Prime Minister Narendra Modi, in an interview to The New Indian, spoke on a range of subjects including the ongoing Lok Sabha elections, his government's zero tolerance towards corruption, and more. The PM also opened about about his humble beginnings, his bond with his mother and stories from his childhood of helping a sage.

 महादेव की ये नगरी है काशी, रहते यहां शिव शंकर अविनाशी, गंगा की यहां पावन धारा है बहती, हर- हर महादेव, हर जिह्वा है कहती और शायद 2014 से ‘हर- हर मोदी, घर- घर मोदी’ भी कहती क्योंकि मेरे साथ में अब जुड़ गए हैं प्रधानमंत्री, प्रधान सेवक नरेंद्र दामोदर दास मोदी। जिन्होंने हर गांव, हर देश के कोने को प्यार से जोड़ दिया हो वेलकम टू दि शो प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी साहब दिस इज एक्चुअली अ प्रिविलेज फोर अस ऑन द न्यू इंडियन हमारा एक मोटो है वाट टीवी डजन प्रिंट कांट वी डिलीवर जो टीवी नहीं कर सकता और प्रिंट नहीं कर सकता हम वहां जहां जाकर डिजिटल में वो लाते हैं हमारे लिए आज बड़ा सर गर्व का विषय है कि आप हमारे साथ में जुड़े हैं, पांचवें चरण के मतदान में इसलिए सर आपसे पहला सवाल ये कहूंगा प्रधानमंत्री जी कि पहले चरण के मतदान से लेकर पांचवें चरण तक आप चिलचिलाती गर्मी से घूमते हुए तमिलनाडु के घाटों से असम के चाय बागानों से अरुणाचल के पहाड़ों से रेगिस्तान से और मैं कहूंगा महाराष्ट्र की औद्योगिक नगरों से केरल के गांव तक ये समझना चाहता हूं सर आपके अंदर वो एनर्जी क्या आती है? मेरे अंदर क्यूरियोसिटी ये रहती है कि क्या वो प्रोटीन मिल्कशेक है? क्या वो प्रोटीन सप्लीमेंट है? इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक है? रेड बुल है? कोका-कोला है? कैफीन है? जब हम अपने दादा और परदादा को और पिता को देखते हैं वो एनर्जी शायद उनमें भी ना हो जितनी आप में है और युवा में भी ना हो वो एनर्जी क्यों है? उसका राज क्या है? क्या परहेज करते हैं?

पीएम मोदी: पहली बात है कि एक तो मैं कोई गोली नहीं खाता, गालियां जरूर खाता हूं और हो सकता है कि शायद हर गाली मेरा जो संकल्प है उसे मजबूती देने का काम करती है। आपने सही कहा मैं देश के कोने- कोने में घूम रहा हूं लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा क्योंकि अब लोग मुझे टीवी पर देखते हैं कि मैं इधर था उधर था यहां गया वहां गया लेकिन शायद मेरा 50-55 साल का ये जीवन जो है वो परिव्राजक रहा है एक घुमंतू जिसको कहे ऐसा ही रहा है तो मैं इन सब चीजों से आदी हूं कुछ लोगों का तो ऐसा रहता है कि भाई अगर एक बिस्तर से दूसरे बिस्तर पर सोना पड़े तो नींद नहीं आती मेरे लिए कुछ ऐसा है ही नहीं, मेरा शरीर मेरा इतना थक जाता है मैं जहां भी रात को जगह मिल जाए मैं सो सकता हूं तो हो सकता है दूसरा मेरा जो पारिवारिक पृष्ठभूमि है, मेरा जो लालन- पालन हुआ है उसमें तो ऐसा कुछ नहीं था जो आज दुनिया मुझे देख रही है आप अपने गांव का कोई भी गरीब परिवार देख लीजिए और फिर सोचिए कि यहां से यहां से क्या- क्या हो सकता है तो कहीं ना कहीं जाकर आप अटक जाएंगे मैं तो कभी कहता था कि मैं ऐसे बैकग्राउंड से हूं अगर मैं स्कूल में टीचर बन जाता तो शायद मेरी मां अड़ोस- पड़ोस में सबको गुड़ खिलाती क्योंकि मेरा जीवन वैसा ही था शायद परमात्मा की ही कोई इच्छा है, शायद ईश्वर ने ही मुझे किसी काम के लिए भेजा है, किसी परपज के लिए भेजा है और ईश्वर ही मुझसे सब कुछ करवाता है, वही दौड़ाता है, वही पद देता है प्रतिष्ठा देता है, वही परिणाम भी देता है और मैं ईश्वर के दो रूप देखता हूं, एक साकार, एक निराकार जो 140 करोड़ देशवासी हैं उनको मैं परमात्मा का रूप मानता हूं तो वो मेरे लिए साकार ईश्वर का रूप है जिसका मैं नित्य पूजा करने वाला व्यक्ति हूं और दूसरा एक निराकार रूप है जिसको ना मैंने देखा है ना कोई देखने वाला मुझे मिला है लेकिन मेरी उसमें अपार श्रद्धा रही है शायद ईश्वर ने ही मुझे ये संकेत दिया है तुम निराकार रूप को खोजने में अपना समय बर्बाद मत करो ये साकार रूप जो ईश्वर का है तुम उसी में खप जाओ, निराकार तेरे साथ रहेगा।

