QuoteElections are like festival for a democracy. I urge the people of Chhattisgarh to turn out in large numbers to vote: PM Modi
QuoteTo take the country to newer heights of glory, it is necessary to focus on all-round development: PM Modi in Bilaspur
QuoteFor the Congress, welfare of Chhattisgarh is not a priority. Their priority is to serve one family: PM Modi
QuoteShocking that Congress leaders, who are out on bail question steps like demonetisation, which led to crackdown on several shell firms: PM

मंच पर विराजमान संसद में मेरे साथी श्रीमान लखन साहूजी, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जी, मंच पर विराजमान सभी नेतागण और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय समाजसेवक-कार्यकर्ताबिल्हा से हमारे उम्मीदवार और प्रदेश के अध्यक्ष श्रीमान धर्मलाल कौशिक जी (यहीं पर आइए कमल लेकर के), बिलासपुर से भाई अमर अग्रवाल, मुंगेली से श्रीमान पुन्नूलाल जी, लोरमी से श्रीमान तोखन साहू जी, मस्तूरी से डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी जी, कोटा से श्रीमान काशी साहू जी, बेलतारा से श्रीमान रजनीश जी, तखतपुर से बहन हर्षिता पांडे जी, मरवाही से श्रीमती अर्चना जी...आप सब भारत माता की जय बोल करके हमारे इन सभी साथियों को आशीर्वाद दीजिए। भारत माता की जय! भारत माता की जय! विराजिए।

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फिर एक बार, बिलासपुर की धरती पर आने का अवसर मिला है। कई वर्षों तक आपके बीच संगठन का कार्य करने का मुझे सौभाग्य मिला और जब संगठन का कार्य करता था तो अनेक बार बिलासपुर आ करके यहाँ के लोगों से, पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिल-बैठ करके बहुत कुछ सीखने को मिलता था, बहुत कुछ जानने को मिलता था। और, मैंने देखा था कि छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं का एक विशेष गुण जो मुझे हमेशा-हमेशा याद रहता है। वहाँ तो उस समय हमारी पार्टी छोटी थी, मध्य प्रदेश का हिस्सा थी, अभी छत्तीसगढ़ बनना बाकी था, एक प्रकार से पार्टी भी छोटी, अभाव की अवस्था। लेकिन मैं हमेशा देखता था, अभाव कितना भी क्यूँ न हो, लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं के स्वभाव में इसका रत्ती भर भी असर नजर नहीं आता था। उनके उत्साह, उमंग, संकल्प में कभी भी निराशा का स्वर सुनाई नहीं देता था। और इसलिए, आज छत्तीसगढ़ में बार-बार भारतीय जनता पार्टी को आशीर्वाद मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ की जनता की सेवा करने का हमें लगातार सौभाग्य मिलता है। उसका एक कारण यहाँ के जनता-जनार्दन और सरकार के बीच में संगठन के कार्यकर्ताओं की मजबूत कड़ी है जो सरकार के कार्यक्रमों को जन-जन तक लेके जाते हैं और जनता की समस्याओं को सरकार तक पहुंचा करके उसके समाधान के लिए निरंतर प्रयास करते हैं।

