Solutions to all the problems is in development: PM Modi in West Bengal

Published By : Admin | April 7, 2016 | 20:07 IST
QuoteI have come here so ensure proper education for children, opportunities for youth and for development: PM Modi
QuoteI have only three agendas: Development, fast-paced development & all-round development
QuoteFor 34 years the Left front ruled and ruined Bengal; TMC stands for Terror, Maut, Corruption: PM Modi
QuoteLeft and Congress contest against one another in Kerala but in spite of ideological differnces are allies in West Bengal: PM
QuoteAfter coming to power, Mamata Di said Maa, Maati, Manush but now it's all about only Maut and Money: PM
QuoteSolutions to all the problems is in development: PM Modi in West Bengal
QuoteWe will ensure overall development of Bengal and eliminate all the problems people face in the state: PM
 

मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए आसनसोल के मेरे प्यारे भाईयों एवं बहनों 

आज मैं सुबह से पश्चिम बंगाल में दौरा कर रहा हूँ। टीवी पर आता है कि इस बार जून महीने में जो गर्मी पड़ती है, वो गर्मी अप्रैल महीने में शुरू हो गई है और इतनी भयंकर गर्मी के बीच पश्चिम बंगाल में चुनावी गर्मी है और आप लोगों का इतना जबर्दस्त उत्साह है। दिल्ली में बैठकर किसी को अंदाजा नहीं सकता कि पश्चिम बंगाल के चुनाव का मिजाज़ क्या है, यहाँ के लोगों का इरादा क्या है। मैंने ऐसा उत्साह पश्चिम बंगाल में कभी देखा नहीं था। मैं आप लोगों से एक शिकायत करना चाहता हूँ जब 2014 में लोकसभा का चुनाव था और मैं ख़ुद प्रधानमंत्री का उम्मीदवार था और इसी मैदान में आया था और तब इसकी आधी भीड़ भी नहीं थी। आज पश्चिम बंगाल का भविष्य तय करने के लिए आप जो उत्साह दिखा रहे हैं, ये मेरी शिकायत नहीं है, आपका अभिनंदन है। 

लेफ़्ट और टीएमसी और उसके पीछे भाग रही कांग्रेस, आने वाले दिनों में ये सभा देखने के बाद सोचेंगे कि कौन से गुंडे हैं जिनको आसनसोल भेजा जाए ताकि ये लोग मतदान न कर सकें, घपलेबाजी हो, हिंसा हो। ये सभा दीदी की भी नींद खराब कर देंगे और लेफ़्ट और सोनिया जी की भी नींद खराब कर देंगे। आप लोगों ने पूरे पश्चिम बंगाल को ये सन्देश दिया है कि अब पश्चिम बंगाल इन दोनों से मुक्ति चाहता है। क्या मिला पश्चिम बंगाल को? 34 साल तक लेफ्ट वालों ने बंगाल की प्रतिष्ठा, सम्मान को मिट्टी में मिला दिया और जब बाद में दीदी आई तो उन्होंने कहा था कि मां, माटी और मानुष लेकिन हमने 5 साल में हर दिन देखा – मौत का कारोबार, पैसों का कारोबार। 

यहाँ जिस प्रकार से बंगाल के लोगों के साथ धोखा किया गया, शारदा चिटफंड को कोई भूल सकता है क्या? गरीबों के पैसे डूबे हैं और ये पाप करने वाले जेलों में होने चाहिए थे, दीदी को ऐसे लोगों के खिलाफ़ कठोर कदम उठाने चाहिए थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। ये सरकार गरीबों का धन लूटने वालों पर मेहरबानी करने वाली सरकार है। गरीब बेचारा कुछ सपने देखकर पैसे रखता था, बेटी की शादी हो या बच्चों की पढ़ाई लेकिन इन लुटेरों ने गरीब के पैसे हज़म कर लिये और उन्हें बेघर बना दिया। 

जब अच्छी एवं ईमानदार सरकार होती है तो गरीबों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं बनाती हैं। इन्होंने चिटफंड चलाया और हम प्रधानमंत्री जन-धन योजना लेकर आए; उन्होंने चिटफंड के नाम पर गरीबों से पैसे बनाए और हमने बिना पैसे गरीबों के खाते खोल दिए और मुफ़्त में अकाउंट खोलने की व्यवस्था कर दी। हमने गरीबों को रूपये कार्ड दिया ताकि उनके परिवार में कभी कोई संकट आ गया तो उसमें 2 लाख का बीमा होगा और परिवार को ये पैसा मिल जाएगा। अनेकों को ये मिला भी और जन-धन योजना के तहत हमने हिंदुस्तान के करोड़ों गरीबों के लिए बैंक के दरवाजे खोल दिए। असम हो, उड़ीसा हो, बंगाल हो, इन्होंने कहीं के गरीबों को नहीं छोड़ा। गरीबों को लूटने वालों को क्या चुनाव जीतना चाहिये? 

मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूँ कि जिन-जिन लोगों ने गरीबों के पेट पर लात मारी है, ऐसे लोगों को इस चुनाव में एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं करना चाहिए। 34 साल तक बंगाल में लेफ़्ट वालों की सरकार रही और उन्होंने बंगाल को बर्बाद कर दिया। दूर जाने की जरुरत नहीं है, 5 साल पहले चुनाव में कांग्रेस के नेता ने लेफ़्ट के खिलाफ़ क्या-क्या बोला था, ये आप वीडियो निकाल के सुन लो तो पता चल जाएगा कि लेफ़्ट वाले क्या करते थे और ये अजूबा देखो कि कांग्रेस वाले लेफ़्ट का कुर्ता पकड़ कर चल पड़े। जिस कांग्रेस पार्टी ने पहली बार केरल में लेफ़्ट की सरकार को धारा 356 लगाकर भंग कर दिया था और जिस कांग्रेस को लेफ़्ट के प्रति गुस्सा रहता था, आज पूरी कांग्रेस पार्टी लेफ़्ट के चरणों में जाकर बैठ गई है। ये जनता-जनार्दन जब देती है तो छप्पर फाड़कर देती है लेकिन जब ये लेती है तो कूड़े-कचरे की तरह साफ़ कर देती है। 

एक जमाना था जब कांग्रेस पार्टी 400 लोगों के साथ संसद में बैठती थी और जनता का गुस्सा ऐसा फूटा कि वे 40 पर आ गए। आज कांग्रेस की हालत देखो कि जीने-मरने के लिए लेफ़्ट के सामने झुकना पड़ा है और इनकी बेईमानी देखो - विचारधारा से अगर झगड़ा होता है तो ये केरल में भी होना चाहिए और वहां भी आमने-सामने लड़ना चाहिए लेकिन कांग्रेस का कमाल देखो कि केरल में वे कम्युनिस्ट को गाली दे रहे हैं और उनसे लड़ रहे हैं और बंगाल में कम्युनिस्ट को कंधे पर बिठाकर नाच रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि केरल में कुश्ती और बंगाल में दोस्ती? ये आप लोगों की आँखों में धूल झोंक रहे हैं। केरल में दोनों एक-दूसरे को गालियां देते हैं और बंगाल में कहते हैं कि बहुत अच्छे हैं और सबका भला करेंगे। 

एक जमाना था जब दीदी भ्रष्टाचार का नाम सुनती थी तो कुर्सी फेंक कर चली जाती थी लेकिन अब दीदी को क्या हो गया, ऐसा परिवर्तन कैसे आ गया। वो तो भ्रष्टाचार के खिलाफ़ रोड पर निकलती थीं, लाठियां झेलती थीं; आज इतना बड़ा स्कैंडल आ गया, टेंडर का सौदा होता है, नोटों की थप्पियाँ दी जा रही हैं और सब कैमरा पर है लेकिन इसके बावजूद दीदी ने कोई कदम नहीं उठाया। इसका मतलब है कि अब दीदी भ्रष्टाचार से एडजस्ट हो गई हैं; अब दीदी को ये सब ठीक लग रहा है। ये लुटते रूपये जनता के हैं और ये लूट बंद होना चाहिए। ये चुनाव एक ऐसा मौका है जब ऐसा करने वालों को राजनीति से हमेशा के लिए विदा कर देना चाहिए। 

मैं कभी कभी सोचता हूँ कि ये टीएमसी क्या है – टी फॉर टेरर, एम फॉर मौत और सी फॉर करप्शन। पांच सालों में टीएमसी का यह सीधा-सीधा मतलब निकल कर आया है। जब हम छोटे थे और लेफ़्ट वाले चुनाव जीतते थे तो हम लोगों से पूछते थे कि ये लेफ़्ट वाले चुनाव कैसे जीतते हैं तो समझदार लोग मुझे बताते थे कि यहाँ का चुनाव साइंटिफिक रिजीम करके जीता जाता था। साइंटिफिक रिजीम तो मैंने सुना था लेकिन दीदी के राज़ में मैं देख रहा हूँ - साइंटिफिक करप्शन। टेंडर का कारोबार टेंडर निकलने से पहले तय हो जाता है। 

अभी कोलकाता में करप्शन का भंडा फूट गया। विवेकानंद ब्रिज अनेकों की ज़िन्दगी को तबाह कर गया जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है लेकिन दीदी मौत पर भी राजनीति कर रही हैं। ब्रिज गिरा है, लाशें पड़ी हैं, घायल लोग कराह रहे हैं और दीदी मदद करने के नाम पर कुछ नहीं बोलती हैं और कहती हैं इस ब्रिज का कॉन्ट्रैक्ट तो लेफ़्ट वालों ने दिया था। मैं पूछता हूँ कि अगर ये ब्रिज बन जाता तो आप उद्घाटन करने जाती कि नहीं और आप ब्रिज बनाने के क्रेडिट लेने की कोशिश करती कि नहीं। अगर लेफ़्ट वालों ने पाप किया तो उस पाप को आपने आगे क्यों बढ़ाया। पूरे पश्चिम बंगाल में जो लेफ़्ट वाले करके गए, उसे ही आगे बढ़ाने का काम दीदी कर रही हैं और इसलिए पश्चिम बंगाल को लेफ़्ट और दीदी, दोनों से मुक्ति चाहिए। 

