतका मोठा निर्णय घेऊ शकेल. पण जेव्हा देशाची एकजूट होते. 'राष्ट्र प्रथम' या भावनेने देश भारून जातो. राष्ट्र सर्वोपरि असतं...तेव्हा पोलादी निर्णय घेतले जातात. अपेक्षित परिणाम घडवून दाखवले जातात. जेव्हा पाकिस्तानात दहशतीच्या अड्ड्यांवर भारताच्या क्षेपणास्त्रांनी हल्ला केला. भारताच्या ड्रोन्सनी हल्ला केला...तेव्हा दहशतवादी संघटनांच्या केवळ इमारतीच नाही, तर त्यांचं धैर्यही डळमळीत झालं. बहावलपूर आणि मुरीदके यासारखे दहशतवाद्यांचे तळ, एक प्रकारे जागतिक दहशतवादाची विद्यापीठं बनली होती. जगात कुठेही जे मोठे दहशतवादी हल्ले झाले आहेत...मग तो नाइन इलेव्हन असो. कींवा लंडन ट्यूब बॉंबिंग्स असोत किंवा भारतात अनेक दशकांत जे मोठमोठे दहशतवादी हल्ले झाले. त्यांचे धागेदोरे दहशतीच्या या तळांशी कुठे ना कुठे जोडलेले दिसत आले आहेत. दहशतवाद्यांनी आपल्या बहिणींच्या कपाळीचं कुंकू पुसलं म्हणून भारताने दहशतीची ही मुख्यालयं पुसून टाकली. भारताच्या या हल्ल्यांमध्ये शंभराहून अधिक क्रूरकर्मा दहशतवाद्यांना यमसदनी धाडण्यात आलं. दहशतवाद्यांचे कित्येक म्होरके आश्रयदाते गेल्या अडीच तीन दशकांपासून पाकिस्तानात राजरोस फिरत होते, जे भारताविरुद्ध कारस्थानं करत होते त्यांना भारतानं एका झटक्यात संपवलं आहे.

मित्रहो,

भारताच्या या कारवाईमुळे पाकिस्तान घोर निराशेच्या खाईत ढकलला गेला होता. कमालीचा हताश झाला होता. बिथरला होता आणि याच बिथरलेपणाच्या भावनेतून त्यानं आणखी एक दुःसाहस केलं. दहशतवादाविरोधात भारताच्या कारवाईला साथ देण्याऐवजी पाकिस्ताननं भारतावरच हल्ला करायला सुरुवात केली. पाकिस्ताननं आपल्या शाळा-महाविद्यालयांना गुरुद्वारांना मंदिरांना सामान्य नागरिकांच्या घरांना लक्ष्य केलं. पाकिस्ताननं आपल्या सैनिकी तळांना लक्ष्य केलं. पण यातही पाकिस्तानचा बुरखा गळून पडला. जगानं हे पाहिलं की पाकिस्तानचे ड्रोन्स आणि क्षेपणास्त्रं भारतासमोर काड्या काटक्यांसारखी कशी उधळली गेली. भारताचा सशक्त हवाई संरक्षण प्रणालीनं त्यांना आकाशातच नष्ट करून टाकलं. पाकिस्ताननं सीमेवर वार करण्याची तयारी केली होती. पण भारताने पाकिस्तानच्या छातीवरच प्रहार केला. भारताचे ड्रोन्स भारताच्या क्षेपणास्त्रांनी अतिशय अचूक हल्ला केला. पाकिस्तानी वायुदलाच्या त्याच हवाई तळांची हानी केली, ज्यांच्याबद्दल पाकिस्तानला फारच घमेंड होती. भारताने पहिल्या तीन दिवसांतच पाकिस्तानला इतकं उध्वस्त केलं ज्याचा त्याला अंदाजही नव्हता. म्हणूनच तर भारताच्या आक्रमक कारवाईनंतर पाकिस्ताननं सुटकेचे मार्ग शोधायला सुरुवात केली. पाकिस्तान जगाकडे तणाव कमी करण्यासाठी विनंतीची याचना करत होता आणि जबरदस्त मार खाल्ल्यानंतर, १० मे रोजी दुपारी, पाकिस्तानी सैन्यानं आपल्या डीजीएमओ शी संपर्क साधला. तोपर्यंत आपण दहशतवादाला पोसणाऱ्या पायाभूत सुविधा मोठ्या प्रमाणात नष्ट केल्या होत्या. दहशतवाद्यांना यमसदनी धाडण्यात आलं होतं, पाकिस्तानने अगदी हृदयाशी बाळगलेल्या दहशतवादी तळांना आपण उध्वस्त केलं होतं. म्हणूनच जेव्हा पाकिस्तानकडून विनंतीची याचना करण्यात आली. जेव्हा पाकिस्तानकडून हे सांगण्यात आलं की त्यांच्याकडून यापुढे दहशतवादी कारवाया आणि लष्करी दुःसाहस होणार नाही. तेव्हा भारतानही त्यावर विचार केला. आणि मी पुन्हा सांगतो. आपण पाकिस्तानमधील दहशतवादी आणि लष्करी तळांविरुद्धची आपली प्रत्युत्तरात्मक कारवाई सध्या फक्त स्थगित केली आहे. येत्या काळात आम्ही पाकिस्तानचे प्रत्येक पाऊल या निकषावर पारखू...की तो नेमका कोणता दृष्टिकोन स्वीकारतो?

