PM Modi lays the foundation stone for the first Hindu temple in the UAE via video conferencing.
PM Modi unveils a model of the first BAPS Hindu temple of the UAE and officially launches the project
Our relation with UAE is not just that of a buyer and a seller. It has become much more, says PM Modi
India’s leap in World Bank’s Ease of Doing Business Rankings from 142 to 100 is unprecedented: PM Modi
I thank the Gulf countries which provided almost 30 lakh people from India a home-like environment, away from home, says PM Modi

मेरे लिए बड़े सौभाग्‍य की बात है कि मुझे फिर एक बार आप सबके दर्शन करने का अवसर मिला है।

2016 में His Highness Crown Prince of Abu Dhabhi भारत आए थे। 2017 में हमारे अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण गणतंत्र पर्व के ये मुख्‍य मेहमान थे। शायद कई दशकों के बाद भारत का खाड़ी के देशों के साथ इतना गहरा, इतना व्‍यापक और इतना vibrant नाता बना है।

आज यही वो खाड़ी के अन्य देश , हमारा नाता सिर्फ buyer or seller का नहीं रहा एक partnership का बना है। भारत इस बात के लिए गर्व करता है कि खाड़ी के देशों में 30 लाख से भी अधिक भारतीय समुदाय के लोग यहां की विकास यात्रा में भागीदार हुए है। मैं खाड़ी के देशों का ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं, अभिनंदन करता हूं। उन्‍होंने हमारे देश के 30 लाख से अधिक लोगों को यहां भारत के बाहर जैसे उनका दूसरा घर हो उस प्रकार का उत्‍तम वातावरण दिया है।

भारतीय समुदाय ने भी इसे अपना ही घर मानकर के उसी प्रतिबद्धता के साथ उतने ही परिश्रम के साथ यहां के लोगों के सपनों को साकार करने के लिए अपने सपनों को भी यहां बोया है। और एक प्रकार से मानव समूह के partnership का एक ये उत्‍तम उदाहरण हम खाड़ी के देशों में अनुभव कर रहें हैं UAE में अनुभव कर रहे हैं। बहुत लोगों को जब आश्‍चर्य हुआ कि ये His Highness Crown Prince ने, जब मैं पिछली बार आया तब Abu Dhabhi में मंदिर बनाने की बात को आगे बढ़ाया। मैं ये इस His Highness Crown Prince का सभी सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानी की तरफ ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। मंदिर का निर्माण और वो भी सद्भावना के सेतु के रूप में।

हम उस परंपरा में पले-बढ़े है। जहां मंदिर ये मानवता का एक माध्‍यम है। Holy place, Humanity का, Harmony का एक Catholic Agent है। और मुझे विश्‍वास है कि स्थापत्य की दृष्टि से, आधुनिक Technology की दृष्‍टि से, Messaging की दृष्‍टि से ये मंदिर अपने आप में एक अनोखा तो होगा ही होगा लेकिन यह विश्‍व समुदाय को वसुधैव -कुटम्‍बकम जिस मंत्र को हम जिए है उस मंत्र का अनुभव कराने का भी अवसर प्राप्‍त होगा। और इसके कारण भारत की एक अपनी पहचान भी बनाने का एक माध्‍यम बनेगा।

मैं मंदिर निर्माण से जुड़े हुए सबसे आग्रह करूंगा कि यहां के शासकों ने भारत के प्रति इतना सम्‍मान जताया है। भारत की सांस्‍कृतिक परंपराओं का इतना गौरव किया है ये हमारी जिम्‍मेदारी है कि हमसे कोई चूक न रह जाए, कोई गलती न हो जाए।

मानवता के उद्धांत आदर्शों और विचारों को कहीं कोई खरोंच न आ जाए इसकी जिम्‍मेवारी इस मंदिर निर्माण से जुड़े हुए और मंदिर से जुड़ने वाले भावी भक्‍तों के लिए भी ये बहुत बड़ी अनिवार्य रहेगी। ऐसी मेरी आप सबसे अपेक्षा है।