जिस प्रकार से टेरर का माहौल बनाया जा रहा है, अपने विरोधियों को ख़त्म करने की कोशिश हो रही है, ये लोकतंत्र और उसके प्रति आस्था का प्रतीक नहीं है। इस चुनाव में जो डिबेट चल रही है, उससे मैं हैरान हूँ। वो पूछते हैं कि ममता जी के राज़ में कितनी हत्याएं हुईं तो ममता जी कहती हैं कि आपके राज़ में इतनी हत्याएं हुईं, लेफ़्ट वाले कहते हैं कि आपके ज़माने में इतनी बलात्कार की घटनाएँ हुईं तो ममता जी कहती हैं कि आपके ज़माने में इतनी हुईं, दोनों के बीच दंगों की गिनती हो रही है। मैं पूछता हूँ कि चुनाव में यही डिबेट चलेगा क्या? ये आरोप-प्रत्यारोप गलत है। अच्छा होता कि ये कहते कि लेफ़्ट वालों ने इतना रास्ता बनाया था और हमने उससे ज्यादा बना दिया; लेफ़्ट वालों ने इतने स्कूल खोले थे और हमने उससे ज्यादा स्कूल खोल दिए, ये स्पर्धा होनी चाहिए थी लेकिन यहाँ स्पर्धा इस बात की हो रही है कि कौन ज्यादा बुरा है। 

भाईयों-बहनों, हमारी सरकार को 2 साल होने को आए हैं। आपने कभी अपने सांसद बाबुल सुप्रियो जो मेरी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री हैं, उनके ऊपर एक भी आरोप सुना है क्या? 2 साल से हम बैठे हैं, हमने एक भी पाप नहीं किया, ऐसे सरकार चलाई जाती है। हमारी सभी समस्याओं का समाधान चुनावी खोखलेबाजी से नहीं होने वाला है। मेरा 3 एजेंडा है – पहला विकास, दूसरा तेज़ गति से विकास और तीसरा चारों तरफ विकास, जिस पर मैं पिछले साल से काम कर रहा हूँ और यहाँ भी करना चाहता हूँ। आप मुझे सेवा करने का मौका दीजिए। हमारी सभी समस्याओं का समाधान विकास में है। 

आप हैरान होंगे कि ये पश्चिम बंगाल इतना प्यारा और प्रगतिशील था कि अंग्रेजों को भी कोलकाता में आकर अपना काम करने का मन कर गया था, ऐसा शानदार और जानदार हुआ करता था हमारा बंगाल। बंगाल पूरे देश को दिशा दिखाता था लेकिन आज इस बंगाल की स्थिति देखिये। सुभाष भाई के भतीजे, चन्द्र कुमार बोस भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं और दीदी ऐसी घबरा गई हैं और दीदी ने ऐसा टेरर दिया है कि कोई चन्द्र बोस को दफ्तर खोलने की जगह नहीं दे रहा है। लोग कहते हैं कि हम वोट दे देंगे लेकिन जब तक दीदी हैं तब तक हम आपको मकान नहीं दे पाएंगे वर्ना हम जिंदा नहीं रह पाएंगे। ये लोकतंत्र है क्या? 

आसनसोल सुंदर नगरी के रूप में जाना जाता था। अभी भारत सरकार पूरे देश में लगातार स्पर्धा करती है और ज्यूरी निष्पक्षता से उसकी जाँच करती है। 2016 के शुरू में इस देश के 72 शहरों में सफ़ाई को लेकर स्पर्धा हुई। दो महीने का समय दिया गया कि आपको क्या-क्या करना है। आपको जानकर दुःख होगा कि आसनसोल उस सूची में नीचे से दूसरे पायदान पर था। दीदी ने आसनसोल को ऐसा बना दिया कि पूरे हिंदुस्तान में इसकी इज्ज़त को मिट्टी में मिला दिया। आसनसोल एक औद्योगिक नगरी रही है, साफ़-सुथरा होना चाहिए लेकिन न बंगाल की सरकार को परवाह है और न यहाँ बैठे हुए लोगों को परवाह है। 

मैं कहता हूँ कि आप इन लोगों से मुक्ति लेकर बंगाल में भाजपा को स्वीकार करें। दिल्ली पूरी ताक़त लगाएगा और जितनी बुराईयाँ यहाँ पिछले कई वर्षों से हैं, उसे निकालने के लिए मैं कंधे से कंधा मिलकर काम करूँगा। साइंटिफिक रिजीम और साइंटिफिक करप्शन; पश्चिम बंगाल में सिंडिकेट के नाम पर सारा कारोबार हड़प लिया जाता है। कोयले की कालाबाजारी में सिंडिकेट का क्या नाता है और ये सिंडिकेट लेफ़्ट वालों ने शुरू किया और तृणमूल वालों ने उसे आगे बढ़ाया है। मैंने पहले भी कहा है कि जिन्होंने देश का कोयला भी नहीं छोड़ा, उन्हें हम नहीं छोड़ेंगे। आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि कोयले की कालाबाजारी करने वाले कुछ लोगों को सजा भी हो गई और जेल भी हो गया और अब आगे औरों की भी बारी है। 