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भाइयो-बहनो, ये हमारा छत्तीसगढ़, ये हमारा बिलासपुर, ये हमारा कोरबा,ये सारा इलाका, एक प्रकार से छत्तीसगढ़ तो हमारे हिंदुस्तान का ‘धान का कटोरा’ है। और, यहाँ दाखिल होते ही दुबराज चावलउसकी याद आनाये बहुत स्वाभाविक है। ये काले सोने पर बैठी हुई छत्तीसगढ़ की सपनों की इमारत…मैं कल्पना कर सकता हूँ कि यहाँ के ऊर्जावान नौजवान किस प्रकार से इस काले सोने के द्वारा न सिर्फ छत्तीसगढ़ को बल्कि पूरे हिंदुस्तान को ऊर्जा भी दे रहे हैं, रोशनी भी दे रहे हैं, ये कमाल इस धरती ने कर के दिखाया है। ये हमारा छत्तीसगढ़...ये संत परंपरा की भूमि है, ये सत्य से साक्षात कराने वाले श्रद्धेय गुरु घासीदास जी की भूमि है, ये धरती सतनाम परंपरा की जन्मस्थली है।संत कबीर का संदेश, मैं तो काशी से एमपी हूँ, पिछले दिनों उनके समाधिस्थल पर गया तो यहाँ छत्तीसगढ़ से भी संत कबीर परंपरा के सारे लोग वहाँ पहुँच गए। गुजरात में भी नर्मदा के तट पर कबीर वर्ण है। जब मैं मुख्यमंत्री था तो देश भर के संत कबीर परंपरा के लोगों का एक बड़ा राष्ट्रीय अधिवेशन किया था, समाज के छोटे से तबके को भी अध्यात्म के साथ-साथ आजीविका का जीवन संदेश देने की ताकत उस परंपरा ने पैदा की है और उसका सौभाग्य भी मुझे मिला था।

आज प्रथम चरण का मतदान छत्तीसगढ़ में हो रहा है। जब तिथियाँ घोषित हुईं तो कई लोगों का मत था कि दिवाली के त्योहार होंगे, 4-5 दिन दिवाली के त्योहार में जाएंगे और दूसरे ही दिन मतदान होगा, तो चुनाव में गर्मी आएगी कि नहीं आएगी। कई पंडित एयरकंडीशंड कमरों में बैठ कर बहस कर रहे थे, लेकिन उनको बस्तर की जनता का मिजाज पता नहीं था। जब मैं यहाँ आया, तो लोग मुझे बताते हैं कि बहुत भारी मतदान की तरफ लोगों का झुकाव है। लोकतन्त्र में मतदान करना हर किसी का कर्तव्य है। मत किसको दें, किसको न दें, यह अपनी मर्जी है लेकिन मतदान करना-यह लोकतन्त्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है। और,मुझे विश्वास है कि बम, बंदूक और पिस्तौल का दम दिखाने वालों को लोकतन्त्र की ताकत आज जवाब देकर के रहेगी।

ये मुझे पूरा विश्वास है कि मतदान करके रहेंगे लोग, अधिकतम मतदान करके रहेंगेऔर, यही लोकतन्त्र का सामर्थ्य होता है। एक हफ्ते के बाद, 20 तारीख को हमारे बाकी क्षेत्रों का मतदान है। इस बार छत्तीसगढ़ को भारी मतदान करके एक नया विक्रम, एक नया रिकॉर्ड प्रस्थापित करना चाहिए। हर परिवार में संदेश जाना चाहिए कि पहले मतदान, फिर जलपान। और, इस बार पुरुषों और महिलाओं के बीच में स्पर्धा होनी चाहिए कि गाँव में ज्यादा पुरुष मत डालते हैं कि ज्यादा महिलाएं मत डालती हैं और इस बार महिलाओं को पुरुषों को पीछे छोड़ देना चाहिए। इतना भारी मतदान करना चाहिए! मतदान की लोकतन्त्र के उत्सव में बड़ी अहमियत है। और, मैं इलेक्शन कमीशन को भी बधाई देता हूँ कि इन दिनों इलेक्शन कमीशन भी अधिक मतदान के लिए अपनी तरफ से प्रयास करता है, प्रचार करता है, योजना बनाता है, लोगों को जागरूक करता है। इलेक्शन कमीशन ने एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है और यही लोकतन्त्र की ताकत होती है। और इसलिए, इलेक्शन कमीशनभी अधिकतम मतदान के लिए जो निरंतर प्रयास कर रहा है, इसके लिए बधाई का पात्र है।

