Quote''अमृत काळ आपल्याला सामर्थ्यशाली, विकसित आणि सर्वसमावेशक भारताच्या दिशेने काम करण्याची संधी देतो”
Quote“प्रत्येक माध्यम समूहाने स्वच्छ भारत अभियान प्रामाणिकपणे हाती घेतले. ”
Quote"योग, तंदुरुस्ती आणि बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान लोकप्रिय करण्यासाठी प्रसारमाध्यमांनी अतिशय प्रोत्साहक भूमिका बजावली आहे"
Quote"भारतातील प्रतिभावान तरुणांच्या बळावर, आपला देश आत्मनिर्भरता किंवा स्वयंपूर्णतेकडे वाटचाल करत आहे”
Quote"आपल्या प्रयत्नांचे मार्गदर्शक तत्व म्हणजे भविष्यातील पिढ्या सध्याच्या पिढीपेक्षा उत्तम जीवनशैलीचे जीवन जगतील हे सुनिश्चित करणे"

पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी आज दूरदृश्य प्रणालीच्या माध्यमातून  मातृभूमी या मल्याळी दैनिकाच्या शतकमहोत्सवी वर्षानिमित्त आयोजित सोहळ्याचे उद्‌घाटन केले.

या वृत्तपत्राच्या प्रवासातील सर्व प्रमुख व्यक्तींना पंतप्रधानांनी आदरांजली  वाहिली. महात्मा गांधींच्या आदर्शांनी प्रेरित होऊन, भारताच्या स्वातंत्र्यलढ्याला बळ देण्यासाठी मातृभूमीचा जन्म झाला”, असे ते म्हणाले. वसाहतवादी राजवटीविरुद्ध  आपल्या देशातील लोकांना  एकत्र आणण्यासाठी भारतभर स्थापन झालेली वृत्तपत्रे आणि नियतकालिकांच्या गौरवशाली परंपरेत त्यांनी या प्रकाशनाला स्थान दिले.भारताच्या स्वातंत्र्य लढ्याच्या  कार्यात वृत्तपत्रांचा वापर करणाऱ्या लोकमान्य टिळक, महात्मा गांधी, गोपाळ कृष्ण गोखले, श्यामजी कृष्ण वर्मा आणि इतरांची उदाहरणे त्यांनी दिली. आणीबाणीच्या काळात भारताची  लोकशाही मूल्य अबाधित ठेवण्यासाठी  एम.पी. वीरेंद्र कुमार यांच्या प्रयत्नांचे त्यांनी विशेष स्मरण केले.

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स्वराज्यासाठीच्या  स्वातंत्र्यलढ्यात आपल्या   प्राणांची आहुती देण्याची संधी आपल्याला मिळाली नाही " मात्र , हा अमृत काळ आपल्याला  सामर्थ्यशाली , विकसित आणि सर्वसमावेशक भारतासाठी  कार्य करण्याची संधी देतो", असे ते पंतप्रधान  म्हणाले. नव्या भारताच्या  अभियानावर  माध्यमांचा असलेला सकारात्मक प्रभाव त्यांनी विशद केला.  स्वच्छ भारत अभियानाचे उदाहरण देत त्यांनी सांगितले की, प्रत्येक माध्यम समूहाने  हे अभियान  प्रामाणिकपणे हाती घेतले.त्याचप्रमाणे योग, तंदुरुस्ती आणि बेटी बचाओ बेटी पढाओ या अभियानांना  लोकप्रिय करण्यासाठी प्रसारमाध्यमांनी अतिशय प्रोत्साहक  भूमिका बजावली आहे.“हे राजकारण आणि राजकीय पक्षांच्या पलीकडील विषय आहेत. हे विषय येत्या काही वर्षात एक चांगले राष्ट्र बनवणार आहेत”,असे ते म्हणाले.

स्वातंत्र्य संग्रामातील कमी ज्ञात घटना आणि दुर्लक्षित राहिलेले स्वातंत्र्यसैनिक तसेच  स्वातंत्र्यलढ्याशी संबंधित ठिकाणांना अधोरेखित करण्याच्या प्रयत्नांना प्रसारमाध्यमे चालना देऊ शकतात असे पंतप्रधानांनी यावेळी सुचवले. याचप्रमाणे,  प्रसारमाध्यमांशी संबंधित नसलेल्या उदयोन्मुख  लेखकांना व्यासपीठ प्रदान करण्यासाठी आणि ज्या भागात प्रादेशिक भाषा  बोलल्या जात नाहीत अशा  भागात या भाषांचा  प्रचार करण्याच्या दृष्टीने, वृत्तपत्र  हा एक उत्तम मार्ग असू शकतो असे त्यांनी सांगितले.