हमने करप्शन के खिलाफ़ लड़ाई चलाई है और मैं जानता हूँ कि मैं जितना इन चीजों को ठीक करता हूँ, उतना इन लोगों को परेशानी ज्यादा होती है। इसलिए वे जोर से चिल्लाते हैं क्योंकि उनको पता है कि अब उनके जेल में जाने के दिन आ रहे हैं। विकास की बात को छोड़कर और बातें जो उठाई जा रही हैं, उसका मूल कारण यही है कि मुसीबत अब उनके कदमों तक पहुँचने की तयारी कर रही है। कहीं भी जोर से आवाज़ सुनाई दे तो समझ लेना कि मोदी ने कोई ऐसा कदम उठाया है जिससे बेईमान लोगों के लिए परेशानी आनी शुरू हो गई है। 

मैं आपके पास वोट मांगने आया हूँ। मुझे वोट चाहिए – बच्चों की पढ़ाई के लिए, नौजवानों की कमाई के लिए, बुजुर्गों की दवाई के लिए, अच्छी शिक्षा के लिए, अच्छे जीवन के लिए, विकास के लिए। आप पूरी तरह समर्थन देकर भाजपा के उम्मीदवारों को विजयी बनाईए। 

बहुत-बहुत धन्यवाद!
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नवी दिल्लीत भारत मंडपम येथे आयोजित वाययुजीएम (युग्म) बैठकीत पंतप्रधानांनी केलेले भाषण
April 29, 2025
Quoteतरुणांना आत्मनिर्भर बनवणाऱ्या कौशल्यांनी सक्षम करून भारताला जागतिक नवोन्मेष केंद्र म्हणून स्थापित करण्याचा आमचा प्रयत्न: पंतप्रधान
Quoteआम्ही 21व्या शतकाच्या गरजांनुसार देशाच्या शिक्षण व्यवस्थेचे आधुनिकीकरण करत आहोत: पंतप्रधान
Quoteदेशात नवीन राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण तयार करताना शिक्षणाच्या जागतिक मानकांचा विचार : पंतप्रधान
Quoteएक राष्ट्र, एक सदस्यत्व योजनेद्वारे सरकार आपल्या गरजा जाणून घेत असल्याचा तरुणांना मिळाला विश्वास, आज उच्च शिक्षण घेणाऱ्या विद्यार्थ्यांना जागतिक दर्जाच्या संशोधन ‘जर्नल्स’मध्ये सहज प्रवेश: पंतप्रधान
Quoteभारतातील विद्यापीठ संकुले गतिमान केंद्र म्हणून उदयास येत असून युवाशक्तीला तिथे अभूतपूर्व नवोपक्रम राबवण्यास वाव: पंतप्रधान
Quoteटॅलेंट (प्रतिभा), टेम्परामेंट (स्वभाव) आणि टेक्नॉलॉजी (तंत्रज्ञानाची) ही त्रिसूत्री भारताचे भविष्य बदलेल: पंतप्रधान
Quoteसंकल्पनेपासून ते प्रारूप आणि उत्पादनाचा प्रवास अल्पावधीत पूर्ण करणे अत्यंत महत्त्वाचे: पंतप्रधान
Quoteआम्ही मेक एआय इन इंडियाच्या दृष्टिकोनावर काम करत असून मेक एआय वर्क फॉर इंडियासाठी काम करण्याचे आमचे ध्येय: पंतप्रधान

या कार्यक्रमाला उपस्थित असलेले केंद्रीय शिक्षणमंत्री धर्मेंद्र प्रधानजी, डॉ.जितेंद्र सिंहजी, जयंत चौधरीजी, डॉ.सुकांता मजुमदारजी, तंत्रज्ञानाच्या माध्यमातून जोडले गेलेले माझे मित्र रोमेश वाधवानीजी, डॉ.अजय केलाजी, विज्ञान आणि तंत्रज्ञान तसेच शिक्षण जगताशी जोडलेले तुम्ही सर्व सहकारी, इतर माननीय, सभ्‍य स्त्री आणि पुरुषहो !!