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भाइयो-बहनो, भारतीय जनता पार्टी एक ही मंत्र लेकर के राजनीति को नई दिशा देने में सफल हुई है। इस देश में सन् 52 से अनेक चुनाव हुए लेकिन हर चुनाव जाति-बिरादरी के नाम पर लड़ा गया, परिवार के नाम पर लड़ा गया, मेरे-तेरे के बँटवारे कर-कर के लड़ा गया, गाँव और शहर को बाँट करके लड़ा गया, अमीर और गरीब की खाई पैदा करके लड़ा गया। और, महीने-दो महीने ऐसी गर्मी पैदा की जाती थी कि अच्छी-अच्छे स्वस्थ मन से सोचने वाले भी उस प्रवाह में बह जाते थे। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने तय किया कि अगर इस देश को हमारे आजादी के दीवानों के सपनों जैसा बनाना है, देश को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाना है, समृद्धि की तरफ ले जाना है, देश को गरीबी से मुक्त करना है, गाँव-गरीब के लोगों को उनका हक दिलाना है, तो देश को जात-पात के बँटवारे से बाहर लाना पड़ेगा,ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठाना पड़ेगा। और इसलिए, भारतीय जनता पार्टी राजनीति में एक नई धारा लेकर के आई और वो धारा रही मंत्र:-संकल्प:और जहां अवसर मिला उसे करके दिखाया। वो मंत्र है विकास, विकास और विकास। तेज गति से विकास, चारों तरफ विकास, सम्पूर्ण विकास, सबका विकास- इसी मंत्र को लेकर के हम चले। और इसीलिए, हमारे विरोधी दलों को अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि ये भारतीय जनता पार्टी के साथ मुक़ाबला कैसे करें।

जातिवाद का जहर कितना भी वो लोगों में डालने की कोशिश करें लेकिन आज हिंदुस्तान का गरीब से गरीब भी जाग गया है। वो विकास चाहता है, वो अपनी संतानों को विरासत में गरीबी देकर के जाना नहीं चाहता है, वो अपनी संतानों को विरासत में अशिक्षा देकर के नहीं जाना चाहता है। उसको तो झुग्गी-झोपड़ी में, जंगलों में जिंदगी काटनी पड़ी लेकिन उसके बच्चों को ऐसी मजबूरी में जीना न पड़े, ये सपना हिंदुस्तान का गरीब से गरीब भी देख रहा है। और उन सपनों को साकार करने के लिए संकल्प लेकर निकले हुए हमलोग हैं, हर इंसान का सपना साकार करने के लिए हम संकल्प लेकर के चल पड़े हैं। और इसलिए मेरे भाइयो-बहनो, आज छत्तीसगढ़ के किसी भी कोने में जाइए, 25 किलोमीटर किसी भी दिशा में जाइए, आपको कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ के द्वारा विकास का काम होता नजर आएगा, कहीं न कहीं नजर आएगा।

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भाइयो-बहनो, हमारे पास विकास का मजबूत इतिहास है जिसे हर तराजू पर तौला जा सकता है, हर मानदंड से नापा जा सकता है। हमने हर कसौटी पर विकास के मुद्दे पर परिणाम हासिल किए हैं, परिवर्तन हासिल किया है और उस विकास के इतिहास की ताकत ये है कि आज उज्ज्वल भविष्य का विश्वास पैदा हुआ है। ये उज्ज्वल भविष्य का विश्वास औरों की आलोचना करके पैदा नहीं होता है, गाली-गलौज करने से पैदा नहीं होता है, अनाप-शनाप भाषा बोलने से पैदा नहीं होता है। उज्ज्वल भविष्य का विश्वास पैदा होता है जब विकास की नींव पर किए गए कामों की हकीकत जनता-जनार्दन देखती है। तब ये विश्वास पैदा होता है और आज छत्तीसगढ़ के हर कोने में ये विश्वास मैं अनुभव कर रहा हूँ।