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आजच्या काळात आणि युगात भारताकडून असलेल्या जगाच्या अपेक्षांबद्दल बोलताना,पंतप्रधान म्हणाले की, महामारीचा सामना करण्यात भारत असमर्थ ठरेल या सुरुवातीच्या अंदाजांना भारताने खोटे  ठरवले आहे. दोन वर्षांत 80 कोटी लोकांना विनामूल्य शिधा मिळाला .लसींच्या 180 कोटी मात्रा देण्यात आल्या आहेत, अशी माहिती त्यांनी दिली.“भारतातील प्रतिभावान तरुणांच्या बळावर, आपला देश आत्मनिर्भरता किंवा स्वयंपूर्णतेकडे  वाटचाल करत आहे. भारताला देशांतर्गत आणि जागतिक गरजा भागवणारे आर्थिक शक्ती  केंद्र  बनवणे हा या तत्त्वाचा गाभा आहे,” असे  पंतप्रधान म्हणाले. अभूतपूर्व सुधारणा आणल्यामुळे आर्थिक प्रगतीला चालना मिळेल. स्थानिक उद्योगांना प्रोत्साहन देण्यासाठी उत्पादन संलग्न प्रोत्साहन योजना विविध क्षेत्रांमध्ये सुरू करण्यात आल्या. भारताचे  स्टार्ट-अप कार्यक्षेत्र यापूर्वी  कधीच इतक्या मोठ्या प्रमाणात उत्साहपूर्ण नव्हते , असेही ते म्हणाले. गेल्या 4 वर्षांत, युपीआय  व्यवहारांची संख्या 70 पटीने वाढली आहे. राष्ट्रीय पायाभूत सुविधा पाइपलाइनवर 110 लाख कोटी रुपये खर्च केले जात आहेत. पीएम गतिशक्ती पायाभूत सुविधा निर्मिती आणि प्रशासन अधिक सुलभ  करणार आहे, अशी माहिती  मोदी यांनी दिली. आम्ही भारतातील प्रत्येक गावात हाय-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिव्हिटी सुनिश्चित करण्यासाठी सक्रियपणे काम करत आहोत. येणाऱ्या  पिढ्यांनी सध्याच्या पिढीपेक्षा  चांगली जीवनशैली जगावी हे आमच्या प्रयत्नांचे मार्गदर्शक तत्व आहे,”  असे त्यांनी सांगितले.

 

 

 

 

 

 

 

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Mahakumbh has strengthened the spirit of ‘Ek Bharat, Shreshtha Bharat’ by uniting people from every region, language, and community: PM Modi
March 18, 2025

माननीय अध्यक्ष जी,

मैं प्रयागराज में हुए महाकुंभ पर वक्तव्य देने के लिए उपस्थित हुआ हूं। आज मैं इस सदन के माध्यम से कोटि-कोटि देशवासियों को नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं सरकार के, समाज के, सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देशभर के श्रद्धालुओं को, यूपी की जनता विशेष तौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।

अध्यक्ष जी,

हम सब जानते हैं गंगा जी को धरती पर लाने के लिए एक भागीरथ प्रयास लगा था। वैसा ही महाप्रयास इस महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने देखा है। मैंने लालकिले से सबका प्रयास के महत्व पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए। सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है। यह जनता-जनार्दन का, जनता-जनार्दन के संकल्पों के लिए, जनता-जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

महाकुंभ में हमने हमारी राष्ट्रीय चेतना के जागरण के विराट दर्शन किए हैं। यह जो राष्ट्रीय चेतना है, यह जो राष्ट्र को नए संकल्पों की तरफ ले जाती है, यह नए संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरित करती है। महाकुंभ ने उन शंकाओं-आशंकाओं को भी उचित जवाब दिया है, जो हमारे सामर्थ्य को लेकर कुछ लोगों के मन में रहती है।

अध्यक्ष जी,

पिछले वर्ष अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हम सभी ने यह महसूस किया था कि कैसे देश अगले 1000 वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक 1 साल बाद महाकुंभ के इस आयोजन ने हम सभी के इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की यह सामूहिक चेतना देश का सामर्थ्य बताती है। किसी भी राष्ट्र के जीवन में, मानव जीवन के इतिहास में भी अनेक ऐसे मोड़ आते हैं, जो सदियों के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। हमारे देश के इतिहास में भी ऐसे पल आए हैं, जिन्होंने देश को नई दिशा दी, देश को झंकझोर कर जागृत कर दिया। जैसे भक्ति आंदोलन के कालखंड में हमने देखा कैसे देश के कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी। स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में एक सदी पहले जो भाषण दिया, वह भारत की आध्यात्मिक चेतना का जयघोष था, उसने भारतीयों के आत्मसम्मान को जगा दिया था। हमारी आजादी के आंदोलन में भी अनेक ऐसे पड़ाव आए हैं। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हो, वीर भगत सिंह की शहादत का समय हो, नेताजी सुभाष बाबू का दिल्ली चलो का जयघोष हो, गांधी जी का दांडी मार्च हो, ऐसे ही पड़ावों से प्रेरणा पाकर भारत ने आजादी हासिल की। मैं प्रयागराज महाकुंभ को भी ऐसे ही एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं, जिसमें जागृत होते हुए देश का प्रतिबिंब नजर आता है।