सवाल: आप महादेव के बड़े भक्त हैं मैंने आपका करियर बड़ा फॉलो किया करीबी से केदारनाथ हो 2019 में तपस्या आपने इतनी की यहां पर आपने काशी विश्वनाथ या उज्जैन महाकाल मैं ये समझना चाहता हूं कि महादेव की वो क्या चीज है जो आपको आकर्षित करती है उनकी तरफ भगवान शिव की भक्ति में कहा जाता है महादेव तो देवों के देव हैं पर आपको क्या वो आकर्षित करते हैं महादेव?

पीएम मोदी: ये बात सही है कि मैं चाहे कैलाश मानसरोवर हो, बदरीनाथ- केदारनाथ हो हिंदुस्तान में ये मेरा पूर्व जीवन है उस चीज में ये चीजें ही मेरे जीवन में मैं उसी में ही डूबा हुआ था किसी कारणवश में फिर से ये कपड़े भी पहनने लगा और वापस लौटा। मैं परमात्मा के गुण और अवगुण की चर्चा करने की तो योग्यता मुझ में नहीं है, उनके कोई गुण देख कर के मैं काम कर रहा हूं ये तो मेरे सामर्थ्य के बाहर का है मेरा अभी भी मत है कि शायद परमात्मा को जो अच्छा लगता है वो मुझसे करवाता है और जो मुझे करवाता है वो मुझे अच्छा लगता है लेकिन कभी-कभी मैं देखता हूं कि दुनिया के, ब्रह्मांड के सर्वशक्तिमान लोग भी जिसके सामने सिर झुकाते हैं वो आपको विरक्त नजर आता है, पूरी तरह विरक्त है ना उसके शरीर पर कपड़े हैं, ना उसपर आभूषण है, ना कोई महल है, ना कोई गादी है कुछ नहीं है वो पहाड़ों में ऐसे ही गुजारा करके.. विरक्त जीवन है शायद शिव जी का विरक्त जीवन ही है जिसने मुझे आदेश दिया है कि तुम्हें विरक्त रहना है और मैं भी व्यवस्थाओं के तहत कहीं पर भी हूं मेरा शरीर किसी न किसी सांचे में ढलता होगा लेकिन मैं मन से, आत्मा से बड़ा विरक्त हूं और शायद शिवजी ने ही मुझे इस प्रकार से जीने का आदेश दिया है