भाइयो-बहनो, हमने विकास की एक के बाद एक नई ऊंचाइयों को पार किया है। लेकिन आज, जरा मैं हमारे विरोधियों से पूछना चाहता हूँ कि क्या कारण था जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा था तब मध्य प्रदेश भी बीमारू में गिना जाता था, तब छत्तीसगढ़ का इलाका भी बीमारू गिना जाता था, पिछड़ा इलाका गिना जाता था, विकास का नामोनिशान नजर नहीं आ रहा था? 40-40, 50-50 साल तक आपने राज किया था, आपने ये दुर्दशा क्यूँ की थी?और मैं बताता हूँ, अगर ये छत्तीसगढ़ नया बनने के बावजूद भी उनके पास रहा होता तो आज जो चीजें देख रहे हैं आप, वहाँ तक पहुँचते-पहुँचते शायद 50 साल और लग जाते और तब भी शायद पहुँच नहीं पाते। और उसका कारण है उनकी राजनीति-एक परिवार से शुरू होती है और उस परिवार में आकर के पूरी होती है।

हमारी राजनीति गरीब की झोपड़ी से शुरू होती है और गरीब की जिंदगी को बदल कर रहे बिना चैन से सोना नहीं, इस इरादे से हमारी राजनीति चलती है। और इसलिए, हमने विकास को प्राथमिकता दी है। कौन है जो ये नहीं चाहता है कि उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, कौन गरीब जो झुग्गी-झोपड़ी में जीता है, फुटपाथ पर जिंदगी गुजरता है, कौन नहीं चाहता है कि उसको भी रहने के लिए अच्छा-खासा पक्का घर मिले, कौन नहीं चाहता है? जो माँ लकड़ी का चूल्हा जला करके बच्चों के लिए खाना पकाती थी, कौन माँ नहीं ये चाहती हो कि हमें इस धुएँ से मुक्ति मिल जाए, लकड़ी के इस चूल्हे से मुक्ति मिल जाए, हमें भी गैस का सिलेंडर मिल जाए?कौन गरीब नहीं चाहता, फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाला भी सोचता है कि सामने बैंक का मकान है, वो भी रोज सब्जी बेचते-बेचते सोचता है कि वो दिन कब आएगा जब मैं भी इस बैंक के दरवाजे खोल करके अंदर जा पाऊँगा, मैं भी कुछ रुपये जमा कर पाऊँगा? वो सपना फुटपाथ पर बैठकर सब्जी बेचने वाला भी हमेशा देखता है।

लेकिन ये परिवारों में पले-बढ़े लोग, परिवार के लिए जीने-मरने वाले लोग, वो डिस्कनेक्ट थे, सामान्य मानवी की आशाओं-आकांक्षाओं से सैकड़ों मील की उनकी दूरी थी। और इसलिए,नारे दे देते थे लेकिन उसको पूरा करने के लिए न उनके पास नीति थी, न नीयत थी, न ही कांग्रेस को कभी ऐसा नेतृत्व मिला है जो देश की भलाई के लिए जीने-मरने के इरादे से काम करते हों। और इसलिए भाइयो-बहनो, हमने करके दिखाया है। और, आज मैं आपसे कहने आया हूँ। आप देखिए, अभी कांग्रेस ने अपना संकल्प पत्र निकाला है। खैर, लोगों ने ज्यादा नोटिस नहीं किया है। लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ के लिए 36 प्वाइंट निकाले पर वो जो प्रेस कॉन्फ्रेंस थीजिसमें मैनिफेस्टो दिया गया उसे सभी अखबारवालों ने नोटिस किया कि छत्तीसगढ़ के लिए 36 प्वाइंट लेकिन वो घोषणा पत्र जारी करते समय नामदार को 150 बार सर, सर, सर कहा गया, 150 बार! यानि उनके लिए छत्तीसगढ़ का महत्त्व कम था, नामदार को.... यही उनके लिए सबकुछ था।

भाइयो-बहनो, ये हमारा छत्तीसगढ़, आप देखिए परिवार गैस का कनेक्शन के लिए कितनी पहले मुसीबत हुआ करती थी कांग्रेस में। नेताओं के घर में चप्पल घिसने पड़ते थे तब जाकर के गैस का सिलेंडर मिलता था।हमने सामने से जाकर के मुफ्त में 26 लाख परिवारों को अकेले छत्तीसगढ़ में गैस का सिलेंडर पहुंचाया और ये हमारे बिलासपुर में डेढ़ लाख परिवारों को गैस का कनेक्शन दे चुके हैं। वादे नहीं, कर चुके हैं।