आज येथे सरकार, शिक्षण क्षेत्र, विज्ञान आणि संशोधनाशी संबंधित विविध क्षेत्रातील मंडळी खूप  मोठ्या संख्येने उपस्थित आहेत. ही एकजूट, हे ऐक्य, यालाच युग्म असे म्हणतात. हे एक असे युग्म आहे ज्यामध्ये विकसित भारताच्या भविष्यकालीन तंत्रज्ञानाशी संबंधित भागधारक एकत्र आले आहेत, एकजूट झाले आहेत. भारताची नवोन्मेष क्षमता आणि गहन-तंत्रज्ञान या क्षेत्रांमध्ये भारताचे स्थान बळकट करण्यासाठी आम्ही जे प्रयत्न करत आहोत त्यांना या कार्यक्रमाच्या आयोजनाद्वारे आणखी बळकटी मिळेल असा विश्वास मला वाटतो. आज आयआयटी कानपूर आणि आयआयटी मुंबई या संस्थांमध्ये कृत्रिम प्रज्ञा , गुप्तहेर यंत्रणा आणि जैवविज्ञान, जैव तंत्रज्ञान तसेच आरोग्य आणि वैद्यकीय सेवा यांच्याशी संबंधित सुपर हब्सची सुरुवात होत आहे. आज वाधवानी नवोन्मेष नेटवर्कची देखील सुरुवात झाली आहे. अनुसंधान राष्ट्रीय संशोधन संस्थेसोबत मिळून संशोधनाला चालना देण्याचा देखील निर्धार करण्यात आला आहे. या प्रयत्नासाठी वाधवानी प्रतिष्‍ठानचे, आमच्या आयआयटी संस्थांचे, आणि इतर सर्व भागधारकांचे मी अभिनंदन करतो. तुमची समर्पणवृत्ती आणि सक्रियतेमुळे खासगी आणि सरकारी क्षेत्राने एकत्र येऊन देशाच्या शिक्षण प्रणालीमध्ये अनेक सकारात्मक बदल केले आहेत.

 

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मित्रांनो,

आपल्या शास्त्रांमध्ये असे म्हटले आहे - परं परोपकारार्थं यो जीवति स जीवति म्हणजेच जो मनुष्य दुसऱ्यांची सेवा आणि परोपकारासाठी स्वतःचे जीवन समर्पित करतो तोच खऱ्या अर्थाने जीवन जगतो. म्हणूनच आम्ही विज्ञान आणि तंत्रज्ञानाला देखील सेवेचेच माध्यम मानतो. जेव्हा मी आपल्या देशात वाधवानी फाउंडेशन सारख्या संस्था उभारलेल्या बघतो, जेव्हा मी रोमेशजी आणि त्यांच्या सहकाऱ्यांचे प्रयत्न बघतो तेव्हा मला अत्यंत आनंद होतो, आणि आपण भारतात विज्ञान आणि तंत्रज्ञानाला योग्य दिशेने पुढे नेत आहोत याचा मला अभिमान वाटतो. आपण सर्वजण हे जाणतो की,  रोमेशजी यांनी जीवनात बराच संघर्ष केला आहे, स्वतःचे जीवन सेवेसाठी समर्पित केले आहे. त्यांचा जन्म झाल्यानंतर काही दिवसांचे असतानाच त्यांना फाळणीच्या यातना भोगाव्या लागणे, जन्मभूमी सोडून स्थलांतर करण्याची वेळ येणे, लहानपणीच पोलिओसारख्या आजाराच्या वेदना सहन कराव्या लागणे,  आणि इतक्या कठीण परिस्थितीतून बाहेर पडून एवढा मोठा व्यवसायाचा डोलारा उभारणे हा एक अत्यंत विलक्षण  आणि प्रेरणादायक जीवन प्रवास आहे. आणि स्वतःच्या या यशाला भारतातील लोकांसाठी शिक्षण आणि संशोधन क्षेत्राला समर्पित करणे, भारताच्या तरुण पिढीसाठी समर्पित करणे, त्यांच्या उज्ज्वल भविष्यासाठी समर्पित करणे हे खरोखरीच एक अत्यंत प्रेरक उदाहरण आहे. शालेय शिक्षण, अंगणवाडीशी संबंधित तंत्रज्ञान तसेच कृषी तंत्रज्ञान यामध्ये देखील वाधवानी फाउंडेशन बरेच कार्य करत आहे. यापूर्वी मी वाधवानी इन्स्टिट्यूट ऑफ आर्टिफिशल इंटेलिजन्स या संस्थेच्या स्थापनेप्रसंगी तुम्हा सर्वांमध्ये उपस्थित राहिलो होतो. येत्या काळात वाधवानी फाउंडेशन असेच अनेक महत्वाचे टप्पे गाठत राहील असा विश्वास मला वाटतो. तुमची संस्था आणि तुमचे उपक्रम यांना मी  शुभेच्छा देतो.

 