आज देश विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर रहा है। ये भारत के लिए सम्‍मान का विषय है कि आज एक विश्‍व स्‍तर के Summit में भारत को विशेष सम्‍मान दिया गया है। मुझे वहां संबोधन करने के लिए निमंत्रण मिला है। यहां आप लोगों के लिए भारत की जानकारी पाना मुश्किल नहीं है। अगर मैं कोई दो चीज बोलूंगा तो आप दस चीज बताएगें इतनी आपको भारत की जानकारी है। और एक प्रकार से यहां पर लघु भारत बसता है। हिन्‍दुस्‍तान में कोई कोना ऐसा नहीं होगा कि जिसका प्रतिनिधित्‍व यहां नहीं होगा और इसलिए भारत किस तेजी से बदल रहा है। सवा सौ करोड़ भारतीय अपने सपनों को पूरा करने के लिए किस आत्‍मविश्‍वास से आगे बढ़ रहे हैं। ये आप भली-भांति अनुभव कर सकते हैं।

हमनें वो दिन भी देखे हैं जब चलो छोड़ो यार, कुछ होने वाला नहीं है। चलो यार बिस्‍तरा उठायो कहीं चले जाओ। निराशा, आशंका, दुविधा ये कालखंड से हम गुजरे हैं।

एक समय था जब देश में से एक आम आदमी सवाल पूछता था कि ये संभव है क्‍या? ये होगा क्‍या? कि हमारे यहाँ भी हो सकता है क्‍या? ऐसे ही सवालों में सामान्‍य मानवी उलझा था। और वहां से चलते-चलते चार साल के भीतर-भीतर देश यहां पहुंचा है कि आज देश ये नहीं पूछ रहा है, ये नहीं सोच रहा है कि होगा कि नहीं होगा। कि क्‍या संभव है या नहीं है। चलो यार दिमाग कौन खपाये उस मन:स्थिति से आज मन:स्थिति यहां पहुंची है। मोदी जी बताओ कब होगा, इस सवाल में शिकायत नहीं है इस सवाल में विश्‍वास है कि होगा तो अभी होगा।

2014 में वैश्विक स्‍तर पर ease of doing business हम 142 नंबर पर खड़े थे। यानि पीछे से गिने तो थोड़ा सरल हो जाएगा आगे से गिने तो बहुत देर लग जाएगी। दुनिया में कभी किसी देश ने इतने कम समय में Ease Of Doing Business में world bank के रिपोर्ट के अनुसार 42 का Jump लगाकर के 100 पर पहुंच जाएगा। लेकिन कोई ये न सोचे कि हम वहां रूकने के लिए आए हैं। हम और अधिक ऊपर जाना चाहते हैं और इसके लिए जहां नीतिगत परिवर्तन करना होगा। जहां रणनीति में परिवर्तन करना होगा। जहां implementation के role map में परिवर्तन करना होगा। जहां संसाधनों की प्रक्रियाओं में परिवर्तन करना होगा। जो भी आवश्‍यक होगा उन कदमों को उठाते-उठाते हुए भारत को जितना हो सके उतना जल्‍दी Global bench mark की बराबरी में लाना है।

Globalization वो चीज ऐसी नहीं है कि हम तो जहां है वहां बैठे और दुनिया से फायदा उठाते चले जाए जी नहीं। Globalization वो चीज है जिसमें इस ग्‍लोब के सभी लोगों ने अपना-अपना दायित्‍व निभाते हुए हर किसी के साथ जुड़ते हुए, हर किसी से सीखते हुए, हर किसी को साथ लेते हुए उन ऊंचाइयों को प्राप्‍त करना है जो दुनिया के आखिरी छोर पर बैठा हुआ देश हो या व्‍यक्ति हो उनके कल्‍याण के लिए भी काम आए और तभी जाकर के तो सच्‍चे अर्थ में वसुधैव कटुम्‍बकम ये हम जीतकर के दिखा सकते हैं।

भारत अपने वैश्चिक दायित्‍व को निभाने के लिए, नियति ने उसके लिए कुछ जिम्‍मेवारिया दी है आज दुनिया कह रही है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। तो ऐसा तो नहीं है कि वो ऐसे आए, टपक जाएगी और हम हाथ ऐसे करके रहेगें और आ जाएगी।