भाइयो-बहनो, हमने प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 1 करोड़ 30 लाख से अधिक खाते खोले। छत्तीसगढ़ के अंदर 1 करोड़ 30 लाख परिवारों का बैंक में आना-जाना होना मतलब गरीब से गरीब के लिए बैंक के दरवाजे हमने खोल दिए हैं। और, मेरे देश का गरीब, उसकी अमीरी अमीरों से भी ज्यादा उजागर होती है। गरीबों को मैंने कहा था कि एक भी पैसा नहीं रखोगे, खाता खुलेगा। लेकिन मेरे गरीबों की अमीरी देखिए, उन्होंने करीब 90 हजार करोड़ रुपये बैंकों में जमा कराए और उनके पैसों की बचत हो गई।

भाइयो-बहनो, प्रधानमंत्री आवास योजना...आप देखिए, जब कांग्रेस पार्टी की सरकारें थीं, उस समय जिस रफ्तार से घर बनते थे...हमने 4 साल में जो घर बनाए हैं, उतने घर बनाने के लिए कांग्रेस की रफ्तार से काम हुआ होता तो मैं मानता हूं कि कम से कम 30 साल लग जाते इतने घर बनाने में जितने घर हमने 4 साल में बनाए हैं। अब आप कल्पना करें कि 30 साल लग जाते तो कितना महंगा हो जाता वो मकान? आप कल्पना कीजिये कि 30 साल हो जाते तो झुग्गी-झोपड़ी में जीने वाला गरीब, उसके बेटे के बेटे भी, शादियाँ हो गई होतीं झुग्गी-झोपड़ी में, घर न मिलता। ये सरकार है कि जो 30 साल के बाद मिलने की संभावना थी उसे हमने 4 साल के भीतर-भीतर करके दिखाया है। भाइयो-बहनो, 6 लाख से अधिक घर छत्तीसगढ़ में गरीब परिवारों को मिले हैं।

इसमें से डेढ़ लाख हमारे आदिवासी परिवारों को मिले हैं। इतना ही नहीं, ये मेरे बिलासपुर इलाके में 40 हजार प्रधानमंत्री आवास योजना के घर मिले हैं। ये चर्चा कांग्रेस के लोग नहीं करेंगे, हमारे विरोधी नहीं करेंगे और जो माँ-बेटे रुपयों की हेराफेरी में जमानत पर घूम रहे हैं वो आज मोदी को प्रमाण पत्र दे रहे हैं। खुद रुपयों की हेराफेरी में जमानत पर जो जी रहे हैं, जमानत पर बाहर घूम रहे हैं, वो औरों को ईमानदारी के सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं। नोटबंदी का हिसाब मांगते हैं। अरे ये नोटबंदी का कारण ही था कि फर्जी कंपनियाँ पकड़ी गईं और फर्जी कंपनियाँ पकड़ी गईं, उसी के कारण तो आपका कारोबार पकड़ा गया और उसी कारण आपको जमानत पर निकलना पड़ा। ये नोटबंदी के कारण आपको जमानत लेनी पड़ी, ये आप भूल क्यूँ जाते हो?