अध्यक्ष जी,

हमने करीब डेढ़ महीने तक भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग को अनुभव किया। कैसे सुविधा-असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए, कोटि-कोटि श्रद्धालु, श्रद्धा-भाव से जुटे यह हमारी बहुत बड़ी ताकत है। लेकिन यह उमंग, यह उत्साह सिर्फ यही तक सीमित नहीं था। बीते हफ्ते मैं मॉरीशस में था, मैं त्रिवेणी से, प्रयागराज से महाकुंभ के समय का पावन जल लेकर गया था। जब उस पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तालाब में अर्पित किया गया, तो वहां जो श्रद्धा का, आस्था का, उत्सव का, माहौल था, वह देखते ही बनता था। यह दिखाता है कि आज हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों को आत्मसात करने की, उन्हें सेलिब्रेट करने की भावना कितनी प्रबल हो रही है।

अध्यक्ष जी,

मैं ये भी देख रहा हूं कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों के आगे बढ़ने का जो क्रम है, वह भी कितनी सहजता से आगे बढ़ रहा है। आप देखिए, जो हमारी मॉडर्न युवा पीढ़ी है, ये कितने श्रद्धा-भाव से महाकुंभ से जुड़े रहे, दूसरे उत्सवों से जुड़े रहे हैं। आज भारत का युवा अपनी परंपरा, अपनी आस्था, अपनी श्रद्धा को गर्व के साथ अपना रहा है।

अध्यक्ष जी,

जब एक समाज की भावनाओं में अपनी विरासत पर गर्व का भाव बढ़ता है, तो हम ऐसे ही भव्य-प्रेरक तस्वीरें देखते हैं, जो हमने महाकुंभ के दौरान देखी हैं। इससे आपसी भाईचारा बढ़ता है, और यह आत्मविश्वास बढ़ता है कि एक देश के रूप में हम बड़े लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। अपनी परंपराओं से, अपनी आस्था से, अपनी विरासत से जुड़ने की यह भावना आज के भारत की बहुत बड़ी पूंजी है।

अध्यक्ष जी,

महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है। महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा, जिसमें देश के हर क्षेत्र से, हर एक कोने से आए लोग एक हो गए, लोग अहम त्याग कर, वयम के भाव से, मैं नहीं, हम की भावना से प्रयागराज में जुटे। अलग-अलग राज्यों से लोग आकर पवित्र त्रिवेणी का हिस्सा बने। जब अलग-अलग क्षेत्रों से आए करोड़ों-करोड़ों लोग राष्ट्रीयता के भाव को मजबूती देते हैं, तो देश की एकता बढ़ती है। जब अलग-अलग भाषाएं-बोलियां बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं, तो ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की झलक दिखती है, एकता की भावना बढ़ती है। महाकुंभ में हमने देखा है कि वहां छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं था, यह भारत का बहुत बड़ा सामर्थ्य है। यह दिखाता है कि एकता का अद्भुत तत्व हमारे भीतर रचा-बसा हुआ है। हमारी एकता का सामर्थ्य इतना है कि वो भेदने के सारे प्रयासों को भी भेद देता है। एकता की यही भावना भारतीयों का बहुत बड़ा सौभाग्य है। आज पूरे विश्व में जो बिखराव की स्थितियां हैं, उस दौर में एकजुटता का यह विराट प्रदर्शन हमारी बहुत बड़ी ताकत है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, ये हम हमेशा कहते आए हैं, ये हमने हमेशा महसूस किया है और इसी के विराट रूप का अनुभव हमने प्रयागराज महाकुंभ में किया है। हमारा दायित्व है कि अनेकता में एकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहे।

अध्यक्ष जी,

महाकुंभ से हमें अनेक प्रेरणाएं भी मिली हैं। हमारे देश में इतनी सारी छोटी बड़ी नदियां हैं, कई नदियां ऐसी हैं, जिन पर संकट भी आ रहा है। कुंभ से प्रेरणा लेते हुए हमें नदी उत्सव की परंपरा को नया विस्तार देना होगा, इस बारे में हमें जरूर सोचना चाहिए, इससे वर्तमान पीढ़ी को पानी का महत्व समझ आएगा, नदियों की साफ-सफाई को बल मिलेगा, नदियों की रक्षा होगी।

अध्यक्ष जी,

मुझे विश्वास है कि महाकुंभ से निकला अमृत हमारे संकल्पों की सिद्धि का बहुत ही मजबूत माध्यम बनेगा। मैं एक बार फिर महाकुंभ के आयोजन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की सराहना करता हूं, देश के सभी श्रद्धालुओं को नमन करता हूं, सदन की तरफ से अपनी शुभकामनाएं देता हूं।