सवाल: सर, आप अक्सर अपनी मां को लेकर हीरा बहन जी के बारे में सोचकर बड़े भावुक हो जाते हैं मैं भी अपनी मां से बड़ा जुड़ा हुआ रहा हूं और हर जो पुत्र होता है वो मां से हमेशा जुड़ा रहता है ये समझना चाहता हूं कि मेरे जैसे बेटे अक्सर ये सोचते हैं कि कभी ना कभी मां का जो एक डांट होती है वो थप्पड़ होता है वो हमें जीवन में बड़ा संकल्प लेने के लिए मजबूर कर देता है और सही मार्ग पर लेकर जाता है आपकी लाइफ में भी वो मोमेंट्स आए कभी जब मां ने डांटा हो और मां ने सही मार्ग का मार्गदर्शन किया हो?

पीएम मोदी: वैसा तो कोई मुझे स्मरण नहीं है क्योंकि मैं बहुत छोटी आयु मैं घर छोड़कर चला गया था जिसको कहे कि कुछ समझ आने लगी और कुछ हुआ हो ऐसा तो कुछ मुझे ध्यान नहीं आ रहा है। इतना मैं जरूर कहता हूं कि वो मेरे कुछ 17- 18 साल की उम्र के पहले ही समझ लीजिए 13- 14 साल से लेकर के 17- 18 साल तक मैं अपने शरीर पर प्रयोग बहुत करता था जैसे कभी मैंने तय किया कि मैं नमक नहीं खाऊंगा तो मां बड़ी परेशान हो जाती थी पर कभी वो नहीं कहती थी कि भाई तुम्हारी इच्छा है तो ये नहीं चलेगा चल मैं नमक वाला बनाऊंगी.. बनाऊंगी ऐसा नहीं करती थी, कभी ठंड में खुले में रात गुजारना तो रात में आकर कभी- कभी देखती थी कि बाहर ठंड में बैठा है लेकिन डांटती नहीं थी हो सकता है उनको कोई अंदाजा हो कि भाई इसका जीवन कुछ अलग है। एक बार ऐसा हुआ कि शायद हमारी एक मौसी की शादी थी अब कोई भी बच्चा होता है जो मामा के घर जाना उसको बहुत अच्छा लगता है और उसमें भी मौसी की शादी जरा ज्यादा, मैं बहुत छोटा था तो मेरे घर के बगल में एक शिव जी का मंदिर है तो वहां एक संन्यासी साधना कर रहे थे बड़े तपस्वी थे तो मेरा थोड़ा उनसे परिचय बढ़ गया आयु तो मेरी छोटी थी लेकिन अब वो उनसे मैं अपने हाथ पर वो जवारा उगाते हैं तो पूरे शरीर पर जवारा उगाया था उनका एक व्रत चल रहा था तो वो हिल-डुल नहीं सकते थे उनकी मुंडी सिर्फ बाहर होती थी तो मैंने परिवार से कहा कि मैं मामा के घर नहीं आऊंगा, मैं शादी में नहीं आऊंगा, मैं इन स्वामी जी की सेवा करना चाहता हूं अब ये बड़ा अजूबा था कि उतनी छोटी आयु और कोई मामा- मौसी के यहां शादी में नहीं जा रहा है तो परिवार को थोड़ा दुख हुआ, मां को चिंता हुई लेकिन शायद मां जानती थी शायद उसको कुछ ऐसा संदेश था, संकेत था तो उन्होंने परिवार के सबको कहा कि नहीं, नहीं उसको रहने दीजिए तो फिर उन्होंने कहा कि भाई खाने के लिए क्या करोगे? मैंने कहा मैं स्वामी जी को मुझे चम्मच से खिलाना होता है उनकी सेवा करूंगा जो मिलेगा खा लूंगा तो इतनी छोटी आयु में ऐसी हरकतें इसके बाद भी मां ने कभी डांटा नहीं शायद उसको दर्द होता होगा लेकिन वो बताती नहीं थीं।