लोग मुझे पूछते हैं कि मोदी जी, सरकारें पहले भी थीं। आप पहले की तुलना में इतने ज्यादा रोड बनाते हो, पहले की तुलना में इतनी तेज गति से रेलवे का काम कर रहे हो, पहले की तुलना में इतने व्यापक रूप से बिजली पहुँचाने का काम कर रहे हो, पहले की तुलना में आप रेल का इलेक्ट्रिफिकेशन कर रहे हो, पहले की तुलना मेंआप इतने बड़े-बड़े स्कूल खोल रहे हो,IIM खोल रहे हो,IIT खोल रहे हो, आप एम्स खोल रहे हो, ये इतने रुपये लाते कहाँ से हो? कइयों को लगता है कि मोदी रुपये लाता कहाँ से है? मेरे भाइयो-बहनो, ये रुपये पहले भी थे, ये रुपये मोदी के नहीं हैं, ये रुपये आपके ही हैं। लेकिन पहले, पहले ये रुपये किसी के बिस्तर के नीचे छुपे हुए थे, किसी के बोरे में भर करके रखा हुआ था, किसी के कबर्ड भरे पड़े हुए रहते थे। ये नोटबंदी लगी, ये सबको बाहर आना पड़ा। और वही रुपये हैं जो आज इतना सारा काम हो रहा है। ये रुपये आपके हैं और उसको आपके लिए खर्च करने में मेरी सरकार पूरी ताकत से लगी हुई हैऔर आपका जीवन बदलना, इस संकल्प को लेकर के चल पड़ी है। ये तेज गति से काम इसीलिए हो रहा है।

इस देश में शक्ति में कमी नहीं है, इस देश के संकल्प में कमी नहीं है, इस देश के जनता-जनार्दन के आत्मविश्वास में कमी नहीं है। इस देश के सामान्य मानवी के सपने उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि इस देश के अमीर से अमीर लोगों के होते हैं। लेकिन रुपये कहीं न कहीं चले जाते थे। और, कांग्रेस के ही एक प्रधानमंत्री, एक परिवार की तीसरी पीढ़ी के प्रधानमंत्री (क्यूंकि वहाँ तो सबकुछ परिवार के लिए ही है), वो तीसरी पीढ़ी के प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्ली से 1 रुपया निकलता है, 15 पैसा पहुंचता है। ये कौन सा पंजा था जो 85 पैसे मार लेता था? वो कौन सा पंजा था जो रुपया घिस-घिस के 15 पैसा बना देता था? ये नोटबंदी ने उन 85 पैसों को बाहर निकाला है। जो उनके पिताजी कह के गए थे, उनको बाहर निकालने का काम किया है। भाइयो-बहनो, जो लोग भ्रष्टाचार में ड़ूबे हुए हैं, जिनपे भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं, जिनको भ्रष्टाचार के सिवाय काम करने का कोई तरीका आता नहीं है,ऐसे लोगों से देश ज्यादा अपेक्षा नहीं करता है। और इसलिए भाइयो-बहनो, हमें विकास की राह पे जाना है। विकास को हमने प्राथमिकता दी है।

कभी स्वच्छ भारत अभियान का मजाक उड़ाना, कभी टूरिज्म डेवलपमेंट का मज़ाक उड़ाना…आज हर क्षेत्र में भारत विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर रहा है। भाइयो-बहनो, हम आयुष्मान भारत योजना लाए। हमारा मत है कि देश के अंदर बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, किसान को सिंचाई और बुजुर्गों को दवाई- ये पूरा प्रबंध होना चाहिए। एक के बाद एक हम ऐसी योजनाएँ ला रहे हैं, जिससे हमारे सामान्य मानवी की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण कर पाएँ। आयुष्मान भारत-अभी तो योजना अभी-अभी शुरू की है, मुश्किल से महीना-सवा महीना पूरा हुआ है। लेकिन इस आयुष्मान भारत योजना के तहत अकेले छत्तीसगढ़ में 42 लाख परिवारों को इसका सीधा-सीधा लाभ मिलने वाला है। और लाभ क्या है? गंभीर बीमारी आई घर में तो इलाज के लिए बड़ा से बड़ा ऑपरेशन करना होगा तो गरीब को अब सोचने की जरूरत नहीं है। ये दिल्ली सरकार के खजाने से पैसे आएंगे और गरीब को साल में 5 लाख रुपये तक का खर्चा सरकार देगी। भाइयो-बहनो,पिछले दिनों पूरे देश में लाखों परिवार, कोई 2 साल से, 5 साल से पैसों के अभाव में अस्पताल नहीं जाते थे, उपचार नहीं कराते थे, गंभीर बीमारियों में बिस्तर पर पड़े हुए थे, जवान बेटे बिस्तर पर जिंदगी गुजार रहे थे, बेटियाँ परेशान थीं, बुजुर्गों को तकलीफ थी।