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मित्रांनो,

कोणत्याही देशाचे भविष्य त्या देशातील तरुण पिढीवर अवलंबून असते. आणि म्हणूनच आपण आपल्या युवा वर्गाच्या भविष्यासाठी तसेच भारताच्या उज्ज्वल भविष्यासाठी त्यांना सज्ज करणे आवश्यक आहे. यामध्ये देशाच्या शिक्षण प्रणालीची देखील फार मोठी भूमिका असते. म्हणूनच आम्ही देशातील शिक्षण प्रणालीला 21 व्या शतकाच्या गरजांनुसार आधुनिक स्वरूप देत आहोत. देशात नवे शिक्षण धोरण लागू करण्यात आले आहे. शिक्षणक्षेत्राची जागतिक मानके विचारात घेऊन या धोरणाची रचना करण्यात आली आहे. नवे शिक्षण धोरण लागू झाल्यानंतर आपल्याला भारतीय शिक्षण प्रणालीत मोठे परिवर्तन देखील घडून आलले दिसत आहे. राष्ट्रीय अभ्यासक्रम आराखडा, अध्ययन अध्यापन साहित्य तसेच इयत्ता पहिली पासून इयत्ता सातवीपर्यंतच्या वर्गांसाठी नवी पाठ्यपुस्तके तयार करण्यात आली आहेत. पीएम ई-विद्या आणि दीक्षा मंचाअंतर्गत एक देश, एक डिजिटल शिक्षणविषयक पायाभूत सुविधा उभारण्यात आल्या आहेत. या पायाभूत सुविधा कृत्रिम प्रज्ञा  तंत्रज्ञानावर आधारित आहेत आणि त्या गणनीय देखील आहेत. देशातील 30 हून अधिक भाषांमध्ये तसेच 7 परदेशी भाषांमध्ये शालेय पाठ्यपुस्तके तयार करण्यासाठी त्यांचा वापर केला जात आहे. राष्ट्रीय क्रेडीट आराखड्याच्या माध्यमातून विद्यार्थ्यांना एकाच वेळी विविध विषयांचा अभ्यास करणे सोपे झाले आहे. म्हणजेच भारतातील विद्यार्थ्यांना आता आधुनिक पद्धतीचे शिक्षण मिळणे शक्य झाले आहे, त्यांच्यासाठी कारकिर्दीचे नवे मार्ग खुले होत आहेत. भारताने जी उद्दिष्टे निश्चित केली आहेत ती साध्य करण्याला वेग देण्यासाठी देशातोल संशोधन परिसंस्थेला बळकट करणे आवश्यक आहे. गेल्या दशकभरात या संदर्भात वेगाने कार्य झाले आहे. त्यासाठी आवश्यक संसाधनांमध्ये वाढ करण्यात आली आहे. वर्ष 2013-14 मध्ये संशोधन आणि विकास कार्यांसाठी केवळ 60 हजार रुपयांचा एकंदर व्यय ठरवण्यात आला होता. आम्ही यात दुपटीहून अधिक वाढ करून या साठी सव्वा लाखकोटी रुपयांहून अधिक निधीची तरतूद केली आहे. देशात अनेक अत्याधुनिक संशोधन पार्क देखील स्थापन करण्यात आले आहेत. देशातील सुमारे 6 हजार उच्च शिक्षण संस्थांमध्ये संशोधन आणि विकास कक्षाची स्थापना करण्यात आली आहे. आमच्या प्रयत्नांमुळे देशात नवनिर्माण संस्कृती वेगाने  विकसित होऊ लागली आहे. वर्ष 2014 मध्ये भारतातर्फे 40 हजार पेटंट सादर करण्यात आले होते. आता यात वाढ होऊन ही संख्या 80 हजारावर पोहोचली आहे. आमच्या बौद्धिक संपदा परिसंस्थेमुळे देशातील युवकांना किती पाठबळ मिळते आहे हेच यातून दिसून येते. देशातील संशोधन संस्कृतीला चालना देण्यासाठी 50 हजार कोटी रुपये खर्चून अनुसंधान राष्ट्रीय संशोधन फाउंडेशनची स्थापना करण्यात आली आहे. सरकार तरुणांच्या गरजा समजून घेत आहे असा विश्वास एक देश, एक सब्स्क्रीप्शन योजनेमुळे त्यांच्यात निर्माण झाला आहे. उच्च शिक्षण घेणाऱ्या विद्यार्थ्यांना जागतिक स्तरावरील जर्नल्सपर्यंत पोहोचणे या योजनेमुळे सोपे झाले आहे. देशातील प्रतिभावंतांना पुढे जाण्यात कोणतीही अडचण येऊ नये यासाठी पंतप्रधान संशोधन फेलोशिपची सुरुवात करण्यात आली आहे.

 

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मित्रहो,

या प्रयत्नांचा परिणाम असा आहे की,  आजचा युवा वर्ग केवळ संशोधन आणि विकासाच्या क्षेत्रातच (R&D) उत्कृष्टता मिळवत नाही, तर तो स्वतःच संशोधन आणि विकास  बनला आहे. आणि जेव्हा मी म्हणतो की तो स्वतःच संशोधन आणि विकास आहे, तेव्हा मला असं म्हणायचंय की - Ready and Disruptive! भारत आज वेगवेगळ्या क्षेत्रांमध्ये संशोधनाचे नवीन विक्रम प्रस्थापित करत आहे. गेल्या वर्षी भारताने जगातील सर्वात लांब ‘हायपरलूप’ चाचणी ट्रॅक सुरू केला. 422 मीटरचा हा हायपरलूप, भारतीय रेल्वेच्या सहकार्याने, मद्रासमधील भारतीय तंत्रज्ञान संस्थेने (IIT) विकसित केला गेला आहे. बंगळूरुतल्या भारतीय विज्ञान संस्थेच्या (I.I.S.c.) वैज्ञानिकांनी देखील एक असे तंत्रज्ञान विकसित केले आहे, जे अगदी सुक्ष्म प्रमाणातील (Nano Scale) प्रकाशाचे नियंत्रण करू शकते. भारतीय विज्ञान संस्थेतील संशोधकांनी ‘ब्रेन ऑन अ चिप’ तंत्रज्ञान (brain on a chip’ technology) विकसित केले आहे.  ब्रेन ऑन अ चिप म्हणजेच एका अणूसदृश पातळ फिल्ममध्ये 16,000 हून अधिक विद्युत वहन अवस्था (conduction states) असलेली प्रणाली, माहिती साठवण्याची आणि त्यावर प्रक्रिया करण्याची क्षमता असलेली! काही आठवड्यांपूर्वीच देशाने पहिली स्वदेशी एमआरआय मशीन देखील बनवली आहे. अशी क्रांतिकारी संशोधने आणि विकासाची कामे आहेत, जी आपल्या विद्यापीठांमध्ये होत आहेत. ही आहे विकसित होत असलेल्या भारताची युवाशक्ती — Ready, Disruptive, आणि Transformative!