सवाल: सर, आपने कभी सीएम और पीएम के रूप में अपने परिवार को मैंने देखा कभी लाभ पहुंचाने की अनुमति नहीं दी। मैंने इतने सालों से कई बारी मैं आपको बताऊं मैं 2017 के चुनाव उत्तर प्रदेश में बनारस के घाटों पर आपके भाई से भी मिला सोम मोदी जी से लेकिन कभी भी मुझे ये एहसास नहीं हुआ अगर मैं बाकी परिवारों को देखूं सपा, कांग्रेस, आरजेडी इन सब लोगों ने सिर्फ अपने परिवारों के लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए सबसे बड़ा यहां तक कि अभी पीछे जब मैंने अखिलेश यादव जी का इंटरव्यू किया तो उन्होंने मुझे मुंह पर कहा कि मैं तो चाहता हूं कि भाजपा भी अपने परिवारों को टिकट दे और परिवारों को लाभ दे डंके की चोट पर जब मैंने सवाल पूछा कि डिंपल यादव, अखिलेश यादव, अक्षय यादव, तेजस्वी यादव की बहन मीसा यादव हर कोई चुनाव लड़ रहा है तो मैं बड़ा हैरान रह जाता हूं कि प्रधानमंत्री आप ऐसे कैसे हो सकते हैं कि आपने कभी ये सोचा ही नहीं कि कोई लाभ मैं अपनी फैमिली मेंबर को भी पहुंचाऊ और आपने ये संकल्प दृढ़ निश्चय भाजपा में भी बाकी लोगों के साथ में भी रखा इट्स वेरी डिफिकल्ट कि ऐसे स्वभाव के व्यक्ति पॉलिटिक्स में होते हैं तो कितना वो आपके लिए मुश्किल था, कठिन था इस चीज को फॉलो करना?

पीएम मोदी: ये आपकी जानकारी सही नहीं है, मैंने मेरे परिवार को बहुत लाभ पहुंचाया है अनगिनत लाभ पहुंचाया है उसकी तरफ लोगों का ध्यान नहीं है जैसे मैंने 11 करोड़ टॉयलेट बनाए वो मेरे परिवारजन हैं। मैंने चार करोड़ गरीबों के लिए घर बनाया, मेरे परिवार हैं। मैंने 50 करोड़ लोगों के जनधन के बैंक अकाउंट खुलवाए, वो मेरे परिवारजन हैं। मैंने आयुष्मान कार्ड से लाखों माताएं, लाखों बुजुर्गों उनका उपचार करवाया, ये मेरे परिवारजन हैं और इसलिए मैं भी मेरे परिवार के लिए ही जीता हूं क्योंकि मेरा भारत ही, मेरा परिवार है। जहां तक दूसरा सवाल है जो बायोलॉजिकल मेरा परिवार जिसको आप कहे एक तो मैं बहुत छोटी आयु में घर छोड़ चुका था, मैं पहले से ही कट ऑफ रहा, दूसरा मेरे परिवार को मेरी मां ने ऐसे संस्कार दिए हैं कि जिसमें पद- प्रतिष्ठा के लिए उनको लगता था मेरी मां कहती थी कि हम लोग ऐसा कुछ ना करे कि उसकी साधना में रुकावट हो वैसे साधना ही है तो अब जैसे मैं गांधीनगर में रहता था मुख्यमंत्री था मेरा एक छोटा भाई सरकार में नौकरी करता था और जिस डिपार्टमेंट में वो नौकरी करता था, मैं उसी डिपार्टमेंट का मिनिस्टर भी था मुख्यमंत्री के नाते लेकिन मेरे 13 साल के कार्यकाल में उसने कभी मेरा चेंबर नहीं देखा था, कभी आया नहीं था, सरकार में भी लोगों को पता नहीं था कि ये मेरा भाई है, मेरी मां वहां रहती थी मां के पास जब जाता था तो लोगों को पता चलने लगा तो मां को मैंने एक बार कहा कि मां कभी- कभी पास में ही हूं एक दो- किलोमीटर दूरी पर हूं आ करके रहो ना उन्होंने कहा भाई मैं तो रह सकती हूं मुझे तो कुछ है नहीं लेकिन तेरा काम डिस्टर्ब होगा, तेरा समय मेरे पीछे बर्बाद होगा तो ये जो शायद मेरे परिवार में संस्कार जो मिले आज भी मेरा परिवार बहुत लोग हैं जो गरीबी में जीते हैं कोई पेट्रोल पंप पर शायद वो पेट्रोल भरने का काम करता है मेरा एक भाई तो दूसरी तरफ मुझे बहुत सुनना भी पड़ता है लोगों से कि भाई ऐसे कैसे इंसान हो कोई परवाह ही नहीं करते हो ऐसा सुनना पड़ता है तो मैं सोचता हूं चलो भाई ये भी एक पहलू है।