जैसे ये योजना आई, लाखों की तादाद में ऐसे गरीबों ने अस्पताल के दरवाजे खटखटाए और ये आयुष्मान भारत जिसके कारण उनका तत्काल उपचार हुआ, ऑपरेशन हुआ और वो आज अपने घर में एक नई आशा और विश्वास के साथ फिर से वापस चले गए हैं और ये निरंतर चल रहा है। छत्तीसगढ़ में भी हजारों ऐसे परिवारों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत आज काम लिया है।करीब देश भर में 2 लाख से ज्यादा लोगों का उपचार पिछले 30-40 दिन में हो गया है। ये बहुत बड़ा काम है। ये वो लोग हैं जो शायद मरना पसंद करते लेकिन अस्पताल जाना पसंद नहीं करते। अगर जाते तो भी कर्जदार हो जाते, कर्ज लेना पड़ता और बेटे के बेटे भी वो कर्ज नहीं चुका पाते। वो काम इस बेटे ने कर दिया है, भाइयो-बहनो, इस बेटे ने किया है। और इसलिए भाइयो-बहनो, गरीब के कल्याण, सामान्य मानवी की जिंदगी में बदलाव- इस काम को लेकर के हम चल रहे हैं। तब भाइयो-बहनो, ये हमारा बिलासपुर स्मार्ट सिटी बनना चाहिए। इसे स्मार्ट सिटी बनाना है हमें। और इसके लिए, भारत सरकार पूरी तरह आपको योजनाओं में मदद करके बिलासपुर को बदल करके रखेगी, ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ।

हमारी सरकार ने एक डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की योजना बनाई। अब छत्तीसगढ़ में ब्लैक गोल्ड, काला सोना चला जाता था। लेकिन यहाँ के लोगों को क्या मिलता था? डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड बनाया और डिस्ट्रिक्ट के लिए बनाया। उसके कारण छत्तीसगढ़ के ऐसे इलाकों को करीब 3 हजार करोड़ रुपया मिला है, 3 हजार करोड़ रुपया! और उससे विकास की नई योजनाएँ साकार हो रही हैं।

भाइयो-बहनो, भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ ने जो मैनिफेस्टो घोषित किया है, जो संकल्प पत्र घोषित किया है, उसके लिए भी मैं उनको बधाई देता हूँ। छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त करने का बीड़ा अगर कोई पूरा कर सकता है तो हम ही कर सकते हैं और कोई नहीं कर सकते। अरे जिन्होंने जन्म दिया, जिन्होंने पाला-पोसा, वो उसको खत्म करेंगे क्या? करेंगे क्या? हम ही कर सकते हैं, वे कभी नहीं कर सकते क्यूंकि उनका तो सारा कारोबार ही है और इसलिए उनके बचाव में बोलते रहते हैं, क्रांतिकारी कह देते हैं। मैं छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी को बधाई देता हूँ कि उन्होंने मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल हर जिले में बनाने का संकल्प किया है। ये बहुत बड़ा काम है। भारत सरकार की योजना और ये मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, उसके पनपने के लिए बहुत सुविधा बन जाएगी। फिर, छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की भी संख्या बढ़ती चली जाएगी, यहाँ के बच्चों को मेडिकल पढ़ने का मौका मिलेगा। हेल्थ के सेक्टर में पीछे मुड़ कर देखने की नौबत नहीं आएगी। देश इस गंभीर समस्या से बाहर निकल जाएगा, इस विश्वास के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