 

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मित्रहो,

भारतातील विद्यापीठाची प्रांगणे आज नवीन परिवर्तनकारी केंद्रे बनत आहेत. अशी केंद्रे, जिथे युवाशक्ती क्रांतिकारी नवोन्मेषाचे नेतृत्व करत आहेत. अलीकडेच, प्रभावी उच्च शिक्षण विषयक क्रमवारीमध्ये (Higher Education Impact Rankings) भारत जागतिक स्तरावर सर्वाधिक झळकलेला देश ठरला आहे. 125 देशांमधील 2,000 संस्थांपैकी 90 पेक्षा जास्त विद्यापीठे भारतातील होती. 2014 मध्ये क्यूएस जागतिक क्रमवारीमध्ये (QS world ranking) भारतातील केवळ 9 संस्था आणि विद्यापीठे होती. 2025 मध्ये ही संख्या 46 झाली आहे. जगातील सर्वोच्च 500 उच्च शिक्षण संस्थांमध्ये भारतीय संस्थांची संख्याही गेल्या 10 वर्षांत झपाट्याने वाढली आहे. आता परदेशात आपल्या प्रमुख संस्थांच्या शाखा सुरू केल्या जात आहेत. अबू धाबीमध्ये दिल्ली इथल्या भारतीय तंत्रज्ञान संस्थेची, टांझानियामध्ये मद्रास इथल्या भारतीय तंत्रज्ञान संस्थेची शाखा सुरू झाली आहे. दुबईमध्ये अहमदाबाद मधील भारतीय व्यवस्थापन संस्थेची शाखा सुरू करण्याची तयारी सुरू आहे. आणि केवळ असेच काही नाही की,  आपल्याच उच्च शिक्षण संस्था बाहेर जात आहेत. बाहेरच्या उच्च शिक्षण  संस्थाही भारतात येत आहेत. भारतात जगातील आघाडीच्या विद्यापीठांच्या शाखा सुरू होण्यास  सुरुवात झाली आहे. यामुळे शैक्षणिक देवाणघेवाण वाढेल. संशोधनाच्या क्षेत्रात सहकार्य वाढेल. आपल्या विद्यार्थ्यांना आंतर-सांस्कृतिक शिक्षणाचाही अनुभव मिळेल.

 

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मित्रहो,

Talent (प्रतिभा),  Temperament (मानसिकता) आणि Technology (तंत्रज्ञानाची) त्रिसूत्री भारताच्या भविष्यात परिवर्तन घडवून आणेल. यासाठी आम्ही भारतातील मुलांना लहानपणापासूनच आवश्यक अनुभवाची संधी देत आहोत. आत्ताच माझे सहकारी धर्मेंद्रजींनी सविस्तरपणे सांगितले, आम्ही अटल टिंकरिंग प्रयोगशाळांसारखे (Atal Tinkering Labs) उपक्रम हाती घेतले आहेत. आतापर्यंत देशात 10,000 अटल टिंकरिंग प्रयोगशाळा उघडल्या गेल्या आहेत. या अर्थसंकल्पात सरकारने आणखी 50,000 अटल टिंकरिंग प्रयोगशाळा सुरू करण्याची घोषणा केली आहे. विद्यार्थ्यांना आर्थिक पाठबळ देण्यासाठी प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजनाही (PM Vidya Lakshmi Yojana) सुरू करण्यात आली आहे. आपल्या विद्यार्थ्यांना त्यांच्या शिक्षणाला प्रत्यक्ष अनुभवात रूपांतरीत करणे शक्य व्हावे, यासाठी आम्ही 7,000 पेक्षा जास्त संस्थांमध्ये इंटर्नशिप सेल म्हणजेच आंतरवासिता आघाडी  स्थापन केल्या आहेत. युवा वर्गात नवीन कौशल्ये विकसित करण्यासाठी आज शक्य ते सर्व प्रयत्न केले जात आहेत. या युवा वर्गाच्या प्रतिभा, मानसिकता आणि तंत्रज्ञानाची ही ताकदच भारताला यशाच्या शिखरावर घेऊन जाईल.  