सवाल: प्रधानमंत्री जी चुनाव के दौरान आईपीएल देखना या दिमाग को तरोताजा करने के लिए किशोर कुमार या लता के गाने सुनने का मौका मिला आखिरी बार आपने टीवी पर कोई फिल्म या सिनेमा हॉल जाकर कभी कोई फिल्म देखी?

पीएम मोदी: नहीं मुझे वो सौभाग्य नहीं मिला है जब गुजरात में था तब शायद एक- दो किसी इवेंट के कारण मुझे जाना पड़ा था और वो भी उन कलाकारों के सम्मान के कारण मैं गया था मेरी अपनी कोई प्रकृति, प्रवृत्ति पिछले 40- 50 साल से इस प्रकार की रही नहीं..

सवाल: किशोर, लता के गाने पर भी नहीं

पीएम मोदी: नहीं गाना- वाना छोड़ दीजिए मेरी वो कोई प्रायोरिटी नहीं, ना ही मेरे पास इतना समय है मैं जब लोगों को मिलता हूं तो मैं उस पल को जीता हूं, मैं सिर्फ एक रोबोटिक की तरह किसी को मैं हाथ नहीं मिलाता हूं मैं उस पल को जीता हूं जैसे मान लीजिए एक कमरा बंद है और उसमें एक छेद किया जाए और किसी का हाथ बाहर किया जाए और आपको कहा जाए हाथ मिलाओ तो आपको वो ऊष्मा कुछ अनुभव नहीं होगा आपको लगेगा ये एक डेड बॉडी है, हाथ लटक रहा है मैं हाथ मिलाकर जा रहा हूं लेकिन कोई कहेगा कि नहीं अंदर फलाने- फलाने वीआईपी हैं उनका हाथ है तो दिखता नहीं फिर भी आपके मन में ऊर्जा हो जाती, मैं जब किसी भी नागरिकों से मिलता हूं भले पांच सेकेंड के लिए मिलता हूं मैं जी भर के मिलता हूं मैं कोशिश करता हूं शायद ईश्वर का रूप कोई हो इस रूप में आया हो तो मैं इसको बड़े सम्मान और भाव से जीता हूं और जब आप प्रतिपल जीते हैं तो प्राण शक्ति अपने आप आपको प्रेरित करती रहती है।

सवाल: सर, एक अहम सवाल ये है कि विपक्ष का कहना है कि आपके ही निर्देश पर उनके नेताओं को ईडी और सीबीआई गिरफ्तार कर रही है चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री हो या झारखंड के हो तो ये जो बार-बार एक एलिगेशंस लगते हैं ये किस लिए हैं कि ईडी और सीबीआई सर की आज इंडिपेंडेंट नहीं हैं या आपको लगता है कि पॉलिटिकल प्रेशर उन पर है उसके कारण ही ये ऑपरेट करते हैं?