जो लघु और सीमांत किसान हैं हमारे, भूमिहीन कृषि मजदूर हैं और 60 साल से ऊपर के हैं, उनको 1000 रुपये का पेंशन देने का एक बहुत ही नवीनतम काम का हमारे छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी ने बीड़ा उठाया है। ऐसे कई काम जिनसे किसानों को कितना लाभ होगा जिसका हम अंदाजा कर सकते हैं। भाइयो-बहनो, लघु उद्योग हों, नौजवानों के रोजगार का विषय हो, एक नया छत्तीसगढ़ बनाने का सपना हो और संकल्प हो। और, छत्तीसगढ़ पुरुषार्थ में विश्वास करता है, छत्तीसगढ़ साहस करने में विश्वास करता है,छत्तीसगढ़ सपनों को पूरा करने के लिए सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ने में विश्वास करता है।

मैं आपसे आग्रह करने आया हूँ कि फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी को वोट देकर के, डॉक्टर रमन सिंह जी की काम करने वाली सरकार को फिर से काम करने का मौका दीजिए। और, आज छत्तीसगढ़ की उम्र 18 साल है। घर में बेटे-बेटी भी 18 साल के हो जाते हैं ना तो परिवार के जो मुखिया होते हैं उनका सोचने का तरीका बदल जाता है। 18 साल के बेटे-बेटी के लिए नए तरीके से सोचा जाता है। उनके नए सपने होते हैं, नए संकल्प होते हैं,उन्हें नई दुनिया में जाना होता है। 18 साल तक तो घर में एक अवस्था होती है, 18 साल के बाद दूसरी अवस्था होती है। अब छत्तीसगढ़ 18 साल का हुआ है। आप इस छत्तीसगढ़ के मालिक हैं, आप छत्तीसगढ़ के माँ-बाप हैं। 18 साल के छत्तीसगढ़ को आगे कैसे बढ़ाना है, ये निर्णय आपका है। और, कोई समझदार मालिक, कोई समझदार माँ-बाप, 18 साल की उम्र में बच्चे के संबंध में कोई गलती नहीं करता है, कभी गलती नहीं करता है। अगर गलती कर देता है तो वो बेटा ही उसके लिए समस्या बन जाता है।

भाइयो-बहनो, मुझे विश्वास है…छत्तीसगढ़ के मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, हमारे रिकॉर्ड को देखते हुए, विकास के संकल्प को देखते हुए, आने वाले दिनों में 18 साल की उमरिया वाला मेरा छत्तीसगढ़ जो अब तेजतर्रार जवान की तरह दौड़ने वाला है तब कोई आकर के कहीं ब्रेक न लगा दे, इसकी चिंता आपको करनी है। और इसलिए भारतीय जनता पार्टी के कमल निशान पर बटन दबा करके फिर से एक बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनानी है, इसी एक अपेक्षा के साथ आज मैं आपके बीच आया हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि छत्तीसगढ़ फिर एक बार कमल के रंग में रंग जाएगा, फिर एक बार विकास की नई ऊंचाइयों की ओर तेज गति से आगे बढ़ेगा। इस विश्वास के साथ, आप सबको बहुत शुभकामनाएँ देते हुए, हमारे सभी उम्मीदवारों को बहुत शुभकामनाएँ देते हुए मैं मेरी वाणी को विराम देता हूँ।
मेरे साथ दोनों हाथ मुट्ठी बंद करके ज़ोर से बोलिए- भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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In future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
February 21, 2025
QuoteThe School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
QuoteToday, India is emerging as a global powerhouse: PM
QuoteLeaders must set trends: PM
QuoteIn future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
QuoteIndia needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
QuoteThe bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM

His Excellency,

भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।

साथियों,

कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।

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साथियों,

आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।

साथियों,

कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।

21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।

साथियों,

आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।

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साथियों,

आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।

साथियों,

हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

साथियों,

मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-

यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।

यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।

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साथियों,

ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।

साथियों,

एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।

साथियों,

जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।

साथियों,

संस्कृत में एक बहुत ही सुंदर सुभाषित है:

अमन्त्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधम्। अयोग्यः पुरुषो नास्ति, योजकाः तत्र दुर्लभः।।

यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।

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साथियों,

आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।

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साथियों,

ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।