 

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मित्रहो,

आम्ही विकसित भारताच्या ध्येयासाठी पुढच्या 25 वर्षांची कालमर्यादा निश्चित केली आहे. आपल्याकडे वेळ मर्यादित आहे, ध्येये मोठी आहेत. हे मी सध्याच्या परिस्थितीबद्दल बोलत नाही, आणि त्यामुळे, हे गरजेचे आहे की,  आपल्या कल्पनेच्या नमुन्यापासून ते उत्पादनापर्यंतचा प्रवासही कमीत कमी वेळेत पूर्ण व्हायला हवा. जेव्हा आपण प्रयोगशाळेपासून बाजारपेठेपर्यंतचे अंतर कमी करतो, तेव्हा संशोधनाचे परिणाम लोकांपर्यंत वेगाने पोहोचू लागतात. यामुळे संशोधकांनाही प्रोत्साहन मिळते, त्यांच्या कामाचा, त्यांच्या मेहनतीचा मोबदला त्यांच्यापर्यंत पोहोचतो. यामुळे संशोधन, नवोन्मेष आणि मूल्यवर्धनाच्या चक्राला अधिक गती मिळते. यासाठी, गरजेचे आहे की, आपली संपूर्ण संशोधनविषयक परिसंस्था, शैक्षणिक संस्थांपासून गुंतवणूकदार आणि उद्योग क्षेत्रापर्यंत, प्रत्येकाने संशोधकांच्या पाठीशी उभे राहीले पाहीजे, त्यांना मार्गदर्शन करायला पाहीजे. उद्योगक्षेत्रातील दिग्गज या दिशेने आणखी पुढे एक पाऊल टाकू शकतात, आणि ते आपल्या युवा वर्गाला मार्गदर्शन करू शकतात, निधीची व्यवस्था करू शकतात आणि एकत्र येत नवीन उपाययोजना विकसित करू शकतात. म्हणूनच सरकार नियम सुलभ करण्याच्या, मंजुरी प्रक्रियेला गती देण्याच्या प्रयत्नांनाही गती देत आहे.

 

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मित्रहो,

आपल्याला एआय म्हणजेच कृत्रिम प्रज्ञा, क्वांटम संगणन, प्रगत विश्लेषण, अवकाश तंत्रज्ञान , आरोग्य तंत्रज्ञान , कृत्रिम जीवशास्त्र  या क्षेत्राला सातत्याने प्रोत्साहन द्यावे लागेल. आज आपण पाहतो आहोत, भारत कृत्रिम प्रज्ञा  तंत्रज्ञानाचा विकास आणि अंवलंबत्वात आघाडीवर असलेल्या देशांमध्ये सामील झाला आहे. याची व्याप्ती वाढवण्यासाठी सरकारने इंडिया-एआय मिशन (India-AI Mission) सुरू केले आहे. यामुळे जागतिक दर्जाची पायाभूत सुविधा, उच्च-गुणवत्तेचे माहितीसाठा संच (dataset) आणि संशोधन विषयक सुविधा तयार केल्या जातील. भारतातील कृत्रिम प्रज्ञा उत्कृष्टता केंद्रांची (AI Centres of Excellence) संख्याही वाढवली जात आहे. देशातील नामांकित संस्था, उद्योग आणि स्टार्टअप्सच्या माध्यमातून या उत्कृष्टता केंद्रांना गती मिळू लागली आहे. आम्ही मेक एआय इन इंडिया (Make AI in India) या दृष्टिकोनातून काम सुरू केले  आहे.  आणि आमचे उद्दिष्ट आहे- मेक एआय वर्क फॉर इंडिया (Make AI work for India). या अर्थसंकल्पात आम्ही भारतीय तंत्रज्ञान संस्थांमधील (IIT) प्रवेशाच्या जागांची संख्या आणि क्षमता वाढवण्याचा निर्णय घेतला आहे. देशात वैद्यकीय तंत्रज्ञान म्हणजेच वैद्यकीय + तंत्रज्ञानाचे (Meditech) असंख्य अभ्यासक्रम भारतीय तंत्रज्ञान संस्था आणि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थेच्या (AIIMS) सहकार्याने सुरू केले आहेत. आपल्याला हा प्रवास वेळेत पूर्ण करायचा आहे. आपल्याला प्रत्येक भविष्यातील तंत्रज्ञानात भारताला जगातील सर्वोत्तमांच्या यादीत समाविष्ट करायचे आहे. युग्म च्या माध्यमातून आपण या प्रयत्नांना नवी ऊर्जा देऊ शकतो. शिक्षण मंत्रालय आणि वाधवानी  प्रतिष्‍ठानच्या या संयुक्त उपक्रमातून आपण देशाच्या नवोन्मेष विषयक परिसंस्थेचे  चित्र बदलू शकतो. आजच्या या कार्यक्रमामुळे या प्रक्रियेत खूप मदत होईल. मी पुन्हा एकदा युग्म उपक्रमासाठी वाधवानी प्रतिष्‍ठानचे आभार मानतो. माझे मित्र रोमेशजी यांना अनेक - अनेक शुभेच्छा देतो.

खूप खूप धन्यवाद.

नमस्कार!