पीएम मोदी: मुझे अगर कोई कहे ईडी में पहले पांच अफसरों के नाम बताओ मुझे वो भी मालूम नहीं है ये मेरा काम नहीं है, मेरा काम है सरकार के निर्देश क्या होंगे? सरकार की दिशा क्या होगी? सरकार की प्रायोरिटी क्या होगी? अब 2014 में, मैं देश की जनता को जो मेरा 13- 14 के जो कैंपेन हैं उसके केंद्र बिंदु में करप्शन था और मैंने देश को कहा था कि मेरी करप्शन के खिलाफ लड़ाई है, करप्शन के प्रति मेरा जीरो टॉलरेंस है अब कोई मुझे बताए मैं जनता- जनार्दन ने जिस मुद्दे पर मुझे आशीर्वाद दिया है, जिस मुद्दे पर जनता ने मुझे इस काम के लिए बिठाया है, क्या मैं जनता के साथ धोखा करूं तो ये मेरा कमिटमेंट था आकर के मैंने सभी विभागों को निर्देश दिया कि करप्शन के प्रति मेरा जीरो टॉलरेंस है उसमें हमारे एक स्वयं के आचार जैसे मेरे लिए कहा जाता है पहले दिल्ली की फाइव स्टार होटल भरी रहती थी क्यों तो दलाल राजनीति के गलियारों में घूमते थे एक साल में ये बात शुरू हो गई यार दलालों के लिए तो गलियारों में कोई जगह नहीं तो एक के बाद एक में कदम उठाता गया फिर मैं बहुत बड़ी मात्रा में टेक्नोलॉजी लाया ताकि ट्रांसपेरेंसी आए जैसे मेरा जैम पोर्टल होगा या मेरा जैम ट्रिनिटी होगा, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर होगा, लाखों- करोड़ों रुपये मैंने देश का बचाया है, भ्रष्टाचार को रोकने के दो तरीके होते हैं। टेंडर प्रक्रिया को मैंने पूरी तरह ट्रांसफर कर दिया, ये कोयला वगैरह जो मैंने ऑक्शन पब्लिकली करना शुरू किया तो एक तो करप्शन के खिलाफ मेरी जो व्यवस्था वर्तमान है उसमें करप्शन को दूर रखा जाए, घुसने ना पाए एक काम। दूसरा जो पहले करप्शन हुआ है उसका डर होना चाहिए तभी जाकर नए लोग करप्शन ना करें सचमुच में मुझे किसी को परेशान नहीं करना है और ना ही मेरी सरकार किसी को परेशान करना चाहती है अगर एक बलात्कारी को फांसी होती है तो 50 बलात्कारी की मानसिकता वाले रुक जाते हैं कभी-कभी कठोर सजा, कठोर कदम भविष्य की बीमारियों से बचने के लिए भी होते हैं तो पुराने और ज्यादातर केस वो है जो यूपीए के जमाने में कागज पर लिखे गए थे, नाम मात्र की एफआईआर करके पॉलिटिकली किया।

सवाल: प्रधानमंत्री मैं अभी आपको बता दूं कि मैंने 2009 से 14 में चाहे वो चंडीगढ़ में रेलवे स्कैम हो या वीरभद्र सिंह का एप्पल गेट हो या बाकी स्कैम हो 2जी स्कैम हो, अगस्ता वेस्टलैंड हो हमने वो पत्रकार की बुलंदी आवाज से वो स्कैम्स खोले लेकिन हमारे खिलाफ में भी मुकदमे लगाए गए..