21वीं सदी एशिया की सदी बनाने के लिए परिश्रम करना पड़ेगा तत्‍कालीन लाभ हो या न हो। लेकिन लंबे अरसे की भलाई के लिए हमे कदम उठाने होंगे। महात्‍मा गांधी हमेशा श्रेय और प्रिय इसकी चर्चा किया करते थे। क्‍या वो काम करना कि जो प्रिय हो या वो काम करना जो श्रेय हो। हमारी कोशिश ये है कि श्रेयस्‍कर कामों की ओर कदम उठाते चले तत्‍कालीन शायद प्रिय लगे या न लगे लेकिन वो ऐसे श्रेयस्‍कर होंगे कि समय रहते वो प्रिय लगने वाले हैं।

कुछ सार्मथ्‍यवान लोग होते हैं, उनको कोई भी कदम तुरंत प्रिय लगता है। कुछ लोगों को कठिनाई होती है कि थोड़ा देर लगती है। अगर नोटबंदी करता हूं तो देश का गरीब तबका उसको तुरंत समझ आता है। सही दिशा का मजबूत कदम है। लेकिन जिसकी रात की नींद चली गई हो वो दो साल के बाद भी अभी भी रो रहा है।

7 साल से जीएसटी कानून होगा, नहीं होगा चल रहा था, हो गया। अब ये सही है कि हम भी एक मकान में रहते हैं सालों से और दूसरे मकान में जाएं। रात को बड़ी खुशी है आनंद है बढि़या मकान नया बनाया है लेकिन जब सुबह नींद से उठते हैं तो आदतन मजबूरन बायीं ओर बाथरूम समझ कर के वहीं चले जाते हैं और दीवार से टकरा जाते हैं। बाद में पता चलता है ये तो नया घर है यहां बाथरूम right side पर है। ये सबका अनुभव है कि नहीं है। अगर एक इंसान की जिंदगी में भी बदलाव से इतनी कठिनाई होती है तो 70 साल पुरानी व्‍यवस्‍था हो या सवा सौ करोड़ का देश हो आदतें जहन में हों, दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी उसी में आदतों में जी हों। उसमें से जब बदलाव लाना है तो कठिनाईया होती है। लेकिन ये श्रेयस्‍कर है।

महात्‍मा गांधी ने जो रास्‍ता दिखाया था वो रास्‍ता है और आज इतने कम समय में जीएसटी की कई कठिनाईयों को दूर करते-करते आज एक व्‍यवस्‍था के तहत स्‍वीकृति पाकर के आगे बढ़ रहा है। देश बदल रहा है।

कल मैं Abu Dhabhi में था कई सारे agreement किए। Lower Zakum Concession agreement middle east upstream के अंदर भारतीय कंपनी का पहली बार निवेश होना ये partnership का एक उज्‍ज्‍वल पहलू शुरू हुआ है। मेरे कहने का तात्‍पर्य इतना ही है कि मैं आज अगले कार्यक्रम के लिए मुझे पहुंचना है। इसलिए लंबा समय आपका नहीं ले रहा हूं। लेकिन आप इतनी बड़ी संख्‍या में आए, इतना प्‍यार दिया, उधर तो मेरी नजर भी नहीं पहुँचती है। मैं आपका ह्दय से बहुत-बहुत आभारी हूं। ये मेरी टूर बड़ी जेट गति वाली टूर है। मैं करीब 70-80 घंटे में, मैं पांच देशों की यात्रा करके वापस लौटने वाला हूं । Jordan, Palestine, Abu-Dhabhi अभी Dubai और यहां कार्यक्रम करने के बाद मुझे Oman जाना है। वहां भी आज बहुत बड़ी मात्रा में भारतीय जन समुदाय का आज शाम मुझे उनके भी दर्शन करने का सौभाग्‍य मिल रहा है। उनको भी कुछ-न-कुछ बाते बतानी हैं। लेकिन मैं फिर एक बार आपका ह्दय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं जो सपने आप देख रहे हैं। जो सपने आपके स्‍वजन भारत की इस धरती पर देख रहे हैं। हम सब मिलकर के समय-सीमा से पहले उन सपनों को पूरा करके रहेगें। ये विश्‍वास मैं आपको देता हूं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद। नमस्‍कार।

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