मित्रांनो,

भारताची तिन्ही सैन्यदलं आपलं हवाई दल आपलं भूदल आणि आपलं नौदल आपलं सीमा सुरक्षा दल – बीएसएफ, भारताची निमलष्करी दलं सातत्यानं सतर्क आहेत. सर्जिकल स्ट्राईक आणि एअर स्ट्राईक नंतर आता ऑपरेशन सिंदूर हे दहशतवादाविरुद्ध भारताचं धोरण आहे. ऑपरेशन सिंदूरनं दहशतवादाविरुद्धच्या लढाईत एक नवीन रेषा आखली आहे. एक नवीन मानक, एक नवीन उदाहरण, घालून दिलं आहे. पहिले- जर भारतावर दहशतवादी हल्ला झाला तर त्याला सडेतोड उत्तर दिले जाईल. आपण आपल्या पद्धतीनं, आपल्या स्वतःच्या अटींनिशी प्रतिसाद देऊ. दहशतवादाची मुळे जिथे जिथे उगम पावत असतील तिथे तिथे जाऊन आम्ही कठोर कारवाई करू. दुसरे - भारत कोणत्याही आण्विक ब्लॅकमेलला भीतीच्या बागुलबुवाला भीक घालणार नाही. आण्विक ब्लॅकमेलच्या आडून फोफावणाऱ्या दहशतवादी अड्ड्यांवर भारत अचूक आणि निर्णायक हल्ला करेल. तिसरे म्हणजे, दहशतवादाला आश्रय देणारं सरकार आणि दहशतवादाचे सूत्रधार, यांना आपण वेगवेगळे घटक समजणार नाही. ऑपरेशन सिंदूर दरम्यान जगानं पुन्हा एकदा पाकिस्तानचं घृणास्पद सत्य अनुभवलं. जेव्हा मारल्या गेलेल्या दहशतवाद्यांना अंतिम निरोप देण्यासाठी पाकिस्तानी सैन्याच्या वरिष्ठ अधिकाऱ्यांची उडाउडी पडली. एखादा देश पुरस्कृत करत असलेल्या दहशतवादाचा…हा जिवंत पुरावा आहे. आपण भारत आणि आपल्या नागरिकांना कुठल्याही प्रकारच्या धोक्यापासून वाचवण्यासाठी सातत्यानं निर्णायक पावलं उचलत राहू.

मित्रानो,

रणागणांत प्रत्येकवेळी आपण पाकिस्तानवर मात केली आहे आणि यावेळी ऑपरेशन सिंदूरनं नवा आयाम स्थापित केला आहे. आपण वाळवंट आणि पर्वतीय भागातही आपल्या क्षमतेचं शानदार प्रदर्शन केलं आणि सोबतच नव्या पिढीच्या आधुनिक युध्दनीतीतही आपलं श्रेष्‍ठत्व सिध्द केलं. या ऑपरेशन दरम्यान, आपली मेड इन इंडिया शस्त्र प्रमाणांच्या कसोटीवर खरी उतरली. आज जग पाहत आहे, एकविसाव्या शतकाच्या युध्दनीतीत मेड इन इंडिया संरक्षण उत्पादनांची वेळ आली आहे.

मित्रानों,

प्रत्येक प्रकारच्या दहशतवादा विरोधात आपल्या सगळयाची एकजूट आपली सर्वात मोठी शक्ती आहे. निश्चितच हे युग युध्दाचं नाही, परंतु हे युग दहशतवादाचंही नाही. दहशतवादाविरोधात शून्य सहिष्णूता ही एका चांगल्या जगाची हमी आहे.

मित्रानों,

पाकिस्तानी सैन्य पाकिस्तानचं सरकार ज्याप्रकारे दहशतवादाला खतपाणी घालत आहे. तो एकदिवस पाकिस्तानलाच संपवून टाकेल. पाकिस्तानला यातून वाचायचं असेल तर, त्याला आपल्या दहशतवादी पायाभूत सुविधा नष्ट कराव्या लागतील. याशिवाय, शांततेचा दुसरा मार्ग नाही. भारताचं मत एकदम स्पष्ट आहे. दहशतवाद आणि संवाद एकत्र होऊ शकत नाहीत. दहशतवाद आणि व्यापार एकत्र चालू शकत नाहीत आणि पाणी आणि रक्त हे देखील एकत्र वाहू शकत नाही. मला आज जागतिक समुदायाला सांगायचं आहे. आमचं जाहीर धोरण राहिलं आहे, पाकिस्तानशी चर्चा होईल तर दहशतवादावर होईल. पाकिस्तानशी चर्चा होईल तर पाकव्याप्त काश्मीरवर होईल.

प्रिय देशवासीयांनो, आज बुध्दपौर्णिमा आहे. भगवान बुध्दांनी आपल्याला शांततेचा मार्ग दाखवला आहे. शांततेचा मार्गही शक्तीमार्गेच जातो. मानवता, शांतता आणि समृध्दीकडे अग्रेसर व्हावं. प्रत्येक भारतीयाला शांततेनं जगता यावं, विकसित भारताचं स्वप्न पूर्ण करता यावं, यासाठी भारताचं शक्तीशाली होणं गरजेचं आहे आणि आवश्यकता असेल तेव्हा, या शक्तीचा वापरही गरजेचा आहे आणि गेल्या काही दिवसात भारतानं हेच केलं आहे. मी पुन्हा एकदा भारताचं सैन्य आणि सशस्त्रदलांना सलाम करतो. आपण भारतीयांच्या उमेद आणि एकजूटीला वंदन करतो.

धन्यवाद.

भारतमाता की जय.