पीएम मोदी: तो मामले तो पुराने हैं, रजिस्टर हो चुके हैं मैंने जब आकर के पब्लिकली कहा कि मेरा करप्शन के प्रति जीरो टॉलरेंस है इसका मतलब हुआ कि सभी डिपार्टमेंट को रिलीजियसली उसको फॉलो करना चाहिए और मैं गवर्नेंस क्या होता है जानता हूं मुझे ईडी वालों को मिलने की जरूरत नहीं है, मुझे ईडी वालों को सूचना देने की जरूरत नहीं है मुझे मिस्टर ए, मिस्टर बी, मिस्टर सी करने की जरूरत नहीं है मेरा काम है कि करप्शन के खिलाफ काम हो। दूसरा देश की जनता को कोई मूर्ख नहीं बना सकता जब आप नोटों के पहाड़ देख रहे हो नोट गिनने वाले मशीन थक रहे हैं किसी ने किसी ने तो चोरी की है, किसी के तो हक को मारा है और जब इतने लोग पकड़े जा रहे हैं सचमुच में देश में अगर जैसा अपोजिशन कह रहा है कि ईडी कर रहा है तो मैं तो मानता हूं ईडी की भरपूर सम्मान होने चाहिए, हिंदुस्तान के बड़े से बड़े सम्मान ईडी को मिलने चाहिए ये चोरी पकड़ रहे हैं ये उसको गाली दे रहे हैं इसका मतलब जैसे किसी ने गुनाह किया और किसी न्यायाधीश ने उसको सजा दी और बाद में जाकर को न्यायाधीश की हत्या कर दे ये कैसे चल सकता है?

सवाल: सर, लास्ट सवाल मैं खत्म करूंगा कि मैं अमेठी के जायस से यूपी के बलिया तक उन गांवों तक गया जहां पर आपने योजनाएं लॉन्च की उज्ज्वला, उजाला मैं बड़ा देख के हैरान रह जाता था कि गैस के कनेक्शन आप सोचिए बलिया में मंगल पांडे के घर में गया पांचवीं चरण की पीढ़ी ने मुझे बोला कि यहां पर बिजली आ गई है गैस का कनेक्शन जब आपने उज्ज्वला और उजाला लॉन्च की 2016 में, जैसे- जैसे शहर में पद्मावती के शहर में मैंने अमेठी में जाकर मुसलमानों के घर में देखा प्रधानमंत्री आवास योजना बाहर लिखी हुई ये खुद मैंने 2019 में कवर किया, इन स्कीमों के बावजूद भी मैं आपसे सिर्फ आज ये समझना चाहता हूं 2024 में आपका जो सक्सेस रेट है अगर मैं इन स्कीम्स को हटा दूं आपने इतनी बड़ी जीत हासिल की 2019 में इन स्कीम्स के मुताबिक घर-घर में जा- जाकर वो स्कीम्स घुसी थी उज्ज्वला, उजाला, प्रधानमंत्री आवास योजना आज आपसे पूछना चाहता हूं कि इनके अलावा भी कोई है जिसके कारण आप जीत रहे हैं क्योंकि जो सर्वेज आ रहे हैं आप चार चरण के बाद ही मेजॉरिटी क्रॉस कर चुके हैं सिर्फ ये समझना चाहता हूं कि वो स्कीम्स कौन सी है जहां से आपको संतुष्टि मिल रही है जिसके कारण आप ये इतना जीत प्रचंड बहुमत ला रहे हैं?

पीएम मोदी: लास्ट माइल डिलीवरी, ये मेरी सबसे बड़ी विशेषता है हिंदुस्तान में सरकारों का कैरेक्टर क्या रहा ये मीडिया के भरोसे जीते थे राजनेता, उनका दाना पानी सब मीडिया वाले देते थे वो सुबह अखबार खोल करके देखते थे मेरा 6 सेंटीमीटर छपा है कि 16 सेंटीमीटर छपा है। पहले पेज पर है कि तीसरे पेज पर है और फिर मीडिया वालों को फोन करते यार देखो क्या हुआ तो सारा खेल वही चला मैंने इस पूरे चरित्र को बदला है वो आज से नहीं गुजरात में तब से मेरा कहना ये है कि भाई सरकार का काम फाइल पर साइन करना, फीते काटना, दिए जलाना, फोटो निकालना, इतना नहीं है सरकार का काम है जो चीज आपने तय की है तो उसको ऐसे तय करो ताकि कम से कम कमियां हो, कम से कम गलतियां हो जो तय करो उसके लिए समय सीमा तय करो, रोड मैप तय करो मैं इन चीजों में लगा रहता हूं जैसे मुझे याद है मैं नया- नया प्रधानमंत्री बना और मैंने जनधन अकाउंट खोलने के लिए कहा तो ढेर सारी मेरे सामने मुसीबतें आईं, मैं हर हफ्ते 30- 40 अफसर की मीटिंग लेना शुरू कर दिया, मैंने बैंकों को फोन करना शुरू किया डेली रिपोर्ट लेने लगा कि आज कितने अकाउंट खुले आप गरीब के घर गए थे कि नहीं तब जाकर के 50 करोड़ अकाउंट खुले आजादी के 60- 70 साल तक बैंक में 50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के खाते नहीं खुले थे गरीबों के नाम पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था लेकिन वो बैंक में गरीब का नामो निशान नहीं था तो मुझे चुभता था जब मैंने जनधन अकाउंट तो भारत सरकार में बैठे हुए लोगों ने मेरे काम को देखा यार तो अलग काम करता है ये फीते काटता नहीं है, एडवरटाइजमेंट नहीं करता, 50 करोड़ जनधन अकाउंट फिर धीरे-धीरे उनको समझ आया कि काम करना पड़ेगा मैं खुद भी करता हूं मॉनिटर करता हूं, दूसरा मैं दिल्ली से सरकार नहीं चलाता मैं हिंदुस्तान के अलग-अलग इलाकों में जाकर के सरकार चलाता हूं और उसके कारण दूसरा आपने देखा होगा मैं पिछले 10 साल से फ्राइडे, सैटरडे, संडे हिंदुस्तान के किसी ना किसी कोने में जाता हूं, टूर करता हूं और लोगों को मैं हर छोटी-छोटी चीज के लिए उनकी बारीकियों को जानने की, समझने की कोशिश करता हूं। मैं जानता हूं सरकारी व्यवस्था में एक आदमी के लिए इतनी मेहनत क्यों की जाए, दूसरा जो लोग मुझे पूछते हैं मोदी जी इतनी मेहनत क्यों करते हो मुझे बहुत बड़े सीनियर लीडर ने कहा था मोदी जी जिंदगी में प्रधानमंत्री बनना बहुत बड़ी बात होती है एक बार बन गए क्या लगे रहते हो, मैं किसी पद पर शोभा बढ़ाने के लिए नहीं बैठा हूं।

सवाल: सर, आपका समय कम है आज श्रावस्ती में और बस्ती में दोनों जगह पर रैली भी है, फॉलो कर रहे हैं हम आपको..

पीएम मोदी: उसके बाद दिल्ली में भी है..

सवाल: उसके बाद दिल्ली में भी है और मैं छठे चरण और सातवें चरण में दोनों में फॉलो कर रहा हूं। यूपी और बिहार आप देखते रहिए सर न्यू इंडियन भी और शो दैट यू हैव सीन सम ऑफ आवर न्यू वीडियोज एंड स्टोरीज एज वेल बहुत-बहुत धन्यवाद सर इट्स अ प्रिविलेज कि आज आपने हमें समय दिया..

पीएम मोदी: नमस्कार, आपके डिजिटल दुनिया के आपके जो साथी हैं और मैं मानता हूं ये यंग जनरेशन है, हो सकता है इन यंग जनरेशन को ये आत्मा- परमात्मा वाली बातें कितनी अच्छी लगेगी मुझे मालूम नहीं है।

सवाल: मुझे तो बहुत अच्छी लगी आपसे बात करनी मेरे लिए..

पीएम मोदी: ..लेकिन कुछ ऐसी बातें थीं शायद ये चुनाव की आपाधापी के बाहर की थी

 सवाल: सर, मेरे अंदर तो क्यूरोसिटी थी आपका ये स्वभाव जानना इसलिए सवाल किए..

पीएम मोदी: मुझे अच्छा लगा, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!